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Shayari आँखे - शेरी शायरी

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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तिरछी नजर का तीर है मुश्किल से निकलेगा,
दिल उसके साथ निकलेगा, अगर ये दिल से निकलेगा।
-'फानी' बदायुनी
तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की,
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते।
तेरा ये तीरे-नीमकश दिल के लिए अजाब है,
या इसे दिल से खींच ले या दिल के पार कर।


1.तीरे-नीमकश - धनुष को आधा खींचकर चलाया हुआ तीर, जो आधा अंदर हो और आधा बाहर हो, कम खींचकर चलाए हुए धनुष का तीर, जो शरीर में पार न हो सके। 2. अजाब - यातना, पीड़ा, दुख, तकलीफ
Ek se badkar ek shairy likhi aapne bahut khoob
 
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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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तेरी निगाह से ऐसी शराब पी मैंने
फिर न होश का दावा किया कभी भी मैंने
वो और होंगे जिन्हें मौत आ गई होगी
निगाहे - यार से पाई है जिन्दगी मैंने।
दिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने,
हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं।

-'खुमार' बाराबंकवी
दीवानावार दौड़ के कोई लिपट न जाये,
आंखों में आंखें डालकर देखा न कीजिए।
देखा किये वह मस्त निगाहों से बार-बार,
जब तक शराब आई कई दौर चल गये।
देखा है मेरी नजरों ने, एक रंग छलकते पैमाने का,
यूँ खुलती है आंख किसी की, जैसे खुले दर मैखाने का
देखो न आंखें भरकर किसी के तरफ कभी,
तुमको खबर नहीं जो तुम्हारी नजर में हैं।
देखो तो चश्मे - यार की जादूनिगाहियाँ,
हर इक को है गुमां कि मुखातिब हमीं से हैं।
-हसरत मोहानी


1.चश्मे–यार - माशूक की आँख 2.मुखातिब - सम्बोधन कर्त्ता, बोलने वाला, वार्ता करने वाला
नजर जिसकी तरफ करके निगाहें फेर लेते हो,
कयामत तक उस दिल की परेशानी नहीं जाती।
-आनन्द नारायण 'मुल्ला'
नजर में ढलके उभरते हैं दिल के अफसाने
ये और बात है कि दुनिया नजर न पहचाने
यह बज्म देखी है मेरी निगाह ने कि जहाँ
बगैर शम्अ भी जलते रहते हैं परवाने।

-सूफी तबस्सुम (सूफी गुलाम मुस्तफा)
Wah ji wah gajab ki lekhanii hai aapki
Very well
 

komaalrani

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