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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-2

टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपन

गुरु जी : जय लिंग महाराज! ठीक है बेटी, अब आपको अपनी स्थिति पर स्थिर रहने की आवश्यकता होगी और मैं उन्हें निर्देश दूंगा कि आपको पूजा के लिए "तैयार" कर दे और आपका बता देता हूँ अब हम क्या वास्तव में करने वाले हैं ।

मैं थोड़ा हैरान थी - अब और क्या करना बाकी था? मैंने हले से ही स्नान कर लिया था और मैंने महा-यज्ञ परिधान का एक नया सेट पहना हुआ था!

गुरु जी ने शायद मेरा चेहरा पढ़ लिया। वह वास्तव में एक "अंतर्यामी" थे!



oil-jajooba
15 picture

गुरु-जी: रश्मि चूँकि यह योनि पूजा है, इसलिए पूजा का सारा ध्यान आपके शरीर के निचले आधे हिस्से पर होगा। मुझे आशा है कि आप नाम से इसका अनुमान लगा चुकी होंगी ।

मैं: हाँ... हाँ गुरु-जी।

गुरु जी : अच्छा।

मैं गद्दे पर एक मूर्ति की तरह खड़ी थी. चारो पुरुष जो पूजा में गुरूजी की सहायता कर रहे थे मेरे पास आए और गद्दे के चारों कोनों पर खड़े हो गए! यह बहुत ही कामुक और आकर्षक लग रहा था क्योंकि सभी पुरुषों की कमर में धोती के साथ छाती नग्न थी और मैं उस आकर्षक मिनी पोशाक में बिल्कुल उनके बीच में खड़ी थी ।

गुरु जी : संजीव, बादाम का यह मीठा तेल लेकर रश्मि की बायीं टांग पर लगाओ और उदय यह जोजोबा का तेल तुम्हारे दाहिने पैर पर लगा देगा ।



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संजीव और उदय अपने तेल के बर्तन लेने के लिए आगे बढ़े।

गुरु-जी: निर्मल, राजकमल, तुम बस उनका काम खत्म होने तक इंतज़ार करो।

राजकमल: ज़रूर गुरु जी।

गुरु-जी: बेटी, जब तक वे पूरी तरह से आपकी टांगो पर तेल लगाना समाप्त नहीं कर लेते, तब तक आपको धैर्य रखना होगा । ठीक?

मैंने एक चिंतित चेहरे के साथ सिर हिलाया औरमेरा तेहि से धड़कता हुआ दिल मेरे नंगी टांगो और जांघों पर ज्वलंत पुरुष स्पर्श की उम्मीद कर रहा था। उदय और संजीव मेरे पांव के पास गद्दे पर बैठ गए और मटके से तेल लेकर मेरे पैरों पर मलने लगे। यह एक ही समय में एक विचित्र और अजीबोगरीब एहसास था क्योंकि दो पुरुष एक साथ मेरे नंगी टांगो को रगड़ रहे थे, वास्तव में किसी भी महिला के लिए एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति थी!

गुरु-जी: आप जानते हैं, रश्मि बेटी यह मीठा बादाम का तेल और जोजोबा का तेल इतनी आसानी से अवशोषित हो जाता है और शरीर में नमी को संतुलित करने के साथ-साथ चिकनाई देने का कार्य भी करता है। जैसा कि आप जल्द ही देखेंगे कि यह एक महान स्नेहक बनाता है, जो आपकी मांसपेशियों में दर्द या मोच से तरोताजा, लचक और उन्हें फिट रखने में मदद करेगा क्योंकि आज आप खुद को आधी रात के बाद काम करने के लिए मेहनत करनी हैं।




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गुरु जी के शब्द मुश्किल से मेरे कानों तक पहुँच रहे थे क्योंकि पुरुषो के हाथ मेरी टांगो पर रेंग रहे थे और धीरे-धीरे मेरव नंगे पैरों से ऊपर पिंडलियों और घुटनो से होकर जांघो की तरफ जा रहे थे । हालांकि तेल से मालिश की भावना बहुत उत्तेजक और स्फूर्तिदायक थी, लेकिन इस पर संजीव और उदय के गर्म स्पर्शों से उतपन्न हुई उत्तेजना हावी हो गई थी। वे दोनों तेल लगाते समय मेरे विकसित पैरों टांगो . पिंडलियों और घुटनो के हर इंच को महसूस कर रहे थे।

गुरु-जी: रश्मि आप सोच रहे होंगी कि दो अलग-अलग तेलों का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है। यह मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि दोनों तेलों में कुछ विशेष विशेषताएं हैं और मैं चाहता हूं कि वे सभी आपके शरीर के अंदर आ जाएं ताकि आप योनि पूजा से अधिकतम प्रभाव प्राप्त कर सकें।

मेरे दिल की धड़कन अब तेज बहुत तेज होने लगी थी क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि संजीव और उदय दोनों अब शालीनता के स्तर से ऊपर तेल रगड़ रहे हैं। वे अपने तैलीय हाथों को मेरी जाँघों पर रगड़ रहे थे, मेरी स्कर्ट से कुछ इंच नीचे। मैंने नीचे देखने की हिम्मत की, क्योंकि मुझे यकीन था कि अगर वे ऊपर देखेंगे तो वे निश्चित रूप से मेरी पैंटी को मेरी मिनीस्कर्ट के नीचे देख पाएंगे क्योंकि दोनों मेरे पैरों के पास मेरे शरीर के बहुत करीब बैठे थे। मुझे कुछ आराम से खड़े रहने के लिए सूक्ष्मता से फेरबदल करना पड़ा। मैं महसूस कर रही थी कि संजीव की उँगलियाँ मेरी नंगी गोल बाईं जांघ पर अधिक स्पष्ट रूप से दब रही हैं, जो मुझे बहुत असहज कर रही थी। सभी महिलाएं अपनी जांघों के आसपास बहुत संवेदनशील होती हैं और अगर दो पुरुष एक साथ उस क्षेत्र को गूंथते हैं, तो आप कल्पना कर सकते की यह निस्संदेह एक शानदार अनुभव था!



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गुरु जी : संजीव, उदय उसकी जाँघों तक ही तेल मलें…. इसलिए अनीता की स्कर्ट के अंदर सिर्फ एक दो इंच ही जाए । ठीक?

संजीव: जी गुरु-जी।

और मैं अब पहले से अधिक सहज महसूस कर रही जब संजीव की उंगलियां मेरी स्कर्ट के अंदर गयी !

मैं: ईई iii। कृप्या…।

गुरु-जी: बेटी धीरज रखो!

कुछ ही समय में मुझे महसूस हुआ कि उदय की उँगलियाँ भी मेरी स्कर्ट के अंदर आ रही हैं और मेरी ऊपरी जाँघों पर तेल को जोर से रगड़ रही हैं। मैंने बस अन्य दो पुरुषों पर नज़र डाली - राजकमल और निर्मल इस बहुत ही कामुक दृश्य को मजे से बड़े गौर से देख रहे थे ।

मैं: श उह… ..


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-3


श्रृंगार और लिंग की स्थापना


मैं: ईई iii। कृप्या…।

गुरु-जी: बेटी धीरज रखो!

कुछ ही समय में मुझे महसूस हुआ कि उदय की उँगलियाँ भी मेरी स्कर्ट के अंदर आ रही हैं और मेरी ऊपरी जाँघों पर तेल को जोर से रगड़ रही हैं। मैंने बस अन्य दो पुरुषों पर नज़र डाली - राजकमल और निर्मल इस बहुत ही कामुक दृश्य को मजे से बड़े गौर से देख रहे थे ।

मैं: श उह… .. आह्हः

मैं उस आह को व्यक्त करने से खुद को रोक नहीं पायी क्योंकि उस समय दोनों पुरुष मेरे नितंबों के ठीक नीचे मेरी जांघों के पिछले हिस्से को सहला रहे थे और तेल लगा रहे थे । उनकी तैलीय उँगलियों और हथेलियों के स्पर्श से मैंने महसूस किया कि उनके स्पर्श से मेरी नंगी जांघों का पूरा पिछला हिस्सा आवश्यक उत्तेजक प्रदान कर रहा था । मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था और मैं अपने होठों को काट रही थी था और प्रार्थना कर रही थी था कि यह कब खत्म होगा! फिर अचानक से…

मैं: आउच! यूइइइइइइ!?!

गुरु जी : क्या... क्या हुआ बेटी?

मैंने स्पष्ट रूप से अपनी पैंटी पर अपनी चूत पर अचानक और सीधा प्रहार महसूस किया था - ये या तो संजीव या फिर उदय ने किया था ।

संजीव: कोई प्रॉब्लम है मैडम?

पाँच आदमियों को मुझे घूरते देखकर मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि मैं एक शब्द भी नहीं बोल पा रही थी ! मैं गुरु-जी को कुछ भी प्रकट करने में असमर्थ थी और मुझे अपने शब्दों को टटोलना पड़ा। लेकिन तब तक संजीव ने एक अविश्वसनीय काम कर दिया! उसने मेरी स्कर्ट को सामने से उठाकर देखा कि अंदर कहीं कोई दिक्कत तो नहीं है? संजीव ने अंदर झाँका !



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मैं: हे... क्या... क्या कर रहे हो? विराम!

इससे पहले कि मैं अपनी पैंटी को ढक पाती और अपनी मिनीस्कर्ट नीचे खींच पाती , उस 3-4 सेकंड के लिए संजीव ने मेरी पैंटी पूजा-घर में मौजूद सभी लोगों को दिखाई, क्योंकि वह मेरी स्कर्ट को ऊपर उठाकर और ऊपर उठा रहा था! मेरा पूरा चेहरा तुरंत लाल हो गया और मेरी आवाज शर्म से दबी हुई थी कि अचानक मैं फिर चिल्ला पड़ी

मैं:- आउच यूई।

गुरु जी : संजीव, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था!

संजीव : पर गुरु जी मैडम कुछ बेचैन सी लग रही थी...

गुरु जी : हाँ, ठीक है। जरूर कुछ ऐसा रहा होगा जिसके बारे में रश्मि असहज थी और आपने उसकी पड़ताल करने की कोशिश की। समझ में आता है। लेकिन बेटा, आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि रश्मि बच्ची नहीं बल्कि एक परिपक्व महिला है और शादीशुदा भी है। वह सामान्य समाज में रहती है और सामाजिक गर्व और शर्म, प्रतिबंध, आदि के मानदंडों से बंधी हुई है। हालांकि वह कुछ दिनों के लिए आश्रम में रही है, फिर भी वह अपनी प्राकृतिक शर्म और डरपोकता को दूर करने में सक्षम नहीं है। संजीव, आप को ये मेरे एक अनुभवी शिष्य होने के नाते इसे हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।

संजीव : मैं गुरु जी को समझता हूँ। मुझे अपने कृत्य के लिए खेद है।

गुरु जी : रश्मि से भी यही कहो।

संजीव: मैडम, आई एम सॉरी। मैं अगली बार सावधान रहूंगा। सॉरी मैडम।

मैं अभी भी इससे उबर नहीं पायी थी , लेकिन मुझे सिर हिलाना पड़ा क्योंकि गुरु-जी मुझसे उसी की प्रतीक्षा कर रहे थे।

मैं: इट्स... इट्स ओके।

गुरु-जी: वैसे भी, क्या तेल लगाने का कार्य पूरा हो गया है ?

उदय : हाँ गुरु जी।

गुरु-जी: बढ़िया!

संजीव और उदय गद्दे के कोने पर अपने-अपने स्थान पर वापस चले गए और तेल के बर्तन गुरु-जी को लौटा दिए।

गुरु जी : अब आगे बढ़ते हैं। बेटी, अब राजकमल तुम्हें फूलों से सजायेगा और असली पूजा के लिए तैयार करेगा।

मैं अभी भी भारी सांस ले रही थी लेकिन धीरे-धीरे अपनी सामान्य स्थिति में आ रही थी मैंने देखा कि राजकमल ने इस बीच जल्दी और चालाकी से अलग-अलग फूलों से छोटी-छोटी मालाएँ तैयार कर ली थी उसने मेरी दोनों टखनों को छोटे-छोटे माला ब्रेसेस से बांध दिया और वही मेरे घुटनों पर भी माला बनध दी थी ।



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मैं सोच रही थी कि 5-10 मिनट के अंतराल में पहले से ही तीन अलग-अलग पुरुषों ने मेरे नग्न टांगो को छुआ है ! इस तरह का अनुभव निश्चित रूप से मेरे जीवन में पहली बार हुआ था। हालाँकि मैं संजीव की भद्दी हरकत से चिढ़ गई थी, मेरी चूत पहले से ही नम थी और मैं आसानी से महसूस कर सकती थी कि मेरी ब्रा के अंदर मेरे निप्पल सख्त हो गए हैं।

एक फूलों की माला उसने मेरे गले में पहनी को दे दी जिसे मैंने खुद अपने गले में पहन लिया ।


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राजकमल : महोदया, अब अपनी कमर और दोनों कलाइयों पर माला बांधवा लीजिये ।

यह कहते हुए कि उसने मेरी कमर पर मेरी स्कर्ट के कमरबंद के ऊपर एक माला और मेरी कलाई पर दो छोटी माला बांध दी। अब वह मेरे पैरों के पास बैठ गया और एक तार की चौखट पर फूलों से मुकुट बनाने लगा। मैंने अपने मन में उनकी प्रवीणता और कौशल की सराहना की। कुछ ही देर में ताज तैयार हो गया और उसने मेरे सिर पर रख दिया। मैं निश्चित रूप से उस तरह ताज और मालाओं से सजाए हुए आकर्षक लग रहा था।

गुरु जी : धन्यवाद राजकमल। आपने एक उत्कृष्ट काम किया! बिटिया, तुम बहुत अच्छी लग रही हो। दुर्भाग्य से मेरे यहाँ दर्पण नहीं है। हा हा हा… वैसे तुम्हे खुद को इस रूप में देखना चाहिए ।

उदय: जी मैडम, बहुत सुंदर।





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मैं मुस्कुरायी और अपनी आँखें फर्श की ओर गिरा दी, और गुरु-जी के अगले निर्देश की प्रतीक्षा करने लगी ।

गुरु-जी: निर्मल, उसे लिंग और "चरणामृत" दो।

निर्मल ने मुझे एक लिंग की प्रतिकृति दी, लेकिन ये लिंग की प्रतिकृति पिछली बार के लिंग के प्रतिरूप के विपरीत थो जो मैंने अपनी "दीक्षा" के दौरान देखी थी, यह एक पुरुष लिंग की तरह दिखने वाली थी और बहुत अजीब लग रही थी! यह शायद मोम से बना था और इसका रंग को त्वचा के रंग से मिलता-जुलता देखकर मैं चौंक गयी थी और वास्तव में इसकी लंबाई के चारों ओर नसें थीं और इसलिए लिंग की तरह लग रहा था! बिलकुल नकली डिलडो के तरह लग रहा था

हे! हे भगवान! इसके ऊपर भी कुछ था, जो भी चमड़ी जैसा ही था!

गुरु जी : जय लिंग महाराज!

सभी चार शिष्यों ने "जय लिंग महाराज!" और मैंने भी इसका अनुसरण किया, लेकिन किसी ऐसी चीज़ के साथ खड़े होने में बहुत अजीब लगा, जो स्पष्ट रूप से "लंड " का चित्रण कर रही थी!

निर्मल : गुरु जी को दे दो, मैडम।

गुरु-जी ने लिंग प्रतिकृति ली और उसे मेरे सिर, होंठ, स्तन, कमर और मेरी जाँघों पर छुआ और उसे फूलों से सजाए गए सिंहासन जैसी संरचना पर रखा। उन्होंने कुछ संस्कृत मंत्रों के उच्चारण की शुरुआत की और इसे वहां रखने के लिए एक छोटी पूजा की। लिंग स्थापना की पूजा के दौरान हम सब प्रार्थना के रूप में हाथ जोड़कर प्रतीक्षा कर रहे थे।

गुरु-जी: बेटी, लिंग महाराज को स्थापित किया गया है । पूरी योनि पूजा लिंग महाराज को ही संतुष्ट करने के लिए होती है। इसलिए अपनी सारी प्रार्थनाएं और कर्म उसके प्रति समर्पित कर दें। यदि आप उसे संतुष्ट कर सकते हैं, तो वह निश्चित रूप से आपकी बहुत आपका मन चाहा वरदान आपको उपहार में देगा। जय लिंग महाराज! जय हो!

हम सभी ने "जय लिंग महाराज!" और मैंने अपने मन में लिंग महाराज से प्रार्थना की "मैं आपको संतुष्ट करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करूंगी और मैं सिवाय एक बच्चे के कभी कुछ नहीं चाहती , । कृप्या…"

मेरी प्रार्थना पूरी होने के बाद, निर्मल ने एक कटोरा दिया, जिसमें "चरणामृत" था।


गुरु-जी : बेटी, यह चरणामृत आपके लिए विशेष और पवित्र है। इसे एक बार में पूरा पी जाओ !



जारी रहेगी
 
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CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-4


लिंग पूजा


मेरी प्रार्थना पूरी होने के बाद, निर्मल ने एक कटोरा दिया, जिसमें "चरणामृत" था।

गुरु-जी : बेटी, यह चरणामृत आपके लिए विशेष और पवित्र है। इसे एक बार में पूरा पी जाओ !

ऐसा नहीं था कि मैं अपने जीवन में पहली बार चरणामृत देख रही थी क्योंकि मैं अपने इलाके के मंदिर में नियमित रूप से जाती हूं और चढ़ाए गए चरणमृत को ग्रहण करती और पीती हूं। लेकिन मुख्य अंतर ये हमेशा मंदिरों में केवल एक मुट्ठी भर मिलता था, लेकिन यहाँ मुझे क्रीम रंग के चरणामृत का एक पूरा कटोरा दिया गया था!

मैं: गुरु-जी... पूरी तरह से एक सांस में पूरा पीना है ?

गुरु-जी: हाँ बेटी। यह केवल आपके लिए बना है! यह मेरे "तंत्र" कार्यों का एक अंश है और निश्चित रूप से आपको अपने पोषित लक्ष्य की ओर सशक्त करेगा।



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मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई और निर्मल से कटोरा लेकर उसे निगलने लगी । इसका स्वाद सामान्य चरणामृत से बिल्कुल अलग था! यह बहुत, बहुत स्वादिष्ट था और इसमें बहुत छोटे टुकड़ों में कटे हुए फल शामिल थे - अमरूद, सेब, केला, अंगूर, चेरी, आदि। मैंने एक ही बार में स्वादिष्ट पवित्र तरल पूरा निगल लिया और कटोरा खाली कर दिया।

मेरे लिए ये "चरणामृत" जिसे मैं बहुत खुशी से पी रही थी , ये चरणामृत गुरूजी ने विशेष तौर पर मेरे लिए अज्ञात घुलनशील यौन उत्तेजक पदार्थो और जड़ी बूटियों से बनाया था , जो एक महिला में यौन भावनाओं को उत्प्रेरित करता है।

गुरु-जी: ग्रेट बेटी! अब हम लिंग पूजा से शुरुआत करेंगे। आप मन में ॐ नमः लिंग देव मंटा का जाप करते रहना

तब गुरुजी ने मुझे लिंग पूजा की पूजा संक्षेप में विधि समझाई . पूजा विधि के अनुसार, सबसे पहले लिंगम का अभिषेक विभिन्न सामग्रियों से किया जाना चाहिए। अभिषेक के लिए दूध, गुलाब जल, चंदन का पेस्ट, दही, शहद, घी, चीनी और पानी का आमतौर पर उपयोग किया जाता है।



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इसलिए पहले पूजा में मैंने जल अभिषेक, फिर गुलाब जल अभिषेक, फिर दूध अभिषेक के बाद दही अभिषेक, फिर घी अभिषेक और शहद अभिषेक अन्य सामग्री के अलावा अंतिम अभिषेक सके मिश्रित पदार्थ से किया।

अभिषेक की रस्म के बाद, लिंग को बिल्वपत्र की माला से सजाया गया। ऐसा माना जाता है कि बिल्वपत्र लिंग महाराज को ठंडा करता है।

उसके बाद लिंग पर चंदन या कुमकुम लगाया जिसके बाद दीपक और धूप जलाई । लिंग को सुशोभित करने के लिए उपयोग की जाने वाली अन्य वस्तुओं में मदार का फूल चढ़ाया गया जो बहुत नशीला होता है और फिर , विभूति लगायी गयी विभूति जिसे भस्म भी कहा जाता है। विभूति पवित्र राख है जिसे सूखे गाय के गोबर से बनायीं गयी थी ।



पूजा काल में गुरु जी और उनके शिष्य अन्य मंत्रो के अतितिक्त साथ साथ ॐ नमः लिंग देव मंत्र का जाप करते रहे



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गुरु-जी: ग्रेट बेटी! अब हम मुख्य पूजा शुरू करेंगे। प्रार्थना के लिए हाथ जोड़ो। ध्यान केंद्रित करना। राजकमल तुम्हारी आँखे बंद करेगा और अभी क्यों मत पूछना .. मैं तुम्हें एक मिनट में पूरी बात ज़रूर समझा दूंगा , लेकिन पहले प्रार्थना कर ले । ठीक?

जैसे ही गुरु जी ने आग में कुछ फेंका, मैंने सिर हिलाया और आग और तेज होने लगी। पिन ड्रॉप साइलेंस था। उच्च रोशनी के साथ यज्ञ अग्नि अब पूरे कमरे में और प्रत्येक के चेहरे पर एक अजीब चमक प्रदान कर रही थी। उस चमक में , हर वो शख्स जिन्हे मैं पिछले कुछ दिनों से आश्रम में देख रही थी पूरे अपरिचित लग रहे थे !

गुरु-जी के बड़े कद के साथ-साथ उनके चेहरे पर उस चमकीले नारंगी-लाल चमक ने उन्हें और भी रहस्य्मय और भयानक बना दिया था ! राजकमल ने काले रुमाल के साथ मेरे पीछे कदम रखा और मेरी आंखो पर वो काली पट्टी बांध दीं। सेटिंग इस तरह से बनाई गई थी कि मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और मेरी उंगलियां धीरे-धीरे ठंडी होने लगीं।

गुरु-जी: हे लिंग महाराज, कृपया इस अंतिम प्रार्थना को स्वीकार करें और इस लड़की को वह दें जो वह चाहती है! जय लिंग महाराज! बेटी, अब से वही दोहराना जो मैं कह रहा हूँ।

कुछ क्षण के लिए फिर सन्नाटा छा गया। मेरी आँखें बंधी हुई थीं, मैं थोड़ा कांप रही थी और बेवजह एक अनजाना डर महसूस हो रहा था।

गुरु जी : हे लिंग महाराज!

मैं: हे लिंग महाराज!

गुरु जी : मैं स्वयं को आपको अर्पित करता हूँ...




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मैं: मैं खुद को आपको पेश करती हूं …

गुरु जी : मेरा मन, मेरा शरीर, मेरी योनि...तुम्हें सब कुछ….समर्पित करता हूँ .

मैं: मेरा मन, मेरा शरीर, मेरी यो... योनि... आपको सब कुछ...समर्पित करती हूँ .

गुरु-जी: कृपया इस योनि पूजा को स्वीकार करें और मुझे उर्वर बनाएं और मेरे गर्भ को एक बच्चे के रूप में आशीर्वाद दें...

मैं: कृपया इस योनि पूजा को स्वीकार करें और मुझे उपजाऊ बनाएं और मेरे गर्भ को एक बच्चे के रूप में आशीर्वाद दें…

गुरु-जी: मैं, रश्मि सिंह पत्नी अनिल सिंह , इस प्रकार आपके पवित्र आशीर्वाद के लिए आपके सामने आत्मसमर्पण कर रहा हूं। कृपया मुझे निराश न करें। जय लिंग महाराज!

मैं: मैं, अनीता सिंह, अनिल सिंह की पत्नी - इस प्रकार आपके पवित्र आशीर्वाद के लिए खुद को आपके सामने आत्मसमर्पण कर रही हूं। कृपया मुझे निराश न करें। जय लिंग महाराज!


योनि पूजा जारी रहेगी


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CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-5


आँखों पर पट्टी का कारण

गुरु जी : अच्छा। रश्मि बेटी, अब जब आपने लिंग महाराज को अपना उद्देश्य बता दिया है, तो आप खुले दिमाग से शेष योनि पूजा करने के लिए आगे बढ़ सकती हो । और मैं प्राथमिक माध्यम के रूप में निश्चित रूप से आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में आपकी सहायता करूंगा और मेरे शिष्य भी इस विशेष यात्रा को पूरा करने के लिए चीजों को सुविधाजनक बनाने के लिए माध्यमिक माध्यम के रूप में सक्रिय रूप से भाग लेंगे।


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गुरु जी की बात सुनकर मेरे पेट में तितलियाँ आने लगीं। वास्तव में मेरे लिए क्या था, मैंने सोचा! पूजा के दौरान वे चारों पुरुष कैसे मेरी मदद कर सकते थे? मेरी आँखें पर काली पट्टी क्यों बंधी हैं? गुरुजी वास्तव में पूजा कैसे करेंगे? क्या मुझे अपनी योनि को बेनकाब करना होगा, यानी उसके सामने चोदना या चुदना होगा? हे लिंग महाराज !

गुरु-जी : बेटी, आप सोच रहे होंगी कि आपकी आंखो पर पट्टी क्यों बंधी हुई हैं। मैं अब आपको समझाता हूँ, लेकिन उसके लिए मुझे *****पारम्परिक प्रथाओं और कथाओं का उल्लेख करना होगा। जैसा कि आप भी जानते हैं कि शादी के बाद ***** परंपरा के अनुसार, एक महिला से अपने पति के अलावा अन्य शारीरिक संबंध बनाने की उम्मीद नहीं की जाती है। सही?



मैं: हम्म।

गुरु-जी: किसी भी तरह से ***** कोई भी कथा एक विवाहित महिला को इस मानदंड को छोड़ने की अनुमति नहीं देती है, केवल कुछ अवसरों पर जब पति नपुंसक हो या उसकी मृत्यु हो गयी हो तो किसी अन्य पुरुष या ऋषियों के साथ संतान उत्पत्ति के कुछ उल्लेख है लेकिन आपका मामला वैसा बिलकुल नहीं है, आपके पति के कोई कमी नहीं है और मेरा मानना है कि आपके जैसे बांझपन के मामलों का इलाज करने के लिए, मुझे एक महिला को ठीक से उत्तेजित करना चाहिए और फिर देखना चाहिए कि कमी कहां है। इसलिए यद्यपि एक गृहिणी के रूप में आपके लिए इस तरह के कामुक क्षणों से गुजरना बहुत अजीब और मुश्किल रहा होगा, आपने पिछले 4-5 दिनों से आश्रम में रहने के दौरान ऐसा अनुभव किया होगा । यही इसका कारण था ?



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गुरु-जी थोड़ा रुक गए और फिर उन्होंने बोलना जारी किया ।

गुरु-जी: मुझे आपकी समस्या का ठीक से आकलन करने की आवश्यकता थी और साथ ही साथ यह जानने के लिए कि समस्या कहाँ है, आपको बार-बार यौन रूप से उत्तेजित करना पड़ा । लेकिन, यहां योनि पूजा में स्थिति थोड़ी अलग है। पूछो कयो?

मैं: क... क्यों गुरु-जी?

गुरु-जी: आपके उपचार के चरण के दौरान, मैंने ***** कथाओं के नियमो को भंग नहीं किया , क्योंकि हमारे जीवन में आकस्मिक स्पर्श और उत्तेजना होती है - नर और मादा दोनों आकस्मिक स्पर्श करते हैं औरप्राप्त करते हैं । लेकिन योनि पूजा में पहले चरण में पति के साथ प्रेम-प्रसंग होता है।

मैं: पति !

मैं लगभग चिल्लाई !



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गुरु-जी: मुझे खत्म करने दो! आप इतनी जल्दी प्रतिक्रिया करते हैं! मंत्र दान मूल रूप से संभोग के मंत्र को साझा करन है और ***** कथाओं के नियम के अनुसार एक विवाहित महिला किससे प्रेम कर सकती है? अपने पति से , बिल्कुल! तो मैंने इसीलिए तुमसे पहले कभी अपनी आँखों पर पट्टी बाँधने को नहीं कहा... बेटी समझ रही हो ?

अब चीजें मेरे लिए स्पष्ट हो रही थीं। चूँकि पहले मेरे इलाज के दौरान अन्य सभी अवसरों पर, यह मेरे लिए स्थितिजन्य यौन इच्छा थी, गुरु-जी ने मुझे कभी भी अपनी आँखें ढँकने के लिए नहीं कहा, लेकिन चूंकि मंत्र दान में प्रत्यक्ष संभोग शामिल है, इसलिए मेरी आँखें बंधी हुई थीं।

मैं: हम्म। मैं अब समझ सकती हूँ!

***** कथाओं को दरकिनार करने का यही अच्छा और तार्किक तरीका है . मैंने सोचा! लेकिन मैं अभी भी "लवमेकिंग" शब्द की व्याख्या पाने के लिए उत्सुक थी । जैसा कि मैंने पहले भी कहा था, गुरु जी "अंतर्यामी" थे!

गुरु जी : अच्छा रश्मि तो अब आँखे बांधे जाने पर , आप कोई "पाप" नहीं करेंगी , आप चाहे तो स्वेच्छा से किसी ऐसे व्यक्ति को चूम सकती हैं जो आपका पति नहीं है! वैसे भी, आप सोच रही होंगी कि लवमेकिंग योनी पूजा का हिस्सा क्यों है? जवाब काफी आसान है! क्योंकि आपको लिंग महाराज को संतुष्ट करना होगा तो इसमें प्रेम प्रसंग भी आवश्यक है . और जब प्रेम-प्रसंग की बात आती है तो आप एक उपयुक्त और होशियार महिला हैं। एक सफल गर्भावस्था की ओर यह पहला आवश्यक कदम है बेटी! मुझे लगता है कि आप इस बात से सहमत होंगी कि आप कमजोर और समस्याओं से घिरे बच्चे के बजाय एक स्वस्थ बच्चा पैदा करना चाहेंगी ।

मैं: बेशक, एक स्वस्थ बच्चा ही होना चाहिए !

मैंने अनायास उत्तर दिया।

गुरु जी : ठीक है ! लेकिन इसके लिए आपको खुद को भी साबित करना होगा!

मैं: ओ… ठीक है गुरु-जी। मैं करूंगी । मैं अपने लिए कुछ भी करूंगी .. मैं अपने बच्चे के लिए कुछ भी करने को ततपर हूँ .

मेरी आवाज स्वतः ही भावों में घुट गई।

गुरु जी : मैं जानता हूँ बेटी । भावुक न हों। आपको केवल लिंग महाराज को संतुष्ट करने के लिए अपना मन बनाना चाहिए।

मैंने अपने आंसुओं को नियंत्रित किया।

गुरु-जी: इसलिए मैं आपको हमेशा प्रोत्साहित करता हूं कि आप यहां जो कुछ भी करते हैं उसका आनंद लें और संकोच, "पाप" आदि के जाल में न फंसें।

मैं वास्तव में अब काफी आश्वस्त थी और उनके इन शब्दों ने मेरी काफी उत्सुकता और अधीरता शांत कर दी थी और गुरु-जी जो कुछ भी करना चाहते थे, उसे करने के लिए मानसिक रूप से तैयार थी !

गुरु-जी: बेटी, मंत्र दान में प्रेमपूर्ण मुद्राएँ होंगी और उन्हें प्रभावी ढंग से निष्पादित करने के लिए, आपको अपना मन तैयार करना चाहिए जैसे कि आपका पति यहाँ है ...

मैं: लेकिन...

गुरु-जी: मैं जानता हूँ कि यह बिल्कुल भी आसान नहीं है। लेकिन सफलता की राह हमेशा कांटों से ढकी होती है, गुलाब के फूले से नहीं । यदि आप उस तरह से सोचने में सक्षम नहीं हैं, तो आपको अपने कार्य में सहज भावनाएँ नहीं मिलेंगी। है न?

मैं: लेकिन गुरु जी, बहुत मुश्किल है...

गुरु-जी : तुम्हारी आँखें बंधी हुई हैं... इससे शर्म की जगह आराम ज़रूर मिलेगा। मुझे यकीन है कि आप इसे कर सकती हैं। मेरा विश्वास करो बेटी, मैंने अपने सामने कई विवाहित महिलाओं को सफलतापूर्वक इससे गुजरते देखा है।

मैं: लेकिन... .. मेरा मतलब है... गुरु-जी, क्या मुझे वह सब कुछ करना है जो मैं अपने पति के साथ करती हूँ?


योनि पूजा जारी रहेगी

BFO
 
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CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-6


अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआत



गुरु-जी : तुम्हारी आँखें बंधी हुई हैं... इससे शर्म की जगह आराम ज़रूर मिलेगा। मुझे यकीन है कि आप इसे कर सकती हैं। मेरा विश्वास करो बेटी, मैंने अपने सामने कई विवाहित महिलाओं को सफलतापूर्वक इससे गुजरते देखा है।

मैं: लेकिन... .. मेरा मतलब है... गुरु-जी, क्या मुझे वह सब कुछ करना है जो मैं अपने पति के साथ करती हूँ?



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गुरु जी : हाँ बेटी आपने सुना होगा प्राचीन काल में भी किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसकी मूर्ति बना कर जरूरी काम किये जाते थे . मैंने इस से थोड़ा आगे आँखों पर पट्टी का विकल्प सोचा है ताकि ये आवश्यक कार्य सफलता पूर्वक किया जा सके ।

मैं: हाँ... हाँ।

गुरु जी : बेशक बेटी। आप बस इस तरह से सोच सकते हैं कि यह आपके लिए एक और "सुहाग रात" होगी, लेकिन निश्चित रूप से एक अलग तरीके से!

मैं: सुहाग रात!!!!!!!!!!



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मैं हैरानी के साथ लगभग गुरु जी पर चिल्ला पड़ी ।

गुरु जी : शांत हो जाओ बेटी। सुहाग रात में क्या होता है? एक कुंवारी लड़की को संकोच करना और अपने साथी के साथ प्रेम संबंध के सबक साझा करना पता चलता है। अमूमन ऐसा ही होता है। सही या गलत?

मैं: हाँ... हाँ। लेकिन फिर भी गुरु जी सुहागरात का इस पूजा से क्या लेना-देना?

गुरु जी : बेटी, इसका इस पूजा से कोई लेना-देना नहीं है। मैंने आपको सिर्फ एक सादृश्य उद्धरण दिया है ताकि आप खुद को तैयार कर सकें, क्योंकि यहां भी आपकी सुहाग रात की तरह, आपका एक नए साथी से सामना होगा।

मैं: ओहो… ठीक है… मैंने सोचा…

गुरु जी : आपने क्या सोचा? मैं आपसे निर्मल के साथ 'सुहाग रात' मनाने के लिए कहूंगा? हा हा हा... रश्मि , तुम बस बहुत कमाल की हो... हा हा हा...

सब हंस रहे थे और मैं भी अपनी नासमझ सोच पर मुस्कुरायी ।



गुरु-जी: क्या हम आगे बढ़ सकते हैं?

मैं सोचने लगी जिस तरह से मुझे फूलो से सजाया गया है ये अलग तरह से लगभग सुहाग रात की ही तयारी है . लेकिन अब मैं जिस स्तिथि में थी उस में मेरे पास कोई और विकल्प भी नहीं था . अपने बाचे की चाह में मैं जितना आगे आ गयी थी अब मेरे लिए उससे पीछे मुड़ना लगभग नामुमकिन था ।

मैं: ओ… ठीक है गुरु-जी। मैं... मैं तैयार हूँ।

गुरु-जी: बढ़िया! सब एक बार मेरे साथ बोलो... "जय लिंग महाराज!"

मैंने कार्यवाही शुरू होने से पहले अपनी चोली और स्कर्ट को सामान्य रिफ्लेक्स से ठीक किया।

गुरु जी : बेटी, मन्त्र दान, प्रेम-सम्बन्धी मंत्र का आदान-प्रदान है और आशा है कि इसके कई चरण होंगे। मैं आपको प्रत्येक के माध्यम से मार्गदर्शन करूंगा। लिंग महाराज पर विश्वास रखें! आप अवश्य सफल होंगी ।

मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और एक आखिरी बार प्रार्थना की।

गुरु जी : हे लिंग महाराज! अनीता एक विवाहित महिला होने के कारण प्रेम-प्रसंग की कला में पारंगत ऑनर प्रयाप्त रूप से अनुभवी है और वह आपको संतुष्ट करने के लिए इस कला के चरणों का पालन करेगी। कृपया इसे स्वीकार करें महाराज!

मेरा दिल अब तेजी से धड़क रहा था अज्ञात का अनुमान लगा रहा था। मेरे हाथ और पैर ठंडे हो रहे थे (हालाँकि मैं यज्ञ की आग के पास खड़ी थी ) और स्वाभाविक रूप से जहाज महसूस कर रही थी ।

गुरु जी : उदय, आगे आओ। बेटी, कल्पना कीजिए कि उदय आपका पति है और आपको पहला कदम उठाने की जरूरत है, जो सबसे आसान है, एक प्यार भरा आलिंगन।



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वह शायद मेरी प्रतिक्रियाओं को देखने के लिए रुक गया। मैं उत्सुकता से अपने होंठ काट रही थी ।

गुरु जी : जैसा मैं आपको समय-समय पर निर्देश देता हूँ, वैसा ही कर मुझे उत्तर दें। और सबसे महत्वपूर्ण बेटी, अपने मन में मंत्र को दोहराओ, जो मैं हर कदम के बाद कहता हूं। अब हम करेंगे मंत्र दान!

उदय का नाम सुनकर मुझे खुशी हुई, क्योंकि मैं निश्चित रूप से दूसरों के बारे में अधिक आशंकित होने वाली थी, लेकिन उसके साथ मैं सहज थी , क्योंकि मैंने पहले से ही उसके साथ नाव पर बहुत गर्म अनुभव किया था । वह आश्रम में एक व्यक्ति के रूप में भी उदय मेरे निजी पसंदीदा में से एक था ।

मैं: ठीक है गुरु जी।

गुरु जी : रश्मि की कमर पकड़ लो, उदय तुम बस उसे गले लगाना।

चूंकि मेरी आंखें बंधी हुई थीं, मैं केवल चीजों को महसूस कर सकती थी । मैंने महसूस किया कि गर्म हाथों का एक जोड़ा मेरी स्कर्ट के ठीक ऊपर मेरी कमर को छू रहा है और मैं उदय की सांसों को मेरे बहुत करीब महसूस कर रही थी । जैसे ही उसने मुझे छुआ, मैंने भी उसे हल्के से गले लगा लिया। हालाँकि शुरू में मैं बहुत हिचकिचा रही थी क्योंकि मुझे पता था कि मुझे देखा जा रहा है, लेकिन चूंकि यह "उदय" था, इसलिए मेरे लिए गुरु-जी के सामने ऐसी हरकत करना बहुत आसान था।

मेरे चोली से ढके स्तन उसके नंगे सीने पर हल्के से दब गए और जैसे ही ऐसा हुआ, मुझे उदय के आलिंगन में भी स्पष्ट रूप से अधिक गर्मी महसूस हो रही थी।

गुरु जी : ओम ऐं ह्रीं ..... ..... नमः एक मिनट तक उसी मुद्रा में रहें जब तक कि मैं आपको हिलने के लिए न कहूं।

मैंने मन ही मन मंत्र दोहराया। जब मैं उदय की पीठ को अपनी बाहों में लिए हुए थी और मेरे भारी स्तन उसकी छाती को सहला रहे थे, उस समय मैं उस मुद्रा में खड़ी रही थी। उदय के हाथ मेरी कमर की चिकनी त्वचा और मेरी कमर की दाई तरफ महसूस कर रहे थे। जाहिर है इस मुद्रा में खड़ा होना मुझे बहुत असहज कर रहा था और उत्तेजना के कारण मैं अपने स्तनों को उसके शरीर पर अधिक से अधिक दबा रही थी ।

गुरु जी : जय लिंग महाराज! गुड जॉब बेट्टी। तो जरा देखि रश्मि और सोचो, यह इतना मुश्किल नहीं है। क्या यह मुश्किल है?

संजीव: मैडम, आपने बहुत अच्छा किया। इसे जारी रखो! आप अवश्य सफल होंगे!




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मैं इस तरह की उत्साहजनक टिप्पणियों को पाकर आश्वस्त महसूस कर रही थी ? लेकिन अपने भीतर, सभी शर्म को दूर करते हुए, मैं पहले से ही और अधिक के लिए चार्ज हो रही थी !

गुरु जी : ठीक है, अब बेटी, उदय को गले लगाओ जैसे तुम बिस्तर पर अपने पति से करती हो, अर्थात् उसे कसकर गले लगाओ।

मैं: ओ... ठीक है गुरु जी।

गुरु-जी : उदय, तुम भी रश्मि को अपनी बाँहों में ऐसे पकड़ लो जैसे वह तुम्हारी पत्नी हो।

इससे पहले कि मैं कुछ कर पाता, मैंने महसूस किया कि उदय मेरे शरीर को अपने शरीर से जोर से दबा रहा है और मुझे कसकर गले लगा रहा है। अपने आप उस पर मेरा आलिंगन भी सख्त हो गया जिसके परिणामस्वरूप मेरे शरीर का पूरा ललाट उस पर दबाव डालने लगा। मैं उस तरह बहुत असहज महसूस कर रही थी क्योंकि मुझे अपने शयनकक्ष के बंद दरवाजों के पीछे मेरे पति से ऐसे गले मिलने की आदत थी, लेकिन यहाँ मुझे बहुत पता था कि लोग मुझे देख रहे हैं; इसलिए मेरी हरकतें सीमित हो गईं।

गुरु जी : उदय, ! उसे एहसास दिलाएं कि आप उसके पति हैं।


योनी पूजा जारी रहेगी

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औलाद की चाह

CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-7


दूसरी सुहागरात-आलिंगन

गुरु-जी: उदय, तुम भी रश्मि को अपनी बाँहों में ऐसे पकड़ लो जैसे वह तुम्हारी पत्नी हो।

इससे पहले कि मैं कुछ कर पाता, मैंने महसूस किया कि उदय मेरे शरीर को अपने शरीर से जोर से दबा रहा है और मुझे कसकर गले लगा रहा है। अपने आप उस पर मेरा आलिंगन भी सख्त हो गया जिसके परिणामस्वरूप मेरे शरीर का पूरा ललाट उस पर दबाव डालने लगा। मैं उस तरह बहुत असहज महसूस कर रही थी क्योंकि मुझे अपने शयनकक्ष के बंद दरवाजों के पीछे मेरे पति से ऐसे गले मिलने की आदत थी, लेकिन यहाँ मुझे बहुत पता था कि लोग मुझे देख रहे हैं; इसलिए मेरी हरकतें सीमित हो गईं।





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गुरु जी: उदय, ! उसे एहसास दिलाएँ कि आप उसके पति हैं।

उदय ने अब अपना चेहरा मेरी गर्दन पर और मेरे रेशमी बालों में ब्रश करना शुरू कर दिया। मैं महसूस कर रही थी कि उसकी नाक और होंठ मेरे कंधे को सहला रहे हैं, जबकि उसकी बाहें मेरे शरीर की परिधि पर सख्त हो गई हैं। मेरे स्तन अब उदय के शरीर पर कसकर दब गए और निश्चित रूप से मुझे उनके आलिंगन की "गर्मी" महसूस हो रही थी, हालाँकि मैं अभी भी प्राकृतिक शर्म के कारण बाहर जाने के लिए असमर्थ थी। उदय का बायाँ हाथ अब मेरी गांड पर फिसल गया और मेरी मांसल गांड पर घूम गया। उसके हाथ के हिलने से मेरी स्कर्ट थोड़ी उठ रही थी और मैंने उदय का हाथ पकड़कर उसे रोकने की कोशिश की।

गुरु-जी: बेटी, यह क्या है? क्या आप अभी भी संकोच कर रही है? उदय को अपना पति मानें... आप संकोच त्याग दे

गुरु-जी ने मेरे मूवमेंट को नोट किया और मुझे अलर्ट किया! वह वास्तव में एक "अंतर्यामी" थे! मैंने जल्दी से अपना हाथ उसके हाथ से हटा दिया और अपने शरीर को उसके शरीर में धकेल दिया ताकि यह दिखाया जा सके कि मैं अब संकुचित या अनिर्णीत नहीं थी। उदय ने मेरी लगभग नग्न पीठ (मेरी चोली को छोड़कर) और मेरे स्कर्ट से ढके गोल नितंबों का सहला कर और दबा कर भरपूर आनंद लेना जारी रखा।



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गुरु जी: ओम ऐं ह्रीं ।क... चा... वि, नमः! प्रोटोकॉल के अनुसार आप दोनों एक मिनट तक इसी मुद्रा में रहें।

मैंने मंत्र दोहराया, हालांकि इस शारीरिक उत्तेजना के कारण मेरा दिमाग पहले से ही भटक रहा था। उदय भी इस आलिंगन के माध्यम से काफी उत्तेजित हुए होंगे-ईमानदारी से कोई भी पुरुष मेरे गदराये हुए और नरम अंगो को सहलाने और गले लगाने का आनंद उठाएगा! उदय ने स्वाभाविक रूप से भारी सांस लेना शुरू कर दिया था और अब अपने चेहरे को मेरे कंधे और गर्दन पर जोर से रगड़ रहा था। साथ ही मैं अब उसकी धोती के माध्यम से उसके कठोर लंड को महसूस कर रही थी! मैंने किसी तरह अपनी भावनाओं को उस बहुत ही अंतरंग आलिंगन में नियंत्रित किया, क्योंकि मेरे दिमाग में उस रात ने नाव विहार में हमने जो किया था उसकी स्पष्ट रूप से याद आ रहे थी!

गुरु जी: जय लिंग महाराज! बहुत बढ़िया!

मेरा दिल अब तेजी से धड़क रहा था अज्ञात का अनुमान लगा रहा था। मेरे हाथ और पैर ठंडे हो रहे थे (हालाँकि मैं यज्ञ की आग के पास खड़ी थी) और स्वाभाविक रूप से हज महसूस कर रही थी।

गुरु जी: उदय, वही ठहरो! आगे आओ! रश्मि बेटी, अपनी कल्पना में ये जारी रखो की उदय आपका पति है और अब इस चरण को पूरा करने के लिए आपको उन्हें एक प्यार भरा आलिंगन करना है। :

मैं उत्तेजना में कामुक हो अपने होंठ काट रही थी क्योंकि उसके साथ मैं सहज थी, क्योंकि मैंने पहले से ही उसके साथ उस रात में नौका विहार के समय सेक्स का गर्म अनुभव किया था।



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मैं: ठीक है गुरु जी।

गुरु जी: उदय अब तुम रश्मि की कमर पकड़ लो और बस उसे गले लगाना। अब रश्मि तुम अपने पति को आलिंगन करो ।

वैसे मेरी आंखें बंधी हुई थीं, लेकिन मैं चीजों को महसूस कर पा रही थी। मैंने महसूस किया कि गर्म उदय के हाथों का एक जोड़ा मेरी स्कर्ट के ठीक ऊपर मेरी कमर को छू रहा है और मैं उदय की सांसों को मेरे बहुत करीब महसूस कर रही थी। जैसे ही उसने मुझे छुआ, मैंने भी उसे हल्के से गले लगा लिया। हालाँकि शुरू में मैं बहुत हिचकिचा रही थी क्योंकि मुझे पता था कि मुझे देखा जा रहा है, लेकिन चूंकि यह "उदय" था, इसलिए मेरे लिए गुरु-जी के सामने ऐसी हरकत करना बहुत आसान था।

मैंने धीरेव धीरे उदय को अपने आलिंगन में लिया और अपनी बाहे उसकी कमर पर कसने लगी मेरे चोली से ढके स्तन उसके नंगे सीने पर हल्के से दब गए और जैसे ही ऐसा हुआ, मुझे उदय के आलिंगन में भी स्पष्ट रूप से अधिक गर्मी महसूस हो रही थी।

गुरु जी: ओम ऐं ह्रीं ... ... नमः एक मिनट तक उसी मुद्रा में रहें जब तक कि मैं आपको हिलने के लिए न कहूँ।

मैंने मन ही मन मंत्र दोहराया। जब मैं उदय की पीठ को अपनी बाहों में लिए हुए थी और मेरे भारी स्तन उसकी छाती को सहला रहे थे, उस समय मैं उस मुद्रा में खड़ी रही थी। उदय के हाथ मेरी कमर की चिकनी त्वचा और मेरी कमर की दाई तरफ महसूस कर रहे थे। जाहिर है इस मुद्रा में खड़ा होना मुझे बहुत असहज कर रहा था और उत्तेजना के कारण मैं अपने स्तनों को उसके शरीर पर अधिक से अधिक दबा रही थी।



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मैं उदय के साथ आश्वस्त और सहज महसूस कर रही थी? लेकिन अपने भीतर, सभी शर्म को दूर करते हुए, मैं पहले से ही और अधिक के लिए चार्ज हो रही थी! मैंने महसूस किया कि मैं अपना शरीर उदय के बदन पर जोर से दबाने लगी और उदय भी अब मुझे कसकर गले लगाने लगा। उस पर मेरा आलिंगन भी धीरे-धीरे सख्त होता गया जिसके परिणामस्वरूप मेरा शरीर का पूरा का पूरा उस पर दबाव डालने लगा। मेरी हरकते बढ़ गयी थी क्योंकि मैं थोड़ा खुलने लगी थी।

गुरु जी: रश्मि उदय, ! एक दुसरे को एहसास दिलाएँ कि आप दोनों पति पत्नी हैं और परस्पर आलिंगन जारी रखे!

उदय ने अब अपना चेहरा मेरी गर्दन पर और मेरे रेशमी बालों में ब्रश करना शुरू कर दिया और मैं अपना मुँह उसके कंधो को महसूस कर अपना मुँह कंधे पर रगड़ने लगी और अपने हाथ उसके पीठ पर फिराने लगी जबकि उसकी नाक और होंठ मेरे कंधे को सहला रहे हैं, जबकि उसकी बाहें मेरे शरीर की परिधि पर सख्त हो गई हैं। मेरे स्तन अब उदय के शरीर पर कसकर दब गए और निश्चित रूप से हम दोनों को परस्पर आलिंगन की "गर्मी" महसूस हो रही थी, मैं धीरे-धीरे प्राकृतिक शर्म से बाहर आ रही थी। इस बीच उदय का दाया हाथ अब मेरी गांड पर फिसल गया और मेरी मांसल गांड पर घूम गया। उसके हाथ के हिलने से मेरी स्कर्ट थोड़ी उठ रही थी औरइस बार मैंने उदय का हाथ पकड़कर उसे रोकने की कोशिश नहीं की।

बल्कि अपने शरीर को उसके शरीर में धकेल दिया ताकि यह दिखाया जा सके कि मैं अब संकुचित बिलकुल नहीं थी। उदय ने मेरी लगभग नग्न पीठ (मेरी चोली को छोड़कर) और मेरे स्कर्ट से ढके गोल नितंबों का सहला कर और दबा कर भरपूर आनंद लेना जारी रखा।

गुरु जी: ओम ऐं ह्रीं ।क... चा... वि, नमः! प्रोटोकॉल के अनुसार आप दोनों एक मिनट तक इसी मुद्रा में रहें।

मैंने मंत्र दोहराया, हालांकि इस शारीरिक उत्तेजना के कारण मेरा दिमाग अब पहले से भी ज्यादा ही भटक रहा था। मेरे गदराये हुए और नरम अंगो को सहलाने और गले लगाने से उदय भी उत्तेजित थे जो इस बात से स्पष्ट हुआ था कि उदय भारी सांस ले रहा था और अब अपने चेहरे को मेरे कंधे और गर्दन पर जोर से रगड़ रहा था। साथ ही मैं अब मैं उसकी धोती के माध्यम से उसके कठोर लंड को महसूस कर रही थी!

गुरु जी: जय लिंग महाराज! बहुत बढ़िया! बेटी, पहले दो चरण पूरे हुए और अब आप अगले चरण के लिए तैयार हैं?


यौनि पूजा जारी रहेगी
 
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औलाद की चाह

CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-8


दूसरी सुहागरात - चुम्बन

मैंने गुरूजी के पीछे पीछे मंत्र दोहराया, हालांकि इस शारीरिक उत्तेजना के कारण मेरा दिमाग अब पहले से भी ज्यादा ही भटक रहा था। मेरे गदराये हुए और नरम अंगो को सहलाने और गले लगाने से उदय भी उत्तेजित थे जो इस बात से स्पष्ट हुआ था कि उदय भारी सांस ले रहा था और अब अपने चेहरे को मेरे कंधे और गर्दन पर जोर से रगड़ रहा था। साथ ही मैं अब मैं उसकी धोती के माध्यम से उसके कठोर लंड को महसूस कर रही थी!

गुरु जी: जय लिंग महाराज! बहुत बढ़िया! बेटी, पहले दो चरण पूरे हुए और अब आप अगले चरण के लिए तैयार हैं?

मैंने किसी तरह सिर हिलाया क्योंकि मेरा पूरा शरीर इस मंत्र दान की घटना में "गर्म हो गया था"।

संजीव: मैडम, आपने बहुत अच्छा किया। इसे जारी रखो! आप अवश्य सफल होंगे!

मैं इस तरह की उत्साहजनक टिप्पणियों को पाकर आश्वस्त महसूस कर रही थी ? लेकिन अपने भीतर, सभी शर्म को दूर करते हुए, मैं पहले से ही और अधिक के लिए चार्ज हो रही थी !

गुरु-जी: ओ-के- बेटी! अगले सेगमेंट के लिए तैयार हो जाइए - किस।

अरे गुरु-जी ! वह क्या कह रहे थे ! अब मुझे सबके सामने चूमा जाएगा! गुरु जी शायद जानबूझ कर मेरी प्रतिक्रिया देखने के लिए रुके थे और मैंने गुरु जी के सामने अपना संयम बनाए रखने की पूरी कोशिश की, लेकिन सच कहूं तो मैं अंदर ही अंदर मेरे सारे तार हिल गए थे !



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गुरु जी : बेटी, जैसा कि असल जिंदगी में होता है, यहां भी नर पहले चूमता और फिर मादा जवाब देती है । तो उदय पहले तुम्हें चूमेगा और फिर तुम्हारी बारी आएगी बेटी। ठीक?

मैं: ओहो ओ के... मेरा मतलब ठीक है।

उत्तेजना में मेरी आवाज कर्कश हो गयी थी! वयस्क होने के बाद, मुझे कभी किसी अन्य व्यक्ति के सामने चूमा नहीं गया था । यह वस्तुतः एक सार्वजनिक चुंबन वाला मामला था, क्योंकि मेरे होठों पर होने वाले इस चुंबन के समय चार अन्य व्यक्ति मौजूद रहने वाले थे! मुझे बहुत अजीब लग रहा था . मुझे याद है कि जब हम अपने हनीमून पर थे, तो मुझे मेरे पति अनिल ने कभी-कभार गले लगाया और मेरे चेहरे पर अपने होठों को ब्रश किया, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ की उसने मुझे सारवजनिक तौर पर चुंबन किया हो !




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गुरु जी : उदय, चूमते समय आपके हाथ रश्मि के कूल्हों पर होने चाहिए... मुझे आशा है कि आप मेरी बात समझ रहे हैं? मुझे लगता है कि रश्मि के कूल्हे काफी परिपक्व और व्यापक हैं और आप अपने हाथ वहां आराम से रख सकते हैं। हा हा हा... और रश्मि , इस कदम के लिए आपका काम बस उसे कसकर गले लगाना है - बस!

जीवन में पहली बार, मुझे प्रेम-प्रसंग के संबंध में साथ साथ निर्देश मिल रहे थे! यह सुनने में बहुत ही अटपटा और अजीब लग रहा था! शुक्र है! मेरी आँखें बंधी हुई थीं नहीं तो पाँच वयस्क पुरुषों के सामने ऐसा करते हुए मैं शर्म से मर जाती !

गुरु जी : उदय, तुम आगे बढ़ो।

उदय ने शायद ही मुझे प्रतिक्रिया करने का समय दिया और बस मेरे होठों पर चढ़ गया। उसने मेरे होठों को अपने मुँह में ले लिया और उन्हें चूसने लगा और मुझे तुरंत एक जंगली ऊंचाई तक ले गया।



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मैं: उउउउउउउउम्मम्म…. उम्म्मम्म… ..

मैं बस इतना ही कह सकती थी क्योंकि उसके होंठ मेरे कोमल गुलाबी होंठों पर मजबूती से टिके हुए थे। उसने मेरी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और ऐसे चूम रहा था जैसे मेरा पति मुझे चूम रहा हो! साथ ही जब से वह मेरे गाण्ड को दोनों हाथों से दबा रहा था और निचोड़ रहा था, मैं और अधिक उत्तेजित हो रही थी और मैं स्पष्ट रूप से महसूस कर रही थी कि उसकी हथेलियाँ मेरे नितम्ब के गालों पर फैली हुई हैं, जो उसके हर इंच को माप रही हैं! मैं अपने आप को नियंत्रित करने में असमर्थ थी और मेरे पैर और मेरी टाँगे प्राकृतिक यौन उत्तेजना से अलग हो गयी थी । उसने मेरे होंठों को चूसना जारी रखा और अपनी जीभ को मेरे मुंह में गहराई से जांचा, उसने मुझे अपने शरीर के करीब दबाया, जिससे मेरे दृढ़ गोल स्तन उसकी सपाट छाती पर जोर से धक्का दे।

गुरु जी : ओम ऐं ह्रीं क... चा ,,,,, वि... नमः! उदय, उसके होठों को अब और साठ सेकंड के लिए मत छोड़ना !



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मैंने अपने मन में मंत्र दोहराया और व्यावहारिक रूप से सांस लेने के लिए हांफ रही थी, क्योंकि मैंने हाल के दिनों में इतने लंबे तीव्र चुंबन का अनुभव कभी नहीं किया था! ऐसा नहीं है कि मैंने अपने विवाहित जीवन में लंबे चुंबन का अनुभव नहीं किया था, लेकिन हाल के दिनों में मेरे पति लंबे रोमांटिक चुंबन के बजाय सिर्फ चुदाई करने के लिए उत्सुक रहते थे।

दूसरी ओर उदय केवल किस पर केंद्रित था और वह अब मेरे खड़े होने की मुद्रा में मुझे जोर से गले लगा रहा था। मैं स्वाभाविक रूप से उन्हें बहुत प्रतिक्रिया दे रही थी, हालांकि पूजा-घर में गुरु-जी और अन्य लोगों की उपस्थिति के कारण अभी भी कुछ हिचकिचाहट थी। जैसे ही उदय ने मुझ पर दबाव डाला, मेरा पूरा शरीर झुक गया और मैं निस्संदेह धीरे-धीरे इस गर्मागर्म हरकत के आगे झुक रही थी।

गुरु जी : जय लिंग महाराज! उत्कृष्ट। रश्मि , क्या आपको मजा आया? यदि आप आनंद नहीं लेते हैं, तो आप लिंग महाराज के सामने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर रही हैं!

हालांकि चुंबन खत्म हो गया था, मैं उससे बाहर नहीं निकल पा रही थी । मेरी असल जिंदगी में बहुत कम ही मेरे पति अनिल मुझे किस करने के बाद इस तरह छोड़ देता है। वह निश्चित रूप सेइसके बाद या तो मेरे ब्लाउज को निकला देता है या अब तक मेरी साड़ी को मेरे सिर पर उठा देता है ! लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ।



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मैं: हाँ... हे... मेरा मतलब है हाँ।

गुरु जी : क्या उदय में आपके पति जैसा किया . उससे कम था या बेहतर था ?

मैं इस सवाल पर मुस्कुराना बंद नहीं कर पायी और मेरा चेहरा शर्म से लाल था।


योनी पूजा जारी रहेगी
 
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