सोमवार की सुबह उठते ही आँचल ने निश्चय कर लिया , वो आज रिया से पूछकर ही रहेगी कि वो लड़का कौन था ।
उसको किसी भी तरह एक बार उस अजनबी से मिलना था , उसको देखना था । आँचल उसको एक बार फिर से अपने नज़दीक महसूस करना चाहती थी पर इस बार आँखें खोल के । वो उसको छूना चाहती थी , उससे बातें करना चाहती थी । ज्यादा नहीं तो कम से कम एक बार , शायद ऐसा करने से उसका उन सपनों से पीछा छूट जाये ।
दोपहर को लंच टाइम में आँचल , रिया को कैंटीन में एक कोने की सीट में ले गयी ।
“ कौन था वो ? ”
" कौन ? किसकी बात कर रही है तू ? "
"अरे वही जो उस रात पार्टी में लड़का …….जिसे तू पकड़ लायी थी मेरे पास ।”
" क्या.....? " रिया सन्न रह गयी । “पागल हो गयी है क्या ? होश में तो है तू ? नहीं , तू उसको नहीं जानना चाहती ।”
“हाँ , मैं बिलकुल उसको जानना चाहती हूँ “ आँचल थोड़ा शरमाते हुए बोली ।
रिया आँचल की बात से अभी भी सदमे में थी । उसके मुंह से जोर से निकला ,
“ तू ना पक्की छिनाल हो गयी है । "
आसपास की लड़कियां मुड़कर उन दोनों को देखने लगीं ।
आँचल का चेहरा गुस्से से तमतमा गया ।
आँचल का गुस्से से भरा चेहरा देखकर रिया को हंसी आ गयी । वो आँचल की तरफ झुककर धीरे से बोली ,
" बहुत बड़ा था क्या उसका ?"
उसकी बात पर आँचल भी मुस्कुराने लगी " हाँ , मोटा भी था । मुझे मिला दो ना उससे । मुझे वो फिर से चाहिए। "
" मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि तू उससे दोबारा मिलना चाह रही है " रिया सर झटकते हुए बड़बड़ायी ।
“अरे तू क्यों टेंशन ले रही है , मैं उसके साथ अपनी जिंदगी थोड़ी शुरू करने वाली हूँ “ आँचल मुस्कुरायी ।
“ हाँ बच्चू , मैं अच्छी तरह से समझ रही हूँ कि तेरे को वो दुबारा क्यों चाहिए , उसने तेरे अंदर कुछ ज्यादा ही माल गिरा दिया है , है ना ? “ रिया थोड़ा कड़वे स्वर में आँचल की चूत की तरफ इशारा करते हुए बोली । आँचल की जिद से वो irritate हो गयी थी ।
“ हम्म .. .. मुंह में गिराया “ आँचल अपने खुले मुंह की तरफ इशारा करते हुए खी खी करके हंस पड़ी ।
“ लेकिन अबकी बार देखना , मैं उसका पूरा मुंह भर दूंगी , अपने रस से । "
“छी छी ! तू कितनी गन्दी बातें करने लगी है “ रिया गन्दा सा मुंह बनाकर बोली , फिर जोर से हंस पड़ी । उसने पहले कभी आँचल को ऐसी बातें कहते नहीं सुना था । कम बोलने वाली , अपने में मगन रहने वाली आँचल आज उससे बहकी बहकी सी बातें कर रही थी ।
" ये सब उसी लड़के का असर है तुझ पर । "