आया है अगर जिक्र कभी दारो-रसन का,
गैसू-व-कदे-यार की बात आ ही गई है।
जब सूर्खिए-गुलशन का कभी जिक्र हुआ है
तेरे लबो-रूखसार की बात आ ही गई है
ढूँढ़ा है अगर जख्मे - तमन्ना ने मुदावा
इक नर्गिसे-बीमार की बात आ ही गई है
छेड़ा है कोई तल्ख फसाना जो किसी ने
शीरीनिए-गुफ्तार की बात आ ही गई है।
-मज्हर इमाम
1.दारो – रसन - फांसी का फंदा 2.गैसू-व-कदे-यार - माशूक का डील-डौल और बाल 3.सूर्खिए-गुलशन - गुलशन की लालिमा या लाली (यानी खूबशूरती) 4. लबो-रूखसार - ओष्ठ और गाल 5.जख्मे–तमन्ना - तमन्ना पूरा न होने का जख्म 6. मुदावा - इलाज, दवा 7.नर्गिसे-बीमार- चश्मे-बीमार, अधखुली आँख विशेषतः प्रेमिका की आँख के लिए बोलते हैं। 8.तल्ख - कड़वा, कटु, अरूचिकर 9.शीरीनिए-गुफ्तार - बात-चीत की मिठास