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भाग 8
फिर दूसरे दिन सुबह होने के बाद राजनाथ उठकर नाश्ता पानी करके कुछ काम से वह बाहर चला जाता है इधर आरती घर में घर का सारा काम खत्म करके खाना-वाना बनाके फिर वह नहाने के लिए चली जाती है फिर नहा के आने के बाद अपना बाल झाड़ती है फिर अपने मांग में थोड़ा सा सिंदूर लगाती है फिर खाना खा लेती है फिर खाना खाने के बाद वह बरामदे में बैठकर थोडी़ देर आराम कर रही थी तभी उधर से राजनाथ आ जाता है।
फिर आरती अपने बाप को देखते ही चौकी पर से उठकर खड़ी हो जाती है और बोलती है बाबूजी आगे आज बड़ी देर लगा दी।
तो राजनाथ बोलता हां बेटा कुछ काम था इसलिए देर हो गई।
फिर आरती बोलती है कि ठीक है आप पैर हांथ धोकर आई मैं तब तक आपके लिए खाना लगती हूं।
तो राजनाथ बोलना हां बेटा मुझे भी भूख लगी है जोर से और फिर वह हाथ पैर धोने के लिए चला जाता है धो के आने के बाद वह खाने के लिए बैठ जाता है।
तभी आरती खाना लेकर आती है और जैसे ही खाना नीचे रखने के लिए झुकती तो उसका खुला हुआ बाल सरक कर नीचे आ जाता है इस वजह से उसके बाल की खुशबू सीधे राजनाथ की नाक में चली जाती है क्योंकि अभी वह नहा कर आई थी तो इसलिए साबुन और शैंपू की खुशबू उसके बदन से अभी गया नहीं था इस वजह से उसकी बदन से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और वह खुशबू सीधे राजनाथ की नाक से होते हुए सीधे उसके दिमाग में जाकर असर करने लगता है वह मदहोश होने लगता है।
फिर आरती राजनाथ को खाना देने के बाद फिर वह किचन की तरफ जाने लगती है पानी का गिलास लाने के लिए तो राजनाथ उसको जाते हुए पीछे से देखने लगता है क्योंकि आरती की पतली कमर एक तरफ से पूरा दिख रहा था क्योंकि आरती ने अपनी साड़ी का पल्लू कंधे के ऊपर से घूमा कर कमर की एक साइड दबा रखी थी जिसे एक साइड की उसकी कमर और और सामने से उसकी पेट और नाभि नजर आ रही थी और उसके खुले बाल जो लहरा रहे थे फिर जैसे ही आरती किचन से गिलास लेकर आ रही थी तो राजनाथ ने उसको आते हुए ऊपर से नीचे तक देखा तो उसको ऐसा लगा कि जैसे किसी ने उसकी सोचने और समझने की ताकत छीन ली हो।
उसको अपनी बेटी को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई सेक्स की पुजारन अपना और भूख मिटाने के लिए अपने देवता पास आ रही है मांग में हल्का सा सिंदूर खुले हुए बाल और कमर में लपेटी हुई साड़ी की पल्लू और उसकी बदन से आ रही मनमोहक खुशबू जो एक स्वर्ग की अप्सरा की तरह लग रही है यह सब राजनाथ अपनी बेटी के बारे में सोच रहा होता है
तभी आरती हाथ में गिलास लिए हुए उसके पास आ जाती है और जैसे ही गिलास रखने के लिए नीचे झुकती है वैसे ही उसके खुले हुए बाल इस बार भी नीचे सरक जाता है और उसकी खुशबू एक बार फिर राजनाथ की नाक में चली जाती है और राजनाथ उस खुशबू को सूंघते ही उसको अलग ही आनंद आने लगता है।
आरती गिलास रखने के बाद फिर से किचन में चली जाती है।
इधर राजनाथ के साथ अभी जो कुछ हुआ उसका आनंद लेते हुए वह धीरे-धीरे खाना खाने लगता है और मन ही मन सोचने लगता है कि जो खुशबू सुघं कर मुझे इतना आनंद आ रहा है क्या वह खुशबू मुझे दोबारा सुघंने के लिए मिलेगा लेकिन कैसे मिलेगा।
और वह फिर से सोचने लगता है कि ऐसा कौन सा उपाय लगाऊं की आरती कुछ देर मेरे पास रह सके तभी उसके दिमाग में एक आईडिया आता फिर वह आरती से पूछता है की दादी कहां गई है।
तो आरती जवाब देती है कि कहीं बाहर गई है घूमने के लिए।
तो राजनाथ पूछता है की कितनी देर से गई है।
तो आरती जवाब देती है जी काफी देर हो गई है गए हुए।
तो राजनाथ पूछता है कि तुमने खाना खाया कि नहीं।
तो आरती जवाब देती है कि हां मैंने खाना खा लिया है।
फिर राजनाथ कुछ देर के बाद बोलता है कि अभी तुम कुछ काम करने जा रही है क्या।
तो आरती जवाब देती कि नहीं अभी तो कोई काम नहीं है क्यों क्या हुआ कोई काम है क्या।
फिर राजनाथ कुछ रुक कर बोलता है नहीं कुछ खास काम नहीं है।
तो आरती पूछती है क्या काम है।
तो राजनाथ बोलता है कि नहीं नहीं कोई काम नहीं है बस ऐसे ही पूछ रहा था।
तो आरती को लगता है कि बाबूजी कुछ छुपा रहे हैं तो वह फिर से पूछती है और बोलती है कि क्या काम है बोलिए ना।
तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं नहीं रहने दे तु गुस्सा होगी।
तो आरती बोलती की आप सचमुच में मुझे गुस्सा दिला रहे हैं बताइए ना क्या बात है।
तो राजनाथ डरते हुए उसकी तरफ देख कर बोलता है कि मेरा बदन हाथ हल्का-हल्का दर्द कर रहा है तो तुम थोड़ा दबा देती तो ठीक हो जाता।
तो आरती यह बात सुनकर मन नहीं मन मुस्कुराती और सोचती है कि इतनी सी बात बताने के लिए इतना डर रहे थे तो मैं भी थोड़ा और इनको डराती हूं।
फिर वह बोलती हैं कि ऐसा क्या काम कर के आए हैं जो आपका बदन हाथ दर्द कर रहा है और जब रात में दबाने के लिए जाती हूं तो मेरे ऊपर खिसयाने लगते हैं और बोलते हैं कि छोड़ दे, मत दबा, तू थक गई है, तो जाकर सो जा, तरह-तरह के बहाने करते हैं और अभी बोल रहे हैं कि बदन हाथ दर्द कर रहा है इतना बोलकर वह चुप हो जाती है।
फिर राजनाथ बोलता है सॉरी बाबा गलती हो गई मुझसे अब मैं तुमसे कभी नहीं कहूंगा पैर हांथ दबाने के लिए।
फिर आरती झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोलती है कि सॉरी बोलने से कुछ नहीं होगा पहले यह बताइए की रात में आप मुझे मना क्यों कर रहे थे।
तो फिर राजनाथ बोलता है अरे बाबा मैं तो तुम्हारे अच्छे के लिए बोल रहा था कि तू थक गई होगी तो आज रहने दे आज मत दबा कल दबाना अगर मेरी बात तुमको खराब लगी हो तो मुझे माफ कर दे आज के बाद नहीं बोलूंगा।
तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है ठीक है ठीक है आज भर माफ करती हूं आगे से माफ नहीं करूंगी।
तभी राजनाथ उसकी तरफ देखा है और वह भी मुस्कुरा देता है और समझ जाता है कि आरती मेरे साथ मजाक कर रही है फिर वह खाना खाने के बाद बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाकर आराम करने लगता है और सोचने लगता है की आरती पैर दबाने के लिए आएगी कि नहीं।
फिर कुछ ही देर में आरती उसकी कमरे की तरफ जाती है कमरे का दरवाजा खुला हुआ था तो आरती जब कमरे के अंदर गई तो वहां अंधेरा था सिर्फ दरवाजे के सामने बाहर से लाइट जा रही थी जिस तरफ बेड था उस तरफ अंधेरा था सिर्फ हल्का-हल्का दिखाई दे रहा था तो फिर आरती कुछ देर खड़ी रही और बोली कि आपके यहां अंदर क्यों सो रहे हैं बाहर में क्यों नहीं सोए।
तो राजनाथ समझ गया कि पैर दबाने के लिए आई है तो वह भी अपना झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोला क्यों यहां सोने के लिए मना है क्या।
तो आरती बोलती है कि नहीं सोने के लिए मना नहीं है आप दोपहर में बाहर बरामदे में सोते हैं इसलिए बोल रही हूं।
तो राजनाथ बोलता है कि नहीं आज मुझे अंदर सोने का मन था इसलिए मैं यहां सोया हूँ। तुम क्यों परेशान हो रही हो।
तो आरती बोलती है मैं परेशान नहीं हो रही हूँ अभी आप बोल रहे थे ना की आपका बदन हाथ दर्द कर रहा है।
तो फिर राजनाथ बोलता है कि बदन हाथ दर्द कर रहा है तो तुमको उससे क्या है।
तो फिर आरती बोलती है कि मुझे उससे क्या है मैं दबाने के लिए आई हूँ।
तो राजनाथ बोलता है कि मुझे नहीं दबवाना है।
तो आरती बोलती है क्यों क्या हो गया क्यों नहीं दबवाना गुस्सा हो गए क्या अरे वह तो मैं मजाक कर रही थी और आपको बुरा लग गय अच्छा सॉरी बाबा आगे से मैं मजाक नहीं करूंगी।
तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है मजाक कर रही थी पक्का।
आरती हां बाबा पक्का मजाक कर रही थी।
राजनाथ मैं भी मजाक कर रहा था फिर दोनों हंसने लगते हैं फिर आरती बोलती है बाबूजी बाहर चलिए ना बरामद मे वहां अच्छे से दबा दूंगी यहां अंधेरा है।
सर आज नाथ बोलते हैं नहीं नहीं यहीं पर ठीक है।
तो आरती बोलता है क्यों वहां क्या होगा।
तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं बाहर दादी आ आ जाएगी।
तो आरती बोलती है कि तो क्या हुआ दादी आ जाएगी तो क्या करेगी।
राजनाथ करेगी कुछ नहीं सिर्फ गुस्सा करेगी और बोलेगी की ऐसा क्या काम कर क्या है जो अभी दिन में पैर हाथ दबवा रहा है रात में भी दबाता है इसलिए यही ठीक रहेगा।
फिर आरती बोलती है अच्छा ठीक है फिर बेड के नजदीक जाती है और कहती है कि इधर साइड में आई ना उतना दूर मेरा हाथ कैसे पहुंचेगा राजनाथ भी तो यही चाह रहा था कि जितना हो सके उतना उसके करीब आ सके और वह सड़क कर उसके करीब आ जाता है फिर आरती पैर दबाने लगी तो उसके बाल नीचे गिर जा रहे थे तो वह अपने बाल को समेट कर बांधने लगी तो राजनाथ ने उसको बोला कि बाल को क्यों बांध रही हो तो आरती जवाब देती कि नीचे गिर जा रही हैं इसलिए तो राजनाथ उसको बोलता है कि नहीं उसे खुला रहने दो अच्छा लग रहा है।
तो आरती बोलता है कि आपको कैसे पता कि अच्छा लग रहा है यहां अंधेरे में तो कुछ दिख नहीं रहा है तो राजनाथ मनी में सोचता है कि मुझे दिखाई भले नहीं दे रहा है लेकिन उसकी खुशबू जो आ रही है उससे बढ़कर है फिर बोलता है कि जितना जरूरत है उतना दिखाई दे रहा है मुझे।
फिर आरती बोलत है ठीक है जब आप कह रहे हैं तो छोड़ देती हूँ।
फिर कुछ ही देर हुए थे की दादी बाहर से आ गई जैसे ही बाहर का गेट खुलने की आवाज आई तो आरती ने झांक कर देखा की दादी आ गई है यह सुनते ही राजनाथ का दिमाग खराब हो गया और बोलने लगा की मां को भी अभी आना था कुछ देर बाद आती तो क्या हो जाता।
फिर दादी आरती को आवाज लगती है आरती आरती कहां हो बेटा।
फिर आरती जवाब देती है जी दादी मैं यहां हूं आ रही हूं।
फिर राजनाथ आरती से बोलता है कि छोड़ दे अब जा जा कर देख क्या बोल रही है फिर आरती वहां से चली जाती है और बोलती है कि मैं अभी देख कर आ रही हूं फिर दादी के पास जाकर बोलती हैं दादी क्या तो दादी बोलती हैं बेटा प्यास लगी है पानी ला कर देना फिर पूछती है राजनाथ आया कि नहीं तो आरती जवाब देती कि हां बाबूजी तो कब के आ गये।
तो फिर दादी पूछती है कि कहां है वह नजर नहीं आ रहा।
तो आरती जवाब देती कि वह अपने कमरे में आराम कर रहे हैं।
तो फिर वह बोलती है कि तू वहां क्या कर रही थी उसके कमरे में तो आरती थोड़ा हड़बड़ा जाती है और बात को संभालते हुए बोलती है कि कुछ नहीं वो सामान इधर-उधर हो गया तो वही सब रख रही थी फिर दादी से पूछती खाना खाओगी ।
तो दादी बोलती है कि नहीं मैं अभी नहीं खाऊंगा मैं बाद में खा लूंगी तू जो काम कर रही थी वो जाने कर।
फिर आरती वापस अपने बाप के कमरे में आ जाती है।
तो तो राजनाथ पूछता है कि क्या हुआ दादी कहां है।
तो आरती जवाब देती है कि जी वो बाहर बैठी हुई है।
तो राजनाथ उसको मना करने लगा और कहने लगा कि अब रहने दे मत दबाओ दादी जान जाएगी तो गड़बड़ हो जाएगा ।
तो आरती बोलती है कि कुछ नहीं होगा आप टेंशन क्यों ले रहे हैं मैं सब संभाल लूंगी।
तो राजनाथ बोलता है कि अच्छा कैसे संभाल लेगी।
तो आरती बोलती है कि वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए।
तो फिर राजनाथ बोलता है कि एक काम का दरवाजा बंद कर दे।
तो फिर आरती बोलता है कि दरवाजा बंद कर देंगे तो दादी को शक नहीं होगा।
तो राजनाथ बोलता है तो फिर क्या करें फिर वह अपना दिमाग लगता है और आरती को बोलता है कि एक काम कर तू बाहर जा और जाकर दादी को बोल की मैं बाथरूम जा रही हूं लैट्रिन करने के लिए और तुम उधर पीछे से होते हुए घूम कर यहां आ जाओ ताकि दादी देख ना पाए।
फिर आरती राजनाथ की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहती अच्छा ठीक है मैं जा रही हूं और वह जाकर दादी को बोलकर उधर पीछे से घूम के आ जाती है और अंदर आके पूछती है अब क्या करना है तो राजनाथ बोलता है कि क्या करना है दरवाजा अंदर से बंद कर दे फिर आरती दरवाजा अंदर से बंद कर देती है और बंद करने के बाद वह धीरे-धीरे बेड के करीब जाती है और बोलती है की आपने दरवाजा क्यों बंद करने के लिए बोला अब कुछ दिखाई नहीं दे रहा है तभी राजनाथ उसका हाथ पकड़ के बेड पास ले आता है और कहता है यहां बैठो फिर आरती पूछती है कि दरवाजा क्यों बंद करवाया आपने।
तो राजनाथ उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है कि कोई डिस्टर्ब ना करें इसलिए।।
फिर आरती बोलती है अगर दादी खोजते खोजते इधर आ गई तो।
तो फिर राजनाथ बोलत हैं कि मैं दादी से बोल दूंगा की आरती यहां नहीं आई है फिर आरती मुस्कुराने लगती है आरती बेड पर बैठी हुई थी और राजनाथ करवट लेकर सोया हुआ था और एक हाथ उसके कंधे पर रखा हुआ था और अपना मुंह उसके पीठ के करीब करके उसके बाल और उसकी बदन की खुशबू को सुंघ रहा था और धीरे-धीरे उसके बाल को सहलाते हुए बोला कि तुम्हारे बाल कितने खूबसूरत और मुलायम है।
फिर आरती बोलती है कि अच्छा मेरी तारीफ करने के लिए दरवाजा बंद करवाया है मेरी तारीफ करना बंद कीजिए और मुझे अपना काम करने दीजिए नहीं तो देर हो जाएगी फिर दादी भी मुझे ढूंढने लगेगी।
आगे की कहानी अगले भाग में
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Kamaal updateभाग 9
फिर आरती बोलती है कि मेरी तारीफ करना बंद कीजिये और मुझे मेरा काम करने दीजिए नहीं तो फिर देर हो जाएगी फिर दादी मुझे ढूँढते हूए इधर आ जाएगी।
तो फिर मैं राजनाथ-- बोलता है आजाएगी तो आने दो कया होगा।
तो फिर आरती बोलती है कि अच्छा ऐसी बात तो ठीक है फिर दरवाजा क्यों बंद करवाया है जा कर खोल देती हूँ और बाहर जा के दादी को भी बोल देती हूँ की आप मुझे ढूँढीएगा मत मैं कमरे के अंदर आपके बेटे का पैर हांथ दबा रही हूं फिर वह बेड से उठकर जाने लगती है तभी राजनाथ झट से उसका हाथ पकड़ के अपनी तरफ खींच लेता है और इस हड़बड़ी में आरती सीधे उसके ऊपर गिर जाती है और उसकी छाती यानी उसका दूध सीधे उसके छाती से जाकर टकरा जाता है और उसके बाल सीधे उसके मुंह पर गिर जाता है और यह सब इतना जल्दी हुआ कि राजनाथ को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह क्या करें तो चुपचाप उसी तरह लेटा रहा।
फिर आरती अपने आप को संभालते हुए उठकर खड़ी हुई और बोली कि बाबूजी आप भी ना एकदम बच्चों की तरह करते हैं आपने इतना जोर से खींच कि मैं गिर गई।
राजनाथ अरे मैंने तो सिर्फ तुम्हारा हाथ पकड़ा है खींचा थोड़ी है।
आरती अच्छा सिर्फ हाथ पकड़ने से मैं इतनी जोर से आपके ऊपर गिर गई।
राजनाथ अच्छा सॉरी बाबा मुझे माफ कर दे मैंने तो सिर्फ हल्का सा खींचा था मुझे क्या पता था कि तुम तुम्हारे अंदर इतनी भी ताकत नहीं है कि तुम सीधा मेरे ऊपर गिर जाओगी।
आरती तो क्या आप मुझे अपनी तरह पहलवान समझते हैं जो मैं आपका मुकाबला करूंगी।
राजनाथ अच्छा सॉरी बाबा मुझे माफ कर दे मेरे से गलती हो गई।
अच्छा यह सब छोड़िए पहले ये बताइए कि आपने मुझे पकड़ क्यों।
राजनाथ-- तुम दरवाजा ना खोल दो जाकर इस वजह से मैंने तुमको पड़ा।
आरती क्यों क्या हुआ अभी तो आप कह रहे थे कि आपको कोई डर नहीं है फिर दरवाजा खोलने से क्यों डर रहे हैं।
राजनाथ-- अरे मैं तो मजाक कर रहा था तुम मजाक को भी सीरियस ले लेती हो।
आरती आप मजाक करते रहिए अब मैं जा रही हूं।
राजनाथ क्यों क्या हुआ क्यों जा रही हो।
आरती जाऊंगी नहीं तो क्या यही बैठी रहूंगी बहुत देर हो चुकी है दादी ढूंढने लगेगी तो उनको क्या जवाब दूंगी अगर आपको और पैर हांथ दबवाना है तो रात में जितना कहेंगे उतना दबा दूंगी लेकिन अभी मैं जा रही हूं फिर वह दरवाजा खोल के बाहर देखी की दादी बैठी है कि नहीं तो दादी बाहर में नहीं थी तो वह निकल के चली गई।
और इधर राजनाथ मन ही मन बहुत खुश था कि वह जो चाह रहा था उसमें कामयाब हो गया आज उसने अपनी बेटी को और उसकी बदन की खुशबू को इतने करीब से महसूस कर पाया था और इस खुशी में उसके पैजामे के अंदर मे उसका मोटा तगड़ा लंड भी उछाल उछाल के खुश हो रहा है था की काश आरती मेरी बेटी नहीं मेरी बीवी होती तो कितना मजा आता।
फिर दो दिन के बाद दोनों बाप बेटी अस्पताल जाते हैं अपना रिपोर्ट लेने के लिए[ फिर नर्स दोनों को अंदर जाने के लिए बोलती है फिर वह दोनों अंदर जाते हैं तो डॉक्टर दोनों को बैठने के लिए बोलती है फिर रिपोर्ट निकाल कर पढ़ने लगती है और पढ़ने के बाद बोलती है की आप दोनों की रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी नहीं है फिर राजनाथ को बोलता है क्या प्रकार रिपोर्ट बिल्कुल सही है आपकी पत्नी जैसा बोल रही थी वैसा कुछ नहीं है ।
तो राजनाथ मन ही मन बोलता है कि वह मेरे बारे में थोड़ी बोल रही थी वह तो अपने पति के बारे में बोल रही थी और यह तो मेरा रिपोर्ट है और मेरे में कोई कमी थोड़ी है की रिपोर्ट में गलत बतायेगा।
डॉक्टर फिर से बोलती है कि आपकी पत्नी का भी रिपोर्ट सही है थोड़ा बहुत प्रॉब्लम उसके लिए मैं दवा लिख दे रही हूं दवा खाने के बाद वह ठीक हो जाएगा।
फिर राजनाथ आरती को देखकर और फिर डॉक्टर को देखते हुए बोलता है कि हमको दवा नहीं दीजिएगा क्या।
तो डॉक्टर बोलता है कि आपको दवा की तो जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी आपके लिए भी कुछ दवा लिख दे रही हूं इसमें से एक आपका वीर्य गाढ़ा करने वाला है दूसरा आपका सेक्स पावर बढ़ाएगा,
एक बात और आप दोनों पति-पत्नी दूध पीजिए दूध पीने से आप दोनों को सेक्स करने की चाहत बढ़ेगी और आप दोनों ज्यादा से ज्यादा सेक्स कर सकेंगे इसलिए जितना हो सके उतना दूध पीजिए अभी मैं आप दोनों के लिए दो महीना के लिए दवा लिख दे रही हूँ उसको खाइए फिर कैसा क्या रहेगा दो महीने के बाद आकर बताइएगा अब आप लोग जाइए और बाहर मेडिकल से दवा लेकर घर जाइए।
फिर वह दोनों उठकर जाने लगे तो डॉक्टर ने आवाज दी राजनाथ जी , फिर राजनाथ पीछे मुड़कर उसके पास आते हुए बोला जी मैडम जी।
फिर डॉक्टर ने बोला कि आपका घर गांव मे है तो क्या आप खेती-बाड़ी करते हैं ।
तो राजनाथ ने जवाब दिया जी हां मैडम खेती बाड़ी करते हैं।
तो फिर डॉक्टर ने बोला कि आप खेती-बाड़ी करते हैं तो आपको तो मालूम होगा की खेत की जुताई जब तक अच्छे से बार-बार नहीं होगी उसमें फसल नहीं उगेगा इसलिए आप भी अपनी खेत की जुताई अच्छे से कीजिए और बार-बार कीजिए तब जाकर उसमें फसल उगेगा फिर डॉक्टर मुस्कुराते हुए बोली कि आप मेरी बात को समझे कि नहीं।
तो राजनाथ भी मुस्कुराते हुए बोला जी मैडम मैं समझ गया वह तो पहले ही समझ गया था कि डॉक्टर कौन सी खेत की जुताई करने के बात कर रही है वहीं पर आरती जो थोड़ी दूर में खड़ी थी वह भी उनकी बात सुनकर समझ गई और शरमाते हुए अपनी मुंह दूसरी तरफ कर ली फिर डॉक्टर ने बोला अब आप लोग जाइए।
फिर राजनाथ आरती के पास आया बोला कि चलो और आरती अभी भी अपनी नज़रें नीचे करके शर्मा रही थी फिर वह दोनों बाहर आए और बाहर आकर मेडिकल से दवा खरीदी दवा खरीदने के बाद नर्स के पास गए यह पूछने के लिए की दवा कब से और कैसे खाना है।
फिर नर्स ने राजनाथ को बताया कि आपको रात में एक-एक टैबलेट खाना है और आपकी पत्नी को रात में और सुबह दो टाइम खाना है और उनको अगला पीरियड आएगा उसके तीन दिन के बाद से खाना है और दोनों को साथ में रहना है।
दवा लेने के बाद दोनों बाप बेटी घर वापस आ गए फिर शाम का खाना बना फिर सब लोगों ने खाना खाया फिर खाना खाने के बाद राजनाथ अपने कमरे में सोने चला गया और दादी भी अपने कमरे में चली गई फिर आरती बर्तन समेटकर दूध गर्म करने लगी उसके घर में एक गाय थी वह दूध देती थी क्योंकि आज डॉक्टर ने दोनों को दूध पीने के लिए बोली थी इसलिए वह दूध गर्म करने लगी गरम करने के बाद वह एक गिलास में दूध लेकर राजनाथ को देने के लिए गई और बोली बाबूजी यह लीजिए आपका पहले दूध पी लीजिएगा उसके बाद सोइएगा।
तो राजनाथ बोला की दूध, दूध क्यों लाई है मैं तो दूध पीता नहीं।
तो फिर आरती बोली कि मुझे पता है क्या आप दूध नहीं पीते लेकिन आज डॉक्टर ने क्या बोला आपने सुना नहीं।
तो राजनाथ बोला की अरे वह मेरे लिए थोड़ी बोल रहा थी वह तो तुमको पीने के लिए बोली रही थी।
तो आरती जवाब देती है नहीं नहीं वह हमको नहीं वो दोनों को पीने के लिए बोल रही थी।
तो राजनाथ बोलता हैं कि अरे हां वो तुम दोनों को पीने के लिए बोली है।
तो आरती अनजान बनते हुए पूछती है कि कौन हम दोनों के लिए।
तो राजनाथ बोलता हैं तुम दोनों को यानी कि तुमको और दामाद जी को।
तो फिर आरती पूछती है की आपका दामाद यहां है जो पिएगा।
तो राजनाथ बोलता है अरे अभी यहां नहीं है तो क्या हुआ जब तुम उसके पास जाओगी तब पिलाना।
तो आरती गुस्सा होते हुए बोली कि मैं उसके पास नहीं जाऊंगी।
तो राजनाथ पूछता है क्यों नहीं जाएगी।
तो जवाब देती है क्यों जाऊंगी मैं यहां अपने से नहीं आई हूँ उन लोगों की वजह से आई जब तक वह मुझे लेने के लिए नहीं आएगा मैं नहीं जाऊंगी।
तो राजनाथ बोलता है ठीक है मैं तुमको वहां लेकर जाऊंगा।
तो आरती बोलती है कि आप क्यों लेकर जाएंगे क्या आप हमको लाने के लिए गए थे जो आप लेकर जाएंगे जब तक वह खुद नहीं आएगा तब तक मैं नहीं जाऊंगी।
तो राजनाथ बोलता है कि ठीक है मैं दामाद जी से बात करूंगा और वह तुमको लेकर जाएगा ठीक है
तो आरती बोलती है ठीक है जब आएगा तब देखा जाएगा अभी आप दूध पीजिए।
तो राजनाथ बोलता है कि मैं क्यों दूध पीउँगा मुझे थोड़ी पीने के लिए बोला है।
तो आरती बोलती है आपको पीने के लिए नहीं बोला है तो क्या हुआ कोई दवा थोड़ी है कि पीने से खराबी करेगा पीने से और फायदा करेगा और ताकत भी बढे़गा इसलिए जल्दी से पी लीजिए।
तो राजनाथ बोलता है कि तुम मेरे साथ जबरदस्ती कर रही हो ।
तो आरती बोलती कि हां मैं जबर्दस्ती कर रही हूं फिर भी आपको पीना पड़ेगा।
तो फिर राजनाथ पूछता है की तुम अपना दूध पी के आई हो।
तो फिर आरती जवाब देती आप नहीं पी रहे हैं तो फिर मैं क्यों पिऊंगी।
तो राजनाथ बोलता है कि ठीक है जब तुम पियोगी तो मैं भी पी लूंगा।
तो आरती बोलती है की आप पीजिए मैं जाकर पी लूंगी।
तो राजनाथ बोलता है नहीं नहीं यही लेकर आओ और मेरे सामने पियो।
तो आरती बोलती ठीक है मैं लेकर आ रही हूं फिर वह दूध लेकर आई और दोनों बाप बेटी ने दूध पिया फिर दूध पीने के बाद आरती ने बोला कि मैं अब जा रही हूं सोने के लिए आप भी सो जाइए।
तो राजनाथ ने पूछा क्यों क्या हुआ नींद आ रही है क्या।
तो आरती बोली सोने का टाइम हो गया है तो नींद तो आएगी ही ना।।
तो राजनाथ बोला ठीक है तो जाओ जाकर सो जाओ।
फिर वह चली जाती है जब वह दादी के पास जाती है तो उसे याद आता है कि दूध पिलाने के चक्कर में बाबूजी को मालिश करना ही भूल गई उधर राजनाथ भी यही सोच रहा है कि दूध देने के चक्कर में मालिश करना भूल गई फिर आरती तेल मालिश करने के लिए जा रही थी तभी उसका पेट भारी-भारी लगने लगा शायद आज पहली बार दूध पिया था इसलिए लग रहा था फिर उसने सोचा थोड़ी देर आराम कर लेती हूं उसके बाद जाऊंगी फिर वह लेट गई लेटने के बाद उसे अस्पताल की बात याद आ गई और वह मन ही मन शर्मा ने लगी और उसको वह बात याद आने लगी कि कैसे डॉक्टर बाबूजी को बोल रही थी की फसल उगाने के लिए खेत को अच्छे से जोतना पड़ेगा मतलब डॉक्टर बाबूजी को बोल रही थी कि आपको अच्छे से चोदना पड़ेगा यानी की वो मेरे बारे में बोल रही थी कि अच्छे से चुदाई करना पड़ेगा यह सोचते ही वह अंदर ही अंदर गण गणा जाती है और सोचती है कि यह मेरी कैसी किस्मत है कि कोई दूसरा आदमी मेरे बाप को मुझे चोदने के लिए बोल रहा हे और मैं कुछ नहीं बोल पाई यह सब सोचते सोचते उसको नींद आ जाती है।
उधर राजनाथ भी यही सब सोचते सोचते अपना लंड सहलाते हुए वह भी सो जाता है।
अचानक रात में आरती की नींद खुलती है और वह उठकर पेशाब करने के लिए बाथरूम की तरफ जाती है तो देखी है कि बाथरूम का लाइट जल रहा है तो वह समझ जाती है कि बाथरूम में कोई है तो उसको लगा कि शायद बाबूजी होंगे तो वह धीरे-धीरे और करीब गई तो उसे पेशाब करने की आवाज आने लगी बाथरूम का दरवाजा खुला था लेकिन वह दूसरी तरफ इसलिए आरती को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो उसके मन में देखने का लालच आ गया कि बाबूजी अंदर क्या कर रहे हैं तो वह धीरे-धीरे और करीब गई तो बाथरूम के साइड वाले दीवाल में एक छोटा सा छेद था उसे छेद में से आरती अंदर झांक कर देखने लगी जैसे ही उसने अंदर झांका तो उसके होश उड़ गए।
क्योंकि राजनाथ अपना लंबा मोटा तगड़ा लंड अपना हाफ पेंट खोल के लंड निकाल कर मूत रहा था और आरती यह सब उसके दाहिना साइड वाले दीवाल से अंदर देखी तो चौंक गई और सोच में पड़ गई कि उसके बाबूजी का इतना बड़ा लंड है आज तक मैंने किसी का इतना बड़ा लड नहीं देखा।
अस्पताल से आने के बाद राजनाथ का लंड अपनी बेटी के बारे में सोचते ही खड़ा हो जाता है अभी भी वह अपनी बेटी के ही बारे में सोच रहा है कि काश एक बार उसकी चूत में लंड घुसाने के लिए मिल जाता तो मेरा जीवन धन्य हो जाता पेशाब करने के बाद अपने लंड को पकड़ के ऊपर नीचे डोलाने लगता है यह देखकर आरती और गाना गाना जाती है और सोचने लगती है कि काश मेरा पति का इसका आधा भी होता फिर वह अपने बाप का लंड देखकर अंदाजा लगाने लगती है कि कितना इंच का होगा फिर उसने देखा कि उसके लंड के जड़ में काफी घुंघराले काले काले बाल है फिर उसने अंदाजा लगाया की जड़ से सुपाडा तक पूरा कम से कम 9 इंच का होगा इतना बड़ा लंड जिसके अंदर जाएगा उसका तो जीवन ही सफल हो जाएगा।
आगे की कहानी अगले भाग में