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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

ronny aaa

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Nice awesome update hai bhaii
 

cool_rock21

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Nice update bro...अगले अपडेट में थोड़ा लम्बा सेक्स सीन दो , दोनों को अलग अलग पोज़ में चुदाई कराओ रात भर



gth
 
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rohnny4545

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Nice update bro...अगले अपडेट में थोड़ा लम्बा सेक्स सीन दो , दोनों को अलग अलग पोज़ में चुदाई कराओ रात भर



gth
गजब
 

rohnny4545

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शीतल के उफान मारती जवानी और अपनी मां की मदमस्त दूधिया बदन को छोटे से ड्रेस में देख कर शुभम पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,, उसने तो सिर्फ कल्पना किया था कि छोटे कपड़े में उसकी मां और शीतल किस तरह के लगेंगे लेकिन आंखों के सामने जो दृश्य था वह कल्पना से भी परे था,,, कल्पना से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और उन्मादक,,,
अपनी मां और शीतल की मदमस्त जवानी देखकर शुभम कि आंखें चोंधिया गई थी,,,, छोटे-छोटे ड्रेस में अपनी मां की गोरी चिकनी मोटी मोटी जांघों को देखकर पलभर में ही शुभम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, शीतल कि उनमादकता,, छोटे कपड़ों में और ज्यादा बढ़ती जा रही थी बियर का सुरूर शीतल और निर्मला के साथ-साथ शुभम के तन बदन में भी बढ़ती जा रही थी,,,
शुभम की आंखों में दोनों की जवानी को पी जाने वाली खुमारी छाने लगी थी,,, दोनों दरवाजे पर खड़ी थी और शुभम खिड़की के करीब खड़ा था बाहर हल्की हल्की बर्फ गिर रही थी ऐसे में वातावरण में ठंड का बढ़ जाना लाजमी था लेकिन बियर का असर कहो या शीतल और निर्मला कि गदराई जवानी की गर्मी ,,,,, घर के अंदर का तापमान गर्म होता जा रहा था तभी तो शिमला की ठंडी में भी दोनों छोटे कपड़ों में बिल्कुल सहज नजर आ रहे थे,,,,
शीतल निर्मला एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुराए और शुभम की तरफ देखते हुए दोनों एक साथ बोली,.

हम दोनों कैसी लग रही है छोटे कपड़ों में,,,


कसम से तुम दोनों एकदम माल लग रहे हो मैं तो कभी सोचा भी नहीं था कि छोटे कपड़ों में तुम दोनों इतनी खूबसूरत और सेक्सी लगोगी,,,,


क्या तुम सच कह रहा है या हम दोनों का मन रखने के लिए बोल रहा है,,,( निर्मला शुभम से बोली।)


मेरी बात का अगर तुम दोनों को विश्वास नहीं है तो एक बार सड़क पर निकल जाओ इतनी बर्फ बारी में भी पूरा मोहल्ला तुम दोनों के पीछे पीछे आएगा,,,
( सुबह की बात सुनकर शीतल और निर्मला दोनों हंसने लगे,,,)

तो आज की रात हम दोनों की जवानी तेरे नाम,,,


मैं बेकरार हूं तुम दोनों की जवानी को अपने लंड से पीने के लिए,,,,( इतना कहते हुए शुभम उन दोनों के करीब आ गया और दोनों को अपने एक-एक हाथों में पकड़ कर कभी निर्मला के गालों को तो कभी शीतल के गालों को अपने होठों की गर्मी देने लगा,,,,, शुभम के चुंबन से दोनों का उन्माद बढ़ने लगा था देखते ही देखते हल्की-हल्की चुंबन जबरदस्त किस में बदलने लगी,,, शुभम अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने होंठों में भर कर उसे चूसना शुरू कर दिया,,,, शीतल की गर्म सांसे पलभर में ही कमरे को और ज्यादा गर्मी देने लगी,,, वह भी शुभम की गर्दन पर अपनी लाल-लाल होठों का निशान छोड़ते हुए उसे चूमने लगी और साथ ही अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर पेंट के ऊपर से ही उसकी खड़े लंड को जोर जोर से दबाने लगी,,,,,।
शुभम के बाएं हाथ में शीतल तो दाएं हाथ में निर्मला थी,,, शुभम को अपनी किस्मत पर गर्व हो रहा था शायद ही ऐसी किसी की किस्मत होगी जिसके दोनों हाथों में हाई क्लास की जबरदस्त खूबसूरत औरतें हो और किस्मत तो शुभम की कुछ ज्यादा ही जोर मार रही थी क्योंकि दोनों पेशे से टीचर थी पर उनमें से एक उसकी खुद की बात है जिसकी मदहोश कर देने वाली जवानी देख कर ना जाने कितनों का पानी निकल जाता था,,,, ऐसी खूबसूरत औरत से वह खुद उसे अपनी बाहों में लेकर खेल रहा था,,,, शुभम अपनी मां के होठों को चूमता हुआ दाएं हाथ से उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबा रहा था और बाएं हाथ से शीतल की चूची से खेल रहा था एक साथ उसके दोनों हाथों में अलग-अलग किस्म के पके हुए आम थे जिनका रस बेहद अतुल्य और स्वादिष्ट था,,, और ऐसा मधुर रस पीना किस्मत वालों के नसीब में ही होता है,,,,, शुभम अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के लाल लाल होठों में एक अजीब किस्म का नशा मिलता था,,, जिसे पीकर उसे ताकत मिलती थी,,, वह ताकत शुभम पूरी तरह से अपनी मां की चुदाई में खर्च कर देता था,,,, कुछ देर तक अपनी मां के लाल लाल होठों का रसपान करने के बाद शुभम दूसरी तरफ तड़प रही शीतल के देखते होठों पर अपने होंठ रख कर उसे पीना शुरू कर दिया,,,, तीनों बीयर और जवानी के नशे में पूरी तरह से लिप्त हो चुके थे जिन्हें शिमला की ठंडी बेअसर लग रही थी,,, वैसे सच्चाई यही थी कि शिमला की ठंड बेहद जालिम थी खास करके बाहर से आने वाले लोगों के लिए,,,, लेकिन यह भी सच था कि बियर और मदहोश जवानी का चादर ओढ़े शीतल और निर्मला के तन बदन में से गर्मी फूट रही थी जो कि पूरे कमरे के वातावरण को अपनी गर्माहट बख्श रहा था,,,, तभी तो तीनों एकदम मस्त होकर एक दूसरे की जवानी में पूरी तरह से अपने आप को डुबोने लगे थे,,,


ओहहहह,,,, शुभम मेरे राजा तेरे बिना यह जिंदगी और जवानी दोनों अधूरी है,,,( निर्मला अपनी गोरे-गोरे गाल को अपने बेटे के गाल पर रगड़ ते हुए बोली,,,,। और शीतल अपने मद भरे होठों का स्वाद शुभम को चखा रही थी,,,, निर्मला के तन बदन में मदहोशी कुछ ज्यादा ही छाई हुई थी,,, वह अपने बेटे के गाल पर अपने गोरे गोरे गाल को रगड़ ते हुए एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने बेटे के पेंट की बटन को खोल रही थी,,,,, उसमें बना तंबू निर्मला के होश उड़ा रहा था वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा दोनों की बुर की हालत खराब कर देगा,,,, देखते ही देखते निर्मला खुद अपने हाथों से अपने बेटे की पेंट की बटन को खोल कर उसकी चैन खोलने लगी और एक हाथ से उसके लंड को पेंट से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी लेकिन शुभम का लंड को ज्यादा ही मोटा और लंबा था जिसकी वजह से वह इतनी आसानी से पेंट से बाहर आने से इंकार कर दे रहा था,,,, तो निर्मला से रहा नहीं गया और वह नीचे अपने घुटनों के बल बैठ कर अपने बेटे की पेंट को और नीचे की तरफ खींचने लगी देखते ही देखते शुभम की पेंट उसके पैरों में गिर गई निर्मला अपने घुटनों के बल बैठी हुई थी और शीतल शुभम के होठों को चूसते हुए अपनी नजरों को नीचे करके निर्मला की हरकत को देख रही थी,,,, शुभम अपने पीछे रखे हुए टेबल का सहारा लेकर आराम से खड़ा था,,,,, निर्मला और शुभम के लंड के बीच अभी भी उसका अंडरवियर बाधा बना हुआ था लेकिन निर्मला के तन बदन में इस कदर खुमारी छाई हुई थी कि अपने बेटे के अंडरवियर को उतारने का भी समय उसके पास नहीं था इसलिए वह अंडरवियर के आगे वाले खुले भाग में से अपने बेटे के लंड को बाहर निकालकर उसके पूरे वजूद को अपनी प्यासी आंखों से देखने लगी,,,,
शीतल के तन बदन में यह देखकर आग लग रही थी कि एक बार किस तरह से अपने ही बेटे के लंड से प्यासी औरत की तरह खेल रही है,,, इस तरह के नजारे के बारे में शीतल कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह के दृश्य को वह अपनी आंखों से देख पाएगी लेकिन उसकी आंखों के सामने सब कुछ हकीकत होता जा रहा था मां बेटे के बीच के संबंध को लेकर वह केवल कल्पना ही करती थी लेकिन शुभम और निर्मला ने उसकी कल्पना को संपूर्ण रूप से साकार कर दिया था वरना वह जिंदगी में इतने पवित्र रिश्तो के बीच में इस तरह की कामुकता और उन्मादकता नहीं देख पाती,,,, एक तरह से शीतल उन दोनों मां बेटी की शुक्रगुजार थे जो कि उन दोनों से ही उसे अपनी जिंदगी में रंगीनता नजर आ रही थी जिंदगी जीने की चाह नजर आ रही थी वरना वह भी कल्पना की दुनिया में अपने आप को पूरी तरह से डूबो ले गई थी,,,।
अगर उसे शुभम ना मिला होता तो शायद उसकी जिंदगी में इस पल जो हो रहा है वह कभी नहीं हो पाता वह सिर्फ सपने और कल्पना में ही इस तरह के दृश्य को जी पाती,,, तभी तो वह भगवान को पूरी तरह से शुक्रगुजार मानती है कि अच्छा ही हुआ था कि उस दिन खड़ी दुपहरी में उसे निर्मला के घर भेज दिए थे और वह अपनी आंखों से मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते को अपनी आंखों से तार तार होता है वह देख ली थी और वही नजारे की वजह से ही आज उसे यह खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जिंदगी जीने का मौका मिल रहा था,,,,

आहहहहहहह,,,,, क्या बात है तेरा लंड तो आज कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा लग रहा है,,,,( निर्मला अपने बेटे के लंड को जड़ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाते हुए बोली,,,।)

तुझे छोटे कपड़ों में और तेरी मदमस्त जवानी देख कर मेरा लंड भी बहुत खुश हो गया है मम्मी,, इसलिए खुशी के मारे कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा हो गया है और देखना जब यह तेरी बुर में जाएगा ना तुझे जन्नत के मजे लेगा,,,,,

( दोनों मां बेटों की कामुकता भरी बातें सुनकर शीतल मदहोश हो रही थी वह भी अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर शुभम के लंड को पकड़ते हुए बोली,,,।)

अपनी मां की बुर में ही अपना रस पूरा मत निकाल देना मैं भी तुम्हारे लंड की प्यासी हूं,,,,।

मेरी जान तुम दोनों का ही ख्याल रखने के लिए तो मैं यहां तुम दोनों के साथ आया हूं,,,( शुभम शीतल के होठों को चूमता हुआ बोला,,,। तीनों अपने-अपने तरीके से आनंद ले रहे थे शुभम टेबल से अपने नितंबों को सटाकर खड़ा था,,,। शीतल बार-बार कभी उसके गाल को तो कभी उसको होठों को चूम रही थी और एक हाथ से उसके लंड को पकड़ कर हिला रही थी और शुभम की मां नीचे घुटनों के बल बैठी हुई थी वह अपनी बेटे के लंड को जड़ से पकड़ कर ऊपर नीचे करके उसके संपूर्ण भूगोल को अपनी आंखों से देख रही थी शुभम के मन में यह चल रहा था कि उसकी मां उसके लंड को मुंह में लेकर उसे लॉलीपॉप की तरह यूज कर उसे मस्त कर दें और शायद यही ख्याल निर्मला के मन में भी था लेकिन वह कुछ देर तक अपने बेटे के लैंड से खेलना चाहती थी वैसे भी कोई जल्दबाजी नहीं थी शिमला में यही करने के लिए तो तीनों आए थे इसलिए किसी भी प्रकार की जल्दबाजी निर्मला नहीं कर रही थी,,,। निर्मला भी कभी सपने में नहीं सोची थी कि वह किसी गैर औरत के साथ मिलकर अपने बेटे के साथ चुदाई का खेल खेलेगी वह कभी नहीं सोची थी कि वह जिंदगी में इतनी बेशर्म हो जाएगी कि किसी दूसरी औरत की आंखों के सामने अपने बेटे के लंड को पकड़ कर हिलाएगी उसे चूसेगी अपनी बुर में लेगी,,,, लेकिन उसका यह ना सोचना आज पूरी तरह से हकीकत होकर उसकी आंखों के सामने था,,,।

शिमला में निर्मला को किसी भी प्रकार का डर नहीं था किसी के द्वारा पकड़े जाने का भय बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि शिमला में उसे और उसके बेटे के साथ साथ शीतल को भी शायद कोई नहीं जानता था,,, वह इस बात से पूरी तरह से निश्चिंत थी कि अगर इस तरह का कार्य करते हुए अगर किसी ने उन तीनों को देख भी लिया तो उनका कुछ बीगडने वाला नहीं था,,,,,।

तभी तो तीनों निश्चिंत होकर जवानी का मजा लूट रहे थे शीतल को अपनी हथेली में सुगंध का लंड कुछ ज्यादा मोटा लग रहा था और इस बात का एहसास उसे उसकी बुर को फुदकने के लिए मजबूर कर दिया था,,,,, शुभम के लंड को पकड़ते ही सीतल को इस बात का एहसास हो गया था कि आज की रात शुभम उसकी जवानी को पूरी तरह से निचोड़ डालेगा,,,, निर्मला अपने घुटनों के बल बैठकर अपने बेटे के लंड से खेलते हुए उसे चूसने की प्यास को बढ़ा दी जा रही थी और उसे रहा नहीं गया और वह अपने प्यार से होठों को आगे की तरफ लाकर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े को अपने होठों पर रगड़ने लगी,,,,,।

आहहहहहहह,,, कितनी गर्मी है रे तेरे लंड में,,,,


मेरे लंड से ज्यादा गर्मी तो तेरी बुर में होगी मेरी रानी,,,,,( इतना कहते हुए शुभम अपना एक हाथ अपनी मां के सर पर रख कर उसे हल्का सा दबाव देते हुए अपने लंड की तरफ खींचने लगा जो कि यह इशारा था उसकी मां को कि शुभम भी चाहता है कि वह उसके लंड को मुंह में लेकर चूसे,,, शुभम की हरकत और अधीरता को देखकर निर्मला भी अपना धैर्य खो बैठी और तुरंत अपने बेटे के मोटे सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,,
मदहोशी के आलम में शुभम की आंखें बंद होने लगी शीतल अपनी आंखों से एक मां को उसके ही बेटे के लंड को चूसते हुए देख रही थी जो कि यह दृश्य देखकर वह पूरी तरह से कामोतेजीत हो गई,,, उसका भी दिल करने लगा कि वह भी शुभम के लंड को मुंह में लेकर चूसे,,, इसलिए वह भी नीचे अपने घुटनों के बल बैठने जा ही रही थी कि तभी,,, बाहर से सड़क पर गुजर रही गाड़ी का होरन की आवाज सुनकर शीतल की नजर दरवाजे की तरफ गई तो देखी की खिड़की के सारे पर्दे खुले हुए हैं,,,। वह तुरंत खड़ी होते हुए बोली,,,।

क्या यार पर्दे तो लगा लिए होते फिर वही गलती कर रहे हो,,,
( शीतल की बातें सुनकर निर्मला भी चौक गई और तुरंत अपने मुंह से अपने बेटे के लंड को बाहर निकालकर खिड़की की तरफ देखने लगी तो वाकई में खिड़की पूरी तरह से खुली हुई थी बाहर का नजारा एकदम साफ नजर आ रहा था,,, वह भी खड़ी हो गई,,,। वह भी खिड़की की तरफ जाने लगी तब तक शीतल खिड़की गलत पहुंच चुकी थी और वह पर्दे लगाते हुए बोली,,,।)
अगर कोई देख लेगा तो वह भी भागीदारी मांगने के लिए अंदर आ जाएगा,,,।

तो क्या हुआ शीतल रानी हम दोनों उसे भी अपनी दोनों टांगों के बीच में ले लेंगे,,,
( निर्मला की बात सुनकर शीतल हंसते हुए बोली,,,।)

हां वह तो मालूम ही है तेरी गर्म जवानी किसी को भी पिघलाने के लिए काफी है,,,,। अब चल यहां,, नहीं बेडरूम में चलते हैं वही जाकर मजा करेंगे,,,,।
( शीतल इतना कहकर सीढ़ियां चढ़ने लगी,,,, और निर्मला अपने बेटे की तरफ देखी तो अभी भी शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा था और वह अपनी पेंट को अपनी टांगों में से निकाल कर नीचे से एकदम नंगा हो गया था,,, यह देखकर निर्मला मुस्कुराते हुए अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ लिया और उसका सहारा लेते हुए आगे-आगे सीढ़ियां चढ़ने लगी और शुभम अपनी मां के हाथ में लंड थमाए हुए उसके पीछे पीछे चलने लगा,,,,।
 

Yash maurya

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Mst update h bro...
I wish kisi villain ki entry krao bhai jo nirmala ki chut faad ke rakh de aur apna hero subham use nikale
 
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Jassandhu

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Very nice
 

rohnny4545

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निर्मला अपनी कामुकता भरी हरकत की वजह से एकदम रंडी पन के एहसास से भरी जा रही थी क्योंकि इस समय वह अपने बेटे के लंड को किसी स्टिक की तरह पकड़ कर सीढ़ियां चल रही थी और शुभम को भी अपनी मां की इस हरकत पर पूरी तरह से उत्तेजना की आगोश में शमाता हुआ महसूस कर रहा था शीतल बार-बार पीछे की तरफ नजरें करके सीढ़ियां चढ़ते हुए मां बेटों की हरकत को देख रही थी और मन ही मन खुश भी हो रही थी छोटे-छोटे ड्रेस में शीतल और निर्मला सीढ़ियां चढ़ते हुए बेहद खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी शुभम तो अपनी प्यासी नजरों से दोनों की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करके धन्य हो रहा था,,,।
इस समय तीनों को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे किसी पोर्न मूवी की शूटिंग चल रही हो बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ नजारा था,,,। सामान्य जीवन में एक औरत और आदमी के लिए शायद ही यह दृश्य देखने को मिले, लगभग इस तरह का दृश्य सामान्य जीवन में एकदम दुर्लभ ही था,, एक जवान लड़के के हाथों में दो दो गदराई जवानी अंगड़ाई ले रही हो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है शुभम की किस्मत वाकई में बड़ी तेज थी क्योंकि जब से जवान होना शुरू हुआ था तब से लेकर अब तक वह ना जाने कितनी रसीली बुर का स्वाद ले चुका था और तो और जवान गदराई औरत अपने आप ही उसकी झोली में आकर गिर जाती थी,,,,

निर्मला अपने बेटे के लंड को पकड़कर सीढ़ियां चढ़ते हुए उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली,,,।

आज देखना है कि हम दोनों की गरम जवानी का रस तू अपने मोटे लंड से नीचोड़ता है या हम दोनों की रसीली बुर तेरे लंड के छक्के छुड़ा देगी,,,

मुझ को चैलेंज मत करना मम्मी मुझे अपने मोटे लंड पर पूरा विश्वास है एक बार जब तुम दोनों की बुर में घुसेगा ना तो तुम दोनों की बुर का भोसड़ा बना देगा,,,,

यह तो वक्त ही बताएगा मेरे राजा (शीतल शुभम की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली)

मुझे भी उस वक्त का बेसब्री से इंतजार है (ऐसा कहते हुए शुभम अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड पर जोर से चपत लगाते हुए) तुम दोनों रंडियों की बड़ी-बड़ी गांड देखकर मेरी हालत खराब हो रही है मुझसे रहा नहीं जा रहा है जल्दी चलो बेडरूम में,,,,।


मादरचोद इतनी जल्दी भी क्या है अभी तो पूरी रात पड़ी है (निर्मला भी अपने बेटे को गंदी गाली देते हुए बोली।)

रात तो पूरी पड़ी है भोंसड़ी की लेकिन तेरे भोसड़े ने मेरे लंड की हालत खराब कर दी है इसलिए कह रहा हूं चल जल्दी से बेडरूम में मुझे अपने लंड को तेरी बुर में डालकर चोदना है,,,,।


निर्मला तेरा बेटा तो एकदम से उतावला हो गया भोसड़ी का पता नहीं पूरी रात टिक पाएगा कि नहीं,,,,

साली रंडी तुम दोनों को एक साथ चोदुगा ना फिर भी रात कम पड़ जाएगी तुम दोनों ही थक कर सो जाओगे लेकिन मेरा लंड वैसा का वैसा टन टन आकर खड़ा रहेगा,,,,


देखना कहीं ऐसा ना हो जाए कि जो गरजता है बरसता नहीं नहीं तो तू ही थक कर बिस्तर पर पड़ा रहेगा और हम दोनों तेरे लंड को खड़ा करने में पूरी रात गवा देंगे,,,।

तेरी बुर में कुछ ज्यादा ही आग लगी है साली तेरी बुर को सबसे पहले ठंडा करूंगा,,,।

( तीनों के ऊपर मत मस्त जवानी और बियर का सुरूर छाया हुआ था जिसकी वजह से तीनों एक दूसरे को गंदी गंदी गालियां देते हुए बातें कर रहे थे और इस तरह की बातें करने में उन्हें बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह तीनों इस तरह की बातें करके काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहे थे देखते ही देखते कमरा दिया गया शीतल कमरा खोल कर उन दोनों का स्वागत की निर्मला अभी भी अपने बेटे का लंड को पकड़ कर लगभग खींचते हुए कमरे में ले गई,,,।

धीरे से मादरचोद कहीं टूट गया ना तो दोनों अपनी बुर मसलते रह जाना,,,,

तेरी टूटे हुए लंड से भी चुदने में मजा आएगा,,,,( आंख मारते हुए निर्मला अपने बेटे से बोली तो शुभम अपनी मां का हाथ पकड़कर अपनी तरफ एकदम से खींचकर उसे अपनी बाहों में ले लिया और बोला,,,।)

साली मादरचोद तेरी जवानी कुछ ज्यादा ही शोर मचा रही है (और इतना कहते हुए शुभम तुरंत अपने होंठ को अपनी मां के होंठ पर रखकर चूसना शुरू कर दिया.... निर्मला भी अपनी बेटी के लंड को पकड़े पकड़े काफी गरमा गई थी वह भी कसके अपनी बाहों में अपने बेटे को भरते हुए उसका साथ देने लगी शुभम का लंड उसकी जांघों के बीच रगड़ खा रहा था जिससे निर्मला को अद्भुत सुख का अनुभव हो रहा था,,,। शीतल भी कहां पीछे रहने वाली थी वह अपने हाथों से ही अपने छोटे से ड्रेस को निकाल फेंकी देश के अंदर उसने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसकी नंगी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर-उधर हिलने डुलने लगी,, पर वह तुरंत शुभम के पीछे उसकी पीठ से चिपक गई शुभम को शीतल की बड़ी-बड़ी चूचियां का एहसास उसका स्पर्श अपनी पीठ पर होते ही वह पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगा शीतल जानबूझकर अपनी चूचियों को उसकी पीठ पर रगड़ रही थी हालांकि यह एहसास शुभम को थोड़ा कम लग रहा था इसलिए वह अपने हाथ से अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा और देखते ही देखते वह भी पूरी तरह से नंगा हो गया उसकी नंगी पीठ पर अपनी नंगी चूचियों को रगड़ कर शीतल बेहद उत्तेजित हुए जा रही थी,,,, निर्मला अपने बेटे के होठों का रस पीते हुए विकास नीचे की तरफ ले जाकर उसके लंड को पकड़ लिया और अपनी टांगों के बीच अपनी बुर वाली जगह पर उसके लंड के सुपाड़े को रगड़ना शुरू कर दी,,,,

आहहहहह,,, सुभम,,,,, ऊफफफ,,,,,,


अंदर लेने का मन कर रहा है ना मम्मी,,,


हारे बहुत मन कर रहा है कि तेरा लंड मेरी बुर की गहराई में अंदर तक जाकर छू जाए,,,,,,

ऐसा ही होगा मम्मी,,,,( ऐसा कहने के साथ ही शुभम अपनी मां के छोटे से ड्रेस पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा और उसकी मां अपने बेटे का साथ देते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ उठा दी शुभम ने तुरंत अपनी मां के छोटे से ड्रेस को निकाल कर नीचे फर्श पर फेंक दिया,,, निर्मला ब्रा पेंटी दोनों पहनी हुई थी,,, लेकिन इतनी जल्दी सुबह मैं अपनी मां के बदन पर से उसकी आखरी वस्त्र को उतारना नहीं चाहता था इसलिए वह अपनी मां को एक बार फिर से अपनी बाहों में लेकर उसे चूमने लगा,,,, शुभम की कामुक हरकतों की वजह से निर्मला की सिसकारी छूट रही थी और शीतल अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को अपने दोनों हाथ में लेकर उसे शुभम की नंगी पीठ पर रगड़ रही थी शीतल संपूर्ण रूप से एकदम नंगी थी,,, छोटे से ड्रेस के अंदर उसने पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि बेडरूम में चल कर उसे उतारना ही है इसलिए पहले से ही वह पैंटी को उतार फेंकी थी,,,

बेडरूम का माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था,,, बेडरूम के अंदर की खिड़कियों के पर्दे लगे हुए नहीं थे लेकिन खिड़की के शीशे बंद थे,,,, लेकिन ऊंचाई पर होने की वजह से किसी से देखे जाने का डर बिल्कुल भी नहीं था इसलिए तीनों निश्चिंत थे,,,, बेडरूम के बीचो बीच किंग साइज का बेड लगा हुआ था जिस पर तीनों आराम से सो सकते थे और जिस दिन आए थे वह तीनों इसी बेड पर सोए भी थे,,,

ओहह,,, शुभम मेरे राजा मुझसे रहा नहीं जा रहा है मुझसे प्यार करें मुझे अपनी बाहों में ले ले मेरे रस निचोड़ दे औहहह शुभम,,,, मेरे राजा,,,,।

ऐसा ही होगा मेरी रानी तो बिल्कुल भी चिंता मत करो आज की रात में तुझे ऐसा सुख दूंगा तु जिंदगी भर याद रखेगी,,,
( इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी मां के कंधों को पकड़कर इतनी जोर से दूसरी तरफ घुमाया की पलभर में ही निर्मला की पीठ शुभम की तरफ हो गई लेकिन निर्मला गिरते-गिरते बची थी तब तक शुभम उसे अपनी बाहों में लेकर अपने बदन से सदा लिया था,,,, पर ऐसा करने की वजह से निर्मला की बड़ी-बड़ी गांड शुभम के लंड से एकदम से टकरा गई थी,,,, और सुबह में उत्तेजित होता हुआ तुरंत अपनी दोनों हथेलियों को नीचे की तरफ ले जाकर अपनी मां की बड़ी-बड़ी जनों को पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया जिससे उसकी बड़ी बड़ी गांड एकदम से सट गई और शुभम का लंड उसकी गांड की बीच की दरार से छटक ते हुए सीधा नीचे की तरफ आ गया जहां से उसका सुपाड़ा निर्मला की बुर से स्पर्श होने लगी,,,,

ओहहहह, मां,,,,,,,( शुभम के लंड का सुपाड़ा निर्मला की बुर से स्पर्श होते ही निर्मला के मुख से आह निकल गई,,,। शुभम पागलों की तरह ब्रा के ऊपर से ही अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया,,, मीठे-मीठे दर्द के कारण निर्मला का पूरा बदन कसमसा रहा था और वह हल्की-हल्की सिसकारियां ले रही थी,,,, दोनों मां बेटों की कामुक हरकतों को देखकर शीतल भी पूरी तरह से मस्ती में आ गई थी,,, और वह शुभम के पीछे ही धीरे-धीरे उसके पीठ को चूमते हुए नीचे की तरफ बैठने लगी शीतल की आंखों के सामने शुभम की गांड थी और से देखते हैं शीतल अपने होठों को उसकी गांड पर रखकर चूमना शुरु कर दी यह शुभम के लिए पहला मौका था जब कोई औरत उसके नितंबों को अपने होठों से चूम रही थी,,, जिसकी वजह से शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और अपनी पूरी उत्तेजना अपनी मां की बड़ी-बड़ी सूचियों पर उतारने लगा,,,, शीतल अपने होठों से अपना कमाल दिखा रही थी और शुभम अपनी मां की चूचियों को दबा दबा कर उस का रस निकालने में लगा था लगातार दर्द के मारे निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारी निकल रही थी और शुभम उसकी नंगी पीठ को चूमते हुए अपने दांतो से उसकी ब्रा की पट्टी को पकड़ कर खींच दिया,,,, देखते ही देखते निर्मला के ब्रा का हुक खुल गया और उसकी खरबूजे जैसी भरपूर चूचियां बुरा की कैद से आजाद हो गई ब्रा जैसे ही उनकी चुचियों पर से ढीली हुई शुभम एक पल भी गंवाए बिना अपनी मां की ब्रा को उसकी गोरी गोरी बाहों में से निकाल फेंका और उसकी नंगी चूचियों को दशहरी आम की तरह अपने हाथों में पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया और लगातार अपने लंड की ठोकर उसके नितंबों के बीचो-बीच मार रहा था,,,
शीतल पागलों की तरह अपने दोनों हाथों में शुभम की गांड को पकड़कर दबाने के साथ-साथ उसके ऊपर अपने होठों का चुंबन छोड़ रही थी,,,, शीतल मदहोश होते हुए उसके नितंबों को हथेली में दबोच ते हुए अपना हाथ उसकी दोनों टांगों के बीच से आगे की तरफ ले गई तो तुरंत उसके हाथ में शुभम का टनटनाता हुआ लंड आ गया,,, फिर क्या था शीतल को तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई,,,, शीतल के तन बदन में आग लगी हुई थी वह किसी पॉर्न मूवी का सीन दोहराते हुए शुभम को इशारों में ही अपनी दोनों टांगों को फैलाने के लिए खुली और शुभम भी अपने दोनों टांगों को फैला लिया और देखते ही देखते शीतल उसकी दोनों टांगों के बीच से निकलते हुए बैठे-बैठे ही शुभम के लंड से खेलते हुए उसे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,,,

आहहहहहहह,,,, गजब अद्भुत अतुल्य बेहद मादकता से भरा नजारा कमरे के बीचो बीच दर्शाया जा रहा था अगर कोई इस नजारे को देख ले तो उसे यही लगे कि पोर्न मूवी की शूटिंग चल रही है,,,,। शीतल और निर्मला दोनों किसी से कम नहीं थी दोनों अपने बेटे पर पूरी तरह से छाने की कोशिश कर रही थी,,, शीतल के सर के ऊपर ही निर्मला की बड़ी बड़ी गांड थी और शीतल अपनी लालच को रोक नहीं पाई और अपना दोनों हाथ ऊपर की तरफ करके दोनों हाथों से निर्मला की बड़ी-बड़ी गांव को पकड़ ली जो कि लाल रंग की पैंटी में लिपटी हुई थी,,,, शीतल का इस तरह से अपनी बड़ी बड़ी गांड का दबाना निर्मला को बेहद आनंदित कर जा रहा था,,,। निर्मला दोनों तरफ से मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी,,,। शीतल रह-रहकर शुभम के पूरे समूचे लंड को अपने गले तक उतार कर कुछ सेकंड तक उसे अपने मुंह में लेकर वापस ऊगल दे रही थी,,,,
शुभम भी आनंद के सागर में गोते लगा रहा था उसके दोनों हाथों में उसकी मां की दशहरी आम थी जिसे दबा दबा कर आनंद की परिभाषा को इशारों में ही प्रकाशित कर रहा था और नीचे से अपनी कमर को हिलाता हुआ शीतल के मुंह को चोद कर संभोग सुख की तृप्ति का एहसास शीतल को दिला रहा था,,,, लगभग लगभग 3 नंगी हो चुके थे केवल शीतल के बदन पर ही मात्र छोटी सी पेंटी लिपटी हुई थी,,, तीनों को इस समय शिमला की कातिल ठंडी का अहसास तक नहीं हो रहा था वह तीनों वातावरण के विरुद्ध अपनी ही मस्ती में खोए हुए थे वातावरण की कातिल ठंडी निर्मला और शीतल की गर्म जवानी के आगे पिघलती हुई नजर आ रही थी,,,,

लगातार निर्मला के मुख्य कर्म से इस कार्यों की आवाज फूट रही थी जो कि पूरे कमरे को मादकता का एहसास दिला रही थी साथ ही शीतल का इस तरह से पोर्न एक्ट्रेस की तरह लंड चूसना नहले पर दहला साबित हो रहा था,,,, उसके दोनों हाथों में निर्मला की भारी-भरकम नितंबों का भार था जिसे वह अपनी हथेली में संभाले हुए दबा रही थी,,,


कैसा लग रहा है मम्मी,,,

बहुत मजा आ रहा है बेटा ऐसा लग रहा है स्वर्ग का सुख मिल रहा है सच शीतल नहीं आना कर हम दोनों को स्वर्ग का अनुभव करा दी बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही दबाते रे,,,आहहहहहहह,,,आहहहहरहहह,,,

और तुझे कैसा लग रहा है शीतल रानी,,,,( ऐसा कहते हुए शुभम अपनी कमर आगे पीछे करके शीतल के मुंह को चोद रहा था शीतल अगर बोलना भी चाहे तो भी नहीं बोल सकती थी लेकिन यह बात शुभम भी अच्छी तरह से जानता था कि भले वह बोले या ना बोले उसे भी जन्नत का मजा मिल रहा था,,,।

मजा तीनों को आ रहा था शिमला में आकर शीतल और निर्मला के अंदर का रंडी पन बाहर आ रहा था, तभी तो शुभम की दोनों टांगों के बीच में आकर शीतल शुभम के मोटे तगड़े लंड को लॉलीपॉप की तरह अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी और साथ ही निर्मला की बड़ी-बड़ी गांड को अपनी हथेली से दबा दबा कर उसे लाल टमाटर की तरह कर दी थी,,,, शुभम पागलों की तरह अपनी मां के दशहरी आम को दबा रहा था काफी देर तक दबाने की वजह से निर्मला की गोरी गोरी चुचीयां एकदम लाल टमाटर की तरह हो गई थी,,,, और उसके मुख से लगातार गर्म सिसकारी फूट रही थी,,,, शीतल के तन बदन में होते हैं ना इतना ज्यादा जोर मार रहा था कि उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी वह एक हाथ से निर्मला की बड़ी बड़ी गांड को दबा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों को मसल रही थी और साथ ही अपने मुंह में शुभम के मुंसल को लेकर उस का आनंद उठा रही थी,,,, शीतल से रहा नहीं गया तो वह दोनों हाथों का सहारा लेकर निर्मला के बदन से उसका आखिरी वस्त्र उसकी चड्डी भी उतारने लगी जिसमें निर्मला पूरा सहयोग दे रही थी देखते ही देखते शीतल नहीं मिला की चड्डी उतार कर उसे भी पूरी तरह से नंगी कर दी,,,,
निर्मला की गांड पूरी तरह से नंगी होने के साथ ही,,, शीतल निर्मला की दोनों जांघों को पकड़ कर उसे फैलाने का इशारा की निर्मला भी उसका इशारा समझते हुए हल्के से अपनी दोनों टांगों को फैला दी जिससे टांगों के बीच की वह पतली दरार शीतल को एकदम साफ नजर आने लगी,,,, शीतल के तन बदन में आग लगी हुई थी जिंदगी में उसने जो अब तक नहीं की थी उसे करने का इरादा वह अपने मन में बना ली थी इसलिए शुभम के लंड को मुंह में डालकर चूसते हुए ही शीतल अपना एक हाथ निर्मला की दोनों टांगों के बीच ले जाकर हल्के से उसकी बीच की दरार को स्पर्श करने लगी शीतल की उंगली को अपनी बुर के पर महसूस करते ही शीतल पूरी तरह से उत्तेजित हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था किसी पर क्या करने वाली है और यही कश्मकश में शीतल अपनी बीच वाली उंगली को निर्मला की बुर में प्रवेश करा दी निर्मला की बुर पहले से ही काफी गीली हो चुकी थी जिसकी वजह से शीतल को अपनी उंगली डालने में जरा भी दिक्कत पेश नहीं आई लगभग लगभग शीतल ने अपनी आधी उंगली सीतल की बुर में डाल दी थी,,,,, और आधी उंगली बुर के अंदर जाते हैं निर्मला के मुंह से आह निकल गई और मुंह से आह निकलने के साथ ही निर्मला खुद अपने दोनों हाथों को शुभम के हाथों पर रखकर जोर से अपनी चूची को दबा दी,,,, यह निर्मला की तरफ से अपने तन बदन में हो रही हलचल को दबाने की कोशिश थी लेकिन जवानी की आग बुझने की जगह और ज्यादा भड़क जाती है और यही शीतल और निर्मला दोनों के साथ हो रहा था शीतल अपनी आधी ओवली निर्मला की बुर में डालकर भी संतुष्ट नहीं हुई तो अपनी दूसरी उंगली को उसकी बुर में डाल दी,,,,

आहहहहहहह,,, रे रंडी क्या कर रही है भोसड़ा चोदी,,,,आहहहहह,,, उंगली से ही मेरी बुर चोदने का इरादा है क्या तेरा,,,,?

साली कुत्तिया मेरा बस चले तो मैं खुद तेरी बुर में घुस जाऊं कितनी लाजवाब बुर है तेरी, तभी तो तेरा बेटा तेरे पीछे लट्टू बन कर घूमता है,,,, ना तू अपनी टांग खोल कर अपने बेटे को अपने बुर दिखाई होती और नआ यह दिन देखने को होता,,,,( शीतल शुभम के लड़के को अपने मुंह में से निकाल कर अपने दोनों उंगली को निर्मला की बुर में पेलते हुए बोली,,,, और मुंह में से लंड बाहर आते ही शुभम अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसके सुपारी को अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की गहरी गहराई में ऊपर से नीचे तक रगड़ना शुरु कर दिया,,,,।

आहहहहहहह,,,,आहहहहह,,,,, शुभम मुझसे रहा नहीं जा रहा है अपने लंड को मेरी बुर में डाल दे मेरी बुर में आग लगी हुई है,,,,( निर्मला मदहोश होते हुए गरम सिसकारी लेकर अपने बेटे से बोली,,,, निर्मला की बातें सुनकर इसी तरह से रहा नहीं गया और वह शुभम के लड्डू को पकड़कर निर्मला की बुर पर उसके गर्म सुपाड़े को रखकर,, शुभम को बोली,,,।)

डाल दे शुभम अपनी मां की बुर में पूरा लंड,,,,
( निर्मला तो अपनी बेटे के लंड के सुपाड़े को अपनी बुर पर महसूस करते ही पूरी तरह से सुलग उठी,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के अंदर गहराई में महसूस करना चाहती थी लेकिन शीतल की बात सुनकर और उसकी हरकत को देखते हुए शुभम बोला,,,।)

इतनी जल्दी नहीं डालूंगा मेरी रानी तेरी बुर में अभी तो तेरे बदन से खेलना है,,, चल आजा बिस्तर पर,,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी दोनों भुजाओं में अपनी मां की मांसल कमर को दबोच ते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और नरम नरम बिस्तर पर ले जाकर पटक दिया,,,

आहहहहहहह,,,,, धीरे से शुभम,,,,,( निर्मला अपने आप को संभालते हुए बोली और शुभम की ताकत को देखकर शीतल मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,, निर्मला पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी दोनों चूचियां पानी भरे गुब्बारों की तरह इधर-उधर लहरा रहे थे जिसे देखकर शुभम के मुंह में पानी आ रहा था,,,, शुभम को साफ नजर आ रहा था कि इस तन मर्दन के कारण उसकी मां की दोनों चूचियां टमाटर की तरह लाल हो गई थी,,,, शुभम मन में यह सोच कर मुस्कुरा रहा था कि वह काफी देर से अपनी मां की चूचियों पर मेहनत कर रहा था जिसका फल उसे मिल रहा था,,,,। तीनों संपूर्ण रुप से एकदम नंगे थे,,,, शीतल शुभम के करीब खड़ी थी,,, पर वह गहरी गहरी सांसे लेते हुए निर्मला के नंगे बदन को देख रही थी,,,। शीतल को गहरी सांसे लेते हुए देखकर शुभम अपनी मां की आंखों के सामने ही शीतल का हांथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा,,, और उसे अपनी बांहों में भरते हुए उसकी खरबूजे जैसी चुचियों को हाथ में लेकर दबाते हुए अपने होंठ को उसके होंठ पर रखकर चूसना शुरू कर दिया,,,,, इस दृश्य को देखकर निर्मला के मन में किसी भी प्रकार का एतराज नहीं था क्योंकि शिमला में आकर उसके सोचने का ढंग भी बदल चुका था वह भी पूरी तरह से मजे लेने के मूड में थी और इस बात से खुश थी कि उसके बेटे की वजह से उसकी सहेली को चुदाई का भरपूर सुख मिल रहा है जिसके लिए वह बरसों से तड़प रही थी,,,। तभी तो अपने बेटे को इस तरह से शीतल के खूबसूरत बदन से खेलते हुए देख कर उसे खुशी मिल रही थी और उत्तेजना के मारे शीतल अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर शुभम के लंड को पकड़ कर हिलाने लगी और यह देखकर निर्मला अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी हथेली से अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों को मसलने लगी,,,, कुछ देर तक सीता के लाल-लाल होठों का रसपान करने के बाद शुभम अपना हाथ शीतल की दोनों टांगों के बीच ले जाकर उसकी बुर को स्पर्श करते हुए बोला,,,,,


अब देखना मैं अपनी मां को कैसे तृप्त करता हूं कैसे इसकी जवानी की आग बुझाता हूं,,,,।
( इतना कहने के साथ ही शुभम बिस्तर पर अपनी मां की तरफ आगे बढ़ा और देखते ही देखते उसकी दोनों टांगों को फैलाते हुए बोला,,,।)

अपनी टांगों को तो खोल दो मेरी रानी फिर देख यह तेरा राजा बेटा क्या करता है,,,,,।
( निर्मला पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था और अपने बेटे की बात सुनते हुए वह भी हल्के से और ज्यादा अपनी दोनों टांगों को फैला दी देखते ही देखते उसकी बुर की गुलाबी आंखें हल्का सा मुंह खोलकर शुभम का स्वागत करने लगी,,,, शुभम की आंखों के सामने उसकी मां की बुर तवे पर फूल रही रोटी की तरह लग रही थी,,,, और जैसे रोटी खाने की भूख एक भूखे इंसान में होती है उसी तरह से शुभम के अंदर भी अपनी मां की बुर में पूरी तरह से समय पर अपनी भूख मिटाने की भूख और ज्यादा बढ़ती जा रही थी इसलिए देखते ही देखते अपने घुटनों के बल आगे बढ़ा और अपनी मां की कमर पकड़कर,,, अपने प्यार से होठों को अपनी मां की कचोरी जैसी फुली हुई बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,,, देखते ही देखते निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारियो का सैलाब फुट पड़ा वह जोर-जोर से सिसकारी लेने लगी,,,,।

आहहहहहहह,,,आहहहहहहह,ऊईईईईईई मां,,,, ऊफफफ,,, मैं मर जाऊंगी औहहहहह शुभम यह क्या कर रहा है,,,,आहहहहहहह,( इस तरह की गरम सिसकारियां लेते हुए निर्मला अपना सर तकिए पर इधर-उधर पटक रही थी,,,, या देखकर शीतल की उत्तेजना बढ़ने लगी उसकी बुर फूलने की चटनी लगी और वह भी बिस्तर पर चढ़ गई,,, और देखते ही देखते निर्मला के सर के इर्द-गिर्द अपना घुटना टीका कर अपनी गुलाबी बुर को निर्मला के होठों के करीब ले गई,,,,, शीतल की हरकत को देखकर निर्मला अच्छी तरह से समझ गई कि उसे क्या करना है वह भी दोनों हाथ ऊपर की तरफ करके शीतल की कमर को थाम ली और उसके गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों पर अपने होंठ रख कर उसे चाटना शुरू कर दी,,,,,

मादकता भरा यह दृश्य केवल पोर्न मूवी में ही देखा जा सकता था लेकिन शिमला के इस बंगले में निर्मला अपने बेटे के साथ मिलकर शीतल के साथ जवानी और संभोग का अद्भुत खेल खेल रही थी जिसे देखकर शायद पोर्न मूवी की एक्ट्रेस भी शर्मा जाए क्योंकि उन्हें तो बार बार रीटेक करना पड़ता है लेकिन इन दोनों को बिल्कुल भी रिटेक करना नहीं पड़ रहा था,,, दोनों अपने अपने तरीके से धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे,,, तीनों का यहां शिमला घूमने आना लगभग लगभग सफल होता नजर आ रहा था क्योंकि इस तरह का सुख उन तीनों ने अभी तक नहीं भोगा था इस तरह के दृश्य को तादृश्य करने की कल्पना में भी कभी नहीं सोचे थे,,,,


शुभम चप चप करके अपनी मां की कचोरी जैसी फूली हुई बुर को चाटने में लगा हुआ था,,, और निर्मला गरम सिसकारी लेते हुए शीतल की बुर को चाट रही थी बुर चाटने में कितना अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है निर्मला को इस समय बराबर पता चल रहा था तभी तो उसका बेटा दिन रात अपनी मां की बुर चाटने में लगा रहता था,,,,। कुछ देर तक शुभम अपनी मां की बुर की सेवा करने में जुटा रहा इसके बाद वह अपना मुंह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच में से बाहर निकाल लिया और अपने लंड को हिलाते हुए आगे की तरफ बढ़ने लगा जहां पर शीतल घुटनों के बल बैठकर शुभम की मां को अपनी बुर चटाने में लगी हुई थी,,,,।

तुम हट जाओ सीतल रानी इसे मैं देखता हूं,, ऐसा कहते हुए शुभम घुटनों के बल आगे बढ़ते हुए अपनी मां के चेहरे के करीब पहुंच गया वह अपनी मां की दोनों चुचियों के इर्द-गिर्द अपना घुटना रखकर अपने लंड को हिलाते हुए अपने लंड को अपनी मां के खूबसूरत चेहरे पर पटकने लगा,,,

आहहहहहहह,,,,, धीरे से शुभम लगता है,,,।

जब तक मुंह में नहीं लेगी तब तक अपने लंड को ऐसे ही पटक ते रहूंगा,,,,,( इतना सुनते ही निर्मला अपने हाथ से अपने बेटे के लंड को पकड़ कर अपने मुंह में भर ली और उसे चूसना शुरू कर दी,,, और जैसे ही निर्मला ने अपने बेटे के लैंड को पूरा मुंह में लेकर चूसना शुरू करी,वेसे ही तुरंत शुभम के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी ,,,,।)

आहहहहह,, मां,,,,,,,,( इतना कहते हुए एकदम मस्ती के सागर में डूबते हुए वह अपनी आंखों को मुंद दिया ऐसा लग रहा था कि जैसे वह स्वर्ग में घूम रहा हो,,,, अपनी मां के मुंह में लंड डालकर शुभम को जिस तरह का एहसास हो रहा था उसके चेहरे से शीतल को साफ पता चल रहा था शीतल को अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि शुभम को कितना ज्यादा मजा आ रहा है अपनी मां के मुंह में लंड डालकर,,, इसलिए वह बिस्तर पर खड़ी हो गई,,, और धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए अपनी कचोरी जैसी फूली हुई बुर को शुभम के होठों से लगा दी शुभम आंखों को बंद किया हुआ था लेकिन जैसे ही शीतल की गरमा गरम बुर को अपने होठों पर महसूस किया वैसे ही उसकी आंख खुल गई और अपनी नजरों को ऊपर करके शीतल की तरफ देखा और शीतल भी उसकी तरफ देखें दोनों की नजरें आपस में टकराई,,, पल भर में ही दोनों के तन बदन में मदहोशी अपना असर कर गई और शुभम अपने पैसे होठों के बीच से अपनी जीभ निकालकर शीतल की बुर को चाटना शुरू कर दिया,,, शुभम कटोरी में भरी खीर की तरह शीतल की बुर को चाट रहा था और उसमें से निकल रहा मदन रस अपनी जीत के सहारे अपने गले के नीचे उतार रहा था नमकीन स्वाद से भरा हुआ शीतल की बुर का मदन रस शुभम को इस समय अमृत के समान लग रहा था जिसकी एक बूंद भी व नीचे नहीं गिरने देना चाह रहा था,,, गजब का नजारा बिस्तर पर बना हुआ था इतनी गर्माहट भरे दृश्य से पूरा कमरा गरमा चुका था,,,। केवल बिस्तर पर का नजारा अगर कोई अपनी आंखों से देख ले तो उसे यकीन नहीं होगा कि यह नजारा शिमला की कातिल ठंडी का है क्योंकि तीनों संपूर्ण लगना अवस्था में एक दूसरे के अंगों से मजा ले रहे थे और ठंडी का अहसास तीनों को बिल्कुल भी नहीं हो रहा था बल्कि घर से बाहर निकलते ही बिना गर्म कपड़ों के बदन में ठंडी प्रवेश कर जाने का डर सत प्रतिशत बना हुआ था लेकिन इन तीनों को शिमला की ठंडी बेअसर लग रही थी इसमें इन तीनों का बिल्कुल भी दोष नहीं था क्योंकि शीतल और निर्मला की दहेकती जवानी के आगे शिमला की ठंडी घुटने टेक दे रही थी,,,,।

निर्मला मदहोश होकर अपने बेटे के लंड को पूरा का पूरा गले तक उतार दे रही थी और शीतल शुभम के बालों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर हल्के हल्के अपनी कमर को उसके मुंह पर चला रही थी और शुभम पागलों की तरह जहां तक हो सकता था वहां तक अपनी जीभ को शीतल की दूर में डालकर उसकी मलाई को चाटने में लगा हुआ था,,,, तीनों पूरी तरह से मदहोश हुए जा रहे थे तीनों की गरम सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी साथ में शीतल और निर्मला के कलाइयों में रंग बिरंगी चूड़ियाो की खनक माहौल को पूरी तरह से मादकता से भर दे रही थी,,,


निर्मला से रहा नहीं जा रहा था उसकी बुर में आग लगी हुई थी जल्द से जल्द वह अपने बेटे का लंड को अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी,,,,इसलिए अपने बेटे के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल दी और लगभग हांफते हुए बोली,,,,


शुभम मेरे राजा अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मुझसे मेरी जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही है अब जल्द से जल्द तू अपने मोटे लंड को मेरी बुर में डाल दे,,,,,

(शुभम भी मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझ रहा था वहजानता था कि घंटों सेवा अपनी मां के खूबसूरत बदन से खेल रहा था ऐसे में उसकी मां का पूरी तरह से चुदवासी हो जाना लाजमी था,,,शुभम को भी अब महसूस हो रहा था कि उसके लंड को उसकी मां की बुर में जाना बेहद जरूरी है क्योंकि उसके लंड की भी हालत खराब होती जा रही थी और शीतल भी इसी पल का बेसब्री से इंतजार कर रही थी अपनी गुलाबी बुर चटवा चटवा कर उसमें भी लंड लेने की तड़प बढ़ती जा रही थी,,,।
अब शुभम भी पूरे मामले को अपने हाथ में ले लेना चाहता थावह अच्छी तरह से समझ गया था कि उसके घर के आगे शीतल और उसकी मां घुटने टेक दि थी,,,,इसलिए शुभम भी बिल्कुल भी देर न करते हुए अपनी मां की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाने लगा,,,।
 
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