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Horror किस्से अनहोनियों के

Shetan

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Bhut shandaar update....



मन्दिर अधूरा था
स्कूल का वास्तु गलत है
मंदिर अब गायब है


मतलब adhure मंदिर पर ही स्कूल बना हुआ है???



शायद यही बात है
देखते है. आगे के अपडेट मे. अभी कैसे बता दू.
 

Darkk Soul

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Update 7



कोमल ने सोच लिया था की इस सब्जेक्ट पर वो कुछ लिखेगी. जब की वो बहोत अच्छी वकील थी. ऐसे तो कोमल की स्पेशल्टी क्राइम केसीस मे थी. लेकिन प्रॉपर्टी डीलिंग मे भी वो बहोत पैसा कमा रही थी. ऐसे तो कोई गरीब के खिलाफ कोई केस नहीं लढा.

पर गरीबो के लिए भी नहीं लढा. हराम का पैसा भी खूब कमाया. पर इसी चक्कर मे वो शुकुन नहीं मिला. पलकेंस से भी उसका चक्कर एक केस से ही शुरू हुआ था. उसकी अहमदाबाद मे एक मकान की डील फसी हुई थी.


कोमल ने उसे कामयाबी दिला दी. दोनों को एक दूसरे के लिए एक्ट्रेकशन हुआ. जिसे दोनों प्यार समझ बैठे. शादी के कुछ साल तो अच्छे बीते. पर बाद मे दोनों एक दूसरे को वक्त ही नहीं दे पाते. नतीजा झगड़े और कलेश से दोनों बस नाम के पति पत्नी रहे गए. दोनों मे लम्बे अरसे से sex भी नहीं हुआ.

कोमल को प्यार और मर्द दोनों से ही नफ़रत होने लगी थी. एक तो पिता ना होने के कारण जो प्रॉब्लमस उसने और उसकी माँ ने झेली. उसके बाद तो लोगो से भरोसा ही उठ गया.

इसी चक्कर मे कोमल अपने आप को स्ट्रांग बनती गई. वो जितनी खुबशुरत थी. उतनी ही ख़तनक वकील भी थी. पर कोमल को हॉरर टॉपिक पहले से ही पसंद आते थे. एक बार उसने सोचा था की वो कोई हॉरर स्टोरी की स्क्रिप्ट लिखेगी.

लेकिन अपनी वकीलात के चलते वो ऐसा कर ही नाही पाई. कोमल बदलने लगी. हलाकि वो ऐसी थी नहीं. जैसा वो अपने आप को दुनिया को दिखा रही थी. पर बलबीर से मिलने के बाद. उसकी हालत देखने के बाद. वो अपने अंदर अपने आप को तलाश ने लगी थी. बलबीर ने उसे एक और रोमांचक और डरावना किस्सा सुनाया.


बलबीर : तू दीपू को जानती है???


कोमल : अममममम.... कौन दीपू???


बलबीर : अरे दीपक. अपने सरपंच जी का बेटा. अपने सतपाल चाचा का लड़का....


कोमल : (एक्सक्टेड स्माइल) हा हा वही जो तेरे साथ आता था.


दीपक बलबीर का अच्छा दोस्त था. पर वो स्कूल मे पढता था. उसने कॉलेज की भी पूरी पढ़ाई की थी. बस बलबीर ही अनपढ़ रहा.


बलबीर : हा बस वही. पिछले साल वो मरते मरते बच्चा है.


कोमल को हैरानी हुई.


कोमल : कैसे??? क्या नशा नशा करने लगा क्या???


बलबीर : अरे वो तो बीड़ी भी ना पिता. वो पूना मे नौकरी करता है. पिछले साल उसकी शादी थी. तो वो आया. उसका रिस्ता तो पहले से ही पक्का हो रखा था. बसेड़ी गाउ मे.


कोमल : तो क्या उसका भी नेहा जैसा हाल हुआ क्या???


बलबीर : नहीं उसके जैसा तो नहीं पर थोडा वैसा ही. उसकी शादी तो बहोत बढ़िया हुई. खूब धूम धाम से की. पर उसके बाद हुआ वो बड़ा ही अजीब था.


कोमल : तो क्या उसकी बीवी के साथ हुआ?? केसी है उसकी बीवी??? अच्छी तो मिली है ना???


बलबीर : अरे बाबा सुन तो सही. उसकी बीवी बहोत अच्छी है. सुन्दर भी है. वो अपनी बीवी को मोटरसाइकिल से ही उसके मायके छोड़ने गया.


कोमल : क्यों छोड़ने गया??? उसकी बनती नहीं है क्या???


बलबीर : (नार्मल गुस्सा) तू ठीक से बोलने तो दे नहीं रही. वो नई दुल्हन अपने मायके जाएगी नहीं क्या.


कोमल को अपनी गलती का एहसास हुआ. वो हस पड़ी.


कोमल : (स्माइल) अच्छा अच्छा सॉरी सॉरी.


बलबीर : तो दीपक एक दिन अपने ससुराल मे रुका भी. उसने अपनी बीवी से वादा लिया की 2 दिन से ज्यादा वो नहीं रुकेगी. नई नई शादी हुई तो कहा रुका जाता है.


कोमल शर्मा गई. वो मुश्कुराते हुए निचे देखने लगी. बलबीर के फेस पर भी स्माइल आ गई. उसने बोलना जारी रखा.


बलबीर : तो वो दूसरे दिन अपनी बीवी को छोड़ कर अपने घर के लिए निकाल पड़ा. पर वो गाउ से जैसे ही निकला. उसकी बीवी गाउ के बाहर के नुक्कड़ पर ही खड़ी मिली. अपना शूटकेश लेकर. बलबीर हैरान रहे गया. वो अभी तो अपनी बीवी को उसके मायके वाले घर मे छोड़ कर आया. वो इतनी जल्दी गाउ के बाहर कैसे आ गई. उसने तुरंत अपनी बीवी के पास मोटरसाइकिल रोकी. उसकी बीवी का नाम मीना है.


दीपक : (सॉक) मीना. तू इतनी जल्दी यहाँ कैसे???


मीना उसकी आँखों मे देखने लगी.


मीना : (स्माइल) मुझे तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगेगा. मै भी तुम्हारे साथ ही चलूंगी.


कोमल : (स्माइल) वाह... साला इसे बोलते है प्यार.


कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. स्माइल बलबीर के फेस पर भी स्माइल आई.


बलबीर : (स्माइल) आगे तो सुन. वो उसे बैठकर वापस अपने घर ले आया. बहोत प्यार मस्ती सब कुछ बढ़िया ही रहा. मीना उसका बहोत बढ़िया ख्याल रख रही थी. तभी बलबीर उसी शाम मेरे पास आया. मुझे अपना फ़ोन दिया.


दीपक : यार इसे आगरा ले जा. ठीक करवा ला.


मेने भी उस से फोन ले लिया. सोचा नई नई शादी है. कहा बेचारी को छोड़ कर आगरा जाएगा. आने और जाने मे शाम हो जाएगी. मेने फोन ले लिया. और दूसरे दिन आगरा निकाल गया. फ़ोन ठीक करवाने. वहां गया. उसका फ़ोन ठीक करवाया. वापस आ रहा था. तब मुझे भाभी का फोन आया. मीना भाभी का.


कोमल : आगे बोलो ना. रुक क्यों गए???


बलबीर : भाभी ने बोला. उनका फोन क्यों नहीं लग रहा. वो मुझे लेने आ रहे हेना???


कोमल : लेने कहा से लेने???


बलबीर : भाभी के मायके से.


कोमल : (सॉक) क्या??? पर वो तो दीपक के साथ ही थी ना???


बलबीर : यही तो बात है. मे आगरा से वापस घर आया. दीपक से मिला. मेने उसे ऐसे बताया. तब उसे भरोसा नहीं हुआ.


दीपक : क्या बात कर रहा है यार. तेरी भाभी तो यही है. घर पर ही. वो क्यों कॉल करेंगी.


मै : मै सच कहे रहा हु. भाभी बोल रही थी की पापा का भी फ़ोन नहीं लग रहा है. मै झूठ क्यों बोलूंगा यार.


दीपक तुरंत अंदर घर मे गया. उसने मीना भाभी को आवाज दी. पर वो घर मे थी ही नहीं. दीपक ने तुरंत मीना भाभी को कॉल किया. उनसे बाते की. उसका चहेरा उतरा हुआ था.


कोमल : तो वो कौन थी. जो दीपक के साथ थी???


बलबीर : आगे तो सुन. दीपक को कुछ पता नहीं चला. पता तो हमें भी नहीं चला. वो कौन थी. जो दीपक के साथ इसकी बीवी बनाकर रहे रही थी.


कोमल : तो क्या उसने दीपक को कोई नुकशान नहीं पहोंचाया???


बलबीर : नहीं. वो उसके साथ 2 दिन रही. उसके साथ खाया, पिया, प्यार किया. पर ऐसा कुछ गलत हुआ ही नहीं. ये बात हमने किसी को नहीं बताई. दीपक उसी रात अपनी बीवी के मायके जाना चाहता था. पर सतपाल चाचा और मेने जाने नहीं दिया. दूसरे दिन वो मीना भाभी को घर ले आया.


कोमल : चलो कोई नुकशान नहीं पहोंचाया. ये अच्छी बात है. तो फिर कोई बादमे तो प्रॉब्लम नहीं हुई ना???

बलबीर : वो गई नहीं थी. वो वही उनके घर मे ही थी. दीपक वो हादसा भूल गया. कुछ दिन तो बढ़िया चले. पर कुछ ही दिनों बाद. दीपक दिन मे ही अपने कमरे मे मीना भाभी से प्यार कर रहा था. वो बिस्तर पर मीना भाभी को छोड़ कर जैसे बाहर निकला. भाभी उसके सामने चाय लेकर खड़ी थी.


मीना : उठ गए. लो चाय पीओ. मै तुम्हे जगाने ही आ रही थी.


दीपक की हालत ख़राब हो गई. वो अभी तो वो भाभी के साथ बिस्तर पर मतलब...


कोमल : हा बोलो बोलो. मतलब वो भाभी से sex किया. और उसे बिस्तर पर छोड़ के बाहर निकला तो मीना भाभी उसे सामने मिली. मतलब वो मीना भाभी के रूप मे उनके घर मे थी. वो दीपक के साथ sex भी कर रही थी. पर किसी को कोई नुकशान नहीं किया. पर फिर उसने किसी को नुकशान नहीं पहोंचाया ये अच्छी बात है. तो क्या उस से दीपक ने पीछा छुड़ाने की कोसिस नहीं की???


बलबीर : दीपक डर गया. वो किसी को बताए तो कैसे. वो फिर मुझे भी नहीं बताता. पर वो डरने लगा. एक बार जब वो उसके पास आई. वो समझ गया की वो उसकी बीवी नहीं है. उसने दीपक से कहा की वो उसे अच्छा लगता है. वो उसके पास ही रहेगी. किसी को पता नहीं चलेगा. बस वो उसे भी प्यार करें.


कोमल : वाह... भुत को भी इंसान से प्यार हो गया. तो किसी को पता नहीं चला क्या.


बलबीर : दीपक को भी उसकी आदत पड़ने लगी थी. उसका अपनी बीवी से झगड़ा होने लगा. उसकी ग्राहसती ख़राब होने लगी. पर किस्सा वक्त से पहले पकड़ा गया.

ऐसी कहानियाँ मैंने बहुत सुना है... मानने में थोड़ी हिचक होती ज़रूर है लेकिन सुनाने वाले इसे शत-प्रतिशत सत्य घटना बताते हैं... अब ईश्वर ही जाने; कितना सच है और कितना कपोल-कल्पना...!
 

Darkk Soul

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Update 8



कोमल : वाह... भुत को भी इंसान से प्यार हो गया. तो किसी को पता नहीं चला क्या.


बलबीर : दीपक को भी उसकी आदत पड़ने लगी थी. उसका अपनी बीवी से झगड़ा होने लगा. उसकी ग्राहसती ख़राब होने लगी. पर किस्सा वक्त से पहले पकड़ा गया.

आगे की कहानी.


कोमल ये किस्सा बड़े ध्यान से सुन रही थी. हलाकि ये किस्सा इतना डरवना नहीं लगा. पर ये किस्सा उसे सब से अलग जरूर लगा.


बलबीर : अब वो भी घर मे है. ये बलबीर किसी को नहीं बता रहा था. क्यों की वो भी उसी के चक्कर मे पड़ गया था. एक बार मनिहारी आया.


कोमल : ये क्या होता है???


बलबीर : अरे वो चूड़ी बेचने वाला नहीं होता..


कोमल : अच्छा वो...


बलबीर : तो दीपक के घर के बाहर खड़े हो गया. दीपक की माँ बाहर निकली. भाव ताव किया. चाची ने चूड़ी पहनी. और बता कर गई. की बहु आएगी. उसे भी चूड़ी पहना देना. चाची अंदर चली गई.(गांव की मर्यादा के हिसाब से ससुर सास के सामने मेकअप खाना पीना ये सब नहीं करती. इन्हे बड़ो का अपमान मना जता है)

पर उनके जाने के बाद बारी बारी 2 बहुओ ने चूड़ी पहनी.


कोमल : ओह्ह्ह... समझ गई. मतलब वो जो थी. वो भी चूड़ी पहेन गई.


कोमल को याद आया की बीते परसो नेहा के अंदर जो खिल्लो की आत्मा आई थी. वो भी मेकउप का सामान मांग ररही थी.


बलबीर जब मनिहारी चाचा से पैसे लेने अंदर आया. और कीमत बताई तो चाची लढ पड़ी. क्यों की कीमत तय चाची ने कर ली थी. उस हिसाब से दो गुनी कीमत देनी थी. पर चूड़ी तो तीन ने पहनी थी.

तो तीन गुना कीमत हुई. बहस हुई. चाची मान ने को तैयार ही नहीं की तीन लोगो ने चूड़ी पहनी. मनिहारी ने तीन को चूड़ी पहनई. गलत वो भी नहीं था. बेचारे को सिर्फ दो की ही कीमत मिली. अब मनिहारी ने सोच लिया. की वो पर्दा फास जरूर करेगा. क्यों की हम गाउ वाले ऐसे खेलो को जल्दी समझ जाते. उस से पहले एक खेल और हो गया.

उनके पड़ोस मे दो घर है. हर रोज उन दोनों घरों मे दूध गायब हो जाता. कुछ खाने को बढ़िया बनता तो वो भी गायब हो जाता. पर होता सिर्फ मीठा ही. जैसे घरों मे देशी घी की लप्सी बनती. हलवा बनता. उसी टाइम जिसने खा लिया तो खा लिया. नहीं तो बर्तन समेत गायब हो जाता. और वो खाली बर्तन कहा मिलते????


कोमल : (स्माइल) दीपक के घर मे.


बलबीर :: नहीं. दीपक के घर के पीछे.


कोमल : मतलब वो जो भुत थी. वो सब के घर का खाना तक गायब कर रही थी. और खा कर उनके बर्तनो को घर के पीछे फेक देती.


बलबीर : चार घर छोड़ कर सादी थी. हलवाई एक रात पहले मिठाई बना रहा था. वो पागल हो गया. बड़ी कढ़ाई भर कर गजरेला(गाजर का हलवा) बनाया. उसे चूले से उतर कर साइड रखा. और जैसे घुमा कम हो गया.

वो बेचारा खोए की बर्फी बनाने के लिए खोआ लेने गया तो खोआ नहीं मिला. काजू बादाम सारा सूखा मेवा गायब. उसे लगा की हलवाई का साथी है. उसने चोरी किया होगा. उसकी उस के साथी से लड़ाई हो गई. पर जब उसे पता चला की उसका बनाया हुआ गजरेला भी बड़ी कढ़ाई समेत गायब हो गई तो वो समझ गया. देवी देवता बिठाए फिर वापस बेचारे ने कम शुरू किया. तब जाकर तो मिठाया बन पाई. अब मनिहारी ने अपनी दाई माँ से बात की.

उन आस पड़ोस वालों ने भी दाई माँ को बताया. दाई माँ जानती थी की अगर वो उस घर मे गई तो वो जो भी थी. वो वहां से चली जाएगी. और उनके जाते ही. वापस आ जाएगी. दाई माँ ने चाल चली. एक दो दिन बाद मनिहारी फिर आया.

वो चिल्लाने लगा. इस बार वो ज्यादा बढ़िया बढ़िया सामान लाया. चाची तो निचे नहीं आई. पर घुंघट मे बहु जरूर निचे आ गई. मनिहारी जानता था की और कोई आए ना आए. वो जरूर अकर्षित होकर निचे आएगी. नई बहु घुंघट मै थी.

उसने हाथ के हिसारे से बस चूड़ी दिखाई. मनिहारी ने वो चूड़ी हाथो मे पकड़ी. जैसे ही बहु ने अपना हाथ साड़ी से बाहर निकला. मनिहारी ने तुरंत हाथ पकड़ा. और कहा से चप्पल निकली पता नहीं. एक खिंच कर मारी.


कोमल : तो क्या चप्पल से चुड़ैल को क्या होगा.


बलबीर : वो डायन थी. चुड़ैल का एक छोटा रूप. उसे तलवार असर ना करें. गोली बन्दुख असर ना करें. पर ये जो चप्पल का टोटका जरूर असर करता है. दाई माँ भी तैयार थी.

जब वो डायन चूड़ी पहेन ने बाहर निकली थी. उसी वक्त वो पीछे के दरबाजे से दीपक के घर मे घुस गई थी. उन्होंने अपने हाथो मे रख से मुट्ठी भर रखी थी. वो आगे के दरवाजे पर आ गई. जैसे ही वो डायन निचे गिरी. दाई माँ ने वो मुट्ठी रख उनपर फेकि. और उसे पकड़ लिया.


कोमल : यार ये केसा भुत है. जो हाथो मे आ गया. कही वो उनकी बहु के अंदर तो नहीं थी??? जो पकड़ लिया????


कोमल सारा किस्सा समझ गई थी. पर एक भुत को पकड़ लिया. ये समझ नहीं आया.


बलबीर : आरे नहीं. तू मुझे सही सुन रही है. दाई माँ बता रही थी. दरसल वो डायन थी. एक चुड़ैल की नशल है. जो इंसान से डायन बनती है. और फिर डायन से चुड़ैल. मतलब पिशाज.


कोमल : इसके बारे मे थोडा बताओ.


बलबीर : मे क्या जानू. पर दाई माँ जो कहे रही थी की. वो औरते जो शैतान की पूजा करती है. बली देती है. छोटे छोटे बच्चों की. और जवान मर्द की. धीरे धीरे वो डायन बनती है. फिर उनमे जैसे जैसे शक्तियां आती है.

वो ताकतवर होती जाती है. जैसे गायब होना. कोई जादू. रूप बदलना. ये सारी ताकत मिलने के बाद वो फिर चुड़ैल बनती है. और वो डायन थी. वो भी चुड़ैल बन ने वाली थी.


कोमल : पर चलो अच्छा है. कोई नुकशान तो नहीं हुआ.


बलबीर : क्या नुकशान नही हुआ. आज नहीं तो कल वो दीपक को कही ले जाती. उसकी बली दे देती. मीना भाभी को भी दिखने लगी थी. उन्हें जान से मरने की कोसिस की थी.

चाची को सीढ़ियों से किसी ने धक्का दे दिया. कभी चाचा को कोई रूम मे बंद कर देता. वो चिल्लाते रहते. किसी को पता चलता तो कोई गेट खोलता. चाचा को धीरे धीरे लकवा मरने लगा था.


कोमल को अब हलका सा डर लगा. उसने लम्बी शांस ली.


कोमल : बाप रे. चलो सही टाइम पर पकड़ी गई.


बलबीर : (स्माइल) साली का अशली रूप तो बाद मे सब को दिखा. इतनी बदशुरत थी क्या बताऊ. और दीपक को अपनी सुन्दर बीवी को छोड़ के उस से प्यार हो गया था. दाई माँ ने उसकी सारी तपस्या भंग कर दी. दाई माँ ने उसे गु खिलाया. उसे गधे पर बैठकर काला मुँह किया. और भगाया. पोलिस नहीं आती तो उसे गाउ वालों ने मार् दिया होता.


कोमल : मतलब वो इंसान ही थी. लेकिन वो ऐसे फिर दुशरो को परेशान करेंगी तो???


बलबीर : क्या परेशान करेंगी. साली की सारी शक्ति तो दाई माँ ने छीन ली. उन्होंने भी तो कुछ भुत को बांध रखा है.


कोमल शांत हो गई. उसे अब समझ आया की दाई माँ उसे अपने घर मे क्यों नहीं आने देती. कुछ पल तो कोमल शांत बैठी रही. उसने सर ऊपर कर के बलबीर की तरफ देखा. उसे हसीं आ गई. वो एक पेड़ के पास खड़ा उंगलियों से थड का छिलका खिंच रहा था. कोमल को एक बार फिर बलबीर से प्यार हो गया था. उसे मालूम था की वो किस तरफ बढ़ रही है.


कोमल : (स्माइल शर्म शारारत) अगर मै वो डायन होती तो मै तुम्हारे पास आती.


बलबीर को हसीं आ गई और वो कोमल की तरफ देखता है.


बलबीर : (स्माइल) फिर तो तुम्हे शारदा जैसा बन ना पड़ता.


कोमल सीधा खड़ी होगई. और बलबीर के करीब आ गई. वो उसे kiss करने की कोसिस करती है. पर बलबीर ने उसे रोका. पहेली बार उसने कोमल के दोनों बाजु कंधे के करीब से पकडे.


बलबीर : नहीं कोमल. मै आज भी तुमसे बहोत प्यार करता हु. पर आगे बढे तो सायद वो प्यार कही कम ना हो जाए.


कोमल की धड़कने तेज़ हो गई थी. पर इस बार वो इरादा कर चुकी थी.


कोमल : ज्यादा नाटक मत करो. कोई प्यार कम नहीं होने वाला. मुझे पता है. मै क्या कर रही हु.


कोमल के कहते ही बलबीर ढीला पड़ गया. सायद वो अपने आप को रोक नहीं पाया. कोमल थोड़ी अपने पाऊ के पंजो पर ऊपर हुई.

बलबीर के चहेरे पर दोनों हाथो से पकड़ कर उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए. दोनों ने अपनी आंखे बंद कर ली. कोमल बलबीर की बाहो मे खुद ही समा गई. जब वो kiss ख़तम हुई दोनों थोडा अलग हुए.

बलबीर ने कोमल की आँखों मे देखा. बहोत वक्त हो गया था. औरत को छुए. अपनी पत्नी के आलावा किसी और औरत को छूना तो दूर देखा तक नहीं.
कोमल तो उसके लिए एक सपना ही थी. हा वो प्यार तो आज भी कोमल से ही करता था.

पर उसके लिए अब तक कोमल एक सपना ही था. वो उस kiss के बाद कोमल को देखते हुए शांत ही हो गया था. वही कोमल की आँखों मे हवस और प्यार के साथ शारारत का अजीब संगम शर्म के साथ घुला हुआ. वो भी मुश्कुराती बड़ी प्यासी नजरों से बलबीर को ही देख रही थी. बलबीर ने शर्म से अपनी नजरें हटाई. तो कोमल तुरंत दए बाए देखने लगी.

चारो तरफ तो सन्नाटा था. धुप तेज़ हो गई थी.
12 बज चुके थे. कोमल ने बलबीर का हाथ पकड़ा. और उसे एक तरफ लेजाने लगी. पूरली के ढेर के पास पेड़ो की आड़ थी. बलबीर जैसे उसे ना कहने की कोसिस कर रहा हो. पर वो खुद खिंचा चला गया. कोमल ने साड़ी के अंदर हाथ डाल कर अपनी जालीदार पैंटी निकाल कर साइड मे फेकि.

पूरली पर लेट कर बलबीर की तरफ बड़ी प्यासी नजरों से देखने लगी. उसके हाथ मे अब भी बलबीर का हाथ था. कोमल की तेज़ साँसो से उसके 34 साइज के बूब्स बड़े छोटे होने लगे. इस बार बलबीर अपने आप को रोक नहीं पाया. वो खुद ही खुद कर कोमल पर सवार हो गया. बिछड़े प्रेमी जोड़े का अनोखा प्यार का संगम होने लगा. कोमल ने वो मीठा दर्द महसूस किया.


जिसकी उसने कभी कल्पना नहीं की थी. उसके मुँह से मिट्ठी मिट्ठी सिसकियाँ निकाल रही थी. बलबीर जैसा तंदुरस्त मर्द. जो अरसे से औरत का सुख भोगे बिना प्यासा था. दोनों ने वो प्यार किया की मानो वो जन्नत मे पहोच गए हो.

जब सब ख़तम हुआ तो कोमल ने आहिस्ता से बलबीर को अपने ऊपर से धकेला. वो अपनी पैंटी उठाकर सीधा ही पहेन ने लगी. सायद बलबीर के प्यार को वो अपनी दोनों टांगो के बिच महसूस करना चाहती हो. वो बिना कुछ बोले जाने लगी. बलबीर कुछ बोल नहीं पाया.

पर कुछ कदम चलने के बाद कोमल रुक गई. और पलट कर बलबीर को देखने लगी.


कोमल : बलबीर मेरे साथ चलोगे???


कोमल क्या चाहती थी. वो बलबीर समझ ही नहीं पाया.



Unexpected!

ऐसी कहानियों में पुराने यार को देखते ही टाँगों के बीच में खुजली होना बहुत आम बात है; लेकिन यहाँ इतनी जल्दी; इतनी सरलता से होना --- अप्रत्याशित था. हालाँकि दोनों के बीच में रोमांस को पनपते देखना अच्छा लगा.

इन मामलों में कोमल ज़्यादा भुक्खड़ लग रही है... देखते हैं आगे क्या - क्या होता है.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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मै आप ही के रिव्यू का इंतजार कर रही थी.. आगे का किस्सा लिखना शुरू है. पंडितजी एक सात्विक जीवन जीने वाले पुरुष थे. मरने के बाद भी लोगो का भला ही किया. आगे के बारे मे अभी नहीं बताउंगी. नहीं तो आप जल्दी हिंट पकड़ लोगे.

देखा वैसे तो पंडित अच्छे ही होते है. सिर्फ कोई कोई ही बदमाश होते है.
Aapka Aasay mere jaiso se tha? 🤔mujhe to yahi laga. :D
 

Raj_sharma

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Bhut shandaar update....



मन्दिर अधूरा था
स्कूल का वास्तु गलत है
मंदिर अब गायब है


मतलब adhure मंदिर पर ही स्कूल बना हुआ है???



शायद यही बात है
Mujhe bhi yahi lagta hai, warna mandir dikhta to sahi👍👍
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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ऐसी कहानियाँ मैंने बहुत सुना है... मानने में थोड़ी हिचक होती ज़रूर है लेकिन सुनाने वाले इसे शत-प्रतिशत सत्य घटना बताते हैं... अब ईश्वर ही जाने; कितना सच है और कितना कपोल-कल्पना...!
Kapol kalpana to nahi kah sakte bhai, ye kuch waisa hi hai ki jaise bhagwan hote hai per dikhte sabko thodi hi hai, waise hi in kisso ka hai jo inse rubaru hua usko viswas hai jo nahi hua usko nahi :nope:
 

Darkk Soul

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Update 9



फ्लाइट मे बैठी कोमल को एहसास था की उसने क्या किया. उसने पहेली बार किसी पराए मर्द के साथ सेक्स किया. वो भी जान बुचकर. पर वो सोच रही थी की उसे गिल्टी क्यों फील नहीं हो रहा है.

उल्टा उसे माझा आ रहा था. एक हाथ से अपनी बुक को अपनी गोद मे दबोचे कोमल मंद मंद मुस्कुरा रही थी. बहोत जल्द वो अहमदाबाद पहोच गई. वो अपनी माँ के घर नहीं गई. सीधा अपने फ्लेट पर ही गई. डोर पर लॉक था.


वो लॉक खोलकर अंदर आई. उसे शावर की आवाज आ रही थी. कोमल समझ गई की उसका हस्बैंड पलकेश आ चूका है.


कोमल : क्या पलकेश तुम हो???


पलकेश : हा मे हु.


कोमल : मुजे तुमसे कुछ बात करनी है पलकेश.


पलकेश : बस 5 मिनिटस.


कोमल जाकर सोफे पर बैठ गई. और पलकेश का इंतजार करने लगी. कुछ देर मे पलकेश आया. वो सिर्फ टावल लपेटे हुए था. अब भी उसका बदन गिला था. वो आकर कोमल के सामने सोफा चेयर पर बैठ गया.


पलकेश : हा अब बताओ क्या बात है.


कोमल कुछ पल शांत रही.


कोमल : देखो पलकेश मे जान ना चाहती हु की क्या तुम मुझसे खुश हो???


पलकेश : (सॉक) हा मे खुश हु. ये केसा सवाल है???


कोमल : देखो मुजे लगता है की हम कई महीनों से फिजिकल नहीं हुए. हमने एक दूसरे को कब आई लव यू कहा???


पलकेश : (सोचते हुए) हा ये बात सही है. हम एक दूसरे को अब टाइम नहीं देते पर...


कोमल : अब बोल दो पलकेश. मेने कई बार तुम्हारे शूट से लेडी परफ्यूम को नोट किया है.


पलकेश के होश उड़ गए.


कोमल : देखो कोई बात नहीं. मुजे कोई इस से फर्क नहीं पड़ता. अगर अभी हम ख़ुशी से अलग हो जाए तो आई थिंक सही होगा. फ़िक्र मत करो. अगर अलग होना चाहते हो तो बोलो??? मुजे तुम्हारी प्रॉपर्टी मे से कुछ नहीं चाहिए.


पलकेश जैसे मौका ही ढूढ़ रहा हो. पर उसे डर लग रहा था.


पलकेश : पर फिर तुम...???


कोमल : यार प्लीज.... मुजे कोई फर्क नहीं है. मुजे तुमसे कोई गिला सिकवा नहीं है. ना ही मै तुमसे नफरत करती हु. हम जरुरी थोड़ी है की लड़ाई झगड़ा कर के अलग हो. ख़ुशी ख़ुशी अलग हो सकते है ना.


पलकेश : ओके. मै तैयार हु.


कोमल ने अपना हाथ बढ़ाया.


कोमल : (स्माइल) तो पलकेश सिर्फ आज ही हम दो हस्बैंड वाइफ है. हम कल ही डायवोर्स के लिए अप्लाई कर देंगे.


पलकेश के फेस पर भी स्माइल आ गई. उसने भी अपना हाथ बढ़ाया. पर कोमल ने उस से हाथ मिलाने के बजाय थोडा और आगे होते हुए पलकेश का टावल जाटके से खिंच लिया. और वो खड़ी हो गई. पलकेश थोडा घबरा गया.

उसके होश उड़ गए. लेकिन कोमल तो स्माइल कर रही थी. कोमल भी अपनी साड़ी उतरने लगी.


कोमल : (शारारत स्माइल) हमें अपना लास्ट दिन सेलिब्रेट करना चाहिए.


बहोत वक्त के बाद कोमल को देख कर पलकेश के लिंग मे तनाव आया था. उसे कोमल ने नंगा तो कर ही दिया था. और इसके सामने कोमल ब्रा जैसे ब्लाउज पेटीकोट(घाघरे मे खड़ी थी. पलकेश भी झटकेसे खड़ा हुआ. और कोमल पर टूट पड़ा. कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. आंखे बंद हो गई.


कोमल : (आंखे बंद स्माइल शारारत) ससससस अह्ह्ह्ह... (हसना) हा हा हा....


दोनों एक दूसरे को सहयोग कर रहे थे. लिप टू लिप किश का दौर चल गया. शाम होने वाली थी. और कोमल ने कुछ ऐसा कहा. पलकेश एक पल तो एकदम से रुक गया.


कोमल : मेने आज किसी और के साथ सेक्स किया. पहेली बार.


पलकेश सॉक था. और उसे झटका लगना लाज़मी था. वो अब भी कोमल का पति था.


कोमल : पलकेश प्लीज यार. अब हम अलग हो रहे है. प्लीज ऐसे मुँह मत बनाओ यार.


पलकेश : नहीं वो बात नहीं है. तुमने कहा पहेली बार किसी और के साथ. मतलब...


पलकेश को दुख हुआ. उसने कई बार कइयों के साथ अफेयर किये. और सेक्स भी किया. उसे ऐसा लगता था की कोमल भी ऐसा कही कुछ कर रही होंगी. वो कोमल से बस इस लिए डायवोर्स नहीं ले रहा था. क्यों की उसकी प्रॉपर्टी के हिस्से ना हो जाए. पर कोमल ने तो खुद ही ना कहे दिया. की वो प्रॉपर्टी मे से कुछ भी नहीं लेगी. कोमल बस हलका सा मुश्कुराई.


कोमल : (स्माइल) हा यार. मै कोसिस कर रही थी. हमारे रिश्ते को बचाने के लिए. पर हम बस बोझ ही ढो रहे थे. सायद हम अलग हो जाए वही सही है.


पलकेश : ऍम सॉरी कोमल. मेने तुम्हे कई बार चिट किया. पर तुम अब जाकर. और और और वो भी मुजे बता ही दिया. सायद तुमने ये फैसला लेने का पहले ही सोच लिया होगा. नहीं तो तुम इस बार भी ये सब नहीं करती.


कोमल : अगर मै कहु की तुम अब भी सोच लो तो??? क्या तुम आगे रिश्ता निभाना चाहोगे???


पलकेश जैसे दुविधा मे फस गया हो.


पलकेश : पता नहीं. पर नजाने क्यों आज मुजे तुम पर प्यार आ रहा है. दिल कहता है की तुम ही बेस्ट हो.


कोमल : एक काम करते है. हम डायवर्स लेकर सिक्स मंथ्स अलग रहते है. अगर लगेगा की हम ही एक दूसरे के लिए बेस्ट है. तो हम दोबारा शादी कर लेंगे ओके???


कोमल सुलझ चुकी थी. वो अब अलग ही होना चाहती थी. इस लिए उसने डायवोर्स को नाकारा नहीं.


पलकेश : पर हम हमेशा ही फ्रेंड्स तो रहेंगे ही. और ये फ्लेट तुम्हे ही रखना होगा. प्लीज.


कोमल ने बाते सुनते हुए अपना ब्लाउज और घाघरा उतर दिया था. और वो पैंटी उतर रही थी. उसकी खूबसूरत योनि पर बलबीर का प्यार(वीर्य) सुख के चिपका हुआ था.


कोमल : (स्माइल शारारत) हा अगर तुम आज मुजे अच्छे से खुश करोगे तो हम दोस्त जरूर रहेंगे.


कोमल नंगी होकर होनी दोनों टांगो को खोल चुकी थी. उस सोफे पर जैसे कछुआ उल्टा पड़ा हो. पलकेश भी अपना मुँह कोमल की दोनों टांगो के बिच घुसा देता है. कोमल की आंखे एकदम से बंद हुई. और लम्बी शांस छोड़ते हुए वो लम्बा सा सिसकती है.


कोमल : (बंद आंखे मदहोश) सससससस अह्हह्ह्ह्ह.......


पलकेश को थोड़ी देर तक कोमल की योनि को चाटने के बाद
याद आया. और वो अपना मुँह ऊपर उठाता है.


पलकेश : तुमने इसे बाद मे धोया तो था ना????


कोमल कुछ बोलती नहीं बस शारारत से हसने लगी. पलकेश नाराज हो गया.


पलकेश : (नाराज) तुम मेरे साथ ऐसा करोगी मेने सोचा नहीं था.


वो खड़ा होने गया. तो कोमल ने उसका हाथ पकड़ लिया.


कोमल : अरे मै मज़ाक कर रही थी. कोई ऐसे गन्दा रहता है क्या.


कोमल पलकेश की आँखों मे शारारत से देखने लगी. उसे मुँह पर साफ झूठ बोलने पर माझा आ रहा था. पर कोमल का इस तरह से देखना पलकेश को भी अस मंजस मे डाल रहा था. जैसे जता रही हो की मै जुठ ही बोल रही हु. लेकिन कोमल का ऐसे देखना पलकेश को भी रोमांच और दिल की धड़कनो को बढ़ा रहा था. पलकेश की भी आंखे बड़ी हो गई.


पलकेश : (स्माइल) क्या????


कोमल : (स्माइल शारारत) चूतिये..... (हसना)


पलकेश हैरान था. क्या इसने सही सुना?? उसने कोमल के मुँह से खुद के लिए चुतिया शब्द सुना. वो हैरान भी था. और माझा भी आ रहा था. यही सब से वो ज्यादा उत्तेजित भी हो रहा था.


कोमल : (स्माइल शारारत) मुजे पता है तुमने वो सुना है.



इस बार पलकेंस कोमल पर झटके से टूट पड़ा. लिप्स से लिप्स जुड़ गए. दोनों पागलो की तरह एक दूसरे को किश करने लगे. अपने पति से कोमल ने एक बार और झूठ बोला. पर उसे इसमें माझा आया. उस रात कोमल और पलकेश ने खूब घामशांड सम्भोग किया. शाम रात मे बदल गई. और वो खूबसूरत रात भी बीत गई.


अम्म्म... ठीक ही है ये अपडेट... अधिक कुछ कहने के लिए नहीं है. अलग होने से पहले इस तरह से सेक्स करना शायद आजकल का Westernization of "New India" है.

वैसे ये तो पहले ही साफ़ हो गया था की गलती कोमल के पति की ही होगी... और पति के करतूत ही कोमल के बहकने के लिए एक मोटिवेशन होंगे... उसके लिए एक हरी झंडी होगी.
 

Shetan

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ऐसी कहानियाँ मैंने बहुत सुना है... मानने में थोड़ी हिचक होती ज़रूर है लेकिन सुनाने वाले इसे शत-प्रतिशत सत्य घटना बताते हैं... अब ईश्वर ही जाने; कितना सच है और कितना कपोल-कल्पना...!
मेने अब तक जो भी किस्सा बयान किया है. वो रियल मे हो चुकी घटना पर ही किया है. ये किस्सा भी आँखों देखा ही है. सुना हुआ भी नहीं.
 
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