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Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

Rockstar_Rocky

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इस अपडेट की खासियत ये थी की इस अपडेट में आपने नेहा के दुःख को तो दिखा दिया मगर अपने दर्द को छुपा गए.........................ये आपकी एक बहुत बुरी आदत है की आप अपना दुःख हमेशा छुपाते हो........................आपको बदलते बदलते मैं ही इतना बदल गई की क्या कहूं............................अपडेट के दुःख को बैलेंस करने के लिए आपने जो नानी की शैतानियों के बारे में लिखा उसे पढ़ कर बहुत मज़ा आया.....................स्थिति को कैसे लिखा जाता है ये मुझे आपसे सीखना पड़ेगा...................कुल मिला कर कहूं तो इस अपडेट में सब कुछ था....................सुख............दुःख............हँसी..............आंसूं................अब तो मुझे बस दो ही कारणों से उत्सुकता हो रही है......................पहला ये की आप कहानी का अंत किस प्रकार करोगे....................और दूसरा की आपने अंत में क्या बम फोड़ने का तय किया है????????????????

दिल का अच्छा हूँ इसलिए सब सह लेता हूँ,
अगर तमाशा करने लगा तो ज़िन्दगी जीने के लिए छोटी पड़ जाएगी|
 

Rockstar_Rocky

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मानू भाई अभी तक गुस्से में है पूरा परिवार नेहा को अपने पापा जी का प्यार दिलाने की कोशिश में लग रहा है वही मानू भाई तो अपने गुस्से के कारण तर्क पर तर्क दिए जा रहे हैं अपने गुस्से के कारण उनके दिल में तो नेहा के लिए प्यार उमड़ रहा है लेकिन अपने अहम के कारण उस प्यार को समझ नहीं पा रहे हैं मानू भाई को पता है कि नेहा क्षमा और अपने पापा का प्यार दिल से चा रही है मानू भाई को एहसास नही है कि नेहा को बहुत ज्यादा आत्मग्लानि हो रही है लेकिन अगर मानू भाई का इस समय पर नेहा को प्यार नही मिला तो वह आत्मग्लानि के दलदल मे फंस जायेगी जहा से वापिस आना मुश्किल हो जायेगा ।स्तुति का अपनी नटखटपन से घर में खुशी भर देना बहुत ही सुंदर चित्रण था स्तुति का अपनी दिद्दा का अपने पपई की प्यारी नही मिलने पर अपने पपई से प्यारी लेना और उसको तीनो में बराबर बाटना बहुत ही अच्छा लगा मानू भाई ने नेहा का दर्द तो लिखकर हमे बता दिया लेकिन अपना दर्द एक बार फिर छुपा लिया नेहा के स्कूल में लड़ाई करने पर फिर प्यार का एहसाह हुआ लेकिन अपने अहम के कारण फिर प्यार को दबा दिया देखते हैं आगे क्या होता है कैसे नेहा को संभालते हैं???

आपके प्यारभरे प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

इस प्यारभरे review के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद संजू भाई 🙏 :hug:
 

Rockstar_Rocky

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अरे भाई, अब तो राम लला भी अपने महल आने वाले हैं अगले साल, अब हो आइए, ज्यादा देर न करें।

आगे भी जो पढ़ रहा हूं वो भी शुद्ध भावनाएं ही है इसमें कोई लेखनी की चतुराई नही बस भावना का अतिरेक है।

Avi ji ने सही कहा, वैसे कही कहीं भोजपुरी की छाप भी है।

जर्रूर आऊँगा भाई, एक बार मंदिर बन जाए तो माँ के साथ दर्शन करने आऊँगा| 🙏

खुशियों भरा अध्याय।

भौजी ने चंदर को अच्छे से सम्हाल लिया, दारू ना नशा भी कभी कभी बुद्धि का नाश भी कर देता है।

अब ये कौन आ गया नया व्यक्ति।

नशे को परिवार से हमेशा दूर रखना चाहिए वरना आपके साथ-साथ परिवार वालों की भी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाती है!

तभी रसिका की माधुरी से ज्यादा बनाती है, दोनो एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं।

लौंडे की इज्जत पर बड़ा भरी खतरा लागत है भैया

:lol1:

मैं सहमत नही इस बात से, वैसे उसकी उम्र कम है तो जिद्दी होना बनता है, लेकिन प्यार के बदले प्यार ना मिलना ही इस जगत की रीत है।

प्यार के बदले प्यार न मिलने पर जबरदस्ती करना कैसी रीत हुई भाई?

एकतरफा प्यार नही हुआ है जब सहमत नही हो, जब किसी से प्यार हो और उसका रेस्पॉन्स नही आये उसे समझो तो माधुरी का किरदार समझ आ जायेगा।

प्यार के बदले प्यार न मिलने पर जबरदस्ती प्यार पाना जायज़ नहीं है न? अगर यही काण्ड एक लड़की के बजाए लड़के ने किया होता तो क्या बवाल होता, आप समझ ही सकती हैं|

एकतरफा ही तो हुआ न ये??

मैने पहले ही लिखा की उम्र कम होने से उसका ऐसा बर्ताव समझ आता है, उम्मीद है आगे कुछ अलग रूप देखने को मिले।

माधुरी अब भी वैसी ही है, संगीता बता रही थी की उसके बच्चे उसी की तरह ज़िद्दी और लड़ाकू हैं!

अरे अभी हम बहुतहे पाछे हन। तनिक समय लागी आपके साथ पहुचन मा।

अब आगे माधुरी मिलिहै कि नाही ऊ तो देखे के पड़ी।

धीरे-धीरे आगे बढ़त जाओ, कहानी समाप्त हुई चुकी है|

बहुत ही सुंदर अध्याय, जहां दोनो का प्यार और मजबूत हुआ वहीं दोनो की समझदारी का एक अलग ही स्तर देखने को मिला।

इतनी समझदारी अब हम दोनों में रही नहीं! :laugh:

जबरदस्त अध्याय, पर लगता है जुदाई लंबी होने वाली है।

हाँ....कुछ ज्यादा ही लम्बी निकली ये जुदाई!

बहुत ही मुश्किल होता है ऐसे में सम्हालना, बस दिशू जैसे दोस्त हों तो बात बन जाती है, ऐसा दोस्त मिलना ही सबसे बड़ी खुसनसीबी है।

हाँ, पर अब ये खुशनसीबी खत्म हो गई| महीनों हो गए उसकी शक्ल देखे अब!

बड़ी गलत लत लगवा दी दिल ने।

खैर किसी गम को भुलाने में कुछ तो गलत हो ही जाता है, वैसे लिमिट सेट करना अच्छा ही हुआ, लत गलत नही होती इससे

:cheersbeer:


बहुत भावुक अपडेट।

चलिए कम से कम पिताजी को गलती का अहसास तो हुआ आखिरकार

मेरे पिताजी और उनकी गलतियाँ! :sigh:

मजेदार अपडेट

वाइन वाली जैसी दुर्घटना मेरे साथ भी हो चुकी है, बस लड़की की जगह लड़का था साथ में।

फिर तो आप बच गए, लड़के को सँभालना आसान है! मेरी तो फटी पड़ी थी उस दिन की अगर ये नशे में बेहोश हो गई तो मैं क्या करूँगा?!

रास्ते वाली बात पर तो बस इतना ही कहूंगा कि मानू ने खुद को ऐसा बनाया है।

और हम सजीव हैं, कोई निर्जीव नही जिसकी कोई ईक्षा या आकांक्षा ना हो। दुनिया में हर जीव जंतु कुछ न कुछ स्वार्थ के लिए ही कोई कार्य करता है।

और दूसरी बात, जितना आप खुद को दूसरों के लिए all time available बनाओगे लोग उसका उतना ही फायदा उठाएंगे।

आपकी अंत में कही बात मुझे समझने में साल लग गए| अब समझ आ गया है इसलिए अब खुद को सुधार लिया है|

बहुत ही भावुक क्षण, लेकिन dear, किसी के लिए इतना अच्छा बनना भी सही नही होता, दुनिया आपके किए हुए अच्छे को 2 दिन में भुला देती है।

मुझे अच्छे करने का कीड़ा काटा था, साला इतनी फुद्दुपने वाली हरकतें की, कि अब हैरानी होती है कि मैं इतना फुद्दू था! :laugh:

बहुत बढ़िया

अखीरकार दोनो को अपनी अपनी बेवकूफी समझ आई।

मानू की दुविधा सही है, कहते हैं ना कि दूध का जला छाछ भी फूक फूक कर पिता है, यहां तो वापस से दूध ही पीने की बात हो रही है।

काश उस वक़्त अक्ल आ गई होती दोनों को तो दोनों सुधर जाते!

भाई अभी तो मैं बस 22वे अध्याय तक ही पहुंचा हूं, पर एक बात कह सकता हूं कि नेहा ही एक ऐसा रिश्ता है जो सारे रिश्तों को अपनी मासूमियत से सम्हाले हुए है।

आपने सही कहा, परन्तु ज्यादा अपेक्षाएं मत बांधिए! इससे ज्यादा कहूंगा तो सस्पेंस खराब हो जायेगा!

प्यारा अध्याय

बहुत कुछ पुनः प्रारंभ हुआ, और बहुत कुछ लगता है आगे शुरू होगा, जीवन संघर्ष।

बच्चों में अच्छे संस्कार डाले जा रहे हैं दोनो के द्वारा।

मां का तो सॉफ्ट कॉर्नर है शायद भौजी के प्रति लेकिन ये जो भी फैसला लेने जा रहे हैं उसकी अनुमति मिलना कतई नामुंकिन लगता है।

पिताजी ने मुझे यही एक बात सिखाई थी की बच्चों जो हमेशा अच्छे संस्कार देना|

माँ का संगीता से रिश्ता बहुत गहरा है!

बहुत खूब भाई जी

लगा नही था कि मां पिताजी जल्दी मानेंगे, लेकिन उन्होंने बातों सही से समझा और सही फैसला लिया। हैट्स ऑफ टू देम!!

लीगल इश्यूज तो होने हैं, पर लगता नही की चंदर इतने सुलझे दिमाग का है कि मामले को लीगली निपटाना चाहेगा।

उम्मीद है कि भौजी के पिताजी भी सुलझे हुए किरदार के होंगे।

संगीता के पिताजी की सोच अलग थी परन्तु उनका मेरे प्रति स्नेह उनकी सभी संतानों से ज्यादा था|

मियां बीवी राजी
क्या करें काज़ी


भौजी की हिम्मत ही इस कहानी की जान है। वो ही हिम्मत हैं मानू भाई की।

जब-जब मैं कमजोर पड़ा हूँ ,संगीता ने मुझे हिम्मत दी है|

पिताजी: मैंने तेरा साथ केवल इसलिए नहीं दिया क्योंकि तू मेरा बेटा है, मैंने तेरा साथ इसलिए दिया क्योंकि तूने अपने प्यार को छुपाया नहीं, बल्कि मुझे तथा अपनी माँ को सच बताया| मैंने तेरा साथ इसलिए दिया क्योंकि तू संगीता से शादी करना चाहता था ताकि तू अपने होने वाले बच्चे को अपना नाम दे सके| मुझे और तेरी माँ को दादा-दादी बनने का सुख मिल रहा है, ऐसी गुणवान बहु (संगीता) मिल रही है जो सदैव इस परिवार को अपनी प्रेम और निष्ठा से बाँध कर रखेगी! अगर तू ये शादी हमसे (मेरे माँ-पिताजी से) बिना बताये करता, हमसे झूठ बोल कर करता, या घर से भाग कर करता तो मैं तेरा कतई साथ नहीं देता! तू शादी कानूनी तौर पर करना चाहता है और मुझे तेरे इस निर्णय पर फक्र है!

बहुत बढ़िया, पिताजी ने एकदम सही बात बोली कि आगे बढ़ कर पाने मन की बात बतानी चाहिए ना की खुद से ही फैसले ले लेने चाहिए एकदम से।


लाजवाब कर दिया पिताजी ने सबको।

ऐसे बहुत कम मौके आये जब पिताजी ने मेरा साथ दिया हो|

रोमांचक अध्याय

एक तरफ जहां मां पिताजी किअच्छी सोच से लोग रूबरू हुए, वहीं आज भी गांव देहात की दकियानूसी सोच सामने आई।


वैसे ऐसा रिश्ता किसी को भी जल्दी गले नही उतरता, लेकिन जिस तरह से ये सब कम से कम किसी एक के घर वालों की मंजूरी के साथ हो रहा है वो बहुत ही अच्छा है।

मानू भाई - भौजी, अपने जिस रिश्ते से आपका प्यार पनपा है, समाज की नजर में वो हमेशा गलत ही है, लेकिन जिस तरह से आप दोनो ने घर वालों के सामने सारी बातों को रखते हुए अपने रिश्ते को बंधन में बंधने का निर्णय लिया है, वो कबीले तारीफ है।

ऐसे रिश्तों में गलती तब होती है जब लोग अपने घर, परिवार और बच्चो के परवाह न करते हुए खुदगर्ज हो कर कुछ गलत कर बैठते हैं। और ये "कुछ" कई बार कुछ भी हो जाता है।

मैंने और संगीता ने कभी कुछ भी plan नहीं किया, जो हुआ वो होता गया| जब planning का time आया तो जहाँ एक तरफ मैं सब कुछ सही करना चाहता था वहीँ संगीता बहुत घबराई हुई थी! मेरा मानना है की रिश्ता कोई भी हो, जब तक उसको निभाने वाले same page पर नहीं होते, एक दूसरे का साथ देने के लिए तैयार नहीं होते तब तक सब कुछ गलत है नाजायज है!

मानू भाई जी, एक दरख्वास्त है।

इस कहानी को कृपया इंसेस्ट से हटवा कर रोमांस में डलवा दीजिए।

कारण बस इतना है कि कई रीडर्स जो कुछ अच्छा पढ़ना चाहते है इंसेस्ट देख कर ही इग्नोर कर देते हैं।

बाकी जैसी आपकी इक्षा 🙏🏽

आपकी request को ध्यान में रखते हुए, एक बार ये कहानी पूर्ण हो जाए मैं इसकी category के लिए admins से बात करूँगा|
 

Rockstar_Rocky

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Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
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304
अब तो मुझे आपके 50,000 words वाले review का wait है|

50000 nhi 1-2 lakh bolo :sigh:
Thoda thoda likhke kaafi ho gya tha har 3-4 update k bare me thoda likh deta tha..
Ab mushkil h kyuki ab bhul gya kha kya hua
Fir bhi kosis rhegi ek quick summary ki

Baki acha lga phli khani jo long thi aur mere ist update padne se last update padne tak puri hui :D
 

Akki ❸❸❸

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अभी भाई,

Big Reveal मैंने अभी लिखना भी शुरू नहीं किया है| कहानी के ये हिस्सा इतना बड़ा होगा की इसे लिखने में समय लगेगा| मैं चाह कर भी इस Big Reveal के भाग नहीं कर सकता वरना सारा suspense खराब हो जायेगा!

मेरी कोशिश है की 25 दिसंबर तक मैं Big Reveal post कर दूँ|
Wese reveal kya hota h matlab
Khani ke age hi kuch h kya
 

Rockstar_Rocky

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मनु भाई
वाकई यह बहुत ही पीड़ा दायक अंक था
आपका व्यवहार बिल्कुल आपके पिताजी की तरह हो गई
जो सच्चाई और उसके पीछे की भावनात्मक अवस्था को अपनी ही तराजू में तोलते हैं
एक किशोरी जो अपने पिता की प्रेम को पुनः प्राप्त करने के लिए ना केवल लालायित है अपितु प्रयास रत भी है l पर आपका व्यवहार निःसंदेह नेहा को भीतर से ना सिर्फ तोड़ देगा ब्लकि वह टुट कर बिखर जाएगी l आप मानो या ना मानों आपके मन में यह धारना घर कर चुकी है कि नेहा के आप सौतेले पिता हैं
यानी जिस भावना से प्रभावित हो कर नेहा ने वह कदम उठा लिया था आप उसीकी राह पर चलने लगे हैं
आप स्वीकार करें या ना करें नेहा के प्रति आपके मन में स्नेह और प्रेम तो नहीं है पर यह बेरुखी दिन व दिन घृणा में तब्दील होती जा रही है और बढ़ती जा रही है
बालपन मासूमियत भरा होता है और किशोर अवस्था में भटकाव होता है
आपकी यह बेरुखी का परिणाम कहीं ऐसी परिस्थिति में आपको ना डाल दे के आप स्वयं को क्षमा भी ना कर पाएं

आपका व्यवहार बिल्कुल आपके पिताजी की तरह हो गई

आपके comment का ये हिस्सा पढ़ कर मैं:

क्या भाई जी, आपने तो मुझे मेरे पिताजी से compare कर दिया! खैर, एक बार Big Reveal आएगा तो आपको सब पता लग जायेगा की क्यों मैं मेरे पिताजी जैसा कभी नहीं हो सकता!

आप मानो या ना मानों आपके मन में यह धारना घर कर चुकी है कि नेहा के आप सौतेले पिता हैं
आप स्वीकार करें या ना करें नेहा के प्रति आपके मन में स्नेह और प्रेम तो नहीं है पर यह बेरुखी दिन व दिन घृणा में तब्दील होती जा रही है और बढ़ती जा रही है

ये बात तो तीर की तरह दिल चीरती हुई चली गई!

आशा करता हूँ की आखरी update पढ़ कर आपकी सोच बदली अवश्य होगी!

बाकी आपका review पढ़ कर अच्छा लगा की आप नेहा के दिल की पीड़ा को अच्छे से समझ रहे हैं| कमी लगी तो बस ये की आप मेरे दिल के पीड़ा कोसमझ न पाए| लेकिन कोई बात नहीं, मैंने इसका कोई बुरा नहीं लगाया| :hug:
 

Rockstar_Rocky

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50000 nhi 1-2 lakh bolo :sigh:
Thoda thoda likhke kaafi ho gya tha har 3-4 update k bare me thoda likh deta tha..
Ab mushkil h kyuki ab bhul gya kha kya hua
Fir bhi kosis rhegi ek quick summary ki

Baki acha lga phli khani jo long thi aur mere ist update padne se last update padne tak puri hui :D

Quick summary, नहीं अक्की भाई, पूरा 50000 words वाला review चाहिए! आपको समय चाहिए तो ले लो, 25 दिसंबर तक का समय है आपके पास इतने दिन में तो आराम से फिर से quick read कर के review लिख सकते हो|

कहानी अभी पूरी नहीं हुई, कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त! :hug:

Wese reveal kya hota h matlab
Khani ke age hi kuch h kya

Reveal करने से मेरा मतलबा है ऐसी बातें जो मैंने आपको अभी तक नहीं बताईं| मेरे पिताजी का क्या हुआ? स्तुति की नानी जी का क्या हुआ? भाईसाहब-भाभी जी का क्या हुआ? बड़की अम्मा, अशोक, अनिल आदि सबका क्या हुआ? आपकी चहेती माधुरी और रसिका भाभी का क्या हुआ? ये सब जानना है या नहीं?!

इनके अलावा भी कोई प्रश्न है तो पूछ लीजिये, वो सब भी Big Reveal में add कर दूँगा|
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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जर्रूर आऊँगा भाई, एक बार मंदिर बन जाए तो माँ के साथ दर्शन करने आऊँगा| 🙏



नशे को परिवार से हमेशा दूर रखना चाहिए वरना आपके साथ-साथ परिवार वालों की भी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाती है!



:lol1:



प्यार के बदले प्यार न मिलने पर जबरदस्ती करना कैसी रीत हुई भाई?



प्यार के बदले प्यार न मिलने पर जबरदस्ती प्यार पाना जायज़ नहीं है न? अगर यही काण्ड एक लड़की के बजाए लड़के ने किया होता तो क्या बवाल होता, आप समझ ही सकती हैं|



माधुरी अब भी वैसी ही है, संगीता बता रही थी की उसके बच्चे उसी की तरह ज़िद्दी और लड़ाकू हैं!



धीरे-धीरे आगे बढ़त जाओ, कहानी समाप्त हुई चुकी है|



इतनी समझदारी अब हम दोनों में रही नहीं! :laugh:



हाँ....कुछ ज्यादा ही लम्बी निकली ये जुदाई!



हाँ, पर अब ये खुशनसीबी खत्म हो गई| महीनों हो गए उसकी शक्ल देखे अब!



:cheersbeer:




मेरे पिताजी और उनकी गलतियाँ! :sigh:



फिर तो आप बच गए, लड़के को सँभालना आसान है! मेरी तो फटी पड़ी थी उस दिन की अगर ये नशे में बेहोश हो गई तो मैं क्या करूँगा?!



आपकी अंत में कही बात मुझे समझने में साल लग गए| अब समझ आ गया है इसलिए अब खुद को सुधार लिया है|



मुझे अच्छे करने का कीड़ा काटा था, साला इतनी फुद्दुपने वाली हरकतें की, कि अब हैरानी होती है कि मैं इतना फुद्दू था! :laugh:



काश उस वक़्त अक्ल आ गई होती दोनों को तो दोनों सुधर जाते!



आपने सही कहा, परन्तु ज्यादा अपेक्षाएं मत बांधिए! इससे ज्यादा कहूंगा तो सस्पेंस खराब हो जायेगा!



पिताजी ने मुझे यही एक बात सिखाई थी की बच्चों जो हमेशा अच्छे संस्कार देना|

माँ का संगीता से रिश्ता बहुत गहरा है!



संगीता के पिताजी की सोच अलग थी परन्तु उनका मेरे प्रति स्नेह उनकी सभी संतानों से ज्यादा था|



जब-जब मैं कमजोर पड़ा हूँ ,संगीता ने मुझे हिम्मत दी है|



ऐसे बहुत कम मौके आये जब पिताजी ने मेरा साथ दिया हो|



मैंने और संगीता ने कभी कुछ भी plan नहीं किया, जो हुआ वो होता गया| जब planning का time आया तो जहाँ एक तरफ मैं सब कुछ सही करना चाहता था वहीँ संगीता बहुत घबराई हुई थी! मेरा मानना है की रिश्ता कोई भी हो, जब तक उसको निभाने वाले same page पर नहीं होते, एक दूसरे का साथ देने के लिए तैयार नहीं होते तब तक सब कुछ गलत है नाजायज है!



आपकी request को ध्यान में रखते हुए, एक बार ये कहानी पूर्ण हो जाए मैं इसकी category के लिए admins से बात करूँगा|
कहानी पूर्ण होने का इंतजार क्यों??

अभी भी हो सकता है।


फिर तो आप बच गए, लड़के को सँभालना आसान है! मेरी तो फटी पड़ी थी उस दिन की अगर ये नशे में बेहोश हो गई तो मैं क्या करूँगा?

अरे सम्हालना किसी को नही पड़ा था, साले ने जिन लाई थी रूम पर, पहली बार पी रहा था, एक पैग भी नही पी गई उससे, और मैं पहले से ही मना कर रहा था। बाद में अकेले पूरी खतम की और बिलकुल नहीं चढ़ी, और वही सबसे बड़ी गुस्से वाली बात हुई की क्या चू** चीज लेके आया।

चढ़वाने के लिए अपनी बाइक पर पूरे लखनऊ के चक्कर लगवा रहा था वो।
 
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