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शुभम काफी खुश नजर आ रहा था। उसे मालूम था कि जिस तरह से सरला चाची उसके हाथ लग गई उसी तरह से रूचि भी जल्द ही उसके नीचे आ जाएगी क्योंकि उसे इस बात का आभास हो गया था कि जब वह रुचि के मायके में बाथरूम के अंदर पेशाब करने गया था और जिस तरह से अनजाने में ही रुचि की नजर उसके मोटे तगड़े खड़े लंड पर पड़ गई थी और जिस तरह के भाव उसके चेहरे पर उसके तगड़े लंड को देखकर आई थी,, शुभम ने यह भांप लिया था कि जल्द ही उसकी बुर में उसका लंड होगा। इसलिए तो वह रुचि को लेने जाने के लिए इतना ज्यादा उत्साहित था।
रविवार का दिन था वह अपनी मां को जरूरी काम से जाने के लिए कि कल घर से निकल गया था सुहावना मौसम ठंडी ठंडी हवा बह रही थी और वैसे भी शुभम को सुबह सुबह अपनी मोटरसाइकिल चलाना कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता था और आज तो उसे कम से कम 30 40 किलोमीटर दूर जाना था,,,, भले ही यह सफर 30 40 किलोमीटर के अंतराल पर ही था अगर यह तीन सौ 400 किलोमीटर के अंतराल पर भी होता तो भी शुभम वहां जाने से बिल्कुल भी नहीं जी सकता क्योंकि वहां जाने से उसका मतलब साफ था उसे एक बार फिर से मदमस्त कर देने वाली नव जवान औरत की रसीली बुर जो पाना था। उम्र दराज औरतों की बुर तो उसे बहुत बार चोदने को मिली थी आज पहली बार उसे जवान औरत की रसीली बुर की चाह जगी थी जो कि जल्द ही उसकी चाह पूरी होने वाली थी। और इतना तो वह रुचि से बात करके समझ गया था कि उसका पति उसे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता है इसलिए तो उसे अपनी राह आसान नजर आ रही थी क्योंकि जहां प्यास होती है वहां पानी की जरूरत कुछ ज्यादा ही होती है क्योंकि प्यासे लोग ही पानी की असली कीमत को पहचान पाते हैं और शुभम तो इस समय प्यासी औरतों के लिए एक कुंआ के समान था जो कि हर कोई अपनी प्यास बुझाना चाहता था और वह भी सभी प्यासों की प्यास बुझाने के लिए हमेशा तत्पर रहता था।
आज का मौसम कुछ ज्यादा ही सुहावना था हल्के हल्के बादल आसमान में छाने लगे था। ऐसा लग रहा था कि आज बारिश जमकर होगी,,, वैसे भी शुभम को बारिश का मौसम कुछ ज्यादा ही पसंद था क्योंकि ऐसे में औरतों के बेहद करीब रहने से मादकता का एहसास कुछ ज्यादा ही होता है बिना पिए ही नशा होने लगता है। वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि रुचि को मोटरसाइकिल पर बैठाकर लाते समय अगर तेज बारिश हो जाए तो मजा आ जाए।
Ruuchi ki madmast jawani
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मौसम का मजा लेते हुए आखिरकार शुभम रुचि के घर पहुंच ही गया ,,,,,रुचि को उसकी सास ने फोन पर सब कुछ बता दी थी और वह है शुभम का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। शुभम जब रुचि के घर पर पहुंचा तो रूचि छत पर खड़ी होकर उसी की राह देख रही थीं और शुभम पर नजर पड़ते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी अपने आप उठने लगी,,, रुचि को यह समझ में बीलकुल भी नहीं आ रहा था कि शुभम को देखते ही उसके तन बदन में अचानक बदलाव कैसा आने लगा जबकि इसका कारण साफ था रुचि ने अपनी आंखों से शुभम के नंगे खड़े बेहद मोटे लंड के दर्शन जो कर लिए थे। लेकिन रुचि का इस बारे में बिल्कुल भी ध्यान नहीं गया,,, फिर भी वह इस पल का आनंद ले रही थी।
शुभम रुचि के घर पर पहुंचकर कुछ देर तक आराम किया,,, उसके परिवार वालों वहीं रुका शाम होने वाली थी अब निकलना जरूरी था ,,, इसलिए शुभम इजाजत लेकर उसी से चलने के लिए कहा,,,,,इसके बाद रुचि तैयार होकर अपने ससुराल जाने के लिए आई उसे देख कर शुभम के तन बदन में अचानक उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी पीले रंग की साड़ी में रुचि का खूबसूरत गोरा बदन बेहद फब रहा था वह खूबसूरत होने के साथ साथ बेहद सेक्सी नजर आ रही थी। ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से कोई परी नीचे जमीन पर उतर आई हो। रुचि के खूबसूरत बदन को देखते हैं शुभम के पेंट के अंदर उसका मोटा तगड़ा लंड जो कि सोया हुआ था वह अंगड़ाई लेने लगा। शुभम तो उसे एकटक देखता ही रह गया,,, शुभम को यूं टकटकी बांधे अपनी तरफ देख कर रुचि शरमा गई,,,, रुचि ही शुभम का ध्यान भंग करते हुए उसे बोली।
अब चलोगे या यहीं बैठे रहने का इरादा है,,( रुचि की आवाज सुनकर सुभम का ध्यान भंग हुआ तो वह हढ बढ़ाते हुए बोला।)
हहहह,,हांं,,,,, चलना है ना ।(और इतना कहकर वह सोफे से उठ गया और उसके घरवालों से इजाजत लेकर बाहर आ गया,,, अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट कर के वह रुची के बैठने का इंतजार करने लगा,,,, आज उसी रुचि को अपनी बाइक पर एक बार फिर से बैठ आते समय उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मच रही थी उसका बदन उत्तेजना के मारे कसमसा रहा था जिस तरह की साड़ी और उस साड़ि में खूबसूरती की मिसाल लग रही रुचि के बदन को अपने बदन से सटने का इंतजार उसे बड़ी बेसब्री से हो रहा था। आखिरकार उसकी बेसब्री जल्दी ही खत्म हो गई और वह उसके कंधे का सहारा लेकर उसके मोटरसाइकिल के पीछे बैठ गई जैसे ही उसका खूबसूरत बदन शुभम के बदन से टकराया ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे रुचि के खूबसूरत बदन की गर्माहट और उसकी रगड़ की वजह से उसके बदन से चिंगारी निकल रही हो वह एकदम से उत्तेजना के सागर में डूबता चला गया।
शुभम अपनी मोटरसाइकिल का एक्सीलेटर देकर उसे आगे बढ़ाने लगा कुछ ही देर में शुभम की मोटरसाइकिल मुख्य सड़क पर आ गई लेकिन शुभम अपनी मोटरसाइकिल की स्पीड बढ़ा नहीं रहा था वह आराम से चला रहा था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि यह सफर इतनी जल्दी खत्म हो जाए,,,, उसे इस सफर का पूरा आनंद लेना था। शुभम रुचि से बात करना चाह रहा था लेकिन शुरुआत कहां से करें उसे समझ में नहीं आ रहा था कि तभी रुचि अपने आप को एडजस्ट करने के उद्देश्य से शुभम के कंधे का सहारा दे तभी शुभम मौके का फायदा उठाते हुए बोला।
Shubham or ruchi bike par jate buye
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मुझे पकड़ कर बैठ ना कहीं गिर ना जाओ,,,
मुझे इतनी कमजोर समझे हो कि मैं गिर जाऊंगी तुम चलाते रहो मैं आराम से बैठी हूं।
नहीं मैं तो यूं ही कह रहा था अगर गिर गई तो सरला चाची मुझे डालेंगे की मेरे बहु का ख्याल भी नहीं रख पाया,,,,,
तुम्हें मेरा ख्याल ज्यादा है कि सरला चाची का,,,
सच कहूं तो मुझे तुम दोनों का ज्यादा ख्याल रहता है क्योंकि तुम दोनों मेरे पड़ोसी हो और पड़ोसी का साथ देना उनकी मदद करना एक पड़ोसी का धर्म होता है,,,
बहुत धर्म कर्म की बातें करने लगा है,,,,
अब क्या करूं भाभी अब इस उमर में ज्यादा कुछ तो हो नहीं रहा है तो सोच रहा हूं कि धर्म कर्म ही कर लु,,,,
इरादा तो तेरा बहुत कुछ होता है लेकिन,,,,( शुभम की धर्म कर्म की बात सुनकर रुचि को उस दिन की बात याद आ गई जब वह बाथरूम में पेशाब कर रहा था और उसी समय वहां जाने में दरवाजा खोलकर उसका कड़क लंबा मोटा तगड़ा लैंड अपनी आंखों से देख ली थी लेकिन इतना कहने से ज्यादा कुछ बोल नहीं पाई और खामोश हो गई)
मेरे इरादे के बारे में आपको कैसे पता चल रहा है मैंने तो ऐसा वैसा कुछ किया कि नहीं कि मेरे इरादे के बारे में आपको भनक तक लगे,,,
चल अब ज्यादा बातें मत बना मैं तेरे को अच्छी तरह से जानती हूं कि तू क्या चीज है,,,,,
ओहहहहह,,, बहुत जल्दी मेरे इरादे के बारे में और मैं क्या चीज हूं इस बारे में तुम जान गई मुझे तो यकीन नहींं हो रहा है,,,,
( सुभम की यह बातें सुनकर रुचि उसके इस बात का जवाब दिए बिना खामोश रही,,, जिस तरह की हलचल को सुबह महसूस कर रहा था उससे कहीं ज्यादा हलचल रुचि अपने बदन में महसूस कर रही थी एक पराए मर्द के बगल में बैठकर राज उसे काफी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और यह उत्तेजना ऐसे ही नहीं थी इसका यही कारण था कि रुचि अपनी आंखों से शुभम के दमदार हथियार के दर्शन कर ली थी जिसके आगे उसके पति का लंड कुछ भी नहीं था इसलिए तो उसे ना जाने कैसी कशमसाहट अपने बदन में महसूस हो रही थी और उसकी टांगों के बीच की उस पतली दरार में से गिले पन का रिसाव हो रहा था जो की ऋची को इसका अहसास एकदम साफ तौर पर हो रहा था।,, शुभम भी खामोश था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आगे की बात कैसे करें वैसे तो रूचि के चेहरे पर बदलती भाव को भागते हुए वह अपने आप से बातें कर रहा था कि उसे अपने दिल की बात सीधे तौर पर नहीं तो इशारों में कह ही देनी चाहिए।,,,,, तभी ऐसा लगा कि मौसम भी उसका साथ दे रहा है और बादलो की गड़गड़ाहट होने लगी,,, रुचि के मन में भी यही सब चल रहा था वह भी इस सफर को इतनी जल्दी खत्म नहीं होने देना चाह रही थी। ना जाने क्यों शुभम का साथ उसे अच्छा लगने लगा था एक तरह से वह अपने मन में शुभम को लेकर यही कल्पना करती रहती थी कि काश उसका पति शुभम ही होता तो कितना अच्छा होता,,,,, बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर उसके मन में भी यही होने लगा की काश बारिश हो जाती तो बहुत अच्छा होता पहली बार किसी गैर मर्द के साथ भीगने में कैसा आनंद आता है इसका अनुभव लेना चाहती थी ,,, और शायद भगवान भी उसके मन की पुकार को सुन लिए थे और हल्की हल्की बारिश होना शुरू हो गई,,, और शुभम को यही मौका सही लग रहा था क्योकि जिस रास्ते से वह लोग जा रहे थे कुछ देर तक गांव का कच्चा रास्ता पड़ता था जहां पर लोगों का आना जाना बहुत ही कम होता था। धीरे-धीरे दोनों भीगना शुरू कर दिए थे। शुभम मौके की नजाकत को देखते हुए बोला ,,,,।
भाभी में एक बात कहूं तुम बुरा तो नहीं मानोगी,,,
क्यों नहीं अगर बुरा मानने वाली बात होगी तो जरूर मानूंगी (रूचि ऊपर ही मन से बोली लेकिन अंदर से वह यही चाह रही थी कि शुभम कुछ इधर-उधर की बातें करें,,)
चलो कोई बात नहीं अगर बुरा मानने वाली बात होगी तो मुझे दो चार बातें कह लेना या मन में आए तो दो चार थप्पड़ लगा लेना इससे ज्यादा क्या करोगी,,,,,
बातें बहुत बनाते हो,,,,,
क्या करूं मेरी आदत ही कुछ ऐसी है ,,,,अच्छा तो मैं यह कह रहा था कि,,,, भाभी उस दिन वाली बात से कहीं आप नाराज तो नहीं हो,,,
किस दिन वाली बात से,,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है तु क्या कहना चाह रहा है।( रूचि को इतना तो समझ में आई गया कि शुभम कौन सी बात कर रहा है लेकिन फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए वह बोली)
अरे भाभी उस दिन वाली बात जब मैं तुम्हें घर छोड़ने आया था और पेशाब करने के लिए बाथरूम गया था और अनजाने में तुम बाथरुम में आ गई थी,,,( शुभम बिना रुके सब कुछ बोल दिया।)
तो इसमें क्या हो गया,,,(रुचि जानबूझकर इतने आराम से यह बात कह रही थी कि जैसे वास्तव में उसे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता हो,,, लेकिन इतना तो शुभम समझता ही था कि बाथरूम का नजारा देखकर रूचि के मन में क्या असर हुआ होगा)
क्या बात कर रही हो भाभी आपको बिल्कुल भी फर्क नहीं पढ़ा था उस वाक्ये के बाद।
नहीं तो मुझे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा था,,,( रुचि जानबूझकर झूठ बोल रही थी यह तो वह अच्छी तरह से जानती थी कि उस नजारे को देखने के बाद से रुचि की हालत कितनी खराब होने लगी थी ,,, शुभम के मोटे तगड़े लंड को देखो करो वह अपने हाथ से ही अपनी प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती रही लेकिन उसकी प्यास बुझने के बजाय और भी ज्यादा भड़कने लगी थी।)
क्या भाभी मुझे तो लगा था कि उस दिन के बाद से तुम मुझसे नाराज रहोगी मुझसे बातें नहीं करोगी इसलिए तो मुझे अंदर ही अंदर यह डर सता रहा था कि आपसे बात किए बिना मुझे अच्छा नहीं लगेगा ,,,
( शुभम की यह बातें सुनकर रुची को अंदर ही अंदर प्रसन्नता हो रहीं थी कि वह इस बात से परेशान था कि मैं उससे बात नहीं करूंगी इसका मतलब मेरे लिए उसके दिल में कुछ कुछ जरूर होता है। वह शुभम की यह बात सुनकर बोली।)
मैं भला तुमसे नाराज क्यों होने लगुंगी कोई इतनी बड़ी तो गलती कीए नहीं थे कि मैं तुमसे नाराज हो जाऊं वैसे भी मेरी ही गलती थी मैं बिना दरवाजे पर दस्तक दिए बिना ही अंदर घुस गई थी।,,, ( रुचि भले यह बात अपने मुंह से बोल रही थी लेकिन उसका दीदी जानता था कि अपनी इस गलती की वजह से वह अंदर ही अंदर शुभम के प्रति कितना आकर्षित होने लगी थी और उसे अपनी है गलती बहुत ही ज्यादा अच्छी भी लग रही थी क्योंकि उस गलती की वजह से ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि मर्द का लैंड उसके पति की तरह नहीं करती शुभम की तरह होता है। रुचि भले यह बात अपने मुंह से बोल रही थी लेकिन उसका दील ही जानता था कि अपनी इस गलती की वजह से वह अंदर ही अंदर शुभम के प्रति कितना आकर्षित होने लगी थी और उसे अपनी है गलती बहुत ही ज्यादा अच्छी भी लग रही थी क्योंकि उस गलती की वजह से ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि मर्द का लंड उसके पति की तरह नहीं बल्कि शुभम की तरह होता है।)
लेकिन भाभी सही कहूं तो गलती मेरी ही थी मैंने दरवाजे को लोक नहीं किया था जबकि मुझे यह करना चाहिए था और सबसे बड़ी गलती तो मेरी यही थी कि तुम मेरे सामने खड़ी हो कर देख रही थी और मैं तुम्हें देखते हुए भी अपने लंड को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि ना जाने क्यो मैं उस समय तुम्हारी आंखों के सामने उसे हिला रहा था और तो और सामान्य तौर पर वह ढीला भी नहीं था बल्कि एकदम खड़ा था इसलिए मुझे अपनी गलती का एहसास हो रहा है।( शुभम जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए अपनी बात बता रहा था जो कि इस तरह के शब्द और शुभम की गंदी बातें सुनकर रुचि के तन बदन में आग लग रही थी एक तो धीरे-धीरे बारिश की बूंदों की वजह से दोनों पूरी तरह से भीगने लगे थे और धीरे-धीरे बारिश का जोर तेज होता जा रहा था साथ ही बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ती जा रही थी ।)
हां यह बात तो माननी पड़ेगी कि कुछ गलती तुम्हारी भी है मैं अनजाने में बाथरूम में घुस गई थी लेकिन तुमने अपने लंड को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किए थे ।(रुचि जानबूझकर अब खुले तौर पर लंड शब्द का प्रयोग कर रही थी क्योंकि वह पूरी उत्तेजना ग्रस्त हो चुकी थी । इस तरह के सबके को सुनने में और कहने में अब उसे आनंद की प्राप्ति हो रही थी रुचि के मुंह से इस तरह की गंदी बात सुनकर शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और धीरे-धीरे बाइक आगे बढ़ा रहा था और साथ ही रह रह कर उंचे नीचे गडडो की वजह से ब्रेक लगा ले रहा था ,, ना चाहते हुए भी रुचि का बदन शुभम से और ज्यादा शट जा रहा था जिसकी वजह से उसकी दोनों गोलाईया शुभम की पीठ पर अच्छी तरह से महसूस हो रही थी इस तरह से दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी..,,,)
मैं मानता हूं भाभी की मुझसे गलती हुई थीं लेकिन सब कुछ अनजाने में ही हुआ था कोई जानबूझकर मैंने नहीं किया था।,,,,,
चलो कोई बात नहीं मैं मानती हो कि सब कुछ अनजाने में ही हुआ था तो कि मुझे यह समझ में नहीं आ रहा था कि सब कुछ सामान्य होते हुए भी तुम्हारा लंड इतना खड़ा क्यों था जैसे कि पूरा तैयार हो,,,
( रुचि के मुंह से यह सब गंदे शब्द निकलते जा रहे थे लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब शब्द उसके मुंह से निकल कैसे जा रहे हैं यह सब शुभम के साथ का कमाल था जो कि वह उसके दमदार हथियार को देखकर उसकी जबरदस्त एहसांस को अभी तक अपने अंदर महसूस कर रही थी और उसकी वजह से वह शुभम के आगे इतना खुल गई थी और इस सफर का आनंद लेते हुए गंदे शब्दों के साथ एकदम गंदी बातें कर रही थी।,,, शुभम को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि रूसी जैसी औरत जबकि यह बात अच्छी तरह से जानता था कि रुचि बहुत ही प्यासी औरत थी लेकिन वह अभी तक पूरी तरह से संस्कार के सांचे में ढली हुई थी उससे बाहर नहीं निकली थी लेकिन इतनी जल्दी उसके मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनने को मिलेगी इसलिए उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन जो कुछ भी हो रहा था वह अच्छा ही हो रहा था और उसी में उसकी भलाई थी और लाभ भी। लेकिन उस के ईस सवाल के साथ ही उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि जो रुचि कह रही थी वह बिल्कुल सही था सामान्य तौर पर कभी भी मर्द का लंड खड़ा नहीं होता कुछ मादक या उत्तेजनापूर्ण वस्तु देखने के बाद ही मर्द का लंड खड़ा होता है,,, और सबसे बड़ी उत्तेजनात्मक वस्तु उस समय उसकी आंखों के सामने रूचि ही थी लेकिन वह अपने मुंह से कैसे कह दें कि तुम्हें देखकर लंड खड़ा हुआ था। शुभम को इस तरह से खामोश देखकर रुचि अपने सवाल को वापिस दोहराते हुए बोली ।)
Ruchi barsaat me bhigne k bad uski gaand kuch is tarah se dikh rahi thi
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क्या हुआ चुप क्यों हो गया मेरे सवाल का जवाब क्यो नहीं देता,,
( शुभम को समझ मे नहीं आ रहा था कि क्या बोले दूसरी तरफ बारिश का जोर बढ़ता जा रहा था अब इतनी तेज बारिश हो रही थी कि उसे आगे का रास्ता ठीक से नजर नहीं आ रहा था और साथ ही तेज हवा चल रही थी और तो और बादल की गड़गड़ाहट से पूरा वातावरण डरावना होता जा रहा था शाम ढल चुकी थी बारिश की वजह से अंधेरा लगने लगा था,, ऐसे हालात में आगे बढ़ना ठीक नहीं था इसलिए वह रुचि से बोला।)
भाभी हमें कहीं जगह देख कर कुछ देर के लिए रुकना पड़ेगा जब तक की बारिश नहीं थम जाती क्योंकि बारिश कितनी तेज हो रही है और साथ ही हवा भी तेज है ऐसे में आगे मोटरसाइकिल चला कर ले जा पाना बड़ा ही मुश्किल है ऐसे में गिरने का डर ज्यादा है क्या कहती हो,,,,
रुक तो जाए लेकिन रुकेंगे कहां यहां तो कुछ नजर भी नहीं आ रहा है सब जगह केवल खेत ही खेत दिखाई दे रहे हैं,,,(रुचि को भी इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो गया था कि ऐसे में सफर करना ठीक नहीं था इसलिए मौके की नजाकत को देखते हुए वह बोली.)
बात तो तुम ठीक कह रही हो भाभी कहीं कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा है,,,
( शुभम इतना बोला घर था कि तभी रुचि की नजर पास में ही एक झोपड़ी पर पड़ी जो कि खाली ही लग रही थी उस पर नजर पड़ते ही रुचि खुशी के मारे बोली)
शुभम और रुची कुछ इस तरह से
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वह देखो शुभम,,,, औ रही झोपड़ी,,,, खाली ही लग रही है चलो उसमें चलते हैं,,,( इतना सुनते ही शुभम उस तरफ देखकर तसल्ली कर लेने के बाद अपनी मोटरसाइकिल बंद कर दिया और तुरंत रुचि मोटरसाइकिल से नीचे उतरकर उस झोपड़ी की तरफ जाने लगी शुभम उसे जाते हुए देख रहा था जो कि इस समय पूरी तरह से भीग चुकी थी और उसकी पीले रंग की पतली साड़ी के साथ-साथ उसकी ब्लाउज भीग कर गोरे गोरे बदन से चिपक गई थी जिसमें से लाल रंग की ब्रा की पट्टी साफ नजर आ रही थी और साथ ही उसकी सारी पूरी तरह से खत्म होने की वजह से हल्की हल्की उसकी पैंटी की पट्टी साफ तौर पर उसकी गोलाकार नितंबो से चिपकी हुई नजर आ रही थी या देखते ही शुभम के लंदन में हरकत होना शुरू हो गया और वह अपनी मोटरसाइकिल खड़ी करके उसके पीछे पी2छे जाने लगा कुछ ही देर में वह दोनों झोपड़ी के अंदर आ चुके थे,,,।
Barish me bhigne k baad ruchi kuch is tarah se khubsurar or jyada sexy Lagne...
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रविवार का दिन था वह अपनी मां को जरूरी काम से जाने के लिए कि कल घर से निकल गया था सुहावना मौसम ठंडी ठंडी हवा बह रही थी और वैसे भी शुभम को सुबह सुबह अपनी मोटरसाइकिल चलाना कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता था और आज तो उसे कम से कम 30 40 किलोमीटर दूर जाना था,,,, भले ही यह सफर 30 40 किलोमीटर के अंतराल पर ही था अगर यह तीन सौ 400 किलोमीटर के अंतराल पर भी होता तो भी शुभम वहां जाने से बिल्कुल भी नहीं जी सकता क्योंकि वहां जाने से उसका मतलब साफ था उसे एक बार फिर से मदमस्त कर देने वाली नव जवान औरत की रसीली बुर जो पाना था। उम्र दराज औरतों की बुर तो उसे बहुत बार चोदने को मिली थी आज पहली बार उसे जवान औरत की रसीली बुर की चाह जगी थी जो कि जल्द ही उसकी चाह पूरी होने वाली थी। और इतना तो वह रुचि से बात करके समझ गया था कि उसका पति उसे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता है इसलिए तो उसे अपनी राह आसान नजर आ रही थी क्योंकि जहां प्यास होती है वहां पानी की जरूरत कुछ ज्यादा ही होती है क्योंकि प्यासे लोग ही पानी की असली कीमत को पहचान पाते हैं और शुभम तो इस समय प्यासी औरतों के लिए एक कुंआ के समान था जो कि हर कोई अपनी प्यास बुझाना चाहता था और वह भी सभी प्यासों की प्यास बुझाने के लिए हमेशा तत्पर रहता था।
आज का मौसम कुछ ज्यादा ही सुहावना था हल्के हल्के बादल आसमान में छाने लगे था। ऐसा लग रहा था कि आज बारिश जमकर होगी,,, वैसे भी शुभम को बारिश का मौसम कुछ ज्यादा ही पसंद था क्योंकि ऐसे में औरतों के बेहद करीब रहने से मादकता का एहसास कुछ ज्यादा ही होता है बिना पिए ही नशा होने लगता है। वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि रुचि को मोटरसाइकिल पर बैठाकर लाते समय अगर तेज बारिश हो जाए तो मजा आ जाए।
Ruuchi ki madmast jawani
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मौसम का मजा लेते हुए आखिरकार शुभम रुचि के घर पहुंच ही गया ,,,,,रुचि को उसकी सास ने फोन पर सब कुछ बता दी थी और वह है शुभम का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। शुभम जब रुचि के घर पर पहुंचा तो रूचि छत पर खड़ी होकर उसी की राह देख रही थीं और शुभम पर नजर पड़ते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी अपने आप उठने लगी,,, रुचि को यह समझ में बीलकुल भी नहीं आ रहा था कि शुभम को देखते ही उसके तन बदन में अचानक बदलाव कैसा आने लगा जबकि इसका कारण साफ था रुचि ने अपनी आंखों से शुभम के नंगे खड़े बेहद मोटे लंड के दर्शन जो कर लिए थे। लेकिन रुचि का इस बारे में बिल्कुल भी ध्यान नहीं गया,,, फिर भी वह इस पल का आनंद ले रही थी।
शुभम रुचि के घर पर पहुंचकर कुछ देर तक आराम किया,,, उसके परिवार वालों वहीं रुका शाम होने वाली थी अब निकलना जरूरी था ,,, इसलिए शुभम इजाजत लेकर उसी से चलने के लिए कहा,,,,,इसके बाद रुचि तैयार होकर अपने ससुराल जाने के लिए आई उसे देख कर शुभम के तन बदन में अचानक उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी पीले रंग की साड़ी में रुचि का खूबसूरत गोरा बदन बेहद फब रहा था वह खूबसूरत होने के साथ साथ बेहद सेक्सी नजर आ रही थी। ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से कोई परी नीचे जमीन पर उतर आई हो। रुचि के खूबसूरत बदन को देखते हैं शुभम के पेंट के अंदर उसका मोटा तगड़ा लंड जो कि सोया हुआ था वह अंगड़ाई लेने लगा। शुभम तो उसे एकटक देखता ही रह गया,,, शुभम को यूं टकटकी बांधे अपनी तरफ देख कर रुचि शरमा गई,,,, रुचि ही शुभम का ध्यान भंग करते हुए उसे बोली।
अब चलोगे या यहीं बैठे रहने का इरादा है,,( रुचि की आवाज सुनकर सुभम का ध्यान भंग हुआ तो वह हढ बढ़ाते हुए बोला।)
हहहह,,हांं,,,,, चलना है ना ।(और इतना कहकर वह सोफे से उठ गया और उसके घरवालों से इजाजत लेकर बाहर आ गया,,, अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट कर के वह रुची के बैठने का इंतजार करने लगा,,,, आज उसी रुचि को अपनी बाइक पर एक बार फिर से बैठ आते समय उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मच रही थी उसका बदन उत्तेजना के मारे कसमसा रहा था जिस तरह की साड़ी और उस साड़ि में खूबसूरती की मिसाल लग रही रुचि के बदन को अपने बदन से सटने का इंतजार उसे बड़ी बेसब्री से हो रहा था। आखिरकार उसकी बेसब्री जल्दी ही खत्म हो गई और वह उसके कंधे का सहारा लेकर उसके मोटरसाइकिल के पीछे बैठ गई जैसे ही उसका खूबसूरत बदन शुभम के बदन से टकराया ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे रुचि के खूबसूरत बदन की गर्माहट और उसकी रगड़ की वजह से उसके बदन से चिंगारी निकल रही हो वह एकदम से उत्तेजना के सागर में डूबता चला गया।
शुभम अपनी मोटरसाइकिल का एक्सीलेटर देकर उसे आगे बढ़ाने लगा कुछ ही देर में शुभम की मोटरसाइकिल मुख्य सड़क पर आ गई लेकिन शुभम अपनी मोटरसाइकिल की स्पीड बढ़ा नहीं रहा था वह आराम से चला रहा था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि यह सफर इतनी जल्दी खत्म हो जाए,,,, उसे इस सफर का पूरा आनंद लेना था। शुभम रुचि से बात करना चाह रहा था लेकिन शुरुआत कहां से करें उसे समझ में नहीं आ रहा था कि तभी रुचि अपने आप को एडजस्ट करने के उद्देश्य से शुभम के कंधे का सहारा दे तभी शुभम मौके का फायदा उठाते हुए बोला।
Shubham or ruchi bike par jate buye
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मुझे पकड़ कर बैठ ना कहीं गिर ना जाओ,,,
मुझे इतनी कमजोर समझे हो कि मैं गिर जाऊंगी तुम चलाते रहो मैं आराम से बैठी हूं।
नहीं मैं तो यूं ही कह रहा था अगर गिर गई तो सरला चाची मुझे डालेंगे की मेरे बहु का ख्याल भी नहीं रख पाया,,,,,
तुम्हें मेरा ख्याल ज्यादा है कि सरला चाची का,,,
सच कहूं तो मुझे तुम दोनों का ज्यादा ख्याल रहता है क्योंकि तुम दोनों मेरे पड़ोसी हो और पड़ोसी का साथ देना उनकी मदद करना एक पड़ोसी का धर्म होता है,,,
बहुत धर्म कर्म की बातें करने लगा है,,,,
अब क्या करूं भाभी अब इस उमर में ज्यादा कुछ तो हो नहीं रहा है तो सोच रहा हूं कि धर्म कर्म ही कर लु,,,,
इरादा तो तेरा बहुत कुछ होता है लेकिन,,,,( शुभम की धर्म कर्म की बात सुनकर रुचि को उस दिन की बात याद आ गई जब वह बाथरूम में पेशाब कर रहा था और उसी समय वहां जाने में दरवाजा खोलकर उसका कड़क लंबा मोटा तगड़ा लैंड अपनी आंखों से देख ली थी लेकिन इतना कहने से ज्यादा कुछ बोल नहीं पाई और खामोश हो गई)
मेरे इरादे के बारे में आपको कैसे पता चल रहा है मैंने तो ऐसा वैसा कुछ किया कि नहीं कि मेरे इरादे के बारे में आपको भनक तक लगे,,,
चल अब ज्यादा बातें मत बना मैं तेरे को अच्छी तरह से जानती हूं कि तू क्या चीज है,,,,,
ओहहहहह,,, बहुत जल्दी मेरे इरादे के बारे में और मैं क्या चीज हूं इस बारे में तुम जान गई मुझे तो यकीन नहींं हो रहा है,,,,
( सुभम की यह बातें सुनकर रुचि उसके इस बात का जवाब दिए बिना खामोश रही,,, जिस तरह की हलचल को सुबह महसूस कर रहा था उससे कहीं ज्यादा हलचल रुचि अपने बदन में महसूस कर रही थी एक पराए मर्द के बगल में बैठकर राज उसे काफी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और यह उत्तेजना ऐसे ही नहीं थी इसका यही कारण था कि रुचि अपनी आंखों से शुभम के दमदार हथियार के दर्शन कर ली थी जिसके आगे उसके पति का लंड कुछ भी नहीं था इसलिए तो उसे ना जाने कैसी कशमसाहट अपने बदन में महसूस हो रही थी और उसकी टांगों के बीच की उस पतली दरार में से गिले पन का रिसाव हो रहा था जो की ऋची को इसका अहसास एकदम साफ तौर पर हो रहा था।,, शुभम भी खामोश था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आगे की बात कैसे करें वैसे तो रूचि के चेहरे पर बदलती भाव को भागते हुए वह अपने आप से बातें कर रहा था कि उसे अपने दिल की बात सीधे तौर पर नहीं तो इशारों में कह ही देनी चाहिए।,,,,, तभी ऐसा लगा कि मौसम भी उसका साथ दे रहा है और बादलो की गड़गड़ाहट होने लगी,,, रुचि के मन में भी यही सब चल रहा था वह भी इस सफर को इतनी जल्दी खत्म नहीं होने देना चाह रही थी। ना जाने क्यों शुभम का साथ उसे अच्छा लगने लगा था एक तरह से वह अपने मन में शुभम को लेकर यही कल्पना करती रहती थी कि काश उसका पति शुभम ही होता तो कितना अच्छा होता,,,,, बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर उसके मन में भी यही होने लगा की काश बारिश हो जाती तो बहुत अच्छा होता पहली बार किसी गैर मर्द के साथ भीगने में कैसा आनंद आता है इसका अनुभव लेना चाहती थी ,,, और शायद भगवान भी उसके मन की पुकार को सुन लिए थे और हल्की हल्की बारिश होना शुरू हो गई,,, और शुभम को यही मौका सही लग रहा था क्योकि जिस रास्ते से वह लोग जा रहे थे कुछ देर तक गांव का कच्चा रास्ता पड़ता था जहां पर लोगों का आना जाना बहुत ही कम होता था। धीरे-धीरे दोनों भीगना शुरू कर दिए थे। शुभम मौके की नजाकत को देखते हुए बोला ,,,,।
भाभी में एक बात कहूं तुम बुरा तो नहीं मानोगी,,,
क्यों नहीं अगर बुरा मानने वाली बात होगी तो जरूर मानूंगी (रूचि ऊपर ही मन से बोली लेकिन अंदर से वह यही चाह रही थी कि शुभम कुछ इधर-उधर की बातें करें,,)
चलो कोई बात नहीं अगर बुरा मानने वाली बात होगी तो मुझे दो चार बातें कह लेना या मन में आए तो दो चार थप्पड़ लगा लेना इससे ज्यादा क्या करोगी,,,,,
बातें बहुत बनाते हो,,,,,
क्या करूं मेरी आदत ही कुछ ऐसी है ,,,,अच्छा तो मैं यह कह रहा था कि,,,, भाभी उस दिन वाली बात से कहीं आप नाराज तो नहीं हो,,,
किस दिन वाली बात से,,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है तु क्या कहना चाह रहा है।( रूचि को इतना तो समझ में आई गया कि शुभम कौन सी बात कर रहा है लेकिन फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए वह बोली)
अरे भाभी उस दिन वाली बात जब मैं तुम्हें घर छोड़ने आया था और पेशाब करने के लिए बाथरूम गया था और अनजाने में तुम बाथरुम में आ गई थी,,,( शुभम बिना रुके सब कुछ बोल दिया।)
तो इसमें क्या हो गया,,,(रुचि जानबूझकर इतने आराम से यह बात कह रही थी कि जैसे वास्तव में उसे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता हो,,, लेकिन इतना तो शुभम समझता ही था कि बाथरूम का नजारा देखकर रूचि के मन में क्या असर हुआ होगा)
क्या बात कर रही हो भाभी आपको बिल्कुल भी फर्क नहीं पढ़ा था उस वाक्ये के बाद।
नहीं तो मुझे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा था,,,( रुचि जानबूझकर झूठ बोल रही थी यह तो वह अच्छी तरह से जानती थी कि उस नजारे को देखने के बाद से रुचि की हालत कितनी खराब होने लगी थी ,,, शुभम के मोटे तगड़े लंड को देखो करो वह अपने हाथ से ही अपनी प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती रही लेकिन उसकी प्यास बुझने के बजाय और भी ज्यादा भड़कने लगी थी।)
क्या भाभी मुझे तो लगा था कि उस दिन के बाद से तुम मुझसे नाराज रहोगी मुझसे बातें नहीं करोगी इसलिए तो मुझे अंदर ही अंदर यह डर सता रहा था कि आपसे बात किए बिना मुझे अच्छा नहीं लगेगा ,,,
( शुभम की यह बातें सुनकर रुची को अंदर ही अंदर प्रसन्नता हो रहीं थी कि वह इस बात से परेशान था कि मैं उससे बात नहीं करूंगी इसका मतलब मेरे लिए उसके दिल में कुछ कुछ जरूर होता है। वह शुभम की यह बात सुनकर बोली।)
मैं भला तुमसे नाराज क्यों होने लगुंगी कोई इतनी बड़ी तो गलती कीए नहीं थे कि मैं तुमसे नाराज हो जाऊं वैसे भी मेरी ही गलती थी मैं बिना दरवाजे पर दस्तक दिए बिना ही अंदर घुस गई थी।,,, ( रुचि भले यह बात अपने मुंह से बोल रही थी लेकिन उसका दीदी जानता था कि अपनी इस गलती की वजह से वह अंदर ही अंदर शुभम के प्रति कितना आकर्षित होने लगी थी और उसे अपनी है गलती बहुत ही ज्यादा अच्छी भी लग रही थी क्योंकि उस गलती की वजह से ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि मर्द का लैंड उसके पति की तरह नहीं करती शुभम की तरह होता है। रुचि भले यह बात अपने मुंह से बोल रही थी लेकिन उसका दील ही जानता था कि अपनी इस गलती की वजह से वह अंदर ही अंदर शुभम के प्रति कितना आकर्षित होने लगी थी और उसे अपनी है गलती बहुत ही ज्यादा अच्छी भी लग रही थी क्योंकि उस गलती की वजह से ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि मर्द का लंड उसके पति की तरह नहीं बल्कि शुभम की तरह होता है।)
लेकिन भाभी सही कहूं तो गलती मेरी ही थी मैंने दरवाजे को लोक नहीं किया था जबकि मुझे यह करना चाहिए था और सबसे बड़ी गलती तो मेरी यही थी कि तुम मेरे सामने खड़ी हो कर देख रही थी और मैं तुम्हें देखते हुए भी अपने लंड को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि ना जाने क्यो मैं उस समय तुम्हारी आंखों के सामने उसे हिला रहा था और तो और सामान्य तौर पर वह ढीला भी नहीं था बल्कि एकदम खड़ा था इसलिए मुझे अपनी गलती का एहसास हो रहा है।( शुभम जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए अपनी बात बता रहा था जो कि इस तरह के शब्द और शुभम की गंदी बातें सुनकर रुचि के तन बदन में आग लग रही थी एक तो धीरे-धीरे बारिश की बूंदों की वजह से दोनों पूरी तरह से भीगने लगे थे और धीरे-धीरे बारिश का जोर तेज होता जा रहा था साथ ही बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ती जा रही थी ।)
हां यह बात तो माननी पड़ेगी कि कुछ गलती तुम्हारी भी है मैं अनजाने में बाथरूम में घुस गई थी लेकिन तुमने अपने लंड को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किए थे ।(रुचि जानबूझकर अब खुले तौर पर लंड शब्द का प्रयोग कर रही थी क्योंकि वह पूरी उत्तेजना ग्रस्त हो चुकी थी । इस तरह के सबके को सुनने में और कहने में अब उसे आनंद की प्राप्ति हो रही थी रुचि के मुंह से इस तरह की गंदी बात सुनकर शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और धीरे-धीरे बाइक आगे बढ़ा रहा था और साथ ही रह रह कर उंचे नीचे गडडो की वजह से ब्रेक लगा ले रहा था ,, ना चाहते हुए भी रुचि का बदन शुभम से और ज्यादा शट जा रहा था जिसकी वजह से उसकी दोनों गोलाईया शुभम की पीठ पर अच्छी तरह से महसूस हो रही थी इस तरह से दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी..,,,)
मैं मानता हूं भाभी की मुझसे गलती हुई थीं लेकिन सब कुछ अनजाने में ही हुआ था कोई जानबूझकर मैंने नहीं किया था।,,,,,
चलो कोई बात नहीं मैं मानती हो कि सब कुछ अनजाने में ही हुआ था तो कि मुझे यह समझ में नहीं आ रहा था कि सब कुछ सामान्य होते हुए भी तुम्हारा लंड इतना खड़ा क्यों था जैसे कि पूरा तैयार हो,,,
( रुचि के मुंह से यह सब गंदे शब्द निकलते जा रहे थे लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब शब्द उसके मुंह से निकल कैसे जा रहे हैं यह सब शुभम के साथ का कमाल था जो कि वह उसके दमदार हथियार को देखकर उसकी जबरदस्त एहसांस को अभी तक अपने अंदर महसूस कर रही थी और उसकी वजह से वह शुभम के आगे इतना खुल गई थी और इस सफर का आनंद लेते हुए गंदे शब्दों के साथ एकदम गंदी बातें कर रही थी।,,, शुभम को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि रूसी जैसी औरत जबकि यह बात अच्छी तरह से जानता था कि रुचि बहुत ही प्यासी औरत थी लेकिन वह अभी तक पूरी तरह से संस्कार के सांचे में ढली हुई थी उससे बाहर नहीं निकली थी लेकिन इतनी जल्दी उसके मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनने को मिलेगी इसलिए उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन जो कुछ भी हो रहा था वह अच्छा ही हो रहा था और उसी में उसकी भलाई थी और लाभ भी। लेकिन उस के ईस सवाल के साथ ही उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि जो रुचि कह रही थी वह बिल्कुल सही था सामान्य तौर पर कभी भी मर्द का लंड खड़ा नहीं होता कुछ मादक या उत्तेजनापूर्ण वस्तु देखने के बाद ही मर्द का लंड खड़ा होता है,,, और सबसे बड़ी उत्तेजनात्मक वस्तु उस समय उसकी आंखों के सामने रूचि ही थी लेकिन वह अपने मुंह से कैसे कह दें कि तुम्हें देखकर लंड खड़ा हुआ था। शुभम को इस तरह से खामोश देखकर रुचि अपने सवाल को वापिस दोहराते हुए बोली ।)
Ruchi barsaat me bhigne k bad uski gaand kuch is tarah se dikh rahi thi
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क्या हुआ चुप क्यों हो गया मेरे सवाल का जवाब क्यो नहीं देता,,
( शुभम को समझ मे नहीं आ रहा था कि क्या बोले दूसरी तरफ बारिश का जोर बढ़ता जा रहा था अब इतनी तेज बारिश हो रही थी कि उसे आगे का रास्ता ठीक से नजर नहीं आ रहा था और साथ ही तेज हवा चल रही थी और तो और बादल की गड़गड़ाहट से पूरा वातावरण डरावना होता जा रहा था शाम ढल चुकी थी बारिश की वजह से अंधेरा लगने लगा था,, ऐसे हालात में आगे बढ़ना ठीक नहीं था इसलिए वह रुचि से बोला।)
भाभी हमें कहीं जगह देख कर कुछ देर के लिए रुकना पड़ेगा जब तक की बारिश नहीं थम जाती क्योंकि बारिश कितनी तेज हो रही है और साथ ही हवा भी तेज है ऐसे में आगे मोटरसाइकिल चला कर ले जा पाना बड़ा ही मुश्किल है ऐसे में गिरने का डर ज्यादा है क्या कहती हो,,,,
रुक तो जाए लेकिन रुकेंगे कहां यहां तो कुछ नजर भी नहीं आ रहा है सब जगह केवल खेत ही खेत दिखाई दे रहे हैं,,,(रुचि को भी इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो गया था कि ऐसे में सफर करना ठीक नहीं था इसलिए मौके की नजाकत को देखते हुए वह बोली.)
बात तो तुम ठीक कह रही हो भाभी कहीं कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा है,,,
( शुभम इतना बोला घर था कि तभी रुचि की नजर पास में ही एक झोपड़ी पर पड़ी जो कि खाली ही लग रही थी उस पर नजर पड़ते ही रुचि खुशी के मारे बोली)
शुभम और रुची कुछ इस तरह से
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वह देखो शुभम,,,, औ रही झोपड़ी,,,, खाली ही लग रही है चलो उसमें चलते हैं,,,( इतना सुनते ही शुभम उस तरफ देखकर तसल्ली कर लेने के बाद अपनी मोटरसाइकिल बंद कर दिया और तुरंत रुचि मोटरसाइकिल से नीचे उतरकर उस झोपड़ी की तरफ जाने लगी शुभम उसे जाते हुए देख रहा था जो कि इस समय पूरी तरह से भीग चुकी थी और उसकी पीले रंग की पतली साड़ी के साथ-साथ उसकी ब्लाउज भीग कर गोरे गोरे बदन से चिपक गई थी जिसमें से लाल रंग की ब्रा की पट्टी साफ नजर आ रही थी और साथ ही उसकी सारी पूरी तरह से खत्म होने की वजह से हल्की हल्की उसकी पैंटी की पट्टी साफ तौर पर उसकी गोलाकार नितंबो से चिपकी हुई नजर आ रही थी या देखते ही शुभम के लंदन में हरकत होना शुरू हो गया और वह अपनी मोटरसाइकिल खड़ी करके उसके पीछे पी2छे जाने लगा कुछ ही देर में वह दोनों झोपड़ी के अंदर आ चुके थे,,,।
Barish me bhigne k baad ruchi kuch is tarah se khubsurar or jyada sexy Lagne...
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