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शुभम को रुचि को लेकर उसके घर पहुंचने में काफी देर हो चुकी थी,, शुभम उसे दरवाज़े पर छोड़कर तुरंत वहां से अपने घर चला गया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि,, उसकी मां को जरा सा भी भनक लगे कि वह काम के वजह से नहीं बल्कि सरला चाची की बहू को लेने उसके मायके गया हुआ था वरना खामखा बात का बतंगड़ हो जाएगा,,,,,
रुचि को भीगा हुआ देखकर सरला कोई इतना तो समझ में आ गया कि उन लोगों को किस लिए इतनी देर लगी,,, लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा था कि अपनी बहू को देखकर सरला को थोड़ा गुस्सा आ रहा था क्योंकि वह जानती थी कि उसके बहू के होते हुए अब वह शुभम से चुदाई नहीं करवा पाएंगी,, अब उसे भी शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में लेने की आदत पड़ गई थी,,, सरला शुभम के साथ बिताए हुए हर पल को याद करके अपने आपको काफी चुदवासी महसूस करने लगी थी,,, उसे सब कुछ अच्छी तरह से याद था कि उसकी हर एक धक्के पर उसकी गरम सिसकारी छूट पडती थी,,,, अब वह बहू के होते हुए किस तरह से संभोग सुख भोग पाएगी इस बात की चिंता है उसे हर पल सताए जा रही थी,,
वहीं दूसरी तरफ रुचि के खुशी का ठिकाना ना था,,, आज पहली बार उसे शादी के बाद औरत होने पर गर्व होता था,,, क्योंकि जिंदगी में पहली बार उसने संभोग सुख को इतनी अत्यधिक तृप्ति पूर्वक भोगी थी,,, प्यासी बुर के अंदर जब एक मोटा लंड घुसता है तो एक औरत को कैसा महसूस होता है यह एहसास उसे जिंदगी में पहली बार हुआ था । अब वह शुभम की पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी,,, एक मर्द औरत की बुर को इतनी जबर्दस्त प्रहार के साथ चोद सकता है या उसे पहली बार ज्ञात हुआ था,,, वरना अब तक उसने अपनें पति के द्वारा छोटे से लंड से हल्के हल्के धक्को के साथ ही चुदाई करवाई थी लेकिन उसमें उसे जरा भी आनंद की अनुभूति नहीं हुई थी बल्कि अपने पति से चुदने के बाद उसकी चुदने की प्यास और ज्यादा बढ़ जाती थी लेकिन वह अपनी प्यास को बुझा नहीं पाती थी जिंदगी में पहली बार वह अपनी मर्यादा को लांघ कर किसी गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाई थी और उसमें उसे सफलता प्राप्त हुई थी। रुचि काफी खुश थी लेकिन दूसरे दिन उसे चलने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी क्योंकि पहली बार उसकी रसीली कसी हुई बुर के अंदर छोटे से लंड की जगह बहुत ज्यादा मोटा और लंबा लंड गया था जो कि उसका आकार बदल के रख दिया था इसलिए उसे चलने में तकलीफ हो रही थी सरला के द्वारा पूछे जाने पर वह बारिश में पांव फिसल जाने का बहाना बनाकर साफ निकल गई,,,,, उसे अभी भी अपनी बुर में हल्का हल्का दर्द महसूस होता था लेकिन यह दर्द,,,, दर्द की जगह आनंद ही दे रहा था लेकिन अब उसकी हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी क्योंकि अब उसकी इच्छा शुभम से दुबारा चुदने की हो रही थी लेकिन उसे कोई मौका नहीं मिल रहा था और वह मौके की तलाश में थी,,,,
शुभम की काफी खुश नजर आ रहा था धीरे-धीरे वह हर एक किले पर फतेह का झंडा गाड़ता चला जा रहा था।,,, उड़ती चिड़िया को कैसे अपने कैद में करना है यह कला में वह पूरी तरह से माहिर हो चुका था।,, उम्र दराज औरतों के साथ साथ उसने जवान औरत के साथ संभोग सुख का आनंद ले कर अपने आप पर गर्व महसूस कर रहा था।,, चूची की बुर में अपना लंड डालते हुए शुभम को इस बात का ज्ञान हो गया था कि रुचि की बुर शादीशुदा होने के बावजूद भी काफी कसी हुई थी,,, लेकिन इस बात से उसे इतमिनान था कि अब उसकी बुर उसके लंड के सांचे में ढल चुकी थी उसका आकार बदल चुका था जब चाहे तब वह बड़े आराम से रुचि की चुदाई कर सकता था,,,,, उसकी भी प्यास बढ़ रही थी रुचि की चुदाई करने के लिए लेकिन अब उसके सामने बहुत बड़ा प्रश्न था कि सरला के होते हुए वह उसकी बहू की कैसे चुदाई करें और रुचि के होते हुए वसरला चाची की बुर में अपना लंड कैसे डालें अब हर एक कदम संभाल कर रखना था,,, इसलिए वह कुछ दिन उन दोनों पर ध्यान ना दे कर अपनी पढ़ाई में ध्यान देने लगा जो कि उसका मन तो नहीं लगता था लेकिन क्या करें अब फाइनल एग्जाम जो आने वाला था इसलिए पढ़ाई करना भी जरूरी था।,,,, हालांकि उसकी जरूरत घर में पूरी हो जाती थी और वह भी अपनी मां की मदमस्त बुर की चुदाई करके तो वह एकदम मस्त हो जाता था क्योंकि दूसरी औरतों की चुदाई करने में उसका लालच भर था लेकिन जुदाई का असली सुख उसे निर्मला ही दे पाती थी।
दूसरी तरफ सास बहू दोनों शुभम के संसर्ग के लिए तड़प रही थी लेकिन उन्हें कोई मौका हाथ नहीं लग रहा था,,, वह मौका तलाश कर अपनी इच्छा को अंजाम दे पाती इससे पहले ही उनके इरादे पर पानी फिर गया क्योंकि सरला का बेटा बिना बताएं घर वापस आ गया था,, पहली बार ऐसा हुआ था कि ना तो एक मां को ही अच्छा लगा था कि उसका बेटा घर पर आया है और ना ही एक पत्नी को ही अच्छा लगा था कि उसका पति घर वापस आया है दोनों उसे देख कर मन ही मन उदास होने लगे,,,, लेकिन क्या करें चेहरे पर खुशी व्यक्त करना बहुत जरूरी था इसलिए दोनों सामान्य तौर पर खुश होने का नाटक करने लगे,,,
कुछ दिन यूंही ही बीत गया दोनों सास बहू शुभम की झलक देखने के लिए तरसने लगे क्योंकि शुभम इन दिनों सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे रहा था,,,, निर्मला काफी खुश थी कि उसका बेटा पढ़ाई के साथ-साथ उस पर भी ध्यान दे रहा था क्योंकि आए दिन अशोक घर के बाहर रहता था और जब वह घर के बाहर रहता था ऐसे में शुभम कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देता था वह रात भर अपनी मां की जमकर चुदाई करता था और स्कूल जाने के बाद घर पर आते ही पढ़ना शुरु कर देता था,,
कुछ दिनों से सरला काफी परेशान नजर आ रही थी और उसकी परेशानी का कारण यही था कि अब तक वह दादी नहीं बन पाई थी और आए दिन पड़ोस की औरतें उसे इस बात के लिए जरूर तो खा कर दी थी कि अब तक तुम शादी क्यों नहीं बन पाई हो अगर कोई तकलीफ हो तो उन्हें डॉक्टर को दिखाओ ताकि बाद में चलकर ज्यादा तकलीफ ना हो,,,, यही बात सोच सोचकर सरला परेशान हुए जा रही थी लेकिन अब उसने फ़ैसला कर ली थी कि उसकी बहू और उसके बेटे दोनों की जांच करवाएगी क्योंकि अब वह ज्यादा इंतज़ार नहीं कर सकती थी,,,, वह इस बारे में अपने बाबू से बात की तो,, वह अपनी सास के आगे कुछ बोली तो नहीं लेकिन मन में यही सोच रही थी कि सारी कमी तुम्हारे बेटे में ही है जब वह उसे ठीक से चोद ही नहीं पाता तो बाप कहां से बन पाएगा,,,, उसका स्त्रीत्व ईस बात के लिए कभी तैयार नहीं हो पा रहा था कि वह इस चीज की जांच करवाए की वह मां बन सकती है कि नहीं,,, उसे अपने स्त्रीत्व पर पूरा विश्वास था कि वह मां बनने में पूरी तरह से सक्षम है उसका पति ही उसे मां बनाने में सक्षम नहीं है,,, लेकिन एक मर्यादा सील औरत होने के नाते उसे अपनी सास की यह बात माननी ही पड़ी,,,,, वह अपनी जांच कराने के लिए तैयार हो गई और अपने पति को भी मनाली,,, दोनों क्लीनिक जाकर अपना टेस्ट करवा आए लेकिन,, दूसरे दिन संडे होने की वजह से रिपोर्ट 1 दिन बाद मिलनी थी,, और शनिवार को ही कंपनी का फोन आने की वजह से सरला के बेटे को शाम को ही जाना पड़ा,,,,,
रुचि को भीगा हुआ देखकर सरला कोई इतना तो समझ में आ गया कि उन लोगों को किस लिए इतनी देर लगी,,, लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा था कि अपनी बहू को देखकर सरला को थोड़ा गुस्सा आ रहा था क्योंकि वह जानती थी कि उसके बहू के होते हुए अब वह शुभम से चुदाई नहीं करवा पाएंगी,, अब उसे भी शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में लेने की आदत पड़ गई थी,,, सरला शुभम के साथ बिताए हुए हर पल को याद करके अपने आपको काफी चुदवासी महसूस करने लगी थी,,, उसे सब कुछ अच्छी तरह से याद था कि उसकी हर एक धक्के पर उसकी गरम सिसकारी छूट पडती थी,,,, अब वह बहू के होते हुए किस तरह से संभोग सुख भोग पाएगी इस बात की चिंता है उसे हर पल सताए जा रही थी,,
वहीं दूसरी तरफ रुचि के खुशी का ठिकाना ना था,,, आज पहली बार उसे शादी के बाद औरत होने पर गर्व होता था,,, क्योंकि जिंदगी में पहली बार उसने संभोग सुख को इतनी अत्यधिक तृप्ति पूर्वक भोगी थी,,, प्यासी बुर के अंदर जब एक मोटा लंड घुसता है तो एक औरत को कैसा महसूस होता है यह एहसास उसे जिंदगी में पहली बार हुआ था । अब वह शुभम की पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी,,, एक मर्द औरत की बुर को इतनी जबर्दस्त प्रहार के साथ चोद सकता है या उसे पहली बार ज्ञात हुआ था,,, वरना अब तक उसने अपनें पति के द्वारा छोटे से लंड से हल्के हल्के धक्को के साथ ही चुदाई करवाई थी लेकिन उसमें उसे जरा भी आनंद की अनुभूति नहीं हुई थी बल्कि अपने पति से चुदने के बाद उसकी चुदने की प्यास और ज्यादा बढ़ जाती थी लेकिन वह अपनी प्यास को बुझा नहीं पाती थी जिंदगी में पहली बार वह अपनी मर्यादा को लांघ कर किसी गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाई थी और उसमें उसे सफलता प्राप्त हुई थी। रुचि काफी खुश थी लेकिन दूसरे दिन उसे चलने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी क्योंकि पहली बार उसकी रसीली कसी हुई बुर के अंदर छोटे से लंड की जगह बहुत ज्यादा मोटा और लंबा लंड गया था जो कि उसका आकार बदल के रख दिया था इसलिए उसे चलने में तकलीफ हो रही थी सरला के द्वारा पूछे जाने पर वह बारिश में पांव फिसल जाने का बहाना बनाकर साफ निकल गई,,,,, उसे अभी भी अपनी बुर में हल्का हल्का दर्द महसूस होता था लेकिन यह दर्द,,,, दर्द की जगह आनंद ही दे रहा था लेकिन अब उसकी हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी क्योंकि अब उसकी इच्छा शुभम से दुबारा चुदने की हो रही थी लेकिन उसे कोई मौका नहीं मिल रहा था और वह मौके की तलाश में थी,,,,
शुभम की काफी खुश नजर आ रहा था धीरे-धीरे वह हर एक किले पर फतेह का झंडा गाड़ता चला जा रहा था।,,, उड़ती चिड़िया को कैसे अपने कैद में करना है यह कला में वह पूरी तरह से माहिर हो चुका था।,, उम्र दराज औरतों के साथ साथ उसने जवान औरत के साथ संभोग सुख का आनंद ले कर अपने आप पर गर्व महसूस कर रहा था।,, चूची की बुर में अपना लंड डालते हुए शुभम को इस बात का ज्ञान हो गया था कि रुचि की बुर शादीशुदा होने के बावजूद भी काफी कसी हुई थी,,, लेकिन इस बात से उसे इतमिनान था कि अब उसकी बुर उसके लंड के सांचे में ढल चुकी थी उसका आकार बदल चुका था जब चाहे तब वह बड़े आराम से रुचि की चुदाई कर सकता था,,,,, उसकी भी प्यास बढ़ रही थी रुचि की चुदाई करने के लिए लेकिन अब उसके सामने बहुत बड़ा प्रश्न था कि सरला के होते हुए वह उसकी बहू की कैसे चुदाई करें और रुचि के होते हुए वसरला चाची की बुर में अपना लंड कैसे डालें अब हर एक कदम संभाल कर रखना था,,, इसलिए वह कुछ दिन उन दोनों पर ध्यान ना दे कर अपनी पढ़ाई में ध्यान देने लगा जो कि उसका मन तो नहीं लगता था लेकिन क्या करें अब फाइनल एग्जाम जो आने वाला था इसलिए पढ़ाई करना भी जरूरी था।,,,, हालांकि उसकी जरूरत घर में पूरी हो जाती थी और वह भी अपनी मां की मदमस्त बुर की चुदाई करके तो वह एकदम मस्त हो जाता था क्योंकि दूसरी औरतों की चुदाई करने में उसका लालच भर था लेकिन जुदाई का असली सुख उसे निर्मला ही दे पाती थी।
दूसरी तरफ सास बहू दोनों शुभम के संसर्ग के लिए तड़प रही थी लेकिन उन्हें कोई मौका हाथ नहीं लग रहा था,,, वह मौका तलाश कर अपनी इच्छा को अंजाम दे पाती इससे पहले ही उनके इरादे पर पानी फिर गया क्योंकि सरला का बेटा बिना बताएं घर वापस आ गया था,, पहली बार ऐसा हुआ था कि ना तो एक मां को ही अच्छा लगा था कि उसका बेटा घर पर आया है और ना ही एक पत्नी को ही अच्छा लगा था कि उसका पति घर वापस आया है दोनों उसे देख कर मन ही मन उदास होने लगे,,,, लेकिन क्या करें चेहरे पर खुशी व्यक्त करना बहुत जरूरी था इसलिए दोनों सामान्य तौर पर खुश होने का नाटक करने लगे,,,
कुछ दिन यूंही ही बीत गया दोनों सास बहू शुभम की झलक देखने के लिए तरसने लगे क्योंकि शुभम इन दिनों सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे रहा था,,,, निर्मला काफी खुश थी कि उसका बेटा पढ़ाई के साथ-साथ उस पर भी ध्यान दे रहा था क्योंकि आए दिन अशोक घर के बाहर रहता था और जब वह घर के बाहर रहता था ऐसे में शुभम कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देता था वह रात भर अपनी मां की जमकर चुदाई करता था और स्कूल जाने के बाद घर पर आते ही पढ़ना शुरु कर देता था,,
कुछ दिनों से सरला काफी परेशान नजर आ रही थी और उसकी परेशानी का कारण यही था कि अब तक वह दादी नहीं बन पाई थी और आए दिन पड़ोस की औरतें उसे इस बात के लिए जरूर तो खा कर दी थी कि अब तक तुम शादी क्यों नहीं बन पाई हो अगर कोई तकलीफ हो तो उन्हें डॉक्टर को दिखाओ ताकि बाद में चलकर ज्यादा तकलीफ ना हो,,,, यही बात सोच सोचकर सरला परेशान हुए जा रही थी लेकिन अब उसने फ़ैसला कर ली थी कि उसकी बहू और उसके बेटे दोनों की जांच करवाएगी क्योंकि अब वह ज्यादा इंतज़ार नहीं कर सकती थी,,,, वह इस बारे में अपने बाबू से बात की तो,, वह अपनी सास के आगे कुछ बोली तो नहीं लेकिन मन में यही सोच रही थी कि सारी कमी तुम्हारे बेटे में ही है जब वह उसे ठीक से चोद ही नहीं पाता तो बाप कहां से बन पाएगा,,,, उसका स्त्रीत्व ईस बात के लिए कभी तैयार नहीं हो पा रहा था कि वह इस चीज की जांच करवाए की वह मां बन सकती है कि नहीं,,, उसे अपने स्त्रीत्व पर पूरा विश्वास था कि वह मां बनने में पूरी तरह से सक्षम है उसका पति ही उसे मां बनाने में सक्षम नहीं है,,, लेकिन एक मर्यादा सील औरत होने के नाते उसे अपनी सास की यह बात माननी ही पड़ी,,,,, वह अपनी जांच कराने के लिए तैयार हो गई और अपने पति को भी मनाली,,, दोनों क्लीनिक जाकर अपना टेस्ट करवा आए लेकिन,, दूसरे दिन संडे होने की वजह से रिपोर्ट 1 दिन बाद मिलनी थी,, और शनिवार को ही कंपनी का फोन आने की वजह से सरला के बेटे को शाम को ही जाना पड़ा,,,,,