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Adultery उस रात पापा ने मुझे चोद दिया, एक कामुक तंत्र कथा (अनीता )

komaalrani

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UPDATE-1

कभी-कभी जिंदगी आबनूस की तरह काली लगने लगती हैँ..

जैसे पन्ने पलटते -पलटते वक़्त ने ऐसा शान्त अध्याय खोल दिया हो, जिसमे ना सूरज हैँ और ना कोई चाँद.... ना कोई मौसम हैँ और ना कोई अरमान......



आज पुरे छः महीने बीत गये हैँ, सूरज (मेरे पति ) को गुज़रे हुए (मरे हुए ), यूँ लग रहा हैँ जैसे कल की ही बात हो...

आँखें बंद कर लेती हूँ तो लगता हैँ जैसे वो मेरे पीछे खड़ा होकर मेरा नाम धीरे से मेरे कानो मे फुसफुसा रहा हैँ..

अनीता ... मेरी पगली...

और जैसे उसके होंठ अभी भी मेरे कानो को छू कर अहसास दे रहे हो... कि मैं अभी भी जिन्दा हूँ...
.........

मैं बस गुम -चुप सी बैठी हुई थी, अपने पापा के घर में...

यहाँ आये करीब 15 रोज हो चुके हैँ मुझे..

ससुराल से ज्यादा सकून हैँ यहाँ...

बस मैं हूँ और मेरे प्यारे पापा...

..
बेटी.. कब तक यूँ ही बैठी रहेगी.. (पापा ने मेरे पास सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा, कहते भी क्यों ना.. उनकी एकलौती लाडली बेटी जो हूँ मैं )

पापा.. मैंने उनकी तरफ देखते हुए प्यार से बोला...

आओ बैठो ना आप यहीं थोड़ी देर...

पापा ने हाथ बढ़ा कर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा.. बेटी अनीता कब तक यूँ दुख की चादर ओढ़ कर बैठी रहेगी बेटी..

कभी तो इस गम से बाहर आना ही होगा...

मैंने जवाब मे कुछ नहीं कहा..

बस चुपचाप किताब पर निगाह गड़ाए पढ़ती रही... क्योकि इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था..

पापा भी ये बात समझते थे..

उन्होंने बात बदलते हुए कहा.. बेटा देख रहा हूँ पिछले सोमवार से तुम ये किताब लगातार पढ़ रही हो.. क्या हैँ ऐसा इस किताब मे..

मैंने अब उनकी तरफ देखा.. पापा दरअसल ये बात मैं आपको बाद मे बताऊंगी.. कि क्या हैं ये किताब, और क्या सोच रही हूँ मैं इसको लेकर..

मैंने ये बात बहुत ही प्यार से कही..

मेरी इस बात पर पापा चुप हो गये.

मैं ध्यान से फिर किताब पड़ने लगी..

बेटा... पापा ने फिर एक बार धीरे से कहा..

जी पापा... मैंने उनकी तरफ देखकर उसी शान्त लहजे में उत्तर दिया..

बेटी अनीता .. मैं भी क्या करूँ. बाप हूँ तो बेटी का दुख देख नहीं पाता हूँ, सोचा था तेरी शादी के बाद चैन से मर पाउँगा मगर ये जो भी हुआ...

फिर कुछ देर रुक कर पापा बोले..

अब तो मरने के बाद भी चैन नहीं मिलेगा बेटा..

मैने एक दम कहा.. पापा जी.. हम सब अपनी किस्मत साथ लेकर पैदा होते हैँ और साथ लेकर जीतें भी हैँ.

आप चिंता ना करो पापा...

बेटा कैसे चिंता ना करूँ.. सूरज का लिया गया लोन तुझे ही तो चुकाना हैँ...

मेरे पास ये घर हैँ, तु बोल बेटी बेच कर आराम से इतना मिल जायगा कि तेरा सारा लोन चुक जाये..

पापा लगभग रोने जैसे स्वर मे बोल उठे थे...

जानती हूँ लोन बड़ा हैँ, पापा जी.... जिस रात उनको हार्ट अटैक आया था उन्होंने 2 करोड़ किसी को दिए थे या किसी के पास रखे थे... और गोआ (GOA) मे जो जमीन उन्होंने खरीदी थी उसके पेपर्स भी उसी के साथ थे.. अगर कोई सामने आकर बता दे किसके पास हैँ ये या वो खुद बता दे तो सारी मुश्किल खत्म हो जायगी..

मेरी इस बात पर पापा ने उत्सुकता से पुछा..

बेटा तूने पुछा नहीं था क्या सूरज से, कि किसको दिए....?

मैं पापा की तरफ देखती हुई बोली..

पापा समय ने समय ही नहीं दिया..

उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो किसी को दे आये थे वो बैग..घर आये थे तो बस इतना बताया था उन्होंने, कि तबियत खराब हो गई थी, तो इतने पैसे लेकर ट्रेवल करना ठीक नहीं था, और आगे बात होती उससे पहले उनके सीने मे तकलीफ फिर शुरू हो गई थी... पापा.... मैंने डॉक्टर को कॉल किया था..

मगर डॉक्टर के आने से पहले ही उनको अटैक पड गया था पापा...

मेरी आँखों मे आंसू देखकर पापा ने झुक कर मेरा चेहरा अपने सीने से लगा लिया..

अनीता तेरी कोई बात नहीं टाली हमने कभी..

सूरज पसंद था तुझे तो बिना सोचे तेरा ब्याह कर दिया उसके साथ..

जो माँगा उसके माँ बाप ने वो सब दिया उनको... बेटा तूने बताया क्यों नहीं पहले कि सूरज के दिल मे छेद था...

पगली ऐसे सावंरते हैँ जिन्दगी को? प्यार करना गलत नहीं बेटा मगर जीवनसाथी चुनते वक़्त तो मेरा ही कुछ लिहाज़ किया होता.. क्या करूँ मैं अब... बता बेटा...?

पापा की बात का मैं जवाब भी क्या देती.. बस चुपचाप बैठी रही...

बेटा.. तू.. तू... फिर से ब्याह करले... अरे जवान हो.. खूबसूरत हो... बोल बेटा बोल लाइन लगवा दूंगा अपनी बिटिया की ख़ुशी के लिऐ लड़को की...

बोल बेटा .

मैं जानती थी पापा के दुख का कारण मेरे भविष्य की चिंता ही थी, जो उन्हें दिन रात खाये जा रही होंगी

ना पापा... ना... जीवन में कुछ सुख बस एक बार ही मिलता हैँ, यही ईश्वर की नियति हैँ और यही कुदरत का नियम...

पापा माँग भरने का अधिकार सूरज के साथ ही चला गया ..

Please इस बारे मे आप फिर बात मत करो...

Please...

मेरे इतना कहने पर पापा शान्त से होकर चुप चाप बैठ गये..

मुझे उनकी हालत पर तरस आ रहा था सो मैं भी चुपचाप उठ कर बगीचे से अपने रूम की तरफ बढ़ गई...

...........



अगला update आज ही रात दूंगी 🙏
आपकी अनीता
बहुत ही बढ़िया कहानी, अभी आज ही पढ़ना शुरू किया

एक तो देवनागरी लिपि में दूसरे भाषा पर इतना अच्छा नियंत्रण और कहानी की एक पहचान त्रासदी के पलों को दर्शाने की है और इन्सेस्ट में सबसे बड़ी चुनौती मोटिवेशन को लेकर है, एक पारम्परिक सोच बदलने का कारण, जो अकेलापन हो सकता है, दुःख हो सकता है, और सबसे बड़ी बात कहानी ग्रिपिंग है
 

komaalrani

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UPDATE-3

हेलो... नंदिता कैसी हैँ तू..?
अगली ही सुबह करीब 8 बजे फ़ोन कॉल पर मैंने अपनी सहेली नंदिता से बात कर रही थी....
हाय.. . मैं तो मस्त ठीक ठाक हूँ...
तू बता कैसी हैँ अनीता ...?
ये सवाल भी अजीब था, सूरज के जाने के बाद क्या ठीक क्या गलत... मगर जीना तो था..
धीरे से मैंने जवाब दिया..
I am fine यार..please वो ओइजा वाली किताब के बारे मे बताया था तुझे, याद हैँ?
वहाँ से नंदिता की शान्त सी आवाज़ आई..
हाँ.. याद हैँ... मगर तू कैसे यकीन करेगी कि ये सब काम करता हैँ या नहीं?


मेरेपास इसका कोई जबाब होता या ना होता... शायद मुझे इस बात कि कोई चिंता नहीं थी अब...

नंदिता... बात यकीन कि नहीं हैँ यार.. बात हैँ जरूरत की..
अगर पता चल जाता हैँ सूरज हैँ प्रॉपर्टी के paper और वो पैसे किसको दिए हैँ या कहाँ रखे हैँ तो बड़ी मुश्किल से बच जाउंगी..
अब बस ये बता.. तू आएगी ना यहाँ...?


इस बात का जवाब नंदिता ने कुछ ऐसे दिया..
अनीता .. ये सब मुझे पागलपन लग रहा हैँ.. ऐसा भी कहीं होता हैँ कि किसी मरे हुए की आत्मा बुला कर बात की जा सके, It can't possible yaar समझ यार..
सूरज जा चूका हैँ.. नहीं आ सकता वो वापस...


मेरे को पहले से ही शंका थी कि नंदिता कोई ऐसा जवाब दे सकती हैँ..
इसीलिए आज उसकी तयारी पूरी थी..


सुन.. नंदिता मेरी बात समझ यार...
उपन्यासकार Emily Grand Hutchings ने दावा किया है कि पूरा का पूरा ‘Jap Herron’ नावेल उन्होंने Mark Twains की आत्मा से सम्पर्क करके लिखा था.
ये बात खुद उन्होंने कही थी, अपनी जीवनी मे..
नंदिता मान या ना मान ये बात सच हो सकती हैँ .. कम से कम एक मौका तो हैँ..मुझे पक्का लगता हैँ सूरज यहीं हैँ इसी घर मे हैँ... मुझे मुहसूस होता हैँ वो नंदिता...
Please मेरा ये काम कर दे...
विक्की को मना लें ना.. Please वो आ जायगा यहाँ तो मैं उसकी मदद से सूरज को बुलाने की कोशिश कर सकती हूँ.


इस बात पर नंदिता का जवाब साफ सुनाई दिया..
मैंने बोला था उसको.. कि कुछ मैजिक का चक़्कर हैँ.. अनीता क़ी मदद कर दे..
मगर उसने मना कर दिया हैँ..
फिर मुझे भी लगा शायद ये काम नहीं करेगा यार...
तू बोल तो मैं आ जाती हूँ. अभी कंपनी के काम से दिल्ली मे हूँ, 7-8 दिन मे मुंबई वापस आ जाउंगी, फिर आ कर सीधे तेरे पास आती हूँ मैं.

एक कोशिश करके देख लेंगे अगर तुझे भरोसा हैँ तो..

मेरी आवाज़ अब बोझिल सी थी..
नंदिता ये बोर्ड अधिकतर तब काम करता हैँ ज़ब अपोजिट सेक्स पर्सन सामने हो..
कोई बात नहीं... मैं किसी और से बात करती हूँ.. इतना समय नहीं हैँ यार मेरे पास.. बैंक नोटिस आ चूका हैँ जल्द ही कोशिश करनी होंगी..
बाय नंदिता...कहकर मैंने ने कॉल कट कर दिया..


और आँख बंद करके सोच मे पड़ गई.. कि कैसे... अब ये सब किया जाये.
मेरी आँखों के कोरों में आंसुओ क़ी कुछ बुँदे उभर आई ..


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............

...
पापा..
मैंने नाश्ते की टेबल पर पापा से कुछ कहने की कोशिश की...
हम्म्म बोलो बेटी...
इतना बोलकर पापा मेरी तरफ देखने लगे..
मुझे चुप देख कर पापा जी ने प्यार से पूछा..

क्या हुआ अनीता ? यूँ आधी बात बोलकर शान्त ना ही जाया कर..

पापा.. आपकी किताबों मे से एक किताब मिली थी.. वो.....
मैंने बात अधूरी ही छोड़ दीं..
कौन सी किताब बेटी..
जो भी चाहिए उठा लें पढ़ लें... जो पसनद आये तो रख लें..
बेटा अब मुझे ज्यादा पता नहीं चलता इन किताबों का.. वो अखबार वाला हर दो महीने बाद कुछ ना कुछ पढ़ने को गिफ्ट सा डाल जाता हैँ.. मगर बेटा जी मैं कितनी किताबों को पढ़ लूँ .. बस यूँ ही रख देता हूँ,
जो पसन्द हो उठा कर पढ़ लें...

पापा की इस बात पर मैं और थोड़ी बेचैन सी हो गई..
पापा.. सुनो तो पूरा...

मेरे टोकने पर पापा के मुँह पर जैसे ताला लग गया हो..वो बस मेरी और देख रहे थे..
ओइजा (Ouijha) नाम की किताब मिली थी मुझे, आपकी बुक्स के बीच..

ओइजा.. पता नहीं बेटा.. ये कौन सी किताब हैँ. अजीब सा नाम हैँ ओइजा..
पापा ने सोचते हुए जवाब दिया...

पापा दरअसल उस किताब मे रखा तरीका लिखा हैँ जिसके द्वारा
जो लोग मर जाते हैँ. ना.... उनकी आत्माओं को बुलाकर उनसे हम लोग बात कर सकते हैँ..
मैंने डरते हुए अपनी बात पापा के सामने रख दीं.

पापा... ने गहरी साँस छोडी और मुझे देखते हुए बोले ..
बेटा जी.. ये सब सिर्फ किताबों को बेचने का तरीका हैँ.. अनीता मैं तुम्हारे दिल की बात समझ सकता हूँ..
सूरज के प्रति तुम्हारा प्यार विश्वास करना चाहता हैँ.. इन सब दकियानूसी बातों पर...

वो मुझे समझते हुए आगे बोले... मगर बेटी ये शायद सच नहीं होगा...


मैं पहले से ही जानती थी, पापा को यकीन दिलाना आसान नहीं..
मगर कोशिश कर तो सकती हूँ, यही सोचकर मैंने बहुत संजो कर अपनी बात उनके सामने रखी...

पापा... आपने बिल विल्सन का नाम सुना हैँ कभी?

मेरे इस जवाब मे उन्होंने कहा..
हाँ सुना हैँ.. क्या हुआ उसके नाम से ओइजा किताब का क्या लेना देना?

मैंने आगे अपनी बात कही...
पापा बिल विल्सन लोगों को शराब की लत से छुटकारा दिलाने के लिए Alcoholics Anonymous नामक संगठन चलाता था, Bill Wilson का कहना है कि उनके द्वारा चलाया जाने वाला 12 स्तरीय रिकवरी प्लान उन्हें Ouija Board की मदद से ही मिला था. 15वीं सदी के एक मोंक (monk) की आत्मा से सम्पर्क के द्वारा उन्हें प्लान मिला था
मैं ये कहकर चुप हो गई....

बेटी... मैंने आज तक तुमको किसी बात के लिऐ नहीं रोका .... पापा एक ही साँस मे कहते चले गये..
बल्कि हमेशा जो तुमने कहा वो मैंने किया.. बस इस किताब पर विश्वास नहीं हो रहा.. मगर जैसा तुम बोलोगी मैं कर दूंगा.. बोल क्या मदद चाहिए तुम्हे?


पापा की आखों मे प्यार भरा था... मैं ये देख अपनी आँखों मे दो बूँद आँसू आने से ना रोक सकी...

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अगला Update आज ही रात दूंगी, ठीक 11pm पर

आपकी अनीता 🙏
Perfect pictures and very natural turns in the story
 

komaalrani

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UPDATE-4
अरे बोल बेटा.. देख रो मत.. बता क्या चाहिए या मुझे क्या करना हैँ..

पापा की इस बात और उनकी जिंदादिली ने मुझे उस वक़्त सच मे बहुत सकून दिया...

अब मैं अपनी बात पापा को ठीक से बता सकती थी.. मैं दौड़ कर गई. और कुछ पलों बाद उस किताब के साथ लौटी पापा ये देखो “ओइजा “..

ये देखो पापा..... कहते हुए मैंने सीधे किताब का आखिरी पन्ना खोल दिया... उत्सुकता के कारण मेरी साँस तेज थी और जुबान भी लड़खड़ा रही थी...

पापा उस पन्ने की तरफ देखने लगे..

देखो पापा जी.... और फिर मैंने किताब के उस पन्ने के पीछे वाली किताब के बैक कवर मे अंदर की तरफ चिपका हुआ लकड़ी का दिल से मिलता जुलते आकार का टुकड़ा निकला और पन्ने के ऊपर रख दिया..

अब पापा आपको मेरे साथ इस लकड़ी पर अपनी ऊँगली रखनी हैँ..

मैं कुछ पूछूँगी और अगर सूरज की आत्मा यहाँ होंगी तो ये लकड़ी का टुकड़ा yes वाले शब्द पर जायगा.. इसी तरह अल्फाबेट और नंबर्स पर जा जा कर हमें सूरज सारी बात बताएगा..

प्लीज करोगे ना आप...

मेरी उत्सुकता और बौखलाहट देख कर पापा चाह कर भी मना ना कर पाए, बस धीरे से बोले

हाँ बेटा जी.. जैसा बोलो करूंगा तुम्हारे लिऐ... पापा हूं तुम्हारा... तुम्हारी ख़ुशी मे मेरी ख़ुशी हैँ बेटा जी...

इस बात पर अब जाकर सुबह से पहली बार मुस्कान आ गई...

कब करना हैँ ये सब बेटा?

पापा के इस सवाल पर मैंने चहक कर कहा..

आज ही रात 12 बजे पापा जी..

पापा ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ रख दिया.

......................

शाम को मैं बहुत खुश थी, जैसे सच मे आज मैं सूरज से मिल पाऊँगी... सुन पाउंगी, या शायद देख भी पाऊँगी..

मैंने एक नज़र ओइजा किताब पर डाली और उसका आखिरी पन्ना, जिसमे ओइजा बोर्ड छपा था वो किताब से बड़े ही सलीके के साथ अलग कर के उसको एक लकड़ी के चिकने बोर्ड पर फेविकोल की सहायता से बड़े ही करीने से चिपका दिया.....

वुडेन बोरड़ सन्माइका होने के कारण चिकना था तो वो पन्ना भी बहुत अच्छी तरह से उसपर लग गया था :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

उस रात डिनर के वक़्त मैं कुछ नहीं खा रही थी

अनीता बेटी ....

पापा ने मुझे गुमसुम देख शायद चिंता मे पुछा था....

बेटी जैसा तूने कहा वैसा सब हो रहा हैँ.. फिर क्यों उदास सी हैँ?

पापा उदास नहीं बस सोच रही हूँ, अगर ये सब काम ना आया तो? मेरा मतलब अगर ओइजा बोर्ड ने वैसा काम नहीं किया जैसा कहा या लिखा जाता हैँ तो?

मेरी इस बात पर पापा मुस्कुरा उठे... और प्यार से बोले...

इतनी बड़ी हो गई हैँ.. मगर बातें अभी भी बचपन वाली..

अरे बेटा अगर ये तरीका तेरा काम नहीं करता हैँ तो कोई बात नहीं.. कोई और तरीका TRY कर लेंगे..

अरे भई... तुझे लोन की चिंता हैँ ना?

बेटा मैं अभी जिन्दा हूँ.. हाँ या नहीं बोल बोल...

पापा की इस बात पर मैं सिर्फ “जी पापा “ बोल पाई..

तो क्यों चिंता करती हैँ... अरे इतना बड़ा घर हैँ ये... बेच देंगे तो लोन भी क्लियर हो जायगा और बात मेरी रही तो पूना वाला अपना फ्लैट भी तो हैँ.. वहाँ मेरा गुज़र बसर हो जायगा....

तू.. तू... चिंता ना कर बेटा....

मैं मुस्कुरा दीं... और पापा की तरफ देखकर बोली..

पापा.. जो माँगा मैंने वो सब आपने दिया.. अब क्या आपका ये घर भी लें लू?

नहीं पापा, आपका ये घर नहीं बिकेगा..

मेरा नहीं बेटा हमारा घर.. ये हमारा घर है ..

पापा प्यार से मेरे सिर को सहलाते हुए बोले..

चल अब उदास नहीं.. गुमसुम नहीं...

चल बता क्या तैयारी करनी हैँ..?

पापा जी आप 11 बजे नहा लेना,

12 बजे हम शुरू करेंगे....

पापा ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया..

हाँ बेटा चिंता मत कर... सब ठीक होगा...

......................

रात के करीब 11 बज रहे थे..

मैंने आवाज़ सुनी कि पापा बाथरूम नहाने जा रहे हैँ..

मैं भी जल्दी से टॉवल उठा ऊपर वाले बाथरूम की तरफ चल दीं...

......

नहाने के बाद मैंने गुलाबी रंग की Silk की Short Nighty और उसके साथ का Rob Night Gown पहन लिया..


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मन मे आशंका थी अभी भी पता नहीं क्या होगा?

घड़ी मे देखा तो 11.35 बज चुके थे

मुझे बेचैनी महसूस लगी... जैसे गला सुख रहा हो.. मैंने तुरंत फ्रीज़ से पानी की बोतल निकली और एक साँस मे लगभग आधी पीती चली गई.

मैंने देखा पापा कुर्ता पजामा पहन मेरी तरफ आप रहे हैँ, मैंने खुद को संभाला..

पापा ने आते ही मेरी हालात समझ ली थी और मेरी पीठ सहलाते हुए बोले..

अगर मान लो सूरज यहीं कहीं हुआ तो कितना दुखी होगा तुम्हारी ये हालत देखकर..

बेटा सम्भालो खुद को..

मैंने बहुत पानी की बोतल वापस रखी और पापा से बोली.. पापा मेरे कमरे मे चलते हैँ वहीं आगे की ritual (तंत्र क्रिया ) करेंगे..

पापा की आँखों मे मेरे प्रति प्यार और संवेदना देखकर मेरी हिम्मत लौटने लगी थी...

कमरे मे जाकर पापा मेरे बेड पर बैठ गये.. मैंने वो ओइजा बोर्ड उठया और कॉफ़ी टेबल पर रख दिया..

घड़ी मे देखा तो 11.50 हो रहे थे...

मैंने एक मोटी सी मोमबत्ती ड्रेसिंग टेबल से निकली और कॉफ़ी टेबल के पास कैंडल स्टैंड पर वो मोमबत्ती रख कर जलाने लगी..

मेरे हाथ कांप रहे थे..

पापा ये सब देख कर चुप ना रह सके.. पगली मुझे दे मैं जला देता हुँ..

और मेरे हाथों से उन्होंने आगे बढ़कर माचिस लें ली..

एक ही बार मे मोमबत्ती उन्होंने जला दीं और कॉफ़ी टेबल पर रख दीं...

पता नहीं क्यों मुझे ऐसा महसूस होने लगा जैसे ओइजा बोर्ड और मोमबत्ती दोनों एक साथ जैसे मुझे बुला रहे हो...

मैंने आँख बंद कर ली.... थोड़ी देर बाद आँखें खोली और ड्रेसिंग टेबल से प्लेनचेट (Planchetti) निकल लिया

ये एक तिकोने आकार लकड़ी का टुकड़ा जैसा था, जिसके बीच मे एक छेद था..


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पापा ने उसको देखा और पुछा ये क्या हैँ?

मैंने उनको बतया कि

पापा ये प्लेनचेट हैँ, ये किताब के बैक कवर मे चिपका हुआ था.

दरअसल पापा.. इसी पर हमको अपनी एक एक ऊँगली रखनी हैँ... ये जो बीच मे hole हैँ यही हमें बताएगा जो सूरज बोलना चाहेगा...


ओह्ह्ह पापा ने समझते हुए आवाज़ निकाली...

मैं कॉफ़ी टेबल के सामने बेड पर बैठ गई और पापा मेरे सामने एक चेयर पर बैठ गये..

मेरा दिल धड़क रहा था कि क्या होगा अब?

मैंने वो प्लेनचेट ओइजा बोर्ड के ऊपर रख दिया... और घड़ी की तरफ देखने लगी....

समय के गुजरने के साथ ही घड़ी की सुई आगे बढ़ती रही....... और दिवार घड़ी ने संकेत दे दिए कि ठीक 12 बज चुके हैँ...

मैंने आँख बंद की और थोड़ी देर बाद आँखें खोली...

यही समय था... जिसका मुझे इंतज़ार था...

मैंने पापा की तरफ देखा तो वो बिलकुल शान्त से लगातार मुझे देख रहे थे.. जैसे पूछ रहे हो कि अब करना क्या हैँ?

पापा.....

मैंने संजीदगी भर स्वर मे पापा को पुकारा...

पापा ने कोई जवाब नहीं दिया बस

हम्म्म्म जैसी आवाज़ निकली...

पापा अपना सारा ध्यान सूरज की तरफ लगाइये..

उसको याद करिये और महसूस कीजिये की वो आस पास ही हैँ इसी कमरे में...

और अपनी right hand की फिंगर प्लेनचेट पर धीरे से रखिये.. ज्यादा दवाब नहीं देना और ना ही बहुत हल्का रखना आप ऊँगली प्लेनचेट पर..

बिना कुछ बोले पापा ने अपनी ऊँगली प्लेनचेट पर रख दीं और आँखें बंद कर शयद दिल से सूरज को याद और महसूस करने लगे...

यही मैंने भी किया अपनी एक ऊँगली प्लेनचेट पर रख दीं और दोनों आँखें बंद कर सारा ध्यान प्लेनचेट पर लगा दिया...

मुझे महसूस हो रहा था कि सूरज मेरे पास ही खड़ा हो जैसे..... दिल से...

............................


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कुछ समय हम ऐसे ही बैठे रहे..

और फिर.... मैंने लगभग थोड़ा जोर से बोलना शुरू किया..

सूरज..... मैं जानती हूँ कि तुम यहीं हो...

अगर तुम यहीं हो तो जवाब दो..

बताओ तुम यहीं हो...

सूरज मैं जानती हूं कि तुम यहीं हो..

बताओ मुझे अगर तुम यहीं हो..

बताओ सूरज...

बात करो...


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और मेरे पुरे बदन मे झुरझुरी सी आ गई....

उफ्फफ्फ्फ़ वो प्लेनचेट धीरे से हिला जैसे किसी ने उसे सरकाया हो...

मैं जानती थी पापा जानबूझ कर ऐसा नहीं करेंगे...

शायद पापा भी काँप गये थे

कियुँकि उनकी साँस की आवाज़ तेज होने लगी थी.. जो मैं साफ सुन सकती थी..

यही हाल मेरा भी था.. मेरी साँस एक दम तेज होने लगी...

सूरज तुम यहीं हो.. बताओ मुझे...

मैंने एक बार और इस बात को दोहरा दिया...

प्लेनचेट दोबारा हिला... और...

और.... वो सरकने लगा..

उस प्लेनचेट के साथ पापा और मेरी उंगलियां भी सरकार रही थी..

और प्लेनचेट YES शब्द के ऊपर आकर रुक गया.

::::::::::::::::::::::::


मैंने आँख खोली तो पाया प्लेनचेट के बीच वाले hole मे से YES शब्द साफ नज़र आ रहा था..

मैं डर और ख़ुशी दोनों अहसास को एक साथ महसूस कर रही थी...

मैंने पापा को देखा तो उन्होंने भी आँखें खोल यही देखा और वो भी शायद डर से गये थे..

उनका चेहरा डर के मारे सफ़ेद सा हो रहा था.. उन्होंने मेरी तरफ देखा...

और मैंने आँखें बंद करके सूरज को ध्यान कर फिर पुछा..

सूरज तुम आप गये.. अब please मुझे बताओ.. कि तुम कैसे हो?

ये सवाल शायद नहीं करना चाहिए था मुझे.. मैंने औचारिकता के चलते पुछा था और प्लेनचेट हिला और रुका मैंने आँख खोली तो पापा आँख खोल उस प्लेनचेट को देख रहे थे.. थोड़ा डरे से थे वो अभी भी

प्लेनचेट आई (I ) शब्द के ऊपर रुका हुआ था..

मैं समझ गई सूरज I मतलब "मैं" कहना चाह रहा हैँ..

हाँ सूरज बताओ मैं क्या?

पूछते हुए मैंने आँख बंद कर ली थी.

तभी प्लेनचेट हिलता हुआ महसूस हुआ मैंने आँख नहीं खोली..

ज़ब वो रुक गया तब आँख खोली तो पापा कभी प्लेनचेट को घूर रहे थे और कभी मुझे... डरे हुए से थे वो बहुत..

मैं जानती थी वो इन सबपर विश्वास नहीं करतें थे और ज़ब ये सच होता देख रहे थे तो उनका बुरा हाल था..

फिर मैंने प्लेनचेट को देखा...

इस बार वो M शब्द के ऊपर था...

यानि I M (I am) इतना तो मे समझ गई थी...

मैं सुनना चाहती थी.. आगे वो क्या बोलना चाह रहा हैँ fine या not fine

मेरी आँखों को कोरे मे तीर्व जलन और दर्द का अहसास हुआ कियुँकि आँखों के कोरों से जाने कब से रुके आँसू बाहर आने की जिद पलकों के नीचे पीछे भरने लगे थे... आँखें डबड़बा गई..

पापा धुंधले दिखाई पड़ने लगे थे..

मेरी आँखें खुद बंद होती चली गई.. शायद आँखों से पिछले कई दिन से आँसू नहीं उभरे थे इसीलिए..

तभी प्लेनचेट हिला और रुका मैंने आँख खोली तो आँखों में आँसू भरे होने के कारण कुछ दिखाई ना दिया..

दूसरे हाथ से मैंने अपने आँसू पोंछ डाले और ओइजा बोर्ड की तरफ देखा तो प्लेनचेट फिर से आई ( I ) शब्द के ऊपर रुका हुआ था...

मैं समझ नहीं पाई सूरज क्या कहना चाहता हैँ

मैंने पापा की तरफ देखा तो उनकी आँखों मे भी आँसू भरे हुए थे और वो दूसरे हाथ से अपनी आँखें पोंछ रहे था..

शायद मुझे रोता देख उनका ये हाल हो रह था...

तभी प्लेनचेट एक दम से हिला..जैसे उसे झटके से सरकाया गया हो.

मैंने नीचे देखा ओइजा बोर्ड की तरफ तो इस बार प्लेनचेट N के ऊपर था..

मतलब सूरज ने बोला.. (I am in )

सूरज कहीं हैँ... इसका मतलब..

कहाँ?

वो क्या कहना चाहता हैँ?

Hell, Paradise, heaven, room, home क्या होगा उसका अगला शब्द...

और तभी प्लेनचेट हिला....

और P पर रुक गया...

ये क्या इससे पहले मैं समझ पाती प्लेनचेट फिर हिला और A पर रुका, बिना कुछ समझने का मौका दिया प्लेनचेट अचानक सरका और फिर P शब्द पर रुका और फिर A पर जाकर रुक गया..

मैंने शब्द जोड़े

(I am in P A P A )

उफ्फ्फफ्फ्फ़ मेरे मुँह से बस इतना ही निकला पाया कि पापा एकदम जमीन पर गिर पड़ें..

मैं डर गई...

ये क्या हुआ... पापा मे जोर से चिल्लाई


IMG-20240501-213453
ओइजा बोर्ड को इस्तेमाल करतें वक़्त अपनी उंगलियाँ प्लेनचेट से नहीं हटानी चाहिए, यही नियम हैँ

मगर इस वक़्त पापा जरुरी थे..

पापा मे तेजी से उठी और पापा को पलट कर देखना चाहा..

पापा को कुछ ना हो जाये.. इसी डर के मारे मेरा बुरा हाल था..

पापा क्या हुआ...?

मैंने चीखते हुए बोला..

मैंने पूरा जोर लगाकर पापा को पलट दिया......

मैं बुरी तरह चौंक गई
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ

मैंने देखा कि....... कि.........
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बाकि स्टोरी अगले update में पेश करूंगी दोस्तों,
वादा हैं मेरा पूरी कोशिश की है कि , यें वाला update बहुत कामुक दूँ ,
इस आशा के साथ कि आपको पसंद आएगा
अगर जल्दी हो update chahiye तो बताइये,
मैं कोशिश करके आज रात में भी दे सकती हूँ,
wo भी लिख चुकी हूँ, बस check करना बाकि है spelling वगैरह.

थोड़ा जागना पड़ेगा और थोड़ा सा check करना होगा, अगर आज ही चाहिए तो साफ बता देना आप 🙏

बस आप सबका प्यार यूँ ही बना रहे

(आपकी: अनीता 🙏🙏🙏🙏🙏)
Very Nice turn and you are leaving readers on tenterhooks
 

komaalrani

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UPDATE-5

तो पाया पापा मुस्कुरा रहे हैँ..

मैं उनकी तरफ देख रही थी.. कुछ समझ नहीं आप रहा था...

और.. झुरझुरी सी साफ महसूस किया मैंने ज़ब मेरे जहन को तेज झटका लगा..

पापा के मुँह से निकला...

मेरी जान.. कैसी हो तुम?

उफ़ सूरज... पापा के अंदर...

मैं डर गई...

सूरज... सूरज .... पापा से निकलो तुम.. पापा को तकलीफ मत दो..

प्लेनचेट से ही बात करो..

मैंने डरते हुए चीखते हुए कहा..

मगर वो बस मुस्कुरा रहा था...

मेरी जान कितनी दिनों बाद तुम्हे देख रहा हूँ.

इतना बोलते हुए पापा उठ खड़े हुए..

और मेरे बालों को सहलाने लगे..

मैं कुछ समझ पाती या बोल पाती

.. अह्ह्ह्ह मेरे मुँह से हल्की चीख निकल पड़ी..

पापा ने पूरी ताकत से मेरे बाल पकड़े और मुझे खींच कर खड़ा कर दिया..

बाल खींचने के कारण दर्द की लहर मेरे सिर से पूरे जिस्म तक दौड़ती चली गई...

और मैं खींच कर खड़ी कर दीं गई...

पापा.. Stop..

मैंने अपने पापा को stop कहा.. क्यूंकि पापा जरूर ये सब महसूस या देख पर रहे होंगे..

वो रोक सकते हैँ खुद को... सुरज को भी बाहर निकल सकते हैँ अगर वो अनपे willpower को इस्तमाल करें..

ऐसा सोचना था मेरा जो शायद गलत था...

दूसरे हाथ से पापा ने मेरे दोनों गालों को पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए....

उफ़... No...

सन सी हो गई थी मैं..

नहीं.... ये नहीं सूरज ये नहीं...

मगर बोल ना सकी.. पकड़ इतनी मज़बूत थी कि मैं छूट ना सकी.

एक हाथ से मैंने अपने बाल छुड़ाने कि भरपूर कोशिश की.. और दूसरे हाथ से पापा को पीछे धकेलने की पुरजोर कोशिश... मगर कोई कामयाबी नहीं मिली..

पापा ने मुँह खोला और मेरे होठों को चाटना शुरू कर दिया था...

उफ्फ्फ माँ...

उनकी जुबान मेरे होठों पर उपर नीचे दाएँ बाएँ घूम रही थी...

जैसे सूरज पागल हो गया हो...

तभी मेरी डायरी.. हाँ मैं अक्सर अपनी दिल की हर वो लिखती थी उसमे जो किसी से कह नहीं पाती थी..

वो डायरी, मेरे छटपटाने के कारण जब मेरा पैर तकिये से टकराया तो जमीन पर गिर गई..

जहाँ लिखते वक़्त पेन लगा बीच मे छोड़ दिया गया था वो पन्ना खुल गया जिसमे लिखा था....

I love you suraj...

पापा ने उस तरफ देखा....

और उनके अंदर उस समय समाये suraj ने पढ़ा ये..

फिर धीरे से मेरे कान के पास अपने होंठ लाकर पापा के मुँह से आवाज़ निकली..

I Love You Jaan...

आज तेरी सारी कसर पुरी कर दूंगा..

जो जिन्दा रहते नहीं कर पाया था..

दिल मे छेद था मेरे...तो रगड नहीं पाया तुझे मैं, उस तरह जिस तरह तेरी जैसी खूबसूरत लड़की रगड़ी जानी चाहिए थी..



वो हसरत आज पूरी होंगी मेरी.. जान..

मैं ये सोच डर गई...

पागल हो क्या तुम...

तुम पापा के अंदर हो suraj..

निकलो बाहर उनमे से..

तुम्हे जरा भी शर्म नहीं.. ये सब पापा के अंदर जाकर सोच भी कैसे सकते हो..

अगर उन्हें कुछ हो गया.. तो कभी माफ़ नहीं करूंगी मैं तुम्हे..

मैं गिड़गिड़ाते हुए suraj से बोली..

सुन जान आज तो तू बजेगी... अब ये तेरे ऊपर हैँ.. अपने बाप को महसूस कर या मुझे..

फिर शायद ईश्वर भी मौका नहीं देगा वापस आने का मुझे इसीलिए ख़ुशी से या घिन के साथ.. करना तो होगा तुझे वो सब जो मैं चाहूँ....

मैंने ये सुन उसको जोर से चीख कर रोकना चाहा मगर देर हो चुकी थी...

पापा का हाथ बढ़ा और मेरे कंधे के ऊपर से मेरा Rob night gown पकड़ा...

ऐसा झटका लगा मेरे जिस्म को कि मैं गिर गई बेड के ऊपर और वो gown पापा के हाथो द्वारा खींच के उतार दिया गया..

गिरने के कारण मेरा short nighty जो घुटनो के थोड़ा उयर तक थी वो अब पैंटी के उपर तक आ चुकी थी..

Stop... मैं बस इतना ही बोल पाई..

कि पापा के हाथों ने उस short nighty को पकड़ कर खींचना शुरू किया

पूरा शरीर झूल गया हो जैसे और साफ आवाज़ सुनी मैंने कंधो से nighty के फटने की...

अह्ह्ह करहते हुए मैंने उठना चाहा कि तभी दूसरा झटका लगा.. Nighty का दूसरा हिस्सा पापा के हाथों मे था...

मैं अब ब्रा और पैंटी मे पापा के सामने बेड पर बैठी हुई थी..

मैंने दोनों हाथों से पापा को रोकना चाहा..

Suraj प्लीज स्टॉप..

इसलिए नहीं बुलाया था मैंने तुम्हे..

करना हैँ तो बाहर आओ पापा के अंदर से और जो चाहें कर लो suraj.

समझो पापा हैँ ये मेरे...

पापा ने झुक कर मेरे कंधो पर दोनों हाथ रखे..

जान बहुत प्यासा हूँ..

शादी के बाद कोई सुख नहीं दे पाया तुम्हे.. दिल मे छेद होने के कारण तुम्हे शरीरिक सुख भी ना दे सका.. जो देना चाहता था मैं..

बस जो भी हमारे बीच हुआ.. वो सम्भोग मात्र था..

मगर आज मेरे पास मौका हैँ..

तुम्हे फिर पाने का.. आँख बंद करो और जो कर रहा हूँ करने दो..

अगर प्यार करती हो तो एक शब्द भी मत बोलना.. वरना मैं चला जाऊंगा फिर नहीं आ पाउँगा...

इतना सुनने के बाद मेरे आँखों से आँसू बह निकले..

Suraj पागल हो गया था..

रिश्तो का मान सम्मान जैसे सब मरने के बाद वहीं छोड़ आया हो..

तभी मैंने देखा पापा ने अपना कुर्ता खींच कर उतारा और पजामे का नाड़ा खोलने लगे..

वो अब भी मुझे देख मुस्कुरा रहे थे..

उफ्फ्फ्फ़ मैंने आँख बंद कर ली.. कियुँकि पाजामे के अंदर से उनके लिंग का उभार साफ दिख रहा था..

पजामा उतरने कि आवाज़ साफ मुझे सुनाई दे रही थी..

और मेरे मन मे ग्लानि और suraj को बुलाने के फैसले पर पचताप का भाव जैसे मुझे आँख खोलने कि इज़ाज़त नहीं दे रहा हो...

तभी पापा के मेरे और पास आने की आवाज़ साफ सुनाई दीं...

उफ्फ्फ्फ़ कुछ गरम और सख्त चीज मेरे होठों से टकराई

मैं समझ गई थी.. कि ये क्या हैँ..

उसकी गंध (Smell) से मैं समझ चुकी थी.. और उसका स्पर्श नया नहीं था मेरे होठों के लिऐ..

मेरे सिर को अपने हाथों मे पापा ने जकड़ा.. और लिंग को आगे धकेला...

उफ़ लिंग मेरे होठों को जबरजस्ती खोलता हुआ दांतो से टकराया.. मैंने पूरी जान लगा दीं कि दाँत ना खुले..


तो लिंग दांतो पर से फिसलता हुआ मेरे होठों को साइड से एक तरफ करता हुआ गाल मे समाने की कोशिश करने लगा..

दिल दहल गया. मेरा..

अब उसकी मोटाई का साफ अंदाजा लगा था मुझे...

Suraj का लिंग निर्मल साइज का था मगर पापा का......

घबराकर नैने आँख खोली .. उफ्फ्फ्फ़ सामने पापा का लिंग और उसके ऊपर हल्के बाल मेरे सामने थे...

लिंग की लम्बाई मोटाई उफ्फ्फ्फ़

लगभग 9इंच और बहुत मोटा.

उधर देखा तो पापा मुस्कुरा रहे थे..

मुझे बोलना चाहिए की suraj मुस्कुरा रहा था.. मगर सामने पापा का शरीर हैँ मेरे..

मैं पापा शब्द से दूर कैसे जाऊं..

तभी पापा की एक हाथ का अंगूठा और उँगलियों ने मेरी नाक को बंद कर साँस लेने का रास्ता बंद कर दिया...

साँस लेने के लिऐ जैसे ही मैंने मुँह खोला....

उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ पापा का लिंग.... मेरे मुँह मे समाता चला गया...

मुँह से बस गू गु गू ग घ घ गुह जैसी आवाज़ ही निकाल पाई मैं

उनके दोनों हाथ मेरे सिर पर टिक गये.

और वो अपने लिंग को अंदर बाहर धकेलने लगे..

इतना लम्बा लण्ड मेरे मुँह मे नहीं समा सकता था...

चूस इसे जान..... मैंने पापा के मुँह से आवाज़ सुनी..

उधर देखने की कोशिश की तो पापा अभी भी मुस्कुरा रहे थे..

चूस इसको... देख हैँ ना मोटा लम्बा...

चूस...

ये बोलते हुए पापा का जिस्म एक झटके के साथ आगे बढ़ा और उनका लिंग मेरे गले के अंदर तक उतर गया..

गगगगहह गुउह्ह्ह आआउउककक अक आक गू जैसी आवाज़ मेरे मुँह से निकल रही थी अब... और पापा मे बसे suraj ने लगभग पूरी ताकत से लण्ड की लगातार ठोंकर मेरे मुँह के अंदर मारना शुरू कर दीं थी..

मैं समझ सकती थी.. इतने दिनों बाद मिले मौके को वो जाने नहीं देना चाहता ..

मगर मुझे मार डालेगा क्या ये आज...

मैंने पूरी कोशिश की कि पापा को पीछे धकेल सकूँ..

मगर उनकी ताकत के आगे मैं बौनी साबित हुयी..

साँस लेना मुश्किल हो गया..

गू गू gag गू...

Papa के दोनों घुटने मुड़ चुके थे और लगातार मेरे मुँह मे अपना भयानक हथियार ठोके जा रहे थे..

मैं छटपटा रही थी साँस लेना मुश्किल हो गया...

तभी पूरी जान लगा कर पापा के जिस्म ने मुझे धकेला और यूँ ही बेड पर गिरा दिया..

पापा ने position बदली.. और अब वो मेरे बूब्स के ऊपर बैठे हुए थे.. मेरा सिर खींच कर उपर उठा रखा था उन्होंने और अपना नितम्ब (Ass) मेरे बूब्स के ऊपर घुमाते हुए अपना लिंग मेरे मुँह मे ठोकने लगे..

इस वक़्त मेरे अंदर ना ग्लानि थी और ना कोई ख़ुशी...

बस साँस लेने कि पुरजोर कोशिश थी..

लिंग का अहसास कई महीनों बाद मिला था मुझे...

वो भी शायद ये कहना गलत ना होगा कि... कुछ ज्यादा ही मिल रहा था... Suraj जिन्दा रहते कभी इतना उत्साहित या सम्भोग क्रिया मे ज़ालिम नहीं हुआ था जो आज हो रहा था...

अब पापा पर ध्यान कम जा रहा हैँ मेरा कियुकी ये जिसका भी लिंग हैँ.. पापा बोलू या suraj बोलू..

ये लिंग मेरी साँस घोंट रहा हैँ...

मुँह से लार और थूक का गुब्बार लगातार निकलता हुआ मेरी थोड़ी से होता हुआ गर्दन पर बहने लगा था.. मेरा शरीर लण्ड के झटके से बुरी तरह हिल रहा था.. पूरी कोशिश के बाद भी मैं अपना चेहरा घुमा ना सकी

अचानक पापा का जिस्म रुक गया.. उनकी हाँफ़्ती साँस कि आवाज़ पुरे कमरे मे गूंज रही थी...

उन्होंने अपना लिंग मेरी जुबान के उपर रखा हुया था इस वक़्त...

उसकी महक मेरे अंदर सामने लगी.

थोड़ा और बाहर खींचा उन्होंने अपना लण्ड ... तो वो जुबान के सिरे तक आ गया.. मुझे साँस कि लहर महसूस हुयी...
उफ्फ्फ लम्बी लम्बी साँस लेने के साथ ना जाने कब मेरी जुबान का कोना उनके लिंग के शुरूआती उभार से टकरा गया और मुझे नहीं मालुम कि कब मेरी जुबान ने पापा के लण्ड को टटोलना शुरू कर दिया था... शायद उत्सुकता थी वो मेरी जो सिर्फ उत्सुकता मे उनकी मोटाई देखना चाहती थी..

उफ़ कितना सख्त, गरम और चिकना अहसास था... मेरी जुबान धीरे धीरे उनके लण्ड के गोल भाग पर घूम रही थी..

और कस कर और आँख बंद कर ली मैंने..... ज़ब मेरी जुबान उनके छेद के उप र टकराई.उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ

जुबान ने खुद थोड़ा दवाब बढ़ाया तो जाना कि पापा के लण्ड का छेद suraj के लण्ड के छेद से काफ़ी बढ़ा हैँ...

और हो भीं क्यों ना, उनका लण्ड ही जो इतना विशाल हैँ...

पता नहीं कब मैंने उनके उस लिंग के छेद को अपनी जुबान से कुरेदना शुरू कर दिया था.. कोई सोच नहीं थी मेरे अंदर अब... बस एक अहसास और एक उत्तेजना आने लगी थी इस लिंग को जानने की...

जुबान ने फिर से पूरे लण्ड की गोलाई का जायजा किया.. घूम कर उसके ऊपर...

और फिर छेद को एक बार फिर बड़ा कर महसूस किया..

पापा का जिस्म थोड़ा सा पीछे हुआ.. शायद मेरी हरकत से उनको गुदगुदी हुयी होंगी...

तो पता नहीं क्यों और कब मेरा सिर उस विशाल लण्ड को छूने की कोशिश मे अपने आप आगे हो गया और उससे मेरे होंठ टकरा गये.

फिर ज़ब लिंग थोड़ा आगे हुआ तो अपने आप मेरा मुँह खुल गया... और उसको अपने होठों के बीच भर लिया.......

अह्ह्ह्ह सिस्कारी सी निकली पापा के मुँह से...

Yes...... चूस इसे.... घुमा अपनी जुबान...

आह्हः

पापा के मुँह से निकले suraj के इन शब्दों ने जैसे जादु कर दिया हो...

और मैंने सिर आगे पीछे करके पापा के लण्ड को चूसना शुरू कर दिया...

दिमाग जैसे बंद हो... सारी सोच जैसे इस पल मे कैद हो गई हो.

बस एक अहसास बाकि था....

वो गरम, सख्त और मोटा सा....

पापा के हाथ मेरे सिर के बालों को सहलाने लगे और उनका लण्ड अब बड़े हल्के हल्के मेरे मुँह मे अंदर बाहर होने लगा था..

उफ्फ्फ्फ़ वो अहसास...

मैं कब पागलो की तरह उस लण्ड को चूसने लगी मुझे खुद पता नहीं चला..... मेरे हाथ उस लिंग पर जम गये और मुँह अपना काम करने लगा..

या yes yes you bitch...

Yes come on अनीता you slut whore... Suck it...

Ahhhh

कुछ ये शब्द और आवाज़ पापा के होठों से लगातार निकल रही थी...

Suraj को ये अहसास मिल रहा हैँ?

पता नहीं... और किसके पास अब ये सोचने का समय था...

मुझे अब सिर्फ लण्ड चाहिए.. उसका गरम अहसास चाहिए...

मैं जंगलीपन पर कब उतर आई... मुझे नहीं मालूम..
.

(आज रात ही new update दूंगी, प्रॉमिस है मेरा )
आपकी अनीता
Very Nice turn totally unexpected but raw and wild sex
 

ZoomZamZamy

New Member
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IMG-20240507-041121
Update मे लेट हुई हूँ, इसीलिए सज़ा के तौर पर मैं अपने बूब्स आप सबको open कर रही हूँ
🙏
देरी के लिए माफ़ करें, आगे से ऐसा नहीं होगा.
यें real मे मेरे ही boob की pic है
आगे से update समय पर दे दिया करूंगी
.
आज रात update दूंगी 🙏🙏🙏
अगर कभी लेट हो गई तो आप जैसी pic punish के तौर पर डिमांड करोगे, मैं dungi🙏
अब full बूब्स भी देख लो आप सब
अब तो माफ़ कर दो प्लीज


IMG-20240507-041355

अब लेट नहीं किया करूंगी


आपकी सबकी अनीता
इतना प्यार करोगी अनिता जी, तो हम मर ही जायेंगे ❤️
 

komaalrani

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UPDATE-7
चुदते हुए ना जाने क्या क्या बोल रही थी मैं, और बोलते बोलते मैंने पापा की आँखों मे देखा
उफ़
उफ़
उनकी आँखों मे जैसे हवस नंगा नाच कर रही हो,

अजीब सी वहशत जैसे उनकी आँखों मे अटठाहास कर रही थी, वो मुझे चोदते हुए घूर रहे थे,
अजीब से
मैं उनके हर धक्के मे उछल जाती, और मुँह से दर्द के साथ वासना की सित्कार मेरे खुले मुँह से निकल जाती.
वो अचानक रुक गये, आँखें अजीब सी बढ़ी हो गई उनकी
जैसे कोई दरिंदा बस रहा हो उनके अंदर,
मेरे गले को अपने पंजे मे दबा मुझे बिस्तर पर दबा दिया और दूसरे हाथ उन्होंने मेरे सीने के बायें boob को पकड़ लिया,
मेरे चेहरे को लगातार घूरते हुए
फूफकारती भारी आवाज़ मे वो बोले

साली रांड... हरामजादी..
तू तो बहुत टाइट है
लण्ड की भूखी चुदक्कड़, दो कौड़ी की सडक छाप कुतिया है तू..
कौन है तू रांड बोल...

मैं उनकी घूरती आँखों से डर सी गई थी उस पल..
उफ्फफ्फ्फ़
फिर भी मेरे मुँह से अपने आप निकल पड़ा

मैं... मैं.. आपकी कुतिया हूँ..

और अगले ही पल मैं चीख उठी..

आईई इई अअअ अअअअअआ ऐईएइए

मेरे दाँत भींच गये थे, कियुँकि मेरी बात पर उन्होंने पूरी तरह मेरा boob दबा कर, उछल कर बुरी तरह ठोकर जो मारी थी
मैं उस ठोकर से बुरी तरह हिल गई और मेरा सिर तूफ़ानी ताकत से बेड के सिरहाने से टकराया,
लगभग एक फुट सरक गई थी मैं उस ठोकर से, ऊपर की तरफ..
उफ्फ्फ जैसे दर्द की टीस ने मुझे चीखने पर मजबूर कर दिया
लण्ड की ठोकर के साथ सिर पर चोट लगने का दर्द, दोनों एक साथ..
उफ्फ्फ माँ मैं रो पड़ी....

प्लीज no no.... प्लीज प्लीज पापा धीरे.. प्लीज

मेरा इतना ही कहना था कि वो जोर से चिल्लाये
मादरजात कुतिया है तू..
बोल चुदेगी रोज?
हाँ बोल.. टाइट चूत की बदजात नंगी हरामजादी...
बोल.....

और दर्द मे भी मैं जोर से चिल्लाई..

हॉ हॉ हाँ...
चुदूँगी.. अह्ह्ह हाँ हाँ पापा..

और बदले मैं उन्होंने मेरा boob छोड़ दिया और उसी हाथ से एक जोर का थप्पड़ मेरे चेहरे पर जड़ दिया..
और साथ ही उन्होंने एक और लण्ड की ठोकर बुरी तरह पूरी ताकत से ठोक दी


माँ ऊऊऊऊओ (दर्द के कारण मेरा मुँह पूरी तरह गोल O शेप मे खुल गया
यें सब इतनी जल्दी किया था उन्होंने कि मैं समझ ना पाई
और कुछ समझ पति कि वो जोर से चिल्लाये
बोल तू मेरी रांड है

मैं ना जाने क्यूँ चिल्ला पड़ी, इतनी जोर से कि पडोसी भी सुन सकते थे

हाँ रांड हूँ रांड हूँ
मैं आपकी रांड हूँ

बदले के मिली मुझे.. एक और जबरजस्त ठोकर
उफ्फ्फ आँखें पूरी गोल हो गई, मुँह फिर पूरा खुल गया..

बोल लण्ड की रानी.. तू पापा की भी रंडी है.. बोल बोल बोल



मैं तड़फते हुए चीख पड़ी
पापा... पापा... मैं रंडी हूँ आपकी
उफ्फ्फ
एक और ठोकर...

और बदले मे मैं चीख कर बोली

पापा आपकी रंडी हूँ.. उफ्फ्फ
चोदो अह्ह्ह



आगे का update आज ही दूंगी 11pm पर.

प्लीज जरूर पढ़ना
थोड़ी बिजी थी, अब free हूँ, updates लगातार आपको मिलेंगे
promise 🙏
यें छोटा update है, sorry.
रात मे बड़ा update होगा

आपकी अनीता 🙏
My suggestion even if you give updates after a gap of few days, two or three days but write one complete scene and then post
 

komaalrani

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UPDATE-10

मैं पापा के चेहरे की तरफ देखती रही,
मगर मुझे जानना था की बात क्या है, रिज़वान का क्या चककर है?

प्लीज पापा बता दो
प्लीज

मेरी बात पर पापा मुझे देखते रहे और बहुत थोड़े शब्दों मे अपनी बात कहते गये

रिज़वान एक बिल्डर है, सूरज के भाई की मौत उसके एक्सीडेंट के कारण ही हुई थी,
वो सूरज को बोल चूका था कि CASE से हट जाये, मगर सूरज नहीं माना..

फिर रिज़वान मुझे प
रेशान करने लगा,
और इस बात पर आखिरी दिन जब सूरज आया था यहाँ, उसकी तबियत ठीक नहीं थी, तब रिज़वान यहीं था,
सूरज से उसकी हाथपाई भी हुई थी, और शायद ये कारण सूरज कि तबियत जायदा बिगड़ गई थी, और उसकी घर जाकर मौत हो गई.

मैंने बेटा यें बात तुम्हे नही बताई कि तुम जायदा परेशान हो जाओगी,
मगर अब जब पूछ रही हो तो बतानी पड़ी..

यें सब सुन कर मेरे अंदर जलन, आंसुओ और गुस्से का जैसे तूफ़ान उठ खड़ा हुआ..
मैं चुपचाप उठ कर वहां से छत कि तरफ चली गई.

मेरे अंदर एक आग सी जलने लगी, कि रिज़वान ने मेरे पति को मारा था, पीटा था,
मेरे सूरज को पीटा था
इतना कि सूरज घर आकर चल बसा..

अब मैं रिज़वान से मिलना चाहती थी, और उसके किये की सज़ा उसको देना चाहती थी.
मगर मैं कर क्या सकती थी
मैं बहुत शांत सी लड़की हूँ...
यें सब मेरे बस का नहीं..

मगर फिर भी रिज़वान को जाने नहीं दिया जा सकता.

मेरे अंदर आवाज़ आई, अनीता पहले रिज़वान से मिल, फिर मौका देख कर बदला लें.

बस फिर क्या था.. मैंने फैसला कर लिया कि रिज़वान् से कल ही मिलूंगी..
बिना उसको बताएंगे कि मैं कौन हूँ...




मुझे अब सोना होगा 🙏
कल update पूरा करूंगी
pls कल लिखूँगी और

आपकी अनीता
Story is full of suspense and thrill too
 

komaalrani

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मैं तीन चार दिन update नहीं दे सकती 🙏
Village से वापस आने मे टाइम लगेगा
Plsss🙏
will wait, take your time
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