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Romance कायाकल्प [Completed]

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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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मेरी आँख खुली तो देखा की सुबह की पांच बज रहे हैं। नीलम मेरे बाएँ बाजू पर सर रखे, और मुझसे लिपटी हुई सो रही थी – ठीक वैसे ही जैसे सोने से जाने से पूर्व – मतलब पूर्णतः नग्न। मैंने प्रेम भरी मुस्कान से सोती हुई नीलम को देखा। ईश्वर के खेल निराले होते हैं। पहले तो मेरे और नीलम के सारे सहारे छीन लिए, और फिर ऐसी परिस्थितियाँ बना दीं की आज हम दोनों एक दूसरे के ही सहारे बन गए हैं! कहते हैं न की सुबह सुबह अगर मन से प्रार्थना करी जाय, तो वह ज़रूर सार्थक होती है – तो मेरी ईश्वर से बस यही प्रार्थना है की मैं नीलम को हमेशा खुश रख सकूँ! उसको कभी भी उसके परिवार की कोई कमी न महसूस होने दूं! उसकी हर छोटी बड़ी ज़रुरत को पूरा कर सकूं, और... उसके शरीर को हमेशा यौन रस से सिंचित रख सकूँ!

ये आखिरी वाली प्रार्थना पर मेरा लंड तुरंत तैयार हो गया। मैं मुस्कुराया – अगर प्रार्थनाएँ इसी तरह से तुरंत स्वीकार हो जाएँ, तो क्या बात है! मन के कहीं किसी कोने में एक बार यह आवाज़ भी निकली की काश संध्या भी आ जाय! लेकिन क्या कभी आशाओं पर ही निर्भर कोई कामना पूरी होती है भला? मैंने एक गहरी साँस छोड़ी – संध्या के साथ साथ ही हमारे अनगिनत मधु-मिलन की कई सारी छवियाँ मेरे आँखों के सामने एक चलचित्र के समान चलने लगीं! नीलम को भोगने के लिए मैं एक बार पुनः तैयार था।

मैंने अपने दाहिने हाथ को नीचे की तरफ बढ़ाया, और उसकी उँगलियों की सहायता से नीलम की योनि के दोनों पटों को थोड़ा फैलाया। मुझे तो लगता है की योनि का स्त्री के मस्तिष्क में एक कोई ख़ास संयोजन होता है। इतनी बार मैंने देखा है की जैसे ही किसी स्त्री की योनि को छुओ, वो चिहुंक उठती है। नीलम भी चिहुंक गई – सोते सोते ही!

“उम्म्म्म!” उसने सोते हुए ही जैसे शिकायत करी हो!

मैं मुस्कुराया और बहुत सम्हाल कर उसके सर के नीचे से अपना हाथ निकाला, और उसके सर के नीचे तकिया रख दिया। मैं जल्दी से नीचे की तरफ लपका। नीलम अभी भी अल्हड़ता से सोती थी। मतलब – उसके पैर हमेशा इतने खुले हुए रहते थे जिससे उसकी योनि तक आसानी से पहुंचा जा सके। मतलब मुझे कुछ ख़ास करने की ज़रुरत नहीं थी – मैंने बस अपने होंठ उसके योनि के होंठों पर लगा दिए और जीभ को धीरे से अन्दर प्रवेश करने लगा।

“अह्ह्ह्ह... जानू!” नीलम सोते सोते ही बोली!

‘कमाल है! नींद में भी मालूम है की कौन है!’

मैंने मुस्कुराते हुए सोचा। खैर, काफी देर तक तबियत भर कर मैंने उसकी योनि को तब तक छेड़ा, जब तक उसमें से मीठा मीठा रस नहीं निकल आया। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान नीलम विभिन्न प्रकार की मादक आवाजें निकालती रही। जब मैंने उसकी चूत छोड़ी, तो वो मुस्कुराते हुए मुझसे बोली,

“सुबह सुबह उठते ही आपको इसकी याद आ गई?”

“और नहीं तो क्या? नई नवेली और जवान बीवी की चूत की याद नहीं आएगी तो और किस चीज़ की याद आएगी?”

“छी! आप कैसे बोलते हैं!”

“पहले बता, और किसकी याद आएगी?”

“अरे! भगवान की.. और किसकी?” वो मुस्कुराई।

“तुमको याद आती है?”

उसने हामी में सर हिलाया।

“किस भगवान् की?”

“अरे...! सबकी!”

“अरे... सबकी का क्या मतलब? मेरा मतलब.. कोई ख़ास भगवान?”

“भगवान शंकर..”

“हम्म... मतलब तुमको शिव-लिंग की याद आ रही है! अब उतना मोटा तो नहीं, लेकिन, इस समय मेरे ही लिंग की पूजा कर लो...” मैंने उसको छेड़ा!

मुझे लगा की वो शरमा जायेगी, या कुछ विरोध करेगी.. लेकिन मेरी इस बात पर नीलम एकदम से गंभीर हो गई।

“मैं आपसे एक बात कहूँ?”

‘ओह्हो! जब लड़कियाँ सीरियस होती है तो कुछ न कुछ गड़बड़ होता है..’ मैंने सोचा।

“हाँ!”

“आप प्रॉमिस करिए की मैं जो कुछ कहूँगी, और करूंगी, आप करने देंगे?”

“ऐसे बिना सुने, जाने कैसे प्रॉमिस कर दूं?”

“आपको अपनी बीवी पर भरोसा नहीं?”

“अरे! ऐसी बात नहीं है..”

“तो फिर प्रॉमिस करिए!”

“अच्छा बाबा! प्रॉमिस! मैं तुमको नहीं रोकूंगा!”

मेरे ऐसा बोलते ही नीलम एकदम से खुश हो गई। उसने मुझे बिस्तर पर एक तरफ बैठने को कहा। बाद में मैंने ध्यान दिया की उसने मुझे पूर्व की दिशा के सम्मुख बैठाया था। उसने कमरे की खिड़की और परदे भी खोल दिए। उस समय कोई साढ़े पांच हो रहे होंगे। बाहर अभी भी अँधेरा था – इसलिए नीलम ने कमरे की लाइट भी जला दी।

“बैठे रहिएगा... बस दो मिनट..” कह कर वो ऐसे नंगी ही, दबे पांव कमरे से बाहर निकल गई। घर में और लोग भी थे... लेकिन, अभी तो सभी सो रहे होंगे! मैं सोच रहा था की क्या करने वाली है! खैर, मेरे सोचते सोचते, जैसा की उसने कहा था, सिर्फ दो मिनट में वापस आ गई। उसके हाथ में एक छोटी थाली थी – उसमे आरती का सामान था – दिया, चन्दन, फूल इत्यादि! मैं भौंचक्क था!

उसने आरती का दिया जलाया, फिर मेरे माथे पर चन्दन का एक लम्बा तिलक लगाया और फिर दिया जला कर मेरी आरती उतारी।

“आप ही मेरे भगवान् हैं.. मेरे सब कुछ!” कह कर वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई और झुक कर मेरे पैरों पर अपना सर टिका दिया! मुझे तो जैसे काटो खून नहीं! ये क्या कर रही है! मैं इस लायक नहीं हूँ! लेकिन मैं कुछ भी कहने और करने की अवस्था में नहीं था। नीलम एक अलग ही दुनिया में थी – ऐसा लग रहा था!

“आप ही मेरे शिव हैं.. और ये मेरा शिव-लिंग!” कह कर उसने मेरे खड़े हुए लिंग पर भी टीका लगें और उसकी भी आरती उतारी, और उसको भी शीश नवाया। फिर उसने मेरे लिंग के सिरे को एक हल्का सा चुम्बन दिया। नीलम इतनी प्रसन्न लग रही थी, जैसे किसी बच्चे की मन मांगी मुराद पूरी हो जाती है!

“अब मैं आपसे एक विनती करूँगी – याद रहे, आपने प्रॉमिस किया था की आप मेरी बात मानेंगे! है न?”

मेरी तो जैसे तन्द्रा भंग हुई.. “बोलो!”

नीलम की मेरे लिए इतनी श्रद्धा देख कर मुझे डर सा लग गया।

“आपको मालूम है न, की सिर्फ शिव-लिंग की पूजा नहीं होती? जब तक वो एक योनि के साथ लिप्त न हो?”

मैंने हामी भरी।

“तो अगर आप शिव हैं, तो मैं हूँ पार्वती – और मेरी योनि सिर्फ आपके लिए है – आपके लिंग के लिए। आपको जब भी मन करे, ... आप जब भी चाहें, ... जब भी आप तैयार हैं, मैं तैयार हूँ!”

“नीलू... इधर आओ! मेरे पास... प्लीज!”

मैंने नीलम को अपने पास बुला कर अपनी जांघ पर बैठाया, और प्यार से उसके गाल को सहलाते हुए कहा,

“नीलू... तुमने बहुत बड़ी बात कर दी आज! बहुत सम्मान और बहुत प्यार दिया है! इसलिए मैं भी एक बात कहना चाहता हूँ... पत्नी सम्भोग का यन्त्र नहीं होती। कम से कम मेरे लिए तो बिलकुल नहीं! ऐसा नहीं है की मुझे सेक्स करना अच्छा नहीं लगता – बल्कि मुझे तो बहुत अच्छा लगता है.. लेकिन, ऐसा नहीं है की तुम्हारा उपयोग बस इसी एक काम के लिए है! मुझे भी तुमसे प्रेम है! और मैं भी तुम्हारा बहुत सम्मान करता हूँ.. हम दोनों खूब सेक्स करेंगे! खूब! लेकिन, तभी जब हम दोनों ही मन से तैयार हों!”

नीलम मेरी बात सुन कर मुस्कुरा दी।

“और एक बात.. अगर तुम मुझे अपना भगवान मानती हो, तो मैं भी तुमको अपना भगवान मानता हूँ!” कह कर मैंने उसके माथे को चूम लिया, और नीचे झुक कर उसके पैरों को छू कर अपने माथे पर लगा लिया। नीलम मेरी इस हरकत पर सिसक उठी,

“आह.. आप मुझे पाप लगवाओगे!”

“कोई पाप वाप नहीं लगेगा!”

नीलम कुछ देर तक चुप हो कर मुझे देखती रही। मुझे लगा कि वो कुछ कहना चाहती है।

“क्या हुआ? कुछ कहना चाहती हो?”

उसने हामी में सर हिलाते हुए कहा, “हाँ.. मैं ‘इसको’ एक बार ठीक से देख लूं?” उसने मेरे लिंग की तरफ इशारा किया।

मैं मुस्कुराया, “तुम्हारा ही तो है.. अच्छे से देखो.. एक बार ही नहीं, बार बार..”

वो मुस्कुराती हुई, लगभग उछल कर मेरी गोद से नीचे उतरी, और उत्साह के साथ मेरे लिंग को अपने हाथ में लेकर उसका निकटता से निरीक्षण करने लगी। इस तरह से छूने-टटोलने से वो कुछ ही देर में पुनः स्तंभित हो गया।

“बाप रे! कितना बड़ा है आपका!”

“आपने किसी और का भी देखा है?”

“नहीं.. किसका देखूँगी भला?”

“देखना है?”

“न बाबा.. जिसके हाथ में ऐसा वाला हो, उसको किसी और ‘के’ की क्या ज़रुरत?”

“हा हा! आपको पसंद है?”

“हाँ! बहुत! लेकिन सचमुच.. बहुत बड़ा है!”

“बड़ा है, तो बेहतर है..”

“हाँ हाँ.. कहना आसान है.. अन्दर लेना पड़े, तो समझ आये!”

“एक बार तो हो गया.. आगे अब आसान रहेगा!”

“भगवान करे कि ऐसा ही हो!” फिर कुछ रुक कर, “मुझे तो लगता है.. जब आपने ‘ये’ पूरा अन्दर डाल दिया था, तो मेरा वज़न कम से कम एक किलो तो बढ़ ही गया होगा!”

“चल... ये गधे का थोड़े ही है..”

“ही ही! आप भी न..” कह कर वो पुनः निरीक्षण में लग गई।

“आपके यहाँ (उसने शिश्नाग्र के नीचे इशारा किया) और यहाँ (मेरे दाहिने वृषण की तरफ इशारा किया) पर तिल है...”

“हम्म म्म्म! तो? उससे क्या?”

“कहते हैं यदि पुरुष के गुप्तांग पर तिल हो तो वह पुरूष अत्यधिक कामुक होता है.. और एक से अधिक स्त्रियों के संसर्ग का सुख पाता है।“

“अच्छा जी! ऐसा है क्या? ह्म्म्म.. और इसका क्या मतलब है?” कहते हुए मैंने नीलम के दाहिने स्तन के बाहरी तरफ के दो तीन तिलों की तरफ इशारा किया।

वो शरमाती हुई बोली, “इसका यह मतलब है की जिसके सीने के दाहिनी तरफ तिल होता है, उसको सुन्दर जीवनसाथी मिलता है...”

“ओह्हो... फिर तो गड़बड़ हो गई! तुमको तो मैं मिल गया!!” मैंने नीलम को छेड़ा।

“अरे क्या गड़बड़? आप तो कितने सुन्दर..” कहते कहते नीलम रुक गई और उसका चेहरा शरम से लाल हो गया।

“अच्छा जी! ऐसा है?”


“जी हाँ.. मैंने तो जब पहली ही बार आपको देखा था, तभी आप मुझे बहुत पसंद आ गए थे!”

“अच्छा! ऐसी बात है? तो फिर आपने कुछ कहा क्यों नहीं?”

“क्या कहती? मैं तो छोटी थी, और आपको दीदी पसंद थी! तो मैंने सोचा की आपके जैसा ही कोई चाहिए मुझको! लेकिन फिर दीदी के जाने के बाद...”

संध्या की बात सुन कर दिल भर आया। पहले संध्या, और अब उसकी बहन – यह बात सोच कर ह्रदय में ग्लानि सी हो गई... फिर लगा, कि हमने तो बाकायदा शादी करी है.. तो उसमे क्यों ग्लानि हो? नीलम जैसे मेरे चेहरे पर से ही मेरे मन में उठने वाले भाव पढ़ रही हो!

“आपसे एक बात कहूँ?”

मैंने हामी में सर हिलाया।

“आपकी कोई भी इच्छा हो – जो पूरी नहीं हुई हो, दीदी या फरहत किसी ने भी.... या जो भी आप करना चाहते हैं.. मुझसे कहिएगा। मैं कभी आपको मना नहीं करूँगी। आप जो भी कहेंगे, मैं करूँगी।“

“प्यारी नीलू.. हम किसी कम्पटीशन में हैं क्या?”

“नहीं नहीं.. मेरा वो मतलब नहीं है... मैं तो बस..”

“मुझे मालूम है की तुम क्या कहना चाह रही हो! और मुझे ख़ुशी है की तुम मुझसे यह सब कह रही हो! मुझे भी तुमसे प्रेम है... और मैं तुम्हारी बहुत इज्ज़त करता हूँ। इसलिए ही नहीं की तुम मेरी पत्नी हो.. बल्कि इसलिए भी की तुम एक बहुत अच्छी इंसान हो, और मैं तुम्हारी सेवा कर उम्र भर कर्ज़दार रहूँगा।“

मेरी बात सुन कर नीलम की आँखें भर आईं।
 
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कुछ लिख लेता हूँ
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“चलिए जी! ये भी क्या बात है? मेरी सुहागरात के दिन ही आप मुझे रुला रहे हैं!” कहते हुए उसने अपने आँसूं पोंन्छे।

“ओओओ.. मेरी प्यारी बीवी नाराज़ हो गई? इसको कैसे मनाऊँ? कैसे मनाऊँ... ह्म्म्म.. सुहागरात में तो बीवी को मनाने का बस एक ही तरीका है..”

“वो क्या?”

“उसकी चूत चाट कर..”

“छीह्ह! आप ऐसे ऐसे शब्द मत बोला करिए.. आपके मुँह से अच्छा नहीं लगता!”

“अच्छा! लेकिन मेरा मुँह अपनी चूत पर महसूस करना अच्छा लगता है?”

मेरी बात पर नीलम बुरी तरह शरमा गई!

“आप करते जाइए... धीरे धीरे सब अच्छा लगने लगेगा!”

“दैट्स लाइक माय गर्ल!” कह कर मैंने नीलम को बिस्तर पर लिटाया, उसकी टाँगे फैलाईं, और उसकी मालपुए जैसी मीठी मीठी चूत को फिर से भोगने लगा।

“जानेमन! तुमको मालूम है की तुम्हारी चूत का स्वाद कितना मीठा मीठा है? इसमें शहद डाल दिया था क्या?”

“ओह्ह्ह्ह.. नहीं.. ल्लेकिन यह सोच कर.. कि अअअआआज्ज से आपके सामने मुझे नंगी रहना पड़ेगा, मेरी चूत से बस रस बहता ही जा रहा है! आःह्ह्ह! ऊऊह्ह्ह!”

“सच में?”

“क्या सच में?” नीलम जैसे किसी तन्द्रा से जागी। उसका एक और स्खलन समाप्त हो गया था।

“तुम आज से नंगी रहोगी?”

"मैं नंगी रहूंगी, तो आपको ख़ुशी मिलेगी?”

“हाँ!”

"मुझे नंगी देखकर आपको क्या कोई एक्स्ट्रा खुशी मिलेगी?” नीलम ने मुझे छेड़ा, “आपने पहले तो दीदी, और फिर फरहत - उनको तो लगभग हर रोज़ ही नंगी देखा होगा!"

"हाँ! और तुम भी तो मेरी पत्नी हो! वो कोई बौड़म ही होगा, जो तुम जैसी पत्नी को नंगा न रखना चाहे! खुशी तो मिलेगी ही, और शारीरिक संतुष्टि भी मिलेगी मुझे! संध्या से भी मिलती थी, और फरहत से भी! और अब, तुमको देख कर तुमसे भी वही खुशी पाना चाहता हूँ।"

कहते हुये मैंने नीलम की योनि की दरार पर उंगली फिराई – मेरी उंगली गीली हो गई। मैंने उसको दिखाते हुए उसके रस से भीगी उंगली को अपने मुँह में रख कर चूस लिया।

"अच्छा जी! तो आप मुझे न सिर्फ नंगी रखना चाहते हैं, बल्कि शारीरिक सुख भी चाहते हैं!” उसने मुझे छेड़ा!

"हाँ"

“इतना सब कुछ... और इतने सस्ते में!”

“अरे! सस्ता क्या? हर बार तुम्हारा वज़न एक किलो बढाऊँगा न!” मैंने भी उसको छेड़ा।

“हा हा! और जब बाकी लोग मुझे ऐसे देखेंगे तो?”

“तो क्या? मैं उनके सामने ही यह सब करूँगा।"

"अच्छा! तो बीवी की नुमाइश लगने वाली है! और अगर देखने वालो में से किसी ने ऐसा ही कुछ करने की सोची तो?”

"तो क्या? अगर देखने वाला आदमी हुआ, तो मैं तुम्हारी चूत में डालूँगा, और उसको तुम्हारी गांड में डालने को कहूँगा!”

“धत्त! गंदे!”

“अरे सुन तो ले पूरा... और अगर औरत हुई, तो उसको तुम्हारी गांड चाटने को कहूँगा, और मैं तुम्हारी चूत में डालूँगा!

“आप इतनी गन्दी बाते क्यों कर रहे हो?” नीलम ने मेरे चेहरे हो अपनी हथेलियों में भरते हुये कहा।

“सॉरी जानू.. ऐसे ही!”

“आप मुझे किसी के साथ भी शेयर मत करिएगा प्लीज!”

“आई ऍम सॉरी जानू! अब ऐसे कुछ नहीं कहूँगा तुमको!”

“मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ! किसी भी चीज से कहीं ज्यादा...." कहते हुये नीलम ने अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिये और उत्साह और जोश से चुम्बन देने लगी। जब वह चुम्बन करके पीछे को हुयी तो उसने कहा,


“मैं सच में नंगी रह लूंगी.. आप देखना.. लेकिन मुझे अपने सिवाय किसी और को न देना!”

मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में भरकर कहा, “नीलू, तुम बहुत अच्छी हो!”

“हाँ... मुझे पता है कि मैं क्यों अच्छी हूँ! मैंने नंगी रहने का वायदा किया है, इसीलिए न?”

“हाँ...वो भी है।“

“आपको मेरे बूब्स अच्छे लगते हैं?” नीलम ने मेरी आँखों को देखा – वो काफी देर से उसके स्तनों पर ही जमी हुई थीं।

“हाँ! मुझे तुम्हारे बूब्स बहुत अच्छे लगते हैं..”

और मैंने उसके स्तनों को अपने हाथों से लेकर दबाना, मसलना शुरू कर दिया।

"आआह्हह्हह! आराम से! उफ़!” नीलम थोडा इठलाई, “अच्छा एक बात बताइए – दीदी और फरहत के मुकाबले आपको मेरे कैसे लगते हैं?”

"सेक्सी! और टेस्टी!”

"तो फिर! अब क्या करने का इरादा है?" उसने कहा।

“इनको पीने का प्लान है अब!”, मैंने कहा, और उसके एक चूचक को अपने मुँह में ले लिया!

“आह! हाँ! आह्ह.. आराम से जानू!!” नीलम अपने सीने को आगे की तरफ ठेलते हुए बोली।

मैंने जी भर कर और जोश में उसके चूचक चूसना शुरू कर दिया। नीलम आहें भरने लगी।

“काश, इनमें दूध भरा होता!”, मैंने चूसते हुए बीच में कहा।

"हा हा! अच्छा जी... आपके इरादे बड़े नेक हैं! लेकिन इसके लिए तो आपको मुझे प्रेग्नेंट करना पड़ेगा।" नीलम हँसते हुए बोली।

“तो फिर ठीक है, चलो.. तैयार हो जाओ..”, मैंने कहा।

“क्या?”

"अरे! तुमको प्रेग्नेंट करने का यही तो एक तरीका है!”

नीलम ने मेरे तने हुए लिंग को देखा, और कहा, “आपका ‘वो’ बहुत आतुर है अपनी सहेली से मिलने के लिए!”

“हाँ! इसकी सहेली भी इससे मिलने के लिए लार टपका रही है न!”

नीलम ने अपने दोनों हाथों से मेरे लिंग को पकड़ा और सहलाने लगी। उसी समय मैंने भी उसको पुनः चूमना शुरू कर दिया और बिस्तर पर लिटा दिया।

“रेडी हो जाओ, जानू...”

“क्यों? किसलिए?” वो भली भांति जानती थी की किसलिए।

"तुमको चोदना है न.. जिससे तुम जल्दी से जल्दी माँ बन सको!”

मेरी बात सुन कर नीलम ने अपनी दोनों टाँगे फैला दीं।

"ज़रा और फैलाओ जानेमन.. अपनी मालपुए जैस चूत थोड़ा ढंग से दिखाओ मुझे!” मैंने उसकी योनि पर अपनी निगाहें जमाये हुये कहा।

"अभी ठीक से दिख रही है?“ नीलम ने टांगों को और फैलाते हुए पूछा।

“थोड़ा और..” मैंने मिन्नत करी।

“अब बताइए? अब दिखी ठीक से? क्योंकि अब और नहीं फैला पाऊंगी...” नीलम ने अपनी जांघे और फैलाते हुये कहा।

“हाँ, अब दिखी! तुम्हारी प्यारी प्यारी.. मीठे रस से सराबोर चूत!”

“अब और कितनी देर तक इसे देखते रहेंगे? मुझे माँ बनाने का इंतजाम कब करेंगे?” नीलम ने हँसते हुये पूछा।

"ये तो इतनी सुन्दर है की मैं चाहता हूँ की इसे तब तक देखूं, जब तक ये मेरे दिमाग में पूरी तरह न बस जाय!” मैंने कहा।

"अरे! आपकी ही तो मिलकियत है ये! जब चाहे आप देख लीजिए, या भोग लीजिए!” उसने अपनी दोनों टाँगे मेरे कंधों पर रखते हुये कहा।

मैंने नीलम की योनि पर अपना लिंग स्थापित किया और कहा, “चुदने को तैयार?”

“हाँ जानू! आप बुरी तरह चोदिये मुझे!”

मैंने अपने लिंग को अंदर की तरफ धकेलते हुये उसको चूमा। जैसे ही नीलम ने मेरे लिंग को अपनी योनि की गहराइयों में जाते हुये महसूस किया, वो बोली, “अब आप जल्दी से कर दीजिए सब कुछ! मैं कैसे भी रोऊँ, आप रुकियेगा नहीं!“

उसकी इस बात पर मैं भी तुरंत शुरू हो गया और बल पूर्वक धक्के लगाने लग गया। नीलम भी मेरे धक्को के साथ नीचे की तरफ से टाल मिलाने लगी। कुछ ही क्षणों में मैंने नीलम की योनि में लिंग को अंदर बाहर करने की गति बढ़ा दी और तब तक करता रहा जब तक मैंने उसकी योनि के अंदर अपना पूरा वीर्य उड़ेल न दिया। इसी बीच में नीलम को एक बार फिर से चरमसुख मिल गया। जब उसने अपनी कोख में मेरे वीर्य की पिचकारी महसूस करी, तो वो मुस्कुरा दी।
 
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कुछ देर के बाद हम दोनों ही संयत हो गए। मैं कुछ देर उसके ऊपर यूँ ही लेटा रहा। जब उठा तो मैंने कहा, “नीलू, मुझे बहुत मज़ा आया! तुमको?”

“मुझे भी!” उसने कहा, और मुझे होंठो पर चूमा। “आप थक गए होंगे! सो जायेंगे?

“नहीं! इतनी मस्त चुदाई करने के बाद कोई सोता है क्या?”

“हा हा! तो क्या करता है?”

“रुको.. बताता हूँ!”

कह कर मैंने अलमारी से जो संध्या के लिए खास मेड-टू-आर्डर करधनी बनवाई थी, वो बाहर निकाली। यह एक 18 कैरट सोने की करधनी थी। इसमें लाल-भूरे, नीले और हरे रंग के मध्यम मूल्यवान जड़ाऊ पत्थर लगे हुए थे। नीलम उत्सुकतावश मुझे देख रही थी की मैं क्या कर रहा हूँ। मैं वापस आकर बिस्तर पर बैठ गया और नीलम को बिस्तर से नीचे उतरने को कहा। जब वो ज़मीन पर खड़ी हुई, तो मैंने उसकी कमर में यह करधनी बाँध दी। प्रथम सम्भोग के समय उसका हीरों का मयूर जड़ाऊ हार उतार दिया था – उसको भी वापस पहनाया। और थोड़ा सा पीछे हट कर उसके सौन्दर्य का अवलोकन करने लगा।

नीलम पूरी तरह नग्न थी – और उसके शरीर पर यह हार, मंगलसूत्र, वो करधन, कलाइयों में चूड़ियाँ और कंगन, माथे में सिन्दूर, कानो में कर्णफूल, पैरों में पायल, और बिछिया! मतलब सिर्फ आभूषण बचे थे! उसकी बिंदी हमारे सम्भोग क्रिया के समय न जाने कब खो गई, और सिन्दूर और काजल अपने अपने स्थान पर फ़ैल गए थे, और लिपस्टिक का रंग मिट गया था। किन्तु फिर भी, नीलम, अपनी ही बहन की भान्ति बिलकुल रति का ही अवतार लग रही थी।

“आपकी एक तस्वीर निकाल लूं?”

नीलम शर्म से मुस्कुराई, और हामी में सर हिलाया।

मैंने झटपट अपना कैमरा निकला, और दनादन कई सारी तस्वीरें उतार लीं। उसके बाद मैंने नीलम की कमर को आलिंगन में लेकर उसकी नाभि, और फिर उसकी कमर को करधनी के ऊपर से चूमा। फिर खड़े हो कर उसके दोनों चूचकों को चूमा, और अंत में उसके होंठों पर एक चुम्बन दिया।

“जानू.. आज दिन में बस यही पहन कर रहना!”

नीलम उत्तर में सिर्फ मुस्कुरा दी!!

मेरी हर कही हुई बात नीलम के लिए जैसे वेद-वाक्य, या फिर कोई दैवीय आदेश था। हमारे वैवाहिक जीवन के पहले दिन सचमुच नीलम ने अपने शरीर पर कुछ भी नहीं पहना – उसके शरीर पर बस वही कुछ आभूषण - करधनी, कंठहार, मंगलसूत्र, चूड़ियाँ और कंगन, पायल और अंगूठी ही रही। ऐसा करने के लिए उसकी दलील यह थी कि मैंने पहली बार – मेरे जीवन में भी, और हम दोनों के वैवाहिक जीवन में भी – उससे कुछ माँगा था। इसलिए वो किसी भी कीमत पर मुझे उस बात के लिए मना नहीं कर सकती थी – चाहे मैं ही उसको वैसा करने से मना करूँ! खैर, मुझे क्या आपत्ति हो सकती थी भला? इतनी सुन्दर सी लड़की अगर नग्न हो कर घर में इधर उधर घूमे तो आनंद ही आएगा! खैर, मैंने कमरे से बाहर निकलने से पहले एक निक्कर और टी-शर्ट पहन लिया था। उसकी सहेली भानू जब सुबह उठी, तो उसका यह रूप देख कर दंग रह गई।

“हाआआआआ! क्या जीजू! मेरी इतनी शर्मीली सी सहेली.. आपके साथ बस एक रात क्या रह ली, उसकी तो ऐसी हालत हो गई! क्या किया आखिर आपने?”

मैंने आँख मारते हुए उसको उसी के अंदाज़ में छेड़ा, “आजा तू भी.. देखते हैं, मेरे संग का क्या असर होता है तुझ पर!”

“न बाबा! मैं तो सोच रही हूँ की जब पति मिलेगा तो उससे नए नए कपड़ों की फरमाइश करूंगी.. अगर आपके साथ हो ली, तो ऐसे नंगी रहना पड़ेगा!”

“ओये होए! सहेली के पति को अपना पति बनाना चाहती है?” मैंने फिर छेड़ा।

“अरे मेरा ही क्या? आपके जैसे शानदार मर्द को देख कर किसी भी लड़की का जी होने लगेगा!”

“अरे तो रुक कर कुछ देर देख ही ले की हमने ऐसा क्या किया जिससे तेरी सहेली की ऐसी हालत हो गई..”

“न बाबा... ये ऑप्शन भी गड़बड़ है! आप दोनों को चुदाई करते देख कर अगर मेरा भी मन डोल गया तो?” भानु फिर से बेशर्मी पर उतर गई।

“तो क्या? तू भी बहती गंगा में हाथ धो लेना.. लगे हाथ तेरी चूत की भी कुटाई हो जाएगी!”

“ओये होए! नई नई बीवी, वो भी नंगी नंगी, आपके पहलू में बैठी हुई है, और आपकी गन्दी नज़र उसकी सहेली पर है!”

“ठहर तो.. बताता हूँ तुझे!” इस लड़की से कोई नहीं जीत सकता।

“नहीं! मुझे कुछ मत बताओ...” वो भागी, “आप दोनों चुदो-चुदाओ.. इसमें मेरा क्या काम? मैं क्यों कबाब में हड्डी बनूँ?” यह कहते हुए वो खिलखिलाती हुई कमरे से भाग खड़ी हुई। इस पूरे वार्तालाप के दौरान नीलम पहले तो सिर्फ मुस्कुराती रही, लेकिन बाद में हँसते हँसते दोहरी हो गई।

“हंसी आ रही है?”

वो और हंसी.. दरअसल अब तक वो खिलखिला रही थी।

“जानू.. जाने दीजिए.. वो ऐसी ही है..”

“हंसी निकालूँ और?” मैंने अपनी आवाज़ में नकली क्रूरता मिलाते हुआ कहा। नीलम कुछ सहम गई।

“हम्म? हंसी निकालूँ तेरी?” मैंने नाटक जारी रखा।

नीलम के चेहरे से मुस्कान अब तक ख़तम हो चुकी थी – शायद मेरे ऐसे अचानक बदले हुए रूप को देख कर डर गई थी वो! मैंने उसके करीब जा कर उसकी जाँघों के बीच में अपनी उंगली फिराई। उसकी योनि की फाँकों की गुलाब जैसी कोमल पंखुडियां खुली, और मेरी उंगली के गिर्द चिपक गईं।

“ये होंठ हँसेंगे तेरे... ऊपर वालों में तो सिर्फ कराहें और आहें निकलेंगी!” दूसरे हाथ से मैं अपनी निक्कर उतार रहा था।

मेरी इस बात पर नीलम के होंठों पर एक लज्जालु मुस्कान तैर गई। वो बोली,

“ये भी कैसे मुस्कुराएंगे? आपका अंग लेने में तो ये पूरी तरह से खुल जाते हैं!”

“अच्छा जी?”

“हाँ जी! .. ऊओह्ह्ह्ह! (मैंने उसकी योनि के ऊपर भगशेफ़ को छेड़ा) ये बेचारे तो बस लार टपकाते रह जाते हैं!” वो अदा से मुस्कुराई।

अब तक मेरी निक्कर उतर चुकी थी। यानि अब हम दोनो ही नंगे हो चुके थे। मैंने अपनी पत्नी को जी भर कर देखा – वो भी कभी मुझे, तो कभी मेरे लिंग को देख रही थी। वो सोचे बिना न रह सकी कि दीदी को कैसा लगता रहा होगा जब वो इस लिंग को अपने अंदर लेती थीं! इस बार शुरुआत नीलम ने करी। उसने मेरे लिंग को अपनी हथेलियों में लेकर सहलाने का उपक्रम शुरू किया। उसकी नरम गरम हथेलियों का स्पर्श पा कर मेरा लिंग भी तुरंत ही पूर्ण स्तम्भन की स्थिति में आ गया। मैंने भी उसके स्तनों को सहलाना और मसलना शुरू कर दिया।

जल्दी ही हम दोनों ही एक दूसरे को अपनी बाहों में भर कर लेट गये। मैंने एक हाथ से नीलम के एक चूचक को मसलते हुए कहा,

“ओह नीलू! तुम नहीं जानती कि मैं कितना खुश हूँ! तुमको पाकर मुझे अपने मन की खोई हुई खुशी मिल गई है! और.. जीने का सहारा भी!”

“ऊह्ह्ह! अरे! आप ऐसा न कहिए! सहारा तो आप हैं मेरे! आपकी वजह से मुझे वो सुख मिला है जिसके बिना मैं खुद को अधूरा महसूस कर रही थी।“

नीलम ने मेरे लिंग को सहलाते हुए कहा। मैंने महसूस किया कि नीलम की योनि गीली हो गई थी। पर अभी उसमे लिंग डालने का सही समय नहीं आया था। यह बात उसको भी समझ आ रही थी। वो अपनी जगह से उठ खड़ी हुई, और अपने शरीर को कमानी की तरह कुछ पीछे करते हुए इस तरह हुई, जिससे उसका योनि क्षेत्र मेरे सामने कुछ बाहर आ जाय, और कुछ अधिक प्रदर्शित होने लगे।

“एक बार इन होंठो को भी चूम लीजिए..”

ऐसे सुन्दर, मादक, गोरे, चिकने शरीर, और उससे भी अधिक चिकनी और रसीली योनि को अपने मुँह के करीब होता देख कर मैं और भी अधिक उत्तेजित होने लगा। मैंने आगे बढ़ कर उसके दोनों नितम्बों को पकड़ लिया, और अपनी तरफ धीरे से खींचा – ऐसा करने से नीलम का योनि मुख मेरे होंठों से मात्र कुछ इंचों की ही दूरी पर रह गए!

मैंने कहा, “नीलू, थोड़ा जगह बनाओ..”

नीलम ने अपनी टाँगे कुछ खोल दीं, और मुझे उसकी योनि का आस्वादन करने के लिए जगह मिल गई। नीलम ने अपना योनि क्षेत्र कुछ इस तरह से व्यवस्थित किया जिससे अब मैं आराम से अपनी जीभ से उसकी योनि का भोग कर सकता था – मैंने वही किया। मैं उसकी योनि को अपनी जीभ से सहलाने लगा। इस प्रकार की छेड़खानी का असर नीलम पर काफी सकारात्मक हुआ – वो भी कामुकता में मत्त सी हो गई। मैंने सोचा की नीलम को अपने इस कार्य का कुछ पारितोषिक तो मिलना ही चाहिए – इसलिए मैंने भी आराम से रह रह कर उसके भगशिश्न को चाटना शुरू कर दिया। मैं क्रमशः उसकी योनि की पूरी लम्बाई को चाटता, और रह रह कर उसके भगशिश्न को अपने होंठों से दबा कर उसको पागल बना देता। लगभग तीन मिनट के बाद ही नीलम उन्माद में पीछे की तरफ कुछ झुकी और अपनी योनि का रस मेरे मुँह पर ही छोड़ने लगी। मेरे चाटने की गति बढ़ने लगी और उसी के साथ साथ नीलम भी उन्माद के अंतराल तक पहुँच गई। उस समय मैं अपनी दो उंगलियाँ उसकी योनि में डाल कर अंदर बाहर करने लगा। नीलम इस नए प्रहार को बिलकुल भी सहन नहीं कर सकी।एक जोरदार सिसकारी के साथ वो अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँच गई। उस उन्माद में उसका पैर कांप गया, और इससे पहले की मैं उसको सम्हाल सकता, वो भहरा कर फर्श पर गिर गई। मैं घबराया की कहीं उसको चोट न लग गई हो – लेकिन नीलम लंबी लंबी साँसे भरते हुए फर्श पर लेट गई।

यह सुनिश्चित करने के बाद, की वह पूरी तरह से ठीक है, मैं वापस मूड में आ गया। मैं पुनः उसके स्तनों को मसलने में लग गया। मेरा लिंग भी अब अपने गंतव्य में जाने को आतुर हो रहा था। मैंने नीलम का हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया – मैं एक तरह से उसको बताना चाहता था कि मैं अब तैयार हूँ! नीलम भी समझ गई कि अब वक्त आ चुका है। उसने मुझको उसके ऊपर आने को कहा, और मेरा लिंग अपने हाथों से पकड़ कर अपनी योनि से सटा दिया। मैंने धीरे धीरे लिंग को उसकी योनि में डालना आरम्भ कर दिया।

लडकियाँ अक्सर ही सम्भोग के बाद एक प्रकार का दर्द अनुभव करती हैं। अगर वो दर्द सम्भोग करते समय आघात के कारण उठता है, तो मर्द को चाहिए कि वो सावधानीपूर्वक, और प्रेम से करे। जल्दबाज़ी न दिखाए। लेकिन यदि यह बात नहीं है, तो एक और कारण है – और वो यह की सम्भोग, और उसके बाद चरमोत्कर्ष की प्राप्ति के बाद लड़कियों की योनि अति संवेदनशील हो जाती है। अब इस संवेदनशीलता की अवधि कुछ भी हो सकती है – कुछ सेकंडों से लेकर कई मिनटों तक भी! इस अवधि में लडकियाँ यह नहीं चाहती की उनकी योनि को और अधिक छेड़ा जाय। यह संवेदनशीलता इस बात पर भी निर्भर करती है की उनके भगनासे को भी छेड़ा गया है या नहीं। खैर, सुहागरात के सम्भोग, और अभी अभी प्राप्त यौन चरमोत्कर्ष के बाद नीलम की भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी – उसकी योनि के दोनों होंठ सूजे हुए से लग रहे थे।

किन्तु इस पर भी उसने मेरे लिंग का पूरी तरह स्वागत किया। उसका छोटा सा योनि मुख जैसे अपनी सीमा तक खिंच गया था। मेरे लिंग पर वो एक रबड़ के छल्ले के समान कस गया था, और मेरा लिंग इस समय पूरी तरह से उसके अन्दर समाहित हो गया था। मैंने जैसे यह देखा, मैंने उसको लगभग पूरा बाहर निकाला, और वापस अंदर धकेल दिया। पाठक समझ सकते है की ऐसा करने में गति तो कम हो जाती है, लेकिन घर्षण अभूतपूर्व होता है। मैं ऐसा बार बार दोहराने लगा। इस प्रकरण के दौरान, मैंने नीलम के कंधे पकड़ रखे थे। इसलिए अब इस उन्मादक प्रहार को झेलने के अतिरिक्त नीलम के पास अब कोई चारा नहीं बचा था।

नीलम भी सम्भोग के मामले में संध्या के समान ही थी – वो भी तुरंत ही बहकने लगती थी, और लगभग तुरंत ही तैयार हो जाती थी। मेरे कठोर और गरम लिंग के घर्षण का अनुभव नीलम को उन्मत्त करने लग गया था। वो शीघ्र ही अपने अंदर चरमोत्कर्ष की लहर उठती सी महसूस करने लगी। मैं भी जैसे किसी मतवाले पशु के समान, आँखें बंद किये, पूरे मनोयोग से उसके अन्दर बाहर हो रहा था। जब आँख खुली, तो सामने नीलम के प्यारे से स्तन नज़र आ गए। मैं रह न सका – मैंने जैसे ही उसके एक चूचक स्तन को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, नीलम पुनः चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। उसके शरीर की थरथराहट मैंने महसूस की और नीलम को भोगने के लिए अपनी गति और बढ़ा दी।

ड्राइंग रूम में हमारी रतिक्रिया की मादक ध्वनियाँ गूँज रही थीं। अरे, हमको तो यह भी नहीं मालूम पड़ा की कब भानु वह आ खड़ी हुई, और मज़े लेकर हमारे इस अन्तरंग समय की विडियो रिकॉर्डिंग कर रही थी। मैं अब पूरे वेग से धक्के मार रहा था – मेरा भी अंत आ गया था – मेरा पहला स्खलन बहुत ही तीव्र था। पहली पिचकारी में ही मेरा कम से कम अस्सी प्रतिशत वीर्य नीलम की कोख में समां गया। बाकी का बचा हुआ अगले चार पांच पिचकारियों में निकल गया। इस सम्भोग में ऐसा अभूतपूर्व भावावेश था, की हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह से लिपट गए। हमारी साँसे धौंकनी की तरह चल रही थीं, और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे की एक मैराथन दौड़ कर आया हूँ। हम एक दूसरे को अपनी बाहों में भरकर लेटे रहे। वृषणों में अब कुछ भी नहीं बचा हुआ था, लेकिन फिर भी लिंग रह रह कर व्यर्थ ही पिचकारियाँ छोड़ने का प्रयास कर रहा था। नीलम की योनि में भी स्पंदन हो रहे थे – मानों मेरे लिंग के उठने वाले स्पंदनों से ताल मिला रही थी। खैर, कुछ देर तक ऐसे ही शांत लेटे रहने के बाद हमने एक दूसरे को होंठों में चुम्बन दिया और पुनः आलिंगनबद्ध हो गए।

“क्या बात है जीजू और नीलू!” हमारी तन्द्रा तब टूटी जब हमने हलकी हलकी तालियों की आवाज़ सुनी। “ये तो गुड मोर्निंग हो गया है जी!”

मैंने और नीलम – हम दोनों ने ही आवाज़ की दिशा में देखा। भानु मुस्कुराती हुई अपने मोबाइल फ़ोन लिए हमारा विडियो बना रही थी।

“ठहर जा तू..” मैंने धमकी दी और उठने का उपक्रम किया, लेकिन नीलम ने मुझे गलबैयां डाल कर रोक लिया।

“जाने दीजिए न.. ले दे कर वही तो एक आपकी साली है..”

“हाँ जीजू.. आपकी आधी घरवाली!” कह कर उसने मुझे जीभ दिखा कर चिढाया।

“डेढ़ घरवालियाँ हैं आपकी... डेढ़!! वैसे आप चिंता न करिए – ये विडियो मैं इन्टरनेट पर नहीं डालूँगी। बल्कि आप दोनों को मेरी तरफ से गिफ्ट दूँगी। .. और अपने पास भी रखूंगी। जब भी मेरे सेक्सी से जीजू की याद आएगी, इसको देख कर खुश हो लिया करूंगी..।“ उसने निहायत ही नाटकीय अंदाज में यह बात कही। मुझे भी हंसी आये बिना न रही।

“अच्छा, तो तू मेरी आधी घरवाली है.. कम से कम घरवाली का आधा प्यार तो दे!” मैंने उसको छेड़ा। मुझे लगा की इस एक वाक्य से मैंने पहली बार भानु को कुछ समय के लिए निरुत्तर कर दिया। वो कुछ देर अचकचा गई, लेकिन फिर सम्हाल कर बोली, “क्या जीजू.. इतनी सुन्दर सी बीवी है, और नंगी पड़ी है.. और आप मुझ पर डोरे डाल रहे हैं?”

“क्या करूँ साली साहिबा! इतनी सेक्सी साली का कोई तो फायदा होना चाहिए न!”

“क्या सच में? आपको मैं सेक्सी लगती हूँ?”

“हाँ! सुन्दर, और सेक्सी!” फिर नीलम की तरफ देख कर, “क्यों जानू?”

“हाँ .. बिलकुल! तू तो बहुत सुन्दर है!” नीलम फिर मेरी तरफ मुखातिब हो कर बोली,

“आपको अगर चांस मिले, तो इसके बूब्स देखिएगा! बहुत सेक्सी हैं!”

“क्या कह रही है तू कमीनी?”

“तू कमीनी है.. यहाँ हम दोनों नंगे पड़े हैं, और तू पूरे कपड़ों में खड़ी है..”

सहेलियों की मीठी तकरार...

“आप ही कुछ कहिए न...”

“हाँ भानु.. वो बात तो है..”

“हाँ.. आप तो कहेंगे ही न.. मेरे कपडे उतर गए तो दो दो नंगी लडकियाँ मिल जाएँगी आपको.. यानी पाँचो उंगलियाँ घी में..”

“नहीं रे.. पाँचों नहीं,” मैंने भानु के वाक्य को सुधारा, “दसों उंगलियाँ.. और घी में नहीं.. या तो मीठे मीठे बन (छोटे, मीठे पाव – मेरा इशारा स्तनों की तरफ था) में.. या फिर शहद में!”

हमारी छेड़खानी सुन कर भानु की जो भी मोरचाबंदी थी, वो जल्दी ही ढह गई।

“क्या सचमुच इसके बूब्स बहुत सेक्सी हैं?” मैंने नीलम से पुछा।

नीलम के कुछ कहने से पहले ही भानु बोली, “कोई सेक्सी वेक्सी नहीं हैं.. जैसा सभी का होता है, वैसा ही है!”

मैंने कहा, “तुम्हारा भी ऐसा ही है क्या?” मैंने नीलम के स्तनों की तरफ इशारा किया।

“आपकी बीवी के बहुत सुन्दर हैं..”

“नहीं.. सच में.. इसके बहुत सुन्दर हैं.. आप खुद ही देख लो..” दोनों लडकियाँ एकदम बच्चों वाली बातें कर रही थीं।

“सच में जीजू.. ये बिलकुल बेशर्म हो गई है..”

“इधर आओ भानु...” मैंने थोड़ा सीरियस हो कर कहा। न जाने क्या असर हुआ उस पर, वो बिना किसी हील हुज्जत के हमारे पास चली आई।

“बैठो..” वो बैठ गई।

“मैं तेरे बूब्स छूकर देख लूँ क्या?”

उसने कुछ कहा तो नहीं, लेकिन हलके से सर हिला कर हामी भर दी।

“पक्का?” वो शर्म से मुस्कुरा दी। बल्कि शरमाना मुझे चाहिए था – नंगा तो आखिर मैं था उसके सामने!

नीलम: “हाँ... छू कर देखिए न!”

मैंने अपना दायाँ हाथ बढ़ा कर उसका बायाँ स्तन बहुत हलके से छुआ – ठीक से छुआ भी नहीं था, फिर भी भानु चिहुंक सी गई।

“भानु, डरो मत! मैं कुछ नहीं करूंगा.. नीलू भी तो यही हैं न..!” मैंने उसको स्वन्त्वाना दी।

लेकिन जिस बात को मैं भानु की शर्म सोच रहा था, दरअसल वो उसकी बदमाशी थी। उसका घबराया हुआ, भोला सा चेहरा देखते देखते बदल गया – उसके होंठों पर एक पतली सी मुस्कान आ गई, और उसने अचानक ही जीभ निकाल कर मुझे चिढाया,

“न न न जी-जा-जी..” उसने एक एक अक्षर रुक रुक कर बोला, “आज के लिए बस इतना ही.. अपनी इस साली को खुश कर के रखिएगा.. क्या पता, आगे और क्या क्या मिल जाए आपको!! ही ही ही!”

कह कर वो आगे बढ़ी और मुझको होंठों पर चूम लिया, फिर मेरे बाद उसके नीलम को भी होंठों पर चूम लिया।

“अब आप लोग थोड़ा नहा-धो लीजिए... मैं आपके लिए नाश्ता बनाती हूँ... ऊओह्ह्ह! देखिए न.. आपकी ये एकलौती साली पहले ही आपसे खुश हो गई है.. आपको नाश्ता मिल रहा है उससे! हा हा!”
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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मस्त अपडेट है । मर्द की तो यही फितरत होती है नंगी लड़की नीचे है । फिर भी साली पर चांस मार रहा है
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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मस्त अपडेट है । मर्द की तो यही फितरत होती है नंगी लड़की नीचे है । फिर भी साली पर चांस मार रहा है
साली!!!!! बीवी है भाई! क्या मोहतरम, क्या पढ़ते हैं आप?
 

mashish

BHARAT
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मेरी आँख खुली तो देखा की सुबह की पांच बज रहे हैं। नीलम मेरे बाएँ बाजू पर सर रखे, और मुझसे लिपटी हुई सो रही थी – ठीक वैसे ही जैसे सोने से जाने से पूर्व – मतलब पूर्णतः नग्न। मैंने प्रेम भरी मुस्कान से सोती हुई नीलम को देखा। ईश्वर के खेल निराले होते हैं। पहले तो मेरे और नीलम के सारे सहारे छीन लिए, और फिर ऐसी परिस्थितियाँ बना दीं की आज हम दोनों एक दूसरे के ही सहारे बन गए हैं! कहते हैं न की सुबह सुबह अगर मन से प्रार्थना करी जाय, तो वह ज़रूर सार्थक होती है – तो मेरी ईश्वर से बस यही प्रार्थना है की मैं नीलम को हमेशा खुश रख सकूँ! उसको कभी भी उसके परिवार की कोई कमी न महसूस होने दूं! उसकी हर छोटी बड़ी ज़रुरत को पूरा कर सकूं, और... उसके शरीर को हमेशा यौन रस से सिंचित रख सकूँ!

ये आखिरी वाली प्रार्थना पर मेरा लंड तुरंत तैयार हो गया। मैं मुस्कुराया – अगर प्रार्थनाएँ इसी तरह से तुरंत स्वीकार हो जाएँ, तो क्या बात है! मन के कहीं किसी कोने में एक बार यह आवाज़ भी निकली की काश संध्या भी आ जाय! लेकिन क्या कभी आशाओं पर ही निर्भर कोई कामना पूरी होती है भला? मैंने एक गहरी साँस छोड़ी – संध्या के साथ साथ ही हमारे अनगिनत मधु-मिलन की कई सारी छवियाँ मेरे आँखों के सामने एक चलचित्र के समान चलने लगीं! नीलम को भोगने के लिए मैं एक बार पुनः तैयार था।

मैंने अपने दाहिने हाथ को नीचे की तरफ बढ़ाया, और उसकी उँगलियों की सहायता से नीलम की योनि के दोनों पटों को थोड़ा फैलाया। मुझे तो लगता है की योनि का स्त्री के मस्तिष्क में एक कोई ख़ास संयोजन होता है। इतनी बार मैंने देखा है की जैसे ही किसी स्त्री की योनि को छुओ, वो चिहुंक उठती है। नीलम भी चिहुंक गई – सोते सोते ही!

“उम्म्म्म!” उसने सोते हुए ही जैसे शिकायत करी हो!

मैं मुस्कुराया और बहुत सम्हाल कर उसके सर के नीचे से अपना हाथ निकाला, और उसके सर के नीचे तकिया रख दिया। मैं जल्दी से नीचे की तरफ लपका। नीलम अभी भी अल्हड़ता से सोती थी। मतलब – उसके पैर हमेशा इतने खुले हुए रहते थे जिससे उसकी योनि तक आसानी से पहुंचा जा सके। मतलब मुझे कुछ ख़ास करने की ज़रुरत नहीं थी – मैंने बस अपने होंठ उसके योनि के होंठों पर लगा दिए और जीभ को धीरे से अन्दर प्रवेश करने लगा।

“अह्ह्ह्ह... जानू!” नीलम सोते सोते ही बोली!

‘कमाल है! नींद में भी मालूम है की कौन है!’

मैंने मुस्कुराते हुए सोचा। खैर, काफी देर तक तबियत भर कर मैंने उसकी योनि को तब तक छेड़ा, जब तक उसमें से मीठा मीठा रस नहीं निकल आया। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान नीलम विभिन्न प्रकार की मादक आवाजें निकालती रही। जब मैंने उसकी चूत छोड़ी, तो वो मुस्कुराते हुए मुझसे बोली,

“सुबह सुबह उठते ही आपको इसकी याद आ गई?”

“और नहीं तो क्या? नई नवेली और जवान बीवी की चूत की याद नहीं आएगी तो और किस चीज़ की याद आएगी?”

“छी! आप कैसे बोलते हैं!”

“पहले बता, और किसकी याद आएगी?”

“अरे! भगवान की.. और किसकी?” वो मुस्कुराई।

“तुमको याद आती है?”

उसने हामी में सर हिलाया।

“किस भगवान् की?”

“अरे...! सबकी!”

“अरे... सबकी का क्या मतलब? मेरा मतलब.. कोई ख़ास भगवान?”

“भगवान शंकर..”

“हम्म... मतलब तुमको शिव-लिंग की याद आ रही है! अब उतना मोटा तो नहीं, लेकिन, इस समय मेरे ही लिंग की पूजा कर लो...” मैंने उसको छेड़ा!

मुझे लगा की वो शरमा जायेगी, या कुछ विरोध करेगी.. लेकिन मेरी इस बात पर नीलम एकदम से गंभीर हो गई।

“मैं आपसे एक बात कहूँ?”

‘ओह्हो! जब लड़कियाँ सीरियस होती है तो कुछ न कुछ गड़बड़ होता है..’ मैंने सोचा।

“हाँ!”

“आप प्रॉमिस करिए की मैं जो कुछ कहूँगी, और करूंगी, आप करने देंगे?”

“ऐसे बिना सुने, जाने कैसे प्रॉमिस कर दूं?”

“आपको अपनी बीवी पर भरोसा नहीं?”

“अरे! ऐसी बात नहीं है..”

“तो फिर प्रॉमिस करिए!”

“अच्छा बाबा! प्रॉमिस! मैं तुमको नहीं रोकूंगा!”

मेरे ऐसा बोलते ही नीलम एकदम से खुश हो गई। उसने मुझे बिस्तर पर एक तरफ बैठने को कहा। बाद में मैंने ध्यान दिया की उसने मुझे पूर्व की दिशा के सम्मुख बैठाया था। उसने कमरे की खिड़की और परदे भी खोल दिए। उस समय कोई साढ़े पांच हो रहे होंगे। बाहर अभी भी अँधेरा था – इसलिए नीलम ने कमरे की लाइट भी जला दी।

“बैठे रहिएगा... बस दो मिनट..” कह कर वो ऐसे नंगी ही, दबे पांव कमरे से बाहर निकल गई। घर में और लोग भी थे... लेकिन, अभी तो सभी सो रहे होंगे! मैं सोच रहा था की क्या करने वाली है! खैर, मेरे सोचते सोचते, जैसा की उसने कहा था, सिर्फ दो मिनट में वापस आ गई। उसके हाथ में एक छोटी थाली थी – उसमे आरती का सामान था – दिया, चन्दन, फूल इत्यादि! मैं भौंचक्क था!

उसने आरती का दिया जलाया, फिर मेरे माथे पर चन्दन का एक लम्बा तिलक लगाया और फिर दिया जला कर मेरी आरती उतारी।

“आप ही मेरे भगवान् हैं.. मेरे सब कुछ!” कह कर वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई और झुक कर मेरे पैरों पर अपना सर टिका दिया! मुझे तो जैसे काटो खून नहीं! ये क्या कर रही है! मैं इस लायक नहीं हूँ! लेकिन मैं कुछ भी कहने और करने की अवस्था में नहीं था। नीलम एक अलग ही दुनिया में थी – ऐसा लग रहा था!

“आप ही मेरे शिव हैं.. और ये मेरा शिव-लिंग!” कह कर उसने मेरे खड़े हुए लिंग पर भी टीका लगें और उसकी भी आरती उतारी, और उसको भी शीश नवाया। फिर उसने मेरे लिंग के सिरे को एक हल्का सा चुम्बन दिया। नीलम इतनी प्रसन्न लग रही थी, जैसे किसी बच्चे की मन मांगी मुराद पूरी हो जाती है!

“अब मैं आपसे एक विनती करूँगी – याद रहे, आपने प्रॉमिस किया था की आप मेरी बात मानेंगे! है न?”

मेरी तो जैसे तन्द्रा भंग हुई.. “बोलो!”

नीलम की मेरे लिए इतनी श्रद्धा देख कर मुझे डर सा लग गया।

“आपको मालूम है न, की सिर्फ शिव-लिंग की पूजा नहीं होती? जब तक वो एक योनि के साथ लिप्त न हो?”

मैंने हामी भरी।

“तो अगर आप शिव हैं, तो मैं हूँ पार्वती – और मेरी योनि सिर्फ आपके लिए है – आपके लिंग के लिए। आपको जब भी मन करे, ... आप जब भी चाहें, ... जब भी आप तैयार हैं, मैं तैयार हूँ!”

“नीलू... इधर आओ! मेरे पास... प्लीज!”

मैंने नीलम को अपने पास बुला कर अपनी जांघ पर बैठाया, और प्यार से उसके गाल को सहलाते हुए कहा,

“नीलू... तुमने बहुत बड़ी बात कर दी आज! बहुत सम्मान और बहुत प्यार दिया है! इसलिए मैं भी एक बात कहना चाहता हूँ... पत्नी सम्भोग का यन्त्र नहीं होती। कम से कम मेरे लिए तो बिलकुल नहीं! ऐसा नहीं है की मुझे सेक्स करना अच्छा नहीं लगता – बल्कि मुझे तो बहुत अच्छा लगता है.. लेकिन, ऐसा नहीं है की तुम्हारा उपयोग बस इसी एक काम के लिए है! मुझे भी तुमसे प्रेम है! और मैं भी तुम्हारा बहुत सम्मान करता हूँ.. हम दोनों खूब सेक्स करेंगे! खूब! लेकिन, तभी जब हम दोनों ही मन से तैयार हों!”

नीलम मेरी बात सुन कर मुस्कुरा दी।

“और एक बात.. अगर तुम मुझे अपना भगवान मानती हो, तो मैं भी तुमको अपना भगवान मानता हूँ!” कह कर मैंने उसके माथे को चूम लिया, और नीचे झुक कर उसके पैरों को छू कर अपने माथे पर लगा लिया। नीलम मेरी इस हरकत पर सिसक उठी,

“आह.. आप मुझे पाप लगवाओगे!”

“कोई पाप वाप नहीं लगेगा!”

नीलम कुछ देर तक चुप हो कर मुझे देखती रही। मुझे लगा कि वो कुछ कहना चाहती है।

“क्या हुआ? कुछ कहना चाहती हो?”

उसने हामी में सर हिलाते हुए कहा, “हाँ.. मैं ‘इसको’ एक बार ठीक से देख लूं?” उसने मेरे लिंग की तरफ इशारा किया।

मैं मुस्कुराया, “तुम्हारा ही तो है.. अच्छे से देखो.. एक बार ही नहीं, बार बार..”

वो मुस्कुराती हुई, लगभग उछल कर मेरी गोद से नीचे उतरी, और उत्साह के साथ मेरे लिंग को अपने हाथ में लेकर उसका निकटता से निरीक्षण करने लगी। इस तरह से छूने-टटोलने से वो कुछ ही देर में पुनः स्तंभित हो गया।

“बाप रे! कितना बड़ा है आपका!”

“आपने किसी और का भी देखा है?”

“नहीं.. किसका देखूँगी भला?”

“देखना है?”

“न बाबा.. जिसके हाथ में ऐसा वाला हो, उसको किसी और ‘के’ की क्या ज़रुरत?”

“हा हा! आपको पसंद है?”

“हाँ! बहुत! लेकिन सचमुच.. बहुत बड़ा है!”

“बड़ा है, तो बेहतर है..”

“हाँ हाँ.. कहना आसान है.. अन्दर लेना पड़े, तो समझ आये!”

“एक बार तो हो गया.. आगे अब आसान रहेगा!”

“भगवान करे कि ऐसा ही हो!” फिर कुछ रुक कर, “मुझे तो लगता है.. जब आपने ‘ये’ पूरा अन्दर डाल दिया था, तो मेरा वज़न कम से कम एक किलो तो बढ़ ही गया होगा!”

“चल... ये गधे का थोड़े ही है..”

“ही ही! आप भी न..” कह कर वो पुनः निरीक्षण में लग गई।

“आपके यहाँ (उसने शिश्नाग्र के नीचे इशारा किया) और यहाँ (मेरे दाहिने वृषण की तरफ इशारा किया) पर तिल है...”

“हम्म म्म्म! तो? उससे क्या?”

“कहते हैं यदि पुरुष के गुप्तांग पर तिल हो तो वह पुरूष अत्यधिक कामुक होता है.. और एक से अधिक स्त्रियों के संसर्ग का सुख पाता है।“

“अच्छा जी! ऐसा है क्या? ह्म्म्म.. और इसका क्या मतलब है?” कहते हुए मैंने नीलम के दाहिने स्तन के बाहरी तरफ के दो तीन तिलों की तरफ इशारा किया।

वो शरमाती हुई बोली, “इसका यह मतलब है की जिसके सीने के दाहिनी तरफ तिल होता है, उसको सुन्दर जीवनसाथी मिलता है...”

“ओह्हो... फिर तो गड़बड़ हो गई! तुमको तो मैं मिल गया!!” मैंने नीलम को छेड़ा।

“अरे क्या गड़बड़? आप तो कितने सुन्दर..” कहते कहते नीलम रुक गई और उसका चेहरा शरम से लाल हो गया।

“अच्छा जी! ऐसा है?”


“जी हाँ.. मैंने तो जब पहली ही बार आपको देखा था, तभी आप मुझे बहुत पसंद आ गए थे!”

“अच्छा! ऐसी बात है? तो फिर आपने कुछ कहा क्यों नहीं?”

“क्या कहती? मैं तो छोटी थी, और आपको दीदी पसंद थी! तो मैंने सोचा की आपके जैसा ही कोई चाहिए मुझको! लेकिन फिर दीदी के जाने के बाद...”

संध्या की बात सुन कर दिल भर आया। पहले संध्या, और अब उसकी बहन – यह बात सोच कर ह्रदय में ग्लानि सी हो गई... फिर लगा, कि हमने तो बाकायदा शादी करी है.. तो उसमे क्यों ग्लानि हो? नीलम जैसे मेरे चेहरे पर से ही मेरे मन में उठने वाले भाव पढ़ रही हो!

“आपसे एक बात कहूँ?”

मैंने हामी में सर हिलाया।

“आपकी कोई भी इच्छा हो – जो पूरी नहीं हुई हो, दीदी या फरहत किसी ने भी.... या जो भी आप करना चाहते हैं.. मुझसे कहिएगा। मैं कभी आपको मना नहीं करूँगी। आप जो भी कहेंगे, मैं करूँगी।“

“प्यारी नीलू.. हम किसी कम्पटीशन में हैं क्या?”

“नहीं नहीं.. मेरा वो मतलब नहीं है... मैं तो बस..”

“मुझे मालूम है की तुम क्या कहना चाह रही हो! और मुझे ख़ुशी है की तुम मुझसे यह सब कह रही हो! मुझे भी तुमसे प्रेम है... और मैं तुम्हारी बहुत इज्ज़त करता हूँ। इसलिए ही नहीं की तुम मेरी पत्नी हो.. बल्कि इसलिए भी की तुम एक बहुत अच्छी इंसान हो, और मैं तुम्हारी सेवा कर उम्र भर कर्ज़दार रहूँगा।“

मेरी बात सुन कर नीलम की आँखें भर आईं।
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एक औसत भारतीय गृहस्थ।
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1,820
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प्रिय avsji मजा आ गया यार। सुबह , क्या घर में सिर्फ रूद्र, भानु और नीलम ही थे ? क्योंकि रात में कमरे में जाने से पहले, रूद्र को भानु, अनन्या तथा ऋतू ने रोका था। अब केवल भानु ही है। अनन्या तथा ऋतू कहाँ गायब हो गईं ?

आशु
 
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