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कुंदन आज अंजू को घर ले आया। नर्स सुषमा के कहने पर वह अंजू के लिए कपडे वगैरह खरीद कर ले आया था। अब अगर अंजू उसकी बीवी होती तो कम से कम उसके कपडे इत्यादि तो रहते.. और उसको कुछ आईडिया भी होता की उसकी बीवी की नाप क्या है.. लेकिन आश्चर्य की बात थी की नर्स सुषमा को उसका यह अनाड़ीपन खटका नहीं.. उसने अपने मन में यह कह कर समझा लिया की संभव है की वो अपनी बीवी को नए कपडे पहनाना चाहता हो! यह भी हो सकता है की वो हद से अधिक शर्मीला हो। सुषमा ने ही अंदाजे से उसको अंजू के अधोवस्त्रों की नाप बता दी, और उसको छेड़ा भी की कम से कम अपनी पत्नी का ठीक से जायजा तो लिया कर!
अंजू के लिए ब्रा और चड्ढी खरीदते समय कुंदन बहुत ही उत्तेजित हो गया था। अपनी समझ से उसने बेहद सेक्सी लगने वाली गुलाबी सी ब्रा और उसकी मैचिंग चड्ढी खरीदी थी। और गुलाबी ही रंग के शेड का शलवार सूट भी। एक मैक्सी भी खरीद ली, यह सोच कर की वो घर में क्या पहनेगी! अंजू को देख कर उसको लगा था की वो उम्र में उससे कुछ बड़ी है, लेकिन उसको इस बात की कोई परवाह नहीं थी – अगर बड़ी होगी तो होती रहे! बालिग़ तो अब वो खुद भी है! खैर, वो अस्पताल पहुंचा, और सभी ज़रूरी कागजों पर दस्तखत कर के अंजू को लिवा लाया।
आज अंजू को उसने पहली बार होश में देखा था – बेहोशी की हालत में भी वो अति सुन्दर लगती थी, लेकिन इस समय वो सचमुच की अप्सरा लग रही थी। उस नितांत कमजोरी की हालत में भी। अंजू ने जब कुंदन को देखा तो उसके चेहरे पर न तो ख़ुशी के भाव थे, और न ही दुःख के। वो दरअसल अपने पति को पहचान ही नहीं पाई। नर्स सुषमा ने जब दोनों को ऐसे ‘हिचकिचाते’ हुए देखा, तो प्रसन्न भाव से बोली,
“कोई बात नहीं.. घर जा कर आराम से मिलना!”
नर्स सुषमा ने अपने हिसाब से दो बिछड़े हुए प्रेमियों को मिला दिया था और यही सबसे बड़े पुण्य की बात थी।
डॉक्टर संजीव ने कुंदन को सख्त हिदायद दी थी की अंजू से घर के काम न कराये जांए, और उसको आराम करने दिया जाय। वो अभी भी काफी दुर्बल थी, और कम से कम एक महीना लगेगा उसको वापस अपनी ताकत पाने के लिए। उन्होंने उन दोनों को यह भी कहा था की वो दोनों यदि हो सके तो अगले दो सप्ताह शारीरिक सम्बन्ध न बनायें.. अभी वह सब झेलने की दशा में नहीं थी अंजू। अस्पताल में सबकी नज़रों में दोनों पति-पत्नी थे, इसलिए ऐसी बाते आराम से करी जा सकती थीं। दवाइयाँ इत्यादि समय पर लेते रहें.. और ऐसी ही कई सारी बातें।
खैर, कुंदन अंजू को घर ले आया। कसबे में आते हुए वो बहुत चौकन्ना था की कोई देख न ले की वो किसी लड़की को घर ला रहा था। कोई देखता तो हज़ार सवाल पूछते – कौन है, कहाँ से आई है इत्यादि इत्यादि! और वो उनसे झूठ नहीं कह सकता था, क्योंकि वहां सभी को मालूम था की कुंदन की शादी ही नहीं हुई है, तो उसकी बीवी कहाँ से आ जाएगी! उसकी तेज किस्मत कहिए, की जिस समय वो अपने घर आया, उस समय सड़क पर और आस पास कोई भी नहीं मिला। वो जल्दी से अंजू समेत अपने घर में घुस गया, और अन्दर से किवाड़ लगा ली।
वो एक पुराने पहाड़ी तरीके का घर था – जिसमे कुछ फेरबदल कर के आधुनिकीकरण कर लिया गया था। एक कमरा था, एक खुला हुआ सा रसोईघर, उसके बिलकुल विपरीत दिशा में स्नानघर और शौचालय था। एक हाल और एक अहाता जैसा बना दिया गया था। पत्थर, लकड़ी जैसी सामग्री से बना हुआ घर बाहर से पहाड़ी घर दिखता था, लेकिन अन्दर से बिजली और खड्डी स्टाइल के शौच की व्यवस्था थी।
“अंजू... रर रानी..” कुंदन ने अटकते हुए कहा, “तु तुम.. नहा लो.. अगर चाहो तो..”
अंजू को तो इस समय कोई भी अजनबी लगता। लेकिन यह सामने खड़ा व्यक्ति उसका पति था, ऐसा नर्स सुषमा ने उसको बताया था। इसलिए इस व्यक्ति से कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। लेकिन फिर भी वो संयत नहीं थी। उसने महसूस किया की उसका पति भी संयत नहीं है।
“ज जी!” कह कर उसने कुंदन की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि डाली।
“ओ ओह! बाथरूम उधर है.. सब भूल गई?” उसने खींसे निपोरी।
अंजू ने भी खिसियाई हुई मुस्कान डाली!
‘ओ भगवान! कितनी सुन्दर सी मुस्कान है इसकी! हे बाबा केदार.. हे बद्री विशाल! आपका बहुत बहुत धन्यवाद!’ कुंदन ने मन ही मन अपने सारे इष्टों को धन्यवाद किया।
“नहा लो.. तुम्हारे पुराने कपडे सब खराब हो गए थे.. जल्दी ही और नए कपड़े खरीद लूँगा तुम्हारे लिए..”
अंजू ने हामी में सर हिलाया। वो एक क्षण को हिचकिचाई, फिर कुंदन के सामने ही मुँह फेर कर अपने अस्पताल वाले कपड़े उतारने लगी (नर्स सुषमा ने कुंदन को कहा था की जब वो वापस अस्पताल आये, तो वो कपडे लेता आये)। कुछ ही देर में पूर्ण नग्न अंजू का पृष्ठ भाग कुंदन के सामने था। हाँलाकि अंजू के कमज़ोर शरीर से हड्डियाँ कुछ कुछ झाँक रही थीं, लेकिन उतना दृश्य ही कुंदन के लिए पर्याप्त था। उसका लिंग तुरंत ही तनावग्रस्त हो गया। वो अनिश्चित हालत में अंजू की तरफ बढ़ा, लेकिन उसी समय अंजू स्नानघर की तरफ चल दी।
जब स्नानघर का दरवाज़ा बंद हो गया, तो कुंदन ने अपनी पैंट के सामने गीलापन महसूस किया – उसके लिंग ने वीर्य उगल दिया था। वो शर्मसार हो गया – कैसी छीछालेदर! क्या लोग सच कहते हैं? उसके मन में एक क्षण शंका हुई.. फिर उसने उस शंका को मन से निकाल दिया – पहली बार उसने एक लड़की इस हालत में देखी थी.. ऐसे तो किसी का भी निकल जाता.. उसने झटपट से अपनी पैंट उतार दी। फिर उसके मन में ख़याल आया की क्यों न आज वो नंगा ही रह ले.. क्या पता अंजू को भी नंगी रहने के लिए पटा सके? अपने इस विचार पर उसको बहुत आनंद आया – उसने झटपट अपनी जांघिया उतार दी।
अंजू के लिए ब्रा और चड्ढी खरीदते समय कुंदन बहुत ही उत्तेजित हो गया था। अपनी समझ से उसने बेहद सेक्सी लगने वाली गुलाबी सी ब्रा और उसकी मैचिंग चड्ढी खरीदी थी। और गुलाबी ही रंग के शेड का शलवार सूट भी। एक मैक्सी भी खरीद ली, यह सोच कर की वो घर में क्या पहनेगी! अंजू को देख कर उसको लगा था की वो उम्र में उससे कुछ बड़ी है, लेकिन उसको इस बात की कोई परवाह नहीं थी – अगर बड़ी होगी तो होती रहे! बालिग़ तो अब वो खुद भी है! खैर, वो अस्पताल पहुंचा, और सभी ज़रूरी कागजों पर दस्तखत कर के अंजू को लिवा लाया।
आज अंजू को उसने पहली बार होश में देखा था – बेहोशी की हालत में भी वो अति सुन्दर लगती थी, लेकिन इस समय वो सचमुच की अप्सरा लग रही थी। उस नितांत कमजोरी की हालत में भी। अंजू ने जब कुंदन को देखा तो उसके चेहरे पर न तो ख़ुशी के भाव थे, और न ही दुःख के। वो दरअसल अपने पति को पहचान ही नहीं पाई। नर्स सुषमा ने जब दोनों को ऐसे ‘हिचकिचाते’ हुए देखा, तो प्रसन्न भाव से बोली,
“कोई बात नहीं.. घर जा कर आराम से मिलना!”
नर्स सुषमा ने अपने हिसाब से दो बिछड़े हुए प्रेमियों को मिला दिया था और यही सबसे बड़े पुण्य की बात थी।
डॉक्टर संजीव ने कुंदन को सख्त हिदायद दी थी की अंजू से घर के काम न कराये जांए, और उसको आराम करने दिया जाय। वो अभी भी काफी दुर्बल थी, और कम से कम एक महीना लगेगा उसको वापस अपनी ताकत पाने के लिए। उन्होंने उन दोनों को यह भी कहा था की वो दोनों यदि हो सके तो अगले दो सप्ताह शारीरिक सम्बन्ध न बनायें.. अभी वह सब झेलने की दशा में नहीं थी अंजू। अस्पताल में सबकी नज़रों में दोनों पति-पत्नी थे, इसलिए ऐसी बाते आराम से करी जा सकती थीं। दवाइयाँ इत्यादि समय पर लेते रहें.. और ऐसी ही कई सारी बातें।
खैर, कुंदन अंजू को घर ले आया। कसबे में आते हुए वो बहुत चौकन्ना था की कोई देख न ले की वो किसी लड़की को घर ला रहा था। कोई देखता तो हज़ार सवाल पूछते – कौन है, कहाँ से आई है इत्यादि इत्यादि! और वो उनसे झूठ नहीं कह सकता था, क्योंकि वहां सभी को मालूम था की कुंदन की शादी ही नहीं हुई है, तो उसकी बीवी कहाँ से आ जाएगी! उसकी तेज किस्मत कहिए, की जिस समय वो अपने घर आया, उस समय सड़क पर और आस पास कोई भी नहीं मिला। वो जल्दी से अंजू समेत अपने घर में घुस गया, और अन्दर से किवाड़ लगा ली।
वो एक पुराने पहाड़ी तरीके का घर था – जिसमे कुछ फेरबदल कर के आधुनिकीकरण कर लिया गया था। एक कमरा था, एक खुला हुआ सा रसोईघर, उसके बिलकुल विपरीत दिशा में स्नानघर और शौचालय था। एक हाल और एक अहाता जैसा बना दिया गया था। पत्थर, लकड़ी जैसी सामग्री से बना हुआ घर बाहर से पहाड़ी घर दिखता था, लेकिन अन्दर से बिजली और खड्डी स्टाइल के शौच की व्यवस्था थी।
“अंजू... रर रानी..” कुंदन ने अटकते हुए कहा, “तु तुम.. नहा लो.. अगर चाहो तो..”
अंजू को तो इस समय कोई भी अजनबी लगता। लेकिन यह सामने खड़ा व्यक्ति उसका पति था, ऐसा नर्स सुषमा ने उसको बताया था। इसलिए इस व्यक्ति से कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। लेकिन फिर भी वो संयत नहीं थी। उसने महसूस किया की उसका पति भी संयत नहीं है।
“ज जी!” कह कर उसने कुंदन की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि डाली।
“ओ ओह! बाथरूम उधर है.. सब भूल गई?” उसने खींसे निपोरी।
अंजू ने भी खिसियाई हुई मुस्कान डाली!
‘ओ भगवान! कितनी सुन्दर सी मुस्कान है इसकी! हे बाबा केदार.. हे बद्री विशाल! आपका बहुत बहुत धन्यवाद!’ कुंदन ने मन ही मन अपने सारे इष्टों को धन्यवाद किया।
“नहा लो.. तुम्हारे पुराने कपडे सब खराब हो गए थे.. जल्दी ही और नए कपड़े खरीद लूँगा तुम्हारे लिए..”
अंजू ने हामी में सर हिलाया। वो एक क्षण को हिचकिचाई, फिर कुंदन के सामने ही मुँह फेर कर अपने अस्पताल वाले कपड़े उतारने लगी (नर्स सुषमा ने कुंदन को कहा था की जब वो वापस अस्पताल आये, तो वो कपडे लेता आये)। कुछ ही देर में पूर्ण नग्न अंजू का पृष्ठ भाग कुंदन के सामने था। हाँलाकि अंजू के कमज़ोर शरीर से हड्डियाँ कुछ कुछ झाँक रही थीं, लेकिन उतना दृश्य ही कुंदन के लिए पर्याप्त था। उसका लिंग तुरंत ही तनावग्रस्त हो गया। वो अनिश्चित हालत में अंजू की तरफ बढ़ा, लेकिन उसी समय अंजू स्नानघर की तरफ चल दी।
जब स्नानघर का दरवाज़ा बंद हो गया, तो कुंदन ने अपनी पैंट के सामने गीलापन महसूस किया – उसके लिंग ने वीर्य उगल दिया था। वो शर्मसार हो गया – कैसी छीछालेदर! क्या लोग सच कहते हैं? उसके मन में एक क्षण शंका हुई.. फिर उसने उस शंका को मन से निकाल दिया – पहली बार उसने एक लड़की इस हालत में देखी थी.. ऐसे तो किसी का भी निकल जाता.. उसने झटपट से अपनी पैंट उतार दी। फिर उसके मन में ख़याल आया की क्यों न आज वो नंगा ही रह ले.. क्या पता अंजू को भी नंगी रहने के लिए पटा सके? अपने इस विचार पर उसको बहुत आनंद आया – उसने झटपट अपनी जांघिया उतार दी।