komaalrani
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बहुत अच्छे अपडेट्सA
Update 24B
डॉ रुस्तम ने जो बताया वो होश उडाने वाला था.
डॉ : कोमल छत गिरने से जो 34 बच्चे मरे थे. उनमे से एक की आत्मा वहां नहीं है.
कोमल : (सॉक) तो वो कहा गई???
डॉ : वो तुम ले आई बेवकूफ. मेने पहले ही कहा था की उनसे डील मत करो.
कोमल : पर ऐसा कैसे हो सकता है. मेरे घर तो ऐसा कुछ फील नहीं हो रहा.
डॉ : क्यों की मेने बलबीर को जो किले दीं थी. वो किसी को भी घर मे अंदर आने नहीं देगी. वो बहार ही है.
कोमल ये सुन कर हैरान हो गई.
डॉ : अब बताओ आज का दिन कैसा रहा????
कोमल : मेरा दिन तो...... अच्छा ही रहा. मेरा बहोत प्रॉफिट भी हुआ. दिन में ही 3 लाख के ऊपर इनकम हुई.
डॉ : क्यों की वो बच्चा तुम्हे पसंद करता है. तभि वो तुम्हारा फायदा करवा रहा है. मगर वो तुम्हे अपने साथ लेजाना चाहता है. इस लिए वो तुम्हे किसी ना किसी तरह मरने की भी कोसिस करेगा. ताकि तुम्हारी सोल भी उनके साथ हो जाए.
ये सुनकर कोमल का दिमाग़ चकरा गया. क्यों की उसके और बलबीर के साथ कई एक्सीडेंट हुए. कई होते होते बचें.
कोमल : हा मेरे साथ एक्सीडेंट के भी केश हुए है. मै और बलबीर मरते मरते बचें है.
डॉ : कोमल वो सारे लोग जो स्कूल के अंदर सुसाइड अटेम्प्ट कर चुके है. उसे पंडितजी ने नहीं बल्की बच्चों ने ही करवाए है. पंडितजी तो उन्हें बचाना चाहते थे.
कोमल के लिए ये भी सॉक देने वाली खबर थी.
कोमल : (घबराहट) डोंट वरी. मै मै मै मॉर्निग मे ही आ रही हु.
डॉ : बलबीर को भी अपने साथ लेकर आना.
फोन कट हो गया. कोमल की तो नींद ही उड़ गई. कोमल ने सारी बाते बलबीर को बताई. कोमल ने फ्लाइट की टिकिट भी बुक कर दीं. पर वाया दिल्ली होने के कारण टिकिट महंगी भी पड़ी. सुबह होते ही दोनों टाइम पर निकल गए.
कोमल ने बलबीर को पूरी बात बता ही दीं थी. पर इस बार बलबीर का मज़ाक करने का मूड होने लगा.
बोर्डिंग पास लेने के बाद दोनों फ्लाइट का वेट कर रहे थे. कोमल बड़ बड़ा रही थी.
कोमल : साला इतनी महंगी टिकिट. इतने में तो इंसान साला लंदन पहोच जाए. लूट ते है साले.
बलबीर : मे जाके बोलू तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो.
कोमल : दिमाग़ मत ख़राब करो. चुप चाप बैठो. आए बड़े. उस दिन तो फट रही थी.
बलबीर : तो एक कम करें. तुम जाकर बोलो वो मेरे पति है. कही सस्ता कर दे.
कोमल भड़क गई.
कोमल : अच्छा... मै तो बोल दूंगी. और ये भी बोल दूंगी की हनीमून पर जा रहे है. तुम बोल पाओगे??? हम्म्म्म बोलो. थोड़ासा चिपकती हु तो तुम्हे शर्म आने लगती है.
बलबीर चुप चाप मुँह घुमाकर हस रहा था. और कोमल बोले ही जा रही थी. कोमल थक गई तो चुप हो गई. इसी का तो बलबीर वेट कर रहा था.
बलबीर : अच्छा वो ड्रेस तो लाई होना.
सुन ने के बाद पर समझने से पहले कोमल घूम गई. और फुकरते ते चहेरे से कुछ बोलने ही वाली थी. वॉर्निंग देने के लिए एक ऊँगली भी उठा दीं. पर बहोत जल्दी समझ आ गया की बलबीर ने बोला क्या है. कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. और वो शर्मा के दूसरी तरफ देखने लगी.
बलबीर : (स्माइल) हम्म्म्म बोलो??? अरे ली या नहीं???
कोमल सर निचे किये बहोत धीमे से बोली.
कोमल : (शर्माना) नई ले लेंगे???
बलबीर : हम्म??? क्या कहा???
कोमल जैसे ताकत लगाकर बोल रही हो. पर आवाज तो बस थोड़ी ही निकली. बोलते हुए आंखे भी बंद हो गई. और स्माइल और ज्यादा डार्क हो गई.
कोमल : (स्माइल शर्माना) अरे...... नई ले लेंगे.... अब चुप रहो.
दोनों ही चुप हो गए. कोमल तो नजरें बार बार घुमाकर कही और देखने की कोसिस करती. पर उसे पता था. बलबीर उसे ही देख रहा है. वो शर्मा कर हस पड़ी और सीधा बलबीर की बाहो मे. पर तब तक फ्लाइट का अनाउंसमेन्ट हो गया. कोमल और बलबीर 11:30 तक इलाहबाद पहोच गए. ठीक वैसे ही वही मिनिबस के जरिये वो उस आश्रम तक भी पहोच गए. बस से उतारते ही कोमल डॉ रुस्तम से बहार ही मिली.
डॉ : अच्छा है तुम जल्दी पहोच गई.
कोमल : सर और कुछ पता चला???
डॉ : हम शाम को एक बार फिर पंडितजी से बात करने की कोसिस करने वाले है. तब तक तुम थोडा आराम करो.
कोमल : सर आपने बताया की पंडितजी ने मंदिर बना लिया था. पर वो मंदिर कहा है ये पता नहीं चला.
डॉ : यही तो माइन बात है. मंदिर का पता चलना बहोत जरुरी है. कही कोई कड़ी आपस मे जुडी हुई है.
कोमल : और पंडितजी ने स्कूल के लिए जमीन दान की थी. ना की स्कूल बना के दिया.
डॉ : सिर्फ जमीन ही नहीं दान दीं स्कूल बनवाने के लिए पैसा भी दान दिया है. खेर शाम को ही पता चलेगा.
डॉ रुस्तम जाने लगे. पर कोमल के सवाल ख़तम नहीं हुए.
कोमल : सर सर सर... आप बता रहे थे की वो सारे सुसाइड एटम पंडितजी ने नहीं बच्चों ने ही करवाए है???
डॉ : कोमल प्लीज... शाम को कुछ ना कुछ पता चल ही जाएगा कोमल. तुम प्लीज थोड़ी देर रेस्ट कर लो. हो सकता शाम को पता चल जाए.
डॉ का दिमाग़ इस लिए ख़राब हो रहा था. क्यों की कोई तो था जो फ्लोड कर रहा था. वो अपने रूम मे चले गए. लेकिन कोमल तो खुद एक वकील थी. मुजरिम कौन होगा उसे पकड़ने की चूल उसमे ज्यादा मचने लगी. कोमल को भी शाम का इंतजार था.
टर्न पर टर्न, जब लगता है सब सुलझ जाएगा, एक नया टर्न, पहले लग रहा था पंडित जी की प्रॉब्लम है उनकी अस्थियों के विसर्जन से मामला सुलझ जाएगा, भंडारा हो जाएगा और अब बच्चे ही परेशानी की जड़ लग रहे हैं,
एक बार लग रहा था गुब्बारे दे कर कोमल ने बच्चो को मना लिया लेकिन कोमल के साथ बच्चे लग लिए
तंत्र-मंत्र, पारानार्मल के साथ अब सस्पेंस का भी आनंद भी इस कहानी में मिल रहा है कोमल और बलबीर के प्रंसग भी अच्छे हैं। अब उत्सुकता यह है आगे क्या होता है और यही उत्सुकता पाठकों को अपने साथ बांधे रखेगी।