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Adultery काला साया – रात का सूपर हीरो(Completed)

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उधर पुलिस तफ़तीश करती है शांतलाल की लाश जो जेल से अभी छूटा था…ऊस्की मौत और बिस्तर पे लगे वीर्य को देखकर वो रिसेप्षनिस्ट को घूर्रता है….आस पड़ोस के पूछने पे कोई बता नहीं पता ई आख़िर गोली की आवाज़ कब सुनाई दी लेकिन जो भ ईशंतलाल के साथ था ऊसने गोली मारी….सी सी टी अभी फुटेज का रिकार्डिंग सिस्टम ही टूटा पड़ा था….बस होटल पे स्कॅंडल चल रही है इस बात कप आता लगते ही पुलिस ने मैनेजर को ही गेरफ़्तार कर लिया ऊन लोगों का लगा हो ना हो शांतलाल स्कॅंडल में इणवओवला था कुटुम्ब के बार्िएन में ऊन्हें ज़रा सी भनक नहीं हुई होटल को सील कर दिया गया
गर्र्र्र गर्र्र्र करती मोटर की आवाज़ को सुन बस्ती के बाहर बैठी कुछ औरतें जो बर्तन मांझ रही थी ऊस मोटोरयस्यकले सवार को देखने लगी जो उनके पास आकर बाइक को रोकता है उसके मुकोते भरे चेहरे को देख…वो लोग आश्चर्य से उठ खड़े हो जाते है…सब अढेढ़ उमर की औरतें कुछ कमसिन लड़कियां होती है बस्ती की औरतें काला साया को अपने पास आते देखती है

“आपप यहाँ पे?”…..काला साया मुस्कुराकर ऊन सबको देखता है….”हाँ मैं यहां पे इसलिए आया हूँ क्योंकि अब आप लोगों के लिए एक खुशख़बरी है जो नाइंसाफी शांतलाल जैसे कमीने आदमी ने आपलोगो की बेटियो बहनो और आपके साथ की ऊन सबका मैंने बदला ले लिया”…….औरतें हैरान कुछ देर पहले ही वो लोग शांतलाल की मौत के ऊपर चर्चा कर रही थी और काला साया की बात सुनकर होठों पे आँचल रखकर वो लोग एक दूसरे को देखने लगी

“तो इसका मतलब्बब आपने?”….काला साया ने सर हाँ में हिलाया….ऊन औरतों खुशी से एक दूसरे को गले लगाया…उनकी खुशी साफ जाहिर थी की उनके जालिम को सजा मिल चुकी थी….दरअसल काला साया ने शांतलाल को अपने बदले के फायदे के लिए नहीं छूना था वो उससे ऊन मासूम औरतों पे हुए ज़ुलाम जो शांतलाल ने किए थे ऊन्हें राशन कार्ड के बदले ऊँका सोशण किया ऊन्हें राशन नहीं दिया अपनी मनमानी की ऊन सबका बदला काला साया ने लिया था

“हम तुम्हारे बहुत आभारी है काला साया तुम जो कोई भी हो तुमने हुंपे उपकार किया है”…..सब हाथ जोधके काला साया को धनञयवाद करती है….काला साया ऊन सबको मना अकर्ता है की वो ऊनसे उमर में बड़ी है वो उनके आंखों में दुख नहीं देखना चाहता…अगर यहां की पुलिस स्ट्रिक्ट एक्शन लेती तो आज काला साया का कोई वजूद नहीं होता….काला साया ऊसबसे विदा लेकर बाइक पे वापिस सवार हो जाता है और अँधा ढूँढ हवा के भट्टी गायब हो जाता…औरतें साफ ठान लेती है की शांतलाल का खून काला साया ने किया है वो किसको नहीं बताएंगीइ….

जल्द ही काला साया किसी साए की तरह अपने घर में दाखिल होता है…इतने में दिव्या को सामने देख काला साया मुस्कुराकर खड़ा हो जाता है…”ओह तूमम आ गये”…..दिव्या काला साया से लिपट जाती है….अभी कुछ देर पहले किचन में खाना बनाने से उसका पूरा बदन पसीने से गीलट हां…काला साया उसके माथे को चूमता है और फिर दिव्या काला साया को पानी देती है

काला साया : तुम्हारे लिए एक तोहफा लाआया हूँ
दिव्या : कैसा तोहफा?
काला साया : लो तो सही ये वीडियो देखो


दिव्या आश्चर्य भाव से मुस्कुराकर काला साया को देखकर वो मोबाइल वीडियो क्लिप ऑन करती है…ऊसमें डरी शेमी कुटुम्ब को देख दिव्या हैरान हो जाती है एक बार काला साया को देखकर फिर वीडियो देखने लगती है…कुटुम्ब उससे हाथ जोड़के माँफी माँग रही है और अपने गुनाहो को कबूल कर रही है ये सब देखकर दिव्या के चेहरे पे मुस्कुराहट छा जाती है….काला साया फौरन गंभीरता से वीडियो लगा देता है सीडी प्लेयर में और तभी आहें भरते शांतलाल और कुटुम्ब की होटल वाली एम एम एसे चलने लगती है

“हेयी भगवान्नन् ये तो मालकिन हाईईइ तुममन्ने इन्हें हाहाहा जो भी किया बहुत अच्छा किया इसी के लायक है ये रंडी”……काला साया ने ना में जवाब दिया और फिर जो जले हुए फोटोग्राफेस थे उनके कुछ फोटोस जो ठीक थे उसे दिव्या को दिखाए…फिर दिव्या को सबकुछ शांतलाल से मिलने से लेकर कुटुम्ब से बदला लेने तक उसे होटल लाके उसका एम एम एसे बनाने तक सबकुछ बताया….तब जाकर दिव्या काला साया के गले लग गयी

दिव्या : तुमने मेरा बदला लिया ऊनसे मैं तुम्हारा ये कर्ज कभी
काला साया : हाथ पगली कैसा कर्ज? ये तो ऊन मासूमों के लिए था और तुम्हारे लिए जो आजतक इन भेड़ियो के चंगुल में पीसती रही…काला साया इंसाफ का पुजारी है…खैरर अब तो तुम समझ गई ना की हम कुटुम्ब और उसके बेटे साहिल से कैसे बदला लेंगे
दिव्या : तुमने ये सब वॉ क्या बोलते है नेट पे क्यों नहीं डाला वो औरत बदनाम हो तेरे मेरे कलेजे को ठंडक पहुंचे
काला साया : अगर इतनी आसान सजा दी तो पुलिस उसे गेरफ़्तार कर लेगी तब हम उसके बेटे और बाप से बदला कैसे लेंगे अभी तो हमने शुरूवात की है अब बच्चा उसका बाप और बेटा

दिव्या भी गंभीरता से काला साया की ओर देखने लगती है…उधर कुटुम्ब खाना बना रही थी आज सुबह जो कुछ हुआ उससे उसका पूरा हाथ पाओ काँप रहा था…बाहर अंजर उसका पति फोन पे हंस हस्सके बात कर रहा था….”हाहाहा क्या सच में मररर गया हाहाहा वॉ हरामी बहन का लौंडा शांतलाल मर गया हाहाहा”…..उसके तहाका लगती हँसी कुटुम्ब को शांतलाल से रगदाई और उसके मौत की याद दिला रही थी ऊसने बाहर आकर अपना आँचल से चेहरा पोंछके कहा की ऊस्की तबीयत ठीक नहीं वो आराम करना चाहती है….अंजर ने उसे जाने का इशारा किया….तभी अचानक दो कॉन्स्टेबल दरवाजे पे दस्तक देते है…दोनों कॉन्स्टेबल को देख अंजर हैरानी से फोन कांट देता है….कुटुम्ब का तो तार्र तार्र पूरा बदन काँपने लगता है कहीं काला साया ने सबकुछ खुलासा तो नहीं कर डाला उसके बारे में

अंजर : जी साहेब बोलिए
कॉन्स्टेबल्स : शांतलाल का कत्ल हुआ है एक होटल में उसी की छानबीन कर रहे है सुना है शांतलाल तुम्हारा कट्टर दुश्मन था….तुमने उसके पीछे गुंडे लगाए थे
अंजर : क्क्क…क्या बोल रहे हो साहेब? ऐसा कुछ नहीं (कुटुम्ब की तो सिट्टी पिटी गुम कहीं पुलिस उसे ही ना पकड़ ले)
कॉन्स्टेबल्स : देखो तुम्हारे भेजे गये बड्ढे के टट्टू ने मुँह खोल डाला है और वो साफ कह रहे है की तुमने ऊन्हें सुपारी दी थी…क्या ये सच है?
अंजर : मेरी मां की कसम साहेब ऐसा नहीं (कामेनेपन की हद थी)
 

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कॉन्स्टेबल्स : शांतलाल की आपसे क्या दुश्मनी थी?
अंजर : बॅस वो बहुत निहायती कमीना था साहेब पारा (एरिया) की हर औरत को ऊसने मोलेस्ट किया था साहबे मैंने उससे दोस्ती तोड़ी और उसके राशन के दुकान को फ्सी से बंद करवाया तो वो मेरे जान का प्यासा बन गया है
कॉन्स्टेबल्स : हम आपका बेटा किधर है
अंजर : वो कॉलेज गया हुआ है
कॉन्स्टेबल्स : हम उसका नंबर दीजिए
अंजर : साहेब वॉ कुछ नहीं जनता
कॉन्स्टेबल्स : सबसे पूछताछ चल रही हे अभी हम कुछ कह नहीं सकते दो खून हुए है होटल के रिसेप्षनिस्ट का और शांतलाल का वहां पे धायर सारे वीडियोस जो अश्लील है रेकॉर्डेड पाए गये
अंजर : शांतलाल तो था ही कमीना साहेब लीजिए अरे कुटुम्ब इधर आना तो
कटुउंब भौक्ला गई वो किसी तरह करीब आई फिर ऊसने बारे ही धीमे लव्ज़ में सहिल का नंबर दिया फिर जाने लगी पर कॉन्स्टेबल ने उसे रोका उससे भी कुछ सवाल्ट किए की अगर वो कुछ जानती हो…कुटुम्ब ने ना में सर हिलाया और फिर वो लोग चले गये…अंजनर तो खुशी के मारें नाचने लगा “हाहाहा अच्छा हुआ कमीना मर गया पर एक बात बता ये मेरे गुंडेलोगो ने अगर उसे नहीं मारा तो फिर वो मारा कैसे? कॉन्स्टेबल कह रहे थे की शांतलाल किसी औरत के साथ पाया गया हो सकता है उसी ने”….कुटुम्ब का तो पसीना चुट्टने लगा वो बरफ की तरह ठंडी पढ़ गयी
अंजर : जाने दे हाहाहा चल तू आराम कर मैं थोड़ा साहिल को फोन करके कह देता हूँ की पुलिस को ज्यादा कुछ बोल ना दे
कुटुम्ब : त्तहेककक है (इतना कहकर कुटुम्ब फौरन कमरे में चली गयी)
रात हो चुकी थी…..कुटुम्ब के दिमाग में बस रही रहके वॉ खौफ भरे बातें घूम रहे थे शांतलाल उसके सामने मारा था…काला साया ने उसे मारा और कुटुम्ब पे सारे निशाने सांड़ दिए सबूत के….काला साया के हाथों में लगाम थी वो जब चाहे उसे घोधी बनकर दौड़ा सकता था…इधर पुलिस को पता लग चुका है की काम एक औरत का है…ये सब सोचते सोचते कुटुम्ब रोने लगी की आगे उसके साथ क्या होगा?
कुछ दिन तक सबकुछ नॉर्मल रहा ना ही कोई धमकिभरा खत कुउत्मब को काला साय से मिला और ना ही पुलिस कोई और ज्यादा प्रोग्रेस कर सकी….शांतलाल की मौत किसी औरत ने ही की है इसका कोई पुष्टि नहीं हो पा रहा था लेकिन बिस्तर पे लगे शुक्राणु औरत के भी थे….पुलिस ने कुछ दिन कुटुम्ब के पति पे शक किया क्योंकि वो दुश्मन था शांतलाल का पर कोई खास सबूत ना मिला करीब 1 महीने में ही ये मामला ठंडा पढ़ने लगा….पुलिस ने थक्के फाइल बंद कर दी..ऊस दिन कुटुम्ब को आराम से सो रही थी उसके दिल का डर कुछ कम ही हुआ था की इतने में फोन बज उठा
कुटुम्ब : हेल्ल्लू? (अंजर पास ही सो रहा था)
काला साय : हेलो जानेमन क्या हुआ तुम्हारी आवाज़ को?
कुटुम्ब : उफ़फ्फ़ काला साया तूमम तुमने इतनी रात गये फोन क्यों किया पता है पोलसीए आई थी कुछ दीनों पहले
काला साया : हाहाहा मैंने क्या कहा था काला साया का साया जबतक तुमपे है पुलिस तुम्हें छू भी नहीं सकती सबूत मेरे पास है पुलिस को तुमपे एक टक्का भी शक नहीं अब तुम फौरन टट्टी करने का बहाना करके ऊपर आ जाओ
कुटुम्ब : अभिईिइ तूमम ऊपर हो
काला साया : शायद तुम्हें सुनाई दिया मैं तुम्हारे कमरे में आ जाता हूओ
कुटुम्ब्ब्ब् : नहीं नहीं प्लीज़ ऊपर ही रहनन्ना मेरे पति जगह जाएँगे
काला साया : आऊ जल्दी आऊ
कुटुम्ब जैसे ही फोन कट करके किसी तरह अंजर को देखती है जो गान्ड घुमाएं सो रहा है कुटुम्ब अंजर को आवाज़ देती है वो नीण्दम आइन सवाल करता है “नीचे का टॉयलेट काम नहीं कर रहा मैं थोड़ा हगके आती हूँ”..अंजर कर्राहते भरके सोने लगता है..कुटुम्ब भाँपते हुए फौरन बिस्तर से उठके दरवाजा खोलती है और ब्रांडे से होते हुए चारों ओर देखती है रात के 3 बज चुके है….और झींगुर की कीर्र कीर्र आवाज़ गूंज रही है कहीं दूर कोई कुत्ता हावव हावव करके रो रहा है….कुटुम्ब काँपते हुए किसी तरह ऊपर आती है…छत्त का ताला बारे ही आराम से खोलती है….इतने में वो बाहर की लाइट जला देती है
अंधेरी रात में जैसे छत्त पे थोड़ा उजाला होता है…इतने में ढाप्प से कोई चीज़ छत्त पे कूड़ता है कुटुम्ब एकदम से चीख पढ़ती है…पर काला साया कोदेखके उसका डर थोड़ा कम हो जाता है…काला साया उसके करीब आता है पहली बार कुटुम्ब काल साया को बारे गौर से देखती है
काला साया : मुझे पहचानने की कोई जरूरत नहीं
कुटुम्ब बिना कुछ कहें उदासी निगाहों से काला साय को देखती है काला साया उसका हाथ पकड़कर उसे अपने करीब खींचता है और उसके मोटे होठों को चुस्सता है उसके मोटे होठों को बड़ी बड़ी से चुस्स चुस्सके उसे बेहाल कर देता है फिर झट से लाइट ऑफ करके ऊपर के बने टॉयलेट में ले आता है टॉयलेट सीट पे बैठकर वो अपना पेंट उतार देता है और कुटुम्ब के ब्लाउज को खोल के उसके मोटे मोटे तरबूज जैसे चुचियों को दबाने लगता है
कुटुम्ब कसमसाने लगती है…काल साया ऊन्हें मुँह में भरके चुस्सता है….और फिर अपने लंड को खोल के सीधे कुटुम्ब को कुतिया बनकर अपने लंड पे झुका देता है…कुटुम्ब जानती थी उसे क्या करना है वो फ़ौरना लंड को मुँह में लेकर चूसने लगत् इहाई..मुँह से अंदर बाहर करने लगती है…काला साया टाँग कुटुम्ब के पिछवाड़े पे रख देता है और उसके बालों को पकड़े उसके पीठ से सारी का पल्लू गिरा देता है
 

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साहहील : देख मुझे चोद दे वरना अंजाम ठीक नहीं होगाआ
काला साया : क्या कर लेगा? बोल मैं एक ही पूंछ मर के तैयार बत्तीसी निकाल सकता हूँ
साहिल : डेक्कख मेरी बात सुन मुझे चोद दे जितना बोल उतना दूँगा
काला साया : मुक़दमा नो.5 पैसे का लालच देकर मासूमों ना इंसाफी दिलवाना
साहिल : आबे साले स्माझता क्यूउ नहीं तू?

चट्टककक…एक थप्पड़ काला साया साहिल के मुँह पे मारता है…साहिल के होंठ काट जाते है और वो रोई सूरत बनकर काला साया को देखने लगता है “तू सोच रहा होगा की तू यहां कैसे? एकदुम्से ? दिव्या मेरे साथ मिली हुई है एकदुम्से वो सीडी में जो ब्लूएफील्म्‍म्म तेरी मां का”……इतना कहकर काला साया हँसने लगा

काला साया : हाँ मैंने ही बनवाया तेरी मां को मैंने ही शांतलाल से चुदवाया और मजे की बात बताऊं तेरी मां को मैंने भी चोदा हाँ ऊसने शांतलाल का कत्ल कर डाला
साहिल : झूवतत झूटतत क्यों कर रहः आई हमारे साथ ऐसा तू?
काला साया : क्यूउ क्यूउ? जानना चाहता है ना किसी मासूम लड़की की इज़त के साथ तूने खेला जिसने तुझे इतना प्यार किया सपोर्ट किया तुझे अपना सबकुछ दिया…और तूने अरे बहन ना बना सका तो कम से कम उसे प्यार का तो धोखा मत दे तूने एक नहीं हज़ारों लड़कियों की जिंदगी तहेस-नबूत की तेरे बाप ने खेत की औरतों को शांतलाल के साथ चोदा और फिर तूने भी बहती गंगा में हाथ धोया

और तुझहहे क्यूउ का जवाब चाहिई कमीने?…..ज़ोर से गारज़ता हुआ काला साया चिल्ला उठा….साहिल सहम उठा “ड्ड..एक मेरि मां ज़बरदस्ती तेरे साथ कर रही है”…काला साया झुककर बोलता है “और टर एबाप तूने जो दूसरों की औरतों एक साथ किया कभी सोचा वो भी तो अपने बककचे के भूख के लिए महेज़ जो सरकारी राशन जो ऊन्हें दिया जाता है उसके बदले में उनकी इज्जत ली ऊँका सोशण किया क्या उनके बच्चे अपनी मां का ऐसा रूप देखेंगे अरे उनकी चोद तू बता तू तो बेटे के नाम पे गान्डू है गान्डू”…..क्‍ाअल साया काँपते साहिल के चेहरे पे चेहरा लगाए बोलता है

“तूने तो खुद कितनों का एम एम एसे बनाया तेरे पीसी में एक एक वीडियो पुलिस जब चाहे तब देख सकती है….साहिल सिहं उठा उसके मुँह से कुछ निकल नहीं पा रहा था

काला साया : दिव्या ये तुम्हारा गुनाहगार है जीतने ज़ुल्मो के सौ लाठियो का दर्द नहीं होता उतना खुदा के गज़ब में होता है ऊस्की एक लाठी में होता है आज अपनी सारी कसर इस बेल्ट से इस पे निकाल दो (काला साय दिव्या के कंधे को पकड़े उसे बेल्ट देता है साहिल काँप जाता है)

साहील्ल : न्णनू नूऊओ नहियीई आई दिव्या देख तूने अगर एक वार भी किया ना तो

काला साया : तू एक वो साँप है जिसे लोगों ने मर मर के उसका ज़ेर छीन लिया…और तू एक पागल कुत्ते की तरह सिर्फ़ चिल्ला सकता है यहां तेरी चीखें कोई नहीं सुनेगा चलो दिव्या स्टार्ट करो


दिव्या के अंदर गुस्सा तब्दील हो जाता है वो उसी गुलाबी निगाहों कहा जाने वाली नज़रो से साहिल को देखती है…साहिल काँपने लगतः आई और फिर शुरू होता है टॉर्चर का सिलसिला ….काला साया एक एक वार अपने आंखों से देखता है…चट्टकक चटाकककक…साहिल के पूरे नंगे शरीर पे बेल्ट बेदर्दी से दिव्या अपने गुस्से की सारी कसर निकलते हुए मारिट है…करीब 72 बार वो उसे बेल्ट से मर मर के लाहुलुहन कर देइत है “हर एक कमज़ोर सौ के बराबर हो जाए तो उसे बारे से बड़ा हाहती भी नहीं हटा सकता”…..दिव्या खून से लथपथ बेल्ट फ़ेक देती है…काला साया दिव्या को देखते हुए कहता है

साहिल बेहोश हो जाता है…और फिर साहिल का बाल पकड़कर काला साया उसे ऊन ज़ख़्मो का हिसाब बताता है “ये जख्म तूने जीतनो की ली उनके थे….अब जो सबसे बड़ा धक्का है वॉ ये है की तेरी मां मुझसे चुदेगी और खूब खुशी से चुदेगी और अपने इज्जत को सरेआम वेबसाइट्स पे नीलाम करेगी”……साहिल्ल्ल काँपने लगता है….काला साया मुस्कुराकर ऊपर का टीवी ऑन करता है

साहिल सिहर जाता है मां सामने बिस्तर पे बैठी वो रोने लगता है…”ये दूसरे कमरे में है फिक्र मत कर..साउंड भी है…अब तू लाइव ब्लूएफील्म देखना काला साया कैसे तेरी मां का लुत्फ़ उठता है”…..आँख मारते हुए काला साया दूसरे कमरे की ओर जाने लगता है….साहिल्ल्ल बस चीख चीखह्के काला साया को रोक रहा था

टीवी पे दिख रहा था कुटुम्ब एक कमरे में बैठी है और काला साया का इंतजार कर रही है…काला साया अंदर आकर मुस्कुराता है उसका चहरा टीवी स्क्रीन पे दिखता है…फिर कुटुम्ब उठती है

कुटुम्ब : अफ हो तुम्हें आज इतने जल्दी क्यों बुला लिया? तुम्हें पता है मेरे पति कभी भी आते होंगे

काला साया : अरे मेरी जानेमन अभी तो रात बाकी है पूरी चलो अपने सय्या का लंड नहीं लोंगी

कुटुम्ब : अच्छा ठीक है बाबा कपड़े तो उतारने दो दूर रहो मुझसे उफ़फ्फ़ हूँ (कुटुम्ब काला साया से खुल चुकी थी हो भी क्यों ना खून के डर से वो अब काल साया का लोहा मानने लगिठी अपनी मां को अश्लील बातें और हरक़ते करते देख साहिल्ल चिल्ला रहा था और दिव्या बस आँसू पोंछे शैतानी मुस्कुराहट देते हुए टीवी स्क्रीन पे तो कभी साहिल को देख रही थी)

कुउत्मब काला साया के सामने ही अपना पल्लू गिरा देती है ऊस्की मदमस्त करा देने वाला जिस्म उभर के आ जाता है सामने काल साया हल्के से ऊस्की छातियो को दबाता है और फिर दोनों होठों से होंठ लगाने लगते हाईईइ साहिल आँख बंद करके रोने लगता है…ऊस आज अहसास होता है की ऊस्की हर एक गुनाह जब ऊसपे बीतेगी तो उसे कैसा अहसास होगा….काला साया कॅम्रा के सामने जो पूरा वीडियो तैयार कर रहा था कुटुम्ब को पास लाता है और उसे झुका देता है फिर अपने खड़े लंड के उभर पे ही उसका चेहरा रगड़ता है
 
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Bhai 23 or 24 ke bich ka Update dalo brother tumne 23 ke baad direct hi koi or Update dal diya....
 
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