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Incest एक पाकीजा परिवार

बताओ किस्से ओर कैसा सेक्स पढ़ना चाहोगे ?


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robin199

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अपडेट 5

थोड़ी देर हम दोनों खामोश बैठे रहे। कमरे का माहौल एक दम शांत था।
आखिर मेने ही बोलना का फैसला किया और बाजी की तरफ देखकर
मैं:- बाजी मुझे माफ़ कर दो मुझसे गलती हो गयी है
बाजी:- किस बात की माफी भाई ?
मैं:- बाजी मैंने आप पर गलत निगाहें डाली जो मुझे नही करना चाहिए था, मुझे क्या किसी को भी नही करना चाहिए था।
बाजी खड़ी हुई और मेरे पास आकर मेरे मुँह पर थप्पड़ जड़ दिया 1.....2...3....4 लगातार थप्पड़ मारती गयी। मैं बाजी के इस बर्ताव पर हैरान था। बाजी ओर मेरे बीच आजतक कोई गुस्से वाली लड़ाई नही हुई थी। हम दोनों आपस मे एक दूसरे से मिल झूल कर रहते थे और एक दूसरे की इज्जत करते थे। लेकिन आज सब बदल गया था ओर बाजी मेरे मुँह ओर पीठ और थप्पड़ मारती रही और फिर खुद ही रोने लगी।
बाजी:- तूने ऐसा कैसे कर दिया, क्या तुझे शर्म नही आई कि मैं तेरी बड़ी बहन हूँ। तुझसे बड़ी हूँ।
तेरी शर्म ओ हया कहाँ चली गयी जो तू इतनी गंदी हरकत छी.ई.ईई... बोलने में भी शर्म आ रही है।
लेकिन तुझे शर्म ना आई, क्या यही तरबियत दी ही अम्मी अब्बू ने तुम्हे। क्या यही सीख रहे हो तुम
मैं:- बाजी मैं माफी चाहता हूं इस गुनाह के लिए, मुझे नही पता मैंने ऐसा क्यों किया।
बाजी:- हरामजादे तुझे ये भी नही पता था कि सामने तेरी बाजी है। कुत्ते क्या सोच कर तुमने ये काम किया बता मुझे ओर जोर जोर से रोने लगी।
मैं बेचैन हो गया और उठकर खड़ा हुआ और बाजी के पैरों में जाकर उसके पैर पकड़ लिए प्लीज बाजी मुझे माफ़ करदो, अम्मी अब्बू को पता चलेगा तो वो मेरी जान ले लेंगे। बाजी प्लीज रहम करो मुझपर आइंदा ऐसी गलती नही होगी
ओर मेरी आँख से भी आंसू आने लगे.मैं रोता रहा और बाजी से माफी मांगता रहा, मेरी आँखों से आंसू टपक कर बाजी के पैरों पर गिरने लगे
तो बाजी ने मेरे कंधों से पकड़कर उठाया और मेरी तरफ देखने लगी।
बाजी भी रो रही थी और मेरी आँखों से भी आंसू लगातार जारी थे।
बाजी ने मुझे रोता देख अपने सीने से लगा लिया और चुप कराने लगी।
बाजी:- चुप होजा भाई, तुमने माफी मांग ली यही बहुत है मेरे लिए। लेकिन भाई तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए था
मैं:- बाजी में शर्मिंदा हूँ अपनी हरकत पर.
बाजी:- चल अपने आँसू साफ कर ओर बैठ इधर

मैंने अपने आंसू पोंछे ओर बाजी के पास बैठ गया
बाजी:- भाई मैं तुमसे ओर लड़ना नही चाहती पर इतना पूछना चाहूंगी कि तुम्हारा मन मे ये बात कैसे आई कि तुम अपनी बाजी की तरफ गंदी नजरों से देखो।
मैं:- मैं क्या जवाब देता की बाजी आपकी गाँड़ में मुझे पागल कर दिया था ओर आपकी गाँड़ में फंसी हुई कमीज ने मुझसे ये गुनाह कराया है,
बाजी मुझे माफ़ करना, मुझे ऐसा नही करना था, आप मेरी बड़ी बाजी हो
बाजी:- भाई कोई तो वजह होगी जिससे तुम ये हरकत कर गए, मैं बुरा नही मानूँगी बस तुम वजह बता दो क्या वजह थी इसके पीछे।
मैं:- बाजी आपको सुनकर बुरा लगेगा, इसलिये आप ना ही पूछे तो बेहतर रहेगा।
बाजी:- भाई जो होना था हो गया, ओर तुमने माफी भी मांग और मैंने माफ भी कर दिया। मैं बुरा नही मानूँगी
मैं:- बाजी वो...वो...वो आप जब किचन में काम कर रही थी तो आपकी कमीज फंस गई थी
बाजी:- कहाँ फंस गई थी
मैं:- बाजी रहने दो ना जो हो गया वो हो गया अब जाने दो इस बात को।
बाजी:- भाई बताओ मैं कुछ नही बोलूंगी तुमसे जो बात सच है वो बताओ अगर अपनी बाजी से थोड़ी बहुत मोहब्बत करते हो तो
मैं:- बाजी मैं भी आपसे मोहब्बत करता हूँ, एक आप ही तो मेरे साथ हो जिंदगी के हर मोड़ पर
बाजी:- हाँ तो बताओ
मैं:- बाजी आपकी कमीज आपके पीछे कमर में फंस गई थी।
बाजी:- ओह्ह खुदा! ये कैसे हुआ। मुझे ध्यान ही नही रहा अपने कपड़ों का।
मैं:- बाजी इसमें आपकी कोई गलती नही है वो गलती से हो गया होगा। मेरी ही गलती है जो मैं देखकर नजर नही हटा पाया।
बाजी:- भाई तुम्हे क्या हो गया जो तुमने ऐसी कंडीशन देख कर अपनी निगाहों ओर काबू नही किया
मैं:- पता नही बाजी मुझे देखना अच्छा लग रहा था या कुछ और बात थी ,पर मैं नजर नही हटा पाया आपसे
बाजी:- चलो छोड़ो इस बात को अब आगे से ध्यान रखना ठीक है
इतना बोलकर बाजी रूम से जाने लगी और मैंने कहा बाजी एक बार फिर शुक्रिया मुझे माफ़ करने के लिए
इतना सुनकर बाजी बाहर चली गयी और फाइनली मेने राहत की सांस ली। मुसीबत तो टल गई लेकिन मेरी हवस जो मेरा साथ नही दे रही देखना है वो कहाँ ले जाएगी।
awesome story make it kinky n dirty
 

robin199

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अपडेट 2
मैं भूल गयी कि मैं एक पाकीज़ा, एक मदरसे में पढ़ने वाली लड़की जो अपने रब से डरकर दीनी तालीम हासिल करने वाली हूँ, में इतनी परहेजगार की किसी को अपना बदन यहां तक कि चेहरा भी नही दिखाया। और आज जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर होकर अपनी प्यारी सी पुद्दी को उंगली से घिस घिस कर रगड़ दे रही हूं। लेकिन मेरा दिमाग उस लज्जत के आगे बेबस था ।
ओर उसी बेबसी में मैने अपनी सलवार निकालने का सोचा, ओर खड़ी हो गयी और सबसे पहले अपनी कमीज निकाली, उसके बाद अपनी सलवार निकाली और साइड में रख दी।
मेरे मम्मे ओर मेरी गुलाबी पुद्दी अब ब्रा ओर कच्छी में कैद थी। एक बार तो मेरा दिमाग डगमगाने लगा कि अंजुम ये तुम क्या कर रही हो, आजतक तूने ऐसा नही किया, करना तो दूर की बात ऐसा ख्याल नही आया।
ओर आज तुम नंगी होकर अपनी फुद्दी मसलने वाली हो।
कुछ देर इसी सोच में डूबी रही और फैसला किया कि आज कर लेती उसके बाद कभी ऐसा नही करूंगी।
ब्रा को निकाला और मम्मे उछल कर बाहर आ गए और लंबी लम्बी सांस लेने लगे। मम्मे ऐसे की कोई भी देखे तो देखता रहे, मम्मे के बीच में वो निप्पल जो हल्का सा काला था मम्मे के मुताबिक अकड़ा हुआ था।

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फिर मेने कच्छी को निकाला और साइड में फेंक कर शीशे के सामने आ गयी।
शीशे में मेरा जिस्म चमक रहा था, ओर गवाही दे रहा था के कोई माई का लाल आजतक मुझे मसल नही पाया, दबोच नही पाया।
मेरी पुद्दी एकदम साफ , पुद्दी के होंठ आपस मे चिपके हुए किश कर रहे थे, जैसे किसी को अंदर आने ही नही देंगे। कुछ देर शीशे में बदन देखकर में बिस्तर पर आई और पुद्दी पर उंगली चलाने लगी।
उंगली चलाते हुए मेरे दिमाग मे भाई का लन्ड आ गया।
मैं उस लज्जत में इतना खो गयी कि मेरी सारी नेक, परहेजगारी, शर्म, दीनी तालीम बह गई। भूल गयी कि वो मेरा भाई है, ओर भाई के बारे में ऐसा कैसे सोच सकती हूँ। अंजुम तुम कितनी नमाज की पाबंद, रब से डरने वाली, ओर एक सरीफ घर से ताल्लुक रखने वाली पर्दा नसीन लड़की हो।
अपने भाई का लन्ड ही सोचने लगी, मेरा दिमाग काम करना बंद हो गया, पुद्दी ओर उंगली अपना काम कर रही थी और दिमाग अपना।
आखिर पुद्दी की मांग सुनकर मेने उंगली चलानी जारी रखी और दिमाग मे भाई का लन्ड रखकर फिंगरिंग करने लगी। उंगली को पुद्दी के लिप्स के बीच रगड़ा तो मजे की इंतहा पार कर गयी।
भाई का लन्ड बराबर दिमाग मे था और सोचने लगी कि उन बच्चों ने कहा था कि तेरी बहन की पुद्दी मार लूंगा।
क्या सच मे बहन की पुद्दी मारी जाती है।
पुद्दी तो इतनी छोटी है तो लन्ड कैसे घुसता होगा। अगर वो लन्ड भाई जितना हुआ तो कभी नही।
मैं अनाप शनाप सोचने लगी और उंगली चलाने की गति बढ़ा दी। आज भाई का लन्ड जिसने मुझे ये काम करने पर मजबूर कर दिया वो जेहन में घर बनाता गया।
फिर एक ऐसा लम्हा आया कि मुझे अपने भाई का लन्ड अपनी उंगली की जगह महसूस हुआ।
जैसे कि भाई अपना लन्ड पुद्दी पर रगड़ रहा है
आंखे बंद थी और फिंगरिंग जारी रही।
मजा बढ़ता गया और मुझे पुद्दी से कुछ गर्म गर्म निकलता महसूस हुआ जैसे कोई गर्म लावा, जैसे कोई ज्वालामुखी फटकर बाहर आने को है
ओर फिर वही हुआ पुद्दी से एक फव्वारा इतनी तेज निकला और बिस्तर पर दूर जाकर गिरा और लगातार निकलता रहा। कोई एक मिनट तक पानी बहता रहा।

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जब तूफान थम गया तो आंखे खोली ओर नीचे गीला गीला महसूस हुआ। देखा तो हैरान रह गयी कि इतना सारा पानी पर उंगली रखकर नाक के पास लाई ओर सुंघा तो पेशाब की महक आने लगी।
या खुदा मेने तो पेशाब कर दिया। में हैरान रह गयी कि आज कैसे मेने बिस्तर पर ही मूत दिया।
कपड़े से फुद्दी साफ की ओर रब से माफी मांगी और बिस्तर की गीली चादर बदली ओर ओर लेट गयी
कब नींद आ गयी पता ही नही चला।
सुबह नमाज़ पढ़ी ओर नास्ता करके मदरसे के लिए निकल गयी।
मदरसे पहुंची तो लड़कियां सभी आई हुई थी पर मौलवी साहब नजर नही आये। मैं किताबें लेकर लड़कियों के साथ बैठ गयी। लड़कियों में मेरी 2-3 दोस्त थी। दोस्ती इतनी की बस दुआ सलाम ओर मदरसा टाइम हंस बोल लेना।
मेने अपनी दोस्त सना से पूछा कि मौलवी साहब कहाँ है अभी तक नही आये। तो सना ने बताया कि अभी गए है बाथरूम की तरफ सायद फ्रेश होने गए हों।
फिर हम सबक याद करने लगे थोड़ी देर बाद मौलवी साहब आ गए।
मौलवी साहब बारी बारी सबका सबक सुनने लगे, लड़कियां ज्यादा थी तो मेरा नंबर में आने में टाइम लग गई। सबक सुना कर मैं घर के लिए निकलने लगी तो मुझे पेशाब की हालत हुई। मेने सोचा घर जाकर कर लुंगी लेकिन पेशाब जोर से आ रहा था।
मदरसे के बाथरूम थोड़ा दूर थे जहाँ हम सबक सुनाते थे। मैं लड़कियों के बाथरूम में घुस गई और जगह तलाशने लगी। मैं देखती हूँ कि उसपर ताला लगा हुआ था। मैं दूसरे बाथरूम गयी तो उसमें पानी की नलकी खराब थी। मैं पानी लेने टंकी की तरफ लेकिन उसमें भी पानी नही था। (इन बाथरूम को लड़कियां कम इस्तेमाल करती थी क्योंकि सभी अपने अपने घर से फ्रेश होकर आती थी या कभी कभार इस्तेमाल कर लेती थी)
मैं परेशान क्या किया जाए पेशाब जोर लगा रहा था कहीं कपड़े ही खराब ना हो जाये। इसलिए मर्दो वाले बाथरूम की तरफ चल दी ये सोचकर कि मौलवी साहब तो सबक सुन रहे हैं किसी को क्या पता चलेगा।
एक ही बाथरूम था जो स्पेशल मौलवी साहब के लिए था। उसका दरवाजा हटाया ओर अंदर घुस गई।
अंदर जाकर देखा तो हैरान ओर शर्म से दोहरी हो गयी।

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क्योंकि अंदर मौलवी साहब लैटरिंग करके गये थे ओर शायद पानी कम होने की वजह से लैटरिंग बहा कर नही गए। (पानी का एक बाल्टी रखी थी जिसमे बहुत थोड़ा पानी बचा था बाकी पानी मौलवी ने गाँड़ धोने में लगा दिया होगा)
मुझे तेज़ पेशाब था अब कैसे इस गन्दे बाथरूम में पेशाब करू।
सामने मौलवी साहब की टट्टी पड़ी हुई थी जिससे बाथरूम में थोड़ी थोड़ी गंदी स्मेल आ रही थी।
मेने उसे इग्नोर करने का सोचा ओर लैटरिंग शीट पर बैठ गयी (ये लैटरिंग देसी थी विदेशी शीट नही थी क्योंकि उससे छींटे लगती है)

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मेने पेशाब शुरु किया और करने लगी, मेरे दिमाग मे नशा होने लगा उस टट्टी की स्मेल से ओर सोचा कि इसे अपने मुत की धार से बहा दु। मैं उल्टी होकर बैठ गयी और उस टट्टी पर पेशाब की धार मारने लगी। टट्टी की स्मेल बढ़ती जा रही थी जो मेरे नाक से होते हुए मेरे दिमाग मे घुस रही थी। मैं मदहोश होने लगी, पता नही मुझे वो स्मेल अब अच्छी लगने लगी। और मैं आंखे बंद करके स्मेल लेती रही और मुतती रही।
मेरा मुत खत्म हुआ और मैं मदहोशी की दुनिया से बाहर आई और आंखे खोली तो मुत ओर टट्टी दोनों बह चुकी थी। मैं हैरान थी के मैं इतनी पाकीजा, साफ़ सुथरी लड़की इतनी गन्दी चीज से बहक कैसे गयी।
शैतान इतना हावी कैसे हो रहा है मुझपर जो अच्छा बुरा सोचना ही भूल गयी हूँ।
मेने खड़ी होकर सलवार बांधी ओर बाथरूम से निकलकर घर के लिए चल दी।
जो आज हुआ उसके बारे में मुझे अपने अपने आप से घिन आने लगी थी। और कहीं ना कहीं मुझे अच्छा भी लग रहा था।
या यूं कहें कि ये मेरी बर्बादी की तरफ बढ़ने वाले कदम थे।
awesome, aise hi maa aur baji ki bhi tatti karwao
 

Kapil Bajaj

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Very very very good story wanting for updates update please bhai
 

prasha_tam

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Superb Update
:superb:


👌


Please continue
👍


Waiting for next update
 

Shivraj Singh

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Iss story me bhai ka dost jaise koi gair majhabi ho vo har ek aurat ghar ki chode bhai ke sath milkar. Aur anjum ki seal bhi bhai ka dost khole na ki bhai khole
 

Ass licker

❤️❤️
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अपडेट 6 ❤️
अगले दिन कि सुबह मेरी आँख खुली तो टाइम 9:00 बज रहे थे। मेने बाथरूम में जाकर फ्रेश हुआ और नीचे डाइनिंग हाल में आया तो अम्मी किचन में नास्ता बना रही थी। अब्बू नहा धोकर तैयार बैठे थे और अखबार पढ़ रहे थे एक सोफे पर बैठकर। अब्बू भी नास्ते का इंतज़ार कर रहे थे।
मैंने अम्मी को आवाज लगाई " अम्मी नास्ते में कितना टाइम लगेगा"
अम्मी:- बस हो गया बेटा 5 मिनट ओर लगेगी
मैं फिर वहीं बैठकर मोबाइल चलाने लगा, कुछ देर बाद अम्मी नास्ता लेकर आई । इतने में बाजी भी नास्ते की टेबल पर आ गयी। आज बाजी बहुत प्यारी लग रही थी,
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शैतान मुझपर धीरे धीरे हावी होने लगा और मैं बाजी को हवस भरी नजरों से देखने लगा। बाजी की कमर बुर्के से बाहर निकल जाती थी क्योंकि बाजी की कमर थोड़ी बाहर को निकली रहती थी। बाजी के मम्मों का कटाव भी साफ दिखता था। बाजी के मम्मे बुर्के में गोल गोल नजर आ रहे थे, जो मेरा लन्ड खड़ा करने के लिए काफी थे।
हम सबने नास्ता किया और बाजी मदरसे निकल गयी और अब्बू दुकान के लिए
फिर मैं भी कमरे में चला गया ओर पढ़ने के लिए बैठ गया। पढ़ते पढ़ते जब बोर हो गया तो मैंने मोबाइल उठाया और गाने सुनने लगा। गाने सुनते हुए मेरा मन फिर से गंदी वीडियोस देखने को हुआ। अब मेरा रोजाना गंदी वीडियोस देखने का मामूल (आदत) बनता जा रहा था। मेने पोर्न सर्च किया और देखने लगा। जिसमे वही नार्मल चुदाई वाली वीडियो थी।
फिर मुझे एक ऐसी वीडियो दिखी जिसके नीचे "माँ बेटे की चुदाई" ऐसा कुछ लिखा था। और मैं हैरानी से सोचने लगा कि अब क्या दुनियां में यही गंदगी बची थी जो कोई अपनी माँ के साथ ही हमबिस्तर हो।
मैंने वीडियो ओपन की जिसमे एक औरत थी, जो जिस्म से हट्टी कट्टी ओर गदराई हुई थी

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एक उस लड़के का लन्ड चूस रही थी, मैं हैरान पूर्वक उस वीडियो को देखता गया।
वीडियो में उस लड़के कभी लन्ड चुसाया, कभी चुत मारता कभी गाँड़।
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मुझे यकीन नही आ रहा था कि दुनियां में क्या ऐसे भी लोग है जो अपनी माँ को भी चोद लेते हैं। क्या मजबूरी रहती होगी इनकी या इन्हें मजा आता है।
मेरे पास कोई जवाब नही था, औरत के हाव भाव से लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है, उसके मम्मों के ऊपर उस आदमी ने अपना माल छोड़ा था जो उसका बेटा था।
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मैंने फ़ोन बंद किया और सोचने लगा कि कितनी गंदी दुनियां है जिसमे रिश्तों का कोई लिहाज नही, अपनी लाज लज्जत की कोई फिक्र नही ओर इन गुनाहों में मुब्तिला (शामिल) है।
मैं खड़ा हुआ और पानी के लिए जग के पास गया तो वो खाली था।
मैंने गिलास उठाया और पानी पीने नीचे उतर कर जाने लगा।
(नीचे हमारे दो कमरे थे एक साथ । कमरों के बीचों बीच एक किचन था ओर कमरों के सामने बरामदा था, जिसमे एक दो पलँग बिछे रहते थे एक सोफा रहता था बरामदे में ही हम लोग टेबल लगाकर खाना खाते थे)
बरामदे में पहुंचा तो मुझे अम्मी लेटी हुई दिखी जो पलंग पर सो गई थी। उसके साइड में एक दीनी किताब पड़ी हुई थी। अम्मी अक्सर दोपहर को उर्दू किताब पढ़ती है और फिर वहीं सो जाती। क्योंकि किताबें पढ़कर नींद कब आती है पता ही नही चलता।
अम्मी कुछ तरह सोई हुई थी
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अम्मी ने एक टांग फोल्ड की हुई थी जिससे अम्मी की विशालकाय गाँड़ मेरी नजरों के सामने थी।
अम्मी के टांग फोल्ड होने की वजह से सलवार चूतड़ों से चिपकी हुई थी और कमीज ऊपर हो गयी थी सोते समय
अम्मी की गाँड़ का शानदार नजारा मेरे सामने था।
अम्मी एक तालीम याफ्ता औरत थी जिसे बस अपने बच्चों और शौहर से मतलब था, बाकी समय उर्दू किताबों में देती थी। अम्मी की तारीफ पूरे कस्बे में थी उनकी परहेजगारी ओर नेक होने की वजह से।
लेकिन आज अम्मी को इस हालत में देखकर मैं अपने आपको काबू नही रख पा रहा था। दिल रोकने की गवाही दे रहा था तो दिमाग मुझे उकसा रहा था।
मेरी पाक दामन अम्मी बेखबर सो रही थी उसे क्या पता कि उसका बेटा उसकी किन किन चीजों को देख रहा है।
में पलट कर साइड में गया तो मुझे एक ओर नजारा मिला
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अम्मी के बूब्स कमीज से झांक रहे थे, जैसे कि आजाद होना चाहते हो। अम्मी के मम्मे एक दम सफेद और दुध जैसे थे। और मम्मों कि मोटाई भी अच्छी खासी थी और गोल मटोल थे।
मुझे एक दम वो " माँ बेटे वाली वीडियो" याद आ गयी जिसमे माँ अपने बेटे से गंदा काम करती है।
उस वीडियो और अम्मी को हालत में सोता देख मेरा लन्ड खड़ा हो गया, ओर झूमने लगा मैं कभी अम्मी के मम्मों को देखता कभी अम्मी की गाँड़ का।
मैं एक फिर अम्मी के चूतड़ों की तरफ आया और चूतड़ों का जायजा लेने लगा,अम्मी की गाँड़ में मेरा बुरा हाल कर दिया, ओर मैं अपने लन्ड को भी मसलता रहा।
आज मुझपर एक जुनून सवार था हवस का मैं अच्छे बुरे का फर्क भूल गया था, सामने जो नजारा था उसका आनंद ले रहा था। मैंने हिम्मत करके अम्मी की गाँड़ के नजदीक अपना मुँह किया और गोर से देखने लगा।
अम्मी की गाँड़ वाकई लाजवाब थी एक दम टाइट ओर गदराई हुई मांस जितना होना चाहिए उतना मांस था अम्मी की गाँड़ पर।
मैंने हवस के हाथों मजबूर होकर अपना मुँह अम्मी के गाँड़ से बिल्कुल करीब लाया, अब अम्मी की गाँड़ ओर मेरे मुँह के बीच मैं बस 2 इंच का फर्क था।
मैंने अम्मी की गाँड़ के पास मुँह लाकर एक जोरदार साँस खींची ओर उस साँस में अम्मी की गाँड़ से एक मादक महक मेरे नथुनों में घुस गई। गाँड़ से क्या खुसबू आ रही थी बिल्कुल मादकता से भरपूर। अम्मी की गाँड़ से कुछ कुछ पाद (जिसे fart बोलते है जो सोते समय अक्सर आता है) जैसी खुश्बू आ रही थी, जो मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। अम्मी का पाद सूंघकर जो मजा मिला उसके बयान करना मेरे बस मैं नही है।
गाँड़ से मुँह लगाकर मैं जोर जोर से सांस खीँचने लगा या यूं कहें सूंघना लगा और मैंने हवस की ड़ोर थामें अपना लन्ड लोअर से बाहर निकाल लिया
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अम्मी की गांड के नशे में मुझे कोई होश नही था कि अम्मी कभी भी जाग सकती है, या बाजी भी आ सकती है मदरसे से। मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा वैसे भी अम्मी गहरी नींद में सोती है क्यों ना आज में इन लम्हों का मजा लिया जाए
हाथ मेरा लन्ड पर ही था और उसे मुठिया रहा था, मैंने थोड़ा आगे बढ़ने का सोचा ओर अम्मी की इलास्टिक वाली सलवार के ऊपरी हिस्से को दोनों हाथों से पकड़ा और आराम आराम से नीचे करने लगा। डर से मेरे हाथ कांप रहे थी, आखिरकार में अम्मी की सलवार नीचे करने में सफल हो गया।
सलवार इतना नीचे हो गयी की अम्मी की साफ सुथरी, गाँड़ बिल्कुल मेरे सामने नंगी थी। सलवार निकलने से अम्मी की गाँड़ का छेद ओर चुत की फांके दिखने लगी

images-1-1669094855041अम्मी की गाँड़ का भूरा छेद एक दम कसा हुआ था जैसे एक तिनका भी अंदर नही जाएगा,
(मुझे क्या पता ये हमारी तहजीबदार, नेक खातून, शर्मो हया का दामन थामे हुए हमारी औरतें के अंदर कितने ही जोशीले लन्ड घुसकर अपना आत्म समर्पण कर गए और उनका नामो ओ निशान ना मिला)
गाँड़ का छेद कभी खुलता कभी बंद होता। गाँड़ की मिड भाग पर सिलवटे थी जो कतारबद्ध अम्मी की गाँड़ के छेद की तरह जा रही थी, जो अम्मी की गाँड़ को ओर भी मादक ओर लज्जत दार बना रही थी,
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मैं अम्मी की नंगी गाँड़ के पास अपनी नाक लाया और एक सांस खींची, अहहहहहहहह क्या महक थी अम्मी की गाँड़ से गुलाब की महक भी फीकी पड़ जाए। मैंने उस महक को से अपने तन बदन को तरोताजा किया और लगातार सांसे लेने लगा।
अचानक अम्मी की गाँड़ का छेद थोड़ा खुला ओर एक मधुर आवाज से जोरदार पाद(fart) मेरे मुँह पर आकर लगा , मेरा मुँह नाक अम्मी की गाँड़ के पास था तो समूचा पाद मेरे मुँह ओर नाक के रास्ते अंदर चला गया। पाद की महक इतनी बुरी नही थी जितना उसमे मादकता ओर नशा था। ऐसा नशा जो तन बदन में खून का संचार बढ़ा दे। ऐसा नशा जिसे जितना किया जाए उतना कम। अम्मी के पाद के नशे से निकल कर मेने अपनी आंखें खोली जो पाद सूंघते समय आनंद में अपने आप बंद ही गयी थी। आंखे खोली तो अम्मी की हसीन गाँड़ का छेद सामने था। मैंने हवस की हालत में आगे बढ़ने का सोचा लेकिन एक डर अभी भी था के अगर अम्मी ने जाग जाना है तो मुझे मौत के सिवा कुछ नही मिलेगा, पर पोर्न देखते देखते ओर अम्मी को इस तरह महसूस करके वो डर भी अब छोटा पड़ गया था।
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मैंने ऊपर वाला का नाम लिया और अम्मी की खुशबूदार छेद पर अपनी जबान की नोक रख दी।
छेद ओर जबान टच होते ही मेरा 9 इंच लौड़ा फुल अकड़ गया और उससे प्री-कम निकलने लगा।
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मैंने अम्मी की छेद पर एक दो बार जीभ टच, बाकी मैं अम्मी के छेद के पास नाक रखकर सूंघता रहा।
बदन में नशा बढ़ता गया और मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मेरे लन्ड ने वीर्ये की बारिश कर दी।
मेरा ढेर सारा वीर्या फर्श पर पड़ा था, वीर्ये की मात्रा इतनी थी के उससे आधा ग्लास भर सकता था जो मेरे लिए चोंका देने वाला सीन था।
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मैंने अम्मी की सलवार को ऊपर किया और सही तरीके से पहना दिया।
अब मैं हवस से बाहर निकल कर अपनी असली दुनियां में आ गया और एक कपड़ा लेकर फर्श पर पड़े अपने वीर्ये को साफ किया और बाहर आ गया
ओर कमरे में आकर इस घटना का मुआयना करने लगा

【अगला सेक्सी अपडेट तब आएगा जब कम से 30 कमेंट कर दोगे। कमेंट मैं अपना सुझाव रखें और कोनसी चीज ने आपको ज्यादा उत्तेजित किया वो बताना】
 
Last edited:

Vikashkumar

Well-Known Member
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Bahut Badhiya
Bs Ek Advice h ki Sab kuch Openly mt kr dena, slowly Slowly kahani ko aage bhadana, Seduction create Krna kahani ko phadne me maja aayega.
Jaldbaazi mt Krna
Keep Going
Waiting For Next Update
 

Rinkp219

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Awesome update bro... waiting more
 
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