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Thriller एक सफेदपोश की....मौत!

Lovely Anand

Love is life
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अपडेट 19

जयंत ने फोन उठाकर कहा…

"हेलो…."

"जयंत आप और रिया जब तक मैं ना कहूं शहर छोड़ कर बाहर मत जाइएगा"

"परंतु परसों हमें शहर से बाहर जाना है"

"अभी परसों में बहुत वक्त है कल 10 बजे आप दोनों मेरे ऑफिस में आकर मिलिए "

जयंत घबरा गया उसकी आवाज में घबराहट साफ देखी जा सकती थी..

"क्या हुआ सर"

आइए कल बात करते हैं।

शशि कला के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी उसने जयंत से कहा


"जा राजा को बुला ला…"

अब आगे..


जयंत भागता हुआ राजा के कमरे में गया और कुछ ही देर में राजा शशि कला के सामने खड़ा था…

"तुमने तो सारी व्यवस्था कर दी थी पर अब इस राघवन को क्या हो गया है."

"मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूं अब तो सारा केस आईने की तरह साफ हो गया है फिर राघवन ने इन्हें क्यों बुलाया है?"

"प्रश्न के उत्तर में प्रश्न मत करो राजा…. इतना ध्यान रखना कि यदि मेरे बच्चों के साथ अन्याय हुआ तो मैं अपना समझौता तोड़ दूंगी फिर तुम जानो और तुम्हारा काम"

राजा के चेहरे पर परेशानी के भाव आ चुके थे। राघवन का इस समय फोन करना और जयंत और रिया को अपने कार्यालय में बुलाना बेहद अप्रत्याशित था।

राजा के चेहरे पर गुस्सा स्पष्ट दिखाई दे रहा था उसे राघवन के संदेह में कहीं न कहीं रजिया का हाथ होता दिखाई पड़ रहा था। जरूर रजिया ने राघवन को कोई ऐसी बात बताई थी जिससे उसके दिमाग में एक बार फिर शक ने जन्म लिया था राजा ने रजिया को तलब कर लिया…

रजिया भागती हुई राजा के कमरे में आई राजा को गुस्से में देख वह थरथर कांप रही थी

"जी मालिक।"

"?तूने राघवन को क्या बताया है"

रजिया को आज दोपहर में राघवन से हुई मुलाकात याद आ गई उसने हाथ जोड़कर कहा

"मालिक मैंने सिर्फ रघु की मृत्यु पर अपना शक जाहिर किया था मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे रघु को किसी ने मरवाया है"

"मुझे पूरी बात विस्तार से बता। कोई बात छुपाने की कोशिश मत करना वरना मैं यह भूल जाऊंगा कि तुम और तुम्हारी मां इस कोठी की विश्वासपात्र रही हो तब मेरा व्यवहार बदलते देर नहीं लगेगी" राजा के चेहरे पर गुस्सा स्पष्ट दिखाई दे रहा था.

रजिया ने अपनी सारी बातें उसे स्पष्ट तौर पर बता दी परंतु उसमें कोई भी ऐसी बात न थी जिससे राघवन को शक होता।

उधर मूर्ति बाथरूम में नहा रही उस अर्धनग्न लड़की की तस्वीर अपने मोबाइल में खींच कर तथा रिया की पुरानी फोटो लेकर एक बार फिर उसकी सहेली रानी के घर पहुंच गया। रानी के पिता से अनुमति लेकर वह एक बार फिर रानी के समक्ष खड़ा था…

मूर्ति ने रिया की फेसबुक से निकाली गई तस्वीर रानी को दिखाते हुए पूछा

" इसे तो तुम जानती ही होगी"

"हां यह तो रिया की तस्वीर है"

"और यह"

मूर्ति ने अपने मोबाइल से ली हुई रिया की अर्धनग्न तस्वीर को दिखाया। रानी की आंखें फैल गई अर्ध नग्न लड़की रिया ही थी।

"यह भी रिया ही है परंतु यह तस्वीर किसने खींची थी रिया ऐसी लड़की कतई नहीं है।"

"पर यह लड़की रिया से कुछ ज्यादा ही मोटी है तुम यकीन से कह सकती हो कि यह रिया ही है"।

पिछली सर्दियों में रिया का वजन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था शायद यह तस्वीर तक की ही है रिया ने उसके पश्चात काफी मेहनत कर अपने शरीर को एक बार फिर सुडोल बना लिया है।

"क्या रिया को गुस्सा आता था?"

"सर गुस्सा किसी ने नहीं आता पर रिया बेहद शांत स्वभाव की है उसे अपने गुस्से पर काबू पाना और सब का दिल जीतना आता है।"

"क्या तुम जोरावर सिंह से मिली हो?"

"एक दो बार पर दूर-दूर से ही"

मूर्ति को आगे पूछताछ का कोई विशेष मतलब नहीं दिखाई पड़ रहा था। उसने अपनी बातचीत राघवन से साझा करना चाहा और उसके घर आ गया जो रास्ते में ही था। जैसे ही वह राघवन के ड्राइंग रूम में प्रवेश कर रहा था रजनी के स्कूल में कार्य करने वाला मनोहर राघवन के ड्राइंग रूम से बाहर जा रहा था दोनों की निगाहें मिली परंतु एक दूसरे से कोई बात नहीं की मूर्ति ने घुसते ही पूछा

"सर इसे क्यों बुलाया था?"

"रिया के बारे में और जानकारी लेने के लिए"

"कुछ पता चला सर?"

"यह रिया को समझ पाना कठिन हो रहा है। तुम बताओ रानी ने कुछ बताया क्या?"

"हां सर यह लड़की रिया ही है" मूर्ति ने रानी से हुई सारी बातें उसे स्पष्ट कर दीं।

मूर्ति और राघवन रिया से संबंधित सारी बातों को अपने जहन में क्रमवार सजा रहे थे..

क्या जोरावर सिंह रिया पर बुरी नजर रखता था? क्या रजनी को यह बात पता थी ? और यदि यह बात रजनी को पता थी तो उसने कोई प्रतिरोध क्यों नहीं किया? मनोहर के अनुसार रजनी रिया से बेहद प्यार करती थी। ऐसी स्थिति में जोरावर निश्चित ही रिया के साथ कुछ ऐसा वैसा नहीं कर सकता था।

परंतु फिर रिया की ऐसी अर्धनग्न तस्वीरें खींची किसने…?

राघवन के दिमाग में जयंत का चेहरा घूमने लगा. कहीं ऐसा तो नहीं कि अपने पिता कि काम पिपासा का कुछ अंश जयंत में भी था और वह रिया को प्यार करने के बावजूद अपनी काम पिपासा को शांत करने के लिए उसने रिया की अर्ध नग्न तस्वीरें खींची हों।

राघवन कभी-कभी अपनी पुरानी थ्योरी पर काम करता उसे रिया की अर्ध नग्न तस्वीर में जोरावर का हाथ दिखाई पड़ता। रिया आखिर उसकी अपनी पुत्री तो न थी और जब जोरावर न जाने कितनी लड़कियों की अस्मिता से खेल चुका था उसके लिए रिया भी एक भोग्या हो सकती थी। हो सकता है की रिया ने अपना बदला लेने के लिए जोरावर की हत्या कर दी हो परंतु उसने रजनी को क्यों मारा यह बात उसे समझ नहीं आ रही थी।

इस दुनिया में वैसे भी रिया का कोई सहारा था तो वह उसकी मां रजनी ही थी सिर्फ सबूत मिटाने के लिए रजनी को मारना यह रिया के दिमाग में नहीं आ सकता था।

घटना के दो मुख्य पात्र स्वर्ग या नरक सिधार चुके थे और दो कल राघवन के ऑफिस में उपस्थित होने वाले थे। और इस घटना का मास्टरमाइंड लाल कोठी के वैभव को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में प्रयासरत था।

अपनी उधेड़बुन को अंजाम तक न पहुंचाने का मलाल राघवन के चेहरे पर दिखाई पड़ रहा था।

मूर्ति ने राघवन से विदा ली और कहा

आने दीजिए कल उन दोनों को कुछ न कुछ सुराग अवश्य मिलेगा..

मूर्ति के जाने के बाद भी राघवन को चैन नहीं था। उस दिन हुए हुए कत्ल में दो अलग-अलग बंदूकों का इस्तेमाल किया गया था अभी तक जो साक्ष्य मिले थे उसके अनुसार जोरावर की बंदूक से जो गोली चली थी उससे रजनी की मृत्यु हुई थी और जिस रिवाल्वर से जोरावर सिंह की मृत्यु हुई थी वह पठान की निशानदेही पर लाल कोठी से बरामद की गई थी

जो घटनाक्रम दिखाई पड़ रहा था उसके अनुसार पहले जोरावर सिंह ने रजनी की हत्या की और उसके पश्चात पठान ने आकर जोरावर सिंह की हत्या कर दी।

एक पल के लिए राघवन के दिमाग में रजनी का चरित्र घूम गया जो स्त्री अपने पति के रहते जोरावर सिंह से संबंध रख रंगरलिया मना सकती है कहीं ऐसा तो नहीं कि लाल कोठी में आने के पश्चात उसका मन जोरावर से भर गया और उसने पठान को अपनी कामवासना में शामिल कर लिया हो।

पठान जैसा हट्टा कट्टा मर्द के प्रति काम पिपासु स्त्री का आकर्षण सहज ही हो सकता था।

हो सकता है उस दिन भी रजनी और पठान के बीच अनैतिक संबंध बने हो जिसकी भनक जोरावर सिंह को भी लग गई हो और उसने रजनी की हत्या कर दी हो। गोलियों की आवाज सुनकर पठान अंदर गया हो और उसने अपनी बंदूक से जोरावर पर गोली चला दी हो।

राघवन की इस थ्योरी में साक्ष्य तो कई थे परंतु रजनी और पठान के बीच नजदीकियों के कोई भी सबूत नहीं थे। पठान जैसा चरित्रवान आदमी वासना के दलदल में डूबा होगा ऐसा सोच पाना कठिन था।

राघवन अपने प्रश्न तैयार कर रहा था और बेसब्री से जयंत और रिया से होने वाली मुलाकात का इंतजार कर रहा था।

अगली सुबह समाचार पत्रों नें सलेमपुर में लगने वाली फैक्ट्री की खबरें प्रमुखता से छापी थीं। खबरों के दोनों तरफ राजा भैया और भूतपूर्व विधायक जोरावर सिंह की भी फोटो छपी हुई थी।

बड़े भाई की इच्छा का मान रखते हुए छोटे भाई ने परिवार की आधी जमीन सलेमपुर में फैक्ट्री लगाने के लिए के पी एसोसिएट्स को दी। सलेमपुर में लगने वाली यह फैक्ट्री सलेमपुर के लोगों को न सिर्फ रोजगार देगी अपितु कई छोटी फैक्ट्रियों को लगाने का मार्ग प्रशस्त करेगी लाल कोठी के नए सितारे राजा भैया ने आते ही सलेमपुर को अपनी सौगात दे दी।

राघवन राजा भैया की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर आश्चर्यचकित था। जोरावर सिंह की विरासत को कितनी तेजी से राजा भैया ने अपने कब्जे में ले लिया था वह बात राजा को विशेष बना रही थी। राघवन का अंतर्मन ने अब भी राजा को भी शक के दायरे में रखा हुआ था। राजा जैसा प्रभावशाली आदमी सबूतों से छेड़छाड़ कर केस को गुमराह कर सकता था। यदि वह अपने किसी मातहत को जोरावर सिंह की हत्या की जिम्मेदारी लेने को कहता तब भी वह शायद मना नहीं करता। कहीं ऐसा तो नहीं कि राजा ने हीं पठान को इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए मना लिया हो।

वैसे भी डीएसपी भूरेलाल जिस तरह राजा भैया की चाटुकारिता करता था वह उनके लिए कुछ भी कर सकता था।

राघवन को जोरावर सिंह के मृत्यु के दिन की घटना याद आ रही थी जब से यह सूचना प्राप्त हुई थी तब भूरेलाल नहीं उसे बताया था कि तीनों गोलियां एक बंदूक से चली है परंतु पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद यह मालूम चला कि दो गोलियां अलग बंदूक से थी और एक अलग से।

क्या राजा भैया ने भूरेलाल की मदद से गोलियां बदलवा दीं।

अगली सुबह एसीपी राघवन ऑफिस जाने से पहले डॉ शर्मा के घर पर उपस्थित था जिन्होंने जोरावर सिंह के शरीर का पोस्टमार्टम किया था..

राघवन के उग्र रूप को देखकर डॉ शर्मा की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। और उन्होंने सच बयान कर दिया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोलियां बदलने की बात डॉ शर्मा ने कबूल कर ली और उन्होंने यह भी बताया की उसे ऐसा काम करने के लिए लाल कोठी की पठान ने मजबूर किया था शर्मा के अनुसार ..

सर पठान ने मेरे सामने दो ही विकल्प रखे थे इस कार्य को करने के एवज में मुझे 10 लाख मिलने थे और न करने की एवज में सिर्फ एक गोली। मुझे लाल कोठी और पठान के बारे में जानकारी थी मुझे ही क्या सलेमपुर का हर आदमी लाल कोठी के प्रभुत्व को जानता है मैं अपनी जान से समझौता न कर पाया और अपने व्यवसाय से गद्दारी कर बैठा।

राघवन ने शर्मा को शहर से बाहर न जाने की हिदायत दी और मुस्कुराते हुए अपने ऑफिस आ गया।

राघवन ने देखा घड़ी में अभी 9:30 बजे थे जयंत और रिया को आने में अभी वक्त था वह पठान से मिलने चल पड़ा

"कैसे हो पठान..?"

पठान ने राघवन को सलाम किया और बोला

"ठीक हूँ"

"मुझे पता चला है कि तुम और रजनी बेहद करीब थे"

"आप का मतलब?"

"तुम दोनों के बीच जिस्मानी ताल्लुकात थे"

"अपनी जबान संभाल कर बात कीजिए। मेरे सामने ऐसी बेहूदा बातें कर अपने आप को मेरी नजरों में मत गिराईये।"

"पठान के चेहरे पर एक बार फिर वही क्रोध दिखाई पड़ा जो राघवन ने पठान से पहली मुलाकात में देखा था।"

पठान का चेहरा तमतमा गया था और यदि उसके सामने राघवन की जगह किसी और ने यह बात कही होती तो अभी तक वह पठान के तमाशे का शिकार हो चुका होता।

"ठीक है.. ठीक है.. हो सकता है यह बात गलत हो"

"हो सकता है नहीं यह गलत ही है" रजनी जी मेरे मालिक की पत्नी थी वह चाहे जैसी भी हो उनके लिए मेरे सम्मान में कोई कमी न थी। और जो बात आपने कही वह मैं कभी सोच भी नहीं सकता।

"अच्छा तो यह बताओ कि तुमने डॉ शर्मा को धमका कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्यों बदलवायी"

"पठान के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी उसका झूठ पकड़ा जा चुका वह बगले झांकने लगा राघवन ने अपने छोटी सी लाठी से उसकी छुट्टी को ऊपर किया और कहा

"पठान मेरी आंखों में देखो…"

पठान ने अपनी भारी पलकें ऊपर की उसे अपनी चोरी पकड़े जाने का पूरा एहसास हो गया।

उसने राघवन के सामने हाथ जोड़ लिए और बोला..

"मुझे माफ कर दीजिए पर मैं अब आपकी कोई मदद नहीं कर सकता मैंने अपना जुर्म कबूल कर लिया है और इस केस को निपटाने में आपकी भरपूर मदद कर चुका हूं। इसके आगे मुझसे कोई उम्मीद मत रखिएगा। आप चाहे तो मुझ पर बल प्रयोग कर सकते हैं परंतु यह पठान की जुबान है चाहे आप मेरे शरीर के रक्त का कतरा कतरा बहा ले फिर भी मेरी जुबान नहीं खुलेगी मैंने जितनी बातें आपको बताए हैं वह मैं कोर्ट में कुबूल करूंगा और यह केस समाप्त हो जाएगा। कृपया बाल की खाल निकालने का प्रयास न करें।"

"तुम राजा भैया को बचा रहे हो"

"मैं किसी को बचा नहीं रहा मैं सिर्फ अपना फर्ज निभा रहा हूं"

पठान पलट चुका था और दीवार से अपना सर टिकाए एकदम शांत हो गया था।

राघवन ने पठान से और बहस करना उचित न समझा उसे लाल कोठी के अंदर घटी घटना समझ आ चुकी थी बस उसकी तस्दीक बाकी थी जो जयंत और रिया के आने के पश्चात होनी थी।

राघवन के ऑफिस के कंपाउंड में रिया और जयंत की गाड़ी आ चुकी थी। रिया और जयंत सजे धजे कपड़ों में राजकुमार और राजकुमारी की तरह गाड़ी से उतर रहे थे आसपास के पुलिस वाले उस खूबसूरत जोड़े को देखकर आपस में फुसफुसा रहे थे। जयंत और रिया राघवन के कमरे की तरफ बढ़ने लगे राघवन का

एक मातहत उन्हें राघवन के ऑफिस का रास्ता दिखा रहा था….

आइए मुझे आप दोनों का ही इंतजार था..


शेष अगले भाग मेँ।
 
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Napster

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एक और बडा रहस्यो से भरा रोमांचकारी अपडेट है भाई मजा आ गया
एसीपी राघवन जब जयंत और रिया के साथ बाल की खाल खिचेंगे तो बहुत कुछ सामने आने की संभावना लगती हैं
शशिकला का राजाभैय्या के साथ क्या समझौता हुवा हैं ये भी देखने वाली बात है
अगले रोमांचकारी और धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Shandaar update anand bhai,,,,:superb:
Raghwan apne shak ko sahi saabit karne ke liye har tarah ki koshishe kar raha hai jisne wo kaafi had tak kamyaab bhi hua hai. Riya ki dost ke dwara ye pata chal hi gaya ki dono tasveere riya ki hi hain. Uske anusaar riya ek samay moti hua karti thi uske baad usne exercise kar ke apna motapa kam kar liya aur slim ho gayi. Ab sawaal ye hai ki jab wo moti thi tab uski aisi tasveer kisne kheenchi thi? Jayant ne ya fir uske khud uske baap jorawar ne??? Raghwan ko shak hua ki rajni ke sambandh shayad pathan se the is liye jab usne pathan se is baat ko zikra kiya to uska paara chadh gaya. Zaahir hai raghwan ke mukh se use aisi baat ki ummid nahi thi aur kyoki uska sambandh rajni se nahi tha is liye swabhavik roop se uska paara chadh gaya. Idhar raghwan ki is jaanch padtaal se Raja bhi pareshan ho gaya hai. Matlab saaf hai ki raghwan sahi ja raha hai aur is vajah se jaha ek taraf raja pareshan ho utha hai wahi riya aur jayant bhi chinta ne pad gaye hain. Ab dekhna ye hai ki riya aur jayant se puchhtaanch me raghwan ko kaun sa sach pata chalta hai,,,,:smoking:
 

komaalrani

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A perfect mystery,... now Sashikala is also part of plot,... that is what i was thinking, there is a famous Agatha Chirstie book, in which very character takes part in the conspiracy,... but one never knows,... its is a page turner and now like everybody i am waiting for the next part
 

Chutiyadr

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जयंत ने फोन उठाकर कहा…

"हेलो…."

"जयंत आप और रिया जब तक मैं ना कहूं शहर छोड़ कर बाहर मत जाइएगा"

"परंतु परसों हमें शहर से बाहर जाना है"

"अभी परसों में बहुत वक्त है कल 10 बजे आप दोनों मेरे ऑफिस में आकर मिलिए "

जयंत घबरा गया उसकी आवाज में घबराहट साफ देखी जा सकती थी..

"क्या हुआ सर"

आइए कल बात करते हैं।

शशि कला के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी उसने जयंत से कहा


"जा राजा को बुला ला…"

अब आगे..


जयंत भागता हुआ राजा के कमरे में गया और कुछ ही देर में राजा शशि कला के सामने खड़ा था…

"तुमने तो सारी व्यवस्था कर दी थी पर अब इस राघवन को क्या हो गया है."

"मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूं अब तो सारा केस आईने की तरह साफ हो गया है फिर राघवन ने इन्हें क्यों बुलाया है?"

"प्रश्न के उत्तर में प्रश्न मत करो राजा…. इतना ध्यान रखना कि यदि मेरे बच्चों के साथ अन्याय हुआ तो मैं अपना समझौता तोड़ दूंगी फिर तुम जानो और तुम्हारा काम"

राजा के चेहरे पर परेशानी के भाव आ चुके थे। राघवन का इस समय फोन करना और जयंत और रिया को अपने कार्यालय में बुलाना बेहद अप्रत्याशित था।

राजा के चेहरे पर गुस्सा स्पष्ट दिखाई दे रहा था उसे राघवन के संदेह में कहीं न कहीं रजिया का हाथ होता दिखाई पड़ रहा था। जरूर रजिया ने राघवन को कोई ऐसी बात बताई थी जिससे उसके दिमाग में एक बार फिर शक ने जन्म लिया था राजा ने रजिया को तलब कर लिया…

रजिया भागती हुई राजा के कमरे में आई राजा को गुस्से में देख वह थरथर कांप रही थी

"जी मालिक।"

"?तूने राघवन को क्या बताया है"

रजिया को आज दोपहर में राघवन से हुई मुलाकात याद आ गई उसने हाथ जोड़कर कहा

"मालिक मैंने सिर्फ रघु की मृत्यु पर अपना शक जाहिर किया था मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे रघु को किसी ने मरवाया है"

"मुझे पूरी बात विस्तार से बता। कोई बात छुपाने की कोशिश मत करना वरना मैं यह भूल जाऊंगा कि तुम और तुम्हारी मां इस कोठी की विश्वासपात्र रही हो तब मेरा व्यवहार बदलते देर नहीं लगेगी" राजा के चेहरे पर गुस्सा स्पष्ट दिखाई दे रहा था.

रजिया ने अपनी सारी बातें उसे स्पष्ट तौर पर बता दी परंतु उसमें कोई भी ऐसी बात न थी जिससे राघवन को शक होता।

उधर मूर्ति बाथरूम में नहा रही उस अर्धनग्न लड़की की तस्वीर अपने मोबाइल में खींच कर तथा रिया की पुरानी फोटो लेकर एक बार फिर उसकी सहेली रानी के घर पहुंच गया। रानी के पिता से अनुमति लेकर वह एक बार फिर रानी के समक्ष खड़ा था…

मूर्ति ने रिया की फेसबुक से निकाली गई तस्वीर रानी को दिखाते हुए पूछा

" इसे तो तुम जानती ही होगी"

"हां यह तो रिया की तस्वीर है"

"और यह"

मूर्ति ने अपने मोबाइल से ली हुई रिया की अर्धनग्न तस्वीर को दिखाया। रानी की आंखें फैल गई अर्ध नग्न लड़की रिया ही थी।

"यह भी रिया ही है परंतु यह तस्वीर किसने खींची थी रिया ऐसी लड़की कतई नहीं है।"

"पर यह लड़की रिया से कुछ ज्यादा ही मोटी है तुम यकीन से कह सकती हो कि यह रिया ही है"।

पिछली सर्दियों में रिया का वजन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था शायद यह तस्वीर तक की ही है रिया ने उसके पश्चात काफी मेहनत कर अपने शरीर को एक बार फिर सुडोल बना लिया है।

"क्या रिया को गुस्सा आता था?"

"सर गुस्सा किसी ने नहीं आता पर रिया बेहद शांत स्वभाव की है उसे अपने गुस्से पर काबू पाना और सब का दिल जीतना आता है।"

"क्या तुम जोरावर सिंह से मिली हो?"

"एक दो बार पर दूर-दूर से ही"

मूर्ति को आगे पूछताछ का कोई विशेष मतलब नहीं दिखाई पड़ रहा था। उसने अपनी बातचीत राघवन से साझा करना चाहा और उसके घर आ गया जो रास्ते में ही था। जैसे ही वह राघवन के ड्राइंग रूम में प्रवेश कर रहा था रजनी के स्कूल में कार्य करने वाला मनोहर राघवन के ड्राइंग रूम से बाहर जा रहा था दोनों की निगाहें मिली परंतु एक दूसरे से कोई बात नहीं की मूर्ति ने घुसते ही पूछा

"सर इसे क्यों बुलाया था?"

"रिया के बारे में और जानकारी लेने के लिए"

"कुछ पता चला सर?"

"यह रिया को समझ पाना कठिन हो रहा है। तुम बताओ रानी ने कुछ बताया क्या?"

"हां सर यह लड़की रिया ही है" मूर्ति ने रानी से हुई सारी बातें उसे स्पष्ट कर दीं।

मूर्ति और राघवन रिया से संबंधित सारी बातों को अपने जहन में क्रमवार सजा रहे थे..

क्या जोरावर सिंह रिया पर बुरी नजर रखता था? क्या रजनी को यह बात पता थी ? और यदि यह बात रजनी को पता थी तो उसने कोई प्रतिरोध क्यों नहीं किया? मनोहर के अनुसार रजनी रिया से बेहद प्यार करती थी। ऐसी स्थिति में जोरावर निश्चित ही रिया के साथ कुछ ऐसा वैसा नहीं कर सकता था।

परंतु फिर रिया की ऐसी अर्धनग्न तस्वीरें खींची किसने…?

राघवन के दिमाग में जयंत का चेहरा घूमने लगा. कहीं ऐसा तो नहीं कि अपने पिता कि काम पिपासा का कुछ अंश जयंत में भी था और वह रिया को प्यार करने के बावजूद अपनी काम पिपासा को शांत करने के लिए उसने रिया की अर्ध नग्न तस्वीरें खींची हों।

राघवन कभी-कभी अपनी पुरानी थ्योरी पर काम करता उसे रिया की अर्ध नग्न तस्वीर में जोरावर का हाथ दिखाई पड़ता। रिया आखिर उसकी अपनी पुत्री तो न थी और जब जोरावर न जाने कितनी लड़कियों की अस्मिता से खेल चुका था उसके लिए रिया भी एक भोग्या हो सकती थी। हो सकता है की रिया ने अपना बदला लेने के लिए जोरावर की हत्या कर दी हो परंतु उसने रजनी को क्यों मारा यह बात उसे समझ नहीं आ रही थी।

इस दुनिया में वैसे भी रिया का कोई सहारा था तो वह उसकी मां रजनी ही थी सिर्फ सबूत मिटाने के लिए रजनी को मारना यह रिया के दिमाग में नहीं आ सकता था।

घटना के दो मुख्य पात्र स्वर्ग या नरक सिधार चुके थे और दो कल राघवन के ऑफिस में उपस्थित होने वाले थे। और इस घटना का मास्टरमाइंड लाल कोठी के वैभव को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में प्रयासरत था।

अपनी उधेड़बुन को अंजाम तक न पहुंचाने का मलाल राघवन के चेहरे पर दिखाई पड़ रहा था।

मूर्ति ने राघवन से विदा ली और कहा

आने दीजिए कल उन दोनों को कुछ न कुछ सुराग अवश्य मिलेगा..

मूर्ति के जाने के बाद भी राघवन को चैन नहीं था। उस दिन हुए हुए कत्ल में दो अलग-अलग बंदूकों का इस्तेमाल किया गया था अभी तक जो साक्ष्य मिले थे उसके अनुसार जोरावर की बंदूक से जो गोली चली थी उससे रजनी की मृत्यु हुई थी और जिस रिवाल्वर से जोरावर सिंह की मृत्यु हुई थी वह पठान की निशानदेही पर लाल कोठी से बरामद की गई थी

जो घटनाक्रम दिखाई पड़ रहा था उसके अनुसार पहले जोरावर सिंह ने रजनी की हत्या की और उसके पश्चात पठान ने आकर जोरावर सिंह की हत्या कर दी।

एक पल के लिए राघवन के दिमाग में रजनी का चरित्र घूम गया जो स्त्री अपने पति के रहते जोरावर सिंह से संबंध रख रंगरलिया मना सकती है कहीं ऐसा तो नहीं कि लाल कोठी में आने के पश्चात उसका मन जोरावर से भर गया और उसने पठान को अपनी कामवासना में शामिल कर लिया हो।

पठान जैसा हट्टा कट्टा मर्द के प्रति काम पिपासु स्त्री का आकर्षण सहज ही हो सकता था।

हो सकता है उस दिन भी रजनी और पठान के बीच अनैतिक संबंध बने हो जिसकी भनक जोरावर सिंह को भी लग गई हो और उसने रजनी की हत्या कर दी हो। गोलियों की आवाज सुनकर पठान अंदर गया हो और उसने अपनी बंदूक से जोरावर पर गोली चला दी हो।

राघवन की इस थ्योरी में साक्ष्य तो कई थे परंतु रजनी और पठान के बीच नजदीकियों के कोई भी सबूत नहीं थे। पठान जैसा चरित्रवान आदमी वासना के दलदल में डूबा होगा ऐसा सोच पाना कठिन था।

राघवन अपने प्रश्न तैयार कर रहा था और बेसब्री से जयंत और रिया से होने वाली मुलाकात का इंतजार कर रहा था।

अगली सुबह समाचार पत्रों नें सलेमपुर में लगने वाली फैक्ट्री की खबरें प्रमुखता से छापी थीं। खबरों के दोनों तरफ राजा भैया और भूतपूर्व विधायक जोरावर सिंह की भी फोटो छपी हुई थी।

बड़े भाई की इच्छा का मान रखते हुए छोटे भाई ने परिवार की आधी जमीन सलेमपुर में फैक्ट्री लगाने के लिए के पी एसोसिएट्स को दी। सलेमपुर में लगने वाली यह फैक्ट्री सलेमपुर के लोगों को न सिर्फ रोजगार देगी अपितु कई छोटी फैक्ट्रियों को लगाने का मार्ग प्रशस्त करेगी लाल कोठी के नए सितारे राजा भैया ने आते ही सलेमपुर को अपनी सौगात दे दी।

राघवन राजा भैया की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर आश्चर्यचकित था। जोरावर सिंह की विरासत को कितनी तेजी से राजा भैया ने अपने कब्जे में ले लिया था वह बात राजा को विशेष बना रही थी। राघवन का अंतर्मन ने अब भी राजा को भी शक के दायरे में रखा हुआ था। राजा जैसा प्रभावशाली आदमी सबूतों से छेड़छाड़ कर केस को गुमराह कर सकता था। यदि वह अपने किसी मातहत को जोरावर सिंह की हत्या की जिम्मेदारी लेने को कहता तब भी वह शायद मना नहीं करता। कहीं ऐसा तो नहीं कि राजा ने हीं पठान को इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए मना लिया हो।

वैसे भी डीएसपी भूरेलाल जिस तरह राजा भैया की चाटुकारिता करता था वह उनके लिए कुछ भी कर सकता था।

राघवन को जोरावर सिंह के मृत्यु के दिन की घटना याद आ रही थी जब से यह सूचना प्राप्त हुई थी तब भूरेलाल नहीं उसे बताया था कि तीनों गोलियां एक बंदूक से चली है परंतु पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद यह मालूम चला कि दो गोलियां अलग बंदूक से थी और एक अलग से।

क्या राजा भैया ने भूरेलाल की मदद से गोलियां बदलवा दीं।

अगली सुबह एसीपी राघवन ऑफिस जाने से पहले डॉ शर्मा के घर पर उपस्थित था जिन्होंने जोरावर सिंह के शरीर का पोस्टमार्टम किया था..

राघवन के उग्र रूप को देखकर डॉ शर्मा की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। और उन्होंने सच बयान कर दिया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोलियां बदलने की बात डॉ शर्मा ने कबूल कर ली और उन्होंने यह भी बताया की उसे ऐसा काम करने के लिए लाल कोठी की पठान ने मजबूर किया था शर्मा के अनुसार ..

सर पठान ने मेरे सामने दो ही विकल्प रखे थे इस कार्य को करने के एवज में मुझे 10 लाख मिलने थे और न करने की एवज में सिर्फ एक गोली। मुझे लाल कोठी और पठान के बारे में जानकारी थी मुझे ही क्या सलेमपुर का हर आदमी लाल कोठी के प्रभुत्व को जानता है मैं अपनी जान से समझौता न कर पाया और अपने व्यवसाय से गद्दारी कर बैठा।

राघवन ने शर्मा को शहर से बाहर न जाने की हिदायत दी और मुस्कुराते हुए अपने ऑफिस आ गया।

राघवन ने देखा घड़ी में अभी 9:30 बजे थे जयंत और रिया को आने में अभी वक्त था वह पठान से मिलने चल पड़ा

"कैसे हो पठान..?"

पठान ने राघवन को सलाम किया और बोला

"ठीक हूँ"

"मुझे पता चला है कि तुम और रजनी बेहद करीब थे"

"आप का मतलब?"

"तुम दोनों के बीच जिस्मानी ताल्लुकात थे"

"अपनी जबान संभाल कर बात कीजिए। मेरे सामने ऐसी बेहूदा बातें कर अपने आप को मेरी नजरों में मत गिराईये।"

"पठान के चेहरे पर एक बार फिर वही क्रोध दिखाई पड़ा जो राघवन ने पठान से पहली मुलाकात में देखा था।"

पठान का चेहरा तमतमा गया था और यदि उसके सामने राघवन की जगह किसी और ने यह बात कही होती तो अभी तक वह पठान के तमाशे का शिकार हो चुका होता।

"ठीक है.. ठीक है.. हो सकता है यह बात गलत हो"

"हो सकता है नहीं यह गलत ही है" रजनी जी मेरे मालिक की पत्नी थी वह चाहे जैसी भी हो उनके लिए मेरे सम्मान में कोई कमी न थी। और जो बात आपने कही वह मैं कभी सोच भी नहीं सकता।

"अच्छा तो यह बताओ कि तुमने डॉ शर्मा को धमका कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्यों बदलवायी"

"पठान के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी उसका झूठ पकड़ा जा चुका वह बगले झांकने लगा राघवन ने अपने छोटी सी लाठी से उसकी छुट्टी को ऊपर किया और कहा

"पठान मेरी आंखों में देखो…"

पठान ने अपनी भारी पलकें ऊपर की उसे अपनी चोरी पकड़े जाने का पूरा एहसास हो गया।

उसने राघवन के सामने हाथ जोड़ लिए और बोला..

"मुझे माफ कर दीजिए पर मैं अब आपकी कोई मदद नहीं कर सकता मैंने अपना जुर्म कबूल कर लिया है और इस केस को निपटाने में आपकी भरपूर मदद कर चुका हूं। इसके आगे मुझसे कोई उम्मीद मत रखिएगा। आप चाहे तो मुझ पर बल प्रयोग कर सकते हैं परंतु यह पठान की जुबान है चाहे आप मेरे शरीर के रक्त का कतरा कतरा बहा ले फिर भी मेरी जुबान नहीं खुलेगी मैंने जितनी बातें आपको बताए हैं वह मैं कोर्ट में कुबूल करूंगा और यह केस समाप्त हो जाएगा। कृपया बाल की खाल निकालने का प्रयास न करें।"

"तुम राजा भैया को बचा रहे हो"

"मैं किसी को बचा नहीं रहा मैं सिर्फ अपना फर्ज निभा रहा हूं"

पठान पलट चुका था और दीवार से अपना सर टिकाए एकदम शांत हो गया था।

राघवन ने पठान से और बहस करना उचित न समझा उसे लाल कोठी के अंदर घटी घटना समझ आ चुकी थी बस उसकी तस्दीक बाकी थी जो जयंत और रिया के आने के पश्चात होनी थी।

राघवन के ऑफिस के कंपाउंड में रिया और जयंत की गाड़ी आ चुकी थी। रिया और जयंत सजे धजे कपड़ों में राजकुमार और राजकुमारी की तरह गाड़ी से उतर रहे थे आसपास के पुलिस वाले उस खूबसूरत जोड़े को देखकर आपस में फुसफुसा रहे थे। जयंत और रिया राघवन के कमरे की तरफ बढ़ने लगे राघवन का

एक मातहत उन्हें राघवन के ऑफिस का रास्ता दिखा रहा था….

आइए मुझे आप दोनों का ही इंतजार था..


शेष अगले भाग मेँ।
 

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भाग 20

राघवन के ऑफिस के कंपाउंड में रिया और जयंत की गाड़ी आ चुकी थी। रिया और जयंत सजे धजे कपड़ों में राजकुमार और राजकुमारी की तरह गाड़ी से उतर रहे थे आसपास के पुलिस वाले उस खूबसूरत जोड़े को देखकर आपस में फुसफुसा रहे थे। जयंत और रिया राघवन के कमरे की तरफ बढ़ने लगे राघवन का

एक मातहत उन्हें राघवन के ऑफिस का रास्ता दिखा रहा था….
अब आगे..


आइए मुझे आप दोनों का ही इंतजार था..

"कहां जाने की तैयारी है आप लोगों की?" राघवन के प्रश्न में कटाक्ष का पुट था।

"क्या इस प्रश्न का उत्तर देना जरूरी है?" जयंत ने अपना छुपा हुआ क्रोध जताते हुए कहा..

"छोड़िए... आपको क्या लगता है क्या पठान ने हीं आपके पिता का कत्ल किया है"

"अब जब उन्होंने अपना गुनाह कबूल कर लिया है फिर आपको यह शक क्यों हो रहा है.."

"जिस सम्मान से आप अपने पिता के कातिल का नाम ले रहे हैं यही मेरे शक का कारण है"

जयंत ने पठान को "उन्होंने" कह कर संबोधित किया था यह बात राघवन ने पकड़ ली थी।

"मैं आपकी तरह अनुमान नहीं लगाता. यह आपका काम है आप जाकर उन्हीं से क्यों नहीं पूछते?"

उससे तो मैं अपनी पूछताछ पूरी कर चुका हूं और उसी आधार पर आप दोनों को यहां बुलाया है।

एक पल के लिए ही सही जयंत और रिया के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी

परेशान मत होइए। सिर्फ मेरे सवालों का जवाब दीजिए।

"क्या कभी पठान का आपके पिता से वाक युद्ध हुआ था?"

"नहीं. मैंने तो नहीं सुना"

"राजा भैया आप पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हैं. क्या वह हमेशा से ही आपको इतना पसंद करते रहे हैं?"

जयंत अब बेसब्र हो चला था उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे राघवन इन बेफिजूल की बातों से उससे कुछ निकलवाना चाह रहा था।

"आप अपना और मेरा वक्त जाया कर रहे हैं. हमें कल बाहर निकलना है और हमें ढेर सारी तैयारियां भी करनी यदि आपके प्रश्न खत्म हो गए तो हमें इजाजत दीजिए। आपके कमरे में भरी हुई सिगरेट की बदबू अब और बर्दाश्त नहीं हो रही है"

राघवन को जयंत की यह बात चुभ गई उसने महिला कांस्टेबल को बुलाया और जयंत से कहा आप जरा कुछ देर बाहर इंतजार कीजिए मुझे रिया से कुछ पूछताछ करने की है

"आपको जो भी पूछताछ करनी है मेरे समक्ष ही कीजिए।"

"जयंत जी आप चाहे तो अपने वकील को बुला सकते हैं परंतु मुझे पूछताछ रिया से ही करनी है और आपकी अनुपस्थिति में"

जयंत को कोई रास्ता न सूझ रहा था। वह चुपचाप कमरे से बाहर आ गया।

राघवन ने रिया की दोनों तस्वीर सामने रख दी।

क्या यह दोनों तस्वीर आपकी ही हैं

रिया ने एक पल में खुद को पहचान लिया परंतु अपनी अर्धनग्न तस्वीर को देखकर वह घबरा गई।उसका चेहरा पीला पड़ गया।

"यह तस्वीर किसने ली".

"यह तस्वीर कहां की है" राघवन ने दोबारा प्रश्न किया।

फ़ोटो के पीछे का बैकग्राउंड देखकर उसने जगह पहचानने की कोशिश की और बोली शायद मेरे ही बाथरूम की है।

"आप तो ऐसे चौक रही हैं जैसे आप को कुछ पता ही ना हो?" राघवन में अपनी आंखें चढ़ाते हुए प्रश्नवाचक निगाहों से रिया को देखा

"तो क्या आपको लगता है कि मैं अपनी ऐसी फोटो खिंचवा रही थी…" पिछले 2 वर्षों में लाल कोठी का असर हरिया पर भी चढ़ चुका था उसकी आवाज में आई तल्खी इस बात की ओर इशारा कर रही थी।

रिया जी जोरावर सिंह से आपके संबंध कैसे थे?

"वह हमारे पिता थे" रिया जब आप कहते हुए रोवासी हो गई उसके चेहरे पर दर्द साफ साफ दिखाई पड़ रहा था.

"क्या वैसे ही जैसे आपके पिता शशिकांत थे?"

"उनके जैसा तो कोई हो ही नहीं सकता वह मेरे लिए भगवान थे"

"आपके घर में आपकी ही अर्ध नग्न तस्वीर खींची गई यह काम किसने किया होगा?"

"मुझे नहीं पता"

"क्या कभी किसी ने आप को ब्लैकमेल करने की कोशिश की?"

"जी नहीं"

"आप लाल कोठी के पिछले भाग में बने कमरे में क्या करने गई थी?"

"मैं वहां नहीं गई थी?"

"आप झूठ बोल रही हैं आपके बालों का एक टुकड़ा मुझे वहां से प्राप्त हुआ है और मेरे पास उसकी फॉरेंसिक रिपोर्ट भी है यदि आपने झूठ बोला तो यह झूठ आपको मुश्किल में डाल देगा और मेरे शक को यकीन में बदल देगा"

रिया घबरा गयी और पूरी तरह टूट गई उसने राघवन से सारी सच्चाई बयां कर दी रिया अपने सर को टेबल पर रखकर रो रही थी। एक पल के लिए उसे अपने जीवन में बिखराव दिखाई पड़ने लगा वह अपनों को नहीं खोना चाहती थी परंतु राघवन से झूठ बोल पाना अब और संभव नहीं था।

राघवन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी उसने रिया से कहा..

लीजिए पानी पी लीजिए आपने जो कुछ मुझे बताया है उसे अभी किसी और से साझा मत कीजिएगा अपने मंगेतर जयंत से भी नहीं। अब आप जा सकती हैं।

रिया का सुंदर चेहरा अब बेरंग हो चुका था उदासी चेहरे का आकर्षण खींच लेती है।

जयंत रिया को देखकर बेहद उदास हो गया वह राघवन के कमरे में जाने की कोशिश कर रहा था परंतु रिया ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे लेकर वापस घर की तरफ चल पड़ी। जयंत रिया से बार-बार पूछता रहा परंतु रिया गोलमोल जवाब देती रही राघवन द्वारा दिए गए दिशा निर्देश का उल्लंघन वह नहीं करना चाहती थी।

लाल कोठी में पहुंचने के बाद सभी ने रिया से राघवन द्वारा की गई पूछताछ के बारे में जानकारी लेनी चाहिए परंतु रिया ने सभी को गोलमोल जवाब देकर शांत कर लिया परंतु शशि कला और राजा भैया रिया की बातों से संतुष्ट नहीं थे। उन दोनों के चेहरों पर तनाव साफ साफ दिखाई पड़ रहा था। रिया भी अपने ही चाहने वालों से झूठ बोल बोल कर थक चुकी थी परंतु जिस सत्य को राघवन के सामने जाहिर कर चुकी थी उसने उसकी अंतरात्मा पर पड़ा हुआ भूत हटा दिया था और वह अंदर ही अंदर सहज महसूस कर रही थी।

मनुष्य के अंदर छुपा हुआ सत्य उसे अधीर और बेचैन किया रहता है जब वह सत्य बाहर आता है तो वह व्यक्ति निश्चित ही सहज महसूस करता है चाहे उसका परिणाम कुछ भी हो।

परंतु रिया के लिए दुविधा की घड़ी थी वह राघवन के सामने सत्य बोल चुकी थी परंतु अब अपने घर वालों के सामने उसे छुपा रही थी।

उधर राघवन ने डीएसपी भूरेलाल को गिरफ्तार कर लिया था। राघवन ने डीएसपी भूरे लाल के घर पर छापा मारकर पैसों से भरा हुआ बैग बरामद कर लिया और उस पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर दिया।

डीएसपी भूरेलाल बेचैन हो उठा था वह राजा भैया से बगावत करने की सोचने लगा परंतु अभी तक वह सिर्फ और सिर्फ आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार हुआ था यदि वह राजा भैया की हकीकत सामने लाता तो निश्चित ही उस पर आरोप और गंभीर होते आखिरकार उसने ही जोरावर सिंह के शरीर से निकाली गई गोलियों को बदला था।

डीएसपी भूरेलाल चाह कर भी राजा भैया से बगावत नहीं कर सका वह वह राघवन से क्षमा याचना कर किस को रफा-दफा करने की गुहार करता रहा परंतु राघवन ने उसकी एक न सुनी।

डॉ शर्मा जिसने जोरावर सिंह और रजनी का पोस्टमार्टम किया था उसे राघवन ने गिरफ्तार तो न किया परंतु उसे उसके द्वारा की गई गलती का एहसास जरूर करा दिया और भविष्य में ऐसा न करने की हिदायत देकर छोड़ दिया।

लाल कोठी में जयंत और रिया की तैयारियां जोरों पर थी शशि कला और राजा भैया की पत्नी रश्मि रिया को विदेश में अच्छे से रहने तथा जयंत का ख्याल रखने के लिए तरह-तरह के सुझाव दे रही थी जयंत औरैया बेहद प्रसंथी शशि कला में अपना पुश्तैनी हार गले से निकालकर रिया को पहनाते हुए कहा मैं तुम्हें अपनी बहू के रूप में स्वीकार करती हूं ।

रिया भाव विभोर हो उसकी मां इस दुनिया को छोड़ चुकी थी परंतु शशि कला न सिर्फ उसकी सास की भूमिका निभा रही थी अपितु वह उसकी अपनी मां की भूमिका में भी।

अगले दिन पूरा परिवार जयंत और रिया को छोड़ने के लिए स्टेशन की तरफ निकल चुका था। स्टेशन पर बेहद चहल-पहल थी। स्टेशन की पार्किंग में पुलिस वैन तैनात थी। एसीपी राघवन बेचैनी से राजा भैया का इंतजार कर रहा था। पुलिस वैन के अंदर बैठा हुआ पठान निर्विकार भाव से सलेमपुर स्टेशन को देख रहा था जिस सलेमपुर पर वह कभी राज किया करता था आज उसी स्टेशन पर पुलिस वैन में कैद अपनी बेबसी पर रो रहा था नियत ने उसके साथ बेहद क्रूर मजाक किया था। उसकी आंखों में आंसू थे।

राजा भैया की गाड़ियों का काफिला आता देख राघवन सतर्क हो गया और अपने साथ आए पुलिस वालों को भी सतर्क कर दिया।

राजा भैया के साथ आए उनके अंग रक्षकों और समर्थकों की भीड़ ने सलेमपुर स्टेशन के बाहर राजा भैया के लिए सुरक्षा घेरा तैयार कर दिया था।

पुलिस और राजा भैया के समर्थकों के बीच संभावित संघर्ष को लेकर सलेमपुर स्टेशन के आसपास गहरी शांति छा गई। आसपास के लोग उस जगह को छोड़कर दूर हट गए।

राजा भैया और उनका परिवार गाड़ी से नीचे उतर चुका था और स्टेशन की तरफ बढ़ने लगा जैसे ही वह लोग पुलिस वेन के करीब पहुंचे राघवन ने उन्हें रोक लिया और पुलिस वैन का दरवाजा खोलते हुए बोला..

देखिए आप लोगों से मिलने कौन आया है..

जयंत और रिया पुलिस वैन के अंदर गए उन्होंने पठान के चरण के चरण छुए और पठान ने उन दोनों को अपने गले से लगा लिया। राजा भैया और रश्मि भी वैन के अंदर आ चुके थे। उन्होंने भी पठान को हाथ जोड़कर प्रणाम किया।

पठान के चेहरे पर सुकून था।

एसीपी राघवन ने राजा भैया से मुखातिब होते हुए कहा..

मैंने आपको गलत समझा मुझे क्षमा कर दीजिएगा आप जैसा परिवार का ख्याल रखने वाला मुखिया सलेमपुर का भी ख्याल अच्छे से रखेगा यह जानकर मैं बेहद प्रसन्न हूं लाल कोठी के ऐश्वर्य में आप उत्तरोत्तर वृद्धि करें ऐसी मेरी कामना है।

रेल की पटरियों पर हो रहे कंपन बाहर तक सुनाई देने लगे। जयंत और रिया की ट्रेन आ चुकी थी। राजा भैया का परिवार दोनों प्रेमी युगल को छोड़ने स्टेशन पर आ गया। कुछ ही देर में ट्रेन चल पड़ी जैसे-जैसे ट्रेन सलेमपुर का रेलवे प्लेटफार्म छोड़ रही थी राजा के चेहरे पर मुस्कुराहट बढ़ती जा रही थी उधर ट्रेन के अंदर रिया और जयंत एक दूसरे के आलिंगन में थे और अपने परिवार वालों को याद कर रहे थे जिसने पठान भी था।

एसीपी राघवन पठान को लेकर वापस लौट रहा था उसके चेहरे पर सुकून था उसने सलेमपुर का यह पेचीदा केस आखिरकार सुलझा लिया था।

शेष अगले भाग में।
 
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