शीतल के उफान मारती जवानी और अपनी मां की मदमस्त दूधिया बदन को छोटे से ड्रेस में देख कर शुभम पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,, उसने तो सिर्फ कल्पना किया था कि छोटे कपड़े में उसकी मां और शीतल किस तरह के लगेंगे लेकिन आंखों के सामने जो दृश्य था वह कल्पना से भी परे था,,, कल्पना से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और उन्मादक,,,
अपनी मां और शीतल की मदमस्त जवानी देखकर शुभम कि आंखें चोंधिया गई थी,,,, छोटे-छोटे ड्रेस में अपनी मां की गोरी चिकनी मोटी मोटी जांघों को देखकर पलभर में ही शुभम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, शीतल कि उनमादकता,, छोटे कपड़ों में और ज्यादा बढ़ती जा रही थी बियर का सुरूर शीतल और निर्मला के साथ-साथ शुभम के तन बदन में भी बढ़ती जा रही थी,,,
शुभम की आंखों में दोनों की जवानी को पी जाने वाली खुमारी छाने लगी थी,,, दोनों दरवाजे पर खड़ी थी और शुभम खिड़की के करीब खड़ा था बाहर हल्की हल्की बर्फ गिर रही थी ऐसे में वातावरण में ठंड का बढ़ जाना लाजमी था लेकिन बियर का असर कहो या शीतल और निर्मला कि गदराई जवानी की गर्मी ,,,,, घर के अंदर का तापमान गर्म होता जा रहा था तभी तो शिमला की ठंडी में भी दोनों छोटे कपड़ों में बिल्कुल सहज नजर आ रहे थे,,,,
शीतल निर्मला एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुराए और शुभम की तरफ देखते हुए दोनों एक साथ बोली,.
हम दोनों कैसी लग रही है छोटे कपड़ों में,,,
कसम से तुम दोनों एकदम माल लग रहे हो मैं तो कभी सोचा भी नहीं था कि छोटे कपड़ों में तुम दोनों इतनी खूबसूरत और सेक्सी लगोगी,,,,
क्या तुम सच कह रहा है या हम दोनों का मन रखने के लिए बोल रहा है,,,( निर्मला शुभम से बोली।)
मेरी बात का अगर तुम दोनों को विश्वास नहीं है तो एक बार सड़क पर निकल जाओ इतनी बर्फ बारी में भी पूरा मोहल्ला तुम दोनों के पीछे पीछे आएगा,,,
( सुबह की बात सुनकर शीतल और निर्मला दोनों हंसने लगे,,,)
तो आज की रात हम दोनों की जवानी तेरे नाम,,,
मैं बेकरार हूं तुम दोनों की जवानी को अपने लंड से पीने के लिए,,,,( इतना कहते हुए शुभम उन दोनों के करीब आ गया और दोनों को अपने एक-एक हाथों में पकड़ कर कभी निर्मला के गालों को तो कभी शीतल के गालों को अपने होठों की गर्मी देने लगा,,,,, शुभम के चुंबन से दोनों का उन्माद बढ़ने लगा था देखते ही देखते हल्की-हल्की चुंबन जबरदस्त किस में बदलने लगी,,, शुभम अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने होंठों में भर कर उसे चूसना शुरू कर दिया,,,, शीतल की गर्म सांसे पलभर में ही कमरे को और ज्यादा गर्मी देने लगी,,, वह भी शुभम की गर्दन पर अपनी लाल-लाल होठों का निशान छोड़ते हुए उसे चूमने लगी और साथ ही अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर पेंट के ऊपर से ही उसकी खड़े लंड को जोर जोर से दबाने लगी,,,,,।
शुभम के बाएं हाथ में शीतल तो दाएं हाथ में निर्मला थी,,, शुभम को अपनी किस्मत पर गर्व हो रहा था शायद ही ऐसी किसी की किस्मत होगी जिसके दोनों हाथों में हाई क्लास की जबरदस्त खूबसूरत औरतें हो और किस्मत तो शुभम की कुछ ज्यादा ही जोर मार रही थी क्योंकि दोनों पेशे से टीचर थी पर उनमें से एक उसकी खुद की बात है जिसकी मदहोश कर देने वाली जवानी देख कर ना जाने कितनों का पानी निकल जाता था,,,, ऐसी खूबसूरत औरत से वह खुद उसे अपनी बाहों में लेकर खेल रहा था,,,, शुभम अपनी मां के होठों को चूमता हुआ दाएं हाथ से उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबा रहा था और बाएं हाथ से शीतल की चूची से खेल रहा था एक साथ उसके दोनों हाथों में अलग-अलग किस्म के पके हुए आम थे जिनका रस बेहद अतुल्य और स्वादिष्ट था,,, और ऐसा मधुर रस पीना किस्मत वालों के नसीब में ही होता है,,,,, शुभम अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के लाल लाल होठों में एक अजीब किस्म का नशा मिलता था,,, जिसे पीकर उसे ताकत मिलती थी,,, वह ताकत शुभम पूरी तरह से अपनी मां की चुदाई में खर्च कर देता था,,,, कुछ देर तक अपनी मां के लाल लाल होठों का रसपान करने के बाद शुभम दूसरी तरफ तड़प रही शीतल के देखते होठों पर अपने होंठ रख कर उसे पीना शुरू कर दिया,,,, तीनों बीयर और जवानी के नशे में पूरी तरह से लिप्त हो चुके थे जिन्हें शिमला की ठंडी बेअसर लग रही थी,,, वैसे सच्चाई यही थी कि शिमला की ठंड बेहद जालिम थी खास करके बाहर से आने वाले लोगों के लिए,,,, लेकिन यह भी सच था कि बियर और मदहोश जवानी का चादर ओढ़े शीतल और निर्मला के तन बदन में से गर्मी फूट रही थी जो कि पूरे कमरे के वातावरण को अपनी गर्माहट बख्श रहा था,,,, तभी तो तीनों एकदम मस्त होकर एक दूसरे की जवानी में पूरी तरह से अपने आप को डुबोने लगे थे,,,
ओहहहह,,,, शुभम मेरे राजा तेरे बिना यह जिंदगी और जवानी दोनों अधूरी है,,,( निर्मला अपनी गोरे-गोरे गाल को अपने बेटे के गाल पर रगड़ ते हुए बोली,,,,। और शीतल अपने मद भरे होठों का स्वाद शुभम को चखा रही थी,,,, निर्मला के तन बदन में मदहोशी कुछ ज्यादा ही छाई हुई थी,,, वह अपने बेटे के गाल पर अपने गोरे गोरे गाल को रगड़ ते हुए एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने बेटे के पेंट की बटन को खोल रही थी,,,,, उसमें बना तंबू निर्मला के होश उड़ा रहा था वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा दोनों की बुर की हालत खराब कर देगा,,,, देखते ही देखते निर्मला खुद अपने हाथों से अपने बेटे की पेंट की बटन को खोल कर उसकी चैन खोलने लगी और एक हाथ से उसके लंड को पेंट से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी लेकिन शुभम का लंड को ज्यादा ही मोटा और लंबा था जिसकी वजह से वह इतनी आसानी से पेंट से बाहर आने से इंकार कर दे रहा था,,,, तो निर्मला से रहा नहीं गया और वह नीचे अपने घुटनों के बल बैठ कर अपने बेटे की पेंट को और नीचे की तरफ खींचने लगी देखते ही देखते शुभम की पेंट उसके पैरों में गिर गई निर्मला अपने घुटनों के बल बैठी हुई थी और शीतल शुभम के होठों को चूसते हुए अपनी नजरों को नीचे करके निर्मला की हरकत को देख रही थी,,,, शुभम अपने पीछे रखे हुए टेबल का सहारा लेकर आराम से खड़ा था,,,,, निर्मला और शुभम के लंड के बीच अभी भी उसका अंडरवियर बाधा बना हुआ था लेकिन निर्मला के तन बदन में इस कदर खुमारी छाई हुई थी कि अपने बेटे के अंडरवियर को उतारने का भी समय उसके पास नहीं था इसलिए वह अंडरवियर के आगे वाले खुले भाग में से अपने बेटे के लंड को बाहर निकालकर उसके पूरे वजूद को अपनी प्यासी आंखों से देखने लगी,,,,
शीतल के तन बदन में यह देखकर आग लग रही थी कि एक बार किस तरह से अपने ही बेटे के लंड से प्यासी औरत की तरह खेल रही है,,, इस तरह के नजारे के बारे में शीतल कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह के दृश्य को वह अपनी आंखों से देख पाएगी लेकिन उसकी आंखों के सामने सब कुछ हकीकत होता जा रहा था मां बेटे के बीच के संबंध को लेकर वह केवल कल्पना ही करती थी लेकिन शुभम और निर्मला ने उसकी कल्पना को संपूर्ण रूप से साकार कर दिया था वरना वह जिंदगी में इतने पवित्र रिश्तो के बीच में इस तरह की कामुकता और उन्मादकता नहीं देख पाती,,,, एक तरह से शीतल उन दोनों मां बेटी की शुक्रगुजार थे जो कि उन दोनों से ही उसे अपनी जिंदगी में रंगीनता नजर आ रही थी जिंदगी जीने की चाह नजर आ रही थी वरना वह भी कल्पना की दुनिया में अपने आप को पूरी तरह से डूबो ले गई थी,,,।
अगर उसे शुभम ना मिला होता तो शायद उसकी जिंदगी में इस पल जो हो रहा है वह कभी नहीं हो पाता वह सिर्फ सपने और कल्पना में ही इस तरह के दृश्य को जी पाती,,, तभी तो वह भगवान को पूरी तरह से शुक्रगुजार मानती है कि अच्छा ही हुआ था कि उस दिन खड़ी दुपहरी में उसे निर्मला के घर भेज दिए थे और वह अपनी आंखों से मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते को अपनी आंखों से तार तार होता है वह देख ली थी और वही नजारे की वजह से ही आज उसे यह खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जिंदगी जीने का मौका मिल रहा था,,,,
आहहहहहहह,,,,, क्या बात है तेरा लंड तो आज कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा लग रहा है,,,,( निर्मला अपने बेटे के लंड को जड़ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाते हुए बोली,,,।)
तुझे छोटे कपड़ों में और तेरी मदमस्त जवानी देख कर मेरा लंड भी बहुत खुश हो गया है मम्मी,, इसलिए खुशी के मारे कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा हो गया है और देखना जब यह तेरी बुर में जाएगा ना तुझे जन्नत के मजे लेगा,,,,,
( दोनों मां बेटों की कामुकता भरी बातें सुनकर शीतल मदहोश हो रही थी वह भी अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर शुभम के लंड को पकड़ते हुए बोली,,,।)
अपनी मां की बुर में ही अपना रस पूरा मत निकाल देना मैं भी तुम्हारे लंड की प्यासी हूं,,,,।
मेरी जान तुम दोनों का ही ख्याल रखने के लिए तो मैं यहां तुम दोनों के साथ आया हूं,,,( शुभम शीतल के होठों को चूमता हुआ बोला,,,। तीनों अपने-अपने तरीके से आनंद ले रहे थे शुभम टेबल से अपने नितंबों को सटाकर खड़ा था,,,। शीतल बार-बार कभी उसके गाल को तो कभी उसको होठों को चूम रही थी और एक हाथ से उसके लंड को पकड़ कर हिला रही थी और शुभम की मां नीचे घुटनों के बल बैठी हुई थी वह अपनी बेटे के लंड को जड़ से पकड़ कर ऊपर नीचे करके उसके संपूर्ण भूगोल को अपनी आंखों से देख रही थी शुभम के मन में यह चल रहा था कि उसकी मां उसके लंड को मुंह में लेकर उसे लॉलीपॉप की तरह यूज कर उसे मस्त कर दें और शायद यही ख्याल निर्मला के मन में भी था लेकिन वह कुछ देर तक अपने बेटे के लैंड से खेलना चाहती थी वैसे भी कोई जल्दबाजी नहीं थी शिमला में यही करने के लिए तो तीनों आए थे इसलिए किसी भी प्रकार की जल्दबाजी निर्मला नहीं कर रही थी,,,। निर्मला भी कभी सपने में नहीं सोची थी कि वह किसी गैर औरत के साथ मिलकर अपने बेटे के साथ चुदाई का खेल खेलेगी वह कभी नहीं सोची थी कि वह जिंदगी में इतनी बेशर्म हो जाएगी कि किसी दूसरी औरत की आंखों के सामने अपने बेटे के लंड को पकड़ कर हिलाएगी उसे चूसेगी अपनी बुर में लेगी,,,, लेकिन उसका यह ना सोचना आज पूरी तरह से हकीकत होकर उसकी आंखों के सामने था,,,।
शिमला में निर्मला को किसी भी प्रकार का डर नहीं था किसी के द्वारा पकड़े जाने का भय बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि शिमला में उसे और उसके बेटे के साथ साथ शीतल को भी शायद कोई नहीं जानता था,,, वह इस बात से पूरी तरह से निश्चिंत थी कि अगर इस तरह का कार्य करते हुए अगर किसी ने उन तीनों को देख भी लिया तो उनका कुछ बीगडने वाला नहीं था,,,,,।
तभी तो तीनों निश्चिंत होकर जवानी का मजा लूट रहे थे शीतल को अपनी हथेली में सुगंध का लंड कुछ ज्यादा मोटा लग रहा था और इस बात का एहसास उसे उसकी बुर को फुदकने के लिए मजबूर कर दिया था,,,,, शुभम के लंड को पकड़ते ही सीतल को इस बात का एहसास हो गया था कि आज की रात शुभम उसकी जवानी को पूरी तरह से निचोड़ डालेगा,,,, निर्मला अपने घुटनों के बल बैठकर अपने बेटे के लंड से खेलते हुए उसे चूसने की प्यास को बढ़ा दी जा रही थी और उसे रहा नहीं गया और वह अपने प्यार से होठों को आगे की तरफ लाकर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े को अपने होठों पर रगड़ने लगी,,,,,।
आहहहहहहह,,, कितनी गर्मी है रे तेरे लंड में,,,,
मेरे लंड से ज्यादा गर्मी तो तेरी बुर में होगी मेरी रानी,,,,,( इतना कहते हुए शुभम अपना एक हाथ अपनी मां के सर पर रख कर उसे हल्का सा दबाव देते हुए अपने लंड की तरफ खींचने लगा जो कि यह इशारा था उसकी मां को कि शुभम भी चाहता है कि वह उसके लंड को मुंह में लेकर चूसे,,, शुभम की हरकत और अधीरता को देखकर निर्मला भी अपना धैर्य खो बैठी और तुरंत अपने बेटे के मोटे सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,,
मदहोशी के आलम में शुभम की आंखें बंद होने लगी शीतल अपनी आंखों से एक मां को उसके ही बेटे के लंड को चूसते हुए देख रही थी जो कि यह दृश्य देखकर वह पूरी तरह से कामोतेजीत हो गई,,, उसका भी दिल करने लगा कि वह भी शुभम के लंड को मुंह में लेकर चूसे,,, इसलिए वह भी नीचे अपने घुटनों के बल बैठने जा ही रही थी कि तभी,,, बाहर से सड़क पर गुजर रही गाड़ी का होरन की आवाज सुनकर शीतल की नजर दरवाजे की तरफ गई तो देखी की खिड़की के सारे पर्दे खुले हुए हैं,,,। वह तुरंत खड़ी होते हुए बोली,,,।
क्या यार पर्दे तो लगा लिए होते फिर वही गलती कर रहे हो,,,
( शीतल की बातें सुनकर निर्मला भी चौक गई और तुरंत अपने मुंह से अपने बेटे के लंड को बाहर निकालकर खिड़की की तरफ देखने लगी तो वाकई में खिड़की पूरी तरह से खुली हुई थी बाहर का नजारा एकदम साफ नजर आ रहा था,,, वह भी खड़ी हो गई,,,। वह भी खिड़की की तरफ जाने लगी तब तक शीतल खिड़की गलत पहुंच चुकी थी और वह पर्दे लगाते हुए बोली,,,।)
अगर कोई देख लेगा तो वह भी भागीदारी मांगने के लिए अंदर आ जाएगा,,,।
तो क्या हुआ शीतल रानी हम दोनों उसे भी अपनी दोनों टांगों के बीच में ले लेंगे,,,
( निर्मला की बात सुनकर शीतल हंसते हुए बोली,,,।)
हां वह तो मालूम ही है तेरी गर्म जवानी किसी को भी पिघलाने के लिए काफी है,,,,। अब चल यहां,, नहीं बेडरूम में चलते हैं वही जाकर मजा करेंगे,,,,।
( शीतल इतना कहकर सीढ़ियां चढ़ने लगी,,,, और निर्मला अपने बेटे की तरफ देखी तो अभी भी शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा था और वह अपनी पेंट को अपनी टांगों में से निकाल कर नीचे से एकदम नंगा हो गया था,,, यह देखकर निर्मला मुस्कुराते हुए अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ लिया और उसका सहारा लेते हुए आगे-आगे सीढ़ियां चढ़ने लगी और शुभम अपनी मां के हाथ में लंड थमाए हुए उसके पीछे पीछे चलने लगा,,,,।