जर्रूर आऊँगा भाई, एक बार मंदिर बन जाए तो माँ के साथ दर्शन करने आऊँगा|
नशे को परिवार से हमेशा दूर रखना चाहिए वरना आपके साथ-साथ परिवार वालों की भी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाती है!
प्यार के बदले प्यार न मिलने पर जबरदस्ती करना कैसी रीत हुई भाई?
प्यार के बदले प्यार न मिलने पर जबरदस्ती प्यार पाना जायज़ नहीं है न? अगर यही काण्ड एक लड़की के बजाए लड़के ने किया होता तो क्या बवाल होता, आप समझ ही सकती हैं|
माधुरी अब भी वैसी ही है, संगीता बता रही थी की उसके बच्चे उसी की तरह ज़िद्दी और लड़ाकू हैं!
धीरे-धीरे आगे बढ़त जाओ, कहानी समाप्त हुई चुकी है|
इतनी समझदारी अब हम दोनों में रही नहीं!
हाँ....कुछ ज्यादा ही लम्बी निकली ये जुदाई!
हाँ, पर अब ये खुशनसीबी खत्म हो गई| महीनों हो गए उसकी शक्ल देखे अब!
मेरे पिताजी और उनकी गलतियाँ!
फिर तो आप बच गए, लड़के को सँभालना आसान है! मेरी तो फटी पड़ी थी उस दिन की अगर ये नशे में बेहोश हो गई तो मैं क्या करूँगा?!
आपकी अंत में कही बात मुझे समझने में साल लग गए| अब समझ आ गया है इसलिए अब खुद को सुधार लिया है|
मुझे अच्छे करने का कीड़ा काटा था, साला इतनी फुद्दुपने वाली हरकतें की, कि अब हैरानी होती है कि मैं इतना फुद्दू था!
काश उस वक़्त अक्ल आ गई होती दोनों को तो दोनों सुधर जाते!
आपने सही कहा, परन्तु ज्यादा अपेक्षाएं मत बांधिए! इससे ज्यादा कहूंगा तो सस्पेंस खराब हो जायेगा!
पिताजी ने मुझे यही एक बात सिखाई थी की बच्चों जो हमेशा अच्छे संस्कार देना|
माँ का संगीता से रिश्ता बहुत गहरा है!
संगीता के पिताजी की सोच अलग थी परन्तु उनका मेरे प्रति स्नेह उनकी सभी संतानों से ज्यादा था|
जब-जब मैं कमजोर पड़ा हूँ ,संगीता ने मुझे हिम्मत दी है|
ऐसे बहुत कम मौके आये जब पिताजी ने मेरा साथ दिया हो|
मैंने और संगीता ने कभी कुछ भी plan नहीं किया, जो हुआ वो होता गया| जब planning का time आया तो जहाँ एक तरफ मैं सब कुछ सही करना चाहता था वहीँ संगीता बहुत घबराई हुई थी! मेरा मानना है की रिश्ता कोई भी हो, जब तक उसको निभाने वाले same page पर नहीं होते, एक दूसरे का साथ देने के लिए तैयार नहीं होते तब तक सब कुछ गलत है नाजायज है!
आपकी request को ध्यान में रखते हुए, एक बार ये कहानी पूर्ण हो जाए मैं इसकी category के लिए admins से बात करूँगा|