UPDATE-5
तो पाया पापा मुस्कुरा रहे हैँ..
मैं उनकी तरफ देख रही थी.. कुछ समझ नहीं आप रहा था...
और.. झुरझुरी सी साफ महसूस किया मैंने ज़ब मेरे जहन को तेज झटका लगा..
पापा के मुँह से निकला...
मेरी जान.. कैसी हो तुम?
उफ़ सूरज... पापा के अंदर...
मैं डर गई...
सूरज... सूरज .... पापा से निकलो तुम.. पापा को तकलीफ मत दो..
प्लेनचेट से ही बात करो..
मैंने डरते हुए चीखते हुए कहा..
मगर वो बस मुस्कुरा रहा था...
मेरी जान कितनी दिनों बाद तुम्हे देख रहा हूँ.
इतना बोलते हुए पापा उठ खड़े हुए..
और मेरे बालों को सहलाने लगे..
मैं कुछ समझ पाती या बोल पाती
.. अह्ह्ह्ह मेरे मुँह से हल्की चीख निकल पड़ी..
पापा ने पूरी ताकत से मेरे बाल पकड़े और मुझे खींच कर खड़ा कर दिया..
बाल खींचने के कारण दर्द की लहर मेरे सिर से पूरे जिस्म तक दौड़ती चली गई...
और मैं खींच कर खड़ी कर दीं गई...
पापा.. Stop..
मैंने अपने पापा को stop कहा.. क्यूंकि पापा जरूर ये सब महसूस या देख पर रहे होंगे..
वो रोक सकते हैँ खुद को... सुरज को भी बाहर निकल सकते हैँ अगर वो अनपे willpower को इस्तमाल करें..
ऐसा सोचना था मेरा जो शायद गलत था...
दूसरे हाथ से पापा ने मेरे दोनों गालों को पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए....
उफ़... No...
सन सी हो गई थी मैं..
नहीं.... ये नहीं सूरज ये नहीं...
मगर बोल ना सकी.. पकड़ इतनी मज़बूत थी कि मैं छूट ना सकी.
एक हाथ से मैंने अपने बाल छुड़ाने कि भरपूर कोशिश की.. और दूसरे हाथ से पापा को पीछे धकेलने की पुरजोर कोशिश... मगर कोई कामयाबी नहीं मिली..
पापा ने मुँह खोला और मेरे होठों को चाटना शुरू कर दिया था...
उफ्फ्फ माँ...
उनकी जुबान मेरे होठों पर उपर नीचे दाएँ बाएँ घूम रही थी...
जैसे सूरज पागल हो गया हो...
तभी मेरी डायरी.. हाँ मैं अक्सर अपनी दिल की हर वो लिखती थी उसमे जो किसी से कह नहीं पाती थी..
वो डायरी, मेरे छटपटाने के कारण जब मेरा पैर तकिये से टकराया तो जमीन पर गिर गई..
जहाँ लिखते वक़्त पेन लगा बीच मे छोड़ दिया गया था वो पन्ना खुल गया जिसमे लिखा था....
I love you suraj...
पापा ने उस तरफ देखा....
और उनके अंदर उस समय समाये suraj ने पढ़ा ये..
फिर धीरे से मेरे कान के पास अपने होंठ लाकर पापा के मुँह से आवाज़ निकली..
I Love You Jaan...
आज तेरी सारी कसर पुरी कर दूंगा..
जो जिन्दा रहते नहीं कर पाया था..
दिल मे छेद था मेरे...तो रगड नहीं पाया तुझे मैं, उस तरह जिस तरह तेरी जैसी खूबसूरत लड़की रगड़ी जानी चाहिए थी..
वो हसरत आज पूरी होंगी मेरी.. जान..
मैं ये सोच डर गई...
पागल हो क्या तुम...
तुम पापा के अंदर हो suraj..
निकलो बाहर उनमे से..
तुम्हे जरा भी शर्म नहीं.. ये सब पापा के अंदर जाकर सोच भी कैसे सकते हो..
अगर उन्हें कुछ हो गया.. तो कभी माफ़ नहीं करूंगी मैं तुम्हे..
मैं गिड़गिड़ाते हुए suraj से बोली..
सुन जान आज तो तू बजेगी... अब ये तेरे ऊपर हैँ.. अपने बाप को महसूस कर या मुझे..
फिर शायद ईश्वर भी मौका नहीं देगा वापस आने का मुझे इसीलिए ख़ुशी से या घिन के साथ.. करना तो होगा तुझे वो सब जो मैं चाहूँ....
मैंने ये सुन उसको जोर से चीख कर रोकना चाहा मगर देर हो चुकी थी...
पापा का हाथ बढ़ा और मेरे कंधे के ऊपर से मेरा Rob night gown पकड़ा...
ऐसा झटका लगा मेरे जिस्म को कि मैं गिर गई बेड के ऊपर और वो gown पापा के हाथो द्वारा खींच के उतार दिया गया..
गिरने के कारण मेरा short nighty जो घुटनो के थोड़ा उयर तक थी वो अब पैंटी के उपर तक आ चुकी थी..
Stop... मैं बस इतना ही बोल पाई..
कि पापा के हाथों ने उस short nighty को पकड़ कर खींचना शुरू किया
पूरा शरीर झूल गया हो जैसे और साफ आवाज़ सुनी मैंने कंधो से nighty के फटने की...
अह्ह्ह करहते हुए मैंने उठना चाहा कि तभी दूसरा झटका लगा.. Nighty का दूसरा हिस्सा पापा के हाथों मे था...
मैं अब ब्रा और पैंटी मे पापा के सामने बेड पर बैठी हुई थी..
मैंने दोनों हाथों से पापा को रोकना चाहा..
Suraj प्लीज स्टॉप..
इसलिए नहीं बुलाया था मैंने तुम्हे..
करना हैँ तो बाहर आओ पापा के अंदर से और जो चाहें कर लो suraj.
समझो पापा हैँ ये मेरे...
पापा ने झुक कर मेरे कंधो पर दोनों हाथ रखे..
जान बहुत प्यासा हूँ..
शादी के बाद कोई सुख नहीं दे पाया तुम्हे.. दिल मे छेद होने के कारण तुम्हे शरीरिक सुख भी ना दे सका.. जो देना चाहता था मैं..
बस जो भी हमारे बीच हुआ.. वो सम्भोग मात्र था..
मगर आज मेरे पास मौका हैँ..
तुम्हे फिर पाने का.. आँख बंद करो और जो कर रहा हूँ करने दो..
अगर प्यार करती हो तो एक शब्द भी मत बोलना.. वरना मैं चला जाऊंगा फिर नहीं आ पाउँगा...
इतना सुनने के बाद मेरे आँखों से आँसू बह निकले..
Suraj पागल हो गया था..
रिश्तो का मान सम्मान जैसे सब मरने के बाद वहीं छोड़ आया हो..
तभी मैंने देखा पापा ने अपना कुर्ता खींच कर उतारा और पजामे का नाड़ा खोलने लगे..
वो अब भी मुझे देख मुस्कुरा रहे थे..
उफ्फ्फ्फ़ मैंने आँख बंद कर ली.. कियुँकि पाजामे के अंदर से उनके लिंग का उभार साफ दिख रहा था..
पजामा उतरने कि आवाज़ साफ मुझे सुनाई दे रही थी..
और मेरे मन मे ग्लानि और suraj को बुलाने के फैसले पर पचताप का भाव जैसे मुझे आँख खोलने कि इज़ाज़त नहीं दे रहा हो...
तभी पापा के मेरे और पास आने की आवाज़ साफ सुनाई दीं...
उफ्फ्फ्फ़ कुछ गरम और सख्त चीज मेरे होठों से टकराई
मैं समझ गई थी.. कि ये क्या हैँ..
उसकी गंध (Smell) से मैं समझ चुकी थी.. और उसका स्पर्श नया नहीं था मेरे होठों के लिऐ..
मेरे सिर को अपने हाथों मे पापा ने जकड़ा.. और लिंग को आगे धकेला...
उफ़ लिंग मेरे होठों को जबरजस्ती खोलता हुआ दांतो से टकराया.. मैंने पूरी जान लगा दीं कि दाँत ना खुले..
तो लिंग दांतो पर से फिसलता हुआ मेरे होठों को साइड से एक तरफ करता हुआ गाल मे समाने की कोशिश करने लगा..
दिल दहल गया. मेरा..
अब उसकी मोटाई का साफ अंदाजा लगा था मुझे...
Suraj का लिंग निर्मल साइज का था मगर पापा का......
घबराकर नैने आँख खोली .. उफ्फ्फ्फ़ सामने पापा का लिंग और उसके ऊपर हल्के बाल मेरे सामने थे...
लिंग की लम्बाई मोटाई उफ्फ्फ्फ़
लगभग 9इंच और बहुत मोटा.
उधर देखा तो पापा मुस्कुरा रहे थे..
मुझे बोलना चाहिए की suraj मुस्कुरा रहा था.. मगर सामने पापा का शरीर हैँ मेरे..
मैं पापा शब्द से दूर कैसे जाऊं..
तभी पापा की एक हाथ का अंगूठा और उँगलियों ने मेरी नाक को बंद कर साँस लेने का रास्ता बंद कर दिया...
साँस लेने के लिऐ जैसे ही मैंने मुँह खोला....
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ पापा का लिंग.... मेरे मुँह मे समाता चला गया...
मुँह से बस गू गु गू ग घ घ गुह जैसी आवाज़ ही निकाल पाई मैं
उनके दोनों हाथ मेरे सिर पर टिक गये.
और वो अपने लिंग को अंदर बाहर धकेलने लगे..
इतना लम्बा लण्ड मेरे मुँह मे नहीं समा सकता था...
चूस इसे जान..... मैंने पापा के मुँह से आवाज़ सुनी..
उधर देखने की कोशिश की तो पापा अभी भी मुस्कुरा रहे थे..
चूस इसको... देख हैँ ना मोटा लम्बा...
चूस...
ये बोलते हुए पापा का जिस्म एक झटके के साथ आगे बढ़ा और उनका लिंग मेरे गले के अंदर तक उतर गया..
गगगगहह गुउह्ह्ह आआउउककक अक आक गू जैसी आवाज़ मेरे मुँह से निकल रही थी अब... और पापा मे बसे suraj ने लगभग पूरी ताकत से लण्ड की लगातार ठोंकर मेरे मुँह के अंदर मारना शुरू कर दीं थी..
मैं समझ सकती थी.. इतने दिनों बाद मिले मौके को वो जाने नहीं देना चाहता ..
मगर मुझे मार डालेगा क्या ये आज...
मैंने पूरी कोशिश की कि पापा को पीछे धकेल सकूँ..
मगर उनकी ताकत के आगे मैं बौनी साबित हुयी..
साँस लेना मुश्किल हो गया..
गू गू gag गू...
Papa के दोनों घुटने मुड़ चुके थे और लगातार मेरे मुँह मे अपना भयानक हथियार ठोके जा रहे थे..
मैं छटपटा रही थी साँस लेना मुश्किल हो गया...
तभी पूरी जान लगा कर पापा के जिस्म ने मुझे धकेला और यूँ ही बेड पर गिरा दिया..
पापा ने position बदली.. और अब वो मेरे बूब्स के ऊपर बैठे हुए थे.. मेरा सिर खींच कर उपर उठा रखा था उन्होंने और अपना नितम्ब (Ass) मेरे बूब्स के ऊपर घुमाते हुए अपना लिंग मेरे मुँह मे ठोकने लगे..
इस वक़्त मेरे अंदर ना ग्लानि थी और ना कोई ख़ुशी...
बस साँस लेने कि पुरजोर कोशिश थी..
लिंग का अहसास कई महीनों बाद मिला था मुझे...
वो भी शायद ये कहना गलत ना होगा कि... कुछ ज्यादा ही मिल रहा था... Suraj जिन्दा रहते कभी इतना उत्साहित या सम्भोग क्रिया मे ज़ालिम नहीं हुआ था जो आज हो रहा था...
अब पापा पर ध्यान कम जा रहा हैँ मेरा कियुकी ये जिसका भी लिंग हैँ.. पापा बोलू या suraj बोलू..
ये लिंग मेरी साँस घोंट रहा हैँ...
मुँह से लार और थूक का गुब्बार लगातार निकलता हुआ मेरी थोड़ी से होता हुआ गर्दन पर बहने लगा था.. मेरा शरीर लण्ड के झटके से बुरी तरह हिल रहा था.. पूरी कोशिश के बाद भी मैं अपना चेहरा घुमा ना सकी
अचानक पापा का जिस्म रुक गया.. उनकी हाँफ़्ती साँस कि आवाज़ पुरे कमरे मे गूंज रही थी...
उन्होंने अपना लिंग मेरी जुबान के उपर रखा हुया था इस वक़्त...
उसकी महक मेरे अंदर सामने लगी.
थोड़ा और बाहर खींचा उन्होंने अपना लण्ड ... तो वो जुबान के सिरे तक आ गया.. मुझे साँस कि लहर महसूस हुयी...
उफ्फ्फ लम्बी लम्बी साँस लेने के साथ ना जाने कब मेरी जुबान का कोना उनके लिंग के शुरूआती उभार से टकरा गया और मुझे नहीं मालुम कि कब मेरी जुबान ने पापा के लण्ड को टटोलना शुरू कर दिया था... शायद उत्सुकता थी वो मेरी जो सिर्फ उत्सुकता मे उनकी मोटाई देखना चाहती थी..
उफ़ कितना सख्त, गरम और चिकना अहसास था... मेरी जुबान धीरे धीरे उनके लण्ड के गोल भाग पर घूम रही थी..
और कस कर और आँख बंद कर ली मैंने..... ज़ब मेरी जुबान उनके छेद के उप र टकराई.उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ
जुबान ने खुद थोड़ा दवाब बढ़ाया तो जाना कि पापा के लण्ड का छेद suraj के लण्ड के छेद से काफ़ी बढ़ा हैँ...
और हो भीं क्यों ना, उनका लण्ड ही जो इतना विशाल हैँ...
पता नहीं कब मैंने उनके उस लिंग के छेद को अपनी जुबान से कुरेदना शुरू कर दिया था.. कोई सोच नहीं थी मेरे अंदर अब... बस एक अहसास और एक उत्तेजना आने लगी थी इस लिंग को जानने की...
जुबान ने फिर से पूरे लण्ड की गोलाई का जायजा किया.. घूम कर उसके ऊपर...
और फिर छेद को एक बार फिर बड़ा कर महसूस किया..
पापा का जिस्म थोड़ा सा पीछे हुआ.. शायद मेरी हरकत से उनको गुदगुदी हुयी होंगी...
तो पता नहीं क्यों और कब मेरा सिर उस विशाल लण्ड को छूने की कोशिश मे अपने आप आगे हो गया और उससे मेरे होंठ टकरा गये.
फिर ज़ब लिंग थोड़ा आगे हुआ तो अपने आप मेरा मुँह खुल गया... और उसको अपने होठों के बीच भर लिया.......
अह्ह्ह्ह सिस्कारी सी निकली पापा के मुँह से...
Yes...... चूस इसे.... घुमा अपनी जुबान...
आह्हः
पापा के मुँह से निकले suraj के इन शब्दों ने जैसे जादु कर दिया हो...
और मैंने सिर आगे पीछे करके पापा के लण्ड को चूसना शुरू कर दिया...
दिमाग जैसे बंद हो... सारी सोच जैसे इस पल मे कैद हो गई हो.
बस एक अहसास बाकि था....
वो गरम, सख्त और मोटा सा....
पापा के हाथ मेरे सिर के बालों को सहलाने लगे और उनका लण्ड अब बड़े हल्के हल्के मेरे मुँह मे अंदर बाहर होने लगा था..
उफ्फ्फ्फ़ वो अहसास...
मैं कब पागलो की तरह उस लण्ड को चूसने लगी मुझे खुद पता नहीं चला..... मेरे हाथ उस लिंग पर जम गये और मुँह अपना काम करने लगा..
या yes yes you bitch...
Yes come on अनीता you slut whore... Suck it...
Ahhhh
कुछ ये शब्द और आवाज़ पापा के होठों से लगातार निकल रही थी...
Suraj को ये अहसास मिल रहा हैँ?
पता नहीं... और किसके पास अब ये सोचने का समय था...
मुझे अब सिर्फ लण्ड चाहिए.. उसका गरम अहसास चाहिए...
मैं जंगलीपन पर कब उतर आई... मुझे नहीं मालूम...
(आज रात ही new update दूंगी, प्रॉमिस है मेरा )
आपकी अनीता