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Adultery काला साया – रात का सूपर हीरो(Completed)

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कुटुम्ब उत्त्के अपने सारी का पेटीकोट और ब्लाउज उतार देती है…और फिर काला साया के लंड को झुककर चूसने लगती है…काला साया उसके छातियो को बराबर दबाने लगता है और उसके सख्त निपल्स को भी मसलता है….कुटुम्ब बड़ी बड़ी ज़ोर से लंड की मूठ मारने लगती है और उसे मुँह में भरके चूसने लगती है कुटुम्ब फिर अपने हलक से लंड निकलती है और फिर अपने पेटीकोट का नारा खोलने लगती है…काल साया कुटुम्ब के पेंट पे मुँह रखकर उसे चूमने लगता है और उसे स्ट्रेच मार्क्स के ऊपर के मोटे तोंद निकलकर नाभी के भाग को मुँह में भर लेता है उसके नाभी में जुबान डालता है कुटुम्ब सिसक रही थी…आहें भर रही थी….नीचे पति घोड़े बेचके सो रहा था…और ऊपर पत्नी किसी गैर्ड मर्द की घोधी बनकर चुदाया रही थी….कुटुम्ब धीरे से अपने पूरे शरीर का बाहर काल साया के गोद पे बैठकर देने लगती है….नीचे से काला साया धक्के पेलने लगता है

कुटुम्ब की झाँटो भारी चुत में लंड बारे अच्छे से अंदर बाहर होने लगता है….कुटुम्ब उहह आहह करके करके आवाज़ करने लगती है…वो धीमें से कर रही थी ताकि उसके पति को ना सुनाई दे ने लगे….और काला साया भी चुस्ती से कुटुम्ब के चुत में लंड पेलता रहता है….फिर कुटुम्ब खुद ही उछाल उछाल के काला साया के लंड के ऊपर कूदने लगती है..क्‍ाअल साया उसे तुरंत उठा देता है और उसे गाय बनकर उसके पीछे कहरा होकर गान्ड में ही लंड घुसा देता है गान्ड का छेद घपप से लंड को अपने अंदर स्माआ लेता है

और फिर काला साया बारे ही काश क़ास्सके कुटुम्ब को चोदता है….कुटुम्ब ज़ोर से सिसकने लगती है….उसे बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था उसके जिंदगी में किसी मर्द ने उसे इतना ज़ोर से चोदा नहीं था…काला साया गुस्से में उसे बारे ही करार धक्के पेलने लगता है और कुछ ही देर में जब उसके अंदर काबू नहीं रही पाता…वो वैसे ही हालत में कुछ धक्के लगाए कुटुम्ब की गान्ड से लंड को बाहर खींच लेता है “झुक जा”…कुटुम्ब वैसे ही करती है….और काला साया उसके होठों पे लंड मसलने लगता है और फिर मुठीी मरते हुए उसके मुँह में ही लंड का पानी चोद देता है चेहरा पूरा लंड के रस भीग जाता है बाल में भी लग जाता है कुटुम्ब बस रोई सूरत बनकर सुबकने लगती है उसे इम्तहान गीन आ रही थी इसमें कोई शक नहीं था….

कुछ देर बाद काला साया अपने आपे में नाके जल्दी से अपने कपड़ों को पहन लेता है और कुउतुंब को उठाकर उसे भीगे लंबो को चुम्म लेता है म्‍म्म्ममम अब बॅस करो….कुटुम्ब थोड़ा विरोध करती है…क्‍ाअला साया उसे अनके मर के किसी तरह चाट पे फहांडते हुए दूसरे गली में कूदके अपनी बाइक स्टार्ट के वहां से निकल जाता है…कुटुम्ब के जान में जान आती है और वॉ फौरन शीशे में खुद को नंगी और वीर्य से भीगी देखकर फ़ौरान्न्न् खिजलके चीख उठती है उसे ऊस सर्द रात को भी नहाना पढ़ता है ठंडे पानी से और फिर खुद को साफ सुथरा करके वो अपने कमरे में घुस्सके दरवाजा बंद कर लेती है

काला साया ने कुटुम्ब को अब ऐसे ही अपनी रखैल बनान शुरू कर दिया….कभी उसे पुराने खेत कभी उसे उसी के घर में ँघुस्सके पति और बेटे के ना होने पे…कभी उसे गुसलखाने में ही चोदा…धीरे धीरे खुद कुटुम्ब क्‍ाअल साया की आदि होने लगी…..और वो जब कहता है तब वो एक इशारे पे ही फलाने ठिकाने एरिया में पहुंच जाती चुदवाने….अब जानती थी काला साया उसके जीवनकाल तक उसे चोदते रहेगा…ये बात वो अंजर को कह भी नहीं सकती थी….पहले शांतलाल और अब उसका भी बाप काला साया…कुटुम्ब ने दो बार तो ई पिल खाया जो सवाल उसके पति ने भी किया तो ऊसने कहा सोते वक्त वो खुद उसे चोदता है….अंजर हँसी में टाल देता…इधर काला साय ने चाल चलनी शुरू की


और फौरन ऊस रात…साहिल ब्रांडे में दारू पी रहा था आज उसे तारक महसूस हो रही थी बाप मां घर पे नहीं थे….वॉ कंप्यूटर ऑन करके ब्लू फिल्म क्लिप लगाने को हुआ तभी उसे ज़मीन पे एक सीडी मिलती है….साहिल उसे उठाने के लिए झुकता है और उसे लगता है “अरे वाह लगता है बाबा मां ब्लूएफील्म देखते है साले बताते नहीं बारे चालू”…..साहिल को लगा की ये सीडी उसके मां बाप देखते है जैसे ही वीडियो ऑन हुआ साहिल की मुस्कुराहट एक पल में गायब हो गयी और वॉ बहुत की तरह सफेद हो गया ऊस्की जुबान बाहर निकल गयी आँख बारे हो गये

कुटुम्ब शांतलाल के साथ चुदाया रही थी….दोनों आहह आहह करके आहें भर रहे थे…”यययय..कय्याअ बाबा का दुश्मंन मेरी मां के सतह”…..साहिल को कुछ समझ ना आया…और ऊसने क्लिप और आगे की…तभी उसे दिखता है की एक मुकोता पहना काला साया ऊस्की मां को चोरी छुपी उसी के ऊपर वाले गुसलखने में टॉयलेट में चोद रहा है दो तीन क्लिप्स को देखकर साहिल चिल्ल्ल उठा…”मां तुमने इतना बड़ा झूठ छुपाआ साली तू एक रंडी हाीइ अभी बाबा को बताता हूओ”….जैसे ही साहिल ने वो सीडी निकाली तभी उसके सर पे एक ज़ोर का वार हुआ उसके बाद वो कब बिस्तर पे ही देह गया पता नहीं

तभी किसी ने उसके मुँह पे काला काप्रा बँधा…और उसे पकड़कर सीडियो से घस्सिटता हुआ फौरन गाड़ी में लाके सवार कर देता है….चोट इतना गहरा था की साहिल पूरे दो घंटे तक बेहोश रहता है….जब ऊस्की आंखें खुलती है तो बल्ब की रोशनी से वो आँख ढक लेता है….और फिर तभी उसके सामने दिव्या खड़ी दिखती है गुस्से में एकदम लाल और ठीक उसके बगल में क्‍ाअल साया

साहिल अपने सर को झाधते हुए खुद के हाथ पाओ का बाँधा महसूस कर सकता था…ऊसने फौरन सामने दिव्या को खड़ा देखा मुस्कुराते हुए साहिल का पारा चढ़ गया

साहिल्ल : सालीइी मदारचोड़दड़ तूने मुझे ऐसे बाँधा कैसे????

साहिल की निगाह परछाई से सामने आते काला साए पे पड़ी वो थोड़ा घबरा गया मुक्के का दर्द का अहसास अब भी था…”सीसी…काला साया टीटी..तूमम दोनों”……साहिल घबराते हुए अपने रसियो बँधे हाथ को झधते हुए

काला साया : हाँ हम दोनों जिस लड़की के साथ तूने इतना नाइंसाफी किया जिसे मौत के कगार पे चोद दिया ऊस्की इज्जत आबरू सब छीन ली तूने और तेरे परिवार ने

साहिल्ल : देख काला साअया मैंने कोई गुणाहह नहीं कियाअ

काला साया : गुनाह करने वाला कभी गुनहगार खुद को नहीं कहता पर तू आज काला साया की साए में है और आज तुझपे मेरा मुक़दमा चलेगा

काला साया दिव्या के उबलते आँसुयो को देखता है….गुलाबी निगाहों से दिव्या काला साया की ओर देखती है…”मुक़दमा नंबर 1 एक मासूम लड़की जो ग़रेबे लाचार है उसे प्यार के जालने में फंसाया मुक़दमा नो.2 सेक्स सुअल हररासेमेंट यानि उसके साथ छेद चाढ़ मुक़दमा नो.3 बारे बारे वादे करके ऊसको जब चाहा तब फक किया मुक़दमा नो.4 जान से मारने की धमकी और मां का अत्याचार”…..साहिल झल्ला पारा
 

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कुटुम्ब उसके उभर हुए लंड को मुँह में भरती है फिर जीन्स की ज़िप से ही उसे निकलकर चुस्सने लगती है….उसे अपने च्चेरे पे रगड़ने लगती है वो खुद को पूरी तरह से काला साया के हवाले कर चुकी थी फिर वो उठके गान्ड मटकते हुए छलके अपने बाल पीठ पे फैलाए कुतिया बनकर झुककर काल साया को तिरछी निगाहों से देखती है…काला साया कमेरे की तरफ मुस्कुराकर अपना लंड बाहर निकलता है और उसे कुटुम्ब के छेद पे लगा देता है हालाँकि दिव्या को ये सब अच्छा नहीं लग रहा था…पर साहिल और कुटुम्ब की बर्बादी कुछ ऐसे ही लिखी थी

आअहह आहह अफ आहह सस्सस्स….लंड अंदर बाहर हो रहा था…कुटुम्ब सिसक रही थी वॉ चिल्ला रही थी उसका पूरा फेस ज़ूम होने के वजह से पूरा दिखाई दे रहा था साफ साफ…काला साया गान्ड मारते गया…और फिर उसके बालों को सावरते हुए दोनों एक दूसरे को किस करते है काल साया ऊसपे झुका उसके लंबो को चूसने लगता है दोनों के बीच बातें फिर शुरू हो जाती है साहिल का बस चले तो वो अपने कान में सीख घुसा ले एक एक चुबती चुबती बातें ऊस्की मां खुद बेशर्मी से चुदाया रही थी

काला साया : क्या हुआ कुटुम्ब? लगता है आज तुम में दम नहीं
कुटुम्ब : चोद चोद के भोसड़ी फाड़ दी और क्या च्चाओगे?
काला साया : हां हां हां तुम्हारे बच्चा का बाप बनूंगा सोचो जब तेरे पति और बेटे को पता लगेगा
कुटुम्ब : आहह सस्स कमीने ऊँका नाम मत ले वो सुनेगे तो मुझे जान से मर डालेंगे आहह बॅस कारर्र आअहह और ज़ोर से आअहह और्र्ररर छोड़ मुझे कमीने रस से भर दे इस कुँवारी गान्ड को
काला साय : क्यों रे तेरा पति तुझे चोद नहीं पाता?
कुटुम्ब : मेरा पति तो वो क़ब्रिस्तान का लाश है जो एक बारू त्के इंसान बनता है और फिर दारू की बोतल लगाए अपने लंबो से मर जाता है
काला साया : हाहाहा और तेरा बेटा उसके लिए ढूँढ ना कोई
कुटुम्ब : आहह अभी इस बरीयण मेंन आहह मात बात कर बस जल्दी कर वो लोग आ जाएँगे एआहह आहह
काला साया : सोच तेरा बेटा कितना मस्त है
कुटुम्ब : पूरा अपने बाप पे गया है कमीना अपने ही मां की उमर की औरत को चोदता है साला खेतन में एक बार देख ली थी मैं काफी झगड़ा किया और वॉ हरामी मुझे कहता है भोसड़ी की तैयार गान्ड मर लूँगा भला ऐसा कोई बेटा होता है मैं इन बाप बेटों के लिए इतना कुछ करती हूँ और आहह आराम से और बदले में मुझे क्या मिलता है ?
काला साया : शांत हो जाओ जानेमंन आहौर मजे लो उफ़फ्फ़

काला साया कमेरे पे आँख मरते हुए मुस्कुराता है…इधर साहिल पूरी तरह छटपटाने लगता है अफ इतनी बेज़्ज़त ऊस्की मां उसके बारे में ऐसा सोचती है…साहिल बस कहा जाने वाली निगाहों से दर्द को पीते हुए दिव्या की ओर देखता है दिव्या उसके मुँह पे एक थप्पड़ झाड़ देती है..”मुझे कमज़ोर मत समझना हरमीई”…..साहिल के नाक से खून निकल जाता है वो थूकता हुआ बस टीवी देखने लगता है

काला साया अब कुटुम्ब के मर्जी से उसे अपने गोद में उठाए उछलवा रहा था…कुटुम्ब कूद कूद के ठप्प ठप्प आवाज़ गान्ड और अंडकोष से निकालने के साथ चिल्लाने लगती हाीइ..और काला साय उसे काश क़ास्सके चोदने लगता है कुटुम्ब तड़प उठती है…और फिर झड़ जाती है उसका बहता रस देखकर साहिल नज़रीन फहीरा लेता है…कुटुम्ब ठक्कर फिर भी कूदने लगती है लंड पे और फिर जल्द ही चुत में घुसे लंड से वीर्य बहाने लगता है काला साया आहें भरते हुए कुटुम्ब को अपने से लिपटा लेता है और उसके चुत से वीर्य उबाल उबाल के बहने लगता है


चुत लबालब वीर्य से लथपथ हुई रखी थी..और लंड बाहर फिसलके अपना बच्चा कुछ रस उगलने लगता है…कुछ देर बाद टीवी ऑफ हो जाता है…और फिर दिव्या एक दो स्तनों दबा कर ऊस सीडी को प्लेयर से बाहर निकलती है…फिर मुस्कुराकर साहिल के सामने ही पीसी ऑन करती है और हिन्दी सेक्स साइट्स पे क्लिक करती है कुटुम्ब का एक नंगी पिक्चर के साथ पूरा प्रोफाइल पेज खुल जाता है जिसमें अबतक के कुटुम्ब और काला साया के साथ हुए हर सीन का वीडियो उपलॉअडेद था…साहिल का माता घूम जाता है और फिर दिव्या ऊस वीडियो को भी उपलोआड कर देती है

कुछ ही देर में काला साया अंगड़ाई लेकर अंदर आता है और दिव्या से पूछता है…दिव्या उसे अंघुटे का इशारा करके बताती है की ऊसने ये वीडियो भी उपलोआड कर दी…साहिल बेहोश हो चुका था मर खाने से…कुछ देर बाद उसे होश आता है अब भी काला साया वहां मज़ूद था…और कंप्यूटर स्क्रीन ऑन था काला साया मुस्कुराकर अपने कौमपुटेर स्क्रीन को ज़ूम करता है…वो वीडियो के नीचे कुटुम्ब आंटी नाम से टाइटल होता है और नीचे लाइक्स और कॉमेंट्स होते है जिन्हें पढ़ते ही साहिल का दिमाग घूम जाता है और वॉ बस सुबकने लगता हे

साहील्ल्ल : कमीणू तुम लोगों को मैं छोड़डूंगा नहीं मेरी मां को फ़सा लिया तूने
काला साया : तेरी मां ने खुद ही मुझसे चुदवाया है बिना चुडवाए ठरकी हो जात इहाई..खैर तू फिक्र मत कर तेरा बाप भी जल्द ही मेरे शिकंजे में आ जाएगा
साहिल : साल्ले मदारचोड़ड़ तुऊउ हाीइ कौंन्ञन् एक बार ये मुकोता उटार्ररर एक बार खोल के देख
काला साया : जब दिया भहुजता है ऊस्की लौउ बहुत बार फड़पढ़ने लगती है…तेरा भी वही हश्र होगा तू जो सोच रहा है ना तू बच जाएगा तो भूल जा

काला साया साहिल के सामने शराब की तीन चार बोतल रख देता है…”चल अब ये शराब की बोतल को खाली कर अपने गले से उतार..अगर ये चारों की चारों बॉटल तू पी गया तो समझ जाना तेरे वारे न्यारे तू यहां से जा सकता है और अगर नहीं तो मैं तुझे जान से मर डालूँगा”….साहिल काफी घबरा चुका था पीने के सिवाह कोई चारा नहीं था

पक्का शराबी तो था पर बिना पानी के 4 बॉटल विस्की जो 1 लीटर से थोड़ी बड़ी हो पीना नामुमकिन था..फिर भी ऊसने हाँ कह दी…काला साय ने ढक्कन खोला और उसे सही लके मुँह से लगा दिया घूंत्त घूंत्त करके साहिल आँख क़ास्सके दब्ाए पीता गया “ध्यान रहे अगर तूने उगला तो तू गया”……साहिल घबराए हालत में पीता गया पीता गया …दिव्या मुँह पे हाथ रखकर बस सुबकते हुए साहिल का अंजाम देख सकती थी….पीता गया पीता गया…और उसके गले से एक के बाद एक चारों बॉटल चली गयी…चारों बॉटल के शराब खत्म हो गयी…और ठीक तभी साहिल औक्लाने लगा

और वही खून की उल्टी उसे हो गयी…काला साया ने ने उसके रस्सिया खोल डाली…और उसे उसी हालत में उठाए गाड़ी में सवार किया पूरे रास्ते साहिल खून अपने मुँह से उगलता जा रहा था….काला साया का दिल इतना सख्त था की एक ज़रा सी आहह भी नहीं निकली उसके मुँह से और ऊसने फौरन हाथ पाओ बाँधके उसे ब्रिड्ज से नीचे फैक दिया…जल्द ही साहिल का जिस्म पानी में डूब गया

 

u.sir.name

Hate girls, except the one reading this.
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Jabardast update brother.....
to akhir kar Sahil ka kam bhi tmam ho hi gaya....
keep writing...
keep posting.....
 
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काला साया मुस्कुराकर ज़ोर से चिल्लाता हाीइ..और फिर अपनी बाइक पे सवार होकर अंधेरे साए में गायब हो जाता है….दो दिन बाद पुलिस को एक लाश मिलती है पता लगने पे की वॉ अंजर का बेटा साहिल है उसके घर में इकतिला करती है…घर में मातम छा जाता है अंजर अपने बेटे की मौत से गम में डूब जाता है जबकि कुटुम्ब रोए जा रही थी…पुलिस तफ़तीश करती है केस देवश को मिलता है कुछ दीनों पहले उसी ने काला साय का केस लिया था पर बाद में पता चलता है की साहिल के एन्ज़ाइम बुरी तरीके से जल चुकेते..ज्यादा मात्रा में बिना पानी के शराब पीएन से हुआ था…ये केस पूरा सूयिसाइडल लग रहा था…कोई विटनेस भी नहीं साफ पता लगा की ब्रिड्ज से कूदके साहिल ने जाँदी पर कुटुम्ब को लगा उसका बेटा नसेडी था दोस्तों के साथ मस्ती में ही ऊस्की जान गयी उसके जिस्म पे कई अनगिनत निशान थे…जो जख्म गहरे थे…कुछ लड़के डर के मार्िएन बचने के लिए ज़िला से फरार हो गये थे….देवश को लगा वही क़ातिल है और ऊन्हें क़ातिल तेहराया गया वो ल्गो पकड़े तो कभी नहीं गये मामला भी अपने आप फीरसे ठंडा पढ़ने लगा

इधर देवश भी काला साया को पकड़ने की नाकाम कोशिशें कर रहा था…लेकिन उसे कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था….वो घर में बैठा काला साया के मुकोते का स्केच तैयार कर रहा था ताकि ऊस्की आइडेंटिटी का पता लग सके तभी अचानक उसे पीछे से अपर्णा काकी आवाज़ देती है…देवश काम में मशगूल होता है इसलिए वो ध्या नहीं देता..अचानक पएेल की खन्न् खन्न् उसे खुद पे खुद कुर्सी उठने के लिए मज़बूर कर देइत है और देवश के कदम अपने आप अपर्णा आंटी को खोजते हुए कमरे की ओर रुख करते है तभी दरवाजा बंद होता है देवश पीछे मुदके

तभी देखता है की किचन में अपर्णा काकी सारी में खड़ी है लेकिन उसके नाभी से नीचे उठते तोंद के साथ पेटीकोट अधखुला है और उससे साफ उनकी बुर् भारी झाँतें दिख रही है तो

“क्या काकी माँ आज तो बहुत ज्यादा चढ़ा है आपको”……देवश ने आँख मारते हुए काकी मां के कमर में हाथ डालते हुए कहा

“अरे बेटा अब तू ही तो है…अकेले अकेले बेटे को कोई छोढ़ता है सोचा कितना मेहनत करता है मेरा बेटा…ऊस्की सेवा तो करनी चाहिए”…..अपर्णा काकी ने बेशर्मी से कहा….

देवश ने काकी मां को अपने बाहों में उठाया और उसे पलंग पे लेटा दिया….काकी मां ने अपने ब्लाउज के स्तनों को खोल दिया..और पेटीकोट का नारा भी खोल दिया…देवश भी अपने बनियान और पजामा को उतार देता है और पास रखक्के पैकेट फड़के कॉंडम निकलता है….फिर अपर्णा के भारी भरकम शरीर पे चढ़ते हुए अपने चंदे को पीछे किए लंड पे कॉंडम चढ़ता है….

अपर्णा : आहह अर्रम से बेटा उफफफ्फ़ बस (काकी मां को अपने चुत के भीतर लंड घुसता महसूस होता है)

देवश : आहह काकी मां बस टाँग फहिलाए रखो गान्ड ढीला ही थोड़ी

अपर्णा : आहह उफ़फ्फ़ चल अब मर धक्के (देवश के कमर पे टाँग लपटे हुए)

देवश : आआहह आअहह उफ़फ्फ़ सस्सस्स आहह

अपर्णा : बेटा तू बहुत ज्यादा परेशान लग रहा है आहह


देवश : क्या बताऊं काकी मां ऊस हरामी काला साया ने दिमाग खराब कर डाला है आज फिर कमिशनर से आहह दाँत पराअ…अब बात ट्रांसफर पे आ गया है अगर उसे कुछ ही दीनों में ना पकड़ सका तो आहह सस्स काकी मां गान्ड ढीला थोड़ी

अपर्णा : अच्छा बेटा ले चोद दी उफफफ्फ़ सस्स बहुत गॅड रहा है तेरा लंड इसकी मोटाई बहुत ज्यादा है लेकिन एक बात बता काला साया तो इंसाफ का काम करता है ना

देवश : पर कानून को भी तोड़ रहा है ना काकी मां आहह ससस्स

देवश धक्के पेलता र्हाअ…लंड अंदर बाहर झांतों भारी चुत से होता रहा..काकी मां सिसक सिसक कर सोचते रही…और देवश काकी मां को बेतारीके से चोदता रहा….देवश ने अपर्णा की छातियो को दबाया और उसके सख्त निपल्स को मुँह में भर लिया…फिर अपना हाथ गीली चुत पे फहरा….और फिर चुचियों को चुस्सा…अपर्णा का चेहरा गुलाबी हो गया और ऊसने देवश के चेहरे को हाथों में थामा और के करारा चुंबन लिया उसके होठों का

देवश ने काकी मां के ऊपर झुककर नाभी में मुंह डाल दिया….काकी मां बिन पानी मछली की तरह इधर उधर सर मारने लगी और देवश भी गान्ड में ताक़त भरके चुत में लंड घिस्सता रहा….कुछ देर बाद देवश उठ गया और ऊसने काकी मां को फर्श पे बैठ उनके मुँह में ही लंड डाल दिया

काकी मां लंड को मुँह में लेकर चुस्ती रही…उसके अंडकोषो को भी हाथों से सहलाती रही…फिर खुद पे खुद देवश ने काकी मां के मुँह में धक्के मारने शुरू कर दिए…अओउू ओओउू करके काकी मां लंड को बारे ही आराम से चुस्ती रही….बीच में देवश ने कॉंडम लंड से खींचके उतार दिया और फिर काकी मां के मुँह में डाल दिया लंड काकी मां भी चुस्ती रही अंडकोष को भी मुँह में भरके बड़ी बड़ी से छूसा….बालों पे हाथ फेरते हुए देवश सिसकता रहा

फिर कुछ देर बाद ऊसने मुँह से लंड निकाला काकी मां के..और बैठकर उनके होठों का रसपान करने लगा दोनों होठों को होंठ से मिलाए स्मूच करने लगे….फिर उसके बाद जुबान से खेलने लगे…देवश उठ गया और ऊसने काकी मां को वैसे ही लेटा दिया टाँगें फिर खोल डाली और झांतों भारी बुर् में मुँह डाल दिया…गीली चुत में जुबान लगते ही काकी मां झधने लगी….उनके झधने के कुछ देर बाद भी चुत के दाने को देवश आराम से चुस्सें जा रहा था….फिर उनकी फहानकों में मुँह घुसाए रगड़ता रहा…उनके छेद में नाक घुसाए सूंघने लगा उनकी चुत को नीचे से लेकर ऊपर तक चाँटता रहा…कुछ देर बाद देवश ने नीचे गिरे थोड़े से फटे कॉंडम को लंड पे लगाया और फिर धाधा धढ़ चुदाई शुरू कर दी….काकी मां टाँग उठाकर चुदती रही और देवश चोदता रहा लगभग 12 मिनट में ही देवश ने जवाब दे दिया
 

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और लबालब चुत को लंड के रस से भिगो दिया….चुत में लंड रस छोढ़ता रहा…और पसीने पसीने देवश फारिग होकर काकी मां से नंगा ही लिपट गया…दोनों पसीने पसीने कुछ देर तक पंखे की हवा खाते रहे…और कब नींद की आगोश में चले गये पता नहीं

अगले दिन दरवाजे पे दस्तक होती है…कोई दरवाजा ज़ोर से मर रहा था आवाज़ सुरीली थी शीतल कब से आवाज़ लगा रही थी….देवश अंगड़ाई लेकर काकी मां की तरफ देखता है उनके निवस्त्र बदन को देखकर फौरन ऊँपे चादर धकता है…काकी मां कोत्ोढहाज़ोर से जागता है पर काकी मां उठती नहीं….देवश उसी हालत में पजामा पहनकर दरवाजा खोलता है…शीतल बोलती है की दरवाजा क्यों नहीं खोल रहे थे?

और फिर ऊस्की निगाह अपनी मां पे पढ़ती है…हैरानी भाव तो थी ही…”अरे तू इतने जल्दी आ गयी?”……देवश ने बाल झधते हुए कहा….अपनी मां को नंगा देख बस सारी से ढकी चादर में सोई शीतल कुछ और नहीं कहीं

देवश : काकी मां कल रात को यही तहेर गयी थी
शीतल : हाँ मां बोली थी मां को मैं उठा देती हूँ
देवश : नहीं नहीं सोने दे उन्हें बहुत ताकि हुई थी तू बर्तन साफ कर दे मैं तैयार होने जा रहा हूँ और हाँ नाश्ता भी तैयार कर देना
शीतल : अच्छा (शीतल मुस्कराए अंदर चली जाती है)

देवश थोड़ा घबरा जाता है पर शीतल कोई पक्साफ़ लड़की तो थी नहीं अगर जान भी गयी तो क्या ? आज नहीं तो कल जानना ही पड़ेगा उसे…देवश गुसलखाने में घुस जाता है जब बाहर निकलता है तो काकी मां हप्पी छोढ़के मेरी ओर डरी निगाहों से देखती है मैंसब समझता हूँ शीतल नाश्ता तैयार कर रही है झटपट काकी मां चादर ही ओढ़े अंदर से ब्रा और ब्लाउज का हुक लगा रही है….

देवश : क्या हुआ काकी मां ? (मैंने धीमे स्वर में कहा)
अपर्णा : ये कब आई? मैं देखकर डर गयी पूछने लगी की आप ऐसे बिस्तर में भैया के साथ सोती हो तो मैंने कह दिया हाँ तू भी कुछ ज्यादा मत कहना शक हो जाएगा उसे मैं भी इतनी ज्यादा कल तक गयी की उठा ही नहीं गया
देवश : अच्छा ठीक है नाश्ता तो कर लो
अपर्णा : नहीं बेटा दो जगह घर का काम करने जाना है तू मुझे बस चाय दे दे

शीतल तब्टलाक़ आ गयी हाथ में चाय और नाश्ता का प्लेट था…अपर्णा काकी ने जल्दी जल्दी चाय पी और गुसलखाने में पेशाब करने गयी फिर अपने अलग थलग कपड़ों को ठीक किया सारी का पल्लू ढंग से पहना और शीतल को यह कहकर चली गयी की वो जा रही है भैईई का ख्याल रखना….अपर्णा के जाते ही शीतल ने दरवाजा लगा दिये और मेरे पास आई


शीतल : क्या भैईई कल रात लगता है मां के साथ बहुत छिपक्के सोए थे?
देवश : चल रे पगली तू मजे ले रही है मुझसे तैयार मां है वॉ
शीतल : हाँ हाँ सब जानती हूँ..तभी अपनी बेटी को देखकर काँप गयी तो इसमें डर की क्या बात मैं क्या जानती नहीं की यहां क्या होता है?
देवश : अच्छा तू ऐसा क्या जानती है?
शीतल : औरत सोते वक्त अपने कपड़े उतारके सोती तभी है जब उसे गर्मी लगती है मां को लगता है यहां कुछ ज्यादा गर्मी लगी है
देवश : चल चल अपना काम कर तेरी मां मेरी मां है समझिी
शीतल : आप गुस्सा मत हो मैं तो बस मज़ाक कर रही थी मैं तो जानती हूँ भैया मेरे मुझे और मेरी मां को कितना प्यार करते है

देवश ने फौरन शीतल का हाथ पकड़ लिया शीतल खुली हुई तो थी देवश से वो नजाकत से हाथ छुड़ाने लगी..पर देवश ने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसे गाओड़ी में उठा लिया….शीतल श मां आस मां चिल्लाने लगी…”और बोलेगी बोल?”….शीतल हस्सते हुए माँफी मागने लगी…..तब जाकर देवश ने उसे पलंग पे लेटा दिया…

देवश : चल पगली अब मैं लेट हो जाऊंगा मुज़ेः भी निकलना है
शीतल : हाँ तो जाओ ना किसने रोका है आप तो बस अपनी बहन के साथ मस्ती करने लगे
देवश : लगता है तेरी शादी जल्दी करनी पड़ेगी
शीतल : नहीं भाई मैं मां से और आपसे दूर नहीं जाना चाहती आप जैसा भाई कहाँ मिलेगा जो इतना घूमता है फहीरता है खिलता है महेंगे महेंगे कपड़े देता है पता है मेरी सहेलिया वो ड्रेस देखकर बोली ये तो महेंगा है बाय्फ्रेंड ने दिया क्या?
देवश : तो बोल देती की बाय्फ्रेंड ने ही दिया है
शीतल : च्िी पागल हो
देवश : ज्यादा शरमाया मत कर मुझसे मैं तेरा अपना ही तो हूँ अगर बोल भी दिया तो क्या हुआ? पर हाँ ये सब बात मां को मत बताना
शीतल : पागल समझे हो क्या

देवश ने फौरन शीतल का हाथ पकड़कर उसे अपने गाओड़ी में बिता दिया…शीतल उठने लगी…देवश ने उसके गाल पे ज़ोर का एक पप्पी लिया…तो शीतल अपने गाल मलते हुए देवश को हल्की छपात मारकर भाग गयी देवश मुस्कराने लगा उसका लंड फिर खड़ा हो चुका था….

उधर कर्राहेतीं भरता हुआ अंजर एकदम से भौक्लके उठ बैठा…और सामने देखकर कनपने लगा…उसके चेहरे पे एक जोरदार थप्पड़ ऊस शॅक्स ने रसिदा था…सामने बैठा शॅक्स कोई और नहीं काला साया था “टीटी…तुऊउ यहां पे?”…..काला साया तहाका लगते हुए उठ खड़ा हुआ…”क्यों आबे डर लग गया क्या?”……अंजर हक्का बका चुपचाप गाल पकड़े बस बैठा ही है
 
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