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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-26


बेहोशी के दौरान क्या हुआ

मामा जी: हाँ बेटी. जैसे-तैसे मैंने उसे शांत किया, लेकिन पसीने के कारण आपका ब्लाउज वगैरह भीग रहा था, इसलिए हमें आपकी साड़ी उतारनी पड़ी।

तुरंत मेरा चेहरा चेरी फल की तरह लाल हो गया और मैंने अपनी पलकें झुका लीं! ईश! फिर मामा जी ने मुझे सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहने हुए देखा होगा!

मामा जी: लेकिन जल्द ही आप ठीक होने लगी क्योंकि डॉ. दिलखुश ने बताया कि आपकी बांहों पर मौजूद छोटे-छोटे खून के थक्के गायब हो रहे हैं। यह जानकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई।

मैंने अपना दाहिना हाथ चादर के नीचे से निकाला और अपने आप को जांचा। हाँ, छोटे छोटे लाल रंग के चकते गायब हो गए थे !

मैं: भगवान का शुक्र है! (मैं मन ही मन बुदबुदायी )

मामा जी: डॉक्टर दिलखुश ने फिर आपके शरीर पर अन्य खून के चकतों की जाँच की और बताया कि वे भी अपनी प्रमुखता खो रहे हैं।

मैं: वाह!

हालाँकि मैंने "वाह" कहा, लेकिन साथ ही मुझे एहसास हुआ कि मेरे शरीर पर खून के धब्बे जाँचते समय उसने मेरे शरीर को नग्न कर उजागर कर दिया होगा। मुझे याद आया कि मेरे स्तन क्षेत्र के साथ-साथ मेरी जांघों पर भी लाल धब्बे थे। युवा डॉक्टर ने उन क्षेत्रों की भी जाँच की होगी...

इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्ह्ह!

मैं लगभग जोर से चिल्लायी , लेकिन फिर मैंने किसी तरह खुद पर काबू पा लिया। आख़िरकार मैं एक शादीशुदा औरत थी और ऐसा लग रहा था मानो किसी ने मुझे सोते हुए बेपर्दा कर दिया हो और टटोला हो! मैं वास्तव में बहुत अधिक अपमानित महसूस कर रही थी क्योंकि मामा जी पूरे समय वहां मौजूद थे और उन्होंने डॉ. दिलखुश को मेरा पेटीकोट खींचते हुए और मेरे पैर नंगे करते हुए और उन स्थानों की जांच करते हुए देखा था। और उसने डॉक्टर को मेरे ब्लाउज के ऊपर मेरे क्लीवेज के पास की जगह की जाँच करते हुए भी देखा होगा!

इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्ह्ह!

मैं अपने कानों में गर्मी महसूस कर रही थी और वास्तव में इस गंदी सेटिंग के बारे में सोचकर बहुत शर्मिंदा थी जहां डॉक्टर मेरी नींद में मेरे नग्न शरीर के अंगों की जांच कर रहा था!

मामा जी: डॉ. दिलखुश को आपके मूत्र संदूषण के बारे में चिंता थी ।

मैं: ओह ! ...

मामा जी: यहां मुझे बहूरानी आपको ये बताना होगा कि डॉक्टर दिलखुश आपसे बहुत माफी मांग रहे थे क्योंकि देर होने के कारण उन्हें जाना पड़ा और उन्होंने मुझसे अनुरोध किया था कि मैं उनकी ओर से आपसे सॉरी बोल दूं।

मैं (थोड़ा आश्चर्यचकित होकर): क्षमा ? लेकिन किसलिए?

मामा जी: जब तुम बेहोशी की हालत में थी तो उन्हें तुम्हारा मूत्र इन्फेक्शन का इलाज करना था...और उसने तुम्हारा इलाज किया फिर उन्हें तुम्हारे होश में लौटने से पहले यहाँ से जाना पड़ा .

मैं: ओह! उम्म… हाँ… लेकिन… लेकिन मामा जी उस हालत में वह मुझे इलाज के बारे में कैसे बता सकता था?

मामा जी: नहीं, नहीं बहूरानी... असल में बताने की बात नहीं! दरअसल, उसे देर हो रही थी और वह तब तक इंतजार नहीं कर सकता था जब तक आप होश में नहीं आ जाती । इसलिए उन्होंने उसी अवस्था में आपके मूत्र इन्फेक्शन का इलाज करने का निर्णय लिया। तुम समझ सकती हो ना बहुरानी...

मां जी मुझे जो भी समझाने की कोशिश कर रहे थे मुझे वास्तव में वह समझ नहीं आ रहा था और मैं डॉ दिलखुश को इलाज करने से मना क्यों करती ? स्वाभाविक रूप से मैंने मामा जी की ओर भौंहें सिकोड़कर देखा "?" मेरे चेहरे पर प्रश्न था ।

मामा जी: बेटी, कोई चारा नहीं था तो उसने वैसा ही किया। उन्होंने बार-बार मुझसे इसका जिक्र किया और...

मैं: मामा जी... मामा जी... (मैं वास्तव में अब काफी चिंतित थी ) मैं समझ नहीं रही हूं। आप इतने झिझक क्यों रहे हो? साफ़ साफ़ बताओ ना....

मामा जी: दरअसल बहुरानी... मेरा मतलब है कि डॉ. दिलखुश ने कहा था कि तुम्हारे मूत्र संक्रमण का इलाज करने के लिए, उन्हें तुम्हारे अंदर एक जेल डालना होगा... मेरा मतलब है बेटी, तुम्हें पता है, कोई अन्य विकल्प नहीं था...

मामा जी मेरी आँखों में नहीं देख रहे थे और थोड़ा-थोड़ा लड़खड़ा रहे थे और मैं आसानी से समझ सकती थी कि मेरी बशोषी या झपकी के दौरान कुछ बहुत ही अशोभनीय घटित हुआ होगा। मैंने किसी तरह अपनी सारी इच्छा शक्ति इकट्ठी की और मामा जी की ओर ध्यान से देखा।

मैं: अन्दर क्या....? मुझे बताओ मामा जी... मेरा मतलब है... मैं... मैं बुरा नहीं मानूंगी ...

मामा जी: दरअसल डॉ. दिलखुश ने मुझसे कहा था कि उन्हें प्रीलोडेड सिंगल यूज एप्लिकेटर लगाना होगा...

मामा-जी ने एक विराम दिया

मैं : और वह बस इतना...क्या ये बहुत परेशान करने वाला था!

मामा जी: दरअसल बेटी... इसे तुम्हारी योनि में डाला जाना था।

मैं: क्या?

मैं लगभग पूरी तरह अविश्वास में चिल्लायी !

मामा जी: कोई और तरीका नहीं था बहूरानी... चूंकि हमने अस्पताल में भर्ती होने से इनकार कर दिया था... डॉक्टर दिलखुश ने बताया कि इस परिस्तिथि में तुम्हें ठीक करने का यही एकमात्र तरीका है।

मैं स्तब्ध रह गयी और पलक झपकते ही मेरा चेहरा लाल हो गया। सच तो यह है कि मेरी सांस फूल रही थी और मुझे बिल्कुल खालीपन महसूस हो रहा था! मामा जी क्या कह रहे थे? डॉक्टर दिलखुश ने मेरी चूत में कुछ डाल दिया! अरे नहीं! मैं अब और कुछ नहीं सोच सकी .

मामा जी पास आये और मेरे पास बिस्तर पर बैठ गये और मेरे माथे पर हाथ रखा.

मामा जी: बहुरानी... शर्म मत करो... आख़िर वह डॉक्टर है! तुम इसके लिए शर्मिंदा मत अनुभव करो !

मेरी चूत मामा जी के सामने खुल गयी थी ! हाय दईया! इस लज्जा से मैं अपना मुँह कहाँ छिपाऊँ? इस्स्स्स्स्स्स्ह्ह्ह्ह!

मैं साथ-साथ शरमा रही थी और बेहद नाराज़ भी थी। डॉ. दिलखुश और मामा जी दोनों ने मेरी नंगी चूत देखी! कितना शर्मनाक! इश्ह्ह्ह्ह! मुझे मामा जी के सामने बहुत बेपर्दा महसूस हुआ!

मामा जी: लेकिन बहूरानी... सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उस जेल के लगाने से अब आप पूरी तरह से ठीक हो गई हैं ना!

मैंने कुछ गहरी साँसें लीं और खुद को संभालने की पूरी कोशिश की क्योंकि अब गिरे हुए दूध के लिए रोने का कोई फायदा नहीं है - जो हुआ था वह हो गया है। मेरे मन में केवल एक ही चिंता थी कि क्या डॉ. दिलखुश ने मुझे असहाय स्थिति में डालने के लिए कुछ और किया है। मुझे उम्मीद नहीं है क्योंकि मामा जी पूरे समय मौजूद थे, हालांकि मेरा मानना है कि यह काफी अप्रतिरोध्य स्थिति रही होगी!


मेरी जवान रसीली चुदाई का गवाह और कुछ नहीं किया ! मैं यह कैसे भूल सकती हूं कि इंजेक्शन लगाने के दौरान डॉ. दिलखुश मेरी अर्धनग्न अवस्था का चालाकी से फायदा उठा रहे थे? और बाद में मेरे मौखिक उपचार के दौरान, उन्होंने काफी लंबे समय तक मुझे लिप-लॉक किया और खुलेआम मेरे मांसल नितंबों को महसूस किया और यहां तक कि स्तनों को भी छुआ!

मुझे बहुत असहाय और भ्रमित महसूस हुआ! मैंने अपने दिमाग में उस दृश्य को फिर से बनाने की कोशिश की कि मैं सो गई थी और डॉ. दिलखुश ने उस दवा को मेरी योनि में लगाने के लिए मेरी साड़ी को मेरी कमर तक उठा दिया था - वह भी मेरे मामा-जी की उपस्थिति में! काफी उत्तेजक नजारा रहा होगा !


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी और डॉक्टर

अपडेट-27


बेहोशी के दौरान
जांच और इलाज

मैं साथ-साथ शरमा रही थी और बेहद नाराज़ भी थी। डॉ. दिलखुश और मामा जी दोनों ने मेरी नंगी चूत देखी! कितना शर्मनाक! इश्ह्ह्ह्ह! मुझे मामा जी के सामने बहुत बेपर्दा महसूस हुआ!

मामा जी: लेकिन बहूरानी... सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उस जेल के लगाने से अब आप पूरी तरह से ठीक हो गई हैं ना!

मैंने कुछ गहरी साँसें लीं और खुद को संभालने की पूरी कोशिश की क्योंकि अब गिरे हुए दूध के लिए रोने का कोई फायदा नहीं है - जो हुआ था वह हो गया है। मेरे मन में केवल एक ही चिंता थी कि क्या डॉ. दिलखुश ने मुझे असहाय स्थिति में डालने के लिए कुछ और किया है। मुझे उम्मीद नहीं है क्योंकि मामा जी पूरे समय मौजूद थे, हालांकि मेरा मानना है कि यह काफी अप्रतिरोध्य स्थिति रही होगी मेरी जवान रसीली चुदाई का गवाह और कुछ नहीं किया ! मैं यह कैसे भूल सकती हूं कि इंजेक्शन लगाने के दौरान डॉ. दिलखुश मेरी अर्धनग्न अवस्था का चालाकी से फायदा उठा रहे थे? और बाद में मेरे मौखिक उपचार के दौरान, उन्होंने काफी लंबे समय तक मुझे लिप-लॉक किया और खुलेआम मेरे मांसल नितंबों को महसूस किया और यहां तक कि स्तनों को भी छुआ!

मुझे बहुत असहाय और भ्रमित महसूस हुआ! मैंने अपने दिमाग में उस दृश्य को फिर से बनाने की कोशिश की कि मैं सो गई थी और डॉ. दिलखुश ने उस दवा को मेरी योनि में लगाने के लिए मेरी साड़ी को मेरी कमर तक उठा दिया था - वह भी मेरे मामा-जी की उपस्थिति में! काफी उत्तेजक नजारा रहा होगा !

उफ्फ्फ! इसके अलावा, मैंने अब अपने कपड़ों के नीचे कोई अंडरगारमेंट भी नहीं पहना हुआ था, जिसका मतलब है कि जब मैं सो रही थी तो डॉक्टर दिलखुश ने जांच के दौरान मेरे अंडरवियर उतार दिए होंगे!

मामा जी (मेरी पीठ धीरे से थपथपाते हुए): बेटी, तुम क्या सोच रही हो?

मैं: उम्म? मेरा मतलब है... नहीं मामा जी... ना... अरे... मेरा मतलब कुछ भी नहीं है!

मामा जी: बहूरानी, मैं तुम्हें एक राज़ की बात बताता हूँ... ((मामा जी लगभग फुसफुसाते हुए बोले)...

मैंने अपना चेहरा उसकी तरफ कर लिया. वह मेरे बहुत करीब था और उसका हाथ अभी भी मेरे ब्लाउज से ढकी पीठ पर आराम कर रहा था।

मामा जी: बेटी, तुम्हें पता है, मैं नहीं कर सकती... तुम जानती हो मैं डॉक्टर से यह पूछने से खुद को नहीं रोकपाया कि क्या तुम्हें "मां" बनने में कोई परेशानी है ... दरअसल डॉ. दिलखुश स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन अपने अनुभव के कारण .... तुम्हारी तरह, हम सभी भी "अच्छी" ख़बर के बारे में जानने के लिए बहुत उत्सुक हैं बेटी... जब मेरी बहन मुझे फोन करती है, तो मैं उसकी चिंता को महसूस कर सकता हूं …।

मैंने अपनी आँखें झुका लीं और मामा जी ने अपना हाथ मेरे सिर पर रख दिया और सन्नाटा छा गया। मैंने गहरी आह भरी क्योंकि जब तक मुझे गर्भधारण नहीं हुआ और इससे मैं मानसिक रूप से सबसे ज्यादा पीड़ित थी।

मामा जी: बहूरानी... जब मैंने डॉक्टर दिलखुश से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें आपकी जांच करनी पड़ेगी और मैंने उनसे ऐसा करने का अनुरोध किया।

मैं: ओह... मैं समझ गयी । (मैंने कर्कश स्वर में कहा क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि स्त्री रोग संबंधी जांच का क्या मतलब होता है)

मामा जी: हम भाग्यशाली हैं कि डॉक्टर दिलखुश ने इसके लिए अतिरिक्त समय लगाया और आपकी जांच की... दरअसल इसीलिए उन्हें आपकी चोली भी उतारनी पड़ी... इसके लिए मुझे खेद है बेटी...

अब मुझे यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया था कि जब डॉ. दिलखुश ने मेरी जांच की तो मामाजी ने मुझे बिल्कुल नग्न देखा था। हालाँकि वह एक बुजुर्ग व्यक्ति थे, लेकिन फिर भी इस उम्र में उनके सामने कपड़े उतारना वाकई बहुत शर्मिंदगी की बात थी। मैं लगभग भगवान को धन्यवाद देने जैसा महसूस कर रहा था कि उस दौरान मैं बेहोशी की हालत में थी !

मैं स्वाभाविक रूप से अवाक थी । मामा जी ने उस क्षण में लंबा विराम दिया और मुझे कुछ कहना पड़ा क्योंकि वह मेरी ओर देख रहे थे!

मैं: ठीक है... ठीक है मामा जी... क्या वह कोई और था...

मैंने बहुत धीमे स्वर में, लगभग अश्रव्य स्वर में कहा।

मामा जी: हाँ दरअसल डॉक्टर दिलखुश आपके स्तनों की जाँच करना चाहते थे... लेकिन जांच के बाद उन्होंने आपको ब्रेसियर पहनाने की भी कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्य से आपकी ब्रा का हुक ठीक से नहीं लग सका, खासकर इसलिए क्योंकि आप बेहोशी की हालत में थीं।

मैं वस्तुतः गर्त में चला गया था! मामा जी की बात सुनकर मैं बहुत उदास हो गयी और फर्श की ओर देखते हुए चट्टान की तरह कठोर हो गयी ।

मामा जी (मेरे सिर से अपना हाथ फिर से मेरी पीठ पर सरकाते हुए): अच्छी बात है कि तुम जानती हो बहूरानी... डॉ. दिलखुश ने तुम्हें जांचने के लिए अपेक्षित समय दिया .. हालाँकि मैंने उसे उस एलर्जी के इलाज के लिए बुलाया था, उसने मेरे अनुरोध को नजरअंदाज नहीं किया... उसने आपके स्तनों की जांच करने में काफी समय बिताया बहूरानी (वह रुक गया) और फिर आपकी योनि की भी बहुत अच्छी तरह से जांच की...

मेरी हालत बद से बदतर होती जा रही थी. मेरी जुबान बंध गई थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपने बुजुर्ग रिश्तेदार के सामने यह सुनकर कैसे प्रतिक्रिया दूं कि डॉ. दिलखुश ने मेरे बजुर्ग ससुराल के रिश्तेदार के ने सामने मेरे अंतरंग अंगों की जांच की!

मामा जी: अरे... एक बार मुस्कुरा तो दो बेटी... डॉक्टर ने तो हरी झंडी दे दी कि कोई असामान्यता नहीं है!

मैंने मुस्कुराने की पूरी कोशिश की, लेकिन बुरी तरह असफल रही । मैं गहरी साँसें ले रही थी और मामाजी के साथ घनिष्ठ शारीरिक निकटता के कारण, मैं और अधिक असहज महसूस कर रही थी। हालाँकि वह लगभग मेरे पिता की उम्र का था, लेकिन यह तथ्य कि जब डॉक्टर ने मेरी जाँच की तो उसने मेरा नग्न शरीर देखा था, यह स्वाभाविक रूप से मुझे बहुत तंग महसूस करा रहा था।

मामा जी: हे! मैं तुम्हें बताना भूल गया बेटी... डॉ. दिलखुश ने उल्लेख किया था कि तुम्हें थोड़ा सा असहज महसूस हो सकता है... मेरा मतलब है कि तुम्हारी योनि में दर्द हो सकता है... क्योंकि उन्होंने इसकी काफी अच्छी तरह से जांच की थी और चूंकि वह तैयार नहीं थे...उनके पास जरुरी उपकरण नहीं थे इसलिए तुम्हें पता है... उसे आपकी जांच करने के लिए अपनी उंगली का उपयोग करना पड़ा...

मैं: ओह! हम्म...ओ...मैं समझ सकती हूँ!

मामा जी: क्या तुम्हें वहां दर्द हो रहा है?

मामा जी ने इस अत्यंत अशोभनीय प्रश्न के साथ मेरी आँखों में देखा और मुझे तुरंत आपत्ति जतानी पड़ी।

मैं: नेह...अरे...नहीं! ठीक है मामा जी. कोई दर्द नहीं।

हालाँकि मैंने मामा जी को "नहीं" कहा था, फिर भी मुझे अपनी योनि में कुछ दर्द और चिपचिपाहट महसूस हो रही थी, जो मुझे काफी चिंतित कर रही थी।

मामा जी: ओह सच में! यह जानना वाकई अच्छा है! वैसे भी बहूरानी, मुझे लगता है कि अगर तुम्हें ठीक लग रहा है, तो तुम्हें आश्रम वापस जाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए... ठीक है.. पहले से…हमे देर ...

मैं: ओह हां! मैं पूरी तरह से भूल गयी थी !

मैं लगभग चिल्लाने लगी क्योंकि मुझे अचानक याद आया कि मुझे शाम तक आश्रम वापस जाना है।

मैं: मामा जी, अगर आप मुझे थोड़ी देर के लिए अकेली छोड़ र दें तो मैं तैयार हो जाऊँगी ।

मामा जी: ज़रूर बेटी ज़रूर! (वह खड़ा हो गया और कमरे से बाहर निकलने ही वाला था) ओ! मैंने तुम्हारी .., सॉरी ,... रखी है... मेरा मतलब है... तुम्हारी ब्रेसियर और पैंटी वहीं रखी है... (उसने कमरे के कोने पर एक स्टूल की ओर इशारा किया)

अपने अंडरगारमेंट्स का पता जानकर मैं स्वाभाविक रूप से काफी शर्मिंदा थी। मामा जी कमरे से बाहर चले गये. मैंने अपनी अंडरवियर उठाई और शौचालय चली गयी । मैं स्पष्ट रूप से महसूस कर सकती थी कि शौचालय की ओर जाते समय मैं सामान्य रूप से कदम नहीं रख रही थी । मेरे पैर मानो हल्के से अलग हो गए थे और मेरे चलते समय मेरे कूल्हे सामान्य से अधिक झूल रहे थे। मुझे पता था कि यह वास्तव में संभोग के बाद का स्पष्ट लक्षण था।


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-1


बेहोशी के दौरान क्या हुआ था


मामा जी: ज़रूर बेटी ज़रूर! (मामाजी खड़े हो गये और कमरे से बाहर निकलने ही वाले थे ) ओ! मैंने तुम्हारी .., सॉरी ,... रखी है... मेरा मतलब है... तुम्हारी ब्रेसियर और पैंटी वहीं रखी है... (मामा ने कमरे के कोने पर एक स्टूल की ओर इशारा किया।)

उन्होंने मेरे अपने अंडरगारमेंट्स कहा रखे ये जानकर मैं स्वाभाविक रूप से काफी शर्मिंदा थी। मामा जी कमरे से बाहर चले गये. मैंने अपनी अंडरवियर उठाये और शौचालय चली गयी । मैं स्पष्ट रूप से महसूस कर सकती थी कि शौचालय की ओर जाते समय मैं सामान्य रूप से कदम नहीं रख रही थी । मेरी टाँगे मानो हल्के से अलग हो गई थी और मेरे चलते समय मेरे कूल्हे सामान्य से अधिक झूल रहे थे। मुझे पता था कि यह वास्तव में संभोग के बाद का स्पष्ट लक्षण था।


जब मैंने शौचालय का दरवाज़ा बंद किया तो मेरा सिर घूम गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था की जब मैं बेहोश हो गयी थी तो वास्तव में मेरे साथ क्या हुआ था ?

हे मेरे भगवान! क्या डॉ. दिलखुश ... नहीं, नहीं... यह असंभव है। मामा जी वहां मौजूद थे!

बहुत जल्दी में मैंने अपनी साड़ी कमर से उतार दी और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। जैसे ही मैंने अपनी बालों वाली चूत के क्षेत्र को थपथपाया, मुझे स्पष्ट रूप से अधिक दर्द महसूस हुआ और... और... जैसे ही मैंने अपनी योनि के अंदर एक उंगली डाली, वह बहुत गीली थी! हालाँकि दर्द ज़्यादा था, लेकिन अहसास मुझे अच्छा लगा । जैसे ही मैंने अपनी उंगली अपनी चूत के अंदर डाली, मुझे एहसास हुआ कि यह निश्चित रूप से अधिक गीली और चिपचिपी थी, जैसा कि अक्सर चुदाई के बाद होता है!

मैंने तुरंत अपनी उंगली अपनी योनि से बाहर निकाली और उसे सूंघने लगी ।

हाय ! यह पुरुष वीर्य की गंध थी! हे भगवान!

मैं कुछ क्षणों तक मूर्ति की भाँति खड़ी अपनी गीली उंगली सूँघती रही । जैसे ही मैं अपना हाथ फिर से अपनी चूत के पास ले गयी , इस बार मुझे अपनी चूत के बालों की झाड़ी भी कुछ गीली महसूस हुई! और जैसे ही मैंने उसे दोबारा सूँघा, मैं स्पष्ट रूप से बता सकती हूँ कि यह पुरुष के रस या वीर्य के अलावा और कुछ नहीं था! मुझे बहुत खालीपन महसूस हुआ! मेरी आँखें अपने आप बंद हो गईं और मेरे शरीर का भार शौचालय की दीवार पर स्थानांतरित हो गया। मैं दीवार के सहारे खड़ी हो गयी।. मेरा सर घूम रहा था और मैं आगे कुछ नहीं सोच पा रही थी ।

अनजाने में मेरा हाथ मेरे बाएं स्तन से टकराया और मुझे तुरंत वहां भी हल्का सा दर्द महसूस हुआ! मैं सचेत थी और मैंने तुरंत अपने ब्लाउज का हुक खोल दिया। अब मैं पूरी तरह से नंगी थी, शौचालय के अंदर खड़ी होकर मैंने शीशे पर अपने बड़े कसे हुए स्तनों को देखा। मैंने करीब से देखा और जैसे ही मैंने अपने मक्खन के रंग के मजबूत स्तनों की चिकनी गोलाकार सतह की जांच की, मुझे अपने बाएं स्तन पर मेरे एरिओला के निकट एक सूक्ष्म नाखून का निशान दिखाई दिया!

मेरा गला सूख रहा था क्योंकि मुझे यह अनुमान हो गया था कि मेरी बेहोशी के दौरान मेरी चुदाई हो चुकी है। मेरी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं और पसीने की बूँदें मेरे माथे पर छा रही थीं। लेकिन... लेकिन मामा जी की मौजूदगी में डॉक्टर दिलखुश मेरे साथ ऐसा अभद्र व्यवहार कैसे कर सकते थे? मैं केवल अपने आप से लड़ने की कोशिश कर रही थी, लेकिन हार रही थी क्योंकि मेरे शरीर पर मौजूद सबूत यह साबित करने के लिए पर्याप्त थे कि डॉ. दिलखुश ने मेरी जानकारी के बिना मुझे चोदा था । क्या उन्होंने मामा जी को किसी काम से बाहर भेजा और उस अवसर का उपयोग किया? अब सचाई क्या थी ये मैं नहीं जानती थी !

मैं निश्चल और स्थिर खड़ा रही । मेरे गाल पर आँसुओं की बूँदें छलक पड़ीं। स्वाभाविक रूप से मैं दुखी महसूस कर रही थी । देर सुबह ही मुझे परिणीता स्टोर में उस दुकानदार और फिल्म निर्देशक ने चोदा था , लेकिन उस स्थिति में मैं कम से कम अपने आप से बहस कर सकती थी कि शूटिंग के दौरान मुझे इतना कामुक बना दिया गया था। और संभवतः उस विज्ञापन का उस परिस्तिथि कोई अन्य अंत नहीं हो सकता था। लेकिन यहाँ? मुझे तो होश ही नहीं था! और इसके अलावा, वह एक डॉक्टर था! वह मेरे साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकता है!

इस पाशविक व्यवहार के लिए मैं मन ही मन डॉ. दिलखुश को कोस रही थी । लेकिन साथ ही परीक्षा के दौरान उसने मेरे प्रति जो गंदी हरकतें कीं, उन्हें मैं कैसे भूल सकती हूं। इसके लिए केवल मैं ही दोषी थी ! जब डॉक्टर ने पहली हरकत की तो मुझे उसे थप्पड़ मार देना चाहिए था, लेकिन इसके विपरीत न केवल मैंने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि उसके स्पर्श से काफी प्रभावित भी हो गई। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इसका ऐसा परिणाम होगा!

मैं न जाने कितनी देर तक शौचालय की दीवार के सहारे नंगी खड़ी अपनी बदकिस्मती के बारे में सोचती रही। इन हालात में अब मुझे स्वयं को नियोजित कर आगे बढ़ना था। मैंने काफी देर तक स्नान किया और अपने पूरे शरीर को अच्छी तरह से रगड़-रगड़ कर साफ किया जैसे कि मैं डॉ. दिलखुश के स्पर्श के निशानों को पोंछने की कोशिश कर रही थी । स्नान समापत कर कपडे पहन मैं बाहर आ गयी ।

मामा जी: तुम्हारा स्नान हो गया बहुरानी?

मैं: हाँ मामा जी ।

मामा जी: बढ़िया! आप बहुत ताज़ा लग रही हैं... ।

मैं बस मुस्कुरायी और अपने बालों में कंघी करने के लिए ड्रेसिंग टेबल पर चली गयी । कुछ ही मिनटों में हम दोनों चलने के लिए तैयार थे. घर छोड़ने से पहले मैंने मामाजी को सम्मान स्वरूप प्रणाम किया।

मामा जी: खुश रहो बेटी. मुझे बहुत ख़ुशी है कि आख़िरकार आप पूरी तरह ठीक हो गए। जिस तरह से तुम उस एलर्जी से पीड़ित हुई... मुझे बहुत बुरा लगा बेटी...।


जैसे ही मैंने प्रणाम पूरा किया, मामा जी ने मेरी बाँहें पकड़ लीं और मुझे झुकी हुई स्थिति से उठा लिया। उसने मेरा कंधा पकड़ा और मेरी आँखों में देखा।

मैं: लेकिन यह आपकी गलती नहीं थी मामा जी...!

मामा जी: फिर भी... भगवान का शुक्र है कि आप अब पूरी तरह से फिट और ठीक हैं... मेरी शुभकामनाएं हमेशा आपके और अनिल के साथ रहेंगी...!

मामाजी अब मुझसे लिपट गये और मेरे माथे को धीरे से चूम लिया। जब मामाजी मेरे माथे को चूम रहे थे तो मुझे अपने उभरे हुए ब्लाउज से ढके स्तनों को उसकी छाती पर दबने से बचाने के लिए अपनी बाहों को थोड़ा मोड़ना पड़ा।

मामा जी: मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि आपको जल्द ही एक बच्चे का आशीर्वाद मिले... बहुत जल्द बहुरानी... बहुत जल्द... मैं अच्छी तरह से समझ सकता हूं कि आप कितनी तकलीफ और दर्द झेल रही हैं...। अलग-अलग लोगो के बहुत सारे सवाल... आप जानते हैं , हमारा समाज बिल्कुल वैसा ही है ... यह लड़ाई कठिन और लंबी है और निश्चित रूप से आपको अनिल से ज्यादा कष्ट उठाना पड़ रहा है...।

उनकी बातों से पूरा माहौल बेहद भावुक हो गया. मामा जी के ये शब्द सुनकर मैं अपने आँसू नहीं रोक सकी । उनके सहानुभूतिपूर्ण शब्दों ने मुझे सचमुच छू लिया और मैंने अपना सिर उनकी छाती पर रख दिया और सिसकने लगी। यह शायद उस "अवसाद" से अधिक जुड़ा था जिसे मैं मानसिक रूप से झेल रही थी , जब मुझे एहसास हुआ कि डॉक्टर ने मुझे बेहोशी की हालत में चोदा था।

मामा जी: अरे...ये क्या! इसे ऐसे समझो बहूरानी... कि... यह ईश्वर का कार्य है जिसे तुम आगे बढ़ा रही हो... ईश्वर चाहता है कि तुम अपनी मंजिल तक सबसे कठिन रास्ते से पहुंचो... हो सकता है कि यह सबसे कठिन रास्ता हो! और, इस लड़ाई में हम सब आपके साथ हैं बेटी...।

इतना कह कर उसने लगभग मुझे गले लगा लिया और पिता का यह स्नेह पाकर मैं तुरंत उसके सीने से लगकर जोर-जोर से सिसकने लगी। मामा जी ने एक हाथ से मुझे पकड़ा और दूसरे हाथ से धीरे से मेरे सिर को थपथपाया और फिर उन्होंने धीरे-धीरे अपना हाथ मेरे कंधे से नीचे मेरी पीठ पर ला दिया।

मामा जी: बेटी, तुम एक बात जानती हो... अगर तुम रोती हो, तो तुम्हारे मन से बुरी बातें निकल जाती हैं और तुम पवित्र हो जाती हो। अपने मन से बुराइयां निकालो बहुरानमी... निकालो...।

मैं लगातार सिसकती रही और यह महसूस नहीं कर पा रही थी कि मैं खुद को एक अजीब स्थिति में डाल रही हूं। मेरी बाहें अभी भी मेरे स्तन क्षेत्र पर टिकी हुई थीं और इसलिए मेरे शरीर का पूरा भार मामा जी पर था। मामा जी सचमुच मुझे गले लगा रहे थे और हालाँकि शुरू में यह एक आकस्मिक मुद्रा थी, जैसे-जैसे मैं सिसकती रही, उन्होंने अपने शरीर पर हाथ रखकर मुझे कसकर गले लगाना शुरू कर दिया।

मामा जी: तुम्हें पता है बहूरानी, रोने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि अंत में तुम हल्का महसूस करती हो... और मुझे पूरा यकीन है कि तुम वास्तव में निश्चिंत और हल्का महसूस करोगी ..।


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-2


मामाजी के साथ आलिंगन, गुदगुदी

मैंने बस अपना सिर हिलाया और अब ख़ुद को नियंत्रित करने की कोशिश की क्योंकि मैं महसूस कर रही थी कि मामा जी मेरे साथ लगभग एक वयस्क आलिंगन कर रहे थे क्योंकि उनके हाथो ने मेरे झुके हुए शरीर पर अधिक नियंत्रण हासिल कर लिया था। मैं अपने ब्लाउज के हेम के ठीक नीचे अपने खुले पेट के क्षेत्र पर उसके बाएँ हाथ का गर्म स्पर्श महसूस कर रही थी, जबकि उसका दाहिना हाथ लगभग मेरे उभरे हुए कूल्हों तक फिसल गया था! मैंने अपना सिर उसकी छाती से उठाया और उसके आलिंगन में ठीक से खड़े होने की कोशिश की।

मामा जी (मुझे अपनी ओर दबाते हुए और मुझे महसूस हुआ कि मेरे पैर उनके पैरों पर दब रहे हैं) : आँसू पोंछ लो बेटी... मैं तुम्हारे और अनिल के लिए एक उज्ज्वल भविष्य की आशा करता हूँ।

मैं (बहुत नम्रता से और रोते हुए स्वर में) : धन्यवाद।मामा जी! ...

मैंने अपनी आँखों को अपने हाथों से पोंछकर सुखाया, लेकिन जब मैं ऐसा कर रही थी तो उस क्षण भर में मुझे एहसास हुआ कि मामा जी अपने आलिंगन वाले हाथों से मुझे अपने शरीर की ओर और अधिक दबा रहे थे और परिणामस्वरूप स्वाभाविक रूप से मेरे गोल जुड़वां दृढ़ स्तन मामा जी की छाती पर दबने लगे। मामाजी की छाती एकदम सीधी और कसी हुई. मेरे पूर्ण विकसित बड़े आकार के स्तनों के अहसास ने वास्तव में बूढ़े व्यक्ति में ऊर्जा का प्रवाह शुरू कर दिया होगा और जैसे ही मेरी दोनों जुड़वाँ चोटियाँ मामा जी पर ज़ोर से दब गईं, मुझे तुरंत एक मज़बूत आलिंगन का अनुभव हुआ! मेरी आँखें अपने आप ही क्षण भर के लिए बंद हो गईं।

मामा जी: भगवान पर विश्वास रखो बेटी और मुझे पूरा यक़ीन है कि आने वाले दिनों में आश्रम में तुम्हारे इलाज़ का सकारात्मक परिणाम आएगा।

जैसे ही मामा जी ने मेरे कानों के पास फुसफुसाते हुए ये शब्द कहे, उन्होंने मुझे कसकर अपने आलिंगन में जकड़ लिया ताकि वे अपनी छाती पर मेरे भारी स्तनों का उनकी छाती पर दबने का पूरा आनंद ले सकें। इस समय तक स्वाभाविक रूप से मेरी सांसें फूल रही थीं और काफ़ी जकड़न महसूस हो रही थी। मैं महसूस कर रही थी कि मेरी ब्रा के अंदर मेरे निपल्स का आकार बड़ा हो रहा था और एक पुरुष के कसे हुए करीबी आलिंगन से मेरी कामेच्छा का प्रवाह शुरू हो गया था। मैंने इससे बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन मामा जी निश्चित रूप से इसे लम्बा खींचना चाहते थे, इसलिए उन्होंने मुझे कस कर आलिंगन में जकड़े रखा।

मैं: हाँ... मेरी भी यही इच्छा है मामा जी... आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद।

मामा जी... उम्म...!

मैं:-मुझे लगता है... मुझे लगता है कि हमें अब आगे बढ़ना चाहिए मामाजी ... हमे आश्रम चलना चाहिए!

मैंने इस लंबी होती विदाई में कुछ समय लगाने की पूरी कोशिश की थी अब मैं इसे समाप्त कर आगे बढ़ना चाहती थी, लेकिन मामा जी को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी! उन्होंने आश्रम में देर होने के सम्बंध में मेरे आखिरी वाक्य को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया!

मामा जी (फिर से मेरा माथा चूमते हुए) : मैं अपनी बहूरानी की आँखों में और आँसू नहीं देखना चाहता! हम्म...चलो एक बार चेक कर लेते हैं...!

कह कर मामा जी ने अपना मुँह मेरे मुँह पर बंद कर दिया; मैं अब भी उनसे लिपटी हुई थी। मैं केवल हल्का-सा मुस्कुरा सकी और सिर हिलाकर यह संकेत दिया कि मैं अब और नहीं सिसक रही हूँ, लेकिन उस बूढ़े व्यक्ति ने स्वयं मेरी आँखों के नीचे अपनी उंगलियों से मेरी आँखों की जाँच की।

मामा जी: अरे! हाँ क्या? मुझे लगता है कि आपकी आंखें अभी भी गीली हैं? क्यों बहुरानी?

मैं: नहीं, नहीं... अब बिल्कुल ठीक है मामा जी!

मैंने ऊपर देखा और जवाब दिया। इतने लंबे समय तक उस अवस्था में रहना निश्चित रूप से मामाजी को उत्तेजित कर रहा था-मेरा चेहरा मामाजी से मुश्किल से एक या दो इंच की दूरी पर था, उनके हाथ मेरी पीठ को घेरे हुए थे और मेरे बड़े तंग स्तन उनकी छाती पर काफ़ी दब रहे थे!

मामा जी: उहू... उदासी के बादलों को कभी अपनी खुशियों पर हावी मत होने देना बेटी... तुम्हारा चेहरा अभी भी गीला है... बस देखो!

मामा जी ने अब धीरे से अपनी उंगली मेरे बाएँ गाल पर फेरी, जिससे मुझे महसूस हुआ कि मेरी आंखें अभी भी गीली हैं! सच कहूँ तो मुझे इस बुज़ुर्ग व्यक्ति से ऐसी हरकत की उम्मीद नहीं थी और मैं ठीक से प्रतिक्रिया नहीं दे सकी। उस अवसर का उपयोग करते हुए मामा जी अपनी उंगलियों से मेरे गर्म चिकने गालों को महसूस करते रहे।

मामा जी: तो... क्या मैं ग़लत हूँ? हुंह तुम... तुम मुझे बेवकूफ नहीं बना सकती बेटी... मैं तुम्हारे हर समय सहे जाने वाले अव्यक्त दर्द को समझ सकता हूँ। (मामा जी ने गहरी आह भरी) मैं सब समझ सकता हूँ बेटी... !

हालाँकि मामा जी वास्तव में मेरे लिए महसूस करने का अभिनय कर रहे थे, लेकिन स्थिति मेरे लिए और भी मुश्किल होती जा रही थी, क्योंकि इस बुज़ुर्ग व्यक्ति का लगातार स्पर्श अंततः मुझे काफ़ी हद तक परेशान कर रहा था। मैंने पहले से ही गहरी सांस लेना शुरू कर दिया था और मेरे स्तन स्वाभाविक रूप से मेरे ब्लाउज के अंदर उभरे हुए थे और जैसे ही मैंने नीचे देखा तो मैंने देखा कि मेरी साड़ी का पल्लू अपनी उचित स्थिति से लगभग उखड़ गया था, जिससे मेरे चमकदार मक्खन के रंग का ऊपरी स्तन क्षेत्र पर्याप्त रूप से दिखाई दे रही थी।

मामा जी: अपना सिर मुझ पर रखो, अपनी आँखें बंद करो और कुछ गहरी साँस लो बेटी... तुम निश्चित रूप से बहुत बेहतर महसूस करोगी।

मैं (अपने पल्लू को कुछ हद तक ठीक करते हुए ताकि मेरा क्लीवेज न दिखे) : लेकिन... लेकिन मामा जी... मैं... ठीक हूँ... आप चिंता न करें! कृपया... मैं ठीक हूँ...!

मैंने मामा जी को यह बताने की पूरी कोशिश की कि मैं ठीक महसूस कर रही हूँ और सच तो यह है कि अगर मामा जी कुछ देर और मुझे ऐसे ही गले लगाते रहे, तो वास्तव में मैं ठीक नहीं रहूंगी।

मामा जी: बेटी... मेरी बात सुनो... इससे तुम्हारी भावनाएँ ठीक हो जाएंगी... यह जांची हुई चीज है... तुम बस वही करो जो मैं कहता हूँ और मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा कि तुम्हारा मिशन सफल हो।

मुझे यह स्वीकार करना पड़ा कि यह मामा जी की ओर से एक बड़ा क़दम था और ईमानदारी से कहूँ तो मेरा किसी भी तरह से इस बूढ़े व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था। इस प्रकार मैं बिना कोई और बहस किए उनकी बात से सहमत हो गई, हालांकि वास्तव में इस 50+ पुरुष के साथ इतनी निकटता में बहुत असुविधा महसूस हो रही थी। मैं जानती थी कि वह एक बुज़ुर्ग व्यक्ति था, जो की लगभग मेरे पिता की उम्र का था और वह मेरी ससुराल की तरफ़ से मेरा रिश्तेदार था... लेकिन फिर भी मामा जी की ऐसी आत्मीयता मेरे अंदर जुनून और कामुक उत्तेजना पैदा कर रही थी।

मामा जी: जैसा कि मैंने कहा...बहुरानी तुम बस अपनी आँखें बंद करो और अपना सिर मेरी छाती पर रखो और कुछ गहरी साँस लो...हाथ अपनी तरफ...हाँ। बस आराम करो... मुझे यक़ीन है कि तुम बेहतर महसूस करोगी बहूरानी!

जैसे ही मैंने अपने हाथ बगल में लटकाए, अब लगभग मेरे शरीर का पूरा भार उन पर था और मामा जी ने अब फिर से मुझे एक नए तरीके से गले लगा लिया, उनका दाहिना हाथ मेरे ब्लाउज की पीठ पर दबाव डाल रहा था और उनका बायाँ हाथ शायद मुझे अधिक आरामदायक महसूस कराने के लिए मेरे सिर पर चला गया। । जब मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उनकी चौड़ी छाती पर आराम करने लगी।

तो मामा जी ने धीरे से मेरे सिर को थपथपाया। मेरे बड़े-बड़े ठोस स्तन सीधे उनके शरीर पर दबते और रगड़ते रहते हैं; मामा जी मेरे ब्लाउज से ढके रसीले नारियल जैसे स्तनों की मज़बूत और लचीली संरचना को स्पष्ट रूप से महसूस कर रहे थे।

मैं स्वाभाविक रूप से अब तक शारीरिक रूप से काफ़ी उत्तेजित हो चुकी थी और तभी मामा जी ने मानो आग में घी डाल दिया। मामा जी एक हाथ से मेरे सिर को सहला रहे थे जबकि उनका दूसरा हाथ मेरे ब्लाउज के पीछे था, जिसे मैंने महसूस किया कि वह धीरे-धीरे नीचे सरकने लगा है! मैं तुरंत सतर्क हो गई और साथ ही कुछ हद तक कठोर भी हो गई, क्योंकि मैं स्पष्ट रूप से उसकी गर्म हथेली को अपनी चिकनी और मखमली पीठ पर फिसलता हुआ महसूस कर सकती थी।

मामा जी: गहरी साँस लो और आराम करो बेटी... मुझे तुम्हारे लिए एक छोटी-सी प्रार्थना पूरी करने दो।

मैं: ओ। ओके मामा-जी... (मैं बहुत भारी आवाज़ में यह बड़बड़ा नहीं सकी) !

मामा जी कुछ बड़बड़ा रहे थे, लेकिन मैं समझ नहीं पायी कि वह क्या कह रहे थे, लेकिन... लेकिन मैं स्पष्ट रूप से समझ सकती थी कि उनके इरादे भटक रहे थे! मामा जी ने अपना दाहिना हाथ मेरी सुडौल पीठ के ऊपर से मेरी कमर पर सरकाया और मेरी साड़ी के ऊपर से मेरी नंगी त्वचा को महसूस करने लगे। अगर उसने अपना हाथ वहाँ रखा होता, तो मैं अभी भी इसे सहन कर सकती थी, लेकिन... लेकिन वह स्पष्ट रूप से मेरे पेट की तह को छू रहे थे! मामा जी ने मेरे पेट के निचले हिस्से की नग्न त्वचा को इतने सीधे और अचानक से सहलाना शुरू कर दिया कि मुझे प्रतिक्रिया देनी पड़ी!

मैं: ईई...ईईईईईईई। मामा जी... क्या... क्या कर रहे हो?

मामा जी: ओहो बेटी... तुम बहुत बेचैन हो! क्या आप नहीं जानती कि यह तनाव दूर करने की एक बहुत ही परिचित तकनीक है?

मैं: नहीं... नहीं! उईईई ... मामा-जी ... आप ही-ही आप ही-ही । आप मुझे गुदगुदी कर रहे हो!

मामाजी: चलो बहुरानी! इसे थोड़ा सहन करें... आप निश्चित रूप से बेहतर महसूस करेंगी मैं आपको बताता हूँ!

जब मामाजी ने यह गुदगुदी क्रिया जारी रखी तो मैं लगभग अपना संतुलन खो बैठी और अपने पूरे शरीर का भार उन पर डाल दिया। मामा जी ने मुझे सहारा देने के लिए मेरे सिर पर अपना हाथ रखा और उसे मेरे कंधों तक सरका दिया। मैं महसूस कर सकती थी कि उसका अंगूठा स्पष्ट रूप से मेरे कंधे पर मेरी ब्रा के स्ट्रैप को महसूस कर रहा था, जबकि वह अब काफ़ी आक्रामक तरीके से मेरी कमर के निचले हिस्से को सहला रहे थे। जैसे ही उसने जल्दी से अपना अंगूठा मेरे पेट के नरम मांस में अनाड़ी ढंग से डाला, मुझे बहुत गुदगुदी हुई।

मैं: ही-ही ही ही... हीईई। मामा-जी... प्लीज़ रुको। ही-ही ही ही...!

जैसे ही मैं खिलखिला कर हँसी, मामा जी और अधिक आक्रामक हो गए और अब वह दोनों हाथों से यह घिनौनी हरकत कर रहे थे! चूँकि मेरे हँसने के कारण मेरे शरीर का ऊपरी भाग बहुत अधिक लहरा रहा था, मेरी साड़ी का पल्लू उखड़ कर मेरी बाँहों में फिसल गया और मेरा पूरा स्तन क्षेत्र मामा जी को दिखाई देने लगा। मेरा ब्लाउज मेरे शंक्वाकार स्तनों पर कसकर फिट था और मेरी क्लीवेज बहुत बड़ी थी।

मेरे गहरे कट वाले ब्लाउज के गले पर बहुत कुछ स्पष्ट है।

मैं: मामाजी ... उह्ह्ह। ही-ही ही हीई...ईईईईईई रुको। ए-ए-अरे-ई-ई-ई ये आप क्या कर रहे हो! आआआ। ही-ही ही ही-ही ही ही... ही ही।


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-3

गुदगुदी से साड़ी ढीली हुई

जब मामाजी ने यह गुदगुदी क्रिया जारी रखी तो मैं लगभग अपना संतुलन खो बैठी और अपने पूरे शरीर का भार उन पर डाल दिया। मामा जी ने मुझे सहारा देने के लिए मेरे सिर पर अपना हाथ रखा और फिर उसे मेरे कंधों तक सरका दिया। मैं महसूस कर सकती थी कि उनका अंगूठा स्पष्ट रूप से मेरे कंधे पर मेरी ब्रा के स्ट्रैप को महसूस कर रहा था, जबकि वह अब काफ़ी आक्रामक तरीके से मेरी कमर के निचले हिस्से को सहला रहे थे। जैसे ही उन्होंने जल्दी से अपना अंगूठा मेरे पेट और मेरी नाभि के नरम मांस में अनाड़ी ढंग से डाला, मुझे बहुत गुदगुदी हुई।

मैं: ही-ही ही ही... हीईई। मामा-जी... प्लीज़ रुको। ही-ही ही ही...!

जैसे ही मैं खिलखिला कर हँस दी मामा जी और अधिक आक्रामक हो गए और अब वह दोनों हाथों से यह घिनौनी हरकत कर रहे थे! चूँकि मेरे हँसने के कारण मेरे शरीर का ऊपरी भाग बहुत अधिक लहरा रहा था, मेरी साड़ी का पल्लू उखड़ कर मेरी बाँहों में फिसल गया और मेरा पूरा स्तन क्षेत्र मामा जी को दिखाई देने लगा। मेरा ब्लाउज मेरे शंक्वाकार स्तनों पर कसकर फिट था और मेरी क्लीवेज बहुत बड़ी थी मेरे गहरे कट वाले ब्लाउज के गले पर बहुत कुछ स्पष्ट दिख रहा था।

मैं: मा मा-जी-आयी आई... उह्ह्ह। ही-ही ही हीई...ईईईईईई प्लीज रुको। अरे ईईए ये आप क्या कर रहे हो! आआआ। ही-ही ही ही-ही ही ही... ही ही।

मामा जी: बेटी... गुदगुदी, हसना तनाव दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है... उम्म... आपको वह कैसा लगा? ओह ओ। बहूरानी, तुम नहीं जानती कि जब कुछ समझ नहीं आये तब गुदगुदी करना, हसना सभी अवसादों को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है।

मामाजी लगातार अपने कार्य (गुदगुदी करने) में अधिक शक्ति लगा रहे थे और मुझे मेरे बदन पर इधर उधर हाथ लगा रहे थे। स्वाभाविक रूप से चीजें मेरे हाथ से बाहर होती जा रही थीं। जैसे-जैसे मैं लगातार खिलखिलाती और हंसती रही, मेरी ऊर्जा ख़त्म होती जा रही थी और मैं लगभग हांफने लगी। हालाँकि मेरे चेहरे पर हंसी झलक रही थी लेकिन मैं पूरी तरह से निराश थी।

मामा जी की ये हरकत। अगर उन्होंने ऐसा किसी छोटी लड़की या किशोरी के साथ भी किया होता तो यह ठीक था, लेकिन इस परिपक्व उम्र में पेट और कमर के क्षेत्र में इस तरह गुदगुदी करवाना कुछ ज़्यादा ही मुश्किल था। स्वाभाविक रूप से मैं जोर-जोर से सांस ले रही थी क्योंकि मैं हंस रही थी और साथ-साथ उनसे बचने का प्रयास कर रही थी और मेरे पके हुए रसीले स्तन मेरे तंग ब्लाउज के माध्यम से लगभग फट रहे थे और मेरी साड़ी मेरी बांहों में लहरा रही थी, मैं निर्विवाद रूप से अविश्वसनीय रूप से सेक्सी और अश्लील लग रही थी।

मामा जी: अरे बहूरानी... यह तो कुछ भी नहीं है... मैंने अभी तक तुम्हें मैंने हँसी के लिए सबसे अच्छा इलाज़ करने वाली चीज नहीं दिखाई है ...!

मैं: नहीं... ओह्ह्ह... मामा जी... नहीं... बस कीजिये प्लीज रुक जाईये ऑप। मेरे लिए इतना ही पर्याप्त है। इइइइइ... ही-ही ही ही ही......ओह्ह। मेरे प्रभुउउउउउ ... हाँ-हाँ ही!

मामा जी: बेटी... हँसी अपने आप में एक महान औषधि है... अब इसका आनंद लो...!

मामा जी एक हाथ से मेरे पेट पर गुदगुदी करते रहे और अपना दूसरा हाथ सीधे मेरी बगल में ले आये!

मैं: आउच! ही ही!

मैं क्षण भर के लिए चट्टान की तरह कठोर हो गयी! लेकिन जिस तरह से मामा जी मेरी कमर और पेट के क्षेत्र को सहला रहे थे और गुदगुदी कर रहे थे, मैं ज़्यादा देर तक स्थिर नहीं रह सकी! मामा जी ने अपनी उँगलियाँ मोड़ लीं और जबरदस्ती अपनी उंगलियाँ मेरी बगल में घुसाने लगे! यह इतनी सेक्सी और भद्दी हरकत थी कि मैं क्षण भर के लिए स्तब्ध रह गयी, लेकिन जिस तरह से उन्होंने मेरी बगल में स्पर्श किया और मेरी बगल वाले हिस्से में अपनी उंगलियाँ रगड़ीं उससे मुझे काफ़ी गुदगुदी महसूस हुई। हालाँकि मैंने तुरंत अपने हाथ को दबाने की कोशिश की ताकि अंतर को कम किया जा सके, मामा जी का हाथ तब तक मेरी बगल में चला गया था और वे बहुत मुखर मूड में मुझे गुदगुदी कर रहे थे।

मैं: उउउउइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ... ही-ही ही ही। ऊऊऊइइइइ। माआआ। ही-ही ही ही... प्लीज मामाजी मत करो, प्लीज रुक जाओ ।

मेरी हालत सचमुच विचित्र होती जा रही थीं! मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि मेरा बुज़ुर्ग रिश्तेदार जो रिश्ते में मेरा मामा सौर लगता था, मेरे साथ इस तरह का भद्दा मज़ाक करेगा। जैसे-जैसे मामाजी ने मेरे बगल और पेट के क्षेत्र में दोनों हाथों से मुझे गुदगुदी करना जारी रखा, मैं स्वाभाविक रूप से और अधिक उत्साहित हो गई जिसके परिणामस्वरूप मेरे कपड़े बहुत कामुकता से अस्त-व्यस्त हो रहे थे। मेरी साड़ी का पल्लू अब लगभग फ़र्श पर गिर चूका था और मैं मेरे बड़े आकार के स्तन मामा जी के सामने पर्याप्त रूप से उजागर करने के लिए मजबूर हो चुकी थी। चूँकि मैं मामा-जी की तेज़ गुदगुदी के कारण लगातार उत्तेजित हो रही थी, मुझे झुकना पड़ा, मुड़ना पड़ा और कार्यवाही से बचने के लिए मुझे सभी प्रकार की हरकतें और कोशिशे करनी पड़ीं और यहाँ तक कि मेरी साड़ी भी मेरी कमर से काफ़ी दूर हो गई थी, जिससे मेरा पेटीकोट दिख रहा था!

मैं: मामा जी...उईई...ही ही-ही ही।प्लीज अब इसे बंद करो।

उनका दूसरा हाथ अब मेरी नाभि क्षेत्र में गुदगुदी कर रहा था और सभी महिलाओं की तरह मैं भी उस क्षेत्र में बहुत संवेदनशील थी। जैसे ही उन्होंने यह हरकत की, मैं जोर-जोर से हंसने लगी और जैसे-जैसे यह जारी रहा, मुझे एहसास हुआ कि मेरी लगातार हंसी के कारण मैं जल्दी ही थक गयी थी। मैं वास्तव में कभी-कभी फुसफुसा रही थी और उथली साँसे ले रही थी। मेरे पास मामा-जी को रोकने के लिए वास्तव में बहुत कम ऊर्जा थी। मेरा बूढ़ा दिखने वाला ममेरा ससुर इस बात को समझने के लिए काफ़ी बुद्धिमान था और उसके हाथ तेजी से मेरे गदराये शरीर पर अधिकार कर रहे थे।

हालाँकि शुरू में वह केवल मेरी बगल में गुदगुदी कर रहे थे, लेकिन अब मेरा प्रतिरोध कम हो गया था, मामा जी स्पष्ट रूप से अपने हाथ मेरे बदन पर फैला रहे थे। वह अब सब जगह अपने हाथ चला रहे थे और उनकी उंगलियाँ मेरे तंग स्तनो के मांस के किनारों को महसूस कर रही थी!

मामा-जी ने मुझे राहत का एक क्षण भी नहीं दिया और उनकी फुर्तीली उंगलियाँ मेरे पेट के पूरे क्षेत्र में घूम गईं और मेरी गहरी नाभि के अंदर बहुत कामुकता से छेड़छाड़ करने लगीं। मैं ज़ोर-ज़ोर से हँस रही थी और मुझे अब अंदर ही अंदर महसूस हो रहा था कि मैं इसे और बर्दाश्त करने में असमर्थ हूँ!

जैसे ही मामा जी ने मुझे ज़ोर जोर से हंसते हुए सुना तो उनमें और अधिक शक्ति आ गई। मुझे मामाजी की इस हरकत को रोकने के लिए कुछ करना था, जिन्हें इस विलक्षण कृत्य से अत्यधिक आनंद मिल रहा होगा!

मैं हैरान और परेशान थी की अब मैं क्या करूँ... क्या करूँ... मैं सचमुच हैरान थी ...!

आख़िरकार मुझे कुछ समझ नहीं आया तब मैंने मामा जी से दूर भागने का फ़ैसला कर लिया! हाँ, मैंने सोचा कि अब मेरे प [आस यही एकमात्र तरीक़ा है जिससे मैं इस गुदगुदी से बच सकती हूँ। ये बात मेरे मन में आयी और मैंने तुरंत उस पर अमल किया और चूंकि मामाजी अब मुझे गले नहीं लगा रहे थे, इसलिए मेरे लिए उनसे दूर भागना आसान हो गया था। इस बीच मामा जी भी मुझे गुदगुदी करते हुए हंस रहे थे और जब उन्होंने मुझे अपने से दूर भागते हुए देखा, तो शायद वे क्षण भर के लिए अनिर्णीत थे, लेकिन फिर वे तुरंत एक नई शरारत के लिए तैयार हो गए!

इस गुदगुदी की प्रक्रिया के दौरान, मैं ज्यादातर समय बिना पल्लू के थी और मेरी साड़ी कमर पर बहुत ढीली हो गई थी और उसका थोड़ा-सा हिस्सा वास्तव में फ़र्श पर गिर गया था और मामा जी ने तुरंत यह देखा और तुरंत मेरी साड़ी पर अपना पैर रख दिया। मैं वस्तुतः उस समय उनसे दूर भाग रही थी और मुझे अपनी कमर पर बंधी साडी पर अचानक झटका महसूस हुआ और मेरी साड़ी की गाँठ मेरी कमर से खुल गई! क्योंकि मैं भाग रही थी इसलिए तुरंत नहीं रुक सकती थी! मैं पूरी तरह से अचंभित हो गई और दौड़ना बंद कर दिया, लेकिन तब तक मेरी साड़ी मेरी कमर से खुल चुकी थी और अब साडी केवल मेरे शरीर के निचले हिस्से से चिपकी हुई थी।

एक पल के लिए... बस एक सेकंड के एक अंश के लिए, मामा जी बिल्कुल एक बलात्कारी, एक विकृत बूढ़े आदमी की तरह लग रहे थे, जो मेरी साड़ी उतारकर मुझे बेनकाब करने के लिए आगे बढ़ रहा था!

मामा जी: हा-हा हा... बहूरानी... अब तुम बच नहीं सकती... हा-हा हा... मैं तुम्हें आज तब तक नहीं छोड़ूंगा जब तक तुम्हें पूरी गुदगुदी न कर दूँ ... हा-हा हा...!

मैं: मामा जी... प्लीज़... इसे बंद करो... अरे। मुझे साड़ी ठीक से पहनने दो...!

इससे पहले कि मैं अपनी बात पूरी कर पाती, मामा जी फिर से मेरे ऊपर आ गए। वह बस मेरी ओर झपटे और मैं प्रतिक्रिया स्वरूप फिर उससे दूर भागने की कोशिश कर रही थी!

जारी रहेगी
 

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300

CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-4

अश्लील गुदगुदी

गुदगुदी की इस प्रक्रिया के दौरान, मैं ज़्यादातर समय बिना पल्लू के होगयी और मेरी साड़ी कमर पर बहुत ढीली हो गई थी और उसका कुछ हिस्सा वास्तव में फ़र्श पर था और मामा-जी ने तुरंत इसे देखा और तुरंत फ़र्श पर मेरी साड़ी पर पैर रख दिया! मैं उनसे दूर भाग रही थी और मुझे अपनी कमर पर अचानक झटका लगा और मेरी साड़ी खुल गई क्योंकि मैं तुरंत नहीं रुक सकती थी! मैं पूरी तरह से हैरान थी और भागना बंद कर दिया, लेकिन उस समय तक मेरी साड़ी मेरी कमर से खुल गई थी और ढीली हो मेरे शरीर के निचले हिस्से से सिर्फ़ थोड़ी-सी चिपकी हुई थी।

एक पल के लिए... बस एक सेकंड के अंश के लिए, मामा-जी बिल्कुल एक विकृत बलात्कारी, बूढ़े आदमी की तरह लग रहे थे, जो मुझे नंगी करने के लिए मेरी साड़ी पर पैर रख खड़े हुए थे!

मामा-जी: हा-हा हा... बहूरानी... अब तुम बच नहीं सकती... हा-हा हा... मैं आज तुम्हें तब तक नहीं छोडूंगा जब तक तुम पूरी तरह से गुदगुदी का अनुभव नहीं कर लेती... हा-हा हा...!

मैं: मामा-जी... प्लीज़... इसे बंद करो... अरे... मुझे साड़ी ठीक से पहनने दो...!

इससे पहले कि मैं अपनी बात पूरी कर पाती, मामा जी फिर से मेरे ऊपर छा गए। वह मेरी तरफ़ दौड़े और मैं अभी भी उनसे दूर भागने की कोशिश कर रही थी!

मैं: इईईई। मामा जी। न्न्न्न्न्न्न्ह्ह ...!

मेरे बड़े स्तन मेरे टाइट ब्लाउज के अंदर लहरा रहे थे और वास्तव में मैं केवल ब्लाउज और पेटीकोट में बहुत ही सेक्सी लग रही थी, हालाँकि मेरी साड़ी का एक छोर अभी भी किसी तरह मेरे भारी-भरकम नितंबों से चिपका हुआ था।

मैं: मामा-जी... प्लीज... रुकिएयेयेये ... उईईईई......!

मामा-जी: बस रुको... उह्ह......जब तक मैं तुम्हें पकड़ न लूँ।

ऐसा लग रहा था जैसे हमारी उम्र काफ़ी कम हो गई थी और हम दो किशोरों की तरह मस्ती कर रहे थे! जैसे ही मैंने पीछे देखा कि मामा-जी मुझसे कितने करीब थे

मैं: आह्ह! आउच!

मैं किसी चीज़ से टकरा गई और एक पल के लिए बस शून्य हो गई। मैं पलटी और एक गिर गई!

मैं: उउउउउउउउउ। उफ़!

मैं डाइनिंग हॉल में एक सोफे से टकरा गई और मेरा पूरा शरीर घूम गया और मैं उस पर गिर गई। लेकिन चूंकि ये सोफे असाधारण थे, इसलिए मैंने ख़ुद को बेहद अजीब मुद्रा में पाया! इस सोफे का कुशन असामान्य रूप से नरम और स्पंजी था और स्वाभाविक रूप से मेरे जैसी मांसल पीठ वाली महिला के लिए, मैं सोफे के अंदर और भी ज़्यादा और भी गहराई तक धंसती चली गई

मेरे अजीब मुद्रा में गिरने के कारण। मैंने कुछ सहारे के लिए हैंड-रेस्ट को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन मेरे कूल्हे इतने अंदर तक चले गए कि मुझे उस मुद्रा में बहुत बुरा लगा! मेरे पैर लगभग हवा में थे क्योंकि मैं इस सोफे पर उतरते समय अपना संतुलन नहीं रख पा रही थी और सोफे का बैक-रेस्ट इतना नीचे था कि मैं अपने शरीर की हरकतों को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पा रही थी।

मामा-जी: हा-हा हा... अब तुम पकड़ी गई मेरी ... हा-हा हा... बहूरानी, तुम एक-एक छोटी-सी बच्ची कितनी मूर्ख हो हो... तुम क्यों भाग रही थी? क्या मैं तुम्हें खा जाऊँगी? हा-हा हा... अब? मैं कहाँ से शुरू करूँ? एह? हा-हा हा...!

मामा-जी ने अपने हाथों को हवा में फैलाकर मुझे घेर लिया और मुझे डराने की कोशिश कर रहे थे और मैं सोफे पर इस तरह की स्थिति में बहुत अजीब महसूस कर रही थी। जैसे ही मैंने एक पल के लिए नीचे देखा, मैं यह देखकर भयभीत हो गई कि मेरे गोरे रंग का क्लीवेज मेरे ब्लाउज के ऊपर से काफ़ी दिख रहा था और वास्तव में मेरे स्तनों का उभार मेरे ब्लाउज की नेकलाइन के ऊपर से स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था!

मैं: ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई! रुकिीीीये ...हांहआ रुकिए ...हहै ...अअअअअ ही हीहीही सससससततततततततततततततोोोू पपपप! मामा-जीईईईईईईईईईईईईईईईई......!

यह निश्चित रूप से मामा-जी द्वारा मुझ पर की गई गुदगुदी की पराकाष्ठा थी! जब वह मेरे ठीक सामने खड़े थे और मैं उनके विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए सोफे पर लगभग लेटी हुई थी और मेरे मांसल नितंब सोफे के अंदर अच्छी तरह से घुसे हुए थे जिससे मेरे पैर हवा में ऊपर उठ रहे थे (हालांकि पूरी तरह से ऊर्ध्वाधर नहीं) , उन्होंने अपनी उंगलियों से मेरे दाहिने पैर के तलवे को गुदगुदाना शुरू कर दिया और यह एहसास इतना भयानक था कि मैं ख़ुशी से चिल्ला उठी! मेरी जंगली प्रतिक्रिया देखकर, मामा-जी काफ़ी उत्साहित लग रहे थे और इसे और अधिक ज़ोर से कर रहे थे।

मैं: हेहेहेहेहेहेहेहेहे...... उउउउउउउउउउउ। मामा-जी... प्लीज रुकिए... । ही-ही ही ही-ही ही...!

मैं हंस पड़ा क्योंकि मुझे उनकी इस अजीब हरकत से बहुत गुदगुदी महसूस हुई। शुरू में मेरी भावनाएँ मेरी तेज चीखों के माध्यम से फूट पड़ीं, लेकिन चूंकि मामा-जी मेरे पैर के तलवे पर गुदगुदी की तीव्रता बढ़ा रहे थे, इसलिए मैं अपने आप को अपने पैर को हवा में उछालने से रोक नहीं सकी। जैसे ही मैंने ऐसा करना शुरू किया, मैंने देखा कि मामा-जी अब अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल मेरे पैरों के तलवों पर गुदगुदी कर रहे थे। उन्होंने अपनी लंबी उंगलियों को मेरे दाएँ और बाएँ दोनों पैरों के तलवों पर रगड़ा और मुझे हंसी की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मजबूर किया।

मैं: ही-ही ही ही-ही ही...... उउउउउ...... ही-ही ही।

मैं अब अपनी टाँगें हवा में उछाल रही थी और इससे मेरी हालत और भी खराब हो गई। जैसे ही मैं सोफ़े पर उतरी, मेरी टाँगें पहले से ही कुछ ऊपर की ओर थीं और मेरा पेटीकोट मेरी टाँगों से बस कुछ इंच ऊपर था, लेकिन अब मामा-जी अपने हाथों से दोनों पैरों के निचले हिस्से को ज़ोर-ज़ोर से गुदगुदा रहे थे, मैं अपनी टाँगें हवा में उछाल रही थी और मेरी पेटीकोट मेरी चिकनी सुडौल टाँगों से तेज़ी से नीचे सरक गई और मैं बहुत बेचैन हो गई। मैं देख सकती थी कि मेरे टखने, पिंडलियाँ और घुटने उजागर हो रहे थे और मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि जैसे-जैसे मेरा पेटीकोट और नीचे खिसक रहा था, मेरी गोरी मोटी जाँघें भी उजागर हो रही थीं।

मैं: स्स ... मैंने जल्दी से अपने खुले हुए सुडौल पैरों को अपने खाली हाथों से पेटीकोट से ढकने की कोशिश की, लेकिन चूंकि मामा-जी लगातार मेरे तलवों को गुदगुदा रहे थे, इसलिए मेरे लिए ऐसा करना असंभव था क्योंकि मैं अपने पैरों को हवा में उछालती रही ताकि उनके हाथों से मेरे तलवों पर न पड़ें। पेटीकोट इतना नीचे खिसक गया कि मैं घबरा गई कि क्या यह मेरी गरिमा को छिपा रहा है!

"मुझे इस कमबख्त सोफे से बाहर निकलना चाहिए" , मैंने ख़ुद से कहा और पेटीकोट के सिरे को अपनी जगह पर रखने की पूरी कोशिश की ताकि कम से कम मेरी पैंटी तो न दिखे। मामा-जी ने शायद मेरी बात सुन ली क्योंकि उन्होंने जो किया उससे मेरा निचला शरीर पूरी तरह से उजागर हो गया!

मामा-जी: अब यह लो बेटी... देखते हैं कि तुम्हें इससे ज़्यादा गुदगुदी होती है या कम?

यह कहते हुए उन्होंने अपना बायाँ हाथ मेरे पैर के तलवे से हटा लिया और बहुत धीरे से मेरे दाहिने घुटने के पीछे से धक्का देना, ब्रश करना और रेंगना शुरू कर दिया! चूंकि मैं सोफे पर उनके सामने बैठी थी और मेरे पैर लगभग छत की ओर थे, इसलिए उनके लिए इस नयी जगह पर गुदगुदी, यह नया मज़ाक करना बहुत आसान था!

मैं: ईईईईईईईईईईईईईईईई......!

स्वाभाविक रूप से मैं बहुत ज़ोर से चिल्लाई क्योंकि मुझे अपने घुटने के मोड़ के अंदर यह मीठी चुभन महसूस हुई और एक प्रतिवर्ती क्रिया के रूप में मेरे पैर भी अलग हो गए क्योंकि मुझे उस "शायद ही कभी छुए गए" शरीर के हिस्से में एक बहुत ही सेक्सी सनसनी महसूस हुई और ठीक उसी क्षण मैंने मामा-जी से एक बड़ी "वाह" सुनी।

जब मैंने मामा-जी की आँखों का अनुसरण किया, तो मुझे अच्छी तरह से एहसास हुआ कि क्या हुआ होगा। जब मैंने अपने पैरों को चौड़ा किया, तो वे अभी भी उनकी अजीब गुदगुदी के कारण हवा में उछल रहे थे, मेरा पेटीकोट खतरनाक तरीके से नीचे खिसक गया, इस बार लगभग मेरी कमर तक, जिसके परिणामस्वरूप मामा-जी के लिए मेरी पैंटी की एक बड़ी झलक थी। मैंने पैरों को मोड़ने की पूरी कोशिश की ताकि वे सीधे मेरी जांघों को न देख सकें, लेकिन चूंकि वे मेरे ठीक सामने खड़े थे और यह अजीब सोफा मुझे उस पर ठीक से बैठने नहीं दे रहा था, इसलिए मुझे शरीर के निचले आधे हिस्से को ढकने में कठिनाई हो रही थी।

मामा जी ने ठीक वैसे ही प्रतिक्रिया की जैसे कोई गिद्ध अपने शिकार पर झपटता है और तुरंत ही अपने दोनों हाथों से मेरे घुटनों के नीचे गुदगुदी करने लगे। मैं हंसते हुए यह समझ गई कि अब यह कोई "हंसी का विषय" नहीं रह गया है, क्योंकि मामा जी ने अपनी बचकानी हरकतों के ज़रिए मुझे बहुत ही अभद्र तरीके से उजागर किया था। हालाँकि पूरा प्रकरण बहुत बचकाना और मासूम और मज़ेदार लग रहा था, लेकिन मैं इस तथ्य को कैसे अनदेखा कर सकती थी कि मैं एक विवाहित परिपक्व महिला थी और उनकी पुत्रवधु जैसी थी?

मैं उनकी प्रेमिका, या रखैल या पत्नी नहीं थी जिस्सके साथ सम्भवता ऐसा कर सकते थे बल्कि उसकी रिश्ते में उनकी पुत्रवधु लगती थी पर उन्हें उस समय ऐसे किसी रिश्ते की किसी भी सिमा अक कोई ख़्याल नहीं था।

मैं कोई किशोरी नहीं थी कि मैं कभी-कभार अपने टॉप के ऊपर से क्लीवेज दिखा कर या अपने टॉप का बटन खोल कर अपनी ब्रा दिखा कर या अपनी पैंटी दिखा कर इस तरह से आगे बढ़ सकती थी। मैं 28 साल की एक वयस्क महिला थी! मेरा शरीर अब विकास के चरण में नहीं था। मुझे अपने पहनावे और एक्सपोज़र को लेकर सावधान रहना था। इसके अलावा, मैं अपने एक बुज़ुर्ग रिश्तेदार-अपने पति के मामा जी के साथ जुड़ी हुई थी। हो सकता है कि वह मेरे साथ ऐसी अश्लील गुदगुदी करने की बचपन की शरारत बहुत ही सहजता से कर रहे थे और निश्चित रूप से किसी बुरे इरादे से नहीं क्योंकि उनहे अक्सर मेरे साथ घुलने-मिलने का मौका नहीं मिलता था क्योंकि हम दूर अलग रहते हैं। लेकिन मैं इस तरह की बेशर्मी से उसके सामने अपना शरीर उजागर करना जारी नहीं रख सकती थी।


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-5

अधनंगी

मैं अब कोई किशोरी नहीं थी कि-कि मैं कभी-कभार अपने टॉप के ऊपर से क्लीवेज दिखा कर या अपने टॉप का बटन खोल कर अपनी ब्रा दिखा कर या अपनी पैंटी दिखा कर इस तरह से आगे बढ़ सकती थी। मैं 28 साल की एक वयस्क महिला थी! मेरा शरीर अब विकास के चरण में नहीं था। मुझे अपने पहनावे और एक्सपोज़र को लेकर सावधान रहना था। इसके अलावा, मैं अपने एक बुज़ुर्ग रिश्तेदार-अपने पति के मामा जी के साथ जुड़ी हुई थी। हो सकता है कि वह मेरे साथ ऐसी अश्लील गुदगुदी करने की बचपन की शरारत बहुत ही सहजता से कर रहे थे और निश्चित रूप से किसी बुरे इरादे से नहीं क्योंकि उनहे अक्सर मेरे साथ घुलने-मिलने का मौका नहीं मिलता था क्योंकि हम दूर अलग रहते हैं। लेकिन मैं इस तरह की बेशर्मी से उसके सामने अपना शरीर उजागर करना जारी नहीं रख सकती थी।

मैंने अपनी लापरवाही के कारण अपनी साड़ी खो दी थी। अगर मैंने शुरू में ही अपनी साड़ी का पल्लू अपनी कमर में खोस दिया होता, तो ऐसा कभी नहीं होता और अगर मैं मामा-जी की गुदगुदी से भागी नहीं होती, तो निश्चित रूप से मैं इस भ्रामक "विशेष" सोफे से नहीं टकराती और अपनी पैंटी उनके सामने उजागर नहीं करती। मैं मन ही मन ख़ुद को कोस रही थी और मामा जी की कोई गलती या उनकी इसमें शरारत नहीं देख पा रही थी। मैंने तो यहाँ तक सोचा कि मैं किस्मतवाली हूँ कि मेरा रिश्तेदार एक बुज़ुर्ग है, वरना इस घरेलू माहौल में जो भी हुआ है, जैसे मैं अधनंगी हो गयी थी, उससे कोई भी वयस्क पुरुष उत्तेजना से पागल हो जाता और निश्चित रूप से वह मुझे आसानी से जाने नहीं देता!

मैं: उउउउउउउउईईईई......हीईई हीईईईईईई हीईईईई।

मामा जी: हा-हा हा। हा-हा हा...मज़ा आ गया, मज़ा आया, है न बहूरानी! हा-हा हा।

मामा जी पल-पल नए-नए आविष्कार करते जा रहे थे और मैं हँसते-हँसते इतना थक गई थी कि मुझमें प्रतिरोध करने की शक्ति ही नहीं बची थी! मामा जी अब मेरे घुटनों के अंदरूनी हिस्से को जोर-जोर से गुदगुदा रहे थे और उस हिस्से को लगभग जकड़ रहे थे और मुझ पर इसका असर बहुत ज़्यादा था। यह केवल भारी गुदगुदी वाला एहसास ही नहीं था जिसे मैं महसूस कर रही थी, बल्कि साथ ही कामुकता की भावना भी मुझे घेर रही थी क्योंकि इस तरह से मेरे अंतरंग और "दुर्लभ" शरीर के अंग को सहलाया जा रहा था। मैं अपने पैरों को हवा में उछाल रही थी और सोफे के अजीब झुकाव के कारण, मेरा पेटीकोट अब मेरी गांड के पास इकट्ठा हो गया था और मेरे पूरी टाँगे और जांघें पूरी तरह से नंगी थीं। मुझे यह भी पूरा यक़ीन था कि मामा-जी मेरी पैंटी को बिना रोक-टोक और बहुत उत्तेजक तरीके से देखने का आनंद ले रहे होंगे। ईमानदारी से कहूँ तो, मैं काफ़ी असहाय थी क्योंकि मुझे संतुलन बनाए रखने के लिए अपने हाथों को सोफे के हैंड-रेस्ट पर रखना था और इसलिए मैं अपनी जांघों को भी नहीं ढक पा रही थी और मेरे पैर हवा में लगभग लंबवत रूप से फेंके गए थे, मैं मामा-जी को मेरी पैंटी को देखने से रोक नहीं पा रही थी! मामा-जी की लगातार गुदगुदी और हल्की चुभन के कारण मैं सोफे पर लगातार हंसती और मचलती रही।

मैं यह समझने की कोशिश कर रही थी कि क्या मामा-जी मुझे इस तरह की नग्न अवस्था में देखकर किसी अलग कोण से देख रहे हैं। जब मैं ज़ोर से हंसती रही, मैंने उनकी आँखों में देखा और हालाँकि वे मेरी दूधिया सफेद जांघों को घूर रहे थे और मेरी खुली हुई पैंटी को देख रहे थे, मैं उनकी हरकतों में किसी भी तरह की अनहोनी की आशंका नहीं कर सकी। ऐसा लग रहा था कि वे यह सब सिर्फ़ मज़े के लिए और सिर्फ़ मुझे हंसाने के लिए कर रहे थे। जैसे-जैसे यह सिद्धांत मेरे दिमाग़ में आने लगा, मेरे अंदर जो भारी शर्मिंदगी थी, वह धीरे-धीरे गायब होने लगी। मेरे अंदर की झिझक भी धीरे-धीरे ख़त्म हो रही थी क्योंकि मैं लगातार सोफे पर अपनी मोटी टाँगों को हवा में उठाए हुए और अपनी पूरी पेटीकोट को अपने भारी नितंबों के नीचे छिपाए हुए उसी समझौतापूर्ण मुद्रा में बनी रही!

तभी, अचानक मुझे लगा कि मामा-जी ने मेरे शरीर से अपने हाथ हटा लिए हैं। मैं अभी भी खिलखिला रही थी और मानो निरंतर गति में अपने पैरों को हवा में उछाल रही थी, तब भी जब मामा-जी ने मेरे पैरों में गुदगुदी करना बंद कर दिया था! मुझे एक सेकंड में यह एहसास हुआ और मैंने जल्दी से अपने पैरों को मोड़ लिया ताकि मेरी पैंटी पूरी तरह से उजागर न हो। लेकिन...लेकिन मामा-जी को क्या हो रहा था?

सोफे के अजीब कोण से मैंने देखा कि मामा-जी का शरीर एक आर्च की तरह मुड़ा हुआ था और मुझे लगा कि वे निश्चित रूप से एक नई शरारत कर रहे थे!

मामा-जी: उक्क! आआआआआआआआआआह! आआआआआआआआआह!

मामा-जी की मुद्रा देखकर मैं थोड़ा हैरान हुई और यह समझने की कोशिश की कि वे क्या करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन चूंकि ठीक उसी समय उन्होंने मुझसे मुंह फेर लिया था, इसलिए मैं यह अनुमान लगाने में असमर्थ थी कि ये क्या था और आगे क्या होने वाला था।

मैं: ओह मामा-जी! आपने मुझे लगभग हँसा कर मार डाला! उह! मैंने अपने जीवन में कभी इतनी लंबी हंसी नहीं की... ओह... हे भगवान! मैं बहुत थक गई हूँ... आह!

मैंने उस उलझन भरे सोफे से बाहर निकलने की कोशिश की और अपनी भारी गांड उठाई और जल्दी से अपनी पैंटी और जांघों को ढकने के लिए अपना पेटीकोट नीचे खींच लिया। मेरी गोरी गोल-मटोल टाँगें पूरी तरह से खुली होने के कारण मैं बहुत बेशर्म दिख रही थी!

मैं: मामा-जी, मुझे अब और कुछ करने में कोई दिलचस्पी नहीं है... गंभीरता से मामा-जी! मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ! उफ्फ़! ऐसा लगता है कि मैं पूरी तरह से थक चुकी हूँ, आप जानते हैं!

मामा-जी चुप रहे और उसी झुकी हुई मुद्रा में बने रहे। मैं सोफे से बाहर निकली और जैसे ही मैं अपने पैरों पर खड़ी हुई, मेरा पेटीकोट तुरंत मेरे टखनों तक गिर गया और मुझे बहुत ज़्यादा लपेटा हुआ, ढका हुआ और सुरक्षित महसूस हुआ! मैंने जल्दी से अपने पेटीकोट की गाँठ जाँची कि कहीं इस भागदौड़ में वह ढीली तो नहीं हो गई और मामा-जी की ओर बढ़ी।

मैं: मामा-जी? मामा-जी! क्या हुआ? आप ऐसे क्यों झुके हुए हैं?

मामा-जी अभी भी चुप थे और जैसे ही मैं उनके पास से गुज़री, मैं उनके पीड़ा भरे चेहरे को देखकर चौंक गयी!

मैं: क्या? मामा-जी क्या हुआ? क्या आपको चोट लगी है? क्या अप्प ठीक हैं?

मामा-जी: उह्ह ...!

मैं उस अर्ध-उजागर अवस्था में रह सकती थी और उस समय मेरी मुख्य चिंता स्वाभाविक रूप से यह जानना था कि मामा-जी को दर्द क्यों हो रहा है और इसे कम करना था।

मैं: मामा-जी, कृपया मुझे बताएँ? आपको कहाँ दर्द हो रहा है? मामा-जी! मामा-जी!

मामा-जी: उह्ह्ह्ह। यह बहुत भयानक दर्द है बेटी। कृपया... कृपया मुझे अंदर जाने में मदद करें। ओह्ह्ह! उउउउउह्ह्ह!

जब मामा-जी अपनी झुकी हुई मुद्रा से थोड़ा उठे, तो यह बहुत स्पष्ट था कि उन्हें बहुत दर्द हो रहा था क्योंकि मैंने देखा कि उनके चेहरे पर हो रहे तीव्र दर्द के कारण उनका चेहरा लगभग विकृत हो रहा था।

मामा-जी: मत करो... चिंता मत करो बेटी... आआआह्ह्ह्ह! मैं... ठीक... हो जाऊँगा।

मैं: बात मत करो... कृपया बात मत करो! क्या आपके पेट में दर्द हो रहा है? माँ जी इश्श्। अभी कुछ क्षण पहले तआप हँस रहे थे और अब।

मैं अच्छी तरह समझ सकती थी कि मामाजी दर्द को सहने की पूरी कोशिश कर रहे थे ताकि मैं और अधिक चिंतित न हो जाऊँ, लेकिन उनका चेहरा पीड़ा को दर्शा रहा था। जैसे ही मैं मामा-जी को कमरे के अंदर जाने में मदद करने के लिए आगे बढ़ी, उसने जल्दी से मेरा दाहिना हाथ पकड़ लिया और मैंने अपना बायाँ हाथ उसके चारों ओर लपेट लिया ताकि वह चलते समय आवश्यक सहारा पा सके। जैसे ही मैंने ऐसा किया, मैं क्षण भर के लिए अकड़ गई क्योंकि जब मैंने मामा-जी के चारों ओर अपना बायाँ हाथ लपेटा, तो स्वाभाविक रूप से मेरा बायाँ स्तन उनके शरीर के किनारे बहुत अधिक दब गया। हालाँकि मैं जानती थी कि मामा-जी एक बुज़ुर्ग व्यक्ति हैं और यह वास्तव में उस पर ध्यान केंद्रित करने का समय नहीं था, बल्कि मुझे उनकी समस्या पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था, फिर भी मुझे एक कामुक एहसास हो रहा था!

जैसे ही मैं कमरे के अंदर चली गई और क्षण भर के लिए ऊपर देखा, मैंने ख़ुद को आईने में देखा और महसूस किया कि मुझे उस समय भी यह कामुक एहसास क्यों हो रहा था जब मेरा रिश्तेदार बहुत दर्द में था। मैं बिना साड़ी के बेहद सेक्सी लग रही थी और मेरा ब्लाउज मेरे स्तनों पर इतना टाइट फिट था कि मेरे स्तनों का आकार और आकृति स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी। मेरी गेहुँआ रंग की गहरी दरार मेरे ब्लाउज के ऊपर से एकदम साफ़ दिख रही थी और मेरी सफ़ेद ब्रा भी मेरे ब्लाउज के पतले कपड़े से साफ़ दिख रही थी जब मैं शीशे में ख़ुद को देख रही थी। मैंने अपने कपड़ों को अनदेखा करने की कोशिश की और मामा-जी पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन जब मैंने उन्हें बिस्तर की ओर पहुँचने में मदद की, तो उनकी कोहनी लगातार मेरे दृढ़ बाएँ स्तन को दबा रही थी और खोद रही थी जिसके परिणामस्वरूप मैं स्वाभाविक रूप से थोड़ा उत्तेजित हो रही थी।

मैं: यहाँ... मामा-जी अब लेट जाओ... हाँ... एह... अपने पैर फैलाओ... ठीक है।

जारी रहेगी
 
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