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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-6

खुजली-धब्बे-जांच-गर्मी का एहसास


मामा जी: हाँ बहूरानी, अगर तुम्हारे मन में कोई बात है या संशय हैं तो तुम उसे दूर कर सकती हो। डॉ. दिलखुश आपको रोज-रोज नहीं मिलेंगे, ये इतनी कम उम्र में इतने अनुभवी डॉक्टर हैं!

मैं: हम्म... अरे... हाँ, मामा जी मैं जानती हूँ (अपनी गर्दन और कंधों के पिछले हिस्से को खुजलाते हुए।)

(मेरा खुजली सिंड्रोम अभी भी वहीँ था) उम्म, मैं यह नहीं कह सकती कि मुझे इसका कोई अनुभव नहीं है, लेकिन गंभीर कुछ भी नहीं है।

डॉ. दिलखुश: अनुभव! कौन-सा अनुभव मैडम?

मैं: मेरा मतलब उस गर्मजोशी से है जिसका आपने अभी वर्णन किया है।

डॉ दिलखुश: ठीक है, ठीक है। ऐसा है तो अच्छा है! उम्म... क्या आपने ध्यान दिया कि यह दिन के एक विशिष्ट समय पर या ऐसा किसी विशिष्ट गतिविधि के बाद होता है?

मैं: उम्म... मैं वास्तव में निश्चित नहीं हूँ... मैंने इतनी सटीकता से इस बारे में ध्यान नहीं दिया ... लेकिन... मेरा मतलब है...!

डॉ. दिलखुश: ठीक है मैडम, बस आपको अपने दिमाग पर ज्यादा जोर देने की जरूरत नहीं है। आइए मैं आपके लिए चीजों को आसान बनाता हूँ... आप केवल उन मामलों पर विचार करें मैडम जहाँ आपके पति के आसपास नहीं होने पर आपको अपने पैरों में गर्मी महसूस हुई। आप एक... मेरा मतलब है... एक युवा महिला हैं और आपकी शादी को केवल 2-3 साल ही हुए हैं... इसलिए आपके पैरों के ऊपरी हिस्से में अक्सर गर्मी का एहसास होना अस्वाभाविक नहीं है, जैसा कि आप जानते हैं...!

मामा जी: हा हा... और आप जानते हैं डॉक्टर! हमारा बेटा अनिल भी उससे बहुत प्यार करता है।

मामा जी मेरी ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे और डॉक्टर भी मुस्कुरा रहे थे और स्वाभाविक रूप से मेरे कान स्वाभाविक स्त्री शर्म के कारण शरमा गए। मैं बहुत डरपोक होकर मुस्कुरायी और भगवान को धन्यवाद दिया... अब जब डॉ. दिलखुश मुझसे सीधे बात कर रहे थे, उन्होंने अपना हाथ मेरी जांघों पर घुमाना बंद कर दिया था और मैं स्वाभाविक रूप से आसानी से सांस ले पा रही थी और कम कठोर थी, हालांकि उनका हाथ अभी भी मेरी जांघो के ऊपर बना हुआ था। बल्कि मेरी बाईं और दाईं जांघ के बीच में बहुत ही अशोभनीय स्थिति में था।

मैं: अरे... खैर मुझे गर्मी तब मिलती है जब उम्म... मैं दोपहर के भोजन के बाद बिस्तर पर आराम कर रही होती हूँ।

डॉ. दिलखुश: मुझे लगता है कि उस समय आपके पति काम पर बाहर गये होंते हैं।

मैं: हाँ बिल्कुल!

डॉ. दिलखुश: ठीक है। श्रीमती सिंह कोई और समय जो आप याद कर सकें?

मैं: ठीक है डॉक्टर! मुझे कभी-कभी नहाने से पहले ऐसा महसूस होता है... हालाँकि हमेशा नहीं... लेकिन...!

डॉ. दिलखुश: हम्म... किसी और समय?

मैं: सच में ऐसा कुछ नहीं है जो मुझे याद हो।

डॉ. दिलखुश: ठीक है... बिल्कुल सही। अब मुझे बताएँ मैडम, क्या यह गर्मी जो आप अपने पैरों में अनुभव करती हैं, आपकी समय गतिविधियो में बाधा डालने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होती है... क्या यह आपको काफी असुविधा में डालती है?

मैं: नेह... मेरा मतलब कोई असुविधा नहीं है लेकिन... लेकिन आप जानते हैं... मुझे बहुत बेचैनी महसूस होती है...!

डॉ दिलखुश: मैं देखता हूँ। फिर महोदया मुझे लगता है कि यह निश्चित रूप से कोई शारीरिक समस्या नहीं है जिसका मैं समाधान कर सकूं।

मैं: (निश्चित रूप से थोड़ा आश्चर्यचकित) फिर?

डॉ. दिलखुश: यह पूरी तरह उत्तेजना का मामला है। हे-हे हे... आप किसी कारण से उत्तेजित हो रहे होंगे... मैं ठीक से नहीं जानता कि कैसे... हो सकता है...?

मैं: उत्तेजित! (मैंने कर्कश आवाज में कहा।)

डॉ. दिलखुश: मुझे इस पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, लेकिन... ज़रूर कोई कारण रहा होगा!

मामा जी: किस कारण से डॉक्टर? अगर कोई कारण होगा तो बहुरानी को तो पता ही होगा न?

डॉ. दिलखुश: देखिए मिसेज सिंह, मैं आपको खुलकर बता रहा हूँ... जो दो केस आपने मुझसे जुड़े हैं।

मेरा मतलब है कि दोनों ही मामलों में मुझे लगता है... मुझे दोहराने दो मुझे लगता है कि यह सच नहीं हो सकता है, लेकिन आपकी ओर से विवरण से ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों ही अवसरों पर आपके पैरों में गर्माहट हो रही होगी, आप किसी न किसी रूप में निर्वस्त्र अवस्था में होंगी या हो सकता है कि आप कम कपड़ों में हों। चूँकि आपने कहा है कि आप इसे अक्सर अनुभव करती हैं, यह एक नियमित मामला होना चाहिए। ठीक है, आप नहाने से पहले अनावश्यक रूप से लंबे समय तक और दोपहर के भोजन के बाद आराम करते समय कुछ हद तक उजागर अवस्था में रहती होंगी, जो अनजाने में आपकी भावनाओं को उत्तेजित कर सकता है। मैं फिर से दोहराता हूँ कि मैंने केवल आपके विवरण से यह अनुमान लगाया है।

मैं: क्या?

मैं तो बस हैरान रह गयी कि डॉक्टर ऐसा कोई कारण बता सकता है!

मैं... मैं बस शून्य दिख रही थी और विशेष रूप से मामा जी की मौजूदगी में मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं अपना चेहरा तकिये के नीचे छिपा लू। मेरे लिए हालात तब और खराब हो गए जब मामा जी ने अगली टिप्पणी की जिससे मैं इस बाहरी डॉक्टर के सामने इतना उजागर हो गयी कि मैं पूरी तरह से हक्की-बक्की रह गयी।

मामा जी: हम्म... डॉक्टर, मुझे लगता है कि आपने सही अनुमान लगाया है! हो सकता है ये वास्तव में सच हो। बहूरानी, मेरी बहन की भी ऐसी ही आदत थी, हो सकता है तुम्हें वह आदत विरासत में मिली हो!

डॉ. दिलखुश: आपकी बहन?

मामा जी: अरे उसकी सास!

डॉ. दिलखुश: ओ! अच्छा ऐसा है।

मामाजी: क्या मैं गलत हूँ बहूरानी?

मैं: नहीं...लेकिन...ऐसा नहीं है...!

मामा जी ने केवल मुझे टोक दिया और स्वयं ही निष्कर्ष निकाला कि मुझे वह भी मेरा वाक्य पूरा नहीं करने दिया जिसमे मैं अपनी बात व्यक्त करना चाहती थी!

मामा जी: मुझे पता है! मुझे पता है! अरे पहले भी मैंने अनगिनत बार अपनी बहन को ऐसा न करने के लिए कहा था, लेकिन नहीं, जब भी मैं उसके ससुराल जाता था तो मैं उसे हर दिन नहाने से पहले अपने शयनकक्ष की सफ़ाई और झाड़ू लगाते हुए पाता था। अरे! जब नौकरानी हो तो इसकी क्या जरूरत थी! मैंने उससे कई बार कहा कि तुलसी, अब तुम्हारी शादी हो चुकी है और अगर कोई बाहरी आदमी तुम्हें ससुराल में इस तरह देख लेगा तो वह क्या सोचेगा? लेकिन किसे परवाह थी वह रोजाना नहाने से पहले तौलिया पहनकर ही कमरे में झाड़ू-पोछा करती थी।

मामाजी क्षण भर के लिए रुके और मैं यह कल्पना करके लगभग पूरी तरह से रोमांचित हो गयी कि मेरी सास सिर्फ तौलिया पहनकर अपने कमरे में झाड़ू लगा रही हैं और वह भी मामाजी के सामने!

मामा जी: क्या बताऊँ बहूरानी तुलसी ने यह तब भी जारी रखा जब अनिल काफी बड़ा हो गया और हाई स्कूल जाता था और जब एक दिन मैंने देखा कि अनिल उसकी माँ पर नजर रख रहा था, जो स्वाभाविक था, आप जानते हैं... मुझे आपकी सास को सचेत करना पड़ा-उस साली को पहले तो मेरी बातों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब...!

मामा जी अपना सिर हिला रहे थे और अचानक रुक गए और बहुत भी अनुचित तरीके से।

मैं: (मेरे मुँह से अपने आप प्रतिक्रिया निकल पड़ी) क्या मामा जी?

मामाजी ने जो वर्णन किया, वह मेरे लिए बहुत अधिक था! इसने मुझे उस डॉक्टर के सामने सचमुच झकझोर कर रख दिया।

मामा जी: लेकिन जब मैंने उन्हें बेटे की नजर के बारे में बताया तो उन्हें एहसास हुआ। बेशक बहूरानी! यह आपकी सास को अच्छा नहीं लगा, लेकिन सच तो सच है! अगले दिन नहाने से ठीक पहले जब वह कमरे की सफाई करने लगी तो राजेश बिस्तर पर बैठा था। जाहिर है मेरी बहन उस दिन कुछ ज्यादा ही होश में थी... लेकिन तुम मुझे बताओ बहूरानी तुम सिर्फ एक तौलिये से अपने शरीर को कितना छुपा सकती हो?

मामा जी ने सीधे मेरी ओर देखा और मैंने स्वाभाविक रूप से उनकी नजरों से बचकर सिर हिलाते हुए कहीं और देखा ताकि वे आगे पूछताछ न करें!

मामा जी: और वह भी तब वह झाड़ू लगाते हुए जब घुटनों के बल बैठकर फर्श पोंछती थी तो बीच-बीच में तौलिया उसके कंधे से फिसल जाता था, स्वाभाविक रूप से अनिल का ध्यान इससे भटक जाता था और इस मामले में बहूरानी, मैं इसके लिए युवा अनिल को दोष नहीं देता! एक माँ के रूप में यदि आपको यह एहसास नहीं है कि आपका बेटा बड़ा हो रहा है तो कहने को कुछ नहीं है!

जारी रहेगी!
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-7


अटपटी चर्चा-महिला अंतरंग वस्त्र -पेंटी, ब्रा और निक्कर

मामा जी: और वह भी तब वह झाड़ू लगाते हुए जब घुटनों के बल बैठकर फर्श पोंछती थी तो बीच-बीच में तौलिया उसके कंधे से फिसल जाता था, स्वाभाविक रूप से अनिल का ध्यान इससे भटक जाता था और इस मामले में बहूरानी, मैं इसके लिए युवा अनिल को दोष नहीं देता! एक माँ के रूप में यदि आपको यह एहसास नहीं है कि आपका बेटा बड़ा हो रहा है तो कहने को कुछ नहीं है!


डॉ. दिलखुश: लेकिन सर जाहिर तौर पर ये इतना अटपटा नहीं लगता कि...!

मामाजी: अटपटा! यह बहुत अच्छा शब्द है जिसका आप प्रयोग कर रहे हैं डॉक्टर!


(अब मामा जी अपनी आवाज़ धीमी कर एक-एक रहस्य का खुलासा करते हैं) मामाजी: अरे डॉक्टर आपको पता है जब मेरी बहन ने सोफ़े के नीचे फर्श पोंछा लगा रही थी तब खाट के नीचे उस क्षेत्र को साफ़ करने के लिए उसे अपने घुटनों के बल बैठने के लिए हमेशा बहुत झुकना पड़ता था और डॉक्टर और... हर बार जब मेरी बहन झुकती थी और खाट के नीचे फर्श साफ़ करती थी, तो मुझे क्या कहना चाहिए, तब उसके कंधे पर तौलिया का सिरा लगातार उसके स्तनों को उजागर करते हुए फर्श पर फिसल रहा था... और अधिकतर बार वह बिस्तर के नीचे अपने दोनों स्तनों को पूरी तरह से खुला रखकर ही पोछा लगाती थी... मेरी बहन बहुत ही सामान्य स्वभाव की थी और उसका बेटा कभी-कभी यह देख सकता था क्योंकि वह हर समय बिस्तर पर नहीं बैठा होता था!

डॉ. दिलखुश: ठीक है! मैं समझ रहा हूँ... हाँ, एक माँ को हमेशा इस बारे में सचेत रहना चाहिए और यह ध्यान में रखना चाहिए कि उसका बेटा बड़ा हो रहा है!

मामाजी: हुंह! सचेत! मेरी बहन बहुत अज्ञानी थी... कई बार डॉक्टर मैंने उसे बिस्तर के नीचे से तौलिया उसके स्तनों से पूरी तरह से अलग होकर निकलते देखा था और वह केवल खड़े होने के बाद ही अपने स्तनों को ढकती थी! वह भी उनके बेटे के सामने, जो उस समय स्कूल जा रहा था, ऐसा करना कोई बुद्धिमानी की बात नहीं थी, है ना?

डॉ. दिलखुश: अवश्य! तुम्हारी बहन ने बहुत ग़लत काम किया... एक और बात दरअसल मैं हमेशा सलाह देता हूँ।

यह मेरी उन सभी महिला रोगियों के लिए है जो बढ़ते बच्चों की माँ हैं...!

मामा जी: कौन-सी डॉक्टर?

डॉ. दिलखुश: बढ़ते बच्चों के सामने घर पर जितना हो सके अंडर-गारमेंट्स पहनने चाहिए, क्योंकि आप समझते हैं।

मामा जी: बिलकुल डॉक्टर! आपने मेरे मन की बात कह दी, बिल्कुल यही बात मैंने अपनी बहन को भी बता दी थी!

डॉ. दिलखुश: ...क्योंकि बढ़ते बच्चे के सामने ब्रा पहनना जरूरी है सर, खासकर अगर माँ के पास... मेरा मतलब है "बड़े स्तन" (डॉ. दिलखुश मेरे बड़े स्तनों को देखकर चालाकी से मुस्कुरा रहे थे-बड़े आकार के स्तन जो साड़ी से ढके हुए थे। )

मामा जी (खुलकर लुंगी के अंदर अपना लंड खुजाते हुए) : बिल्कुल डॉक्टर और यही मेरी राय भो है पर बहन ने कभी नहीं इसका पालन नहीं किया! न केवल उस सफाई के समय, बल्कि मैंने कई बार उसे राजेश के सामने बिना ब्रा पहने हुए (आवाज़ धीमी करते हुए) पाया।

डॉ. दिलखुश: रात को छोड़कर बिस्तर पर जाते समय माँ को इससे बचना चाहिए । महिलाये इसमें सहज महसूस करती हैं, लेकिन उसकी पोशाक के अंदर उसके मुक्त स्तनों का हिलना हमेशा उसके बेटे का ध्यान भटकाएगा, जैसा कि आप जानते हैं और अगर लड़का स्कूल जा रहा है तो ऐसा करना बिल्कुल भी समझदारी की बात नहीं है।

मामा जी: हम्म दुर्भाग्य से तुलसी ने कभी मेरी सलाह नहीं सुनी! हुंह!

डॉ. दिलखुश: इसके अलावा, सर, मैं उन माताओं से भी इस बात की भी वकालत करता हूँ जिनका शरीर भारी है, वे घर पर जो भी पहनें, उसके अंदर हमेशा निक्कर पहनें...!

मामा जी: निक्कर! आपका मतलब है गलती... मेरा मतलब है कि आप एक पैंटी कहना चाहते हैं, मुझे लगता है...!

जिस तरह से यह चैट आगे बढ़ रही थी, मैं हतप्रभ थी! मेरे एलर्जी उपचार का क्या हुआ? मैंने अपने पैरों में गर्मी की जो समस्या बताई थी उसका क्या हुआ? यह शालीनता की सभी सीमाओं को पार कर रहा है और मेरे लिए लगातार असुविधाजनक और ऊबड़-खाबड़ हो गया था! स्वाभाविक रूप से मैं बहुत ज्यादा शरमाई और तमतमाई हुई लग रही थी। मेरे पास भी इसमें भाग लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन मैंने टिप्पणी करने से बचने की पूरी कोशिश की क्योंकि मुझे डर था कि इससे मेरे लिए और अधिक शर्मनाक स्थिति पैदा हो सकती है।

मामा जी: निकर? क्या वे अभी भी उपयोग में हैं? मेरा मतलब है कि कोई महिला इसे पहनती है?

डॉ. दिलखुश: मैं सहमत हूँ सर कि वे बहुत लोकप्रिय नहीं हैं, लेकिन मैं इसे मांसल मोटी गांड वाली महिलाओं के लिए सुझाता हूँ जो चलते समय बहुत हिलती हैं। दरअसल इससे उन्हें अपने बढ़ते बच्चों के सामने सभ्य दिखने में मदद मिलती है।

मामा जी: ठीक है। अच्छा ऐसा है! अच्छा ऐसा है!

डॉ. दिलखुश: वास्तव में... (डॉ. दिलखुश रुकते हैं और मेरे शरीर को देखते हैं) मिसेज सिंह, निक्कर पहनने से आपको भी फायदा हो सकता है क्योंकि मैंने देखा है कि आपकी भी गांड काफी मांसल और बड़ी है, मेरा मतलब है, आपके पास एक बड़ा पिछला भाग भी है!

मैं: ओस्स... ओह्ह ओके-हे डॉक्टर। (मेरा गला पूरी तरह से सूख गया था और मैं मुश्किल से कुछ भी बोल पा रही थी!)

मामा जी: हाँ बहूरानी, जब मैंने तुम्हें आखिरी बार देखा था तब से तुम्हारा वजन शादी के बाद से काफी बढ़ गया है।

मामा जी मेरे पेल्विक एरिया को देख रहे थे और अपने लंड को लुंगी के नीचे से रगड़ते रहे। ऐसा लग रहा था कि उन्होंने कोई कच्छा नहीं पहना था और उनका लंड उनकी लुंगी के नीचे स्वतंत्र रूप से लटका हुआ था! मैं बस किसी तरह मूर्खतापूर्ण ढंग से मुस्कुरा दी।

डॉ. दिलखुश: असल में मैडम...आप जानती हैं। मैं बड़ी गांड वाली महिलाओं को निक्कर पहनने की सलाह क्यों देता हूँ... ... केवल इसलिए क्योंकि यह आपके नितंबों के मांस के स्वतंत्र रूप से हिलने-डुलने को प्रतिबंधित करता है।

मैंने डॉ. दिलखुश से नज़रें मिलाने से परहेज किया क्योंकि किसी पुरुष डॉक्टर के साथ ऐसी बातें करने में मुझे वास्तव में बहुत अजीब महसूस हो रहा था।

डॉ. दिलखुश: बेशक मेरे कहने के पीछे कोई विज्ञान है! निक्कर इस तरह से बनाए जाते हैं कि वे पूरे नितंबों और यहाँ तक कि जांघों के कुछ हिस्से को बहुत कसकर ढकते हैं और पकड़ते हैं, जो लचीली संरचना और लोच को बनाए रखने में मदद करने के अलावा गांड के मांस को बहुत स्वतंत्र रूप से हिलने से रोकता है। उस क्षेत्र के ऊतकों को आप जानते हैं।

जी: उम्म! इस सम्बंध में कभी इतनी गहराई से नहीं सोचा! ही-ही ...!

डॉ. दिलखुश (मुस्कुराते हुए भी) : लेकिन दुर्भाग्य से आप जानते हैं सर, ज्यादातर महिला मरीज मेरे पास काफी नकारात्मक प्रतिक्रिया लेकर लौटती हैं ।...

मामा जी: निककर के सम्बंध में?

डॉ. दिलखुश: निक्कर पहनने के सम्बंध में मुझे नहीं पता कि वे निक्कर के बजाय पैंटी पहनने के लिए इतने इच्छुक क्यों हैं, हो सकता है कि आप इसका जवाब एक महिला होने के नाते मैडम दे सकें!

मैं हैरान थी कि एक डॉक्टर ऐसी सेक्सी चर्चाएँ कैसे शुरू कर सकता है! डॉ. दिलखुश और मामाजी दोनों ने मुड़कर मेरी ओर देखा; स्वाभाविक रूप से मुझे इसका कोई अंदाज़ा नहीं था और ईमानदारी से कहूँ तो मैं इस भद्दी बातचीत में भाग लेने के लिए बिल्कुल भी उत्सुक नहीं थी!

मैं: मैं... मैं...!

डॉ. दिलखुश: मुझे लगता है मैडम आपने निक्कर ट्राई नहीं किया होगा...?

मैं: नहीं, कभी नहीं। (मैंने काफी ज़ोर देकर कहा और यह दिखाने की पूरी कोशिश की कि मैं चिढ़ गयी थी।)

डॉ. दिलखुश: हम्म... तो देखिए आप अलग नहीं हैं मैडम! मेरी अधिकांश महिला मरीजों की तरह आप भी निक्कर की बजाय साड़ी के नीचे पैंटी पहनना पसंद करती हैं।

डॉ. दिलखुश ने सीधे मेरी आँखों में देखा और यह बहुत ज्यादा शर्मिंदगी भरा था क्योंकि उनके शब्द मानो मेरे कानों में गूँज रहे थे-"...आप भी अपनी साड़ी के नीचे पैंटी पहनना पसंद करती हैं।"

मैंने फिर से नीचे देखा और मेरा चेहरा शर्म से चमक रहा होगा, क्योंकि मैं अपने कानों से भी गर्मी महसूस कर सकती थी।

डॉ. दिलखुश: (मामा जी की ओर मुड़ते हुए) आप जानते हैं सर, सच तो यह है कि मुझे अपने उन मरीजों से जो फीडबैक मिला, जिन्होंने कम से कम मेरी सिफारिश पर निक्कर ट्राई किया, वह बिल्कुल भी उत्साहवर्धक नहीं है।

मामा जी: क्यों?

डॉ. दिलखुश: हुंह! प्रत्येक मरीज के पास अलग-अलग बहाने थे और आप जानते हैं कि मैं उन बहानों पर केवल हंस सकता हूँ, लेकिन हाँ, मैं सहमत हूँ, गर्मी का मौसम लगातार निक्कर पहनने में बाधा है, जिसका उल्लेख कुछ मरीजों ने किया था।

मामा जी: यदि यही एकमात्र वास्तविक बहाना है जिसे आप मानते हैं, तो अन्य डॉक्टरों के बारे में क्या? (बहुत अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कुराते हुए।)

डॉ. दिलखुश: ओह! अन्य? ...हा हा हा...


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-8

निक्कर पहनने फीडबैक-कम कपडे पहने महिला से छेड़छाड़

डॉ. दिलखुश: (मामा जी की ओर मुड़ते हुए) आप जानते हैं सर, सच तो यह है कि मुझे अपने उन मरीजों से निक्कर पहनने पर जो फीडबैक मिला, जिन्होंने कम से कम मेरी सिफारिश पर निक्कर ट्राई किया, वह बिल्कुल भी उत्साहवर्धक नहीं है।

मामा जी: क्यों?

डॉ. दिलखुश: हुंह! प्रत्येक मरीज के पास अलग-अलग बहाने थे और आप जानते हैं कि मैं उन बहानों पर केवल हंस सकता हूँ, लेकिन हाँ, मैं सहमत हूँ, गर्मी का मौसम लगातार निक्कर पहनने में बाधा है, जिसका उल्लेख कुछ मरीजों ने किया था।

मामा जी: यदि यही एकमात्र वास्तविक बहाना है जिसे आप मानते हैं, तो अन्य डॉक्टरों के बारे में क्या? (बहुत अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कुराते हुए।)

डॉ. दिलखुश: ओह! अन्य? ...हा हा हा...

डॉ. दिलखुश काफी खुलकर हंस रहे थे और मैं बुरी तरह से उलझी हुयी थी क्योंकि यह शर्मनाक बातचीत अनवरत जारी थी!

डॉ. दिलखुश: सर, आप उनके वह बहाने सुनेंगे तो आप भी हंस पड़ेंगे...!

मामा जी: जैसे?

डॉ. दिलखुश: जैसे... एक युवा महिला ने बताया कि उसके पति को उसका निकर पहनना पसंद नहीं था और वह उसका अपने कपड़ों के नीचे नियमित पैंटी पहनना पसंद करता था... इसलिए महिला इस विषय में कुछ नहीं कर सकती थी...!

मामा जी: क्या उसे हमेशा अपने पति को दिखाना पड़ता था कि उसने नीचे क्या पहना है...?

डॉ. दिलखुश: हुंह! इसीलिए तो मैं आपसे कह रहा था ना सर... हास्यास्पद! ...फिर एक अन्य मध्यम आयु वर्ग की महिला ने बताया कि वह शौचालय का उपयोग करने में असहज थी क्योंकि उसकी टाइट फिटिंग के कारण उसे निक्कर को नीचे खींचने में कठिनाई होती थी। उम्म... एक और महिला ने इसी तरह की समस्या बताई... असल में वह एक कामकाजी महिला है... और उसने कहा कि कार्यालय के शौचालय में, जो कि एक सार्वजनिक शौचालय है, साड़ी के साथ खड़ा होना उसके लिए बहुत अजीब था। उसे लंबे समय तक पेशाब करने के लिए उसकी निक्कर को नीचे खींचने की कोशिश करनी पड़ती है ... इससे टॉयलेट में उसे सधिक समय लगता है और ऑफिस में लोग टॉयलेट में अधिक ामय व्ययतीत करने पर आपत्ति करते हैं ।

मामा जी: ये तो तार्किक बात लगती है... हा-हा हा...!

डॉ. दिलखुश: हा-हा हा... ऐसे ही अनेको अजीब बहाने थे ... वैसे भी मुझे लगता है कि हम इस बातछी में बहुत दूर जा रहे हैं... मिसेज सिंह कुछ बेचैन हो रही हैं सर...!

मामा जी: ओह! सॉरी, सॉरी बहूरानी... मैं भी इस बातचीत में थोड़ा बहक गया बेटी... मुझे बहुत राहत मिली कि यह "बकवास" (बातचीत) खत्म हो गई और मैंने गहरी आह भरी।

डॉ. दिलखुश: जैसा कि मैं कह रहा था कि क्या आप मेरे इस अनुमान से सहमत हैं कि श्रीमती सिंह? मेरा मतलब है कि आपने कहा था कि दोपहर के भोजन के बाद और नहाने से पहले गर्माहट पैदा होती है और मेरा मानना है कि शायद आप उस दौरान लंबे समय तक कम कपड़ों में रहती हैं, जिससे वास्तव में आप सूक्ष्म रूप से उत्तेजित हो जाती हैं और इसलिए आपके पैरों में गर्मी पैदा होती है। क्या मैं सही दिशा में हूँ श्रीमती सिंह?

मुझे अत्यंत आश्चर्य से भौंहें सिकोड़नी पड़ीं क्योंकि इस युवा डॉक्टर ने बिल्कुल ठीक बात कह दी! वह इसका अनुमान कैसे लगा सकता है? यह तो सच था कि ससुराल में नहाने जाने से पहले कपड़े धोने और साफ-सफाई के लिए मैं ब्लाउज और पेटीकोट में ही रहती हूँ। लेकिन फिर वहाँ मुझे कोई देखने वाला नहीं है।

! और साथ ही, दोपहर के भोजन के बाद और घर के सारे काम निपटाने के बाद, मैं एक झपकी जरूर लेती हूँ और हाँ कई बार मैं गर्मी के कारण कम से कम कपड़े पहनकर बिस्तर पर लेट जाती हूँ। मैं पूरी तरह से चकित हो गयी और डॉ. दिलखुश के अनुमान से काफी मंत्रमुग्ध हो गयी!

डॉ. दिलखुश: मैडम, क्या मैं पूरी तरह गलत हूँ? और आप जानते हैं कि अगर आप अकेले हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। आप वयस्क और स्वतंत्र हैं और जब आप सुरक्षित रूप से अकेले हों तो आप हमेशा अपनी पसंद के कपड़े पहन सकते हैं।

मैं अभी भी तमतमा रही थी और अविश्वास से लगातार उसके चेहरे को देख रही थी, लेकिन जल्दी ही मैंने खुद पर काबू पा लिया।

मैं: अरे... कुछ हद तक ठीक है... अरे मेरा मतलब है कि आप कुछ हद तक सही हैं।

डॉ. दिलखुश: तो मैडम को ही देख लीजिए, मैंने पहले ही बता दिया था (मुस्कुराते हुए) यह कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसका इलाज करना पड़े!

मैं इस तथ्य के बारे में सोचकर घबराहट से मुस्कुरा रही थी कि मैंने वास्तव में दो वयस्क पुरुषों के सामने कबूल किया था कि मैं दिन के दो समय में कम कपड़े पहनती हूँ! और डॉ. दिलखुश ने तुरंत अपनी अगली टिप्पणी से मुझे और अधिक परेशान कर दिया!

डॉ. दिलखुश: लेकिन मैडम, जब आप ऐसा करें तो बहुत आश्वस्त रहें क्योंकि मुझे कम से कम दो मामलों का सामना करना पड़ा है जहाँ मेरे मरीजों के साथ छेड़छाड़ की गई और उनकी इस आदत के कारण उन्हें शारीरिक चोट पहुँची।

मामा-जी, उम्मीद के मुताबिक, उत्साहित हो आगे आये!

मामा-जी: छेड़छाड़? उनके अपने घर के भीतर?

डॉ. दिलखुश: हाँ सर! इसीलिए तो कह रहा हूँ ना!

मैं इस घटना के बारे में और अधिक जानने से खुद को नहीं रोक सकी क्योंकि मैं अपने घर में सुरक्षित महसूस करती हूँ इसीलिए तो जाहिर तौर पर ऐसे समय में मैं कम कपड़ों में रहती हूँ ।

मैं: लेकिन... लेकिन आपके मरीज को क्या हुआ? उसके साथ क्या हुआ? (स्वाभाविक रूप से मेरी आवाज़ में चिंता की झलक थी।)

डॉ. दिलखुश: ठीक है मैडम, यह बिल्कुल भी उत्साहजनक नहीं है और मुझे लगता है कि किसी को इससे सबक लेना चाहिए।

मैं: असल में क्या हुआ था?

डॉ. दिलखुश: पहला केस था गायत्री भाभी... दरअसल वह मेरी पड़ोसी हैं। वह दो बच्चों की माँ है, उम्र करीब 40 साल है।

मामा जी: दो बच्चों की माँ के साथ छेड़छाड़ हुई?

डॉ. दिलखुश: दुर्भाग्य से हाँ! वह अपने और अपने बच्चों की सामान्य समस्याओं के लिए मेरे चैंबर में आती थी, लेकिन एक दिन वह अकेली आई और काफी देर भी हो गई। मैं चैम्बर लगभग बंद कर रहा था। मैं उसे देखकर ही समझ गया कि वह अपने आप में नहीं थी। आमतौर पर उसके साथ उसका बड़ा बेटा भी रहता था, लेकिन आज वह भी गायब था। वह सदमे की स्थिति में लग रही थी और शून्य में देख रही थी।

डॉ. दिलखुश की कथा बहुत ही मनमोहक थी और मामा जी और मैं दोनों बड़े ध्यान से सुन रहे थे। यहाँ तक कि लालिमा और तीव्र खुजली सहित मेरी शारीरिक परेशानी भी मेरे दिमाग में चली गई!

डॉ. दिलखुश: जब मैंने उसकी समस्या के बारे में पूछा तो वह चुप थी और बात करने में असमर्थ थी। उसके होंठ कांपने लगे और अंततः वह सिसकने लगी। मुझे एहसास हुआ कि कुछ गंभीर घटित हुआ था और वह अपने परिवार के सदस्यों को इसके बारे में नहीं बता सकती थी। मैंने अपनी नर्स को बाहर जाने के लिए कहा ताकि वह अधिक आरामदायक महसूस करे। मैंने उसे फिर से संगठित होने के लिए कुछ समय दिया और फिर उसने जो बताया वह चौंकाने वाला था और दयनीय भी।

मामा जी: उसने क्या कहा?

यहाँ तक कि मामा जी की आवाज़ में भी चिंता की झलक-झलक रही थी!

डॉ. दिलखुश: गायत्री भाभी ने कहा कि वह प्रतिदिन स्नान करने के बाद ऊपर की मंजिल पर पूजा करती थीं और एक परंपरा के रूप में और पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए वह बिना ब्लाउज या पेटीकोट के पूजा करते समय ताजी साड़ी पहनती थीं। चूँकि उस दौरान वह हमेशा अकेली रहती थी और अपनी शादी के बाद से ही ऐसा कर रही थी, इसलिए उसने कभी इसकी परवाह नहीं की। उसने बताया कि यह सिर्फ 5 मिनट का मामला था और फिर उसने कपड़े पहने। उस दौरान उसके ससुर और घर का नौकर आम तौर पर घर में मौजूद थे, लेकिन वे दोनों नीचे ही रहते थे। लेकिन उस दिन किसी कारण से उसके ससुर उसे ढूँढते हुए आये और ठीक उसी समय जब वह पूजा के लिए बैठी थी। ऐसा नहीं था कि ऐसा पहली बार हुआ हो, बल्कि उसके ससुर अगर उसे पूजा वाले कमरे में पाते तो ज़ोर से संदेश देकर नीचे चले जाते।

मैं: डॉक्टर ये एक बहुत ही सामान्य और प्राकृतिक सेटिंग की तरह लगता है!

डॉ. दिलखुश: हाँ, किसी भी अन्य घर की तरह मैडम! लेकिन महिला-सी चमड़ी के अनावश्यक प्रदर्शन के कारण ऐसे समय में सामान्य सेटिंग भी अक्सर ख़राब हो जाती है! गायत्री भाभी को बाद में घटना के बारे में सोचने पर पता चला कि जब उनके ससुर संदेश देने आए थे, तो वह पूजा कर रही थीं और खुद को ठीक से ढकने में अनिच्छुक थीं और उनकी पीठ पूरी तरह से नग्न थी और यहाँ तक कि उन्हें उस हिस्से पर भी संदेह था। उसकी गांड भी दिखाई दे रही थी क्योंकि वह साड़ी लपेटने में स्वाभाविक रूप से बहुत लापरवाही बरत रही थी, क्योंकि यह एक दैनिक मामला था और बहुत ही अल्पकालिक मामला था।

मामा जी: बहुत सामान्य... और इस उम्र में भी...!

डॉ. दिलखुश: हाँ बिल्कुल! गायत्री भाभी ने कहा कि जब उनकी पूजा खत्म हो गई तो वह उठीं और देखा कि उनके ससुर जी कमरे के अंदर उनके ठीक पीछे खड़े थे! वह स्वाभाविक रूप से काफी आश्चर्यचकित थी क्योंकि उसे कभी भी एहसास नहीं हुआ कि बुजुर्ग व्यक्ति चुपचाप कमरे में आया था और उसने दरवाजा बंद कर दिया था! भाभी ने यह भी बताया कि दुर्भाग्य से उनकी साड़ी इतनी मोटी नहीं थी और चूँकि नहाने के बाद उनका शरीर गीला था, इसलिए उनके शरीर का काफी हिस्सा उनकी साड़ी से दिख रहा था। इससे पहले कि वह स्थिति की कल्पना कर पाती, उसके ससुर ने उस पर झपट्टा मारा और उसे गले लगाने की कोशिश की।

जारी रहेगी..!
 

macssm

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Badhiya update diya hai 💦
Namaste
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-9

ससुर द्वारा पुत्रवधु से छेड़छाड़, डॉक्टर, इंजक्शन

डॉ. दिलखुश: हाँ बिल्कुल! गायत्री भाभी ने कहा कि जब उनकी पूजा खत्म हो गई तो वह उठीं और देखा कि उनके ससुर जी कमरे के अंदर उनके ठीक पीछे खड़े थे! वह स्वाभाविक रूप से काफी आश्चर्यचकित थी क्योंकि उसे कभी भी एहसास नहीं हुआ कि बुजुर्ग व्यक्ति चुपचाप कमरे में आया था और उसने दरवाजा बंद कर दिया था! भाभी ने यह भी बताया कि दुर्भाग्य से उनकी साड़ी इतनी मोटी नहीं थी और चूँकि नहाने के बाद उनका शरीर गीला था, इसलिए उनके शरीर का काफी हिस्सा उनकी साड़ी से दिख रहा था। इससे पहले कि वह स्थिति की कल्पना कर पाती, उसके ससुर ने उस पर झपट्टा मारा और उसे गले लगाने की कोशिश की।

मैं: छी-छी ससुर द्वारा पुत्रवधु से छेड़छाड़! यह बहुत अकल्पनीय है!

डॉ. दिलखुश: मैडम, मैंने आपको बताया था कि गायत्री भाभी स्वाभाविक रूप से सिसक रही थीं क्योंकि उन्होंने कहा था कि उनके ससुर जी ने उनके साथ पूरी तरह से छेड़छाड़ की थी, सिर्फ गले लगाने की कोशिश ही नहीं बल्कि इससे भी अधिक और उस संघर्ष में वह लगभग नग्नता की कगार पर पहुँच गई थीं। आख़िरकार उसने अपने ससुर के हाथ पर दाँत काट लिया और अपनी इज़्ज़त बचा ली, लेकिन इस प्रक्रिया में उसके स्तनों पर गंभीर चोट लग गई और उसे बहुत दर्द हुआ।

मामाजी: बेशर्म! उस व्यक्ति पर शर्म आनी चाहिए! आदमी है के जानवर! अपनी बहू से! छी!

डॉ. दिलखुश: बिल्कुल सच मैडम! भाभी बता रही थी कि उसकी शादी को 18 साल हो गए थे और यह पहली बार था कि वह इतनी बुरी स्थिति में थी!

मामा जी: उसकी सास?

डॉ. दिलखुश: उनका एक साल पहले निधन हो गया।

मामा जी: वही तो! समस्या यहीं है!

मैं (स्पष्ट रूप से काफी नाराज थी) : लेकिन यह इस तरह की घिनोनी हरकत (गंदे व्यवहार) के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता!

मामा जी: नहीं, नहीं बहूरानी, मैं प्रमाणित नहीं कर रहा हूँ बल्कि कारण बता रहा हूँ।

मैं: लेकिन... लेकिन मुझे यकीन नहीं है कि इतने बुजुर्ग व्यक्ति के लिए यह कारण कैसे हो सकता है!

डॉ दिलखुश: नहीं मैडम। ऐसा हो सकता है। कई पुरुषों में 60-65 के बाद भी लंबे समय तक यौन जीवन जारी रखने की शक्ति होती है!

मैं: हे भगवान! (यह मेरे मुंह से अपने आप निकल गया और मुझे तुरंत शर्म महसूस हुई और शरमा गई क्योंकि मामा जी लगभग 60 या 60+ के थे!)

डॉ. दिलखुश: लेकिन जब मैंने गायत्री भाभी के स्तनों की जांच की तो मैं बहुत परेशान हो गया...

मामा जी: क्यों डॉक्टर?

डॉ. दिलखुश: सर, जैसे ही मैंने गायत्री भाभी का ब्लाउज खोला तो मैंने पाया कि उनका दाहिना निपल काफी सूजा हुआ था और उनके दोनों स्तनों पर दांतों और नाखूनों के स्पष्ट निशान थे। यह इतना दर्दनाक था कि भाबी ब्रेसियर भी नहीं पहन पा रही थीं! उसका दाहिना निपल इतना सूजा हुआ दिखाई दे रहा था कि मैं काफी चिंतित हो गया था कि कहीं उसके स्तन के ऊतकों को कोई आंतरिक क्षति तो नहीं हुई है। भाभी ने स्वीकार किया कि जब उनके ससुर ने उन्हें पकड़ा, तो वह उनके स्तनों को पूरी तरह से उजागर करने में सक्षम थे क्योंकि उनकी साड़ी बहुत ढीली थी और उन्होंने कई बार उनके दाहिने निप्पल को बहुत जोर से काटने और चूसने की कोशिश की।

मामा जी: ईश... बहुत दुखद!

डॉ. दिलखुश: लेकिन आप जानते हैं सर, भले ही मैं यह मान लूं कि मैं उसके दाहिने निपल की स्थिति से हैरान था। वह एक विवाहित महिला थी, हालांकि 40 साल की थी, लेकिन वह अपने पति के साथ यौन सम्बंध बनाती थी और यह स्वाभाविक है कि संभोग के दौरान उसका पति उसके निपल्स को चूसता था, लेकिन जिस तरह से उसके निपल सूजे हुए और कोमल थे, ऐसा लग रहा था कि उन्हें बहुत लंबे समय के बाद छुआ गया था।

मामा जी: हम्म और आपने कहा कि उसके बच्चे बड़े हो गए हैं और इसलिए स्तनपान का कोई सवाल ही नहीं था।

डॉ. दिलखुश: बिल्कुल और जब मैंने यह बात भाबी को बताई, तो उन्होंने स्वीकार किया कि यद्यपि उन्होंने सेक्स किया था, लेकिन उनके पति उनके स्तनों को चूसने के लिए उत्सुक नहीं थे क्योंकि वे कुछ हद तक ढीले हो गए थे और तथ्य यह है कि उनके दूसरे बच्चे के बाद उन्होंने उनके स्तनों को चूसना या पीना बंद कर दिया था, उन्होंने पिछले कुछ समय से शायद ही ऐसा किया हो और अपने पति से स्तन चूसवाने का अनुभव किये हुए काफी समय हो गया था। तब मुझे यह स्पष्ट हो गया कि प्रतिक्रिया इतनी जोरदार क्यों थी...

मामा-जी: मैं समझ गया! अच्छा ऐसा है! ह...ही.. ही!

डॉ. दिलखुश: मैंने टिटनेस का इंजेक्शन लगाया और भाबी को उनके स्तनों पर लगाने के लिए एक जेल दिया और उन्हें उपचार के बारे में बताने के लिए एक सप्ताह में वापस आने के लिए कहा।

मैं: क्या उसने अपने पति को इस क्रूर पीड़ा के बारे में नहीं बताया?

डॉ. दिलखुश: मैंने बिल्कुल यही पूछा था और उसे पुलिस के पास जाने के लिए भी कहा था, लेकिन आप जानते हैं कि वह नहीं गई क्योंकि वह इस घोटाले को लेकर बहुत डरी हुई है और उसके बच्चे अभी भी नाबालिग हैं। गायत्री भाभी भी अपने पति को अपने ससुर की इस गंदी सोच के बारे में बताने से कतराती थीं और पूरी बात छिपाकर रखती थीं। वैसे भी... मेरा कर्तव्य सिर्फ आपको जागरूक करना था मैडम... और इसीलिए मैं...!

मैं: नहीं, नहीं डॉक्टर। आप बहुत अच्छे हैं...!

मामा जी: मुझे लगता है आप दो मामलों का जिक्र कर रहे थे...?

डॉ. दिलखुश: इस बारे में बाद में बताऊंगा, मुझे लगता है कि मुझे प्राथमिकता के आधार पर मैडम को कुछ राहत देने की जरूरत है।

मामा जी: हाँ, हाँ डॉक्टर निश्चित रूप से यह सर्वोच्च प्राथमिकता है! मेरी बहूरानी बहुत दर्द सह रही है! अब बहुत समय हो गया!

डॉ. दिलखुश: ठीक है, मुझे अपने निरीक्षण से जो पता चला, उसके अनुसार मुझे मुख्य उपचार के रूप में कुछ इंजेक्शन लगाने होंगे। लेकिन सर, मुझे यह बताना होगा कि इस प्रकार की एलर्जी प्रतिक्रिया काफी दुर्लभ है और मुझे आश्चर्य है कि श्रीमती सिंह ने इसे कैसे विकसित किया! निस्संदेह यह भोजन से सम्बंधित नहीं है।

मामा जी: डॉक्टर, मैं उसे इसके स्रोत से नहीं, बल्कि उससे छुटकारा दिलाने के लिए अधिक उत्सुक हूँ।

डॉ. दिलखुश: नहीं, नहीं, मैं यह समझ सकता हूँ सर, लेकिन मेरे लिए स्रोत भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है कि इसकी पुनरावृत्ति न हो।

डॉ. दिलखुश ने अपना ब्रीफकेस खोलकर एक सिरिंज और दो एंपुल निकाल लिया था और इंजेक्शन तैयार करने की तैयारी कर रहे थे। हालाँकि मैं किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह इंजेक्शन लेने से बहुत सहज नहीं थी, लेकिन फिर भी राहत महसूस कर रही थी कि मैं इस असहनीय खुजली, खून के धब्बे और उस लालिमा से जल्द ही ठीक हो जाऊंगी जिसने मेरे पूरे शरीर को घेर लिया था। इस स्तर पर सीने में जकड़न और सिरदर्द वास्तव में काफी मामूली थे।

डॉ. दिलखुश: देखिए मैडम, किसी भी एलर्जी प्रतिक्रिया के लिए... इसे कैसे कहें, मेरा मतलब है कि ऐसी अलेर्जी बढ़ने या नियंत्रित करने के लिए थोड़ा समय लगता है, जिसके दौरान आपको सबसे अधिक पीड़ा होती है, जिसके बाद यह अपेक्षाकृत स्थिर स्थिति आती है, जहाँ तीव्र लक्षण हो सकते हैं या ये खत्म हो जाती है।

मैं: हम्म... हम्म...!

डॉ. दिलखुश इंजेक्शन लेकर तैयार थे।

डॉ. दिलखुश: यह उन दो इंजेक्शनों में से पहला है जो मैं लगाऊंगा और निश्चित रूप से आपको 10-15 मिनट के भीतर राहत मिलेगी क्योंकि दवा आपके रक्त में मिल जाएगी।

मैं थोड़ा अनिश्चित थी कि डॉ. दिलखुश इंजेक्शन कहाँ लगाएंगे। इससे पहले अब तक मैं हमेशा अपनी बांह में इंजेक्शन लेती थी और इसलिए स्वाभाविक रूप से इसकी ही आशंका थी, लेकिन डॉ. दिलखुश ने तुरंत इसे खारिज कर दिया!

डॉ. दिलखुश: मिसेज सिंह, क्या आप इंजेक्शन के लिए घूम सकती हैं और पेट के बल लेट सकती हैं...!

मैं: क्या आप इसे बांह में नहीं लगाओगे?

डॉ. दिलखुश: बिलकुल नहीं! ये कमर में लेने के लिए होते हैं, बांहों में लेने के लिए नहीं मैडम।

मामा जी: अरे ये तो वही बात है बहुरानी...बाहें या कमर में इंजेक्शन बात एक ही तो है!

डॉ. दिलखुश: हाँ... बस क्षण के लिए दर्द और ख़त्म! (मुस्कराते हुए!)

मैं: ओ! ठीक है...!

मैं बिस्तर पर उल्टी हो गई और वास्तव में दो पुरुषों के सामने ऐसा करना बहुत अजीब था। मेरी बड़ी गोल गांड अब छत की ओर दिख रही थी और जैसे ही मैंने अपना शरीर पलटा तब मेरी साड़ी मेरी गांड के मांस पर थोड़ी अधिक खिंच गई, जिससे वह स्वाभाविक रूप से और अधिक उभरी हुई दिखाई देने लगी। मैंने जितना संभव हो सके साड़ी को समायोजित करने की कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्य से यह अभी भी मेरी उभरी हुई गोल गांड पर काफी कसकर खिंची हुई थी।

डॉ. दिलखुश: श्रीमती सिंह... मेरा मतलब है कि अगर आप अपनी साड़ी को कमर पर ढीला कर सकती हैं... वास्तव में मुझे सुई लगाने से पहले उस क्षेत्र को साफ करना होगा।

यह निश्चित रूप से मेरे लिए एक अजीब स्थिति थी, खासकर जब मामा जी मेरे ठीक सामने खड़े थे, लेकिन मैं इसके बारे में शायद ही कुछ कर सकती थी और मैंने अपना दाहिना हाथ अपनी नाभि के नीचे अपने शरीर के अंदर डाला और वहाँ साड़ी को ढीला करना शुरू कर दिया।

जारी रहेगी
 

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Badhiya hai pathako ko Jude rakhane ke liye suspense rakhna Badhiya hai
 

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279

CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-10

नितम्बो और स्तनों पर इंजक्शन

डॉ. दिलखुश इंजेक्शन लेकर तैयार थे।

डॉ. दिलखुश: मिसेज सिंह, क्या आप इंजेक्शन के लिए घूम सकती हैं और पेट के बल लेट सकती हैं...!

मैं: ओ! ठीक है...!

मैं बिस्तर पर उल्टी हो गई और वास्तव में दो पुरुषों के सामने ऐसा करना बहुत अजीब था। मेरी बड़ी गोल गांड अब छत की ओर दिख रही थी और जैसे ही मैंने अपना शरीर पलटा तब मेरी साड़ी मेरी गांड के मांस पर थोड़ी अधिक खिंच गई, जिससे वह स्वाभाविक रूप से और अधिक उभरी हुई दिखाई देने लगी। मैंने जितना संभव हो सके साड़ी को समायोजित करने की कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्य से यह अभी भी मेरी उभरी हुई गोल गांड पर काफी कसकर खिंची हुई थी।

डॉ. दिलखुश: श्रीमती सिंह... मेरा मतलब है कि अगर आप अपनी साड़ी को कमर पर ढीला कर सकती हैं... वास्तव में मुझे सुई लगाने से पहले उस क्षेत्र को साफ करना होगा।

यह निश्चित रूप से मेरे लिए एक अजीब स्थिति थी, खासकर जब मामा जी मेरे ठीक सामने खड़े थे, लेकिन मैं इसके बारे में शायद ही कुछ कर सकती थी और मैंने अपना दाहिना हाथ अपनी नाभि के नीचे अपने शरीर के अंदर डाला और वहाँ साड़ी को ढीला करना शुरू कर दिया।

डॉ. दिलखुश: (अब बिस्तर पर मेरे और करीब बैठते हुए) थैंक्स...थैंक्स...बाकी काम मैं कर लूंगा।

मैं अपनी साड़ी की कमर के ठीक ऊपर अपनी कमर की खुली त्वचा पर डॉक्टर के गर्म हाथ को महसूस कर सकती थी। डॉ. दिलखुश वहाँ थपथपा रहे थे और उनकी उंगलियाँ मेरी साड़ी की परिधि के साथ-साथ मेरी पूरी कमर पर धीरे-धीरे घूम रही थीं।

मैं: डॉक्टर मुझे उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा... मेरा मतलब है बहुत दर्द... ग़लती... दर्दनाक। सॉरी ! डॉक्टर साहब मुझे उम्मीद है मुझे ज्यादा दर्द नहीं होगा!

डॉ. दिलखुश: सच कहूँ तो श्रीमती सिंह, यह इंजेक्शन अन्य इंजेक्शनों से थोड़ा अलग है और इसे लगाने की अवधि थोड़ी लंबी है, जिससे वास्तव में दर्द बढ़ जाता है, लेकिन आप इसके बारे में बिलकुल चिंता न करें क्योंकि मेरे पास इसका इलाज है। । मैं सिरिंज को धकेलने से पहले एक एनेस्थेटिक प्रकार के घोल का उपयोग करूंगा ताकि आपको बहुत कम दर्द महसूस हो।

मामा जी: ओह! वह बहुत बढ़िया डॉक्टर है। मैं अपनी बहूरानी को इससे अधिक दुःख में नहीं देख सकता...!

डॉ. दिलखुश: मुझे पता है सर वास्तव में यह सुन्नता का समाधान विशेष रूप से इस प्रकार के इंजेक्शनों के लिए है और इसलिए मैं इसे अपने साथ रखता हूँ।

मैं: ओह्ह! । बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर।

मैं मुस्कुरायी और निश्चित रूप से बहुत आश्वस्त हुयी।

डॉ. दिलखुश: मैडम, मैं बस आपकी साड़ी को थोड़ा नीचे खींच दूंगा (वह वास्तव में मेरे पेटीकोट से मेरी साड़ी निकाल रहा था) ताकि मैं उस क्षेत्र को साफ कर सकूं और सुन्नता वाले लेप को रगड़ सकूं। वास्तव में इसके लिए बड़े व्यास की आवश्यकता होती है।

यह वास्तव में बहुत अजीब महसूस कर रही थी क्योंकि जब उसने मेरी साड़ी का नाड़ा खोला था! उस समय मैंने महसूस किया कि डॉक्टर की उंगलियाँ मेरे पेटीकोट के लगभग एक इंच अंदर थीं, चूँकि मैंने अपनी साड़ी को अपनी कमर से ढीला कर दिया था, यह डॉक्टर के लिए आसान हो गया था और कुछ ही क्षणों में डॉ. दिलखुश ने मेरी साड़ी को मेरी कमर से पूरी तरह से बाहर निकाल दिया और मैं उनकी आँखों के सामने पेटीकोट में थी। उसकी उंगलियाँ बार-बार मेरे उभरे हुए नितंबों को छू रही थीं और इससे मुझे स्वाभाविक रूप से बहुत शर्म आ रही थी।

डॉ. दिलखुश: आप भाग्यशाली हैं मैडम, आपको स्वाभाविक रूप से कम दर्द महसूस होगा।

मैं: क्यों? (मैंने मूर्खतापूर्वक पूछा !)

डॉ. दिलखुश: मैडम, आपकी गांड बहुत भरी हुई है... मांसल और आकर्षक है जिससे दर्द काफी हद तक कम कर होगा ... हे-हे हे...!

"आकर्षक" ? डॉ. दिलखुश का क्या मतलब था? मुझे आश्चर्य हुआ कि वह एक विवाहित महिला के बारे में ऐसी टिप्पणी कैसे कर सकता है?

मामा जी: तो आपका मतलब है कि सही जगह पर उचित मांस अच्छा हैं! डॉक्टर!

डॉ. दिलखुश: ओह! निश्चित रूप से महाशय। एक महिला के लिए मांसल अंग हमेशा इंजेक्शन लेने के लिए फायदेमंद होता है... चाहे वह कहीं भी हो! नितंब, जांघ, या स्तन।

मामा जी: स्तन! क्या आप वहाँ भी सुईयाँ घुसाते हैं डॉक्टर?

डॉ. दिलखुश: अवश्य, यदि आवश्यकता हो! और मोटे शरीर वाली महिला मरीज़ कम से कम दर्द के मामले में हमेशा फायदे में रहती हैं और मैडम निश्चित रूप से अपने बट के आकार और उसके स्तनों के आकार के कारण इस योग्य हैं। हा-हा हा...!

जब मैंने युवा डॉक्टर को मेरे मांसल सुडौल शरीर की खुले तौर पर और निःसंकोच प्रशंसा करते हुए सुना तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैं फंस गई हूँ।

मामा जी: लेकिन... मेरा मतलब है... अगर आपको कोई आपत्ति न हो तो डॉक्टर... मैं जानना चाहूंगा... अरे... आप किसी महिला को इंजेक्शन कब लगाते हैं... मेरा मतलब है गलती... ।स्तन? दरअसल, आप जानते हैं कि यह मेरे लिए बिल्कुल नई जानकारी है... इसलिए मैं थोड़ा उत्सुक हूँ।

डॉ. दिलखुश: हाँ सर, मैं मानता हूँ कि यह कोई नियमित घटना नहीं है और महानगरों में रहने वाली प्रबुद्ध महिलाओं में यह धीरे-धीरे बढ़ रहा है। असल में मैंने स्वयं अब तक केवल दो-चार बार ही यह किया है...!

मामा-जी: ओह्ह! मैं समझ गया!

डॉ. दिलखुश: दरअसल सर, स्तन को आकार देने, स्तन को छोटा करने और स्तन को बढ़ाने की उपचार प्रक्रिया के दौरान इसकी आवश्यकता होती है, हालांकि यह काफी महंगा है।

मामा-जी: ओह! अच्छा! अच्छा तो ऐसा है।

डॉ. दिलखुश: वास्तव में मैंने जो उपचार किया उनमें से एक-एक युवा विवाहित महिला के लिए था जो स्पष्ट रूप से समाज के उच्च वर्ग से आती थी... उसका नाम वर... वरशा... हाँ वर्षा था। उसके स्तन आकार में छोटे होने के कारण वह मानसिक रूप से पीड़ित थी और उसके कहे अनुसार उसका पति संतुष्ट नहीं था। लेकिन यकीन मानिए सर वह एक खूबसूरत महिला थी... गोरा रंग, बादामी आंखें, गुलाबी गाल, लंबा शरीर और उसके स्तन छोटे नहीं थे वह वास्तव में चाहती थी की उसके स्तन का आकार और बढ़ जाए और इसके लिए उसे एक दूसरे डॉक्टर ने मेरे पास भेजा था। मैंने उसका इंजेक्शन और सम्बंधित उपचारों से इलाज किया।

मामा जी: ओह! मुझे कहना होगा की वह एक साहसी महिला...!

जैसे ही डॉ. दिलखुश इस बेहद "अजीब" विषय पर बात कर रहे थे, उन्होंने अपने दाहिने हाथ में सिरिंज पकड़े हुए अपने बाएँ हाथ से मेरी कमर की चिकनी त्वचा को महसूस करना जारी रखा। उसकी उंगलियाँ मेरे नितंबों के किनारों पर रेंग रही थीं और वह वास्तव में मेरे पेटीकोट को मेरी कमर से नीचे खींचने की कोशिश कर रहा था! इसके लिए केवल मैं ही दोषी थी क्योंकि जब मैंने डॉक्टर दिलखुश के कहने पर अपनी साड़ी को कमर के पास से ढीला किया तो मुझे ज्यादा होश नहीं था और मैंने अपने पेटीकोट का नाड़ा भी ढीला कर दिया था! अब मेरा पेटीकोट मेरे चूतड़ों से बहुत ढीला हो चिपक गया था और इसलिए इस आदमी के लिए इसे नीचे की ओर सरकाना काफी आसान था! मैं स्वाभाविक रूप से अकड़ती जा रही थी क्योंकि मुझे स्पष्ट रूप से डॉक्टर और मामा-जी के सामने अपनी पैंटी के उजागर होने का अंदेशा हो रहा था!

डॉ. दिलखुश मेरी कमर को स्वतंत्र रूप से थपथपा रहे थे और अब वास्तव में उनकी उंगलियाँ मेरे बड़े ठोस नितंबों के ऊपरी उभार को छू रही थीं और चूँकि मैंने अपनी पैंटी थोड़ी नीचे पहनी हुई थी, इसलिए मैं अपने पेटीकोट से कुछ इंच पेंटी के बीच नीचे तक नंगी थी।

जाहिर तौर पर जैसे ही डॉक्टर का हाथ मेरे शरीर के एक बेहद अंतरंग क्षेत्र में घुसपैठ करते हुए लापरवाही से नीचे की ओर बढ़ा, मैं चिंता से लगभग कांपने लगी थी।

डॉ. दिलखुश: हाँ! वह महिला वर्षा उस दृष्टिकोण से काफी साहसी थी क्योंकि यह किसी भी महिला के लिए एक बहुत ही संवेदनशील अंग है और थेरेपी भी एक महिला के लिए कुछ हद तक शर्मनाक होती है।

मामा जी: ओह्ह!

डॉ. दिलखुश: मैं विशेष रूप से इसका उल्लेख कर रहा हूँ क्योंकि यह प्रक्रिया वास्तव में एक वयस्क महिला के लिए कुछ हद तक अजीब है क्योंकि अपनी यात्राओं के दौरान वह मेरे कक्ष में जो समय बिताती थी उसे व्यावहारिक रूप से मेरे सामने अपने स्तनों पर बिना ढके रहना पड़ता था। इतना ही नहीं सर, इंजेक्शन से पहले और बाद में मुझे उसकी छाती को साफ करना पड़ा और एनेस्थेटिक्स का उपयोग करना पड़ा ताकि उसे कम दर्द महसूस हो और स्वाभाविक रूप से मुझे उसके नग्न स्तनों को काफी समय तक छूना और पकड़ना पड़ता था।

मामा जी (अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कुराते हुए) : जाहिर है इलाज का कोई और तरीका नहीं है!

डॉ. दिलखुश: हाँ, साथ ही अकेले इंजेक्शन थेरेपी पर्याप्त नहीं थी और मुझे सप्ताह में तीन बार इंजेक्शन के पूरक के रूप में मालिश के साथ उसका इलाज करना पड़ता था।

मामा जी: उफ़! एक शादीशुदा महिला के लिए मसाज बहुत अजीब होगा...!

डॉ. दिलखुश: हाँ सर... और जैसा कि आप भी समझ सकते हैं... यह... मेरा मतलब है कि यह काफी अजीब है... मेरा मतलब केवल मरीज के लिए नहीं, बल्कि डॉक्टर के लिए भी है... क्योंकि मालिश वास्तव में यदि सामान्य लापरवाह मुद्रा में की जाए तो अधिकतम प्रभाव नहीं होता।

मामा जी: फिर?

जारी रहेगी
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-11

स्तन (ब्रेस्ट) साइज़ बढ़ाने के उपाय


मामा जी: लेकिन... मेरा मतलब है... अगर आपको कोई आपत्ति न हो तो डॉक्टर... मैं जानना चाहूंगा... अरे... आप किसी महिला के स्तनों में इंजेक्शन कब लगाते हैं...? दरअसल, आप जानते हैं कि यह मेरे लिए बिल्कुल नई जानकारी है... इसलिए मैं थोड़ा उत्सुक हूँ।

डॉ. दिलखुश: हाँ सर, मैं मानता हूँ कि यह कोई नियमित घटना नहीं है और महानगरों में रहने वाली प्रबुद्ध महिलाओं में यह धीरे-धीरे बढ़ रहा है। असल में मैंने स्वयं अब तक केवल दो-चार बार ही यह किया है... दरअसल सर, स्तन को आकार देने, स्तन को छोटा करने और स्तन को बढ़ाने की उपचार प्रक्रिया के दौरान इसकी आवश्यकता होती है, हालांकि यह उपचार काफी महंगा होता है।

मामा-जी: ओह! अच्छा! अच्छा तो ऐसा है।

डॉ. दिलखुश: वास्तव में मैंने जो उपचार किया उनमें से एक-एक युवा विवाहित महिला के लिए था जो स्पष्ट रूप से समाज के उच्च वर्ग से आती थी... उसका नाम वर... वरशा... हाँ वर्षा था। उसके स्तन आकार में छोटे होने के कारण वह मानसिक रूप से पीड़ित थी और उसके कहे अनुसार उसका पति संतुष्ट नहीं था। लेकिन यकीन मानिए सर वह एक खूबसूरत महिला थी... गोरा रंग, बादामी आंखें, गुलाबी गाल, लंबा शरीर और उसके स्तन छोटे नहीं थे वह वास्तव में चाहती थी की उसके स्तन का आकार और बढ़ जाए और इसके लिए उसे एक दूसरे डॉक्टर ने मेरे पास भेजा था। मैंने उसका इंजेक्शन और सम्बंधित उपचारों से इलाज किया।

मामा जी: ओह! मुझे कहना होगा की वह एक साहसी महिला...

डॉ. दिलखुश: हाँ! वह महिला वर्षा उस दृष्टिकोण से काफी साहसी थी क्योंकि यह किसी भी महिला के लिए एक बहुत ही संवेदनशील अंग है और थेरेपी भी एक महिला के लिए कुछ हद तक शर्मनाक होती है।

मामा जी: ओह्ह!

डॉ. दिलखुश: मैं विशेष रूप से इसका उल्लेख कर रहा हूँ क्योंकि यह प्रक्रिया वास्तव में एक वयस्क महिला के लिए कुछ हद तक अजीब है क्योंकि वह मेरे कक्ष में जो समय बिताती थी उसे व्यावहारिक रूप से मेरे सामने अपने स्तनों पर बिना ढके रहना पड़ता था। इतना ही नहीं सर, इंजेक्शन से पहले और बाद में मुझे उसकी छाती को साफ करना पड़ा और एनेस्थेटिक्स का उपयोग करना पड़ा ताकि उसे कम दर्द महसूस हो और स्वाभाविक रूप से मुझे उसके नग्न स्तनों को काफी समय तक छूना और पकड़ना पड़ता था।

मामा जी (अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कुराते हुए) : जाहिर है इलाज का कोई और तरीका नहीं है!

डॉ. दिलखुश: हाँ, साथ ही अकेले इंजेक्शन थेरेपी पर्याप्त नहीं थी और मुझे सप्ताह में तीन बार इंजेक्शन के पूरक के रूप में मालिश के साथ उसका इलाज करना पड़ता था।

मामा जी: उफ़! एक शादीशुदा महिला के लिए मसाज बहुत अजीब होगा...

डॉ. दिलखुश: हाँ सर... और जैसा कि आप भी समझ सकते हैं... यह... मेरा मतलब है कि यह काफी अजीब है... मेरा मतलब केवल मरीज के लिए नहीं, बल्कि डॉक्टर के लिए भी है... क्योंकि मालिश वास्तव में यदि सामान्य लापरवाह मुद्रा में की जाए तो अधिकतम प्रभाव नहीं होता।

मामा जी: फिर?

डॉ. दिलखुश: दरअसल महिला को झुकना पड़ता है ताकि उसके स्तन हवा में स्वतंत्र रूप से लटके रहें...

मामा जी: मैं देख रहा हूँ... फिर मुझे लगता है कि आप पीछे से उसकी चुचियों की मालिश कर सकते हैं।

डॉ. दिलखुश: हाँ... दरअसल मेरे कक्ष में विशेष रूप से इस प्रकार के व्यायामों के लिए दीवार पर एक क्षैतिज पट्टी लगी हुई है और श्रीमती वर्षा उसे पकड़कर झुकती थीं और मैं औषधीय तेलों से उनके स्तनों की मालिश करता था।

मामा जी: ओह? यह तेलों के साथ किया गया है?

न केवल बातचीत मेरे लिए "कड़ी" और अशोभनीय थी, बल्कि मेरी कमर के आसपास डॉ. दिलखुश के हाथ की हरकत भी मुझे तनाव में रख रही थी! यह कहना झूठ होगा कि डॉक्टर का हाथ मेरी कमर पर घूम रहा था क्योंकि अब वह पूरी तरह से मेरी बड़ी तंग गांड पर था और एक या दो बार उसने मेरी पैंटी को अंदर महसूस करने के लिए अपनी उंगलियाँ मेरे पेटीकोट में भी सरका दी थीं! वरना वह तो अपनी हथेली से मेरे बड़े-बड़े गोल नितंब गालों की चिकनाई और कसाव साफ़ महसूस कर रहा था।

डॉ. दिलखुश: सादा तेल नहीं सर, तेल को विशेष हर्बल दवाओं के साथ मिलाये जाते है जो स्तन के ऊतकों के विकास में सहायता करता है और उन्हें अधिक लचीला बनाता है जिससे आकार और कसाव भी बढ़ता है। हालाँकि यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया है, लेकिन निश्चित रूप से काफी प्रभावी है। वास्तव में जब जड़ी-बूटियों के साथ तेल मिलाया जाता है तो वह बहुत चिपचिपा और फिसलन भरा होता है और मुझे इसके साथ काफी मशक्कत करनी पड़ी... हे-हे हे... और इसलिए मालिश के प्रत्येक सत्र के दौरान प्रचुर मात्रा में तेल की भी आवश्यकता होती है।

मामा जी: ओह! तो फिर यह बहुत मुश्किल रहा होगा...

डॉ. दिलखुश: हाँ बिल्कुल! मालिश ठीक से करने के लिए मुझे पोशाक बदलनी पड़ी। आप जानते हैं कि तेल बहुत अधिक चिकने और चिपचिपे होते हैं...

मामा जी: पोशाक?

डॉ. दिलखुश: हाँ सर, बनियान और निक्कर और मेरा मरीज हालांकि मालिश के शुरुआती दिनों में अनिच्छुक थी ... बाद में मान गयी ... मेरा मतलब है... वास्तव में जब वह मेरे कक्ष में आई तो लम्बी स्कर्ट पहने हुई थी। उसे जल्द ही एहसास हुआ कि मालिश के दौरान तेल उसके स्तनों से रिसकर उसकी स्कर्ट को बुरी तरह खराब कर रहा था।

मामा जी: और तेल के दाग साफ़ करना बहुत कठिन होता है।

डॉ. दिलखुश: बिल्कुल! और इसीलिए मैंने वर्षा को कमर पर तौलिया या ऐसा कुछ पहनकर मालिश करने का सुझाव दिया, लेकिन जैसा कि अपेक्षित था, वह शुरू में आशंकित थी, लेकिन बाद में वह आश्वस्त हो गई और केवल पैंटी पहनकर ही मालिश करवाने लगी।

क्या? मैंने बस अपनी आँखें बंद कर लीं। एक शादीशुदा महिला का सिर्फ पैंटी पहने हुए इस युवा डॉक्टर से ब्रेस्ट मसाज लेना निश्चित रूप से कुछ ज़्यादा था, लेकिन मैं इस पर कैसे अविश्वास कर सकती थी क्योंकि डॉक्टर खुद इस बात को स्वीकार कर रहा था!

मामा जी: क्या आपके इलाज से वह ठीक हो गयी? मेरा मतलब है कि क्या उसे वांछित परिणाम मिले?

डॉ. दिलखुश: बिल्कुल सर। वह मेरे पास तब आई जब उसके स्तनो का आकार 29 था और तीन महीने के उपचार के बाद उसके स्तन 31+ आकार के हो गए और वह भी बिना किसी सर्जरी जैसे स्तन प्रत्यारोपण आदि के। मेरी एकमात्र संतुष्टि यह थी कि मरीज संतुष्ट था, आप जानते हैं और वास्तव में वर्षा ने बताया कि उनके पति भी उनके बड़े और कसे हुए स्तनों से काफी खुश थे। हा-हा हा...

मामा जी: वह वो वो...

मैं: आआउउम्म (मैं बहुत धीरे से बुदबुदायी क्योंकि मुझे पता था कि मेरी बात अशोभनीय लग सकती है)

जारी रहेगी
 

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Badhiya update diya hai deepreeti ji
Bahot hi acche dhang se pahle kamukta ko badhaya ja raha hai..👌👌👌
 
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