शुभम शीतल और निर्मला तीनों घर के अंदर कुर्सी पर बैठकर बातें कर रहे थे अंधेरा छाने लगा था,,, वातावरण में ठंडी का प्रमाण बढ़ता जा रहा था,,,, निर्मला और शीतल आपस में बातें कर रहे थे और शुभम की नजरें नौकरानी को ढूंढ रही थी जो कि अभी भी किचन में थी,,,। शुभम अभी नौकरानी के बारे में सोच ही रहा था कि नौकरानी किचन से बाहर आकर बोली,,।
मेम साहब मैंने खाना बना कर तैयार करती हूं अब मैं घर जा रही हूं,,,।
ठीक है जाओ,,,( निर्मला से बातें करते हुए नौकरानी की तरफ देख कर शीतल बोली,,, और शीतल से इजाजत लेकर वह घर से बाहर जाते समय निकले और शुभम के ऊपर डाली तो शुभम भी उसे देख रहा था दोनों की नजरें आपस में टकराई और नौकरानी के होठों पर मुस्कुराहट आ गई यह देखकर शुभम भी मुस्कुरा दिया,, नौकरानी दरवाजा खोल कर घर से बाहर जाने लगी और शुभम से रहा नहीं जा रहा था वह भी कुर्सी पर से उठ गया और दरवाजे की तरफ जाने लगा तो निर्मला बोली,,,)
तुम कहां जा रहे हो शुभम,,,।
कहीं नहीं मम्मी बस ऐसे ही बाहर का नजारा देखने जा रहा हूं,,,
बाहर ठंड ज्यादा है,,,।
तो क्या हुआ गरम कपड़ा तो पहना हूं ना बस 10 15 मिनट में आ जाऊंगा,,,,
ठीक है लेकिन ज्यादा दूर तक मत जाना,,,( निर्मला बोलती इससे पहले ही शीतल उसे चाहने की छूट दे दी,,, यह शीतल के तरफ से यह जताने की कोशिश थी कि शुभम पर भी उसका हक है,,, शीतल की बात सुनकर निर्मला कुछ नहीं बोली और शुभम घर से बाहर चला गया,,,। घर से बाहर निकलते ही वह गेट खोल कर सड़क की तरफ देखा तो नौकरानी कुछ दूरी पर नजर आई जो कि अपने घर की तरफ जा रही थी शुभम लगभग दौड़ता हुआ उसके करीब गया तो वह शुभम को अपने पास आता हुआ देखकर मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए बोली,,,।)
मेरे पीछे पीछे क्या करने आए हो छोटे बाबू,,,।
कुछ नहीं बस तुमसे बातें करने का मन कर रहा था तो आ गया,,,,
मैं जितनो से भी मिली हूं तुम सबसे अलग हो,,,
ऐसा क्यों,,,,?( शुभम उसके कदमों के साथ कदम मिलाता हुआ सड़क पर चलते हुए बोला,,,।)
मैं ठहरी अनपढ़ गवार नौकरानी दूसरों के घर का काम करने वाली पर यहां पर सब देख रहे हो एक से बढ़कर एक अमीर लोग हैं जो कि मुझे इतना तो मुंह नहीं लगाते और ना ही मेरे पीछे-पीछे इस तरह से भागे चले आते हैं तुम्हारी बात कुछ और है तुम बहुत अच्छे लड़के हो,,,,
( शुभम तो नौकरानी के खूबसूरत चेहरे को देखता ही जा रहा था उसके खूबसूरत चेहरे को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि यह नौकरानी है,,,।)
तुम भी बहुत अच्छी हो तुमसे बातें करना मुझे अच्छा लगता है इसलिए मैं तुम्हारे पीछे पीछे भागा चला आया,,,।
लेकिन अब घर लौट जाओ कोई तुम्हें मेरे साथ देखेगा तो क्या सोचेगा,,,
कोई कुछ भी सोचे मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता मैं तो वही करता हूं जो मेरे दिल में आता है,,,।
( धीरे-धीरे सड़क पर चलते हुए शुभम और वह नौकरानी ऐसी जगह पहुंच गए जहां पर सड़कों के दोनों किनारे पर घने घने पेड़ लगे हुए थे जिसके छांव में पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था,,, और सारी सड़कें सुनसान थे बस दूर दूर स्ट्रीट लैंप जल रहा था और घने पेड़ होने की वजह से उसका उजाला नीचे सड़क पर नहीं पहुंच पा रहा था शुभम को यही मौका और यही जगह उचित लग रही थी,,,, शुभम की बात सुनकर नौकरानी बोली,,,,)
और तुम्हारे दिल में क्या आता है,,,।
( नौकरानी का भी दिल जोरों से धड़क रहा था दिन में जो हरकत शुभम ने उसके साथ किया था उसकी कसक अभी तक उसके बदन में कामुकता और उत्तेजना की सुईया चुभा रही रही थी एक नौजवान लड़के को इस तरह के एकांत में अपने साथ चलते हुए पाकर उसको भी कुछ-कुछ हो रहा था और नौकरानी के इस सवाल पर शुभम को जैसे एक मौका सा मिल गया और वह,,, नौकरानी का हाथ पकड़ कर तुरंत सड़क के किनारे घने पेड़ के पीछे ले गया,,,।)
अरे अरे छोटे बाबू यह क्या कर रहे हो कहां ले जा रहे हो मुझे,,,,( वह इतना कहती तब तक शुभम उसे एक बहुत ही घने मोटे पेड़ के पीछे ले गया जहां पर पूरी तरह से अंधेरा था,,, नौकरानी का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जिस तरह से हुआ उसका हाथ पकड़कर पेड़ के पीछे की तरफ लाया था उसे देखते हुए नौकरानी के मन में अजीब सी हलचल होने लगी थी उसे ऐसा लग रहा था कि जो काम उसने,,, कभी नहीं कि शायद आज वह अपने आप को रोक नहीं पाएंगी,,, शुभम नौकरानी को पेड़ के पीछे ले जाकर उसके खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हथेलियों में भरते हुए कुछ सेकेंड तक उसके चेहरे की तरफ देखते हूए बोला,,।)
तुम जाना चाहती हो कि मेरे दिल में क्या आ रहा है,,,,
( शुभम के होंठ नौकरानी के होठों के इतने करीब थे कि नौकरानी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उत्तेजना के मारे उसके पांव में कंपन हो रहा था और शुभम भी शायद उसकी तरफ से कुछ भी सुनना नहीं चाहता था और देखते ही देखते अपने हॉट को उसके दहकते होठ पर रखकर उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया,,,,, पल भर में ही नौकरानी भी उसका साथ देने लगी और शुभम अच्छी तरह से जानता था कि औरत की जिसमें से कैसे खेलना है वह उसके होठों को चूमता हुआ तुरंत अपनी हथेली को उसकी बड़ी बड़ी चूची ऊपर रखकर ब्लाउज के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया,,,, हालांकि वह गर्म कपड़े पहने हुए थी लेकिन उसके बटन नहीं लगाई थी जिससे उसके ब्लाउज तक पहुंचने में शुभम को कोई भी दिक्कत नहीं हुई,,,।
आहहहहह,,, छोटे बाबू यह क्या कर रहे हो कोई देख लेगा,,,( शुभम के द्वारा अपनी गोल-गोल बड़ी चूचियों को दबाए जाने की वजह से नौकरानी के मुंह से दर्द भरी कराह की आवाज निकल गई थी,,,।)
यहां कोई नहीं आएगा इतनी देर से तो देख रहा हूं पूरी सड़क सुनसान है,,,,( इतना कहते हुए शुभम एक हाथ से उसकी चूची को दबाते हुए दूसरे हाथ से अपने पेंट की चैन खोलने लगा और देखते ही देखते अपने खड़े लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू कर दिया अंधेरा होने की वजह से नौकरानी की नजर अब तक उसके लंड पर नहीं गई थी,,, इसलिए शुभम उसका हाथ पकड़ कर सीधे अपने लंड पर रख दिया जैसे ही नौकरानी की हथेली में,,, शुभम का मोटा तगड़ा लंड आया उसकी मोटाई और गर्माहट को अपनी हथेली में महसूस करके नौकरानी पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसकी मोटाई को अपनी हथेली में महसूस करते ही पूरी तरह से चौक गई और वह तुरंत अपना हाथ पीछे खींच ली,,,,। यह देखकर शुभम धीरे से उसके कान में बोला,,,।)
क्या हुआ शांति हाथ क्यों हटा ली अच्छा नहीं लगा क्या,,?
छोटे बाबू तुम्हारा बहुत मोटा है,,,।
तभी तो मजा आएगा शांति और तभी तुम्हारी उफान मारती जवानी का पानी तुम्हें तृप्त कर देगा,,,।
( नौकरानी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि वास्तव में उसने जिंदगी में पहली बार इतने मोटे तगड़े लंड को अपने हाथ में ली थी और उस लंड को अपने हाथ में लेते ही समझ गई थी कि उसकी बुर के छेद की अपेक्षा शुभम का लंड की चुदाई मोटा था जिसे लेने में उसे दिक्कत आ सकती थी,,, लेकिन फिर भी वह अपने आप को शुभम के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तैयार कर चुकी थी क्योंकि शुभम की कामुक हरकतों ने उसके तन बदन में आग लगा दी थी,,,। शुभम पागलों की तरह उसकी होठों को चूसते हुए उसकी चूची से खेल रहा था और इस बार नौकरानी खुद ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर शुभंकर लंड को अपनी हथेली में दबा ली,,,। जैसे ही नौकरानी ने शुभम के लंड को अपनी हथेली में ली उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,।)
ससहहहह ,,,, छोटे बाबू,,,,
( शुभम पूरी तरह से चुदवासा हो चुका था,,, उससे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था और वैसे भी काफी समय हो गया था उसे घर से बाहर निकले इसलिए वह आनन-फानन में शांति के दोनों कंधों को पकड़कर उसे पेड़ की तरफ घुमा दिया,,,, अब शांति की गांड शुभम की तरफ थी शांति भी अब अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी शुभम से चुदवाने के लिए,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं कोई देख ना ले क्योंकि यह सब कुछ आनन-फानन में हो रहा था,,, शुभम भी गहरी गहरी सांसे ले रहा था,,,। जिंदगी में पहली बार शुभम भी इस तरह से एकाएक किसी गैर औरत की चुदाई करने जा रहा था जो कि सब कुछ जल्दबाजी नहीं होता चला जा रहा था इसलिए शुभम भी काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था वह धीरे-धीरे शांति की साड़ी को ऊपर की तरफ करने लगा,,,,
शांति बिल्कुल भी ऐतराज नहीं चला रही थी पहली बार में ही वह किसी गैर जवान लड़के को अपना सब कुछ समर्पित करने जा रही थी और वह भी अपनी मर्जी से लेकिन इस मर्जी में शुभम की कामुक हरकतें शामिल थे जिसकी वजह से वह भी बस हो चुकी थी अपना तन उसे सौंपने के लिए उसका दिल जोरों से धड़क रहा था सांसो की गति तेज होती जा रही थी पूरे बदन में कसमसाहट भरी हुई थी और देखते ही देखते शुभम ने शांति की साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठा दिया,,,, शुभम की आंखों के सामने आसमानी रंग की चड्डी में लिपटी हुई नौकरानी की मदमस्त गोरी गोरी गांड नजर आने लगी यह देख कर शुभम की आंखों में कामुकता भर गई वह पूरी तरह से मदहोश हो गया और एक झटके में नौकरानी की चड्डी पकड़कर नीचे घुटनों तक कर दिया,,,, शुभम ने जैसे ही नौकरानी की चड्डी को घुटनों तक खींच कर कर दिया यह एहसास नौकरानी को पूरी तरह से मदहोशी के समंदर में डुबोने लगा उसकी बुरा अपने आप पानी फेंकने लगी,,,, क्योंकि नौकरानी के सामने शुभम की उम्र काफी कम थी और उसकी कामुक हरकतें संपूर्ण रुप से एक रंगीन किस्म के आदमी की तरह थी जिसकी वजह से नौकरानी शुभम की हरकतों से पूरी तरह से अपने आप को शुभम के सामने ध्वस्त होता हुआ महसूस कर रही थी,,, नौकरानी अपनी तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी जो कुछ भी कर रहा था शुभम कर रहा था,,,। नौकरानी की बड़ी-बड़ी तरबूज ऐसी गांड देखकर शुभम के मुंह में पानी आ गया और वह दो-चार चपत उसकी गांड पर लगा दिया,,,।
आहहहहहहह,,, क्या कर रहे हो छोटे बाबू,,,,?
कुछ नहीं मेरी रानी मेरी यह सबसे बड़ी कमजोरी है बड़ी बड़ी गांड पहली बार जब तुम्हें देखा तो तुमसे पहले मेरी नजर तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड पर पड़ी थी जिसे देखते ही मेरे मुंह में पानी आ गया था,,, तुम बहुत खूबसूरत हो मेरी जान (इतना कहते हुए शुभम दोनों हाथों में उसकी बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर जोर जोर से दबाने लगा,,, किसी ने पहली बार नौकरानी के लिए रानी शब्द का प्रयोग किया था इस संबोधन से नौकरानी पूरी तरह से गदगद हो गई शुभम की हरकतों और उसकी बात करने के अंदाज से वह पूरी तरह से उसकी कायल हो गई,,,। शुभम अब नौकरानी को चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया था इसलिए ढेर सारा थूक अपनी हथेली पर लेकर वह उस थुक को नौकरानी की बुर पर लगाना शुरू कर दिया ताकि चिकनाहट पाकर उसका मोटा लंड उसकी बुर में आराम से चला जाए,,, नौकरानी का पूरा बदन कसमसा रहा था क्योंकि उसे मालूम था कि अब शुभम क्या करने वाला है देखते ही देखते शुभम एक हाथ से उसकी बड़ी बड़ी गांड के फांक को फैलाते हुए अपने लंड के सुपारी को जैसे ही नौकरानी ने अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों पर महसूस की,,, उसका पूरा बदन एकदम से गनगना गया,,,,,, और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।
आहहहहहहह,,,,, छोटे बाबू,,,।
( शुभम भी नई बुर पाकर एक दम मस्त हो चुका था जल्द से जल्द वह अपने लंड को उसकी बुर में उतारकर चोदना चाहता था,,,, लेकिन नहीं पुर को इतनी आसानी से चोद पाना शायद उसके नसीब में नहीं था क्योंकि तभी सामने से सड़क से कार की हेडलाइट चमकने लगी जिसकी रोशनी सीधे पेड़ के ऊपर पड रही थी,,, और एकाएक गाड़ी की लाइट पड़ने से नौकरानी पूरी तरह से घबरा गई क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि कोई उसे इस हाल में देख ले वह तुरंत अपनी साड़ी पकड़ कर नीचे की तरफ करते हुए,,,, पेड़ की दूसरी तरफ से लगभग भागने लगी,,, घुटनों में फंसी हुई पेंटी भी ऊपर सरकाने का उसके पास समय नहीं था वह दूसरी तरफ से सड़क पर उतर जाना चाहती थी गाड़ी चली गई थी और शुभम उसे पीछे से आवाज देते हुए बोला,,,।
अरे गाड़ी चली गई है आ जाओ,,,।
( लेकिन शुभम की बात को अनसुना करके नौकरानी थोड़ी दूर जाकर वापस अपनी पेंटी को पहन ली और सड़क की दूसरी तरफ उतर कर अपने घर की तरफ चल दी शुभम अपना हाथ मलता रह गया अभी भी उसका लंड पेंट के बाहर झूल रहा था मानो अफसोस जता रहा हो,,,, शुभम को उस कार वाले पर बहुत गुस्सा आया वह मन ही मन उसे गाली देता हुआ वापस अपने लंड को पेंट में डालकर अपने घर की तरफ चल दिया,,,। घर पर पहुंचा तो,,, निर्मला उसे देख कर बोली,,,।)
कितनी देर लगा दिया कहां चला गया था तू,,,।
कुछ नहीं मम्मी बस ठंडक का मजा ले रहा था इतनी ठंडी में यहां सड़कों पर घूमना भी बहुत अच्छा लगता है,,,,।
( शुभम की बात सुनकर शीतल बोली)
तुम दोनों बातें करो तब तक में ऐसी चीज लेकर आती हूं जो तुम्हारे बदन में गर्मी भर देगा,,,
अरे ऐसी कौन सी चीज है,,,,( निर्मला आश्चर्य से बोली,,)
थोड़ा इंतजार तो करो,,,,( इतना कहकर शीतल किचन में चली गई,,, और थोड़ी देर बाद जब लौटी तो एक ट्रे में तीन गिलास और थैले में तीन बीयर की बोतल थी जिसे देखते ही शुभम के साथ-साथ निर्मला भी पूरी तरह से चौक गई,,,)
यह क्या है शीतल,,?( निर्मला आश्चर्य से बोली)
शिमला के ठंडे माहौल में गर्माहट देने का रामबाण इलाज,,,
यह शराब,,,,( शुभम भी-बीच में आश्चर्य से बोल पड़ा,,।)
शराब नहीं है मेरे राजा यह बीयर है यह एक तरह से हम तीनों के लिए दवा का काम करेगा क्योंकि जो काम हम तीनों करने वाले हैं उसके लिए हमें पूरी तरह से नशे में खो जाना है और वैसे इससे नशा नहीं होता बस शरीर में गर्माहट आ जाती है,,,,( शीतल टेबल पर बीयर की बोतल और ट्रे रख दी पर खुद कुर्सी पर बैठ गई,,,।)
फिर भी शीतल यह शराब है इसे मैं और मेरा बेटा नहीं पी सकते,,,
निर्मला रानी तो क्या मैं शराबी दिखती हूं लेकिन यहां शिमला के ठंड में यह पीना बेहद जरूरी है यहां सब लोग पीते हैं,,, से शरीर में गर्मी आ जाती है ठंड से बचने का यही एक उपाय है,,,
लेकिन तुम दोनों हो ना मेरे लिए ठंडी का जुगाड़,,,( शुभम चुटकी लेता हुआ बोला,,,। शुभम की यह बात सुनकर शीतल मुस्कुराते हुए बोली,,,।)
duplicate url finder
हम दोनों तो है ही राजा तेरे लिए लेकिन थोड़ा नशा होना भी जरूरी है,,,, क्या यार सीतल शिमला में आकर नाटक कर रही है कहां हमें हमेशा पीना है जब तक सिमला में तब तक इसका भी मजा ले लेते हैं,,,,। क्या बोलते हो शुभम,,,?
Shubham k lund se khelti Sheetal
remove duplicate keywords
हां तुम सच कह रही हो शिमला में आकर मुझे तो यह पीने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन मम्मी से पूछे बिना उनकी इजाजत के बिना मैं इसे हाथ नहीं लगा सकता,,,।
वाह रे मार्त भक्ति,,,, एक तरफ अपनी मां के कपड़े उतार कर उसके चोदने में बिल्कुल भी देर नहीं करते और बीयर पीने में अपनी मां की इजाजत मांग रहे हो,,,,, क्या यार निर्मला एक बार ट्राई तो करो मजा ना आए तो कल से मत पीना,,,,।
चल तू कहती है तो मैं भी आज इसे ट्राई कर लेती हूं लेकिन अगर नशा हो गया तो तुम दोनों संभाल लेना,,,
तू बिल्कुल भी चिंता मत कर मेरी छम्मक छल्लो कुछ नहीं होगा,,,, शुभम तो किचन में जाकर थोड़ी काजू के टुकड़े लेते आना तब और ज्यादा मजा आएगा,,,,।
( शीतल की बात सुनते ही शुभम किचन की तरफ चला गया शुभम को किचन में जाते ही निर्मला बोली,,,।)
Sheetal or Shubham
क्या यार शीतल यह सब करना जरूरी था,,,।
जरूरी था मेरी जान तू सोच अगर तेरा बेटा तेरे सामने मुझे चोदने में शर्म आने लगा या तू शर्माने लगी तो सारा मजा किरकिरा हो जाएगा,,, लेकिन बियर का सुरूर जब बदन पर चढ़ेगा तो सारी शर्मा है आप शरीर के बाहर जाती रहेगी तब देखना जुदाई ठुकाई में कितना मजा आता है,,,,
( शीतल निर्मला से यह कह रही थी कि शुभम किचन से काजू के टुकड़े लेकर बाहर आ गया,,,। तीनों टेबल के इर्द-गिर्द बैठ गई और शीतल खुद अपने हाथ से दोनों को एक एक बियर की बोतल खोल कर दे दी,,,, शुभम और निर्मला के लिए उन दोनों का पहला मौका था जब वह लोग जिंदगी में पहली बार शराब को हाथ लगा रहे थे,,,। शीतल भी कभी बियर को हाथ नहीं लगा दी थी लेकिन शिमला में आकर उसकी भी आदत पड़ गई थी क्योंकि कहीं जुगाड़ था उसके लिए ठंडी से रक्षण के लिए,,,, बीयर की बोतल निर्मला ने जैसे मुंह से लगाए एक घूंट मुंह में जाते हैी उसे बहुत कड़वा लगने लगा,,,,, वो तुरंत बीयर की बोतल अपने मुंह से हटा दी और बोली,,,।)
Sheestl ki jawani se khelta shubhsm
नहीं शीतल यह मुझसे बिल्कुल भी नहीं होगा,,,,।
अरे मेरी जान ऐसे नहीं थोड़ा काजू खा ले और धीरे-धीरे उसे भी बहुत मजा आएगा,,,,( इतना कहकर शीतल ट्रे में से काजू का टुकड़ा उठाकर निर्मला को थमाने लगी,,, शीतल के बताए अनुसार निर्मला थोड़ा काजू खा कर एक एक घूंट बीयर पीने लगी धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा और यही हाल है शुभम का भी हुआ उसे भी पहले तो इसका स्वाद बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा लेकिन धीरे-धीरे उसे भी मज़ा आने लगा देखते ही देखते तीनों ने अपनी बीयर की बोतल खत्म कर दी,,, निर्मला और शुभम दोनों को हल्का हल्का नशा सा होने लगा था क्योंकि रह रहे कर उन्हें सबकुछ घूमता हुआ महसूस हो रहा था लेकिन फिर भी सब कुछ कंट्रोल में था,,,,। शुभम अगर बियर ना भी पीता तो उसके बदन में वैसे भी शांति कीमत मस्त जवानी की गर्माहट अभी भी बरकरार थी वह नौकरानी की जवानी की गर्मी से ही शीतल और अपनी मां की बदन की गर्मी को पिघला देता,,, लेकिन शिमला आए थे तो शायद बियर भी जरूरी थी,,,, तीनों को मजा आ रहा था हल्का हल्का नशा तीनों को छाया हुआ था,,, शीतल पहले से नौकरानी को फोन करके बता दी थी कि डिनर में क्या बनाना है,,,, नौकरानी डिनर में फ्राई फिश बनाई थी,,,,
तीनों ने बड़े मजे से मछली का स्वाद लिया,,, शरीर में पूरी तरह से गर्माहट छा गई थी,,,,। डिनर टेबल पर ही शुभम अपनी मां और शीतल से बोला,,,।
मैं चाहता हूं कि जो कपड़े तुम दोनों ने मॉल में से खरीदे हो इस समय पहनकर मुझे दिखाओ मैं भी तो देखूं छोटे छोटे कपड़ों में तुम दोनों कितनी कयामत लगती हो,,,,
( शुभम की बात सुनते ही निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,,,।)
तेरी बात मान कर ही तो छोटे-छोटे कपड़े खरीदे हैं तुझे पहनकर जरूर दिखाएंगे,, मेरे राजा,,,,( निर्मला जिस तरह से मुस्कुराते हुए यह बात बोली थी शीतल समझ गई थी कि बीयर अपना काम कर रही है,,,। )
चल शीतल हम दोनों एक साथ अपने कपड़े बदल कर आते हैं,,,,( इतना कह कर शीतल और निर्मला दोनों एक कमरे में चले गए,,, शुभम ही बैठा रहा कुर्सी पर बैठकर अपने दोनों टांगों को एकदम सीधा फैलाते हुए उत्तेजना बस अपनी मां और शीतल के साथ-साथ उस नौकरानी के बारे में सोचता हुआ जो कि कुछ देर पहले ही उससे चुदते चुदते रह गई थी,,, दिनों के बारे में सोचता हुआ शुभम अपने पेंट के ऊपर से अपने लंड को मुट्ठी में भरकर सहलाने लगा,,,, वह कुर्सी पर से उठा और खिड़की के पास चला गया खिड़की का पर्दा हटा कर बाहर की तरफ देखा तो बाहर हल्की हल्की बर्फ गिर रही थी बेहद खूबसूरत नजारा था,,, यह नजारा देखकर उसका मन एकदम प्रसन्न हो गया,,,, उसे आने वाले पल का बेसब्री से इंतजार था वह अपनी मां और शीतल को दोनों को छोटे छोटे कपड़ों में देखना चाहता था,,, और नौकरानी की अधूरी चुदाई की सारी कसर अपनी मां और शीतल पर उतारना चाहता था,,,,,।
कमरे में जाकर शीतल और निर्मला एक दूसरे से हंस-हंसकर बातें करते हुए अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई और जो कपड़े मॉल में से खरीद के लाए थे दोनों ने अपने बदन पर डाल ली,,, कमरे से बाहर आने से पहले वह दोनों आदम कद आईने में अपनी अपनी छवि देख कर मुस्कुराने लगे क्योंकि वाकई में वह दोनों कयामत लग रही थी,,,। शिमला की ठंडी का अब उन पर बिल्कुल भी असर नहीं हो रहा था जवानी की गर्मी और बीयर का हल्का नशा उन दोनों के बदन में गर्मी का संचार भर रहा था,,, वह दोनों मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर आए और जैसे ही शुभम की नजर उन दोनों पर पड़ी उसके तो होश उड़ गए जवानी के जोश से वह पूरी तरह से भर गया अपनी मां और शीतल दोनों की गदराई जवानी को छोटे कपड़ों में देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,।