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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

CHAPTER 6 - पांचवा दिन

परिक्रमा

Update -05

गोद में सफर



मैंने यह याद करने की कोशिश की कि आखिरी बार कब मेरे पति ने मुझे गोद में उठाया और चल पड़े थे । पहली बार तो ऐसा मेरे हनीमून में हुआ था। होटल में हमारे ठहरने के दौरान, उसने मुझे कमरे की बालकनी से कई बार उठाया और मुझे बिस्तर तक ले गया था । निःसंदेह यह सुखद था और इस बीच कम लगातार किश करते रहे थे , लेकिन अनिल बहुत नटखट था? वह हमेशा बालकनी से मुझे अपनी बाँहों में उठाता लेता था और मुझे अपनी गोद में उठाने की प्रक्रिया में हमेशा मेरी नाइटी को मेरी जांघों तक खींच कर मुझे उठाये हुए बिस्तर पर ले जाता था।

सबसे मजेदार मेरी लैंडिंग थी क्योंकि मेरा पति हमेशा यह सुनिश्चित करता था कि जब मैं उसकी गोद से नीचे उतरु या वो मुझे अपनी गोद से बिस्तर पर छोड़ दें, तो मैं अपनी गांड के सहारे ही बिस्तर पर गिरूं और मेरे पैर हवा में हों, जिससे मेरी पूरी पैंटी उसकी आँखों के सामने हो ।

उन दिनों के विचार ही मेरे दिमाग में गिटार की तरह बजने लगे। मैंने अपने मन के भटकाव को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की।

उदय : मैडम, हम और समय बर्बाद न करें? हम्मरे पास समय काफी कम बचा है

मैंने याद करने की कोशिश की कि क्या कभी मेरे पति ने मुझे आउटडोर में अपनी गोद में लिया था। हम्म? सौभाय से एक बार, नहीं नहीं, दो बार मैंने इसका आनंद लिया था था। यह एक आउटिंग के दौरान था





LIFT01

पहली बार मेरे हनीमून के दौरान हम किसी जंगल में गए। यह दो दिन की छोटी यात्रा थी। हमारे चलने के लिए रास्ते में एक छोटी सी जल की धारा थी और एक दो बार जब हमने उसे पार किया, क्योंकि वह जगह बिल्कुल उजाड़ और सुनसान थी तब राजेश ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और जल की छोटी धारा पार की ताकि मेरी साड़ी गीली न हो। उस समय मैं भी स्पष्ट रूप से इतनी मोटी नहीं थी जितना अब मैं हूं, शादी के बाद मेरे कूल्हों पर बजन बढ़ गया और कुल मिलाकर मैं गोल और भारी हो गयी हूं। तब मजा आता था, लेकिन आज उदय की गोद में होने के विचार से मुझे पसीना आ रहा था।


मैंने उदय को मुझे उठाने का इशारा किया। क्या मुझे अपनी आँखें बंद कर लेनी चाहिए? मुझे नहीं पता था कि मैं क्या करूँ उदय मुझे मेरी नंगी जाँघों से पकड़ने के लिए थोड़ा झुक गया। उसने मुझे अपने दोनों हाथो से उस क्षेत्र के ठीक नीचे लपेट लिया जहाँ मेरी स्कर्ट समाप्त हुई और इस प्रक्रिया में उसका चेहरा मेरी नाभि में दब गया। मैं उत्तेजना और शर्मिंदगी से लगभग काँप उठी । लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ कर पाती , उदय ने एक झटके में मुझे उठा लिया और धीरे धीरे चलने लगा!

ईमानदारी से कहूं तो मेरे हनीमून के बाद और इस उम्र में एक आदमी की गोद में होना अविश्वसनीय लगा। मैं काफ़ी भारी हो गयी थी लेकिन फिर भी उदय ने मुझे पंख की तरह उठा लिया था! मैंने फिर से अपने मन में उसके मजबूत बदन को प्रशंसा की । जैसे-जैसे वह चल रहा था मेरा पूरा शरीर हिल रहा था, और इसलिए भी कि मेरे हाथ अभी भी मेरे सिर के ऊपर उठे हुए थे और मैं थाली को सर के ऊपर पकड़े हुए थी। उदय के हाथों ने मुझे मेरी जांघों के बीच में घेर लिया और उसका सिर मेरी कमर के पास ही था। अजीबोगरीब अंदाज में उसने अपने बाएं हाथ में जलती हुई टोर्च भी पकड़ रखी थी। वह तेज गति से चलने की कोशिश कर रहा था और मेरे बड़े स्तन मेरे ब्लाउज के भीतर बहुत ही कामुकता से झूल रहे थे क्योंकि वह कच्ची पगडण्डी की उबड़ खाबड़ रास्ते से गुजर रहा था।



जब हम इस तरह से यात्रा कर रहे थे तो मुझे एहसास हुआ कि मैं उसकी बाहों से फिसल रही थी और हालांकि शुरू में वह मुझे मेरे मध्य जांघ क्षेत्र के आसपास पकड़ रहा था, अब मैं काफी नीचे गिर गयी थी और अब वह वास्तव में मुझे मेरी गांड से पकड़े हुए था । मेरे लिए सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह थी कि अब मेरे बड़े स्तन उसके चेहरे के ठीक ऊपर थे।

स्थिति अब मेरी अपेक्षा से अधिक गर्म हो गयी थी। उदय के हाथों ने मुझे बहुत कसकर पकड़ रखा था जब उसने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे दृढ़ नितम्बो पर हैं तो उसे भी मेरे नितम्बो पर अपना दबाद थोड़ा बढ़ा दिया ताकि मैं और नीचे न फिसलु । और मैंने देखा कि वह बार बार मेरे तने हुए ब्लाउज से अंदर ढके स्तनों को छूने के लिए अपना सिर हिला रहा था।

आईइइइइइइइइइइइ।।?, मैं अपने आप में बड़बड़ायी ।



lift00

असल में मैं उसकी बाँहों में इतना नीचे फिसल चुकी थी कि उसने एक झटका दिया और मुझे अपनी गोद में पौंआ और को उठा दिया । इस प्रक्रिया में मैंने स्पष्ट रूप से महसूस किया कि मेरी स्कर्ट ऊपर की सरक रही थी और उसका मेरे टिमबो पर लिपटा हुआ हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर आ रहा है, क्योंकि मैं शायद अपनी भारी बजन और संरचना के कारण उसके झटके के बाद भी उसकी गोद में ज्यादा ऊपर नहीं चढ़ी । नतीजा यह हुआ कि उसके हाथ मेरी छोटी स्कर्ट के ऊपर हो गयी और अब उसके हाथ मेरी नंगी जाँघि और पैंटी के इर्द गिर्द लिपटे हुए थे।

दर्द और परिस्थिति के कारण मैं स्वाभाविक रूप से मेरा बदन सीधा था और मुझे नहीं समझ आया कि मुझे अब क्या करना चाहिए क्या मैं उसे एक बार रुकने और अपनी स्कर्ट सीधी करने का संकेत दूं? लेकिन मेरे पास पहले से ही समय की कमी थी।


मैंने देखा कि उदय अब बहुत तेज़ साँस ले रहा था और उसका सिर मेरे जॉगिंग बूब्स के किनारों को लगभग लगातार छू रहा था। मैं यह पता लगाने की कोशिश कर रहा थी कि उदय क्यों हांफ रहा था ? मेरे शरीर के वजन के कारण या मेरी स्कर्ट के नीचे मेरी पैंटी को छूने के कारण? मैंने जल्दी से अपना मन बना लिया कि इससे पहले कि मैं उसके स्पर्श से प्रभावित हो उत्तेजित हो जाऊं, मुझे उसे रोकना होगा।

मैंने चलने को रोकने के लिए अपनी दाहिनी कोहनी को उसके सिर पर दो बार मार संकेत दिया और वह अनिच्छा से रुक गया। और पुछा क्या हुआ .. मैंने नीचे की और देख कर इशारा किया और मैं समझ गयी थी कि जिस तरह से उसने मुझे अपनी गोद से जमीन पर उतारा, वह काफी उत्साहित था। और उसने मुझे नीचे उतरते ही अपने हाथ से मेरी पैंटी से ढकी हुई गांड को स्पष्ट रूप से महसूस किया। चूँकि मेरे हाथ हर समय ऊपर उठे हुए थे, उसके लिए मेरे स्तनों पर अपना चेहरा रगड़ना और भी आसान हो गया था और अंतता जब उसने मुझे छोड़ा तो उससे पहले मेरे बड़े स्तनो को अपने सीने पर महसूस करते हुए वो मेरे साथ अंतरंग आलिंगन में हो गया ।

हालाँकि मेरा शरीर निश्चित रूप से उसकी गर्म हरकतों का जवाब दे रहा था, मैंने अपने दिमाग में यह निश्चय कर लिया था कि मैंने विचलित नही होना है ।

उदय: मैडम, क्या हुआ ? मैं थका नहीं हूँ, आपको ऐसा शायद लगा होगा लेकिन मैं थका नहीं हूँ ।

मैंने बस उसके माथे की ओर इशारा किया जहाँ पसीने की धारियाँ निकलने लगी थीं।

जारी रहेगी
 
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deeppreeti

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कहानी संग्रह

छोटी छोटी मस्त कहानियो का एक संग्रह एक पाठक ने भेजा है उसे पोस्ट कर रहा हूँ

संग्रह मेरा नहीं हैं और अन्य साइट पर भी उपलब्ध हैं ..

अपडेट आपको रेगुलर मिलेंगे

आशा है आपको पसंद आएँगी


Erotica - कहानी संग्रह | XForum
 

deeppreeti

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औलाद की चाह

CHAPTER 6 - पांचवा दिन

परिक्रमा


Update -06

परिक्रमा समापन




उदय : ओह! यह निश्चित रूप से आपके वजन के कारण नहीं है। आप बहुत भारी नहीं हो। इसकी वजह है?

मैं हल्के से मुस्कुरायी जब उसने कहा, "आप बहुत भारी नहीं हो?" हालांकि पिछले कुछ महीनों से मेरे पति की शिकायत थी कि मेरा वजन बढ़ा रहा है लेकिन साथ ही वह मेरे बड़े गोल नितम्बो और मेरे सुदृढ़ और बड़े स्तनो को पसंद करता है !

उदय: शायद ने पसीना थाली के वजन की वजह से आया है । हा हां

वह रात के गहरे सन्नाटे को तोड़ते हुए जोर-जोर से हंसने लगा ।

उदय: महोदया, हम लगभग आश्रम के मुख्य द्वार के पास पहुँचने वाले हैं । इसलिए अब हमें एक सेकेंड भी बर्बाद नहीं करना चाहिए। जैसा कि गुरु-जी ने निर्दिष्ट किया था हमें १२०० सेकंड तक वापिस पहुंचना होगा।

मैं समय-सीमा को लगभग भूल गयी थी और उसकी बात सुन जल्दी ही वास्तविकता में वापस आ गयी । मैं बेशर्मी से लंगड़ा कर आगे बढ़ी ताकि वह मुझे फिर से अपनी गोद में उठा सके। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसने मुझे फिर से अपनी गोद में उठा लिया और इस बार उदय काफी अभद्रता से मुझे देख रहा था जबकि पहली बार वह सतर्क था और उसने मुझे अपनी गोद में काफी ऊंचा उठा रखा था, लेकिन इस बार वह मेरे अंतरंग अंगों पर हाथ रखने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा था।

मैं उसके द्वारा मुझे जमीन से उठा लेने और स्कर्ट से ढके नितंबों के ठीक ऊपर हाथ रखने का विरोध नहीं कर सकी । इस बार उसने मुझे इस तरह से उठाया हुआ था कि चलते-चलते उसका चेहरा सीधे मेरे बाएं स्तन को दबा रहा था। मैं अपनी इस बिगड़ी हुई हालत को देखने के लिए अपनी आँखें नहीं खोल सकी । अगर मेरे पति ने मुझे इस हालत में देखा होता तो उन्होंने पता नहीं क्या किया होता !




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मेरी ये तकलीफ कुछ और मिनटों में समाप्त हो गयी क्योंकि जल्द ही हम आश्रम के द्वार पर पहुँच गए । मैं द्वार को देखकर बहुत प्रसन्न हुई , लेकिन मेरी ख़ुशी बेहद अल्पकालिक थी। जैसे ही उदय ने कामुकता से अपने शरीर से चिपकाये हुए मेरे साथ आश्रम के द्वार में प्रवेश किया, मैंने देखा कि गुरु-जी वहाँ खड़े हुए थे । जिन्हे देख मैं चौंक गयी और मुझे नहीं पता था कि गुरु जी गेट पर हमारा इन्तजार कर रहे होंगे ।

गुरु-जी: अरे रश्मि , क्या हुआ? क्या तुम ठीक हो? क्या हुआ बेटी? उदय क्या बात है?

गुरु जी काफी चिंतित थे। उदय ने झट से मुझे अपनी गोद से नीचे उतार दिया और मैंने अपनी स्कर्ट भी सीधी कर ली और अपने ब्लाउज को कुछ अच्छा दिखने के लिए एडजस्ट कर लिया।

उदय: गुरु-जी, वास्तव में जब मैडम एक लिंग प्रतिकृति को फूल चढ़ा रही थीं तो इन्होने कुछ कांटों पर कदम रख दिया था । मैंने एक कांटे को निकाल दिया है , लेकिन उसके बाद वह चल क्यों नहीं पा रही थी?

गुरु जी : ओहो ! बेचारी लड़की! मुझे वो थाली दो।

आह! इतने लंबे समय के बाद मेरे शरीर के किनारों पर अपनी बाहों को नीचे करने पर मुझे बहुत राहत मिली !

गुरु-जी: मुझे चिंता हो रही थी कि क्या तुम 1200 सेकंड में परिक्रमा कर पाओगे, लेकिन इस चोट के बाद भी तुमने इसे सफलता पूर्वक पूरा किया । तुम को बधाई।

मैं: आपको वह तारीफ उदय को देनी चाहिए। वह मुझे काफी दूर से उठा कर ले आया है ।

गुरु जी : गुड जॉब उदय।

मैं: गुरु जी, सबसे बड़ी समस्या थी की मेरे हाथो में थाली थी ?

गुरु जी : हाँ, हाँ, मैं समझ सकता हूँ। क्या तुम अब मेरी सहायता लेकर चल सकती हो?

मैं: जरूर गुरु जी।



limp

हालाँकि, जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ी , पैर फिर दर्द करने लगा था , लेकिन गुरु-जी के दाहिने हाथ को पकड़े हुए धीरे धीरे हम यज्ञ कक्ष में पहुँचे जहाँ मैंने देखा कि संजीव इंतज़ार कर रहा था। उदय हमारे साथ नहीं आया और मुझे लगा कि वह शौचालय गया होगा, जिस तरह से वह दूसरी बार गोद में उठा कर मुझे अपने शरीर से दबा रहा था, उसे पूरा इरेक्शन हुआ होगा।

संजीव और गुरु-जी दोनों घाव को लेकर मेरी अतिरिक्त देखभाल कर रहे थे। अपने बारे में लोगो को चिंतित देख हमेशा अच्छा लगता है।

गुरु जी : संजीव, एक कुर्सी ले आओ।

संजीव तुरंत एक कुर्सी ले आया जिसपे मैं बैठ गयी . मैं अपने घुटनों और जांघों को बंद रखने के लिए सचेत थी ताकि मेरी पैंटी किसी को नजर ना आये । मेरी पूरी जाँघें और टाँगें दोनों मर्दों के सामने नंगी थी ।

गुरु-जी: रश्मि मुझे तुम्हारा पैर मुझे देखने दो।

यह कहते हुए कि गुरु-जी मेरे चरणों के पास बैठ गए। मुझे स्वाभाविक रूप से शर्म आ रही थी क्योंकि वहाँ बैठ गुरु-जी के कद के व्यक्तित्व ने मुझे बहुत असहज कर दिया था। गुरु जी मेरे पैर छूने वाले हैं ये सोच कर ही मैं असहज हो गयी . अपर मेरे पास उनको रोकने का कोई उपाय नहीं था .

गुरु जी धीरे से मेरा बायाँ पैर पकड़ लिया और पट्टी खोल दी, जिसे उदय ने बांधा था, और कट के निशान की जाँच की उन्होंने कट के आसपास के क्षेत्र में किसी भी असामान्यता को देखने के लिए दबाव डाला। मैंने अपने हाथों को अपनी गोद में रखा ताकि मेरी मिनीस्कर्ट एक मुफ्त शो के लिए ज्यादा ऊपर न उठे। मैं संजीव की ओर मुड़ी और पाया कि वह मेरी चमकीली नंगी टांगों को घूर रहा है।

गुरु जी : संजीव एक छुरी ले आओ। एंटीसेप्टिक क्रीम बेटाडऐन , कुछ रूई और एक पट्टी भी साथ ले आना । लगता है एक और काँटा पैरो ने चुभा हुआ है ।




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एक मिनट के भीतर संजीव ने गुरु-जी को आवश्यक सामान सौंप दिया और घाव पर कुछ और जांच करने के बाद, गुरु-जी दूसरे कांटे को बाहर निकालने में सक्षम हो गए और घायल पैर के चोट वाले क्षत्र पर मरहम और पट्टी कर दी । इसके बाद मैंने बहुत अच्छा महसूस किया और गुरु जी को धन्यवाद दिया।

लेकिन वह संजीव मुझसे ज्यादा खुश लग रहा था! मुझे उसकी ख़ुशी का कारण पता था। जब मैं कुर्सी पर बैठा था, उस समय उसे मेरेी स्कर्ट के काफी नज़ारे दिखाई दे रहे थे, जबकि गुरु जी मेरे तलवे से कांटा निकाल रहे थे तब मेरे सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद शायद मैं उसे मेरी पैंटी की झलक देखने से रोक नहीं पायी थी ।

गुरु-जी: अब तुम ठीक हो बेटी। उस चोट के बारे में ज्यादा चिंता न करें। एक दो दिन में यह ठीक हो जाएगी । मैंने जरूरी काम कर दिया है ।

मैं: धन्यवाद गुरु जी।

गुरु-जी : क्या आपने आश्रम की परिक्रमा ठीक से की?

मैं: जी गुरु जी। मैंने चारो लिंग प्रतिरूपों पर फूल और प्रार्थना की और आपके निर्देशानुसार पानी का छिड़काव भी किया।

गुरु जी : बहुत बढ़िया । जय लिंग महाराज!

गुरुजी मुझे आसन पर बैठने का संकेत देकर अपने मूल स्थान पर वापस चले गए।

गुरु जी : अब एकाग्रचित्त होकर मेरे कहे हुए मन्त्रों को दोहराओ।

मैं अपने घुटनों पर आसन पर बैठ गयी और अपनी आँखें बंद कर ली और मुख्य कार्य, महा-यज्ञ पर ध्यान केंद्रित किया। गुरु जी मन्त्रों को बहुत धीमी गति से बोल रहे थे और मुझे उन्हें दोहराने में कोई परेशानी नहीं हुई।

गुरु-जी: अब रश्मि , हम चंद्रमा आराधना करेंगे और उसके बाद दूध सरोवर स्नान ( दूध के तालाब में स्नान) करेंगे। क्या आप जानती हो ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा प्रजनन क्षमता का देवता है।

मैंने सकारात्मक संकेत दिया।

गुरु-जी: तो यह पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण है और जो मैं कहता हूं उसका आपको पूरी लगन से पालन करने की आवश्यकता है। पूजा के बाद दिव्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपको अपने शरीर को दूध से आसुत करना होगा। सफेद रंग पवित्रता का प्रतीक है, यह तो आप जानते ही होंगे।




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मैं: हाँ, हाँ गुरु जी।

गुरु-जी: वास्तव में रश्मि , एक तरह से यह परम योनि पूजा के लिए एक वार्म-अप प्रक्रिया है।

मैं: ओ! जी गुरु जी ।

तभी मीनाक्षी ने कमरे में प्रवेश किया।

जारी रहेगी
 
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CHAPTER 6 - पांचवा दिन

चंद्रमा आराधना


Update -01


गुरु जी : मंजू लाए हो?

मीनाक्षी: जी गुरु-जी।

उसने हाथ में लाल रंग के दो गोल कागज दिखाए । मुझे बहुत उत्सुकता हुई क्योंकि मैंने देखा कि वह उन गोल कागज़ों को फोरसेप से पकड़े हुए थी!

गुरु जी : ठीक है। फिर हम लॉन में जा रहे हैं और आपलोग ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए जल्दी से वहां आ जाईये ।

यह कहकर गुरुजी और संजीव मेरे को मीनाक्षी के साथ कमरे में छोड़कर कमरे से निकल गए।

मैं: वो मीनाक्षी क्या हैं?

मीनाक्षी: ये आपके लिए और टैग हैं मैडम।

मैं: और अधिक टैग? किस लिए?

मीनाक्षी : महोदया, जैसा आपने भी सुना, गुरु जी ने कहा कि समय बर्बाद मत करो; अगर हमें देर हो गई तो वह मुझे डांटेंगे ।



ARGENTINA

मैं: नहीं, वो तो ठीक है, लेकिन आप तब तक बात कर सकते हैं?

मीनाक्षी: ठीक है मैडम। क्या मैं इसे यहाँ लगा दू या आप शौचालय जाना चाहेंगी ?

मैं: मतलब?

मैं उसके शौचालय जाने के सुझाव से चकित थी ।

मीनाक्षी: महोदया, जैसा कि मैंने पहले आपके शरीर पर टैग लगाये थे, दो और बचे हैं, जिन्हें मैं अब लगा दूंगी।

मैं: लेकिन आपने पहले ही मेरे शरीर के ऊपर टैग लगा दिए हैं? मेरा मतलब मेरे स्तनों पर है और? मेरा मतलब?

मैं इतना बेशर्म नहीं थी जो किसी अन्य महिला की उपस्थिति में, उस चूत शब्द को मौखिक रूप से बोलती

मीनाक्षी : ठीक है मैडम, लेकिन ये दोनों आपकी गांड के लिए हैं। आप टैग्स के कागजो का आकार देख लीजिये । ये पिछले वाले की तुलना में बहुत बड़े हैं।

मैं बस यह सुनकर गूंगी हो गयी थी ? मतलब मीनाक्षी उन दो कागज़ों को मेरी गांड पर चिपकाने जा रही है, ठीक मेरे दोनों नितम्बो के गालों पर!

मैं: लेकिन? लेकिन तुमने मेरे स्नान के बाद इन्हें क्यों नहीं लगाया ?

मीनाक्षी: महोदया, मैंने तुमसे कहा था कि हर क्रिया का एक कारण और उचित समय होता है और आप इसे समय आने पर जान पाएंगी ।

मैं उसकी बातो से और भ्रमित हो गयी थी

मैं: लेकिन? लेकिन मीनाक्षी तुम उस फोरसेप के साथ क्यों पकड़े हुए हो?

मीनाक्षी मुझ पर शरारती अंदाज से मुस्कुराई।

मैं: क्या हुआ? मीनाक्षी तुम क्यु मुस्कुरा रहे हो?

मीनाक्षी: जैसे ही मैं इसे आपके नितम्बो पर पर रखूंगी, आप खुद को जान जाएंगी ।



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वह फिर मुस्कुराई। मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह उन दो कागजों को फोरसेप में क्यों पकड़े हुए थी।

मीनाक्षी: महोदया, यदि आप अपनी स्कर्ट ऊपर उठा ले तो मुझे मदद मिलेगी क्योंकि मेरे हाथ खाली नहीं है ।

मैंने अपनी पीठ उसकी ओर कर ली और धीरे से अपनी स्कर्ट को पीछे से ऊपर खींच लिया। यह बहुत अजीब था, लेकिन भगवान का शुक्र है कि मुझे एक महिला के सामने ऐसा करना पड़ा।

मीनाक्षी: ठीक है मैडम, अब आगे ।

मैं: मुझे और क्या करने की ज़रूरत है? मैंने अपनी स्कर्ट उठा तो ली है ना?

मीनाक्षी: आपकी पैंटी मैडम।

मैं: उफ़! मैं पूरी तरह से भूल गयी थी ।

मैं इस तथ्य को बिलकुल भूल गयी कि मुझे अपनी पैंटी नीचे खींचनी है ताकि वह उन कागजों को मेरे नितम्बो के गालों पर चिपका सके। यह जानते ही मैंने जल्दी से अपनी पैंटी नीचे खींच ली और अपनी गांड उसके सामने कर दी। मेरी संवेदना अब अजीब से कामुकता में बदल चुकी थी। मैं अपनी पैंटी के साथ कमरे में अपने घुटनो को आधा नीचे करके खड़ी थी और मैंने इसके अलावा, अपनी स्कर्ट को अपनी कमर के स्तर पर पकडा हुआ था और कमरे का दरवाजा भी बंद नहीं था!

मैंने अपने खूबसूरत नितंबों की चिकनाई और गोलाकार महसूस करते हुए मीनाक्षी के मुक्त हाथ को महसूस किया ।

मैं: अरे मिनाक्षी ये क्या कर रही हो?

सच कहूं तो मुझे पहले से ही कुछ होने लगा था, क्योंकि मैंने उसका हाथ अपनी नग्न नितम्ब की त्वचा पर महसूस किया था।

मीनाक्षी: सच कहूं तो मैडम, आपके पास इतनी प्यारी सी मस्त गांड है। यह इतनी गोल, इतनी मांसल, और इतनी कड़ी है। जिसे देख मैं सोचती हूँ ? काश मैं पुरुष होता।



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मैं: धत! कैसी बात करती हो तुम मिनाक्षी

वह खिलखिला पड़ी और मैं उसकी तारीफ सुनकर शरमा गई।

मैं: आउच!

मैं लगभग चिल्लाने लगी क्योंकि मुझे लगा कि मेरे नितम्ब की त्वचा कुछ बहुत गर्म छु रहा है। मैं तुरंत पीछे मुड़ी । मैंने अपना संतुलन लगभग खो दिया क्योंकि मैं भूल गयी थी कि मेरी पैंटी आधी नीचे थी और मेरी ऊपरी जांघों से चिपकी हुई थी।

मैं: हे भगवान! ये क्या किया तुमने मिनाक्षी ?

मीनाक्षी : कुछ नहीं मैडम। मैंने अभी इस कागज को आपके नितम्बो की त्वचा से छुआया है। मुझे आशा है कि अब आप समझ गयी होंगी कि मैं फोरसेप का उपयोग क्यों कर रही हूँ।

मैं: लेकिन? लेकिन पेपर इतना गर्म कैसे हो सकता है?

मीनाक्षी: यह आपकी चंद्रमा आराधना के लिए विशेष रूप से गर्म किया गया है।

वह फिर सांस लेने के लिए रुक गई।

मीनाक्षी: ठीक है मैडम, चलिए इसे दूसरे तरीके से करते हैं मैडम।

मैं कैसे? लेकिन किसी भी हाल में पेपर बहुत गर्म है।

मीनाक्षी: महोदया, अपनी पैंटी ऊपर खींचो और मैं पहले तुम्हारी पैंटी के ऊपर तुम्हारे नितम्ब के गालो पर कागज दबा दूंगी।

मुझे लगा कि इससे निश्चित रूप से मेरी मदद होगी । मैंने अपने नितंबों को ढँकने के लिए जल्दी से अपनी पैंटी ऊपर खींची और अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करके पेंटी को अपने उभरे हुए नितम्बो की त्वचा पर फैलाया। तब मैंने महसूस किया कि मीनाक्षी मेरी पैंटी के ऊपर मेरी गांड पर कागज़ दबाने लगी जिससे कागज़ की गर्मी सहने योग्य हो गयी । उसने फोरसेप को एक ट्रे पर रखा और कागजों को अपनी हथेलियों से मेरे गोल नितंबों पर दबा दिया। गर्म गर्म कागज़ को नितम्बो पर लगाना मेरे लिए एक अनूठा अनुभव था ।

कुछ सेकंड बीत गए और मैं चुपचाप मेरे नितम्बो पर गर्म कागजो को महसूस कर रही थी और कागजो की गर्मी तेजी से मेरी पैंटी और नितम्बो को गर्म कर रही थी

मीनाक्षी: महोदया, अब आप अपनी पैंटी नीचे खींच सकती हैं और मैं कागज़ अंदर रख देती हूँ।

ईमानदारी से कहूं तो यह मेरी अब तक की सबसे अजीब एक्सरसाइज थी। इतने कम समय में मुझे अपनी पैंटी को कई बार ऊपर-नीचे करना पड़ा। शायद ही मुझे कोई ऐसा मामला याद हो जहां मैंने इतनी शरारती एक्सरसाइज की हो। मेरे पति के साथ यह मेरी पैंटी के लिए हमेशा नीचे की ओर की यात्रा रही है, वैसे भी अगर मेरी पेंटी मेचिकने रे नितम्बो से थोड़ा सा भी नीचे को फिसलती है, तो यह फिर ऊपर नहीं जा सकती, यह केवल मेरे घुटनों तक ही उतर सकती है।

इससे पहले कि मीनाक्षी मेरे नितंबों पर गोल लाल रंग के कागज़ चिपकाए, उसने मेरे नग्न नितम्बो के गालों पर चिपकाने वाला तरल पदार्थ लगाया और कागज़ आसानी से मेरी पैंटी के नीचे मेरे नितम्बो के गालो पर लग गए। अब मैं सचमुच अपने नितम्बो और गांड पर गर्मी महसूस कर रही थी जो उन लाल कागज़ों से निकल रही है। मैंने अपने बड़े-बड़े नितम्बो को ढकने के लिए तुरंत अपनी उठी हुयी स्कर्ट को नीचे किया।

इस समय ऐसा लग रहा था की जैसे मेरे अंडरगारमेंट के भीतर मेरे नग्न नितम्बो के मांस को किसी मर्द के गर्म हाथों से छुआ जा रहा हो !

मैंने आराम महसूस करने के लिए अपनी पैंटी को उन कागज़ों पर थोड़ा समायोजित किया जो मेरी गांड पर चिपके हुए थे और मीनाक्षी को कमरे से बाहर निकाल दिया। वह आश्रम के प्रांगण में गई, जहां गुरुजी, संजीव और उदय सभी हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे।

मैं अब इन पुरुषों के सामने एक्सपोज़ करने में काफी एडजस्ट हो चुकी थी। मेरी मिनीस्कर्ट मेरे पैरों टांगो और जांघों को पूरी तरह से उजागर कर रही थी और मेरी चौकोर गर्दन वाला ब्लाउज उदारता से मेरी गहरी दरार और स्तनों को प्रदर्शित कर रहा था।

स्कर्ट से ढँकी गांड की देखते हुए गुरु जी ने मुस्कान के साथ मेरा स्वागत किया। वह इस बात से निश्चित तौर पर अवगत थे कि मेरी पैंटी के अंदर वो गर्म किये हुए कागज लगे हुए थे। और उसकी पुष्टि की गुरूजी के अगले वाकय ने

गुरु-जी: आशा है कि आप असहज नहीं हैं रश्मि ?

मुझे लगा कि सबके सामने यह पूछने की जरूरत नहीं है। मैं शर्म से सिर हिलाया क्योंकि तीनों पुरुष मेरी नितम्बो की सुडौल आकृति को देख रहे थे।

गुरु जी : तो ठीक है। हम पहले चंद्रमा आराधना शुरू करेंगे और फिर दूध सरोवर स्नान के साथ इसका पालन करेंगे।

गुरूजी की बात सुन कर मैं सोचने लगी कि सरोवर आश्रम में किस जगह पर था या है !

तभी मैंने देखा कि उदय और संजीव एक बहुत बड़ा बाथटब ला रहे हैं और उसे आंगन के बीच में रख दिया और एक पाइप लाइन के माध्यम से उसमें पानी भर दिया। फिर उन्होंने टब को उपयुक्त रूप से समायोजित किया ताकि टब के भीतर के पानी में चंद्रमा का स्पष्ट प्रतिबिंब हो। हालांकि उस वक्त आसमान में बादल छाए हुए थे लेकिन चांद साफ देखा जा सकता था।

गुरु-जी: रश्मि , तुम भाग्यशाली हो कि अभी चाँद साफ दिखाई दे रहा है। इसका मतलब है कि शायद चांद भी आपकी दुआओं से खुश है!

वो मुझ पर मुस्कुराए और मैं भी उनपर वापस मुस्कुरा दी ।

टब के क्रिस्टल साफ पानी में चंद्रमा का अद्भुत प्रतिबिंब दिखाई दे रहा था ।

गुरु-जी : रश्मि , जैसा कि आपने पहले स्वयं कुमार साहब के यहाँ देखा है, यह भी एक माध्यमभिमुख पूजा है। मैं स्वयं इस अति महत्वपूर्ण प्रार्थना में माध्यम के रूप में कार्य करूंगा।

मैं: धन्यवाद गुरु जी।

गुरु जी : अब इस पूजा पर पूरा ध्यान लगाओ और चन्द्रमा से तुम्हारी एक ही प्रार्थना होनी चाहिए कि तुम उर्वर बनो। कुछ कम नहीं, कुछ ज्यादा नहीं।

गुरु-जी और मैंने दोनों ने स्वयं को चंद्रमा के प्रतिबिंब की ओर मोड़ लिया और प्रार्थना के लिए अपनी बाहें और हाथ जोड़ लींये । आश्रम के भीतर पूर्ण रूप से पिन ड्रॉप साइलेंस था, जो रात के उस समय काफी स्वाभाविक था।

मैंने अचानक पानी के छींटे सुना और देखा कि गुरु-जी टब के अंदर कदम रख चुके हैं।

गुरु-जी: रश्मि टब में कदम रखो और टब में आ जाओ ।

मैंने देखा कि टब के किनारे काफी ऊंचे थे और मेरे लिए अंदर जाना काफी मुश्किल होने वाला था । गुरु जी को शायद मेरी समस्या का एहसास हो गया था।

गुरु-जी: उदय, उसे एक हाथ का सहारा दो।

उदय मेरे पास आया और मेरी कमर पकड़कर टब के अंदर जाने में मेरी मदद की। मैं किसी तरह से टब के अंदर जाने में कामयाब हुई और इस बीच गुरु जी को मेरी स्कर् के अंदर का दृश्य देखने को मिला , क्योंकि वह पहले से टब के भीतर खड़े थे।

जारी रहेगी
 
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Lutgaya

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अगले अपडेट का इन्तजार है
 

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Agle update ke intzaar me........
Update please.............................
 

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CHAPTER 7 - पांचवी रात

चंद्रमा आराधना

अपडेट-01


शायद कुछ साथियो ने गौर किया हो अब नया अध्याय ७. शुरू हो गया है क्योंकि मध्य रात्रि हो गयी थी और घंटाघर से रात के बारह बजने का घंटा सुनाई दिया था

उदय मेरे पास आया और मेरी कमर पकड़कर टब के अंदर जाने में मेरी मदद की। मैं किसी तरह से टब के अंदर जाने में कामयाब हुई और इस बीच गुरु जी को मेरी स्कर्ट के अंदर का दृश्य देखने को मिला , क्योंकि वह पहले से टब के भीतर खड़े थे।

गुरु जी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे तब में सहारा दिया और मैं चुपचाप ठिठक कर तब में खड़ी हो गयी टब में ठंडा पानी मेरे नग्न पैरों को इतना सुखद एहसास दे रहा था। टब के भीतर पानी का स्तर सौभाग्य से काफी कम था और यह मेरे घुटनों तक भी नहीं पहुंच रहा था।

गुरु-जी: रश्मि , तुम यहाँ इस तरह चाँद की ओर मुख करके खड़ी हो।

यह कहते हुए कि गुरु जी ने मेरी स्थिति ठीक कर दी और वे मेरे इतने पास खड़े हो गए कि मेरा गोल फैले हुए नितम्ब उन्हें बार-बार छू रहे थे ।

गुरु-जी : अपनी भुजाओं को प्रार्थना की मुद्रा में मोड़ो और जो मैं कह रहा हूं उसे बोलो।

वो मेरे पीछे इतने करीब थे कि मुझे गुरु जी की सांसे अपने गले के ऊपर महसूस हो रही थी। एक महिला के लिए, आपकी पीठ के ठीक पीछे एक पुरुष का होना हमेशा बहुत अजीब होता है, खासकर जब आपकी आंखें बंद हों। हालाँकि यह एक प्रार्थना थी और मुझे पता था कि मुझे कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत है, लेकिन हर बार जब मैं गुरु-जी की गर्म सांस को अपनी गर्दन पर महसूस कर रहा था और उनके जुड़े हुए हाथ मेरे ब्लाउज से ढकी पीठ को बहुत हल्के से टच कर रहे थे, तो मेरा दिमाग विचलित हो रहा था। मैं निश्चित रूप से उत्तेजित हो गयी थी क्योंकि मुझे पता था कि अगर मैं अपनी गांड को थोड़ा सा हिलाती हूँ, तो यह निश्चित रूप से गुरु-जी के श्रोणि क्षेत्र को प्रभावित करेगी ।

सच कहूं तो यह लगभग वैसी ही स्थिति थी जैसी हम सार्वजनिक वाहनों में आने-जाने के दौरान अनुभव करते हैं । अधिकांश वयस्क महिलाएं जिन्हें भीड़-भाड़ वाली बस में यात्रा करनी पड़ती है, वे भी ऐसा ही महसूस करती हैं। महिलाओं की सीटों के सामने खड़े होने पर भी मैं हमेशा एक पुरुष को अपने पीछे खड़ा पाती हूँ । और बस के भीतर भीड़ की हलचल का पूरा फायदा उठाते हुए, वह पुरुष या तो मेरी गांड को अपने जाँघे से महसूस करते हैं या मेरे कपड़े पर मेरे बटों को छूने और दबाने के लिए अपने हाथ का इस्तेमाल करते हैं । यहाँ निश्चित रूप से मेरी स्थिति ऐसी नहीं थी और मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि गुरु-जी ऐसे होंगे, क्योंकि अभी तब मैंने गुरूजी के साथ ऐसा कुछ भी प्रत्यक्ष अनुभव नहीं किया था।

प्रार्थना लंबी थी और धीरे-धीरे मैं उस पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही थी । प्राथना समापत करते ही .

गुरु जी : जय चन्द्रमा ! लिंग महाराज!

उन्होंने प्रार्थना समाप्त की। वो अभी भी मेरी पीठ के पीछे खड़े थे । उदय और संजीव कुछ दूरी पर मेरी बायीं ओर खड़े थे।

गुरु जी : रश्मि चन्द्रमा को जल अर्पित करें।

मैंने सिर हिलाया और टब के भीतर से अपनी हथेली में पानी लेने के लिए नीचे झुकने की कोशिश की और तुरंत मुझे लगा कि एक कठोर रॉड मेरी गांड को छू रही है और मैंने खुद को सीधा कर लिया।

मैं: सॉरी गुरु जी।

गुरु जी मेरे पीछे ही थे, जैसे ही मैंने अपनी पूरी गांड को झुकाकर अपने नितम्बो को धोती से ढके क्रॉच में धकेल दिया और मुझे स्पष्ट रूप से अपनी गाण्ड पर उनका कठोर लंड महसूस हुआ! मैं थोड़ा आगे हुई और पानी लेने के लिए नीचे झुक गयी । मुझे पता था कि पीछे खड़े पुरुष के सामने इस पोशाक में इस तरह झुकना उसके लिए बहुत लुभावना लगेगा, लेकिन मेरे लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं था। गुरुजी को मेरी मिनीस्कर्ट से ढकी भड़कीली गांड और नितम्बो का एक भव्य नज़ारा मिला होगा। मैं जल्दी से सीढ़ी हुयी और चन्द्रमा को जल अर्पित किया।

गुरु जी : बेटी इसे तीन बार करो।

तो मुझे फिर से गुरु जी के सामने झुक कर अपनी गोल नितम्बो को मोड़ना पड़ा और उन्हें कुछ उत्तेजक अपस्कर्ट दृश्य भी प्रदान किए। शुक्र है कि चांदनी रात थी, और रोशनी पर्याप्त नहीं थी, अन्यथा जहां गुरु-जी खड़े थे वह से निश्चित रूप से जब मैं झुकी थी तो मेरी पैंटी स्पष्ट रूप से दिखाई देती । मैंने किसी तरह इस काम को पूरा किया।

गुरु जी : ठीक है। अब जब आपने चंद्रमा को गंगा जल अर्पित कर दिया है तो आपने अपनी प्रार्थना को प्रमाणित कर दिया है।

तभी मैंने देखा कि संजीव ने दो बर्तनों पर कुछ रसायनों के साथ कुछ सूखे नारियल के गोले जलाए और पूरी जगह धुंआ भरने लगी । धुएँ की गंध मंदिर के भीतर मिलने वाली गंध की विशिष्ट के जैसी थी?

गुरु जी : ठीक है बेटी। अब मेरे सामने खड़े हो जाओ। मैं इस प्रार्थना के लिए आपका माध्यम हूं। मेरे पास आओ।

मैंने टब में पानी के भीतर गुरुजी के पास होते हुए एक कदम रखा। मेरे पूरे गोल स्तन इस चांदनी वातावरण में मेरे फिगर पर सर्चलाइट की तरह लग रहे थे। गुरूजी ने मुझे मेरे कंधों से पकड़ लिया ।

गुरु-जी: रश्मि , अब जब आपने प्रजनन क्षमता के लिए प्रार्थना की है, तो आपको वास्तव में अपने अंगों को चंद्रमा को अर्पित करके उन्हें उपजाऊ बनाने की आवश्यकता है।

मैं: कैसे गुरु जी?

गुरु जी : हाँ, मैं बताता हूँ। चन्द्रमा की शक्ति इस महायज्ञ के माध्यम से ही स्त्री अंग में प्रवेश कर सकती है। मैं उस शक्ति को प्राप्त करने में तुम्हारी सहायता करूंगा।

गुरुजी ने अपनी ठुड्डी को चंद्रमा की ओर उठाया और हाथ जोड़कर संस्कृत में प्रार्थना करने लगे। मैं इससे ज्यादा कुछ समझ नहीं पा रही थी प्राथना । यह कुछ ही मिनटों में समाप्त हो गयी ।

गुरु-जी: हे चंद्रमा! इस बेचारी को आपकी मदद की जरूरत है। कृपया इसे अपना सर्वश्रेष्ठ आशीर्वाद दें। कृपया इसके यौन अंगों को सशक्त करें ताकि वह मातृत्व का स्वाद चख सके। जय चंद्रमा!

सारा माहौल इतना अध्यात्मवादी था? आधी रात के समय, चांदनी से प्रकाशित रहस्यवादी आंगन, अपने पैरों को ठंडे पानी ke टब में डाले हुए , धुए के मोटे मोटे छल्ले गुरु जी का भारी व्यक्तित्व , संस्कृत के श्लोक गुरु जी का ऊँचा लम्बा शारीरिक कद अद्वितीय खुशबू और रीढ़ की हड्डी तक गूंजती हुई उनकी आवाज से बेशक मैं मंत्रमुग्ध थी ।

गुरु-जी रश्मि आप इस मुकाम पर सफलतापूर्वक आ गए हो, मुझे नहीं लगता कि आपको इस शक्ति को प्राप्त करने में शर्म आएगी. आप का क्या विचार है रश्मि ?

उनकी सार गर्भित आवाज उस रात के सन्नाटे को भेद रही थी और उनसे प्रभावित मैं उनकी बहुत ही आज्ञाकारी हो गयी थी .

मैंने सिर हिलाया, लेकिन गुरु-जी संतुष्ट नहीं लग रहे थे।

गुरु जी : रश्मि जोर से बोलो। आप मेरी बात का जवाब नहीँ दे रहे हो मैं केवल माध्यम हूँ । आप वास्तव में चंद्रमा को उत्तर दे रहे हैं।

मैंने जल्दी से अपनी बाहें जोड़ लीं जैसे कि प्रार्थना में हों। गुरु जी ने अपना प्रश्न दोहराया।

गुरु जी : इस दिव्य शक्ति को प्राप्त करने में क्या आपको शर्म आएगी?

मैं नहीं? मेरा मतलब है कि मैं नहीं करूंगी

गुरु जी : क्या नहीं करोगे

मैं : मैं शरम नहीं करुँगी

गुरु जी : दुबारा बोलो

मैं : मैं नहीं सकुचाउंगी

गुरु जी : अच्छा। क्या आपके शरीर पर टैग लगाए गए हैं?

मैं: जी गुरु जी।

मैंने देखा कि उदय अधिक सूखे नारियल के गोले और रसायनों को बर्तनों में डाल रहा था जिससे धुआं गाढ़ा हो गया।

गुरु जी : तुम्हारे शरीर पर निशान कहाँ हैं?

मेरा गला सूख रहा था। मीनाक्षी द्वारा मेरे अंतरंग शरीर के अंगों पर टैग लगाए गए थे और मुझे अब तीन वयस्क पुरुषों के सामने यह बताने में संकोच हो रहा था। मेरी चुप्पी देखकर गुरुजी अधीर हो रहे थे।

गुरु-जी: रश्मि , समय बर्बाद मत करो। हो सकता है कि बादल फिर से चाँद को छुपा दें और फिर हमारी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी!

यह सच था कि आसमान कुछ साफ हो गया था और हम चंद्रमा को लगातार कुछ समय के लिए देख सकते थे की अब चन्द्रमा किसी भी बादल से ढका नहीं है। मैंने अपने आत्मविश्वास को फिर से बनाने की कोशिश की और अपने शर्मीलेपन को छोड़कर उस सवाल का जवाब दिया।

मैं: टैग? मेरा मतलब? टैग मेरी जांघों, नाभि और.... पर हैं? कूल्हों, और?

मैंने अपना थूक निगल लिया और जारी रखने के लिए अपने होठों को चाटा। मेरे लिए 'जांघ', 'नाभि', और 'कूल्हों' का उच्चारण करना कुछ आसान था, लेकिन 'स्तनों' का उच्चारण करना आसान नहीं था? और? योनि और गांड ? तीन पुरुषों के सामने मेरे लिए ये बहुत कठिन था।

मैं: और मेरे स्तनों और पु पर? और योनि

गुरु जी : ठीक है ! हे चंद्रमा! इस महिला को देखो। वह बड़ी हो गई है! वह पूरी तरह से परिपक्व है! ये शादीशुदा है! आपका आशीर्वाद पाने के लिए उसने अपने यौन अंगों पर पवित्रा टैग लगा लिया है। उसकी मदद करो। जय चंद्रमा!

संजीव और उदय ने कोरस में दोहराया और गुरु-जी उनकी आवाज में गति पकड़ रहे थे।

गुरु-जी: हे चंद्रमा! आपकी शक्ति अनंत है। आपने अपनी प्रजनन क्षमता से बांझो को पवित्र और उर्वर करने की मदद की है। इसे भी आप अपनी दिव्य ऊर्जा से उसे शक्ति प्रदान करें। जय चंद्रमा!

मैं इस पूरे कृत्य से काफी उत्साहित था, लेकिन गुरु-जी द्वारा बोले गए अगले कुछ शब्दों ने मुझे बहुत शर्मसार कर दिया और मैंने अपने पति के अलावा किसी भी पुरुष से अपने बारे में इस तरह के स्पष्ट शब्दों को कभी नहीं सुना था . वह भी तब जब हम अपने बिस्तर पर वैवाहिक शिखर पर थे। ईमानदारी से कहूं तो मेरे पति संभोग के दौरान अपने चरम पर होने पर भी शायद ही इस तरह की गंदी बातें बोलते हैं। लेकिन गुरु जी जैसे महान व्यक्तित्व से मेरे बारे में ऐसी भाषा सुनकर मैं स्तब्ध रह गयी !

जारी रहेगी
 
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aamirhydkhan

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looks like some real action will begin now with rashmi at ashram...

waiting for next update

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xxxlove

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Bahut hi behtreen story.
 

deeppreeti

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औलाद की चाह

CHAPTER 7 - पांचवी रात

चंद्रमा आराधना

अपडेट-02


उर्वर प्राथना


गुरु-जी: हे चंद्रमा! इस बेचारी को देखो और दया करो। उसके पास सब कुछ है, फिर भी इसकी गोद खाली है। उसका एक प्यार करने वाला पति है, फिर भी प्यार का फल नहीं मिला है।

हर बार गुरु जी मुझे एक लड़की कहकर संबोधित कर रहे थे? मैं शर्मा रही थी . निश्चित रूप से इस उम्र में और इतनी विकसित शख्सियत के साथ, मुझे एक लड़की नहीं कहा जा सकता है? लेकिन भगवान के लिए, हम सब उसके बच्चों की तरह ही हैं!

गुरु-जी: हे चंद्रमा! इसके शरीर में यौन शक्ति के पुनरुत्थान को बहाल करें और उसे पूर्णता प्राप्त करने में मदद करें।

गुरु जी ने अचानक आवाज कम कर दी।

गुरु-जी: रश्मि , अपने हाथों को अपने बगल में रखें, अपनी ठुड्डी को ऊपर उठाएँ और गहरी साँसें लें।

मैंने उनके निर्देश का पूरी तरह से पालन किया। गुरूजी ने मेरी तरफ इशारा किया और

गुरु-जी: हे चंद्रमा! इसकी प्रबल इच्छा है की वो माँ बने । उसके पास इच्छा शक्ति है। उसे अपने गर्भ में संतान पैदा करने के लिए बस थोड़ी सी मदद की जरूरत है। उसकी खुशीयो की चाबी आपके हाथ में है। ये चन्द्रमा अपने पवित्र प्रकाश के माध्यम से इसे अपना आशीर्वाद दें! उसे अपना आशीर्वाद दीजिये ।

हालाँकि स्पष्ट रूप से चंद्रमा से ऐसी प्रार्थना करना हास्यास्पद लग रहा था, लेकिन सेटिंग ऐसी थी कि मुझे भी विश्वास होने लगा कि चंद्रमा का पवित्र प्रकाश मेरी यौन शक्ति को रोशन करेगा!

गुरु-जी: हे चंद्रमा! उसके स्तन देखो? वे बहुत चुलबुली, दृढ़ और आकर्षक हैं!

गुरु जी ने सीधे मेरे स्तनों पर अपनी उंगली उठाई! मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं कर सकी ।

गुरु-जी: हे चन्द्रमा इसकी नाभि को देखिये ? यह इतना गहरी है कि कोई भी नर अपनी जीभ उसमें छिपा सकता है! हे चंद्रमा! इसकी जांघों को देखो? वे इतनी अच्छी तरह से विकसित हैं कि रंभा (एक अप्सरा) भी खुद को असुरक्षित महसूस करेंगी, और उनकी नितम्ब ? (कोई भी पुरुष को इसे गांड कहने के लिए उकसाया जाएगा!) हे चंद्रमा! आप इतनी क्रूर कैसे हो सकती हैं कि उसे मातृत्व से वंचित कर दिया, जिसके पास इतनी आकर्षक जवानी है?

मेरे कान पहले से ही लाल थे और मेरे सामने इतनी भद्दी बातें इतनी खुलकर और सीधे बोली जा रही थी, यह सुनकर मैंने तेजी से सांस लेना शुरू कर दिया!




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गुरु-जी: हे चंद्रमा! इसके शरीर पर लगे टैग के माध्यम से अपनी शक्ति इसके शरीर में भेदते हुए प्रदान कीजिये और उसे यौन रूप से शक्तिशाली बनाएं। इसे असीमित यौन लालसा दें! इसके अंगों को अति उत्तम रूप से सक्रिय और उर्वर बनाएं। जय चंद्रमा!

गुरूजी के पीछे पीछे उदय और संजीव ने कोरस में गूँजा दिया और मुझे लगा कि यह अब खत्म हो जाएगा, लेकिन मैं गलत थी ! इसके बाद गुरुजी अब मेरे शरीर के बारे में विस्तार से वर्णन करने लगे और मुझे शर्म से पसीना आ गया।

गुरु-जी: हे चंद्रमा! इसके स्तन पर लगे टैग को चीर दीजिये और इसके निपल्स को अति संवेदनशील बनाएं! हे चंद्रमा! इसकी चूत पर लगे टैग को चीर कर उसे उर्वर शहद से भर दें! हे चंद्रमा! इसकी गांड पर लगे टैग को चीर कर उन्हें और गोल और मांसल बना लें। हे चंद्रमा! उसे एक सेक्स देवी बना दीजिये ।

गुरूजी अब तीव्रता के साथ प्रार्थना कर रहे थे और अपने हाथ आकाश की ओर लहरा रहे थे, मुझे कुछ डर लग रहा था। उनकी लंबी संरचना, आवाज की स्पष्टता, चांदनी रात, और चारों ओर रहस्यवादी धुआं निश्चित रूप से इसमें शामिल था और सीटिंग का मुझपर पूरा असर हो रहा था ।

गुरु-जी: हे चंद्रमा! अब इसे अपनी शक्ति से आशीर्वाद दें। हे चन्द्रमा इसे आपका आशीर्वाद मिले।

एक पल का विराम हुआ और सब कुछ कितना शांत हो गया । गुरुजी टब से बाहर चले गए।

गुरु-जी: रश्मि अब तुम वास्तव में चंद्रमा से शक्ति प्राप्त करोगी ! आपको जो करना है उसे बहुत ध्यान से सुनें।

मैं : जी गुरु-जी?

मैं किसी तरह से जी गुरु-जी!बोलने में कामयाब रही ? इतनी ऊँची और स्पष्ट बातें सुनने के बाद मेरी आँखें स्वाभाविक नारी सुलभ शर्म से नीची हो गईं।



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गुरु जी : आप पहले तब तक प्रतीक्षा करें जब तक कि टब का पानी रुक न जाए ताकि आप उसमें चंद्रमा का प्रतिबिंब स्पष्ट रूप से देख सकें। फिर उन प्रत्येक स्थान पर जहां आपके शरीर पर टैग हैं, 10 सेकंड के लिए सीधी चांदनी प्राप्त करें। पहले आप अपने अंग को 10 सेकंड के लिए अपने हाथ से दबाएंगे और फिर इसे अगले 10 सेकंड के लिए चंद्रमा के प्रभाव से सशक्त बनने के लिए छोड़ देंगे। और पूरी प्रक्रिया के दौरान केवल जय चंद्रमा का जाप जोर से और स्पष्ट रूप से करे । ठीक है रश्मि ?

मैं थोड़ा भ्रमित था और सबसे मूर्खतापूर्ण सवाल पूछने के लिए हकलायी ।

मैं: लेकिन गुरु-जी, सीधी चांदनी पाने के लिए? मेरा मतलब है प्रत्यक्ष प्रकाश? अरे ? मुझे खोलना होगा ? मेरा मतलब?

गुरु-जी : रश्मि , जो करना है, करना है। हां, शरीर पर सीधी चांदनी पाने के लिए आपको जरूरत पड़ने पर अपनी चोली खोलनी होगी। आपके लिए क्या अधिक महत्वपूर्ण है? मुझे साफ साफ बताओ।

गुरूजी लगभग गरजने लगे और मैं बहुत डर गयी ।

मैं: नहीं, नहीं गुरु जी। मेरा वह मतलब नहीं था।

गुरु जी : तो क्या?

मैं: ठीक है गुरु जी। मैं इसे कर रही हूं।



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मैंने नम्रता से कहा की मैं करुँगी और तीन पुरुषो के सामने अपनी चोली खोलूंगी ,और इसमें मेरी स्कर्ट का जिक्र नहीं हुआ !

गुरु-जी: बढ़िया ? ये बेहतर है। यहां आप फर्टिलिटी गॉड को प्रसन्न कर रही हो और कोई स्ट्रिपटीज नहीं कर रहे हैं जिससे आपको शर्म आएगी।

गुरु जी का लहजा नाटकीय रूप से बदल गया था और यह इतना प्रभावशाली था कि मेरे दिल की धड़कन तेज हो रही थी।

गुरुजी से ऐसी बातें सुनकर मैं दंग रह गया और विशेष रूप से उदय और संजीव की उपस्थिति में मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई। मैं इन मर्दों की आंखों के सामने इस माइक्रोमिनी ड्रेस में पहले से ही आधी नंगी थी और अब शायद मुझे पूरी स्ट्रिपटीज करनी है!

टब में पानी कम हो गया था परन्तु अभी भी काफी था। पानी में पूर्णिमा का चांद भी साफ दिखाई दे रहा था।

मैं: गुरु-जी, क्या मैं आगे बढ़ूँ?

गुरु जी ने सिर्फ यह जाँचने के लिए कदम बढ़ाया कि टब में पानी बिल्कुल स्थिर है या नहीं और संतुष्ट होकर मुझे अनुमति दी।

गुरु जी : टैग मत खोलना । चन्द्रमा की शक्ति उन पवित्र कागजों की पट्टियों में छेद कर देगी।

मैं: ठीक है।

गुरु-जी: मैं आपको निर्देश दूंगा और आपको वैसा ही करना है !

जारी रहेगी
 
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