कुछ देर के बाद हम दोनों ही संयत हो गए। मैं कुछ देर उसके ऊपर यूँ ही लेटा रहा। जब उठा तो मैंने कहा, “नीलू, मुझे बहुत मज़ा आया! तुमको?”
“मुझे भी!” उसने कहा, और मुझे होंठो पर चूमा। “आप थक गए होंगे! सो जायेंगे?
“नहीं! इतनी मस्त चुदाई करने के बाद कोई सोता है क्या?”
“हा हा! तो क्या करता है?”
“रुको.. बताता हूँ!”
कह कर मैंने अलमारी से जो संध्या के लिए खास मेड-टू-आर्डर करधनी बनवाई थी, वो बाहर निकाली। यह एक 18 कैरट सोने की करधनी थी। इसमें लाल-भूरे, नीले और हरे रंग के मध्यम मूल्यवान जड़ाऊ पत्थर लगे हुए थे। नीलम उत्सुकतावश मुझे देख रही थी की मैं क्या कर रहा हूँ। मैं वापस आकर बिस्तर पर बैठ गया और नीलम को बिस्तर से नीचे उतरने को कहा। जब वो ज़मीन पर खड़ी हुई, तो मैंने उसकी कमर में यह करधनी बाँध दी। प्रथम सम्भोग के समय उसका हीरों का मयूर जड़ाऊ हार उतार दिया था – उसको भी वापस पहनाया। और थोड़ा सा पीछे हट कर उसके सौन्दर्य का अवलोकन करने लगा।
नीलम पूरी तरह नग्न थी – और उसके शरीर पर यह हार, मंगलसूत्र, वो करधन, कलाइयों में चूड़ियाँ और कंगन, माथे में सिन्दूर, कानो में कर्णफूल, पैरों में पायल, और बिछिया! मतलब सिर्फ आभूषण बचे थे! उसकी बिंदी हमारे सम्भोग क्रिया के समय न जाने कब खो गई, और सिन्दूर और काजल अपने अपने स्थान पर फ़ैल गए थे, और लिपस्टिक का रंग मिट गया था। किन्तु फिर भी, नीलम, अपनी ही बहन की भान्ति बिलकुल रति का ही अवतार लग रही थी।
“आपकी एक तस्वीर निकाल लूं?”
नीलम शर्म से मुस्कुराई, और हामी में सर हिलाया।
मैंने झटपट अपना कैमरा निकला, और दनादन कई सारी तस्वीरें उतार लीं। उसके बाद मैंने नीलम की कमर को आलिंगन में लेकर उसकी नाभि, और फिर उसकी कमर को करधनी के ऊपर से चूमा। फिर खड़े हो कर उसके दोनों चूचकों को चूमा, और अंत में उसके होंठों पर एक चुम्बन दिया।
“जानू.. आज दिन में बस यही पहन कर रहना!”
नीलम उत्तर में सिर्फ मुस्कुरा दी!!
मेरी हर कही हुई बात नीलम के लिए जैसे वेद-वाक्य, या फिर कोई दैवीय आदेश था। हमारे वैवाहिक जीवन के पहले दिन सचमुच नीलम ने अपने शरीर पर कुछ भी नहीं पहना – उसके शरीर पर बस वही कुछ आभूषण - करधनी, कंठहार, मंगलसूत्र, चूड़ियाँ और कंगन, पायल और अंगूठी ही रही। ऐसा करने के लिए उसकी दलील यह थी कि मैंने पहली बार – मेरे जीवन में भी, और हम दोनों के वैवाहिक जीवन में भी – उससे कुछ माँगा था। इसलिए वो किसी भी कीमत पर मुझे उस बात के लिए मना नहीं कर सकती थी – चाहे मैं ही उसको वैसा करने से मना करूँ! खैर, मुझे क्या आपत्ति हो सकती थी भला? इतनी सुन्दर सी लड़की अगर नग्न हो कर घर में इधर उधर घूमे तो आनंद ही आएगा! खैर, मैंने कमरे से बाहर निकलने से पहले एक निक्कर और टी-शर्ट पहन लिया था। उसकी सहेली भानू जब सुबह उठी, तो उसका यह रूप देख कर दंग रह गई।
“हाआआआआ! क्या जीजू! मेरी इतनी शर्मीली सी सहेली.. आपके साथ बस एक रात क्या रह ली, उसकी तो ऐसी हालत हो गई! क्या किया आखिर आपने?”
मैंने आँख मारते हुए उसको उसी के अंदाज़ में छेड़ा, “आजा तू भी.. देखते हैं, मेरे संग का क्या असर होता है तुझ पर!”
“न बाबा! मैं तो सोच रही हूँ की जब पति मिलेगा तो उससे नए नए कपड़ों की फरमाइश करूंगी.. अगर आपके साथ हो ली, तो ऐसे नंगी रहना पड़ेगा!”
“ओये होए! सहेली के पति को अपना पति बनाना चाहती है?” मैंने फिर छेड़ा।
“अरे मेरा ही क्या? आपके जैसे शानदार मर्द को देख कर किसी भी लड़की का जी होने लगेगा!”
“अरे तो रुक कर कुछ देर देख ही ले की हमने ऐसा क्या किया जिससे तेरी सहेली की ऐसी हालत हो गई..”
“न बाबा... ये ऑप्शन भी गड़बड़ है! आप दोनों को चुदाई करते देख कर अगर मेरा भी मन डोल गया तो?” भानु फिर से बेशर्मी पर उतर गई।
“तो क्या? तू भी बहती गंगा में हाथ धो लेना.. लगे हाथ तेरी चूत की भी कुटाई हो जाएगी!”
“ओये होए! नई नई बीवी, वो भी नंगी नंगी, आपके पहलू में बैठी हुई है, और आपकी गन्दी नज़र उसकी सहेली पर है!”
“ठहर तो.. बताता हूँ तुझे!” इस लड़की से कोई नहीं जीत सकता।
“नहीं! मुझे कुछ मत बताओ...” वो भागी, “आप दोनों चुदो-चुदाओ.. इसमें मेरा क्या काम? मैं क्यों कबाब में हड्डी बनूँ?” यह कहते हुए वो खिलखिलाती हुई कमरे से भाग खड़ी हुई। इस पूरे वार्तालाप के दौरान नीलम पहले तो सिर्फ मुस्कुराती रही, लेकिन बाद में हँसते हँसते दोहरी हो गई।
“हंसी आ रही है?”
वो और हंसी.. दरअसल अब तक वो खिलखिला रही थी।
“जानू.. जाने दीजिए.. वो ऐसी ही है..”
“हंसी निकालूँ और?” मैंने अपनी आवाज़ में नकली क्रूरता मिलाते हुआ कहा। नीलम कुछ सहम गई।
“हम्म? हंसी निकालूँ तेरी?” मैंने नाटक जारी रखा।
नीलम के चेहरे से मुस्कान अब तक ख़तम हो चुकी थी – शायद मेरे ऐसे अचानक बदले हुए रूप को देख कर डर गई थी वो! मैंने उसके करीब जा कर उसकी जाँघों के बीच में अपनी उंगली फिराई। उसकी योनि की फाँकों की गुलाब जैसी कोमल पंखुडियां खुली, और मेरी उंगली के गिर्द चिपक गईं।
“ये होंठ हँसेंगे तेरे... ऊपर वालों में तो सिर्फ कराहें और आहें निकलेंगी!” दूसरे हाथ से मैं अपनी निक्कर उतार रहा था।
मेरी इस बात पर नीलम के होंठों पर एक लज्जालु मुस्कान तैर गई। वो बोली,
“ये भी कैसे मुस्कुराएंगे? आपका अंग लेने में तो ये पूरी तरह से खुल जाते हैं!”
“अच्छा जी?”
“हाँ जी! .. ऊओह्ह्ह्ह! (मैंने उसकी योनि के ऊपर भगशेफ़ को छेड़ा) ये बेचारे तो बस लार टपकाते रह जाते हैं!” वो अदा से मुस्कुराई।
अब तक मेरी निक्कर उतर चुकी थी। यानि अब हम दोनो ही नंगे हो चुके थे। मैंने अपनी पत्नी को जी भर कर देखा – वो भी कभी मुझे, तो कभी मेरे लिंग को देख रही थी। वो सोचे बिना न रह सकी कि दीदी को कैसा लगता रहा होगा जब वो इस लिंग को अपने अंदर लेती थीं! इस बार शुरुआत नीलम ने करी। उसने मेरे लिंग को अपनी हथेलियों में लेकर सहलाने का उपक्रम शुरू किया। उसकी नरम गरम हथेलियों का स्पर्श पा कर मेरा लिंग भी तुरंत ही पूर्ण स्तम्भन की स्थिति में आ गया। मैंने भी उसके स्तनों को सहलाना और मसलना शुरू कर दिया।
जल्दी ही हम दोनों ही एक दूसरे को अपनी बाहों में भर कर लेट गये। मैंने एक हाथ से नीलम के एक चूचक को मसलते हुए कहा,
“ओह नीलू! तुम नहीं जानती कि मैं कितना खुश हूँ! तुमको पाकर मुझे अपने मन की खोई हुई खुशी मिल गई है! और.. जीने का सहारा भी!”
“ऊह्ह्ह! अरे! आप ऐसा न कहिए! सहारा तो आप हैं मेरे! आपकी वजह से मुझे वो सुख मिला है जिसके बिना मैं खुद को अधूरा महसूस कर रही थी।“
नीलम ने मेरे लिंग को सहलाते हुए कहा। मैंने महसूस किया कि नीलम की योनि गीली हो गई थी। पर अभी उसमे लिंग डालने का सही समय नहीं आया था। यह बात उसको भी समझ आ रही थी। वो अपनी जगह से उठ खड़ी हुई, और अपने शरीर को कमानी की तरह कुछ पीछे करते हुए इस तरह हुई, जिससे उसका योनि क्षेत्र मेरे सामने कुछ बाहर आ जाय, और कुछ अधिक प्रदर्शित होने लगे।
“एक बार इन होंठो को भी चूम लीजिए..”
ऐसे सुन्दर, मादक, गोरे, चिकने शरीर, और उससे भी अधिक चिकनी और रसीली योनि को अपने मुँह के करीब होता देख कर मैं और भी अधिक उत्तेजित होने लगा। मैंने आगे बढ़ कर उसके दोनों नितम्बों को पकड़ लिया, और अपनी तरफ धीरे से खींचा – ऐसा करने से नीलम का योनि मुख मेरे होंठों से मात्र कुछ इंचों की ही दूरी पर रह गए!
मैंने कहा, “नीलू, थोड़ा जगह बनाओ..”
नीलम ने अपनी टाँगे कुछ खोल दीं, और मुझे उसकी योनि का आस्वादन करने के लिए जगह मिल गई। नीलम ने अपना योनि क्षेत्र कुछ इस तरह से व्यवस्थित किया जिससे अब मैं आराम से अपनी जीभ से उसकी योनि का भोग कर सकता था – मैंने वही किया। मैं उसकी योनि को अपनी जीभ से सहलाने लगा। इस प्रकार की छेड़खानी का असर नीलम पर काफी सकारात्मक हुआ – वो भी कामुकता में मत्त सी हो गई। मैंने सोचा की नीलम को अपने इस कार्य का कुछ पारितोषिक तो मिलना ही चाहिए – इसलिए मैंने भी आराम से रह रह कर उसके भगशिश्न को चाटना शुरू कर दिया। मैं क्रमशः उसकी योनि की पूरी लम्बाई को चाटता, और रह रह कर उसके भगशिश्न को अपने होंठों से दबा कर उसको पागल बना देता। लगभग तीन मिनट के बाद ही नीलम उन्माद में पीछे की तरफ कुछ झुकी और अपनी योनि का रस मेरे मुँह पर ही छोड़ने लगी। मेरे चाटने की गति बढ़ने लगी और उसी के साथ साथ नीलम भी उन्माद के अंतराल तक पहुँच गई। उस समय मैं अपनी दो उंगलियाँ उसकी योनि में डाल कर अंदर बाहर करने लगा। नीलम इस नए प्रहार को बिलकुल भी सहन नहीं कर सकी।एक जोरदार सिसकारी के साथ वो अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँच गई। उस उन्माद में उसका पैर कांप गया, और इससे पहले की मैं उसको सम्हाल सकता, वो भहरा कर फर्श पर गिर गई। मैं घबराया की कहीं उसको चोट न लग गई हो – लेकिन नीलम लंबी लंबी साँसे भरते हुए फर्श पर लेट गई।
यह सुनिश्चित करने के बाद, की वह पूरी तरह से ठीक है, मैं वापस मूड में आ गया। मैं पुनः उसके स्तनों को मसलने में लग गया। मेरा लिंग भी अब अपने गंतव्य में जाने को आतुर हो रहा था। मैंने नीलम का हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया – मैं एक तरह से उसको बताना चाहता था कि मैं अब तैयार हूँ! नीलम भी समझ गई कि अब वक्त आ चुका है। उसने मुझको उसके ऊपर आने को कहा, और मेरा लिंग अपने हाथों से पकड़ कर अपनी योनि से सटा दिया। मैंने धीरे धीरे लिंग को उसकी योनि में डालना आरम्भ कर दिया।
लडकियाँ अक्सर ही सम्भोग के बाद एक प्रकार का दर्द अनुभव करती हैं। अगर वो दर्द सम्भोग करते समय आघात के कारण उठता है, तो मर्द को चाहिए कि वो सावधानीपूर्वक, और प्रेम से करे। जल्दबाज़ी न दिखाए। लेकिन यदि यह बात नहीं है, तो एक और कारण है – और वो यह की सम्भोग, और उसके बाद चरमोत्कर्ष की प्राप्ति के बाद लड़कियों की योनि अति संवेदनशील हो जाती है। अब इस संवेदनशीलता की अवधि कुछ भी हो सकती है – कुछ सेकंडों से लेकर कई मिनटों तक भी! इस अवधि में लडकियाँ यह नहीं चाहती की उनकी योनि को और अधिक छेड़ा जाय। यह संवेदनशीलता इस बात पर भी निर्भर करती है की उनके भगनासे को भी छेड़ा गया है या नहीं। खैर, सुहागरात के सम्भोग, और अभी अभी प्राप्त यौन चरमोत्कर्ष के बाद नीलम की भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी – उसकी योनि के दोनों होंठ सूजे हुए से लग रहे थे।
किन्तु इस पर भी उसने मेरे लिंग का पूरी तरह स्वागत किया। उसका छोटा सा योनि मुख जैसे अपनी सीमा तक खिंच गया था। मेरे लिंग पर वो एक रबड़ के छल्ले के समान कस गया था, और मेरा लिंग इस समय पूरी तरह से उसके अन्दर समाहित हो गया था। मैंने जैसे यह देखा, मैंने उसको लगभग पूरा बाहर निकाला, और वापस अंदर धकेल दिया। पाठक समझ सकते है की ऐसा करने में गति तो कम हो जाती है, लेकिन घर्षण अभूतपूर्व होता है। मैं ऐसा बार बार दोहराने लगा। इस प्रकरण के दौरान, मैंने नीलम के कंधे पकड़ रखे थे। इसलिए अब इस उन्मादक प्रहार को झेलने के अतिरिक्त नीलम के पास अब कोई चारा नहीं बचा था।
नीलम भी सम्भोग के मामले में संध्या के समान ही थी – वो भी तुरंत ही बहकने लगती थी, और लगभग तुरंत ही तैयार हो जाती थी। मेरे कठोर और गरम लिंग के घर्षण का अनुभव नीलम को उन्मत्त करने लग गया था। वो शीघ्र ही अपने अंदर चरमोत्कर्ष की लहर उठती सी महसूस करने लगी। मैं भी जैसे किसी मतवाले पशु के समान, आँखें बंद किये, पूरे मनोयोग से उसके अन्दर बाहर हो रहा था। जब आँख खुली, तो सामने नीलम के प्यारे से स्तन नज़र आ गए। मैं रह न सका – मैंने जैसे ही उसके एक चूचक स्तन को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, नीलम पुनः चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। उसके शरीर की थरथराहट मैंने महसूस की और नीलम को भोगने के लिए अपनी गति और बढ़ा दी।
ड्राइंग रूम में हमारी रतिक्रिया की मादक ध्वनियाँ गूँज रही थीं। अरे, हमको तो यह भी नहीं मालूम पड़ा की कब भानु वह आ खड़ी हुई, और मज़े लेकर हमारे इस अन्तरंग समय की विडियो रिकॉर्डिंग कर रही थी। मैं अब पूरे वेग से धक्के मार रहा था – मेरा भी अंत आ गया था – मेरा पहला स्खलन बहुत ही तीव्र था। पहली पिचकारी में ही मेरा कम से कम अस्सी प्रतिशत वीर्य नीलम की कोख में समां गया। बाकी का बचा हुआ अगले चार पांच पिचकारियों में निकल गया। इस सम्भोग में ऐसा अभूतपूर्व भावावेश था, की हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह से लिपट गए। हमारी साँसे धौंकनी की तरह चल रही थीं, और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे की एक मैराथन दौड़ कर आया हूँ। हम एक दूसरे को अपनी बाहों में भरकर लेटे रहे। वृषणों में अब कुछ भी नहीं बचा हुआ था, लेकिन फिर भी लिंग रह रह कर व्यर्थ ही पिचकारियाँ छोड़ने का प्रयास कर रहा था। नीलम की योनि में भी स्पंदन हो रहे थे – मानों मेरे लिंग के उठने वाले स्पंदनों से ताल मिला रही थी। खैर, कुछ देर तक ऐसे ही शांत लेटे रहने के बाद हमने एक दूसरे को होंठों में चुम्बन दिया और पुनः आलिंगनबद्ध हो गए।
“क्या बात है जीजू और नीलू!” हमारी तन्द्रा तब टूटी जब हमने हलकी हलकी तालियों की आवाज़ सुनी। “ये तो गुड मोर्निंग हो गया है जी!”
मैंने और नीलम – हम दोनों ने ही आवाज़ की दिशा में देखा। भानु मुस्कुराती हुई अपने मोबाइल फ़ोन लिए हमारा विडियो बना रही थी।
“ठहर जा तू..” मैंने धमकी दी और उठने का उपक्रम किया, लेकिन नीलम ने मुझे गलबैयां डाल कर रोक लिया।
“जाने दीजिए न.. ले दे कर वही तो एक आपकी साली है..”
“हाँ जीजू.. आपकी आधी घरवाली!” कह कर उसने मुझे जीभ दिखा कर चिढाया।
“डेढ़ घरवालियाँ हैं आपकी... डेढ़!! वैसे आप चिंता न करिए – ये विडियो मैं इन्टरनेट पर नहीं डालूँगी। बल्कि आप दोनों को मेरी तरफ से गिफ्ट दूँगी। .. और अपने पास भी रखूंगी। जब भी मेरे सेक्सी से जीजू की याद आएगी, इसको देख कर खुश हो लिया करूंगी..।“ उसने निहायत ही नाटकीय अंदाज में यह बात कही। मुझे भी हंसी आये बिना न रही।
“अच्छा, तो तू मेरी आधी घरवाली है.. कम से कम घरवाली का आधा प्यार तो दे!” मैंने उसको छेड़ा। मुझे लगा की इस एक वाक्य से मैंने पहली बार भानु को कुछ समय के लिए निरुत्तर कर दिया। वो कुछ देर अचकचा गई, लेकिन फिर सम्हाल कर बोली, “क्या जीजू.. इतनी सुन्दर सी बीवी है, और नंगी पड़ी है.. और आप मुझ पर डोरे डाल रहे हैं?”
“क्या करूँ साली साहिबा! इतनी सेक्सी साली का कोई तो फायदा होना चाहिए न!”
“क्या सच में? आपको मैं सेक्सी लगती हूँ?”
“हाँ! सुन्दर, और सेक्सी!” फिर नीलम की तरफ देख कर, “क्यों जानू?”
“हाँ .. बिलकुल! तू तो बहुत सुन्दर है!” नीलम फिर मेरी तरफ मुखातिब हो कर बोली,
“आपको अगर चांस मिले, तो इसके बूब्स देखिएगा! बहुत सेक्सी हैं!”
“क्या कह रही है तू कमीनी?”
“तू कमीनी है.. यहाँ हम दोनों नंगे पड़े हैं, और तू पूरे कपड़ों में खड़ी है..”
सहेलियों की मीठी तकरार...
“आप ही कुछ कहिए न...”
“हाँ भानु.. वो बात तो है..”
“हाँ.. आप तो कहेंगे ही न.. मेरे कपडे उतर गए तो दो दो नंगी लडकियाँ मिल जाएँगी आपको.. यानी पाँचो उंगलियाँ घी में..”
“नहीं रे.. पाँचों नहीं,” मैंने भानु के वाक्य को सुधारा, “दसों उंगलियाँ.. और घी में नहीं.. या तो मीठे मीठे बन (छोटे, मीठे पाव – मेरा इशारा स्तनों की तरफ था) में.. या फिर शहद में!”
हमारी छेड़खानी सुन कर भानु की जो भी मोरचाबंदी थी, वो जल्दी ही ढह गई।
“क्या सचमुच इसके बूब्स बहुत सेक्सी हैं?” मैंने नीलम से पुछा।
नीलम के कुछ कहने से पहले ही भानु बोली, “कोई सेक्सी वेक्सी नहीं हैं.. जैसा सभी का होता है, वैसा ही है!”
मैंने कहा, “तुम्हारा भी ऐसा ही है क्या?” मैंने नीलम के स्तनों की तरफ इशारा किया।
“आपकी बीवी के बहुत सुन्दर हैं..”
“नहीं.. सच में.. इसके बहुत सुन्दर हैं.. आप खुद ही देख लो..” दोनों लडकियाँ एकदम बच्चों वाली बातें कर रही थीं।
“सच में जीजू.. ये बिलकुल बेशर्म हो गई है..”
“इधर आओ भानु...” मैंने थोड़ा सीरियस हो कर कहा। न जाने क्या असर हुआ उस पर, वो बिना किसी हील हुज्जत के हमारे पास चली आई।
“बैठो..” वो बैठ गई।
“मैं तेरे बूब्स छूकर देख लूँ क्या?”
उसने कुछ कहा तो नहीं, लेकिन हलके से सर हिला कर हामी भर दी।
“पक्का?” वो शर्म से मुस्कुरा दी। बल्कि शरमाना मुझे चाहिए था – नंगा तो आखिर मैं था उसके सामने!
नीलम: “हाँ... छू कर देखिए न!”
मैंने अपना दायाँ हाथ बढ़ा कर उसका बायाँ स्तन बहुत हलके से छुआ – ठीक से छुआ भी नहीं था, फिर भी भानु चिहुंक सी गई।
“भानु, डरो मत! मैं कुछ नहीं करूंगा.. नीलू भी तो यही हैं न..!” मैंने उसको स्वन्त्वाना दी।
लेकिन जिस बात को मैं भानु की शर्म सोच रहा था, दरअसल वो उसकी बदमाशी थी। उसका घबराया हुआ, भोला सा चेहरा देखते देखते बदल गया – उसके होंठों पर एक पतली सी मुस्कान आ गई, और उसने अचानक ही जीभ निकाल कर मुझे चिढाया,
“न न न जी-जा-जी..” उसने एक एक अक्षर रुक रुक कर बोला, “आज के लिए बस इतना ही.. अपनी इस साली को खुश कर के रखिएगा.. क्या पता, आगे और क्या क्या मिल जाए आपको!! ही ही ही!”
कह कर वो आगे बढ़ी और मुझको होंठों पर चूम लिया, फिर मेरे बाद उसके नीलम को भी होंठों पर चूम लिया।
“अब आप लोग थोड़ा नहा-धो लीजिए... मैं आपके लिए नाश्ता बनाती हूँ... ऊओह्ह्ह! देखिए न.. आपकी ये एकलौती साली पहले ही आपसे खुश हो गई है.. आपको नाश्ता मिल रहा है उससे! हा हा!”