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Shandaar bhaag
Thanks bro ?
Shandaar bhaag
Behatareen update brother....(UPDATE-32)
कुछ देर बाद देवश नंगा ही बिस्तर पे बैठ गया और पेंट को चूमता हुआ शीतल के नाभी से लेकर नीचे जुबान फहीरता है शीतल देवश के बालों पे हाथ फेरते है…और फिर वो झट से पैंटी नीचे खिसका देता है पहले तो शीतल काफी हस्सने लगी…पर देवश ने ज़बरदस्ती से उसे नंगा कर दिया और उसे गाओड़ी में उठाकर पलंग पे लेटा दिया…देवश ने शीतल की टाँगें चौड़ी की मज़बूती से और उसका गुलाबी भाग देखने लगा अफ कितनी चिकनी थी
देवश : तुम साफ रखती हो अपने चुत को
शीतल : हाँ बिना साफ किए खुजली होती है
देवश : हम बहुत खूब (और देवश धीरे धीरे अपने मुँह को चुत के नज़दीक लाता है…शीतल हड़बड़ा जाती है)
शीतल : भैया ये क्या कर रहे हो?
देवश : सस्शह चुप्प्प्प
शीतल : श भैया आहह उईईइ आहह सस्स (देवश जैसे ही चुत पे मुँह रखतः आई ऊस्की गंध उसके नाक में समा जाती है)
पसीने और पेशाब की गंध की मिली जुली महक…देवश शीतल की चीकनी गीली रस से भारी चुत में मुँह लगाए चाटने लगता है…और शीतल बस काँप उठती है….वॉ चहके भी देवश को रोक नहीं पाई इस करार मजे को खुद से अलग नहीं कर पाई…वो बस सर इधर उधर घुमाने लगी…होठों पे दाँत दबाने लगी….और डीवोस के बालों पे हाथ फेरने लगी
“आहह से आहह आअहह”…..कभी कभी शीतल चीख पार्टी जब देवश उसके कोलाइटिस को मुँह में भरके चुस्स देता…शीतल कसमसाए ऐतने लगी और फिर उसके पूरे टाँग में झुझुरी सी दौड़ी और ऊसने बीच से एक फावा निकाला जो सीधे देवश के चेहरे को पूरा भीगोटा हुआ फर्श पे जा गिरा
देवश ऊस गीली रस भारी चुत को फिर चुस्सने लगा…ऊस्की फहाँको को मुँह में भर लिया…उफ़फ्फ़ क्या लज़्ज़तदार मादक खुशुबूदार स्वाद था ऊस चुत का….देवश ने धीमें से एक उंगली अंघुता सहित छेद में पुश किया…तो शीतल सिहर गयी उसे कुछ गाड़ने लगा पर वॉ उठ नहीं पाई ऊसमे नैसे जान नहीं थी…फिर देवश ने धीमें से उंगली को तेज कर दिया….शीतल उसे मना करने लगी उसे चब्ब रहा था….देवश ने चुत के कुवरेपन का मुआइना करते हुए घुटनों के बाल बैठ गया
और फिर पास रखिी सेक्स लूब्रिकेट को बारे ही अच्छे से चुत के मुआयने पे लगाया….और अंदर तक उंगली से चिकना से कर दिया ताकि सुराख में लंड आराम से घुस सके…फिर ऊसने अपने लंड पे कॉंडम छड़ाया..ये सब कार्यक्रम शीतल देख रही थी ब्लूएफील्म में सफेद सफेद गाढ़े रस से औरत भीग रही थी फिर ऊसने कुछ देर लंड को मसला और सब ने उसे वैसेह ई हालत में चोद दिया
शीतल के मन में हज़ार सवाल थे उसे ध्या नहीं रहा की कब देवश ने चुत में लंड बारे ही आराम से धकेल दिया…जब 2 इंच ही अंदर लंड प्रवेश किया बस शीतल ज़ोर से दहढ़ उठी उसे बहुत ज़ोर का दरर्द हुआ…देवश ने उसे क़ास्सके पकड़ लिया…शीतल ने देवश को धकेलना चाहा..देवश वैसे ही रुका रहा चुत में लंड थोड़ा सा घुसा था फिर ऊसने थोड़ी सी गति बधाई..शीतल को काफी दर्द होने लगा वॉ मना करने लगी देवश नहीं मना अब शायर के मुँह पे खून लग चुका था अब वो कहाँ रुकता?
ऊसने शीतल के चुत में एक बार फिर लंड को थोड़ा ज़ोर से दबाया और एक हल्का धक्का मारा…बात नहीं बनी ऊसने फिर ज़ोर लगाना शुरू किया….शीतल ने टाँग भीच ली देवश ने उसे गान्ड ढीला छोढ़ने को कहा पर वो नहीं मानी देवश ने पूरी ताक़त लगा दी और इसी ताक़त के चक्कर में लंड धस्ता चला गया चुत में शीतल की आँखें बाहर आ गयी…वो दर्द से छटपटाने लगी…जैसे कोई सुई चुबो दी हो….”आअहह हाययए दूर्गगा मां मर गयी मैंन्न आहह निकालूओ आअहह”….बहुत ज़ोर से पलंग हिल उठा
पर देवश ने शीतल के बालों पे हाथ फायरा उसके माथे पे हाथ फायरा उसे चुप कराया..पर शीतल के आंखों में दर्द के आँसू आ चुके थे….”बाबू हो गया बस अब तुम कुँवारी नहीं रही आहह सस्स बाप रे इसकी कितनी स्क़त है दर्द हो रहः आई लंड में मेरे”…..देवश ने अपने लंड के जलन को बर्दाश्त किया और चुत में लंड घुसाए ही रखा
शीतल बस रोए जा रही थी…”आहह भैया जैसे हॅगने के वक्त दर्द होता है वैसे ही मुझे महसूस हो रहा है जैसे कोई सख्त चीज़ चुत में फ़ासस गयी”…..देवश हस्सा..और ऊसने बारे ही प्यार से नादान शीतल के गालों को चूमा…और फिर धक्के थोड़े देने शुरू किए…पर दर्द बरक़रार रहा…देवश चुदाई करता रहा….और उसी हालत में हल्का हल्का धक्का लगाने लगा…”आहह आहह आहह”….शीतल हर धक्को से चिल्ला रही थी…उसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था करीब कुछ 10 मिनट बाद ही उसे थोड़ी राहत मिली….लंड की मोटाई बहुत ज्यादा थी जिस वजह से शीतल को इतना दर्द सहना पड़ा…पर देवश खुश था उसके लंड के आख़िर बिल ढूँढ ही निकाला…देवश ने धक्के थोड़े तेज किए तो शीतल को गाड़ने लगा और वो दर्द से आहह आ के स्वर फीरसे निकालने लगी
देवश ने वैसे ही हालत में उसे कई देर तक लेटे लेटे चोदा…और फिर लंड को चुत के मुख से निकाला फकच्छ से लंड बाहर आ गया और साथ में गीली चुत से रस और थोड़ा खून बाहर निकला…देवश ने कुछ नहीं बताया शीतल को उसे लाइताय रखा और उठके एक गंदा काप्रा लाके उसके चुत को अच्छे से पोंछा और उसके चोट के अंदर भी उंगली काप्रा डालकर पोंछा…चुत से खून रिस रिस के निकल रहा था….देवश ने फौरन अपने खून लगे कॉंडम को भी निकालके फैक दिया उसे लगता था की इससे इन्फेक्षन होता है बार बार एक ही कॉंडम के उसे से…ऊसने फौरन शीतल को अपने ऊपर चढ़ाया पहले तो दर्द के मारें शीतल से उठा नहीं जा रहा पता लेकिन ऊस्की सुराख पूरी तरीके से चौड़ी हो चुकी थी
और काफी गहरी भी अब लंड जल्दी से चुत के मुआने में जा सकता त चुत का द्वार खोल के भोसड़ा बंचुकी थी…ऊसने फौरन डायरी ना करते हुए धीरे धीरे बोल बोलकर शीतल को अपने लंड पे सवार किया शीतल उठने लगी…पर देवश ने बारे ही संजीदगी से उसे हौले हौले नीचे से धक्के देने शुरू किए जाँघ गान्ड से चिपक जाई गान्ड उचक जाती शीतल की और अपनी चुत में लंड को घपप से ले लेती…चुत आराम से अंदर बाहर होने लगा पर दोनों के अंगों में इतना दर्द था की अब रहा नहीं जा रहा था….लेकिन इससे चुदाई का सारा मजा खराब हो जाता है यही सोचकर देवश बस लगा रहा
देवश ने फुरती से शीतल को अपने ऊपर लेटा दिया और ऊस्की ज़ुल्फोन को हटा कर उसके होठों को चुस्सने लगा….दोनों एक दूसरे को बेदर्दी से चूमने लगे…शीतल देवश के निपल्स से खेलने लगी देवश उसे बाज़ुओ में लिए नीचे से लंड को चुत में अंदर बाहर करने लगा….”आहह से आहह से आहह”…शीतल आहें भरने लगी…लौंडिया को मजा आ रहा था कोई शक नहीं
देवश ने धक्के अब करार और तेज कर दिए…शीतल की आहें ज़ोर से गूंजने लगी…और देवश किसी रेलवे गाड़ी की तरह बढ़ता में लंड को चुत से अंदर बाहर करने लगा…और जल्द ही देवश ने रफ्तार बड़ी ही तेज कर दी..थोड़े देर बाद दोनों उठे और फिर देवश ने शीतल को नया पोज़िशन लेना सिखाया कुतिया बनने का
इसमें शीतल दर्द के मार्िएन ऐसे ही हाथ बिस्तर पे रखकर पेंट के बाल लाइट गयी और देवश उसके ऊपर चढ़के गान्ड के फहाँको में लंड घिस्सते रहा…फिर ऊसने चुत के मुआने पे धायर सारा लूब्रिकेट फिर लगाया और इस बार गान्ड की छेद में भी….और बड़ी ही धीमें से लंड चुत में डाल दिया लंड तो चुत में डाल गयी पर गान्ड की बात जुड़ा थी…कुछ देर तक देवश शीतल की गान्ड पकड़ा उसे हौले हौले चोदता रहा….शीतल को बेहद मजा आने लगा अब उसे चुदाई और मर्द औरत के बीच का सुख का अहसास हुआ
कुछ देर में ही देवश ने शीतल को पूरा लेटा दिया और ऊस्की गान्ड में लंड डालने लगा …..शीतल दर्द से चिल्ला उठी…पर देवश का पूरा वज़न ऊसपे आ गया…आज तो वो किसी भी सूरत में कुँवारी जाने नहीं वाली थी घर…देवश ने ऊस्की गान्ड में लंड को आधा इंच तक घुसेड़ दिया था ऊस दिन शीतल के इकाफी चीखें निकली थी उसे खूब दर्द से गुजरना पड़ा..लेकिन वहशी देवश कहाँ छोढ़ने वाला था ऊसने और भी क़ास्सके गान्ड में लंड घुसाया और हुआ यूँ की गान्ड की भीतर लंड प्रवेश आख़िर कार कर ही गया और फिर शर हुआ दोनों का संगम
देवश वैसे ही पुश उपस की तरह ऊपर नीचे लंड को घुसता रहा खुद के बदन को ऊपर नीचे करता रहा…नीचे शीतल पीसती गयी और देवश गान्ड में धक्के पेलता रहा….और फिर जब उसका गान्ड से जी भर जाए तो चुत में लंड डाल देता…इस बीच ऊओसका कॉंडम फॅट गया धक्के तेज हो गये और इसी कशमकश में लंड से रस निकलते निकलते बच्चा…देवश ने शीतल के चेहरे पे ही अपना कामरस चोद दिया…और फारिग हो गया शीतल को ऊस्की महक बर्दाश्त नहीं हुई और वो पलंग के दूसरी ओर होंठ पे लगे वीर्य को थूकने लगी
देवश पसीना पसीने बेहाल हो गया फिर भी उसे ऊस हालत में शीतल को साफ करना था उसे गंदे कपड़े से शीतल के चुत को साफ किया खुद के कॉंडम को निकलकर फैका..फिर चादर हटाई और ऐसे ही गद्दे पे दोनों सोए…देवश ने शीतल के चेहरे को अच्छे से साफ किया दूसरे कपड़े से और फिर उसे अहेतियात और कुछ बातें बताई..ताकि आगे छलके वो गर्भवती ना हो जाए….शीतल को बड़ा गुस्सा तो आया था कारण वो जब उठी तो उसे अपनी गान्ड फील नहीं हो रही थी…वो टाँगें चौड़ी चौड़ी करके चल रही थी चुत के मुआने पे अब भी दर्द था..देवश ने फटताफट थकान को चोद उसके लिए गरम पानी उबाला और उससे ऊस्की सूजी चुत की सैकाई की और फिर तब जाकर एक ट्यूब फटी चुत के जगह जगह जहाँ चील गयी वहां लगाया और फिर कॉटन से अपने लंड के सूपड़ा जो चील गया ऊसपे लगाकर फ़ौर्दर्म् लगाया तब जाकर उसे कुछ राहत महसूस हुई….
Behatareen update brother....
to akhir kar Shital ka encounter bhi ho hi gya....
keep writing...
keep posting....
Nice update brother....(UPDATE-33)
ऊस दिन शीतल ने देवश से कुछ और नहीं कहा बस वो बहुत तक गयी थी जगह जगह शरीर का अंग टूट रहा था चुत चिल्लाने से जलन थोड़ी बहुत हो रही इत ओओ घबराई हुई थी पर देवश ने समझाया ऐसा होता है दोनों ने नहाया किसी तरह फिर उसे काफी समझाया की कोई प्राब्लम नहीं होगी उसे उसे चुप रहने को बोला और काकी मां को कोई भी बात ना बताए ये हिदायत दी..शीतल और देवश ने एक दूसरे को स्मूच किया
और कुछ दायरटक शीतल देवश से लिपटी रही दोनों गद्दे डर बिस्तर सोए रहे और फिर जब पूरी तरीके से शीतल की थकान गायब हुई दर्द कम हुआ तो वो खुद पे खुद उठके कपड़े पहनकर देवश के माथे को छू के शाम में ही अपने घर चली गयी….देवश ने कुण्डी लगाई और बिस्तर पे आकर चोद हो गया
जिस दिन देवश ने शीतल की सील तोड़ी और उसे जवान लड़की से औरत बनाया…उसी रात काला साया भी अपनी महबूबा दिव्या के साथ अपने नये वीरान घर में बिस्तर गरम कर रहा था….दूर दूर तक सन्नाटा अंधेरा घर के अंदर…बिजली कांट दी गयी थी…फिर भी मौसम इतना अच्छा था की बाहर का ही खिड़की खोलने से हवा कमरे में आ रही थी…काला साया का हाथ दिव्या के हाथों की उंगलियों में फ़सा हुआ था…दोनों एक दूसरे के अंगों को सहला रहे थे…बिस्तर पे एक दूसरे से लिपटे चादर ओढ़े हुए थे…इतने में दिव्या ने काला साया को सारी बात बता दी की एक पुलिसवाला उसके पीछे लग गया…ये सुनकर काला साया को अच्छा तो नहीं लगा…और वो गंभीरता से सोचने लगा…और फिर ऊसने दिव्या को एक तरक़ीब बताई जिससे वो पुलिसवालो के नजारे में ना आए वो ऊस पुलिसवाले को खुद हैंडिल कर लेगा
दिव्या ने काला साया के मुकोते पे हाथ रखते हुए उसके चेहरे को सहलाया…काला साया ने मुस्कुराकर दिव्या को अपने सीने से लगा लिया…”एक दिन जरूर मैं तुम्हें अपना चेहरा दिखाऊंगा दिव्या और वॉ दिन ज्यादा दूर नहीं”…..काला साया दिव्या से और लिपट जाता है….नीचे फर्श पे परे उनके कपड़े साफ जाहिर करते है की इस अंधेरे साए में भी दोनों ने कितनी आग लगाई है
काला साया दिव्या के ऊपर फिर से सवार हो गया और दिव्या ने भी मुस्कुराकर अपनी टांगों को बिस्तर पे फैला लिया और काला साया के पिछवाड़े पे टाँग साँप की तरह लपट ली…जल्दी पलंग चरमरने लगा..और प्यार का मीठा आहेसास दिव्या लेने लगी…
अगली दिन ही देवश की आँख खुली सुबह के 6 बज चुके थे….आजकुच ज्यादा जल्दी उठ गया हो भी क्यों ना? कल शाम से ही वॉ थोड़ा सा खाना खाके शीतल की चुदाई में लगा और उसके बाद इतना तक गया की अब उठने की हिम्मत ऊसमे नहीं थी…किसी तरह ताक़त जुटाकर वो उठा…और जल्दी से अंडा और ब्रेड का नाश्ता करने के बाद..नहाने घुस गया…बाहर आकर ऊसने पलंग के नीचे से दुम्ब्ेल्ल और रिंग निकाला और अपनी कसरत में लग गया….कुछ तो ताक़त मिलेगी…कसरत खत्म करके सोचा क्यों ना एक बार शीतल का जायेज़ा ले लिया जाए
कल उसके साथ सेक्स करने के बाद ऊस्की क्या हालत होगी? ये जानना भी जरूरी है क्योंकि औरत्के साथ सेक्स करने के बाद देवश को हमेशा ये डर सताता है की कहीं वो गर्भवती ना हो गयी हो क्योंकि बाद में अबॉर्षन का खर्चा भी उसे ही देना पड़ेगा सेक्स होती ही ऐसी चीज़ है की जबतक करो तबतक जोश और फिर ठंडा होने के बाद टेन्शन ही टेन्शन….खैर देवश फोन करके शीतल का जायेज़ा लेता है…अपर्णा काकी फोन उठती है और बताती है की शीतल की आज हालत कुछ ठीक नहीं…उसे थोड़ा बुखार है देवश पूछता है की आख़िर उसे हुआ क्या? वो फ़िकरमंद होता है….लेकिन डरने की कोई बात नहीं थी क्योंकि वो पानी का ज़्ीडा काम करके बीमार हुई है ये अपर्णा बताती है…देवश मन ही मन मुस्कुराता है आख़िर थी तो कुँवारी ही उसे धीरे धीरे झेलने की आदत हो जाएगी
देवश पुलिस स्टेशन के लिए निकल जाता है…और फिर अपने काम में जुट जाता है…काम कुछ खास नहीं था दोपहर का ब्रेक लेकर देवश वापिस घर पहुंचता है….घर में आकर जैसे ही वो ताली निकलकर खाने के लिए फर्श पे बैठा ही था इतने में उसे एक लिफाफा दिखता है…दरवाजे के ठीक किनारे मानो जैसे किसी ने उसे दरवाजे के नीचे से फैका हो…देवश के माथे की शिकार तरफ जाती है…और वो उठके हाथ धोके लिफाफा उठता है ऊसपे ना तो कुछ लिखा है और ना कोई अड्रेस…वॉ टेबल पे लाके उसे फाड़ता है…और ऊस कागज़ को पढ़ें लगता है….जाहिर था ये धमकी थी और धमकी जिसकी थी उसे भी जाने में वक्त ना लगा काला साया
“मैं जनता हूँ तू मेरे पीछे है…और ये भी जनता हूँ की तू मेरी सक्चाई जानना चाहता है…ये जान ले की मैं किसका दुश्मन नहीं…पर ऊँका हूँ जो मेरे अपनों के और मेरे चेहरे के दुश्मन है…भलाई इसी में है की केस क्लोज़ कर दे अगर मुझे पता चला की तू मेरे पीछे अब भी है…तो सोच लेना तेरे पास दो ऑप्शन है खंडहर हाउस के पास आ जाना अगर वाक़ई तू ये चेहरा देखना चाहता है…लेकिन सोचले ऑप्शन 1 बहुत ही खतरनाक साबित होगा तेरे लिए…दूसरा ऑप्शन ये है की दिव्या का पीछा चोद वो तो एक बेसहारा लड़की है…पर हाँ उसे तो क्या किसी भी मेरे लोगों को तूने हिरासत में लिया तो सोच लियो”………लेटर को दुहराते हुए देवश कागज़ को फाड़ देता है…कानून का सिपाही होकर उसी को गुंडागर्दी का धौस
देवश मुस्कुराता है…ये बात तो साफ थी की काला साया दिव्या से जुड़ा हुआ है कहीं ना कहीं लेकिन ये भी था रहस्य जाने पे उसके जान को खतरा हो जाएगा….लेकिन देवश को ये जरूर पता चल गया की चलो इस बहाने काला साया के दिल में उसके लिए एक खौफ तो पैदा हुआ है…ऑप्शन 1 देवश को ज्यादा सूट किया…क्योंकि चुत मारना और चॅलेंज निभाना उसे बचपन से ही पसंद था
थाने में वापिस आकर…ऊसने काफी देर तक सोचा..और फिर प्लान को अंजाम दिया…पुलिस की मदद लेना सबसे बड़ी बेवकूफी है काला साया एक ही झटके में ऊँका तमाम कर डालेगा….अगर देवश अकेला जाए तो वो कम सतर्क हो जाएगा….पूबलीच तो पता लगा तो काला साया को बचाने और पुलिस पे कीचड़ उछालने में वक्त नहीं लगेगा…सबका अन्नड़ाता जो बिना फिर रहा है
देवश ने इस मॅटर को अपने हाथ में खुद ही लेने का फैसला कर लिया…और फिर ऊसने उसी दिन जीप बीच में ही रोक दी गंभीरता उसके आंखों में सवार थी..और फिर जीप से उतरके एक बारे से दुकान में घुस गया….कुछ देर बाद वो दुकान से बाहर निकाला और अपने हाथ में उठाई ऊस बेसबॉल बात को घूर्रने लगा…देवश ने काला साया को मारने के लिए हत्यार खरीद लिया था
क्या पता घर पे भी वो अटॅक कर सकता है? ऊस्की नजरें देवश पे ही शायद टिकी हो…घर पहुंचकर ऊसने फौरन पुलिस को इकतिल्ला की वॉ ये बात गुप्त रखे की काला साया को पकड़ने का ऑपरेशन वो शुरू कर रहा है….ऊसने पाँच बारे ऑफिसर्स को इस ऑपरेशन के लिए ड्यूटी पे लगाया…ऊन्हें हमको दिया अगर काला साया की परछाई तक दिख जाए ऊसपे गोली चला देना…देवश जनता नहीं था की वो अपने चॅलेंज के चक्कर कितने बारे तूफान को चुनौती दे रहा था
पूरे दिन वो मुकोता को घर में लिए अपने हाथ में पकड़े घूमता रहा…और बेसबॉल बात को साफ करके अपने हाथों में घुमाता है…जल्द ही रात हो जाती है….रात के 12 बजते ही तंन तन्न्न की आवाज़ घारी से सुनकर देवश उठ खड़ा होता है और अपने हाथों में बाइक ग्लव्स और एक मोटा जॅकेट पहन लेता है…पास रखी बेसबॉल बात को उठता है…और उसे अपने जीप पे रखकर सवार हो जाता है पूरे रास्ते उसका दिल ढक ढक कर रहा था अपर्णा काकी शीतल किसी को पता नहीं था की वॉ क्या करने जा रहा है? ईवन पुलिस तक को नहीं…
रात गये वॉ ऊस खंडहर हाउस के पास पहुंचता है जिसकी जर्जर इमारत से फॅट फटके कई जमी हुई है और दीवारों से पादो की जड़ें निकल गयी है…ऐसी भयंकर रात में सुनसान सन्नाटे भरे वीरान खंडहर में वो अकेले ही प्रवेश करता है…साथ में एक मोबाइल है जिसे ऊसने स्विच ऑफ कर दिया…अगर क्कूह हो गया तो साला खुद ही सब संभालना पड़ेगा….पुलिस तो वैसे ही पीछे लगी है काला साया के लेकिन फिर भी दिल में एक डर तो रहता ही है
Awesome updates aur bhai ek hi updates aaj
Nice update brother....
keep writing....
keep posting.......