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Incest अनोखे संबंध ।।। (Completed)

Which role you like to see

  • Maa beta

    Votes: 248 81.0%
  • Baap beti

    Votes: 73 23.9%
  • Aunty bhatija

    Votes: 59 19.3%
  • Uncle bhatiji

    Votes: 21 6.9%

  • Total voters
    306
  • Poll closed .
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220
58
कहानी को गतिशील रखने के लिए आप का सुझाव अच्छा है। लेकिन कहानी का अपडेट एक धुन पैदा करता है। बीच में छूट जाये तो मजा व आनन्द बेकार हो जाता है। मैं चाहकर भी एसा नहीं कर सकता। आप सब पाठकों के मूल्यवान उपलब्धियों को मैं तहे दिल से स्वागत करता हूँ।

यह कहानी थोडी बहुत रह गई है। थोड़ा धैर्य रखें। सबर का फल मीठा होता है।

पवन की कहानी में अभी काफी कुछ बताने लायक है। उसमें अभी तक ठीक तरह से आप लोगों को यौन संबंध वातावरण दिखाया नहीं गया। एसी सोच व विचार में गम्भीर रूप से एकाग्रता चाहिए होता है। मेरे लिए एक ही समय पर दो दो पात्रों और घटनाक्रम एवं दृश्यावली को शब्दों में उतारना आसान नहीं होगा। धन्यवाद आप का।
सतत प्रतीक्षारत
 

XCensored

censored...
13
82
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आपकी दोनों ही कहानियों में आपकी प्रतीक्षा है। खासकर "पूर्व-पवन" में। बँधी हुई और लयबद्ध कहानियाँ यहाँ कम ही देखने को मिलती हैं, आशा है वह कहानी भी जल्दी ही आगे बढ़ेगी।
 

Babulaskar

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Update 53

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देवा मंडप के एक तरफ शादी का कार्य करने बैठ गया। रघू दूल्हा के आसन में बैठा हुआ था। कुछ देर बाद कोमल का हाथ पकड़े राधा और सपना का हाथ पकड़े रेखा आ गई। दोनों ने बहुत मुश्किल से दो पट्टे से अपने आपको ढक रखा था। लह्ँगा के नीचे राधा रेखा पूरी नंगी थी। और ऊपर सिवाए एक ओढनी के कुछ नहीं था। शरम लाज हया के माहोल में दोनों का चेहरा झुका जाने लगा। दोनों आकर रघू के बगल में बैठ गई।


"दूल्हे के दोनों तरफ एक एक दुल्हन को बिठाया जाये।" देवा पंडित के कहने पर दोनों इसी माफिक बैठ गई। रघू के बाईं तरफ रेखा और दाईं तरफ राधा। आसपास सभी उन्हें मुस्कुरा भरी नजरों से देखने लगे। जबतक शादी का कार्य चलता रहा सब ठीक ठाक से हुआ। राधा और रेखा अपने आप संभालकर बैठी रही। लेकिन विपत्ति आई उसके बाद। देवा पंडित ने कहा, अब फेरे का समय है। दूल्हा आगे रहे और दोनों दुल्हनें पीछे रहें। दुल्हनों की ओढनी से दूल्हा के दो पट्टे से गांठ लगाया जाये।" देवा की बात पर राधा और रेखा शरम से पानी पानी सी हो गई। अब क्या होगा? उनपर किसी ने ध्यान नहीं दिया। पार्वती आगे बढी और दोनों की ओढनी का सिरा लेकर गांठ बान्धने लगी। और वही हुआ जो होना चाहिए था।

ओढनी सरकते ही राधा की मम्मियाँ दिख गई। राधा किसी तरह अपने आप को छुपाने की कोशिश करती रही। लेकिन तब तक जो होना था हो गया। वहां मौजूद सभी का चेहरा मुस्कराहट से खिल उठा। और रेखा के साथ भी यही मामला हुआ। जैसे तैसे दोनों ने फेरा संपन्न किया। वर माला दिया। रघू ने अपनी दोनों पत्नियों के गले में मंगलसूत्र पहनाया। और इस तरह शादी का मुहुरत समाप्त हुआ। राधा और रेखा की जान में जान आई।

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सुहागरात सुहाना

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शाम का समय ढल चुका था। रात की पहर अब शुरु हो गई है। सपना और शीतल की सहयता से सुहागरात का कमरा बड़े प्यार से सजाया गया है। फूलों से सजे पलंग के ऊपर राधा और रेखा किसी नई नवेली दुल्हन की तरह सहमी सिम्टी बैठी हुई थी। उनके बालों में फूलों का माला सजा हुआ है। लाल दो पट्टे से शरीर का ऊपरी हिस्सा छुपाके सभी औरतें के साथ बैठी उस नाजुक लम्हे का इन्तज़ार करने लगी। कोमल, कल्लो, शीतल, सपना, पार्वती, लक्ष्मी सभी दोनों के आजू बाजू खडी होकर उन्हें शादी की बधाईयाँ देती हैं।


"इस जोड़े में तुम दोनों कितनी खुबसूरत लग रही हो। कोई भी दुल्हन तुम्हें देखकर शर्मा जाये। अच्छा होता अगर तुम दोनों माँ बेटी ब्लाऊज पहन सकती! हा हा ही ही!" कोमल हंसी मजाक में बोलती है।

"कोमल चाची, सही कहा तुम ने! एसा मैं ने पहली बार देखा, दुल्हन ब्लाऊज पहने बिना सुहागरात की सेज पर बैठी हुई है। वैसे मौसी अच्छा हुआ, रघू को ज्यादा कुछ खोलने की जरुरत नहीं पड़ेगी। बस सीधा अपने निशाने तक पहुँच जाएगा! फिर तो बस ठुकाई चलती रहेगी।" कमीनी सपना बेशर्म होती हुई बोली। उसकी बात पे सभी औरतें जोर जोर से हँसने लग जाती हैं। राधा और रेखा दुलहन होने के मारे कुछ कह भी नहीं पाती। चुपचाप सुनती रहती है।


"यह सब तो ठीक है, जरा इन दोनों से पूछ लो, रघू पहले किस बीबी के ऊपर चड़ेगा! किस की छेद का उद्घाटन करेगा! रघू के तो वारे-न्यारे हो गए, एक सुहागरात में दो दो बीबियाँ, दो दो सुराख, दो दो छेद, घुसे तो किसके अन्दर घुसे! अच्छा होता अगर हमारे रघू बाबा के पास एक के बजाये दो लौड़ा होता!" छिनाल कल्लो बड़ी बेशरम होकर ठहाका मारके बोलती गई।


"आह, तुम लोग भी! बेचारी को क्यों परेशान कर रही हो! बेचारी वैसे भी परेशान हैं। राधा तू ज्यादा फिक्र मत कर। यह रात किसी ना किसी तरह गुजर जायेगी। आज तुम दोनों की सुहागरात है। हमारी सब की तरफ से तुम दोनों को बधाई। खुश रहो, पूतो फुलो फलो।" समझदार पार्वती ने माहोल को मोडने के लिए एसा कहा।


"पर मौसी, कितने दिन में फूलना है यह तो बता दो! कहिँ कल को ही पता चल जाये, मौसी के पेट में बच्चा ठहर गया।" अब शीतल बोल पड़ी।


"वह तो होगा ही। आखिर पति का प्यार मिलेगा।"


"प्यार नहीं मौसी, पानी लेना पडेगा। वह भी अन्दर, छेद के भीतर। तब जाकर मौसी और रेखा गर्भवती हो पायेगी। पानी समझती है ना? माल! लौड़े का माल लेना पडेगा!"


"तुझे बडा पता है? अभी अभी तेरी शादी हुई है। भूल मत, यहां सब तेरी माँ और मौसी चाची हैं। सब को पता है, बुर के छेद में पानी गिराने से बच्चा ठहरता है। कोमल, समझा अपनी बेटी को!"


"क्या समझाऊँ दीदी, जब से शादी हुई है, एकदम लण्डखोर बन चुकी है। रात दिन अपने पति के नीचे पड़ी रहती है बस।" कोमल हँसते हुए जवाब देती है।


"हाँ मौसी, मैं ने देखा है, यह र्ंडी हर समय चुदवाती रहती है।" सपना बीच में बोल पड़ी।


पार्वती कहती है, "तभी तेरी जबान इतनी चल रही है। भूल मत, रेखा की सुहागरात आज रात को होने वाली है। रोज रोज सुहागरात नहीं होती। कल जब इसकी शरम दूर हो जायेगी तुझे यह नोच खायेगी।" पार्वती के कहने के अंदाज पे रेखा हँस पड़ी। इतनी देर से लक्ष्मी सबकी बातें सुनती हुई मुस्कुरा रही थी। अब उसने कहा,


"अम्मा, समय हो गया है। अब दूल्हे को बुला लीजिये! हमें भी अब जाना चाहिए। इन्हें अब अकेला छोड दीजिये।" सब ने लक्ष्मी की बात पे सहमति जताई। सपना रघू को बुलाने चली गई। वहीं पार्वती को छोड़कर बाकी औरतें कमरे के दरवाजे के सामने खडी हो गई। रघू जिस अवस्था में था, केवल धोती और बनियान में, उसी हालत में कमरे के सामने हाजिर हुआ। उसके साथ उसके दोनों दोस्त रामू और देवा खडे थे। औरतें दरवाजा रोककर खडी रही।


"पहले पैसा दो, फिर हम तुम्हें अन्दर आने देंगे।" शीतल ने कहा। सब ने हाँ हाँ करके रघू को रोके रखा।


"हमारा दोस्त पैसा क्यों दें! तुम सब साली नहीं हो, पैसा नहीं मिलेगा।" रामू ने कहा।


"तू चुप कर, रघू का चमचा। रघू देख, हम ही तेरी सालियाँ हैं। जो राधा की सहेलियां हैं वह तेरी साली हैं, और जो रेखा की दोस्त हैं वह भी तेरी सालियाँ हैं। अब तुम हमारे जीजाजी बन चुके हो, समझे! जीजाजी!" सपना ने आगे बढकर चिढाते हुए कहा।


"अच्छा, तुम सभी मेरी सालियाँ हो!"


"हाँ, हम सब हैं तुम्हारी सालियाँ!"


"पैसा मैं दे दूँगा। सब को अलग अलग दूँगा। जितने चाहिए उतने दूँगा। लेकिन सोच लो, साली आधी घर वाली होती हैं। फिर तुम्हारे ऊपर भी मेरा आधा अधिकार होगा। सह पाओगी तुम सब!"


"वह हम बाद में देखेंगे। पहले पैसा निकालो।" कोमल ने कहा।


"ठीक है, मेरी प्यारी सालियों! याद रखना साली जीजा के लिए आधी घर वाली होती है। आधा हिस्सा तो मैं लेकर ही मानूँगा। चाहे ऊपर से, या नीचे से। रामू इन्हें पैसा दे दे।"


"हाँ हाँ हम भी देखेंगे, आखिर हमारे प्यारे जीजाजी में कितना दम है। अभी पहले दो को सम्भाल लो, फिर अगर मौका मिले हम हैं ना! क्यों शीतल!" सपना ने सबकी राये पे कहा।


रामू ने उन्हें पैसे दिए तो वह दरवाजा छोडकर हट गई। रघू कमरे के अन्दर आया। उसके साथ साथ बाकी लोग भी आने लगे। पार्वती ने सब को रोक दिया।

"अब तुम्हारा कोई काम नहीं। तुम सब यहां से जाओ। मैं सुहागरात की विधि पूरी करके आती हुँ।" पार्वती के जोर देने से सब औरतें मुहं लटकाकर कमरे के बाहर आ गई। अभी कमरे में राधा, रेखा, रघू और पार्वती मौजूद हैं। पार्वती ने राधा और रेखा को उददेश्य करते हुए कहा, तुम दोनों नीचे उतरो।"

दोनों पलंग से उतरकर खडी हो गई। रघू भी खडा रहा।

"अब दोनों अपने पति के पैर छुओ। पति का आशीर्वाद लो।" पार्वती के आदेश पर राधा और रेखा बारि बारि रघू के पैर छूने लगी।

"मौसी! इसकी क्या जरुरत थी!" रघू को कुछ अजनबी सा लगा।

"जरुरत है, आज से तुम सब का एक अलग रिश्ता हो चुका है। अब से तुम पति पत्नी हो। पहले जो रिश्ता था, अब वह समाप्त हो गया है। अब राधा ना तो तुम्हारी माँ है और ना रेखा तुम्हारी बहन है। दोनों तुम्हारी पत्नी हैं। और उनके लिए तुम पति परमेश्वर हो। और एक बात, मैं भी अब तुम्हारी मौसी नहीं हुँ! मेरी दोस्त राधा से विवाह करके तुम ने मौसी का रिश्ता खत्म कर दिया है। अब से मैं भी तुम्हारी साली हो गई। समझे बुद्धू! चलो, रात काफी हो गई है। तुम अपनी जिंदगी की पहली रात प्यार से शुरु करो, मैं चलती हुँ।

राधा, मैं तुझ से कह रही हूँ, रघू अब से तेरा पति है। उसकी सेवा करना। हमेशा उसे सम्मान देना। अपने किसी काम से उसे नाराज मत करना। समझी मेरी बात?"


राधा ने अपना सिर हिलाया।


"और रेखा, तू! तुझे भी यही कह रही हूँ, लेकिन उसके साथ राधा तेरी माँ जरुर है। लेकिन एक मर्द के साथ तुम दोनों माँ बेटी ने शादी की है। इस लिए पहले जो रिश्ता था, माँ बेटी का, वह अब नहीं रहा। अब राधा तेरी सौतन बनी है। इसे राधा नाम से बुलाया करना। अपने पति पर जितना अधिकार राधा का है उतना तेरा भी है। ठीक है?"


"हाँ मौसी!"


"मौसी नहीं, पार्वती बोला कर, अब से मैं भी तेरी सहेली बन गई हुँ। चलो मैं चलती हूँ। यहां पर दूध रखा है। तुम दोनों मेरे जाने के बाद अपने पति को पिला देना।" पार्वती दोनों के सिर पर आशीर्वाद का हाथ फेरती है। उन्हें दोबारा पलंग पर बिठाती है। और उसके बाद जाते जाते कमरे का दरवाजा बंद करती हुई बोलती है, "रघू तुम अन्दर से कुंडी लगा दो। हम सुबह आ जायेंगे।"

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Babulaskar

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Update 54

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रघू कुछ देर चुपचाप बैठा रहा। उसे समझ नहीं आया किस बात से उसे प्रारंभ करना चाहिए। पार्वती के जाने के बाद रघू ने दरवाजे की कुंडी लगा दी। कमरे में तेज लाईट जल रही है। सुहागरात की सेज पे लाईट की किरनों से एक मंत्रमुग्ध वातावरण तैयार हुआ है। यह प्यार का माहोल था, संजोग का माहोल था, दो प्रेमी के मिलन का वातावरण था।

बाहर से अभी भी औरतों की आवाजें आ रही थी। अब हंसी मजाक करने लगी थी। साथ में खाना खा रही थी। दूल्हा दुल्हनों को उन्होने विवाह समाप्त होने के बाद खिला दिया है। यह असल में पार्वती की राय थी।

पार्वती ने कोमल से कहा था, हमें उन्हें पहले ही खिला देना चाहिए।"

कोमल ने कहा, एसा क्यों! साथ में खायेंगे ना!"

तब पार्वती ने माहोल को समझाते हुए कहा था, "बात वह नहीं है, दो दुल्हन हैं और एक दूल्हा है। हमें उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय देना होगा। अगर हमारे साथ खाने बिठाया, तो सुहागरात शुरु होते होते आधी रात हो जायेगी। दो दुल्हनों पे बेचारा अकेला रघू कैसे ध्यान देगा?"

कोमल ने कहा था, यह तो सही कहा तुम ने दीदी!"

राधा और रेखा ने ना चाहते हुए भी दो चार निवाले मुहं डाले बस।


रघू ने कुछ देर इसी सोच में गुजार दिया। पार्वती जाते जाते दोनों का चेहरा घूँघट में छुपाकर गई थी। अब उसे घूँघट हटाकर सुहागरात का उद्घाटन करना होगा। इसी बीच बदमाश रेखा घूँघट के अन्दर से बोल पड़ी, "क्या हुआ पतिदेव, हमें पूरी रात इसी तरह रखोगे! घूँघट उठाने में इतनी झिझक क्यों?"


"नहीं, वह असल में सोच रहा था पहले किस की घूँघट हटाऊँ! तुम्हारी या रा,रा,राधा की!"


"क्यों दोनों का एक साथ नहीं उठा सकते? हम पास पास ही बैठी हैं!" रेखा ने थोड़ा हँस दिया। राधा अभी भी चुपचाप घूँघट के भीतर मुहं छुपाये बैठी थी। उसने अपनी कोहनी से रेखा को रोक दिया।


"हाँ यह सही है। तुम दोनों का घूँघट एक साथ हटाता हूँ।" रघू आगे आया। दोनों के सामने बैठा। और दौनों की ओढनी दो हाथों से उठाया। ओढनी से दोनों ने अपने तन को ढाक रखा था। रघू ने ज्यादा कुछ सोचा नहीं, उसके ओढनी सरकाने से राधा और रेखा दोनों एक साथ उपर से अधनंगी हो पड़ी। रघू ने जब यह माजरा देखा, उसे थोडी बदमाशी सूझी। उसने ओढनी खींचकर पूरा हटा दिया। राधा और रेखा ऊपर से पूरी नंगी होकर बैठी रही। राधा और रेखा शर्माकर अपने हाथों से छाती को छुपाने लगी।


"क्या करते हो पतिदेव!" रेखा शर्माके बोलती है।


"वह सरक गया है।" रघू मुस्कुराता है।


"एसा कोई अचानक से करता है क्या! देखो अपनी बिबोयों को। हमें थोड़ा समय दो।"


"अब बर्दाश्त नहीं होता रेखा। तुम दोनों को अपना बनाने के लिए शादी की। हाथ हटाओ ना, तुम्हारी खुबसूरती देखने दो।" रघू थोड़ा और पास आ गया।


"नहीं, पहले हमें हमारा तोहफा दो। फिर हटायेंगे हम अपना हाथ। क्यों राधा!" राधा ने रेखा की और देखा। उसने भी कहा, "हाँ, पहले हमें तोहफा दो। और यह, यह दूध भी नहीं पिलाने दिया। कितना उतावला है हमारा पति। देखा रेखा!"


"बडा उतावला है। देखो ना, किस तरह देख रहा है हमें। बहुत खुश नसीब हो तुम पतिदेव। जो दो दो बिबियों के साथ सुहागरात मनाने का मौका मिल गया। अब हमें हमारा तोहफा दो। उसके बाद हम अपने आप को तुम्हारे हवाले कर देंगे। फिर सम्भालना!" राधा और रेखा अभी भी अपनी अपनी छाती छुपाके रखी थी।


"कैसा तोहफा चाहिए बताओ, वही दूँगा तुम दोनों को। वैसे भी मुझे पता है, बिबियों को जेवरात तोहफा में दिए जाते हैं। लेकिन तुम दोनों के शरीर में सारे जेवरात हैं। गले में देखो, यह मोटे सोने के हार, कान में तीन तीन बालियाँ झुमके, नाक में नथनी, माथे पे माँग टिका, हाथों में इतनी सारी चूडियां कंगन, पैरों में पायल, झुमक, अब तुम दोनों ही बताओ, मैं क्या लाता! मैं ने पहले से सोचकर शादी से पहले यह जेवरात ला दिए। अगर मुझे पता होता, सुहागरात में कोई गहना देना चाहिए, फिर मैं एक गहना अपने पास रख लेता। पर तुम दोनों को अगर और चाहिए मैं अब की बार दोनों के लिए हीरे की नाक की कील ला दूँगा!" रघू ने उन्हें अस्वास्थ करना चाहा।


"हमने कब कहा हमें जेवरात चाहिए। हमारे पतिदेव के होते हुए हमें किसी बात की फिक्र नहीं है। हमें कुछ एसा चाहिए जो खास हो। क्यों राधा, सही कहा ना मैं ने?"


"हाँ रेखा, मैं भी यही चाहती हूँ। हमारा पति हमें एसा तोहफा दें, जो हमारे पास हमेशा रहे।"


"फिर तुम दोनों ही बताओ, तुम्हें क्या चाहिये! हम वहीं देंगे।"


"सोच लो, बाद में मुकर ना जाना।"


"नहीं जाऊँगा। बताओ तुम क्या चाहिए। मैं तैयार हूँ।


"हमें तुम्हारे से वचन चाहिए। तुम्हारा वादा और प्रतिज्ञा चाहिए। बताओ दे पाओगे?"


"कैसा वादा! कैसा वचन!"


"राधा तुम बताओ!"


"हम चाहते हैं तुम हमेशा हमारे ऊपर अपना पति धर्म निभाओ। अगर हम कभी गलती करती हैं तो हमें डांटे, हमेशा हम से प्यार करे। और एक जरुरी बात, हमारे अलावा किसी दूसरी औरतों की तरफ आंख्ँ उठाकर भी ना देखे। मतलब देखोगे, लेकिन सम्बंध सिर्फ हमारे साथ होगा। तुम्हारे दिल में सिर्फ और सिर्फ हम हों। बस यही वचन चाहिए।" राधा ने कहा। राधा की बात सुनकर रघू को अंदाजा हुआ, दोनों बिबियों ने पहले से यह सोच रखा था।


"क्यों हमारे प्यारे पतिदेव। वचन निभा पाओगे! आज तुम्हारी तरफ से यही हमारा तोहफा है। लेकिन उसके बदले हम भी तुम से वचन करेंगे। लेकिन पहले तुम पतिदेव!" रेखा अपनी शरारती अंदाज में बोली।


"हम्म, काफी कठिन वादा दे दिया मुझे! देखो, प्यार मैं सिर्फ तुम दोनों से ही करता हूँ। और आगे भी करता रहूँगा। हमेशा अपना पति धर्म निभाऊँगा। लेकिन वह दूसरा वादा मुझे कुछ समझ नहीं आया। मेरे दिल में हमेशा तुम दोनों रहोगे। पर अभी तुम ने सुना, तुम्हारी सहेलियाँ अब मेरी साली हो गई है। तो क्या मैं उनसे!,,,"


"समझ गई मैं। बस अब कहने की जरुरत नहीं है। रेखा, देखा! हमारे पति के दिल में सालीयों के साथ रंगरलियाँ मनाने का सपना है। वह तुम कर सकते हो। इतनी छूट तुम्हें जरुर मिलेगी। लेकिन प्यार हमेशा हमारे साथ करोगे! बस इतना सा वादा है।"


"ठीक है वादा रहा, मैं हमेशा तुम दोनों से प्यार करूँगा। अब तुम दोनों मुझ से वादा करो, मुझे हमेशा पति का सम्मान दोगे। कभी मुझे बेटा या भाई होने का एहसास नहीं होने दोगे। और हमेशा पत्नी वाला प्यार दोगे।"


"हाँ हम उसके लिए तैयार हैं। शादी भी हमने इसी लिए की है। और कुछ!"


"नहीं, एसे नहीं। मुझे तुम दोनों से सुनना है। बताओ मुझे!"


"हाँ बाबा हाँ, हम हमेशा तुम्हें पति वाला प्यार देंगे। एक पत्नी की तरह प्यार करेंगे। कभी बेटा होने का एहसास नहीं होने देंगे। तुम्हारे नाम की माँग में सिन्दूर भरेंगे। मंगलसूत्र पहनेंगे। तुम्हारे से आशीर्वाद लेंगे। और कुछ!"


"बस फिलहाल यही। अब आगे क्या! एक वादा रह गया है।" अन्दर बदमाश ऊपर से सीधा सादा दिखने वाला रघू ने कहा। उसके कहने पे राधा और रेखा ने एक दूसरे की और देखा।


"और क्या रह गया है! सब कुछ तो बता दिया।" रेखा ने बताया।


"नहीं अभी भी एक वादा बाकी है।"


"मैं बता देती हूँ रेखा, हमारे इस नटखट पति देव को और क्या चाहिए! एक वादा रह गया है। वह है, हम पत्नी होने ने नाते तुम्हारे बच्चों की माँ बनेगें। तुम्हारी सन्तानों को जनम देंगे। हमारे पेट में पलने वाला बच्चा तुम्हारा ही होगा। अब खुश!" राधा के बताने के अंदाज से रघू का लौड़ा धोती फाड़ के निकलना चाह रहा था।


"हाँ यही वादा चाहिए था। अब चलो, यह सब हटाओ। मुझे अपनी पत्नियों को देखने दो।"


"इतनी भी क्या जल्दी है पतिदेव। पहले दूध तो पी लो। सुहागरात में दूध पीना शुभ होता है। वह रखा है दूध!"


"दूध तो मैं जरुर पीऊँगा। लेकिन यह तो बताओ किस का दूध पिलाओगी। अपना या राधा का!" रघू अब उनके नजदीक बैठ गया। दोनों के सामने। नजरों के सामने। रघू ने दोनों का हाथ पकड़ा।


"उसके लिए हमारे पति को थोड़ा इन्तज़ार करना पडेगा। और मेहनत भी। क्यों रेखा!"


"हाँ मेहनत करनी पड़ेगी। दूध के लिए मेहनत लगती है। काफी मेहनत लगती है। कर पाओगे जी!"


"उसी दूध के लिए आज से हमारी मेहनत शुरु होगी। चलो कोई बात नहीं है, पहले मेहनत करूँगा फिर दूध पीऊँगा। फिलहाल यही दूध पी लेता हूँ। लेकिन तुम्हारे हाथों से पीऊँगा मैं।" दूध लाने के लिए दोनों को उठना ही पडेगा। और अपने दूध से हाथ हटाकर रघू के सामने दिखाना भी पडेगा। इसी सोच में दोनों ने कुछ देर एक दूसरे की तरफ देखा।


"रेखा, चल, लगता है आज हमारा पति हमारी लाज शरम सब मिटाकर ही मानेगा।" राधा यूँही बिना कुछ सोचे पलंग से नीचे उतर आई। और उसकी बड़ी बड़ी मम्मियां लटकी हुई हिल्ती रही। रघू उससे अपनी नजर नहीं हटा पा रहा था। अपनी माँ राधा की तरह रेखा भी नीचे आ गई। दोनों अधनंगी नारी को देखकर रघू बेचारा हक्का-बक्का होकर रह गया। उसका मुहँ खुला का खुला रह गया।


"जितना भी देख लो, जी नहीं भरेगा तुम्हारा! क्यों राधा!"


"हाँ, यह लो, दूध पी लो।" राधा दूध का ग्लास रघू के आगे बढा देती है।


"यह तो गाये का दूध है।"


"अभी यही पी लो, जब तुम अपना दूध तैयार कर लोगे, तब हम तुम्हें वही दूध पिला देंगे। ही ही।" रघू को अपने ऊपर विश्वास नहीं हो रहा था। उसकी माँ और बहन उसकी बीबी बनकर उसे अपना यह रूप दिखायेगी। पति बन बैठा रघू धोती में खडा लौड़ा लेकर दोनों खुबसूरत बिबियों को बस देखने लगा।

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Mass

Well-Known Member
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super update!! hope next update mein suhagraat 'sahi maayne" mein shuru hoga ;)
intezaar rahega..
 
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गजब अपडेट। अगली कड़ी सुहागरात की जबरदस्त होने वाली है।
 
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