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"अरे,आप मुझे ग़लत समझ रहे हैं?आपके बारे मे ऐसा कुच्छ नही सोचा था मैने."
"तो फिर चलिए."
रीमा उसे मना नही कर पाई,"ओके.चलिए.",और दोनो केफे की ओर बढ़ गये.
केफे मे बैठ के रवि ने ऑर्डर कर दिया.
"आप क्या करते हैं,रवि?",रीमा ने पूचछा.
"मैं एस.एन इन्स्टिट्यूट से एमबी ए कर रहा हू."
"वह,वो तो बड़ा अच्छा इन्स्टिट्यूट है.आपकी तो लाइफ बन गयी!"
"क्या लाइफ बन गयी,नर्स!बस अपने पैरो पे खड़ा हो जाऊँगा,अपने खर्चे निकाल लूँगा."
"तो और क्या चाहिए 1 इंसान को?"
"नर्स,काम तो वो हो जिसे इंसान दिल से करना चाहे.मेरी नज़र मे सचिन तेंदुलकर दुनिया का सबसे लकी इंसान है.वो बचपन से क्रिकेट खेलना चाहता था सो खेल रहा है.केवल खेल ही नही रहा बल्कि शायद अब तक का सबसे महान क्रिकेटर है.और सोने पे सुहागा ये की इस के लिए उसे करोड़ो रुपये भी मिलते हैं.इंसान को तो ऐसा ही काम करना चाहिए पर सबकी ऐसी किस्मत कहा होती है."
"तो तुम क्या बनाना चाहते थे?"
"फाइटर पाइलट."
"तो बने क्यू नही?"
"मा के चलते.जैसे ही उसे पता चला की मैं एनडीए का फॉर्म भरने जा रहा हू,उसने ऑर्डर जारी कर दिया कि मैं सपने मे भी ऐसा नही सोचु.उसने कहा की उसका कोई बेटा उस से दूर फौज मे नही जाएगा...मैने उसे कहा की मा शेखर भैया तो तुम्हारे पास रहेंगे ही.मुझे जाने दे एर फोर्स मे & अगर कही जंग मे मर गया तो तू शहीद की मा कहल्एगी."
"फिर मा ने क्या कहा?"
"उसने खींच के 1 थप्पड़ लगाया & फिर रोते हुए मुझे अपने गले से लगा के प्यार करने लगी.ये माएँ भी अजीब होती हैं नर्स,निराला ही होता है इनका बच्चों को प्यार करने का तरीका."
रीमा बस हल्के से मुस्कुरा दी.उसे क्या पता था मा के प्यार के बारे मे.वेटर कॉफी रख गया तो वो कप उठाकर पीने लगी.,"तब तो रवि जब तुम्हारा फ्रॅक्चर हुआ तो वो बहुत परेशान हो गयी होंगी?"
"पता नही,नर्स."
"क्या मतलब?"
"पिच्छले 2 सालों से मा बीमार है.उसका दिमाग़ धीरे-2 काम करना बंद कर रहा है.दिमाग़ का वो हिस्सा जो इंसान का चलना,बोलना कंट्रोल करता है वो तो पूरा बेकार हो चुका है.मा केवल अपनी पलके झपका पाती है & खा पाती है,गर्दन & उसके नीचे का पूरे शरीर का 1 भी अंग ना हिला पाती है ना उनसे वो कोई काम ले पाती है...बस बेड पे खामोश लेटी रहती है,क्यूकी बोल भी नही पाती."
"डॉक्टर्स क्या कहते हैं?"
"पिताजी कहा-2 नही दौड़े मा के इलाज के लिए पर हर डॉक्टर ने यही कहा की बीमारी लाइलाज है."
"ओह."
थोड़ी देर दोनो खामोश रहे फिर रवि ने खामोशी तोड़ी,"..अच्छा तो नर्स-ये लो.यहा हम साथ मे कॉफी पी रहे हैं & मुझे अभी तक आपका नाम भी नही पता.आपके नाम क्या है,नर्स?"
"मेरा नाम रीमा है.",रीमा हंस पड़ी.
"अच्छा तो आपकी मा कैसी है?"
"पता नही.मैं अनाथ हू,रवि.",& रीमा ने उसे अपनी पूरी कहानी सुना दी.उसने उसे मौसी के बारे मे भी बताया & रवि ने अपने बाकी परिवार के बारे मे.उसके पिता विरेंड्रा साक्शेणा 1 बहुत ऊँचे सरकारी ओहदे पे थे & बड़े भाई शेखर ने अभी कॅल्कटा मे अपनी पहली नौकरी जाय्न की थी.उसका परिवार पंचमहल नाम के शहर मे रहता था.
"अच्छा रीमा जी,आप क्या बनना चाहती थी?"
"मैं...मैं सिंगर बनना चाहती थी."
"रियली!फिर आपने कभी कोशिश की."
"जिस स्कूल मे हम अनाथाश्रम के बच्चे पढ़ते ते थे वाहा म्यूज़िक भी सिखाया जाता था तो स्कूल तक तो मैने सीखा लेकिन उसके बाद मुझे अपने पैरो पे खड़े होने की जल्दी थी & म्यूज़िक के ज़रिए वो संभव नही था."
"ह्म्म्म.",रवि ने कॉफी ख़त्म कर कप नीचे रखा,"ये तो बड़ी अच्छी बात पता चली आपके बारे मे.म्यूज़िक का मुझे भी शौक है खास कर इंडियन क्लॅसिकल का.इस सनडे हुमारे इन्स्टी ऑडिटोरियम मे ट.जसराज का प्रोग्राम है.तो आप सनडे को वाहा आएँगी,मेरे साथ प्रोग्राम देखेंगी & मैं जो भी म्यूज़िक के बारे मे सवाल करूँगा उनका जवाब देंगी."
"अरे नही,रवि.मैं नही आ सकती."
"क्यू?आप इतना झिझकति क्यू हैं?मैं आपको आवारा लगता हू?"
"वो बात नही है,रवि."
"तो क्या बात है?सनडे को आपकी छुट्टी है,आपको म्यूज़िक से इतना लगाव है,फिर क्यू नही आ सकती? "
"रवि,बुरा मत मानो,प्लीज़.पर...मैं टिकेट -"
"-अरे,कोई टिकेट नही,मेरे इन्स्टी का प्रोग्राम है.मेरे पास फ्री पासेज हैं.अब तो आएँगी ना?"
"ठीक है,आऊँगी."
"ये हुई ना बात!",रवि ने बिल पे किया & दोनो केफे से बाहर आ गये.
"अच्छा,रीमा जी बाइ1सनडे को 5 बजे मेरे इन्स्टी के मैं गेट पे मैं आपका इंतेज़ार करूँगा."
"ठीक है,रवि.बाइ!"
रीमा को बड़ी हैरत हुई कि कैसे उसने 1 लगभग अजनबी से इंसान को अपनी कहानी सुना दी & उसके साथ अगली मुलाकात के लिए भी तैय्यार हो गयी.वो उस सनडे रवि से मिली & फिर दोनो आए दिन मिलने लगे,कभी किसी कॉन्सर्ट तो कभी किसी एग्ज़िबिशन मे.रीमा की सहेलिया तो उसे रवि के नाम से चिढ़ने लगी थी.उसकी रूम मेट सोनी तो हुमेशा उसे छेड़ती रहती थी.