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Kosis kar rahi hu. Aap ko pasand aaya. Ye mere lie bahot badi bat hai.Koina yaar aap bohot acha likh Rahi ho
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Kosis kar rahi hu. Aap ko pasand aaya. Ye mere lie bahot badi bat hai.Koina yaar aap bohot acha likh Rahi ho
Jab aap kahe Hum dairy le k hazir ho jayengeAmezing Panditji. Jab koi romantic story likhungi. Tab aap ki special sayariyo ki jarurat padne vali hai.
Abhi saya 2 ke update post kar rahi hu. Uske bad turant yaha ek bada update post karungiJab aap kahe Hum dairy le k hazir ho jayenge
Lobe you for that thanks dost,Abhi saya 2 ke update post kar rahi hu. Uske bad turant yaha ek bada update post karungi
Bahut Bahut badhai aapkoSaya 2 के 6 लाख व्यूज कंप्लीट हो गए दोस्तों.
Horror - Saya. Dobara chudel ki prem kahani
Saya part 1https://xforum.live/threads/saya-ek-chudil-ki-prem-kahani.34036/ To kahani ka part 2 ham yahi se suru karte he. Meri English bahot kamjor he is lie request he ki uspe dhyan na dekar sirf story pe hi dhyan de. Or please padhne vale bad me story ki koi comment jarur de. Taki muje pata...xforum.live
Nice updateA
Update 25
शाम हो चुकी थी. कोमल और बलबीर आश्रम के ही रूम में निचे ही बैठे हुए थे.
कोमल : बलबीर एक चीज समझ नहीं आई. डॉ साहब कभी बोलते है मंदिर बन रहा था. कभी बोलते है मंदिर बन चूका था. बात कुछ समझ ही नहीं आई.
बलबीर : पर मंदिर भी है कहा. और वो पंडितजी की समाधी बता रही थी स्कूल के पीछे है. पर है भी या नहीं क्या पता.
कोमल : तुम एक काम करो. हम वहां उस दिन दयाल के घर जाएंगे. तुम मंदिर ढूढो..
तभि एक लड़का डोर तक आ गया. कुछ 5 साल के आस पास का था.
लड़का : वो डॉ साहब आप को बुला रहे है.
कोमल तुरंत उठी और बलबीर को देखने लगी.
कोमल : मै जा रही हु.
कोमल बहार निकली और जैसे ही वो दूसरी साइड मूड रही थी वो लड़का उसे फिर पुकारता है.
लड़का : वहां नहीं. उस तरफ.
वो लड़का स्कूल के तरफ हिशारा कर रहा था. कोमल उस लड़के के पीछे चल पड़ी.
कोमल : क्या तुम जानते हो स्कूल के पास कही मंदिर है???
लड़का : हा वो तो वही है.
तभि उसे पीछे से बलबीर पुकाते भाग के आया.
बलबीर : कोमल..... कोमल.....
कोमल रुक गई और पीछे देखने लगी. बलबीर भाग के उसके पास आया और खड़ा हो गया.
बलबीर : (हफ्ते हुए) डॉ साहब तुम्हारा कब से इंतजार कर रहे है. तुम यहाँ कहा जा रहे हो.
कोमल हैरान रहे गई. उसने घूम कर उस बच्चे की तरफ देखा. मगर वो बच्चा वहां नहीं था.
कोमल : वो लड़का????...
बलबीर : कोनसा लड़का????
कोमल : अरे वही जो मुजे बुलाने आया था.
बलबीर को मामला समझ में आ गया. और वो कुछ बोले बिना कोमल का हाथ पकड़ कर उसे लेजाने लगा. कोमल को जबरदस्त सॉक लगा. वो लड़का आखिर था ही कौन. वो ज्यादा आगे नहीं गए थे. इस लिए वापस आश्रम तुरंत पहोच गए. डॉ रुस्तम सामने ही खड़े थे. वो भी कोमल को स्कूल की तरफ वाले रास्ते से आते देख हैरान रहे गए.
डॉ : तुम वहां कहा चली गई थी.
कोमल सारी बात बताती है की कैसे उसे एक बच्चा बुलाने आया था. वो भी डॉ रुस्तम के नाम से. मगर हैरानी की बात ये थी की वो लड़का सिर्फ कोमल को ही दिखाई दे रहा था. बलबीर को नहीं.
डॉ : शुक्र करो की तुम बच गई. वो तुम्हे स्कूल लेजा रहा था. वही सुसाइड करवाने.
कोमल और बलबीर पूरी तरह से हिल गए.
डॉ : कोई बात नहीं. अब मेरे साथ चलो. हमें पंडितजी से कॉन्टेक्ट करने की कोसिस करनी होंगी.
कोमल और डॉ रुस्तम मुखिया के साथ दिन दयाल के घर पहोच गए. साथ एक और डॉ रुस्तम की टीम का मेंबर भी था. दिन दयाल तो मुखिया और डॉ रुस्तम को देख के हाथ जोड़ने लगा. मगर उसकी बूढी माँ खटिये पर पड़े पड़े गालिया देने लगी. देखने से ही पता चल रहा था की बुढ़िया सिर्फ जिन्दा है. वो ज्यादा बूढी थी.
ना उठ सकती थी. ना बैठ सकती थी. बस जैसे कोई हड़पिंजर हो. जो वो बोल रही थी किसी को समझ नहीं आ रहा था. बस कुछ शब्दो के सिवा. मदरचोद आ गए. और भी गालिया थी. कोमल और बाकि सारे घर के अंदर गए. घर पुराने ज़माने का ही था.
जैसे गांव में सजावट बर्तनो से होती है. वैसा ही. दिन दयाल भी कोई 40,45 साल का ही लग रहा था. उसने सब को बैठने के लिए खटिया का ही इंतजाम किया.
मुखिया : कहा है बिटिया????
दिन दयाल : आ रही है.
कोमल घर में चारो ओर बैठे बैठे नजर घुमा रही थी. उसने एक बड़े से फोटो को देखा. जिसपर हार चढ़ा हुआ था. वो किसी व्रत पुरुष की ही फोटो थी. कोमल का वकील दिमाग़ छान पिन करने लग गया.
कोमल : वो किसकी फोटो है???
डॉ रुस्तम भी हैरान रहे गए.
दिन दयाल : वो मेरे पिताजी है. उनका देहांत हो गया.
कोमल : कितना वक्त हो गया.
दिन दयाल : कुछ 10 साल हुए होंगे.
कोमल : आप की माँ भी ज्यादा बूढी हो गई है. और आप की बाई टांग में भी तकलीफ है.
दिन दयाल : हा वो पता नहीं क्यों कोई बीमारी लग गई है.
यहाँ डॉ रुस्तम को डर लगने लगा कही कोमल के सवालों से चिढ़कर कही दिन दयाल कोपरेट करना ना छोड़ दे. पर कोमल जैसे तहकीकाद कर के ही मानेगी.
कोमल : आप की सिर्फ एक ही बेटी है??? कोई और बच्चे नहीं है.
दिन दयाल : जी वो एक बेटा है. बहार पंजाब में काम करता है.
कोमल : कितने साल का हे वो??? क्या शादी हो गई उसकी???
दिन दयाल बोल नहीं पाया. पर मुखिया ने दिन दयाल के लिए वेदना जता दीं.
मुखिया : दो बेटे तो भगवान के पास चले गए. जवान थे बेचारे. बीमारियों से ही गुजर गए. अब छूटके को बेचारा कहा रखता.
कोमल : कितनी अजीब बात हेना. आप की बेटी दुनिया के दुख दर्द दूर करती है. और आप ही के घर...
कोमल बोल के चुप हो गई. पर वो शक वाली निगाहो से दिन दयाल को देख रही थी. कोमल की बात भी गलत नहीं थी. लेकिन डॉ रुस्तम का दिमाग़ भी तुरंत खटका.
कोमल : कुछ तो छुपा रहे हो दिन दयाल जी. कोई बात है तो बता दो.
दिन दयाल का तो चहेरा ही जैसे उनके सॉक लगा हो. पर तभि एक 19,20 साल की लड़की आकर खड़ी हो गई. एकदम दुबली पतली. गांव का ही सिंपल ड्रेस पहना हुआ था. चेहरे पर कॉन्फिडेंस की कमी थी.
दिन दयाल : जी ये मेरी बिटिया है. सोनल..
डॉ रुस्तम ने तुरंत मुखिया को देखा..
मुखिया : आओ बेटियां यहाँ बैठो..
उसे लड़की को नीचे फर्श आसान बेचकर बैठाया गया. डॉ रुस्तम भी उसके सामने नीचे बैठ गए. उन्होंने अपनी टीम मेंबर को इशारा किया. वो टीम मेंबर सारा इंतजाम करने लगा. एक बैग से पूजा का सारा सामान निकालने लगा. धीरे धीरे सारा सेटअप हो गया.
कोमल उम्मीद कर रही थी की जैसे पलकेश के केस में एंटी टी बहोत लेट आई थी. वैसे यहाँ भी टाइम लगेगा. पर इतना टाइम लगा ही नहीं. उस पूजा की प्रोसेस से पहले ही उस लड़की ने झटका मारा. एकदम से सर गोल घुमाया और बाल आगे.
लड़की : तुम्हे एक बार बता दिया बात समझ नहीं आती क्या. जाओ पहले मदिर को खोलो.
लड़की का रूप बदलते सब से पीछे बैठे मुखिया जी तुरंत बोल पड़े.
मुखिया : जई हो माता की. सब का भला करना माँ...
कोमल जानती थी की वो माता नहीं है. पर पंडितजी भी है या नहीं. उसे तो उसपर भी शक था.
डॉ : पर मदिर है कहा पर.
कोमल को वो फ्लोड लगा. कोमल के फेस पर एक छुपी हुई स्माइल आ गई. जो उस लड़की ने देख ली. वो कोमल की तरफ फेस करती है.
लड़की : अभी अभी तेरी जन जाते बची है. और फिर भी तू हस रही है मुझपर. हसले हसले. वो तुझे तलब में डुबो देता तब तू क्या करती.
ये सुनकर कोमल का ही नहीं डॉ रुस्तम भी हैरान हुए. पर उन्हें आदत थी. कोमल खुद सवाल करने लगी.
कोमल : क्या आप पंडितजी हो.
वो लड़की किसी बड़े आदमी के जैसे देख कर हसने लगी.
लड़की : मेने 4 सालो से उन बच्चों को बहार नहीं जाने दिया. मगर तू खुद 2 बच्चों को बहार ले गई. लेकिन कब तक बचेगी. वो तुझे लेजाए बिना मानेंगे नहीं.
कोमल ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा. जैसे पूछने की परमिशन मांग रही हो. उन्हें भी कोमल पर भरोसा होने लगा. वो हा में गर्दन हिलाते है.
कोमल : पंडितजी जब तक हमें शुरू से नहीं पता चलेगा. हम कैसे उस मंदिर को ढूढ़ पाएंगे. प्लीज आप हमें पूरी बात बताओ.
लड़की(पंडितजी) : ये लड़की मुजे ज्यादा नहीं झेल सकती पर सुन.
जिसका तूने अभी अभी फोटू(फोटो) देखा. वही है. सकुल(स्कूल) उसी ने बनवाया. पर पैसा खा गया. गलत बनाई सकुल( स्कूल). अब भुगतना तो था ही. नाम दयाल लालची था. पर भुगता ही ना. बेटे उसी चक्कर मे मरे. बेटी पागल हो गई. बुढ़िया मरने वाली है. बेटे का भी नंबर आने वाला है.
बोलते ही लड़की गिर के बेहोश हो गई. अब कोमल को सिर्फ कड़ी दिखाई दीं तो वो था दिन दयाल. कोमल तुरंत खड़ी हुई. उनके रूम के बहार घुंघट में खुश औरते खड़ी थी. सब तो माता से मिलने के चक्कर में आई थी. पर दरवाजे से ही देख रही थी. कोई भी अंदर नहीं आई.
दिन दयाल ने हिशारा किया. दो औरते अंदर आई और उस लड़की को ले गई. मगर कोमल ने दिन दयाल की तरफ देखा.
कोमल : अब भी बता दो चाचा. कही ऐसा ना हो की...
कोमल बोलना चाहती थी की आप से पहले आप की औलादे मर जाए. पर किसी को ऐसा बुरा नहीं बोलना चाहिये. इस लिए वो रुक गई. दिन दयाल की आँखों से अंशू निकल गए. डॉ रुस्तम को एहसास हुआ की कोमल को चुन कर उसने कोई गलती नहीं की.
पर ये भी एहसास हुआ. इस लाइन में आते ही कोमल की जान को खतरा भी हो सकता है. सभी उस रूम से बहार निकले. और बहार चौखट के सामने ही खटिया डाल कर बैठ गए. दिन दयाल जैसे कुछ बताना चाहता था. पर कई सालो से उसके अंदर राज हो. उसने एक लम्बी शांस ली. और बताया.
दिन दयाल : मेरे पापा से एक गलती हुई थी. वो पंडितजी के साथ आश्रम में ही सेवा करते थे. पंडितजी का इंतकाल हुआ उसके बाद सब वो सँभालने लगे.
डॉ : क्या नाम था तुम्हारे पिताजी का???
दिन दयाल : नामदयाल. वहां जहा स्कूल है. वहां की जमीन पंडितजी ने ही दान की. मंदिर भी वही है.
ये सुनकर कोमल, डॉ रुस्तम ही नहीं मुखिया को भी गुस्सा आया.
मुखिया : दिनु... तू सब जानता था तो पहले ही बता देता. देख कितने लोग मर गए. तेरे बेटे भी.
दिन दयाल रो पड़ा. जिसे डॉ रुस्तम ने शांत करवाया. और सब को चुप रहने का हिसारा किया. दिन दयाल की हालत ठीक हुई. तब उसने बताना शुरू किया.
दीनदयाल : मेरे तीन बेटे और एक बेटी थी. जिसमें अब एक बेटा और बेटी ही बच्चे हैं. दो बेटे बीमारी में मर गए. धीरे-धीरे मेरे पांव को लकवा मारने लगा.
मेरी मां भी बहुत ज्यादा बीमार रहती है. तू पागल हो गई. मैं बहुत परेशान था. मैं सोच रहा था कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है. पर एक बार सपने में पंडित जी आए. बोल तेरा बाप कैसा खा गया. गलत स्कूल बनाया. अब तेरा बेटा भी मारेगा. तेरी बेटी और ज्यादा पागल हो गई. तेरी बेटी भी धीरे-धीरे मर जाएगी. तेरी मां भी ऐसे ही मरूंगी तड़प तड़प कर. फिर बारिश तेरी आएगी.
में परेशान हो गया. ये जानकर. ये मेरे साथ ऐसा क्या हो रहा है. पर एक दिन रात 12 बजे अचानक मेरी बेटी नींद से उठकर बैठ गई. और जोर जोर से चिलाने लगी.
बेटी : दीनदयाल... दीनदयाल.
मै हैरान रहे गया. वो अपने बाप को नाम से कैसे बुला सकती है. मै उसके पास गया. उसकी सकल देख कर ही मै डर गया.
बेटी : कल छत गिर जाएगी. बच्चे मर जाएंगे. जा बचा ले उन्हें. जा जल्दी जा.
वो बोल कर बेहोश हो गई. मै समझ ही नहीं पाया की कोनसी छत गिरेगी. सुबह होते ही मेने ये बात मुखिया को बताई थी. वो पुराने मुखिया अब जिन्दा नहीं है.
कोमल : ये कब की बात है.
दिन दयाल : यही 4 साल पहले की. जिस दिन स्कूल की छत गिरी उसके एक दिन पहले की. पर जब मुखिया को बताया सारे हैरान थे.
और तभि सब को पता चला की स्कूल की छत गिर गई है. उसके बाद मेरी बेटी को सब देवी मान ने लगे. उनका मान ना था की मेरी बेटी के अंदर देवी आती है. लोग चढ़ावा चढ़ाते थे. तो मै भी चुप रहा.
क्यों की खेती से तो कुछ होता नहीं. बीमारी मे भी पैसा बहोत लग रहा था. पर उसके बाद स्कूल मे मौत होती गई. जिसे हम जानते भी नहीं कोई और गांव का स्कूल में आकर आत्महत्या करने लगे.
दिन दयाल बोल कर चुप हो गया.
कोमल : मतलब तेरी लालच तुझे पता थी की तेरी बेटी में कोई देवी नहीं है. तू जानता था की वो पंडितजी है. तू देख ले. उन्होंने मर कर भी भला करने की कोसिस की. बाद में कइयों का भला भी किया. और तुम हो की लालच में अपने बच्चों के बारे में भी नहीं सोच रहे.
दिन दयाल रोने लगा. उसने हाथ जोड़ लिए. उन्हें माफ कर दिया गया. और कड़ी से कड़ी जोड़ने की कोसिस की. तो उनके सामने एक नतीजा निकला.
पंडितजी मर चुके थे. मंदिर का काम अधूरा है. उनकी जगह स्कूल के पीछे होनी चाहिये थी. पर है नहीं. स्कूल बना बाद में. मंदिर पहले से बना हुआ था. जो गायब है. स्कूल का वास्तु गलत है.
इसलिए ऊपर पानी की टंकी से गिरते पानी की वजह से स्कूल की छत कमजोर हो गई. अचानक स्कूल की छत गिर गई. और उसमें 34 बच्चे मारे गए. जिसकी जानकारी दीनदयाल को थी. मगर उसे बात समझ नहीं आई. बाद में सब ठीक हो सकता था.
मगर दीनदयाल ने किसी को हकीकत नहीं बताई. जो लोग उस स्कूल में सुसाइड अटेम्प्ट कर रहे थे. वो पंडित जी नहीं. बच्चे करवा रहे थे. लेकिन कमल के साथ हुए हादसे के बाद. एक और विचार प्रकट हुआ. उन बच्चों को पंडितजी ने स्कूल में कैद करके रखा हुआ था.
जो कोमल की गलती के कारण दो बच्चे बाहर आ गए. और कोमल की जान लेने की कोशिश करने लगे. कहानी सिर्फ अंदाजा था. पर सही थी. कमल डॉक्टर रुस्तम की तरफ देखती है.
कोमल : अब क्या करना है डॉक्टर साहब???
डॉ : उसे मंदिर और पंडित जी के स्थान का पता लगाना पड़ेगा.
कोमल : क्या एक बार फिर मैं बच्चों से बात करूं???
डॉ : नहीं नहीं. मै और तुम्हे खतरे मे नहीं डालूंगा.
कोमल : डॉ साहब.... और कोई जरिया नहीं है. आप प्लीज मानो मेरी बात.
डॉ : नई-नई कल दाई माँ आ ही रही है.
कमल के फेस पर स्माइल आ गई.
कोमल : (स्माइल) और आप अब बता रहे हो.
डॉ : तुम्हे हालत पता है कोमल. दाई माँ ट्रैन मे बैठ चुकी है.
कोमल : फिर माँ के आने के पहले ही हम केस सॉल्व करेंगे.
डॉ कोमल में एक अलग ही लेवल का कॉन्फिडेंस देख रहे थे. और वो मान भी गए.
डॉ : ठीक है. मै रिश्क तो उठा रहा हु. पर तुम पिछली बार के जैसे गलती मत कर देना.
कोमल और डॉ रुस्तम मुखिया के साथ वापस आश्रम आए. कोमल बलबीर से मिली. जनरेटर की मदद से सारे डॉक्यूमेंटस की बैटरीज को चार्जिंग किया जा रहा था. अंधेरा हो चूका था. रात के 8 बज रहे थे. कोमल बलबीर से मिली. बलबीर को आश्रम में मंदिर नहीं मिला.
पर वहां था ही नहीं ये कोमल को पता लग चूका था. वो सब वापस उसी स्कूल पर पहोच गए. डॉ रुस्तम की टीम सेटअप लगाने लगी. धीरे धीरे टाइम बढ़ने लगा. बलबीर भी कोमल के साथ था. कोमल क्या करने जा रही है. जब ये बलबीर को पता चली तो उसने कोमल को समझाया. पर कोमल कहा मान ने वाली थी. डॉ रुस्तम अपना मैनेजमेंट देखने के बाद कोमल के पास आए.
डॉ : सब सेटअप हो गया है. तुम प्लीज इस बार कोई गड़बड़ मत करना. नो डील.
कोमल एक बार गलती कर के समझ चुकी थी.
कोमल : सर प्लीज वो बच्चे क्या अनसर देते है. मुजे भी सुन ना है.
डॉ : ठीक है. मै उसका भी इंतजाम करता हु. अभी 10 बज रहे है. तुम 11 बजे अंदर जाओगी. और ध्यान रखना. तुम ऊपर वाले फ्लोर पर बिलकुल नहीं जाओगी.
कोमल बस हा में सर हिलाती है. डॉ रुस्तम चले गए. कोमल बलबीर के पास ही खड़ी रही. धीरे धीरे वक्त बीतने लगा. और 10 मिनट पहले डॉ रुस्तम कोमल के पास आए.
डॉ : टाइम हो गया है. ये लो लगा लो.
वो माइक्रो फोन था. कोमल अब सुन भी सकती थी. फिर भी उसे एक रेडिओ सेट भी दिया.
डॉ : याद रहे. नो डील. और ऊपर नहीं जाना. सिर्फ निचे वाले फ्लोर पर ही. बस उस क्लास रूम से आगे नहीं. समझी..
कोमल ने हा में सर हिलाया. कोमल जाने लगी पर बलबीर ने उसका हाथ पकड़ लिया.
बलबीर : कोमल.....
कोमल पलटी और बलबीर को गले लगा लेती है.
कोमल : तुम फ़िक्र मत करो बलबीर. कुछ नहीं होगा मुजे.
कोमल बलबीर को दिलासा देने के बाद अंदर जाने लगी.
बिलकुल सही कहा आप ने. ऐसे लालच में फस कर पजेश होने वालों के तो कई किस्से आएँगे. Thankyou very very much. अभी लिख रही हु. सायद कल तक एक और अपडेट दे सकूँ.Bahut hi behtarin updates… komal bhi puri tarah se isme involved ho gayi hai…
Lalach mein insaan kitna gir jaata hai use pata hee nahin chalta or apna sab kuch Kho deta hai… Din Dayal is udaharan hai…
Bahut hee besabri se intzar kar rahe hain next updates ka