(UPDATE-40)
लो अभी तो आराम मिला था और अब फीरसे मुसीबत…मैंने उठके अंगड़ाई मारी और फिर खड़े खड़े ही टॉयलेट में पेशाब करते हुए टीवी पे रेसलिंग देखने लगा..इतने में फिर साला फोन बज उठा….मैंने जल्दी से कक्चा पहना और फोन को उठाया
“सिररर आप प्ल्स जल्दी आ जइईए बहुत जरूरी है”………मेरे लाख कहने पे भी मैं और सवाल पूछ ना सका जाना ही जरूरी था…मौका-ए-वारदात पे पहुंचकर ही पता चलेगा बात क्या है? साला मन मर के पेज के जीत के साथ ही टीवी ऑफ किया और जीप पकरी और निकल पड़ा इतनी रात गये कुत्ते इतने भौंक रहे थे की साला जो नींद उड़ गयी थी ऊसपे भी चार चाँद लगा दिया
जल्दी से मौका-ए-वारदात पे पहुंचा तो देखता हूँ…चार पुलिसवालो की हड्डिया टूटी है और सब एक साथ कराह रहे है उनकी ये हालत देखकर बेज़्ज़ती और हँसी दोनों एक साथ महसूस हुई…”क्या हुआ इन्हें?”…..एक कॉन्स्टेबल के पास जाकर मैंने कहा जो सर पकड़ा अपने माथे से निकलते खून की ड्रेसिंग करा रहा था…चारों तरफ लोग जमा थे कुछ वरडबोयस भी शामिल थे हॉस्पिटल के एक दो को तो आंब्युलेन्स में डाला जा रहा था
“सा.आ.हेब आहह एकक लौंडिया मैंने उसे पुरड़ेखा ऊस्की चाल धाल्ल आहह…ऊसने हम पांचों को इतना पिता और ऊस घर की सारे जेवरात और पैसे लेकर भाग गयी आहह उनके ही कंप्लेंट पे हम आए देखा मिया बीवी दोनों ही बुरी तरीके से बेहोश थे”…….सारी बातों को सुनकर मैं हाँ हूँ की आवाज़ निकल रहा था
खैर जल्द ही बाकी पुलिसवालो को भी हॉस्पिटल ले जा गया…एक लौंडिया और पाँच हटते काटते हत्यारों से लेंस पुलिसवालो को मर के भाग गयी…कैसी चोर है रे?…सबके होठों पे यही बात थी की बरती वारदात हो रही है और क्ाअल साया कहाँ है? लेकिन कोई नहीं जनता था वॉ अब वापिस नहीं आने वाला खैर ये मामला मुझे खुद ही सलटना था…ऊस रात तो नींद हुई छानबीन और गश्त के बावजूद ऊस रांड़ का कोई सुराग ही नहीं मिला
पूरी रात थाने में ही गुजर गयी सुबह 5 बजे घर की ओर रवाना लिया…हप्पी छोढ़ते हुए नींद इतनी लग रही थी की गाड़ी भी नहीं चला पा रहा था…कलकत्ता भी जान था और इस बढ़ते वारदात के इसूचना कमिशनर को भी देनी थी….रास्ते में अपना नया खरीदा हुआ घर मिल गया सोचा वहाँ तो दिव्या है ही चल वही चलता हूँ…गाड़ी को दो तीन बार हॉर्न बजाई पर शायद दिव्या सो रही होगी….अंगड़ाई ली मैं दरवाजा भी लॉक्ड दिव्या को बोलता ही हूँ सावधानी से सबकुछ बंद करके सोया करे…यहां तो काला साया की फुरती और दिमाग चाहिए
फौरन पास के पेड़ पे चढ़ा नींद में अवंगता हुआ और टहनी से ही ब्रांडे पे छलाँग मर दी…साला लूड़क के सीधे दीवार से जा टकराया नींद बहुत ज़ोर की आ रही थी और साला कंधा में ऐसा दर्द हुआ की आहह हनिकल गयी…अब बेटा काला साय तो रहे नहीं जो कूदोगे और प्रेक्टिस बरक़रार रहेगी
खैर दरवाजे पे दस्तक देने के बजाय पास ही की खिड़की पे चोर की तरह घुसा…पास ही की मिसेज़ शर्मा जॉगिंग कर रही थी साली मुझे देखकर चिल्ला ना दे बोले चोर्र चोर्र…लेकिन गनीमत थी की ऊस्की आँखें कमज़ोर थी जब सामने का माक्चर नहीं दिखता तो अपने से 30 में दूर के आदमी को क्या पहचानेगी? बिना चश्मा लगाई घूम रही थी…एक बार ऊसने गौर किया मैं ँततिहक गया फिर आँख बारीक़ करते हुए अंदर चली गयी उसे लगा शायद मेरे खाकके वर्दी से की मैं कोई जंगली बिल्ली हूँ
खैर घर के अंदर घुसा…बहुत सन्नाटा और अंधेरा था…सूरज की रोशनी की नयी नयी चाव दिखी…तभी देखता हूँ की दिव्या बिस्तर पे पेंट के बाल मुँह तकिये में घुसाए सो रही है…ऊस्की गहरी साँसों की आवाज़ को सुनते ही मैं भी फौरन अपना काप्रा उतारे..कक्चा पहने ही बिस्तर पे चढ़के धीरे से उसके गर्दन पे हाथ देकर लाइट गया…वॉ कसमसाई मैंने उसके कान में धीरे से अपना लिया..तो वो घबरके उठती ही पर नींद में होने से मैं उसे ज़ब्रन अपने बाज़ूयो में कैद किया और अपने खड़े लंड उसके नाइटी को ऊपर उठाए गान्ड की दरार से चिपका दिया और फौरन उसके चेहरे पे अपना चेहरा रखकर सो गया
जब नींद खुली तो दोपहर 12 बज चुके थे एकदम से हड़बके उठा तो पाया टेबल पे नाश्ता पारा हुआ है…दिव्या शायद नहा रही थी…नाश्ता एकदम गरम था परांठे और आलू की भाजी फौरन कहा पीक..जूस को गटक के शेविंग की और ब्रश करके जैसे ही बाथरूम की तरफ आया दिव्या टावल लपटे बाहर निकली अफ क्या सौंधी खूबशु आ रही थी निकलते भाप के साथ महक की…बाथरूम से मैंने दिव्या को आँख मारी…और फिर जल्दी से नहाने घुस गया
जब बाहर निकाला तो वॉ सूट पहन चुकी थी…घर काफ इसाफ सुथरा लग रहा था हो ना हो सुबह जल्दी उठके ऊसने कामकाज घर का सारा निपटा लिया था…मुझे वर्दी पहनते देखकर बोली
दिव्या : तुम कब आए थे वॉ भी इतनी सुबह सुबह पता है तुम आते के साथ सो गये
देवश : और नहीं तो क्या करूं? एक तो खंभक्त काम और ऊपर से कमिशनर की मीटिंज्ग मां चोद के रख दी है
दिव्या : छी छी कभी तो अच्छे से बोला करो
देवश : मैं चिढ़ गया हूँ यार अच्छा नहीं लग रहा खैर मैं निकलता हूँ सॉरी आज तुम्हारी नींद खराब की
दिव्या : ना तो मैं 7 बजे उठी तुम बहुत ज्यादा थके हुए थे…तुम घर के अंदर घुसे कैसे? पता है मैं कितना डर गयी कौन मेरे साथ लेटा हुआ है
देवश : बाबू हमेशा याद रखना तुम्हारे संग सिर्फ़ एक ही मर्द के सो सकता है वॉ हूँ मैं और दूसरी बात आज जी नहीं किया घर जाने को अकेले अकेले क्या अब और सोयुंगा बचपन से ही तो अकेला था अब जब एक जवान औरत हो साथ में तो क्या मजा?? वैसे तुम्हारा मुँह क्यों लटका हुआ है?
दिव्या : कुछ नहीं वो आस पड़ोस के लोग पूछताछ करते है जब बाज़ार में मिलते है की तुम्हारा क्या रीलेशन?
देवश : पर डर के मारें नहीं बोलते जानते है मां चोद के रख दूँगा मैं उनकी कोई बात नहीं तुम टेन्शन मत लो मैं समझता हूँ एक जवान औरत एक आदमी के साथ रहती है तो ऊसपे लोग कितना शक करते है जाने दो हमें क्या हमारी दुनिया है
दिव्या केचेहरे पे हल्की मुस्कान आई…मैंने फौरन गाड़ी पकरी..और निकल पड़ा बेचारी ने बहुत रोका लेकिन कलकत्ता 2 घंटे में पहुचना है…दिल में दुख भी था की दिव्या को मैं यूँ मैं अकेला चोद देता हूँ…क्या सोचती होगी? मैं उसके साथ फरेब कर रहा हूँ अकेले अकेले बस अपनी मन की आग शांत करता हूँ लेकिन अभीतक हम दोनों के बीच शादी का रिश्ता बना भी नहीं…उफ़फ्फ़ कितना टेन्शन है य्यार
जल्द ही मीटिंग पे पहुंचा…मीटिंग शुरू भी हो चुकिति मैं अंदर दाखिल हुआ पहले तो कमिशनर से माँफी की रिकवेस्ट की इशारो में ही और फिर अपनी कुर्सी पे बैठ गया…आज काफी बारे बारे अफ़सर आए हुए थे…प्रोजेक्टर स्टार्ट हुआ और फिर एक नक़ाब पॉश लड़की जिसने कृष जैसा मास्क हुआ पहना हुआ था स्क्रीन पे आई उसका चेहरे पहचान नहीं पाया पर बाला की खूबसूरत तो गोरी चिट्ठी और शायद ब्लॉंड उनके सुनहेरे बाल से ही लग रहा था
“ध्यान दीजिए ऑफिसर्स आज हमारी ये बैठक इसलिए हुई है क्योंकि हम इस शख्सियत के खिलाफ एक्शन लेने जा रहे है यक़ीनन ये आप लोगों के डिस्ट्रिक्ट्स में बढ़ती चोरी के मामलों में रही है…और इसके यूँ मुकोता से साफ जाहिर हो रहा है की अभी हाल ही में एक मिडनाइट विगिलियांते क्राइम फाइटर खुद को कहने वाला शॅक्स काला साया और इसमें कोई फर्क नहीं…आप लोग के डिस्कृतस इतर से पास ही है और चोरी की वारदातें पहले सिलगाओं सिलिगुरी मालदा कलकत्ता के पौष ईयालके और इतर में आजकल सुनाने को मिल रही है….इस लड़की का फुटेज हमें सी सी टी अभी कमरा से आत्म मशीन को तोधने के वक्त मिला हम इसके चेहरे को तो नहीं पकड़ पाए पर इससे साफ है की ये चालबाज़ चोर या यूँ कह लीजिए ये औरत काफी शातिर है ये आपको अपने हुस्न से दीवाना बना दे फिर आफ़ि के जेब में हाथ डाले और आप ये सोचे की ये आपका लंड पकड़ रही है बतौर ये आपके जेब को फड़के आपका माल लेकर चंपत हो जाने में माहिर है”………..सबकी हँसी निकल गयी फिर मामले को समझते हुए सब गहरी सोच में आ गये
“इसलिए आप लोगों को मैं बता देता हूँ की ये लड़की फिलहाल तो बढ़ते इन्वेस्टिगेशन के कारण कलकत्ता चोद चुकी है और फिलहाल इतर के नज़दीक उसके चोरियो को सुना जा रहा है इसने हमारे पुलिस की टीम को इंजूर्ड कर डाला अब ये लड़की कौन है? ये पता लगाना और इसे अरेस्ट करना आपका काम इनाम भी गोशित किए गये पर सब बेकार सो प्लीज़ गुयज़ लीव और पोज़िशन और कॉन्सेंट्रेट ऑन और न्यू केस डिसमिस”……सब अफ़सर उठके बातचीत करते हुए केबिन से जाने लगे
मैं कमिशनर के करीब आया “सॉरी सर पर मुझे लगता है की इतर में बढ़ती अपराधो में इसी लड़की का हाथ हो सकता है बिकॉज़ जैसे आपको इनफॉर्म किया था हमारी टीम को इसी ने एक झटके में मर के घायल कर दिया”…..कोँमिससिओने रछाश्मे को ठीक इए मेरी बात पे गौर करने लगा
कमिशनर – ऑलराइट तो मिस्टर.देवश चटर्जी यू आर ऑन बिकॉज़ ई आम असाइंड यू तो अरेस्ट दीज़ तेइफ़ आस सुन आस यू कॅन वैसे भी आपनेजब से काला साया को मारा है तबसे आपकी प्रश्नासा मेरे एनिगाहो और भी उक्चि है
देवश – मानता हूँ सर जिंदगी की एक भूल तो की है उसे मर के लेकिन अगर यहां वो होता तो ये नहीं होती गुस्तकी मांफ सर (इतना कहकर मैं नजरें झुकाए केबिन से निकल गया)
पूरे रास्ते में बस सोच की कशमकश में डूबा हुआ था…इतर में ऊस रांड़ के आने का मतलब साफ है की मेरी जिम्मेदारी साली और तरफ गयी…अब बेटा चैन कहा…फौरन थाने पहुंचा पहले तो सब केस पे एक बार जाँच की…ऊन्हें निपटाने के बाद जहाँ जहाँ चोरी चोरी हुई थी वहां वहां गया…सब जगहों पे एक ही नाम की नक़ाबपोश लड़की जैसी चोर आई..और सबकुछ लूटके चली गयी उसके चेहरे पे बस एक मुखहोटा था…
पूरे टाउन का लगभग डेढ़ घंटा गश्त लगाया…लेकिन कोई खास रिपोर्ट नहीं वॉकी टॉकी ऑन थी..कोई रिपोर्ट नहीं आई थी..और ना ही किसी घर से कोई सूचना…ऊस रात मैं काफी तक गया था…और जैसे ही घर लौटने को हुआ…तभी देखा एक आदमी चोर्र चोर्र कहकर गाड़ी के बाहर चिल्ला रहा है
मैं उसके करीब आया ऊसने मेरा हाथ पकड़ते हुए बोला की एक लड़की बाइक से पूरी रफ्तार से भागी है…और उसका आत्म से निकले सूटकेस के पैसों को छींके भागी है ज्यादा दूर नहीं गई…साला आनंफनन में गाड़ी उसी रास्ते मोड़ दी….खूब तेजी से बढ़ता बढ़ा दी….रास्ता एक ही था रंडी बचके जाएगी कहाँ साइरन नहीं बजाया यहां दिमाग चलना था
मेरा पूरा ध्यान ऊस रंडी पे था….अचानक देखता हूँ एक लड़की नक़ाबपोश पहनी बाइक पे सवार है और फुरती से किसी स्टंट मान की तरह चला रही है ऊस्की निगाह जैसे मुझपर हुई मैंने फौरन बढ़ता तेज कर ली…कुछ मीटर दूर थी मुझसे…वॉ बार बार पीछे पलटके मुझे देख रही थी उसके बाइक पे एक सूटकेस फ़साआ था…मैंने फौरन रिवाल्वर निकाली लेकिन ऊसने बाइक सीधे दूसरी ओर पलट ईदया…गुस्सा तो काफी आया मैंने भी गाड़ी उसी ओर मोड़ दी…साला रास्ता इतना खराब था की सर पे चोट लग गया ऊस्की भी बढ़ता थोड़ी धीमी हो गयी