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Adultery काला साया – रात का सूपर हीरो(Completed)

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Nice update brother....
keep writing....
keep posting......
 
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AK 24

Supreme
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(update-35)



न्‍न्न्नूऊऊऊऊओ….देवश ज़ोर से चीखा…और उसका इस बार गुण भी गिर पड़ा….सामने बिस्तर के ठीक ऊपर एक मुकोते की तस्वीर थी और वॉ मुखहोटा जिसके हाथ में था वो शॅक्स कोई और नहीं देवश था

बदल गाराज़ उठा…और एक बार देवश घबरा गया “य..ईए कैइससे मुम्मकिन है?”……दिव्या उसे ऐसी निगाहों से देख रही थी जैसे वो सबकुछ पढ़ चुकी हो..ऊसने उठके ऊस मुकोते की तस्वीर को देवश के करीब लाया और उसे दिखाया..”खुद ही देखो कौन है यह? ये तस्वीर तब की है जब तुम काला साया बनकर अपने दूसरे घर से निकल रहे थे जिस वीरान घर की तुम तलाशी लेने आए थे जहाँ मैं रहती हूँ”……देवश हक्का बक्का मुँह पे हहाथ रखे हुए था

दिव्या : अब तुम जानना चाहोगे की ये तुम ही हो…और तुम कोई ऐक्टिंग कर रहे हो? दररो नहीं तुम सच में तुम ही हो ये कोई और है ये शॅक्स जो ये नक़ाब पहन रहा है ये तुम ही हो और ये तुम्हारा गुस्सा

देवश : न्न्न..नहीं पर्रर मैंन काला साया बन जाता हूँ और मुझे पता भी नहीं

दिव्या : ये पेपर्स पढ़ो…डॉक्टर नेगी रस्तोगी…इनको तो जानते होगे मनोचिकित्सक हमारी भाषा में जो दिमागी इलाज़ करते है….याद करो देवश या फिर तुम अंजान बन रहे हो

देवश : त..तूमम मेरे बारे में इतना सबकुछ कैसे जान गयी?

दिव्या : मैंने दिल तुमसे नहीं लगाया इंस्पेक्टर साहेब तुम्हारे ऊस मुकोते से लगाया ऊस इंसान से जो सबका देवता है काला साया….आज की रात मैं भूली नहीं हूँ जब तुम मेरे साथ बिस्तर पे सो रहे थे और तभी मैंने तुम्हारा ये मुकोता हटाया और वही मैं बर्फ की तरह जम गयी तुम ही हो ना जो एक क्या बोलते है उसे अँग्रेज़ी में कौररपटेड अफ़सर बनते थे और फिर रात की आध में जुर्म का सफ़ाया करते थे तुम्हारी गलती नहीं है तुम्हारे अंदर की अक्चई तुम्हें ये बना चुकी है

देवषह : पर्रर ये मैंन मैंन तूमम मुझहहे (देवश पूरा हकला गया था उसके सारें राज़ दरशाई हो चुके थे दिव्या के सामने)

दिव्या : ये फाइल देखो डॉक्टर नेगी रस्तोगी की…जब तुम्हारे मुकोते के बाद तुम्हारे चेहरे को देखा तो पाया की तुम इंस्पेक्टर देवश चट्‍त्ेर्जे हूँ टाउन के इंस्पेक्टर और तुम एक निहायती कमीने इंसान हो मैं खुद रिपोर्ट लिखने तुम्हारे पास आई थी पर तुमने मुझे भगा दिया लेकिन मैं ये नहीं जानती थी जिस देवता को मैं पूजती हूँ वो एक ऐसे इंसान में छुपा है….तुमने मुझसे हर राज़ छुपाएं रखा डॉक्टर नेगी रस्तोगी से बात करने के बाद पता चला की तुम्हें सनक चढ़ती है जो हादसे तुम होते देखते हो ऊन्को अपनी तरीके से साफ करते हो….डॉक्टर नेगी रस्तोगी को फोन करने के बाद ऊन्होने मुझे सारी बात बताई

कहानी कुछ इस तरह थी…देवश चटर्जी डॉक्टर नेगी रस्तोगी के ऑर्फनेज में रहा था…उसके मां बाप की मौत के बाद ऊस्की दादी को मारते वक्त ऊसने देख लिया था….अंजर ने ऊस छोटे से बच्चे को उसके माता पिता की मौत के बाद बीच रास्ते पे ही चोद दिया पहले तो ऊसने दो बार आक्सिडेंट की तरह देवश को मारना चाहा पर देवश बच निकाला देवश की सारी जाएज़ाद पे नाम थी…अगर वो मर जाता है तो सारी प्रॉपर्टी उसके चचेरे भाई जो घर का दूसरा वारिस है साहिल के नाम हो जाएगी….देवश महेज़ 5 साल का था…और फिर उसे बीच रास्ते पे छोढ़ने के बाद उसे अनाथ घोषित कर दिया ऊन कामीनो ने…रास्ते से उठाकर किसी नूं ने देवश को ऑर्फनेज में डाल दिया वहां डर डर तक़लीफ़ सहने के बाद देवश बड़ा हुआ और उसे सरकारी पढ़ाई कराई गयी…देवश अफ़सर में भरती होता है और फिर काबिल अफ़सर बनता है लेकिन कहीं ना कहीं ओसॉके अंदर का गुस्सा अपने माता पिता को मारने की साज़िश और खुद को बेढाकाल करवाने से एक क्रोध पलटा है उसके अंदर

सनकी होने के कारण ऑर्फनेज से ही उसके व्यवहार को लेकर सब चिंतित थे उसका इलाज किया गया हालत तो बदले गये पर बीमारी उसके अंदर रही गयी…अफ़सर के बावजूद भी जब भी कीिस के साथ कुछ बुरा होता है तो देवश के अंदर एक सनक चढ़ती है वॉ दुनिया से बैईमानी करता है लेकिन दूसरे ही पल उसे अपने गुनाहो का दर्द भी होता है और फिर अपने इस सनक को छुपाने के लिए एक मुकोता धारण कर लेता हे दिव्या को दराज़ से ही काला साया के मुकोते का कई स्केचस मिलते है…जिसपे वो अलग अलग तरीकों से खुद के आइडेंटिटी को हाइड करने के लिए मुकोते बनता है…और उसी स्केच से एक काला कपड़े का मुकोता पहनकर और अपने ऑफिसर की ट्रेनिंग में ही मार्षल आर्ट पे ज्यादा ध्यान देकर खुद को एक नया अवतार बना लेता है काला साया


बदल के गारज़ते ही सारी दास्तान खुद पे खुद देवश के सामने पेश हो जाती है…और वो सख्त निगाओ से दिव्या को देखता है “जिसे मैं हर जगह खोजते आई वो मुझे कुछ इस तरह मिलेगा सोचा नहीं था काला साया”….दिव्या के आंखों में आँसू थे उसे देवश का दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ था

देवश अब वो देवश नहीं दिख रहा था…रात ढाल चुकी थी…उसके अंदर का सनक ओसॉके चेहरे पे साफ झलक रहा था ऊस्की खौलती ऊन अंगार भारी आंखों में…उसके होठों पे एक काटी ल्मुस्कुराहट..वो पीछे पलटके दिव्या को देखता है “हाँ मैं ही हूँ काला साया लेकिन सिर्फ़ और सिर्फ़ तबतक जबतक मेरे मंसूबो में मुझे कामयाबी नहीं हासिल होती”……..देवश मुस्कुराकर दिव्या की ओर देखता है

दिव्या : ये तुमने क्या किया काला साया अपने लिए पुलिस का खतरा बढ़ा लिया

देवश : नहीं दिव्या ये जरूरी था…मुझे दो जिंदगी जीने पे मेरे किस्मत ने मुझे मज़बूर किया था…मैं तो बदले के लिए काला साया बना पर मुझे लगता है सिर्फ़ अपने लिए नहीं दूसरों के लिए भी मुझे लड़ना चाहिईए

दिव्या : लेकिन तुम अब क्या करोगे जो पुलिसवाले तुमने खुद हीरे किए है ऊँका क्या होगा?

देवश : काला साया को गायब होना होगा…ताकि उसे ये दुनियावाले कभी पहचाना ना सके

दिव्या : क्या लेकिन इसमें तो बहुत खतरा है तू.एमेम कहना क्या चाहते हो?

देवश अपनी जॅकेट और चेहरे पे मुकोते को पहनते हुए दिव्या के हाथ से लेकर..”यही की देवश और काला साया का राज़ तुम्हारे सामने आ सके मैंने जब तुम्हें तरक़ीब समझाईी तो ये भी बताया की अगर मैं रहूं या ना रहूं मेरा साय हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा तुम फिक्र मत करना दिव्या मैं हमेशा रहूँगा तुम्हारे साथ”……..इतना कहकर काला साया दिव्या को ये कहकर निकल जाता है की उसके दुश्मन उसके इंतजार में है

दिव्या उसे रोकती है पर वो जानती है वो देवश को तो रोक सकती थी पर काला साया को नहीं…काला साया हवा की तरह खंडहर की खिड़की से छलाँग लगाकर ऊस जीप पे सवार हो जाता है दिव्या उसके संग बैठ जाती है…जीप चल पार्टी है….और जल्द ही काला साया उसे घर के पास उतारके उससे विदा ले लेता है

जल्द ही वो पुलिस की नजारे में आता है…पुलिस के काबिल अफ़सर्स जो मौत बनकर ऊसको तलाश रहे थे उसके पीछे लग जाते है “वो जा रहा है उसे हॉर्न मारो आज हमें उसे किसी भी तरह मर गिरना है”…….काला साया मुस्कुराकर अपनी शीशे से पीछे की गाड़ी की हॉर्न को सुनता है और ठीक ओसोई पल गाड़ी को रोक देता है..और किसी फुरती के साथ ब्रिड्ज के नीचे कूद जाता है…बारिश तेज हो जाती है….पुलिसवाले भी गोली लिए पहाड़ी से नीचे उतरते है

काला साया अंधेरे की आगोश में चुप जाता है और पास आते अफ़सर्स पे छलाँग मारता है….धधढ धधह…काला साया पे ताबड़टोध गोलियां चल पढ़ती है पर वो हवा के भात इजब कूड़ता है दोनों लाटीएन ऊन दोनों अफसरों पे मर के ऊन्हें गिरा देता है…”य्ाआआअ”…….देवश पीछे के पुलिस वाले के हाथ को माड़ोध देता है और फिर हवा अपने टांगों को लगभग उठाते हुए सीधे पास खड़े दोनों पुलिसवाले पे लातों की बरसात कर देता है..पुलिसवालो के देते ही

तीसरा ऊसपे गोली चला देता है गोली जॅकेट को छू निकलती है….”परछाई को कभी पकड़ पाओगे भला”….काल साया फुरती से अपने नूंच्ौको को हवा में लहराने लगता है और ठीक उसके बाज़ू पे उतार देता है तीसरा हमला होते ही वो अपना सर पकड़े गिर जाता है

ऊसपे इस बार गोलियों की बौछार शुरू हो जाती है…क्योंकि उसे बिना गोलियों के पकड़ना आसान नहीं…काला साया भागता है…धधह धधह पूरे रास्ते गोलियों की शोर्र सुनाई देती है..काला साया दौधते ही जाता है…और ठीक तभी एक ओवरब्रिड्ज के काग्गर पे खड़ा हो जाता है इस बार काला साया काँपने की ऐक्टिंग करता है जैसे अब कोई रास्ता नहीं है बचने का…”रुक्क जाओ काला साया हम तुमपे गोली चला देंगे”……..एक अफ़सर ज़ोर से चिलाके बाकी अफसरों के साथ उसे घैर लेता है “बचना चाहते हो तो फौरन अपने आपको हमारे हवाले कर दो और अपना मुकोता उतार फाक्ो”………काला साया मुस्कुराता है और फिर ऊन्हें ललकार्ने लगता है….ऊन्हें तो वैसे ही गोली चलाने के आर्डर थे और ऊन्होने संकोच भी नहीं किया..धढ़ धढ़ करके गोली शुरू कर दी
 

AK 24

Supreme
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काला साया नदी में कूद पड़ा..गोली उसके बाए कंधे पे पीछे के भाग में जा लगी…”आआआआआआआआहह”…..काला साया दर्द से दहद्ध उठा…और नदी में गिर पड़ा..अफसरों इन पानी पे दो तीन बार फाइरिंग की “तहरो बरसात तेज है तूफान भी शुरू हो चुकी है यक़ीनन वो पानी में डूब गया है…ऊस्की लास हे ढूँढनी है हमें फौरन”……….पानी इतना गहरा था की लाश तो क्या काला साया के मुकोते भी ऊन लोगों के हाथ में नहीं आ पाए

बात को दबा दिया गया ये एलान नहीं किया की काला साया मर चुका….ऊस रात पानी में खूब गोताखोरो ने पता किया पर पानी का बहाव इतना तेज था की शायद नदी काला साया की लाश कहीं और ले जा चुकी हो या फिर गहराइयों में…आख़िरकार हार मानके अफसरों ने ये कोशिश भी चोद दी…

धधढह धड़धह….दरवाजा कोई ज़ोर से पीट रहा था….दिव्या ने जल्दी से दरवाजा खोलाआ “आअहह सस्स दिवव्या आअहह”…….दिव्या भौक्ला गयी….ऊसने फथटफट काला साया को बिस्तर पे सुला दिया उसके गीले कपड़ों को फौरन उतार फाका

“आहह आहह दिवव्या”….देवश बधबदाता जा रहा था…दिव्या ने झट से उसके मुकोते को उतार फैका और उसके चेहरे को देखकर दंग रही गयी उसके चेहरे पे इर्द गिर्द चोटें थी…”टीटी..तुममनी ये क्या कर लिया आस नहीं इसस्शह हे भागगवान तूमम्म..हेन्न गोलीी लगी है”…….दिव्या चीख उठी

“दिववववया फ़ौरान्न्न आअहह सस्स एक दवा तैयार करो मेरे पास के आअहह दराज़ में कुछ दवाइयाअ है और साथ मेंन एक गरम चाकू भी ले आना”………दिव्या ने ठीक वैसा ही किया उसके हाथ बहुत कांपें जा रहे थे

ऊसने ताली ली…और उसके घाव पे गरम चाकू को जैसे लगाया देवश दर्द से चिल्ला उठा…”कोशिष्ह करूं आहह मेरी चीखों की परवाह मत करो फौरन वक्त नहीं है”…….इतना कहते ही…दिव्या ने आंखें बंद कर ली और बहुत ही क़ास्सके ऊस चाकू में गरम चाकू को रखा…….देवश ऊस रात काफी ज़ोर से चीख रहा था…गोली प्लेट पे गिर पड़ी साथ में खून भी टपकने लगा घाव के माँस के जख्म एकदम ताज़ें थे गोली को किसी तरह से निकलकर दिव्या ने उसे निढल देवश के एक एक बताए दवाई को लगाकर ड्रेसिंग कर दी…तब जाकर देवश को शांति मिली और वो निढल पढ़कर सो गया

दिव्या को एकदम से उल्टी आई और ऊसने वॉशबेसिन जाकर उल्टी की और ऊस खून भरे प्लेट गोल आइक सहित फ्लश करके बहाआ दी…..देवश के कंधे से लेकर छाती तक पट्टी बँधी थी…वॉ बेहद गहरी नींद में सो चुका था…बीच बीच में दिव्या ऊस जगा देती…ताकि ओसोे ये ना लगे की देवश ने अपनी आंखें हमेशा के लिए बंद कर ली है…पर उसे कामयाबी मिली थी वो गोली के वार से बच निकाला था…दिव्या ने पास रखकी नक़ाब को उठाया वो जानती थी उसे क्या करना है?

और ऊसने फौरन ऊस मुकोते को कैची से फाड़ फाड़ के जला डाला…काला साया पुलिस वालो की नजारे में मर चुका था पर इसी श्हहेर को कहीं ना कहीं ऊस्की जरूरत थी पर ये जरूरी था..क्योंकि देवश का मंसूबा पूरा हो चुका था…और अब वो अपनी ज़िमीडारी मुकोते के बिना ही करना चाहता था

दिव्या देवश की सेवा करती रही…और ऊसने पुलिसवालो के फोन पे ये बताया की वो देवश की बहन है और वॉ घर आए हुए है दो दिन बाद वो आ जाएँगे…ये सुनकर सब शांत पर गये…दिव्या ने देवश की बाइक को किसी तरह घ के अंदर दाखिल करके झाड़ी और घससों से ढक दिया….और देवश के सिरहाने आकर लाइट गयी ऊसने अपना सर देवश के छाती पे रख दिया और उसके आंखों से आँसू गिरने लगे वो सुबकने लगी…उसे यकीन्ना काला साया खोया था पर अब एक नया प्रेमी पाया भी था…आख़िरकार दिव्या की मेहनत भारी सेवा और प्यार और देवश के खुद के विश्वास से आख़िरकार उसे कामयाबी मिल ही गयी और उसका शरीर स्वस्था हो गया…देवश पहले से ज्यादा तन्डरस्ट खुद को महसूस करने लगा उसके बाए कंधे के पीछे लगी गोली के घाव काफी हड़त्ाक सामान्या हो चुके थे….लेकिन दर्द थोड़ा बहुत तो था ही..देवश ने इन कुछ दीनों में खुद को काफी ज्यादा ठीक करने की कोशिश की…हाँ वो कसरत तो नहीं कर पा रहा था पर उसे अपने शरीर को स्वस्था बनाए रखान जरूरी था ताकि पुलिस वालो को ऊसपे कोई शक ना हो उधर थाने में क्या रिपोर्ट आई होंगी ये भी जानना बेहद जरूरी था


देवश ने उसी दिन पुलिस स्टेशन फोन करके अपने अफसरों से पूछा तो जो जानकारी मिली उसे ये साफ था की काला साया को मारा हुआ घोषित कर दिया है दरअसल जिस नदी में देवश कूड़ा था प्लान के मुताबिक वो नदी फाटक से जुड़ी हुई थी अगर ऊसमें गिरा भी था तो वो घयाल ऊपर से ना तैयार पाने से ऊस्की मौत हुई होगी ये सुनकर देवश को मन ही मन खुशी हुई साथ में नदी में गिरके फिर वहां किस तरह तैरके देवश किसी तरह ज़मीन पे पहुंचा था ये स्टोरी तो वही जनता है अगर ऊस रात वो पत्थर का सपोर्ट उसे किनारे पे ना मिला होता तो आज ऊस्की लाश बांग्लादेश तो जरूर पहुंच गयी होती

देवश ने कुछ देर तक बातें की और फिर कमिशनर से मिलने की पर्मिशन ली…देवश फौरन उसी दिन किसी तरह नाश्ता वष्ता और अपने वर्दी को पहनें दिव्या से विदा लेता है दिव्या काफी डर जाती है पर वो दिव्या के बालों पे हाथ फायरके उसे शांत रहने की सलाहियत देता है…ऊन लोगों की तरक़ीब कामयाब हो चुकी है अब उसे डरने की जरूरत नहीं…देवश फौरन थाने जाता है और वहाँ का काम निपटता है हवलदार उससे पूछता है की वो कहाँ गये थे? देवश भी उसे बारे ही संजीदगी से जवाब देता है जैसे की कुछ हुआ ही नहीं था

उसके जख्म अब भी भरे नहीं थे इसलिए कंधे में हल्का हल्का पेन शुरू हो जाता चलने से बारे ही संभलके देवश वर्दी से खुद के बदन को धक्के ताकि पत्तियां ना दिखे चलतः आई….कंधे की गोली के बारे में किसी को पता लगा तब तो फिर साज़िश लगेगी सबको….देवश अपने वर्दी वाले आम किरदार में फीरसे अभिनय करने लगता है वो पानी चबाना फिर हप्पी छोढ़के टाँग टेबल पे रखना….तभी हवलदार कान में फुसफुसता है की आपके अफसरों ने काला साया को मर गिराया कहीं इससे ज़िल्ला वाले ना भड़क जाए…देवश सिर्फ़ इतना कहता है की काला साया मर गया है ये बहुत ही अच्छी खबर है पर अगर लोगों के लगने लगा की वो नहीं आया तो फिर बात बिगड़ते डायरी नहीं लगेगी फिर तो कमिशनर को जवाब देना पड़ेगा क्योंकि ऑर्डर्स तो ऊन्होने ही दिए थे हवलदार और देवश एक दूसरे को ताली मर के खूब तहाका लगाकर हस्सते है

शांतक देवश घर पहुंचता है…अपने काला साया वाले घर पे….दिव्या उसका पलके बिछाए इंतजार कर ही रही थी दरवाजा खटखटते ही दिव्या दरवाजा खोल के उसे गले से लिपाततित है…देवश उसे अपने सीने से लगाए कंधे पे हाथ रखकर अंदर आता है फिर दिव्या उसे बात करते हुए उसके सारे शर्ट को आराम से उतरती है उसके कंधे पे लगी पट्टी को टटोलती है और फिर ऊस जख्म कोदेखती है…देवश ऊस्की ये सेवा देखकर उसके गाल को चूम लेता है..और उसे अपने गोद में बिता लेता है

दिव्या : किसी ने शक तो नहीं किया ना तुमपे

देवश : नहीं मेरी दिव्या किसी ने कोई शक नहीं किया…वो लोग तो काला साया के मौत पे हँसी उड़ा रहेः आई…वैसे कमिशनर का फोन आएगा मिलने के लिए फिर ऊनसे बात करके पता चलेगा
 

AK 24

Supreme
22,058
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Writer note:- hmmmm, so guys yaar aap log bilkul bhi support nhi kar rahe ho na review aa rahe na aur kuch ab to story ki starting bhi nhi ki jo lage starting me hota hai.
Story ke 36 update aa chuke aur review bas 2 ya 3 readers ke hi aate hai. Story almost half complete ho chuki hai. Aage se review do aur update lo.
Kyuki mera bhi mann nhi karta jab thread khol ke dekhta hu kuch response hi nhi hai.

Keep supporting ✌️✌️
 
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