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(UPDATE-22)
उधर पुलिस तफ़तीश करती है शांतलाल की लाश जो जेल से अभी छूटा था…ऊस्की मौत और बिस्तर पे लगे वीर्य को देखकर वो रिसेप्षनिस्ट को घूर्रता है….आस पड़ोस के पूछने पे कोई बता नहीं पता ई आख़िर गोली की आवाज़ कब सुनाई दी लेकिन जो भ ईशंतलाल के साथ था ऊसने गोली मारी….सी सी टी अभी फुटेज का रिकार्डिंग सिस्टम ही टूटा पड़ा था….बस होटल पे स्कॅंडल चल रही है इस बात कप आता लगते ही पुलिस ने मैनेजर को ही गेरफ़्तार कर लिया ऊन लोगों का लगा हो ना हो शांतलाल स्कॅंडल में इणवओवला था कुटुम्ब के बार्िएन में ऊन्हें ज़रा सी भनक नहीं हुई होटल को सील कर दिया गया
गर्र्र्र गर्र्र्र करती मोटर की आवाज़ को सुन बस्ती के बाहर बैठी कुछ औरतें जो बर्तन मांझ रही थी ऊस मोटोरयस्यकले सवार को देखने लगी जो उनके पास आकर बाइक को रोकता है उसके मुकोते भरे चेहरे को देख…वो लोग आश्चर्य से उठ खड़े हो जाते है…सब अढेढ़ उमर की औरतें कुछ कमसिन लड़कियां होती है बस्ती की औरतें काला साया को अपने पास आते देखती है
“आपप यहाँ पे?”…..काला साया मुस्कुराकर ऊन सबको देखता है….”हाँ मैं यहां पे इसलिए आया हूँ क्योंकि अब आप लोगों के लिए एक खुशख़बरी है जो नाइंसाफी शांतलाल जैसे कमीने आदमी ने आपलोगो की बेटियो बहनो और आपके साथ की ऊन सबका मैंने बदला ले लिया”…….औरतें हैरान कुछ देर पहले ही वो लोग शांतलाल की मौत के ऊपर चर्चा कर रही थी और काला साया की बात सुनकर होठों पे आँचल रखकर वो लोग एक दूसरे को देखने लगी
“तो इसका मतलब्बब आपने?”….काला साया ने सर हाँ में हिलाया….ऊन औरतों खुशी से एक दूसरे को गले लगाया…उनकी खुशी साफ जाहिर थी की उनके जालिम को सजा मिल चुकी थी….दरअसल काला साया ने शांतलाल को अपने बदले के फायदे के लिए नहीं छूना था वो उससे ऊन मासूम औरतों पे हुए ज़ुलाम जो शांतलाल ने किए थे ऊन्हें राशन कार्ड के बदले ऊँका सोशण किया ऊन्हें राशन नहीं दिया अपनी मनमानी की ऊन सबका बदला काला साया ने लिया था
“हम तुम्हारे बहुत आभारी है काला साया तुम जो कोई भी हो तुमने हुंपे उपकार किया है”…..सब हाथ जोधके काला साया को धनञयवाद करती है….काला साया ऊन सबको मना अकर्ता है की वो ऊनसे उमर में बड़ी है वो उनके आंखों में दुख नहीं देखना चाहता…अगर यहां की पुलिस स्ट्रिक्ट एक्शन लेती तो आज काला साया का कोई वजूद नहीं होता….काला साया ऊसबसे विदा लेकर बाइक पे वापिस सवार हो जाता है और अँधा ढूँढ हवा के भट्टी गायब हो जाता…औरतें साफ ठान लेती है की शांतलाल का खून काला साया ने किया है वो किसको नहीं बताएंगीइ….
जल्द ही काला साया किसी साए की तरह अपने घर में दाखिल होता है…इतने में दिव्या को सामने देख काला साया मुस्कुराकर खड़ा हो जाता है…”ओह तूमम आ गये”…..दिव्या काला साया से लिपट जाती है….अभी कुछ देर पहले किचन में खाना बनाने से उसका पूरा बदन पसीने से गीलट हां…काला साया उसके माथे को चूमता है और फिर दिव्या काला साया को पानी देती है
काला साया : तुम्हारे लिए एक तोहफा लाआया हूँ
दिव्या : कैसा तोहफा?
काला साया : लो तो सही ये वीडियो देखो
दिव्या आश्चर्य भाव से मुस्कुराकर काला साया को देखकर वो मोबाइल वीडियो क्लिप ऑन करती है…ऊसमें डरी शेमी कुटुम्ब को देख दिव्या हैरान हो जाती है एक बार काला साया को देखकर फिर वीडियो देखने लगती है…कुटुम्ब उससे हाथ जोड़के माँफी माँग रही है और अपने गुनाहो को कबूल कर रही है ये सब देखकर दिव्या के चेहरे पे मुस्कुराहट छा जाती है….काला साया फौरन गंभीरता से वीडियो लगा देता है सीडी प्लेयर में और तभी आहें भरते शांतलाल और कुटुम्ब की होटल वाली एम एम एसे चलने लगती है
“हेयी भगवान्नन् ये तो मालकिन हाईईइ तुममन्ने इन्हें हाहाहा जो भी किया बहुत अच्छा किया इसी के लायक है ये रंडी”……काला साया ने ना में जवाब दिया और फिर जो जले हुए फोटोग्राफेस थे उनके कुछ फोटोस जो ठीक थे उसे दिव्या को दिखाए…फिर दिव्या को सबकुछ शांतलाल से मिलने से लेकर कुटुम्ब से बदला लेने तक उसे होटल लाके उसका एम एम एसे बनाने तक सबकुछ बताया….तब जाकर दिव्या काला साया के गले लग गयी
दिव्या : तुमने मेरा बदला लिया ऊनसे मैं तुम्हारा ये कर्ज कभी
काला साया : हाथ पगली कैसा कर्ज? ये तो ऊन मासूमों के लिए था और तुम्हारे लिए जो आजतक इन भेड़ियो के चंगुल में पीसती रही…काला साया इंसाफ का पुजारी है…खैरर अब तो तुम समझ गई ना की हम कुटुम्ब और उसके बेटे साहिल से कैसे बदला लेंगे
दिव्या : तुमने ये सब वॉ क्या बोलते है नेट पे क्यों नहीं डाला वो औरत बदनाम हो तेरे मेरे कलेजे को ठंडक पहुंचे
काला साया : अगर इतनी आसान सजा दी तो पुलिस उसे गेरफ़्तार कर लेगी तब हम उसके बेटे और बाप से बदला कैसे लेंगे अभी तो हमने शुरूवात की है अब बच्चा उसका बाप और बेटा
दिव्या भी गंभीरता से काला साया की ओर देखने लगती है…उधर कुटुम्ब खाना बना रही थी आज सुबह जो कुछ हुआ उससे उसका पूरा हाथ पाओ काँप रहा था…बाहर अंजर उसका पति फोन पे हंस हस्सके बात कर रहा था….”हाहाहा क्या सच में मररर गया हाहाहा वॉ हरामी बहन का लौंडा शांतलाल मर गया हाहाहा”…..उसके तहाका लगती हँसी कुटुम्ब को शांतलाल से रगदाई और उसके मौत की याद दिला रही थी ऊसने बाहर आकर अपना आँचल से चेहरा पोंछके कहा की ऊस्की तबीयत ठीक नहीं वो आराम करना चाहती है….अंजर ने उसे जाने का इशारा किया….तभी अचानक दो कॉन्स्टेबल दरवाजे पे दस्तक देते है…दोनों कॉन्स्टेबल को देख अंजर हैरानी से फोन कांट देता है….कुटुम्ब का तो तार्र तार्र पूरा बदन काँपने लगता है कहीं काला साया ने सबकुछ खुलासा तो नहीं कर डाला उसके बारे में
अंजर : जी साहेब बोलिए
कॉन्स्टेबल्स : शांतलाल का कत्ल हुआ है एक होटल में उसी की छानबीन कर रहे है सुना है शांतलाल तुम्हारा कट्टर दुश्मन था….तुमने उसके पीछे गुंडे लगाए थे
अंजर : क्क्क…क्या बोल रहे हो साहेब? ऐसा कुछ नहीं (कुटुम्ब की तो सिट्टी पिटी गुम कहीं पुलिस उसे ही ना पकड़ ले)
कॉन्स्टेबल्स : देखो तुम्हारे भेजे गये बड्ढे के टट्टू ने मुँह खोल डाला है और वो साफ कह रहे है की तुमने ऊन्हें सुपारी दी थी…क्या ये सच है?
अंजर : मेरी मां की कसम साहेब ऐसा नहीं (कामेनेपन की हद थी)
उधर पुलिस तफ़तीश करती है शांतलाल की लाश जो जेल से अभी छूटा था…ऊस्की मौत और बिस्तर पे लगे वीर्य को देखकर वो रिसेप्षनिस्ट को घूर्रता है….आस पड़ोस के पूछने पे कोई बता नहीं पता ई आख़िर गोली की आवाज़ कब सुनाई दी लेकिन जो भ ईशंतलाल के साथ था ऊसने गोली मारी….सी सी टी अभी फुटेज का रिकार्डिंग सिस्टम ही टूटा पड़ा था….बस होटल पे स्कॅंडल चल रही है इस बात कप आता लगते ही पुलिस ने मैनेजर को ही गेरफ़्तार कर लिया ऊन लोगों का लगा हो ना हो शांतलाल स्कॅंडल में इणवओवला था कुटुम्ब के बार्िएन में ऊन्हें ज़रा सी भनक नहीं हुई होटल को सील कर दिया गया
गर्र्र्र गर्र्र्र करती मोटर की आवाज़ को सुन बस्ती के बाहर बैठी कुछ औरतें जो बर्तन मांझ रही थी ऊस मोटोरयस्यकले सवार को देखने लगी जो उनके पास आकर बाइक को रोकता है उसके मुकोते भरे चेहरे को देख…वो लोग आश्चर्य से उठ खड़े हो जाते है…सब अढेढ़ उमर की औरतें कुछ कमसिन लड़कियां होती है बस्ती की औरतें काला साया को अपने पास आते देखती है
“आपप यहाँ पे?”…..काला साया मुस्कुराकर ऊन सबको देखता है….”हाँ मैं यहां पे इसलिए आया हूँ क्योंकि अब आप लोगों के लिए एक खुशख़बरी है जो नाइंसाफी शांतलाल जैसे कमीने आदमी ने आपलोगो की बेटियो बहनो और आपके साथ की ऊन सबका मैंने बदला ले लिया”…….औरतें हैरान कुछ देर पहले ही वो लोग शांतलाल की मौत के ऊपर चर्चा कर रही थी और काला साया की बात सुनकर होठों पे आँचल रखकर वो लोग एक दूसरे को देखने लगी
“तो इसका मतलब्बब आपने?”….काला साया ने सर हाँ में हिलाया….ऊन औरतों खुशी से एक दूसरे को गले लगाया…उनकी खुशी साफ जाहिर थी की उनके जालिम को सजा मिल चुकी थी….दरअसल काला साया ने शांतलाल को अपने बदले के फायदे के लिए नहीं छूना था वो उससे ऊन मासूम औरतों पे हुए ज़ुलाम जो शांतलाल ने किए थे ऊन्हें राशन कार्ड के बदले ऊँका सोशण किया ऊन्हें राशन नहीं दिया अपनी मनमानी की ऊन सबका बदला काला साया ने लिया था
“हम तुम्हारे बहुत आभारी है काला साया तुम जो कोई भी हो तुमने हुंपे उपकार किया है”…..सब हाथ जोधके काला साया को धनञयवाद करती है….काला साया ऊन सबको मना अकर्ता है की वो ऊनसे उमर में बड़ी है वो उनके आंखों में दुख नहीं देखना चाहता…अगर यहां की पुलिस स्ट्रिक्ट एक्शन लेती तो आज काला साया का कोई वजूद नहीं होता….काला साया ऊसबसे विदा लेकर बाइक पे वापिस सवार हो जाता है और अँधा ढूँढ हवा के भट्टी गायब हो जाता…औरतें साफ ठान लेती है की शांतलाल का खून काला साया ने किया है वो किसको नहीं बताएंगीइ….
जल्द ही काला साया किसी साए की तरह अपने घर में दाखिल होता है…इतने में दिव्या को सामने देख काला साया मुस्कुराकर खड़ा हो जाता है…”ओह तूमम आ गये”…..दिव्या काला साया से लिपट जाती है….अभी कुछ देर पहले किचन में खाना बनाने से उसका पूरा बदन पसीने से गीलट हां…काला साया उसके माथे को चूमता है और फिर दिव्या काला साया को पानी देती है
काला साया : तुम्हारे लिए एक तोहफा लाआया हूँ
दिव्या : कैसा तोहफा?
काला साया : लो तो सही ये वीडियो देखो
दिव्या आश्चर्य भाव से मुस्कुराकर काला साया को देखकर वो मोबाइल वीडियो क्लिप ऑन करती है…ऊसमें डरी शेमी कुटुम्ब को देख दिव्या हैरान हो जाती है एक बार काला साया को देखकर फिर वीडियो देखने लगती है…कुटुम्ब उससे हाथ जोड़के माँफी माँग रही है और अपने गुनाहो को कबूल कर रही है ये सब देखकर दिव्या के चेहरे पे मुस्कुराहट छा जाती है….काला साया फौरन गंभीरता से वीडियो लगा देता है सीडी प्लेयर में और तभी आहें भरते शांतलाल और कुटुम्ब की होटल वाली एम एम एसे चलने लगती है
“हेयी भगवान्नन् ये तो मालकिन हाईईइ तुममन्ने इन्हें हाहाहा जो भी किया बहुत अच्छा किया इसी के लायक है ये रंडी”……काला साया ने ना में जवाब दिया और फिर जो जले हुए फोटोग्राफेस थे उनके कुछ फोटोस जो ठीक थे उसे दिव्या को दिखाए…फिर दिव्या को सबकुछ शांतलाल से मिलने से लेकर कुटुम्ब से बदला लेने तक उसे होटल लाके उसका एम एम एसे बनाने तक सबकुछ बताया….तब जाकर दिव्या काला साया के गले लग गयी
दिव्या : तुमने मेरा बदला लिया ऊनसे मैं तुम्हारा ये कर्ज कभी
काला साया : हाथ पगली कैसा कर्ज? ये तो ऊन मासूमों के लिए था और तुम्हारे लिए जो आजतक इन भेड़ियो के चंगुल में पीसती रही…काला साया इंसाफ का पुजारी है…खैरर अब तो तुम समझ गई ना की हम कुटुम्ब और उसके बेटे साहिल से कैसे बदला लेंगे
दिव्या : तुमने ये सब वॉ क्या बोलते है नेट पे क्यों नहीं डाला वो औरत बदनाम हो तेरे मेरे कलेजे को ठंडक पहुंचे
काला साया : अगर इतनी आसान सजा दी तो पुलिस उसे गेरफ़्तार कर लेगी तब हम उसके बेटे और बाप से बदला कैसे लेंगे अभी तो हमने शुरूवात की है अब बच्चा उसका बाप और बेटा
दिव्या भी गंभीरता से काला साया की ओर देखने लगती है…उधर कुटुम्ब खाना बना रही थी आज सुबह जो कुछ हुआ उससे उसका पूरा हाथ पाओ काँप रहा था…बाहर अंजर उसका पति फोन पे हंस हस्सके बात कर रहा था….”हाहाहा क्या सच में मररर गया हाहाहा वॉ हरामी बहन का लौंडा शांतलाल मर गया हाहाहा”…..उसके तहाका लगती हँसी कुटुम्ब को शांतलाल से रगदाई और उसके मौत की याद दिला रही थी ऊसने बाहर आकर अपना आँचल से चेहरा पोंछके कहा की ऊस्की तबीयत ठीक नहीं वो आराम करना चाहती है….अंजर ने उसे जाने का इशारा किया….तभी अचानक दो कॉन्स्टेबल दरवाजे पे दस्तक देते है…दोनों कॉन्स्टेबल को देख अंजर हैरानी से फोन कांट देता है….कुटुम्ब का तो तार्र तार्र पूरा बदन काँपने लगता है कहीं काला साया ने सबकुछ खुलासा तो नहीं कर डाला उसके बारे में
अंजर : जी साहेब बोलिए
कॉन्स्टेबल्स : शांतलाल का कत्ल हुआ है एक होटल में उसी की छानबीन कर रहे है सुना है शांतलाल तुम्हारा कट्टर दुश्मन था….तुमने उसके पीछे गुंडे लगाए थे
अंजर : क्क्क…क्या बोल रहे हो साहेब? ऐसा कुछ नहीं (कुटुम्ब की तो सिट्टी पिटी गुम कहीं पुलिस उसे ही ना पकड़ ले)
कॉन्स्टेबल्स : देखो तुम्हारे भेजे गये बड्ढे के टट्टू ने मुँह खोल डाला है और वो साफ कह रहे है की तुमने ऊन्हें सुपारी दी थी…क्या ये सच है?
अंजर : मेरी मां की कसम साहेब ऐसा नहीं (कामेनेपन की हद थी)