Update 24
जब कोमल आश्रम पहोची और लेट ते ही वो गहेरी नींद मे चली गई. उसकी नींद भी खुली तो लोगो की आवाज से. उसके कमरे के बहार कुछ 5,6 लोगो के हसीं मज़ाक की आवाज से उसकी नींद खुली. उठते ही कोमल ने घड़ी देखी. 11:30 बज रहे थे. कोमल खड़ी हुई और नहाने धोने चली गई. उसे बलबीर नहीं दिखा.
पर जब वो फ्रेश होकर आई. एक कुल्लड़ मे चाय लेकर बलबीर आ गया. ये देख कर कोमल के फेस पर स्माइल आ गई.
बलबीर : अरे जल्दी लो. गर्म है. फिर ठंडी हो गई तो वो और नहीं बनाएँगे.
कोमल समझ गई की बलबीर जुगाड़ लगाकर कोमल के लिए चाय लेकर आया था. इसी लिए कोमल को बलबीर पर ज्यादा ही प्यार आ रहा था. कोमल चाय पिने लगी. वो दोनों निचे फर्श पर ही बैठ गए. बलबीर कुछ बोलना चाहता है. ये कोमल को पता चल गया. मगर वो किसी चीज के लिए रोकेगा ये भी महसूस हो चूका था.
अब कोमल बस उसे बोलने नहीं देना चाहती थी. वो इंतजार मे थी की बलबीर कुछ बोलने की कोसिस करें.
बलबीर : वैसे मै......
कोमल : तुमने अपने लिए चाय नहीं ली???
बलबीर जो बोलना चाहता था वो नहीं बोल पाया.
बलबीर : नहीं. सिर्फ तुम्हारे लिए. मेने तो सुबह ही पी ली थी.
कुछ देर इंतजार.
बलबीर : मै.....
कोमल : मुजे भूख लगी है. नास्ता????
बलबीर : टाइम देखो. अभी नास्ता मिलेगा. सीधा खाना ही खा लेना. बन चूका होगा.
कुछ देर इंतजार.
बलबीर : वो मै.....
कोमल : डॉक्टर साहब कहा है.
बलबीर एकदम भड़क गया. और तुरत खड़ा भी हो गया.
बलबीर : मेरे सर पर. जाओ बहार है जाओ.
बलबीर गुस्से मे बहार चला गया. और कोमल उसे गुस्सा दिलाकर हस रही थी. कुछ देर बाद कोमल भी बहार आई. बहार पीपल की छाव मे डॉ रुस्तम, पटनायक, सरपंच, बलबीर और 2 डॉ रुस्तम के टीम मेंबर बैठे हुए थे. डॉ रुस्तम ने कोमल को देखा.
डॉ : (स्माइल) अरे आओ कोमल.
एक टीम मेंबर ने एक प्लास्टिक चेयर कोमल को भी दीं.
कोमल : क्या हुआ डॉक्टर साहब. अब मामला कहा तक पहोंचा???
डॉ रुस्तम थोडा मुश्कुराए.
डॉ : (स्माइल) तुम सो रही थी ना. वरना मामला क्या है तुम्हे भी पता चल जाता.
कोमल : क्यों कुछ और भी हुआ क्या???
अब मामला क्या था. वो डॉ रुस्तम ने पूरा बताया.
डॉ : ये तो तुम्हारे जरिये कल ही पता चल गया था की कोई पंडितजी है. जिनकी अस्थिया स्कूल के पीछे ही कही दफ़न है.
कोमल : हा सायद आप ही ने मुजे रिप्लाई किया था.
डॉ : तो सुबह ही हमने पूजा रखी. और पंडितजी को बुलाया.
कोमल : वो आ गए???
डॉ : वो कोई प्रेत नहीं थे. जो परेशान करते. वो सिर्फ एक आत्मा है. दरसल वो खुद ही बात करना चाहते थे. ताकि इन मौत को रोका जा सके.
कोमल : क्या??? मतलब एक आत्मा ही चाहती है की लोग ना मरे.
डॉ : बिलकुल. अब असल कहानी सुनो.
1997 मे पंडीजी ने अपनी जमीन पर एक आश्रम बनवाया. साथ में एक मंदिर भी बनवाया. पर मंदिर कहां है यह पता नहीं. शायद हमसे पूछने में गड़बड़ी हुई है. पंडित जी हमेशा यज्ञ करते रहते हैं. यज्ञ के साथ-साथ वो भंडारा भी करते थे. उस समय यहा गरीबी भी बहुत थी. ऐसा लगता है पंडित जी ने जीवन भर पुण्य ही कमाया है.
कोमल : मगर फिर भी उनकी आत्मा को शांति नहीं मिली.
डॉ : वो इस लिए क्यों की जो वो चाहते थे. वो हुआ ही नहीं. गांव वालों ने सोचा पंडितजी सायद उनका भला कर सकते है. इस लिए सारे मिलकर पंडितजी के पास गए. लोगो ने उनसे बिनती की के आप मंदिर बनवा रहे हो तो एक स्कूल भी बनवा दो. तब जाकर पंडितजी ने स्कूल के लिए अपनी एक जमीन का बड़ा टुकड़ा दान कर दिया.
उस वक्त मंदिर सायद बन रहा था. पंडितजी चाहते थे की स्कूल और मंदिर दोनों का कार्य सफल होगा तो वो एक और भंडारा करेंगे. मगर रात ही उनका देहांत हो गया. गांव वाले मानते थे की उनकी हत्या हुई. लेकिन पंडितजी कहते है की उनका समय पूरा हो चूका था.
कोमल : साला लोगो को बस बहाना चाहिये. खुद ही स्टोरी बना देते है. लेकिन एक बात समझ नहीं आई. जब उनका समय पूरा हो चूका था तो उनकी आत्मा यहाँ क्यों है.
डॉ : मै एक सात्विक पुजारी हु. इस लिए थोडा जानता हु. ऊपर जाना ना जाना ये आत्मा की मर्जी होती है. या ये अपने आप को ऊपर वाले को सोपना चाहते है या नहीं. अमूमन सब ऊपर ही जाना चाहते है. बस कोई ही आत्मा ऐसी होती है जो ऊपर वक्त के बाद भी नहीं जाती.
वो और मुद्दा है. तुम मेंइन बात सुनो. वो तो मर गए. लेकिन उस से पहले स्कूल और मंदिर के लिए उस वक्त के मुखिया को दान का पैसा दे चुके थे. उनकी ख्वाइश थी की दोनों कार्य को देख कर ही ऊपर जाए.
मगर मंदिर कहा बना ये किसी को पता नहीं. स्कूल भी बनाया तो गलत वास्तु से. नतीजा दो मंज़िला स्कूल में नुस्क रहे गया. ऊपर पानी की टंकी से चु चाते पानी से छत का एक हिस्सा कमजोर पड़ गया.
स्कूल की छत गिरी और 34 बच्चे दब के मर गए. अब ज्यादा नहीं पता लग सका. क्यों की आत्मा को ज्यादा देर रोका नहीं जा सकता.
कोमल : तो क्या दिन मे ही सारा सेटअप किया.
डॉ : नहीं. सब सात्विक. पर यहाँ एक अफवाह और है.
कोमल : वो क्या???
डॉ : सुबह सुबह गांव के मुखिया ने बताया की कोई दिन दयाल है. उसकी बेटी कुछ 19, 20 साल की है. उसके अंदर कोई माता आती है. और वो सब लोगो की मदद भी करती है. कोगो के सवालों के जवाब देती है. बहोत कुछ अच्छा ही करती है. मै मुखिया को लेकर उनके वहां ही पहोच गया. मुजे सक था. मेने पूजा की.
मगर मामला कुछ और ही निकला. उसमे कोई देवी नहीं खुद पंडितजी ही आते थे. लोग उन्हें भगवान समाझते थे. और वो निकले अपने पंडितजी.
कोमल : साला लोग अंध श्रद्धांलू भी बहोत है. पर क्या ऐसे कोई भगवान इंसान के शरीर में आते है???
डॉ : बहोत ही काम. ज़्यादातर कुल देवी और कुल देवता ही आते है. मगर 0.01%. मगर लोगो के पुरखो का आना होता है. जिसे लोग देवी देवता मान लेते है. क्यों की पास्ट फ्यूचर बताने से लोग एक्साइट हो जाते है. लोगो के काम निकल जाते है तो लोग उन्हें भगवान समझने लगते है. अरे भगवान को बुलाना इतना आसान है क्या...
कोमल : उफ्फ्फ... साला कौन फ्लोड कौन सही क्या पता.
डॉ : बात सही कहे रहे हो. इस लिए तो हमारी गवर्नमेंट हमें सपोर्ट नहीं करती. जब की इंग्लिश कंट्रीज तो स्पेशल बजट देती है. पैरानॉइड इन्वेस्टिगेशन को.
कोमल : वाओ....तो क्या बताया पंडितजी ने.
डॉ : मुखिया ने बताया की आप के बारे में जिसे माता आती है. उसने ही बताया. और नंबर भी दिया. वरना वो कहा मुजे जानता था.
कोमल : ये हैरान करने वाली बात है. मतलब की आप कोई और स्टेट मे रहे रहे हो. यहाँ से कोई तालुक नहीं. मगर किसी ने आप को बुलाया. बिना लिंक के.
डॉ : बिलकुल सब सुपरनैचुरल पावर है. पंडितजी ने इतनी ही जानकारी दीं. जो मै बता चूका हु. अब हम रुकने वाले है. क्या तुम रुकोगी???
कोमल : रुकना तो चाहती हु. पर काम है. इस लिए जाना पड़ेगा. कुछ केस की डेट है. मै आज बलबीर को लेकर निकल जाउंगी. कुछ होगा तो call कर देना. मै आ जाउंगी.
डॉ : वैसे कुछ होगा तो call कर दूंगा.
कोमल : वैसे ये पंडितजी का नाम क्या था.
डॉ : राम खिलावान उपाध्याय.
कोमल ने शाम की फ्लाइट पकड़ी और बलबीर को लेकर एयरपोर्ट पहोच गई. एयरपोर्ट पर चेक इन के बाद फ्लाइट के लिए दोनों ही वेट कर रहे थे. कोमल कॉफ़ी लेने के लिए गई. तब वहां पर एक मोटी महिला बलबीर के पास से गुजरी. वो 50 के आस पास की उम्र दराज महिला थी. उस महिला ने बलबीर के पाऊ पर गलती से पाऊ रख दिया.
बलबीर : ससस अह्ह्ह....
शुक्र था की बलबीर ने जूते पहने हुए थे. उसे बस हलका सा दर्द हुआ बस. पर बलबीर ने फिर भी उस महिला को ही सँभालने की कोसिस की. कही वो बेलेंस बिगड़ने से गिर ना जाए.
महिला : ओह्ह सॉरी.... I am so sorry....
बलबीर : अरे कोई बात नहीं.
वो महिला खुश भी हुई और हैरान भी रहे गई. क्यों की कोई और होता तो कुछ ना कुछ जरूर बोलता. मगर बलबीर ने तो उल्टा फिर भी हेल्प ही की. शुक्र था की कोमल वहां नहीं थी. ऐसे मौके पर तो वो फाड़ के खा जाती. एयरपोर्ट के कैमरा के फुटेज का इस्तेमाल कर के मान हानि का दावा ठोक देती. मगर बलवीर ने बड़ा दिल दिखाया.
महिला : Can I sit here???
बलबीर को बस हाथ के हिसारे से पता चला की वो बैठना चाहती है.
बलबीर : हा हा बैठिये.
वो महिला उसके पास ही बैठ गई. वो मोटापे की वजह से थकान महसूस कर रही थी.
महिला : you are a good human being.
अब कोमल ने तो बलबीर के मजे लेने के लिए पट्टी पड़ा रखी थी. रायता फेल गया. बलबीर ने दूर स्टाल कैफ़े पर खड़ी कोमल की तरफ हिशारा किया.
बलबीर : वो वो मेरी गर्लफ्रेंड है.
वो महिला समझ गई की बलबीर भोला है. और उसे इंग्लिश नहीं आती. वो मुश्कुराई.
महिला : (स्माइल) तो गर्लफ्रेंड को कहा घुमा लाए???
बलबीर : नहीं नहीं. मेने टिकिट नहीं ली. उसी ने ली है.
महिला सोच में पड़ गई. सवाल से जवाब मेल नहीं खाया.
महिला : तो फिर क्या हुआ????
बलबीर : वो गर्लफ्रेंड के साथ बॉयफ्रेंड की टिकिट फ्री होती है ना.
महिला को हसीं आ गई.
महिला : तुम्हे ऐसा किसने कहा???
अब बलबीर की तो इस लिए फट रही थी. कही दूसरी टिकिट के पैसे ना देने पड़े.
महिला : (स्माइल) वो मज़ाक कर रही है तुमसे. मामू बनाया तुमको. चलो मै चलती हु.
महिला तो चली गई. अब बलवीर का दिमाग़ घूम गया. कोमल ने आती वक्त किस किस से बलबीर को क्या क्या बुलवाया था. एयर होस्टेस सिक्योरिटी ऑफिसर. बलवीर ने स्टॉल कैफे की तरफ देखा. मगर कोमल नहीं थी. वो मन में सोचने लगा. कोई बात नहीं.
आएगी तो यही. पर जब कोमल आई. बलबीर सारा गुस्सा ही भूल गया. क्यों की कोमल चेंज कर के आई थी. और उसी ड्रेस में आई जो बहोत छोटा था. जिसमे कोमल को देख कर बलबीर बाहेक गया था. 2 दिन हो गए थे. दोनों ने आपस मे प्यार नहीं किया था.
कोमल ने इसी लिए बलबीर को उकसाने की तैयारी शुरू कर दीं थी. वो दोनों फ्लाइट से अहमदाबाद पहोच गए. रात जी भर कर प्यार भी हुआ. दिन बदला. घर का माहोल बहोत बढ़िया. कोमल को उठते ही बलबीर ने सब कुछ प्रोवाइड करा दिया. चाय नाश्ता सब बलवीर ने रेडी कर दिया था. कोमल बहोत खुश भी हुई.
वो नहाना धोना नाश्ता सब कर के एक मीटिंग के लिए गई. कुछ एडवोकेट्स के साथ मीटिंग थी. जिसमे वो एडवोकेट्स को लीगल एडवाइस देनी थी. कार बलबीर ही ड्राइव कर रहा था. लेकिन कोमल को महसूस हुआ बलबीर ठीक से ड्राइव नहीं कर रहा है.
वो बाते करते बार बार कोमल की तरफ देखने लगता. और 2 बार कार किसी ना किसी से ठुकते हुए बची. कोमल ने बलबीर को डाट भी दिया. जो की कभी नहीं करती थी.
कोमल : बलबीर क्या कर रहे हो.. प्लीज आगे ध्यान दो और ठीक से चलाओ.
बलबीर चुप हो गया. उसे बुरा इस लिए नहीं लगा की कोमल ने डाट दिया. उसे बुरा इस लिए लगा की उसने कोमल को नाराज कर दिया. पर कमल ककी मीटिंग बहोत शानदार रही है. मीटिंग के दौरान सभी एडवोकेट्स कोमल से बहोत प्रभावित हुए. कोमल ने किसी एडवाइस का तो 2000 तो किसी एडवाइस का 5000 तक चार्ज किया.
कोमल ने तक़रीबन 22000 से 25000 रूपय कमाए. उसके बाद खुद के केस की भी डेट थी. परफॉर्मेंस काफी शानदार रहा. और कोमल को कुछ में तो नतीजे भी उसकी तरफ मिल गए. पेमेंट वहां से भी आई. कोमल बहुत कॉस्टली एडवोकेट थी. उसे तक़रीबन 55000 की अमाउंट मिली. कोमल घर जाना चाहती थी.
क्योंकि वह थक गई थी. लेकिन जिस कंपनी के साथ लीगल एडवाइस की डील हुई थी. उस कंपनी ने कोमल को call किया. कोमल जानती थी की एक ही एडवाइस देने से उसके 10,15 हजार खड़े हो जाएंगे.
कोमल पेसो को आने से कभी ना नहीं बोलती थी. नतीजा वो बलबीर को लेकर वहां पहोच गई. कंपनी का MD कोई Mr पटेल था. मीटिंग के दौरान उसने बताया की वो अपनी प्रोडक्ट का प्रोडक्शन 4 छोटी कंपनी से करवाता है. लेकिन एक कंपनी के वर्क कोरोना स्ट्राइक कर दी. जिसकी वजह से उसके प्रोडक्शन में कमी आएगी.
और मार्केट में उसके माल की खपत हो सकती है. कोमल ने सारी बाते बड़ी ध्यान से सुना. न्यूज आर्टिकल्स पढ़े. और बड़ी स्टाइल में उसे अखबार की कटिंग को फेकते हुए बोली.
कोमल : मार्केट में अपने शहर का स्टॉक रेट क्या है???
Mr patel ने रेट बताया.
कोमल : आप अपना स्टेटमेंट जारी करिए. उस कंपनी को वार्निंग दीजिए. उन वर्कर्स की मांग को मान ले. वरना आप उश कंपनी के साथ हुई सारी डील तोड़ देंगे. शाम तक आप अपने स्टॉक रेट को देख कर हैरान हो जाओगे.
Mr patel हैरान रहे गया कोमल की बात सुनकर. वो तुरंत ही call कर के प्रेस कॉन्फ्रेंस को बुलाता है. कोमल उसकी ऑफिस में बैठकर चिप्स खाते हुए टीवी पर खेल देख कर मुस्कुरा रही थी. दोपहर 2 बजे की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने मार्केट में हल्ला मचा दिया.
Mr patel वापस अपनी ऑफिस में आए. और दोनों ही शेयर मार्केट के उतार चढाव को देखने लगे. कोमल का अंदाजा बिलकुल गलत नहीं था. शाम को मार्केट बंद होने से पहले Mr patel की कंपनी ने जबरदस्त उछाल मारा. Mr Patel तो पागल ही हो गए.
उनकी कंपनी को पब्लिसिटी और सिंपैथी दोनों ही मिली. Mr patel ने बिलकुल देरी नहीं की. और तुरंत ही 1 लाख का चैक काट दिया. कोमल भी अड़ गई की उसे पुरे 2 लाख मिलने चाहिये. क्यों की सुबह और बड़ा उछाल देखने को मिलेगा. साथ ही एक फ्री एडवाइस और दीं. उसकी प्रोडक्शन करने वाली कंपनी वर्कर्स के डिमांड मान लेगी. आपका प्रोडक्शन बढ़ जाएगा.
आपको एक से दो कंपनी और अपने साथ जोड़ना होगा. Mr patel ने तुरंत दूसरा 2 लाख का चैक काट दिया. कोमल खुश होकर बहार आई. बलबीर बेचारा बहार केतली पर चाय पी रहा था. कोमल को देखते ही वो तुरंत कोमल के पास पहोच गया. कोमल खुश थी.
अपने दोनों हाथो की माला बलबीर के गले में पहनाते उसकी बाहो में चली गई. देखने वाले हैरान थे की एक ड्राइवर पर इतनी पावरफुल फीमेल कैसे प्यार बरसा रही है.
कोमल : (स्माइल) आज तो भगवान थप्पड़ फाड़ कर दे रहे हैं. चलो मम्मी के घर. बच्चों से मिलकर आते हैं.
वह दोनों कोमल की मम्मी के घर जाने के लिए निकल गए. लेकिन अच्छे के साथ बुरा भी हो रहा था. कर ड्राइव करते बालवीर से एक्सीडेंट हो गया. किसी को बचाने के चक्कर में बालवीर ने कर को विच डिवाइडर पर चढ़ा दिया. दोनों में से किसी को नुकसान तो नहीं हुआ. मगर कर का बड़ा नुकसान हुआ.
बालवीर कोमल को लेकर झट से नीचे उतर गया. फ्यूल टैंक फट गया था. कर में आग पकड़ ली. वह दोनों हैरान रह गए. उन्हें कोई चोट नहीं थी. थोड़ी बहुत पुलिस कार्रवाई हुई. और वह दोनों घर आ गए. बालवीर बहुत परेशान था. उसने कोमल की कर बर्बाद कर दी
लेकिन कोमल फिर भी रिलैक्स थी. उसने बालवीर को कुछ भी नहीं बोला. बालवीर हैरान था. उसे अफसोस हो रहा था. उसने कमल का नुकसान जो कर दिया था. पर कोमल भी एक वकील थी. कोमल इंश्योरेंस कंपनी पर क्लेम करने में बिल्कुल देरी नहीं की.
बलबीर : सॉरी मुझसे तुम्हारा बहोत बड़ा नुकशान हो गया.
कोमल : उसके फ़िक्र मत करो. पैसा तो और कमा लेंगे. लेकिन आज तुम्हें हो क्या गया. तुम्हारी ड्राइविंग तो एकदम परफेक्ट है. आज गलती कैसे हो रही थी. क्या कोई प्रॉब्लम तो नहीं तुम्हें???
बलबीर : नहीं पता नहीं मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा है.
कोमल कोई बात नहीं.
बलबीर : गाड़ी कितने की थी???
कोमल : ससससस ऑफ़ फो.. ये बोलो की अब नइ कार हम कितने की ख़रीदे. और यह तुम अफसोस करना बंद करो. तुम रोते हुए कार्टून लगते हो.
बोल कर कोमल किचन में चली गई. उसने जल्दी ही डिनर तैयार कर लिया. दोनों ही जब डिनर कर रहे थे. तब कोमल के मोबाइल पर डॉ रुस्तम का call आया.
कोमल : हेलो.
डॉ : हा कोमल तुम ठीक हो ना???
कोमल : हा मे तो ठीक हु. क्यों क्या कोई प्रॉब्लम हुई क्या???
डॉ : नहीं प्रॉब्लम तो.... वैसे तुम्हारा आजका दिन कैसा गया.
डॉ रुस्तम ना प्रॉब्लम बता रहे थे. ना कुछ क्लियर बता रहे थे. ये कोमल को भी अटपटा लगा.
कोमल : बात क्या है डॉ साहब सच बताइये.