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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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अपडेट नंबर 25 आ गया है पेज नंबर 80 में आप सभी पाठक उसको पढ़ कर आनंद ले सकते हैं धन्यवाद।
 
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Premkumar65

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भाग 7

फिर राजनाथ बोलता है की नर्स को नहीं लेकिन डॉक्टर को तो बता सकती थी कि हम दोनों पति-पत्नी नहीं बाप बेटी हैं।


तो आरती जवाब देती है कि मुझे क्या पता था कि वह हम दोनों को बाप बेटी नहीं बल्कि पति पत्नी समझ रही है उसने हमसे पूछा ही नहीं आपके बारे में तो मैं कैसे बताती आपने क्यों नहीं बताया उसको कि हम बाप बेटी हैं।

राजनाथ -मैं कैसे बताता वह तो तुमसे बात कर रहा था।

आरती _ हां लेकिन आप अंदर बैठकर हमारी बात तो सुन रहे थे ना उसी टाइम आपको बाहर आकर बताना चाहिए कि मैं इसका पति नहीं बाप हूं।

राजनाथ-- मेरा उस टाइम दिमागी काम नहीं कर रहा था कि मैं क्या करूं और मेरे भी दिमाग में यह बात नहीं आई कि वह हम दोनों को बाप बेटी नहीं बल्कि पति-पत्नी समझ रही है फिर कुछ देर के बाद मेरे दिमाग में आया कि शायद वह हम दोनों को पति-पत्नी समझ रही है इसलिए तुम्हारी बात मुझे सुना रही है फिर मुझे लगा कि बाहर जाकर उसको बता देता हूं कि हम दोनों पति-पत्नी नहीं बाप बेटी हैं तभी मेरे दिमाग में एक और ख्याल आया कि इतनी देर हो गई है और अभी जाकर बताऊंगा तो वह हम दोनों पर गुस्सा होगी इसी डर की वजह से फिर मैंने कुछ नहीं बताया और मैं वही चुपचाप बैठा रह गया।

आरती- थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए और हम दोनों की बातें चुपचाप सुनते रहे।

राजनाथ-- सॉरी बेटा मुझे माफ कर दे मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन मैं क्या करता मैं मजबूर था इसलिए मैं तुमसे माफी मांगता हूं मुझे माफ कर दे।

आरती- अपने बाप को माफी मांगते हुए देखकर उसे उसे पर तरस आ जाती है फिर वह अंदर ही अंदर मुस्कुराते हुए कहती है ठीक है आज के लिए माफ करती हूँ ही
फिर आरती बोलती है कि एक तरह से अच्छा भी हुआ कि आपने हमारी बातें सुन ली।

राजनाथ-- चौंकते हुए क्या इसमें अच्छा क्या हुआ।

आरती- अच्छा यह हुआ कि आज आपको पता चल गया की जिस लाडले दामाद की आप इतनी तारीफ करते हैं और मुझे डांटते रहते हैं कि तुम ऐसे हीं उसके बारे में गलत बोलती हो वह तो बहुत अच्छा है आज आपको पता चल गया होगा कि वह कितना अच्छा और कितना काम का है

राजनाथ-- राजनाथ समझ जाता है उसकी बेटी किस बारे में बात कर रही है तो वह बोलता है की अरे इसमें उस बेचारे की क्या गलती है यह तो ऊपर वाले के हाथ में है कि वह किसको कितना काम करने की ताकत देता है अब इसमें उस बेचारे की क्या गलती है जो तुम उसको दोस्त दे रही है।
आरती- गुस्सा होते हुए नहीं नहीं उसकी तो कोई गलती ही नहीं है सारी गलती तो मेरी है कि आज तक मैं आपको नाना नहीं बना पाई।

राजनाथ - समझ जाता है कि आरती गुस्सा हो गई है तो वह बात को संभालते हुए बोलता है कि तू टेंशन मत ले वह दवा खाएगा तो ठीक हो जाएगा हम लोग 2 दिन के बाद डॉक्टर के पास जाएंगे तो डॉक्टर को बोल के अलग से दवा ले लेंगे ताकत बढ़ाने वाला ताकी वह अच्छा से कम कर सके।

तो आरती बोलती है कि हां हां बुखार की बीमारी है जो दवा खाएगा और दूसरे दिन से काम करने लग जाएगा।

फिर राजनाथ उसको दिलासा देता है कि तू टेंशन मत ले सब ठीक हो जाएगा।

आरती फिर कुछ नहीं बोलती वो चुपचाप तेल मालिश करने लगी राजनाथ भी चुप हो गया फिर वो आरती को उपर से निचे तक देखता है और अपने मन में सोचता है और कहता है कि इसका गुस्सा करना जायज है अभी इसकी चढ़ती जवानी है और इस उम्र में इसको शारीरिक सुख नहीं मिलेगा तो गुस्सा तो करेगी ही अभी इसको हर दिन एक या दो बार इसकी भूख मिटनी चाहिए लेकिन अफसोस कि इसको हफ्तों तक भूखा रहना पड़ता है और हफ्ते में एक बार मिलता भी है तो सिर्फ दो-तीन मिनट के लिए और ऐसी कौन सी औरत होगी जिसकी शारीरिक भूख दो-तीन मिनट में मिट जाएगी भूख मिटना तो दूर उसकी भूख और बढ़ जाती होगी मुझे तो आश्चर्य हो रहा है कि मेरी बेटी इतने सालों से कैसे बर्दाश्त कर रही है इसकी जगह दूसरी औरत होती तो वो कब का किसी के साथ भाग गई होती लेकिन मेरी बेटी ने ऐसा नहीं किया इसने मेरा और मेरे खानदान की इज्जत अभी तक बच्चा रखी है इससे पहले कि इसके बर्दाश्त से बाहर हो जाए मुझे कुछ करना पड़ेगा दामाद जी को कहीं अच्छी जगह इलाज करवाना पड़ेगा ताकि वो ठीक हो सके और इसकी भूख मिटा सके और इसको खुश रख सके।

अब आरती पैर का मालिश खत्म करने के बाद हाथ का मालिश करने लगती है और वह झुक कर मालिश कर रही होती है तभी उसकी साड़ी कंधे से फिसल के नीचे हो जाती है और उसको ख्याल नहीं रहता कि उसकी साड़ी कंधे से नीचे हो गई है और उसकी छाती और दूध दिख रही है क्योंकि वह किसी और ख्याल में खोई हुई थी और मालिश कर रही थी।

और इधर राजनाथ उसकी छाती और दूध को अपनी नज़रें छुपा के देखने लगता है आरती की दूध उसके ब्लाउज के गले के ऊपर से साफ-साफ राजनाथ को दिखाई दे रहा था और वह अपने मन मे सोचने लगता है की शादी के इतने सालों बाद भी इसकी दूध का साइज नहीं बढ़ा क्योंकि शादी होने के बाद लड़कियों की दूध की साइज बढ़ जाती है थोड़ा बहुत लटकने भी लगता है लेकिन आरती की दूध अभी भी उसी तरह गोल और छाती से लगा हुआ था क्योंकि उसने अंदर में ब्रा नहीं पहनी थी फिर भी इसकी दूध एकदम गोल और टाइट नजर आ रही इसको देखकर ऐसा लग रहा है कि इसको किसी ने अभी तक हाथ भी नहीं लगाया लगता है दामाद जी ने इसको अभी तक छुआ भी नहीं लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है एक मर्द इतना बेवकूफ कैसे हो सकता हैं जिसकी इतनी खूबसूरत और जवान बीवी हो और वह उसका सही से मजा भी ना ले सके मुझे तो ताजुब हो रहा है तभी आरती हाथ का मालिश खत्म करने के बाद बोलती है बाबूजी पेट के बल लेट जाइए पीठ में मालिश कर देती हूं।

तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं बेटा रहने दे बहुत देर हो गई है और तू भी थक गई है इसलिए अब रहने दे और जा जाकर सो जा।

तो आरती बोलती है की ज्यादा देर नहीं लगेगी आप जल्दी से उल्टी होकर सो जाइए ना।

तो फिर राजनाथ बोलता है अगर तुमको मालिश ही करना है तो कल कर देना आज रहने दे तो आरती बोलती है ठीक है जब आप नहीं चाहते हैं तो मैं जा रही हूं और वह चली जाती है।


आगे की कहानी अगले भाग में
Arti is getting attracted to Rajnath. Story is going to be interesting.
 
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Premkumar65

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भाग 8

फिर दूसरे दिन सुबह होने के बाद राजनाथ उठकर नाश्ता पानी करके कुछ काम से वह बाहर चला जाता है इधर आरती घर में घर का सारा काम खत्म करके खाना-वाना बनाके फिर वह नहाने के लिए चली जाती है फिर नहा के आने के बाद अपना बाल झाड़ती है फिर अपने मांग में थोड़ा सा सिंदूर लगाती है फिर खाना खा लेती है फिर खाना खाने के बाद वह बरामदे में बैठकर थोडी़ देर आराम कर रही थी तभी उधर से राजनाथ आ जाता है।

फिर आरती अपने बाप को देखते ही चौकी पर से उठकर खड़ी हो जाती है और बोलती है बाबूजी आगे आज बड़ी देर लगा दी।

तो राजनाथ बोलता हां बेटा कुछ काम था इसलिए देर हो गई।

फिर आरती बोलती है कि ठीक है आप पैर हांथ धोकर आई मैं तब तक आपके लिए खाना लगती हूं।

तो राजनाथ बोलना हां बेटा मुझे भी भूख लगी है जोर से और फिर वह हाथ पैर धोने के लिए चला जाता है धो के आने के बाद वह खाने के लिए बैठ जाता है।

तभी आरती खाना लेकर आती है और जैसे ही खाना नीचे रखने के लिए झुकती तो उसका खुला हुआ बाल सरक कर नीचे आ जाता है इस वजह से उसके बाल की खुशबू सीधे राजनाथ की नाक में चली जाती है क्योंकि अभी वह नहा कर आई थी तो इसलिए साबुन और शैंपू की खुशबू उसके बदन से अभी गया नहीं था इस वजह से उसकी बदन से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और वह खुशबू सीधे राजनाथ की नाक से होते हुए सीधे उसके दिमाग में जाकर असर करने लगता है वह मदहोश होने लगता है।


फिर आरती राजनाथ को खाना देने के बाद फिर वह किचन की तरफ जाने लगती है पानी का गिलास लाने के लिए तो राजनाथ उसको जाते हुए पीछे से देखने लगता है क्योंकि आरती की पतली कमर एक तरफ से पूरा दिख रहा था क्योंकि आरती ने अपनी साड़ी का पल्लू कंधे के ऊपर से घूमा कर कमर की एक साइड दबा रखी थी जिसे एक साइड की उसकी कमर और और सामने से उसकी पेट और नाभि नजर आ रही थी और उसके खुले बाल जो लहरा रहे थे फिर जैसे ही आरती किचन से गिलास लेकर आ रही थी तो राजनाथ ने उसको आते हुए ऊपर से नीचे तक देखा तो उसको ऐसा लगा कि जैसे किसी ने उसकी सोचने और समझने की ताकत छीन ली हो।

उसको अपनी बेटी को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई सेक्स की पुजारन अपना और भूख मिटाने के लिए अपने देवता पास आ रही है मांग में हल्का सा सिंदूर खुले हुए बाल और कमर में लपेटी हुई साड़ी की पल्लू और उसकी बदन से आ रही मनमोहक खुशबू जो एक स्वर्ग की अप्सरा की तरह लग रही है यह सब राजनाथ अपनी बेटी के बारे में सोच रहा होता है

तभी आरती हाथ में गिलास लिए हुए उसके पास आ जाती है और जैसे ही गिलास रखने के लिए नीचे झुकती है वैसे ही उसके खुले हुए बाल इस बार भी नीचे सरक जाता है और उसकी खुशबू एक बार फिर राजनाथ की नाक में चली जाती है और राजनाथ उस खुशबू को सूंघते ही उसको अलग ही आनंद आने लगता है।

आरती गिलास रखने के बाद फिर से किचन में चली जाती है।

इधर राजनाथ के साथ अभी जो कुछ हुआ उसका आनंद लेते हुए वह धीरे-धीरे खाना खाने लगता है और मन ही मन सोचने लगता है कि जो खुशबू सुघं कर मुझे इतना आनंद आ रहा है क्या वह खुशबू मुझे दोबारा सुघंने के लिए मिलेगा लेकिन कैसे मिलेगा।

और वह फिर से सोचने लगता है कि ऐसा कौन सा उपाय लगाऊं की आरती कुछ देर मेरे पास रह सके तभी उसके दिमाग में एक आईडिया आता फिर वह आरती से पूछता है की दादी कहां गई है।

तो आरती जवाब देती है कि कहीं बाहर गई है घूमने के लिए।

तो राजनाथ पूछता है की कितनी देर से गई है।

तो आरती जवाब देती है जी काफी देर हो गई है गए हुए।

तो राजनाथ पूछता है कि तुमने खाना खाया कि नहीं।

तो आरती जवाब देती है कि हां मैंने खाना खा लिया है।
फिर राजनाथ कुछ देर के बाद बोलता है कि अभी तुम कुछ काम करने जा रही है क्या।

तो आरती जवाब देती कि नहीं अभी तो कोई काम नहीं है क्यों क्या हुआ कोई काम है क्या।

फिर राजनाथ कुछ रुक कर बोलता है नहीं कुछ खास काम नहीं है।

तो आरती पूछती है क्या काम है।

तो राजनाथ बोलता है कि नहीं नहीं कोई काम नहीं है बस ऐसे ही पूछ रहा था।

तो आरती को लगता है कि बाबूजी कुछ छुपा रहे हैं तो वह फिर से पूछती है और बोलती है कि क्या काम है बोलिए ना।

तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं नहीं रहने दे तु गुस्सा होगी।

तो आरती बोलती की आप सचमुच में मुझे गुस्सा दिला रहे हैं बताइए ना क्या बात है।

तो राजनाथ डरते हुए उसकी तरफ देख कर बोलता है कि मेरा बदन हाथ हल्का-हल्का दर्द कर रहा है तो तुम थोड़ा दबा देती तो ठीक हो जाता।

तो आरती यह बात सुनकर मन नहीं मन मुस्कुराती और सोचती है कि इतनी सी बात बताने के लिए इतना डर रहे थे तो मैं भी थोड़ा और इनको डराती हूं।


फिर वह बोलती हैं कि ऐसा क्या काम कर के आए हैं जो आपका बदन हाथ दर्द कर रहा है और जब रात में दबाने के लिए जाती हूं तो मेरे ऊपर खिसयाने लगते हैं और बोलते हैं कि छोड़ दे, मत दबा, तू थक गई है, तो जाकर सो जा, तरह-तरह के बहाने करते हैं और अभी बोल रहे हैं कि बदन हाथ दर्द कर रहा है इतना बोलकर वह चुप हो जाती है।

फिर राजनाथ बोलता है सॉरी बाबा गलती हो गई मुझसे अब मैं तुमसे कभी नहीं कहूंगा पैर हांथ दबाने के लिए।

फिर आरती झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोलती है कि सॉरी बोलने से कुछ नहीं होगा पहले यह बताइए की रात में आप मुझे मना क्यों कर रहे थे।

तो फिर राजनाथ बोलता है अरे बाबा मैं तो तुम्हारे अच्छे के लिए बोल रहा था कि तू थक गई होगी तो आज रहने दे आज मत दबा कल दबाना अगर मेरी बात तुमको खराब लगी हो तो मुझे माफ कर दे आज के बाद नहीं बोलूंगा।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है ठीक है ठीक है आज भर माफ करती हूं आगे से माफ नहीं करूंगी।

तभी राजनाथ उसकी तरफ देखा है और वह भी मुस्कुरा देता है और समझ जाता है कि आरती मेरे साथ मजाक कर रही है फिर वह खाना खाने के बाद बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाकर आराम करने लगता है और सोचने लगता है की आरती पैर दबाने के लिए आएगी कि नहीं।

फिर कुछ ही देर में आरती उसकी कमरे की तरफ जाती है कमरे का दरवाजा खुला हुआ था तो आरती जब कमरे के अंदर गई तो वहां अंधेरा था सिर्फ दरवाजे के सामने बाहर से लाइट जा रही थी जिस तरफ बेड था उस तरफ अंधेरा था सिर्फ हल्का-हल्का दिखाई दे रहा था तो फिर आरती कुछ देर खड़ी रही और बोली कि आपके यहां अंदर क्यों सो रहे हैं बाहर में क्यों नहीं सोए।
तो राजनाथ समझ गया कि पैर दबाने के लिए आई है तो वह भी अपना झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोला क्यों यहां सोने के लिए मना है क्या।


तो आरती बोलती है कि नहीं सोने के लिए मना नहीं है आप दोपहर में बाहर बरामदे में सोते हैं इसलिए बोल रही हूं।

तो राजनाथ बोलता है कि नहीं आज मुझे अंदर सोने का मन था इसलिए मैं यहां सोया हूँ। तुम क्यों परेशान हो रही हो।

तो आरती बोलती है मैं परेशान नहीं हो रही हूँ अभी आप बोल रहे थे ना की आपका बदन हाथ दर्द कर रहा है।


तो फिर राजनाथ बोलता है कि बदन हाथ दर्द कर रहा है तो तुमको उससे क्या है।

तो फिर आरती बोलती है कि मुझे उससे क्या है मैं दबाने के लिए आई हूँ।

तो राजनाथ बोलता है कि मुझे नहीं दबवाना है।

तो आरती बोलती है क्यों क्या हो गया क्यों नहीं दबवाना गुस्सा हो गए क्या अरे वह तो मैं मजाक कर रही थी और आपको बुरा लग गय अच्छा सॉरी बाबा आगे से मैं मजाक नहीं करूंगी।

तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है मजाक कर रही थी पक्का।

आरती हां बाबा पक्का मजाक कर रही थी।

राजनाथ मैं भी मजाक कर रहा था फिर दोनों हंसने लगते हैं फिर आरती बोलती है बाबूजी बाहर चलिए ना बरामद मे वहां अच्छे से दबा दूंगी यहां अंधेरा है।

सर आज नाथ बोलते हैं नहीं नहीं यहीं पर ठीक है।

तो आरती बोलता है क्यों वहां क्या होगा।

तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं बाहर दादी आ आ जाएगी।

तो आरती बोलती है कि तो क्या हुआ दादी आ जाएगी तो क्या करेगी।

राजनाथ करेगी कुछ नहीं सिर्फ गुस्सा करेगी और बोलेगी की ऐसा क्या काम कर क्या है जो अभी दिन में पैर हाथ दबवा रहा है रात में भी दबाता है इसलिए यही ठीक रहेगा।

फिर आरती बोलती है अच्छा ठीक है फिर बेड के नजदीक जाती है और कहती है कि इधर साइड में आई ना उतना दूर मेरा हाथ कैसे पहुंचेगा राजनाथ भी तो यही चाह रहा था कि जितना हो सके उतना उसके करीब आ सके और वह सड़क कर उसके करीब आ जाता है फिर आरती पैर दबाने लगी तो उसके बाल नीचे गिर जा रहे थे तो वह अपने बाल को समेट कर बांधने लगी तो राजनाथ ने उसको बोला कि बाल को क्यों बांध रही हो तो आरती जवाब देती कि नीचे गिर जा रही हैं इसलिए तो राजनाथ उसको बोलता है कि नहीं उसे खुला रहने दो अच्छा लग रहा है।

तो आरती बोलता है कि आपको कैसे पता कि अच्छा लग रहा है यहां अंधेरे में तो कुछ दिख नहीं रहा है तो राजनाथ मनी में सोचता है कि मुझे दिखाई भले नहीं दे रहा है लेकिन उसकी खुशबू जो आ रही है उससे बढ़कर है फिर बोलता है कि जितना जरूरत है उतना दिखाई दे रहा है मुझे।

फिर आरती बोलत है ठीक है जब आप कह रहे हैं तो छोड़ देती हूँ।

फिर कुछ ही देर हुए थे की दादी बाहर से आ गई जैसे ही बाहर का गेट खुलने की आवाज आई तो आरती ने झांक कर देखा की दादी आ गई है यह सुनते ही राजनाथ का दिमाग खराब हो गया और बोलने लगा की मां को भी अभी आना था कुछ देर बाद आती तो क्या हो जाता।


फिर दादी आरती को आवाज लगती है आरती आरती कहां हो बेटा।

फिर आरती जवाब देती है जी दादी मैं यहां हूं आ रही हूं।
फिर राजनाथ आरती से बोलता है कि छोड़ दे अब जा जा कर देख क्या बोल रही है फिर आरती वहां से चली जाती है और बोलती है कि मैं अभी देख कर आ रही हूं फिर दादी के पास जाकर बोलती हैं दादी क्या तो दादी बोलती हैं बेटा प्यास लगी है पानी ला कर देना फिर पूछती है राजनाथ आया कि नहीं तो आरती जवाब देती कि हां बाबूजी तो कब के आ गये।

तो फिर दादी पूछती है कि कहां है वह नजर नहीं आ रहा।

तो आरती जवाब देती कि वह अपने कमरे में आराम कर रहे हैं।


तो फिर वह बोलती है कि तू वहां क्या कर रही थी उसके कमरे में तो आरती थोड़ा हड़बड़ा जाती है और बात को संभालते हुए बोलती है कि कुछ नहीं वो सामान इधर-उधर हो गया तो वही सब रख रही थी फिर दादी से पूछती खाना खाओगी ।

तो दादी बोलती है कि नहीं मैं अभी नहीं खाऊंगा मैं बाद में खा लूंगी तू जो काम कर रही थी वो जाने कर।

फिर आरती वापस अपने बाप के कमरे में आ जाती है।

तो तो राजनाथ पूछता है कि क्या हुआ दादी कहां है।

तो आरती जवाब देती है कि जी वो बाहर बैठी हुई है।

तो राजनाथ उसको मना करने लगा और कहने लगा कि अब रहने दे मत दबाओ दादी जान जाएगी तो गड़बड़ हो जाएगा ।

तो आरती बोलती है कि कुछ नहीं होगा आप टेंशन क्यों ले रहे हैं मैं सब संभाल लूंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि अच्छा कैसे संभाल लेगी।

तो आरती बोलती है कि वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि एक काम का दरवाजा बंद कर दे।

तो फिर आरती बोलता है कि दरवाजा बंद कर देंगे तो दादी को शक नहीं होगा।

तो राजनाथ बोलता है तो फिर क्या करें फिर वह अपना दिमाग लगता है और आरती को बोलता है कि एक काम कर तू बाहर जा और जाकर दादी को बोल की मैं बाथरूम जा रही हूं लैट्रिन करने के लिए और तुम उधर पीछे से होते हुए घूम कर यहां आ जाओ ताकि दादी देख ना पाए।


फिर आरती राजनाथ की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहती अच्छा ठीक है मैं जा रही हूं और वह जाकर दादी को बोलकर उधर पीछे से घूम के आ जाती है और अंदर आके पूछती है अब क्या करना है तो राजनाथ बोलता है कि क्या करना है दरवाजा अंदर से बंद कर दे फिर आरती दरवाजा अंदर से बंद कर देती है और बंद करने के बाद वह धीरे-धीरे बेड के करीब जाती है और बोलती है की आपने दरवाजा क्यों बंद करने के लिए बोला अब कुछ दिखाई नहीं दे रहा है तभी राजनाथ उसका हाथ पकड़ के बेड पास ले आता है और कहता है यहां बैठो फिर आरती पूछती है कि दरवाजा क्यों बंद करवाया आपने।

तो राजनाथ उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है कि कोई डिस्टर्ब ना करें इसलिए।।

फिर आरती बोलती है अगर दादी खोजते खोजते इधर आ गई तो।

तो फिर राजनाथ बोलत हैं कि मैं दादी से बोल दूंगा की आरती यहां नहीं आई है फिर आरती मुस्कुराने लगती है आरती बेड पर बैठी हुई थी और राजनाथ करवट लेकर सोया हुआ था और एक हाथ उसके कंधे पर रखा हुआ था और अपना मुंह उसके पीठ के करीब करके उसके बाल और उसकी बदन की खुशबू को सुंघ रहा था और धीरे-धीरे उसके बाल को सहलाते हुए बोला कि तुम्हारे बाल कितने खूबसूरत और मुलायम है।

फिर आरती बोलती है कि अच्छा मेरी तारीफ करने के लिए दरवाजा बंद करवाया है मेरी तारीफ करना बंद कीजिए और मुझे अपना काम करने दीजिए नहीं तो देर हो जाएगी फिर दादी भी मुझे ढूंढने लगेगी।

आगे की कहानी अगले भाग में

Dhire dhire re manaa dhire sab kuchh hoye. Maali seenche sow ghada tab jaye fal hoye. Rajnath bhi Arti ko seench rahe hain.
 
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Motaland2468

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भाग 8

फिर दूसरे दिन सुबह होने के बाद राजनाथ उठकर नाश्ता पानी करके कुछ काम से वह बाहर चला जाता है इधर आरती घर में घर का सारा काम खत्म करके खाना-वाना बनाके फिर वह नहाने के लिए चली जाती है फिर नहा के आने के बाद अपना बाल झाड़ती है फिर अपने मांग में थोड़ा सा सिंदूर लगाती है फिर खाना खा लेती है फिर खाना खाने के बाद वह बरामदे में बैठकर थोडी़ देर आराम कर रही थी तभी उधर से राजनाथ आ जाता है।

फिर आरती अपने बाप को देखते ही चौकी पर से उठकर खड़ी हो जाती है और बोलती है बाबूजी आगे आज बड़ी देर लगा दी।

तो राजनाथ बोलता हां बेटा कुछ काम था इसलिए देर हो गई।

फिर आरती बोलती है कि ठीक है आप पैर हांथ धोकर आई मैं तब तक आपके लिए खाना लगती हूं।

तो राजनाथ बोलना हां बेटा मुझे भी भूख लगी है जोर से और फिर वह हाथ पैर धोने के लिए चला जाता है धो के आने के बाद वह खाने के लिए बैठ जाता है।

तभी आरती खाना लेकर आती है और जैसे ही खाना नीचे रखने के लिए झुकती तो उसका खुला हुआ बाल सरक कर नीचे आ जाता है इस वजह से उसके बाल की खुशबू सीधे राजनाथ की नाक में चली जाती है क्योंकि अभी वह नहा कर आई थी तो इसलिए साबुन और शैंपू की खुशबू उसके बदन से अभी गया नहीं था इस वजह से उसकी बदन से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और वह खुशबू सीधे राजनाथ की नाक से होते हुए सीधे उसके दिमाग में जाकर असर करने लगता है वह मदहोश होने लगता है।


फिर आरती राजनाथ को खाना देने के बाद फिर वह किचन की तरफ जाने लगती है पानी का गिलास लाने के लिए तो राजनाथ उसको जाते हुए पीछे से देखने लगता है क्योंकि आरती की पतली कमर एक तरफ से पूरा दिख रहा था क्योंकि आरती ने अपनी साड़ी का पल्लू कंधे के ऊपर से घूमा कर कमर की एक साइड दबा रखी थी जिसे एक साइड की उसकी कमर और और सामने से उसकी पेट और नाभि नजर आ रही थी और उसके खुले बाल जो लहरा रहे थे फिर जैसे ही आरती किचन से गिलास लेकर आ रही थी तो राजनाथ ने उसको आते हुए ऊपर से नीचे तक देखा तो उसको ऐसा लगा कि जैसे किसी ने उसकी सोचने और समझने की ताकत छीन ली हो।

उसको अपनी बेटी को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई सेक्स की पुजारन अपना और भूख मिटाने के लिए अपने देवता पास आ रही है मांग में हल्का सा सिंदूर खुले हुए बाल और कमर में लपेटी हुई साड़ी की पल्लू और उसकी बदन से आ रही मनमोहक खुशबू जो एक स्वर्ग की अप्सरा की तरह लग रही है यह सब राजनाथ अपनी बेटी के बारे में सोच रहा होता है

तभी आरती हाथ में गिलास लिए हुए उसके पास आ जाती है और जैसे ही गिलास रखने के लिए नीचे झुकती है वैसे ही उसके खुले हुए बाल इस बार भी नीचे सरक जाता है और उसकी खुशबू एक बार फिर राजनाथ की नाक में चली जाती है और राजनाथ उस खुशबू को सूंघते ही उसको अलग ही आनंद आने लगता है।

आरती गिलास रखने के बाद फिर से किचन में चली जाती है।

इधर राजनाथ के साथ अभी जो कुछ हुआ उसका आनंद लेते हुए वह धीरे-धीरे खाना खाने लगता है और मन ही मन सोचने लगता है कि जो खुशबू सुघं कर मुझे इतना आनंद आ रहा है क्या वह खुशबू मुझे दोबारा सुघंने के लिए मिलेगा लेकिन कैसे मिलेगा।

और वह फिर से सोचने लगता है कि ऐसा कौन सा उपाय लगाऊं की आरती कुछ देर मेरे पास रह सके तभी उसके दिमाग में एक आईडिया आता फिर वह आरती से पूछता है की दादी कहां गई है।

तो आरती जवाब देती है कि कहीं बाहर गई है घूमने के लिए।

तो राजनाथ पूछता है की कितनी देर से गई है।

तो आरती जवाब देती है जी काफी देर हो गई है गए हुए।

तो राजनाथ पूछता है कि तुमने खाना खाया कि नहीं।

तो आरती जवाब देती है कि हां मैंने खाना खा लिया है।
फिर राजनाथ कुछ देर के बाद बोलता है कि अभी तुम कुछ काम करने जा रही है क्या।

तो आरती जवाब देती कि नहीं अभी तो कोई काम नहीं है क्यों क्या हुआ कोई काम है क्या।

फिर राजनाथ कुछ रुक कर बोलता है नहीं कुछ खास काम नहीं है।

तो आरती पूछती है क्या काम है।

तो राजनाथ बोलता है कि नहीं नहीं कोई काम नहीं है बस ऐसे ही पूछ रहा था।

तो आरती को लगता है कि बाबूजी कुछ छुपा रहे हैं तो वह फिर से पूछती है और बोलती है कि क्या काम है बोलिए ना।

तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं नहीं रहने दे तु गुस्सा होगी।

तो आरती बोलती की आप सचमुच में मुझे गुस्सा दिला रहे हैं बताइए ना क्या बात है।

तो राजनाथ डरते हुए उसकी तरफ देख कर बोलता है कि मेरा बदन हाथ हल्का-हल्का दर्द कर रहा है तो तुम थोड़ा दबा देती तो ठीक हो जाता।

तो आरती यह बात सुनकर मन नहीं मन मुस्कुराती और सोचती है कि इतनी सी बात बताने के लिए इतना डर रहे थे तो मैं भी थोड़ा और इनको डराती हूं।

फिर वह बोलती हैं कि ऐसा क्या काम कर के आए हैं जो आपका बदन हाथ दर्द कर रहा है और जब रात में दबाने के लिए जाती हूं तो मेरे ऊपर खिसयाने लगते हैं और बोलते हैं कि छोड़ दे, मत दबा, तू थक गई है, तो जाकर सो जा, तरह-तरह के बहाने करते हैं और अभी बोल रहे हैं कि बदन हाथ दर्द कर रहा है इतना बोलकर वह चुप हो जाती है।

फिर राजनाथ बोलता है सॉरी बाबा गलती हो गई मुझसे अब मैं तुमसे कभी नहीं कहूंगा पैर हांथ दबाने के लिए।

फिर आरती झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोलती है कि सॉरी बोलने से कुछ नहीं होगा पहले यह बताइए की रात में आप मुझे मना क्यों कर रहे थे।

तो फिर राजनाथ बोलता है अरे बाबा मैं तो तुम्हारे अच्छे के लिए बोल रहा था कि तू थक गई होगी तो आज रहने दे आज मत दबा कल दबाना अगर मेरी बात तुमको खराब लगी हो तो मुझे माफ कर दे आज के बाद नहीं बोलूंगा।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है ठीक है ठीक है आज भर माफ करती हूं आगे से माफ नहीं करूंगी।

तभी राजनाथ उसकी तरफ देखा है और वह भी मुस्कुरा देता है और समझ जाता है कि आरती मेरे साथ मजाक कर रही है फिर वह खाना खाने के बाद बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाकर आराम करने लगता है और सोचने लगता है की आरती पैर दबाने के लिए आएगी कि नहीं।

फिर कुछ ही देर में आरती उसकी कमरे की तरफ जाती है कमरे का दरवाजा खुला हुआ था तो आरती जब कमरे के अंदर गई तो वहां अंधेरा था सिर्फ दरवाजे के सामने बाहर से लाइट जा रही थी जिस तरफ बेड था उस तरफ अंधेरा था सिर्फ हल्का-हल्का दिखाई दे रहा था तो फिर आरती कुछ देर खड़ी रही और बोली कि आपके यहां अंदर क्यों सो रहे हैं बाहर में क्यों नहीं सोए।
तो राजनाथ समझ गया कि पैर दबाने के लिए आई है तो वह भी अपना झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोला क्यों यहां सोने के लिए मना है क्या।

तो आरती बोलती है कि नहीं सोने के लिए मना नहीं है आप दोपहर में बाहर बरामदे में सोते हैं इसलिए बोल रही हूं।

तो राजनाथ बोलता है कि नहीं आज मुझे अंदर सोने का मन था इसलिए मैं यहां सोया हूँ। तुम क्यों परेशान हो रही हो।

तो आरती बोलती है मैं परेशान नहीं हो रही हूँ अभी आप बोल रहे थे ना की आपका बदन हाथ दर्द कर रहा है।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि बदन हाथ दर्द कर रहा है तो तुमको उससे क्या है।

तो फिर आरती बोलती है कि मुझे उससे क्या है मैं दबाने के लिए आई हूँ।

तो राजनाथ बोलता है कि मुझे नहीं दबवाना है।

तो आरती बोलती है क्यों क्या हो गया क्यों नहीं दबवाना गुस्सा हो गए क्या अरे वह तो मैं मजाक कर रही थी और आपको बुरा लग गय अच्छा सॉरी बाबा आगे से मैं मजाक नहीं करूंगी।

तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है मजाक कर रही थी पक्का।

आरती हां बाबा पक्का मजाक कर रही थी।

राजनाथ मैं भी मजाक कर रहा था फिर दोनों हंसने लगते हैं फिर आरती बोलती है बाबूजी बाहर चलिए ना बरामद मे वहां अच्छे से दबा दूंगी यहां अंधेरा है।

सर आज नाथ बोलते हैं नहीं नहीं यहीं पर ठीक है।

तो आरती बोलता है क्यों वहां क्या होगा।

तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं बाहर दादी आ आ जाएगी।

तो आरती बोलती है कि तो क्या हुआ दादी आ जाएगी तो क्या करेगी।

राजनाथ करेगी कुछ नहीं सिर्फ गुस्सा करेगी और बोलेगी की ऐसा क्या काम कर क्या है जो अभी दिन में पैर हाथ दबवा रहा है रात में भी दबाता है इसलिए यही ठीक रहेगा।

फिर आरती बोलती है अच्छा ठीक है फिर बेड के नजदीक जाती है और कहती है कि इधर साइड में आई ना उतना दूर मेरा हाथ कैसे पहुंचेगा राजनाथ भी तो यही चाह रहा था कि जितना हो सके उतना उसके करीब आ सके और वह सड़क कर उसके करीब आ जाता है फिर आरती पैर दबाने लगी तो उसके बाल नीचे गिर जा रहे थे तो वह अपने बाल को समेट कर बांधने लगी तो राजनाथ ने उसको बोला कि बाल को क्यों बांध रही हो तो आरती जवाब देती कि नीचे गिर जा रही हैं इसलिए तो राजनाथ उसको बोलता है कि नहीं उसे खुला रहने दो अच्छा लग रहा है।

तो आरती बोलता है कि आपको कैसे पता कि अच्छा लग रहा है यहां अंधेरे में तो कुछ दिख नहीं रहा है तो राजनाथ मनी में सोचता है कि मुझे दिखाई भले नहीं दे रहा है लेकिन उसकी खुशबू जो आ रही है उससे बढ़कर है फिर बोलता है कि जितना जरूरत है उतना दिखाई दे रहा है मुझे।

फिर आरती बोलत है ठीक है जब आप कह रहे हैं तो छोड़ देती हूँ।

फिर कुछ ही देर हुए थे की दादी बाहर से आ गई जैसे ही बाहर का गेट खुलने की आवाज आई तो आरती ने झांक कर देखा की दादी आ गई है यह सुनते ही राजनाथ का दिमाग खराब हो गया और बोलने लगा की मां को भी अभी आना था कुछ देर बाद आती तो क्या हो जाता।

फिर दादी आरती को आवाज लगती है आरती आरती कहां हो बेटा।

फिर आरती जवाब देती है जी दादी मैं यहां हूं आ रही हूं।
फिर राजनाथ आरती से बोलता है कि छोड़ दे अब जा जा कर देख क्या बोल रही है फिर आरती वहां से चली जाती है और बोलती है कि मैं अभी देख कर आ रही हूं फिर दादी के पास जाकर बोलती हैं दादी क्या तो दादी बोलती हैं बेटा प्यास लगी है पानी ला कर देना फिर पूछती है राजनाथ आया कि नहीं तो आरती जवाब देती कि हां बाबूजी तो कब के आ गये।

तो फिर दादी पूछती है कि कहां है वह नजर नहीं आ रहा।

तो आरती जवाब देती कि वह अपने कमरे में आराम कर रहे हैं।

तो फिर वह बोलती है कि तू वहां क्या कर रही थी उसके कमरे में तो आरती थोड़ा हड़बड़ा जाती है और बात को संभालते हुए बोलती है कि कुछ नहीं वो सामान इधर-उधर हो गया तो वही सब रख रही थी फिर दादी से पूछती खाना खाओगी ।

तो दादी बोलती है कि नहीं मैं अभी नहीं खाऊंगा मैं बाद में खा लूंगी तू जो काम कर रही थी वो जाने कर।

फिर आरती वापस अपने बाप के कमरे में आ जाती है।

तो तो राजनाथ पूछता है कि क्या हुआ दादी कहां है।

तो आरती जवाब देती है कि जी वो बाहर बैठी हुई है।

तो राजनाथ उसको मना करने लगा और कहने लगा कि अब रहने दे मत दबाओ दादी जान जाएगी तो गड़बड़ हो जाएगा ।

तो आरती बोलती है कि कुछ नहीं होगा आप टेंशन क्यों ले रहे हैं मैं सब संभाल लूंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि अच्छा कैसे संभाल लेगी।

तो आरती बोलती है कि वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि एक काम का दरवाजा बंद कर दे।

तो फिर आरती बोलता है कि दरवाजा बंद कर देंगे तो दादी को शक नहीं होगा।

तो राजनाथ बोलता है तो फिर क्या करें फिर वह अपना दिमाग लगता है और आरती को बोलता है कि एक काम कर तू बाहर जा और जाकर दादी को बोल की मैं बाथरूम जा रही हूं लैट्रिन करने के लिए और तुम उधर पीछे से होते हुए घूम कर यहां आ जाओ ताकि दादी देख ना पाए।

फिर आरती राजनाथ की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहती अच्छा ठीक है मैं जा रही हूं और वह जाकर दादी को बोलकर उधर पीछे से घूम के आ जाती है और अंदर आके पूछती है अब क्या करना है तो राजनाथ बोलता है कि क्या करना है दरवाजा अंदर से बंद कर दे फिर आरती दरवाजा अंदर से बंद कर देती है और बंद करने के बाद वह धीरे-धीरे बेड के करीब जाती है और बोलती है की आपने दरवाजा क्यों बंद करने के लिए बोला अब कुछ दिखाई नहीं दे रहा है तभी राजनाथ उसका हाथ पकड़ के बेड पास ले आता है और कहता है यहां बैठो फिर आरती पूछती है कि दरवाजा क्यों बंद करवाया आपने।

तो राजनाथ उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है कि कोई डिस्टर्ब ना करें इसलिए।।

फिर आरती बोलती है अगर दादी खोजते खोजते इधर आ गई तो।

तो फिर राजनाथ बोलत हैं कि मैं दादी से बोल दूंगा की आरती यहां नहीं आई है फिर आरती मुस्कुराने लगती है आरती बेड पर बैठी हुई थी और राजनाथ करवट लेकर सोया हुआ था और एक हाथ उसके कंधे पर रखा हुआ था और अपना मुंह उसके पीठ के करीब करके उसके बाल और उसकी बदन की खुशबू को सुंघ रहा था और धीरे-धीरे उसके बाल को सहलाते हुए बोला कि तुम्हारे बाल कितने खूबसूरत और मुलायम है।

फिर आरती बोलती है कि अच्छा मेरी तारीफ करने के लिए दरवाजा बंद करवाया है मेरी तारीफ करना बंद कीजिए और मुझे अपना काम करने दीजिए नहीं तो देर हो जाएगी फिर दादी भी मुझे ढूंढने लगेगी।

आगे की कहानी अगले भाग में

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Jangali107

Jangali
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भाग 8

फिर दूसरे दिन सुबह होने के बाद राजनाथ उठकर नाश्ता पानी करके कुछ काम से वह बाहर चला जाता है इधर आरती घर में घर का सारा काम खत्म करके खाना-वाना बनाके फिर वह नहाने के लिए चली जाती है फिर नहा के आने के बाद अपना बाल झाड़ती है फिर अपने मांग में थोड़ा सा सिंदूर लगाती है फिर खाना खा लेती है फिर खाना खाने के बाद वह बरामदे में बैठकर थोडी़ देर आराम कर रही थी तभी उधर से राजनाथ आ जाता है।

फिर आरती अपने बाप को देखते ही चौकी पर से उठकर खड़ी हो जाती है और बोलती है बाबूजी आगे आज बड़ी देर लगा दी।

तो राजनाथ बोलता हां बेटा कुछ काम था इसलिए देर हो गई।

फिर आरती बोलती है कि ठीक है आप पैर हांथ धोकर आई मैं तब तक आपके लिए खाना लगती हूं।

तो राजनाथ बोलना हां बेटा मुझे भी भूख लगी है जोर से और फिर वह हाथ पैर धोने के लिए चला जाता है धो के आने के बाद वह खाने के लिए बैठ जाता है।

तभी आरती खाना लेकर आती है और जैसे ही खाना नीचे रखने के लिए झुकती तो उसका खुला हुआ बाल सरक कर नीचे आ जाता है इस वजह से उसके बाल की खुशबू सीधे राजनाथ की नाक में चली जाती है क्योंकि अभी वह नहा कर आई थी तो इसलिए साबुन और शैंपू की खुशबू उसके बदन से अभी गया नहीं था इस वजह से उसकी बदन से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और वह खुशबू सीधे राजनाथ की नाक से होते हुए सीधे उसके दिमाग में जाकर असर करने लगता है वह मदहोश होने लगता है।


फिर आरती राजनाथ को खाना देने के बाद फिर वह किचन की तरफ जाने लगती है पानी का गिलास लाने के लिए तो राजनाथ उसको जाते हुए पीछे से देखने लगता है क्योंकि आरती की पतली कमर एक तरफ से पूरा दिख रहा था क्योंकि आरती ने अपनी साड़ी का पल्लू कंधे के ऊपर से घूमा कर कमर की एक साइड दबा रखी थी जिसे एक साइड की उसकी कमर और और सामने से उसकी पेट और नाभि नजर आ रही थी और उसके खुले बाल जो लहरा रहे थे फिर जैसे ही आरती किचन से गिलास लेकर आ रही थी तो राजनाथ ने उसको आते हुए ऊपर से नीचे तक देखा तो उसको ऐसा लगा कि जैसे किसी ने उसकी सोचने और समझने की ताकत छीन ली हो।

उसको अपनी बेटी को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई सेक्स की पुजारन अपना भूख मिटाने के लिए अपने देवता के पास आ रही है मांग में हल्का सा सिंदूर खुले हुए बाल और कमर में लपेटी हुई साड़ी की पल्लू और उसकी बदन से आ रही मनमोहक खुशबू जो एक स्वर्ग की अप्सरा की तरह लग रही है यह सब अपनी बेटी के बारे में सोच रहा होता है

तभी आरती हाथ में गिलास लिए हुए उसके पास आ जाती है और जैसे ही गिलास रखने के लिए नीचे झुकती है वैसे ही उसके खुले हुए बाल इस बार भी नीचे सरक जाता है और उसकी खुशबू एक बार फिर राजनाथ की नाक में चली जाती है और राजनाथ उस खुशबू को सूंघते ही उसको अलग ही आनंद आने लगता है।

आरती गिलास रखने के बाद फिर से किचन में चली जाती है।

इधर राजनाथ के साथ अभी जो कुछ हुआ उसका आनंद लेते हुए वह धीरे-धीरे खाना खाने लगता है और मन ही मन सोचने लगता है कि जो खुशबू सुघं कर मुझे इतना आनंद आ रहा है क्या वह खुशबू मुझे दोबारा सुघंने के लिए मिलेगा लेकिन कैसे मिलेगा।

और वह फिर से सोचने लगता है कि ऐसा कौन सा उपाय लगाऊं की आरती कुछ देर मेरे पास रह सके तभी उसके दिमाग में एक आईडिया आता फिर वह आरती से पूछता है की दादी कहां गई है।

तो आरती जवाब देती है कि कहीं बाहर गई है घूमने के लिए।

तो राजनाथ पूछता है की कितनी देर से गई है।

तो आरती जवाब देती है जी काफी देर हो गई है गए हुए।

तो राजनाथ पूछता है कि तुमने खाना खाया कि नहीं।

तो आरती जवाब देती है कि हां मैंने खाना खा लिया है।
फिर राजनाथ कुछ देर के बाद बोलता है कि अभी तुम कुछ काम करने जा रही है क्या।

तो आरती जवाब देती कि नहीं अभी तो कोई काम नहीं है क्यों क्या हुआ कोई काम है क्या।

फिर राजनाथ कुछ रुक कर बोलता है नहीं कुछ खास काम नहीं है।

तो आरती पूछती है क्या काम है।

तो राजनाथ बोलता है कि नहीं नहीं कोई काम नहीं है बस ऐसे ही पूछ रहा था।

तो आरती को लगता है कि बाबूजी कुछ छुपा रहे हैं तो वह फिर से पूछती है और बोलती है कि क्या काम है बोलिए ना।

तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं नहीं रहने दे तु गुस्सा होगी।

तो आरती बोलती की आप सचमुच में मुझे गुस्सा दिला रहे हैं बताइए ना क्या बात है।

तो राजनाथ डरते हुए उसकी तरफ देख कर बोलता है कि मेरा बदन हाथ हल्का-हल्का दर्द कर रहा है तो तुम थोड़ा दबा देती तो ठीक हो जाता।

तो आरती यह बात सुनकर मन नहीं मन मुस्कुराती और सोचती है कि इतनी सी बात बताने के लिए इतना डर रहे थे तो मैं भी थोड़ा और इनको डराती हूं।


फिर वह बोलती हैं कि ऐसा क्या काम कर के आए हैं जो आपका बदन हाथ दर्द कर रहा है और जब रात में दबाने के लिए जाती हूं तो मेरे ऊपर खिसयाने लगते हैं और बोलते हैं कि छोड़ दे, मत दबा, तू थक गई है, तो जाकर सो जा, तरह-तरह के बहाने करते हैं और अभी बोल रहे हैं कि बदन हाथ दर्द कर रहा है इतना बोलकर वह चुप हो जाती है।

फिर राजनाथ बोलता है सॉरी बाबा गलती हो गई मुझसे अब मैं तुमसे कभी नहीं कहूंगा पैर हांथ दबाने के लिए।

फिर आरती झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोलती है कि सॉरी बोलने से कुछ नहीं होगा पहले यह बताइए की रात में आप मुझे मना क्यों कर रहे थे।

तो फिर राजनाथ बोलता है अरे बाबा मैं तो तुम्हारे अच्छे के लिए बोल रहा था कि तू थक गई होगी तो आज रहने दे आज मत दबा कल दबाना अगर मेरी बात तुमको खराब लगी हो तो मुझे माफ कर दे आज के बाद नहीं बोलूंगा।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है ठीक है ठीक है आज भर माफ करती हूं आगे से माफ नहीं करूंगी।

तभी राजनाथ उसकी तरफ देखा है और वह भी मुस्कुरा देता है और समझ जाता है कि आरती मेरे साथ मजाक कर रही है फिर वह खाना खाने के बाद बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाकर आराम करने लगता है और सोचने लगता है की आरती पैर दबाने के लिए आएगी कि नहीं।

फिर कुछ ही देर में आरती उसकी कमरे की तरफ जाती है कमरे का दरवाजा खुला हुआ था तो आरती जब कमरे के अंदर गई तो वहां अंधेरा था सिर्फ दरवाजे के सामने बाहर से लाइट जा रही थी जिस तरफ बेड था उस तरफ अंधेरा था सिर्फ हल्का-हल्का दिखाई दे रहा था तो फिर आरती कुछ देर खड़ी रही और बोली कि आप यहां अंदर क्यों सो रहे हैं बाहर में क्यों नहीं सोए।
तो राजनाथ समझ गया कि पैर दबाने के लिए आई है तो वह भी अपना झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोला क्यों यहां सोने के लिए मना है क्या।


तो आरती बोलती है कि नहीं सोने के लिए मना नहीं है आप दोपहर में बाहर बरामदे में सोते हैं इसलिए बोल रही हूं।

तो राजनाथ बोलता है कि नहीं आज मुझे अंदर सोने का मन था इसलिए मैं यहां सोया हूँ। तुम क्यों परेशान हो रही हो।

तो आरती बोलती है मैं परेशान नहीं हो रही हूँ अभी आप बोल रहे थे ना की आपका बदन हाथ दर्द कर रहा है।


तो फिर राजनाथ बोलता है कि बदन हाथ दर्द कर रहा है तो तुमको उससे क्या है।

तो फिर आरती बोलती है कि मुझे उससे क्या है मैं दबाने के लिए आई हूँ।

तो राजनाथ बोलता है कि मुझे नहीं दबवाना है।

तो आरती बोलती है क्यों क्या हो गया क्यों नहीं दबवाना गुस्सा हो गए क्या अरे वह तो मैं मजाक कर रही थी और आपको बुरा लग गय अच्छा सॉरी बाबा आगे से मैं मजाक नहीं करूंगी।

तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है मजाक कर रही थी पक्का।

आरती हां बाबा पक्का मजाक कर रही थी।

राजनाथ मैं भी मजाक कर रहा था फिर दोनों हंसने लगते हैं फिर आरती बोलती है बाबूजी बाहर चलिए ना बरामद मे वहां अच्छे से दबा दूंगी यहां अंधेरा है।

फिर राजनाथ-- बोलता हैं नहीं नहीं यहीं पर ठीक है।

तो आरती बोलता है क्यों वहां क्या होगा।

तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं बाहर दादी आ आ जाएगी।

तो आरती बोलती है कि तो क्या हुआ दादी आ जाएगी तो क्या करेगी।

राजनाथ करेगी कुछ नहीं सिर्फ गुस्सा करेगी और बोलेगी की ऐसा क्या काम करके आया है जो अभी दिन में पैर हाथ दबवा रहा है रात में भी दबवाता है और और दिन में भी दबवा रहा है म इसलिए मैं कह रहा हूँ की यही ठीक रहेगा।

फिर आरती बोलती है अच्छा ठीक है फिर बेड के नजदीक जाती है और कहती है कि इधर साइड में आई ना उतना दूर मेरा हाथ कैसे पहुंचेगा राजनाथ भी तो यही चाह रहा था कि जितना हो सके उतना उसके करीब आ सके और वह सरक कर उसके करीब आ जाता है फिर आरती पैर दबाने लगी तो उसके बाल नीचे गिर जा रहे थे तो वह अपने बाल को समेट कर बांधने लगी तो राजनाथ ने उसको बोला कि बाल को क्यों बांध रही हो तो आरती जवाब देती कि नीचे गिर जा रही हैं इसलिए तो राजनाथ उसको बोलता है कि नहीं उसे खुला रहने दो अच्छा लग रहा है।

तो आरती बोलता है कि आपको कैसे पता कि अच्छा लग रहा है यहां अंधेरे में तो कुछ दिख नहीं रहा है तो राजनाथ मन में सोचता है कि मुझे दिखाई भले नहीं दे रहा है लेकिन उसकी खुशबू जो आ रही है उससे बढ़कर है फिर बोलता है कि जितना जरूरत है उतना दिखाई दे रहा है मुझे।

फिर आरती बोलती है ठीक है जब आप कह रहे हैं तो छोड़ देती हूँ।

फिर कुछ ही देर हुए थे की दादी बाहर से आ गई जैसे ही बाहर का गेट खुलने की आवाज आई तो आरती ने झांक कर देखा की दादी आ गई है यह सुनते ही राजनाथ का दिमाग खराब हो गया और बोलने लगा की मां को भी अभी आना था कुछ देर बाद आती तो क्या हो जाता।


फिर दादी आरती को आवाज लगाती है आरती, आरती कहां हो बेटा।

फिर आरती जवाब देती है जी दादी मैं यहां हूं आ रही हूं।
फिर राजनाथ आरती से बोलता है कि छोड़ दे अब जा जा कर देख क्या बोल रही है फिर आरती वहां से चली जाती है और बोलती है कि मैं अभी देख कर आ रही हूं फिर दादी के पास जाकर बोलती हैं दादी क्या हुआ तो दादी बोलती हैं बेटा प्यास लगी है पानी ला कर देना फिर पूछती है राजनाथ आया कि नहीं तो आरती जवाब देती कि हां बाबूजी तो कब के आ गये।

तो फिर दादी पूछती है कि कहां है वह नजर नहीं आ रहा।

तो आरती जवाब देती कि वह अपने कमरे में आराम कर रहे हैं।


तो फिर वह बोलती है कि तू वहां क्या कर रही थी उसके कमरे में तो आरती थोड़ा हड़बड़ा जाती है और बात को संभालते हुए बोलती है कि कुछ नहीं वो सामान इधर-उधर हो गया तो वही सब रख रही थी फिर दादी से पूछती खाना खाओगी ।

तो दादी बोलती है कि नहीं मैं अभी नहीं खाऊंगी मैं बाद में खा लूंगी तू जो काम कर रही थी वो जाके कर।

फिर आरती वापस अपने बाप के कमरे में आ जाती है।

तो तो राजनाथ पूछता है कि क्या हुआ दादी कहां है।

तो आरती जवाब देती है कि जी वो बाहर बैठी हुई है।

तो राजनाथ उसको मना करने लगा और कहने लगा कि अब रहने दे मत दबाओ दादी जान जाएगी तो गड़बड़ हो जाएगा ।

तो आरती बोलती है कि कुछ नहीं होगा आप टेंशन क्यों ले रहे हैं मैं सब संभाल लूंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि अच्छा कैसे संभाल लेगी।

तो आरती बोलती है कि वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि एक काम कर दरवाजा बंद कर दे।

तो फिर आरती बोलती है कि दरवाजा बंद कर देंगे तो दादी को शक नहीं होगा।

तो राजनाथ बोलता है तो फिर क्या करें फिर वह अपना दिमाग लगाता है और आरती को बोलता है कि एक काम कर तू बाहर जा और जाकर दादी को बोल की मैं बाथरूम जा रही हूं लैट्रिन करने के लिए और तुम उधर पीछे से होते हुए घूम कर यहां आ जाओ ताकि दादी देख ना पाए।


फिर आरती राजनाथ की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहती अच्छा ठीक है मैं जा रही हूं और वह जाकर दादी को बोलकर उधर पीछे से घूम के आ जाती है और अंदर आके पूछती है अब क्या करना है।

तो राजनाथ बोलता है कि क्या करना है दरवाजा अंदर से बंद कर दे फिर आरती दरवाजा अंदर से बंद कर देती है और बंद करने के बाद वह धीरे-धीरे बेड के करीब जाती है और बोलती है की आपने दरवाजा क्यों बंद करने के लिए बोला अब कुछ दिखाई नहीं दे रहा है तभी राजनाथ उसका हाथ पकड़ के बेड पास ले आता है और कहता है यहां बैठो फिर आरती पूछती है कि दरवाजा क्यों बंद करवाया आपने।

तो राजनाथ उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है कि कोई डिस्टर्ब ना करें इसलिए।।

फिर आरती बोलती है अगर दादी खोजते खोजते इधर आ गई तो।

तो फिर राजनाथ बोलत हैं कि मैं दादी से बोल दूंगा की आरती यहां नहीं आई है फिर आरती मुस्कुराने लगती है आरती बेड पर बैठी हुई थी और राजनाथ करवट लेकर सोया हुआ था और एक हाथ उसके कंधे पर रखा हुआ था और अपना मुंह उसके पीठ के करीब करके उसके बाल और उसकी बदन की खुशबू को सुंघ रहा था और धीरे-धीरे उसके बाल को सहलाते हुए बोला कि तुम्हारे बाल कितने खूबसूरत और मुलायम है।

फिर आरती बोलती है कि अच्छा मेरी तारीफ करने के लिए दरवाजा बंद करवाया है मेरी तारीफ करना बंद कीजिए और मुझे अपना काम करने दीजिए नहीं तो देर हो जाएगी फिर दादी भी मुझे ढूंढने लगेगी।

आगे की कहानी अगले भाग में

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