शिमला की कड़कड़ाती ठंडी में कमरे का माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था,,,, शिमला में आकर उन तीनों की दूसरी रात थी और दूसरी रात से ही तीनों की सुहागरात की शुरुआत हो रही थी,,, सुहागरात इसलिए कि तीनों प्लान बनाकर शिमला में यही करने आए थे इसलिए एक तरह से इन तीनों का सुहागरात ही थी,,,। किंग साइज बेड पर शुभम शुभम की मां और सीतल तीनों संपूर्ण रूप से अपने वस्त्र का त्याग करके एकदम नग्न अवस्था में संभोग क्रिया की ओर अग्रसर हुए जा रहे थे,,,,
सर्वप्रथम शुभम संभोग की शुरुआत अपनी मां की चुदाई से करने जा रहा था इसलिए वह अपना संपूर्ण चार्ज अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ले लिया था,,, निर्मला की भारी भरकम भराव दार,,, बड़ी बड़ी गांड की वजह से शुभम को अपनी मां की गांड के नीचे नरम नरम तकिया लगाने की कोई भी आवश्यकता जान नहीं पड़ रही थी,,,, बिना तकिया लगाए ही निर्मला की रसीली बुर शुभम के मस्त लंड के सिधान पर आ रही थी,,,, लेकिन फिर भी शुभम अपनी बाकी मदमस्त गांड के नीचे अपने दोनों हाथ को ले जाकर उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेलियों में दबोचते हुए उसे अपनी तरफ खींच कर उसकी दोनों मोटी मोटी जांगो को अपनी जांघों पर चढ़ा दिया,,,,,
आहहहह,, बेहद आह्लादक दृश्य था,,, अपनी ही मां के साथ शुभम की कामुक हरकतों को देखकर शीतल की हालत खराब हुए जा रही थी,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी जिस अंदाज से वह अपनी मां को बिस्तर पर लिटा कर उसकी बड़ी-बड़ी जांघों,,,को अपनी जांघों पर उसके नितंबों को पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए चढ़ाया था उसकी यह ताकत देखकर उत्तेजना के मारे शीतल की बुर पानी छोड़ रही थी,,,, निर्मला के मुंह से एक शब्द भी नहीं पूछ रहे थे उत्तेजना के मारे उसके गाल एकदम लाल टमाटर की तरह हो गए थे वह गहरी गहरी सांसे लेते हुए शुभम की तरफ देख रही थी जिसकी आंखों में उसकी जवानी की मदहोशी साफ झलक रही थी,,, अपने बेटे की आंखों में उभरते हुए वासना को देखकर निर्मला अच्छी तरह से समझ गई थी कि आज की रात भर उसकी बुर के नमकीन रस को अपने लंड से पूरी तरह से नीचोड़ लेगा,,,,, शुभम की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी इस समय शुभम अपनी मां के संपूर्ण नंगे वजूद को अपनी जांघों पर चढ़ाया हुआ था उसकी आंखों के सामने उसकी मां की रसीली कचोरी की तरह खुली हुई पूरी नजर आ रही थी जिसमें से चटनी रूपी मदन रस बाहर निकल रहा था और उस रस को देखकर शुभम के मुंह में पानी आ रहा था,,,। शुभम का लंड निर्मला की बुर की पतली दरार के ऊपर पूरी तरह से लेट कर शायद आराम कर रहा था,,, शुभम के मोटे तगड़े लंबे लंड के नीचे उसकी मां की बुर का संपूर्ण वजूद दबा हुआ था,,,,, निर्मला की पुर के ऊपर लेटे हुए सुमन के लंबे तगड़े लंड को देखकर शीतल शायद मन ही मन में अंदाजा लगा रही थी कि शुभम का लंड बुर में घुसने के बाद कहां तक जाता है जो कि निर्मला की नाभि तक लंड का सुपाड़ा पहुंच रहा था यह देखकर शीतल अंदर ही अंदर सिहर उठी,,,,
शुभम की आंखों में खुमारी साफ झलक रही थी वह अपनी हथेली से अपनी मां की चिकनी जांघों को सहला कर अपने अंदर उत्तेजना का सैलाब पैदा कर रहा था यह बिल्कुल ऐसा ही था जैसे कि गुब्बारा फुलाने से पहले अपने मुंह में ढेर सारी हवा भरना पड़ता है तब जाकर गुब्बारा का असली आकार नजर आता है ठीक उसी तरह से शुभम भी अपनी मां की चुदाई के पहले अपने अंदर पूरी तरह से उत्तेजना की चिंगारी को भड़का देना चाहता था इसीलिए वह अपनी मां की गोरी गोरी चिकनी चारों को हल्के हल्के सहलाते हुए उसे बीच-बीच में दबोच दे रहा था,,,, जिससे निर्मला की आह निकल जा रही थी,,, निर्मला से शुभम के लंड को अपनी बुर के ऊपर इस तरह से लेटना बर्दाश्त नहीं हो रहा था उसका बदन पूरी तरह से कसमसा रहा था,,, हल्के हल्के उसकी कमर ऊपर की तरफ ऊठ बैठ रही थी,,,, यह देखकर शुभम अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की चिकनी कमर को दोनों हथेलियों में दबाकर अपनी तरफ खींच लिया,,,,
आहहहहहहह ,,,,,, ऐसे ही तड़पा कर मेरे बदन में आग लगाता रहेगा या इसे बुझाएगा भी,,,,
बुझा दूंगा मेरी जान पहले तेरे बदन से खेल तो लेने दे,,, तू इतनी खूबसूरत है कि जितना भी तेरे बदन से खेलूं जी नहीं भरता,,,,( ऐसा कहते हुए शुभम एक हाथ में अपना लंड पकड़ कर उसे अपनी मां की बुर पर पटकना शुरू कर दिया उसके लंड के मोटे छुपाने की चोट से अपनी गुलाबी बुर की पत्तियों पर साफ महसूस हो रही थी जिसकी वजह से वह हल्के दर्द के मारे अपना सिर दूसरी तरफ घुमा ली और हल्की सी सिसकारी उसके मुंह से निकल गई,,,,।)
शुभम इतना मत तड़पा तेरी मां को देख तेरा लंड अंदर लेने के लिए कैसे तड़प रही है,,,,।
थोड़ा तड़पेगी तभी तो ज्यादा मजा लेगी,,,, देखना आज ऐसी चुदाई करूंगा कि जिंदगी भर याद रहेगा,,,,( इतना कहकर शुभम अपने मुंह से थूक निकाल कर अपने नंबर पर लगाने ही वाला था कि उसे रोकते हुए शीतल बोली,,,।)
अरे मेरे राजा जब मैं हूं तो अपने लंड पर थूक लगाने की क्या जरूरत है,,,,( इतना कहने के साथ ही शीतल शुभम की तरफ आगे बढ़ी और उसके लंड को अपने हाथ में लेकर अपने मुंह में डालकर से चूसना शुरू कर दी और अच्छे से अपने थुक से उसके लंड को एकदम भिगो डाली,,,, और फिर से शुभम के लंड को बाहर निकाल दी,,, और शुभम को आंखों से इशारा करते हुए उसके लंड को पकड़कर निर्मला की बुर की गुलाबी पतियों के बीच रख दी,,,।
अब डाल दे बड़े आराम से जाएगा,,,,,
( शीतल एकदम स्वच्छंद हो चुकी थी एकदम खुले मन की एकदम चंचल जोकि शुभम के लंड को अपने मुंह में डालकर उसे की ना करके निर्मला की बुर के लिए तैयार कर चुकी थी,,, शुभम भी अब एक पल की देरी करना नहीं चाहता था इसलिए धीरे-धीरे अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर की पत्तियों के बीच में धंसाना शुरू कर दिया,,, देखते ही देखते शुभम को मोटा तगड़ा सुपाड़ा निर्मला की गुलाबी बुर की पत्तियों को चीरता हुआ अंदर समा गया जैसे-जैसे लंड का सुपाड़ा निर्मला को अपनी बुर के अंदर घुसता हुआ महसूस हो रहा था वैसे वैसे उसे अपने चेहरे का हाव भाव बदलता हुआ महसूस हो रहा था,,,, मीठा मीठा दर्द का एहसास उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था,,, देखते ही देखते शुभम अपने समूचे लंड को अपनी मां की बुर की गहराई में उतार दिया,,,, पर अपनी मां की कमर पकड़कर अपनी कमर को हल्के हल्के हिलाना शुरू कर दिया,,,, शीतल अपनी फटी आंखों से सुभम के मोटे तगड़े लंड को निर्मला की बुर के अंदर बाहर होता हुआ देख रही थी,,।
शुभम के मोटे तगड़े लंड को इतनी आराम से निर्मला की कसी हुई बुर में आता जाता देख कर शीतल की खुद की बुर फुदकने लगी,,,, शीतल इतनी फतेह अधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि वह खुद ही अपनी दोनों चुचियों को अपने हाथ से पकड़ कर दबाना शुरू कर दी,,,,
किंग साइज बेड के नरम नरम गद्दे पर घमासान मचा हुआ था,,,, शुभम एक लय में अपनी कमर को हिला रहा था,,,, शुभम का लंड जब निर्मला की बुर से बाहर आता तब शीतल को साफ तौर पर नजर आ रहा था कि निर्मला की मदन रस में शुभम का लंड पूरी तरह से नहाया हुआ था,,,। यह देखकर शीतल के मुंह में पानी आ रहा था,,, शुभम के हल्के हल्के धक्के के साथ भी निर्मला की बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छातियों पर लहरा रही थी यह देख कर शीतल के मुंह में पानी आ गया और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर शीतल की चूचियां पकड़ ली और उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दी,,,
आहहहहहहह,,, शीतल ऐसे ही दबा जोर जोर से दबा मुझे बहुत मजा आ रहा है प्लीज शीतल इसे मुंह में लेकर पी,,,आहहहहह,,, मेरे दुद्दू को पी जा,,,आहहहहह,,,,, शीतल मेरी जान बिल्कुल भी देर मत कर इसे मुंह से लगा ऐसा कहते हुए निर्मला खुद अपनी दोनों चूचियों को पकड़ कर शीतल की तरफ आगे बढ़ाने लगी,,, शीतल तो पहले से ही मदहोश हो रही थी निर्मला की तरफ से इस तरह की बेशर्मी भरी हरकत को देखकर और उत्तेजना से भर गई तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी और वह निर्मला के चिकने पेट पर अपने नितंबों को रखकर बैठ गई,,, पर उसकी चुचियों को जोर जोर से दबाना शुरू कर दी शुभम की जबरदस्त चुदाई और स्तन मर्दन के द्वारा निर्मला पूरी तरह से सातवें आसमान में उड़ने लगी,,,। शुभम मदहोश हुआ जा रहा था उसकी कमर की रफ्तार बढ़ती जा रही थी उसके ठीक आंखों के सामने सीजर अपनी बड़ी बड़ी गांड उसकी मां के पेट पर रख कर बैठी हुई थी और उसकी चूचियों को दबा रही थी,,,,,
ओ मेरी जान शीतल रानी,,,, क्या मस्त कमर है तेरी,,,( ऐसा कहते हुए शुभम अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर शीतल की कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और उसे अपनी हथेली में दबाना शुरू कर दिया,,,। औरत के गोरे गोरे बदन के हर एक हिस्से को अपनी हथेली में लेकर दबाने का भी अपना अलग मजा होता है यह बात शुभम अच्छी तरह से जानता था,,,, तभी तो शुभम की मजबूत हथेली में अपनी कमर को महसूस करते हैं शीतल के तन बदन में आग लग गई वह चाहती थी कि जिस तरह से शुभम उसकी मां की बुर में अपना लंड पेल रहा है उसी तरह से उसकी भी बुर में लंड पेले,,,, लेकिन शायद अभी अपनी बुर में शुभम के लंड को महसूस करने का समय बाकी था,,,,,,, शुभम भी शीतल और अपनी मां में से अपनी मां को ही अग्रिमता देते हुए सर्वप्रथम अपनी मां की ही बुर में लंड डालने का शुरुआत किया था क्योंकि हो सकता था कि अगर वासी पर की बुर में अपना लंड डालकर सबसे पहले की चुदाई करता है तो शायद निर्मला को बुरा लग सकता था,,,, लेकिन फिर भी मजा शीतल को भी बेहद आ रहा था कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिंदगी में इस तरह का मजा तभी ले पाएगी,,, और वह भी एक मां बेटे के साथ मिलकर,,,,
शीतल द्वारा स्तन मर्दन का कार्यक्रम जारी था,,, शुभम अपनी मां की बुर में लंड डालता हुआ हलकी हलकी चपत शीतल की गांड पर लगाना शुरू कर दिया शुभम की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी आंखों के सामने थी,,, शीतल की बड़ी-बड़ी मदमस्त गांड को देखकर उसकी आंखों में नशा छा रहा था,,, और यह सारा नशा शुभम अपनी मां की बुर पर उतार रहा था वह लगातार अपनी मां की बुर में लंड पेले जा रहा था जिसमें से फच्च फच्च की आवाज आ रही थी,,,
शीतल की गांड पर चपत लगा लगा कर शुभम ने शीतल की गांड को एकदम लाल कर दिया था,,, शुभम जैसे जैसे उसकी गांड पर चपत लगा रहा था वैसे वैसे शीतल के तन बदन में मदहोशी बढ़ती जा रही थी,,,,
आहहहहह आहहहहहहह,,,,, शुभम,,,,,
( शीतल चपत लगाने के नीचे दर्द से कराह उठती थी लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम के द्वारा चपत लगाने पर उसे भी मजा आ रहा था,,,,)
हाय मेरी रंडी मां तेरी गुलाबी बुर में बहुत नशा है रे,,,, साली के बुर में जितना जोर जोर से लंड पेलो मन ही नहीं भरता ना मेरा ना इसका,,,, साली एक नंबर की छिनार है,,,आहहहहह,,,, पर मैं बहुत खुश हूं ऐसी मम्मी पाकर इसने अपनी जवानी लुटा दी मेरे प्यार में,,,,।( ऐसा कहते हुए मैं शुभम जोर-जोर से अपनी कमर हिला रहा था,,,।)
साले मादरचोद अच्छा है कि तेरी जवानी की प्यास बुझा रही हूं वरना बाथरूम में बैठा बैठा मुठ मारता रहता,,,
सही कही मादरचोद मैं तो तेरा शुक्रगुजार हूं कि तूने अपनी गुलाबी बुर को मुझे सौंप दी,,,, नहीं तो सच में दूसरों की तरह मुझे भी अपने हाथ से लंड हीलाकर काम चलाना पड़ता,,,,।
ऐसी नौबत कभी नहीं आती मेरे राजा मैं थी ना तेरे लिए अपनी दोनों टांगें फैलाकर तुझे अपनी बुर के अंदर ले लेती,,,
तो अभी भी कौन सी देर हो गई है मेरी रानी फैला दी अपनी टांगों को और ले ले मुझे अपनी बुर के अंदर,,,आहहहहहहह,,,आहहहहरहहह,,,,
पहले अपनी मां की बुर में समा जा जो तेरी भी अपनी दोनों टांगें फैला है तेरा लंड़ अपनी बुर में ले रही है,,,।
( ऐसा कहते हुए शीतल जोर-जोर से निर्मला की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और दर्द से कराहने की आवाज निर्मला के मुंह से आने लगी,,,।)
तुम दोनों के भोंसड़े में घुसुंगा लेकिन बारी-बारी से,,, मेरी छम्मक छल्लो पहले अपनी बुर का रस मुझे पिला दे ,,,(ऐसा कहते हैं वह सुबह में अपने दोनों हाथ से उसके बड़ी-बड़ी ब्रांड को पकड़कर उठाने लगा शीतल झट से शुभम के इशारे को समझ गई और वह अपने हाथ की कोहनी के बल होकर अपनी गांड को एकदम हवा में उठा दी,,,, शीतल की कौन हवा में लहराते हुए ठीक शुभम के मुंह के सामने आ गई,,, अपने प्यासे होठों के ठीक सामने शीतल की मदमस्त गांड को देखकर शुभम का जोश बढ़ गया उसकी प्यास जाग गई और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर तुरंत शीतल की बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथ में थाम लिया और अपने होठों को उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,,,, शुभम पागलों की तरह अपनी मां की बुर में धक्के लगा रहा था और साथ ही शीतल की बुर को अपने होठों से चाट रहा था शीतल के तन बदन में आग लगी हुई थी वह निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने दोनों हाथों में थाम कर दशहरी आम की तरह बारी-बारी से दोनों चुचियों को पीना शुरू कर दी,,,, शुभम की बलिष्ठ भुजाओं में शीतल और निर्मला खुद को पिघलता हुआ महसूस कर रहे थे,,,,, निर्मला भी अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ लाकर शीतल के झूलते हुए खरबूजे को अपने हाथ में पकड़ ली और उसे दबाना शुरू कर दी दोनों एक दूसरे की चूचियों को दबा कर मजा ले रही थी,,,, शुभम अपनी रफ्तार को बिल्कुल भी कम नहीं कर रहा था ऐसा लग रहा था कि अपनी मां की बुर को शिमला की रात की पहली चुदाई में ही भोसड़ा बना देगा,,,, जो भी हो निर्मल अपने बेटे की जबरदस्त चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रही थी,,,,
बंगले के बाहर बर्फ गिरना जारी था ऐसे में सोसाइटी के सभी लोग अपने अपने कमरे में हीटर जलाकर ठंडे मौसम में अपने कमरे को गर्म करने की पूरी कोशिश करते हुए नींद की आगोश में सो चुके थे लेकिन इस कमरे का दृश्य दूसरे कमरों से बिल्कुल भिन्न था इस कमरे में हीटर जी बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी क्योंकि,,,, शीतल और निर्मला की गर्म जवानी पूरे कमरे को गर्म करने में हीटर का काम कर रही थी,,, कड़कड़ाती ठंड में भी तीनों बिना वस्त्र के एकदम नंगे किंग साइज बेड पर जवानी का मजा लूट रहे थे बल्कि अपनी मां की जबरदस्त चुदाई करते हुए शुभम के माथे पर पसीने की बूंदें उपस आई थी,,,। अपनी मां की चुदाई का मजा लेते हुए बुर चटाई का आनंद भी ले रहा था,,,, शीतल मदहोश होते हुए अपनी बड़ी बड़ी गांड को पीछे की तरफ शुभम के चेहरे पर पटक रही थी जिसकाका आनंद लेते हुए शुभम भी जोर जोर से शीतल की गांड पर चपत लगा रहा था,,,,,आहहहहह आहररररहह ऊऊहहहहह ,,,ऊईईईई मां कि गर्म सिसकारियों के साथ-साथ शीतल और निर्मला के कलाइयों की चूड़ियों की खनक से पूरा कमरा मादकता से भरता चला जा रहा था,,,,।
सोसाइटी में हर घर के हर एक कमरे में कभी-कभार या तो फिर नए जोड़ें हो तो कुछ दिन के लिए रोज-रोज चुदाई का खेल तो चलता रहता है लेकिन किसी को कानों कान भनक तक नहीं थी कि इस घर में दो औरत और एक जवान लड़कए की चुदाई चल रही है,,, पर वह भी उनमें से एक मां बेटा हैं,,,,, तभी तो शीतल शिमला लेकर आई थी दोनों को मजे करने के लिए ताकि अगर कोई देख भी लें तो फिर भी कोई फिकर ना हो,,,,
अपनी मां की गुलाबी बुर की चुदाई और शीतल की बड़ी-बड़ी गांड को पकड़े हुए उसकी बुर की चटाई शुभम के होश उड़ा रही थी एक साथ दोनों की बुर को चोदना चाहता था इसलिए बिना बोले ही वह शीतल की गांड को पकड़कर नीचे की तरफ जाने लगा शीतल को समझ में नहीं आया कि सुबह क्या करने वाला है बस वजह से जैसे उसकी गांड पर दबाव दे रहा था वैसे वैसे अपनी कमर को नीचे की तरफ ला रही थी,,,, शुभम ठीक अपने लंड की सामने शीतल की बुर को ले आया और अब थोड़ा सा तो उसकी बुर पर लगाकर अपने लिए जगह बनाने लगा हालांकि इस दौरान भी उसकी कमर चल रही थी और वह अपनी मां को चोद रहा था,,,, देखते ही देखते वह एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर अपनी मां की पुर से बाहर खींच लिया,,,, जैसे ही निर्मला को अपनी बुर में से लंड बाहर निकलता हुआ वह महसूस हुआ वह पागलों की तरह अपना सिर उठाकर शीतल की दोनों टांगों के बीच से अपने बेटे के लंड को देखने लगी,,, जोकि शुभम अपने लंड को शीतल की बुर पर एडजेस्ट कर रहा था,,,, शीतल गहरी सांसें लेते हुए उत्सुकता वस पीछे की तरफ सुभम की हरकत को देख रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, क्योंकि मैं समझ गई थी कि सुभम अब एक साथ दोनों की बुर को चोदना चाहता है,,,, देखते ही देखते शुभम अपना पूरा लंड शीतल की बुर में डाल दिया,,, शीतल को दर्द का अनुभव होने लगा क्योंकि उत्तेजना में ऐसा लग रहा था कि जैसे शुभम का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा हो गया है,,, लेकिन थोड़ी ही देर में उसे मज़ा आने लगा,,,, शुभम शीतल को चोद रहा था और निर्मला शीतल की चूचियों को दबा रही थी दोनों को मजा आ रहा था नीचे से बिना कुछ बोले निर्मला अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर बार-बार शुभम को उसकी बुर में लंड डालने का इशारा कर रही थी जो कि शुभम भी अच्छी तरह से समझ रहा था और अपनी मां के इशारे का मान रखते हुए व शीतल की बुर में से अपना लंड निकाल कर अपनी मां की बुर में पेल दिया,,, अब वह एक साथ दो दो बुर्का मजा ले रहा था औरत को वह एक साथ दोनों तरफ से चोद रहा था अपनी मां को आगे से चोद रहा था और शीतल को पीछे से चोद रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था जिंदगी में पहली बार बार इस पोजीशन का भरपूर फायदा उठा रहा था,,,, जब जब वह अपनी मां की बुर में लंड डालकर उसे चोदता तब वह शीतल की बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर ऊपर की तरफ उठा देता और उसकी बुर को चाटना शुरू कर देता और उस दौरान लगातार अपनी मां की बुर में अपना लंड पेलता रहता,,, और जैसे ही अपनी मां की बुर में से लंड निकालता तो शीतल की गांड को पकड़कर नीचे की तरफ ले आता और उसकी बुर में लंड डाल देता,,,
पूरे कमरे में तीनों की गरम सिसकारियां गूंज रही थी लेकिन इसी सिसकारी को सुनने वाला कोई नहीं था क्योंकि कमरा चारों तरफ से बंद था और खिड़कियों पर शीशा लगा हुआ था जिससे आवाज बाहर जाने की गुंजाइश बिल्कुल भी नहीं थी,,,, तीनों की सांसे तेज चल रही थी तीनों चरम सुख के बेहद करीब हो गए थे,,,
शीतल की सांसे और तेज चलने लगी और उसके मुंह से गरम सिसकारी के साथ-साथ,,, गालियां निकलने लगी,,,।
मादरचोद भोसड़ी वाले और जोर जोर से धक्के लगा फाड़ दे मेरी बुर को मेरी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,आहहहहहहह,, मेरे राजा क्या मस्त चोदता है रे तू और जोर जोर से चोद मेरा निकलने वाला है,,,।
तू बिल्कुल भी चिंता मत कर रंडी छिनाल,,, आज मैं अपने लंड से तेरी बुर को चोद चोद कर पानी पानी कर दूंगा,,, साली हरामजादी बहुत आनंद लेने का शौक है ना तेरा आज तेरा शौक पूरा कर दूंगा,,,
शुभम की गाली देते हुए जोर-जोर से अपने लंड को शीतल की बुर में डालने लगा और अगले हई भलभलाकर पानी छोड़ दी शीतल पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी थी,,,, उसकी जवानी की आग शांत हो चुकी थी लेकिन शीतल की गर्म जवानी को बुझते हुए देखकर निर्मला की बुर में कुछ ज्यादा ही सोले भड़क रहे थे,,, वह बार-बार अपनी कमर ऊपर की तरफ उठा दे रही थी शीतल को निपटाने के बाद,,, शुभम अपनी मां की कमर को थाम ता हुआ बोला,,,।
तू चिंता मत कर भोंसड़ी की आज तेरी बुर को भोसड़ा बना दूंगा,,,( इतना कहते हुए सुबह में एक बार फिर से अपनी मां की बुर में समा गया और उसकी कमर को थामे हुए उसको चोदना शुरू कर दिया,,, शुभम के धक्के इतनी जबरदस्त थी कि किंग साइज का बेड भी चरमरा रहा था,,, शीतल अभी भी उसी तरह से निर्मला के ऊपर छाई हुई थी उसकी दोनों चूचियों को दबा रही थी देखते ही देखते 15 20 धक्कों में ही निर्मला का पानी निकल गया और शुभम भी चरम सुख के बेहद करीब था उसका भी पानी निकलने वाला था वजह से ही उसे एहसास हुआ कि उसका पानी निकलने वाला है इस बार वह अपनी मां के अंदर अपना पानी ना डालते हुए लंड को बाहर निकाल लिया और अपने लंड का पानी शीतल के पिछवाड़े पर गिराना शुरू कर दिया,,,।
चुदाई की पहली पारी समाप्त हो चुकी थी रात के 12:00 बज रहे थे लेकिन अभी भी रात बाकी थी,,,।