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Shayari आँखे - शेरी शायरी

komaalrani

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यह बात, यह तबस्सुम, यह नाज, यह निगाहें,
आखिर तुम्हीं बताओं क्यों कर न तुमको चाहे।

-'जोश' मलीहाबादी


1.तबस्सुम - मुस्कान, मुस्कुराहट, मंदहास, स्मित
 

komaalrani

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यह शर्मगीं निगाह,यह तबस्सुम निकाब में,
क्या बेहिजबियाँ है, तुम्हारे हिजाब में।
-जकी



1.शर्मगीं - शर्म से झुकी हुई

2.तबस्सुम - मुस्कान, मुस्कराहट, स्मित, मंदहास
3.निकाब - (i) घूँघट, मुखावरण, मुखपट (ii) ओट, आड़

4.बेहिजबियाँ - घूँघट हटा देना 5. हिजाब - आड़, पर्दा,
 

komaalrani

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यह मुस्कुराती हुई आंखें जिनमें रक्स करती है बहार,
शफक की, गुल की, बिजलियों की शोखियाँ लिये हुए।

फिराक' गोरखपुरी


1.रक्स - नृत्य 2.शफक - ऊषा, सबेरे या शाम की लालिमा जो छितिज पर दिखाई देती है
 

komaalrani

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रह गये लाखों कलेजा थामकर,
आंख जिस जानिब तुम्हारी उठ गई।

-मिर्जा दाग
 

komaalrani

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रात हम पिये हुए थे मगर, आप की आंखे भी शराबी थी,
फिर हमारे खराब होने में, आप ही कहिए क्या खराबी थी।

-नरेश कुमार 'शाद'


1.शराबी - नशीली, नशा पैदा करने वाली
 

Sanki Rajput

Abe jaa na bhosdk
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Unn gairo me gina jane laga jabse,
uski bewafayi ne dard farmaya jabse,
ye dil ne bhi bewafai krdali tabse !!
 

DesiPathan87

इश्क ओदा पौणा ही आ मैनू किंवे वी
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हुज़ूर ने बजा फ़रमाया। नाचीज़ ,इस तारीफ़ की मुस्तहक़ तो नहीं, लेकिन आपकी दुआ समझ के कबूल करती है , रहा शुक्रिया का , तो इस फ़ोरम पर अदब और अदीब के चाहनेवाले बस गिने चुने हैं , मेरी समझ से ,... और आप इस महफ़िल में तशरीफ़ लाये, शिरक़त की, नाचीज़ की हौसला अफजाई की तो बस दो लफ्ज़ मुंह से निकल गए,...

आप की इजाज़त से एक शेर अर्ज करना चाहूंगी , लखनऊ स्कूल के शायरों में नामचीन शायर आरजू लखनवी साहब का है


जब कोई हद हो मुअय्यन तो शौक, शौक नहीं,
वह कामयाब है जो कायमाब हो न सका।

जी बेशक दुरुस्त फरमाया आप ने । अब तो लखनऊ की तहज़ीब में भी मिलावट हो चुकी है काफी ।

सुबहान अल्लाह बहुत ही खूबसूरत शेर अर्ज़ किया आप ने । उम्मीद है आप जैसे प्रेमिल xforum members से और भी ऐसी महफिलों में बात करने के मौके मुबारक मिलते रहेंगे ।
 

komaalrani

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Unn gairo me gina jane laga jabse,
uski bewafayi ne dard farmaya jabse,
ye dil ne bhi bewafai krdali tabse !!
बहुत खूब , क्या बात है
 
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Reactions: Shetan

DesiPathan87

इश्क ओदा पौणा ही आ मैनू किंवे वी
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कहने को तो नज़रें हाल ए दिल बयां करती हैं,
कहने को तो नज़रें हाल ए दिल बयां करती हैं ,
कभी खत लिखा करते थे आशिक माशूक इक दूजे को जवाब आने के मीठे इंतज़ार में - 2
आज ना नज़रें मिला करती हैं ना दिल धड़कते हैं खत के इंतज़ार में , कहीं ईमेल हैं तो कहीं वीडियो कॉलिंग की आधुनिक बयार है ।
 
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