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Horror किस्से अनहोनियों के

Shetan

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Kapol kalpana to nahi kah sakte bhai, ye kuch waisa hi hai ki jaise bhagwan hote hai per dikhte sabko thodi hi hai, waise hi in kisso ka hai jo inse rubaru hua usko viswas hai jo nahi hua usko nahi :nope:
मान ने वाली बात तो यही है. जिसपे बीती वही जाने. पर फिर भी एक बात. जहर को हमेशा चख कर ही परखा जाए ये जरुरी तो नहीं.
 

Shetan

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अम्म्म... ठीक ही है ये अपडेट... अधिक कुछ कहने के लिए नहीं है. अलग होने से पहले इस तरह से सेक्स करना शायद आजकल का Westernization of "New India" है.

वैसे ये तो पहले ही साफ़ हो गया था की गलती कोमल के पति की ही होगी... और पति के करतूत ही कोमल के बहकने के लिए एक मोटिवेशन होंगे... उसके लिए एक हरी झंडी होगी.
मै रियल किस्सों को बस एक नाटकीय रूप देकर सब के समक्स पेश कर रही हु. जिसके लिए कोमल भी एक काल्पनिक किरदार है. सिर्फ किस्से पढ़कर दर्सक बोर ना हो. मेने कोमल की काल्पनिक जिंदगी बनाई है.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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मान ने वाली बात तो यही है. जिसपे बीती वही जाने. पर फिर भी एक बात. जहर को हमेशा चख कर ही परखा जाए ये जरुरी तो नहीं.
100% sahmat👍
 

Darkk Soul

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Update 10

कोमल पलकेश से तलाख ले चुकी थी. उसकी माँ जयश्री ने बहोत समझाया. पर कोमल पे कोई असर नहीं हुआ. माँ बार बार एक ही बात बोलती रहती थी. की कारण क्या है. वो समझा बुज़ा कर टाल देती. लेकिन कोमल को अब अकेले रहने की आदत हो गई. इस लिए वो उसी फ्लेट मे अकेली रहती.


8 मंथस से वो अकेली ही थी. 8 महीना बीत जाने के बावजूद भी बलबीर का call नहीं आया. कोमल को ऐसा नहीं था की बलबीर की याद नहीं आई. वो उसके साथ हुए सेक्स को भूल ही नहीं पाई. पर अपने केस की वजह से इन बातो को नजर अंदाज़ करने लगी थी. पर एक दोपहर अचानक एक call आया. वो call बलबीर का था.


कोमल : हेलो...


बलबीर : हेलो. मै बोल रहा हु. बलबीर.


कोमल के फेस पर एकदम से स्माइल आ गई.


कोमल : (एक्ससिटेड स्माइल) तुम्हे अब मेरी याद आई. आठ महीने बाद. बोलो कब आ रहे हो यहाँ???


बलबीर : मै यहाँ आ चूका हु. अहमदाबाद मे.


कोमल की तो मानो खुशियों का ठिकाना ही नहीं रहा. वो एक साथ कई सारे सवालों की बरसात बलबीर पर कर देती है.


कोमल : (एक्ससिटेड स्माइल) यहाँ अहमदाबाद मे?? कब?? और अभी तुम हो कहा??? और आए तो मुजे पहले फ़ोन क्यों नहीं किया. अभी कहा हो???


बलबीर : (स्माइल) अरे अरे रुको तो. बस अभी ही पहोंचा हु. रेलवे स्टेशन पर ही हु.


कोमल : (एक्ससिटेड स्माइल)तुम वही रुको. मै तुम्हे लेने आ रही हु.


कोमल तुरंत ही अपनी कार लेकर रेलवे स्टेशन निकाल गई. जब वो बलबीर से मिली तो तुरंत उसने बलबीर को बांहो मे भर लिया. बाद मे देखा तो उसके दोनों बच्चे भी थे. कोमल ने उन दोनों बच्चों को भी प्यार किया. उन्हें चूमा भी गले लगाया. ये सब करते उसके अंदर की ममता जाग गई. वो उन तीनो को अपने घर ले आई. उसका फ्लेट तीसरी मंजिल पर था.


कोमल : (एक्ससिटेड स्माइल) : अरे आओ ना अंदर वहां क्यों खड़े हो गए.


पर अंदर आते बलबीर को कुछ अलगसा महसूस हुआ. कुछ घुटन सी महसूस होने लगी. वो बच्चों को लेकर बाहर हो गया. बच्चों का भी मुँह उतर गया. कोमल ये सब देख कर सॉक हो गई.


कोमल : क्या हुआ??? बाहर क्यों चले गए??? अंदर आओना. ये मेरा ही घर है.


पर बलबीर कुछ बोलने के बजाय घुटनो पर बैठते हुए दोनों बच्चों को बांहो मे भर लेता है. दोनों के सर पर हाथ रख कर अपनी आंखे बंद कर लेता है. वो कुछ बड़बड़ा रहा था. जैसे कोई मन्त्र जाप कर रहा हो. कोमल समझ नहीं पाई. और उन्हें देखती रही. बलबीर खड़ा हुआ. और दोनों बच्चों के हाथ पकड़ कर खड़ा हो गया. वो उस फ्लेट के बाहर ही था.


बलबीर : माफ करना कोमल. अगर हमें यहाँ रहना है तो मै इन बच्चों के साथ यहाँ नहीं रहे सकता. ये घर मुजे कुछ ठीक नहीं लग रहा.


कोमल सोच मे पड़ गई. ऐसा क्या उसे महसूस हुआ. जो वो ऐसा बोल रहा है.


कोमल : तुम क्या बोल रहे हो. मुजे कुछ समझ नहीं आ रहा. मै यहाँ 7 सालो से रहे रही हु. मुजे तो सब ठीक लग रहा है.


बलबीर : सायद तुम्हे ना लग रहा हो. पर अंदर आते ही मुजे घुटन सी महसूस होने लगी. सर भरी हो गया. मै खुद की बात होती तो समझोता कर लेता. पर मेरे बच्चे छोटे है. उन्हें यहाँ....


बलबीर बोल कर चुप हो गया. पर कोमल को अब भी समझ नहीं आया. इतनी दूर से वो यहाँ आया. और पता नहीं क्या कारण होगा. वो यहाँ से ऐसे ही चले जाएगा. ऐसे खयाल कोमल के मन मे आने लगे.


कोमल : अच्छा चलो. मै तुम्हे मम्मी के पास ले चलती हु.


कोमल बलबीर और उसके दोनों बच्चों को लेकर अपनी माँ के घर लेकर गई. वहां कोमल की मम्मी और उसकी छोटी बहन को बहोत अच्छा लगा. उन दोनों का दिल बच्चों से लग गया. रास्ते मे ही डिसाइड हो गया था की बलबीर के बच्चे अब वही रहेंगे.

उनका स्कूल मे दाखिला करवाना है. ये सब जब कोमल की मम्मी जयश्री को बताया तो वो ज्यादा खुश हुई. कोमल ने बताया की बलबीर को वो नौकरी दिलवाने वाली है. पर उसने ये नहीं बताया की कोमल उसे अपना ही ड्राइवर रखने वाली है.

बच्चों को छोड़ कर वो दोनों वहां से निकाल गए. अब तक कोमल ने ही कार ड्राइव की और अब भी वही ड्राइव कर रही थी. पर सारा प्लान उसने बलबीर को नहीं बताया.


बलबीर : तुमने ये नहीं बताया की मै कहा रहूँगा???


कोमल थोड़ासा मुश्कुराई. उसकी मुश्कान मे शारारत थी.


कोमल : क्यों मेरे साथ वहां मेरे फ्लेट मे रहने मे तुम्हे क्या दिक्कत है. वैसे भी मे अकेली रहती हु वहां.


बलबीर : क्यों तुम्हारा पति???


कोमल : हम अब साथ नहीं है.


बलबीर : साथ नहीं मतलब???


कोमल : (लम्बी सांसे) हम्म्म्म... डाइवोर्स तलाक...


बलबीर कुछ नहीं बोला.


कोमल : क्यों खामोश हो गए. कुछ पूछना है तो पूछो.


बलबीर : मुजे ये सही नहीं लग रहा है कोमल.


कोमल ने बलबीर को चुप करवा दिया. उसे डांट दिया. पर किसी प्रेमिका या बीवी की तरह नहीं. कोसी बॉस की तरह.


कोमल : सब सही है बलबीर. तुम चुप रहो. तुम मेरे ही साथ रहोगे. और तुम मेरी ही कार चलाओगे. मै तुम्हे नौकरी दे रही हु. अब मै ही तुम्हारी बॉस हु समझे.


बलबीर को बुरा लगा. पर वो कुछ कहे नहीं सका. उसने महसूस किया की कोमल मे थोडा बदलाव है.
वो लोग वापस वही फ्लेट पर आ गए. इस बार भी बलबीर को अच्छा तो नहीं लग रहा था. कोमल अंदर आते ही डोर क्लोज करती है.

और बलबीर पर टूट पड़ी. सीधा उसे बांहो मे लेकर होठो से होंठ जोड़ दिये. लम्बी सांसे लेते आंखे बंद. वो पागलो की तरह बलबीर को किश कर रही थी. वैसे तो बलबीर भी उसे रोकना चाहता था. पर पता नहीं क्यों वो अपने आप को रोक नहीं पा रहा था. वो दोनों नंगे भी हो गए और बेड पर भी पहोच गए. बलबीर लगातार बड़ी जोरो से धक्के लगा रहा था.



कोमल : (आंखे बंद मदहोश) अह्ह्ह्हह.... ससससस...


दोनों लीन हो गए. और सब कुछ भूल गए. पर जो काम वो पूरा करने की कोसिस कर रहे थे. वो पूरा ना हो पाया. कोमल के मोबाइल पर रिंग बजने लगी.


कोमल : अह्ह्ह ससससस... अब इस वक्त कौन चुतिया मुजे call कर रहा है.


कोमल ने हाथ बढाकर बलबीर के निचे ही रहे फोन खिंचा. और देखा. Call पलकेश का था. वो तलाक के बाद एक भी call नहीं कर रहा था. और ना ही कोमल ने भी किया.


कोमल : इस चूतिये को अब मेरी याद आई है.... कुछ बोलना मत.


कोमल ने call पिक किया.


कोमल : हा पलकेंस बोलो???


पलकेश का नाम सुनते ही बलबीर समझ गया की वो उसका पति है. जिस से कोमल ने तलाक ले लिया था. पर पलकेश की आवाज सुनकर कोमल के होश जरूर उड़ गए.


पलकेश : हेलो कोमल. क्या तुम ठीक हो???


कोमल ने महसूस किया की पलकेश की आवाज के साथ एक और आवाज का इको हो रहा था. और दूसरी आवाज किसी अन नॉन की थी. जैसे की


हेलो कोमल. हेलो कोमल( अन नॉन वॉइस). क्या तुम ठीक हो??? क्या तुम ठीक हो(अन नॉन वॉइस)???


कोमल को गड़बड़ लगी. पर मामला समझने से पहले वो कोई रियेक्ट नहीं करती.


कोमल : (सॉक) हा मै ठीक हु.


पसकेश : पर मै ठीक नहीं हु. पर मै ठीक नहीं हु(अन नॉनवॉइस) क्या तुम यहाँ आ सकती हो??? क्या तुम यहाँ आ सकती हो(अन नॉन वॉइस)???


कोमल पलकेश की दोहरी आवाज में एक डर भी महसूस कर रही थी.


कोमल : क्या हो गया तुम्हे. तुम ठीक तो हो.


पलकेश रोने लगा. उसके साथ में जो दूसरी आवाज थी. वो भी वैसे ही रोते हुए पलकेश के आवाज की कॉपी कर रही थी.


पलकेश : (रोते हुए) नहीं मै ठीक नहीं हु. नहीं मै ठीक नहीं हु(अन नॉन वॉइस). तुम प्लीज जल्दी यहाँ आ जाओ. तुम प्लीज जल्दी यहाँ आ जाओ(अन नॉन वॉइस). वो तुमसे बात करना चाहता है. वो तुमसे बात करना चाहता है(अन नॉन वॉइस).


कोमल सॉक हो गई.


कोमल : (सॉक ) कौन बात करना चाहता है???

पलकेश : (रोते हुए) तुम प्लीज यहाँ आ जाओ प्लीज. तुम प्लीज यहाँ आ जाओ प्लीज(अन नॉन वॉइस) मेरी मदद करो...
मेरी मदद करो...(अन नॉन वॉइस)

तभी अपने आप फ़ोन कट गया. कोमल पलकेश के लिए परेशान हो गई. चाहे भले ही उसने पलकेश से तलाख ले लिया था. वो उसकी मदद करने के लिए तैयार हो गई. उसने तुरंत मोबाइल पर चेक किया की फ्लाइट अवलेबल है या नहीं.

पर उसे फ्लाइट ही नहीं मिली. जो थी वो फुल थी. तक़रीबन ट्रैन से भी 12 से 14 घंटे का रन था. अगर वो ट्रैन से जाती तो. उसमे भी रिजर्वेशन मिलना मुश्किल हो गया. बलबीर का भी मूड चेंज हो गया. वो भी उठ कर बैठ गया. कोमल ने बलबीर की तरफ देखा.


कोमल : क्या तुम मुजे कार से मुंबई तक पहोंचा सकते हो???



बलबीर ने अपने कीपैड वाले मोबाइल में देखा. दोपहर के 4 बज रहे थे. कोमल कुछ मांगे. और बलबीर ना दे. ऐसा तो ना मुमकिन है. बलबीर ने हा मे गर्दन हिलाई. वो दोनों शाम के 6 बजे तक मुंबई के लिए बाय रोड निकाल गए.

Very Interesting. 🤔
 
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Darkk Soul

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Update 11

कोमल और बलबीर दोनों कार से मुंबई के लिए रवाना हो चुके थे. अंधेरा हो चूका था. एकदम चिकने फ्लेट रोड पर गाड़ी भागने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी. बलबीर ट्रक ड्राइवर ही था. इस लिए लम्बे रुट पर उसे ड्राइव करने में कोई दिक्कत नहीं थी.

कोमल अपने मोबाइल में लगी हुई थी. बिच बिच में उसकी वाकलती call आ रहे थे. कभी किसी नए केस के लिए वो अपनी फीस बताती. तो कभी किसी मुद्दे पर कोई खास चीज.

जब सब काम निपट गया तो कोमल को बलबीर की याद आई. वो गौर से बलवीर को देखने लगी. एकदम मासूम चहेरा. सारा ध्यान सिर्फ अपने काम पर. कोमल को ऐसे देखते हुए जब बलबीर को महसूस हुआ तो बलबीर भी पूछे बिना रुक नहीं पाया.


बलबीर : ऐसे क्यों देख रही हो??


कोमल पहले तो थोडा सा मुश्कुराई. फिर जैसे सोच में पड़ गई हो की पुछु या नहीं. लेकिन रुकते रुकते उसने पूछ ही लिया.


कोमल : तुम अचानक ऐसे बिना बताए कैसे आ गए. मतलब की...


कोमल के पूछने का मतलब बलबीर समझ गया.


बलबीर : तुमने कहा था ना. तुम्हारे बच्चों को अच्छी स्कूल में पढ़ाऊंगी. उन्हें बहोत बड़ा आदमी बनाउंगी. तो में आ गया.


कोमल : मतलब की तुम मेरे लिए नहीं आए.


कोमल का जैसे मूड ख़राब हो गया हो. पर बलबीर कोमल के नेचर में हुए बदलाव को महसूस कर रहा था.


बलबीर : ऐसा नहीं है की मै तुम्हारे लिए नहीं आया. बल्कि सिर्फ तुम्हारे भरोसे पर ही मै यहाँ आया हु.


कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. और वो बलबीर की तरफ थोडा खिसक कर उसके कंधे पर अपना सर टेक देती है. बलबीर को भी ये अच्छा लगा. ऐसा कुछ पहले होता था. जब बलबीर और कोमल को नया नया प्यार हुआ था.


बलबीर : तुम अपने पति से अलग क्यों हुई.


कोमल बताना तो नहीं चाहती थी. पर बलबीर था इस लिए वो बता देती है.


कोमल : वो मेरे साथ खुश नहीं था. उसे मै बोझ लगती थी. अब बाकि जिंदगी एक दूसरे के साथ सिर्फ एक पहचान से निभाए इस से बहेतर की हम अलग हो जाए. हम ख़ुशी से अलग हुए.


बलबीर ने आगे कुछ पूछा नहीं रात भर ड्राइव करते हुए वो मुंबई पहोच गए. पलकेश का मुंबई में एक और फेल्ट था. और वो वही रहे रहा था. कोमल उस फ्लेट का पता जानती थी. वो दोनों उस फ्लेट पर पहोच गए. पलकेश का फ्लेट 4th फ्लोर पर था.

वो बल्डिंग 10 मंज़िला थी. कोमल और बलबीर दोनों डोर के सामने खड़े हो गए. कोमल ने बेल बजाई. पर कोई डोर नहीं खोल रहा था. और ना ही कोई आवाज आई. कोमल ने दूसरी बार बेल बजाई. तब भी किसी ने डोर नहीं खोला.

कोमल ने पलट कर बलबीर की तरफ देखा. जैसे कहना चाहती हो की कोई गड़बड़ तो नहीं. फिर कोमल ने बेल बजाते डोर का हैंडल भी पकड़ लिया.


कोमल : पलकेश......


पर कोमल के हैंडल पकड़ते ही डोर खुल गया. डोर खुलते ही एक गन्दी सी बदबू का जैसे भापका आया हो. कोमल ने तो अपने मुँह पर हाथ ही रख दिया.


कोमल : उफ्फ्फ... ये बदबू केसी है.


बलबीर हैरान था की ऐसी ही बदबू तो कोमल के फ्लेट से भी आ रही थी. उसे वहां क्यों फील नहीं हुई. वो दोनों अंदर गए. अंदर का नजारा बड़ा अजीब था. सारी विंडोज को कपडे से कवर किया हुआ था.

जैसे बाहर का उजाला रोकने की कोसिस हो. अंदर का माहौल एकदम चिल्ड था. जैसे ac ऑन कर रखा हो. फैन धीमे धीमे घूम कर आवाज कर रहा था. कोमल और बलबीर चारो तरफ नजरें घुमाकर सब देख रहे थे.

खाने के जुठे बर्तन भी जुठे जिसमे थोडा बहोत खाना भी पड़ा हुआ था. देखने से ही पता चल रहा था की खाना कम से कम 2 दिन बसा जरूर होगा. एक खुले हुए कार्टून बॉक्स मे आधे से ज्यादा पिज़्ज़ा पड़ा हुआ था. जिसमे कीड़े भी रेंग रहे थे.

पर पलकेश कहा है. ये समझ नहीं आ रहा था. कोमल भी ऐसी थी की उसे डर तो मानो लगता ही ना हो. वो पलकेश को आवाज देते अंदर जाने लगी.


कोमल : पलकेश..... पलकेश....


पर अंदर जाने से पहले ही एक पाऊ सोफे के निचे नजर आ गया. कोमल रुक गई. और उसने उस पाऊ को देखा. कोमल ने पलटकर बलबीर को भी देखा. वो भी वही देख रहा था. वो आगे आया और सोफे को खिंचता है. पलकेश बेहोश पड़ा हुआ था.

वो दोनों पलकेश को बाहर निकलते है. और उसे होश में लाने की कोसिस करते है. जब उसे निकला तो पलकेश की हालत कुछ अजीब सी थी. वो पूरा तो नंगा था. और उसके बदन से बहोत बदबू भी आ रही थी. जैसे नजाने कितने दिनों से वो नहाया ही ना हो.

हाथ पाऊ गले बहोत जगग घाव थे. जैसे किसी ने बड़े जोर से खरोचा हो. कोमल घुटनो पर बैठ कर पलकेश के गलो पर हलकी हलकी थपकी मरना शुरू करती है.


कोमल : पलकेश..... पलकेश आँखे खोलो पलकेश...


पलकेश की आंखे बड़ी मुश्किल से खुली. जैसे उसने किसी चरस या अफीम का नशा किया हुआ हो. पर आंखे खुलते जब उसने कोमल को देखा तो वो तुरंत ही कोमल को जोरो से बांहो में भर कर रोने लगा.


पलकेश : हाआआ... मुजे बचा लो कोमल प्लीज. वो मुजे मार डालेगा अअअअअ.... प्लीज कोमल मुजे बचा लो....


कोमल और बलबीर दोनों सॉक थे.


कोमल : कौन मार डालेगा तुम्हे??? बोलो??? बोलो.


पलकेश के तेवर एकदम से बदल गए. वो रोते हुए हसने लगा. रुक रुक कर हसने लगा. उसकी आंखे एकदम से बड़ी हो गई. पलकेश ही देखने में डरावना लगने लगा.


पलकेश : खीखीखी...... खीखीखी...... वो तुम्हे हर वक्त देखता है. वो सिर्फ तुम्हारे लिए यहाँ आया है.


कोमल ने सर घुमाकर एक बार बलबीर को देखा. फिर पलकेश को देखने लगी.


कोमल : कौन देखता है मुजे. वो कौन है.


पलकेश फटी फटी आँखों से कोमल को देखता है. फिर बलबीर को देखने लगा. और बलबीर से ही बोलने लगा. पर जो बोला वो सुनके बलबीर और कोमल दोनों के कान खड़े हो गए.


पलकेश : तू इस से अब भी प्यार करता हेना. पर ये तुजसे शादी नहीं करेगी.


बोलने के बाद पलकेश जोरो से पागलो की तरह हसने लगा. कोमल और बलबीर दोनों ने एक दूसरे को देखा. पलकेश एकदम से शांत हो गया.


पलकेश : जब मेरा फ़ोन आया. तब भी लगे हुए थे ना दोनों.


और बोलते के साथ फिर पागलो के जैसे हसने लगा. बसलबीर तो समझ गया की पलकेश को क्या हुआ है. पर कोमल को समझ नहीं आया. उसे लगा की फोन पर उसे एहसास हो गया होगा. कोई नई बात नहीं है. पर पलकेश फिर एक बार कोमल और बलबीर दोनों को चोका देता है.


पलकेश : तुम दोनों ने गांव में भी किया था. खेतो में. उसी आम के पेड़ के निचे. पूरलियो में.


बोलकर पलकेश जोरो से हसने लगा. पर अब कोमल को झटका लगा. कोमल ने पलकेश को ये बताया था की उसने किसी के साथ सेक्स किया. पर ये नहीं बताया की किसके साथ. कैसे. और कहा.

पर पलकेश तो वो सब बता रहा था. जो कोमल ने उसे नहीं बताया था. पलकेश फिर पागलो के जैसे हसने लगा.


पलकेश : वो तुम्हारे साथ वही खेल खेलना चाहता है. एक रूपए वाला. हा हा हा....


कोमल को याद आया वो क्या था. जब कोमल और पलकेश की नई नई शादी हुई थी. वो लोग अक्षर बाहर घूमने जाते थे. एक बार पलकेश के पास बाहर आउट साइड पर एक वेश्या आ गई. और उसे साथ चलने को कहने लगी. पलकेश नहीं गया. पर कोमल अचानक उसके पास पहोची और पूछा. वो क्या कहे रही थी. पलकेश ने बताया. वो एक वेश्या थी.

और पेसो के लिए अपने कपडे उतरने को तैयार थी. कोमल को हसीं आ गई. दोनों घूम फिर कर घर पहोचे. बेडरूम में पलकेश लेटा हुआ कोई बुक पढ़ रहा था. तभी कोमल उस रूम में आ गई. एक हॉट सेक्सी गाउन पहने. अपनी बीवी का हॉट लुक देख कर पलकेश मुश्कुराया.

कोमल ने कहा आज मै एक वेश्या हु. तुम पैसे फेको. मै तुम्हारे लिए अपने कपडे उतरूंगी. पलकेश ने एक कॉइन दिखाया. स्माइल किये बोला. मेरे पास तो बस एक ही रुपया है.

बोल कर वो एक रूपए का सिक्का कोमल की तरफ फेक देता है. उस कॉइन की खनक आज भी कोमल को याद थी. उस कॉइन के गिरते ही कोमल अपना गाउन उतर कर नंगी होने लगी. पर ये सारे मनोरंजक खेल नई नई शादी हुई थी.

तब कोमल और पलकेश ने खेले थे. पलकेश ने कहा की वो भी कोमल के साथ वही खेल खेलना चाहता है. कोमल को बुरा लगा. हसबैंड वाइफ के बिच की इन बातो को बलबीर के सामने ऐसे बोलना.

पर कोमल को अब भी एहसास ही नहीं था की पलकेश के साथ क्या हो रहा है. वो एकदम से बेहोश हो गया. कोमल ने बलबीर की तरफ देखा. उसने पलकेश को उठाकर सोफे पर रखने में कोमल की मदद की.


कोमल : तुम एक काम करो. हमें यही रुकना होगा तुम कुछ खाने पिने की चीज़े ले आओ. तब तक में थोड़ी जगह ठीक करती हु.


बलबीर चले गया. चाहे कुछ हो जाए. कोमल पलकेश को उसकी उस हालत मे छोड़ कर जाना नहीं चाहती थी. कोमल थोडा घर की साफ सफाई में लग गइ.

पर साफ सफाई करते उसकी नजर अचानक सोफे पर गई. जहापर उन्होंने पलकेश को लेटाया था. वो वहां नहीं था. कोमल सॉक हो गई. अचानक पलकेश कहा चले गया. कोमल उसे पहले तो घर में ही ढूढ़ने लगी.


कोमल : पलकेश... पलकेश... कहा हो तुम???? पलकेश.


पर पलकेश मिला बहोत ही जबरदस्त हालत में. वो किचन में था. फ्रिज के आगे बैठा हुआ. और फ्रिज का डोर एकदम खुला हुआ था. कोमल को हैरानी तब हुई जब वो पलकेश के करीब गई. पलकेश कुछ खा रहा था.

कोमल ने ध्यान से देखने की कोसिस की के पलकेश क्या खा रहा है. वो कच्चा चिकन खा रहा था. कोमल को एकदम से झटका लगा. उसके हाथ में पूरा चिकन था. और पलकेश उसे खींच खींच कर कच्चा ही खा रहा था.


कोमल : (सॉक) पलकेश तुम यहाँ क्या कर रहे हो??


पलकेश ने कोई जवाब नहीं दिया. वो जानवर के जैसे खाता ही रहा. पर कोमल को दूसरा झटका तब लगा जब उसका ध्यान खुले हुए फ्रिज पर गया. वो पूरा फ्रिज मीट से ही भरा हुआ था. जब की कोमल को पता था की पलकेश जैन है.

वो नॉनवेज नहीं खाता. हा शराब वो जरूर पिता था. कोमल ने पलकेश के कंधे पर हाथ रखा तो पलकेश ने एकदम से उसका हाथ झाटक दिया. कोमल एकदम से घबरा गई. और पीछे हो गई.

पलकेश एकदम से गर्दन घुमा कर कोमल को देखा. उसके मुँह में कच्चा मीट था. बोलते हुए उसके मुँह से मीट के छोटे छोटे टुकड़े भी गिर रहे थे.


पलकेश : (गुस्सा चिल्ला कर) ये सब तुम्हारी वजह से हो रहा है. वो तो तुम्हारे लिए ही आया था. पर अब मुजे परेशान करता है. कहता है मुजे मांश खाना है. उसे शराब पीना है. वो मुझसे लड़की भी मांगवाता है. पर मेरी ये हालत देख कर सब भाग जाती है. तुम उसकी भूख मिटा दो. वरना वो मुजे मार डालेगा.


बोलकर पलकेश एकदम से ही बेहोश हो गया. कोमल उसे उठाने गई. पर कोमल के बस की नहीं थी. कोमल ने उसे खींचना शुरू किया. और उसे खिंचते हुए सोफे तक ले गई. कोमल को अब ये तो समझ आ गया की गड़बड़ क्या है. पलकेश किसी और की बात कर रहा है.

सायद कोई भुत है. कोमल को भूतों की कहानियाँ बहोत पसंद थी. पर पलकेश के अंदर क्या है. भुत है या नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा था. कोमल ने अपना फोन उठाया और दाई माँ को call किया. पर फोन स्विच ऑफ आ रहा था. कोमल एकदम से निराश हो गई.

फिर उसे याद आया की दाई माँ ने उसे एक कार्ड दिया था. जिसपर किसी प्रोफ़ेसर रुस्तम का नाम था. कोमल ने अपने पर्स में उस कार्ड को तलाशना शुरू किया. वो कार्ड उसे मिल गया. कोमल ने जल्दी से उस नंबर पर call किया. रिंग बज रही थी. पर किसी ने फोन पिक नहीं किया. कोमल ने दूसरी बार कोसिस की. 2 रिंग के बाद किसी ने call पिक किया.


रुस्तम : हेलो???


कोमल : हेलो में कोमल बोल रही हु. मुजे दाई माँ ने आप का कार्ड दिया था


रुस्तम : ओह्ह तो आप ही कोमल हो. पर call करने में इतना टाइम क्यों लगा दिया.


कोमल ने उसके साथ घाटी वो सारी बाते बता दी. प्रोफ़ेसर रुस्तम ध्यान से सारी बात सुनता है. पलकेश के उस call से लेकर अब तक की सारी घटना की उसे जानकारी हो गई.


रुस्तम : में फिलहाल तो मुंबई से बाहर हु. तुम आज रात निकाल लो. और हो सके तो उसे सुबह मेरे पास ले आओ.


कोमल : पर आज रात?????


रुस्तम : क्या डर लग रहा है. दाई माँ तो तुम्हारी बड़ी तारीफ कर रही थी. बस एक रात तो तुम्हे उसके साथ रुकना ही होगा. ओके.



कोमल ने call तो कट कर दिया. पर उसे एक रात वही रुकना था. वो यही सोचती रही की रात कैसे कटेगी.


Mast... Nice going. Very Interesting. Acchi ja rahi hai story.
 

Darkk Soul

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Update 11


अंदर का नजारा बड़ा अजीब था. सारी विंडोज को कपडे से कवर किया हुआ था.

कौन सा विंडोज? 7, 8 या 10??

सुना है स्टूडेंट्स के बीच 10 बहुत पॉपुलर है.

कृप्या स्पष्ट करें.

बसलबीर तो समझ गया की पलकेश को क्या हुआ है. पर कोमल को समझ नहीं आया.

ये बसलबीर कौन है?!
 

Shetan

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कौन सा विंडोज? 7, 8 या 10??

सुना है स्टूडेंट्स के बीच 10 बहुत पॉपुलर है.

कृप्या स्पष्ट करें.



ये बसलबीर कौन है?!
जब आँखों से धुंधला दिखने लगा तो वॉइस टाइपिंग स्टार्ट कर दीं. गलती हुई जो सुधार नहीं पाई.
 

Darkk Soul

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Update 12


पलकेश बेहोश ही था. कोमल ने घर की बहोत सारी साफ सफाई की. उसे साफ करते नजाने क्या क्या मिला. जगह जगह पर खाने पिने की चीजे बिखरी हुई मिलती. कही कही तो उसे सर के बाल भी मिलते.

सायद पलकेश ने कपडे पहेन ना ही छोड़ दिया होगा. क्यों की उसके कुछ कपडे अब भी सही से रखे हुए थे. पलकेश ने उन्हें खोला ही ना हो. पर कुछ कपड़ो से तो बहोत बुरी बदबू आ रही थी. कोमल ने उन्हें धोने की बजाय फेक ही दिया.

थोड़ी देर में बलबीर भी आ गया. खाने पिने की सारी चीजे लेकर. बलबीर और कोमल दोनों की आपस में नजरें मिली.
वो दोनों एक दूसरे से कुछ बोल ही नहीं रहे थे. क्यों की पलकेश के अंदर जो भी हो.

उसने एक बात कही. ये तुजसे कभी शादी नहीं करेंगी. वैसे वो झूठ भी नहीं था. कोमल तो उन बिन माँ के बच्चों को देख कर पिघल गई थी. उन्हें माँ की ममता देना चाहती थी. लेकिन अपने ही उस अहमदाबाद के फ्लेट में एक नकारात्मक ऊर्जा ने उसकी सोच में हवस और मतलबी बना दिया था.


वही बलबीर भी ऐसा कुछ पाने की चाहत में नहीं आया था. वो तो बस काम कर के अपने बच्चों का पालन पोषण करना चाहता था. उसे भरोसा था की कोमल उसे उस शहर में काम जरूर दिलवा देगी.


कोमल : तुम बैठो. में नहाकर आती हु. फिर तुम भी नाहा लेना.


माहौल अब ठीक था. उस घर से बदबू कम जरूर हो गई थी. सारी विंडो खोल दी गई. बाहर के उजालों से उस फेल्ट में कुछ अलग ही रौनक लग रही थी. कोमल और बलबीर बारी बारी से फ्रेश होने के बाद साथ मिलकर लंच करते है. दोनों यहाँ वहां की बाते करते रहे. शाम हो गई. तब पलकेश को होश आया. और उसने कोमल को देखा तो जैसे वो सॉक हो.


पलकेश : (सॉक) कोमल?????..... तुम कब आई यहाँ???


कोमल और बलबीर उस से ज्यादा सॉक हुए. वो दोनों एक दूसरे का मुँह देखते रहे. पर वो अपने हालत पलकेश से छुपाती है.


कोमल : (सॉक) बस..... अभी थोड़ी ही देर हुई.


पलकेश : (स्माइल) चलो अच्छा है. मुजे तो लगा की डायवर्स के बाद तुम मुजे भूल ही गई होंगी.


पलकेश की नजर बलबीर पर गई. जो बहोत सामान्य लुक मे था.


पलकेश : ये कौन है???


कोमल ने पलट कर बलबीर को देखा जैसे उसे चुप रहने का हिशारा किया हो. फिर पलकेश की तरफ देखा.


कोमल : (घबराहट) ये..... ये मेरा दोस्त है. मेरे गाउ से आया है.


पलकेश : (स्माइल) ओह्ह्ह... आई एम पलकेश. मै कोमल का एक्स हु. मतलब....


बोलते हुए पलकेश ने अपना हाथ बढ़ाया. बलबीर भी उस से हाथ मिला देता है.


बलबीर : मै समझ गया.


पलकेंस : (स्माइल) वैसे..... मेरे ख्याल से हमें पहले डिनर कर लेना चाहिए. बाकि बाते बादमे करें. मै कुछ आर्डर कर देता हु.


वो खड़ा हुआ. उसे ये या तो एहसास नहीं था. या बेपरवाह था. या फिर वो जानबुचकर कर रहा था. वो नंगा ही खड़ा हुआ और एक रूम मे चले गया. कोमल और बसलबीर की आपस मे नजरें मिली.


बलबीर : मुजे कुछ समझ मे नहीं आ रहा.


कोमल : समझ तो मुजे भी नहीं आ रहा. मेने दाई माँ को call किया. स्विच ऑफ़ आ रहा है. फिर मेने दाई माँ ने किसी का नंबर दिया था. उसपर call किया. उन्होंने कल बुलाया है. पलकेश के साथ.


तभी अंदर वाले रूम से पलकेश की आवाज आई.


पलकेश : कोमल.... तुम्हे नॉनवेज चलेगा ना????


कोमल फिर सॉक हो गई. पलकेश अभी तो होश मे लग रहा था. और वो होश मे भी नॉनवेज खाने को पूछ रहा था. जब की कोमल भी प्योर वेज थी.


कोमल : नहीं..... हम दोनों तो प्योर वेज है.


कुछ वक्त वो तीनो मिलकर साथ बैठ कर कॉमन बाते करते रहे. तभी बेल बाजी.


पलकेश : ओह्ह एक मिनट..


पलकेश खड़ा हुआ और डोर खोलता है. जो डिनर के लिए फूड आर्डर किया था. बस वही आया था. पलकेश ने उसे पैसे दिये. और जब मुड़ा. उसके हाथ मे ढेर सारी पोलीबैग थी.


कोमल : अरे इतना सारा क्यों??? हम तो बस तीन ही है.


पलकेश ने सिर्फ एक पोलोथिन बताई.


पलकेश : (स्माइल) अरे फ़िक्र मत करो. तुम दोनों का तो बस इतना ही है.


कोमल : (सॉक) तो फिर तुम इतना सारा खाना अकेले खाओगे क्या???


कोमल को एक और वो भी बड़े वाला झटका लगा. जो पलकेश ने कहा.


पलकेश : (स्माइल) अरे बाबा मै नहीं वो ये सब खाएगा. तुम जल्दी से प्लेटस ले आओ.


ये सुनकर तो कोमल और बलबीर दोनों के रोंगटे खड़े हो गए. पर दोनों ना कोई रियेक्ट करते है. और ना ही कोई सवाल. कोमल प्लेटस लेने अंदर गई. पर अब एक और झटका लगने की बारी बलबीर की थी. पलकेश ने स्माइल करते हुए बलबीर को देखा. जो हेरत भरी नजरों से उसे ही देख रहा था.


पलकेश : (स्माइल) तो मिस्टर बलबीर एक एक हो जाए.


पलकेश बोल कर एक छोटी सी अलमारी खोलता है. और उसमे से एक शराब की बोतल निकलता है.


बलबीर : मै पिता नहीं.


पलकेश ने अपने हाथो मे दो ग्लास उठा लिए थे. और एक मे डाल चूका था. दूसरे मे डाल रहा था.


पलकेश : झूठ क्यों बोल रहे हो बलबीर एक ट्रक ड्राइवर शराब ना पिता हो. ऐसा कैसे हो सकता है. और अपनी बीवी की याद मे तुमने नजाने कितनी बोतले खाली कर दी.


झटका तो लगना ही था. बलबीर हेरत मे पड़ गया. पलकेश कैसे जनता है की वो एक ट्रक ड्राइवर है. और उसकी बीवी मर चुकी है. उसकी याद मे बलबीर कई बार शराब पिता. बोतल तक खाली कर देता. ये सब बाते तो बलबीर ने कोमल तक को नहीं बताई थी.

लेकिन पलकेश झटके देना बंद नहीं कर रहा था. जब कोमल प्लेटस और दूसरा सामान लाई. पलकेश अपना खाना खुद ही निकालने लगा. उसने इतना सारा नॉनवेज खाना मंगवाया था. जो 10 आदमी खा सके. वो लोग डिनर करने लगे. पलकेश अपनी शराब की बोतल भी लेकर आ गया.


पहले तो उसने ग्लास मे डाल रखी शराब को वो नीट पी गया. और खाना स्टार्ट किया. पलकेश किसी जानवरो की तरह खा रहा था. वो स्पून का तो यूज़ ही नहीं कर रहा था. अपने हाथो से ही वो लग गया. साथ साथ वो शराब भी पी रहा था.

वो भी सीधा बोतल से ही. उसे ऐसे खाते देख कर तो पलकेश और बलबीर तो खा ही नहीं पाए. बलबीर और कोमल हैरान रहे गए. पलकेश अकेला ही 10 इंसानो का हेवी खाना खा गया.
साथ एक शराब की बोतल भी नीट पी गया. पर वो दोनों उस वक्त कुछ भी नहीं कर सकते थे.

डिनर के बाद सोने की तैयारी होने लगी. पलकेश सिर्फ रूम मे सोया. कोमल ड्राइंग रूम के सोफे पर सो गइ. और बलबीर निचे लेट गया. रात के एक बजे. कोमल को एक आवाज सुनाई दी. वो आवाज किसी सिक्के की खनक थी. जैसे सिक्का स्तिर होने से पहले जमीन पर घूम रहा हो.

कोमल ने आंखे खोली. और बैठ गई. नाईट लेम्प चालू था. रूम मे सब देखा जा सकता था. तभी उस रूम मे किसी ने एक और सिक्का फेका. कोमल ने फ्लोर की तरफ देखा. एक जगह सिक्का गोल घूम रहा था. माहौल शांत होने की वजह से सिक्के की आवाज ज्यादा ही सुनाई दे रही थी. कोमल ने उस सिक्के की तरफ देखा तो वहां 4 सिक्के ऑलरेडी पड़े हुए थे. कोमल इसका मतलब साफ समझ गई की अपने कपडे उतरो. तभी एक और सिक्का उसकी तरफ किसी ने फेका.

उस सिक्के की भी खनक वो आवाज कोमल महसूस भी कर रही थी. और देख भी रही थी. कोमल ने बलबीर की तरफ देखा. वो शांति से सोया हुआ था. वो सिक्के फेकने का सील सिला लगातार चल रहा था. हर 2 मिनट मे एक सिक्का.


कोमल हैरान रहे गई. कुछ ही देर मे कई सारे सिक्के उसके सामने पड़े थे. एक एक कर के सिक्के गिरने का सील सिला लगातार चालू ही था.कोमल उठ कर बैठ गई. और उस तरफ देखती है. जहा से उसकी तरफ सिक्के फेके जा रहे थे. वो सिक्के किचन की तरफ से आ रहे थे. जहा लाइट बंद थी. और अंधेरा था. ऐसा महसूस हो रहा था. जैसे कोई अँधेरे मे खड़ा हो.

और कोमल की तरफ सिक्के फेक रहा हो. कोमल खड़ी हुई और धीरे धीरे उस तरफ आगे बढ़ी. पर फिर भी लगातार वो सिक्के उसके आगे गिर ही रहे थे. कोमल को लगा सायद ये सब पलकेश कर रहा है. किचन के पास ही पलकेश का रूम था. कोमल पलकेश के रूम तक पहोच गई. और डोर खोल कर देखा तो पलकेश सो रहा था. पर सिक्के तो अभी भी उसके पास गिर रहे थे. अब कोमल को डर महसूस होने लगा.

उसकी धड़कनो ने थोड़ी सी रफ़्तार पकड़ी. वो सिक्के किचन की तरफ से फेके जा रहे थे. कोमल मुड़ी और किचन के सामने खड़ी हो गई. अंदर एक तरफ अंधेरा था. कोमल जहा खड़ी थी. वहां तक लैंप का उजाला आ रहा था. तभी उस अँधेरे से कोमल की तरफ एक और सिक्का आया. कोमल सोचने लगी. उस अँधेरे मे कौन हो सकता है. कोमल का दिल धक धक कर रहा था. चहेरे पर पसीने की बुँदे उभर आई थी. कोमल ने उस सिक्के की तरफ देखा. वो सिक्का कोमल के कदमो मे ही गिरा.

कोमल ने सर ऊपर उठाया. और उस अँधेरे की तरफ देखती ही रही. कोमल को साफ एहसास हो रहा था की अँधेरे मे कोई है. जो उसे ही देख रहा है. और मुस्कुरा भी रहा है. कोमल को पहेली बार डर का एहसास हो रहा था. उस अँधेरे से कोमल की तरफ एक सिक्का फिर फेका. कोमल उसी अँधेरे को देखती ही रही. और पल पल ऐसे ही एक के बाद एक सिक्के गिरते ही रहे. किचन की की लाइट का स्विच कोमल के करीब ही था. कोमल ने झट से लाइट ऑन कर दी. वहां कोई नहीं था.

कोमल ने चैन की शांस ली. कोमल मुड़ी और देखा की उसके लिए जो सिक्के फेके गए है. वो सारे सिक्के अब भी वही फर्श पर ही है. कोमल ने सारे सिक्कों को समेटा. वो सारे एक रूपए के ही सिक्के थे. कोमल उन्हें गिन तो नहीं सकती थी. पर उतने सिक्के तक़रीबन 4 किलो के आस पास रहे होंगे. कोमल को अब डर भी लग रहा था. पर कोमल डर के पीछे हटने वालों मे से नहीं थी. वो तो डर को टाल कर आगे बढ़ने वाली इंसान थी.

कोमल ने उस रूम की लाइट ऑन कर दी. वो बाद मे सोइ ही नहीं. थोड़ी देर मे बलबीर की भी नींद खुल गई. उसने बलबीर को सारा किस्सा सुनाया. पर कारण सिक्के क्यों फेके जा रहे थे. ये नहीं बताया.


बलबीर : ये जगह ठीक नहीं है. कुछ है यहाँ पर.


कोमल : जो भी हो. हम सुबह रुस्तम जी से मिलने जा रहे है. सब ठीक हो जाएगा.



कोमल और बलबीर उस बाकि की रात को बाते ही करते रहे. उन्हें बस सुबह होने का इंतजार था.

Very good. Bahut badiya update tha. Padh kar bahut hi accha laga. :readnews:

A very nice, honest try to build suspense. :applause::applause::applause:
 

Darkk Soul

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Update 12



वो भी सीधा बोतल से ही. उसे ऐसे खाते देख कर तो पलकेश और बलबीर तो खा ही नहीं पाए. बलबीर और कोमल हैरान रहे गए. पलकेश अकेला ही 10 इंसानो का हेवी खाना खा गया. साथ एक शराब की बोतल भी नीट पी गया. पर वो दोनों उस वक्त कुछ भी नहीं कर सकते थे.

ये नहीं समझा. 🤔

दोनों खा भी रहे हैं... और नहीं भी खा रहे हैं... फिर कोमल और बलबीर नहीं खा रहे हैं...

पलकेश तो खा रहा था न? या नहीं खा रहा था??

कोमल ने चैन की शांस ली. कोमल मुड़ी और देखा की उसके लिए जो सिक्के फेके गए है. वो सारे सिक्के अब भी वही फर्श पर ही है. कोमल ने सारे सिक्कों को समेटा. वो सारे एक रूपए के ही सिक्के थे. कोमल उन्हें गिन तो नहीं सकती थी. पर उतने सिक्के तक़रीबन 4 किलो के आस पास रहे होंगे.
बताओ यार... एक हम हैं जिसे 100 का भी चेंज नहीं मिलता... और यहाँ कोमल चार किलो सिक्के ले कर बैठी है... वो भी सिर्फ १ रुपए वाले!!

बलबीर : ये जगह ठीक नहीं है. कुछ है यहाँ पर.

गज़ब यार... बलबीर तो बड़ा तेज़ निकला... कितना जल्दी समझ गया की वो जगह ठीक नहीं है. 😲

कमरे से दुर्गंध आई, पलकेश नंगा मिला, फिर अचानक कुछ से कुछ बड़बड़ाने लगा. जैन होने के बाद भी नॉन वेज खाया, अकेले १० आदमी के बराबर खाना खाया, दारू पीया... इतना सब होने के बावजूद न तो कोमल और न ही हम रीडर्स पकड़ पाए की जगह कुछ ठीक नहीं है... लेकिन, बलबीर को देखो.. कितना जल्दी और आसानी से समझ गया... 😮:applause::applause:


:wink:😜
 

Darkk Soul

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खैर, इतना तो पक्का है की ये जो भी "हवा" / "शक्ति" है, मामूली नहीं है... और कहीं न कहीं इसका उद्देश्य सिर्फ कोमल को पाना भर नहीं है... क्योंकि अगर पाना ही होता तो इतना लम्बा चक्कर नहीं लगता. और जो कुछ लक्षण बताए जा रहे हैं, इससे मुझे एक अंदाज़ा हो तो गया है की ये क्या हो सकता है लेकिन फ़िलहाल अपडेट्स के हिसाब से चलना ही सही होगा.

कोमल से क्या रिश्ता हो सकता है इस शक्ति का... और कोमल व बलबीर , एवं बलबीर के बीते कल के बारे में उनके सामने ही बिना किसी संबंधित विषय के चर्चा के ही क्यों बता रहा है...

देखते हैं आगे क्या पढ़ने को मिलता है.
 
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