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Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

Rockstar_Rocky

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Dil ko chhu lene wala uodate tha mst rocky bhai?
Bahut hi erotic upfate tha yarrrrr ek dum super duper hotttttt??❣
J

Jahapana tussi great ho toglhafa kabul karo????❣
Kyaa shandar likhawat hai bhai bhoji ki adao ne qamal kr diya or chhod dena tha andar hi bhoji ko bhi sukun mil jata❣??
Han bhoji jo chahti hai wo sahi hai wese galat bhi nhi hai kuchh mere hisab se kuki wo undono ke bich ki ouar ki nishani chati hai jo iss dunya ne aakar jab tk wo zinda rhe unke samne rhe aur yad dilati the phar ke uss pal ko air inki nishani ko
Enotional air bahut hi shandar update
Yha bat aati hai maturity aur immaturity ki kuki bhoji yha badi hai aur mature bhi isliye manu ke liye unko uss leval or jake samjhna abhi kafi mushqil hai pyar bahut karta hai wo or abhi oyar ke liye kuchh kar guzarjane wali himmat filhaal to usme nhi hai ki pyar le liye sabse lad jaye........lovely update❣
Ajib dard hai is update me
Wese ek vat nite ki mene isme jab bhi kabhi ladayi hoti hai gf se ya apno se to yhi kehta hu me bhi ki mar bhi nhi sakta nhi to ghar walo ka kya hoga❣?
अद्भुत लेखनी है आपकी, आपने इसमें इतना अविश्वसनीय प्यार का चित्रण किया है जैसे भौजी और मनु के बीच संभोग और भौजी के दर्द को मनु के द्वारा महसूस करना, मनु की भावनाओं को भौजी के द्वारा समझना अत्यंत प्यार का मिश्रण है बहुत ही खूब लेखनी है आपकी , आपके मुरीद हो गए हैं भाई
बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
 

Rockstar_Rocky

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:superb: :good: amazing update hai maanu bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
ab tak to sab kuch sahi chal raha hai,
ab dekhte hain ki karuna aisa kya karti hai jisase aapke dil ko thes pahunchegi,
Waiting for next update

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
दिल दुखाने की बात आपको पता चलेगी परन्तु अंत में, फिलहाल के लिए आप हमारी इस दोस्ती के हसीं पलों को enjoy कीजिये!
 

Rockstar_Rocky

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Awesome update bhai
Gjb ka update hai aapki aur karuna ki dosti bhi kamaal ki hai bilkul nispaksh
Sayad ye dosti ek ladke aur ek ladki me bahut kam dekhne ko milti hai jo har kadam par sath de bina swaarth ke
Kuch log sath chhod dete hai ki vo uske liye achcha hoga unka uss ladke / ladki ka door rahna par kya ye sacrificed sahi rahta hai
Mujhe nahi lagta
Bhabhi ne so called sacrificed diya apne pyaar kaa kya ye sahi raaha aap dono ke liye
बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
मित्र,

ये जो त्याग की भावना होती है ये कई बार आपसे आपका सबकुछ छीन लेती है! मेरा मानना ये है की त्याग उसके लिए करो जिसको आपके त्याग की जर्रूरत हो, जिसे आपके साथ की जररुअत है उसके लिए त्याग करने का कोई फायदा नहीं! भौजी ने जिस बेवकूफी भरे कारन से मुझसे मुँह मोड़ लिया उसकी कोई आवश्यकता नहीं थी, न कभी मैंने उनसे इस त्याग की अपेक्षा की थी! ये बस बेवकूफी थी जिसका फल मुझे भुगतना पड़ा! न वो मुझे समझ पाइन और न ही मेरे प्यार को! इसलिए आपसे विनती है की अगर जिंदगी में आपको किसी के लिए त्याग करना पड़े तो अच्छे से सोच लेना की उसको आपको त्याग की जर्रूरत है भी या नहीं? कहीं जिसे आप अपना त्याग समझ रहे हों वो दूसरे के लिए दुःख का सबब बन जाए!
 
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Rockstar_Rocky

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Bhout hi bdiya update gurujii :love3:

Ye hi mai bhi karta hu, jab kabhi koi chiz galat ho jati h, ya ho nhi pati, to sara dosh kismat ko :hukka:

:sigh:

:lotpot:

Khair karuna ka appointment letter aa gya aur ab vo bhi ja rahi h manu bhaiya ko chhodkar ?

Waiting for next update :waiting:

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
किस्मत को कभी दोष मत देना, वरना जब वो रूठ जाती है न तो बड़ी तकलीफ होती है!
 

Rockstar_Rocky

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मानु भाई ये विजयनगर और घरसाना के बारे में कहाँ से सुना यार थोडा विस्तार से लिखना इनके बारे में, मैं भी गया हूं घरसाना से आगे कस्बा है रावला में एक बार किसी शादी में

मित्र,

दरअसल मैं और करुणा किसी अन्य जगह गए थे, उस जगह का नाम व्यक्तिगत कारणों से नहीं लिख सकता इसलिए इस जगह के नाम को चुना|
 

Rockstar_Rocky

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Sir update jaldi jaldi post karna taki storie me jigaynsa Bana rahe...?
Keep posting..
मित्र,

पूरी कोशिश रहेगी की मैं जल्दी अपडेट दिया करूँ, फिर भी कभी देर हो जाए तो आपसे माफ़ी चाहूँगा|
 

Dev rathor

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बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
मित्र,

ये जो त्याग की भावना होती है ये कई बार आपसे आपका सबकुछ छीन लेती है! मेरा मानना ये है की त्याग उसके लिए करो जिसको आपके त्याग की जर्रूरत हो, जिसे आपके साथ की जररुअत है उसके लिए त्याग करने का कोई फायदा नहीं! भौजी ने जिस बेवकूफी भरे कारन से मुझसे मुँह मोड़ लिया उसकी कोई आवश्यकता नहीं थी, न कभी मैंने उनसे इस त्याग की अपेक्षा की थी! ये बस बेवकूफी थी जिसका फल मुझे भुगतना पड़ा! न वो मुझे समझ पाइन और न ही मेरे प्यार को! इसलिए आपसे विनती है की अगर जिंदगी में आपको किसी के लिए त्याग करना पड़े तो अच्छे से सोच लेना की उसको आपको त्याग की जर्रूरत है भी या नहीं? कहीं जिसे आप अपना त्याग समझ रहे हों वो दूसरे के लिए दुःख का सबब बन जाए!
Bhai mene bhi ye tyaag ta torture jhela hai
Kuch hashil nahi hota hai isse
Chhod dete hai log ki uska accha hoga par kya vo loat kar dekhte hai ki uska kya parinam hua hai
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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इक्कीसवाँ अध्याय: कोशिश नई शुरुआत की
भाग -7 (3)


अब तक आपने पढ़ा:


इधर रात के 3 बजे मेरी नींद एकदम से खुली क्योंकि मेरा जी मचल रहा था, ऐसा लग रहा था की अभी उलटी होगी! मैं तुरंत बाथरूम में घुसा पर शुक्र है की कोई उलटी नहीं हुई, मुँह धो कर मैं बाहर आया और पलंग पर पीठ टिका कर बैठ गया| मेरी नींद उचाट हो गई थी और अब दिमाग में बस ग्लानि के विचार भरने लगे थे!



अब आगे:


ग्लानि अपनी माँ से झूठ बोलने की, उस माँ से जो मुझे इतना प्यार करती है और ग्लानि उस लड़की (करुणा) को शराब पी कर तंग करने की! करुणा का नाम याद आते ही मुझे नजाने क्यों ऐसा लगने लगा की मैंने शराब पी कर उसके साथ कोई बदसलूकी की है, हालाँकि मेरा दिमाग बार-बार कह रहा था की मैंने करुणा के साथ कोई बदसलूकी नहीं की है पर मन में बसी ग्लानि इस बात को मान ही नहीं रही थी! दिमाग को ग्लानि से बचने का रास्ता चाहिए था तो उसने मेरे झूठ बोलने का ठीकरा भौजी के सर मढ़ दिया; 'मैं पहले कभी इतना धड़ल्ले से झूठ नहीं बोलता था और ये पीने की लत मुझे भौजी के कारन लगी! न वो मुझे धोखा देतीं, न मैं पीना शरू करता और ना ही मुझे माँ से झूठ बोलना पड़ता!’ जबकि अस्लियत में देखा जाए तो मेरा ये झूठ बोलना मैंने भौजी के मोह जाल में पड़ कर खुद शुरू किया था|

मैं यूँ ही आँखें खोले हुए छत को घूर रहा था और मन ही मन भौजी को दोष दिए जा रहा था, तभी मुझे याद आया की मुझे तो दिषु को कॉल करना था! मैंने फ़ट से अपना फ़ोन उठाया और देखा की उसकी notification लाइट जल रही है, फ़ोन on किया तो पता चला की करुणा और दिषु की 4-4 missed call हैं! अब रात के इस वक़्त कॉल तो कर नहीं सकता था इसलिए मैंने दोनों को मैसेज कर के बता दिया की मैं घर पहुँच गया था और बहुत नींद आ रही थी इसलिए जल्दी सो गया था| मैं जानता था की ये मैसेज करना काफी नहीं होगा, कल सुबह होते ही दिषु मुझे बहुत सुनाएगा और करुणा का क्या? करुणा का नाम याद आते ही फिर ऐसा लगने लगा की मैंने कोई पाप किया है, शायद नशे की हालत में मैंने उसके साथ......? 'नहीं-नहीं! ऐसा कैसे हो सकता है? मुझे अच्छे से याद है, मैंने उसके साथ कोई बदसलूकी नहीं की!' मेरे दिमाग ने बड़े आत्मविश्वास से कहा| पर ससुरा दिल अड़ गया की नहीं मैंने कुछ तो गलत किया है, दरअसल ये दारु पी कर जो मैंने माँ से झूठ बोला था ये उसकी ग्लानि थी और यही ग्लानि नजाने क्या-क्या महसूस करवा रही थी! मैंने सोच लिया था की सुबह होते ही मैं करुणा को फ़ोन कर के माफ़ी माँग लूँगा|



बस सुबह होने तक मैं एक पल भी नहीं सो पाया, एक तो ग्लानि थी और दूसरा बियर ज्यादा पीने से जी मचला रहा था| सुबह 5 बजे मैं बिस्तर से उठा, नहाया-धोया और सीधा डाइनिंग टेबल पर पहुँचा, मुझे इतनी जल्दी उठा देख पिताजी ताना मारते हुए बोले;

पिताजी: गुस्सा शांत हो गया या अभी बाकी है?

मैं पलट कर उन्हें कोई जवाब देता तो झगड़ा शुरू हो जाता, इसलिए मैं खामोश रहा| अब माँ को ही मेरा बीच-बचाव करना था तो वो बोलीं;

माँ: अजी छोड़ दीजिये.....

माँ आगे कुछ कहतीं उससे पहले ही पिताजी ने उन्हें दुत्कार दिया;

पिताजी: तुम्ही ने सर पर चढ़ाया है इसे!

अब माँ को बिना किसी गलती के कैसे झाड़ सुनने देता;

मैं: सर पर चढ़ाया नहीं, बल्कि सही-गलत में फर्क करना सिखाया है|

ये सुन कर पिताजी को मिर्ची लगी और वो कुछ बोलने ही वाले थे की मैंने एकदम से कल का सारा गुस्सा उन पर निकल दिया;

मैं: क्या गलती थी मेरी जो आपने मुझे लेबर के सामने झाड़ दिया? चेक पर साइन करना भूल गए आप, इस छोटी सी बात के लिए माल रोका आपके सेठ जी ने और गुस्सा आप मुझ पर उतार रहे थे? आपके सेठ जी एक फ़ोन कर के नहीं बता सकते थे की चेक वापस आ गया है? 150/- रुपये का टुच्चा सा नुक्सान मुझे गिना ने में उन्हें शर्म नहीं आई?! पैसे दे कर ही माल लेना था तो ले लिया मैंने दूसरे से और बिल देखा आपने? आपके सेठ जी से कम दाम लिए उसने और 30 दिन का credit period भी दिया है, मतलब अगर हमें पेमेंट मिलने में लेट हो तो 30 दिन तक वो आपके सर चढ़ कर पैसे के लिए नहीं नाचेगा! ये बिज़नेस हम पैसा कमाने के लिए करते हैं उन सेठ जी के साथ नाते-रिश्तेदारी निभाने के लिए नहीं और काहे की रिश्तेदारी जब पैसे ही देने हैं तो काहे की रिश्तेदारी? अब बोलिये क्या गलत किया मैंने?

मेरी सारी बात सुन कर पिताजी को मेरे गुस्से का कारन समझ आ गया पर फिर भी वो खामोश रहे, मैं वहाँ ठहरता तो कुछ गलत होता इसलिए मैं वापस अपने कमरे में लौट आया| घंटे भर बाद पिताजी ने मुझे आवाज दी और बाहर बुलाया;

पिताजी: मानु......बाहर आ!

उनकी आवाज में शान्ति थी, मैं सर झुकाये हुए बाहर आया तो पिताजी ने मुझे बैठने को कहा|

पिताजी: अच्छा किया जो तूने सेठ जी से काम बंद कर दिया, पर आगे से कोई भी फैसला लेने से पहले सोचा कर और कमसकम मुझे बता दिया कर!

पिताजी की आवाज में हलीमी थी इसलिए मैंने उनके आगे हाथ जोड़े और बोला;

मैं: पिताजी मुझे माफ़ कर दीजिये, मुझे आपसे यूँ गुस्से से बात नहीं करनी चाहिए थी|

पिताजी: बेटा अपने गुस्से पर काबू रखा कर|

इतना कह पिताजी उठे और माँ को नाश्ता बनाने को बोला| पिताजी नहाने गए तो मैंने सोचा माँ से भी माफ़ी माँग लूँ, पर उन्हें बताऊँ कैसे की मैं पी कर आया था?! लेकिन माँ अपने बच्चे की रग-रग से वाक़िफ़ होती है, इसलिए माँ ने ही पलट कर मुझे प्यार से डाँटते हुए कहा;

माँ: सच-सच बता, कल रात पी कर आया था न?

माँ की बात सुन मेरे तोते उड़ गए, अब उन्हें सच बोलता तो उनका दिल टूटता और वो मुझे पीने से रोकने के लिए अपनी कसम से बाँध देतीं इसलिए मैंने सुबह-सुबह फिर झूठ बोला;

मैं: नहीं तो!

इतना कह मैंने उनसे नजरें चुरा ली और टेबल पर बैठ अखबार पढ़ने लगा| माँ का दिल बड़ा पाक़ होता है इसलिए उन्होंने मेरे झूठ पर भरोसा कर लिया|

नाश्ता कर के मैं पिताजी के साथ निकला और काम संभाला, थोड़ी देर बाद दिषु का फ़ोन आया और उसने मुझे प्यार से डाँटा और समझाया की मुझे अपने पीने पर काबू रखना चाहिए, ख़ास कर तब जब मेरे साथ लड़की हो| मैंने उसे 'sorry' कहा और काम में लग गया,आज शनिवार का दिन था सो मैं आधे दिन में ही गोल हो लिया और सीधा करुणा के पास पहुँचा| मुझे उससे आज माफ़ी माँगनी थी और नजाने मुझे ऐसा क्यों लग रहा था की वो मुझसे नहीं मिलेगी इसलिए मैं धड़धड़ाता हुआ आज उसके हॉस्पिटल में घुस गया| मैंने हॉस्पिटल में करुणा के बारे में एक नर्स से पुछा तो उसने मेरा नाम पुछा, मेरा नाम सुन वो मुस्कुरा कर मुझे ऐसे देखने लगी मानो मैं कोई सुपरस्टार हूँ! वो मुझे अपने साथ nursing station लाई और सभी से मेरा परिचय करवाते हुए बोली; 'ये है मिट्टू!' मिट्टू सुन कर सब के सब ख़ुशी से चहकने लगे और मेरी आव-भगत में लग गए| मुझे नहीं पता था की करुणा ने मेरी तारीफों के पुल यहाँ पहले से ही बाँध रखे हैं! वहाँ सभी कोई मेरे बारे में पूछने लगे और मेरे बारे में जानकार सभी बहुत खुश हुए| सब जानते थे की करुणा को जयपुर में permanent job मिली है और मैं ही उसकी सारी मदद कर रहा हूँ| इतने में करुणा आ गई और मुझे वहाँ बैठे देख उसके चेहरे पर ख़ुशी खिल गई;

करुणा: मिट्टू!!! आप मेरे को surprise देने आये क्या?

उसकी बात सुन साब लोग ठहाका मार के हँसने लगे, मुझे ये देख कर हैरानी हुई की करुणा के मन में कल जो दारु पीने का काण्ड हुआ उसके लिए कोई गिला-शिकवा नहीं है| हँसी-ठहाका सुन एक-दो डॉक्टर आ गए और करुणा ने उनसे मेरा परिचय करवाया, मुझसे मिलकर उनके चेहरे पर भी मुझे सबकी तरह ख़ुशी दिखी|

करुणा: मिट्टू आप यहीं बैठो मैं चेंज कर के आ रे!

करुणा चेंज कर के आई और तब तक सभी मुझसे बात करते रहे|



हम दोनों बाहर निकले तो मैंने करुणा से माफ़ी माँगी;

मैं: Dear I’m sorry for yesterday…..

मैं आगे कुछ कहता उससे पहले ही उसने चौंकते हुए मेरी बात काट दी;

करुणा: ऐसा क्यों कह रे? आप ने कुछ नहीं किया, आप drunk था पर आपने कुछ misbehave नहीं किया! आप तो कल और भी cute लग रा ता!

करुणा ने हँसते हुए कहा| उसकी बात सुन मैं हैरान उसे देख रहा था और इधर मेरा दिमाग मेरे दिल को लताड़ रहा था; 'बोला था न कुछ नहीं किया मैंने!' पर आत्मा को बुरा लग रहा था की मैंने कल उसके साथ बैठ कर इतनी दारु पी;

मैं: Dear आज के बाद हम कभी इस तरह दारु नहीं पीयेंगे, कल तो मैं होश में था पर फिर कभी नहीं हुआ तो?!

मैंने सर झुकाते हुए कहा| करुणा ने एकदम से मेरे दोनों कँधे पकडे और मेरी आँखों में देखते हुए बोली;

करुणा: मुझे आप पर पूरा trust है की आप कभी कुछ गलत नहीं करते, इतना months में आप ने मुझे touch तक नहीं किया तो कैसे कुछ गलत करते?!

करुणा की बातों में सच्चाई थी, मैंने आज तक उसे नहीं छुआ था, मैं नहीं जानता था की वो ये सब notice कर रही है|

करुणा: फिर आप मेरे साथ नहीं पी रे तो मैं किसके साथ पीते?

करुणा ने हँसते हुए कहा, पर मैंने उसकी इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया| मेरे खामोश रहने से करुणा ने बात को बदलना चाहा;

करुणा: मिट्टू आज हम खान मार्किट चर्च जाते!

धर्म-कर्म की बात पर मैं हमेशा खुश हो जाता था इसलिए मेरे चेहरे पर एकदम से मुस्कान आ गई| हमने ऑटो किया और खान मार्किट चर्च पहुँचे, चर्च के बाहर लोगों ने फूल माला, मोमबत्ती और कुछ खाने-पीने के समान की फेरी लगा रखी थी| करुणा ने बाहर से फूल माला, गुलाब और मोमबत्तियाँ ली| आज मैं पहलीबार देख रहा था की ईसाई लोग भी पूजा में फूलमाला उपयोग करते हैं, इससे पहले मुझे लगता था की वो केवल मोमबत्ती जला कर ही दुआ करते हैं| हम चर्च में दाखिल हुए तो बाईं तरह एक जूते-चप्पल का स्टैंड था जहाँ जूते रखने थे, पिछलीबार जब हम Sacred Heart Cathederal Church गए थे तो वहाँ हमने जूते नहीं उतार थे| मैंने किसी बच्चे की तरह करुणा से ये सवाल पुछा तो उसने ठीक वैसे ही जवाब दिया जैसे माँ-बाप अपने छोटे बच्चे के नादान सवाल का जवाब देते हैं;

करुणा: मिट्टू इदर जूते पहन कर अंदर नहीं जाते!

क्यों नहीं जाते इसका जवाब तो मिला नहीं, मैंने भी सोचा की ज्यादा पूछूँगा तो कहीं ये डाँट न दे इसलिए मैं जूते-चप्पल उतार के करुणा के साथ अंदर चल दिया| दाईं तरफ Mother Mary की एक मूरत थी और ठीक सामने की तरफ हाथ-मुँह धोने की जगह| हम दोनों ने हाथ-मुँह धोये और चर्च के अंदर घुस गए|

ये चर्च Sacred Heart Cathederal Church के मुक़ाबले बहुत छोटा था पर इस चर्च में बहुत रौनक थी, यहाँ बहुत से लोग मौजूद थे, सामने की ओर Mother Mary की मूरत थी| मूर्ती के आगे एक रेलिंग लगी थी और उस रेलिंग के साथ ही एक लम्बा सा गद्दा बिछा हुआ था| लोग उस गद्दे पर घुटने मोड़ कर अपना सर उस रेलिंग पर रखते थे, रेलिंग के दूसरी तरफ दो लोग थे, एक आदमी भक्तों से फूल माला लेता था और Mother Mary या Jesus Christ की मूर्ति के पास रख देता था तथा दूसरा व्यक्ति रेलिंग पर सर रखने वालों के झुके हुए सर के ऊपर एक मुकुट जैसा कुछ 5-10 सेकंड तक रखता था|



जब हम दोनों की बारी आई तो हमने भी वैसा ही किया, मेरे सर पर जब वो मुकुट रखा गया तो मुझे ऐसा लगा मानो मेरे जिस्म में पवित्रता घुल गई हो! वो पवित्र एहसास ऐसा था की मेरा मन एकदम से शांत हो गया, मैं सभी चिंताएँ भूल गया! जीवन में पहली बार मैं अपनी साँसों को खुद सुन पा रहा था, उन कुछ पलों के लिए मेरे कानों ने कुछ भी सुनना बंद कर दिया था, बस एक अजीब सा सुकून था जिसे मैं आज दिल से महसूस कर पा रहा था|

दिल को जब सुकून मिला तो जुबान पर बस करुणा के लिए दुआ निकली; 'Mother Mary आज मैं पहलीबार आपके मंदिर में आया हूँ, अगर मुझसे कोई भूल हो गई हो तो मुझे माफ़ कर देना| मेरी दोस्त करुणा का ख्याल रखना, उसे ये नई नौकरी दिलाना और इसका वहाँ खूब ख़याल रखना| इसे बहुत सारी खुशियाँ देना, ये थोड़ी सी बुद्धू है तो प्लीज इसे सत बुद्धि देना|' दिल ने जल्दी से ये दुआ की क्योंकि मेरे अलावा भी वहाँ बहुत भक्त थे, अब मैं ही जगह घेर कर बैठ जाता तो लोग हँगामा खड़ा कर देते| मैं उठा तो देखा करुणा गायब है, मैं गर्दन घुमा कर उसे ढूँढने लगा, मुझे करुणा चर्च के बाईं तरफ बानी मूर्तियों के आगे सर झुका कर दुआ कर रही थी| मैं भी उसी की तरह सभी मूर्तियों के आगे सर झुका कर करुणा के लिए दुआ करने लगा|



दुआ कर के हम वहाँ बिछी बेंचों पर बैठ गए, करुणा ने अपनी आंखें बंद कर ली और वो मन ही मन अपनी प्रर्थना में लग गई| मैंने भी सोचा की जो प्रार्थना रेलिंग पर सर रख कर कर रहा था उसे पूरा करूँ| मैंने करुणा की नौकरी के लिए दुआ करनी शुरू की, पर उसी समय मुझे काल शाम का दृश्य याद आया| वो दृश्य याद आते ही मन ने मुझे लताड़ा, भगवान के घर में बैठ कर जब मन लताड़ता है तो बड़ा दर्द होता है| 'अपनी माँ से झूठ बोलने वाला आज सबकी माँ Mother Mary से करुणा के लिए दुआ कर रहा है?! तुझ जैसे झूठे के कारन करुणा का बनता हुआ काम बिगड़ जाएगा!' अंतरात्मा की ये लताड़ सुन मेरी आँखों से आँसूँ बह निकले| 'Mother Mary मुझे माफ़ कर दो! कल जो हुआ उसके लिए में बहुत शर्मिंदा हूँ और वादा करता हूँ की ऐसा कभी कुछ करुणा के साथ नहीं करूँगा! मैंने अपनी माँ से झूठ बोला, उसके लिए मैं आपका कसूरवार हूँ और उसके लिए आप जो भी सजा देना चाहो वो मुझे दो, पर करुणा पर इसका कोई प्रभाव मत पड़ने देना| मैं वादा करता हूँ की जबतक करुणा की नौकरी लग कर वो सेटल नहीं हो जाती तब तक मैं शराब को हाथ नहीं लगाऊँगा, पर प्लीज मेरे कारन उस बेचारी के जीवन में कोई तकलीफ मत देना! उसकी दुःख-तकलीफें मुझे दे देना पर उसे खुश रखना, उसने बहुत दुःख झेला है!' प्रार्थना कर के जब मैंने आँखें खोलीं तो करुणा को मुझे घूरता हुआ पाया परन्तु उसने उस समय मुझसे कोई सवाल नहीं किया| कुछ देर बैठ कर हम बाहर निकले, बाहर निकलते समय मैंने दरवाजे पर खड़े हुए Mother Mary को सर झुका कर प्रणाम किया और मन ही मन उनसे बोला; 'Mother Mary अब मैं चलता हूँ, आप आशीर्वाद देना की अगलीबार जब मैं आपसे मिलने आऊँ तो इस ख़ुशी के साथ आऊँ की करुणा को जॉब मिल गई है|' मैंने मुस्कुरा कर Mother Mary को धन्यवाद दिया और चर्च से बाहर आया| हम दोनों अपने जूते-चप्पल पहन रहे थे तब करुणा ने मुझे चर्च के बारे में बताना शुरू किया;

करुणा: Dear आपको पता, ये हैं न Mother Mary का only church है! ज्यादा कर के चर्च Jesus का होते पर अंदर आपने एक अम्मा और अप्पा का फोटो देखा न, वो दोनों मिल कर ये चर्च शुरू किया| Mother Mary का सबसे बड़ा चर्च Velakanni तमिल नाडु में है, मुझको जब अच्छा सैलरी मिलते तब मैं आपको वहाँ ले जाते|

करुणा की बात सुन कर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई|



हम घर आने के लिए चल पड़े और चलते-चलते हम खान मार्किट पहुँचे;

करुणा: Dear आप चर्च में रो क्यों रा था?

करुणा ने बड़े प्यार से अपना सवाल पुछा|

मैं: मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे किये हुए पापों की सजा आपको मिल रही है, तभी तो आपका अपॉइंटमेंट लेटर अभी तक नहीं आया, इसलिए मैंने Mother Mary को प्रॉमिस किया की जब तक आपको जॉब नहीं मिलती तब तक मैं drink नहीं करूँगा|

करुणा मेरी बात सुन कर हैरान हुई और मुझे समझाना चाहा;

करुणा: Dearrrr....ऐसा नहीं होते.....

मैं: Dear भक्ति में logic नहीं विश्वास चलता है!

मैंने करुणा की बात काटते हुए कहा, वो आगे कुछ बोलती उसके पहले ही मैंने बात घुमा दी और उसका ध्यान खाने-पीने की ओर मोड़ दिया| उस दिन हमने अफगानी चिकन टिक्का रोल खाया, कसम से उससे लजीज चिकन रोल मैंने आजतक नहीं खाया था!



दो दिन बाद करुणा ने लंच में फ़ोन किया, उसकी आवाज खुशियों से भरी थी! मैं जान गया था की उसका अपॉइंटमेंट लेटर आ गया है, मैंने आँख बंद कर के ईश्वर को धन्यवाद दिया और उससे पुछा की कहाँ joining मिली है तथा उसे कब निकलना है| करुणा ने बताया की उसे ‘घरसाना’ नाम की जगह में पोस्टिंग मिली है पर उसे पहले ‘श्री विजयनगर’ में रिपोर्ट करना है| Joining के लिए उसकी दीदी, उसका जीजा और एंजेल सब जा रहे हैं, अब ये सुन कर मेरा दिल मुरझा गया क्योंकि उन सब के जाने से मेरा जाना नामुमकिन होगया था, जबकि मैं चाहता था की उसकी joining मैं करवाऊँ!

करुणा: आप मेरे को छोड़ने नहीं जाते?

करुणा ने मायूस होते हुए कहा|

मैं: यार....

मैं कुछ कहता उससे पहले ही करुणा ने मेरी बात काट दी;

करुणा: मेरा जोइनिंग के बाद हम फिर कब मिलते, क्या पता? इसलिए आप अगर नहीं जाते तो मैं भी नहीं जाते!

करुणा ने किसी बच्चे की तरह मुँह बनाते हुए कहा|

मैं: यार....ठीक है....मैं चलूँगा!

मैंने हार मानते हुए कहा, मैं जानता था की मेरे जाने से करुणा की दीदी को चिढ होगी पर करुणा की ख़ुशी के लिए मैं मान गया| करुणा को आज शाम को जल्दी घर जाना था तो आज मिलने का प्लान कैंसिल हो गया, रात को करुणा ने फ़ोन कर के बताया की दो दिन बाद जाना है तो मैं बस की टिकट बुक करवा दूँ| मैंने करुणा से उसके दीदी, जीजा और एंजेल की डिटेल ली तथा टिकट बुक करने के लिए ऑनलाइन चेक किया, तब मुझे पता चला की श्री विजयनगर तक volvo नहीं जाती थी, बल्कि स्लीपर बस जाती थी, मैंने आज तक स्लीपर बस में सफर नहीं किया था तो सोचा की इस बहाने स्लीपर बस में भी सफर करने को मिलेगा| लेकिन दिक्कत ये थी की अगर मैं चारों sleeper टिकट लेता तो मुझे और करुणा को एक साथ स्लीपर मिलती, उसके परिवार की मौजूदगी में ये ठीक नहीं होता इसलिए मैंने केवल तीन स्लीपर बस की टिकट ली तथा अपने लिए मैंने बैठने वाली सीट ली|

अब बारी थी घर में फिर से झूठ बोलने की कि श्री विजयनगर में ऑडिट के लिए जाना है, अपना झूठ फूलप्रूफ करने के लिए मैंने दिषु को सब बता दिया और वो भी मेरे झूठ में शामिल हो गया| माँ-पिताजी ने झूठ सुना और बेटे पर विश्वास कर बैठे, पर मैं जानता था की मैं उनसे कितना झूठ बोल रहा हूँ| खैर ये दो दिन करुणा एकदम से मुरझा गई थी, बुधवार को जब मैं उससे मिला तो करुणा ने मायूस होते हुए कहा;

करुणा: मिट्टू....हम कब मिलते?

करुणा की आवाज में दर्द झलक रहा था और उसका ये दर्द मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, ये दर्द कुछ-कुछ वैसा ही था जो भौजी ने मेरे दिल्ली लौटने के समय किया था| इस दर्द को महसूस कर मन बोला; 'भौजी को तो मैं खो चूका हूँ, पर करुणा को नहीं खोऊँगा;

मैं: पागल! आप joining तो करो, फिर मैं और आप every weekend मिलेंगे!

ये सुन कर करुणा के चेहरे पर ख़ुशी लौट आई, उसके चेहरे पर आई ख़ुशी देखते ही मैंने पल भर में सारा प्लान बना लिया;

मैं: मैं every friday night यहाँ से निकलूँगा, saturday-sunday मैं वहीं रहूँगा और sunday night वापस आ जाऊँगा|

मेरा प्लान था तो बिना सर-पैर का लेकिन जब आपके मन में मोह में बसा हो और आप उस मोह से खुद को संभाल न पाओ तो आप ऊल-जूलूल हरकतें करने लगते हो! न तो मैं भौजी से प्यार करते समय अपने मोह को रोक पाया था और न ही करुणा से दोस्ती में!

करुणा: सच मिट्टू?

करुणा ने आस लिए हुए मुस्कुरा कर पुछा और मैंने तुरंत हाँ में सर हिला कर उसे आश्वासन दिया| मेरी हाँ सुन कर उसके चेहरे पर जो मुस्कान आई वो देख कर दिल को बहुत सुकून मिल रहा था, भले ही मेरा प्लान बेवकूफी भरा था पर मैंने उसके बारे में सोचना शुरू कर दिया था| दिल्ली से बाहर जाना वो भी हर हफ्ते? बस का खर्चा? होटल में रहने का खर्चा? और जो उतने दिन मैं वहाँ रुकता, घूमता-फिरता उसका खर्चा? इसके लिए मुझे पैसे चाहिए थे, बहुत सारे पैसे और उसके लिए मुझे एक अच्छी जॉब चाहिए थी! करुणा से मेरा लगाव इतना बढ़ चूका था की मैं सब कुछ करने को तैयार था!



अगले दिन साइट पर काम ज्यादा था, फिटिंग का कुछ माल नहीं आया था तो पिताजी ने मुझे सुबह ही माल लेने भेज दिया| माल उत्तर प्रदेश से आना था पर कुछ कारन वश नहीं पहुँचा था, पिताजी ने सप्लायर को बहुत फ़ोन मिलाये पर कोई जवाब नहीं, इसलिए पिताजी ने सुबह ही मुझे वहाँ भेज दिया| अब चूँकि पिताजी ने सारी पेमेंट एडवांस की थी इसलिए मेरा जाना जर्रूरी था, मैं पहले सप्लायर की दूकान पहुँचा पर वहाँ कोई नहीं मिला| मैंने आस-पास उनके घर का पता किया और उन्हें ढूँढ़ते हुए उनके घर पहुँचा, घर पहुँच कर पता चला की एक एक्सीडेंट में उन्हें बहुत चोट आई है| हॉस्पिटल का पता लेकर में उनका हाल-चाल लेने पहुँचा, हॉस्पिटल जा कर देखा की अंकल के दाएँ हाथ में फ्रैक्चर हुआ है| मैंने उनसे हाल-चाल लिया, इधर उन्होंने अपने बेटे को बुलाया और उससे फ़ोन माँगा क्योंकि उनका फ़ोन एक्सीडेंट में टूट गया था| उन्होंने सीधा फ़ोन अपनी दूकान वाले छोटू को किया और उसे झाड़ते हुए बोले; "मरी कटौ, हम एकदिन फैक्ट्री नाहीं आयन तो तुम सबका सब मस्ती मारे लागेओ! दिल्ली वाली गाडी कहाँ है? भैया हमरे लगे ठाड़ (खड़े) हैं, दुइ मिनट मा हमका बताओ नहीं तो गंडिया काट डालब तोहार!" फ़ोन काट कर उन्होंने मुझसे माफ़ी माँगी तो मैंने उनके आगे हाथ जोड़ते हुए कहा;

मैं: अंकल जी आप आराम कीजिये, मैं तो......

मैं आगे कुछ बोलता उससे पहले ही अंकल जी का लड़का बोल पड़ा; "भैया कल रतिया का गाडी हाईवे पर पलट गई रही, पापा बाल-बाल बचे! एहि से गाडी आज सुबह न निकल पाई....."

मैं: अरे यार ऐसा मत करो, मैं तो यहाँ बस अंकल जी का हाल-चाल पूछने आया था|

मैंने उसकी बात काटते हुए कहा|

अंकल जी: नाहीं मुन्ना, तोहार पिताजी हम पर भरोसा कर के ऐखय बार मा पूरा पइसवा दे दिहिन| ऊ हम से तनिको भाव-ताव नाहीं किहिन, ई तो ससुर एक्सीडेंट हो गवा नाहीं तो तोहार माल आज पहुँच जावत! आज शाम का हम खुद उनका फ़ोन करि के माफ़ी माँग लेब!

मैं: अंकल जी ऐसा न कहिये! जिंदगी ज्यादा जर्रूरी होती है, भगवान का लाख-लाख शुक्र है की आप सुरक्षित हैं|

इतने में छोटू का फ़ोन आ गया, उसने बताया की गाडी तैयार है और बस निकलने वाली है| अंकल जी ने उसे बहुत झाड़ा और आज रात किसी भी हालत में माल पहुँचाने को कहा| मैंने सारी बात सुन ली थी तो मैंने उनसे विदा लेनी चाही, अंकल ने बहुत जोर दिया की मैं कुछ खा-पीकर जाऊँ पर मैं उन्हें और उनके परिवार को तकलीफ नहीं देना चाहता था इसलिए मैंने उनसे हाथ जोड़ कर धन्यवाद कहा तथा वहाँ से चल पड़ा| घडी में बजे थे शाम के 5 और अभी दिल्ली पहुँचने में लगता कमसकम ढाई घंटे, इसलिए मैंने करुणा को बताया की मैं आज नहीं मिल पाऊँगा| ये सुन कर करुणा मायूस हो गई, वो चाहती थी की कल श्री विजयनगर निकलने से पहले हम आज मिल लें| अब मिलना तो मुमकिन नहीं था पर फ़ोन पर बात करना तो आसान था, तो हम दोनों फ़ोन पर बात करने लगे| मैंने करुणा से पुछा की उसने अपने सारे कपडे- लत्ते पैक किये? अपने सभी documents ले लिए? ये सवाल सुन करुणा भावुक हो गई और फ़ोन पर बात करते हुए रो पड़ी| वो घर छोड़ कर एक नए शहर में बसने से घबरा रही थी और मैं उसे सांत्वना देते हुए उसका हौसला बढ़ा रहा था| मैंने उसे विश्वास दिलाया की उसके वहाँ ठहरने से ले कर आने-जाने का सारा इंतजाम मैं करूँगा और कुछ दिन वहीं उसके पास रहूँगा| दिक्कत ये थी की joining मिलने के बाद करुणा की दीदी और जीजा की मौजूदगी में मैं वहाँ किस तरह रुकता? तो मैंने इसका एक आईडिया निकाला, वो ये की करुणा की joining के बाद उसके रहने के लिए किसी हॉस्टल का इंतजाम कर मैं दिल्ली न आ कर कोई बहाना मार के कहीं और निकल जाऊँगा| उसकी दीदी तो रात की बस से निकल जातीं और तब तक मैं किसी पार्क, होटल में रुक जाता| उनके जाते ही मैं करुणा से मिलता और 1-2 दिन रुक कर जब करुणा को इस सब की आदत हो जाती तो मैं लौट आता| करुणा को मेरा प्लान पसंद आया और उसके चेहरे पर थोड़ी सी ख़ुशी आई|

इधर मैं अब भी करुणा से अपने दिल की हालत छुपा रहा था, उससे रोज मिलने की आदत पड़ गई थी, उसके साथ होने से मेरा दिल काबू में रहता था और भौजी को याद कर के दारु के पीछे नहीं जाता था| दिल करुणा को अपने पास रखना चाहता था पर मन मुझे स्वार्थी होने से रोक रहा था, हार मानते हुए मैंने मन की बात मान ली और भगवान से प्रार्थना की कि वो मुझे शक्ति दे ताकि मैं खुद को संभाल सकूँ| सच कहूँ तो ये दर्द भौजी से जुदा होने के मुक़ाबले कम था क्योंकि मैं भौजी से प्यार करता था पर करुणा से केवल मेरा मोह का रिश्ता था|



रात नौ बजे मैं घर पहुँचा और तबतक हमारी बातें nonstop चलती रहीं, खाना खा कर मैंने कल के लिए अपने कपडे पैक किये| थकावट थी इसलिए मैं सो गया, अगला दिन पर आज सुबह उठने का जैसे मन ही नहीं था| हमारी बस रात की थी और दिनभर मैं पिताजी के साथ काम में लगा रहा, शाम 7 बजे मैं अपने घर से करुणा के घर के लिए निकला| मैं तो समय से पहुँचा पर वो तीनों लेट-लतीफ़ थे, मैं जानकार उनके घर नहीं गया और बाहर पार्क में बैठा रहा| जब वो सब रेडी हुए तो मैंने ola बुलवाई, 5 मिनट में एक SUV आ गई और उधर वो तीनो अपना सामान ले कर नीचे आ गए| आज मैं पहलीबार करुणा के जीजा से मिला और माँ कसम क्या आदमी था वो! मरा हुआ सा शरीर, गाल चपटे, मोटी सी मूछ, सादे से कपडे पहने हुए! मैं ड्राइवर के साथ सामान पीछे रखवा रहा था जब उसने आ कर मुझसे मुस्कुरा कर बात की;

करुणा का जीजा: हेल्लो मैं करुणा का जीजा!

उसकी औरतों जैसी मरी हुई आवाज सुन कर मेरी हँसी छूट गई लेकिन अगर हँसता तो उस बेचारे की किरकिरी हो जाती इसलिए मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी दबाई, पर करुणा मेरी हँसी ताड़ गई थी! उसकी हालत भी मेरी जैसी थी, वो भी बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी छुपाये खड़ी थी| खैर हम चले और समय से कश्मीरी गेट बस स्टैंड पहुँच गए, बस लग चुकी थी हम सारा सामान ले कर चढ़ गए| करुणा की दीदी और जीजा को डबल स्लीपर मिला था तथा करुणा को सिंगल स्लीपर मिला था| मैंने अपना बैग करुणा के स्लीपर बर्थ पर रखा तो उसकी दीदी ने मुझसे सवाल किया;

करुणा की दीदी: मानु आपकी बर्थ कहाँ है?

मैं: दीदी मैंने अपने लिए चेयर बुक की थी!

मेरा जवाब सुन करुणा की दीदी ने बड़ी चुभती हुई बात कही;

करुणा की दीदी: स्लीपर बर्थ और चेयर में 100/- रुपये का ही अंतर् था न? तो 100/- रुपये मेरे से ले लेते!

ये सुन कर मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर मैं किसी तरह सह गया|

करुणा: मिट्टू को रात में जागते हुए travel करना अच्छा लगते!

करुणा मेरा बचाव करते हुए बोली|

करुणा की दीदी: क्यों? सामान की रखवाली करने के लिए?! आप जाग रहे हो तो हमारे सामना का भी ध्यान रखना!

उन्होंने मजाक करते हुए कहा पर ये मजाक हम दोनों (मुझे और करुणा) को जरा भी पसंद नहीं आया, इसलिए करुणा बीच में बोल पड़ी;

करुणा: मिट्टू poet है, वो रात में जाग कर roads और colorful lights देखते!

करुणा की बात सुन कर उसकी दीदी को हैरानी हुई और शायद कहीं न कहीं उन्हें ये बात लग चुकी थी!



बस में ज्यादा यात्री नहीं थे, मैं अपनी कुर्सी पर बैठ गया और इतने में करुणा एंजेल को ले कर मेरे पास आ गई| उसकी दीदी और जीजा अपनी बर्थ पर पर्दा कर के लेट चुके थे, इधर मुझे देखते ही एंजेल ने अपने दोनों हाथ मेरी गोद में आने को खोल दिए| मैंने एंजेल को अपनी गोद में लिया और करुणा को अपनी बगल वाली खाली सीट पर बैठने को कहा| अभी बस में कोई सोया नहीं था इसलिए हम साथ बैठ सकते थे, बस चल पड़ी और हम दोनों बातें करने लगे| मैंने करुणा से पुछा की क्या उसने वहाँ अपने रहने के लिए कोई हॉस्टल ढूँढा तो उसने कहा की उसे कुछ नहीं मिला| फिर करुणा ने अपना फ़ोन निकाला और उसमें headphones लगा कर एक हिस्सा मुझे दिया, इस तरह फ़ोन में गाने सुनते-सुनते समय बीतने लगा| बस के अंदर की लाइटें बंद हो चुकी थीं, इधर करुणा डरी हुई थी और बहुत भावुक हो चुकी थी इसलिए उसने अपना सर मेरे दाएँ कँधे पर टिका दिया| मैंने अपने दोनों हाथों से एंजेल को अपनी छाती से चिपका रखा था और गाना सुनते हुए मैं भी अपने दिल में उठ रहे करुणा की जुदाई के दर्द को दबाने की नाकाम कोशिश कर रहा था| इतने में करुणा की दीदी पीछे से आईं और हम दोनों को ऐसे बैठे देख स्तब्ध रह गईं! उन्होंने कुछ नहीं कहा बस मेरे बाएँ कँधे पर हाथ रख एंजेल को माँगा, उनके मुझे छूने से मुझे थोड़ा सा झटका लगा जिस कारन करुणा का सर मेरे कँधे से हिला और उसने पीछे पलट कर अपनी दीदी को देखा| बस में अँधेरा था तो हम तीनों एक दूसरे के हाव-भाव नहीं देख पाए थे| करुणा की दीदी एंजेल को ले कर चलीं गईं और तब मैंने करुणा से कहा;

मैं: Dear रात बहुत हो रही है, आप सो जाओ!

करुणा जान गई थी की मैं ये सब सिर्फ उसकी बहन की वजह से कह रहा हूँ, क्योंकि इस तरह हम दोनों का अकेला बैठना उनके मन में सवाल पैदा कर देता पर करुणा को इसकी रत्ती भर चिंता नहीं थी, वो तुनकते हुए बोली;

करुणा: आप टेंशन मत लो, कल के बाद पता नहीं हम कब मिलते?! ये रात हम साथ बैठते!

ये कह करुणा मेरे कँधे पर सर रख कर फिर से लेट गई| रात बारह बजे मैंने अपना दायाँ कंधा हिला कर उसे उठाया और उससे रिक्वेस्ट की कि वो अपनी बर्थ पर जा कर सो जाए वरना उसकी दीदी हमारे बारे में गन्दा सोचेंगी! बेमन से करुणा उठी और अपनी बर्थ पर जा कर पर्दा कर सो गई!



जारी रहेगा भाग 7(4) में...
Nice update...
???
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Nice update...
???
ab yeh karuna koun hai :mad:
bhouji bhi dikh nahi rahi..
rachika bhabhi bhi gayab.... :sigh:
 
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