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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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Lutgaya

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औलाद की चाह

CHAPTER 6 - पांचवा दिन

आरंभ

Update -03


मन्त्र दान

उदय पहले से ही मेरी बगल में खड़ा था।

गुरु जी : चूंकि यह एक गुप्त मंत्र है, रश्मि आप उदय के करीब आ जाइए ताकि वह आपके कान में फुसफुसा सकें। रश्मि , तुम मुड़ो और उदय का सामना करो, अपनी आँखें बंद करो, और अपनी बाहों को प्रार्थना के रूप में मोड़ो।

उदय: मैडम, आप मेरे और करीब आओ।

और कितना करीब? मैं लगभग उसके बगल में खड़ी थी । निश्चित रूप से कहीं और होता, तो मैं अपने उसके करीब रहना पसंद करती क्योंकि उदय मुझे प्यारा था, लेकिन यहां संजीव और गुरु-जी हमें करीब से देख रहे थे, इसलिए मुझे बहुत झिझक हो रही थी। उदय ने धीरे से मेरी कोहनियों को खींचा और मुझे अपने सामने खड़ा कर दिया। उसकी काफी लम्बाई थी और वह स्पष्ट रूप से मेरी तंग चोली के ऊपर उजागर मेरे उभरे हुए स्तनों की दरार में झाँक सकता था। मैं उसके सामने हाथ जोड़कर आँखें बंद कर लीं। मेंरे महसूस किया कि वो अपना मुंह मेरे दाहिने कान के पास ले आया और अपने हाथो से उसने मुझे मेरी नग्न कमर पर पकड़ लिया। मैंने अपनी जाँघों को अधिक से अधिक ढकने के लिए इस स्कर्ट को नाभि से काफी नीचे योनि क्षेत्र के ठीक ऊपर पहना हुआ था और इसलिए मेरे पेट का क्षेत्र और मेरी कमर पूरी तरह से नंगी थी। मैं अपने नग्न कमर के मांस पर दो अन्य पुरुषो के सामने एक पुरुष का हाथ महसूस करते ही कांप गयी ।



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गुरु जी और संजीव की उपास्थि के कारण उसके चुने की प्रतिक्रिया स्वरुप मेरा बदन ऐंठ गया उदय मेरे कान में बहुत धीरे से मंत्र फुसफुसा रहा था. निश्चय ही संजीव और गुरु जी के सामने उदय की बाहों में जकड़ी हुई थी । हालाँकि मैं उदय के साथ आलिंगन कर गले नहीं लगा रहा था परन्तु मुझे लगभग ऐसा ही महसूस हो रहा था, मेरी गर्दन पर उसकी गर्म सांसे और उसके होंठ मेरे दाहिने कान को छू रहे थे, और उसकी उंगलियों ने मुझे मेरी कमर के चारों ओर मेरी मिनीस्कर्ट के ऊपर पकड़ रखा था, जिससे मैं असहज हो रही थीI

जैसे ही उसने मेरे कानों में मंत्रों को दोहराया, मैंने महसूस किया कि वह भारी सांस ले रहा था, शायद उसे भी अपनी बाहों में एक सुन्दर महिला का नाजुक और चिकने शरीर का अहसास हो रहा था। उदय से मन्त्र लेने से पहले पहले हाथ जोड़कर खड़े होने के लिए कहने के लिए मैंने मन ही मन गुरु जी को धन्यवाद दिया क्योंकि अगर मेरे हाथ मेरे बगल में होते, तो मेरे उभरे हुए स्तन निश्चित रूप से उनकी सपाट चौड़ी छाती के खिलाफ दबते और निश्चित रूप से मैं अपनी कामेच्छा को नहीं रोक पाती l

जैसे ही उदय ने मुझे मंत्र देना पूरा किया, उसे वापस फुसफुसाने की मेरी बारी थी। क्योंकि मेरी ऊंचाई उनके कानों तक नहीं पहुंचती थी , वह थोड़ा झुका ताकि मैं उनके कानों तक पहुंच सकूं और मैंने उन्हें वापस उसके कानो में फुसफुसा दिया।

गुरु-जी: धन्यवाद उदय। रश्मि , मुझे आशा है कि गुप्त मंत्र # 1 को समझने और बोलने में कोई समस्या नहीं थी।

मैं: नहीं, नहीं, सब ठीक था गुरु जी।

गुरु जी : ठीक है। संजीव, अब #2 मन्त्र देने की आपकी बारी है।




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आदत से मजबूर , मेरे हाथ मेरी स्कर्ट को सीधा करने के लिए नीचे जा रहे थे, हालांकि मुझे पता था कि इसे और नीचे नहीं बढ़ाया जा सकता है। संजीव मुझसे कुछ ही फीट की दूरी पर बैठा था और उसने आँखे मूंदी हुई थी पर मुझे महसूस हो रहा था की वो लगातार मेरी संगमरमर जैसी नंगी जाँघों की ताड़ रहा होगा । शायद ही किसी पुरुष को एक गृहिणी को ऐसी माइक्रोमिनी पहने और अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के सामने सब कुछ उजागर करते देखने का ऐसा बढ़िया मौका मिलता होगा, तो वह इसे देखकर काफी उत्साहित होगा। और मुझे इसका एक बहुत स्पष्ट संकेत मिला जब वह मुझे गुप्त मंत्र दे रहा था ! उदय वापस अपनी जगह पर आ गया और मैं वही ठिठकी रही l

उदय अपने स्थान पर वापस आ गया और मैं संजीव की प्रतीक्षा में आग के पास खड़ी रही । मुझे अंदाजा था आग की चमक में मैं उस छोटी सी पोशाक में बहुत कामुक लग रही होगी।

गुरु जी : ठीक है संजीव। अब आप आगे बढ़ सकते हैं। जय लिंग महाराज!

संजीव मेरे बहुत करीब आ गया और उसने मुझे मेरी कोहनी से पकड़कर अपने शरीर के पास खींच लिया। मैं उदय और संजीव के स्पर्श में अंतर स्पष्ट रूप से महसूस कर सकती थी । जहाँ उदय ने बहुत प्यार से पकड़ा था वही बाद वाला बहुत अधिक शक्तिशाली था। जैसे ही वो अपना मुंह मेरे दाहिने कान के पास लाया, मुझे लगा कि वह दोनों हाथों से मुझे गले लगाने की कोशिश कर रहा है।

चूँकि गुरुजी बैठे थे, इसलिए मेरे मौखिक रूप से विरोध करने का कोई सवाल ही नहीं था और मेरी शारीरिक विरोध भी बहुत कमजोर था क्योंकि मेरे हाथ प्रार्थना की मुद्रा में मुड़े हुए थे । मैं अच्छी तरह से समझ गयी कि संजीव ने मेरी इस हालत का पूरा फायदा उठाया और जैसे ही उसने मेरे दाहिने कान में मंत्र फुसफुसाना शुरू किया, उसने मुझे दोनों हाथों से काफी करीब से गले लगा लिया। ऐसा लग रहा था कि मेरे पति सोने से पहले मेरे बेडरूम में मुझे गले लगा रहे हैं? फर्क सिर्फ इतना था कि मैं संजीव को अपनी बाहों में नहीं ले रही थी ।

सच कहूं तो संजीव ने पहली बार में मेरे कान में मंत्र बोलै तो कुछ भी नहीं सुना क्योंकि मेरा पूरा ध्यान उसकी हरकतों पर था, लेकिन बाद में जब उसने मंत्र दोहराया तो मैंने उस पर ध्यान केंद्रित किया। उदय के विपरीत, उसके हाथ मेरी पीठ पर लगातार जहां मेरी चोली समाप्त हुई थी उस क्षेत्र में घूम रहे थे। बंद आँखों से भी मैं स्पष्ट रूप से समझ सकती थी कि वह अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ को सहलाते हुए महसूस कर रहा है।

अंत में चौथे प्रयास में मुझे मंत्र समझ में आ गया, लेकिन उस समय तक मैं सामान्य से अधिक भारी सांस ले रही थी क्योंकि उसने अपनी भद्दी हरकतों से पहले ही मेरी कामेच्छा को जगा दिया था। बंद आँखों से मैंने महसूस किया की उसके हाथ मेरी नग्न पीठ से होते हुए पर मेरी स्कर्ट पर चले गए हैं । संजीव को एक फायदा था कि गुरु-जी और उदय उसके पीछे थे और वे किसी भी तरह से नहीं देख सकते थे कि उसके हाथ मेरी पीठ पर क्या कर रहे हैं। जब वह चौथी बार मेरे कान में बहुत धीरे-धीरे मंत्र का उच्चारण कर रहा था तो मेरा शरीर और अधिक ऐंठ रहा था क क्योंकि अब उसके हाथ लगातार स्कर्ट से ढकी मेरी गोल गांड पर रेंग रहे थे।



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जब संजीव ने आखिरी बार मेरे दाहिने कान में मंत्र को बुदबुदाना शुरू किया, तो मुझे लगा कि वह मेरी मिनीस्कर्ट पर दो हाथों से मेरे नितम्बो के मांस को दबा रहा था । मैं इसका विरोध नहीं कर सकी और चुपचाप उसकी टटोलने वाली हरकत को मैंने स्वीकार कर लिया। परन्तु उसकी इस हरकत से मेरी चूत ने बहुत पानी छोड़ दिया था और गीली हो गयी थी. जिस तरह से वह उस कम समय में मेरे नितम्बो गालों को दबा और गूंध रहा था। मैंने जल्दी से उसके कान में मंत्र फुसफुसा कर उसके चंगुल से छूटकर राहत की सांस ली। जैसा कि ज्यादातर पुरुष किसी भी महिला के किसी भी अंग को छेड़छाड़ से मुक्त करने से पहले आदत के रूप में करते हैं, संजीव ने मुझे अपनी गिरफ्त से रिहा करने से पहले मेरी गांड को बहुत जोर से दबा डाला। मेरे ओंठ सूख रहे थे l

गुरु-जी: तो रश्मी, अब आप दो गुप्त मंत्रों से परिचित हैं। बढ़िया ! अब मैं तुम्हें आखिरी गुप्त मन्त्र दूंगा।

मैंने सिर हिलाया और मैंने अपने होठों को अपनी जीभ से गीला कर लिया था ताकि मैं अपनी स्वाभविक स्तिथि में आ जाऊं । मैंने आँखों के कोने से देखा कि संजीव अपनी पुरानी जगह पर वापस चला गया था और अपनी धोती के भीतर अपने लिंग को सहला रहा था।अब गुरुजी उठे और मेरे पास आए। मेरा दिल फिर से धड़क रहा था यह सोचकर कि गुरु जी अब मुझे मंत्र देंगे।

गुरु-जी: रश्मि , क्या तुम तैयार हो?

मैं: जी गुरु-जी।

वह मेरे पास आये, बहुत करीब हुए और धीरे से मेरे कंधों को पकड़ कर अपनी तरफ कर लिया। गुरूजी का कद भी काफी लंबा था और इसलिए उन्हें मेरे कानों तक पहुंचने के लिए कुछ झुकना पड़ा। संजीव और उदय दोनों के विपरीत, उन्होंने मुझे मेरे कंधों से पकड़ रखा था। उनकी उंगलियां हालांकि स्थिर नहीं थीं, पर मैं रेलसड़ थी और समान्य सांस ले रही थी । क्योंकि मैंने स्ट्रैपलेस चोली पहनी हुई थी और मेरे कंधों पर कोई पट्टा भी नहीं था तो निस्संदेह वह मेरी चोली के पतले कपड़े के माध्यम से मेरी त्वचा को महसूस कर रहे थे । उन्हेने मेरे कान में मंत्र बड़बड़ाया और मैंने आंखें बंद करके और हाथ जोड़करअपने मन को एकाग्र करने की कोशिश की।


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गुरु-जी के साथ और कुछ नहीं हुआ, सिवाय उनके होठों के मेरे दाहिने कान को बार-बार छुआ । वह मुझे संजीव या उदय की तरह आसानी से मेरी कमर से पकड़ सकते थे लेकिन उनका पकड़ने का तरीका अलग और सहज था और निश्चित रूप उनका व्यक्तित्व विशाल और प्रभावी था। इस छोटी सी घटना से मेरे मन में उनके प्रति सम्मान और बढ़ गया। मैंने उनके कान में मन्त्र वापिस बोल दिया l

गुरूजी : बहुत बढ़िया रश्मि अब मन्त्र दान सम्पूर्ण हो गया हैl

जारी रहेगी
 
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Jassybabra

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Nice update
 

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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

परिक्रमा

Update -01



गुरु जी : जय लिंग महाराज! अब वह?मंत्र दान? पूरा हुआ, रश्मि तुम्हें आश्रम परिक्रमा करनी है।

मुझे इसका वास्तव में क्या मतलब है मालूम नहीं था , हालांकि मैंने अनुमान लगाया कि मुझे आश्रम के चारों ओर घूमना है, फिर भी पूरी तरह से निश्चित नहीं थी ।

मैं: इसके लिए मुझे क्या करना है ??


SHORT1


गुरु जी : ठीक है। आपको आश्रम की परिधि का चकर लगाना है और आश्रम की दीवार पर उकेरी गई चार प्रतिकृतियों को प्रार्थना और फूल अर्पण करना है।

मैं: लेकिन मुझे तो दीवार पर कोई प्रतिकृति नजर नहीं आई गुरु जी।

गुरु-जी : हाँ, उन्हें आम आँख से पकड़ना थोड़ा मुश्किल है ।

मैं: तब मैं कैसे पता लगाऊंगी ?

गुरु-जी: धैर्य रखो रश्मि । मैं तुम्हे सब कुछ संक्षेप में बताऊंगा।

गुरु जी थोड़ा रुके. संजीव और उदय भी अब गुरु जी के पास खड़े थे।



SHORT2

गुरु जी : देखो रश्मि , यह थाली तुम्हें अपने सिर पर उठानी पड़ेगी? और आश्रम की परिधि पर चलना होगा । आपको आश्रम की दीवार पर चार दिशाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अर्थात, उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम दिशा में चार लिंग की प्रतिकृतियों दिखेंगी जिन पर आपको फूल चढ़ाने होंगे, चूँकि बाहर अँधेरा होगा, उदय आपके सामने एक दीपक लेकर आएगा और दीवार पर उकेरी गई प्रतिकृतियों का पता लगाने में भी आपकी मदद करेगा। समझ गयी रश्मि ?

मैं: ठीक है गुरु जी।

गुरु-जी: लेकिन? ?

गुरु जी कुछ कहने में झिझकता हुए दिखे ।

गुरुजी : उदय, क्या मैं संजीव को भी तुम्हारे साथ भेज दूं? परंतु?

उदय चुप था। गुरु जी किसी बात को लेकर चिंतित लग रहे थे। मैं काफी हैरान थी ।

मैं: गुरु जी, क्या कुछ गड़बड़ है?

गुरु-जी: नहीं, नहीं बेटी। सब ठीक है, लेकिन?

मुझे समझ नहीं आया की गुरुजी क्यों हिचकिचा रहे थे और उदय और संजीव के चेहरों को देख रहे थे!

मैं: कृपया मुझे बताओ गुरु-जी, आपको क्या परेशान कर रहा है?

उदय: दरअसल मैडम?



गुरु जी : मुझे लगता है कि हमें इसे रश्मि से नहीं छिपाना चाहिए। बेटी, पिछले साल आश्रम में एक महायज्ञ के दौरान एक हादसा हो गया था। दरअसल, वो इसी आश्रम की परिक्रमा के दौरान की बात है।

मैं: वो क्या था?

गुरु जी : वह महिला जो दिल्ली की रहने वाली थी और वह बहुत बोल्ड थी। उसका नाम बिंदु था। वह रात हालांकि जगमगाती चांदनी थी, मैंने उसे सलाह दी कि वह मेरे एक शिष्य को अपने साथ ले जाए, लेकिन वह अनिच्छुक थी और उसने कहा कि वह अकेले ही सब प्रबंधन कर सकती है।

गुरु जी रुक गए और जो कुछ हुआ उसके बारे में और जानने के लिए मैं उनके चेहरे की ओर गौर से देख रही थी ।

गुरु-जी: रश्मि आप जानते ही हो कि ये गांव खासकर महिलाओं के लिए भी ज्यादा सुरक्षित नहीं हैं। दुर्भाग्य से, जब वह आश्रम के दरवाजे से पीछे की ओर गई, तो दो उपद्रवी शराब के नशे में धुत ग्रामीणों ने उसे देखा और उस पर हमला किया। बिंदु ने भी उस समय तुम्हारी तरह ही कपड़े पहने थी और वो शराबी शायद उसे इस तरह देखकरउसकी और आकर्षित हो गए थे।

मैं: ओ! हे भगवान!

गुरु-जी: हाँ, यह वास्तव में बिन्दु के लिए एक दुखद अनुभव था, खासकर शहर से होने के कारण। और हमें भी इसका एहसास काफी देर से हुआ जब वह परिक्रमा पूरी करके वापस नहीं आयी .

मैं: क्या ? मेरा मतलब?

मैं तीन पुरुषों के सामने अपनी चिंता और चिंता व्यक्त नहीं कर सकी , क्योंकि मैं पूछना चाहती थी कि कही उसकी साथ कोई अनहोनी या फिर उसका बलात्कार तो नहीं कर दिया गया ।

गुरु-जी: गुरु जी मेरा मतलब समझ कर बोले .. बिंदु भाग्यशाली थी क्योंकि हम ठीक समय पर पहुँच गए थे।

मैं यह जानने के लिए उत्सुक थी कि उन्होंने उसे किस अवस्था में पाया, लेकिन बेशर्मी से यह नहीं पूछ सकी । हालांकि गुरु जी ने मेरी प्ये जिज्ञासा शांत कर दी , लेकिन थोड़ा बहुत विस्तार से वर्णन किया, जिसका पूरा विस्तृत वर्णन वास्तव में मुझे उन पुरुषों के सामने कुछ हद तक असहज कर देता था।

गुरु जी : जब हम वहाँ पहुँचे तो उन दो बदमाशों ने बिंदु को घास पर बिठा दिया था और दोनों उस पर सवार होने की कोशिश कर रहे थे। ज़रा कल्पना करें!

मैं क्या कल्पना करती ? एक महिला के ऊपर दो लड़के? वह? गुरु-जी मुझसे क्या सोचने के लिए कह रहे थे! गुरु जी ने मेरे चेहरे की ओर देखा। उदय और संजीव भी मुझे ही देख रहे थे। मैंने किसी के भी साथ आंखों के संपर्क करने से परहेज किया।

गुरु-जी: रश्मि , बिंदु बेचारी तुम्हारे जितनी सुंदर नहीं थी कि लोग उसकी ओर आकर्षित हो जाएँ? ऐसा उसके साथ होना उसके लिए बहुत निराशाजनक था और मुझे बहुत बुरा लगा, खासकर क्योंकि वह उस समय मेरी देखरेख में थी।

गुरु-जी रुक गए और ऐसा प्रतीत हुआ कि उन्हें इस घटना के लिए वास्तव में दर्द हुआ।

गुरु जी : मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे किसी शिष्य के साथ भी ऐसा हो सकता है। जैसे ही हम घटनास्थल पर पहुंचे, हमने तुरंत उन आदमियों को बिंदु से दूर खींच लिया और पाया कि वह घास पर आधी बेहोश पड़ी थी। संभवत: उसके सिर पर किसी चीज से वार किया गया था । स्वाभाविक रूप से, आप भी कल्पना कर सकते हैं, उसका ऊपरी भाग पूरी तरह से नग्न था और उसकी स्कर्ट फटी हुई थी। सौभाग्य से इससे पहले कि वे बदमाश अपने चरम पर पहुंच पाते, हम वहां पहुंच गए और उसे बचा लिया। उसने अपने शरीर पर केवल अपनी पैंटी पहन रखी थी और मेरा विश्वास करो रश्मि , मुझे यह देखकर बहुत राहत मिली।

राहत मिली मतलब क्या हुआ .. राहत पाने का क्या तरीका हुआ मैंने अपने भीतर कहा! मैं हमेशा की तरह भारी सांस लेने लगी थी और जिससे मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरे स्तनों की बीच की गहरी दरार को उजागर हो गयी थी।

गुरु-जी: सौभाग्य से उन्हें इतना ज्यादा समय नहीं मिला और हमने बिंदु को बचा लिया। जब हम उसे वापस आश्रम ले आए, तब भी वह अर्धचेतन अवस्था में थी। उसके स्तन और चेहरे पर गहरे खरोंच और काटने के निशान थे। उसके नितंबों पर भी चोट लगी, जिसका एहसास मुझे तब हुआ जब मैंने उसकी पैंटी उतारी; संभवत: जब वह जमीन पर गिरी थी, तो उसके कूल्हे किसी नुकीले पत्थर आदि से टकराए होंगे। कुल मिलाकर यह एक दयनीय दृश्य था।

मैं गुरु जी को विवाहित महिला की पैंटी उतारते हुए सुनकर थोड़ा चौंक गयी.

गुरु जी : उसके साथ छेड़छाड़ के बाद जब हम पुरुष वहां पहुंचे, तो हमने उसे लगभग नग्न अवस्था में जमीन पर पड़ा देखा। इसलिए मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। पर जब हम उसे आश्रम में वापिस ले आये और उसका उपचार करने लगा तो उसकी चोटों पर ध्यान दिया तो पता चला .

संजीव : लेकिन गुरु जी, आपको यह भी सराहना करनी चाहिए कि बिंदिया मैडम ने फिर से महा-यज्ञ पूरा करने के लिए साहस दिखाया और वह आज एक गर्वित मां हैं।

गुरु जी : हाँ, हाँ। यह सच है। उस छेड़छाड़ प्रकरण के बाद भी, वह महायज्ञ जारी रखने के लिए काफी साहसी थी।

मैं: ओ-के- ।

गुरु जी : रश्मि अब समझ में आया कि मैं क्यों झिझक रहा था?

मैं: लेकिन अब फिर क्या करें?

उदय: गुरु-जी, मैडम की सुरक्षा के लिए मैं काफी रहूंगा । आप निश्चिन्त रहे

गुरु-जी: रश्मि , क्या आप सहमत हैं?

मैं: मुझे उन पर भरोसा है गुरु जी।

गुरु जी : ठीक है। संजीव, उसे थाली दे दो। रश्मि , तुम उसे अपने सिर पर ले लो और बाकी उदय तुम्हारा मार्गदर्शन करेगा। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात, रश्मि , आप आश्रम परिक्रमा करते समय जैसे ही आप अपना पहला कदम आश्रम के बाहर रखते हैं उसके बाद परिक्रमा पूरी करने तक आप किसी से बात नहीं कर सकतीं । इसे यद् रखना !

मैं अपनी सहमति दे चूकी थी ।




SHORT4



गुरु-जी: दूसरी बात यह है कि आप चार लिंग प्रतिकृतियों में से प्रत्येक पर फूल अर्पण करेंगे और छोटी-छोटी प्रार्थनाएँ करेंगे और जल छिड़क कर बाटने के बाद बोले हर बार इस पवित्र जल को इस तरह छिड़कना होगा । और अंत में आपको आश्रम परिक्रमा 1200 सेकेंड में पूरी करनी होगी।

मैंने प्रश्नवाचक रूप से देखा क्योंकि मैं अंकगणित में बहुत कमजोर थी ।

गुरु-जी: मतलब आपको 20 मिनट के भीतर आश्रम परिसर में वापस जाना होगा

मैं: ठीक है गुरु जी।

मैंने संजीव से थाली ली। वह फूल, कुमकुम, गंगाजल, पान आदि से भरी एक बड़ी गोल थाली थी। मुझे लगा कि पीतल की बनी थाली भारी है । मैंने इसे अपने सिर पर ले लिया और कमरे से बाहर उदय के पीछे चलने लगी ।

गुरु जी : जय लिंग महाराज!

हम सभी ने कोरस में इसे दोहराया। जैसे ही मैंने थाली को थामने के लिए अपने सिर के ऊपर अपनी बाहें फैलाईं, मेरा ब्लाउज मेरे बड़े तंग स्तनों के खिलाफ और अधिक तनावग्रस्त हो गया । वास्तव में मुझे बहुत बोझिल महसूस हो रहा था क्योंकि जब मैंने अपनी बाहें उठाईं तो मेरी चोली भी थोड़ी नीचे खिसक गई और अब ब्रा के टांके सीधे मेरे निपल्स के बहुत करीब मेरे एरोला पर दब रहे थे। मैं किसी तरह गुरु जी के कमरे से बाहर निकल आयी और मेरे निप्पल ब्रा के अंदर पहले से ही अर्ध-खड़े हुए थे।


जैसे ही हम गुरु जी के कमरे से बाहर आये मैंने तुरंत उदय को आग्रह किया

मैं: उदय, क्या आप एक पल के लिए थाली को थाम सकते हैं?

उदय: ज़रूर मैडम। कोई समस्या?

मैं: नहीं, कुछ नहीं।

मैंने थाली थमा दी और उससे दूर हो गयी और जल्दी से अपने ब्लाउज और ब्रा को समायोजित किया और वापस उसकी ओर मुड़ गयी ।

मैं: धन्यवाद।

जारी रहेगी
 
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Lutgaya

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कहानी बढिया है गति कम है
 

deeppreeti

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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

परिक्रमा

Update -02


मैंने फिर से उससे थाली ले ली और अपने सिर के ऊपर उठा ली। हर बार जब मैं अपने सिर पर हाथ उठाती थी तो मेरे स्तन का मांस शर्मनाक रूप से उजागर हो रहा था, मेरे मोटे मोटे वक्ष अच्छे खासे बाहर दिख रहे थे। लेकिन फिर मुझे लगा रात के अंधेरे में सब ढक जाएगा ।

उदय के हाथ में टॉर्च थी और वह मेरे साथ जा रहा था। सच कहूं तो मैं उदय के साथ बहुत सहज महसूस कर रही थी । उदय के लिए मेरा क्रश अभी भी मेरे दिमाग और शरीर के अंदर था। चलती नाव पर उससे मुझे जो सुख मिला ? मैं उसे अपने जीवन में कभी नहीं भूल सकती । हालाँकि उस रात उसने मुझे चोदा नहीं था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि मुझे इसमें चुदाई से भी अधिक आनंद कैसे मिला ! शायद ये गुरूजी दवरा दी गयी दवाओं का असर था .

सच कहूं तो गुरुजी से बिंदिया की छेड़छाड़ की कहानी सुनकर भी मुझे कोई डर नहीं लगा था। मैं उदय के साथ थोड़ा आरक्षित महसूस कर रही थी क्योंकि उस समय महायज्ञ सफलतापूर्वक पूरा करना ही मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता थी ।

उदय: मैडम, मैडम मुझे आपको बताने का मौका ही नहीं मिला. इस ड्रेस में आप बेहद खूबसूरत लग रही हैं।

हम अभी भी आश्रम के परिसर में ही थे, तो मैंने जवाब दिया।

मैं: हम्म। मुझे पता है, लेकिन मेरी उम्र में इतने छोटे कपड़े पहनना मेरे लिए बहुत शर्मनाक है।


LP01
roll 8 sided die

उदय: उम्र! ये आप क्या कह रही हो मैडम! आज भी आपको किसी कॉलेज में एडमिशन जरूर मिलेगा ? आप इसमें काफी जवान दिख रही हो!

मैं: उदय, मेरी चापलूसी मत करो।

उदय: कसम से! महोदया। आप नहीं जानती कि आप कितनी सेक्सी लग रही हैं!

मैं: चुप रहो!

उदय: मैडम, अगर आपको कोई आपत्ति नहीं है, तो क्या मैं कुछ बता सकता हूँ?

मैं क्या?

उदय : महोदया, आपने संजीव को गुप्त मंत्र देते समय कुछ नहीं कहा?

ये सुनते ही मेरे दिल की धड़कन छूट गई। क्या उदय ने देख लिया था कि संजीव क्या कर रहा था? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? वह तो मेरे सामने था। मैंने तुरंत अपने चाहने वाले प्रेमी के सामने अपनी बेगुनाही साबित करने की कोशिश की।

मैं: किस लिए? उसने क्या किया? उन्होंने आपके और गुरु जी की तरह मेरे कान में मंत्र ही तो दिया था !

उदय: मैडम, झूठ मत बोलो। जहां मैं बैठा था, मैंने उसके हाथ की स्थिति देखी थी । अवसरवादी!

मैंने उदय की आवाज से ईर्ष्या की गंध को स्पष्ट रूप से महसूस किया और मैंने उसे और अधिक उकसाया।

मैं: तुमने मन्त्र देते समय मुझे मेरी कमर से पकड़ रखा था और उसने मुझे मेरे कूल्हों से पकड़ रखा था। बस इतना ही।

मैंने यह कहते हुए अपनी आवाज को बहुत ही सामान्य और शांत रखने की कोशिश की ताकि उदय और अधिक ईर्ष्यालु हो जाए।

उदय: हुह! महोदया, आप बहुत भोली और निर्दोष हैं। आपको उसकी हरकतों का अंदाजा नहीं है ।

मैं: हो सकता है, लेकिन मुझे तो कुछ भी असामान्य नहीं लगा।


WORSHIP1
बातचीत करते हुए हम गेट पर पहुंच गए। आश्रम परिसर की तुलना में बाहर काफी गहरा अँधेरा दिखाई दे रहा था आश्रम में तो जग्गाह जगह बिजली के बल्ब लगे हुए थे पर बाहर घुप अँधेरा था । उस समय लगभग आधी रात का समय हो गया था था। और पहली बार इस सेक्सी ड्रेस में बाहर जाने पर मुझे अपने अंदर अनजान डर की लहर महसूस हुई.

मैं: उदय, मैं आश्रम के बाहर सुरक्षित तो रहूंगी ? मेरा मतलब उस मामले को सुनने के बाद?

उदय: महोदया, वह एक छिटपुट घटना थी, जो आश्रम के इतिहास मेंपहले कभी नहीं हुई थी। आप निश्चिन्त रहे और आराम के परिक्रमा पूरी करो।

मैं: मैं तुम पर निर्भर रहूंगी उदय। कृपया मेरे करीब ही रहना ।

उदय : चिंता करने की बात नहीं है मैडम। आप बस याद रखें कि बात न करें अन्यथा लिंग महाराज का श्राप आप पर प्रभाव डालेगा।

मैं: नहीं, नहीं। मैं अपना मुंह बंद रखूंगी ।

मैं आश्रम से बाहर निकली और उदय मेरे बगल में चल रही थी । मेरे सिर पर भारी थाली रख कर पकड़ने से मेरी बाहें ऊपर उठ गईं। जब मैं उस तरह से चल रही थी तो मैं अच्छी तरह से आंक सकती थी कि मेरा मांसल गाण्ड बहुत ही सेक्सी तरीके से आगे और नीचे, दाएँ और बाएँ लहरा रही थी ।

भगवान का शुक्र है! मुझे पीछे से कोई नहीं देख रहा था। खासकर इस माइक्रोमिनी में मैं बहुत ही भद्दी लग रही होंगी ।

बाहर बहुत सन्नाटा था और टिड्डे और क्रिकेट लगातार संगीत बजा रहे थे। कभी-कभी बादल चाँद पर छाया कर रहे थे जिससे हमारे चारों ओर के अंधेरे की तीव्रता बढ़ रही थी। मैं अपनी श्वास सुन सकती थी बगल में चल रहा उदय भी खामोश था ! शुक्र है कि आश्रम की परिधि के चारों ओर जाने वाला रास्ता दो व्यक्तियों के साथ-साथ चलने के लिए पर्याप्त चौड़ा था और अपेक्षाकृत साफ भी था, हालांकि रास्ते में कभी-कभार कही कही झाड़ियाँ और कांटेदार पौधे भी उगे हुए थे । उदय मेरे लिए रास्ता रोशन कर रहा था और हम धीरे-धीरे और सावधानी से चल रहे थे।

गाँव में आश्रम के बाहर रात इतनी शांत थी कि उदय के साथ होते हुए भी मेरे मन में एक सुनसान सा आभास हो रहा था। मेरे मन में तेजी से डर और दहशत का ऐसा भाव पैदा हो रहा था, की अगर उस समय मैं अचानक किसी आदमी को इस घास के रास्ते पर आते हुए देखती, तो मैं निश्चित रूप से डर से मर जाती । मेरा गला सूख रहा था और हाथ भी ठंडे हो रहे थे यह सोचकर कि मुझे भी बिंदिया की तरह परेशान किया जा सकता है।

उदय: मैडम, रात बहुत खूबसूरत है। यह उस रात की तरह है जैसे हम नाव पर मिले थे, है ना?

अचानक उदय की आवाज सुनकर मैं कांपने लगी ।

उदय : क्या हुआ? डर लग रहा है आपको मैडम?

उसने मेरे चेहरे की ओर देखा और इशारा किया।

उदय : हा हा हा ?

वह मुझे चिढ़ाते हुए जोर-जोर से हंस पड़ा। उस मोड़ पर मुझे इतनी जलन हुई कि मैंने अपनी झुंझलाहट दिखाते हुए उसे एक चेहरा बना दिया। मेरे चारों ओर उड़ने वाले मच्छरों की संख्या से मेरी झुंझलाहट बढ़ गई थी! आश्रम के अंदर, मुझे यह महसूस नहीं हुआ क्योंकि वे किसी प्रकार के मचार भागने के रसायन का उपयोग कर रहे होंगे, लेकिन यहाँ रात के समय आश्रम की परिधि के साथ खुले मैदान में, यह मच्छरों का झुंड हमारे ऊपर मंडरा रहा था । मैं लगातार अपने पैर हिला रहाी थी ताकि मैं मछरो को अपना खून पीने से बचा कर चलती रहू ।

उदय : ओह! हम पहली प्रतिकृति के पास पहुंच गए हैं। उधर देखो।


LP02

मैंने उस दिशा में देखा जहां उदय ने इशारा किया था, लेकिन कुछ भी नहीं देख सका, क्योंकि वहां अंधेरा था।

उसे ने झाड़ियों में सड़क से बाहर कदम रखा और जगह को रोशन किया। यह लगभग जमीन के पास की दीवार के नीचे था, उसने टोर्च से प्रकाशित लिंग प्रतिकृति को दर्शाया । मैंने उदय के पदचिन्हों का अनुसरण किया और उस रास्ते से बाहर निकल आयी , लेकिन मैं नंगे पांव थी और , मैं झाड़ियों के बारे में बहुत चौकस थी ।

उदय : मैडम, जरा संभलकर रहना। यहाँ-वहाँ कांटे भी हैं।

उदय ने मेरे हाथों से थाली लेकर मेरी मदद की और मैंने खुद को झाड़ियों के बीच रखा ताकि मैं प्रतिकृति को फूल चढ़ा सकू ।

प्रतिकृति की स्थिति ही ऐसी थी कि मुझे फूल चढ़ाने और प्रार्थना करने के लिए झुकना पड़ा. मुझे एहसास हुआ कि वहां एक पल के लिए खड़ा होना बहुत मुश्किल है , क्योंकि वहां मच्छरों का अड्डा था। इसके अलावा, मच्छरों ने उदय से ज्यादा मेरे ऊपर हमला किया था, क्योंकि उस मिनीस्कर्ट के कारण मेरे सारे पैर टाँगे , पेट इत्यादि सब नग्न थे।

उदय: मैडम, आप फूल चढ़ाएं। मैं आपके टांगो और पैरो से मच्छरों को दूर रखने की कोशिश करूंगा।

यह कहते हुए उदय ने अपने बाएं हाथ में थाली पकड़ ली और अपने दाहिने हाथ को मेरे पैरों के पास बहुत तेजी से लहराने लगा । यह देखते हुए कि यह पर्याप्त नहीं था, ऊपर चढ़ गई होगी। और इसलिए उसने यह शरारत की थी ? लेकिन, फिर भी यह बहुत ज्यादा ही था। वह मेरी स्कर्ट के अंदर रोशनी फेंक रहा था!

उदय : महोदया, आशा है आपको बुरा नहीं लगा होगा? हां हां

वह सबसे चिड़चिड़े अंदाज में हंसा। मैं तुरंत अपनी झुकी हुई मुद्रा से उठी और उदय की ओर बहुत सख्त नज़र डाली। काश! मैं बोल सकती लेकिन इस समय कुछ भी बोलने की मनाही थी । जैसा कि गुरु जी ने दिखाया था, मैंने वैसे प्रतिकृति पर गंगा जल छिड़का और हम फिर से चलने लगे और मैंने फिर से अपने सिर के ऊपर थाली पकड़े ली थी । मैं उसकी तरफ नहीं देख रही थी और उसे अपने व्यवहार से ये सन्देश देने की और समझाने की कोशिश कर रही थी कि मुझे वह भद्दी शरारत पसंद नहीं है।

उदय : सॉरी मैडम।

उसने मेरी भावना समझते हुए मुझे सांत्वना देने की कोशिश की।

उदय: मैडम, देखो! चाँद फिर निकल आया है।

अब हम आश्रम के पीछे पहुँच चुके थे। यहाँ एक बड़ा सा छायादार बड़ा पेड़ था और उस स्थान बहुत ही अँधेरा दिखाई दे रहा था। यहां शायद ही कुछ नजर आ रहा था।

तभी वहां आवाज आयी भो भौ भो:
 
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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

परिक्रमा

Update -03

काँटा



अब हम आश्रम के पीछे पहुँच चुके थे। यहाँ एक बड़ा सा छायादार बड़ा पेड़ था और उस स्थान बहुत ही अँधेरा दिखाई दे रहा था। यहां शायद ही कुछ नजर आ रहा था।

तभी वहां आवाज आयी भो भौ भो: ...

मैं लगभग चीख पड़ी और थाली मेरे हाथों से लगभग फिसल गई। कुत्ते के अचानक भौंकने से मैं बहुत डर गयी थी। मैं उदय के बिल्कुल करीब कूद गयी।

उदय: मैडम, मैडम। शांत रहे। यह सिर्फ़ एक कुत्ता है जो पास से गुजर रहा है। कोइ चिंता की बात नहीं है।

मेरा चेहरा पीला पड़ गया था, हथेलियाँ ठंडी और होंठ पूरी तरह से सूखे हुए थे। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था क्योंकि अचानक हुई उस आवाज़ से मैं बहुत चकरा गयी थो। उदय ने मेरा चेहरा पढ़ा और इस बार मज़ाक छोड़कर गंभीरता से मेरे साथ खड़ा रहा।

उदय: मैडम, आप इतनी नर्वस क्यों महसूस कर रही हैं? मैं यहाँ हूँ ना। मैं आपको हर चीज से बचाऊंगा।



THORN1

वह उन शब्दों को बहुत धीरे-धीरे मेरा विश्वास जीतने की कोशिश में कह रहा था। कहते हुए उसने अपना बायाँ हाथ मेरी कमर पर लपेट लिया। मैं पहले से ही भारी सांस ले रही थी, बेशक उत्तेजना में नहीं, बल्कि चिंता में। उदय ने मेरे भारी स्तनों को देखा-चूंकि मेरी दोनों बाहें थाली को पकड़े हुए थीं, मेरे बड़े-बड़े दूध के टैंक आधे से भी अधिक मेरे ब्लाउज से बाहर निकल रहे थे और ये उदय को एक मुफ्त ऑफर की तरह दिखाई दे रहे थे।

उदय: मैडम, डर और घबराहट को दूर करने का यह सबसे अच्छा तरीक़ा है।

मैं महसूस कर रही थी कि उसका बायाँ हाथ मेरी कमर से मेरे स्तन तक मेरे धड़ को सहला रहा था और उसने मेरे स्तन को आसानी से पकड़, मेरे रसदार दाहिने स्तन को निचोड़ लिया।

मैं: उहुउउउउ? ।

चूंकि मेरे हाथ थाली को पकड़े हुए मेरे सिर पर ऊपर को उठे हुए थे, इसलिए मैंने उसके कृत्य को अस्वीकार करते हुए अस्वीकृति में अपना सिर हिला दिया। इस समय मैं अपना मन किसी और चीज पर नहीं, बल्कि महायज्ञ की ओर लगाना चाहती थी।

उदय: महोदया, इस चोली में आपके स्तन बहुत आकर्षक लग रहे हैं।

फिर वह उसने तेजी से मेरी पीठ के पीछे आ गया और मुझे पीछे से गले लगा लिया और मेरे स्तनों को अपनी दोनों हथेलियों से दबा दिया। मैंने उसकी बाहों में संघर्ष किया और महसूस किया कि उसकी धोती के माध्यम से मेरी कोमल गांड के ऊपर उसका कठोर लंड चुभ रहा है। मैं थाली नहीं छोड़ सकती थी इसलिए मुझे अपने हाथ सिर के ऊपर रखने पड़े और उदय ने इसका पूरा फायदा उठाया। वह लगातार मेरे स्तन निचोड़ रहा था और जाहिर तौर पर मेरे ब्लाउज और चोली पर मेरे सख्त निपल्स को महसूस कर रहा था और सहला रहा था।



THORN2

इस समय मेरी स्थिति बिलकुल ऐसी थी जैसी किसी लड़की को ब्रा और छोटी स्कर्ट पहना कर अर्धनग्न हालत में हाथ ऊपर करके बाँध दिया गया हो उसके मुँह में कपडा ठूंस दिया गया हो जिससे वह न तो कुछ बोल सके और न ही हाथ पेअर चला सके । और उसके बाद BDSM. करते हुए उसके स्तनों को दबाया जा रहा हो बस फ़र्क़ यही थी की मेरे हाथ और मुँह वास्तव में रस्सी से न बंधे ही कर मेरी परि स्तिथितिया ऐसी थी की मैं विरोध में कुछ नहीं कर सकती थी ।

उदय: मैडम, मुझे पता है कि ऐसा करना उचित नहीं है, लेकिन मैं ख़ुद का नियंत्रित नहीं कर सकता। आप इतनी अधिक सेक्सी लग रही हो?

मैं महसूस कर सकती थी कि उसका दाहिना हाथ मेरे दाहिने स्तन से मेरे पेट और नाभि के नीचे से फिसल कर मेरी स्कर्ट के ऊपर अब मेरी चूत पर पहुँच गया था। फिर उसका हाथ मेरे जंघा पर घूम रहा था। मैंने अपने शरीर को मरोड़ते हुए उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन इसी कारण मेरी बड़ी नितम्बो और गाण्ड ने उसके कहे लंड पर अधिक दबाव डाला और उसे और अधिक आनंद प्रदान किया।

मुझे बोलने की अनुमति नहीं थी, इसलिए मैंने अपने चेहरे के भावों के माध्यम और गर्दन को नकारत्मक तरीके से हिलाते हुए मैंने उससे अनुरोध कर रोकने की असफल कोशिश की, लेकिन वह पल-पल औरअधिक उत्तेजित हो रहेा था। मुझे अचानक लगा कि उदय मेरी मिनीस्कर्ट खींच रहा है। मेरा मुंह चौड़ा हो गया क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि अगर मेरी स्कर्ट कुछ इंच भी ऊपर उठती है तो मेरे अंतरंग अंग उजागर हो जाएंगे। लेकिन मैं बहुत असहाय महसूस कर रही थी क्योंकि मेरे हाथ कुछ नहीं कर सकते थे और जैसी मुझे उम्मीद थी, उदय ने मेरी स्कर्ट को सामने से ऊपर उठा लिया और उसके नीचे अपनी उँगलियाँ डाल दीं और मेरी ऊपरी जाँघों को महसूस करने लगा और यहाँ तक कि उसने मेरी पैंटी को भी छुआ!



यह बहुत ज़्यादा हो गया था! मुझे एहसास हुआ कि मुझे उसे रोकना होगा, क्योंकि मैं समान रूप से यौन सम्बंध बनाने के लिए उत्तेजित और कामुक हो रही थी ... मैंने ख़ुद पर बहुत मुश्किल से जल्दी से नियंत्रण किया और मुझे उसके अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं सूझा और मैंने बस उसके पैरों पर लात मारी और उसके चंगुल से बाहर निकलने के लिए अपने शरीर को ज़ोर से झटका दिया। उदय को मेरी ऐसी प्रतिक्रिया की शायद कोई उम्मीद नहीं थी और वह शायद समझ गया था कि मैं अब गुस्से में थी। वह मुझे छोड़कर अवाक खड़ा रह गया। मैं नाराजगी में सिर हिला रही थी कि मुझे उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी।

उदय: मैडम? मेरा मतलब? महोदया, मुझे क्षमा कर दीजिये! मुझे बहुत शर्म आ रही है। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।

उदय में अचानक हुए बदलाव से मैं थोड़ा हैरान थी, लेकिन मुझे उम्मीद थी कि वह समझ गया होगा किइस समय मेरे लिए मुख्य लक्ष्य उस यज्ञ को सफलतापूर्वक पूरा करना है और कुछ नहीं।

उदय: मैडम, आई एम सॉरी। मैंने उस पल की गर्मी में ऐसा किया। मुझे माफ़ कर दें।

मैंने सर के इशारे से बताया कि यह ठीक है और हम फिर से चलने लगे। सच कहूँ तो मुझे महसूस हो रहा था कि उदय के मेरे अंतरंग अंगों को छूने से मुझमें कामेच्छा बहने लगी है। चलते-चलते मैंने कुछ देर के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं और कड़ी मेहनत से अपना ध्यान पूजा और अपने उदेशय पर केंद्रित करने की कोशिश की।

मेरे अगले दो लिंग प्रतिकृतियाँ पर पूजा करते हुए कुछ विशेष असामान्य है हुआ। रात में अँधेरा था और चाँद अभी भी बादलों के साथ लुका-छिपी खेल रहा था। सच कहूँ तो उदय ने मुझे गले लगाने के बाद, वास्तव में, मुझे घबराहट या अंधेरे का डर महसूस नहीं हो रहा था! मैं अपने इस अनियमित व्यवहार पर मुस्कुरायी

उदय: महोदया, हम लगभग परिक्रम पूर्ण करने वाले हैं; अब अंतिम प्रतिकृति की और बढे।

जहाँ अंतिम प्रतिकृति थी वह स्थान सबसे दूर लग रहा था क्योंकि उस स्थान पर झाड़ियाँ और साथ में बहुत सारी कंटीली झाड़ियाँ सबसे अधिक थीं। हालाँकि मैं अपने क़दम रखने में बहुत सावधानी बरत रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से मैंने अपना क़दम एक काँटेदार झाड़ी पर रखा। मैंने तुरंत अपने बाएँ तलवे में छेद करने का दर्द महसूस किया, लेकिन ख़ुद किसी तरह से नियंत्रित किया और स्वयं को चिल्लाने से रोका और अपना वह पेअर तुरत ऊपर उठा कर एक पैर पर खड़ी ही गयी

उदय: अरे! क्या हुआ मैडम? ऐसा लगता है कि आप दर्द में हैं!

उदय को तुरंत एहसास हुआ कि क्या हुआ होगा।

उदय: महोदया, मुझे लगता है कि आप पहले प्रक्रिया पूरी करें और फिर मैं इसे देखता हूँ।

मुझे भी ऐसा ही ठीक लगा और मैं फूल चढ़ाने के लिए मैं झुक गयी। मेरे खुले पैरों पर मच्छर दावत उदा रहे थे। जितना हो सके उन रक्तपात और मेरा रक्तपान करने वालों से बचने के लिए मैंने लगातार अपने पैर हिलाए। उदय इस बार सीधे मेरे पीछे खड़ा था; हालांकि मुझे पता था, मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। मुझे एक बार आगे झुकना पड़ा और उसे उस मिनीस्कर्ट में ढकी मेरी बड़ी गोल गांड के बारे में बहुत अच्छा नज़ारा मिला होगा। मैं जल्दी से उठी और प्रार्थना की और लंगड़ाते हुए रास्ते पर वापिस आ गयी। कांटा मेरे बाएँ पैर पर चुभ गया था।

उदय: मुझे देखने दो।

यह कहते हुए कि वह मेरे पैरों के पास बैठ गया और मेरे बाएँ पैर को अपनी गोद में ले लिया। इस प्रक्रिया में मुझे अपने पैर को अपने घुटने से मोड़ना पड़ा और मैं अच्छी तरह से देख सकता था कि अगर वह अभी ऊपर देखता है, तो वह सीधे मेरी स्कर्ट के अंदर देख सकता है। मेरा दिल फिर से ज़ोर से धड़कने लगा था।

उदय: महोदया, यह सिर्फ़ एक कांटा है, मुझे एक मिनट दो और मैं इसे निकाल दूंगा।

निश्चित रूप से बहुत अधिक मात्रा में नहीं लेकिन काँटा जहाँ चुभा था वहाँ से मेरा खून बह रहा था,।

उदय: मैडम, अपने पैर थोड़ा ऊपर उठाइए, मुझे वह जगह साफ़ नज़र नहीं आ रही है।

मैं अपने पैर को और ऊँचा करून और ऊपर की और उठाना, हे भगवान! इस पोशाक में ऐसे पैर उठा कर तरह मैं इतनी अश्लीलता से आमंत्रित करते हुए दिखूंगी! लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था? मैं एक पैर पर खड़ा हो गया और अपने बाएँ पैर को अभद्रता से ऊंचा कर दिया ताकि उदय मेरे पैर के तलवे को देख सके। मेरी स्कर्ट मेरी कमर की तरफ़ ऊपर की तरफ़ खिसक रही थी और मेरी पूरी बायाँ टांग नग्न हो गयी थी। मैंने बहुत सारी कामुक कामसूत्र की मुर्तिया देखि थी पर कभी मैं भी ऐसे किसे कामुक पोज़ में किसी मर्द के इतने समीप मुझे खड़ी होना पड़ेगा ये मैंने अपने वाइल्ड से वाइल्ड सपने में भी नहीं सोचा था । और यहाँ मैं ऐसी ही परिथिति में खड़ी हुई थी और ये सोच कर ही

मुझमें कामेच्छा जागृत होने लगी... मैंने किसी तरह से ख़ुद को मानसिक तौर और शारीरिक तौर पर संतुलित किया और चुपचाप खड़ी रही

मैं बस सेकेण्ड गिन रहा था कि वह मेरी तरफ़ देख कर कहेगा, काँटा निकल गया है? और बस तब?

उदय: मैडम, आउट!

उसने ऊपर देखा और सामने से मेरा अपस्कर्ट का पर्याप्त नजारा देखा। मुझे यक़ीन था कि वह इस बार मेरी पैंटी को साफ़ देख सकता है। इस बार मैं शर्मिंदा होना भी भूल गयी!

उसने अपनी धोती से कपड़े का एक हिस्सा फाड़ दिया और मेरे पैरों पर बाँध दिया।

उदय: आश्रम में वापिस पहुँच कर इस पर दवा लगा लेंगे।

मैंने सिर हिलाया और तुरंत अपना पैर उसकी गोद से ज़मीन पर वापस ले लिया। लेकिन जब मैंने अपना पैर ज़मीन पर वापिस रखा तो मुझे आश्चर्यजनक रूप से बहुत तेज दर्द हो रहा था। मैंने इस दर्द को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की और एक क़दम आगे बढ़ाया, लेकिनअभी भी कुछ मुझे मेरे पैर के अंदर ही अंदर चुभ रहा था। जब भी मैं अपने बाएँ पैर पर चलने के लिए दबाव डाल रही थी, उस अस्थायी पट्टी के साथ भी मुझे दर्द महसूस हो रहा था, इसलिए मैं लंगड़ाती रही। उदय ने मेरी ये हालत देखि और

उदय: मैडम, क्या आप अभी भी दर्द में हैं?

मैंने इशारा करने के लिए सिर हिलाया? हाँ? । ऐसा लग रहा था कि वह थोड़ा हैरान था।

उदय: मुझे लगा कि मैंने कांटा साफ़ कर दिया है, लेकिन?

मेरे तलवों में अब हर क़दम पर दर्द बढ़ता जा रहा था और मैं चल भी नहीं पा रही थी। थाली पकड़ने के लिए हाथ ऊपर किए जाने के कारण मेरा संतुलन बिगड़ रहा था। मेरा चेहरा उस दर्द को प्रदर्शित कर रहा था जो मुझे हो रहा था। उदय ने मेरे चेहरे को देखा।

उदय: मैडम, आप ऐसे कैसे चलोगे? क्या मैं इसे दोबारा जांचूं?

जारी रहेगी
 
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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

परिक्रमा

Update -04

काँटा लगा


मेरे तलवों में अब हर क़दम पर दर्द बढ़ता जा रहा था और मैं चल भी नहीं पा रही थी। थाली पकड़ने के लिए हाथ ऊपर किए जाने के कारण मेरा संतुलन बिगड़ रहा था। मेरा चेहरा उस दर्द को प्रदर्शित कर रहा था जो मुझे हो रहा था। उदय ने मेरे चेहरे को देखा।

उदय: मैडम, आप ऐसे कैसे चलोगे? क्या मैं इसे दोबारा जांचूं?

मैंने तुरंत उसकी इस इच्छा के विरुद्ध सिर हिलाया; उस समय मई किसी भी शरारत करने के मूड में बिलकुल नहीं थी और इसलिए उसे अपनी पैंटी दिखाने के लिए तैयार नहीं थी ।




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उदय: लेकिन फिर, आप इस तरह कैसे चल सकोगी ?

यह जितना मैंने सोचा था, उससे कहीं अधिक गंभीर और दर्दनाक मामला लग रहा था। मुझे यकीन था कि मेरे तलवों में कई कांटे चुभ गए हैं और उदय केवल एक का ही पता लगाने में सक्षम हुआ था। मेरा दर्द बढ़ रहा था और मेरे तलवे पर कट की स्थिति ऐसी थी कि मैं अपना पैर ठीक से जमीन पर नहीं रख पा रही थी । हर बार जब मैंने अपने बाएं तलवे पर दबाव डाला, तो यह बहुत दर्द कर रहा था और कट से पट्टी की गीला करते हुए खून निकल रहा था।

मैं खुद भी इस छोटी पोशाक को पहनकर उदय के सामने चोट की जांच नहीं कर सकटी थी ।

उदय: मैडम, क्या मैं आपको एक हाथ का सहारा दूं?

पिछली बार जब उसने मुझे गले लगाया था और मुझे पर्याप्त रूप से छुआ था वो अपनी उस अपनी हरकत पर मेरी प्रतिक्रिया के बारे में सोच इस बार सावधान था । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ, लेकिन यह महसूस कर सकती थी की इस तरह चलना कठिन और असंभव होता जा रहा है? अब मुझे कुछ विकल्प समझ आ रहे थे या तो थाली को उदय को संभालना होगा ताकि मैं उसका कंधा पकड़ कर मुझे एक पैर पर चलना होगा।

उदय: महोदया, हमें ज्यादा समय बर्बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि हमारे पास समय की भी कमी है। अगर हम 1200 सेकेंड में वापस नहीं आए तो मैडम, आपको पूरी परिक्रमा दोहरानी पड़ेगी!

मुझे एहसास हुआ कि मुझे जल्दी से तय करना है कि मुझे क्या करना है। मैंने विकल्पों के बारे में सोचने की कोशिश की। परिक्रमा के बीच प्रतिरूप पर फूल चढ़ाने या गंगा जल छिड़कने के अलावा थाली नहीं सौंपी जा सकती थी। तो ये विकल्प सवाल से बाहर हो गया ।



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मैं इंतजार करूं और उदय गुरु-जी को बुला लाये तो इसमें 1200 सेकेंड का बचा हुआ समय भी खत्म हो जाएगा । तो मैंने वह भी खारिज कर दिया।

थाली को सिर पर पकड़े हुए, मेरे लिए शेष दूरी को एक पैर पर लंगड़ा कर चालमा असंभव लगा क्योंकि मुझे पता था की मैं निश्चित रूप से संतुलन खोकर रास्ते में ही जमीन पर गिर जाऊंगी और मुझे और आशिक चोट लग जायेगी ।

मुझे निश्चित रूप से इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह छोटी सी घटना मेरे लिए इतनी बड़ी बाधा बन जाएगी! मैंने अपने दर्द के कारण चलना बंद कर दिया था और उदय भी ऐसे ही वहां रुक गया था ।

उदय: आपको परिक्रमा पूरी करनी होगी महोदया। आपके पास कवर करने के लिए अब केवल अंतिम भाग शेष है।

मैं अपने होंठ काट रही थी और सोच रहा था कि क्या करना है। मैं बहुत उदास हो गयी थी तभी उदय को एक अजीब, और अलग विचार आया!

उदय: मैडम, एक ही रास्ता है, लेकिन?



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मैंने उसकी ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा और यह जानने के लिए अपनी भौंहें उठा लीं कि वह क्या है।

उदय : नहीं मैडम, रहने दो। उसे सुन आप उग्र हो जाएंगे। मैं आपको और परेशान नहीं करना चाहता।

मैं किसी तरह उसके पास एक पैर पर आगे बढ़ी और जैसे ही मैंने किया कि मेरे बड़े स्तन मेरे ब्लाउज के भीतर जोर से झूल गए ; उदय ने मुझे मेरे पेट क्षेत्र से पकड़ रखा था ताकि मैं आराम से खड़ी रह सकूं। मैंने उसे इशारा किया कि मुझे बताओ कि उसके मन में क्या था।

उदय: महोदया, चूंकि आप चलने में असमर्थ हैं और आपके हाथ खाली नहीं हैं, लेकिन साथ ही आपको परिक्रमा भी दिए गए समय में पूरी करने की आवश्यकता है, और चूंकि यहां कोई आपको नहीं देख रहा है तो इन परिस्तिथियों में हम एक काम कर सकते हैं।


ओह ओ! वो क्या है?? मैं मन ही मन बुदबुदायी । मेरे चेहरे के हाव-भाव ने उदय से यही कह दिया था।

उदय: मैडम, मेरा मतलब है कि मैं आपको ले जा सकता हूं? मेरा मतलब मेरी गोद में और अगर आप सहमत हो तो मैं आपको गोद में उठा कर आश्रम तक के चलता हूँ ।




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online screen resolution changer
ऐसा विचित्र प्रस्ताव सुनकर मैं चकित रह गयी ! मुझे नहीं पता था कि इस पर क्या और कैसे प्रतिक्रिया दूं।

उदय: महोदया, कृपया इसे दूसरे अर्थ में न लें कि मैं आपको छूना चाहता हूं, इसलिए यह सुझाव दे रहा हूं। कृपया। देखिए मैडम, आप भी समझ सकती हैं कि सिर पर थाली रखकर आप उस घायल पैर के साथ नहीं चल सकती । इसलिए आपकी मदद करने के लिए ही मुझे ये उपाय सूझा है ?

मैं कोई छोटी बच्ची नहीं कि वो मुझे गोद में उठा ले!

मैंने उससे मुँह फेर लिया। यह सच था कि मैं उदय को पसंद करती थी, लेकिन वर्तमान में मैं एक यज्ञ प्रक्रिया पूरी करने जा रही थी और इन हालात में मैं इसकी अनुमति कैसे दे सकती हूं?

और मैं लगभग 30 साल की हूँ! एक पूरी तरह से परिपक्व और शादीशुदा महिला को वो ऐसे कैसे उठा सकता है !

इसके अलावा, मेरे मोटे फिगर और इस सेक्सी ड्रेस के साथ - एक आदमी की गोद में होना, जो मेरा पति भी नहीं था, मेरे लिए बहुत अधिक था। लेकिन क्या मेरे लिए कोई रास्ता बचा था? दर्द इतना स्पष्ट और तीव्र हो गया था कि मैं अब बिल्कुल भी कदम नहीं उठा पा रही थी ।

मुझे संशय में देख उदय बोलै महोदया इस समय आप किसी मर्यदा की चिंता ना करे.. संस्कृत में एक कहावत है .. "आपात काले मर्यादा ना असते" - मतलब आपात काल में मर्यादा की चिंता नहीं करनी चाहिए .. इस समय आप घायल है .. यहां पर आपको समय की पाबंदी ही इसलिए इस आपात काल जो सबसे बेहतर लगे वो करना चाहिए और इन हालात में यही सबसे बेहतर विक्लप है

मेरे मन में कुछ संघर्षों और उदय द्वारा और अधिक दलील और तर्क सुनने के बाद, मैं आखिरकार सहमत हो गयी । किस बात से सहमत? उदय की गोद में चढ़ने के लिए और वह मुझे बाकी रास्ते से आश्रम के द्वार तक गोद में उठा कर ले जाएगा!

जारी रहेगी
 
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