Hope you've read : https://xforum.live/threads/काला-इश्क़.6287/page-69#post-849167
Pad li thi bhai
I am a silent reader
(apni galti accept karna sikh raha hu)
Sayad apke her update per reply na du
Mai
isiliye advance mai sorry bhai
Hope you've read : https://xforum.live/threads/काला-इश्क़.6287/page-69#post-849167
Pad li thi bhai
I am a silent reader
(apni galti accept karna sikh raha hu)
Sayad apke her update per reply na du
Mai
isiliye advance mai sorry bhai
अब तक आपने पढ़ा:
"It won’t be easy! If you follow my advice properly then atleast a year!” डॉक्टर ने गंभीर होते हुए कहा| पर मुझे अपने ऊपर पूरा विश्वास था की मैं ये कर लूँगा..... Bloody Overconfidence!
update 65
पहला दिन
हॉस्पिटल से लौटते-लौटते शाम के 4 बज गए थे, अनु ने आते ही चाय बनानी शुरू कर दी और मैं उनसे बात करने लगा| जब से अनु आई थी वो बीएस घर में खाना ही बना रही थी, मुझे बड़ा बुरा लग रहा था की मेरी वजह से उन्हें ये तकलीफ उठानी पड़ रही है| मैंने सिक्योरिटी गार्ड को फ़ोन कर के कहा की वो कोई काम करने वाली भेज दे, अनु ने जब ये सुना तो वो बोली; "क्या जर्रूरत है? मैं कर रही हूँ ना सारा काम?"
"खाना बनाने तक तो ठीक है पर ये बर्तन धोना, झाड़ू-पोछा और कपडे धोना मुझे पसंद नहीं, ये काम कोई और कर लेगा| आप बस tasty-tasty खाना बनाओ!" मैंने हँसते हुए कहा|
"अच्छा मेरे हाथ का खाना इतना पसंद है? ठीक है तो फिर आज से एक रोटी एक्स्ट्रा खानी होगी!" अनु की बात सुन कर मैं अपनी ही बात में फँस गया था| मैं मुस्कुरा दिया और अपने कमरे में जा कर लेट गया| लेटे-लेटे मैं सोच रहा था की मुझे घर भी जाना है ताकि वहाँ जा कर मैं विदेश जाने का कारन बता कर शादी से अपनी जान बचा सकूँ! पर इस हालत में जाना, मतलब वो लोग मुझे कहीं जाने नहीं देंगे| दिन कम बचे थे और मुझे जल्द से जल्द ठीक होना था| रात को खाने के बाद अनु ने मुझे दवाई दी और मैं थोड़ा वॉक करने के बाद अपने कमरे में सोने जाने लगा| "वहाँ कहाँ जा रहे हो?" अनु ने पुछा, मैंने इशारे से उन्हें कहा की मैं सोने जा रहा हूँ| "नहीं....रात में तबियत खराब हुई तो?" अनु ने चिंता जताते हुए कहा|
"कुछ नहीं होगा? अगर तबियत खराब हुई तो मैं आपको उठा दूँगा|"
"तुम्हें क्या प्रॉब्लम है मेरे साथ इस कमरे में सोने में?" अनु ने अपनी कमर पर दोनों हाथ रखते हुए पुछा|
"यार! अच्छा नहीं लगता आप और मैं एक ही रूम में, एक ही बेड पर!"
"ओ हेल्लो मिस्टर! I'm single समझे! अपनी ये chivalry है न अपने पास रखो!" अनु ने मेरी टाँग खींचते हुए कहा|
"तभी तो दिक्कत है? आप सिंगल, मैं सिंगल फिर .... you know ... शादी हुई होती तो बात अलग होती!" मैंने भी अनु की टाँग खींची!
"अच्छा? चलो अभी करते हैं शादी?" अनु ने मेरा हाथ पकड़ा और बाहर जाने के लिए तैयार हो गईं| हम दोनों ने इस बात पर खूब जोर से ठहाका लगाया! 5 मिनट तक non-stop हँसने के बाद अनु बोली; "चलो सो जाओ!" उन्होंने जबरदस्ती मुझे अपने कमरे में सोने के लिए कहा| मैं भी मान गया और जा कर एक तरफ करवट ले कर लेट गया और अनु दूसरी तरफ करवट ले कर लेट गईं| दवाई का असर था तो मैं कुछ देर के लिए बड़े इत्मीनान से सोया पर असर ज्यादा देर तक नहीं रहा और 2 बजे मेरी आँख खुल गई और उसके बाद करवटें बदलते-बदलते सुबह हुई|
दूसरा दिन
सुबह अनु ने उठते ही देखा की मैं आँखें खोले छत को देख रहा हूँ; "Good Morning! सोये नहीं रात भर?"
"दो बजे के बाद नींद नहीं आई, इसलिए जागता रहा|" मैंने उठ के बैठते हुए कहा| तभी अनु की नजर मेरे काँपते हुए हाथों पर पड़ी और उनकी चिंता झलकने लगी| मैं धीरे-धीरे उठा क्योंकि मुझे लग रहा था की कहीं चक्कर आ गया तो! फ्रेश हो कर मैं बालकनी में कुर्सी पर बैठ गया और अनु चाय बना कर ले आई| "अच्छा therapist के पास कब जाना है?" अनु ने पुछा| ये सुनते ही मेरी आंखें चौड़ी हो गईं, मैं जानता था की थेरेपिस्ट के पास जाने के बाद मुझे उसे सब बातें बतानी होंगी और ये सब बताना मेरे लिए आसान नहीं था| "प्लीज...मुझे थेरेपिस्ट के पास नहीं जाना!" मैंने मिन्नत करते हुए कहा| "पर क्यों?" अनु ने चिंता जताते हुए कहा|
"प्लीज...मैं नहीं जाऊँगा.... तुम जो कहोगी वो करूँगा पर वहाँ नहीं जाऊँगा|" मैं किसी भी हालत में ये सच किसी के सामने नहीं आने देना चाहता था क्योंकि ये सुन कर डॉक्टर और अनु दोनों ही मेरे बारे में गलत सोचते और मैं खुद को गलत साबित होने नहीं देना चाहता था| अब मुझमें इतनी ताक़त नहीं थी की मैं किसी को अपनी सफाई दूँ पर उनकी सोच मुझे जर्रूर चुभती!
"ठीक है...मैं एक बार डॉक्टर से बात करती हूँ!"
नाश्ता बनाने का समय हुआ तो अनु ने एक पतला सा परांठा बनाया, जैसे ही उन्होंने मुझे परोस कर दिया मैंने तुरंत उसके दो टुकड़े किये और आधा टुकड़ा उठा लिया| पर अनु को मुझे डराने का स्वर्णिम मौका मिल चूका था, उन्होंने आँखें तर्रेर कर कहा; "थेरेपिस्ट के जाना है?" ये सुनते ही मैं डरने का नाटक करते हुए ना में सर हिलाने लगा| "तो फिर ये पूरा खाओ!" मैंने डरे सहमे से बच्चे की तरह वो बचा हुआ टुकड़ा उठा लिया, मेरा बचपना देख उन्हें बहुत हँसी आई| उनके चेहरे की हँसी मेरे दिल को छू गई, ऐसा लगा जैसे बरसों बाद उन्हें हँसता हुआ देख रहा हूँ| नाश्ते के बाद गार्ड एक काम करने वाली को ले आया और अनु ने चौधरी बनते हुए उससे सारी बात की और उसे आज से ही काम पर रख लिया| उसने काम शुरू कर दिया था और मुझे अचानक से दीदी और मुन्ना की याद आ गई| मैं एक पल के लिए खमोश हो गया और मुन्ना को याद करने लगा| उस नन्हे से बच्चे ने मुझे दो दिन में ही बहुत सी खुशियाँ दे दी थीं, पता नहीं वोकहान होगा और किस हाल में होगा? अनु ने जब मुझे गुमसुम देखा तो वो मेरे बगल में बैठ गईं और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोलीं; "क्या हुआ?" उनका इतना प्यार से बोलना था की मैंने उन्हें मुन्ना और दीदी के बारे में सब बता दिया| वो मेरा दुख समझ गईं और मुझे संत्वना देने लगी.... खेर दोपहर हुई और फिर वही उनका मुझे थेरेपिस्ट के नाम से डराना जारी रहा| शाम को उन्होंने बताया की डॉक्टर बोल रहा है की मुझे थेरेपिस्ट के पास जाना पड़ेगा| पर मेरे जिद्द करने पर वो कुछ सोचने लगीं और बोलीं की हफ्ते भर के लिए वो जो-जो कहें मुझे करना होगा, मेरे लिए तो थेरेपिस्ट के बजाए यही सही था| मैं तुरंत मान गया पर मुझे नहीं पता था की वो मुझसे क्या करवाने वाली हैं!
रात हुई और खाना खाने के बाद अनु ने मुझे अपने पास जमीन पर बैठने को कहा| वो मेरे पीछे कुर्सी ले कर बैठीं और मेरे दिल की अच्छे से मालिश की ताकि मुझे अच्छे से नींद आये| "बाल बड़े रखने हैं तो ठीक से बाँधा भी करो!" ये कहते हुए अनु ने मेरे बालों का bun बनाया|
बाल बहुत बड़े नहीं थे वरना और भी अच्छे लगते| खेर दवाई खा कर मैं अनु वाले कमरे में लेट गया| मैं इस वक़्त सीधा लेटा था की अनु ने झुक कर मेरे माथे को चूमा| कल की ही तरह ये Kiss मेरे पूरे शरीर को झिंझोड़ कर चला गया| "कल सुबह 6 बजे उठना है! कल से हम योग करेंगे!" ये कहते हुए अनु बिस्तर के अपने साइड सो गईं| पर रात के दो बजते ही मेरे नींद खुली और मेरे बेट में बहुत जोर से दर्द होने लगा| दर्द इतनी तेज बढ़ रहा था की ऐसा लग रहा था की मेरे प्राण अब निकले! मैं जितना हो सके उतना अपनी कराह को दबा कर सिकोड़ कर लेटा हुआ था| पर अनु को मेरे दर्द का एहसास हो ही गया और उन्होंने तुरंत कमरे की लाइट जला दी| मैं अपने घुटने अपने छाती से चिपकाए लेटा कसमसा रहा था, माथे पर ढेर सारा पसीना, जिस्म में कंपकंपाहट! मेरी हालत देख कर अनु घबरा गई और किसी तरह खुद को संभाल कर मेरे माथे पर हाथ फेरने लगी| पसीने से उनके हाथ गीले हो गए, तो वो बाहर से एक टॉवल ले आईं और मेरे चेहरे से पसीने पोछने लगी और तभी उनकी आँखों से आँसू निकलने लगे| वो खुद को लाचार महसूस कर रही थी और चाह कर भी मेरा दर्द कम नहीं कर पा रहीं थी| उनका रोना मुझसे देखा नहीं गया तो मैंने उनसे पानी माँगा, वो दौड़ कर पानी ले आईं| दो घुट पानी पिया था की मुझे उबकाई आ गई, किसी तरह से मैं अपनी उबकाई को कण्ट्रोल करता हुआ बाथरूम पहुँचा और वहाँ मैं कमोड पकड़ कर बैठ गया और जो कुछ भी पेट में अन्न था वो सब बाहर निकाल दिया| मेरे उलटी करने के दौरान अनु मेरी पीठ सहला रही थी| पेट खाली हुआ थो कंपकपी और बढ़ गई| मुझे सहारा दे कर अनु ने मुझे वापस पलंग पर लिटाया; "मैं एम्बुलेंस बुलाती हूँ!" ये कहते हुए अनु फ़ोन नंबर ढूँढने लगी|
"नहीं.... !!! सुबह तक .... wait करो प्लीज!" मैंने कांपते हुए कहा| उस समय मुझे एहसास हुआ की मैं किस कदर कमजोर हो चूका हूँ| रितिका के चक्कर में मैं मौत के मुँह में पहुँच चूका हूँ| अनु उस वक़्त बहुत ज्यादा घबराई हुई थी, वो मेरे सिरहाने बैठ गई और मेरा सर अपनी गोद में रख लिया| पूरी रात वो मेरे सर पर हाथ फेरती रहीं, जिस कारन मेरी थोड़ी आँख लगी|
तीसरा दिन
सुबह 6 बजते ही मेरी आँख खुल गई क्योंकि अनु मेरा सर धीरे से अपनी गोद से हटा रही थीं| "चाय" मैंने कांपती हुई आवाज में कहा| अनु ने तुरंत चाय बनाई, मैंने बहुत ताक़त लगाई और bedpost से टेक लगा कर बैठा| अपने हाथों को देखा तो वो काँप रहे थे| अनु कप में हकाय लाइ और एक कप को पकड़ने के लिए हम दोनों ने अपने दोनों हाथ लगाए थे| चाय अंदर गई तो जिस्म को लगा की कुछ ताक़त आई है| मैं इतना तो समझ गया था की अगर मैंने खाना नहीं खाया तो मुझे IV चढ़ाना पड़ेगा इसलिए मैंने अनु से टोस्ट खाने को मांगे| ये सुन कर उन्हें थोड़ी तसल्ली हुई की मेरी तबियत में कुछ सुधार आ रहा है| नाश्ता करते-करते दस बज गए थे, मैं खुद ही बोला की हॉस्पिटल चलते हैं| बड़ी मुश्किल से हम हॉस्पिटल पहुँचे और जब डॉक्टर ने चेक किया तो उसने कहा; "मानु की बॉडी दवाइयाँ रिजेक्ट कर रहीं हैं, मैं दवाइयाँ बदल रहा हूँ| इसके खाने का भी ध्यान रखो हल्का खाना दो, सूप दो, खिचड़ी, फ्रूट्स ये सब दो| एक बार में नहीं खाता तो थोड़ा-थोड़ा दो!"
"डॉक्टर साहब प्लीज कोई भी दवाई दो पर कल वाला हादसा फिर से ना हो!" मैंने कहा|
"दवाई चेंज की है मैंने, hopefully अब नहीं होगा|" डॉक्टर ने और दवाइयाँ लिख दीं|
"सर इस कंपकंपी का भी कुछ कर दीजिये!" माने कहा|
"इसकी कोई दवाई नहीं है, ये तुम्हारा जिस्म जिसे तुमने नशे का आदि बना दिया था वो रियेक्ट कर रहा है| इसे ठीक होने में समय लगेगा!' तभी अनु ने इशारे से थेरेपी वाली बात छेड़ी और डॉक्टर ने मेरी क्लास ले ली! "ये बताओ तुम्हें थेरेपी लेने से क्या प्रॉब्लम है?"
"सर मैं जिन बातों को भूलना चाहता हूँ वो डॉक्टर को फिर से बता कर उस दुःख को दुबारा face नहीं करना चाहता|" मैंने गंभीर होते हुए कहा|
"ये बातें फिलहाल दबीं हैं पर कभी न कभी ये बाहर आएंगी और फिर तुम्हें बहुत दर्द देंगी, फिर तुम दुबारा से पीना शुरू कर दोगे! इसलिए आज चले जाओ डॉक्टर अभी यहीं है|" डॉक्टर की बात थी तो सही पर मैं उन बातों को किसी के सामने दोहराना नहीं चाहता था और उससे बचने के लिए मैं बहाने बनाने लगा| कभी योग का बहाना करता तो कभी morning walk करने का बहाना करता| पर डॉक्टर पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा और मुझे मजबूरन थेरेपिस्ट के पास जाना पड़ा| पर मैंने भी होशियारी दिखाई और उसे ऋतू और मेरे रिश्ते की बात छोड़ कर सब बता दिया| उसे लगा की एक और आशिक़ आ गया और उसने मुझे 10 मिनट का लेक्चर दिया और कहा की मैं ज्यादा सोचूं न, जो हो चूका है उसे भूल जाऊँ, हँसी-ख़ुशी रहूँ, तबियत सुधरने के बाद एक healthy lifestyle जिऊँ और जल्दी से शादी कर लूँ| घर की जिम्मेदारियाँ पड़ेंगी तो ये सब धीरे-धीरे भूल जाऊँगा| चलो आज अनु को भी आधा सच जानने को मिल गया की आखिर हुआ क्या था!
हम घर आये तो एक बात जो मैंने नोटिस की वो थी की अनु को शादी की बात से कुछ ठेस पहुँची हो| शायद उन्हें अपनी शादी याद आ गई, खेर ये बचा हुआ दीं बहुत ही शान्ति से गुजरा| रात में वही कंपकंपी और फिर जागते हुए सुबह का इंतजार करना|
चौथा दिन
सुबह उठते ही मैंने अनु से कहा की वो मुझे योग करना सिखाये| अनु की योग में महारथ हासिल थी, उन्होंने चुन-चुन कर मुझे वो ही आसन कराये जो मेरे लिए करना आसान था| कोई भी exercise करने वाला आसन नहीं करवाया क्योंकि शरीर अभी भी बहुत कमजोर था| वो बीएस मुझे मेरी साँस पर नियंत्रण करना और फोकस करने के लिए अनु-विलोम सीखा रही थीं| योग के बाद हमने चाय पी और तभी उनका फ़ोन बज उठा| वो फ़ोन ले कर कमरे में चली गईं और मैं उठ कर बाथरूम जाने लगा की तभी मुझे इतना सुनाई दिया; "मैं अभी नहीं आ सकती, जो भी है अपने आप संभाल लो!" मैं उस टाइम कुछ नहीं बोला, नाश्ते के बाद हम बैठे थे और नौकरानी काम कर रही थी| मेरा ध्यान अब भी मेरे कांपते जिस्म पर था और मुझे अपनी इस हालत पर गुस्सा आ रहा था| "मेरी वजह से आप क्यों अपना बिज़नेस खराब कर रहे हो?" मैंने अनु की तरफ देखते हुए कहा और उन्हें समझ आ गया की मैंने उनकी बात सुन ली है|
"अभी मेरा तुम्हारे साथ रहना जर्रूरी है!"
"1-2 दिन की बात होती तो मैं कुछ नहीं कहता, पर इसे ठीक होने में बहुत टाइम लगेगा और तब तक आपका ऑफिस का काम कौन देखेगा? आप चले जाओ, मैं अपना ध्यान रखूँगा!" मैंने कहा|
"बोल दिया न नहीं!" इतने कहते हुए वो गुस्से में उठ कर चली गईं| मुझे भी इस बात पर बहुत गुस्सा आया, मैं जोश में उठा और अपने कमरे में जा कर लेट गया| मैं नहीं चाहता था की कोई मेरी वजह से किसी भी तरह का नुक्सान सही और यहाँ तो अनु के बिज़नेस की बात थी तो मैं कैसे उन्हें ये नुक्सान सहते हुए देखता| मैंने अपने गद्दे के नीचे से सिगरेट का पैक निकाला और पीने लगा| अभी दो कश ही पीये थे की अनु धड़धड़ाते हुए अंदर आईं और मेरे हाथ से सिगरेट छीन कर फेंक दी| इतना काफी था मेरे अंदर के गुस्से को बाहर निकलने के लिए; "डॉक्टर ने सिगरेट पीने से तो मना नहीं किया ना?"
"इसकी भी आदत लगानी है? Liver तो खराब कर ही लिया है अब क्या Lungs भी खराब करने हैं?" उन्होंने गुस्से में कहा|
"कुछ तो रहने दो मेरी जिंदगी में? शराब छोड़ दी अब क्या ये सिगरेट भी छोड़ दूँ? तो जियूँ किसके लिए? ये उबला हुआ खाना खाने के लिए?" मैंने गुस्से से कहा|
"सिर्फ शराब और सिगरेट के लिए ही जीना है तुम्हें?" अनु ने पुछा| मेरे पास उनकी इस बात का कोई जवाब नहीं था, तो आँसू ही सच बोलने को बाहर आ गए|
"आप क्यों अपनी लाइफ मुझ जैसे लूज़रके लिए बर्बाद कर रहे हो? आपको तक़रीबन एक हफ्ता हो गया मेरी तीमारदारी करते हुए? क्यों कर रहे हो ये सब? क्या मिलेगा आपको ये सब कर के? छोड़ दो मुझे अकेला और मरने दो!" मैंने बिलखते हुए कहा| ये था वो Nervous Breakdown जो डॉक्टर ने कहा था की होगा| क्योंकि दिमाग को अब शराब पीने के लिए बहाना चाहिए था और इस समय उसने ये बहाना बनाया की अनु की लाइफ मेरे कारन खराब हो रही है| अनु भी जानती थी की वो मुझे चाहे कितना भी प्यार से समझा ले पर मेरे पल्ले कुछ नहीं पड़ेगा| उन्हें मुझे जीने के लिए एक वजह देनी थी, एक ऐसी वजह जिसके लिए मैं ये लड़ाई जारी रखूँ और फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊँ| उन्हें मुझे अपनी दोस्ती का एहसास दिलाना था, पर सख्ती से ताकि मेरे दिमाग में उनकी बात घुसे!
वो मेरे गद्दे पर घुटनों के बल बैठीं और मेरे टी-शर्ट के कालर को पकड़ा और मुझे बड़े जोर से झिंझोड़ा, फिर गरजते हुए मेरी आँसुओं से लाल आँखों में देखती हुई बोलीं; "Look at me! तुम्हारी जगह मैं पड़ी होती तो क्या मुझे छोड़ कर चले जाते?..... बोलो? ..... नहीं ना?.... फिर मैं कैसे छोड़ दूँ तुम्हें?! ..... तुम्हें जीना होगा....मेरे लिए....मेरी दोस्ती के लिए..... तुम्हें ऐसे मरने नहीं दूँगी मैं! मेरी लाइफ में तुम वो अकेले इंसान हो जिसे मैंने अपना माना है और तुम मरने की बात करते हो? Now put on your big boy pants and start fighting! (मर्द बनो और इस लड़ाई को जारी रखो!)" अनु की ये बातें मेरे लिए ऐसी थीं जैसे काली गुफा में रौशनी की एक किरण, मैं धीरे-धीरे इस रौशनी की तरफ बढ़ ही रहा था की अनु ने मुझे एक बार फिर से झिंझोड़ा और पुछा; "समझे? Fight!!!!" मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और तब जा कर उन्होंने मेरा कालर छोड़ा| कुछ टाइम तक वो मेरी तरफ प्यार से देखने लगीं जैसे मुझसे माफ़ी माँग रही हों की उन्होंने मेरे साथ सख्ती दिखाई और इधर मेरा पूरा जिस्म दहल गया था| अनु की आँखें नम हो चली थीं तो मैंने उनके आँसू पोछे और गद्दे के नीचे से सिगरेट का पैक उन्हें निकाल कर दे दिया| अनु ने वो पैक लिया और बिना कुछ बोले चली गईं और मैं दिवार से सर लगा कर बैठा रहा और अपने दिल को तसल्ली देता रहा और हिम्मत बटोरता रहा की अनु ने ने इतनी मेहनत की है मुझे ठीक करने में तो मैं इसे बर्बाद जाने नहीं दूँगा| कुछ देर बाद मैं खुद बाहर आया और देखा तो अनु किचन में खाना बना रही हैं| मैं चुप-चाप हॉल में बैठ गया की तभी उन्होंने कहा की मैं उनका लैपटॉप ऑन करूँ| मैंने वैसा ही किया और उन्होंने मुझे पासवर्ड बताया और Mail access करने को बोला| Mail में एक कंपनी का कुछ डाटा था जिसे उन्हें सॉर्ट करना था| आगे उन्हें कुछ नहीं कहना पड़ा और मैं खुद ही लग गया| इतने दिनों बाद माउस पकड़ कर बड़ा अजीब सा लग रहा था| दिक्कत ये थी की हाथ कांपने की वजह से माउस इधर-उधर क्लिक हो रहा था तो मैं उसे बड़े धीरे चला रहा था| जब टाइप करने की बारी आई तो लैपटॉप की keys ज्यादा press हो जाती| मुझे नहीं पता था की अनु मुझे इस तरह जूझते देख मुस्कुरा रही थीं| खाना बनने के बाद वो दोनों का खाना एक थाली में परोस कर लाईं| मैंने चुप-चाप लैपटॉप बंद कर दिया, थोड़ा डरा-सहमा था की कहीं अनु फिर से न डाँट दे| पर नहीं इस बार उन्होंने मुझे अपने हाथ से खाना खिलाना शुरू कर दिया| मुझे खिलने के बाद उन्होंने भी वही बेस्वाद खाना खाया| "आप क्यों ये खाना खा रहे हो? आप बीमार थोड़े हो?" मैंने कहा| "बहुत मोटी हो गई हूँ मैं, इसी बहाने मैं भी थोड़ा वजन कम कर लूँगी|" उन्होंने मजाक करते हुए कहा|
"कौन से Beauty Pageant में हिस्सा ले रहे हो?" मैंने उनका बहाना पकड़ते हुए कहा| "आप पहले ही मेरा इतना 'ख्याल' रख रहे हो ऊपर से ये बेस्वाद खाना भी खा रहे हो! प्लीज ऐसा मत करो!" मैंने रिक्वेस्ट करते हुए कहा|
"दो बार खाना मुझसे नहीं बनता!" अनु ने फिर से बहाना मारा|
"कोई दो बार खाना नहीं बनाना, दाल में तड़का लगाने से पहले मेरे लिए निकाल दो और तड़के वाली आप खा लो|" मैंने उन्हें solution दिया पर वो कहाँ मानने वाली थीं तो मुझे बात घुमा कर कहनी पड़ी; "ok! ऐसा करो मेरे मुंह का स्वाद बदलने के लिए मुझे 1-2 चम्मच तड़के वाली दाल दे दो| फिर तो ठीक है? इतने से खाने से कुछ नहीं होगा!" बड़ी मुश्किल से वो मानी|
खेर खाना हुआ और उसके बाद हमने लैपटॉप पर ही एक मूवी देखि, मूवी देखते-देखते अनु सो गई| शाम को मैंने चाय बनाई और बड़ी मुश्किल से बनाई क्योंकि हाथ कांपते थे! रात को खाने के बाद मैंने फिर से बात शुरू की; "आप मेरे लिए इतना कर रहे हो की मेरे पास आपको शुक्रिया कहने को भी शब्द नहीं हैं|"
"लगता है सुबह वाली डाँट से अक्ल ठिकाने नहीं आई तुम्हारी?" उन्होंने फिर से चेहरे पर गुस्सा लाते हुए कहा|
"आ गई बाबा! पर एक बार बात तो सुन लो! काम ही पूजा होती है ना? तो आपका यूँ ऑफिस के काम ना करना ठीक है?" मैंने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा|
"ठीक है...तुम्हें मेरे काम की इतनी ही चिंता है तो चलो मेरे साथ बैंगलोर! तुम मुझे वहाँ Join कर लो as an employee नहीं बल्कि as a business partner!" ये सुनते ही मैं चौंक गया?
"Business Partner? कैसे? ...impossible!"
"क्यों Impossible? तुम काम इतने अच्छे से जानते हो, वो Project याद है ना? वो सब तुम ने ही तो संभाला था| इस वक़्त मेरी टीम में बस दो ही लोग हैं और हम दोनों आसानी से काम कर सकते हैं|"
"पर Business Partner क्यों? Employee क्यों नहीं? मैंने पुछा|
"हेल्लो सैलरी कौन देगा? पहले ही दो लोगों को सैलरी देनी पद रही है ऊपर से तुम्हें तो सबसे ज्यादा सैलरी देनी पड़ेगी आखिर सबसे experienced हो तुम!" अनु ने हँसते हुए कहा|
"अच्छा? यार आप तो बड़े calculative निकले!" मैंने हँसते हुए कहा|
"Business संभालती हूँ तो इतना तो सीख गई हूँ, वैसे भी हम दोनों दोस्त हैं और ऑफिस में वो Employer - Employee का ड्रामा मुझसे नहीं होगा!" आखिर सच उनके मुँह से बाहर आ ही गया|
"Okay .... New York से आने के बाद मैं वहीं शिफ्ट हो जाऊँगा|" ये सुनते ही अनु खामोश हो गई|
"नहीं...हम New York नहीं जा रहे... अभी तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है!"
"हेल्लो...मैडम मुझे नहीं पता .... अगर New York नहीं जाना तो मैं कहीं नहीं जा रहा|" मैंने रूठते हुए कहा|
"But तुम्हारी तबियत...." अनु ने चिंता जताते हुए कहा पर मैंने उनकी बात काट दी;
"Come on यार! ऐसी opportunity कोई छोड़ता है क्या? हमारे पास अभी काफी टाइम है and I promise मैं ठीक हो जाऊँगा| मुझे भी थोड़ा change चाहिए! प्लीज....प्लीज...प्लीज..." मेरा जबरदस्ती करने का कारन था की अनु ये golden opportunity waste करे| अगर मैं उन्हें ना मिला होता तो वो ये opportunity कभी miss नहीं करती, आखिर वो मान ही गईं और तुरंत Laptop से एक mail कर दिया|
अगली सुबह से मेरे अंदर बहुत से बदलाव आने लगे, जितनी भी नकारात्मकता थी वो सब अनु की care के कारन निकल चुकी थी और मेरी जिंदगी की नै शुरुआत हो चुकी थी| अब मैंने रोज सुबह समय पर उठना, योग करना और फिर अनु के साथ morning walk करना शुरू कर दिया था| खाने में मैं वही उबला हुआ खाना खा रहा था और साथ में फ्रूट्स और sprouts वगैरह खाने लगा था| अनु के ऑफिस का सारा काम मैंने laptop से करना शुरू कर दिया था| अनु का काम बस खाना बनाना और मुझे दवाई देने तक ही रह गया था| हाथ-पैर अब भी कांपते थे पर पहले जितने नहीं! कुछ दिन बाद अरुण और सिद्धर्थ मुझसे मिलने आये और अनु को वहाँ देख कर दोनों थोड़ा हैरान थे और शक करने लगे थे की हम दोनों का कुछ चल तो नहीं रहा पर मैंने उन्हें अनु की चोरी से सब सच बता दिया| वो खुश थे की मेरी सेहत में दिन पर दिन सुधार आ रहा था और दोनों ने अनु को बहुत-बहुत शुक्रिया किया| दिन कैसे गुजरे पता ही नहीं चला और 15 तरीक आ गई| इन बीते दिनों में घर से बहुत से फ़ोन आये और मुझे बहुत सी गालियाँ भी पड़ीं क्योंकि लगभग 3 महीने हो गए थे मुझे घर अपनी शक्ल दिखाए और ऊपर से शादी भी थी जिसके लिए मैंने एक ढेले का काम नहीं किया था| 16 तरीक को आने का वादा कर के मैं जाने को तैयार हुआ तो अनु ने कहा की वो भी साथ चलेंगी, पर उन्हें साथ ले जाना मतलब बवाल होना! इसलिए मैंने उन्हें समझाते हुए कहा; "बस एक दिन की बात है, मैं बस घर जा कर New York जाने की बात कर के अगले दिन आ जाऊँगा|" पर उन्हें चिंता ये थी की अगर वहाँ जा कर मैंने फिर से पी ली तो? "I Promise मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा!" बड़ी मुश्किल से उन्हें समझा-बुझा कर मैं निकला पर अंदर ही अंदर रितिका की शक्ल देखने से दिल में टीस उठना और फिर खुद को फिर से गिरा देने का डर लग रहा था| पर कब तक मैं इसी तरह डरूँगा ये सोच कर दिल मज़बूत किया और बस में बैठ गया|
Manu ab anu ke karan normal ho raha hai
Ab ye dekhna bahut majedaar hoga ki
Manu puri tarah sahi hokar us bewafa(ritu) ko maaf kar deta hai
YA fir badla leta hai
Ritu ki saadi hote hi Kamya ke sath milkar sara sach sab gaav walo ko beta de
Ritu ek baar pregnent bhi hui thi uski bhi medical reports hogi
badla....maanu ko to sirf ye faisla lena hai ki ritu ko maaf kare ya na kare...Badla maanu nahi waqt hi le lega ritu se............ kyonki nai aazadi ke josh mein usne khud hi apne aur maanu ke rishte ko usi college me itna pracharit kar diya tha.....jismein rahul bhi padhta hai.....to ye karnama kisi aur ke dwara na sahi kamya-rohit me se ya somu ke circle se kabhi na kabhi rahul ke saamne jarur ayegaJabardast update.... Badiya h manu ka nazariya badal raha h.. Kahi gaon me ritika ko dekhkar phir se na tut jaye... Ummid h manu anu ko diya promise pura karega... Keep updating..
badla....maanu ko to sirf ye faisla lena hai ki ritu ko maaf kare ya na kare...Badla maanu nahi waqt hi le lega ritu se............ kyonki nai aazadi ke josh mein usne khud hi apne aur maanu ke rishte ko usi college me itna pracharit kar diya tha.....jismein rahul bhi padhta hai.....to ye karnama kisi aur ke dwara na sahi kamya-rohit me se ya somu ke circle se kabhi na kabhi rahul ke saamne jarur ayega
maanu khud to ye sach kisi ke samne la hi nahi sakta ..... balki agar ho saka to kisi aur ko bhi nahi lane dega............ kyonki uska aur ritu ka rishta aisa hai ki ritu ke sath achche ka fark us par chahe na pade lekin ritu ke sath bura hone se maanu hi nahi uska poora pariwar prabhavit hoga.........aur shayad bahut jyada hi bura ho jaye ghar mein
ab rahi ghar me ritu se saamna hone ki baat ....to maanu ko ghar me sirf ritu ko face hi nahi karna balki ek normal behavior bhi rakhna padega....gharwalon ke samne