• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

rohnny4545

Well-Known Member
13,280
34,556
259
पहली बारी समाप्त हो चुकी थी दूसरी इनिंग शुरू करने के लिए,,, तीनों को थोड़ी एनर्जी की जरूरत थी,,, तीनों एक ही बिस्तर पर निर्वस्त्र अवस्था में पड़े हुए थे तीनों अपने बदन की गर्मी को अपने-अपने नाजुक अंगों से बाहर निकाल फेंके थे,,,, शीतल के पिछवाड़े पर शुभम का माल गिरा हुआ था जिसे वह,,, पास में पड़ी पेंटी उठाकर साफ करने लगी अभी भी तीनों की गहरी गहरी सांसे चल रही थी,,, सांसो की गति के साथ निर्मला की बड़ी-बड़ी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी शीतल भी उसके बगल में लेट गई थी,,,, उसकी भी दोनों चूचियां सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी शुभम पलंग पर बैठे हुए नीचे पैर लटका कर गहरी गहरी सांसे लेता हुआ अपने लंड को देख रहा था जिसमें से अभी भी शीतल और उसकी मां का मदन रस चु रहा था,,,,।

औहहह मम्मी सच में मजा आ गया,,,, पहली बार एक साथ दो औरत को चोद कर इतना मजा आया है कि पूछो मत,,, ऊफफफ,,, अभी भी पूरे बदन में गनगनाहट हो रही है,,,आहहहह,,,, कितना मजा आ रहा था एक की बुर में डालकर फिर दूसरे की बुर में डालो,,, आंखों के सामने दो दो नंगी औरत किस्मत वालों को यह सब मिलता है दो दो बड़ी-बड़ी गोरी गोरी गांड,,,, क्या किस्मत पाई है मैंने,,,।
( शुभम एकदम खुश होकर बोले जा रहा था और उसे खुश होता हुआ देखकर निर्मला के साथ-साथ शीतल भी प्रसन्न हो रही थी,,,, शीतल अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी हथेली को अपनी बुर की गुलाबी पत्ती पर रखकर रगड़ते हुए बोली,,,,।)

हमें भी तो बहुत मजा आया शुभम मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि किसी मर्द के पास ऐसा लैंड भी होगा जो एक साथ दो दो औरतों की प्यास बुझाएगा,,, वरना यहां तो दो-दो नंगी औरत को देखते ही सामने वाले का पानी निकल जाए लेकिन तू तो पक्का मर्द है एक साथ मेरी ओर खुद की मां की बुर की प्यास मिटा दिया,,,, अच्छा एक बात बताना शुभम क्या तू अपने लंड की सरसों के तेल से मालिश करता है क्या,,,?

नहीं तो ऐसा कुछ भी नहीं है,,,( शुभम अपने लंड को पकड़ कर उसपे लगे दोनों औरतों के मदन रस की बूंदों को गिराने के लिए झटक ते हुए बोला,,,।)

कुदरती ताकत से भरपूर है मेरे बेटे का लंड,,,,,( निर्मला गहरी सांस लेते हुए बोली,,)

सच में निर्मला तू किस्मत वाली है जो तुझे शुभम जैसा बेटा मिला,,,,


तो तू भी पैदा कर ले शुभम जैसा,,,।


इतने साल तो गुजर गए मां बनने की उम्मीद धुंधली होती जा रही है,,, अब नहीं लगता कि मैं कभी मां बन पाऊंगी,,,
( शीतल उदास होते हुए बोली लेकिन अभी भी वह अपनी गुलाबी बुर की पतियों को अपनी हथेली से मसल रही थी,,।)

भगवान की मर्जी के आगे किसका बस चलता है,,,( निर्मला शीतल को सांत्वना देते हुए बोली,,,, शुभम यह सब सुन रहा था लेकिन उनकी बातों का उस पर जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा था,,,। दीवार पर टंगी घड़ी में 12:00 बज रहे थे,,,,,, बाहर पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था शुभम उसी तरह से बिस्तर पर से उठा और खिड़की के करीब पहुंच गया जहां से उसे बाहर का नजारा साफ नजर आ रहा था बाहर अभी भी बर्फ गिर रही थी,,,, बाहर गिर रही बर्फ को देखकर शुभम भी हैरान था कि बाहर कड़ाके की ठंडी पड़ रही थी लेकिन कमरे के अंदर वह और उसकी मां और शीतल बिना कपड़ों के एकदम नंगे बिस्तर पर लेटे हुए थे शुभम को इस बात का एहसास हो गया कि वाकई में औरत के बदन की गर्मी बर्फ के पहाड़ को भी पिघला सकती है,,, वह मन ही मन खुश था इस बात से कि उसकी मां बहुत खूबसूरत और जवान बदल की मालकिन थी जिसका वह भरपूर मजे ले रहा था,,।

शुभम खिड़की पर खड़ा होकर बाहर का नजारा देख रहा था और शीतल और निर्मला शुभम की तरफ देख रहे थे शुभम का हट्टा कट्टा गठीला बदन दोनों को मनमोहक लगता था उसकी चौड़ी छाती मजबूत बाहें मोटी कसी हुई जांगे और उसके गोलाकार नितंब शीतल और निर्मला दोनों को भाता था,,,। और शुभम की सबसे ज्यादा खास चीज उसकी टांगों के बीच लटकता हुआ उसका धारदार खंजर जिसकी चोट जानलेवा तो नहीं लेकिन जिंदगी का असली सुख का मजा दे जाती थी,,,, और वही लटकता हुआ खंजर शीतल और निर्मला दोनों का पसंदीदा अंग था,,,। शिमला आकर तीनों में जबरदस्त बदलाव आया था,,,। निर्मला तो अपनी इस बदलाव से काफी खुश और संतुष्ट नजर आ रही थी वह मन ही मन सोच भी रहे थे कि जिंदगी का असली मजा तो इसी तरह से आता है,,,।

शीतल लगातार अपनी बुर को मसल रही थी,,, और बुर को मसलते मसलते उसे जोरों की पेशाब लग गई,,,, कमरे में भी बाथरूम की सुविधा उपलब्ध थी इसलिए ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं थी और इसलिए शीतल बिस्तर पर से उठी और नंगी ही बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, निर्मला को नहीं मालूम था कि वह मुतने जा रही है इसलिए वह बोली,,,।

कहां जा रही है शीतल,,,?

मुतने जा रही हूं बड़े जोरों की आई है,,,, करना हो तो तू भी आजा,,,,( इतना कहकर शीतल बाथरूम में घुस गई और दरवाजा बंद कर ली,,,, शीतल के मुंह से मुतने वाली बात सुनकर शुभम के बदन में एक बार फिर से गर्मी छाने लगी,,, शीतल की बात का असर निर्मला पर भी हो रहा था वह भी अपनी दोनों टांगों के बीच अपना हाथ ले जा करके अपनी गुलाबी कचोरी को मसलने लगी,,, शुभम अपनी मां की हरकत को देख कर उसकी तरफ मुंह कर लिया और अपने नितंबों को खिड़की के दीवार से सटा दिया और बड़े आराम से अपनी मां की कामुकता भरी हरकत को देख रहा था,,, बाथरूम के अंदर शीतल के मन में खुराफात चल रही थी वह बाथरूम के अंदर ठीक दरवाजे के सामने बैठी हुई थी दरवाजे की तरफ गांड करके,,,, तभी उसके मन में खुराफात उठी और वह हाथ ऊपर की तरफ लाकर दरवाजे की कुंडी खोल कर दरवाजा खोल दी,,,, दरवाजा खोलने की आवाज के साथ ही शुभम और निर्मला दोनों की नजर बाथरूम में गई तो बाथरूम के अंदर का नजारा देखकर दोनों दंग रह गए,,,, शीतल उन दोनों की आंखों के सामने बैठकर पेशाब कर रही थी उसकी बड़ी बड़ी गांड ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में और भी ज्यादा चमक रही थी,,,,

यह नजारा देखते ही शुभम के तन बदन में खलबली मचने लगी पल भर में ही ढीला हो रहा लंड टाइट होना शुरू हो गया,,,, शीतल की बड़ी बड़ी गांड और उसे पेशाब करते हुए देखकर निर्मला के टांगों के बीच सुरसुरी पैदा होने लगी,,,।
शुभम से रहा नहीं गया और वह बाथरूम की तरफ जाने लगा,,, इतना कुछ शीतल के साथ उसकी मां की आंखों के सामने हो जाने के बाद अब शुभम को नहीं लगता था कि कुछ भी करने के लिए उसकी मां की इजाजत नहीं पड़ेगी क्योंकि उसकी मां की भी सहमति शामिल थी,,,।

औरत को पेशाब करता हुआ देखना शुभम की सबसे बड़ी कमजोरियों में से एक थी अब तो कुछ नहीं ना जाने कितनी औरतों को इस तरह से अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए पेशाब करते देख चुका है और ज्यादातर औरतें उसे खुद पेशाब करते हुए अपनी बड़ी-बड़ी गांड का नजारा दिखाती थी उनमें से अब शीतल भी एक थी,,,,। शीतल कामुक नजरों से पेशाब करते हुए पीछे की तरफ देख रही थी,,,।
पर शीतल की आंखों के सामने ही शुभम भी बाथरूम में प्रवेश कर गया,,,, भला निर्मला कहां पीछे रहने वाली थी कामुकता भरे नजारे को देख कर उसके तन बदन में भी खलबली मची हुई थी उसे रानी क्या हुआ बिस्तर से उठ कर देखते ही देखते ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को मटकाते हुए बाथरूम के अंदर पहुंच गई,,,,।
आहहहहह अद्भुत अतुलनीय बेमिसाल जबरदस्त नजारा बाथरूम के अंदर बना हुआ था शीतल अभी भी बैठी हुई थी ठीक उसके बगल में निर्मला खड़ी थी और उन दोनों के सामने शुभम खड़ा था जिसका लंड अब दोनों मटकती गांड को देखकर खास करके शीतल को पेशाब करता हुआ देखकर एकदम खड़ा हो गया था,,,,।

तुम दोनों को भी पेशाब लग गई क्या,,,?


गांड खोलकर मुतोगी तो,, भला अपने आप पर कोन काबू कर पाएगा,,,, मुझसे तो रहा नहीं किया तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड और साथ में तुम्हारी बुर से निकल रही सीटी की आवाज सुनकर मैं पागल हो गया और तुम्हारे पीछे पीछे बाथरूम में आ गया शायद मम्मी भी तुम्हारी मदमस्त गांड देखकर अपने आप को संभाल नहीं पाई और इधर आ गई,,,( शुभम अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,,।)

तू सच कह रहा है शुभम वैसे तो मुझे पेशाब नहीं लगी थी लेकिन शीतल को इस तरह से अपनी गांड दिखाते हुए पेशाब करते हुए देखकर मुझको भी प्रेशर आ गया,,,,


तो देर किस बात की है पेशाब करना शुरू करो,,,,
( इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी खड़े लंड में से पेशाब की धार मारने लगा,,, लेकिन निर्मला के मन में कुछ और चल रहा था आज बैठकर पेशाब नहीं करना चाहती थी आज कुछ और करना चाहती थी उसे अपने बेटे के लंड में से पेशाब निकलता हुआ साफ नजर आ रहा था,,, यह देखकर निर्मला की बुर कुलबुलाने लगी,,,, शीतल का भी यही हाल था व नीचे बैठे हुए ही शुभम की तरफ देख रही थी जो कि अपने खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से हिलाता हुआ पेशाब कर रहा था उसके झूलते हुए लंड को देखकर शीतल के घुटनों में कपकपी दौड़ गई,,,, पर उसे दर्द महसूस होने लगा तो वह खड़ी हो गई,,,।
निर्मला क्या करने वाली है यह दोनों को नहीं पता था निर्मला अपनी बेटे को पेशाब करते हुए और खास करके उसके हिलते हुए लंड को देखकर पूरी तरह से कामोत्तेजना से भर चुकी थी,,,, शुभम ठीक है अपनी मां के सामने खड़ा था निर्मला की आंखों के सामने उसके बेटे का लंड था जो कि ठीक उसकी बुर के सिधान पर था,,, निर्मला बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती थी उसके अंदर भी बराबर का प्रेशर बना हुआ था और वह अपने बेटे की आंखों में झांकते हुए अपनी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच से अमृतमयी पेशाब की धार अपने बेटे के लंड पर मारने लगी,,,,,आहहहहह गजब,,,,( अपने खड़े लंड पर अपनी मां के पेशाब की धार को महसूस करते ही शुभम के मुंह से एकाएक निकल गया वह पूरी तरह से तृप्त हो चुका था एक अद्भुत एहसास से उसका पूरा बदन कसमसा ने लगा था निर्मला के साथ-साथ शुभम के लिए भी यह पहला मौका था जब दोनों इस तरह की उत्तेजनात्मक स्थिति से गुजर रहे थे पहली बार शुभम अपने लंड के ऊपर किसी औरत के पेशाब की धार को गिरते हुए देख रहा था और वह भी अपनी ही मां की बुर से निकल रहे पेशाब की धार को यह नजारा देखकर शीतल के तन बदन में आग लग गई निर्मला अपने बेटे से चुदवाती है यह बात तो वह हजम कर ले गई थी लेकिन निर्मला कि इस तरह की कामुकता उससे बिल्कुल भी हजम नहीं हो रही थी वह तो पूरी तरह से मदहोश होने लगी शायद यह निर्मला पर बियर का और मदहोश जवानी का असर था जो कि वह इतनी ज्यादा खुल चुकी थी,,,, निर्मला की आंखों में खुमारी साफ नजर आ रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बीयर नहीं बल्कि चार बोतलों का नशा करके बैठी हो,,,, अपने बेटे की तरफ देखकर मदहोशी में वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,,, शीतल के तन बदन में आग लगी हुई थी शुभम अब अपने लंड को हिला नहीं रहा था बल्कि अपनी मां की बुर में से निकल रही पेशाब की धार ठीक उसके लंड पर ही गिरे इसलिए ठीक से अपने लंड को पकड़े हुए था,,,। निर्मला अपनी उत्तेजना को काबू में नहीं कर पा रही थी,, अपने दहकते होठों को अपने बेटे के प्यासे होंठों के करीब ले जाकर उसके होंठ को अपने होंठों में दबा कर चूसना शुरु कर दी,,,,

आहहहहह,,,, ऊफफफ,,,,, यह नजारे को देखकर शीतल के मुंह से गर्म सिसकारी फूट रही थी वह अपनी बुर को मसलते हुए गोल गोल अपने नितंबों को घुमा रही थी,,, उसे भी रहा नहीं गया पेशाब कर चुकी थी लेकिन मां बेटे दोनों की कामुकता भरी हरकत को देख कर उसे भी प्रेशर आने लगा और वह भी अपने पेशाब की धार को शुभम के लंड पर मारने लगी दोनों के पेशाब की धार इतनी तेज थी कि शुभम का लंड ऊपर नीचे हिल जा रहा था लेकिन बेहद आनंद की अनुभूति भी उसे हो रही थी यह तीनों के लिए अद्भुत एक अविस्मरणीय एहसास की तरह,,,,। निर्मला जिस तरह से अपने बेटे के होंठों को चूस रही थी शुभम पूरी तरह से पागल हो गया उसके ऊपर मदहोशी जाने लगी और अब अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की नंगी चूची को पकड़कर दशहरी आम की तरह दबाना शुरू कर दिया देखते ही देखते वह अपनी मां को अपनी बाहों में ले लिया हालांकि अभी भी दोनों के नाजुक अंगों में से पेशाब की धार फूट रही थी,,,, शुभम अपनी मां के लाल लाल होठों को चूसता हुआ अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसकी बड़ी बड़ी गांड को मसलना शुरू कर दिया शुभम के तन बदन में इतनी ज्यादा उत्तेजना फैल गई थी कि अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,,
दोनों मां-बेटे की उत्तेजना को देखकर शीतल के तन बदन में आग लगी हुई थी वह खुद ही अपनी बुर को मसल रही थी,,, देखते ही देखते सुबह अपनी मां की गांड को मसलता हुआ उसे बाथरूम में दीवार के करीब ले जाकर दीवार से सटा दिया,,, शुभम अपने लिए पूरी तरह से पोजीशन बना लिया था,, वह अपनी मां की दोनों टांगों को पकड़ कर दीवार से सट आए हुए हैं उसकी मोटी मोटी टांगों को अपनी कमर से लपेट लिया था,,,, एक बार फिर से शीतल शुभम की ताकत और उसकी तेजी को देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी अभी भी सीतल शुभम की भरपूर मर्दाना ताकत को समझ नहीं पाई थी,,,।
शुभम पूरी तरह से तैयार था अपनी मां की बुर में लंड डालने के लिए लेकिन अभी भी उसकी मां की बुर से पेशाब की धार निकल रही थी,,, शुभम पेशाब सहित अपनी मां की रसीली बुर में अपना लंड पेल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,, शिमला की कड़कड़ाती ठंडी में वह अपनी मां की भरपूर चुदाई कर रहा था,,, निर्मला का संपूर्ण बदन खास करके उसकी बड़ी बड़ी गांड शुभम के दोनों हाथों के बीच झूल रही थी और शुभम के खुंटे का सहारा पाकर वह एकदम डटी हुई थी,,, शुभम का हर धक्का निर्मला को जन्नत की सैर करा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे शुभम उड़न खटोला बनकर अपनी मां को उस पर बिठाए हुए हवा में लेकर उड़ रहा हो,,,, दोनों की मजबूत मांसल जाएंगे जब एक दूसरे से टकराती थी तो उनमें से ऐसी मधुर मादक आवाज आती थी मानो कि कोई तबला वादक बहुत ही ताल में तबला बजा रहा हो,,,, शुभम की हर थाप पर निर्मला की आह निकल जा रही थी जो कि बेहद मधुर संगीत की तरह मादक लग रही थी शीतल पूरी तरह से हैरान थी शुभम की मजबूत भुजाओं की ताकत को देखकर शीतल अपनी आंखों से देख रही थी कि कैसे शुभम अपनी मजबूत भुजाओं में अपनी मां की भारी-भरकम शरीर को उठाए हुए खूटे की तरह उसकी बुर में लंड पेल रहा था,,,।
और उसे उठाने में शुभम को जरा भी दिक्कत नहीं आ रही थी यह देखकर शीतल के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसकी बुर कुलबुलआने लगी,,,, एक अजीब सा एहसास शीतल को अपनी बुर के अंदर महसूस हो रहा था वह अपनी बुर की तरफ नजर झुका कर देखी तो एकदम कचोरी की तरह खुली हुई थी जो कि उत्तेजना के मारे फूल पीचक रही थी,,,।

धीरे-धीरे घड़ी अपनी धुरी में घूम रही थी एक बजने वाला था लेकिन तीनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी,,, उत्तेजना के मारे निर्मला का गला सूखता जा रहा था उसकी आहा के साथ उसके चेहरे की रंगत हर पल बदलती जा रही थी उत्तेजना के मारे उसका गोरा गाल सुर्ख लाल हो चुका था,,,,

और जोर जोर से चोद मादरचोद बड़ा दम है तेरे में भोसड़ी के और जोर-जोर से पेल मेरी बुर में अपना लंड,,,,

साली रंडी इतनी जोर जोर से चोद रहा हूं फिर भी तुझे कम पड़ रहा है रुक अभी बताता हूं,,,,।

इतना कहने के साथ ही शुभम जोर जोर से धक्के लगाने लगा इतनी जोर जोर की निर्मला की जांघों के मांस का घेराव पानी में फेंके गए कंकड़ की तरह पानी की तरह लहर मार रहा था,,, यह देखकर शीतल की हालत खराब हो रही थी जिस जोश के साथ शुभम अपनी मां को चोद रहा था और जिस शिद्दत से निर्मला अपने बेटे से चुदवाया ही थी यह देखकर शीतल के पसीने छूट जा रहे थे,,, वाकई में इस तरह का सीन उसने आज तक पोर्न मूवीस में भी नहीं देखी थी आज आंखों से पोर्न मूवी से भी जबरदस्त और बेहद काम उत्तेजना से भरपूर नजारा देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,। वह शुभम की तरफ आगे बढ़ी है और उसके नितंबों पर हाथ रखकर उसे हल्के हल्के दबाते हुए बोली,,,।

तुम मां बेटे की चुदाई देखकर मेरी बुर में चीटियां रेंग रही है,,, शुभम मुझे भी अपनी बुर में तुम्हारा लंड लेना है मेरी बुर से पानी फेंक रहा है,,,,,( इतना कहने के साथ ही शीतल इतनी ज्यादा चुदवाती हो गई थी कि शुभम के ठीक पीछे अपने बदन को सटाकर उसके नितंबों के बीचो बीच अपनी समोसे जैसी फूली हुई बुर को उसके नितंबों से रगड़ना शुरु कर दी यह एहसास शीतल के साथ-साथ शुभम के लिए भी अद्भुत था उसकी कचोरी जैसी फूली हुई बुर उसके नितंबों से रगड़ खा रही थी जिसका एहसास शुभम को बराबर हो रहा था,,,, और इस अद्भुत अहसास से भर कर वह अपनी मां की बुर में और जोर से लंड पहनने लगा देखते ही देखते निर्मला की सिसकारी की आवाज तेज हो गई और शुभम अपनी मां की बुर में लंड पेलता हुआ बोला,,,।


शीतल मादरचोद रंडी मेरी छिनार तेरा नंबर भी आएगा तेरी बुर में भी अपना लंड ऐसा पेलूंगा कि तू जिंदगी भर याद रखेगी,,, साली रंडी बस अपनी बुर को मेरी गांड से रगडते रहे मुझे गर्माहट दे,,,,,( इतना सुनते ही सीतल और भी उत्तेजना के साथ अपनी बुर को उसके नितंबों पर रगड़ने लगी,,,,,) आहहहह,,,आहहहहहहह,,,, शीतल मेरी जान तूने तो मुझे मस्त कर दिया रे बस,,, अपनी मां को निपटा दूं
तब तुझको भी रगडुंगा,,,,,

जल्दी से निपटा अपनी मां को मादरचोद मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,आहहहहह,,,आहहहहहह शुभम मेरे राजा मेरे सरताज बहुत मजा आ रहा है मुझे,,,,( ऐसा कहते हुए शीतल उत्तेजना के मारे जिस तरह से शुभम जोर जोर से अपनी कमर हिला था वह अपनी मां को चोद रहा था उसी तरह से शीतल भी अपनी कमर को आगे पीछे करके शुभम के नितंबों को चोदने लगी,,, निर्मला भी यह सब अपनी आंखों से देख रही थी उसे भी शीतल की हरकत बेहद ऊन्मादक लग रही थी,,,। निर्मला मदहोश हुए जा रही थी,,,
वह अपनी रसीली जीभ से अपने प्यासे तपते हुए होठों को चाट रही थी यह देखकर शुभम अपने होंठ अपनी मां के लाल लाल होंठ पर रखकर चूसना शुरू कर दिया और लगातार उसे चौदे जा रहा था,,, शीतल की सहेली जो कि इस समय अमेरिका में ही रहती थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि शीतल शिमला घूमने के बहाने उसके बंगले का उपयोग अपनी वासना बुझाने के लिए चुदाई का खेल खेलने के लिए करेगी,,,,।


ससहहहहह आहहहहहहह ,ऊमममममम, ऊफफफ,,,,ओहहहह, शुभम,,आहहहहहहह,आहहहहहहह,,

इस तरह की गरम सिसकारीयो से पूरा बाथरूम गूंज रहा था,,,

ओहहहह,,, मेरे राजा मेरा बेटा मेरा राजा बेटा मेरा होने वाला है मेरा पानी निकलने वाला है बेटा और जोर से पेल आहहहहहहह मेरा बेटा और जोर जोर से धक्के लगा,,,,

अपनी मां की गरम सिसकारियां की आवाज के साथ साथ उसकी बातें सुनकर शुभम समझ गया कि उसकी मां चढ़ने वाली है इसलिए वह बराबर से अपनी मां की दोनों टांगों को पकड़कर अपनी दोनों हथेली से उसकी कमर को दबोच लिया और बराबर दीवार से सटाकर और जोर जोर से धक्के लगाकर चोदना शुरू कर दिया शुभम के थक्के इतनी तेज थे की निर्मला से सहन नहीं हो रहा था लेकिन उसका हर एक तक का उसे स्वर्ग का सुख दे रहा था और देखते ही देखते निर्मला झड़ने लगी,,, और झड़ने के साथ ही उसकी बुर की मांसपेशियां शुभम के लंड को अपनी बुर के अंदर ही जकड़ने लगी,,,, जिस तरह से उसकी मां झड़ रही थी उसका एहसास शुभम को और भी ज्यादा उत्तेजित कर रहा था उसका लंड पूरी तरह से उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों के बीच फंसा हुआ था लेकिन फिर भी शुभम की ताकत बुर में लंड को अंदर बाहर करने में सक्षम हो रही थी,,,। वह पूरी तरह से झड़ चुकी थी उसका गला उत्तेजना के मारे सूख चुका था लेकिन फिर भी शुभम इतने ज्यादा उत्तेजित था कि अपने लंड को अपनी मां की बुर में से बाहर नहीं निकाल रहा था और उसी में पेले जा रहा था,,, और पीछे उसके नितंबों पर अपनी बुर रगड़ रही शीतल उस की चुदाई देखकर तड़प रही थी,,,,


बस करो सुबह कुछ मेरे लिए भी बचाओगे या तुम भी झड़ जाओगे,,,,


ले आजा रंडी तू भी नंबर लगाए खड़ी है,,,,( निर्मला अपने बेटे के हाथ में से अपनी टांग को निकालकर नीचे रखते हुए बोली,,,) तेरी बुर में बहुत आग लगी है,,,,।


बहुत लगी है तू तो अपनी आग बुझा ली,,,,( इतना कहने के साथ ही शीतल आगे की तरफ आने लगी और निर्मला हटकर दूसरी तरफ खड़ी हो गई उसकी सांसे अभी भी तेजी से गहरी गहरी चल रही थी जिसे दुरुस्त करते हुए फिर मिला दो कदम पीछे हट कर आराम से दीवार से पीठ सटा कर खड़ी हो गई,,,, उत्तेजना के मारे शुभम का लंड दिल की धड़कन की तरह धड़क रहा था उसमें से निर्मला का मधुर रस नीचे टपक रहा था,,,। शुभम निर्मला का हाथ पकड़कर उसे अपने आगे लेने लगा इस बार वह शीतल को अपनी भुजाओं के सहारे गोद में नहीं उठाया बल्कि उसका मुंह दीवार की तरफ करके उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपनी तरफ खींच लिया,,, और शीतल शुभम के हाथों का खिलौना बनते हुए जैसे जैसे वह उसके बदन को अपने हिसाब से झुकाता गया ठीक वैसे ही सीतल अपने बदन को उसके हिसाब से एडजस्ट करने लगी देखते ही देखते शीतल की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड शुभम की आंखों के सामने और शुभम के मोटे तगड़े लंड के सिधान पर आ गई,,,, सबसे खूबसूरत और मदमस्त बदन की मल्लिका निर्मला की चुदाई करने के बाद भी शुभम ज्यो का त्यों डटा हुआ था,,, उसके लंड में जरा भी ढीलापन नहीं आया था यही तो शुभम की खासियत थी,,,,। आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था और ऐसे में दोनों मां-बेटे और शीतल बाथरूम के अंदर जवानी का मजा लूट रहे थे शीतल तो अपनी किस्मत पर इतराने लगे थे क्योंकि वह कभी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में इतना अद्भुत सुख उसे से प्राप्त होगा,,,,।
शीतल पीछे की तरफ नजरें करके शुभम की हरकत को देख रही थी जो कि इस समय अपने लंड को खिलाता हुआ उसकी तरफ आगे बढ़ रहा था और देखते ही देखते उसकी गुलाबी पुर की गुलाब की पत्तियों के बीच रखकर अपने दोनों हाथ से उसकी भारी-भरकम नितंबों को पकड़कर अपनी कमर पर दबाव देता हुआ उसे आगे की तरफ फैलने लगा पहले से ही मलाई से गीली हो चुकी शीतल की बुर में लंड का स्वागत करने लगे और देखते ही देखते उसका स्वागत करते हुए उसे अपने शयन कक्ष के अंदर उतार ली,,, जहां पर ढेर सारी तपन और गर्मी महसूस हो रही थी और यही तो एक रास्ता था शिमला की कड़कड़ाती ठंडी से बचने के लिए,,,, शिमला की कड़कड़ाती ठंडी में एक यही एक ऐसी सुरंग की गुफा थी जिसके अंदर दुनिया भर का सुकून और शांति मिलती थी,,,। किसी कातिल ठंडी में जीवन को रक्षण मिलता था शुभम अपने मोटे तगड़े नंबर को शीतल की गर्माहट बड़ी सुरंग में डालकर अपनी जिंदगी को एक नया आयाम दे रहा था जिसमें शुभम को तो सुकून मिल रहा था लेकिन शीतल को भी तृप्ति का एहसास हो रहा था इस सुख के आगे औरतों को और मर्दों को दुनिया का हर सुख फीका लगता था और फिर क्या था अभी जिंदगी में औरत और मर्द को अगर संभोग सुख प्राप्त ना हो तो उसका जीवन व्यर्थ होता है,,,। और इस समय मां बेटे और शीतल तीनों अपने जीवन को सार्थक करते हुए चुदाई का भरपूर आनंद लूट रहे थे शुभम को औरतों की पीछे से चुदाई करने में बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी और शायद औरत को भी इस पोजीशन में चुदवाने का परम आनंद महसूस होता था क्योंकि इस पोजीशन में लंड पूरी तरह से बुर की गहराई नाप लेती है,,,।

शुभम का लंड इस समय शीतल की दूर की गहराई नापते हुए उसके बच्चेदानी में चोट लगा रहा था जिससे शीतल का आनंद दोगुना हो जा रहा था,,, बच्चेदानी पर लंड का ठोकर लगना यह अद्भुत एहसास सीतलपुर शुभम से मिलने के बाद ही महसूस हो रहा था वरना इस बारे में वह कभी सोची भी नहीं थी कि इस तरह का सुख भी होता है औरत की जिंदगी में जो कि मर्दों पर ही आधारित रहता है वरना शीतल की बुर की चुदाई शुभम के लंड से आधा भी नहीं होगा,,, ऐसे अधूरी लंड से चुदाई कर भला शीतल अपनी जवानी को कैसे अपने काबू में रख पाते फिर भी बड़ी हिम्मत करके इतने साल तक शीतल अपनी जवानी को बरकरार रखे हुए थे उस पर दाग लगने नहीं दी थी लेकिन शुभम के आगे वह पूरी तरह से अपने दामन बिछा दी थी,,,।

शुभम का हर एक जबरदस्त धक्का शीतल को अद्भुत सुख से भर दे रहा था शीतल पीछे खड़ी दीवार से अपनी पीठ सताए हुए इस अद्भुत दृश्य का लुफ्त उठा रही थी उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं कर रहे थे क्योंकि शुभम इतना जबरदस्त सीकर की चुदाई कर रहा था कि निर्मला के पास बोलने लायक शब्द नहीं बचे थे ऐसा लग रहा था कि मानो बल्लेबाज क्रीज पर पूरी तरह से चमके और सामने वाली टीम के परखच्चे उड़ा रहा हो,,, हर बोल को अपने बल्ले से चौका छक्का लगा रहा हो,,, शीतल शुभम की इस अद्भुत पारी से पूरी तरह से निहाल हो चुकी थी,,,, शीतल के पास बोलने के लिए एक भी शब्द नहीं बचे थे बस उसके मुंह से शब्द की जगह गर्म सिसकारी की आवाज फुट रही थी शुभम के धक्के इतनी तेज थे की शीतल की गांड एकदम लाल हो चुकी थी,,,, बड़ी शिद्दत से शुभम का मोटा तगड़ा लंबा लंड शीतल की बुर की गहराई नाप कर बाहर आ रहा था,,, पर देखते ही देखते शीतल का भी काम तमाम हो गया शीतल के झड़ने के तुरंत बाद शुभम भी झड़ गया,,,,,

तीनों को मजा आ गया था तीनों तृप्त हो चुके थे एक बार फिर तीनों एक साथ पेशाब करके बाथरूम से बाहर आ गए शीतल तो बिस्तर पर पढ़ते ही एकदम चारों खाने चित हो गई निर्मला का भी यही हाल था लेकिन शुभम बिल्कुल भी थका नहीं था,,,। शीतल थोड़ी ही देर में गहरी नींद में सो गई बहुत पेट के बल सोई हुई थी जिससे उसकी बड़ी बड़ी गांड छत की तरफ उभरी हुई नजर आ रही थी,,,। निर्मला कि पूर्व में हल्का हल्का दर्द हो रहा था इसलिए वह अपनी दोनों टांगे फैलाकर नींद की आगोश में चली गई थोड़ी देर बाद शुभम बिस्तर पर से उठा और एक नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर डाला तो रात के 3:00 बज रहे थे,,,। शीतल की बड़ी बड़ी गांड देखकर शुभम के लंड में एक बार फिर से तनाव आने लगा,,,, एक बार फिर से अपनी मां के दोनों टांगों के बीच जगह बनाने लगा लेकिन उसकी मां उसे नींद में ही हटाते हुए बोली,,,।

सो जा सुभम मुझे नींद लग रही है,,,,

( शुभम बेमन से अपनी मां की बात को मानते हुए वह भी रजाई खींचकर तीनों पर ओढा दिया और अपना एक हाथ अपनी मां की दोनों टांगों के बीच मेंले जाकर अपनी मां की बुर सहलाते हुए नींद की आगोश में चला गया,,,, इसी तरह से शुभम शुभम की मां और शीतल तीनों रोज चुदाई का मजा लेते रहे,,, कब 1 सप्ताह बीत गया यह उन्हें भी पता नहीं चला इस बीच वह तीनों ने पूरा सिमला घूम लिया था,,, लेकिन इस बीच शुभम को एक भी मौका नहीं मिला था कि वह घर की नौकरानी शांति की बुर में अपना लंड डाल सकें शांति भी शुभम के लंड के लिए तड़प रही थी,,,,।)
 
Last edited:

rajeev13

Active Member
662
1,048
138
" देखते ही देखते उसका स्वागत करते हुए उसे अपने शयन कक्ष के अंदर उतार ली,,, जहां पर ढेर सारी तपन और गर्मी महसूस हो रही थी और यही तो एक रास्ता था शिमला की कड़कड़ाती ठंडी से बचने के लिए,,,, शिमला की कड़कड़ाती ठंडी में एक यही एक ऐसी सुरंग की गुफा थी जिसके अंदर दुनिया भर का सुकून और शांति मिलती थी,,,। किसी कातिल ठंडी में जीवन को रक्षण मिलता था शुभम अपने मोटे तगड़े नंबर को शीतल की गर्माहट बड़ी सुरंग में डालकर अपनी जिंदगी को एक नया आयाम दे रहा था जिसमें शुभम को तो सुकून मिल रहा था लेकिन शीतल को भी तृप्ति का एहसास हो रहा "

वाह रोहन भाई, कमाल की उत्तेजना और कल्पना का गठजोड़ कहानी में आपने बुना है। :what1:
आप गॉसिप के उन चुनिंदा लेखकों में से एक हो, जिसकी कहानी सदैव गतिमान रही है और आगे भी रहेगी। :kiss1:

(क्षमा चाहता हूँ रोहन भाई, मैं चाहता तो बहुत हूँ मगर कार्य में व्यस्तता के कारणवश हर बार प्रतिक्रिया देकर आपका उत्साहवर्धन करने में विफल रह जाता हूँ :frown:)
 
  • Like
Reactions: rohnny4545

Sanju@

Well-Known Member
4,795
19,376
158
Amazing update

Lovely update
 
  • Like
Reactions: rohnny4545

rohnny4545

Well-Known Member
13,280
34,556
259
" देखते ही देखते उसका स्वागत करते हुए उसे अपने शयन कक्ष के अंदर उतार ली,,, जहां पर ढेर सारी तपन और गर्मी महसूस हो रही थी और यही तो एक रास्ता था शिमला की कड़कड़ाती ठंडी से बचने के लिए,,,, शिमला की कड़कड़ाती ठंडी में एक यही एक ऐसी सुरंग की गुफा थी जिसके अंदर दुनिया भर का सुकून और शांति मिलती थी,,,। किसी कातिल ठंडी में जीवन को रक्षण मिलता था शुभम अपने मोटे तगड़े नंबर को शीतल की गर्माहट बड़ी सुरंग में डालकर अपनी जिंदगी को एक नया आयाम दे रहा था जिसमें शुभम को तो सुकून मिल रहा था लेकिन शीतल को भी तृप्ति का एहसास हो रहा "

वाह रोहन भाई, कमाल की उत्तेजना और कल्पना का गठजोड़ कहानी में आपने बुना है। :what1:
आप गॉसिप के उन चुनिंदा लेखकों में से एक हो, जिसकी कहानी सदैव गतिमान रही है और आगे भी रहेगी। :kiss1:

(क्षमा चाहता हूँ रोहन भाई, मैं चाहता तो बहुत हूँ मगर कार्य में व्यस्तता के कारणवश हर बार प्रतिक्रिया देकर आपका उत्साहवर्धन करने में विफल रह जाता हूँ :frown:)
rajeev भाई आपके कॉमेंट्स हमेशा ही सबसे अलग रहते हैं,,, आपके इस तरह के कमेंट मुझे बहुत अच्छे लगते हैं बहुत-बहुत धन्यवाद
 
  • Like
Reactions: Gokb

urc4me

Well-Known Member
21,530
35,899
258
Waiting for next update
 
  • Like
Reactions: Gokb

Sandy66

Member
169
242
58
Waah, bahut shaandar....
Waiting for next hot update
 
  • Like
Reactions: rohnny4545 and Gokb
Top