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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-44

एक्टिंग-सीन की शूटिंग में निर्देशक ने मुझे समझाया


जब वह मुझे सम्बोधित कर रहा था तो मुझे ऊपर देखना पड़ा। मिस्टर मंगेश: बहुत अच्छा रश्मी... बहुत अच्छा!

मैं बहुत मूर्खतापूर्ण ढंग से मुस्कुरायी । चूँकि मेरी ब्रा लगभग पूरी तरह से विस्थापित हो गई थी, मेरे स्तनों के गुलाबी-लाल गोलाकार क्षेत्र आंशिक रूप से मेरी पार की हुई कोहनियों के माध्यम से दिखाई दे रहे थे और वास्तव में मैं बेहद उत्तेजक लग रही थी।

श्री मंगेश: ठीक है... हमने शूटिंग वहाँ रोकी थी जहाँ प्यारेमोहन जी, आप अपना चेहरा रश्मी के मम्मों पर रगड़ रहे थे-ठीक है?

मुझे और अधिक शर्मिंदगी महसूस हुई जब श्री मंगेश ने "माम्मे" शब्द का इस्तेमाल किया-यह किसी भी महिला के लिए इतना सीधा और अंतरंग शब्द था और इसे ज़ोर से सुनने से मेरा चेहरा और कान तुरंत लाल हो गए!

मिस्टर मंगेश (मिस्टर प्यारेमोहन की ओर देखते हुए) : ...और आगे तुम उसका पेटीकोट उतारोगे जैसा मैंने तुम्हें दिखाया था। सही? लेकिन... उम्म्म्म... मुझे सोचने दो... मेरे दिमाग में कुछ नया है जो दृश्य को और अधिक आकर्षक बना सकता है। सही! खैर, चलिए इसे थोड़ा अलग तरीके से करते हैं!

प्यारेमोहन: कैसे?

श्री मंगेश: प्यारेमोहन जी आइए इसमें एक छोटा-सा पीछा करने का सून डालते हैं ... रश्मि सोफे पर है और कपड़े उतारना इसके साथ-साथ चलेगा। उम्म... मुझे समझाने दो... रश्मि स्वाभाविक रूप से आपके शरीर के नीचे संघर्ष करती हुई दिखाई देती है और अचानक वह आपको लात मारती है और आप एक तरफ गिर जाते हैं। वह आपके चंगुल से निकलने की कोशिश करती है और खुद ही अपने हाथों और पैरों के बल चलकर आपसे दूर हो जाती है। आप फिर से उसके पीछे कूदते हैं और उसे पीछे से पकड़ लेते हैं-प्यारेमोहन जी आप दृश्य की कल्पना कर सकते हैं? रश्मी तुम भी ध्यान से सुनो।

हम दोनों ने सिर हिलाया।

मिस्टर प्यारेमोहन: रश्मी, तुम जानवरो की तरह अपने हाथों और पैरों पर संतुलन बनाकर भागने की कोशिश कर रही हो। ठीक है? प्यारेमोहन-जी, आप उस पर पीछे से हमला करने की कोशिश करते हैं और मूल रूप से आप केवल उसकी गांड और उसके पैरों का पिछला हिस्सा ही देख सकते हैं... ठीक है? आप उसकी गांड पर चढ़ जाते हैं और अपना नियंत्रण पाने की कोशिश करते हैं... ठीक है? और यहाँ रश्मि आप दोनों में एक छोटी-सी झड़प होती है और अंततः प्यारेमोहन जी आपकी ब्रा छीन लेते हैं और फिर आपका पेटीकोट भी खींच देते हैं। यही क्रम है क्या मैं स्पष्ट हूँ?

मैं: एह! क्या-क्या कह रहे हो!

हालाँकि निर्देशक ने लगभग वही कहा जो उन्होंने अभी-अभी पूरी हुई रिहर्सल में कहा था, मैं जो सुन रही थी उस पर मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था! मैंने अनायास प्रतिक्रिया व्यक्त की! हालाँकि मैं यौन रूप से अत्यधिक उत्तेजित थी और ईमानदारी से कहूँ तो "और अधिक" चाहती थी, निर्देशक के शब्दों ने मानो मेरे मन में कुछ अलार्म जगा दिया।

मैं: मैं कैसे... मेरा मतलब है... नहीं नहीं!

मिस्टर मंगेश: रश्मी, रश्मी चलो भी! यह क्या है? आप ऐसे प्रतिक्रिया दे रही हैं जैसे मैं आपसे पूछ रहा हूँ अब पूरी तरह से नग्न हो जाओ?

मैं: लेकिन... लेकिन... अगर मुझसे मेरा... मेरा मतलब... छीन लिया गया तो...सॉरी । फिर क्या होगा। मेरे शरीर पर अब कुछ नहीं रहा हो? (मैं अचानक इतनी चिंतित हो गयी कि मेरी आवाज कांपने लगी!)

डायरेक्टर मेरे पास आये और मेरे नंगे कंधे को दबाया। उसका गर्म हाथ मेरे ठंडे कंधे पर बहुत अच्छा लग रहा था। मैने उसकी तरफ देखा।

श्री मंगेश: रश्मी, मैं आपकी चिंता की सराहना करता हूँ, लेकिन साथ ही मैं इस दुष्कर्म के प्रयास के दृश्य के फिल्मांकन को इतना वास्तविक बनाने के लिए आप जो अच्छा काम कर रही हो, मैं उसका श्रेय आपसे छीनना नहीं चाहता!

मैं: लेकिन... मैं नहीं कर सकती ... मेरा मतलब है कि मैं यह नहीं कर सकती ... कृपया...!

निर्देशक अब सोफे पर बैठ गया और सीधे मेरी आँखों में देखने लगा। मुझे स्पष्ट रूप से फिर से कुछ हद तक "कमजोरी" महसूस हुई। उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और उसने एक हाथ से मेरी आँखें बंद कर दीं और मेरे होंठों पर अपनी उंगली रख दी और मेरे मुलायम होंठों पर अपनी उंगली फिराते हुए मेरे होंठों को महसूस करने लगा।

मिस्टर मंगेश: (फुसफुसाते हुए) मेरी बात ध्यान से सुनो रश्मी। आपको केवल इतना-सा ही काम करने की ज़रूरत है-बस आप इन दृश्यों का आनंद लें। बस इतना ही। आप सोचो अब आपकी स्थिति क्या है? क्या आप पर्याप्त रूप से उजागर नहीं हो चुकी हो? क्या मैं तुम्हारे स्तन नहीं देख सकता? तब? जरा सोचिए कि आप एक दृश्य का अभिनय कर रही हैं और उसे वास्तविक बनाने के लिए आप अपने प्रयास कर रही हो। मैं उस दुष्कर्म के प्रयास के दृश्य के फिल्मांकन को उस समय कैसे समाप्त कर सकता हूँ जहाँ आप अभी भी अपनी ब्रा और पेटीकोट पहने हुुइ हैं। आप मुझे बताएँ...

वह थोड़ा रुका। मैं उसकी बात सुन रही थी और उत्सुकता से उसकी उंगली को अपने मुलायम होठों पर महसूस कर रही थी। उसने अब धीरे से अपनी उंगली मेरे होंठों के बीच दबा दी और सच कहूँ तो मैं यही चाहती थी । मैंने तत्परता से उसकी उंगली पकड़ ली और उसे अपने होंठों से कसकर दबाते हुए जोर-जोर से चूसने लगी। मैं निश्चित रूप से एक टॉप-रेटेड वेश्या की तरह लग रही थी जो सोफे पर बैठी उसकी उंगली चूस रही थी, जबकि मेरे बड़े स्तन मेरी ब्रा से लगभग पूरी तरह से बाहर खुले हुए थे! वह कानाफूसी करता रहा!

श्री मंगेश: तो, बस मेरे निर्देशों का पालन करें और इस का आनंद लें! आनंद ही अभिनय का सच्चा प्रतीक है। यह मेरे लिए केवल एक दुष्कर्म के प्रयास के दृश्य का फिल्मांकन है, लेकिन आपको इसका आनंद लेना चाहिए ना... आप मुझे आपको आनंद की नई ऊंचाइयों पर ले जाने की अनुमति दें। यदि आप शांत हैं, तो आप वास्तविक चीज़ का आनंद कैसे ले सकती हैं? उम्म? तुम कोई अपराध नहीं कर रही हो... तुम सिर्फ नाटक कर रही हो रश्मि। इसके अलावा, जब आप 100% जानते हैं कि मैं विज्ञापन में आपका खुला शरीर नहीं दिखा सकता और जो दृश्य प्रदर्शित होगा उसमे हमे इसे छुपाना होगा, तो फिर आप परेशान क्यों हों? और आप यह भी जानते हैं कि प्राकृतिक भाव आपके चेहरे पर तभी झलकते हैं जब आपको प्राकृतिक रूप से उत्तेजित किया जाता है।

यही है ना और मेरी प्रिय रश्मि उसके लिए अगर तुम अपने कपड़े भी उतार दो तो कोई नुक्सान नहीं है । ठीक है?

मुझे नहीं पता कि मैं कैसे आश्वस्त हो गयी, लेकिन उसके लंबे फुसफुसाहट वाले संदेश के बाद मुझे आश्वस्त महसूस हुआ!

मिस्टर मंगेश ने अब अपनी उंगली मेरे मुँह से निकाली और मुझे दिखाई। उसकी उंगली मेरी गर्म लार से स्वाभाविक रूप से चमक रही थी! अब वह अपनी उंगली चाटने लगा और उस पर लगे मेरे थूक का स्वाद ले रहा था। वह मुस्कुरा रहा था और मैं भी जवाब में बेशर्मी से मुस्कुरा दी।

मेरा कामुक व्यवहार मेरे रूढ़िवादी आचरण पर भारी पड़ रहा था!

उसने मेरी दोनों बाँहें पकड़ लीं, जो मेरी छाती पर क्रॉस थीं और उसने धीरे से उन्हें अलग कर दिया जिससे मेरे स्तन उजागर हो गए। मेरा दाहिना स्तन मेरी खुली हुई ब्रा से लगभग पूरा बाहर था और वास्तव में मेरा दाहिना निपल कप से बाहर अपना सिर निकाल रहा था! उसका चेहरा मेरी ठुड्डी के बिल्कुल करीब आ गया और... हाँ... हाँ, मैं निश्चित रूप से उससे एक चुम्बन की उम्मीद कर रही थी और उसकी दाढ़ी का अहसास फिर से पाने के लिए तरस रही थी!

मेरी इंद्रियों ने काम करना बंद कर दिया था और ऐसा लग रहा था जैसे मैं पूरी तरह से भूल गयी हूँ कि मैं कौन हूँ, मैं कहाँ हूँ और मैं किसके साथ हूँ, यह उसकी "फुसफुसाहट" की शक्ति और उस समय मेरी यौन इच्छा की इच्छा थी। मैं उसके होंठों का स्वाद चखने के लिए अपना चेहरा करीब ले गया और निर्देशक ने मुझे आसानी से फँसा लिया!

उन्होंने मुझे सीधा लिप-टू-लिप चुंबन दिया, जिसने वास्तव में मुझे यौन इच्छाओं के प्रति उत्तेजित कर दिया और शायद निर्देशक भी यही चाहते थे! जब वह मुझे छोड़कर खड़ा हुआ तो मुझे उसकी पैंट के नीचे का उभार साफ़ पता चल रहा था।

श्री मंगेश: ठीक है, प्यारेमोहन जी, आप अपनी पुरानी स्थिति ले लीजिए। रश्मी, तुम सोफे पर पहले की तरह लेट जाओ।

सोफे पर दोबारा लेटने से पहले मैंने अनजाने में दोनों पुरुषों के सामने अपनी चूत खुजलाई। निर्देशक ने मेरी ब्रा को समायोजित किया और मेरे पेटीकोट का गाँठ बाँधी और मुझे शॉट के लिए तैयार किया।




RASHMI-BATH
श्री मंगेश (बिना एक पल भी समय बर्बाद किये) : एक्शन!

फिर निर्देशक के बाद मुझे दुसरे पुरुष ने छुआ; जाहिर है जैसे ही श्री प्यारेमोहन ने मुझे छुआ, मुझे तुरंत झटका लगा। वह मेरी कमर पर बैठ गया और सीधे मेरे सीधे मम्मों पर हाथ रख दिया और उन्हें मसलने लगा! अब दोनों पुरुषों को मेरे अंतरंग अंगों को छूने में कोई झिझक नहीं थी!

मिस्टर मंगेश: रश्मी, तुम उसे अपने हाथों से रोकने की कोशिश करो।

मैं इतना दयनीय और कमज़ोर महसूस कर रही थी कि मुझे निर्देशक के आदेश का पालन करने के लिए कुछ ताकत जुटानी पड़ी।

मिस्टर मंगेश: चलो रश्मी! अच्छे से करो ना!



RASHMI-2

मैंने उसके हाथों को रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन मैं अत्यधिक उत्साहित अवस्था में इतनी बहक गयी थी कि मैं ठीक से अभिनय नहीं कर सकी। मिस्टर प्यारेमोहन ने पहले से ही अपने हाथ मेरी ब्रा के अंदर डाले हुए थे और अपनी उंगलियों से मेरे गर्म निपल्स को दबा रहे थे और थपथपा रहे थे। निर्देशक स्वाभाविक रूप से अधीर हो रहा था और उसने अपने निर्देश को एक बार फिर दोहराया, वह काफी चिढ़ गया था!

श्री मंगेश: हुंह! एक काम कर! प्यारेमोहन-जी... बस...बस कुतिया को थप्पड़ मारो! इससे वह होश में आ जायेगी!

इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती मुझे अपने बाएँ गाल पर एक जोरदार तमाचा महसूस हुआ। मैं पीड़ा से चिल्लायी और थप्पड़ की अचानक मार से बहुत खाली महसूस कर रही थी । मैं कुछ सेकंड तक प्रतिक्रिया नहीं कर सकी और श्री प्यारेमोहन के शरीर के नीचे निश्चल पड़ा रही।

मैं: ये क्या है? क्या...!

मैंने विरोध स्वरूप अपने शरीर को सोफे से उठाने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं कर सकी क्योंकि श्री प्यारेमोहन ने मुझे सोफे पर पीछे धकेल दिया और मुझे फिर से थप्पड़ मारा!

मैं: आआआआआ!



जारी रहेगी
 
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औलाद की चाह

INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा

बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन -
परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवा दिन परिकर्मा

CHAPTER 8 - छठा दिन लिंग पूजा

CHAPTER 9 - छठा दिन योनि पूजा

CHAPTER 10 - सातवा दिन महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12
समापन
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औलाद की चाह

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-45


एक्टिंग-दुष्कर्म और प्रताडन के प्रयास के सीन की शूटिंग

श्री मंगेश (बिना एक पल भी समय बर्बाद किये) : एक्शन!

फिर निर्देशक के बाद मुझे दुसरे पुरुष ने छुआ; जाहिर है जैसे ही श्री प्यारेमोहन ने मुझे छुआ, मुझे तुरंत झटका लगा। वह मेरी कमर पर बैठ गया और सीधे मेरे सीधे मम्मों पर हाथ रख दिया और उन्हें मसलने लगा! अब दोनों पुरुषों को मेरे अंतरंग अंगों को छूने में कोई झिझक नहीं थी!

मिस्टर मंगेश: रश्मी, तुम उसे अपने हाथों से रोकने की कोशिश करो।

मैं इतना दयनीय और कमज़ोर महसूस कर रही थी कि मुझे निर्देशक के आदेश का पालन करने के लिए कुछ ताकत जुटानी पड़ी।

मिस्टर मंगेश: चलो रश्मी! अच्छे से करो ना!

मैंने उसके हाथों को रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन मैं अत्यधिक उत्साहित अवस्था में इतनी बहक गयी थी कि मैं ठीक से अभिनय नहीं कर सकी। मिस्टर प्यारेमोहन ने पहले से ही अपने हाथ मेरी ब्रा के अंदर डाले हुए थे और अपनी उंगलियों से मेरे गर्म निपल्स को दबा रहे थे और थपथपा रहे थे। निर्देशक स्वाभाविक रूप से अधीर हो रहा था और उसने अपने निर्देश को एक बार फिर दोहराया, वह काफी चिढ़ गया था!

श्री मंगेश: हुंह! एक काम कर! प्यारेमोहन-जी... बस...बस इस कुतिया को थप्पड़ मारो! इससे वह होश में आ जायेगी!

इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती मुझे अपने बाएँ गाल पर एक जोरदार तमाचा महसूस हुआ। मैं पीड़ा से चिल्लायी और थप्पड़ की अचानक मार से बहुत खाली महसूस कर रही थी। मैं कुछ सेकंड तक प्रतिक्रिया नहीं कर सकी और श्री प्यारेमोहन के शरीर के नीचे निश्चल पड़ा रही।

मैं: ये क्या है? क्या...!

मैंने विरोध स्वरूप अपने शरीर को सोफे से उठाने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं कर सकी क्योंकि श्री प्यारेमोहन ने मुझे सोफे पर पीछे धकेल दिया और मुझे फिर से थप्पड़ मारा!

मैं: आआआआआ!

मैं चौंक पड़ी! उसकी मुझे इस तरह थप्पड़ मारने की हिम्मत कैसे हुई! क्या मैं उसकी रखैल थी ये सब क्या ...?

मुझे तुरंत बहुत गुस्सा आया और मैंने उस पर पलटवार करने की कोशिश की। हालाँकि वह मोटा था, लेकिन वह काफी तेज़ था और मेरे लहराते हाथ से बच गया। चूँकि मैं अभी भी सोफे पर लेटी हुई थी और व्यावहारिक रूप से उसके शरीर के नीचे थी, इसलिए मेरे लिए उस पर पलटवार करना काफी मुश्किल था। लेकिन मैब मैंने उसकी गिरफ्त से निकले का जोरदार प्रयास किया ।

मैं: सूअर! तुम्हारी ऐसा करने की हिम्मत कैसे हुई?

हमारे हाथो के प्रहारों और शब्दों के आदान-प्रदान गर्म होते जा रहे थे और यह पूरा प्रकरण निश्चित रूप से योजनाबद्ध नहीं था! डायरेक्टर ने भी कोई हस्तक्षेप नहीं किया और सबकुछ फिल्मा रहे थे।

प्यारेमोहन-बस चुपचाप लेट जाओ रंडी और अपना गंदा मुँह बंद रखो, नहीं तो मैं अपना लंड डाल दूँगा... कुतिया साली!

उसने अब व्यावहारिक रूप से मुझ पर हमला कर दिया था और मेरे पूरे शरीर पर हमला कर दिया था। मैंने जवाबी कार्यवाही करने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसकी अपार ताकत पर काबू पाने में असफल रही। उसका शरीर मुझ पर दब गया और उसने एक हाथ से मेरे हाथ पकड़ लिए और मेरी ब्रा को इतनी जोर से खींचा और खींचा कि हुक टूट गया और ब्रा पूरी तरह से उसके हाथों में आ गई, जिससे मैं उसके सामने बिल्कुल टॉपलेस हो गई। श्री प्यारेमोहन मेरे 34 आकार के धड़कते गेहुंए रंग के उजागर स्तनों की सुंदरता को देखकर एक पल के लिए निश्चल हो गए, साथ ही मेरे गुलाबी-लाल निपल्स बहुत गर्व से खड़े होकर मेरी पूरी तरह से उत्साहित स्थिति का चित्रण कर रहे थे।

प्यारेमोहन: वाह! क्या सीन है! ओह ओ!

वह बार-बार मेरे खुले स्तनों को देख रहा था और तरह-तरह की अश्लील टिप्पणियाँ कर रहा था, जबकि मैं अपनी बाहों को उसके मजबूत चंगुल से मुक्त कराने के लिए संघर्ष कर रही थी।

मैं: बेवकूफ़... मुझे छोड़ो! मुझे छोड़ो मैं तुमसे कहती हूँ... छोड़ दो मुझे! ...आआआह!

उसने मेरी ब्रा को कमरे के कोने में फेंक दिया और मेरे शरीर पर झुक गया। उसने मेरी बाँहें छोड़ दीं और खुलेआम मेरे बड़े-बड़े ठोस नग्न स्तनों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और दबाने लगा। मैंने उसे अपनी बाहों से मारने की कोशिश की, लेकिन उससे छुटकारा पाने का यह तरीका, मेरा ये प्रयास उसकी ताकत के आगे बहुत कमज़ोर था।

मैं: उउउउउउउइओइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ आआआआआआआआआआआ... माआआ!

हालाँकि मैंने आज़ाद होने के लिए संघर्ष किया, चूँकि मेरे स्तन पूरी तरह से खुले हो गए थे और मुझे वहाँ पूरी तरह से मालिश मिल रही थी, मैंने खुद को वहाँ से कहीं भी जाते हुए नहीं देखा, सिवाय इसके कि मैं आसानी से हार मान लूँ! मैंने तरह-तरह की आवाजें निकालनी शुरू कर दीं और मेरे शरीर ने श्री प्यारेमोहन के कसते दबावों का जवाब देते हुए मेरे संघर्ष ने सेक्सी मुद्राएँ प्रदर्शित कीं। मैं निश्चित रूप से वेश्या की तरह व्यवहार कर रही थी।

मेरे अंदर का क्षणिक गुस्सा तेजी से मेरे यौन आवेग पर हावी हो रहा था। हालाँकि मेरे गाल अभी भी थप्पड़ों के कारण जल रहे थे, लेकिन जिस तरह से वह लयबद्ध तरीके से मेरे तंग स्तनों को निचोड़ रहा था, वह वास्तव में थप्पड़ों के लिए एक बाम की तरह काम कर रहा था! मिस्टर प्यारेमोहन मेरे निपल्स को शरारत से मरोड़ रहे थे और शायद मुझे और अधिक उत्तेजित करने के लिए उन्होंने अपनी लुंगी भी खोल दी और पूरी तरह से नग्न हो गये! जैसे-जैसे क्षण बीतते गए, मेरा गुस्सा कम होता गया और मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने स्तनों पर इस सेक्सी मालिश का आनंद ले रही थी।

मुझे नहीं पता था कि ऐसा कितनी देर तक चलता रहा जब तक कि मैंने निर्देशक को मुझे बुलाते हुए नहीं सुना! मिस्टर मंगेश: रश्मी...रश्मि...उठो अब उठो!

जैसे ही मैंने निर्देशक की ओर देखा, मैंने पाया कि मिस्टर प्यारेमोहन मेरे शरीर से नीचे उतर रहे हैं।

मिस्टर मंगेश: चलो...उठो...उठो...रश्मि तुम बहुत अच्छा काम कर रही हो! मैं चाहता हूँ अब तुम भागो और प्यारेमोहन जी आप अभी रश्मि का पीछा करो!

मैं: लेकिन-लेकिन उसने मुझे ऐसा थप्पड़ मारा!

मंगेश: रश्मि तुम फिर भूल गयी ये जबरदस्ती का प्रयास है ... इसमें व तम्हारे साथ थड़ा बल पययग टी करेगा ही । ये कोमल कैसे हो सकता है ... आवर इसका नतीजा देखा तुमने ... तुमने कितनी अच्छी प्रतिक्रिया दी ... तुमने शानदार अभिनय किया!

मैं लेकिन सर ...!

श्री मंगेश: उफ़! रश्मी... अगर उसने ऐसा नहीं किया होता तो आपकी ओर से स्वाभाविक प्रतिक्रिया कैसे आती... यह आपके अभिनय का एक सबसे बेहतरीन नमूना था... बिल्कुल वास्तविक! आपने बहुत अच्छा किया! वाह!

श्री प्यारेमोहन: मैडम, क्षमा करें, लेकिन इस दृश्य के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा...कृपया मुझे क्षमा करें...

कुछ ही मिनटों में उसके रवैये में बदलाव देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ! और अपनी तारीफ सुन मुझे ख़ुशी हुई!

मैं: हुंह!

मैंने एक तरफ देखा क्योंकि मैं अभी भी अपने गालों पर उसके थप्पड़ों को निगलने में असमर्थ थी।

श्री मंगेश: रश्मि! क्या हम आगे बढ़ सकते हैं...रश्मि, अब अपने पैर मोड़ो और प्यारेमोहन जी को लात मारो और अपने हाथों और पैरों पर चलकर भागने की कोशिश करो। ठीक है? सोफ़े से नीचे मत उतरना, ठीक है?

मैं: (बेशक मैं अपनी पूरी टॉपलेस स्थिति के प्रति बहुत सचेत थी) लेकिन... लेकिन... इस तरह?

श्री मंगेश: यह एक बहुत ही संक्षिप्त शॉट है क्योंकि जल्द ही आप क्लाइमेक्स शॉट के लिए फिर से प्यारेमोहन जी के शरीर के नीचे होंगी। इसलिए अपनी शर्म छोड़ें और शॉट में शामिल हो जाएँ। अपने चेहरे पर वह अजीब भाव लाओ! यह आदमी तुम्हें **** (प्रताड़ित) करने की कोशिश कर रहा है... क्या तुम मुझे समझ रहे हो? चलो भी! चलो भी!

निर्देशक जल्दबाजी कर रहा था और मैं अच्छी तरह से समझ गयी थी कि मुझे उस दृश्य को वैसा ही निभाना पड़ेगा जैसा वह चाहता था।

श्री मंगेश: प्यारेमोहन जी... तैयार हो जाइये। रश्मी तुम्हें लात मारेगी और तुम सोफे से गिर जाओगे। फिर जल्दी से वापस आएँ और उस पर कूदें। ठीक है?

श्री प्यारेमोहन ने तुरंत अपना सिर हिलाया और निर्देशक ने फिर चिल्लाकर कहा "एक्शन!"

इन मर्दों के सामने टॉपलेस हालत में होना मुझे बहुत कचोट रहा था और मेरे बड़े-बड़े नग्न स्तन बहुत ही कामुक और आकर्षक तरीके से हिल रहे थे और मुझे और भी शर्मसार कर रहे थे। मैंने किसी तरह सारी ताकत इकट्ठी की और अपने पैरों को मोड़कर मेरे शरीर पर मौजूद मिस्टर प्यारेमोहन को एक लात मारी और वह लुढ़ककर सोफे से गिर गए। निश्चित रूप से मेरी लात इतनी मजबूत नहीं थी कि उस मोटे आदमी को इतनी आसानी से मेरे शरीर से हटा पाती, लेकिन उसने ऐसा व्यवहार किया कि वह बिल्कुल वैसा ही लग रहा था जैसा कि निर्देशक ने सुझाव दिया था, मैं उठी और जानवर की तरह चार पैरों पर चलना शुरू कर दिया।

हे! हे भगवान! ऐसा कैसे किया जा सकता था! मैं ऐसे कैसे कर सकती हूँ ।

मेरे स्तनों पर कोई आवरण नहीं था, जैसे ही मैं बंदर के चलने की मुद्रा में झुकी, मेरे बड़े ग्लोब हवा में लटक गए और बहुत आकर्षक ढंग से लहराने लगे और मैं अद्भुत लग रही थी। मैं समझ नहीं पा रही थी कि मैं अपने स्वतंत्र लटकते स्तनों की हरकत को कैसे नियंत्रित करूँ!

श्री मंगेश: बहुत बढ़िया पोज रश्मी! अब अपने हाथों के बल चलना शुरू करें। गोलाकार तरीके से घूमें ताकि आप सोफ़े से बाहर न जाएँ... बिलकुल ठीक ...ऐसे ही ...ठीक है... ठीक है।

मैं बहुत ज़ोर से साँस ले रही थी और बहुत चिंतित हो रही थी क्योंकि मुझे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि मैं उन पुरुषों को कितना अशोभनीय सेक्सी और आकर्षक लग रही होगी! मैंने अपने हाथों और पैरों पर खुद को संतुलित किया और अपना चलना जारी रखा, इस समय तक, श्री प्यारेमोहन भी फर्श से उठ चुके थे और वह फिर से मुझ पर कूद पड़े और मेरे पैर पकड़ लिए और मुझे अपनी ओर खींचने लगे।

मंगेश: मदद के लिए चिल्लाओ रश्मी... अपने पैर फेंको... बस इसे यथार्थवादी बनाओ! सच्चे वह तुमसे जबरदस्ती कर रहा है । प्यारेमोहन जी आप थोड़ा बल प्रयोग करो!

मैंने यथासंभव निर्देशक की बात मानी और ऐसा दिखाने की कोशिश की मानो मिस्टर प्यारेमोहन ने

बल प्रयोग से सचमुच मुझे परेशान किया हो।

मैं: बचाओ ...! मदद करो! और चिलाते हुए अपने पैर हिलाने लगी ...!

प्यारेमोहन: साली कुतिया! चुप कर! अब देखता हूँ कौन बचाता है तुझे!

श्री मंगेश: वाह! बहुत बढ़िया... बहुत बढ़िया रश्मी, बहुत खूब! रश्मि तुम ऐसे ही रहो । कट ...प्यारेमोहन जी आप उतरिये । मैं आपके बताता हूँ आप को थोड़ा इस प्रकार करना होगा । रश्मि आपको हलके से बचने का प्रयास करते रहना है । याद रखना रश्मि आपको सोफे से नहीं उतरना है ।

अब प्यारे मोहन जी उतरे और मंगेश कूद कर मेरे ऊपर आ गया । आवर उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा । और वह प्यारेमोहन जी आप को रश्मि पर ऐसे कूद पड़ना है और उसे पकड़ने में थोड़ा बल प्रयोग करना है ...फिर मंगेश ने मेरे पैर पकड़ लिए और मुझे बलपूर्वक अपनी ओर खींचने लगे। मैं छूटने का प्रयास करने लगी ।

फिर मैंने महसूस किया अब मंगेश भी प्यारेमोहन जितने ही-ही उत्साहित थे क्योंकि उनका लिंग भी उत्तेजित हो कड़ा हो गया था और वह अपनी मर्दानगी को मेरे नितंबों की दरार में और दबाब के साथ धकेल रहे थे, लेकिन स्वाभिक तौर पर इस कारण से ज्यादा आगे नहीं बढ़ पा रहे थे, क्योंकि मैंने अभी भी अपना पेटीकोट और पैंटी पहनी हुई थी।

मंगेश: यहाँ रश्मि तुम मदद के लिए चिल्लाओगी ... अपने पैर फेंकोगी इस प्रकार करोगी की कोई तुमसे वास्तव में जबरदस्ती सेक्स करने की कोशिश कर रहा है और तू उससे बचने की कोशिश करोगी । प्यारेमोहन जी आप थोड़ा अधिक बल प्रयोग कर उसे काबू में करने की कॉसिश करेंगे!

जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-46


एक्टिंग-दुष्कर्म और प्रताडन के प्रयास में नग्नता

श्री मंगेश: वाह! बहुत बढ़िया... बहुत बढ़िया रश्मी, बहुत खूब! रश्मि तुम ऐसे ही रहो। कट ...प्यारेमोहन जी आप उतरिये। मैं आपके बताता हूँ आप को थोड़ा इस प्रकार करना होगा। रश्मि आपको हलके से बचने का प्रयास करते रहना है। याद रखना रश्मि आपको सोफे से नहीं उतरना है।

अब प्यारे मोहन जी उतरे और मंगेश कूद कर मेरे ऊपर आ गया। आवर उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा और वह प्यारेमोहन जी आप को रश्मि पर ऐसे कूद पड़ना है और उसे पकड़ने में थोड़ा बल प्रयोग करना है ...फिर मंगेश ने मेरे पैर पकड़ लिए और मुझे बलपूर्वक अपनी ओर खींचने लगे। मैं छूटने का प्रयास करने लगी।

फिर मैंने महसूस किया अब मंगेश भी प्यारेमोहन जितने ही-ही उत्साहित थे क्योंकि उनका लिंग भी उत्तेजित हो कड़ा हो गया था और वह अपनी मर्दानगी को मेरे नितंबों की दरार में और दबाब के साथ धकेल रहे थे, लेकिन स्वाभिक तौर पर इस कारण से ज्यादा आगे नहीं बढ़ पा रहे थे, क्योंकि मैंने अभी भी अपना पेटीकोट और पैंटी पहनी हुई थी।

मंगेश: यहाँ रश्मि तुम मदद के लिए चिल्लाओगी ... अपने पैर फेंकोगी इस प्रकार करोगी की कोई तुमसे वास्तव में जबरदस्ती सेक्स करने की कोशिश कर रहा है और तू उससे बचने की कोशिश करोगी। प्यारेमोहन जी आप थोड़ा अधिक बल प्रयोग कर उसे काबू में करने की कॉसिश करेंगे!

फिर निर्देशक ने थोड़ा झुक कर मेरे स्तन दबाये और बोलै बाकी सब ठीक है प्यारे मोहन जी ये इस तरह से दबाये ताकि मैं आपके द्वारे स्तन दबाने को ठीक से शूट कर सकूँ। फिर निर्देशक नीचे उतरा।

श्री मंगेश (बिना एक पल भी समय बर्बाद किये) : एक्शन!

और प्यारेमोहन जी कूद कर मेरे ऊपर आ गया। उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा और थोड़ा और अधिक बल प्रयोग करते हुए मुझे पकड़ा ...फिर मेरे पति कोट को खींचा और मंगेश ने मेरे पैर पकड़ लिए और मुझे बलपूर्वक अपनी ओर खींचने लगे। मैं छूटने का प्रयास करने लगी।

फिर मैंने महसूस किया अब प्यारेमोहन पहले से भी अधिक उत्साहित थे क्योंकि उनका लिंग बिकुल कड़ा हो गया था और वह अपनी मर्दानगी को मेरे नितंबों की दरार में पूरे दबाब के साथ धकेल रहे थे, ऐसा लगा कही उनका लिंग मेरा पेटीकोट फाड़ कर आगे न बढ़ जाए लेकिन स्वाभिक तौर पर क्योंकि मैंने अभी भी अपना पेटीकोट और पैंटी पहनी हुई थी वह आगे नहीं बढ़ पाया।

मैं मदद के लिए चिल्लायी ... अपने पैर इस प्रकार चलाये जिससे मैंने छूटने की कोशिश की और। प्यारेमोहन जी ने आप थोड़ा अधिक बल प्रयोग कर मुझे काबू में करने की कॉसिश की!

मैंने यथासंभव निर्देशक की बात मानी और ऐसा दिखाने की कोशिश की मानो मिस्टर प्यारेमोहन ने बल प्रयोग से सचमुच मुझे परेशान किया हो।

मैं: बचाओ ...! मदद करो! और चिलाते हुए अपने पैर हिलाने लगी ...!

प्यारेमोहन: साली कुतिया! चुप कर! अब देखता हूँ कौन बचाता है तुझे!

इतना कह कर उसने मेरे पैर छोड़ दिये और मुझे उसी अवस्था में पीछे से मेरे साथ चिपक कर गले लगा लिया। मेरा पूरा शरीर अभी भी मेरे हाथों और पैरों पर संतुलित था और जिस तरह से वह पीछे से मेरे साथ चिपका था वह चुदाई के लिए एकदम सही "डॉगी" पोज़ था! कुछ ही समय में मैंने अपने लटकते हुए मम्मों पर श्री प्यारेमोहन की गर्म हथेलियों को महसूस किया और तुरंत ही मेरे मजबूत झूलते हुए मांस पर उनके कुछ कस कर दबाव का स्वाद चखा।

श्री मंगेश: अच्छा काम प्यारेमोहन जी! अब उसे ऐसे दबाएँ जैसे कि आप कोई दूधवाले हो जो अपनी गाय से दूध निकालने की कोशिश कर रहा हो...!

उसका क्या मतलब था? मैं कोई गाये नहीं थी ... लेकिन ...!

इससे पहले कि मैं उस पर प्रतिक्रिया दे पाती, मैंने पाया कि मिस्टर प्यारेमोहन ने खुद को इस तरह से व्यवस्थित कर लिया था कि उन्होंने अपने क्रॉच को मेरी गांड पर कसकर दबा दिया और अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को मेरी पीठ पर झुका दिया और अब साइड से उन्होंने मेरे लटकते दूध के टैंकरों को पकड़ लिया और अधिक सुरक्षित रूप से और उन्हें निचोड़ना शुरू कर दिया और साथ ही उन्हें नीचे की ओर खींचना शुरू कर दिया जैसे कि वह दूध निकालने के लिए गाय के थनों को दबा कर दुह रहा हो! मैं न केवल उसके हाथ की हरकत से हैरान थी, बल्कि पूरी मुद्रा से तुरंत बेहद उत्तेजित भी हो गई क्योंकि वह अपने खड़े लंड से मेरी गांड की दरार को लगभग छेद रहा था!

मैं: आआह! क्या...ईईईई... आहाआआआआआहह...उउउउउर्रर्रर्र्रीईईईईईईईईईईईईईईईईई...

मैंने बदन हिला कर उसकी गिरफ्त से छूटने का प्रयास किया जिससे मैं और भी कामुक लगी होउंगी ...

श्री प्यारेमोहन ने चतुराई से निचोड़ने के पैटर्न को समायोजित किया और साथ ही मेरे कठोर सूजे हुए निपल्स को मरोड़ना शुरू कर दिया, जिससे मैं बिल्कुल रोमांचित हो गई। मेरे पेटीकोट और पैंटी के ऊपर मेरी गांड की दरार पर उसके मोटे लंड का अहसास भी मुझे हांफने पर मजबूर कर रहा था। मैंने निर्देशक को अपने सामने आते देखा और उस क्रम को रिकॉर्ड करने के लिए अपने कैमरे को विभिन्न कोणों में रखा।

मिस्टर प्यारेमोहन निर्देशक के प्रति बहुत वफादार लग रहे थे और वह अब बारी-बारी से अपनी उंगलियों को अपनी लार से गीला कर रहे थे और मेरे लटकते स्तनों को दबा रहे थे और खींच रहे थे। मेरे बड़े आकार के गोल नग्न स्तन उसके हाथ के हिलने से उछल रहे थे और कुछ ही समय में मेरे पूरे स्तन की सतह उसकी उंगलियों पर लगी उसकी लार से फिसलन भरी हो गई थी! अब उसके हाथ मेरे अपेक्षाकृत गीले स्तनों पर तेजी से चल रहे थे और पूरा दृश्य गाय को दूध निकालते हुए चित्रित करने के अधिक करीब दिखाई दे रहा था!

वह अब वस्तुतः मेरे लटकते स्तनों पर थप्पड़ मार रहा था, वह बारी-बारी से उन्हें निचोड़ रहा था और मेरे सूजे हुए निपल्स को घुमा और थपथपा रहा था।


(ये कुछ-कुछ वैसा भी था जब मैं अपने पति के साथ कभी-कभी आसान बदल कर कुतिया की तरह चुदाई करवाती थी। तब अनिल मेरे स्तन खूब दबाता था आवर पाने लिंग को मेरी योनि में पीछे से डालता था।) पर चूँकि ये दुष्कर्म के प्रयास था इस कारण इसमें प्यारेमोहन जी थोड़ा अधिक बल प्रयोग कर रहे थे।

स्वाभाविक रूप से मैं इस लगातार मेरे बूब्स सहलाने से हांफ रही थी और चीख रही थी और भले ही मुझे (शादीशुदा होने के कारण) स्तन दबवाने और निचोड़वाने का बहुत अभ्यास था, फिर भी मुझे खुद को नियंत्रित करना काफी मुश्किल हो रहा था। यह पूरी प्रक्रिया इतनी कामुक और रोमांचकारी थी कि इसने मुझे मिस्टर प्यारेमोहन के प्रति अपने प्रेम भाव को उजागर करने के लिए मानसिक रूप से तैयार कर दिया!

श्री मंगेश: वाह! बहुत बढ़िया... बहुत बढ़िया रश्मी, तुम्हारे स्तन चमक रहे हैं! बहुत खूब! रश्मि तुम ऐसे ही रहो। कट! प्यारेमोहन जी, बहुत हो गया! बहुत अच्छी तरह से किया! अब रश्मी को थोड़ी दूर जाने दो। जल्दी जल्दी! एक्शन!

हालाँकि मेरी हालत बेहद दयनीय थी, मैंने श्री प्यारेमोहन से दूर जाने की कोशिश की, क्योंकि उन्होंने मुझे रिहा कर दिया था। जैसे ही मैं पूरी तरह से थककर अपने हाथों और पैरों के बल कुछ आलस भरे कदम बढ़ा रही थी, मैंने पीछे मुड़कर देखा और पाया कि मिस्टर प्यारेमोहन अपने खड़े लंड को अपने हाथों से सहला रहे थे!

कुछ ही समय में मैंने पाया कि मिस्टर प्यारेमोहन फिर से मुझ पर कूद पड़े और इस बार उनका ध्यान निश्चित रूप से मेरी कमर पर था और पलक झपकते ही मैं महसूस कर सकती थी कि उनकी उंगलियाँ मेरी नाभि के नीचे मेरे पेटीकोट को खोलने के लिए काम कर रही हैं।

मैं: इइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ।

मैं स्वाभाविक स्त्रियोचित शर्म के कारण चिल्ला उठी, हालाँकि ईमानदारी से कहूँ तो अब मैं नग्न होने के लिए काफी इच्छुक थी! एक धीमे झटके में, श्री प्यारेमोहन ने मेरा ढीला पेटीकोट और मेरी पैंटी को मेरी कमर से मेरी जांघों के मध्य तक खींच दिया। मेरी गांड और चूत पहली बार उजागर हुई थी और श्री प्यारेमोहन उस दृश्य को देखकर कुछ सेकंड के लिए मंत्रमुग्ध हो गए थे। जैसे ही उसे होश आया, वह मेरे रसीले 28 वर्षीय शरीर से मेरे कपड़ों का आखिरी हिस्सा भी छीलने के लिए बहुत उत्सुक हो गए। उन्होंने मेरे पैरों को सीधा किया और मेरी पैंटी को मेरे टखनों तक खींच दिया और मेरे पेटीकोट को खींच कर मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया।

मैं: ईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ...

इस एहसास से की मैं दो गैर मर्दो के सामने अब पूरी नग्न हूँ, मेरा पूरा शरीर कांप उठा और शर्म से झुक गया-आख़िरकार मैं एक परिपक्व महिला थी, वह भी शादीशुदा थी और दो "अज्ञात" व्यक्तियों के सामने नग्न हो गयी थी-और मैंने पूरी शर्म और शर्म के मारे अपना चेहरा दोनों हाथों से ढक लिया। मैं महसूस कर सकती थी कि सोफे की ठंडी सतह मेरी नंगी गांड के मांस को छू रही थी और मेरी खुली चूत मेरे जघन बालों के घने गुच्छे के साथ बहुत खूबसूरत लग रही थी!

मिस्टर मंगेश: रश्मी तुम क्या कर रही हो! तुम अपने पति के साथ नहीं हो जो तुम शर्म दिखाओगी...

इस समय तुम्हें अपने सम्मान के लिए भागना चाहिए... अपनी गरिमा है ना? यह एक दुष्कर्म के प्रयास का फिल्मांकन है यार!

मैंने निर्देशक की ओर एकटक देखा। मेरा शरीर इतनी तीव्रता से उत्तेजित हो गया था कि मैं थोड़ा-सा भी सोचने में असमर्थ थी और बस एक लंबी चुदाई के लिए लेट जाना चाहती थी। ईमानदारी से इस समय मुझे चुदाई चाहिए थी!

श्री मंगेश: चलो! तुम कुतिया! बचने के लिये भागो! बस बैठो मत! चलो भी!

निर्देशक मुझ पर चिल्ला रहे थे और मुझे प्रतिक्रिया देनी पड़ी। मैं किसी तरह सोफ़े से नीचे उतरी-पूरी तरह से नग्न-मेरी योनि अब इन पुरुषों के सामने उजागर हो गई-बिल्कुल स्पष्ट रूप से-मेरी बालों वाली झाड़ी, मेरी दरार, मेरे लंबे नितंब, मेरे कद्दू जैसे गोले... मेरी गांड ... मेरी स्तन पहले से ही उजागर थे ... सब कुछ!

मिस्टर मंगेश: रंडी! भागोगी या नहीं! चलो भी!

मैंने अपने जीवन में कभी भी अपने सम्मान को "बचाने" के लिए इस तरह से दौड़ नहीं लगाई थी-पूरी तरह से टॉपलेस स्थिति में, मेरे बड़े गोल स्तन बहुत ही कामुकता से ऊपर-नीचे उछल रहे थे। श्री प्यारेमोहन दूरी बनाकर मेरे पीछे दौड़े। यह दृश्य इतना अश्लील था कि एक मोटा अधेड़ उम्र का आदमी पूरी तरह नग्न अवस्था में दौड़ रहा था ...

कल्पना कीजिये कमरे में एक नग्न जवान सुंदर कामुक महिला के पीछे एक मर्द भाग रहा है जिसका खड़ा लंड हवा में झूल रहा है और एक अन्य आदमी पूरे दृश्य को कैमरे से रिकॉर्ड कर रहा है!

यह मेरे लिए बिल्कुल नया अनुभव था-उत्साहित और रोमांचित अवस्था में दौड़ने का। मैं महसूस कर सकती थी कि जब मैं दौड़ रही थी तो रस की बूँदें मेरी चूत से बहकर मेरी जाँघों तक आ रही थीं और मेरे बड़े-बड़े गोल स्तन बहुत अजीब तरीके से उछल रहे थे! जब मैंने सोफे के चारों ओर कुछ चक्कर लगा लिए, श्री प्यारेमोहन ने मुझे पीछे से पकड़ लिया। वास्तव में यह मेरे लिए एक बड़ी राहत थी!

जैसे ही उसने मुझे आलिंगन किया मैंने खुद को बहुत उत्सुकता से प्रतिक्रिया करते हुए पाया और स्वेच्छा से बहुत ही सांकेतिक तरीके से अपनी बड़ी गांड को उसके क्रॉच पर धकेल दिया। उसने शुरू में मुझे मेरे पेट के चारों ओर गले लगाया, लेकिन उसने मेरे जुड़वां स्तनों को पकड़कर पीछे से मुझे गले लगाने का मौका नहीं छोड़ा और साथ ही अपने खड़े लंड को मेरी मांसल गांड में दबा दिया। उसने धीरे से मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगा। इस बार उसने मेरे नग्न गालों को अपने हाथों में पकड़कर और उन्हें मजबूती से दबाकर मुझमें और अधिक उत्तेजना पैदा कर दी, जबकि उसके होंठ मेरे कोमल होंठों से रस का आखिरी टुकड़ा चूसने में व्यस्त रहे।

मैं महसूस कर सकती थी कि श्री प्यारेमोहन का लंड बेहद सख्त हो गया है और मुझे किसी भी चीज़ की तरह धकेल रहा है-जाहिर है "वह" अब और अधिक हवा में नहीं लटकना चाहता था। मैंने भी उसे कसकर गले लगा लिया और हम एक-दूसरे के नग्न शरीर को ऐसे उलझा हुआ महसूस कर रहे थे जैसे किसी भाप से भरे प्रेम दृश्य में! अधिक सुरक्षित पकड़ पाने के लिए मैंने अपनी बाँहों से उसकी गर्दन को घेर लिया और अपने कोमल होंठ उसके होठों में डाल दिए। श्री प्यारेमोहन ने भी मेरे बड़े गालों को अपनी हथेलियों में लेकर भीगे हुए चुंबन के साथ मेरा स्वागत किया। पूरा मामला वाकई गरमा रहा था कि अचानक ब्रेक लग गया!

जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-47


एक्टिंग-दुष्कर्म और प्रताडन के प्रयास में कामुक उत्तेजना

मैंने अपने सम्मान को "बचाने" के लिए दौड़-पूरी तरह से टॉपलेस स्थिति में, मेरे बड़े गोल स्तन बहुत ही कामुकता से ऊपर-नीचे उछल रहे थे। श्री प्यारेमोहन दूरी बनाकर मेरे पीछे दौड़े। यह दृश्य इतना अश्लील था कि एक मोटा अधेड़ उम्र का आदमी पूरी तरह नग्न अवस्था में दौड़ रहा था ... जिसका खड़ा लंड हवा में झूल रहा है और एक अन्य आदमी पूरे दृश्य को कैमरे से रिकॉर्ड कर रहा है!

यह मेरे लिए बिल्कुल नया अनुभव था-उत्साहित और रोमांचित अवस्था में दौड़ने का। मैं महसूस कर सकती थी कि जब मैं दौड़ रही थी तो रस की बूँदें मेरी चूत से बहकर मेरी जाँघों तक आ रही थीं और मेरे बड़े-बड़े गोल स्तन बहुत अजीब तरीके से उछल रहे थे! जब मैंने सोफे के चारों ओर कुछ चक्कर लगा लिए, श्री प्यारेमोहन ने मुझे पीछे से पकड़ लिया। वास्तव में यह मेरे लिए एक बड़ी राहत थी!

जैसे ही उसने मुझे आलिंगन किया मैंने खुद को बहुत उत्सुकता से प्रतिक्रिया करते हुए पाया और स्वेच्छा से बहुत ही सांकेतिक तरीके से अपनी बड़ी गांड को उसके क्रॉच पर धकेल दिया। उसने शुरू में मुझे मेरे पेट के चारों ओर गले लगाया, लेकिन उसने मेरे जुड़वां स्तनों को पकड़कर पीछे से मुझे गले लगाने का मौका नहीं छोड़ा और साथ ही अपने खड़े लंड को मेरी मांसल गांड में दबा दिया। उसने धीरे से मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगा। इस बार उसने मेरे नग्न गालों को अपने हाथों में पकड़कर और उन्हें मजबूती से दबाकर मुझमें और अधिक उत्तेजना पैदा कर दी, जबकि उसके होंठ मेरे कोमल होंठों से रस का आखिरी टुकड़ा चूसने में व्यस्त रहे।

मैं महसूस कर सकती थी कि श्री प्यारेमोहन का लंड बेहद सख्त हो गया है और मुझे किसी भी चीज़ की तरह धकेल रहा है-जाहिर है "वह" अब और अधिक हवा में नहीं लटकना चाहता था। मैंने भी उसे कसकर गले लगा लिया और हम एक-दूसरे के नग्न शरीर को ऐसे उलझा हुआ महसूस कर रहे थे जैसे किसी भाप से भरे प्रेम दृश्य में! अधिक सुरक्षित पकड़ पाने के लिए मैंने अपनी बाँहों से उसकी गर्दन को घेर लिया और अपने कोमल होंठ उसके होठों में डाल दिए। श्री प्यारेमोहन ने भी मेरे बड़े गालों को अपनी हथेलियों में लेकर भीगे हुए चुंबन के साथ मेरा स्वागत किया। पूरा मामला वाकई गरमा रहा था कि अचानक ब्रेक लग गया!

मंगेश: ओये! अरे! कट! रुको! यह क्या हो रहा है? एह?

मैं श्री प्यारेमोहन के नग्न शरीर की गर्मी का आनंद लेने में इतना खो गयी थी कि मेरा अपना सिर ऊपर उठाने का भी मन नहीं हुआ।

मिस्टर मंगेश: रश्मी, तुम पागल हो गई हो या क्या? तुम इतनी स्वेच्छा से उसे गले लगा रही हो और... और वह भी सोफे पर भी नहीं! और प्यारेमोहन जी, आप ये क्या कर रहे हैं? आप क्या योजना है? उह?

प्यारेमोहन: अरे... मेरा मतलब है... मैंने सोचा... मैं वास्तव में उसे बिस्तर पर ले जाने वाला था... मेरा मतलब सोफे से है...!

मिस्टर मंगेश: अरे यार! वह तुम्हारी पत्नी नहीं है कि तुम उसे इतनी कोमलता और प्यार से सहलाने लगे हो! वह दुष्कर्मी का कठोर क्रूर दृष्टिकोण कहाँ है?

प्यारेमोहन: (बेशर्मी से मुस्कुराते हुए) सॉरी... असल में... अरे... मैडम का शरीर बहुत कोमल और आकर्षक है... दिल नहीं कर रहा है के शक्ति से पेश आऊ!

श्री मंगेश: मैं पूरी तरह से असहमत नहीं हूँ...रश्मि, तुम्हारे पास वास्तव में एक बहुत ही आकर्षक फिगर है, जिसका आकलन मैं तब नहीं कर सका जब तुम साड़ी पहनी हुई थी...अब जब नंगी हो गई हो, मैं वास्तव में महसूस कर सकता हूँ। ...रश्मि तुम तो मलाई हो मलाई!

दोनों मर्द मेरी जवानी "जवानी" की बड़े ही भद्दे अंदाज में तारीफ कर रहे थे और मेरी उजागर खूबसूरती को अपनी वासना भरी नजरों से चाट रहे थे। मैं जेसे पैदा हुई थी वैसे ही एक मूर्ख की तरह बेशर्मी से वहाँ खड़ी थी।

श्री मंगेश: वैसे भी, प्यारेमोहन जी, हमें इसे ठीक से करना होगा... ठीक है? श्री प्यारेमोहन ने सहमति में सिर हिलाया।

मिस्टर मंगेश: देखो रश्मि, मैं फिर संक्षेप में समझाता हूँ। एक दुष्कर्म के प्रयास के दृश्य में शुरू में आपके मन में नफरत और गुस्से के भाव थे, जिसे आपने पहले ही बहुत अच्छी तरह से चित्रित किया है, लेकिन जैसे-जैसे अनुक्रम आगे बढ़ता है और पुरुष धीरे-धीरे आपको जकड़ लेता है, आप भी उत्तेजित हो जाती हैं, जो स्वाभाविक है! आपके लुक में बदलाव होना चाहिए.। मेरा मतलब है आपके चेहरे के भाव... मुझे समझ रहे हैं?

मैंने उसे एकटक देखा।

श्री मंगेश: आपको रश्मि को सहलाना और गले लगाना अब और अधिक घनिष्ठ करना होगा, लेकिन आप प्यारेमोहन जी के सामने झुक नहीं सकती। आपको संघर्ष करना होगा और अपना विरोध प्रदर्शित करना होगा। क्या मैं आप को स्थिति स्पष्ट कर रहा हूँ?

मैं अभी भी अपने शरीर को ढकने की कोशिश कर रही थी और मेरी बाहें मेरे स्तनों पर मुड़ी हुई थीं, हालांकि मेरी योनि इन पुरुषों के सामने पूरी तरह से उजागर थी। मैं बहुत जोर-जोर से सांस ले रही थी और अंदर से उत्साह से फट रही थी और निर्देशक की बात सुनते हुए शर्म से फर्श की ओर देख रही थी।

श्री मंगेश: ठीक है? तो अब वास्तविक कार्यवाही के लिए तैयार हो जाइए! हम क्लाइमेक्स शॉट में हैं! प्यारेमोहन जी, आप रश्मी को खींच कर सोफ़े पर ले जाओ और लिटा दो। चलो... एक्शन!

निर्देशक ने कैमरा घुमाना शुरू कर दिया और हम वापस अपने आखिरी पोज़ में आ गए-मिस्टर प्यारेमोहन ने मुझे गले लगा लिया। इस बार उनके दृष्टिकोण में एक अलग बदलाव आया और उन्होंने मुझे गले लगाते हुए मेरे साथ अभद्र व्यवहार किया। उसने मेरे गालों को बेरहमी से दबाया और मुझे सोफे की ओर धकेलना शुरू कर दिया। मुझे संतुलन के लिए उसे पकड़ना पड़ा और एक झटके में उसने कुछ बहुत ही अजीब कर दिया!

श्री प्यारेमोहन ने अचानक मुझे फर्श से उठाया और मेरी गांड के ठीक नीचे मेरी ऊपरी जाँघों पर कसकर पकड़ लिया और बहुत संतुलित होकर खड़े हो गये!

मैं: ईइइइइ... क्या कर रहे हो! आआआआआआआआ...

श्री मंगेश: बहुत अच्छा काम प्यारेमोहन जी! क्या बात है! बस उसे थोड़ी देर तक पकड़कर रखा ताकि मैं कुछ अच्छी शॉट ले सकूँ।

हालाँकि शुरू में मैं चौंकी, लेकिन फिर मैंने इस पूरे सीन का आनंद लेना शुरू कर दिया; इस मामले में, कोई भी विवाहित महिला संभोग के दौरान अपने पति की बाहों में हवा में रहना पसंद करेगी। फर्क सिर्फ इतना था कि जो आदमी मुझे अपनी बांहों में भर रहा था, वह मेरा पति नहीं था! मेरे बड़े ठोस स्तन उसके चेहरे पर लगभग दब रहे थे और मेरी बालों वाली चूत उसके पेट से रगड़ रही थी। मैं स्वाभाविक रूप से चिल्ला रही थी और अपने पैर हवा में उछाल रही थी।

अपनी शादी के शुरुआती दिनों के दौरान बाहरी यात्राओं पर बहुत कम मौकों को छोड़कर मैंने शायद ही कभी राजेश से इस तरह के व्यवहार का अनुभव किया हो। किसी भी अन्य विवाहित महिला की तरह मुझे भी यह तरीका पसंद है, लेकिन दुर्भाग्य से मुझे कई मौकों पर इसका अनुभव नहीं हुआ। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बार यह बहुत ही अल्पकालिक होता था और मेरे पति मुझे तुरंत फर्श पर या सीधे बिस्तर पर गिरा देते थे। लेकिन आज यहाँ, श्री प्यारेमोहन ने मुझे काफी समय तक हवा में पकड़ रखा था और मेरे भारी शरीर के साथ वह काफी ठीक लग रहे थे! मैं किसी भी कोण से कमजोर नहीं दिखती थी और बड़े मांसल नितंबों और सुडौल ठोस टांगों के साथ मेरा शरीर काफी वजनदार था। लेकिन मैंने देखा कि मिस्टर प्यारेमोहन ने मुझे हवा में अपनी गोद में बिल्कुल सुरक्षित तरीके से पकड़ रखा था और उनके चेहरे से ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वह कोई भार महसूस कर रहे थे!

स्वाभाविक रूप से मैं श्री प्यारेमोहन की बाहों में बहुत रोमांचित थी और इसके बाद उन्होंने जो किया उसने मुझे और भी अधिक उत्तेजित कर दिया! उसने मुझे इस तरह से पकड़ रखा था कि मेरे गर्वित बूब का मांस उसके चेहरे पर, उसकी नाक, गालों और होंठों पर गहराई से दब रहा था और कुछ ही समय में मैंने उसे मेरे अंगूर जैसे तने हुए निपल्स को चाटते और काटते हुए पाया!

Me: एईईीीी ... उउउउउउउहहहह ररररऊऊऊकोो! उउउउउउर्र्र्र्र्रिइइइ!

मेरी आँखें अत्यंत मजे के मारे बंद हो गईं और इस नए साहसिक कार्य में मेरी मांसपेशियाँ हल्की होने लगी थीं। मैं अपने पैर हवा में उछाल रही थी और मैंने अत्यधिक मजे और आनंद में श्री प्यारेमोहन की गर्दन को गले लगा लिया। मुझे वास्तव में ऐसा लग रहा था कि यद्यपि वह वृद्ध और मोटे थे, लेकिन श्रीमान... प्यारेमोहन अच्छी तरह जानते थे कि एक युवा गृहिणी को सम्भोग के दौरान खुश करने के लिए क्या करना चाहिए! निर्देशक ने भी पूरे दृश्य के बारे में बहुत सकारात्मक टिप्पणी की और हमें कुछ और समय तक जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया और श्री प्यारेमोहन स्पष्ट रूप से मुझे अपनी गोद में उठाने के लिए बाध्य थे। वह मुझे हांफने पर मजबूर कर रहा था क्योंकि वह मेरे निपल्स को जोर-जोर से काट रहा था और चूस रहा था क्योंकि मुझे एहसास हो रहा था कि वह मेरे जैसी ही महिला के साथ यह अभ्यास करके बहुत उत्साहित था। मैं उसकी हरकतों पर बहुत ही सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए सबसे बेशर्म तरीके से कराहती और बड़बड़ाती रही।

आख़िरकार मिस्टर प्यारेमोहन सोफ़े की ओर बढ़े और मैं इस आदमी की बाहुबल से बहुत प्रभावित हुआ क्योंकि उसने मुझे काफ़ी देर तक हवा में उठाये रखा! यह वास्तव में समय के करीब भी था और मैं अंतिम शो के लिए पर्याप्त रूप से तैयार थी!

मैं सोफे पर अपनी लेटने की मुद्रा में वापस आ गई थी और श्री प्यारेमोहन सीधे मेरे ऊपर सवार हो गए और तेजी से अपने नग्न मोटे शरीर को मेरे ऊपर फैलाकर अपने खड़े लंड को सीधे मेरी योनि पर दबा दिया।

इस समय तक मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मुझे पूरा यकीन था कि अगर वह अपने लंड को मेरी दरार पर धीरे से धकेलेगा, तो भी वह आसानी से मेरी योनि के अंदर घुस जाएगा! उसकी छाती मेरे आज़ाद उभरे हुए स्तनों पर चिपक गई और उसका चेहरा ठीक मेरे चेहरे पर था और उसने मेरे होंठों को अपने ओंठो से बंद करने की कोशिश की। मैं भी धीरे-धीरे उसके शरीर की गर्मी में जलने लगी। मुझे यह स्वीकार करना होगा कि इस बार श्री प्यारेमोहन ने मुझे बहुत शक्तिशाली आलिंगन में पकड़ लिया था और उनका शरीर मेरे शरीर से कसकर चिपक रहा था और मैं यह देखने से खुद को नहीं रोक सकी कि मेरे बड़े स्तन उनके साथ कितनी अच्छी तरह फिट हो रहे थे! जब मेरे नग्न स्तन उसकी विशाल छाती पर रगड़ रहे थे तो मुझे तुरंत कामुकता महसूस होने लगी। उसके खड़े लंड के मेरी योनि को छूने के अहसास से मुझमें यौन उत्तेजना बढ़ गई और मेरे पूरे शरीर में तुरंत रोंगटे खड़े हो गए!

मैं अच्छी तरह से महसूस कर सकती थी कि मैं ऐसी स्थिति में फंसती जा रही थी जहाँ से वापसी संभव नहीं थी और उसने अब मुझे चोदने के लिए खुद को लगभग प्रभावी ढंग से तैयार कर लिया था। मुझे लगा यह अब एक दुष्कर्म की कोशिश की शूटिंग से धीरे-धीरे एक "सहज सम्भोग" में तब्दील हो जाएगा!

श्री प्यारेमोहन की मजबूत पकड़ से मुझे बहुत जोर से हांफने लगी और जब वह धीरे-धीरे मेरे गर्म होंठों के पास आये तो मेरा पूरा शरीर तनावग्रस्त हो गया। मैंने स्वेच्छा से अपने होंठ खोले और उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया। जिस तरह से चीजें आगे बढ़ रही थीं, मुझे वास्तव में ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरे पति मेरे पूर्ण नग्न शरीर पर सवार होकर मेरा आनंद ले रहे हैं! श्री प्यारेमोहन ने अपनी जीभ मेरे मुँह में गहराई तक घुसा दी और मेरी लार का स्वाद चखा। मैं अपने क्रॉच क्षेत्र पर उसके श्रोणि के इच्छित "धक्का" को महसूस कर सकती थी।

श्री मंगेश: रश्मी, बहुत अच्छा चल रहा है! बहुत अच्छा, लेकिन समय-समय पर कुछ प्रतिरोध अवश्य करें!

स्वाभाविक रूप से एक पुरुष द्वारा इतने लंबे समय तक मेरे शरीर पर इस तरह के फोरप्ले को जारी रखने से मैं बहुत कमजोर हो गई थी, लेकिन मैं निर्देशक के आदेश की भी अनदेखी नहीं कर सकती थी।

मैंने मिस्टर प्यारेमोहन को अपने शरीर से दूर धकेलने की कोशिश की, लेकिन यह देखकर कि मिस्टर प्यारेमोहन तुरंत मेरे शरीर के नीचे दोनों हाथों से मेरी नंगी चिकनी पीठ को महसूस करते हुए मुझे और अधिक मजबूती से गले लगा रहे थे और जोश के साथ अपनी जीभ को वापस मेरी जीभ पर धकेल दिया और फिर से मुझे गहराई से चूमना शुरू कर दिया। मैंने विरोध करने की इच्छाशक्ति ही खो दी! ईमानदारी से! वह मेरे साथ जो कर रहा था, वह मुझे अच्छा लगा और मैं निर्देशक के निर्देशों का पालन नहीं कर सकी।

प्यारेमोहन: साली क्या फिगर है! इतनी सेक्स्क्सक्सईई! (वह अपने खड़े लंड को सही छेद में डालने के लिए संघर्ष कर रहा था!)

मैं: ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआआआआआआआआआआआआआआआ!

श्री मंगेश: काटो! कट!

मिस्टर प्यारेमोहन ने मुझे चूमना बंद कर दिया और निर्देशक की बात सुनने के लिए ऊपर देखा। मिस्टर मंगेश सोफे के पास ही खड़े थे और अपने कैमरे से हमें बहुत करीब से देख रहे थे।

श्री मंगेश: रश्मी! यह क्या है? मैं बार-बार कह रहा हूँ कि यह एक दुष्कर्म के प्रयास का सीन है

आपने तो इसको पूरा लव सीन में कन्वर्ट कर दिया है!

जैसे ही मैंने निर्देशक की ओर देखा, श्री प्यारेमोहन मेरे शरीर से थोड़ा दूर खिसक गए और धीरे से अपना दाहिना हाथ मेरे नग्न स्तनों पर रख दिया और मेरे ग्लोब की गर्मी और दृढ़ता का आनंद ले रहे थे।

अपने दूसरे हाथ से वह अपने तने हुए लंड को सहला रहा था, जो काफी देर से खड़ा हुआ था! मैं: मैंने... मैंने कोशिश की... लेकिन...

श्री मंगेश: लेकिन क्या?

मैं: मेरा मतलब है... आआह... मुझमें ताकत नहीं है... मेरा मतलब है... सॉरी ...

मिस्टर मंगेश: चलो रश्मी! आप एक अभिनेत्री हैं; तुम्हें इतना भी बहकावे में नहीं आना चाहिए...

यही है ना? उम्म... ठीक है... मुझे इसकी जांच करने दीजिए...

इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, मैंने देखा कि उसने कैमरा एक तरफ रख दिया और अचानक सोफे पर कूद पड़ा! श्री प्यारेमोहन और मैं दोनों इस दृष्टिकोण से थोड़ा आश्चर्यचकित हुए और उन्होंने श्री प्यारेमोहन को मेरे शरीर से धक्का दे दिया और वस्तुतः उसका स्थान ले लिया! और...

और उसने मेरा चेहरा पकड़कर मुझे चूमने की कोशिश की! मैं इतना आश्चर्यचकित थी कि मैं कुछ सेकंड के लिए प्रतिक्रिया देना भी भूल गयी, लेकिन तुरंत मुझे होश आया और मैंने जवाबी कार्यवाही की। मैंने महसूस किया कि उसके होंठ मेरे गीले होंठों पर दब रहे थे और मेरे निचले होंठ को खोलने के लिए उसे मजबूर कर रहे थे। मैं इस तरह के ज़बरदस्ती के लिए तैयार नहीं थी और मैंने दोनों हाथों का उपयोग करके उसके मुँह को अपने होठों से दूर धकेलने की कोशिश की। मुझे बहुत ही संक्षिप्त संघर्ष करना पड़ा और अंततः मैं सफल हो गयी।

मैं: (बल्कि गुस्से से) यह कैसा व्यवहार है?

मंगेश जी: हा-हा हा...

मैं इस हंसी से काफी आश्चर्यचकित हुयी और निर्देशक की ओर एकटक देखने लगी।

श्री मंगेश: हुंह! जरा देखो तो रश्मी! इस सीन में आपसे यही उम्मीद की जाती है। जब कोई आपको चुंबन के लिए मजबूर करता है, तो आप जवाबी कार्यवाही करते हैं और यहाँ डायरेक्टर बिल्कुल यही आदेश देते हैं। आप समझ रही है ना? आपको सिर्फ ऐसे आनंद नहीं लेना जैसे कि प्यारेमोहन जी आपके पति हैं और आपसे प्यार कर रहे हैं! जैसे आपने मुझे हटाया है वैसे ही आपको विरोध करना है ।

मैं: ओह! (जब मुझे एहसास हुआ कि उसका मतलब क्या है तो मेरा चेहरा कुछ लाल हो गया था।)

मैं भी मुस्कुरा रही थी-मुझे ऐसा देखना मजेदार उत्तेजक और कामुक दृश्य रहा होगा-मैं सोफे पर नंगी लेटी हुई थी, मेरे शरीर पर एक धागा भी नहीं था-मेरी बालों वाली चूत और बड़े मम्मे-इन पुरुषों के सामने सब खुले थे इन परिस्तिथियों में मैं इतनी बेशर्मी से! कैसे मुस्कुरा सकती थी।

श्री मंगेश: अच्छा है कि आपको तुरंत एहसास हो गया इसलिए इसे ध्यान में रखें और जारी रखें! प्यारेमोहन जी, क्या है आप ऐ क्या कर रहे हैं बाप!

प्यारेमोहन: क्या हुआ?

मिस्टर मंगेश: अरे यार! तुम्हारा लंड तो एफिल टावर जैसा लग रहा है! रश्मी, क्या तुमने इस पर ध्यान दिया? उह!

मैं फिर शर्म से मुस्कुरायी ।

प्यारेमोहन: हे-हे हे... मैडम बहुत सेक्सी हैं... उनके होंठ बहुत प्यारे हैं... हर बार जब मैं उन्हें चूम रहा हूँ तो बहुत उत्तेजित हो रहा हूँ... हे-हे हे...

मिस्टर मंगेश: उम्म... बताओ यह तुम्हारी पत्नी से कैसे अलग है?

प्यारेमोहन: नहीं... इतना ही नहीं... मेरा मतलब है कि यह समग्र प्रभाव है... हे-हे हे... मैडम के दोनों मम्मे... वे इतने बड़े और सख्त हैं... मैडम की टाँगे बहुत चिकनी सख्त और ठोस हैं। ...

मिस्टर मंगेश: हम्म... तुममें सच में बहुत अच्छी सेक्स अपील है रश्मी!

मुझे नहीं पता था कि क्या करना है और मैं एक वेश्या की तरह मुस्कुरा दी, लेकिन निश्चित रूप से उन प्रशंसाओं का आनंद लिया, भले ही बहुत ही भद्दे तरीके से कही गई हो!

प्यारेमोहन (निर्देशक की ओर देखते हुए) : मैं सोचता हूँ उसकी चूत कितनी टाइट होगी... हे-हे हे... ऐसी टिप्पणी सुनकर मेरे चेहरे से मुस्कान गायब हो गई और मैंने अपनी आँखें झुका लीं।

मिस्टर मंगेश: हे-हे हे...वो तो रश्मी का पति ही बता सकता है, तुम क्या कहती हो रश्मी? उसकी क्या राय है बेबी?

जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-48


एक्टिंग-दुष्कर्म और प्रताडन के प्रयास में कामकुशलता


मिस्टर मंगेश: अरे प्यारेमोहन जी ! तुम्हारा लंड तो एफिल टावर जैसा लग रहा है! रश्मी, क्या तुमने इस पर ध्यान दिया? उह!

मैं फिर शर्म से मुस्कुरायी .

प्यारेमोहन: हे हे हे... मैडम बहुत सेक्सी हैं... उनके होंठ बहुत प्यारे हैं... हर बार जब मैं उन्हें चूम रहा हूं तो बहुत उत्तेजित हो रहा हूं... हे हे हे...

मिस्टर मंगेश: उम्म... बताओ यह तुम्हारी पत्नी से कैसे अलग है?

प्यारेमोहन: नहीं... इतना ही नहीं... मेरा मतलब है कि यह समग्र प्रभाव है... हे हे हे... मैडम के दोनों मम्मे... वे इतने बड़े और सख्त हैं... मैडम की टाँगे बहुत चिकनी सख्त और ठोस हैं। ..

मिस्टर मंगेश: हम्म... तुममें सच में बहुत अच्छी सेक्स अपील है रश्मी!

मुझे नहीं पता था कि क्या करना है और मैं एक वेश्या की तरह मुस्कुरा दी, लेकिन निश्चित रूप से उन प्रशंसाओं का आनंद लिया, भले ही बहुत ही भद्दे तरीके से कही गई हो!

प्यारेमोहन (निर्देशक की ओर देखते हुए):मैं सोचता हूँ उसकी चूत कितनी टाइट होगी... हे हे हे... ऐसी टिप्पणी सुनकर मेरे चेहरे से मुस्कान गायब हो गई और मैंने अपनी आँखें झुका लीं।

मिस्टर मंगेश : हे हे हे...वो तो रश्मी का पति ही बता सकता है, तुम क्या कहती हो रश्मी? उसकी क्या राय है बेबी?

जोर-जोर से सांसें लेता रही और कहीं और देखने की कोशिश करती रही और जवाब देना जरूरी नहीं समझा।

मिस्टर मंगेश: आप चिंता क्यों कर रहे हैं प्यारेमोहन जी... आप जल्द ही बता पाएंगे कि रश्मी की चूत कितनी टाइट या ढीली है... रश्मी, क्या मैं सही कह रहा हूँ? हा हा हा...

दोनों पुरुष मेरे नंगे सुडौल शरीर को अश्लीलता से देखते हुए जोर-जोर से हंसने लगे और मुझे उन दो वयस्क पुरुषों से अपना चेहरा छिपाने के लिए कोई जगह नहीं मिली!

श्री मंगेश: लेकिन प्यारेमोहन जी, सावधान रहें! सुनिश्चित करें कि आपका एफिल टावर समय से पहले न फटे! रश्मी को यह बात निश्चित रूप से पसंद नहीं आएगी, क्या मैं सही कह रहा हूँ रश्मी? हा हा हा...

स्वाभाविक रूप से मेरा चेहरा पूरा लाल हो गया था और मुझे नहीं पता कि कैसे मेरी नज़र श्री प्यारेमोहन के चट्टान जैसे सख्त लटकते हुए लंड की ओर गई और मैंने गहरी आह भरी।

श्री मंगेश: ठीक है, बहुत हो गया! चलिए काम पर वापस आते हैं। प्यारेमोहन-जी, इस बार आप स्पष्ट रूप से इस दृश्य का अंतिम हिस्सा करने जा रहे हैं और रश्मी, मैं आपके संघर्ष में वही तीव्रता देखना चाहता हूं जो आपने तब दिखाई थी जब मैंने आपको चूमने की कोशिश की थी। क्या मैंने स्पष्ट कर दिया है?

हम दोनों ने आज्ञाकारी छात्रों की तरह सिर हिलाया और निर्देशक ने फिर से अपना कैमरा उठाया।
मिस्टर मंगेश: इस बार मैं रश्मी के ज्यादा क्लोज अप शॉट लूंगा। तो प्यारेमोहन जी आप बस यह सुनिश्चित करें कि आप कैमरे के रास्ते में न आएं।

प्यारेमोहन: मेरा मतलब है... मैं यह कैसे करूँ?

मिस्टर मंगेश- देखो, जब मैं रश्मी के चेहरे पर फोकस करता हूँ, तो तुम उसे साइड से चूम लेते हो हो... ताकि तुम्हारा चेहरा उसके चेहरे को नजदीक से शूट करने में बाधा न बने के और रश्मी, तुम भी उस समय अपना थोड़ा सा विरोध जताओ। ठीक है?

मैं: आप... मेरा मतलब है जब... सॉरी .. यानी जब आप क्लोज़ अप लेते हैं तब ?
श्री मंगेश: बिल्कुल। और प्यारेमोहन जी, जब मैं उसके स्तनों का क्लोज़ अप लेता हूँ, तो आपको उन्हें साइड से दबाना होगा ताकि आपका हाथ कैमरे और शॉट में रुकावट न बने । समझ गये ?

प्यारेमोहन: हाँ, हाँ.

श्री मंगेश: और इस बार मैं चाहता हूँ कि आप किसी भी अन्य चीज़ से अधिक उसके स्तनों को चूमें और उसके निपल्स को चूसें क्योंकि इससे वास्तव में रश्मी में और अधिक ज्वलंत अभिव्यक्तियाँ उत्पन्न होंगी।

ठीक है? ... क्या हम शुरू कर सकते हैं? ... एक्शन !

श्री प्यारेमोहन हमेशा की तरह चीते की तरह तेज़ थे! उसने तुरंत खुद को मेरे ऊपर रख लिया और मुझे कसकर गले लगा लिया। जैसे ही उसका पूरी तरह से नग्न शरीर मेरे शरीर को छू गया, मेरे दिल की धड़कन फिर से तेज हो गई और हालांकि मैं बेहद कमजोर महसूस कर रही थी , मैंने कुछ प्रतिरोध दिखाने के लिए कमजोर रूप से अपनी बाहों को उसके शरीर पर धकेल दिया। इस बार उसने मेरे होठों की बजाय मेरे उभरे हुए मांसल गालों को चाटना और चूसना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में मेरे दोनों गाल उसकी गर्म लार से बिल्कुल गीले हो गये। मैं वास्तव में आश्चर्यचकित थी कि जिस तरह से उसकी मोटी गीली जीभ ने मेरे चिकने गालों को अपनी लार से रंगा, उससे मुझे कितना आनंद आया!

दरअसल, कभी भी राजेश ने बिस्तर पर मेरे साथ प्यार करते हुए ऐसा कुछ नहीं किया था. हां, उसने मेरे गालों पर एक या दो बार चूमा या मेरे गालों के मांसलता का आनंद लेते हुए मुझे काट भी लिया, लेकिन इस तरह की लंबी चाट कभी नहीं की ! श्री प्यारेमोहन यहीं नहीं रुके और आसानी से नीचे चले गए!
उसने तुरंत मुझे अपना बायां हाथ ऊपर उठाया और अपना चेहरा सीधे मेरी बगल में धकेल दिया!

मैं : उउउउउहहहहह उउउउउउआआआआआह ! वो प्याररेमोहन , वो हरामी बुरी तरह से मेरी बगल चाट रहा था!

उसने मुझे लगभग बेदम कर दिया और मेरा पूरा शरीर मानो उत्तेजना में सोफे पर उछाल रहा था। वह अपनी जीभ को मेरी बगल की त्वचा पर तेजी से आगे-पीछे कर रहा था, जो वास्तव में मुझे सातवें आसमान पर ले जा रहा था - ऐसा एहसास था की मैं कामुकता से पागल हो गयी थी ! मेरी बगल में पतले बालों का एक छोटा सा गुच्छा था और वह सब कुछ चाट रहा था! उसकी नाक मेरी बगल में गहराई तक रगड़ रही थी और यह एहसास बहुत अद्भुत था! और उसकी गर्म जीभ इतनी कुशलता से चरने का काम कर रही थी कि सचमुच मेरे पूरे शरीर में यौन उत्तेजना पैदा कर रही थी।

मैं : उउउउउउईईईईईईईई ! स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सत्तत्तत्त्तत्तोउउप्पप्पप्प!
हालाँकि मेरी शादी को तीन साल से ज्यादा हो गए थे और मैं वयस्क प्रेम-प्रसंग की कला से बहुत अच्छी तरह परिचित थी, फिर भी यह सब जो प्यारेमोहन कर रहे थे मेरे लिए एक ताज़ी हवा की तरह था! मेरे पति ने कभी बिस्तर पर मेरे साथ ऐसा नहीं किया था, लेकिन इस अधेड़ उम्र के "अज्ञात" आदमी ने मेरी आँखें यौन आनंद के बिल्कुल नए क्षितिज की ओर खोल दीं! मैं बहुत उत्साहित और उत्तेजित थी और मैंने जोर-जोर से कराहते हुए इसका भरपूर आनंद लिया।

श्री मंगेश: बहुत अच्छा काम प्यारेमोहन जी! आपने रश्मी से बहुत वास्तविक भाव निकाले! लगे रहो!
आख़िरकार श्री प्यारेमोहन ने मेरी कांख में अपना मीठा आक्रमण रोक दिया और अपना सिर ऊपर धकेल दिया और अपना चेहरा मेरे गालों पर रगड़ दिया। मैं स्पष्ट रूप से महसूस कर सकती थी कि उसकी मर्दानगी मेरी चूत के प्रेम छिद्र पर बहुत करीब से दस्तक दे रही है! जैसे ही मैंने अपनी आँखें खोलीं, मैंने देखा कि निर्देशक अपने कैमरे के साथ हमारे बहुत करीब आ रहा था और मैंने देखा कि उसका निशाना मेरे बड़े खुले स्तनों पर था! श्री प्यारेमोहन ने तुरंत मेरे शरीर पर अपनी स्थिति बदल दी ताकि मेरे बड़े गोल स्तन कैमरे में स्पष्ट रूप से दिखाई दे सकें और उनके बड़े शरीर शॉट किसी भी प्रकार से बाधित न हों।
मैं नग्न रहने और कैमरे की उपस्थिति का इतना आदी हो गयी थी कि मुझे इसकी परवाह ही नहीं थी! मेरी अब भी राय थी कि निर्देशक पहले ही कई बार इस बात पर जोर दे चुके हैं: 'मैं किसी विज्ञापन में इस तरह की नग्नता नहीं दिखा सकता और निश्चित रूप से उन्हें संपादित करना होगा।'' मैं उनके शब्दों से काफी हद तक आश्वस्त थी ।

थी मेरी मूर्खता और मासूमियत!

निर्देशक ने मिस्टर प्यारेमोहन को एक आँख मारी और वह मेरे पूर्ण परिपक्व स्तनों को दबाने और थपथपाने लगे। उसने मेरे खुले हुए निपल्स को अपनी उंगलियों से धीरे से मरोड़ा ताकि मैं और अधिक उत्तेजित हो जाऊं! अब मैंने निर्देशक को श्री प्यारेमोहन की ओर सिर हिलाते हुए देखा और बाद वाले को निश्चित रूप से कुछ संकेत मिल गया और अब पहली बार मेरे लेटे हुए आसन में श्री प्यारेमोहन ने अपना चेहरा सीधे मेरे खुले स्तनों में डाल दिया और आसानी से अपनी नाक और चेहरे को मेरी फर्म ऊपरी स्तनों पर रगड़ना शुरू कर दिया।

मैं: आआआआआआआआआआआआअह्ह ऊऊऊउउउउउउउउइइइइइइइ! माआआआ! उउउउउउउउ उउउउउह्ह्हह्हह्ह्ह्ह !

मुझे एहसास हो रहा था कि मैं अपने चरमोत्कर्ष की ओर पहुँच रही हूँ और इन सेक्सी फोरप्ले को और झेलने में असमर्थ हूँ।

मैं बेतहाशा चीख रही थी और मस्ती में बेशर्मी से अपने पैर हवा में उछाल रही थी। कुछ देर तक मेरे रसीले स्तनों को चाटने के बाद, मिस्टर प्यारेमोहन ने स्वाभाविक रूप से अपनी नज़र मेरे फूले हुए निपल्स पर स्थानांतरित कर दी और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे, जिससे मैं पागलपन की हद तक पहुँच गई। इस बार मैं और अधिक जंगली हो रही थी क्योंकि उसने एक हाथ से मेरे एक स्तन को पकड़ लिया और दूसरे स्वतंत्र निपल पर अपनी जीभ से हमला कर दिया और मेरे सख्त हो चुके निपल पर बहुत तेजी से अपनी जीभ घुमा रहा था। मैं जोर-जोर से चीखें निकाल रही थी और यह सुन कर वह आदमी मानो अपनी चूसने की गति तेज कर रहा था! उसने अपनी क्रिया बदल दी और मेरे दूसरे निपल पर चला गया और उस पर जीभ फेरना शुरू कर दिया, जबकि उसके खाली हाथ ने मेरे अभी-अभी चूसे गए निपल को घुमाया!

मैं: ओइइइइइइइइइइइइ! माआआआ आयआरररररररर ड़ड़ड़ड़ड़ड़ डाआआआआ अअअअअअल ईईईईअअअअअ आआ आआ आए रररररररीईईईई उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ !

मैं परमानंद में लगभग नियंत्रण से बाहर हो गई थी और खुशी में अपना सिर वापस सोफे पर फेंक दिया और जोर से कराहने लगी और उसे कसकर पकड़ लिया और अंततः उसके सिर को अपने मजबूत रसदार स्तन मांस में खींच लिया। श्री प्यारेमोहन वास्तव में एक अनुभवी चोदू थे और मुझे लगा कि उनकी पत्नी एक बहुत खुश महिला होगी क्योंकि जिस धैर्य के साथ वह प्रत्येक प्रकार के फोरप्ले को बढ़ा रहे थे वह मेरी कल्पना से परे था! वह मेरे पति से बहुत अलग था और अनिल के विपरीत जो हमेशा मुख्य " चुदाई " भाग में आने के लिए उत्सुक रहता है, यह मध्यम आयु वर्ग का दुकानदार नवीनता के साथ फोरप्ले को लंबा कर रहा था और वह भी बिना किसी शिकायत के!

मैं प्यारेमोहन जी की इस कामकुशलता से बहुत प्रभावित हुई थी !

मिस्टर प्यारेमोहन अब मेरे पेट से नीचे और मेरी नाभि तक आ रहे थे और अपनी जीभ उसमें गहराई तक घुसा रहे थे।

मैं: ऊऊऊऊऊऊउउउउउउइइइइइइइइ इइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ इइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ।

जारी रहेगी
 
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Badhiya update diya hai 💦 💦💦
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-49


एक्टिंग-जबरदस्ती दुष्कर्म और प्रताडन का प्रयास

कुछ देर तक मेरे रसीले स्तनों को चाटने के बाद, मिस्टर प्यारेमोहन ने स्वाभाविक रूप से अपनी नज़र मेरे फूले हुए निपल्स पर स्थानांतरित कर दी और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे, जिससे मैं पागलपन की हद तक पहुँच गई। इस बार मैं और अधिक जंगली हो रही थी क्योंकि उसने एक हाथ से मेरे एक स्तन को पकड़ लिया और दूसरे स्वतंत्र निपल पर अपनी जीभ से हमला कर दिया और मेरे सख्त हो चुके निपल पर बहुत तेजी से अपनी जीभ घुमा रहा था। मैं जोर-जोर से चीखें निकाल रही थी और यह सुन कर वह आदमी मानो अपनी चूसने की गति तेज कर रहा था! उसने अपनी क्रिया बदल दी और मेरे दूसरे निपल पर चला गया और उस पर जीभ फेरना शुरू कर दिया, जबकि उसके खाली हाथ ने मेरे अभी-अभी चूसे गए निपल को घुमाया!

मैं: ओइइइइइइइइइइइइ! माआआ आयआरररररररर ड़ड़ड़ड़ड़ड़ डाआआआ अअअअअअल ईईईईअअअअअ आआ-आआ आए रररररररीईईईई उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़!

मैं परमानंद में लगभग नियंत्रण से बाहर हो गई थी और खुशी में अपना सिर वापस सोफे पर फेंक दिया और जोर से कराहने लगी और उसे कसकर पकड़ लिया और अंततः उसके सिर को अपने मजबूत रसदार स्तन मांस में खींच लिया। श्री प्यारेमोहन वास्तव में एक अनुभवी चोदू थे और मुझे लगा कि उनकी पत्नी एक बहुत खुश महिला होगी क्योंकि जिस धैर्य के साथ वह प्रत्येक प्रकार के फोरप्ले को बढ़ा रहे थे वह मेरी कल्पना से परे था! वह मेरे पति से बहुत अलग था और अनिल के विपरीत जो हमेशा मुख्य "चुदाई" भाग में आने के लिए उत्सुक रहता है, यह मध्यम आयु वर्ग का दुकानदार नवीनता के साथ फोरप्ले को लंबा कर रहा था और वह भी बिना किसी शिकायत के!

मैं प्यारेमोहन जी की इस कामकुशलता से बहुत प्रभावित हुई थी!

मिस्टर प्यारेमोहन अब मेरे पेट से नीचे और मेरी नाभि तक आ रहे थे और अपनी जीभ उसमें गहराई तक घुसा रहे थे।

मैं: ऊऊऊऊऊऊउउउउउउइइइइइइइइ इइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ इइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ।

जब वह अपने खुले हाथों से मेरे उभरे हुए स्तनों को सहला रहा था, तो मैं उत्तेजना में लगभग उछल रही थी क्योंकि उसने मेरी नाभि को चूमा और चाटा। फिर उसने वह चाटता हुआ वापस मेरे नग्न स्तनों तक चाटने लगा और फिर से मेरे पूरे पेट को चाटते हुए मेरे स्तनों तक आया। उसने थोड़ा विराम दिया और मेरे एक फूले हुए निपल को अपने मुँह में ले लिया और अपनी गर्म जीभ से मेरे सूजे हुए निपल को चाटा। स्वाभाविक रूप से मेरे पैर उत्तेजना में और भी अधिक खुल गए और जब उसने मेरे फूले हुए भूरे रंग के एक निपल को चूसना जारी रखा, तो उसने दूसरे को अपने हाथ से सहलाना और रगड़ना शुरू कर दिया, जिससे मैं पूरी तरह से यौन प्रतिबद्धता और पूर्ण समर्पण की स्थिति में आ गई।

उसने मुझे उत्तेजित करते हुए इस हद तक यौन उत्तेजित कर दिया कि वापस लौटना संभव नहीं था।

मेरे रसीले स्तन अनुपात में बहुत बड़े लग रहे थे क्योंकि अब तक वे निश्चित रूप से पूरी तरह से कड़े हो गए और फूल चुके थे और जिस तरह से श्री प्यारेमोहन उन्हें ऊपर से नीचे तक चाट रहे थे, मैं निश्चित रूप से फटने वाली थी और मेरी योनी बहुत अधिक गीली हो गई थी क्योंकि उन्होंने मेरे स्तनों को चूसा था।

वह अब काफी हांफ रहा था, उत्तेजित था और मुझे इतने ध्यान से सहलाने से जाहिर तौर पर उसकी सांस भी फूल रही थी।

श्री मंगेश: वाह! प्यारेमोहन जी, आपकी पत्नी को यह देखना चाहिए! इस उम्र में भी और उस फिगर के साथ, आप कमाल हैं! वाह-वाह हा हाँ ...।

मैंने मन ही मन इसकी भी सराहना की कि यह आदमी इतनी बड़ी उम्र में और इतने मोटापे के साथ भी मुझे किस तरह खुश कर रहा था! मजे दे रहा था ।

मिस्टर मंगेश: अब चुटकी-चुटकी काटो!

कैसी चुटकी-मैंने मन में सोचा! मैंने श्री प्यारेमोहन को सिर हिलाते हुए देखा और फिर...

मैं: उउउउउउउउउउउउउउ म्म्म्माआआआ! कर चिल्ला उठी ।

यह बहुत, बहुत दर्दनाक था! अचानक क्या हुआ कि श्री प्यारेमोहन ने अपनी दो उंगलियों से मेरे बाएँ निपल को पकड़ लिया और उसे काटना और मरोड़ना शुरू कर दिया! यह कोई सामान्य प्यार भरी चुटकी नहीं थी, बल्कि मेरे निपल को बहुत जोर से मरोड़ना और दबाना था। यह इतना तेज मरोड़ था-था कि मैं चीखने के अलावा कुछ नहीं कर सकी! जैसे ही दर्द मेरे चेहरे पर झलका, उस दरिंदे ने निप्पल को मरोड़ने की तीव्रता बढ़ा दी और अपने दूसरे हाथ से मेरा सिर पकड़ लिया।

में: ऊऊऊऊऊऊऊ ... नाहाआआआ आआआआआ उउउहह!

यह इतना दर्दनाक था कि मैं अपनी नंगी टाँगें हवा में उछाल रही थी और मेरे गालों से आँसू बहने लगे। मेरा पूरा आनंद अनुभव एक पल में धूमिल हो गया! मैं किसी घायल जानवर की तरह अपना सिर फेंक कर तेज़ आवाज़ में चिल्ला रही थी। लेकिन उस कमीने ने मेरे निपल को बेरहमी से मरोड़ना जारी रखा और एक बार तो मुझे सच में लगा कि वह मेरे स्तन से मेरे निपल को नोच लेगा! ऐसी थी उसकी इस कृत्य की क्रूरता! पलक झपकते ही पूरा दृश्य बदल गया था!

मैं: उउउउउउउउउउउउउउउउउउउउ! तुम सूअर हो! मुझे छोड़ दो! उउउउउउउउउउउउ! हरामी छोडो मुझे ।

मैंने अपनी लेटी हुई मुद्रा से उठने की कोशिश की और इस बेहद दर्दनाक चुभन से बाहर निकलने के लिए अपने दोनों हाथों से उसके शरीर पर जोरदार थपकी दी, लेकिन ऐसा करने में असमर्थ थी क्योंकि मैं लंबे समय तक यौन सुख के कारण बहुत कमजोर हो गई थी।

प्यारेमोहन: हुंह! क्या रे रंडी! कैसा लगा?

यह कहते हुए आख़िरकार उसने मेरी बायीं चूची को छोड़ दिया और मुझे बहुत ज़ोर से धक्का देकर वापस मेरी लेटी हुई मुद्रा में ले आया। मेरा पूरा बायाँ स्तन दर्द की तरह दर्द कर रहा था और मेरे गालों पर आँसू बहते रहे क्योंकि यह बहुत तेज़ दर्द हो रहा था।

प्यारेमोहन के रवैये में अचानक आए इस बदलाव से मैं इतना चकित हो गयी कि मैं अवाक रह गयी। मिस्टर प्यारेमोहन बिल्कुल अलग आदमी लग रहे थे!

उसने मुझे एक पल की भी राहत नहीं दी और जल्दी से अपनी नज़र मेरी कमर के नीचे मेरे शरीर पर केंद्रित कर दी। उसने तुरंत अपना शरीर घुमाया और मुझ पर हमला कर दिया और मेरे बालों की घनी झाड़ी को पकड़ लिया और उन्हें मेरे शरीर से खींचना शुरू कर दिया!

मैं: उउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउ ...!

यह मेरे लिए उतना ही दर्दनाक लग रहा था क्योंकि वह मेरे शरीर से मेरी झांटो के बालों को बेरहमी से खींच रहा था और वास्तव में इस खींचने में मेरे कुछ रेशमी झांटे वास्तव में मेरी त्वचा से उखड़ गयी थी!

मैं: अरे! आप क्या करने का प्रयास कर रहे हैं? स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सरररररर!

मेरा बायाँ निपल पहले से ही जल रहा था और मेरा पूरा बायाँ स्तन दर्द कर रहा था और अब वह हरामी मेरे बालों को नोच रहा था और खींच रहा था। मेरे लिए यह बिल्कुल निराशाजनक स्थिति थी!

मैं: मुझे छोड़ो! बस मुझे छोड़ दो सूअर!

प्यारेमोहन: चुप रंडी! अब मुझे अपनी चूत की जांच करने दे!

कुछ ही क्षणों में दृश्य इतना नाटकीय रूप से बदल गया कि मुझे विश्वास ही नहीं हुआ! क्या यह वही आदमी था? मिस्टर प्यारेमोहन ने अब एक हाथ से मेरे हाथों को पकड़ लिया और अपनी हथेली से मेरे पूरे चूत क्षेत्र को महसूस करने लगे। उसने अपनी उंगलियों को मेरे रेशमी जघन बालों में फिराया और अपनी उंगलियों और हथेली से मेरे पूरे योनि क्षेत्र को महसूस किया। भगवान का शुक्र है! यह जांच कोण कम से कम कुछ हद तक सौम्य थी, लेकिन ईमानदारी से कहूँ तो इस तरह से टटोलना अद्भुत लगा! हालाँकि मैं उसके चंगुल से छूटने की पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन असफल रही। मैं टपकती हुई चूत के साथ सोफ़े पर छटपटा रही थी, जिसे वास्तव में इस आदमी ने ही "टपकाने वाली" बनाया था!

श्री मंगेश: सुपर प्यारेमोहन जी! बहुत अच्छा! बस ऐसे ही फूहड़ लगने दो!

मैं निर्देशक की आवाज़ में ऐसा स्वर सुनकर बहुत हैरान हुई और श्री प्यारेमोहन निर्देशक के शब्दों से और भी अधिक प्रोत्साहित हुए।

प्यारेमोहन: क्या बकवास है यार! वाह क्या चीज है! दिन में कितना बार तेरी मारता होगा तेरा पति? मादरचोद साला! मैं ऐसी टिप्पणियाँ सुनकर हैरान और शर्मिंदा हो गयी और रोने लगी।

श्री मंगेश: मुझे कुछ और लाइटें जलाने दीजिए! तब आएगा असली मजा!

इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, मैंने देखा कि उसने दो और लाइटें जला दीं और पूरा कमरा बहुत तेज रोशनी में था और मेरा नग्न शरीर उस बड़े पैमाने पर रोशनी वाले वातावरण में अधिक उत्तेजक और आकर्षक लग रहा था।

मैं: प्लीज... प्लीज... लाइट बंद कर दो... मुझे लग रही है...!


प्यारेमोहन: वाह! महान! इस अतिरिक्त रोशनी से तो मैं उसकी चूत के अंदर का भाग भी देख पाऊंगा! अरे कितनी बार मेरी बीवी से कहता हूँ, मुझे तुम्हें नंगी देखना है उजाले में पर मेरी कौन सुनता है! अब पूरा होगा मेरा सपना! अहा! क्या लग रही है साली! मस्त चीज है! सेक्सी! ओह्ह्ह!

जिस तरह से चीजें आगे बढ़ रही थीं, मैं शर्म से मर ही गयी! यह बहुत शर्मनाक और अपमानजनक था! मुझे अभी भी अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं इतनी तेज़ रोशनी में पूरी तरह नग्न लेटी हुई हूँ। यहाँ तक कि मेरे पति ने भी कभी भी प्यार से भी मुझे इस तरह अपमानित करने की हिम्मत नहीं की थी । मैं अपनी पूरी नग्न अवस्था में इन चमकदार रोशनी के नीचे अविश्वसनीय रूप से सेक्सी लग रही होउंगी। निर्देशक और श्री प्यारेमोहन दोनों की आँखें मेरी शारीरिक सुंदरता की सराहना करते हुए बाहर आ गईं थी!

मिस्टर मंगेश और मिस्टर प्यारेमोहन ने मेरे बड़े गोल स्तनों को देखा जिनमें से मेरे निपल्स बहुत ही उभरे हुए थे... मेरी शानदार बालों वाली चूत को देखा और उन्होंने मेरी बहुत सुडौल गोरी जांघों को देखा। उन्होंने मेरी गहरी नाभि को देखा और बेशर्मी से मुस्कुराते हुए बोले...!

वाह! कितनी सेक्सी है!

शायद शब्द उन तिरछी नज़रों का वर्णन करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं! उनकी भूखी आँखें मेरी हर खुली त्वचा के रोमछिद्र को चाट रही थीं।

मिस्टर मंगेश: उसके पैर पकड़ो प्यारेमोहन जी!

इससे पहले कि मैं प्रतिक्रिया दे पाती, मैंने पाया कि मिस्टर प्यारेमोहन ने मेरे पैरों को कसकर पकड़ लिया है और निर्देशक ने तुरंत अपना कैमरा सोफे पर गिरा दिया और मेरी बाँहों को पकड़ लिया! किसी भी व्यक्ति ने मुझे प्रतिक्रिया देने और विरोध करने के लिए एक सेकंड का भी समय नहीं दिया।

मैं: ईई... क्या कर रहे हो?

निर्देशक ने एक हाथ से मेरी फैली हुई भुजाओं को नियंत्रित किया और अपना हाथ अपनी जेब के अंदर डाल दिया। मैंने संघर्ष करने की कोशिश की, लेकिन दो पुरुषों ने मुझे पकड़ लिया। उसने एक रस्सी निकाली और मेरे हाथों को सोफ़े के सिरे से बाँधना शुरू कर दिया!

मैं: मिस्टर मंगेशर्र... आप क्या कर रहे हैं? मुझे छोड़ दो! अरे! आप! यह क्या बकवास है?

मेरी चीखें बहरे कानों तक नहीं गईं और कुछ ही सेकंड में मैंने पाया कि मेरे हाथ मेरे सिर के ऊपर उस रस्सी से बंधे हुए थे और रस्सी का खुला सिरा सोफे के हेडरेस्ट के साथ बंधा हुआ था!

श्री मंगेश: हाँ! अब हमें ठीक से चोदने के लिए कुतिया मिल गई है!

प्यारेमोहन: क्या बात है! साली रंडी को ऐसी चुदाई करेंगे के सालो को नानी याद आ जायेगी! हा-हा हा...

मिस्टर प्यारेमोहन ने अपना हाथ मेरी चुत पर सरकाया और मेरी चिकनी जांघों के रेशमीपन को महसूस करते हुए मेरी जांघों के अंदरूनी हिस्से को सहलाना शुरू कर दिया। वह बहुत अंतरंग क्षेत्र था और जब भी मुझे उस क्षेत्र में सहलाया जाता है तो मैं अत्यधिक उत्तेजित हो जाती हूँ। इस बार हालाँकि स्थिति प्रतिकूल थी, यह अहसास इतना गुदगुदी वाला, उत्तेजक और रोमांचक था कि मैं इसे पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर सकी! उसके हाथों ने मेरे पैरों को और दूर धकेल दिया और उसके मजबूत हाथों का अहसास मुझे पागल कर रहा था और मेरी रीढ़ की हड्डी में ठंडक पहुँचा रही थी!

मैं: आआ... ... नहीं... कृपया... मुझे छोड़ दो! आआआआआआआ उउउउउह्ह्ह्हह्ह......!

चूँकि मेरी बाहें मेरे सिर के ऊपर-ऊपर की ओर फैली हुई थीं और बंधी हुई थीं, जाहिर तौर पर मेरे विकसित स्तन बहुत खुले और उजागर दिख रहे थे और वे और भी अधिक हिलते हुए लग रहे थे!

श्री मंगेश: वाह! क्या दृश्य है!

निर्देशक ने कैमरा उठा लिया था और मुझे फिर से मेरे भारी हिलते हुए स्तनों पर केंद्रित करना शुरू कर दिया था, जबकि श्री प्यारेमोहन ने मेरी आंतरिक जांघों को सहलाते हुए मेरे जुनून को भड़काना जारी रखा था। मैं महसूस कर सकती थी कि श्री प्यारेमोहन भी एक ऐसे बिंदु पर पहुँच रहे थे, जिसे वे अब और बर्दाश्त नहीं कर सकते थे और वह अब निश्चित रूप से मुझे चोदने के लिए जुट रहा था क्योंकि उसने जबरदस्ती मेरे पैरों को अलग कर दिया और उनके बीच बैठ गया! ऐसी स्थिति में मुझे बहुत बुरा महसूस हुआ। यह निश्चित रूप से सबसे अजीब स्थिति थी जिसका मैंने कभी सामना किया था-मैं निर्वस्त्र लेटी हुई थी, एक आदमी मेरे पैरों के बीच बैठा था, कमरे में कई लाइटें जल रही थीं और एक आदमी मेरे ठीक ऊपर कैमरा लेकर खड़ा था!

कोई और रास्ता न देखकर मैंने उन्हें खुश करने के लिए एक आखिरी भावुक रास्ता अपनाया।

मैं: सुनो... कृपया मुझ पर कुछ दया करो... कृपया... मिस्टर प्यारेमोहन, आप एक शादीशुदा आदमी हैं... आपको समझना चाहिए... आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं? मेरा एक परिवार है...कृपया...मुझे छोड़ दो!

प्यारेमोहन: मैं तुम्हारे परिवार में शामिल हो जाऊंगा... हो सकता है कि 9 महीने बाद तुम मेरे बच्चे की माँ बनो... हा-हा हा...!

मैं: मैं आपसे विनती करती हूँ...मुझे छोड़ दो! । मैंने बिल्कुल वैसा ही किया जैसा आपने कहा था... मैंने इस शूटिंग के लिए सारे कपड़े उतार दिए हैं... आपने कहा था कि यह एक दुष्कर्म के प्रयास के **** दृश्य के फिल्मांकन का प्रयास है... लेकिन अब आप... कृपया मुझे जाने की अनुमति दें... प्लीज मेरे साथ ऐसा मत करो!

मेरे गालों पर आँसू बहने लगे।


जारी रहेगी
 
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