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Thriller एक सफेदपोश की....मौत!

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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🤣🤣🤣🤣🤓🤓🤓🤓🤓

कितना झूठ बोलते हैं आप।
अभी अपनी गतिशील कहानी को ही ले लीजिए।
वैभव सिंह को ठरकी किसने बनाया।
उसको सेक्स की लत किसने लगवाई।
गांव की हर लड़की और औरत को वैभव के नीचे लिटा दिया और कह रहे हैं सेक्स पसन्द नहीं।

चटोरे हैं आप महोदय।😜😜😜😜😜
Adultery prefix ki vajah se usme waisa likhna pada hai madam, jabki meri kahaniyo me sex ki maatra na ke barabar hi milti hai. Present me jo story chal rahi hai usme bhi idhar ke kayi saare updates me aapne sex nahi padha hoga. :dazed:

Mere bare me aapki raay sire se hi galat hai. Fir bhi aisa bolne ke liye shukriya,,,,:thank_you:
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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Adultery prefix ki vajah se usme waisa likhna pada hai madam, jabki meri kahaniyo me sex ki maatra na ke barabar hi milti hai. Present me jo story chal rahi hai usme bhi idhar ke kayi saare updates me aapne sex nahi padha hoga. :dazed:

Mere bare me aapki raay sire se hi galat hai. Fir bhi aisa bolne ke liye shukriya,,,,:thank_you:
न न सर जी।

आप गलत समझ रहे हैं। हम आपके बारे में गलत राय क्यों बनाएंगे।
हम तो बस ये कह रहे थे कि कहानी की मांग के अनुसार सेक्स जरूरी है।।

अब अगर आप मेरी कहानी में कह दीजिए कि इसमें सेक्स मत डालना तो फिर बाप का माल, बाप का माल कैसे रहेगा फिर।🤓🤓😜🤓🤓😜

ये बस एक मजाके था महोदय।।
 

Lovely Anand

Love is life
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is update ko padh yahi lage ki insaani jindagi ki jaise koi Kimat hi nahi reh gayi hai... un dono soni moni masoom bachhiyo ki jindagi dukh aur dard bhari rahi aur akhiri saans bhi li dard sehte huye, us jorawar ke hawas ka shikar hoke....
ghin aati hai aise logo pe.... aur wo bheema ab glani karke kya faida jab sath thi dono, tab to uske liye jaise dono nasur hi ban baithi thi... kayi logo ki lalach, galti aur hawas ke chalte dono ye duniya chhod chali gayi...
yaar kahani ka ye pehlu sach mein bahot tragic hai.....
Bas ek wo padosh wali chachi hi thi jisne fikar jatayi dono ki....
Kahi soni ne to waar nahi kya jorawar par... baad mein jahar ka asar hua ho... to goli kisne chalayi...
aur wo rassi ka nishan..?
rajiya bhi mili huyi raghu sang lekin I think wo is baat se Anjan hai ki jorawar ko kisne mara....
dastane aur bandhuk ye sab to mil gaye sabhi us almari se par waha bhi koi saboot na mila raghwan ko.....
waise bheema agar ab police mein report kare ki soni moni kothi aake gayab huyi hai to raghwan ko bahot madad mil jaye is case ke liye.... aur sath hi un logo ko saza dilane ke liye bhi jinke chalte kayi masoom jindagiya dum tod chuki hai us laal kothi mein.....
Btw ek baat to clear hai ki jorawar ka khoon ki wajah usike dwara kiye gaye julm atyachar hi hai... koi victim ne hi uska shikar kiya hai...
pathan bhale hi chahe apne pariwar ko chahta ho par khoon se sane hath uske bhi hai, wo bhi jorawar dwara kiye gaye paap ka saman bhagidaar hai...
rajni bhi alag nahi thi.... wo bhi sab dekhkar bhi Anjan banti thi ya phir ushe maja aaye ye sab dekhke...
Khair.... lage ki case ko alag rukh milne wale hai
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:
कहानी को ध्यान से पढ़ने और सराहना के लिए धन्यवाद...
 
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Lovely Anand

Love is life
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बहुत ही जबरदस्त।

तो रजनी सीतापुर प्राथमिक विद्यालय की प्राचार्या थी जो अपने पति शशिकांत की बीमारी की वजह से उनका पद संभाल रही थी। 26 जनवरी के लिए झंडारोहण के अवसर पर तहसीलदार के किसी कारणवश न आने पर जोरावर सिंह के आने का प्रस्ताव सभी अध्यापकों द्वारा रखा गया। रजनी खुद जोरावर को मनोहर के साथ आमंत्रित करने गई। दोनों एक दूसरे को देखते ही लट्टू हो गए एक दूसरे पर। दोनों का चरित्र ढीला था उस समय। तभी तो अपनी पत्नी और पति के होते हुए भी एक दूसरे की तरफ आकर्षित हो गए और मिलना जुलना चालू हो गया और एक दिन रजनी ने जोरावर से शादी कर ली।।

इस बीच रजनी की पैठ बहुत ज्यादा हो गई समाज में इधर शशिकांत की मृत्यु, उधर शशिकला से मन मुटाव ने जोरावर और रजनी के रिश्ते को मज़बूती प्रदान की।।

वीडियो देखने के बाद राघवन ने ये अंदाज़ा लगा लिया कि जोरावर की हत्या किसलिए हुई होगी, इसलिए अगले दिन वो पूरी पुलिस फोर्स लेकर जोरावर के घर की तलाशी लेने के लिए निकल गया। अब चूंकि जयंत ने राजा को अपने पापा के कार्य को संभालने के लिए कह दिया था तो राजा ने राघवन को रोका, लेकिन न्यायालय का आदेश होने के कारण वो कुछ न कर सका।। अब देखते हैं क्या होता है आगे।
आपको भी धन्यवाद कहानी पढ़ने और सराहना के लिए...
 
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Lovely Anand

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न न सर जी।

आप गलत समझ रहे हैं। हम आपके बारे में गलत राय क्यों बनाएंगे।
हम तो बस ये कह रहे थे कि कहानी की मांग के अनुसार सेक्स जरूरी है।।

अब अगर आप मेरी कहानी में कह दीजिए कि इसमें सेक्स मत डालना तो फिर बाप का माल, बाप का माल कैसे रहेगा फिर।🤓🤓😜🤓🤓😜

ये बस एक मजाके था महोदय।।
मेरे आँगन में आप लोगों की ये मीठी तकरार .....

जुड़े रहें.....
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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एसीपी राघवन के निर्देश पर परिवार के सभी सदस्य हॉल में इकट्ठा हो गए थे सिर्फ रजिया और उसकी मां बाहर थे जो कुछ आवश्यक सामग्री लेने हुए पास के ही बाजार गए हुए थे।

घर के बाकी नौकरों तथा अंग रक्षकों को भी लान में एक तरफ इकट्ठा बैठा दिया गया था। पठान कालू और हीरा भी लाल कोठी के लान में बैठे हुए थे। पठान को एसीपी राघवन से कुछ ज्यादा सम्मान की उम्मीद थी परंतु उसमें पठान को भी घर के बाकी मातहतों की श्रेणी में ला दिया था।

वैसे उसने अपने जीवन काल में कई अपराध किए हुए थे और कई पुलिस अफसरों की तफ्तीश का सामना भी किया हुआ था।

देखते ही देखते लगभग 50 पुलिसवाले पूरे लाल कोठी का कोना कोना खंगालने लगे। मूर्ति और राघवन जोरावर के कमरे में थे मूर्ति में गजब का उत्साह दिखाई पड़ रहा था। उसने रजनी के मोबाइल से जो वीडियो क्लिप निकाली थी उसने इस केस की दिशा ही पलट कर रख दी थी।

जोरावर की अलमारियां संभाली गई परंतु उसमें कोई भी आपत्तिजनक सामग्री ना मिली। परंतु रजनी की अलमारी की गहराई दिखने में तो ज्यादा थी परंतु उसके पल्ले खोलने पर उसकी गहराई कुछ कम प्रतीत हो रही थी। रजनी की उस अलमारी में के सारी साड़ियां थी। तभी एसीपी राघवन का ध्यान अलमारी के साइड में गया। अलमारी के दाहिनी तरफ पिछले भाग में लकड़ी की बीट से लगभग 5 फीट ऊंची और 8 इंच चौड़ी एक डिजाइन बनी हुई थी तथा डिजाइन के ऊपर लकड़ी से ही एक सुंदर लड़की का चेहरा बना हुआ था।

जिस कलाकार ने यह आलमारी बनाई थी वह निश्चय ही महान था। उसने सागौन की लकड़ी पर उस लड़की का सुंदर चेहरा गढ़ कर उस अलमारी की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए थे। आंखों की पुतलियां जैसे वो बोल उठने को बेताब थीं। लड़की के होठ गोल मुद्रा में थे जैसे वह फूंक मार रही हो।

एसीपी राघवन की उंगलियां उस दरवाजे को खोलने का मार्ग ढूंढने लगी उसने हर जगह इधर-उधर दबा कर देखा परंतु उसे उस अनजाने दरवाजे को खोलने का कोई मार्ग दिखाई नहीं पड़ रहा था कभी-कभी ऐसीपी राघवन को लगता कि यह उसका भ्रम था वहां कोई दरवाजा नहीं होगा परंतु रजनी के अलमारी की गहराई उसके संशय को बढ़ा रही थी।

एसीपी राघवन ने उस लड़की के चेहरे पर लगी पलकों को छुआ वह हिल रही थीं। नीचे खींचने पर लड़की की आंखें बंद हो रही थी सच कलाकार ने बेहद तन्मयता और लगन से उस लड़की के चेहरे को अंजाम दिया था। पलकों को बंद करने पर अंदर किसी लीवर के हिलने की आवाज आ रही थी एसीपी राघवन को एक पल के लिए लगा जैसे वह बच्चों का कोई खेल खेल रहा था। परंतु उसे उसे उस गुप्त दरवाजे को खोलने का कोई स्रोत नहीं मिल रहा था।

लड़की के चेहरे पर बनी आंखों और होठों के बीच उंगलियां डालकर एसीपी राघवन दरवाजा खोलने की सारी संभावनाओं को तलाशने लगा अंततः उसने उस लड़की की दोनों आंखें बंद की और अपनी तर्जनी उंगली को उसके मुंह में प्रवेश करा दिया उसके हाथ एक गोल सा लीवर लगा जिसे दबाने पर वह दरवाजा खुल गया।

यह आलमारी 4 फुट गहरी और 8 इंच चौड़ी थी जिसमें 4 खाने बने हुए थे। तीन खाने तो 500 की नोटों से भरे हुए थे परंतु चौथे खाने की सामग्री देखकर एसीपी राघवन की आंखें फैल गई...

मूर्ति ने एक-एक करके सारी सामग्री बाहर निकाली. एसीपी राघवन की आंखें उन सब कामुक सामग्रियों को देखकर शर्म से झुक गयीं। कितना चरित्रहीन और काम पिपासु व्यक्ति था जोरावर।

निकाली गई सामग्रियों में कई सारे सेक्स टॉयज और सेक्स के दौरान प्रताड़ना देने वाली चाबुक तथा अन्य कई चीजें थी परंतु जोरावर सिंह के चरित्र हनन के अलावा उन सामग्रियों का उसके कत्ल से कोई सरोकार नहीं दिखाई पड़ रहा था। अब यह बात लगभग स्पष्ट हो रही थी कि जोरावर एक चरित्रहीन और कामपिपासु व्यक्ति था जो निश्चय ही अपनी पत्नी के अलावा अन्य युवतियों से संबंध रखता था और संभव है वह अपने से कम उम्र की लड़कियों को भी जबरदस्ती या रजामंद कर उनके साथ सेक्स करता था।

एसीपी राघवन को यह बात समझ नहीं आ रही थी उसने यह सब कामुक सामग्रियां अपने ही कमरे में क्यों रखी थी क्या वह इसी कमरे में लाकर लड़कियों के साथ अपनी कामवासना शांत करता था क्या परिवार के लोग उसे रोकते नहीं थे या उसके इस कार्य में कोई और भी शामिल था।

नीचे हाल में राजा का पारा गर्म हो रहा था वह काफी देर से सोफे पर बैठा हुआ एसीपी राघवन की नौटंकी देख रहा था मन ही मन उसका खून खोल रहा था परंतु उसने स्वयं को आज के पहले इतना लाचार कभी नहीं महसूस किया था।

तभी मुख्य दरवाजे पर रजिया की मां दिखाई पड़ी जो द्वार पर खड़े पुलिस वाले अंदर आने की प्रार्थना कर रही थी और वह पुलिस वाला उसे रोक रहा था राजा की निगाह उस पर पड़ते हैं उसमें भी दो हाथियों का बल आ गया और वो पुलिस वाले को धक्का मारकर हॉल में प्रवेश कर गई।

रजिया की मां राजा के चरणों में गिर पड़ी और जोर-जोर से रोते हुए बोली मालिक मेरी रजिया को बचा लीजिए।

राजा ने उसे कंधे से पकड़कर उठाया और बड़ी आत्मीयता से पूछा

"क्या हुआ साफ-साफ बताइए"

हम लोग सब्जी बाजार से सब्जी खरीद रहे थे तभी कुछ गुंडे वहां आए और उसे मारुति वैन में बिठा कर ले गए मैंने बहुत कोशिश की परंतु उन्हें रोक नहीं पाई। पूरा शहर नामर्दों से भरा हुआ है वहां कई लोग खड़े थे पर किसी ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की।

हाय मेरी बच्ची….. वह अपनी छाती पीट पीट कर रोने लगी.

राजा का खून खोल गया वह सोफे से उठा और ऊपर मंजिल की तरफ जाने लगा रास्ते में उसे पुलिस वाले ने रोकने की कोशिश की परंतु उसने उसे दाहिने हाथ जोरदार धक्का दिया और खबरदार का इशारा किया पुलिस वाले को भी अपनी औकात पता था उसमें एसीपी राघवन जैसा दम न था ना हो सकता था वह चुपचाप राजा के रास्ते से हट गया राजा तेज कदमों से चलते हुए ऊपर की तरफ गया।

उसे मूर्ति की आवाज सुनाई पड़ी

"जोरावर को उसके किए की सजा मिली होगी सर"

मूर्ति की इस बात ने राजा के क्रोध पर आग में घी का कार्य किया वह मन में क्रोध लिए तेज कदमों से जोरावर सिंह के कमरे की तरफ जाने लगा ठीक उसी समय एसीपी राघवन जोरावर के कमरे से बाहर आ रहा था उसने राजा के क्रोध से तमतमा रहे चेहरे को देखकर थोड़ा सहम गया और बड़े शांति से बोला

"जी कोई दिक्कत हुई है क्या?"

एसीपी राघवन के इस व्यवहार से राजा का क्रोध कुछ हद तक शांत हुआ उसने फिर भी लगभग चीखते हुए कहा..

"आप लोग इधर टाइमपास करने में व्यस्त रहिए उधर रजिया का अपहरण कर लिया गया है। मिस्टर राघवन एक बात ध्यान रखिएगा यदि 24 घंटे के अंदर रजिया नहीं मिली तो यह शहर आप जलता हुआ पाएंगे।"

एसीपी राघवन रजिया के गायब होने से स्वयं हतप्रभ था वह कुछ भी सोच पाने की स्थिति में नहीं था परंतु वह तलाशी अभियान बंद नहीं करना चाहता था उसने अपने फोन से कई लोगों से बातें की और जरूरी दिशानिर्देश दिए।

उसने राजा को भी फोन प्रयोग करने की अनुमति दे दी उसे भी राजा की पहुंच का अंदाजा था और रजिया को ढूंढने में उसका योगदान अहम साबित हो सकता था।

राजा ने पठान और हीरा दोनों को अपने पास बुलाया और जरूरी दिशा निर्देश की एसीपी राघवन यह देख रहा था उसने पठान और पीड़ा को लाल कोठी से बाहर जाने की अनुमति दे दी।

पठान और हीरा खुली जीप में बैठकर सलेमपुर की सड़कों को रौंदकर हुए सब्जी मंडी की तरफ बढ़ चल दोनों के चेहरों पर एक अजब सा वहशपन था। यमराज अपने दूतों को अलर्ट मोड पर आने का निर्देश दे रहे थे सलेमपुर में खून खराबा होने की संभावनाएं बढ़ रही थी।

सब्जी मंडी पहुंचने से ठीक पहले हीरा ने पान ठेले पर गाड़ी रोक दी। पठान हीरा की आदत जानता था। हीरा उतर कर उस्मान वाले से बातें करने लगा और पान वाले के हाथ मशीन की तरह हीरा का पान बनाने में जुट गए।

पठान ने कोई प्रतिक्रिया न दी परंतु देर होने पर वह अपनी व्यग्रता पर काबू न रख पाया और जोर से बोला।

"जल्दी कर।"

हीरा पान को अपने बाएं गाल में दबाकर वापस ड्राइविंग सीट पर आया और बोला

"कल कलुआ बाजार में था"

"वह सरयू सिंह का चमचा"

"हां वही"

"और वह मारुति वैन"

"वह वैन आई थी इसी तरफ से थी परंतु रजिया को लेने के बाद वह लोग दूसरे रास्ते से चले गए वह वैन का नंबर नहीं देख पाया"

पठान सब्जी मंडी की उन दुकानों को जानता था जहां से रजिया और उसकी मां अक्सर सब्जी ले जाया करती थीं। हीरा और पठान ने उन सब्जी वालों से मुलाकात की और उन अनजान व्यक्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त की।

पठान रघु का नाम सुनकर आश्चर्यचकित रह गया रघु राजा का खास आदमी था।

उधर एसीपी राघवन ने पूरे सलेमपुर की नाकाबंदी कर दी थी रजिया को अगवा करने वाले गिरोह का सलेमपुर से बाहर निकलना लगभग नामुमकिन था यह निश्चित था की रजिया को सलेमपुर के अंदर ही कहीं रखा गया था पर कहां और किसने?

पठान और हीरा वापस लाल कोठी आ चुके और भागते हुए राजा के पास पहुंचे….

राजा गुस्से से आगबबूला हो गया

"मादरचोद….. उसकी इतनी हिम्मत"

राजा ने गुस्से से कांपते हाथों से रघु को फोन लगाया...

रघु का फोन स्विच ऑफ था।राजा ने रघु के खास दोस्त को भी फोन लगाया पर उसका भी परिणाम वही था।

राजा के दिमाग में तरह तरह के ख्याल आने लगी कहीं जोरावर भैया की हत्या में रजिया तो शामिल नहीं थी?

कहीं रघु और उसके साथियों ने मिलकर रजिया को इस बात के लिए इस्तेमाल तो नहीं किया?

पर जोरावर भैया की हत्या से रघु का क्या वास्ता?

राजा का दिमाग घूम रहा था परंतु वह किसी निष्कर्ष पर पहुंच पाने की स्थिति में नहीं था वह अपना सर पकड़ कर सोफे पर बैठ गया पठान और हीरा बिना उसके निर्देश का इंतजार किये वापस आ गए उन्हें पता था उनका एकमात्र कार्य उस हरामखोर रघु को ढूंढना था उनकी जीप एक बार फिर लालकोठी को छोड़कर सलेमपुर शहर में प्रवेश कर रही थी। पठान लगातार अपने लोगों को फोन कर रहा था।

उधर एसीपी राघवन के फोन की घंटी बज उठी...

"सर वह मारुति वैन का पता चल चुका है अपहरणकर्ता उसे महात्मा गांधी स्टेडियम के पास छोड़कर कहीं चले गए हैं और उनका सरगना रघु नाम का एक व्यक्ति है जो राजा भैया के बेहद करीब का व्यक्ति है हम लोग उन्हें खोजने में लगे हुए हैं "

एसीपी राघवन का दिमाग एक बार फिर घूम गया था क्या राजा ने ही रजिया का अपहरण कराया था? क्या जोरावर सिंह की हत्या में रजिया शामिल थी? क्या उसने राजा के कहने पर जोरावर सिंह की हत्या की थी? और अब खुद राजा ने उसका अपहरण करा दिया था. या फिर जोरावर ने रजिया को भी अपनी हवस का शिकार बना लिया था और रजिया ने बदला लेने के लिए जोरावर की हत्या कर दी थी।

सवाल कई थे पर जवाब देने वाला कोई नहीं था एसीपी राघवन को ही वह जवाब ढूंढना था …..

बहुत ही जबरदस्त।
राघवन और मूर्ती घर की तलाशी में लगे हुए थे। जोरावर के कमरे में रजनी की आलमारी इस तरीके से बनाई गई थी कि बाहर से तो तो ज्यादा अंदर तक दिखती थी लेकिन खोलने पर उसकी गहराई काम हो जाती थी राघवन को इसी बात का शक था। बनाने वाले ने अलमारी बहुत ही खास तरीके से बनाई थी जिसमे एक खूबसूरत लड़की की दोनों आंखों और हलक में एक साथ उंगली डालने पर अलमारी खुलती थी। राघवन ने किसी तरह अलमारी खोली और नादर की चीजें देखकर दंग रह गए। आलमारी में रफ़ सेक्स करते समय इस्तेमाल की जानेवाली चीजे थी।
बाजार में रजिया का अपहरण कर लिया गया। जिसके कारण केस और पेंचीदा हो गया। क्योंकि अपहरण करने वाला व्यक्ति राजा का खास आदमी रघु था। जिसके कारण शक राजा पर जाने लगा।
ये तो सोचने वाली बात है कि राजा ने ऐसा क्यों किया। उसे अपने भाई की अय्याशी नहीं पसंद थी या फिर वो पूरी बागडोर अपने हाथ मे लेना चाहता था।।
 

Napster

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एक बहुत ही बेहतरीन और मनमोहक अपडेट है भाई
बहुत ही सुंदर
मजा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Lovely Anand

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अपडेट 9

जय हिंद सर भूरे लाल की आवाज सुनाई पड़ी
भूरेलाल यह फॉरेंसिक रिपोर्ट में 2 गोलियां अलग बंदूक से चलाई गयी दिखाई पड़ रही हैं जबकि शुरुआती तफ्तीश में तीनों गोलियां एक ही बंदूक से चलाई गई थी।
"सर बॉडी से गोलियां पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर शर्मा ने हीं निकाली मैंने तो सिर्फ उन्हें फॉरेंसिक टीम को भेज दिया था।"
" पर तुमने तो भी तो बताया तीनों गोलियां एक ही बंदूक से चलाई गई थीं"
"शुरुआत में मुझे भी ऐसा ही प्रतीत हो रहा था"

भूरेलाल के चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी।
"इसका मतलब क्या रजनी और जोरावर का खून अलग-अलग आदमियों ने किया है?"
"सर यह कह पाना मुश्किल है Mआप कहें तो कल आकर आपकी मदद कर सकता हूं"
"ठीक है जब आप की जरूरत होगी बताऊंगा" एसीपी राघवन ने फोन काट दिया।
राघवन उस दिन की घटना क्रम को एक बार फिर सोचने लगा जोरावर की बंदूक जो घटनास्थल से प्राप्त हुई थी उसमें कुल 3 गोलियां बची हुई थी। राघवन ने रिया का बयान याद किया जिसमें उसने बताया था कि उसने और जयंत ने उस बंदूक से एक-एक गोली यूं ही अपने पिता जोरावर के चुनाव जीतने की खुशी में चलाई थी। तो निश्चय ही तीसरी गोली से रजनी का कत्ल हुआ था।
इसका मतलब जोरावर के शरीर से मिली हुई दो गोलियां अलग बंदूक से चलाई गई थीं। यह कार्य किसने किया होगा निश्चय ही घटना स्थल पर कोई और व्यक्ति भी था।
परंतु यदि किसी व्यक्ति ने जोरावर का खून किया तो उसने रजनी को क्यों मारा? वह भी अलग बंदूक से? या फिर जोरावर ने अपनी ही बंदूक से अपनी पत्नी का कत्ल कर दिया था। और ठीक उसी समय किसी अनजान व्यक्ति ने आकर जोरावर को गोली मार दी थी।
राघवन को यह बात रास नहीं आ रही थी। रजनी और जोरावर जिस अवस्था में मिले थे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों ने मृत्यु से कुछ देर पहले ही संभोग किया था ऐसे में जोरावर द्वारा रजनी का कत्ल किया जाना यह अप्रत्याशित सा लगता था। दूसरी बात यह भी थी कि कोई आदमी दुश्मनी से जोरावर के माथे पर गोली मारता यह बात तो समझ आ रही थी परंतु उसके अंडकोष पर गोली मारना यह साबित करता था कि इस कत्ल में जोरावर का व्यभिचारी व्यक्तित्व निश्चय ही उत्तरदाई था।
राघवन मैं टेबल पर पड़ी लाल फाइल उठाई और फॉरेंसिक रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ने लगा। रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया था की रजनी और जोरावर ने मृत्यु से ठीक पहले संभोग किया था परंतु जोरावर के गुप्तांगों से किसी रक्त के कण मिले थे जो न तो जोरावर के थे नहीं रजनी के।
राघवन फिर परेशान हो गया क्या रजनी से संभोग से पहले जोरावर में किसी अन्य स्त्री या लड़की से संभोग किया था। जननांगों पर रक्त का होना बलपूर्वक संभोग की तरह से इशारा करता था। तो क्या जोरावर ने उस दिन किसी लड़की कौमार्य हरण किया था?
कमरे में पाए गए बालों की रिपोर्ट देखकर एसीपी राघवन के चेहरे पर मुस्कान आ गई रिपोर्ट में पाए गए बाल तीन अलग-अलग महिलाओं के थे जिसमें से एक रजनी स्वयं थी तथा दूसरी रजिया थी। तीसरा बाल घर के किसी सदस्य से मिल नहीं रहा था। हो सकता है वह तीसरा बाल उस लड़की का हो जिसके साथ जोरावर ने जबरदस्ती संभोग करने की कोशिश की थी।
जोरावर सिंह के कमरे से मिले फिंगरप्रिंट्स पर जोरावर सिंह और रजनी के अलावा रिया और रजिया के भी फिंगरप्रिंट्स मिले थे परंतु जोरावर की बंदूक पर सिर्फ सिर्फ जोरावर सिंह के ही फिंगरप्रिंट प्राप्त हुए थे।
एसीपी राधवन फिर सोच में पड़ गया यदि जयंत और रिया ने उस बंदूक से गोली चलाई थी तो उनके फिंगरप्रिंट उस बंदूक पर क्यों नहीं मिले? हो सकता है जोरावर सिंह ने उसके बाद उस बंदूक को अपने साथ रखा हो या फिर कुछ और...राघवन कुछ ठोस निर्णय ले पाने की स्थिति में नहीं था।
उसके दिमाग में तरह तरह के विचार आ रहे थे वह दिन भर की भागदौड़ से थक चुका था और कुछ ही देर में उसका शरीर बिस्तर पर फैलता गया और वह नींद की गहराइयों में खो गया।
अगली सुबह भीमा और भूरा सलेमपुर रेलवे स्टेशन पर उतर चुके थे। दोनों स्टेशन पर ही अपने नित्य कर्मों से निवृत्त हुए और बाहर निकल कर तांगे पर बैठकर लाल कोठी की तरफ बड़े चले..
रास्ते में भूरा ने तांगे वाले से पूछा…
"जोरावर भैया का हत्यारा पकड़ा गया कि नहीं?"
"कहां पकड़ा गया अभी तक? तरह-तरह की अफवाहें हैं शहर में। कोई कहता है घर के लोगों ने ही मार डाला कोई कहता है सरयू सिंह ने मरवाया। पर थे बड़े भले आदमी हमारे लिए तो वह भगवान थे। यह तांगा भी उनकी ही देन है।"
"राजा भैया कैसे हैं"
"उस दिन के बाद से तो वह कभी शहर में दिखाई नहीं पड़े पर पुलिस को उन पर भी शक है? बड़े लोगों की बड़ी बातें हम तो सिर्फ दुआ कर सकते हैं कि जोरावर भैया की आत्मा को शांति मिले। जाने किस शैतान ने उस देवता तुल्य आदमी को मार दिया"
सुबह-सुबह सड़क पर भीड़भाड़ कम ही थी घोड़ा सरपट दौड़ रहा था। उसमें भी शायद सुबह की ताजगी भरी हुयी थी। तभी एक बोलेरो कार तांगे को ओवरटेक करते हुए आगे बड़ी। ड्राइवर ने गाड़ी का स्टीयरिंग बाएं तरफ घुमाया और लगभग पूरा ब्रेक दबा दिया।
टायरों के चीखने की आवाज हुई और बोलेरो कार टायरों के निशान बनाते हुए खड़ी हो गई। घोड़ा बोलेरो के इस तरह रुक जाने से अपना संतुलन नहीं बना पाया और वह उछल पड़ा और तांगा रोड के किनारे पलट गया।
यह तो ऊपर वाले का शुक्र था कि भूरा और भीमा को ज्यादा चोटें नहीं आई। जब तक वह संभलते तब तक बोलेरो कार से 3- 4 असलहा धारी बाहर आए और भूरा और भीमा पर बंदूक तान दी।
भूरा ने उस आदमी की पकड़ से भागने का प्रयास किया तभी रिवाल्वर का कुंदा उसके सर पर टकराया उसे दिन में ही तारे दिखाई पड़ गए। उन व्यक्तियों की गिरफ्त से भाग पाना असंभव था कुछ ही देर में बोलेरो उन दोनों आगंतुकों का स्वागत सत्कार करने के लिए सलेमपुर बाईपास रोड पर बढ़ गई।
ड्राइवर के बगल में बैठे व्यक्ति ने फोन लगाया
"जी भैया दोनों आदमी हमारे साथ हैं"
"दोनों को मारना पीटना मत"
"जी भैया जी"
"वही सीमेंट गोदाम में ले जा मैं बाद में मिलता हूँ"
फोन कट हो गया।
उधर एक साइकिल पर दो व्यक्ति तेजी से लाल कोठी की तरफ बढ़ रहे थे। गेट पर पहुंच कर उन्होंने अपनी साइकिल दीवार से दिखाई और गेट पर खड़े पुलिस वाले से बोले हमें
"हमें राजा भैया से मिलना है"
उनकी शक्ल सूरत ऐसी न थी की उन्हें राजा भैया से मिलाया जा सके परंतु वह दोनों आत्मविश्वास से भरे लग रहे थे। पुलिस वाले ने उन्हें रोक लिया उसने कहा जब तक राजा भैया फोन नहीं करेंगे मैं तुम्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दे सकता तुम उनसे फोन से बात करो।
उन दोनों ने राजा भैया को कई बार देखा था परंतु उनके पास जा पाने और उनसे बात करने की उनकी हिम्मत न थी। परंतु आज जो समाचार वह लाए थे वह राजा भैया के लिए बेहद अहम हो सकता था।
गेट पर चल रही गहमागहमी को देखकर पठान गेट पर आया पुलिस वालों ने पठान से कहा
"यह दोनों राजा भैया से मिलना चाहते हैं क्या आप उनसे बात कर सकते हैं"
पठान ने उन दोनों अनजान व्यक्तियों से पूछा
"तुम्हें क्या काम है राजा भैया से"
"हमें रजिया के बारे में उन्हें सूचना देनी है"
" मुझे बता क्या सूचना देनी है"
"हम यह बात सिर्फ राजा भैया को बताएंगे"
पठान ने राजा भैया को फोन किया और उनकी अनुमति से उन दोनों व्यक्तियों को अपने साथ लेकर लाल कोठी के दरवाजे की तरफ चल पड़ा। जब तक वह तीनों गेट तक पहुंचते लाल कोठी का मुख्य दरवाजा खुला और राजा दरवाजे पर खड़ा उनका इंतजार कर रहा था
वह दोनों राजा के सामने दंडवत हुए और बेहद उत्साह से राजा की तरफ मुखातिब होते हुए कहा...
" हुकुम रजिया और रघु दोनों वीरपुर गांव में एक ट्यूबवेल में देखे गए हैं "
पठान अभी भी उनके पीछे खड़ा था वह उन दोनों की बात सुनकर बेहद गुस्से में बोला
"भैया रघु की इतनी हिम्मत मैं उस साले को अभी आपके सामने हाजिर करता हूं"
राजा भैया ने अपनी जेब से ₹100 की एक गड्डी निकाली और उन दोनों व्यक्तियों को देते हुए उन्हें वापस जाने का इशारा किया।
पठान अभी भी राजा भैया के इशारे की प्रतीक्षा में था परंतु राजा ने उससे कहा..
"पकड़ के ला साले को. उसकी इतनी हिम्मत कि उसने रजिया को अगवा किया"
इतना कहकर वह वापस लाल कोठी के अंदर प्रवेश कर गए उनके चेहरे पर गुस्सा स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था।
राजा की उंगलियां मोबाइल पर घूमने लगीं
"साले ट्यूबबेल से उसे लेकर बाहर निकल और कहीं और जा। तेरे वहां होने की खबर बाहर आ चुकी है तूने सब काम खराब कर दिया है अपनी लोकेशन चेंज कर और फोन चालू रखना ध्यान रखना दोबारा यह गलती मत हो वरना…."
"राजा भैया माफ कर दीजिए दोबारा गलती नहीं होगी"
रघु के दबी हुई आवाज आई।


शेष अगले भाग में।
 
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अप्रतिम अपडेट है भाई
रहस्य दिनो दिन गहराता जा रहा है
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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