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Romance काला इश्क़! (Completed)

Kratos

Anger can be a weapon if you can control it use it
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शायद ऐसा होना ही था। क्योंकि रितु के प्यार ने कहानी का शीर्षक सिद्ध कर दिया काला इश्क़ मुझे ऐसा लगता है।
 

Rockstar_Rocky

Well-Known Member
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भाई अपडेट का ज़बाब नहीं कुछ कहना नहीं बनता भाई ।
सही कहा आपने जब मानु ने ऋतू के प्यार को स्वीक्रति नहीं दी तब उनके कहा में मरने दम तक साथ देगी ।प्यार में हमेशा ख़ुशी नहीं मिलती दुःख भी साथ आता है ।
यही एक पॉइंट होता है अपनों और दुसरो को पहचानने के लिए ।
जब तक मानु उसके लिए सब कुछ करता रहा साथ थी जब बात निभाने की आयी हाथ छोड़ दिए ।

:thank_you: मतलब की दुनिया है भाई! जब उसे मानु से अच्छा कोई मिला तो उसने मानु का साथ छोड़ दिया|

शायद ऐसा होना ही था। क्योंकि रितु के प्यार ने कहानी का शीर्षक सिद्ध कर दिया काला इश्क़ मुझे ऐसा लगता है।

आपने सही कहा....पर सिर्फ इतने से कहानी का शीर्षक सिद्ध नहीं होता!

Abhi bhut kuchh baki hai story main

:)
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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जिस हक़ीक़त की आप बात कर रहे हैं वो तो मानु ने ऋतू को पहले ही बता दी थी| उसने ऋतू को साफ-साफ कह दिया था की उनके प्यार का एक रास्ता मौत पर भी खत्म होता है और दूसरा रास्ता बड़ा काँटों भरा होगा| उस समय तो उसने मना नहीं किया बल्कि मांजू के पीछे पद गई की मुझसे प्यार करो! और मानु ये सिर्फ कहा भर नहीं था, उसे थप्पड़ के साथ भी समझाया था! इतना ही अगर ऋतू को 'जमीनी हक़ीक़त' के बारे में सोचना था तो प्यार ही क्यों किया? मानु तो वैसे भी उसके लिए जो बन पड़ता कर ही रहा था न?

रही बात मोहिनी, राखी और अनु की तो उसकी क्लैरिफिकेशन मैं आपको पहले ही दे चूका हूँ| उस समय मानु पूरे नशे में था और नशे में इंसान को बीएस दूसरी की गलतियाँ नजर आती हैं अपनी कभी नहीं| अब बात आती है नशा करने की तो मैं भी मानता हूँ की नशा उसके दर्द का समाधान नहीं है, पर आप ये भी तो देखिये की 26-27 साल का लड़का जिसका दिल टूटा हो वो आप की तरह इस सब को Maturely कैसे लेगा? उम्र के साथ ही इंसान Mature बनता है ना? सिर्फ घर से दूर रहने से ही Maturity आ जाती तो कोटा में पढ़ रहे बच्चे नंबर कम आने से खुदखुशी नहीं करते! जब इंसान का दिल टूटता है तो वो इधर-उधर सहारा ढूँढता है| मेरे पास दोस्त हैं जिनके साथ मैंने अपना गम बाँटा और उन्होंने मेरा दर्द कम होने में मेरी पूरी मदद की, जिस के पास दोस्त नहीं होते वो अपने परिवार का सहारा लेता है, पर यहाँ बेचारा मानु घर भी नहीं जा सकता क्योंकि वहां उसे उस बेवफा की सूरत देखनी पड़ेगी| अब सिवाए नशे के उसके पास बचा क्या?

अब आते हैं माँ-बाप और घर-बार छोड़ने की बात पर, तो ये कहीं भी जायज़ नहीं है की आप चार दिन के प्यार के लिए अपने माँ-बाप को अकेला छोड़ दो| पर इस सब के लिए भी मानु को ऋतू ने उकसाया था! मानता हूँ की मानु को उसकी बातों में नहीं आना चाहिए था पर अगर वो इतना ही समझदार होता तो मैं ये कहानी कैसे लिखता? हम सब ने अपने जीवन में कोई न कोई बेवकूफी की है, किसी ने छोटी तो किसी ने बड़ी पर इसका मतलब ये तो नहीं की वो इंसान ही गलत हो गया? गलती करने का हक़ सबको है और जो गलती हुई है क्या पता मानु उसे भी सुधार ले! ये सब आपको कहानी में पता चलेगा|

खेर भाई साहब,
ये सभी पॉइंट विवादास्पद इसलिए हैं क्योंकि आपकी और मेरी सोच में जमीन-आसमान का अंतर् है| आप की सोच आप की तरह Matured है और मेरी 28 -29 साल के लड़के जैसी जो अपनी जिम्मेदारियाँ जानता है पर ये छोटी-छोटी बेवकूफियाँ भी करता है और इनसे सबक भी लेता है|
आप कहानी को अपने point of view से पढ़ते हैं और मैं कहानी मानु के point of view से लिखता हूँ| अब मैं आपको ये नहीं कह सकता की आप भी 26-27 साल के लड़के की तरह ही इसे पढ़िए!


आशा करता हूँ आपको कहानी पसंद आ रही होगी|
धन्यवाद!
मानु भाई कहानी बहुत जबर्दस्त है........ आपको शायद मेरी वर्तमान उम्र से ऐसा लग रहा है की में परिपक्व हूँ.... लेकिन मेरा अनुभव कहता है की परिपक्वता जिम्मेदारियों से आती है..... और मे इतना matured 14-15 साल की उम्र से ही होना शुरू हो गया.....मनु के साथ जिम्मेदारियाँ थीं ही नहीं...... बड़ी मुश्किल से तो उसे नौकरी करने दी गयी.... जब तक ज़िम्मेदारी लेने की ओर वो पहला कदम बढ़ाता..... ऋतु ने ही उसे ज़िम्मेदारी उठा पाने में समर्थ मानने का जोखिम उठाने की बजाय सीधा रास्ता पकड़ लिया..........
एक आम लड़का जो परिवार की छत्रछाया में पला बढ़ा हो.... ऐसा सोचने पर..... मुझे भी मानु से सहानुभूति है.... क्योंकि जब हम खुद फैसले लेने और उनके परिणाम भुगतने के जिम्मेदार होते हैं .... तो हम हर फैसला सोच समझकर और अपने हित के लिए करते हैं................... लेकिन जब हमारे लिए फैसले और हमारी जिम्मेदारियाँ दूसरों पर होती हैं तो ........ हम फैसले भावनाओं (emotions), दूसरों की खुशी और अच्छा दिखने के लिए दिमाग से नहीं मन (दिल से भी कहते हैं लोग लेकिन biologically ऐसा हो नहीं सकता :D) से करते हैं भावुक होकर............
दिमाग से फैसले लेने वाले नाकामयाब होने पर भी टूटते नहीं बल्कि दोबारा उठ खड़े होने की कोशिश करने लगते हैं.... क्योंकि वो सिर्फ positive ही नहीं negative भी सोचकर चलते हैं हर बात को.... और विश्वास सब पर करते हैं लेकिन नजर भी रखते हैं...... लेकिन भावनाओं मे बहने वाले लोग....... हुमेशा positive ही सोचते हैं तो वो नाकामयाब होते ही टूटते ही नहीं कभी-कभी तो बिखर भी जाते हैं
यही मानु के साथ हुआ............ पहले में अपनी तरह से सोच रहा था...... लेकिन अब आपकी तरह सोचकर मुझे भी मानु के दर्द का अहसास हुआ :) sorry आपका दिल दुखा दिया
और आपकी कहानियों का फ़ैन तो मे xossip से ही हूँ.......... तो ऐसा मत सोचना की कहानी पसंद नहीं मुझे

अगले अपडेट का बेसबरी से इंतज़ार है
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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There is a big twist in the story. On one hand, Manu has taken all the decisions to run away and on the other hand Ritu has started liking Rahul. Ritu is doing wrong. Manu helped Ritu a lot, fought for her but how can Ritu forget all these things. Ritu is responsible for this condition of Manu. I am very angry on Ritu now. After all, how can Ritu do this? I think Ritu is greedy for money and not for love. Sir, I cannot see the bad state of Manu.:angryno:
If you don't mind, I want to ask you a question, Well I have many questions but I will ask only one question. The end of the story will be sad, or good and I sincerely hope you will answer it.
Thank You...:heart:
:heart::heart:
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Missing you Aakash. bhaai! Haven't heard from you?! Hope everything's alright!
Brother, I am very happy to know that you are worried about me, but after reading the update today, my heart is sad...:angryno::angryno::angryno:
 

Rockstar_Rocky

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There is a big twist in the story. On one hand, Manu has taken all the decisions to run away and on the other hand Ritu has started liking Rahul. Ritu is doing wrong. Manu helped Ritu a lot, fought for her but how can Ritu forget all these things. Ritu is responsible for this condition of Manu. I am very angry on Ritu now. After all, how can Ritu do this? I think Ritu is greedy for money and not for love. Sir, I cannot see the bad state of Manu.:angryno:
If you don't mind, I want to ask you a question, Well I have many questions but I will ask only one question. The end of the story will be sad, or good and I sincerely hope you will answer it.
Thank You...:heart:
:heart::heart:

I can't say the ending will be a good or bad, but I can say that you'll like the ending. Saying anything more will break the suspense!

Brother, I am very happy to know that you are worried about me, but after reading the update today, my heart is sad...:angryno::angryno::angryno:

you've commented on my every update, I got worried when you didn't. My intention was not to make you or anyone sad. I hope the ending will bring back the smile on your face.

मानु भाई कहानी बहुत जबर्दस्त है........ आपको शायद मेरी वर्तमान उम्र से ऐसा लग रहा है की में परिपक्व हूँ.... लेकिन मेरा अनुभव कहता है की परिपक्वता जिम्मेदारियों से आती है..... और मे इतना matured 14-15 साल की उम्र से ही होना शुरू हो गया.....मनु के साथ जिम्मेदारियाँ थीं ही नहीं...... बड़ी मुश्किल से तो उसे नौकरी करने दी गयी.... जब तक ज़िम्मेदारी लेने की ओर वो पहला कदम बढ़ाता..... ऋतु ने ही उसे ज़िम्मेदारी उठा पाने में समर्थ मानने का जोखिम उठाने की बजाय सीधा रास्ता पकड़ लिया..........
एक आम लड़का जो परिवार की छत्रछाया में पला बढ़ा हो.... ऐसा सोचने पर..... मुझे भी मानु से सहानुभूति है.... क्योंकि जब हम खुद फैसले लेने और उनके परिणाम भुगतने के जिम्मेदार होते हैं .... तो हम हर फैसला सोच समझकर और अपने हित के लिए करते हैं................... लेकिन जब हमारे लिए फैसले और हमारी जिम्मेदारियाँ दूसरों पर होती हैं तो ........ हम फैसले भावनाओं (emotions), दूसरों की खुशी और अच्छा दिखने के लिए दिमाग से नहीं मन (दिल से भी कहते हैं लोग लेकिन biologically ऐसा हो नहीं सकता :D) से करते हैं भावुक होकर............
दिमाग से फैसले लेने वाले नाकामयाब होने पर भी टूटते नहीं बल्कि दोबारा उठ खड़े होने की कोशिश करने लगते हैं.... क्योंकि वो सिर्फ positive ही नहीं negative भी सोचकर चलते हैं हर बात को.... और विश्वास सब पर करते हैं लेकिन नजर भी रखते हैं...... लेकिन भावनाओं मे बहने वाले लोग....... हुमेशा positive ही सोचते हैं तो वो नाकामयाब होते ही टूटते ही नहीं कभी-कभी तो बिखर भी जाते हैं
यही मानु के साथ हुआ............ पहले में अपनी तरह से सोच रहा था...... लेकिन अब आपकी तरह सोचकर मुझे भी मानु के दर्द का अहसास हुआ :) sorry आपका दिल दुखा दिया
और आपकी कहानियों का फ़ैन तो मे xossip से ही हूँ.......... तो ऐसा मत सोचना की कहानी पसंद नहीं मुझे

अगले अपडेट का बेसबरी से इंतज़ार है

:thankyou: सर जी मेरे जज्बातों को समझने के लिए और मुझे आपकी किसी भी बात का कोई बुरा नहीं लगा| आपने अपना view point रखा जो की बहुत जरूरी था| :)
 
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