(UPDATE -36)
काला साया नदी में कूद पड़ा..गोली उसके बाए कंधे पे पीछे के भाग में जा लगी…”आआआआआआआआहह”…..काला साया दर्द से दहद्ध उठा…और नदी में गिर पड़ा..अफसरों इन पानी पे दो तीन बार फाइरिंग की “तहरो बरसात तेज है तूफान भी शुरू हो चुकी है यक़ीनन वो पानी में डूब गया है…ऊस्की लास हे ढूँढनी है हमें फौरन”……….पानी इतना गहरा था की लाश तो क्या काला साया के मुकोते भी ऊन लोगों के हाथ में नहीं आ पाए
बात को दबा दिया गया ये एलान नहीं किया की काला साया मर चुका….ऊस रात पानी में खूब गोताखोरो ने पता किया पर पानी का बहाव इतना तेज था की शायद नदी काला साया की लाश कहीं और ले जा चुकी हो या फिर गहराइयों में…आख़िरकार हार मानके अफसरों ने ये कोशिश भी चोद दी…
धधढह धड़धह….दरवाजा कोई ज़ोर से पीट रहा था….दिव्या ने जल्दी से दरवाजा खोलाआ “आअहह सस्स दिवव्या आअहह”…….दिव्या भौक्ला गयी….ऊसने फथटफट काला साया को बिस्तर पे सुला दिया उसके गीले कपड़ों को फौरन उतार फाका
“आहह आहह दिवव्या”….देवश बधबदाता जा रहा था…दिव्या ने झट से उसके मुकोते को उतार फैका और उसके चेहरे को देखकर दंग रही गयी उसके चेहरे पे इर्द गिर्द चोटें थी…”टीटी..तुममनी ये क्या कर लिया आस नहीं इसस्शह हे भागगवान तूमम्म..हेन्न गोलीी लगी है”…….दिव्या चीख उठी
“दिववववया फ़ौरान्न्न आअहह सस्स एक दवा तैयार करो मेरे पास के आअहह दराज़ में कुछ दवाइयाअ है और साथ मेंन एक गरम चाकू भी ले आना”………दिव्या ने ठीक वैसा ही किया उसके हाथ बहुत कांपें जा रहे थे
ऊसने ताली ली…और उसके घाव पे गरम चाकू को जैसे लगाया देवश दर्द से चिल्ला उठा…”कोशिष्ह करूं आहह मेरी चीखों की परवाह मत करो फौरन वक्त नहीं है”…….इतना कहते ही…दिव्या ने आंखें बंद कर ली और बहुत ही क़ास्सके ऊस चाकू में गरम चाकू को रखा…….देवश ऊस रात काफी ज़ोर से चीख रहा था…गोली प्लेट पे गिर पड़ी साथ में खून भी टपकने लगा घाव के माँस के जख्म एकदम ताज़ें थे गोली को किसी तरह से निकलकर दिव्या ने उसे निढल देवश के एक एक बताए दवाई को लगाकर ड्रेसिंग कर दी…तब जाकर देवश को शांति मिली और वो निढल पढ़कर सो गया
दिव्या को एकदम से उल्टी आई और ऊसने वॉशबेसिन जाकर उल्टी की और ऊस खून भरे प्लेट गोल आइक सहित फ्लश करके बहाआ दी…..देवश के कंधे से लेकर छाती तक पट्टी बँधी थी…वॉ बेहद गहरी नींद में सो चुका था…बीच बीच में दिव्या ऊस जगा देती…ताकि ओसोे ये ना लगे की देवश ने अपनी आंखें हमेशा के लिए बंद कर ली है…पर उसे कामयाबी मिली थी वो गोली के वार से बच निकाला था…दिव्या ने पास रखकी नक़ाब को उठाया वो जानती थी उसे क्या करना है?
और ऊसने फौरन ऊस मुकोते को कैची से फाड़ फाड़ के जला डाला…काला साया पुलिस वालो की नजारे में मर चुका था पर इसी श्हहेर को कहीं ना कहीं ऊस्की जरूरत थी पर ये जरूरी था..क्योंकि देवश का मंसूबा पूरा हो चुका था…और अब वो अपनी ज़िमीडारी मुकोते के बिना ही करना चाहता था
दिव्या देवश की सेवा करती रही…और ऊसने पुलिसवालो के फोन पे ये बताया की वो देवश की बहन है और वॉ घर आए हुए है दो दिन बाद वो आ जाएँगे…ये सुनकर सब शांत पर गये…दिव्या ने देवश की बाइक को किसी तरह घ के अंदर दाखिल करके झाड़ी और घससों से ढक दिया….और देवश के सिरहाने आकर लाइट गयी ऊसने अपना सर देवश के छाती पे रख दिया और उसके आंखों से आँसू गिरने लगे वो सुबकने लगी…उसे यकीन्ना काला साया खोया था पर अब एक नया प्रेमी पाया भी था…आख़िरकार दिव्या की मेहनत भारी सेवा और प्यार और देवश के खुद के विश्वास से आख़िरकार उसे कामयाबी मिल ही गयी और उसका शरीर स्वस्था हो गया…देवश पहले से ज्यादा तन्डरस्ट खुद को महसूस करने लगा उसके बाए कंधे के पीछे लगी गोली के घाव काफी हड़त्ाक सामान्या हो चुके थे….लेकिन दर्द थोड़ा बहुत तो था ही..देवश ने इन कुछ दीनों में खुद को काफी ज्यादा ठीक करने की कोशिश की…हाँ वो कसरत तो नहीं कर पा रहा था पर उसे अपने शरीर को स्वस्था बनाए रखान जरूरी था ताकि पुलिस वालो को ऊसपे कोई शक ना हो उधर थाने में क्या रिपोर्ट आई होंगी ये भी जानना बेहद जरूरी था
देवश ने उसी दिन पुलिस स्टेशन फोन करके अपने अफसरों से पूछा तो जो जानकारी मिली उसे ये साफ था की काला साया को मारा हुआ घोषित कर दिया है दरअसल जिस नदी में देवश कूड़ा था प्लान के मुताबिक वो नदी फाटक से जुड़ी हुई थी अगर ऊसमें गिरा भी था तो वो घयाल ऊपर से ना तैयार पाने से ऊस्की मौत हुई होगी ये सुनकर देवश को मन ही मन खुशी हुई साथ में नदी में गिरके फिर वहां किस तरह तैरके देवश किसी तरह ज़मीन पे पहुंचा था ये स्टोरी तो वही जनता है अगर ऊस रात वो पत्थर का सपोर्ट उसे किनारे पे ना मिला होता तो आज ऊस्की लाश बांग्लादेश तो जरूर पहुंच गयी होती
देवश ने कुछ देर तक बातें की और फिर कमिशनर से मिलने की पर्मिशन ली…देवश फौरन उसी दिन किसी तरह नाश्ता वष्ता और अपने वर्दी को पहनें दिव्या से विदा लेता है दिव्या काफी डर जाती है पर वो दिव्या के बालों पे हाथ फायरके उसे शांत रहने की सलाहियत देता है…ऊन लोगों की तरक़ीब कामयाब हो चुकी है अब उसे डरने की जरूरत नहीं…देवश फौरन थाने जाता है और वहाँ का काम निपटता है हवलदार उससे पूछता है की वो कहाँ गये थे? देवश भी उसे बारे ही संजीदगी से जवाब देता है जैसे की कुछ हुआ ही नहीं था
उसके जख्म अब भी भरे नहीं थे इसलिए कंधे में हल्का हल्का पेन शुरू हो जाता चलने से बारे ही संभलके देवश वर्दी से खुद के बदन को धक्के ताकि पत्तियां ना दिखे चलतः आई….कंधे की गोली के बारे में किसी को पता लगा तब तो फिर साज़िश लगेगी सबको….देवश अपने वर्दी वाले आम किरदार में फीरसे अभिनय करने लगता है वो पानी चबाना फिर हप्पी छोढ़के टाँग टेबल पे रखना….तभी हवलदार कान में फुसफुसता है की आपके अफसरों ने काला साया को मर गिराया कहीं इससे ज़िल्ला वाले ना भड़क जाए…देवश सिर्फ़ इतना कहता है की काला साया मर गया है ये बहुत ही अच्छी खबर है पर अगर लोगों के लगने लगा की वो नहीं आया तो फिर बात बिगड़ते डायरी नहीं लगेगी फिर तो कमिशनर को जवाब देना पड़ेगा क्योंकि ऑर्डर्स तो ऊन्होने ही दिए थे हवलदार और देवश एक दूसरे को ताली मर के खूब तहाका लगाकर हस्सते है
शांतक देवश घर पहुंचता है…अपने काला साया वाले घर पे….दिव्या उसका पलके बिछाए इंतजार कर ही रही थी दरवाजा खटखटते ही दिव्या दरवाजा खोल के उसे गले से लिपाततित है…देवश उसे अपने सीने से लगाए कंधे पे हाथ रखकर अंदर आता है फिर दिव्या उसे बात करते हुए उसके सारे शर्ट को आराम से उतरती है उसके कंधे पे लगी पट्टी को टटोलती है और फिर ऊस जख्म कोदेखती है…देवश ऊस्की ये सेवा देखकर उसके गाल को चूम लेता है..और उसे अपने गोद में बिता लेता है
दिव्या : किसी ने शक तो नहीं किया ना तुमपे
देवश : नहीं मेरी दिव्या किसी ने कोई शक नहीं किया…वो लोग तो काला साया के मौत पे हँसी उड़ा रहेः आई…वैसे कमिशनर का फोन आएगा मिलने के लिए फिर ऊनसे बात करके पता चलेगा