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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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Muze aaap kee mehanat aur dedication se Hruday se Abhaar prakaat karta hu....muze asha hogi kee Mishra yaa Tiwari ( maaf kijiyega naam galat ho to ) Unhe Bhee moka dejiyega please
 

deeppreeti

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औलाद की चाह

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-18

अंतरंग चुंबन या दवा पिलाना- कामुक उपचार प्रक्रिया


डॉ. दिलखुश: मैडम मुझे पूरी प्रक्रिया तीन चरणों में करनी होगी क्योंकि इस प्रक्रिया में तरल की पूरी मात्रा आपके मुंह के अंदर जानी चाहिए। इसलिए जो भी मैं पहली बार में करूंगा, उसे उसके बाद फिर मैं दो बार दोहराऊंगा। ठीक है? मैं कुछ तरल पदार्थ को अपने मुंह में लूंगा, थोड़ी देर उसे अपने मुँह में उसे रखूँगा और फिर आपके मुँह में उसे स्थांनतरित करूँगा फिर धीरे-धीरे अपनी जीभ को आपकी पूरी मुख में घुमाऊंगा ताकि मारक आपकी लार में अच्छी तरह से मिल जाए। आप एंटीडोट को निगल सकते हैं लेकिन यह सुनिश्चित करें कि यह आपके मुंह में अधिक से अधिक समय तक रहे, ताकि इसका आप पर पूरा प्रभाव हो । क्या आप समझ गयी मैडम?

मैं: जी मेरा मतलब हाँ है। (मैं लगभग फुसफुसायी। )

मैं पहले से ही बहुत लम्बी और गर्म सांसें छोड़ रही थी और मेरे स्तन मेरे ब्लाउज के अंदर पहले से कहीं ज्यादा तेजी से ऊपर-नीचे हो रहे थे।

डॉ. दिलखुश: मैडम, मुझे पता है कि आपको थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन जैसा कि आप देख सकती हैं, वास्तव में इन परिस्तिथियों में हमारे पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। और दूसरी बात, मुझे आपको समर्थन के लिए पकड़ना होगा क्योंकि मुझे यह सुनिश्चित करना होगा कि मारक आपके मुंह के हर कोने तक पहुंचे ठीक है? तो अगर मैं प्रक्रिया के दौरान आपकी कमर पकड़ लूं तो क्या आपको कोई आपत्ति तो नहीं होगी?

हुंह! कुछ ही सेकंड में वो अपनी जीभ मेरे मुँह के अंदर डालने वाला था और अब मुझसे इजाज़त मांग रहा था कि क्या वो मेरी कमर पकड़ सकता है! हुंह! शालीनता की वास्तविक पराकाष्ठा!

मैं: ठीक है... ठीक है डॉक्टर ।

मेरी सोच सचमुच उलझती जा रही थी। डॉ. दिलखुश ने टेस्ट ट्यूब ली और उसे अपने खुले मुंह पर उल्ट दिया ताकि तरल पदार्थ उनके मुँह के अंदर गिर जाए और फिर उन्होंने उसे एक स्टैंड में रख दिया। फिर डॉ ने तरल चुपचाप मुँह में भर लिया और फिर मेरे बहुत करीब आ गया। मेरा दिल इतनी तेज़ और ज़ोर से धड़क रहा था कि ऐसा लग रहा था कि मैं इसे खुद सुन सकती हूँ! उसने मुझे अपना मुंह खोलने का संकेत दिया और खुद को पूरी तरह से मेरे साथ आलिंगन करने की मुद्रा में ले आये और अपना मुंह मेरे मुंह पर रख दिया!

स्वाभाविक रूप से मेरी आँखें बंद हो गईं और मैं उसकी गर्म "मर्दाना" सांसों को अपने चेहरे पर महसूस कर सकता था। डॉ. दिलखुश किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं थे और अपने कार्यों में बहुत धीमे थे। मैं अपना मुँह खुला करके खड़ी थी और वह मानो मेरे मुँह के अंदर का निरीक्षण कर रहा था। मेरी आँखें बंद थीं और इसलिए मैं समझ नहीं पायी कि वह क्या कर रहा है। मुझे अचानक महसूस हुआ कि उसका हाथ मेरे सिर से ऊपर था । उन्हने अपने मुँह से तरल मेरे मुँह में पिचकारी मार डाल दिया फिर उनकी जीभ मेरे मुँह में आ गयी और मेरे मुँह में घूम मेरे मुँह का निरीक्षण करने लगी और मेरी जीभ के साथ खेलने लगी . वास्तविकता ये है की मैं एक विवाहित महिला हूं और एक पुरुष की जीभ को अपने मुंह के अंदर महसूस करना मुझे कामुक बना पागल होने के लिए प्रेरित कर रहा था । मैं निश्चित रूप से अपने ऊपर कुछ नियंत्रण खो रही थी और मैं मोहित हो रही थी । मैंने अपना खुला मुँह उसकी ओर अधिक से अधिक आगे बढ़ाया और इस प्रक्रिया में अपने तने हुए मम्मों को उसकी छाती पर दबा दिए । ऐसा एक मिनट और चलता रहा जब डॉ. दिलखुश मेरे मुँह से अलग हुए।

डॉ. दिलखुश: (पहली बार जोर से सांस लेते हुए) आह! बढ़िया ! यह हो गया... मैडम, क्या आप ठीक हैं?

मैं: (जोर से हाँफते हुए) उफ़्फ़्फ़! हफ़्फ़! हाँ... हाँ.।

निस्संदेह मैं काफी उत्तेजित महसूस कर रही थी और अपने घुटनों पर कमजोरी महसूस कर रही थी ; मैं अपनी कमर झुकाकर कामुकता से खड़ी थी और मेरे भारी नितंब पीछे की ओर उभरे हुए थे जो मेरी उल्लासपूर्ण स्थिति को उजागर कर रहे थे। मेरे होंठ खुले हुए थे और मैं अपनी पैंटी के भीतर खुजली की अनुभूति को अच्छी तरह से महसूस कर सकती थी। डॉ. दिलखुश अपने मुँह में दवा का दूसरा दौर तैयार कर रहे थे जबकि मैं पहली खुराक के अंत में ठीक से खड़ा होने के लिए लगभग संघर्ष कर रही थी !

अपेक्षित रूप से मैं पहले से ही बहुत गर्म और पसीने से तर महसूस कर रही थी और मेरे ब्लाउज की बगलें इसे स्पष्ट रूप से दर्शा रही थीं।

डॉ. दिलखुश दूसरी खुराक लेकर तैयार थे और मेरे पास आये। मामा जी बिस्तर पर बैठे मूक दर्शक बने हुए सब देख रहे थे। हालाँकि मुझे अपने बुजुर्ग रिश्तेदार के सामने डॉक्टर के साथ इस तरह पोज़ देने में बहुत अजीब लग रहा था, लेकिन पूरी सेटिंग का जुनून इस अजीब स्तिथि में मुझ पर बहुत तेज़ी से हावी हो रहा था। इसलिए दूसरी बार जब डॉ. दिलखुश अपने मुँह में दवा लेकर मेरे पास आए, तो मैं अपनी शारीरिक गतिविधियों के कारण अधिक बहिर्मुखी हो गयी ।

मैंने उसके लिए अपना मुँह खोला और बहुत उत्सुकता से अपना चेहरा डॉ. दिलखुश की ओर बढ़ाया! पहले शुरुआत में मैंने अपने हाथ बगल में रखे हुए थे, लेकिन इस बार मेरी कामेच्छा बह रही थी और मैंने उसे उसकी कमर से पकड़ लिया। डॉ. दिलखुश भी पहली बार की तुलना में अधिक सहज और आश्वस्त लग रहे थे, क्योंकि उन्होंने मुझे मेरी कमर के ऊपर काफी मजबूती से पकड़ रखा था, इस बार स्पष्ट रूप से नीचे की ओर उनकी उंगलियाँ मेरी उभरी हुई साड़ी से ढकी हुई गांड को महसूस कर रही थीं!

जैसा कि पहली खुराक के दौरान अनुभव हुआ था, इस बार भी जब डॉ. दिलखुश ने अपने होंठ मेरे होंठों के पास लाये, तो उनकी मर्दाना साँसें मेरे चेहरे पर थीं और उन्होंने धीरे-धीरे अपने मुँह से पीला तरल मेरे मुँह में स्थानांतरित कर दिया। उसकी जीभ मेरी जीभ को छूने से मैं ख़ुशी से कांप रही थी क्योंकि इस बार दृष्टिकोण बहुत अलग और अधिक अंतरंग था... वास्तव में मेरे पति की तरह! स्वाभाविक रूप से उनकी कमर पर मेरी उंगलियां डॉ. दिलखुश को उनके दृष्टिकोण के प्रति मेरे स्नेह के बारे में बहुत स्पष्ट रूप से रेखांकित करती हैं।

इस बार उसने मुझे लगभग अपने शरीर से बिल्कुल सटा लिया था, जिसके परिणामस्वरूप मेरे जुड़वां ऊपरी ग्लोब की चोटियाँ उसके शरीर पर 'लगातार' दब रही थीं। पहली बार के विपरीत, डॉ. दिलखुश मुझसे दूर नहीं जा रहे थे और निश्चित रूप से मेरे पूर्ण आकार के स्तनों के स्पर्श का, उन्हें दबाने का स्थिर और निरंतर अनुभव का आनंद ले रहे थे।


जैसे ही डॉ. दिलखुश ने मेरे मुँह के अंदर पीली मारक औषधि पहुंचानी समाप्त की, उसके होंठ धीरे से मेरे होंठों पर दब गये!

यह एक बेशर्म खुला चुंबन था - वह भी मामा जी के सामने - डॉ. दिलखुश ने कोई पर्दा नहीं रखा और मुझे कसकर गले लगा लिया, मेरे भारी स्तन उसकी छाती पर दब रहे थे और वह मेरे निचले होंठों को जोर-जोर से चूस रहा था! पुचच्च्च ! वाह !बहुत बढ़िया!

उसकी हल्की-फुल्की सांसें मुझे कामुक आनंद में पागल कर रही थीं और मैं सचमुच चुंबन के आनंद में कांप रही थी । मैं महसूस कर सकती थी कि डॉक्टर के हाथ धीरे-धीरे मेरी कमर से नीचे मेरी साड़ी से ढकी बड़ी गोल गांड पर फिसल रहे थे। यह हरकत इतनी स्पष्ट थी कि मुझे एक पल के लिए लगा कि मामा जी हमें देख रहे होंगे और अगर उन्होंने डॉक्टर की उंगलियों को मेरी गांड दबाते हुए देखा तो वह क्या सोचेंगे? मैं अपने विचारों को जारी रखने में असमर्थ थी क्योंकि डॉ. दिलखुश बहुत तेजी से हाथ चला रहे थे!

डॉ. दिलखुश ने मेरे ओंठो पर लिप-लॉक किया और मुझे आनंद की चरम ऊंचाइयों पर ले जा रहे थे! जब उसके होंठ मेरे गुलाबी होंठों का रस चूस रहे थे और उसके हाथ मेरी गांड के सख्त मांस की मालिश कर रहे थे, तो मैंने हल्की-हल्की कामुक सिसकारियाँ लेना शुरू कर दिया था।

आह ! हह ! ओह्ह्ह !

मैं महसूस कर सकती थी कि उसकी हथेलियाँ मेरे नितंबों की गोल सतह पर पूरी तरह फैली हुई थीं और वह मेरे नितंबों की दृढ़ता और चिकनाई का पर्याप्त आनंद ले रहा था। स्वाभाविक रूप से मैं भी खुद पर नियंत्रण खो रही थी और बड़ी बेशर्मी से अपने ब्लाउज से ढके मम्मों को डॉ. दिलखुश की छाती पर धकेल रही थी।

जिस तरह से चीजें आगे बढ़ीं, मुझे आश्चर्य हुआ कि मारक औषधि का क्या हुआ! मेरे निचले होंठ से रस की आखिरी बूंद चूसने के बाद डॉक्टर दिलखुश ने झट से मेरी जीभ उठाई और उसे चाटने और चूसने लगे. मैं इस क्रिया से इतनी उत्साहित थी कि मैंने उसकी कमर छोड़ दी और बस उसे गले लगा लिया - यह एक पूर्ण आलिंगन था जैसे कि मैं संभोग के दौरान अपने पति को गले लगाती रही थी! मैं भूल गयी कि मैं शादीशुदा हूं... मैं भूल गयी कि मैं एक सभ्य परिवार से हूं, मैं भूल गयी कि मेरे पति के मामा जी वहीँ मौजूद थे. उस कमरे में डॉ. दिलखुश ने मुझे उस समय "पागल" कर दिया। मेरे हाथ उसके शरीर को घेरते हुए, मेरे भारी स्तन उसकी छाती पर दब गए और मैं अच्छी तरह से महसूस कर सकती थी कि उसकी पतलून के नीचे उसके श्रोणि क्षेत्र में हलचल हो रही थी और मेरे शरणी क्षेत्र में उसका लिंग चुभ रहा था ।

डॉक्टर दिलखुश का ध्यान लगातार मेरी जीभ पर था और वो उसे बड़े ही प्यार से चूस रहा था और बदले में मैं भी उसके मर्दाना होंठों का स्वाद ले रही थी।

मैंने फिर से अपनी आँखें बंद कर लीं। उसने मुझे मेरे जबड़ों से पकड़ रखा था और अब उसकी उंगलियाँ मेरे मुलायम चिकने गालों और मेरी लंबी गर्दन के किनारों को हल्के से सहला रही थीं। मैं निश्चित रूप से फिर से उत्तेजित और उत्साहित महसूस कर रही थी !

मैं महसूस कर सकती थी कि उसने अपना हाथ नीचे कर लिया है और उसका मुँह मेरे बहुत करीब है। मैं उसके मुँह से पुदीने की अच्छी गंध महसूस की । जैसे ही मैंने महसूस किया कि उसके गर्म हाथ मेरी कमर को छू रहे हैं तो मेरा पूरा शरीर कांप उठा और धीरे-धीरे डॉ. दिलखुश ने मेरे पेट के निचले हिस्से के मांस को महसूस करते हुए अपने हाथों को मेरी कमर पर दबाया। मेरा पूरा शरीर अपने आप थोड़ा झुक गया और मेरे तने हुए स्तन उसकी छाती से टकरा गये। फिर भी इन हालात में मैं सतर्क थी और हमारे शरीरों के बीच न्यूनतम अंतर रखने की कोशिश कर रही थी ।

खुशी है कि डॉ. दिलखुश भी इस न्यूनतम अंतर को कायम रख रहे थे और मेरे "बहुत करीब" होने की कोशिश नहीं कर रहे थे।

जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-19

कामुक उपचार - दूसरी बार दवा पिलाना-अंतरंग चुंबन

अब पहली बार डॉ. दिलखुश ने अपने होंठ मेरे होंठों पर छुए और धीरे से अपने मुँह में जो तरल पदार्थ था, उसे मेरे मुँह में उड़ेल दिया। तरल की मात्रा बहुत कम थी, लेकिन स्वाद में आश्चर्यजनक अंतर था! इस घोल में बिल्कुल भी तीखा स्वाद नहीं था, बल्कि इसके विपरीत इसका स्वाद काफी मीठा था! मैं इस तरल के मीठे स्वाद के साथ-साथ डॉ. दिलखुश के मुँह की पुदीने की सुगंध से दंग रह गया। मैंने बहुत गहरी साँस लेना शुरू कर दिया क्योंकि जल्द ही मैंने पाया कि डॉ. दिलखुश इत्मीनान से अपनी जीभ से मेरे मुँह के अंदर का निरीक्षण कर रहे थे। उसके होंठ पहली बार मेरे निचले होंठ को दबा रहे थे और उसकी जीभ मेरी जीभ को चाटने के लिए बाहर निकली हुई थी!

मेरे हाथ मेरी बगल में लटके हुए थे लेकिन अभी जो कुछ हो रहा था उसने मुझे अनायास ही अपने हाथों को उसकी कमर की ओर ले जाने पर मजबूर कर दिया। मेरी आँखें पूरी तरह से बंद थीं और मैं उसकी पतलून के ऊपर उसकी बेल्ट के चिकने चमड़े को महसूस कर सकता था। डॉ. दिलखुश अपनी जीभ मेरे मुँह के अंदर घुमा रहे थे और जीभ को मुँह के सभी कोनों तक पहुँचा रहे थे और ऐसा लग रहा था कि वह वास्तव में अपने काम के प्रति ईमानदार थे! स्थिति इतनी अंतरंग थी कि अगर वह चाहता तो आसानी से अपनी जीभ को मेरी जीभ पर घुमा सकता था और मेरे निचले होंठों को चूस सकता था।

जैसे ही मैंने डॉ. दिलखुश के होठों को चूमना शुरू किया, वह उत्तेजित हो गया और उसके हाथ मेरी साड़ी से ढकी गांड पर तेजी से चलने लगे और मेरे कसे हुए शरीर को सहलाने लगे । वह आसानी से मेरी साड़ी के नीचे मेरी पैंटी क स्पर्श कर रहा था और बार-बार अपनी उंगलियों को मेरी पैंटी के किनारे पर घुमा रहा था! इससे उसे वास्तव में बहुत आनंद मिल रहा था और यह उसे और अधिक ोेजित कर रहा था। यह एक ऐसी हरकत थी जो शायद ही कभी मेरे पति ने मेरे साथ की थी , क्योंकि लगभग हर समय जब हम प्यार कर रहे होते हैं तो मैं अपनी नाइटी या जो कुछ भी पहनती हूं उसके नीचे पैंटी नहीं पहनती हूं। लेकिन सच कहूँ तो मुझे बहुत रोमांच हो रहा था क्योंकि डॉ. दिलखुश बार-बार मेरी पैंटीलाइन को मेरे सख्त नितंबों पर ट्रेस कर रहे थे और उसकी धार को मेरे नितंबों की त्वचा से खींच और उठा भी रहे थे!

मैं अब बहुत तेज़ और बेशर्मी से कराह रही थी क्योंकि मामला वास्तव में गर्म हो रहा था और तो और मैं मामा-जी की उपस्थिति से पूरी तरह से बेपरवाह थी । लेकिन मुझे अपनी आँखें खोलकर देखने में भी डर लग रहा था कि मामाजी क्या कर रहे हैं या मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे ! अंततः डॉ. दिलखुश ने मेरी कामुक फिगर का पर्याप्त रूप से 'आनंद' लेने के बाद अपनी दूसरी मारक खुराक मुझे देनी समाप्त कर दी।

डॉ दिलखुश : आआआआआआआआआआआआआआ हो गया!।

मेरी हालत दयनीय थी. मेरा पल्लू मेरे स्तनों से अलग हो गया था और मेरे मक्खन के रंग का क्लीवेज मेरे तंग ब्लाउज के ऊपर उजागर हो गया था। यह कहने की जरूरत नहीं है कि मैं सचमुच हांफ रही थी और अपने घुटनों में बहुत कमजोरी महसूस कर रही थी । मैं इस हद तक बेशर्म हो गई थी कि खुद को कामुक राहत देने के लिए खुलेआम डॉक्टर के सामने अपनी चूत खुजा रही थी!

डॉ. दिलखुश (कुछ हद तक हांफते हुए) यह तो आपने बहुत अच्छा किया, मैडम... मारक औषधि अब आपके मुँह में गहराई तक जा चुकी है। (मामा जी की ओर मुखातिब होकर) सर, कृपया मुझे कुछ समय और दीजिए..!

मामा जी: यह बिल्कुल ठीक है डॉक्टर, लेकिन यह प्रक्रिया... मेरा मतलब है कि यह ठीक नहीं है... सॉरी ... किसी भी परिपक्व महिला के लिए ये बहुत असुविधजनक है ।

डॉ. दिलखुश: मुझे पता है सर... लेकिन इन परिस्तिथियों में मैं और क्या तरीका अपना सकता हूं?

मामा जी- मैं ऐसा नहीं कह रहा.. लेकिन जिस तरह से तुम उसके मुँह को चूस रहे थे.. मुझे लगता है कि ऐसा उसके पति को ही करने देना चाहिए..।

डॉ. दिलखुश: लेकिन पतियों को एंटीडोट बनाने की तकनीक नहीं आती... है न सर?

मामा जी: हा हा... ये सही है! लेकिन... आपको देखकर कोई भी... मेरा मतलब है कि शायद कुछ और ही सोचेगा...।

डॉ. दिलखुश: अब क्या करे सर , मैं इसमें इनकी कोई मदद नहीं कर सकता सर! और मैंने आपको अपने साथी डॉक्टरों के बारे में बताया...।

मामा जी: हाँ, हाँ.!

डॉ. दिलखुश: और , आप देखिये ... होता ये है की सर्वोत्तम प्रभाव प्राप्त करने के लिए आपको अधिकतम लार स्रावित करने की आवश्यकता होती है... और इसीलिए मैंने रोगी को उसके शरीर पर स्पर्श किया है ताकि वह अपना मुंह खुला रखे... वास्तव में यह एक है रिफ्लेक्स एक्शन तकनीक हैं ... आप एक महिला की गांड दबाते हैं और आप आसानी से उनका मुँह खुलवा सकते हैं ! फिर जितना अधिक खुला मुँह, उतनी अधिक लार स्रावित होती है... आप समझ रहे हैं।

मामा जी: ठीक है... ठीक है! तभी तो तुम बहूरानी के नितम्ब ऐसे दबा रहे थे, अगर डॉक्टर तुमने न बताया होता तो कोई भी कुछ और ही सोचता... ही ही ही ...

मामा जी की हँसी कमरे की दीवारों पर गूँज रही थी मानो मेरी बेइज्जती बढ़ा रही हो! मैं अभी भी ऊपर देखने में असमर्थ थी और यद्यपि मेरा शरीर सुकड़ा हुआ था, मेरी इंद्रियाँ अभी भी पूरी तरह से सूख नहीं गई थीं! वास्तव में मेरी प्रफुल्लित शारीरिक स्थिति मुझे अपने मन से लड़ने की अनुमति नहीं दे रही थी और मैं बेहद कमजोर महसूस कर रही थी और न केवल बिस्तर पर लेटना चाहती थी, बल्कि बिस्तर पर लेटना पसंद कर रही थी, मेरी चूत से पानी निकलना शुरू हो गया था और अब मुझे बहुत पसीना आ रहा था; पसीने की बूंदें मेरे माथे, क्लीवेज और मेरी ऊपरी और मध्य जांघों (मेरी साड़ी के नीचे) पर छा गईं। मेरे पूरे शरीर में मीठा-मीठा दर्द हो रहा था और मैं मानो अपने अंडरगारमेंट्स पहनने के लिए जोर लगा रही थी!

डॉ. दिलखुश: अब आखिरी भाग मैडम! इसके लिए आपको अधिकतम लार का स्राव करना होगा और दृष्टिकोण में बदलाव होगा क्योंकि इस बार आप दवा प्राप्त करने के लिए मेरे मुँह को चूसेंगी । बिलकुल जैसे मैंने चूसा वैसे ?

मैं (बहुत नम्रता से): ओह्हहहह , मेरा मतलब है क्यों?

डॉ. दिलखुश: क्योंकि यह प्रक्रिया आपको अधिक लार टपकने में मदद करेगी। सही?

मैंने सिर्फ सिर हिलाया क्योंकि मैं पहले से ही इस बार कुछ "अधिक" करने की आशा करने लगी थी । आपको क्या लगता है क्या वह स्वाभाविक नहीं था?

जारी रहेगी
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-20

कामुक उपचार - चुंबन, गले लगाने, दुलारने और छूने का लाइसेंस

डॉ. दिलखुश: अब दवा का आखिरी भाग मैडम! इसके लिए आपको अधिकतम लार का स्राव करना होगा और इसमें हमे थोड़ा बदलाव करना होगा क्योंकि इस बार आप दवा को प्राप्त करने के लिए आप मेरे मुंह को चूसेंगी । मुझसे पूछो क्यों?

मैं (बहुत नम्रता से): ओह, डॉ साहब ! मेरा मतलब है क्यों?

डॉ. दिलखुश: क्योंकि यह प्रक्रिया आपको अधिक लार टपकने में मदद करेगी। सही?

मैंने सिर्फ सिर हिलाया क्योंकि मैं पहले से ही इस बार कुछ "अधिक" होने की आशा कर रही थी । क्या इन परिस्तिथियों में ये स्वाभाविक नहीं था?

डॉ. दिलखुश: अगर मुझे लगता है कि जब मैं आपके नितंबों को दबा रहा था तब आप पर्याप्त लार स्रावित नहीं कर रही हैं तो मैं बस... मेरा मतलब है कि तो मैं इस बार कुछ और करूँगा जिससे आप अधिक लार उत्पन्न कर सकें। कृपया इसे अन्यथा न लें... ही ही ये ठीक है महोदया?

मैं इस डॉक्टर के साहस को देखकर दंग रह गयी कि वह साफ़ साफ़ तौर पर मुझे गले लगाने, दुलारने और छूने का लाइसेंस प्राप्त कर रहा था और वह भी मेरे ससुराल के बुजुर्ग रिश्तेदार के सामने!

डॉ. दिलखुश: सर, माफ़ कीजिये आप कृपया कुछ मिनट और प्रतीक्षा करें, मेरा यह एंटीडोट लगभग पूरा होने वाला है!

मामा जी: ज़रूर, ज़रूर!

डॉ. दिलखुश ने टेस्ट ट्यूब से बचा हुआ पीला तरल अपने मुँह में डाला और मेरी ओर बढ़े। मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि मैं उसकी आँखों में देख भी नहीं पा रही थी । इस बार उनका दृष्टिकोण बहुत साहसी था और उन्होंने वस्तुतः मेरे पति की तरह व्यवहार किया! उसने बस मेरी कोहनियाँ पकड़ लीं और मुझे अपनी ओर खींच लिया। मेरे भारी हिलते हुए स्तन उसकी छाती से टकराते-टकराते बचे और तभी उसने सीधे मेरे नितंबों को पकड़ लिया और अपना मुँह मुझ पर झुका दिया। उसकी हथेलियाँ पूरी तरह से मेरे विशाल नितंबों पर टिक गईं और तुरंत वहाँ मेरे मांस को कुचलने लगीं! उसने मेरे लिए अपने होंठ खोले और मैंने उसके पुदीने की गंध को गहराई से महसूस किया और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी।

मैंने उसकी जीभ पर लगे तरल पदार्थ को चाट लिया और जितना संभव हो सके उतना घूंट पीने की कोशिश कर रही थी । डॉक्टर दिलखुश तो मानो इसी मौके के इंतजार में थे और उन्होंने झट से मेरी जीभ को अपने होंठों के बीच में बंद कर लिया और उसे चूसने लगे. मैं इस परिस्तिथि में कुछ नहीं कर सकी, मैं जिस हालात में थी उसमे कुछ कर भी नहीं सकती थी . खुजली के कारण पैदा हुए इन हालात का डॉ ने भरपूर फायदा उठाना शुरू कर दिया था ।

सरलपपप ग्लप्प्प्प की अव्वज आ रही थी जब डॉ मेरी जीभ चूस रहा था ।

मैं: उउउउउउउउउइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ!

मैं ऐसी ध्वनि निकालना बंद नहीं कर सकी , क्रिया की ऐसी गर्मी थी की मैंने तुरंत लिप-लॉक कर लिया था और उसके चुंबन का भरपूर आनंद ले रही थी । मैं बहुत खुश हुई और मेरा पूरा शरीर उसकी ओर धनुष की तरह झुक गया। मेरे बड़े आकार के ठोस स्तन उसके शरीर पर बहुत जोर से दब रहे थे और उनके अहसास ने उसे बहुत उत्तेजित कर दिया होगा और वह मेरे गोल गोल चूतड़ों को और भी जोर से दबा रहा था। मेरी साँसें फूल रही थीं और मैं धीरे-धीरे अपनी जीभ उसके होंठों से बाहर खींच रही थी, लेकिन वह मेरी रसीली जीभ को चूसने के लिए बहुत उत्सुक था और उसने मुझे जीभ बाहर निकालने की अनुमति नहीं दी और मेरी कोमल गांड पर ज़ोर से चुटकी काट कर मुझे संकेत दिया!

क्रिया अंतहीन लग रही थी लेकिन एक समय मुझे लगा कि वह मेरी जीभ छोड़ रहा है और फिर से मेरा निचला होंठ चूस रहा है। शुरुआत धीमी और नरम थी - उसके होंठ धीरे से मेरे होंठों को दबा रहे थे, मेरे होंठों को महसूस कर रहे थे, और फिर धीरे-धीरे उसे चूस रहे थे - लेकिन जैसे-जैसे क्षण बीतते गए चुंबन जोरदार और गर्म होता जा रहा था। डॉ. दिलखुश अपने चुंबनों और नितंबों को दबाने के माध्यम से मुझे वापस ऐसी कामुक स्थिति में धकेल रहे थे जहां से मैं वापस नहीं आ सकती थी ।

उसके हाथ अब अपेक्षित रूप से ऊपर उठे और वह मेरी कमर और पेट पर नग्न मांस को महसूस कर रहा था। मैं पहले से ही उसे गले लगा रही थी और जैसे ही उसने मेरे नग्न पेट की त्वचा को छुआ, मैंने उसे और कसकर गले लगा लिया। अभी मुझे देखकर कोई भी यह मानने को बाध्य हो जाएगा कि मैं या अपने पति के साथ चुंबन कर रही थी या मेरी इस डॉ से सगाई हो चुकी है!

जब उसकी उंगलियाँ मेरे ब्लाउज के ठीक नीचे मेरी नंगी पीठ पर गहराई तक गड़ रही थीं, तब हम एक ज़ोरदार आलिंगन में व्यस्त रहे। मैं महसूस कर सकता थी कि चीजें बहुत खुली और सीधी हो रही थीं और डॉ. दिलखुश ने बिल्कुल भी पर्दा नहीं रखा और मेरी सेक्सी जवानी को गले लगाते हुए मुझे जोश से चूम रहे थे। इलाज की प्रक्रिया पता नहीं कहा खो गयी थी! मुझे नहीं पता था कि मामाजी ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं या नहीं , मैं लगभग उनकी "बहू" जैसी थी और अपनी बहू को एक डॉक्टर के साथ इस तरह की अश्लील हरकतें करते देखकर उनका मुँह निश्चित तौर पर खुला का खुला रह गया होगा!

इसके बाद डॉ. दिलखुश ने जो किया वह बिल्कुल अकल्पनीय था! उन्होंने पूरे उत्साहपूर्ण मामले को अचानक विराम दे दिया! मैं तब तक उसके स्पर्श का इतना आदी हो चुकी थी कि मैं अब भी उसे अपनी बांहों में पकड़ने की कोशिश कर रही थी ।

डॉ. दिलखुश : मैडम, मैडम! क्या हो रहा है... (मुझे कोहनियों से पकड़कर) तुम्हारा मुँह इतनी जल्दी क्यों सूख रहा है? (पफ, पफ) कृपया अधिक लार उत्पन्न करने का प्रयास करें क्योंकि इससे आपको जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी...

निःसंदेह डॉ. दिलखुश मुझ जैसी गदरायी हुई सुंदर महिला को इस कामुक अंदाज में चूमने और सहलाने से अत्यधिक उत्तेजित थे,। उसके पतलून में लगभग एक तंबू बन गया था जो सीधे मेरी साड़ी से ढकी हुई चूत पर इशारा कर रहा था , जो स्वाभाविक था!


मैं स्वाभाविक रूप से कोई जवाब नहीं दे सकी और उसके सामने मुंह फुलाती रही ।

डॉ. दिलखुश: ठीक है... मैं आपकी मदद करूंगा... एक आसान तरीका है बस अपने हाथ उठाओ और मेरे कंधे पकड़ लो... इस तरह... या (उसने खुद ही मेरी बाहें पकड़ कर अपने कंधों पर रख लीं) मैं धीरे से आपकी बगलों को गुदगुदी करूंगा और इस तरह आप देखेंगे कि आप अधिक लार निकाल सकती हैं...!

मुझे लगा कि डॉक्टर अब मेरे साथ क्या करना चाहते हैं, यह सुनकर मामाजी को दिल का दौरा पड़ गया होगा!

डॉ. दिलखुश: समय बर्बाद मत करो मैडम जल्दी से मेरी जीभ से बची हुई दवा चाट लो।

यह कहते हुए उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और मैं भी खड़े होने और बात को आगे बढ़ाने के मूड में नहीं थी और मैंने तुरंत उसकी पुकार का जवाब दिया और उनकी जीभ चाटने लगी । डॉ. दिलखुश ने मुझे फिर से गले लगा लिया और स्वाभाविक रूप से मेरे पूर्ण आकार के स्तनों को अपनी छाती पर बहुत अच्छी तरह से महसूस कर रहे थे क्योंकि मेरे हाथ उनके कंधों पर ऊपर उठे हुए थे। इस बार वह अपने खड़े लंड को मेरी साड़ी से ढकी हुई चूत पर एक साथ धकेल रहा था।

वो खुलेआम अपना लंड मेरी चूत पर ठोक रहा था! वह मां जी के सामने ऐसा कैसे कर रहा था? चूँकि मेरी बाँहों ने उनकी गर्दन को घेर लिया था, मेरे बड़े स्तन किनारों से स्वतंत्र रूप से सुलभ रहे और डॉ. दिलखुश ने इस अवसर को अधिक समय तक नहीं छोड़ा! वह फिर से मुझे गहरा चुम्बन करने लगा और अब उसके हाथ मेरी पीठ से मेरी बगलों की ओर सरक गये। जैसे ही मैंने उसकी उंगलियों को अपने ब्लाउज के ऊपर अपनी पसीने से भरी बगल पर महसूस किया, मुझे गुदगुदी हुई और उस मुद्रा में भी , मैं हँसना बंद नहीं कर सकी ! फिर निःसंदेह गुदगुदी अधिक समय तक जारी नहीं रही!

हे! हे भगवान! क्या यह आदमी मामा जी के सामने मेरे स्तनों को छूएगा? लेकिन... लेकिन उन्होंने मामा जी को पहले ही समझा दिया था कि मेरे अंदर पर्याप्त लार स्रावित करने के लिए कुछ जोर लगाने की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए मामा जी को शायद इस बात से कोई आपत्ति नहीं होगी! मैं अपनी सोच का जाल बुन रही थी जब मैंने महसूस किया कि डॉ. दिलखुश का हाथ मेरे... मेरे स्तनों पर है!

मैं: आआआआआआआआआआआआआआआआआआ अपनी आह निकलने से नहीं रोक पायी !

मुझे क्या हो रहा था? मैं मानो लकवाग्रस्त हो गयी थी , मेरे दिमाग ने वस्तुता काम करना बंद कर दिया था और स्पष्ट रूप से इस युवा सुंदर डॉक्टर के कामुक प्रयास के आगे झुक गयी थी । डॉ. दिलखुश ने धीरे-धीरे मेरे ब्लाउज के कपड़े को महसूस करना शुरू कर दिया और फिर चालाकी से अपने हाथों को मेरे पल्लू के नीचे ले जाकर मेरे कसे हुए सख्त स्तनों के किनारों को महसूस करना शुरू कर दिया।

मैं: उउउउउउउइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ!

जारी रहेगी
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-21

कामुक उपचार - चुंबन, गले लगाने, स्तन नितम्ब दबाने का लाइसेंस

हे! हे भगवान! क्या यह आदमी मामा जी के सामने मेरे स्तनों को छूएगा? लेकिन... लेकिन उन्होंने मामा जी को पहले ही समझा दिया था कि मेरे अंदर पर्याप्त लार स्रावित करने के लिए कुछ जोर लगाने की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए मामा जी को शायद इस बात से कोई आपत्ति नहीं होगी! मैं अपनी सोच का जाल बुन रही थी जब मैंने महसूस किया कि डॉ. दिलखुश का हाथ मेरे... मेरे स्तनों पर है!

मैं: आआआआआआआआआआआआआआआआआआ अपनी आह निकलने से नहीं रोक पायी !

मुझे क्या हो रहा था? मैं मानो लकवाग्रस्त हो गयी थी , मेरे दिमाग ने वस्तुता काम करना बंद कर दिया था और स्पष्ट रूप से इस युवा सुंदर डॉक्टर के कामुक प्रयास के आगे झुक गयी थी । डॉ. दिलखुश ने धीरे-धीरे मेरे ब्लाउज के कपड़े को महसूस करना शुरू कर दिया और फिर चालाकी से अपने हाथों को मेरे पल्लू के नीचे ले जाकर मेरे कसे हुए सख्त स्तनों के किनारों को महसूस करना शुरू कर दिया।

मैं: उउउउउउउइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ!

डॉक्टर साथ-साथ मुझे होठों से होठों तक चूम रहा था और मैं इस डॉक्टर के माध्यम से अंतरंग आनंद की नई ऊँचाइयों को प्राप्त कर रही थी! मेरी आँखें बंद थीं और मेरी उंगलियाँ उसकी गर्दन में गहराई तक घुस रही थीं। डॉ. दिलखुश के लिए यह काफी दर्दनाक रहा होगा क्योंकि मेरे नाखून नुकीले थे और वे उनकी गर्दन और कंधे की त्वचा में गहराई तक घुस गए थे। मैं महसूस कर सकती थी कि डॉ. दिलखुश की हथेली और उंगलियाँ धीरे-धीरे मेरे ठोस स्तनों पर कस रही थीं और एक समय पर उन्होंने सामने से मेरे अनार जैसे स्तनों को दो हाथों में पकड़ लिया था!

यह सचमुच एक अकल्पनीय स्थिति थी! उसने मेरे दोनों स्तनों को पकड़ लिया और अपनी चौड़ी हथेलियों में मेरे स्तनो का तना हुआ मांस दबा दिया। वह लयबद्ध तरीके से मेरे स्तनों को पकड़ रहा था, प्रत्येक निचोड़ पहले की तुलना में अधिक कड़ा था और मैं बुरी तरह उत्तेजित हो रही थी।

मैं: उउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउ!

डॉ. दिलखुश की उंगलियाँ मेरे बड़े स्तनों पर रेंग रही थीं और वह मेरी ब्रा के कपों का पता लगा रहे थे और यहाँ तक कि मेरे ब्लाउज के पतले कपड़े के ऊपर से मेरे सूजे हुए निपल्स को भी महसूस कर रहे थे! मेरे निपल्स तब तक सख्त हो गए थे और मैं महसूस कर सकती थी कि वह उन्हें चुटकी काटने की कोशिश कर रहा था और मैं फर्श पर सीधे और उचित रूप से खड़े होने के लिए संघर्ष कर रही थी! डॉ. दिलखुश इस बार और अधिक शरारती हो गए थे, उन्होंने मेरे ब्लाउज के माध्यम से मेरे निपल्स का पता लगा लिया था और खुले तौर पर मेरे निपल्स को अपने अंगूठे से दबा रहे थे और मेरी ब्रा के हुक के माध्यम से अपनी बीच की उंगली को मेरी ब्रा के अंदर घुसा रहे थे!

मैं: आआआआआ! इइइइइइइइइइइइइइइ!

डॉ. दिलखुश स्वाभाविक रूप से बहुत साहसी हो रहे थे और इतनी आसानी से मेरे अंतरंग अंगों तक पूरी पहुँच पा रहे थे और निस्संदेह और अधिक करने की योजना बना रहे थे! .

डॉ. दिलखुश: क्या मैडम! आपका मुँह बार-बार सूख रहा है ! क्या हो रहा है? मैं बात करने की स्थिति में नहीं थी और लगभग घरघराहट कर रही थी !

डॉ. दिलखुश अभी भी मुझे कसकर गले लगा रहे थे और उनके होंठ मेरे होंठों के बिल्कुल करीब थे! उसने अपना हाथ बढ़ाया और टेस्ट ट्यूब ले ली, जबकि मैं अभी भी उसके शरीर से बहुत बेरहमी से चिपकी हुई थी और मेरी आधी साड़ी फर्श पर गिरी हुई थी और मेरे हाथ उसकी गर्दन और कंधों को घेरे हुए थे। यौन रोमांच की मात्रा इतनी अधिक थी कि मैं मानो पूरी तरह से भूल गयी थी कि मामा जी अभी भी वहाँ मौजूद थे!

डॉ. दिलखुश: इससे निश्चित रूप से आपके मुंह में पानी आने में मदद मिलेगी मैडम, मैं भी अपने हाथ के काम में आपकी मदद करूंगा। उसने टेस्ट ट्यूब मेरे मुँह में खाली कर दी और मैं उसे बड़े चाव से चाट रहाी थी ।

डॉ. दिलखुश: मैडम, इसे निगलो मत... मुंह में ही रहने दो...।

इससे पहले कि मैं उसके निर्देश को पूरी तरह से समझ पाती , उसके होंठ फिर से मेरे कोमल होंठों पर आ गए और वह फिर से मुझे चूम रहा था! उसे वास्तव में मेरे होंठ पसंद आए और वह उन्हें अपनी इच्छानुसार धीरे-धीरे चूमना और चूमना पसंद कर रहा था, जैसे कि मैं उसकी अपनी संपत्ति होउन !

हालाँकि मैं इसका पूरा आनंद ले रही थी , लेकिन उसके चुम्बनों की बारंबारता से हैरान था, वह भी इतने बेतरतीब ढंग से और इतने आत्मीयता ! ऐसा लग रहा था कि डॉ. दिलखुश भूल गये थे कि मैं शादीशुदा हूँ और मेरे होंठ किसी दूसरे मर्द की 'संपत्ति' हैं! लेकिन उसने ऐसा व्यवहार किया मानो वह मेरा प्रेमी हो और अपनी मर्जी से मेरे होंठों के मीठे रस का आनंद ले रहा हो! स्वाभाविक रूप से मेरी सांसें थम गई थीं क्योंकि उसने मेरे 28 साल पुराने ठोस सीधे स्तनों को थाम लिया था और मेरे होंठों को "जोर से" चूसना जारी रखा था। चुप्प्प चुक! चुक! चुक! चुक! चुक! चुक!

हमारे चुंबन से उत्पन्न होने वाली सेक्सी आवाजें मुझे बहुत शर्मिंदा कर रही थीं। वास्तव में बिस्तर पर मेरे पति के साथ भी जब वह मुझे "जोर से" चूमते हैं तो मैं हमेशा उन्हें ऐसा करने के लिए मजाक में डांट देती हूं क्योंकि मैं उन अजीब आवाजों के साथ बिल्कुल भी सहज महसूस नहीं करती हूं। यहां भी मैंने ईमानदारी से डॉ. दिलखुश के होंठों से अपने होंठ हटाने की कोशिश की, लेकिन जिस तरह से वह अपना सख्त लंड मेरे पेल्विक एरिया पर ठोक रहे थे और उनकी मर्दानगी के प्रहार ने मेरे प्रयासों को कमजोर कर दिया। मुझे सचमुच आश्चर्य हुआ कि वह क्या कर रहा था? आख़िरकार वह एक डॉक्टर था! वह कितनी दूर तक जाएगा? क्या वह आगे मुझे निर्वस्त्र करने की कोशिश करेगा?

लेकिन...लेकिन किस आधार पर? मैं हैरान हो रही थी ; मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। उसके हाथों ने मेरी जवानी को अजगर की तरह पकड़ लिया था और वह मुझे हर जगह छू रहा था और एक बार तो उसने मेरी साड़ी के ऊपर से मेरी योनि पर गुदगुदी भी कर दी थी! मैं धीरे-धीरे अपना सारा नियंत्रण खो रही थी और उसकी हरकतों के आगे समर्पण कर रही थी। उसने अब अपने हाथ मेरे स्तनों पर बढ़ाये और उन्हें किनारों से दबाया। उसकी हथेलियाँ पूरी तरह से मेरे सख्त स्तन के मांस पर टिकी हुई थीं! और... वह क्या कर रहा था?

हे! हे भगवान! उइइइइइइइइइइ म्म्म्म्म्माआआ!

उसका दाहिना हाथ धीरे-धीरे ऊपर बढ़ रहा था और मेरे ब्लाउज के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था! मैं महसूस कर सकती थी कि उसकी फुर्तीली उंगलियाँ मेरे ब्लाउज के किनारे तक रेंग रही थीं और मेरे नरम गर्म शरीर के अंदर घुस रही थीं!

मैं: ईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ...

मुझे अचानक क्षण भर के लिए चक्कर आ गया, शायद डॉ. दिलखुश के इस साहसिक कदम के कारण। मैं महसूस कर सकती थी कि उसकी मजबूत फुर्तीली उंगलियाँ सीधे मेरे ब्लाउज के अंदर मेरे स्तनों पर दब रही थीं। मरीज़ के इलाज का यह कैसा तरीका है!

सहलाने की इस भारी खुराक के कारण, स्वाभाविक रूप से मुझे अपने ब्लाउज के अंदर बेहद कसाव महसूस हो रहा था और मेरी ब्रा के कप मेरे बड़े आकार के स्तनों को बहुत कसकर दबा रहे थे।

जारी रहेगी
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-22


मामा जी और डॉ का प्लान

उसका दाहिना हाथ धीरे-धीरे ऊपर बढ़ रहा था और मेरे ब्लाउज के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था! मैं महसूस कर सकती थी कि उसकी फुर्तीली उंगलियाँ मेरे ब्लाउज के किनारे तक रेंग रही थीं और मेरे नरम गर्म शरीर के अंदर घुस रही थीं!

मैं: ईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ...!

मुझे अचानक क्षण भर के लिए चक्कर आ गया, शायद डॉ. दिलखुश के इस साहसिक कदम के कारण। मैं महसूस कर सकती थी कि उसकी मजबूत फुर्तीली उंगलियाँ सीधे मेरे ब्लाउज के अंदर मेरे स्तनों पर दब रही थीं। मरीज़ के इलाज का यह कैसा तरीका है!

सहलाने की इस भारी खुराक के कारण, स्वाभाविक रूप से मुझे अपने ब्लाउज के अंदर बेहद कसाव महसूस हो रहा था और मेरी ब्रा के कप मेरे बड़े आकार के स्तनों को बहुत कसकर दबा रहे थे।

मेरे निपल्स भी स्वाभाविक रूप से इस समय तक काफी सीधे और सूजे हुए थे और मेरी ब्रा के भीतर कसकर दबे हुए थे। मैं सचमुच अब आनंद से कांप रही थी और जोर-जोर से कराह रही थी। मेरी पैंटी गीली हो रही थी क्योंकि मेरी चूत से धीरे-धीरे पानी निकलना शुरू हो गया था।

मुझे ऐसा लग रहा था कि डॉक्टर दिलखुश को सचमुच मेरे होंठों से प्यार हो गया है और उन्होंने फिर से मेरे होंठों में जमा बचा हुआ रस निकाल कर मुझे चूमना शुरू कर दिया! उसका बायाँ हाथ मेरे शरीर को सहारा दे रहा था और ठीक मेरे नितंबों पर रखा हुआ था और निश्चित रूप से उसने मेरी गांड के मांस को प्रचुर मात्रा में दबाने और निचोड़ने का यह अवसर नहीं छोड़ा।

तभी मुझे एहसास हुआ कि डॉ. दिलखुश मेरे ब्लाउज के हुक खोलने वाले हैं और उनकी उंगलियाँ तेजी से काम कर रही हैं।मुझे समझ नहीं आ रहा था की मुझे क्या करना चाहिए? इलाज के नाम पर इस डॉक्टर के प्यार भरे अंदाज का मुझे भरपूर आनंद मिल रहा था, लेकिन मेरे कपड़े उतारने पर वह क्या सफाई देता। मुझे उस कमरे में मामाजी की उपस्थिति के बारे में सोचकर निश्चित रूप से असहजता महसूस हो रही थी, लेकिन इससे पहले कि मैं डॉ. दिलखुश को अपनी चिंता व्यक्त कर पाती, मैंने पाया कि उन्होंने पहले ही मेरे ब्लाउज का ऊपरी भाग खोल दिया था। मुझे अपनी आँखें खोलनी पड़ीं और जैसे ही मैंने नीचे देखा तो मैंने देखा कि मेरे बड़े स्तन मेरे ब्लाउज के ऊपर उभरे हुए थे और मेरे स्तन के अधिकांश गोले उजागर हो गए थे और मैं बेहद सेक्सी लग रही थी। मैंने डॉ. दिलखुश की आंखों की ओर देखा। वह क्षण भर के लिए रुका और मेरी आँखों में गहराई से देखने लगा। मैं कमरे में मामाजी की उपस्थिति के बारे में अपनी चिंता के बारे में उनसे फुसफुसाने ही वाला था, लेकिन मुझे लगा कि मेरे शरीर के अंदर कुछ और ही हो रहा है! मुझे अचानक बहुत चक्कर आया और मैं लगभग बेहोश हो गयी !

मैंने डॉ. दिलखुश को कसकर पकड़ लिया और सामान्य होने के लिए अपनी आंखें खोलने की कोशिश की। लेकिन मैं सामान्य नहीं हो पा रही थी, क्योंकि मुझे हल्का सिरदर्द भी महसूस होने लगा था! मेरा सिर अचानक घूम रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं बेहोश हो जाऊँगी ! यहां तक कि मैं अपने सिर को अपने कंधे पर ठीक से संतुलित नहीं रख सकी और वह लगभग एक तरफ लटक गया। मैं भाग्यशाली थी कि डॉ. दिलखुश ने मुझे आत्मीयता से पकड़ रखा था अन्यथा मैं निश्चित रूप से फर्श पर गिर जाती और मेरे चेहरे पर चोट लग जाती।

मैं: आह! मुझे कुछ हो रहा है... डॉक्टर... मुझे नींद आ रही है... मेरा सिर घूम रहा है स्स्स्स...ये कमरा घूम रहा है डॉक्टर!

डॉ. दिलखुश : मैडम, क्या हो रहा है! क्या आपकी तबियत ठीक नहीं है?

मैं: नहीं डॉक्टर... मैं हूँ... मैं हूँ... मुझे नहीं पता... मैं बता नहीं सकती कि मुझे बहुत कंपकंपी महसूस हो रही है!

डॉ. दिलखुश : ओहो! इस दवा का कुछ दुष्प्रभाव है .. आप बिल्कुल भी चिंता न करें मैडम, यह सिर्फ एंटीडोट का एक मामूली दुष्प्रभाव है और आप कुछ ही मिनटों में बिल्कुल ठीक हो जाएंगी!

मैं: लेकिन... लेकिन... डॉक्टर... मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं बेहोश हो रही हूं...।

डॉ. दिलखुश: बस आराम करें और अपनी आंखें बंद रखें, यह सिर्फ एक रुक-रुक कर होने वाला दुष्प्रभाव का चरण है और आप चिंता न करे , जल्द ही आप बिल्कुल ठीक हो जाएंगी मैडम!

मैं अब अपनी आँखें खोलने में असमर्थ थी और मेरी इंद्रियाँ धीरे-धीरे सुन्न होती जा रही थीं! मुझे ऐसा लग रहा था मानो किसी दूर की दुनिया में ले जाया जा रहा हो और मैं खुद को उस स्थान और समय के बारे में जानने में भी असमर्थ थी । मैं धीरे-धीरे नींद की स्थिति में चली गयी , लेकिन मैं किसी तरह डॉक्टर की बात सुनने में सक्षम थी ।

डॉ. दिलखुश: मैडम, बेहतर होगा कि मैं आपको बिस्तर पर लिटा दूं।

मैं सचमुच नींद की आगोश में जा रही थी और मेरी इंद्रियों ने प्रतिक्रिया करना लगभग बंद कर दिया था!
मामा जी: क्या हो रहा है डॉक्टर?

डॉ. दिलखुश: कृपया मेरी मदद करें सर।

मुझे एहसास हुआ कि मामा जी और डॉक्टर ने मुझे पकड़कर बिस्तर पर लिटा दिया। मैं अपने हाथ-पैर अपने आप हिलाने में असमर्थ थी! मैं अपनी पलकें नहीं खोल पा रही थी सच कहूँ तो मैं अपने शरीर की एक भी मांसपेशी को हिलाने में असमर्थ थी ! मैं मानो पूरी तरह से स्तब्ध हो गयी थी ! एकमात्र इन्द्रिय जो काम कर रही थी वह मेरे कान थे!

कुछ क्षण मौन रहा - पता नहीं कब तक! मैं कुछ भी सोच भी नहीं पा रही थी ! जब तक मैंने मामा जी और डॉ. दिलखुश की आवाज़ नहीं सुनी, तब तक मुझे वहां एक अंतहीन शांति लग रही थी! ऐसा प्रतीत हुआ कि वे मुझसे काफी दूरी से बोल रहे थे और मैं उन्हें मुश्किल से सुन पा रही थी ।

डॉ. दिलखुश: सर-जी, आख़िरकार यह हो गया! मिशन पूरा हुआ! तो अब वह पूरी तरह आपकी है! हा हा हा...!

मामा जी: वाह मेरे लाल! वाह! लेकिन क्या आप आश्वस्त हैं कि वह पूरी तरह से बेहोश हो गई है?

डॉ. दिलखुश: सर-जी बोले फुल प्रूफ की गारंटी!

मामा जी: वाह भाई वाह! आ आ आ मेरे गले लग जा! वाह ! क्या बात है!

डॉ. दिलखुश: क्या सर-जी आप भी! क्या बम को चोदने के बाद मुझे गले लगाओगे ?

मामा जी: हा हा हा... वो तो बहुत अच्छा था यार! बम... हाँ ये एक सेक्स बम ही है !

डॉ. दिलखुश: आगे बढ़िए सर-जी! मैं इंतज़ार नहीं कर सकता! मेरा लंड देखो! बिल्कुल खड़ा है इसका लोड पूरा उतारना है मुझे उफ़! साली क्या गांड और स्तन है ! एकदोम मस्त सर जी!

मामा जी: अबे बहुरानी किसकी है! उह! जब इस साली को आश्रम में देखा था तभी प्लान बनाया था! इसे बिना चोदे छोड़ देता तो मुझे पाप ना लगता! हो हो हो....!

मैं उनके द्वारा बोले जा रहे हर शब्द को सुन सकती थी लेकिन शब्दों के जबाब मेंकोई भी प्रतिक्रया देने में असमर्थ थी । मेरा दिमाग बिलकुल खाली था . मैं बिल्कुल भी प्रतिक्रिया करने में असमर्थ थी और न ही मैं उन शब्दों को याद कर पा रहा था जो मैंने एक क्षण पहले सुने थे! मुझे नहीं पता था कि मैं उन्हें कैसे सुन पा रही थी , लेकिन मेरी अन्य सभी इंद्रियाँ बिल्कुल मृत लग रही थीं! मैं बिस्तर पर एक निर्जीव वस्तु की तरह पड़ी हुई थी !

डॉ. दिलखुश: सर-जी, आप अपनी बहूरानी को नंगी करो, तब तक मैं एकबार टॉयलेट से हो आता हूं!

मामा जी: क्या मादरचोद ! तब तक मेरी बहुरानी की चूत को सुखा रखेगा क्या?

डॉ. दिलखुश: लो करो बात! हुजूर आप हैं किसके लिए! आपका लंड जंग खा गया है क्या!

मामा-जी: हे हे हे... रुक जा! पहले अपने कपड़े तो उतार लूं!

वहाँ फिर से सन्नाटा छा गया और केवल कपड़े उतारने की हल्की-हल्की आवाजें थीं। और फिर मैंने महसूस किया कि दो हाथ सीधे मेरे स्तनों को दबा रहे हैं और मामा जी पहले से ही मेरे शरीर के ऊपर थे और उनका अर्ध-खड़ा मोटा लंड मेरी साड़ी के ऊपर से मेरी ऊपरी जाँघों पर दबाव डाल रहा था।

मामा जी: उफ़! क्या फिगर है रंडी साली!

मामा जी पूरी तरह से मेरे ऊपर थे और वे मेरे ऊपर वैसे ही सवार थे जैसे मेरे पति करते थे! वो पूरी तरह से नंगा था और अपने बुजुर्ग मर्दाना बदन को मेरी मुलायम रसीली जवानी के ऊपर से दबा रहा था। फिर चुक! चुक की आवाज आने लगी !

वह मेरे गालों को चूमकर उन्हें अपनी लार से गीला कर रहा था।

डॉ. दिलखुश: क्या सर-जी! चढ़ गए? वाह! वाह! चढ़ गया ऊपर रे... अटरिया पे लूटन कबूतर रे...।

कुछ क्षणों के लिए फिर से शांति छा गई और मैं महसूस कर सकती थी कि मामा जी मेरे कपड़ों के ऊपर से मेरे शरीर का भरपूर आनंद ले रहे हैं।


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-23

चढ़ गया ऊपर रे... अटरिया पे लूटन कबूतर रे!

मामा जी: उफ़! क्या फिगर है रंडी साली!

मामा जी पूरी तरह से मेरे ऊपर थे और वे मेरे ऊपर वैसे ही सवार थे जैसे मेरे पति करते थे! वो पूरी तरह से नंगा था और अपने बुजुर्ग मर्दाना बदन को मेरी मुलायम रसीली जवानी के ऊपर से दबा रहा था। फिर चुक! चुक की आवाज आने लगी !

वह मेरे गालों को चूमकर उन्हें अपनी लार से गीला कर रहा था।

डॉ. दिलखुश: क्या सर-जी! चढ़ गए? वाह! वाह! चढ़ गया ऊपर रे... अटरिया पे लूटन कबूतर रे...।

कुछ क्षणों के लिए फिर से शांति छा गई और मैं महसूस कर सकती थी कि मामा जी मेरे कपड़ों के ऊपर से मेरे शरीर का भरपूर आनंद ले रहे हैं।

मामा-जी: एक बात जरूर कहना पड़ेगा यार...मैंने इतनी लड़कीयो को चोदा है पर ये बिल्कुल अलग है बड़ी गर्म चीज है अब देख एकदम मुर्दो की तरह पड़ी है!

डॉ. दिलखुश: हा हा हा...ये आपने सही कहा सर-जी! मैंने भी आधी दर्जन भाबियों को इस फैशन में चोदा है ... हे हे हे...!

मामा जी: इलाज के नाम पर?

डॉ. दिलखुश : और नहीं तो क्या? डॉक्टर साहब कमर में दर्द है, डॉक्टर साहब पीठ में इतना दर्द होता है, डॉक्टर साहब घुटनों में दर्द है... हा हा हा...!

मामा जी: तू बड़ा कमीना है रे!

डॉ. दिलखुश: और सब! जो मेरे दवाखाना आती है मम्मे दबवाने के लिए! रंडीया ...हह!

मामा जी अब जल्दी-जल्दी मेरे ब्लाउज के बाकी हुक खोल रहे थे, ऊपर वाला हुक तो डॉ. दिलखुश ने मुझे सहलाते हुए पहले ही खोल दिया था। अगले ही पल मैंने महसूस किया कि मेरा ब्लाउज पूरी तरह खुल गया है और मामा जी ने अब मेरी ब्रा को जोर से ऊपर खींच कर मेरे बड़े-बड़े ठोस मम्मों को आज़ाद कर दिया। मेरी ऊपरी गोलियाँ उसकी आँखों के सामने पूरी तरह से नग्न थीं और वह आसानी से मेरे गर्म तंग मांस को निचोड़ रहा था।

डॉ. दिलखुश: आप जब बोले सर-जी के ये आश्रम में चली गई है... मैं तो पक्का था कि इसको चोदना कोई बड़ी बात नहीं है...!

मामा जी: अबे क्या बोल रहा है! ये मेरी बहू जैसी है... मैं इसके पिता समान हूं!

डॉ. दिलखुश: अरे वो सब तो ठीक है सर जी... पर आश्रम में क्या होता है आप तो जानते हो ना! अरे मैंने तो उसी हिसाब से अपनी मामी को भी चोदा !

मामा जी: मतलब... उषा को?

डॉ. दिलखुश : और क्या? वह गुरु-जी से दीक्षा लेना चाहती थी... मैंने उससे कहा कि यह स्थान सुदूर है... सुरक्षित नहीं है... अफवाह भी है के जगह ठीक नहीं है. आश्रम के लोग पूजा के नाम पर सब कुछ करते हैं .. पर ये सब औरत-लोग तो बस... चल पड़ी दीक्षा लेने!

मामा जी (मेरे अंगूर जैसे निपल्स को अपनी उंगलियों में घुमाते हुए और अपने अब पूरी तरह से खड़े लंड को मेरी साड़ी से ढकी हुई योनि के ऊपर से दबाते हुए): फ़िर?

डॉ. दिलखुश : फिर क्या? मुझे खबर मिली के गुरु-जी ने मामी-को दीक्षा के नाम पे लगभग पूरा एक दिन नंगी करके रखा आश्रम में...!

मामा जी: उषा तो विधवा है ना?

डॉ. दिलखुश: हा... 3 साल पहले मामा की मौत एक्सीडेंट में हो गई थी ! एक लड़का है. उनका !

मामा जी: हाँ, हाँ!

डॉ. दिलखुश: मुझे तो और भी खबर मिला के मामी को सिर्फ गुरु-जी ने नहीं, उनके एक चेले ने भी चोदा! साली रंडी...घर में तो विधवा बनके रहती है...मौका मिलते ही चुदवा लिया ...। चुदवाने की ही चुल मची थी तो हम घरवाले मर गए थे क्या . हम किस लिए हैं . आयी थी दर्द का इलाज करवाने और मैंने दर्द और चुल्ल दोनों का इलाज कर दिया !

जिस प्रकार से मामा जी मुझे ठोक रहे थे उससे मामा जी अब बहुत ज्यादा उत्तेजित होते जा रहे थे! यह स्वाभाविक भी था और कुछ ही सेकंड में उसने मेरी साड़ी को मेरी कमर से उतार दिया और मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसे मेरे घुटनों तक खींच लिया और अपने खड़े लंड को मेरी पैंटी से ढकी हुई चूत पर बहुत जोर से दबाने लगे । दवा के असर के कारण मैं लकड़ी के एक टुकड़े की तरह लेटी रही, मैं उसकी यौन आक्रामकता के आगे एक मिलीमीटर भी नहीं हिली!

मामा जी: तू-ने (फुलाते हुए) उषा को कैसे चोदा?

डॉ. दिलखुश: एक बार मामी आश्रम से वापस आई थीं, मैंने उसके घर जो कामवाली है उसे फिट किया...मुझे सिर्फ एक जानकारी चाहिए थी कि मामी के पीरियड्स कब शुरू होते हैं बस वह जानकारी मिल गई और मेरा काम बिल्कुल आसान हो गया !

मामा जी अब मुझे नंगी करने के लिए तैयार थे और उन्होंने मेरे कपड़ों का आखिरी टुकड़ा मेरे घुटनों तक खींच दिया, जिससे मेरी बालों वाली योनि, उन दोनों के सामने दिन के उजाले में उजागर हो गई!

मामा जी: वाह! अबे इधर देख तो सही!

डॉ. दिलखुश: उहह्स्स्स! बिल्कुल मस्त है! सर-जी....टाइम खोटी मत करो डाल दो! डाल दो! चढ़ जाऔ . जल्दी से चोद दो ज्यादा देर तक दवाई के असर भी नहीं रहेगा! फिर मुझे भी तो इसे चोद ना है! है कि नहीं... है कि नहीं... हा हा हा....!
.
मामा जी ने मेरी टाँगें चौड़ी कर दीं ताकि वह मेरी चूत तक आराम से पहुँच सकें। उसने फिर से अपने शरीर को मेरे शरीर के ऊपर रख दिया और अपने खड़े लंड को मेरी चूत के छेद के ठीक ऊपर रख दिया और उसके होंठ मेरे नग्न स्तनों पर आ गए और मेरे सेक्सी सूजे हुए निपल्स को निशाना बनाने लगे।

मामा जी: अबे बैठ के क्या अपने लंड को रगड़ रहा है! आ जा ना! तू रगड़ इसका मुहं.! कुछ ही सेकंड में मुझे महसूस हुआ कि डॉ. दिलखुश ले लंड का सख्त मांस मेरे चिकने गालों पर रगड़ रहा है और दब रहा है।

उसका लंड पहले से ही कुछ प्रीकम छोड़ रहा था जिससे मेरा चेहरा गीला हो रहा था। मामा जी मेरे खुले हुए निपल्स को बारी-बारी से चूस रहे थे और मेरे स्तन उनके थूक से और भी गीले होते जा रहे थे। वह मेरे बड़े-बड़े लाल उभारों को भी चाट रहा था और यहाँ तक कि अपनी नाक को मेरे जुड़वाँ मजबूत स्तनों के अंदर तक गड़ा रहा था! मैं उसकी छोटी से छोटी हरकत को भी महसूस कर सकती थी , लेकिन उसकी उस दवा के असर के कारण एक मांसपेशी भी हिलाने में असमर्थ होने के कारण मैं खुद को बिल्कुल निर्जीव महसूस कर रही था!

मामा जी: घुसेड़ दे साली के मुँह में पूरा!

डॉक्टर दिलखुश धीरे-धीरे अपने लंड को मेरे होंठों से होते हुए मेरे मुँह के अंदर धकेल रहे थे. मैं महसूस कर सकती थी कि डॉ. दिलखुश का लंड बिल्कुल सख्त और तगड़ा था, जो निश्चित रूप से किसी भी विवाहित महिला के लिए एक बहुत ही स्वागत योग्य दृश्य होगा, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि मैं स्थिति के बारे में सोचने में भी असमर्थ थी! मैं वास्तव में बहुत तेजी से "अभी-अभी घटी घटना" की याददाश्त खो रही थी और बहुत खाली महसूस कर रही थी !

हालाँकि मैं बेहोशी की हालत में थी, मेरी कामेच्छा बह रही थी और मेरी चूत इस समय तक काफी गीली हो चुकी थी। मामा जी को व्यावहारिक रूप से अपने लंड को मेरी योनि में अंदर तक धकेलने में कोई परेशानी नहीं हुई और उन्होंने मुझे 'सामान्य' तरीके से चोदना शुरू कर दिया। मामा जी अपने लंड को जोर जोर से मेरी चूत के अन्दर बाहर कर रहे थे और इस हरकत से मेरा पूरा शरीर झटके खाने लगा. मेरे बड़े कसे हुए स्तन पूरी तरह से उजागर होने के कारण बहुत कामुकता से हिलने लगे। मामा जी बहुत प्रयास कर रहे थे और उनका लंड मेरी गहरी और चौड़ी चूत में कसकर फिट हो रहा था और कुछ ही समय में वह लगभग मेरी योनि के रास्ते के अंत से टकरा रहा था!

जैसे ही उसने अपने लंड को मेरी गीली योनि के अंदर तक सहलाना जारी रखा, उसका मुँह मेरे चेहरे पर आ गया और वह मेरे होंठों को जोर से चूस रहा था और यहाँ तक कि काट भी रहा था। उसके होंठ और नीचे गए और उसने मेरे निपल्स को चूसा और इस बार ऐसा लगा जैसे यह चूसना अंतहीन है! उसके होंठ, जीभ और दाँत सब कुछ मेरे सूजे हुए खड़े निपल्स पर असर कर रहे थे। अचानक मुझे एहसास हुआ कि मामाजी का शरीर झुक रहा था और अकड़ रहा था और वह बहुत ज़ोर-ज़ोर से गालियाँ दे धक्के मार रहे थे।

मामा-जी: उउउउउउउउउउउहह! आआआआ! उउफ़्फ़फ़्फ़! मस्त है रे! मस्त!

कुछ ही पलों में मैंने महसूस किया कि मेरी पूरी चूत उनके गाढ़े रस से भर गई और मामा जी मुझे बहुत कसकर गले लगा रहे थे। जिस तरह से वह मुझे गले लगा रहा था, मेरे नग्न उभरे हुए स्तन सचमुच उसकी छाती पर चिपके हुए थे। मैं महसूस कर सकती थी कि लंड धीरे-धीरे मेरी योनि से बाहर निकल रहा था क्योंकि वह ढीला हो गया था।

मुझे नहीं पता था कि मामा जी का भारी शरीर कितनी देर तक मेरे नग्न शरीर के ऊपर था, लेकिन आख़िरकार मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी!

डॉ. दिलखुश: सर-जी.... उठिए सर-जी... समय निकल रहा है... एकबार आप की बहूरानी को होश आ गया और जब वो देखेगी हम दोनों उसे चोद रहे हैं... तो भूचाल आ जाएगा ।

जारी रहेगी
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-24

मामा जी के बाद डॉ ने की चुदाई

हालाँकि मैं बेहोशी की हालत में थी, मेरी कामेच्छा बह रही थी और मेरी चूत इस समय तक काफी गीली हो चुकी थी। मामा जी को व्यावहारिक रूप से अपने लंड को मेरी योनि में अंदर तक धकेलने में कोई परेशानी नहीं हुई और उन्होंने मुझे 'सामान्य' तरीके से चोदना शुरू कर दिया। मामा जी अपने लंड को जोर जोर से मेरी चूत के अन्दर बाहर कर रहे थे और इस हरकत से मेरा पूरा शरीर झटके खाने लगा. मेरे बड़े कसे हुए स्तन पूरी तरह से उजागर होने के कारण बहुत कामुकता से हिलने लगे। मामा जी बहुत प्रयास कर रहे थे और उनका लंड मेरी गहरी और चौड़ी चूत में कसकर फिट हो रहा था और कुछ ही समय में वह लगभग मेरी योनि के रास्ते के अंत से टकरा रहा था!

जैसे ही उसने अपने लंड को मेरी गीली योनि के अंदर तक सहलाना जारी रखा, उसका मुँह मेरे चेहरे पर आ गया और वह मेरे होंठों को जोर से चूस रहा था और यहाँ तक कि काट भी रहा था। उसके होंठ और नीचे गए और उसने मेरे निपल्स को चूसा और इस बार ऐसा लगा जैसे यह चूसना अंतहीन है! उसके होंठ, जीभ और दाँत सब कुछ मेरे सूजे हुए खड़े निपल्स पर असर कर रहे थे। अचानक मुझे एहसास हुआ कि मामाजी का शरीर झुक रहा था और अकड़ रहा था और वह बहुत ज़ोर-ज़ोर से गालियाँ दे धक्के मार रहे थे।

मामा-जी: उउउउउउउउउउउहह! आआआआ! उउफ़्फ़फ़्फ़! मस्त है रे! मस्त!

कुछ ही पलों में मैंने महसूस किया कि मेरी पूरी चूत उनके गाढ़े रस से भर गई और मामा जी मुझे बहुत कसकर गले लगा रहे थे। जिस तरह से वह मुझे गले लगा रहा था, मेरे नग्न उभरे हुए स्तन सचमुच उसकी छाती पर चिपके हुए थे। मैं महसूस कर सकती थी कि लंड धीरे-धीरे मेरी योनि से बाहर निकल रहा था क्योंकि वह ढीला हो गया था।

मुझे नहीं पता था कि मामा जी का भारी शरीर कितनी देर तक मेरे नग्न शरीर के ऊपर था, लेकिन आख़िरकार मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी!

डॉ. दिलखुश: सर-जी.... उठिए सर-जी... समय निकल रहा है... एकबार आप की बहूरानी को होश आ गया और जब वो देखेगी हम दोनों उसे चोद रहे हैं... तो भूचाल आ जाएगा ।

मामा जी धीरे-धीरे मेरे शरीर से हट गए, लेकिन लगभग तुरंत ही डॉ. दिलखुश मुझ पर सवार हो गए! वह भी पूरी तरह से नग्न था और मैं महसूस कर सकती थी कि वह अपने सीधे लंड से मेरी नंगी रेशमी जांघों को महसूस कर रहा था।

डॉ. दिलखुश: सर-जी... आप तो अपने माल से अपनी बहूरानी को पूरा नहला दिया... उसका पति भी इतना नहीं करता होगा... हे हे हे...

मुझे लगा कि वह मेरे गीले गालों और स्तनों को साफ करने के लिए किसी कपड़े का उपयोग कर रहा है और उसने मेरे पैरों को भी अलग कर दिया और मेरी चूत को भी साफ कर दिया। मैं इन दो चुदाई के बीच की देरी की अवधि का आकलन नहीं कर सकी लेकिन मुझे तुरंत एहसास हुआ कि यह पुरुष भी मुझमें अपना वीर्य स्खलित कर विस्फोट करने के लिए पूरी तरह से तैयार था! डॉ. दिलखुश ने अपने शरीर को मेरे नग्न सुडौल शरीर पर सीधा किया और अपने मजबूत लंड को मेरी चूत के द्वार पर उचित स्थान पर रखा। वह मामा जी के विपरीत बहुत शांत और स्थिर था । मैं उसके गर्म होंठों को अपने माथे पर और फिर मेरे गालों तक फिसलते हुए महसूस कर सकता था। उसकी गर्म साँसें मेरे गालों पर बह रही थीं और उसने मेरे कानों को भी चूमा! मैंने महसूस किया कि उसकी जीभ मेरे कान के अंदर तक जा रही थी और उसने मुझे वहां पूरी तरह से गीला कर दिया था। सामान्य परिस्थितियों में मैं ऐसा करने पर किसी भी तरह कराहती ही रहती क्योंकि मेरे कानों के अंदरूनी हिस्से को चाटने से मैं पागल हो जाती हूं, लेकिन इस समय मैं दवा के असर के कारण निर्जीब और हलचल रहित थी!

डॉ. दिलखुश के होंठ मेरी गर्दन और फिर मेरे ऊपरी स्तन क्षेत्र तक आ गये। उसने मेरे नग्न स्तनों के मध्य भाग को चाटा और दोनों हाथों से मेरे ठोस स्तनों को दबा और मसल रहा था। मैं महसूस कर सकती थी कि उसके पूरी तरह से भरे हुए लंड से प्रीकम की बूंदें मेरी जाँघों पर दाग रही थीं। मेरे नग्न स्तनों को पर्याप्त रूप से निचोड़ने और सहलाने के बाद, उसका मुँह और नीचे आया और उसने मेरी नाभि को चूसना शुरू कर दिया। उसने मेरे सपाट पेट को भी चाटा और फिर और नीचे जाकर मेरी घनी झाड़ियों में अपनी नाक घुसाने लगा। यह एक ऐसी क्रिया थी जो मेरे पति अक्सर संभोग के दौरान करते हैं और मैं इसके कारण बहुत आनंदित महसूस करती हूं। डॉ. दिलखुश ने, बिल्कुल राजेश की तरह, अपनी नाक को मेरे घुंघराले और घने बालों के अंदर धकेला और उस क्षेत्र को सूँघते हुए वहाँ अपनी नाक रगड़ी।

मामा जी: अबे साले... अपनी बीवी को प्यार दिखा रहा है क्या! मुफ्त का माल है... जल्दी कर , शॉट मार ले और चलता बन!

डॉ. दिलखुश : वाह सर जी...वाह! खुद पूरा मजा लिया... अब मुझे शॉर्टकट बतला रहे हो!

मामा जी: उह! अबे कितने को चोदके इतना बड़ा लंड किया है !

मैंने अपनी नंगी जाँघों पर गर्म साँसें महसूस कीं और जल्द ही पाया कि डॉ. दिलखुश मेरी बाल रहित चिकनी जाँघों को चाट रहे थे। जैसे ही उसने मेरी नंगी मजबूत जाँघों को चाटा, उसके हाथ मेरे घने घुंघराले बालों से खेल रहे थे। मैं महसूस कर सकता था कि डॉ. दिलखुश कभी-कभी अपनी उंगली मेरे शहद के बर्तन में भी डाल रहे थे, लेकिन अफ़सोस! दवा के असर से मैं निश्चल और स्थिर लेटी रही और इसका पूरा मजा नहीं ले पायी ।

मामा जी: साला जब भी इस बड़े दूध को देखता हूँ तब मेरा लंड आउट ऑफ कण्ट्रोल हो जाता है...

डॉ. दिलखुश: सर-जी इस उमर में ज्यादा नियंत्रण से बाहर होना मुनासिफ नहीं है... सारे नियंत्रण तोड़के आप सीधा ऊपर पहुंच जाओगे! हा हा हा...

डॉ. दिलखुश अपनी मूल स्थिति में वापस आ गए थे, उन्होंने अपने शरीर को मेरे ठीक ऊपर सीधा कर लिया और अपनी मजबूत मर्दानगी को मेरी नग्न चूत के ठीक ऊपर रख दिया। उसने धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी योनि के अंदर धकेलना शुरू कर दिया और स्वाभाविक रूप से यह प्रक्रिया सुचारू नहीं थी। हालाँकि मेरी चूत से अभी भी पानी की धार निकल रही थी, लेकिन उसका लंड एक इंच अंदर जाने के बाद कसकर फंस गया। उसने जल्दी से मेरे नितंबों को ऊपर खींचा और मेरी गांड के नीचे कोई नरम चीज़, शायद एक तकिया रख दिया, और फिर से अपने रोलर को मेरी योनि के अंदर धकेलना शुरू कर दिया। इस बार यह निश्चित रूप से सहज था और उसने मुझे कसकर गले लगाते हुए धीरे-धीरे चुदाई की सामान्य लय पकड़ ली।

मेरे बड़े उछालभरे स्तन उसकी सपाट चौड़ी छाती पर जोर से दब रहे थे और मेरे निपल्स एक पुरुष के शरीर पर इतनी जोर से दबने से पत्थर की तरह सख्त हो रहे थे। डॉक्टर दिलखुश भी अपने पेल्विक धक्के बढ़ाते हुए तेज़ आवाज़ें निकाल रहे थे । यह बहुत संतुष्टिदायक सेटिंग थी क्योंकि मेरी चूत उसके तगड़े लंड से बिल्कुल टाइट हो गयी थी। उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गए और वह फिर से मेरे होंठों को चूम रहा था जैसे उसने उपचार प्रक्रिया के दौरान कई बार किया था।

जल्द ही मुझे डॉ. दिलखुश की जोरदार चीखें सुनाई दीं, क्योंकि वह अपनी गति बढ़ा रहे थे, जिस गति से उनका लंड मेरी कोमल योनि को भेद रहा था। उसका पिस्टन अब काफी तेजी से चल रहा था और मैं अपने मुंह के पास गहरी हांफने की आवाजें सुन सकती थी । डॉ. दिलखुश ने अब अपने शरीर को एक हाथ पर टिका दिया और मुझे चोदना जारी रखा जबकि उनका खाली हाथ मेरे उभरे हुए स्तनों को जोर-जोर से मसल रहा था। यह एक अंतहीन लय की तरह लग रहा था और चुदाई के लिए ये सेटिंग बिल्कुल सही थी। कुछ देर बाद धक्के मारते हुए डॉ दिलखुश ने अपने वीर्य का भार मेरे अंदर छोड़ दिया .

मामा जी की तरह इस युवा डॉक्टर का शरीर भी कांपने लगा और अकड़ने लगा क्योंकि उसने अपने वीर्य से मेरी चूत को भरना शुरू कर दिया था। वह सचमुच मेरे निपल्स को काट रहा था, जबकि उसने मुझमें अपनी गेंदों को खाली कर दिया था। उसका शरीर मेरे ऊपर गिर गया और कुछ देर तक चिपका रहा. मैं उसके दिल की धड़कन और गहरी सांसों को अपने कान के पास साफ़ महसूस कर सकती थी ।

मामा जी: अबे ओये ! तिलगुजे के छिल्के! कितना टाइम रहेगा ऐसे! अब उठ और साफ कर!

डॉ. दिलखुश मेरे शरीर को छोड़कर शायद नहाने चले गये। मेरी तंद्रा गहरी होती जा रही थी और मैं मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह से थका हुआ महसूस कर रही थी । जो आवाज़ें मैं कुछ समय पहले ही सुन सकी थी , ऐसा लगता था जैसे मैंने उसके बाद बहुत दूर तक यात्रा कर ली है और मैं धीरे-धीरे एक "रिक्त" दुनिया में बस गयी हूँ जहाँ कोई सुनाई देने वाली आवाज़ नहीं है। मैं बिस्तर पर निश्चल लेटी हुई थी और अभी मुझे एक साथ हुई दो चुदाई याद भी नहीं आ रही थी! उस दवा के असर के कारण मेरी नशे की हालत में सब कुछ बहुत शांत और शांतिपूर्ण लग रहा था और मैं अनंत शांति की दुनिया में थी !

जारी रहेगी
 

deeppreeti

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-25


तंद्रा टूटी, होश वापिस आया

मामा जी की तरह इस युवा डॉक्टर का शरीर भी कांपने लगा और अकड़ने लगा क्योंकि उसने अपने वीर्य से मेरी चूत को भरना शुरू कर दिया था। वह सचमुच मेरे निपल्स को काट रहा था, जबकि उसने मुझमें अपनी गेंदों को खाली कर दिया था। उसका शरीर मेरे ऊपर गिर गया और कुछ देर तक चिपका रहा. मैं उसके दिल की धड़कन और गहरी सांसों को अपने कान के पास साफ़ महसूस कर सकती थी।

मामा जी: अबे ओये ! तिलगुजे के छिल्के! कितना टाइम रहेगा ऐसे! अब उठ और साफ कर!

डॉ. दिलखुश मेरे शरीर को छोड़कर शायद नहाने चले गये। मेरी तंद्रा गहरी होती जा रही थी और मैं मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह से थका हुआ महसूस कर रही थी । जो आवाज़ें मैं कुछ समय पहले ही सुन सकी थी , ऐसा लगता था जैसे मैंने उसके बाद बहुत दूर तक यात्रा कर ली है और मैं धीरे-धीरे एक "रिक्त" दुनिया में बस गयी हूँ जहाँ कोई सुनाई देने वाली आवाज़ नहीं है। मैं बिस्तर पर निश्चल लेटी हुई थी और अभी मुझे एक साथ हुई दो चुदाई याद भी नहीं आ रही थी! उस दवा के असर के कारण मेरी नशे की हालत में सब कुछ बहुत शांत और शांतिपूर्ण लग रहा था और मैं अनंत शांति की दुनिया में थी !

कुछ देर बाद मुझे होश वापिस आने लगा और मैं हिलने लगी और अपने हाथ हिलाने लगी , तब मांजी मुझे हिला कर पुकारने लगे

मामाजी: बहुरानी...बहुरानी! क्या अब आप ठीक हैं? क्या आप मेरी बात सुन सकती हैं?

ऐसा लग रहा था मानो मेरी शाश्वत शांति में कुछ लहरें पैदा हो गई हों! मैं उत्तेजित हो गयी . आख़िरकार मेरी तंद्रा टूटी! हाँ, यह मामा जी की आवाज़ थी और मैंने तुरंत उत्तर देने की कोशिश की, लेकिन पाया कि मेरा गला इतना प्यासा था और सूख गया था कि मैं आवाज़ ही नहीं निकाल पा रही थी !

मामा जी: बेटी, क्या तुम अब ठीक महसूस कर रही हो? क्या आप मुझे सुन सकते हैं?

इस बार मैंने फिर कोशिश की और बहुत ही नम्रतापूर्वक "हाँ" में उत्तर दे पायी । मैंने अपनी आँखें खोलने की कोशिश की, लेकिन ऐसा लगा कि मेरी पलकें बहुत भारी थीं और मैं उन्हें नहीं खोल सकी !

मामा जी: बढ़िया! ओह... आख़िरकार आपने जवाब दे ही दिया बहुरानी! मैं पिछले 10 मिनट से कोशिश कर रहा हूँ!

इस समय तक मुझे एहसास हो गया था कि मुझे काफी समझ वापिस आ गई है, लेकिन फिर भी मैं अपनी आँखें नहीं खोल पा रही रही क्योंकि मेरी पलकें खुलने में बहुत भारी लग रही थीं! मुझे खुद को जगह और समय के अनुसार ढालने में कुछ समय लगा।

"हाँ…। मुझे याद है... मुझे वह भयानक एलर्जी प्रतिक्रिया हुई थी... डॉ. दिलखुश मेरा इलाज कर रहे थे... मेरी लार अभी भी संक्रमित थी... इलाज के दौरान डॉक्टर वस्तुतः मेरे होठों को चूम रहे थे... (उस मुद्रा के बारे में सोचते ही मेरा चेहरा स्वतः ही लाल हो गया) मैं बहुत उत्तेजित थी ... लेकिन फिर... फिर क्या हुआ? उम्म… हाँ, हाँ… मुझे बहुत चक्कर आने लगा…। सही!"

तब? तब क्या? मैंने अपने दिमाग पर जोर डाला लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ! मुझे कुछ भी पता नहीं था कि उसके बाद क्या हुआ और केवल एक चीज जो मुझे याद है वह यह है कि मैं कुछ मिनट पहले अपनी नींद से उठी थी । बस!

आख़िरकार मैं अपनी आँखें खोलने में सक्षम हो गयी । हालाँकि मेरी पलकें भारी लग रही थीं, लेकिन मैं उन्हें खोल देखा कि मामाजी मेरे ठीक बगल में बिस्तर के पास खड़े हैं।

मैं: मामा जी...क्या...अरे...मामा जी, मुझे क्या हो गया? क्या मैं सो गयी थी ? और...और डॉ. दिलखुश कहां हैं?

मैंने लेटे हुए से उठने की कोशिश की

मामा जी (तुरंत मेरे कंधे पकड़कर मुझे ऐसा करने से रोका): बेटी...नहीं...। अभी मत उठो. कृपया कुछ देर प्रतीक्षा करें और अपने दिमाग पर जोर न डालें... मैं आपको सब कुछ बताऊंगा... डॉक्टर ने कहा है कि जागने के बाद आपको कुछ देर बिस्तर पर रहना चाहिए और फिर बिस्तर से उठना चाहिए, अन्यथा आपको फिर से चक्कर आ सकता है।

मैं: ओ... ठीक है. क्या डॉक्टर चला गया?

मामा जी: हाँ बेटी, लेकिन उन्होंने दवा कर इलाज से यह सुनिश्चित किया कि तुम उस एलर्जी से बिल्कुल मुक्त हो जाओ , जिससे तुम पीड़ित हो। भगवान का शुक्र है! उफ़! तुम ठीक हो अब , ये मेरे लिए कितनी राहत की बात है... मैं... आप जानती हैं बहूरानी... मन में बहुत अपराधबोध महसूस कर रहा था कि केवल आपके यहां आने के कारण आपको कष्ट हुआ... अगर तुम आश्रम में ही रहीं होती तो इस तकलीफ से न गुजरती ...

मैं: मामा जी प्लीज़... ऐसे मत सोचो आपका मेरी एलर्जी से कोई लेना-देना नहीं था! यह महज़ एक संयोग था मामा जी

मामा जी: हाँ, हो सकता है... फिर भी तुम्हें तकलीफ हुई ...

मैं- मामा जी.. प्लीज़ ऐसा मत सोचो.. मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होगी।

मामा जी: ठीक है बेटी...वो वो.

मुझे यह जानने की बहुत उत्सुकता थी कि चक्कर आने के बाद मुझे क्या हुआ और मैं उस बारे में विस्तार से बताने के लिए फिर से मामा जी को उस बारे में अनुरोध करने वाली थी लेकिन... लेकिन अचानक मुझे अपने कपड़ों का ध्यान आया और मैं लगभग जोर से चिल्लायी !

मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी और एक चादर ने मुझे गर्दन तक ढक रखा था। मैं अच्छी तरह से महसूस कर सकती थी कि मैंने अपने ब्लाउज के नीचे कोई ब्रा नहीं पहनी थी और न ही अपनी साड़ी के नीचे अपनी पैंटी पहनी थी! लेकिन जहां तक मुझे याद है... "हां, मुझे पूरा यकीन है कि जब डॉ. दिलखुश मेरा इलाज कर रहे थे तो मैंने अपने दोनों अंडरगारमेंट्स पहने हुए थे!" फिर उसके बाद क्या हुआ! क्या मुझे निर्वस्त्र किया गया या क्या? हे भगवान! ये सब किया गया और मामा जी की उपस्थिति में? उफ़!

मैंने मामा जी की तरफ देखा. वह बनियान और लुंगी पहने हुए था और बिल्कुल सामान्य लग रहे थे । लेकिन मुझे चिंता हो रही थी. मुझे पता होना चाहिए कि मुझे ऐसे नींद कैसे आ गयी और नींद आने के बाद मेरे साथ क्या हुआ । मेरा दिल तेजी से धड़क रहा है और ईमानदारी से कहूं तो मैं यह जानने के लिए चिंतित हो रही थी था कि वास्तव में मेरे साथ क्या हुआ था ।

मैं: मामा जी... मेरा मतलब है... मुझे क्या हुआ? मुझे नींद कैसे आ गयी? क्या उसके बाद डॉ. दिलखुश ने मुझ पर कोई और उपचार किया? मामा-जी कृपया मुझे बताएं...

मामा जी: हाँ, हाँ बहुरानी... उत्तेजित मत हो. मैं तुम्हें बता रहा हूँ। दरअसल जब आपको चक्कर आने लगे थे...आपको वह समय याद है?

मैं: हाँ, हाँ, निश्चित रूप से!

मामा जी: हां, जब डॉक्टर दिलखुश ने देखा कि तुम्हारा चक्कर बढ़ता जा रहा है तो उन्होंने मुझसे तुम्हें सोफे पर लेटाने के लिए कहा

मैं: हम्म... हम्म... मुझे वह हल्का-हल्का याद है... लेकिन आप जानते हैं कि मामा जी के बाद मुझे कोई याद नहीं है! क्या यह अजीब नहीं है?

मामा जी: तुम्हें वह बात कैसे याद है बेटी? क्योंकि जैसे ही हमने तुम्हें बिस्तर पर लिटाया, तुम्हें कुछ ऐंठन हुई और तुम बेहोश हो गयी ।

मैं: ओह! वास्तव में!

मामा जी: हाँ बेटी. डॉ. दिलखुश ने कहा कि यह अप्राकृतिक नहीं है और एंटीडोट के साइड-इफेक्ट के मापदंडों के भीतर है।

मैं: ओ! अच्छा ऐसा है।

मामा जी: तो असल में... मेरा मतलब है कि एक साथ आपको बहुत पसीना आ रहा था और चूँकि यहाँ कोई एयर कंडीशनिंग नहीं है इसलिए डॉ. दिलखुश बहुत नाराज़ थे। तुम्हें पता है बेटी, वह फिर से अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पर जोर दे रहा था।

मैं: लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं था... ?

मामा जी: हाँ बेटी. जैसे-तैसे मैंने उसे शांत किया, लेकिन पसीने के कारण आपका ब्लाउज वगैरह भीग रहा था, इसलिए हमें आपकी साड़ी उतारनी पड़ी।

तुरंत मेरा चेहरा चेरी फल की तरह लाल हो गया और मैंने अपनी पलकें झुका लीं! ईश! फिर मामा जी ने मुझे सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहने हुए देखा होगा!

मामा जी: लेकिन जल्द ही आप ठीक होने लगी क्योंकि डॉ. दिलखुश ने बताया कि आपकी बांहों पर मौजूद छोटे-छोटे खून के थक्के गायब हो रहे हैं। यह जानकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई।

मैंने अपना दाहिना हाथ चादर के नीचे से निकाला और अपने आप को जांचा। हाँ, छोटी-छोटी रक्त संरचनाएँ गायब हो गई थीं!

मैं: भगवान का शुक्र है! (मैं मन ही मन बुदबुदायी )


जारी रहेगी
 
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