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Incest आर्या

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राजगुरु की बात को सुनकर रानीपरी बोली
रानीपरी : ऐसा क्या कर दिया है गुरदेव जो आप इतने चिन्तित दिखाई दे रहे है ।
राजगुरु : उसने उस बालिका को खोज लिया है जिसकी मदद से उस कैद का दरवाजा खोल देगा जिसमे वह खतरनाक दानव को कैद किया गया है और आप यह बात हमेशा से जानती है कि वह हर संभव कोशिश कर चुका है उसे खोलने का लेकिन वह आज तक सफल नही हो सका लेकिन अब लग रहा है कि वह सफल हो जाएगा।
रानी परी : लेकिन कैसे गुरदेव आप ने तो कहा था कि उस दुर्लभ नछत्र में पैदा होने वाली कन्या ही खोल सकती है और आप तो जानते है कि वह कन्या कोई और नही बल्कि हमारी राजकुमारी सुवर्चा ही है जो कि सुरक्षित है उस दुष्ट की नजरों से ।
राजगुरु : मुझे भी यही लगा था पर एक और कन्या है जो इसी नछत्र में जन्म लिया है और वह इस वक्त पृथ्वी पर है और जानती है महारानी वह बालिका कौन है।
महारानी : कौन है गुरदेव वह बालिका
राजगुरु : वह बालिका कोई और नही बल्कि उसी अनुराधा की बेटी है जो कि इस वक्त अंधेरे की प्रमुख नायिका बनी है और आज वह अपनी पुत्री को अपने पास लेकर आ गयी है और एक बात यह भी है कि उसे केवल दो लोग खोल सकते है और वह भी स्त्री सकती के मदद से ओर बन्द भी कर सकते है । उन दोनों कन्याओ का जन्म भी हो चुका है जो कि उस समय भी थी जब उसे बंद किया गया था । एक तो हमारी राजकुमारी सुवर्चा है और दूसरी कन्या मानसी है जो कि वही है जो कि उस वक्त दरवाजा बंद करने में सबसे बड़ी बाधा बन कर खड़ी थी।
रानी परी : तो अब हम क्या कर सकते है गुरदेव आप तो जानते है कि हम चाह कर भी उनका कुछ नही बिगाड़ सकते है क्यूंकि उनके ताकत के आगे हम कमजोर है।
राजगुरु : अभी हम कुछ नही कर सकते है ।अब जो भी करना है वह आर्या और सुवर्चा ही कर सकते है ।
रानीपरी : लेकिन गुरदेव उसमे तो अभी काफी समय है। आर्या तो अभी छोटा है ।

राजगुरु : अब हम लोगो के पास इन्तजार करने के अलावा और कोई चारा नही है क्यूंकि हम इतने समर्थ नही है कि सुनैना के जाल से उस बच्ची को बचा सके हम तो केवल प्राथना ही कर सकते है और कुछ नही।
इधर अगली सुबह जब चाँदनी सो कर उठती है तो वह अपनी माँ के पास जाकर उससे कल बिना बताए चले जाने पर शिकायत करती है तो इस बात पर कोमल बोलती है
कोमल : बेबी मैं तुम्हारे लिए एक गुड्डा लेने के लिए गयी हुई थी इसलिए मैंने तुम्हें नही बताया।
गुड्डा का नाम सुनते ही चाँदनी के चहरे पर चमक आ जाती है और बोलती है
चाँदनी : कंहा है माँ मेरा गुड्डा आप लेकर भी आ गयी और मुझे बताया तक नही जाइये मैं आपसे बात नही करूँगी।
उसकी बात सुनकर कोमल बोलती है
कोमल : ठीक है जब तुम्हे बात ही नही करनी है तो वह गुड्डा मैं वापस कर देती हूं।
इतना बोल कर कोमल अपने काम मे लग जाती है लेकिन चाँदनी को जब बर्दाश्त नही होता है तो वह रोने लगती है इस पर उसकी दादी मीना बोलती है
मीना : क्यों परेशान कर रही है मेरी बेटी को चल बेटी मैं तुझे तेरा गुड्डा देती हूं।
इतना बोलकर उसे लेकर वह आर्या जंहा पर सोया हुआ था वंहा लेकर चली गयी और आर्या को दिखाती हुई बोली
मीना : यह है तुम्हारा गुड्डा पर ध्यान से खेलना कही चोट ना लग जाए ।बहुत नाजुक है यह।
इतना बोल कर चाँदनी की तरफ देखती है लेकिन वह वंहा पर होती ही नही है क्यूंकि उसे देख कर चाँदनी तुरन्त ही आर्या के पास पहुच जाती है और उसे अपने गोद मे उठाने की कोशिश करती है तो इस पर मीना बोलती है
मीना : ध्यान से बेटी अगर गुड्डा गिर गया तो चोट लग जायेगी ।
चाँदनी : दादी आप चिंता मत करो मैं इसे अपनी जान से भी ज्यादा संभाल कर रखूंगी।

इसके बाद वह फिर उससे खेलने में मग्न हो जाती है ।ऐसे ही दिन महीने और साल बीतने लगे । सब कुछ धीरे धीरे बदल रहा था। वंहा सुनैना और मारिया मानसी को धीरे धीरे अंधेरे की सक्तिया प्रदान करने लगी और उसके गुलाम दिन प्रति दिन संसार मे बुराई का साम्राज्य फैलाना प्रारंभ कर दिया था ।पूरे संसार मे लोभ वासना आदि बुराई चरम पर पहुच चुकी थी । वही दूसरी तरफ़ राजकुमारी सुवर्चा नागराज के साथ परीलोक आती है संसार मे फैल रही बुराई की वजह से उन्होंने वंहा जन्म लेने का फैशला त्यागना पड़ा क्यूंकि इससे अंधेरे को उनके बारे में पता चल जाता तो वह अपनी उसी रूप में इंसानी दुनिया मे आकर रहने का फैशला किया। इधर चाँदनी का मोह आर्या के प्रति दिन प्रति दिन बढ़ता ही चला जा रहा था ।वह तो उसके लिए बिना सोचे समझे किसी के लिए भी लड़ जाती थी ।इस समय सब कुछ सामान्य चल रहा था सिवाय 2 चीजो के पहली आर्या की शारीरिक विकास जो कि आम लड़को के अपेछा बहुत आगे थी ।उसकी मानशिक सक्तिया भी बहुत तेज थी किसी भी चीज को दुबारा पढ़ने की जरूरत नही पढ़ती थी। इधर मधु का दिमाग भी राजगुरु के द्वारा किये गए विकास की वजह से आम लोगो से 10 गुना तेज था जिसकी वजह से संजय के कहने पर वह उसके बिजनेस को जॉइन कर लिया और संजय ने उसे कम्पनी का MD बना दिया और खुद दुसरो बिजनेस पर ध्यान देना सुरु कर दिया पर वह बिना मधु के सलाह के कुछ भी नही करता था । ऐसे ही दिन बीतने लगे और देखते ही देखते आज आर्या को कोमल के घर आये हुए 15 साल बीत गए थे । आज जंहा आर्या इण्टर पास करके कॉलेज में पहले दिन जाने वाला था जिसे लेकर वह बहुत खुश था क्यूंकि आज वह अपनी चाँदनी दीदी के साथ कॉलेज जाने वाला है उसे लेकर वह खुश था वही उसी बात को लेकर चाँदनी काफी दुखी थी । उसको चिंता में उसकी सहेली मंजू बोलती है
मंजू : आज तू इतना उदास क्यों लग रही है क्या बात है चांद ।
चाँदनी : यार मैं आर्या को लेकर काफी परेशान हु आज से वह कालेज जाना वाला है हमारे साथ ।
मंजू : यह तो खुशी की बात है ना कि वह आज से कालेज जाना वाला है क्यों तू खुश नही है।
चाँदनी : सच कहूं तो आज मैं अपने उसके लिए बहुत खुश हूं पर उसके साथ ही साथ दुखी क्यूंकि तू जानती है कि मैं उससे कितना प्यार करती हूं और उसके बिना जीने की तो कल्पना भी नही कर सकती हूं।।
मंजू : तू सच मे उसके प्यार में पागल हो गयी है ।अरे वह तुझसे दूर नही बल्कि तेरे पास आ रहा है अब तू हर वक्त उसके साथ रह सकती है ।
चाँदनी : सच मे तुझे ऐसा लगता है पर जाने क्यों मुझे आज बहुत घबराहट हो रही है ऐसा लग रहा है कि अगर आर्या वंहा पर गया तो मेरे से दूर हो जाएगा।
मंजू : यह सब तेरा भरम है और कुछ नही तू चिंता मत कर ऐसा कुछ नही होगा जितना प्यार तू उसे करती है उतना ही वह तुझसे भी करता है
nice update
 
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राजगुरु की बात को सुनकर रानीपरी बोली
रानीपरी : ऐसा क्या कर दिया है गुरदेव जो आप इतने चिन्तित दिखाई दे रहे है ।
राजगुरु : उसने उस बालिका को खोज लिया है जिसकी मदद से उस कैद का दरवाजा खोल देगा जिसमे वह खतरनाक दानव को कैद किया गया है और आप यह बात हमेशा से जानती है कि वह हर संभव कोशिश कर चुका है उसे खोलने का लेकिन वह आज तक सफल नही हो सका लेकिन अब लग रहा है कि वह सफल हो जाएगा।
रानी परी : लेकिन कैसे गुरदेव आप ने तो कहा था कि उस दुर्लभ नछत्र में पैदा होने वाली कन्या ही खोल सकती है और आप तो जानते है कि वह कन्या कोई और नही बल्कि हमारी राजकुमारी सुवर्चा ही है जो कि सुरक्षित है उस दुष्ट की नजरों से ।
राजगुरु : मुझे भी यही लगा था पर एक और कन्या है जो इसी नछत्र में जन्म लिया है और वह इस वक्त पृथ्वी पर है और जानती है महारानी वह बालिका कौन है।
महारानी : कौन है गुरदेव वह बालिका
राजगुरु : वह बालिका कोई और नही बल्कि उसी अनुराधा की बेटी है जो कि इस वक्त अंधेरे की प्रमुख नायिका बनी है और आज वह अपनी पुत्री को अपने पास लेकर आ गयी है और एक बात यह भी है कि उसे केवल दो लोग खोल सकते है और वह भी स्त्री सकती के मदद से ओर बन्द भी कर सकते है । उन दोनों कन्याओ का जन्म भी हो चुका है जो कि उस समय भी थी जब उसे बंद किया गया था । एक तो हमारी राजकुमारी सुवर्चा है और दूसरी कन्या मानसी है जो कि वही है जो कि उस वक्त दरवाजा बंद करने में सबसे बड़ी बाधा बन कर खड़ी थी।
रानी परी : तो अब हम क्या कर सकते है गुरदेव आप तो जानते है कि हम चाह कर भी उनका कुछ नही बिगाड़ सकते है क्यूंकि उनके ताकत के आगे हम कमजोर है।
राजगुरु : अभी हम कुछ नही कर सकते है ।अब जो भी करना है वह आर्या और सुवर्चा ही कर सकते है ।
रानीपरी : लेकिन गुरदेव उसमे तो अभी काफी समय है। आर्या तो अभी छोटा है ।

राजगुरु : अब हम लोगो के पास इन्तजार करने के अलावा और कोई चारा नही है क्यूंकि हम इतने समर्थ नही है कि सुनैना के जाल से उस बच्ची को बचा सके हम तो केवल प्राथना ही कर सकते है और कुछ नही।
इधर अगली सुबह जब चाँदनी सो कर उठती है तो वह अपनी माँ के पास जाकर उससे कल बिना बताए चले जाने पर शिकायत करती है तो इस बात पर कोमल बोलती है
कोमल : बेबी मैं तुम्हारे लिए एक गुड्डा लेने के लिए गयी हुई थी इसलिए मैंने तुम्हें नही बताया।
गुड्डा का नाम सुनते ही चाँदनी के चहरे पर चमक आ जाती है और बोलती है
चाँदनी : कंहा है माँ मेरा गुड्डा आप लेकर भी आ गयी और मुझे बताया तक नही जाइये मैं आपसे बात नही करूँगी।
उसकी बात सुनकर कोमल बोलती है
कोमल : ठीक है जब तुम्हे बात ही नही करनी है तो वह गुड्डा मैं वापस कर देती हूं।
इतना बोल कर कोमल अपने काम मे लग जाती है लेकिन चाँदनी को जब बर्दाश्त नही होता है तो वह रोने लगती है इस पर उसकी दादी मीना बोलती है
मीना : क्यों परेशान कर रही है मेरी बेटी को चल बेटी मैं तुझे तेरा गुड्डा देती हूं।
इतना बोलकर उसे लेकर वह आर्या जंहा पर सोया हुआ था वंहा लेकर चली गयी और आर्या को दिखाती हुई बोली
मीना : यह है तुम्हारा गुड्डा पर ध्यान से खेलना कही चोट ना लग जाए ।बहुत नाजुक है यह।
इतना बोल कर चाँदनी की तरफ देखती है लेकिन वह वंहा पर होती ही नही है क्यूंकि उसे देख कर चाँदनी तुरन्त ही आर्या के पास पहुच जाती है और उसे अपने गोद मे उठाने की कोशिश करती है तो इस पर मीना बोलती है
मीना : ध्यान से बेटी अगर गुड्डा गिर गया तो चोट लग जायेगी ।
चाँदनी : दादी आप चिंता मत करो मैं इसे अपनी जान से भी ज्यादा संभाल कर रखूंगी।

इसके बाद वह फिर उससे खेलने में मग्न हो जाती है ।ऐसे ही दिन महीने और साल बीतने लगे । सब कुछ धीरे धीरे बदल रहा था। वंहा सुनैना और मारिया मानसी को धीरे धीरे अंधेरे की सक्तिया प्रदान करने लगी और उसके गुलाम दिन प्रति दिन संसार मे बुराई का साम्राज्य फैलाना प्रारंभ कर दिया था ।पूरे संसार मे लोभ वासना आदि बुराई चरम पर पहुच चुकी थी । वही दूसरी तरफ़ राजकुमारी सुवर्चा नागराज के साथ परीलोक आती है संसार मे फैल रही बुराई की वजह से उन्होंने वंहा जन्म लेने का फैशला त्यागना पड़ा क्यूंकि इससे अंधेरे को उनके बारे में पता चल जाता तो वह अपनी उसी रूप में इंसानी दुनिया मे आकर रहने का फैशला किया। इधर चाँदनी का मोह आर्या के प्रति दिन प्रति दिन बढ़ता ही चला जा रहा था ।वह तो उसके लिए बिना सोचे समझे किसी के लिए भी लड़ जाती थी ।इस समय सब कुछ सामान्य चल रहा था सिवाय 2 चीजो के पहली आर्या की शारीरिक विकास जो कि आम लड़को के अपेछा बहुत आगे थी ।उसकी मानशिक सक्तिया भी बहुत तेज थी किसी भी चीज को दुबारा पढ़ने की जरूरत नही पढ़ती थी। इधर मधु का दिमाग भी राजगुरु के द्वारा किये गए विकास की वजह से आम लोगो से 10 गुना तेज था जिसकी वजह से संजय के कहने पर वह उसके बिजनेस को जॉइन कर लिया और संजय ने उसे कम्पनी का MD बना दिया और खुद दुसरो बिजनेस पर ध्यान देना सुरु कर दिया पर वह बिना मधु के सलाह के कुछ भी नही करता था । ऐसे ही दिन बीतने लगे और देखते ही देखते आज आर्या को कोमल के घर आये हुए 15 साल बीत गए थे । आज जंहा आर्या इण्टर पास करके कॉलेज में पहले दिन जाने वाला था जिसे लेकर वह बहुत खुश था क्यूंकि आज वह अपनी चाँदनी दीदी के साथ कॉलेज जाने वाला है उसे लेकर वह खुश था वही उसी बात को लेकर चाँदनी काफी दुखी थी । उसको चिंता में उसकी सहेली मंजू बोलती है
मंजू : आज तू इतना उदास क्यों लग रही है क्या बात है चांद ।
चाँदनी : यार मैं आर्या को लेकर काफी परेशान हु आज से वह कालेज जाना वाला है हमारे साथ ।
मंजू : यह तो खुशी की बात है ना कि वह आज से कालेज जाना वाला है क्यों तू खुश नही है।
चाँदनी : सच कहूं तो आज मैं अपने उसके लिए बहुत खुश हूं पर उसके साथ ही साथ दुखी क्यूंकि तू जानती है कि मैं उससे कितना प्यार करती हूं और उसके बिना जीने की तो कल्पना भी नही कर सकती हूं।।
मंजू : तू सच मे उसके प्यार में पागल हो गयी है ।अरे वह तुझसे दूर नही बल्कि तेरे पास आ रहा है अब तू हर वक्त उसके साथ रह सकती है ।
चाँदनी : सच मे तुझे ऐसा लगता है पर जाने क्यों मुझे आज बहुत घबराहट हो रही है ऐसा लग रहा है कि अगर आर्या वंहा पर गया तो मेरे से दूर हो जाएगा।
मंजू : यह सब तेरा भरम है और कुछ नही तू चिंता मत कर ऐसा कुछ नही होगा जितना प्यार तू उसे करती है उतना ही वह तुझसे भी करता है
Nice update 👍
 

Naughtyrishabh

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ठाकुर की बात सुनकर कोई भी कुछ नही बोल रहा था तो ठाकुर बोला
ठाकुर विजय : अब अगर तुम लोगो ने मेरी बात का जवाब नही दिया तो सालो यही पर तुम सबको गोली मार दूंगा।
तब उनमे से एक बोला
आदमी 1 : मालिक हम लोगो की बात का यकीन कीजिये छोटी मालकिन उस लड़के को लेकर जंगल मे चली में गयी है और आप तो जानते ही है कि उस जंगल मे जाने वाला आज तक कोई भी जिंदा वापस लौट कर नही आया है।
ठाकुर विजय : यह बात तो बिल्कुल ठीक बोल रहा है उस जंगल मे जाने वाले आज तक लौट कर नही आये है लेकिन इसका मतलब यह नही है कि तुम सब शांति से बैठ जाओ ।उसे हर उस जगह जा कर खोजो जंहा पर उसके मिलने की संभावना है ।
इसके बाद ठाकुर अंदर चला गया और उसके आदमी वंहा से निकल गए ।जब ठाकुर अंदर पहुचा तो अंदर उसकी बहन और बीवी बैठी हुई बाते कर रही थी ठाकुर को देख कर उसकी बहन बोली
मालती (ठाकुर बहन): तो भैया आपने वह काम कर ही दिया जिसके लिए इतने सालों से तड़प रहे थे ।आखिर उसके पूरे परिवार का समूल नाश कर ही दिया।
ठाकुर :अभी कंहा किया अभी तो उसकी छोटी बहू और वह पिल्ला जिंदा है ।पता नही कैसे उस साली को भनक लग गयी और वह उस बच्चे को लेकर निकल गयी।
ठाकुर की बीवी कुछ सोचते हुए बोली
राधा (ठाकुर विजय की बीवी): वह सब तो ठीक है पर आपने यह सोचा है कि जब हमारे बच्चे और उनकी पत्निया लौट कर आएंगी तो उन्हें क्या जवाब देंगे ।आप तो जानते ही है कि वह सब बड़े भैया से कितना प्यार करते है ।
ठाकुर विजय : देखो इन सबका कत्ल हो चुका है इस बारे में किसी को कोई खबर नही है और जिन्होंने यह काम किया है ।मैंने उन सबको भी खत्म करने का इन्तजाम कर दिया है ।मैंने उन सबके खाने में जहर डाल दिया है जिसकी वजह से वह सब भी कुछ घण्टो में भगवान को प्यारे हो जाएंगे। छोटे बेटे का तो प्रॉब्लम नही है क्यूंकि वह मेरे प्लान में बराबर का भागीदार था वह सब कुछ जानता है ।बस प्रॉब्लम बड़े बेटे का है लेकिन उसे किस तरह समझाना है वह मैं देख लूंगा।
वही एक जगह पर एक आदमी अपनी बीवी के साथ घूम रहा था कि अचानक से उसे अपने पीछे किसी के होने का आभास हुआ और जब वह पीछे मुड़ कर देखा तो उसे दो काले साये दिखाई दिए जो कि अपनी लाल आंखों से उन्हें घूर रहे थे तो वह आदमी बोला
आदमी : कौन हो तुम लोग और क्या चाहते हो हमसे ।
साया 1 : हम कौन है यह बड़ी बात नही है हा इतना तुम सोच लो कि हम दोनों तुम्हारी हर ख्वाइश को पूरा कर सकते है।
आदमी : हमारी खवाइश तुम पूरी कर सकते हो कैसे और फिर तुम लोग ऐसा क्यों करोगे क्यूंकि बिना किसी लालच के कोई किसी का मदद नही करता ।
तब दूसरी साया बोली जो कि एक महिला की थी
साया 2 : हमारी पास वह सक्तिया है जिसके दम पर हम जो चाहे कर सकते है लेकिन हमारे पास सरीर नही है जिसकी वजह से हमारी काम वासना पूरी नही हो पाती है और हम चाह कर भी कुछ नही कर सकते है ।तब हमने अंधेरे के सम्राट की पूजा की तब उन्होंने बताया था कि जो कोई भी हमे देख पायेगा वही हमारी सक्तियो और आत्माओ को अपने अंदर रखने की छमता रखता है ।हम कई सौ वर्षों से तुम दोनों का इन्तजार कर रहे है अगर तुम लोग हमारी आत्माओ को अपने अंदर आने की इजाजत दो तो हम तुम्हे दुनिया के सबसे ताकतवर आदमी बना देंगे
उनकी बात सुनकर वह दोनों एक दूसरे की तरफ देखे फिर उसमें से वह औरत बोली
औरत : अगर हमने तुम्हारी बात मान ली तो इस बात की क्या भरोशा की तुम दोनों हमको धोखा नही दोगे । शरीर तो हमारी होगी पर उस पर कब्जा तुम दोनों का ही होगा ना।
साया 1 : नही ऐसा कुछ भी नही होगा हम सिर्फ तुम्हारे अंदर रहेंगे हमारी जब तक तुम दोनों हमारी इच्छा पूरी करते रहोगे हम तुम्हारे ऊपर हावी नही होंगे क्यूंकि ऐसा हमारे सम्राट ने बोला है ।जब भी तुम दोनों हमारी बताई हुई रास्तो पर चलते रहोगे तुमको किसी प्रकार की कोई दिक्कत नही होगी।
आदमी : ठीक है हमे मंजूर है ।
साया 1 : आज से एक बात का ध्यान रहे कि तुम दोनों इन्शान के रूप में शैतान हो इसलिये किसी भी पवित्र जगह या पवित्र वस्तु के पास नही जाओगे नही तो तुमको बहुत तकलीफ होगी।
इतना बोल कर वह दोनों साया उस पति पत्नी के अंदर समा गए ।यह दोनों और कोई नही बल्कि ठाकुर विजय के बड़े बेटे ठाकुर राजवीर सिंह और उसकी बीवी ठाकुर अनुराधा सिंह थी ।
वही दूसरी तरफ मधु ठाकुर अपने भतीजे को लेकर पुजारी जी के साथ मंदिर के पीछे आ गयी और उस कुटिया में प्रवेश करने पर देखा कि वंहा पर हर वस्तु थी जो कि जिने के लिए जरूरी थी ।यंहा तक की उनके लिए वस्त्र भी थे । तब वह पुजारी जी से बोली
मधु ठाकुर : पुजारी जी यंहा पर देख कर ऐसा लग रहा है कि कोई यंहा पर रहता हो ।
पुजारी जी : नही पुत्री यंहा पर कोई भी नही रहता है ।यह सब तुम्हारे और तुम्हारे पुत्र के लिए ही है ।यह सब महाकाल के आशीर्वाद से संभव हुआ है
बेहद ही शानदार और जबरदस्त अपडेट भाई ।
बहुत खूब superb.
 
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मित्र कहानी अच्छी है और प्लाट भी काफी मस्त है बस अपडेट की रफ्तार और साइज बढ़ा दो यही इल्तिजा है।
 
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