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Horror किस्से अनहोनियों के

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Meri aur bhi bahot problem hai. Ek bar saya 2 complete ho gai to me is story ko aur bhi jabardast andaz me likh sakungi. Please abhi ise start karne ka pressure mat dena.
:yes1:Ja shetu... jee le apni jindgi👍 tu bhi kya yad karegi kis sayar se pala pada hai :declare:Mai koi pressure nahi dalunga👍
 
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sunoanuj

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Baawri Raani

👑 Born to Rule the World 🌏
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Intresting! 🤔.

Yaar bahot miss kar diya meine vacation ke chalte. Ab jaise jaise time⌚mil raha waise waise padh rahi hun.

Hope iss hafte tak latest update tak pahuch jau. :cool3:
Vesi hi sirf 1 bache ki aur bhi aage story hai. Story ke sath manikarnika ghat ka bhi rahasya hai. Aap ko 100% maza aaega.
 

Baawri Raani

👑 Born to Rule the World 🌏
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Yeh NTTs Komal ke peeche hi pade hai... pehle Jinn 😈👿 aur ab yeh baccha 🧒. Komal bhi toh thodi overconfident hai 😎, kehna sunti nahi kissika.

Aur yeh kya gadbad hai, bhuddhe ne baccho ko pakda hai ya bacche ne buddhe ko... Kaafi pechida maamla hai. 🤔.

Horrific Suspense :cool3:

Update 24


जब कोमल आश्रम पहोची और लेट ते ही वो गहेरी नींद मे चली गई. उसकी नींद भी खुली तो लोगो की आवाज से. उसके कमरे के बहार कुछ 5,6 लोगो के हसीं मज़ाक की आवाज से उसकी नींद खुली. उठते ही कोमल ने घड़ी देखी. 11:30 बज रहे थे. कोमल खड़ी हुई और नहाने धोने चली गई. उसे बलबीर नहीं दिखा.

पर जब वो फ्रेश होकर आई. एक कुल्लड़ मे चाय लेकर बलबीर आ गया. ये देख कर कोमल के फेस पर स्माइल आ गई.


बलबीर : अरे जल्दी लो. गर्म है. फिर ठंडी हो गई तो वो और नहीं बनाएँगे.


कोमल समझ गई की बलबीर जुगाड़ लगाकर कोमल के लिए चाय लेकर आया था. इसी लिए कोमल को बलबीर पर ज्यादा ही प्यार आ रहा था. कोमल चाय पिने लगी. वो दोनों निचे फर्श पर ही बैठ गए. बलबीर कुछ बोलना चाहता है. ये कोमल को पता चल गया. मगर वो किसी चीज के लिए रोकेगा ये भी महसूस हो चूका था.

अब कोमल बस उसे बोलने नहीं देना चाहती थी. वो इंतजार मे थी की बलबीर कुछ बोलने की कोसिस करें.


बलबीर : वैसे मै......


कोमल : तुमने अपने लिए चाय नहीं ली???


बलबीर जो बोलना चाहता था वो नहीं बोल पाया.


बलबीर : नहीं. सिर्फ तुम्हारे लिए. मेने तो सुबह ही पी ली थी.


कुछ देर इंतजार.


बलबीर : मै.....


कोमल : मुजे भूख लगी है. नास्ता????


बलबीर : टाइम देखो. अभी नास्ता मिलेगा. सीधा खाना ही खा लेना. बन चूका होगा.


कुछ देर इंतजार.


बलबीर : वो मै.....


कोमल : डॉक्टर साहब कहा है.


बलबीर एकदम भड़क गया. और तुरत खड़ा भी हो गया.


बलबीर : मेरे सर पर. जाओ बहार है जाओ.


बलबीर गुस्से मे बहार चला गया. और कोमल उसे गुस्सा दिलाकर हस रही थी. कुछ देर बाद कोमल भी बहार आई. बहार पीपल की छाव मे डॉ रुस्तम, पटनायक, सरपंच, बलबीर और 2 डॉ रुस्तम के टीम मेंबर बैठे हुए थे. डॉ रुस्तम ने कोमल को देखा.


डॉ : (स्माइल) अरे आओ कोमल.


एक टीम मेंबर ने एक प्लास्टिक चेयर कोमल को भी दीं.


कोमल : क्या हुआ डॉक्टर साहब. अब मामला कहा तक पहोंचा???


डॉ रुस्तम थोडा मुश्कुराए.


डॉ : (स्माइल) तुम सो रही थी ना. वरना मामला क्या है तुम्हे भी पता चल जाता.


कोमल : क्यों कुछ और भी हुआ क्या???


अब मामला क्या था. वो डॉ रुस्तम ने पूरा बताया.


डॉ : ये तो तुम्हारे जरिये कल ही पता चल गया था की कोई पंडितजी है. जिनकी अस्थिया स्कूल के पीछे ही कही दफ़न है.


कोमल : हा सायद आप ही ने मुजे रिप्लाई किया था.


डॉ : तो सुबह ही हमने पूजा रखी. और पंडितजी को बुलाया.


कोमल : वो आ गए???


डॉ : वो कोई प्रेत नहीं थे. जो परेशान करते. वो सिर्फ एक आत्मा है. दरसल वो खुद ही बात करना चाहते थे. ताकि इन मौत को रोका जा सके.


कोमल : क्या??? मतलब एक आत्मा ही चाहती है की लोग ना मरे.



डॉ : बिलकुल. अब असल कहानी सुनो.

1997 मे पंडीजी ने अपनी जमीन पर एक आश्रम बनवाया. साथ में एक मंदिर भी बनवाया. पर मंदिर कहां है यह पता नहीं. शायद हमसे पूछने में गड़बड़ी हुई है. पंडित जी हमेशा यज्ञ करते रहते हैं. यज्ञ के साथ-साथ वो भंडारा भी करते थे. उस समय यहा गरीबी भी बहुत थी. ऐसा लगता है पंडित जी ने जीवन भर पुण्य ही कमाया है.


कोमल : मगर फिर भी उनकी आत्मा को शांति नहीं मिली.


डॉ : वो इस लिए क्यों की जो वो चाहते थे. वो हुआ ही नहीं. गांव वालों ने सोचा पंडितजी सायद उनका भला कर सकते है. इस लिए सारे मिलकर पंडितजी के पास गए. लोगो ने उनसे बिनती की के आप मंदिर बनवा रहे हो तो एक स्कूल भी बनवा दो. तब जाकर पंडितजी ने स्कूल के लिए अपनी एक जमीन का बड़ा टुकड़ा दान कर दिया.

उस वक्त मंदिर सायद बन रहा था. पंडितजी चाहते थे की स्कूल और मंदिर दोनों का कार्य सफल होगा तो वो एक और भंडारा करेंगे. मगर रात ही उनका देहांत हो गया. गांव वाले मानते थे की उनकी हत्या हुई. लेकिन पंडितजी कहते है की उनका समय पूरा हो चूका था.


कोमल : साला लोगो को बस बहाना चाहिये. खुद ही स्टोरी बना देते है. लेकिन एक बात समझ नहीं आई. जब उनका समय पूरा हो चूका था तो उनकी आत्मा यहाँ क्यों है.


डॉ : मै एक सात्विक पुजारी हु. इस लिए थोडा जानता हु. ऊपर जाना ना जाना ये आत्मा की मर्जी होती है. या ये अपने आप को ऊपर वाले को सोपना चाहते है या नहीं. अमूमन सब ऊपर ही जाना चाहते है. बस कोई ही आत्मा ऐसी होती है जो ऊपर वक्त के बाद भी नहीं जाती.

वो और मुद्दा है. तुम मेंइन बात सुनो. वो तो मर गए. लेकिन उस से पहले स्कूल और मंदिर के लिए उस वक्त के मुखिया को दान का पैसा दे चुके थे. उनकी ख्वाइश थी की दोनों कार्य को देख कर ही ऊपर जाए.

मगर मंदिर कहा बना ये किसी को पता नहीं. स्कूल भी बनाया तो गलत वास्तु से. नतीजा दो मंज़िला स्कूल में नुस्क रहे गया. ऊपर पानी की टंकी से चु चाते पानी से छत का एक हिस्सा कमजोर पड़ गया.

स्कूल की छत गिरी और 34 बच्चे दब के मर गए. अब ज्यादा नहीं पता लग सका. क्यों की आत्मा को ज्यादा देर रोका नहीं जा सकता.


कोमल : तो क्या दिन मे ही सारा सेटअप किया.


डॉ : नहीं. सब सात्विक. पर यहाँ एक अफवाह और है.


कोमल : वो क्या???


डॉ : सुबह सुबह गांव के मुखिया ने बताया की कोई दिन दयाल है. उसकी बेटी कुछ 19, 20 साल की है. उसके अंदर कोई माता आती है. और वो सब लोगो की मदद भी करती है. कोगो के सवालों के जवाब देती है. बहोत कुछ अच्छा ही करती है. मै मुखिया को लेकर उनके वहां ही पहोच गया. मुजे सक था. मेने पूजा की.

मगर मामला कुछ और ही निकला. उसमे कोई देवी नहीं खुद पंडितजी ही आते थे. लोग उन्हें भगवान समाझते थे. और वो निकले अपने पंडितजी.


कोमल : साला लोग अंध श्रद्धांलू भी बहोत है. पर क्या ऐसे कोई भगवान इंसान के शरीर में आते है???


डॉ : बहोत ही काम. ज़्यादातर कुल देवी और कुल देवता ही आते है. मगर 0.01%. मगर लोगो के पुरखो का आना होता है. जिसे लोग देवी देवता मान लेते है. क्यों की पास्ट फ्यूचर बताने से लोग एक्साइट हो जाते है. लोगो के काम निकल जाते है तो लोग उन्हें भगवान समझने लगते है. अरे भगवान को बुलाना इतना आसान है क्या...


कोमल : उफ्फ्फ... साला कौन फ्लोड कौन सही क्या पता.


डॉ : बात सही कहे रहे हो. इस लिए तो हमारी गवर्नमेंट हमें सपोर्ट नहीं करती. जब की इंग्लिश कंट्रीज तो स्पेशल बजट देती है. पैरानॉइड इन्वेस्टिगेशन को.


कोमल : वाओ....तो क्या बताया पंडितजी ने.


डॉ : मुखिया ने बताया की आप के बारे में जिसे माता आती है. उसने ही बताया. और नंबर भी दिया. वरना वो कहा मुजे जानता था.


कोमल : ये हैरान करने वाली बात है. मतलब की आप कोई और स्टेट मे रहे रहे हो. यहाँ से कोई तालुक नहीं. मगर किसी ने आप को बुलाया. बिना लिंक के.


डॉ : बिलकुल सब सुपरनैचुरल पावर है. पंडितजी ने इतनी ही जानकारी दीं. जो मै बता चूका हु. अब हम रुकने वाले है. क्या तुम रुकोगी???


कोमल : रुकना तो चाहती हु. पर काम है. इस लिए जाना पड़ेगा. कुछ केस की डेट है. मै आज बलबीर को लेकर निकल जाउंगी. कुछ होगा तो call कर देना. मै आ जाउंगी.


डॉ : वैसे कुछ होगा तो call कर दूंगा.


कोमल : वैसे ये पंडितजी का नाम क्या था.


डॉ : राम खिलावान उपाध्याय.


कोमल ने शाम की फ्लाइट पकड़ी और बलबीर को लेकर एयरपोर्ट पहोच गई. एयरपोर्ट पर चेक इन के बाद फ्लाइट के लिए दोनों ही वेट कर रहे थे. कोमल कॉफ़ी लेने के लिए गई. तब वहां पर एक मोटी महिला बलबीर के पास से गुजरी. वो 50 के आस पास की उम्र दराज महिला थी.
उस महिला ने बलबीर के पाऊ पर गलती से पाऊ रख दिया.

बलबीर : ससस अह्ह्ह....


शुक्र था की बलबीर ने जूते पहने हुए थे. उसे बस हलका सा दर्द हुआ बस. पर बलबीर ने फिर भी उस महिला को ही सँभालने की कोसिस की. कही वो बेलेंस बिगड़ने से गिर ना जाए.


महिला : ओह्ह सॉरी.... I am so sorry....


बलबीर : अरे कोई बात नहीं.


वो महिला खुश भी हुई और हैरान भी रहे गई. क्यों की कोई और होता तो कुछ ना कुछ जरूर बोलता. मगर बलबीर ने तो उल्टा फिर भी हेल्प ही की. शुक्र था की कोमल वहां नहीं थी. ऐसे मौके पर तो वो फाड़ के खा जाती. एयरपोर्ट के कैमरा के फुटेज का इस्तेमाल कर के मान हानि का दावा ठोक देती. मगर बलवीर ने बड़ा दिल दिखाया.


महिला : Can I sit here???


बलबीर को बस हाथ के हिसारे से पता चला की वो बैठना चाहती है.


बलबीर : हा हा बैठिये.


वो महिला उसके पास ही बैठ गई. वो मोटापे की वजह से थकान महसूस कर रही थी.


महिला : you are a good human being.


अब कोमल ने तो बलबीर के मजे लेने के लिए पट्टी पड़ा रखी थी. रायता फेल गया. बलबीर ने दूर स्टाल कैफ़े पर खड़ी कोमल की तरफ हिशारा किया.


बलबीर : वो वो मेरी गर्लफ्रेंड है.


वो महिला समझ गई की बलबीर भोला है. और उसे इंग्लिश नहीं आती. वो मुश्कुराई.


महिला : (स्माइल) तो गर्लफ्रेंड को कहा घुमा लाए???


बलबीर : नहीं नहीं. मेने टिकिट नहीं ली. उसी ने ली है.


महिला सोच में पड़ गई. सवाल से जवाब मेल नहीं खाया.


महिला : तो फिर क्या हुआ????


बलबीर : वो गर्लफ्रेंड के साथ बॉयफ्रेंड की टिकिट फ्री होती है ना.


महिला को हसीं आ गई.


महिला : तुम्हे ऐसा किसने कहा???


अब बलबीर की तो इस लिए फट रही थी. कही दूसरी टिकिट के पैसे ना देने पड़े.


महिला : (स्माइल) वो मज़ाक कर रही है तुमसे. मामू बनाया तुमको. चलो मै चलती हु.


महिला तो चली गई. अब बलवीर का दिमाग़ घूम गया. कोमल ने आती वक्त किस किस से बलबीर को क्या क्या बुलवाया था. एयर होस्टेस सिक्योरिटी ऑफिसर. बलवीर ने स्टॉल कैफे की तरफ देखा. मगर कोमल नहीं थी. वो मन में सोचने लगा. कोई बात नहीं.

आएगी तो यही. पर जब कोमल आई. बलबीर सारा गुस्सा ही भूल गया. क्यों की कोमल चेंज कर के आई थी. और उसी ड्रेस में आई जो बहोत छोटा था. जिसमे कोमल को देख कर बलबीर बाहेक गया था. 2 दिन हो गए थे. दोनों ने आपस मे प्यार नहीं किया था.

कोमल ने इसी लिए बलबीर को उकसाने की तैयारी शुरू कर दीं थी. वो दोनों फ्लाइट से अहमदाबाद पहोच गए. रात जी भर कर प्यार भी हुआ. दिन बदला. घर का माहोल बहोत बढ़िया. कोमल को उठते ही बलबीर ने सब कुछ प्रोवाइड करा दिया. चाय नाश्ता सब बलवीर ने रेडी कर दिया था. कोमल बहोत खुश भी हुई.

वो नहाना धोना नाश्ता सब कर के एक मीटिंग के लिए गई. कुछ एडवोकेट्स के साथ मीटिंग थी. जिसमे वो एडवोकेट्स को लीगल एडवाइस देनी थी. कार बलबीर ही ड्राइव कर रहा था. लेकिन कोमल को महसूस हुआ बलबीर ठीक से ड्राइव नहीं कर रहा है.

वो बाते करते बार बार कोमल की तरफ देखने लगता. और 2 बार कार किसी ना किसी से ठुकते हुए बची. कोमल ने बलबीर को डाट भी दिया. जो की कभी नहीं करती थी.


कोमल : बलबीर क्या कर रहे हो.. प्लीज आगे ध्यान दो और ठीक से चलाओ.


बलबीर चुप हो गया. उसे बुरा इस लिए नहीं लगा की कोमल ने डाट दिया. उसे बुरा इस लिए लगा की उसने कोमल को नाराज कर दिया. पर कमल ककी मीटिंग बहोत शानदार रही है. मीटिंग के दौरान सभी एडवोकेट्स कोमल से बहोत प्रभावित हुए. कोमल ने किसी एडवाइस का तो 2000 तो किसी एडवाइस का 5000 तक चार्ज किया.

कोमल ने तक़रीबन 22000 से 25000 रूपय कमाए. उसके बाद खुद के केस की भी डेट थी. परफॉर्मेंस काफी शानदार रहा. और कोमल को कुछ में तो नतीजे भी उसकी तरफ मिल गए. पेमेंट वहां से भी आई. कोमल बहुत कॉस्टली एडवोकेट थी. उसे तक़रीबन 55000 की अमाउंट मिली. कोमल घर जाना चाहती थी.

क्योंकि वह थक गई थी. लेकिन जिस कंपनी के साथ लीगल एडवाइस की डील हुई थी. उस कंपनी ने कोमल को call किया. कोमल जानती थी की एक ही एडवाइस देने से उसके 10,15 हजार खड़े हो जाएंगे.

कोमल पेसो को आने से कभी ना नहीं बोलती थी. नतीजा वो बलबीर को लेकर वहां पहोच गई. कंपनी का MD कोई Mr पटेल था. मीटिंग के दौरान उसने बताया की वो अपनी प्रोडक्ट का प्रोडक्शन 4 छोटी कंपनी से करवाता है. लेकिन एक कंपनी के वर्क कोरोना स्ट्राइक कर दी. जिसकी वजह से उसके प्रोडक्शन में कमी आएगी.

और मार्केट में उसके माल की खपत हो सकती है. कोमल ने सारी बाते बड़ी ध्यान से सुना. न्यूज आर्टिकल्स पढ़े. और बड़ी स्टाइल में उसे अखबार की कटिंग को फेकते हुए बोली.


कोमल : मार्केट में अपने शहर का स्टॉक रेट क्या है???


Mr patel ने रेट बताया.


कोमल : आप अपना स्टेटमेंट जारी करिए. उस कंपनी को वार्निंग दीजिए. उन वर्कर्स की मांग को मान ले. वरना आप उश कंपनी के साथ हुई सारी डील तोड़ देंगे. शाम तक आप अपने स्टॉक रेट को देख कर हैरान हो जाओगे.


Mr patel हैरान रहे गया कोमल की बात सुनकर. वो तुरंत ही call कर के प्रेस कॉन्फ्रेंस को बुलाता है. कोमल उसकी ऑफिस में बैठकर चिप्स खाते हुए टीवी पर खेल देख कर मुस्कुरा रही थी. दोपहर 2 बजे की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने मार्केट में हल्ला मचा दिया.

Mr patel वापस अपनी ऑफिस में आए. और दोनों ही शेयर मार्केट के उतार चढाव को देखने लगे. कोमल का अंदाजा बिलकुल गलत नहीं था. शाम को मार्केट बंद होने से पहले Mr patel की कंपनी ने जबरदस्त उछाल मारा. Mr Patel तो पागल ही हो गए.

उनकी कंपनी को पब्लिसिटी और सिंपैथी दोनों ही मिली. Mr patel ने बिलकुल देरी नहीं की. और तुरंत ही 1 लाख का चैक काट दिया. कोमल भी अड़ गई की उसे पुरे 2 लाख मिलने चाहिये. क्यों की सुबह और बड़ा उछाल देखने को मिलेगा. साथ ही एक फ्री एडवाइस और दीं. उसकी प्रोडक्शन करने वाली कंपनी वर्कर्स के डिमांड मान लेगी. आपका प्रोडक्शन बढ़ जाएगा.

आपको एक से दो कंपनी और अपने साथ जोड़ना होगा. Mr patel ने तुरंत दूसरा 2 लाख का चैक काट दिया. कोमल खुश होकर बहार आई. बलबीर बेचारा बहार केतली पर चाय पी रहा था. कोमल को देखते ही वो तुरंत कोमल के पास पहोच गया. कोमल खुश थी.

अपने दोनों हाथो की माला बलबीर के गले में पहनाते उसकी बाहो में चली गई. देखने वाले हैरान थे की एक ड्राइवर पर इतनी पावरफुल फीमेल कैसे प्यार बरसा रही है.


कोमल : (स्माइल) आज तो भगवान थप्पड़ फाड़ कर दे रहे हैं. चलो मम्मी के घर. बच्चों से मिलकर आते हैं.


वह दोनों कोमल की मम्मी के घर जाने के लिए निकल गए. लेकिन अच्छे के साथ बुरा भी हो रहा था. कर ड्राइव करते बालवीर से एक्सीडेंट हो गया. किसी को बचाने के चक्कर में बालवीर ने कर को विच डिवाइडर पर चढ़ा दिया. दोनों में से किसी को नुकसान तो नहीं हुआ. मगर कर का बड़ा नुकसान हुआ.

बालवीर कोमल को लेकर झट से नीचे उतर गया. फ्यूल टैंक फट गया था. कर में आग पकड़ ली. वह दोनों हैरान रह गए. उन्हें कोई चोट नहीं थी. थोड़ी बहुत पुलिस कार्रवाई हुई. और वह दोनों घर आ गए. बालवीर बहुत परेशान था. उसने कोमल की कर बर्बाद कर दी

लेकिन कोमल फिर भी रिलैक्स थी. उसने बालवीर को कुछ भी नहीं बोला. बालवीर हैरान था. उसे अफसोस हो रहा था. उसने कमल का नुकसान जो कर दिया था. पर कोमल भी एक वकील थी. कोमल इंश्योरेंस कंपनी पर क्लेम करने में बिल्कुल देरी नहीं की.


बलबीर : सॉरी मुझसे तुम्हारा बहोत बड़ा नुकशान हो गया.


कोमल : उसके फ़िक्र मत करो. पैसा तो और कमा लेंगे. लेकिन आज तुम्हें हो क्या गया. तुम्हारी ड्राइविंग तो एकदम परफेक्ट है. आज गलती कैसे हो रही थी. क्या कोई प्रॉब्लम तो नहीं तुम्हें???


बलबीर : नहीं पता नहीं मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा है.


कोमल कोई बात नहीं.


बलबीर : गाड़ी कितने की थी???


कोमल : ससससस ऑफ़ फो.. ये बोलो की अब नइ कार हम कितने की ख़रीदे. और यह तुम अफसोस करना बंद करो. तुम रोते हुए कार्टून लगते हो.


बोल कर कोमल किचन में चली गई. उसने जल्दी ही डिनर तैयार कर लिया. दोनों ही जब डिनर कर रहे थे. तब कोमल के मोबाइल पर डॉ रुस्तम का call आया.


कोमल : हेलो.


डॉ : हा कोमल तुम ठीक हो ना???


कोमल : हा मे तो ठीक हु. क्यों क्या कोई प्रॉब्लम हुई क्या???


डॉ : नहीं प्रॉब्लम तो.... वैसे तुम्हारा आजका दिन कैसा गया.


डॉ रुस्तम ना प्रॉब्लम बता रहे थे. ना कुछ क्लियर बता रहे थे. ये कोमल को भी अटपटा लगा.


कोमल : बात क्या है डॉ साहब सच बताइये.

A

Update 24B


डॉ रुस्तम ने जो बताया वो होश उडाने वाला था.


डॉ : कोमल छत गिरने से जो 34 बच्चे मरे थे. उनमे से एक की आत्मा वहां नहीं है.


कोमल : (सॉक) तो वो कहा गई???


डॉ : वो तुम ले आई बेवकूफ. मेने पहले ही कहा था की उनसे डील मत करो.


कोमल : पर ऐसा कैसे हो सकता है. मेरे घर तो ऐसा कुछ फील नहीं हो रहा.


डॉ : क्यों की मेने बलबीर को जो किले दीं थी. वो किसी को भी घर मे अंदर आने नहीं देगी. वो बहार ही है.


कोमल ये सुन कर हैरान हो गई.


डॉ : अब बताओ आज का दिन कैसा रहा????


कोमल : मेरा दिन तो...... अच्छा ही रहा. मेरा बहोत प्रॉफिट भी हुआ. दिन में ही 3 लाख के ऊपर इनकम हुई.


डॉ : क्यों की वो बच्चा तुम्हे पसंद करता है. तभि वो तुम्हारा फायदा करवा रहा है. मगर वो तुम्हे अपने साथ लेजाना चाहता है. इस लिए वो तुम्हे किसी ना किसी तरह मरने की भी कोसिस करेगा. ताकि तुम्हारी सोल भी उनके साथ हो जाए.


ये सुनकर कोमल का दिमाग़ चकरा गया. क्यों की उसके और बलबीर के साथ कई एक्सीडेंट हुए. कई होते होते बचें.


कोमल : हा मेरे साथ एक्सीडेंट के भी केश हुए है. मै और बलबीर मरते मरते बचें है.


डॉ : कोमल वो सारे लोग जो स्कूल के अंदर सुसाइड अटेम्प्ट कर चुके है. उसे पंडितजी ने नहीं बल्की बच्चों ने ही करवाए है. पंडितजी तो उन्हें बचाना चाहते थे.


कोमल के लिए ये भी सॉक देने वाली खबर थी.


कोमल : (घबराहट) डोंट वरी. मै मै मै मॉर्निग मे ही आ रही हु.


डॉ : बलबीर को भी अपने साथ लेकर आना.


फोन कट हो गया. कोमल की तो नींद ही उड़ गई. कोमल ने सारी बाते बलबीर को बताई. कोमल ने फ्लाइट की टिकिट भी बुक कर दीं. पर वाया दिल्ली होने के कारण टिकिट महंगी भी पड़ी. सुबह होते ही दोनों टाइम पर निकल गए.


कोमल ने बलबीर को पूरी बात बता ही दीं थी. पर इस बार बलबीर का मज़ाक करने का मूड होने लगा.

बोर्डिंग पास लेने के बाद दोनों फ्लाइट का वेट कर रहे थे. कोमल बड़ बड़ा रही थी.


कोमल : साला इतनी महंगी टिकिट. इतने में तो इंसान साला लंदन पहोच जाए. लूट ते है साले.


बलबीर : मे जाके बोलू तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो.


कोमल : दिमाग़ मत ख़राब करो. चुप चाप बैठो. आए बड़े. उस दिन तो फट रही थी.


बलबीर : तो एक कम करें. तुम जाकर बोलो वो मेरे पति है. कही सस्ता कर दे.


कोमल भड़क गई.


कोमल : अच्छा... मै तो बोल दूंगी. और ये भी बोल दूंगी की हनीमून पर जा रहे है. तुम बोल पाओगे??? हम्म्म्म बोलो. थोड़ासा चिपकती हु तो तुम्हे शर्म आने लगती है.


बलबीर चुप चाप मुँह घुमाकर हस रहा था. और कोमल बोले ही जा रही थी. कोमल थक गई तो चुप हो गई. इसी का तो बलबीर वेट कर रहा था.


बलबीर : अच्छा वो ड्रेस तो लाई होना.


सुन ने के बाद पर समझने से पहले कोमल घूम गई. और फुकरते ते चहेरे से कुछ बोलने ही वाली थी. वॉर्निंग देने के लिए एक ऊँगली भी उठा दीं. पर बहोत जल्दी समझ आ गया की बलबीर ने बोला क्या है. कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. और वो शर्मा के दूसरी तरफ देखने लगी.


बलबीर : (स्माइल) हम्म्म्म बोलो??? अरे ली या नहीं???


कोमल सर निचे किये बहोत धीमे से बोली.


कोमल : (शर्माना) नई ले लेंगे???


बलबीर : हम्म??? क्या कहा???


कोमल जैसे ताकत लगाकर बोल रही हो. पर आवाज तो बस थोड़ी ही निकली. बोलते हुए आंखे भी बंद हो गई. और स्माइल और ज्यादा डार्क हो गई.


कोमल : (स्माइल शर्माना) अरे...... नई ले लेंगे.... अब चुप रहो.


दोनों ही चुप हो गए. कोमल तो नजरें बार बार घुमाकर कही और देखने की कोसिस करती. पर उसे पता था. बलबीर उसे ही देख रहा है. वो शर्मा कर हस पड़ी और सीधा बलबीर की बाहो मे. पर तब तक फ्लाइट का अनाउंसमेन्ट हो गया. कोमल और बलबीर 11:30 तक इलाहबाद पहोच गए. ठीक वैसे ही वही मिनिबस के जरिये वो उस आश्रम तक भी पहोच गए. बस से उतारते ही कोमल डॉ रुस्तम से बहार ही मिली.


डॉ : अच्छा है तुम जल्दी पहोच गई.


कोमल : सर और कुछ पता चला???


डॉ : हम शाम को एक बार फिर पंडितजी से बात करने की कोसिस करने वाले है. तब तक तुम थोडा आराम करो.


कोमल : सर आपने बताया की पंडितजी ने मंदिर बना लिया था. पर वो मंदिर कहा है ये पता नहीं चला.


डॉ : यही तो माइन बात है. मंदिर का पता चलना बहोत जरुरी है. कही कोई कड़ी आपस मे जुडी हुई है.


कोमल : और पंडितजी ने स्कूल के लिए जमीन दान की थी. ना की स्कूल बना के दिया.


डॉ : सिर्फ जमीन ही नहीं दान दीं स्कूल बनवाने के लिए पैसा भी दान दिया है. खेर शाम को ही पता चलेगा.


डॉ रुस्तम जाने लगे. पर कोमल के सवाल ख़तम नहीं हुए.


कोमल : सर सर सर... आप बता रहे थे की वो सारे सुसाइड एटम पंडितजी ने नहीं बच्चों ने ही करवाए है???


डॉ : कोमल प्लीज... शाम को कुछ ना कुछ पता चल ही जाएगा कोमल. तुम प्लीज थोड़ी देर रेस्ट कर लो. हो सकता शाम को पता चल जाए.



डॉ का दिमाग़ इस लिए ख़राब हो रहा था. क्यों की कोई तो था जो फ्लोड कर रहा था. वो अपने रूम मे चले गए. लेकिन कोमल तो खुद एक वकील थी. मुजरिम कौन होगा उसे पकड़ने की चूल उसमे ज्यादा मचने लगी. कोमल को भी शाम का इंतजार था.
 

Baawri Raani

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Yeh Deen Dayal kaafi kamina 🤨 hai... kahani toh batayi usne lekin ... kitni sach woh mujhe doubt hai.

Aur bacche bhoot 🎃 bankar aur bhi unpredictable ho gaye hai.

Aur yeh mandir 🛕ka kya raaz hai?

Mamla Dr. Rustom :einsteink: ke bass se bahar ka hai. Lifesaver daayi maa 👵 ko bulana hi pada.

Lekin Komal ko sabr nahi. Case solve karne ka keeda 🪱 hai. Dekhte hai woh baat sambhalti hai ya bigaadti hai.. :cool3:

A

Update 25

शाम हो चुकी थी. कोमल और बलबीर आश्रम के ही रूम में निचे ही बैठे हुए थे.


कोमल : बलबीर एक चीज समझ नहीं आई. डॉ साहब कभी बोलते है मंदिर बन रहा था. कभी बोलते है मंदिर बन चूका था. बात कुछ समझ ही नहीं आई.


बलबीर : पर मंदिर भी है कहा. और वो पंडितजी की समाधी बता रही थी स्कूल के पीछे है. पर है भी या नहीं क्या पता.


कोमल : तुम एक काम करो. हम वहां उस दिन दयाल के घर जाएंगे. तुम मंदिर ढूढो..


तभि एक लड़का डोर तक आ गया. कुछ 5 साल के आस पास का था.


लड़का : वो डॉ साहब आप को बुला रहे है.


कोमल तुरंत उठी और बलबीर को देखने लगी.


कोमल : मै जा रही हु.


कोमल बहार निकली और जैसे ही वो दूसरी साइड मूड रही थी वो लड़का उसे फिर पुकारता है.


लड़का : वहां नहीं. उस तरफ.


वो लड़का स्कूल के तरफ हिशारा कर रहा था. कोमल उस लड़के के पीछे चल पड़ी.


कोमल : क्या तुम जानते हो स्कूल के पास कही मंदिर है???


लड़का : हा वो तो वही है.


तभि उसे पीछे से बलबीर पुकाते भाग के आया.


बलबीर : कोमल..... कोमल.....


कोमल रुक गई और पीछे देखने लगी. बलबीर भाग के उसके पास आया और खड़ा हो गया.


बलबीर : (हफ्ते हुए) डॉ साहब तुम्हारा कब से इंतजार कर रहे है. तुम यहाँ कहा जा रहे हो.


कोमल हैरान रहे गई. उसने घूम कर उस बच्चे की तरफ देखा. मगर वो बच्चा वहां नहीं था.


कोमल : वो लड़का????...


बलबीर : कोनसा लड़का????


कोमल : अरे वही जो मुजे बुलाने आया था.


बलबीर को मामला समझ में आ गया. और वो कुछ बोले बिना कोमल का हाथ पकड़ कर उसे लेजाने लगा. कोमल को जबरदस्त सॉक लगा. वो लड़का आखिर था ही कौन. वो ज्यादा आगे नहीं गए थे. इस लिए वापस आश्रम तुरंत पहोच गए. डॉ रुस्तम सामने ही खड़े थे. वो भी कोमल को स्कूल की तरफ वाले रास्ते से आते देख हैरान रहे गए.


डॉ : तुम वहां कहा चली गई थी.


कोमल सारी बात बताती है की कैसे उसे एक बच्चा बुलाने आया था. वो भी डॉ रुस्तम के नाम से. मगर हैरानी की बात ये थी की वो लड़का सिर्फ कोमल को ही दिखाई दे रहा था. बलबीर को नहीं.


डॉ : शुक्र करो की तुम बच गई. वो तुम्हे स्कूल लेजा रहा था. वही सुसाइड करवाने.


कोमल और बलबीर पूरी तरह से हिल गए.


डॉ : कोई बात नहीं. अब मेरे साथ चलो. हमें पंडितजी से कॉन्टेक्ट करने की कोसिस करनी होंगी.


कोमल और डॉ रुस्तम मुखिया के साथ दिन दयाल के घर पहोच गए. साथ एक और डॉ रुस्तम की टीम का मेंबर भी था. दिन दयाल तो मुखिया और डॉ रुस्तम को देख के हाथ जोड़ने लगा. मगर उसकी बूढी माँ खटिये पर पड़े पड़े गालिया देने लगी. देखने से ही पता चल रहा था की बुढ़िया सिर्फ जिन्दा है. वो ज्यादा बूढी थी.

ना उठ सकती थी. ना बैठ सकती थी. बस जैसे कोई हड़पिंजर हो. जो वो बोल रही थी किसी को समझ नहीं आ रहा था. बस कुछ शब्दो के सिवा. मदरचोद आ गए. और भी गालिया थी. कोमल और बाकि सारे घर के अंदर गए. घर पुराने ज़माने का ही था.

जैसे गांव में सजावट बर्तनो से होती है. वैसा ही. दिन दयाल भी कोई 40,45 साल का ही लग रहा था. उसने सब को बैठने के लिए खटिया का ही इंतजाम किया.


मुखिया : कहा है बिटिया????


दिन दयाल : आ रही है.


कोमल घर में चारो ओर बैठे बैठे नजर घुमा रही थी. उसने एक बड़े से फोटो को देखा. जिसपर हार चढ़ा हुआ था. वो किसी व्रत पुरुष की ही फोटो थी. कोमल का वकील दिमाग़ छान पिन करने लग गया.


कोमल : वो किसकी फोटो है???


डॉ रुस्तम भी हैरान रहे गए.


दिन दयाल : वो मेरे पिताजी है. उनका देहांत हो गया.


कोमल : कितना वक्त हो गया.


दिन दयाल : कुछ 10 साल हुए होंगे.


कोमल : आप की माँ भी ज्यादा बूढी हो गई है. और आप की बाई टांग में भी तकलीफ है.


दिन दयाल : हा वो पता नहीं क्यों कोई बीमारी लग गई है.


यहाँ डॉ रुस्तम को डर लगने लगा कही कोमल के सवालों से चिढ़कर कही दिन दयाल कोपरेट करना ना छोड़ दे. पर कोमल जैसे तहकीकाद कर के ही मानेगी.


कोमल : आप की सिर्फ एक ही बेटी है??? कोई और बच्चे नहीं है.


दिन दयाल : जी वो एक बेटा है. बहार पंजाब में काम करता है.


कोमल : कितने साल का हे वो??? क्या शादी हो गई उसकी???


दिन दयाल बोल नहीं पाया. पर मुखिया ने दिन दयाल के लिए वेदना जता दीं.


मुखिया : दो बेटे तो भगवान के पास चले गए. जवान थे बेचारे. बीमारियों से ही गुजर गए. अब छूटके को बेचारा कहा रखता.


कोमल : कितनी अजीब बात हेना. आप की बेटी दुनिया के दुख दर्द दूर करती है. और आप ही के घर...


कोमल बोल के चुप हो गई. पर वो शक वाली निगाहो से दिन दयाल को देख रही थी. कोमल की बात भी गलत नहीं थी. लेकिन डॉ रुस्तम का दिमाग़ भी तुरंत खटका.


कोमल : कुछ तो छुपा रहे हो दिन दयाल जी. कोई बात है तो बता दो.


दिन दयाल का तो चहेरा ही जैसे उनके सॉक लगा हो. पर तभि एक 19,20 साल की लड़की आकर खड़ी हो गई. एकदम दुबली पतली. गांव का ही सिंपल ड्रेस पहना हुआ था. चेहरे पर कॉन्फिडेंस की कमी थी.


दिन दयाल : जी ये मेरी बिटिया है. सोनल..


डॉ रुस्तम ने तुरंत मुखिया को देखा..


मुखिया : आओ बेटियां यहाँ बैठो..



उसे लड़की को नीचे फर्श आसान बेचकर बैठाया गया. डॉ रुस्तम भी उसके सामने नीचे बैठ गए. उन्होंने अपनी टीम मेंबर को इशारा किया. वो टीम मेंबर सारा इंतजाम करने लगा. एक बैग से पूजा का सारा सामान निकालने लगा. धीरे धीरे सारा सेटअप हो गया.

कोमल उम्मीद कर रही थी की जैसे पलकेश के केस में एंटी टी बहोत लेट आई थी. वैसे यहाँ भी टाइम लगेगा. पर इतना टाइम लगा ही नहीं. उस पूजा की प्रोसेस से पहले ही उस लड़की ने झटका मारा. एकदम से सर गोल घुमाया और बाल आगे.


लड़की : तुम्हे एक बार बता दिया बात समझ नहीं आती क्या. जाओ पहले मदिर को खोलो.


लड़की का रूप बदलते सब से पीछे बैठे मुखिया जी तुरंत बोल पड़े.


मुखिया : जई हो माता की. सब का भला करना माँ...


कोमल जानती थी की वो माता नहीं है. पर पंडितजी भी है या नहीं. उसे तो उसपर भी शक था.


डॉ : पर मदिर है कहा पर.


कोमल को वो फ्लोड लगा. कोमल के फेस पर एक छुपी हुई स्माइल आ गई. जो उस लड़की ने देख ली. वो कोमल की तरफ फेस करती है.


लड़की : अभी अभी तेरी जन जाते बची है. और फिर भी तू हस रही है मुझपर. हसले हसले. वो तुझे तलब में डुबो देता तब तू क्या करती.


ये सुनकर कोमल का ही नहीं डॉ रुस्तम भी हैरान हुए. पर उन्हें आदत थी. कोमल खुद सवाल करने लगी.


कोमल : क्या आप पंडितजी हो.


वो लड़की किसी बड़े आदमी के जैसे देख कर हसने लगी.


लड़की : मेने 4 सालो से उन बच्चों को बहार नहीं जाने दिया. मगर तू खुद 2 बच्चों को बहार ले गई. लेकिन कब तक बचेगी. वो तुझे लेजाए बिना मानेंगे नहीं.


कोमल ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा. जैसे पूछने की परमिशन मांग रही हो. उन्हें भी कोमल पर भरोसा होने लगा. वो हा में गर्दन हिलाते है.


कोमल : पंडितजी जब तक हमें शुरू से नहीं पता चलेगा. हम कैसे उस मंदिर को ढूढ़ पाएंगे. प्लीज आप हमें पूरी बात बताओ.


लड़की(पंडितजी) : ये लड़की मुजे ज्यादा नहीं झेल सकती पर सुन.


जिसका तूने अभी अभी फोटू(फोटो) देखा. वही है. सकुल(स्कूल) उसी ने बनवाया. पर पैसा खा गया. गलत बनाई सकुल( स्कूल). अब भुगतना तो था ही. नाम दयाल लालची था. पर भुगता ही ना. बेटे उसी चक्कर मे मरे. बेटी पागल हो गई. बुढ़िया मरने वाली है. बेटे का भी नंबर आने वाला है.


बोलते ही लड़की गिर के बेहोश हो गई. अब कोमल को सिर्फ कड़ी दिखाई दीं तो वो था दिन दयाल. कोमल तुरंत खड़ी हुई. उनके रूम के बहार घुंघट में खुश औरते खड़ी थी. सब तो माता से मिलने के चक्कर में आई थी. पर दरवाजे से ही देख रही थी. कोई भी अंदर नहीं आई.

दिन दयाल ने हिशारा किया. दो औरते अंदर आई और उस लड़की को ले गई. मगर कोमल ने दिन दयाल की तरफ देखा.


कोमल : अब भी बता दो चाचा. कही ऐसा ना हो की...


कोमल बोलना चाहती थी की आप से पहले आप की औलादे मर जाए. पर किसी को ऐसा बुरा नहीं बोलना चाहिये. इस लिए वो रुक गई. दिन दयाल की आँखों से अंशू निकल गए. डॉ रुस्तम को एहसास हुआ की कोमल को चुन कर उसने कोई गलती नहीं की.

पर ये भी एहसास हुआ. इस लाइन में आते ही कोमल की जान को खतरा भी हो सकता है. सभी उस रूम से बहार निकले. और बहार चौखट के सामने ही खटिया डाल कर बैठ गए. दिन दयाल जैसे कुछ बताना चाहता था. पर कई सालो से उसके अंदर राज हो. उसने एक लम्बी शांस ली. और बताया.


दिन दयाल : मेरे पापा से एक गलती हुई थी. वो पंडितजी के साथ आश्रम में ही सेवा करते थे. पंडितजी का इंतकाल हुआ उसके बाद सब वो सँभालने लगे.


डॉ : क्या नाम था तुम्हारे पिताजी का???


दिन दयाल : नामदयाल. वहां जहा स्कूल है. वहां की जमीन पंडितजी ने ही दान की. मंदिर भी वही है.


ये सुनकर कोमल, डॉ रुस्तम ही नहीं मुखिया को भी गुस्सा आया.


मुखिया : दिनु... तू सब जानता था तो पहले ही बता देता. देख कितने लोग मर गए. तेरे बेटे भी.


दिन दयाल रो पड़ा. जिसे डॉ रुस्तम ने शांत करवाया. और सब को चुप रहने का हिसारा किया. दिन दयाल की हालत ठीक हुई. तब उसने बताना शुरू किया.



दीनदयाल : मेरे तीन बेटे और एक बेटी थी. जिसमें अब एक बेटा और बेटी ही बच्चे हैं. दो बेटे बीमारी में मर गए. धीरे-धीरे मेरे पांव को लकवा मारने लगा.

मेरी मां भी बहुत ज्यादा बीमार रहती है. तू पागल हो गई. मैं बहुत परेशान था. मैं सोच रहा था कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है. पर एक बार सपने में पंडित जी आए. बोल तेरा बाप कैसा खा गया. गलत स्कूल बनाया. अब तेरा बेटा भी मारेगा. तेरी बेटी और ज्यादा पागल हो गई. तेरी बेटी भी धीरे-धीरे मर जाएगी. तेरी मां भी ऐसे ही मरूंगी तड़प तड़प कर. फिर बारिश तेरी आएगी.


में परेशान हो गया. ये जानकर. ये मेरे साथ ऐसा क्या हो रहा है. पर एक दिन रात 12 बजे अचानक मेरी बेटी नींद से उठकर बैठ गई. और जोर जोर से चिलाने लगी.


बेटी : दीनदयाल... दीनदयाल.


मै हैरान रहे गया. वो अपने बाप को नाम से कैसे बुला सकती है. मै उसके पास गया. उसकी सकल देख कर ही मै डर गया.


बेटी : कल छत गिर जाएगी. बच्चे मर जाएंगे. जा बचा ले उन्हें. जा जल्दी जा.


वो बोल कर बेहोश हो गई. मै समझ ही नहीं पाया की कोनसी छत गिरेगी. सुबह होते ही मेने ये बात मुखिया को बताई थी. वो पुराने मुखिया अब जिन्दा नहीं है.


कोमल : ये कब की बात है.


दिन दयाल : यही 4 साल पहले की. जिस दिन स्कूल की छत गिरी उसके एक दिन पहले की. पर जब मुखिया को बताया सारे हैरान थे.

और तभि सब को पता चला की स्कूल की छत गिर गई है. उसके बाद मेरी बेटी को सब देवी मान ने लगे. उनका मान ना था की मेरी बेटी के अंदर देवी आती है. लोग चढ़ावा चढ़ाते थे. तो मै भी चुप रहा.

क्यों की खेती से तो कुछ होता नहीं. बीमारी मे भी पैसा बहोत लग रहा था. पर उसके बाद स्कूल मे मौत होती गई. जिसे हम जानते भी नहीं कोई और गांव का स्कूल में आकर आत्महत्या करने लगे.


दिन दयाल बोल कर चुप हो गया.


कोमल : मतलब तेरी लालच तुझे पता थी की तेरी बेटी में कोई देवी नहीं है. तू जानता था की वो पंडितजी है. तू देख ले. उन्होंने मर कर भी भला करने की कोसिस की. बाद में कइयों का भला भी किया. और तुम हो की लालच में अपने बच्चों के बारे में भी नहीं सोच रहे.


दिन दयाल रोने लगा. उसने हाथ जोड़ लिए. उन्हें माफ कर दिया गया. और कड़ी से कड़ी जोड़ने की कोसिस की. तो उनके सामने एक नतीजा निकला.


पंडितजी मर चुके थे. मंदिर का काम अधूरा है. उनकी जगह स्कूल के पीछे होनी चाहिये थी. पर है नहीं. स्कूल बना बाद में. मंदिर पहले से बना हुआ था. जो गायब है. स्कूल का वास्तु गलत है.

इसलिए ऊपर पानी की टंकी से गिरते पानी की वजह से स्कूल की छत कमजोर हो गई. अचानक स्कूल की छत गिर गई. और उसमें 34 बच्चे मारे गए. जिसकी जानकारी दीनदयाल को थी. मगर उसे बात समझ नहीं आई. बाद में सब ठीक हो सकता था.

मगर दीनदयाल ने किसी को हकीकत नहीं बताई. जो लोग उस स्कूल में सुसाइड अटेम्प्ट कर रहे थे. वो पंडित जी नहीं. बच्चे करवा रहे थे. लेकिन कमल के साथ हुए हादसे के बाद. एक और विचार प्रकट हुआ. उन बच्चों को पंडितजी ने स्कूल में कैद करके रखा हुआ था.

जो कोमल की गलती के कारण दो बच्चे बाहर आ गए. और कोमल की जान लेने की कोशिश करने लगे. कहानी सिर्फ अंदाजा था. पर सही थी. कमल डॉक्टर रुस्तम की तरफ देखती है.


कोमल : अब क्या करना है डॉक्टर साहब???


डॉ : उसे मंदिर और पंडित जी के स्थान का पता लगाना पड़ेगा.


कोमल : क्या एक बार फिर मैं बच्चों से बात करूं???



डॉ : नहीं नहीं. मै और तुम्हे खतरे मे नहीं डालूंगा.


कोमल : डॉ साहब.... और कोई जरिया नहीं है. आप प्लीज मानो मेरी बात.


डॉ : नई-नई कल दाई माँ आ ही रही है.



कमल के फेस पर स्माइल आ गई.


कोमल : (स्माइल) और आप अब बता रहे हो.


डॉ : तुम्हे हालत पता है कोमल. दाई माँ ट्रैन मे बैठ चुकी है.


कोमल : फिर माँ के आने के पहले ही हम केस सॉल्व करेंगे.


डॉ कोमल में एक अलग ही लेवल का कॉन्फिडेंस देख रहे थे. और वो मान भी गए.


डॉ : ठीक है. मै रिश्क तो उठा रहा हु. पर तुम पिछली बार के जैसे गलती मत कर देना.


कोमल और डॉ रुस्तम मुखिया के साथ वापस आश्रम आए. कोमल बलबीर से मिली. जनरेटर की मदद से सारे डॉक्यूमेंटस की बैटरीज को चार्जिंग किया जा रहा था. अंधेरा हो चूका था. रात के 8 बज रहे थे. कोमल बलबीर से मिली. बलबीर को आश्रम में मंदिर नहीं मिला.

पर वहां था ही नहीं ये कोमल को पता लग चूका था. वो सब वापस उसी स्कूल पर पहोच गए. डॉ रुस्तम की टीम सेटअप लगाने लगी. धीरे धीरे टाइम बढ़ने लगा. बलबीर भी कोमल के साथ था. कोमल क्या करने जा रही है. जब ये बलबीर को पता चली तो उसने कोमल को समझाया. पर कोमल कहा मान ने वाली थी. डॉ रुस्तम अपना मैनेजमेंट देखने के बाद कोमल के पास आए.


डॉ : सब सेटअप हो गया है. तुम प्लीज इस बार कोई गड़बड़ मत करना. नो डील.


कोमल एक बार गलती कर के समझ चुकी थी.


कोमल : सर प्लीज वो बच्चे क्या अनसर देते है. मुजे भी सुन ना है.


डॉ : ठीक है. मै उसका भी इंतजाम करता हु. अभी 10 बज रहे है. तुम 11 बजे अंदर जाओगी. और ध्यान रखना. तुम ऊपर वाले फ्लोर पर बिलकुल नहीं जाओगी.


कोमल बस हा में सर हिलाती है. डॉ रुस्तम चले गए. कोमल बलबीर के पास ही खड़ी रही. धीरे धीरे वक्त बीतने लगा. और 10 मिनट पहले डॉ रुस्तम कोमल के पास आए.


डॉ : टाइम हो गया है. ये लो लगा लो.


वो माइक्रो फोन था. कोमल अब सुन भी सकती थी. फिर भी उसे एक रेडिओ सेट भी दिया.


डॉ : याद रहे. नो डील. और ऊपर नहीं जाना. सिर्फ निचे वाले फ्लोर पर ही. बस उस क्लास रूम से आगे नहीं. समझी..


कोमल ने हा में सर हिलाया. कोमल जाने लगी पर बलबीर ने उसका हाथ पकड़ लिया.


बलबीर : कोमल.....


कोमल पलटी और बलबीर को गले लगा लेती है.


कोमल : तुम फ़िक्र मत करो बलबीर. कुछ नहीं होगा मुजे.


कोमल बलबीर को दिलासा देने के बाद अंदर जाने लगी.
 

Shetan

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Yeh Deen Dayal kaafi kamina 🤨 hai... kahani toh batayi usne lekin ... kitni sach woh mujhe doubt hai.

Aur bacche bhoot 🎃 bankar aur bhi unpredictable ho gaye hai.

Aur yeh mandir 🛕ka kya raaz hai?

Mamla Dr. Rustom :einsteink: ke bass se bahar ka hai. Lifesaver daayi maa 👵 ko bulana hi pada.

Lekin Komal ko sabr nahi. Case solve karne ka keeda 🪱 hai. Dekhte hai woh baat sambhalti hai ya bigaadti hai.. :cool3:
Thankyou very very much Bawari. Tumne dhire dhire bahot updates cover kar lie. Bahot jald hi lot kar nae updates post karungi.
 

Raj_sharma

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Baawri Raani

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Komal ne try kiya khud se in NTT :bounce: ko kaboo karne ki.. uska wakil 👩‍⚖️dimaag puchtaach toh kar sakta hai.. lekin abhi usae tantra mantra aate hi nahi..:girlmad:

Tantra mantra janane waale :einsteink: Dr. Rustom ne toh pehle hi haath khade kar diye !! Issi liye toh Dai Maa ko bulana pada.
Aur apni superhero Dai Maa :hellrider:
ne aate hi fata fat sab ko matle mei bhar diyaa.. Ab dekhne waali baat yeh hai ki.. . ab aur kya kaam baccha hai Dai Maa ka aur Woh saale Din Dayal ne yeh sab aakhir kiya kyu.. :cool3:


Update 26A


कोमल जब बहार स्कूल के बड़े दवाजे पर खड़ी पहले तो उस स्कूल को देखती है. वीरान पड़ी वो स्कूल रात के अँधेरे मे ज्यादा ही डरावनी लग रही थी. कोमल के हाथो में डॉ रुस्तम का दिया रेडिओ सेट था. डर से कोमल अनजाने में उसे ही जोरो से प्रेस कर रही थी. तभि सेट पर डॉ रुस्तम की आवाज आई.


डॉ : कोमल ऐसे सेट को प्रेस मत करो.


कोमल को एहसास हुआ की वो क्या कर रही है. रेडिओ सेट(RS) पर एक बार फिर डॉ रुस्तम की आवाज आई.


डॉ : आगे बढ़ो कोमल. ये तुम कर सकती हो.


डॉ रुस्तम की आवाज कोमल को थोड़ी हिम्मत भी दिला रहे थे. जब से कोमल को पता चला की 2 बच्चों की आत्मा उसके पीछे पड़ी है. और उसे अपने साथ लेजाना चाहती है. कोमल को डर भी लगने लगा था. कोमल फिर भी आगे बढ़ती है. कोमल डर के पीछे हट जाने वालों मे से नहीं थी. वो स्कूल की बिल्डिंग के डोर तक गई.

पहले कभी वहां लोहे की जाली और लोहे का दरवाजा रहा होगा. टूटी हुई दीवार से साफ पता चल रहा था. कोमल धीरे धीरे अंदर चली गई. और उस तरफ मूड गई जिस क्लास की छत गिरी और बच्चे मरे थे. कोमल उस क्लास रूम के बहार डोर पर ही खड़ी हो गई.

वहां पहोचने पर बड़ी नेगेटिव वाइब्स आ रही थी. उस क्लास का डोर भी टुटा हुआ था. सिर्फ थोड़ासा फट्टा ही था. कोमल के मन में अंदर जाने से पहले कई खयाल आए. क्या वो आज जिन्दा वापिस आएगी.

या वो खुद तो कही पजेश नहीं हो जाएगी. लेकिन ये कोमल का खुद का अपना फेशला था. कोमल ने एक लम्बी शास ली. और अंदर घुस गई.


कोमल : (स्माइल) कैसे हो बच्चों. देखो में फिरसे तुमसे मिलने आई.


बोलते हुए कोमल उसी चेयर पर बैठ गई. जहा लास्ट टाइम बच्चों से बात करती वक्त बैठी थी. उसके कान मे माइक्रोफोन था. जिस में से उसे कुछ आवाज सुनाई दीं. आवाज एक साथ कई बच्चों की आपस में बात करने की थी. ऐसी आवाज सायद स्कूल के रिसेस लंच ब्रेक वगेरा में सुनी होंगी.


तू क्या कर रहा है. हे वो आंटी आ गई. वो गुब्बारे नहीं लाई. आंटी गन्दी है. हे तू ऐसा मत बोल. वो हमें परेशान करेंगी. अह्ह्ह उह्ह्ह. आंटी उन लोगो के साथ है.


कोमल को पॉजिटिव के साथ नेगेटिव भी बाते सुनाई दीं. उसके दिल की धड़कने ज्यादा तेज़ हो गई. लेकिन कोमल हिम्मत करती है.


कोमल : बच्चों तुम हार वक्त यही रहते हो. क्या तुम्हारा मन नहीं करता कही बहार जाने का.


कोमल को फिर रिप्लाई सुनाई दिया.


हमें यही अच्छा लगता है. हमें कही नहीं जाना. हे ये हमें यहाँ से भागना चाहती है. ये गन्दी है. नहीं ऐसे मत बोलो. आंटी भी हमारे साथ रहेगी.


कोमल की फटने भी लगी. पर उसके पास अब पीछे जाने का रस्ता नहीं था. बच्चे तो उसे मारवकर अपने साथ रखना चाहते थे.


कोमल : बच्चों पंडितजी कहा है????


रिप्लाई : वो आते है. हमें नहीं जाना. वो हमें नहीं पकड़ सकते. वो हमें पसंद नहीं करते. वो गंदे है.


दरसल कोई भी आत्मा एक दूसरे का कुछ नहीं बिगड़ सकती. लेकिन मरे हुए उन लोगो मे एक जिंदगी ही बन चुकी थी. जैसा रियल जिंदगी में होता है. पंडितजी की आत्मा आती तो वो बच्चों की आत्माए उस स्कूल में इधर उधर भागने लगती. कोमल को ये कम समझ आया.

लेकिन बहार से सुन रहे डॉ रुस्तम को ये सब समझ आ गया था. कोमल को समझ नहीं आ रहा था की अब क्या सवाल करें. हड़बड़ट में उसने सीधा मंदिर के बारे मे ही पूछ लिया.


कोमल : बच्चों वो मंदिर कहा है. जो पंडित जी बनवा रहे थे???


रिप्लाई बड़ा अजीब था. जिसकी कोमल को उम्मीद ही नहीं थी. रिप्लाई में किसी बच्चे की खी खी खी कर के हसने की आवाज आई.


रिप्लाई : (हस्ते हुए) एएए.... मत बताना. (दूसरा बच्चा) वो तो पीछे ही है. (तीसरा बच्चा) वो तुम्हे नहीं मिलने वाला.


कोमल जवाब सुनकर हैरान रहे गई. उस मंदिर को स्कूल के आगे होना चाहिये था. पर वो स्कूल के पीछे था. लेकिन कोमल भी पहले दिन पूरा स्कूल देख चुकी थी. पीछे कोई मंदिर था ही नहीं. कोमल एक वकील थी. वो समझ गई की वास्तु गलत कैसे होगा.

पंडितजी का स्थान स्कूल के पीछे होना चाहिये था. मगर वो स्कूल के आगे था. और मंदिर को आगे होना चाहिये था. जब की वो स्कूल के पीछे था. कोमल ने पंडितजी के भी मुँह से सुना था. और डॉ रुस्तम ने भी यही जानकारी दीं थी की वास्तु गलत है. हलाकि कोमल को तो वास्तु का कोई ज्ञान नहीं था. लेकिन रिप्लाई रुका नहीं था.


हे हे क्यों बताया.... वो वो खोद के निकल लेंगे......आंटी गन्दी है....नहीं वो नहीं बताएगी. आंटी आप ऊपर से कूद जाओ. आप हमारे पास आ जाओ.


अचानक वहां इतनी बुरी बदबू आने लगी की कोमल को वोमिट जैसा होने लगा. सर दर्द करने लगा. कोमल खुद खड़ी हो गई. उसका जी घबराने लगा. रेडिओ सेट पर डॉ रुस्तम call करने लगे.


डॉ : वापिस आ जाओ कोमल. प्लीज वापिस आ जाओ... कोमल.. क्या तुम मुजे सुन रही हो???


डॉ रुस्तम कोमल के खड़े होने से डर गए थे. कही वो ऊपर ना जाए. वैसे तो उनकी बैकअप टीम तैयार थी. कोमल उस रूम से बड़ी मुश्किल से निकली. डॉ रुस्तम डर रहे थे. लेकिन कोमल जब स्कूल से बहार निकली तो उनके फेस पर भी स्माइल आ गई. कोमल को अंदर घुटन हो रही थी. उसने बहार आते ही वोमिट कर दीं.

और निचे ही घुटनो के बल बैठ गई. उसके कपडे भी ख़राब हो गए. ये देख कर डॉ रुस्तम तुरंत कोमल की तरफ भागे. पर तब तक तो बलबीर पहोच गया था. वोमिट के बाद कोमल को अच्छा लग रहा था.


डॉ : जल्दी कोई पानी लाओ.


डॉ रुस्तम का एक टीम मेंबर जल्दी पानी की बोतल कोमल को देता है. कोमल ने पानी पिया. और अपने आप को साफ किया. वो हफ्ते हुए बलबीर को देखती है. फेस जैसे बहोत थकान नींद आ रही हो. कोमल ने हलकी सी स्माइल की.


कोमल : (स्माइल थकान) मै ठीक हु.


डॉ : मेने उन बच्चों की सारी बाते सुनी.


कोमल ने बलबीर को अपना हाथ दिया. उसने कोमल को खड़ा किया.


कोमल : आगे चलके बात करते है.


वो तीनो आगे आ गए. कोमल ने रेडिओ सेट और माइक्रोफोन बलबीर को दे दिया.


कोमल : मंदिर स्कूल के पीछे है. सारा वास्तु का लोचा है.


बलबीर पर पीछे तो कुछ नहीं है. बस थोड़ी सी जमीन उठी हुई है. वो तो पंडितजी का स्थान है.


कोमल : नहीं.. उसे खोदो. मंदिर निचे गाढ़ा हुआ है. और स्कूल के आगे की तरफ पंडित जी का स्थान है.


बलबीर : तुम क्या उल्टा बोल रही हो....


दोनों की बहस को डॉ रुस्तम सूलझाते है.


डॉ : एक मिनट एक मिनट. मंदिर और पंडितजी का स्थान अपनी जगह पर ही है. स्कूल उलटी बनी हुई है.


बलबीर : चलो मान लिया. पर मंदिर जमीन के अंदर कैसे जा सकता है????


डॉ : होता तो नहीं है. किसी ने करवाया है.


बलबीर : किसने???


डॉ रुस्तम ने कोमल की तरफ देखा.


कोमल : खुद बच्चों ने. लेकिन जरिया मुजे लगता है दिन दयाल भी है.


अब कोमल और डॉ साहब. जैसे चोर पकड़ लिया हो. कॉन्फिडेंस से एक दूसरे के सामने देखने लगे. कोमल अपनी वाकिली दिमाग़ और डॉ रुस्तम अपने तंत्र मन्त्र जीवन के तजुर्बे को बयान कर रहे हो. बलबीर बस बारी बारी दोनों के फेस को देखता रहा.


कोमल : (स्माइल) कितनी अजीब बात थी ना. दिन दयाल के घर अपने बाप का फोटो था. जिसपर हार चढ़ा रखा था. मगर मरे हुए बेटों के ना हार थे ना फोटो.


डॉ : मंदिर और किसी की समाधी कभी एक साथ नहीं होती. पंडित जी चाहते थे की मंदिर के सामने स्कूल हो.

ताकि मंदिर और सूरज की पॉजिटिव एनर्जी स्कूल पर पड़े. आगे मंदिर पीछे सूरज. पर एक एनर्जी को रोक दिया गया. वो था मंदिर. लेकिन उस जगह अब सिर्फ सूर्य की एनर्जी मिल रही है. जिसका टाइम फिक्स है. नतीजा स्कूल के पीछे की तरफ हमेशा कोई पॉजिटिव एनर्जी का प्रभाव नहीं होगा. नेगेटिविटी बढ़ानी है.


कोमल : आप ने उस बुढ़िया पर ध्यान दिया. जो घर के बहार आँगन मै खटिये पर पड़ी थी.


डॉ : ऐसा लग रहा था की उसे घर मे लाया ही नहीं जा रहा. लेकिन हमारे आते ही वो गालिया बोलने लगी. कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो हमें क्यों गालिया बक रही थी.


कोमल : वो गालिया हमें नहीं दिन दयाल को ही दे रही थी. कोर्ट मे ऐसे बूढ़ो का बयान मेने कई बार दर्ज करवाया है.


डॉ : मतलब की बुढ़िया हमें बताना चाह रही थी सायद.


कोमल : (स्माइल) बिलकुल... सही कहा.


डॉ : मतलब उसके घर जो भी आता वो अपने बेटे को गालिया देने लगती. वो सब के सामने अपने बेटे को शो करना चाहती थी. लेकिन बेचारी ज्यादा बूढी थी. इस लिए उसकी भाषा कोई समझ नहीं पता था.


कोमल : वो कहना चाहती थी की ये मादरचोद भी मिला हुआ है. उसका मेला बिस्तर, ऐसा लगा जैसे धुप चाव बेचारी वही पड़ी रहती है.


डॉ : उसका सिर्फ एक बेटा बचा हुआ है. बेटी इतनी कमजोर है की कब मर जाय पता नहीं. वो एक एनटीटी को अपने शरीर मे झेल रही है.


कोमल : कही ऐसा तो नहीं की अपने बेटे को बचाने वो अपने पुरे परिवार को कुर्बान कर रहा है. लगता है दिन दयाल को पंडितजी के नाम की दुकान भी बंद नहीं होने देनी.


डॉ : तभि पंडितजी ने मेरा नाम अड्रेस फोन नो दिन दयाल को नहीं बल्की मुखिया को दिया. सब के सामने दिया होगा. दिन दयाल तब कुछ नहीं कर पाएगा.


बलबीर : पर उस से मंदिर कैसे जुडा हुआ है.


डॉ : मदिर का काम चालू था. पंडितजी मंदिर बनवाना चाहते थे. मतलब की प्रण प्रतिष्ठा हुई नहीं. तो जब भी पंडितजी उसकी बेटी मे आते वो सबको बोलते होंगे मंदिर का काम पूरा करवाओ.


कोमल : लेकिन मंदिर बन गया तो पंडितजी की विश पूरी हो जाएगी. और वो सायद चले जाए. तो उनकी दुकान कौन चलाएगा. साले ने खुद ही मंदिर को छुपाया है..


डॉ : उसी के चलते तो बच्चों की एनटीटी को पावर मिल रहा है. स्कूल के पीछे की तरफ नेगेटिव एनर्जी अपने आप बन गई. सामने की तरफ मंदिर जो जमीन मे गाढ़ा हुआ है. अब एक बात और है. कोई भी सात्विक चीजों को जमीन मे गाढ देने से नेगेटिव एनर्जी को पावर मिलता है. यह सिद्ध शैतानी प्रोसेस है.


कोमल ने अपनी पजामी के पॉकेट से एक काला कपडे का गुड्डा निकला. जिसपर लाला धागा बंधा हुआ था..


कोमल : तो कही ऐसा तो नहीं की दिन दयाल ये सब करवा रहा हो.


डॉ : नहीं... ऐसा होता तो उसके घर मे कुछ तो तंत्र मन्त्र जैसा कुछ फील होता या सामान मिलता. उसकी बेवकूफी की वजह से सिर्फ नेगेटिव एनर्जी को पावर मिला है.


बलबीर : उसके बाप ने पैदा करी. और बेटे ने पाल पोश कर बड़ा किया.


कोमल : (स्माइल) वाह बलबीर तुम जल्दी समझ गए.


बलबीर : पर अब क्या करें???


डॉ : पहले उस मंदिर को खोद के निकलना होगा.


कोमल : पर अभी इस वक्त???


डॉ : हा अभी. हमें देर नहीं करनी चाहिये.


जो मंदिर स्कूल के आगे होना चाहिये था. वो स्कूल के पीछे था. जिस उठी हुई जमीन को सब पंडितजी का स्थान समझ रहे थे. वो ही वास्तव मे मंदिर था. डॉ रुस्तम ने अपनी टीम की मदद से वहां लाइट लगवाई. उस वक्त मजदूर मिल नहीं सकते थे. इस लिए टीम मेंबर को ही काम करना पड़ रहा था. टीम के पास औजार तो थे.

लेकिन मेंबर मे ऐसा कोई नहीं था जो मजदूरी करता हो. कुछ लड़के थे. जो नवीन वगेरा जो कैमरामैन और कुछ टेक्निकल वाले थे. जिन्होंने मजदूरी तो कभी नहीं की थी.. बाकि मोटे पेट वाले शहेरी थे. वही जवान लड़के खुदाई के लिए आगे आए.

और काम शुरू कर दिया. जमीन बहोत ठोस थी. और किसी को भी ठीक से खुदाई करते नहीं आ रहा था. बलबीर ये ठीक से समझ रहा था. क्यों की वो गांव का था. और किसानी करते ऐसे काम करने ही पड़ते है. बलबीर ने अपना शर्ट उतरा और कोमल को पकड़ाया.

वो जैसे ही खुदाई करने के लिए आगे आया कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. बलबीर आया तो उसे सब देखने लगे. सायद खुदाई करने की सही तकनीक वो नहीं जानते थे. जब बलबीर ने फावड़ा चलाया तो सब को समझ आया. कुल 4 लोग खुदाई कर रहे थे.

बलबीर को खुदाई करते देख डॉ रुस्तम को महसूस हुआ की वो काम जल्दी कर लेगा. सभी बलबीर को कॉपी करने लगे. और उनसे भी खुदाई होने लगी. पर अचानक एक का औजार टूट गया. बलबीर ने उसकी तरफ देखा और मुश्कुराया..


बलबीर : (स्माइल)कोई बात नहीं. पहेली बार ऐसा होता है.


बलबीर वापस काम मे लगा. लेकिन उसका भी फावड़ा टूट गया. बलबीर हैरान रहे गया. कोमल भी उसे ही देख रही थी. पर तभि तीसरा और फिर तुरंत ही चौथा फावड़ा भी टूट गया. सभी हैरान थे. अभी तो जस्ट काम शुरू ही किया था.


डॉ : कोई बात नहीं. काम छोड़ दो पैकअप.


सभी ने काम छोड़ दिया. सब कुछ क्लोज होने लगा. कोमल बलबीर दोनों डॉ रुस्तम के पास आए.


बलबीर : डॉ साहब कुछ गड़बड़ है.


डॉ : अरे हमारे औजार पुराने थे. जो हम उसे भी नहीं करते कभी. ये तो किसी टेंट लगाने वगेरा के काम के लिए थे. लकड़ी गल गई होंगी. तभि तो हेंडल टूटे है. कल मुखिया से बोल कर खुदाई करवा देंगे. अभी तुम बस मे रेस्ट करो. आश्रम चलते है.


बलबीर का सक ख़तम नहीं हो रहा था. वो सभी आश्रम मे आ गए. रात के 3 बज चुके थे. सभी को थकान लग रही थी. और सभी को नींद आ रही थी. कोमल और बलबीर भी आश्रम के एक रूम मे ही थे. बलबीर तो सो चूका था. पर कोमल को नींद नहीं आ रही थी.

वो उस बच्चे के बारे मे ही सोच रही थी. जो उसे दिखाई दिया था. उसे बुलकर कही लेजा रहा था. अगर वो चली गई होती तो सायद जिन्दा ना होती. कोमल बलबीर के कंधे पर सर रखे ऐसे ही सोच मे डूबी हुई थी.

तभि उसे दाई माँ की याद आ गई. डॉ रुस्तम ने ही कहा था की दाई माँ कल आएगी. मतलब की सुबह. कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. वो बलबीर को थोडा और जकड कर अपनी आंखे बंद कर लेती है.

तभि कोमल को सपना आता है. वही लड़का खड़ा है. और जोरो से हस रहा है. चारो तरफ सन्नाटा है. जिस से उस लड़के की हसीं गूंज रही है. हलका अंधेरा है. वो किसी तालाब के पास खड़ा है. और तालाब की तरफ ही देख रहा है. आस पास बाबुल के पेड़ है.

पर वो बच्चा तालाब की तरफ देख के हस रहा था. कोमल ने सपने मे देखा की कोमल तालाब के बीचो बिच है. और वो डूब रही है. वो बार बार ऊपर आने की कोसिस करती पर कोई फायदा नहीं होता. वो बच्चा कोमल को डूबते हुए देख हस रहा था.

तभि कोमल को घुटन होने लगी और वो एकदम से उठ गई. कोमल ने घड़ी देखि तो 4 बज रहे थे. कोमल पसीना पसीना हो गई. वो एक कपड़े से अपना पसीना पोछकर दोबारा लेट गई. उसे गर्मी लगने लगी. कोमल को डॉ रुस्तम की बात याद आई. कोई भी एनटीटी सुबह 4 बजे एक्टिव नहीं होती. कोमल को थोडा बेटर फील हुआ.

वो दोबारा आंखे बंद कर लेती है. उसे नींद आ गई. फिर कोमल को बहोत ही प्यारा सपना आया. वो घर पर सो रही है. कोमल सपने मे अपने आप को उसके बेडरूम मे सोते हुए साफ देख सकती थी. तभि उसके पास दाई माँ आई. वो उसके पास बैठ गई. और कोमल को गलो पर थपकी मार कर जगाने लगी.


दाई माँ : उठ जा लाली उठ जा. कितनो सोबेगी.
(उठ जा बेटा उठ जा. कितना सोएगी)


कोमल : (नींद मे) अममम माँ सोने दो ना.


बलबीर : अरे उठो यार. वो डॉ साहब बुला रहे है.


कोमल की एकदम से आंख खुली. पता चला की वो सपना देख रही थी. कोमल झट से उठकर बैठ गई.


बलबीर : ये लो चाय. जल्दी तैयार हो जाओ. हमें स्कूल वापस जाना है.


कोमल ने अपने मोबाइल मे टाइम देखा. सुबह के 7 बज रहे थे. वो फटाफट तैयार होने लगी. कोमल बस आधे घंटे मे ही तैयार हो चुकी थी. वो फटाफट बहार निकली. बस तैयार ही थी. सभी मिनी बस मे बैठे कोमल का ही इंतजार कर रहे थे. कोमल की नींद पूरी नहीं हुई ये बलबीर भी समझता था और डॉ रुस्तम भी. मगर कोमल का वहां होना अब जरुरी हो गया था. बस चल पड़ी. कोमल डॉ रुस्तम के पास ही आकर बैठ गई.


डॉ : मुखिया से बात हो गई है. उसने वहां खुदाई शुरू करवा दीं. और दिन दयाल भी वही है. बहोत डरा हुआ है.


कोमल : साला उसे इस केस मे अंदर भी नहीं करवा सकती.


डॉ : दाई माँ की ट्रैन भी स्टेशन पहोच गई. अब देखो वो यहाँ कब तक पहोचती है.


दाई माँ का नाम सुनकर वो बहोत ख़ुश हुई. कोमल ने सोच रखा था की वो इस बार दाई माँ को अपने साथ अपने घर लेकर ही जाएगी. बाते करते हुए वो आगे बढ़ रहे थे की कोमल को घने पेड़ो के बिच पानी की झलक दिखी.


कोमल : (सॉक) रोको रोको रोको...


बस तुरंत ही रुक गई.


डॉ : क्या हुआ???


पर कोमल कुछ बोली नहीं. और सीधा ही बस से उतार गई. डॉ रुस्तम बलबीर सारे ही हैरान थे.

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Update 26B

बलवीर, डॉ रुस्तम, और नवीन भी उनके पीछे पीछे बस से उतर गए. कोमल पेड़ो के बिच से घुसने का रस्ता ढूढ़ने लगी. उसे पानी तो दिख रहा था. जैसे कोई नदी या तालाब हो.

मगर पेड़ो के कारण पूरा दिखाई नहीं दे रहा था. बलबीर समझ गया. उसे एक पगदंडी दिखाई दे गई.


बलबीर : कोमल यहाँ से.


कोमल ने बलबीर की तरफ देखा. और झट से उस तरफ आगे बढ़ गई. वो तीनो भी उसके पीछे थे. कोमल बस जरा सा आगे आकर रुक गई. और सॉक हो गई. वो वही तालाब था. जिसे उसने रात सपने मे देखा था. कोमल डूब रही थी. और वो बच्चा हस रहा था.


डॉ : क्या हुआ कोमल???


कोमल के फेस पर थोडा डर और सॉक से मुँह खुला हुआ. वो बोलते हुए थोडा हकला भी गई.


कोमल : वो वो....


कोमल तालाब की तरफ अपने आप से हिशारा कर रही थी.


बलबीर : अरे क्या हुआ बताओ तो.


कोमल : (घबराहट) मेने... मेने कल इस तालाब को सपने मे देखा.


डॉ रुस्तम को थोड़ी हैरानी हुई. क्यों की ना तो उसने कभी उस तालाब को देखा था. और ना ही कोमल ने. पर बलबीर थोडा हैरानी मे रहे गया. बीती शाम कोमल उस तालाब से थोडा ही दूर पहोची थी. और बलबीर ही कोमल के पीछे पीछे आते उसे आवाज दीं. वो नहीं आता तो सायद कोमल तालाब तक आ ही जाती.


बलबीर : और क्या देखा सपने मे.


कोमल जैसे होश मे आई. वो आस पास के नज़ारे को देखने लगी. वो तालाब एकदम शांत था. चारो तरफ पेड़ो से घिरा हुआ था. बस कही कही पशुओ को पानी पिलाने के लिए लाने की जगह बनी हुई थी.


कोमल : मेने सपने मे अपने आप को डूबते देखा. इसी तालाब मे.


ये सुनकर बलबीर और डॉ रुस्तम हैरान रहे गए.


डॉ : (सॉक) क्या सच मे?? तुमने यही देखा???


कोमल : हा मे वहां डूब रही थी. और वहां एक लड़का वहां खड़ा मुजे देख कर हस रहा था.


कोमल की बात से डॉ रुस्तम और बलबीर दोनों ही हिल गए.


डॉ : वो लड़का कितना बड़ा था.??


कोमल : कुछ पांच, छे साल का ही होगा. बच्चा ही था.


कोमल को याद आया की उसके पीछे दो बच्चों की आत्मा लगी हुई है.


कोमल : कही ये......


डॉ : बिलकुल.. स्कूल चलते है. हमरे पास वक्त है.


वो सब वापस बस मे बैठे और कुछ ही देर मे स्कूल पहोच गए. वो जैसे ही बस से निचे उतरे गांव के दो बुजुर्ग मर्द और मुखिया उनके पास आ गए.


डॉ : हा मुखिया जी. काम कहा तक पहोंचा????


मुखिया : काम हुआ हो तब ना. औजारों पे औजार टूट रहे है. पर मिट्टी खुद ही नहीं रही. ऐसे तो कभी हो नहीं सकता.


डॉ : आइये दिखाइये.


सभी स्कूल के पीछे की तरफ गए. जिसे पंडितजी का स्थान समझा जा रहा था. मंदिर वही होने का अनुमान लग चूका था. डॉ रुस्तम ही नहीं बलबीर कोमल सब हैरान गए. कई औजारों के दस्ते टूटे हुए थे.

कई औजारों का तो लोहा भी टूट चूका था. काम रुका हुआ था. बलबीर डॉ रुस्तम के पास आया.


बलबीर : मेने बोला था ना. ये मामला कुछ और है.


डॉ : हा तुम सही हो.


कोमल : फिर अब क्या करें???


डॉ : विधि करेंगे और क्या. पूजा करेंगे. उन बच्चों की आत्माओ को बांधेगे और फिर काम शुरू करेंगे. आओ..


सभी लोग स्कूल के आगे बस की तरफ चल दिये. तभि एक एम्बेसडर टैक्सी आती दिखाई दीं. सब की नजर उस टेक्सी पर ही गई. वो टेक्सी रुकी और टेक्सी का दरवाजा खुला.


कोमल : (स्माइल एक्साइड) दाई माँ.....


कोमल तो दौड़ पड़ी. और भाग कर सीधा दाई माँ को बाहो मे भर लिया. बलबीर भी देख कर खुश हो रहा था. दाई माँ भी कोमल के गलो को चूमते खूब लाड़ लड़ा रही थी. जब बलबीर दाई माँ के पास पहोंचा तो उन्होंने भी बलबीर को देखा.


बलबीर : (स्माइल) राम राम माँ..


दाई माँ : हा राम राम. चल ज्याए 700 रूपईया देदे.
(चल इसे 700 rs दे दे )


अब बलबीर के पास पैसे थे ही नहीं. ना उसके पास थे. ना कभी उसने कोमल से मांगे. वो हमेशा तो कोमल के साथ होता. कभी कोमल के साथ गया हो और कोमल कोर्ट या किसी मीटिंग मे हो तो वो बहार चाय की कितली या दुकान पर खाता पिता. कोमल आती और उसके पैसे पे कर देती. बलबीर कभी दाई माँ को देखता तो कभी कोमल को.


बलबीर : (मुँह खुला ) माँ.....


कोमल को हसीं आ गई.


कोमल : (स्माइल) कोई बात नहीं मै देती हु..


कोमल ने झट से पैसे निकले और टेक्सी ड्राइवर को दे दिए.


बलबीर हैरान था. क्यों की दाई माँ टैक्सी में आई थी. दाई माँ बलबीर को पट से गल पर एक थप्पड़ मार देती है. थप्पड़ तो हल्का था. पर आवाज पट से आई.


दाई माँ : हे बाबाड़चोदे छोड़िन ते पैसा दीबारों है.
(भोसड़ीके लड़की से पैसे दिलवा रहा है)


ये देख कर कोमल को बहोत जोरो से हसीं आई. बलबीर का फेस वाकई देखने लायक था.


दाई माँ : अब ऐसे मत देखे. मेरो सामान निकर ला गाड़ी मे ते.
( अब ऐसे मत देखें. मेरा सामान निकाल ले. गाड़ी में से.)


बलबीर तुरंत दाई माँ का सामान गाड़ी से निकालने लगा. दाई माँ कोमल के कंधे पर हाथ रखे डॉ रुस्तम के पास आई. डॉ रुस्तम दाई माँ को पूरी कहानी बताता है. डॉ रुस्तम हार एक बात को बड़ी बारीकी से बता रहा था. दाई माँ भी बड़े ध्यान से सुन रही थी. डॉ रुस्तम ने कोमल के साथ हुए आखरी किस्से को भी बता दिया.


दाई माँ : कोई बात ना हे. तू फिकर मत करें. ज्या तो मे अभाल ठीक कर दाऊँगी.
(कोई बात नहीं. तू फिक्र मत कर. ये तो मै अभी ठीक कर दूंगी )


दाई माँ घूमी और कोमल की तरफ देखने लगी. दाई माँ ने बड़े प्यार से कोमल के सर पर हाथ घुमाया.


दाई माँ : जा लाली. तू वाई बच्चन के पास बैठ जा.
(जा बेटी. तू वही बच्चों के पास बैठ जा)


कोमल : (सॉक) क्या वही क्लास मे???


दाई माँ : हा वाई सकुल के कलास मे जकड बैठ. और काउ हे जाए ठाडी मत भाइयो.
(हा वही स्कूल के क्लास मे जाकर बैठ. और कुछ हो जाए खड़ी मत होना )


दाई माँ ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा.


दाई माँ : रे बेटा रुस्तम. ज्याए बैठर वाउ.
(बेटा रुस्तम. इसे बैठा वहां )


दाई माँ कोमल को स्कूल के उस क्लास मे बैठने के किए डॉ रुस्तम को बोलती है. कोमल की फट गई थी. वो कभी दाई माँ तो कभी रुस्तम को देखती है. डॉ रुस्तम ने कोमल को जाने का हिसारा किया.

वो टीम मेंबर को बुलकर सेटअप लगवते है. ताकि कोमल को कोई खतरा हो तो बचा सके. दाई माँ ने ये फैसला क्यों लिया. ये डॉ रुस्तम ने पूछा तक नहीं. लेकिन बलबीर से रहा नहीं गया. डॉ रुस्तम भी उस वक्त दाई माँ के पास ही खड़े थे.


बलबीर : माँ.. उसे फिर क्यों भेज दिया. उसे कुछ हो गया तो??? कल भी उसकी हालत ख़राब हो गई थी.


दाई माँ : वाके पीछे दो बालक हते लाला. हम कछु करें वाए सब पतों लगे है. हम कछु कर के सारे बच्चन को बांध दिंगे. पर कोमर के पीछे जो दो हते बे बच लिंगे. फिर बड़ी परेशानी हे जाएगी. ज्याते बढ़िया कोमरे वही बैठर दो.
(उसके पीछे दो बच्चे है. हम कुछ करेंगे बाते करेंगे उन्हें सब पता चलेगा. हम कुछ कर के बच्चों को बांध देंगे तब भी कोमल के पीछे जो दो बच्चे लगे है वो बच जाएंगे. फिर और ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ेगी. इस से बढ़िया है कोमल को ही वहां बिठा दो.)


डॉ रुस्तम को दाई माँ के तंत्र मंत्र विधया के साथ बुद्धि का उपयोग सही लगा. कोमल स्कूल मे जाकर वही बैठ चुकी थी. उसे इस बार एयरफोन नहीं दिये गए. बस रेडिओ सेट दिया गया. कोमल को रात जैसा डर नहीं लग रहा ठा. क्यों की दिन का उजाला उस क्लास रूम मे आ रहा था. पर फिर भी कोमल को डर तो लग रहा था.

अंदर रात जितनी तो नहीं पर बदबू उसे फिर भी आ रही थी. हलकी हलकी घुटन भी महसूस होने लगी. डॉ रुस्तम ने रेडिओ सेट से कोमल से संपर्क किया.


डॉ : हेलो हेलो कोमल....


कोमल : हा मे कोमल बोल रही हु..


डॉ : कोई प्रॉब्लम हो तो call कर देना.


कोमल : ओके..


वही बहार दाई माँ ने लाल धागे तैयार कर लिए. और डॉ रुस्तम के टीम मेम्बरो को पकड़ने लगी. डॉ रुस्तम जानते थे की क्या करना है. उन्होंने स्कूल के चारो तरफ वो धागे बंधवा दिये. दरसल उन्होंने वो धागो के जरिये स्कूल के अंदर की जितनी भी एनटीटिस हो सबको स्कूल मे ही कैद कर लिया था. दाई माँ साथ मंतर भी बड़ बड़ा रही थी.


दाई माँ : अब काम शरू करो. कछु ना होएगो.
(अब काम शुरू करो. कुछ भी नहीं होगा)


डॉ रुस्तम ने काम शुरू करवा दिया. कोई प्रॉब्लम नहीं हो रही थी. बड़ी आसानी से मिट्टी खुद रही थी. लेकिन दाई माँ थी तामशिक विधया वाली. तामसिक विधया बहार धुप सूरज की रौशनी मे नहीं हो सकती.

वो अपने कंधे पर बंधे चादर के झोले को लेकर उसी स्कूल मे ही घुस गई. दाई माँ ने लाल धागे वाला खुद का प्रकोषण भी देखा. जो स्कूल के मेइन दरवाजे पर था. निचे की तरफ हर डोर हर विंडो पर ये लाल धागे बंधे हुए थे. दाई माँ स्कूल मे घुसकर दए बाए देखने लगी.

वो उसी क्लास को ढूढ़ रही थी. जिसमे छत गिरने से बच्चों की मौत हुई थी. कोमल भी तो उसी क्लास रूम मे अकेली बैठी डर रही थी. कोमल ने दरवाजे के उजाले मे हलका सा कलापन देखा.

जैसे कोई पड़च्चाई डोर की तरफ आ रही हो. डोर से बहार की तरफ से आ रहे उजाले से अगर कोई बिच मे आ जाए तो अचानक उतना अंधेरा छा जाता है. बस उतना ही अंधेरा हुआ था. और कोमल की डर से धड़कने तेज़ हो गई. लेकिन जब उस डोर पर दाई माँ को खड़ा देखा तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.


कोमल : (स्माइल एक्ससिटेड) माँ......


कोमल ने खड़े होकर फिर दाई माँ को बाहो मे लपक लिया.


दाई माँ : तोए का लगो लाली. तोए का मे अकेली छोड़ दाऊँगी.
(तुझे क्या लगा बेटी. मै तुझे अकेली छोड़ दूंगी.)


दाई माँ अंदर आकर दए बाए देखने लगी.


कोमल : माँ आप क्या कर रही हो.


दाई माँ ने अपना झोला रखा. अंदर हाथ डाल कर कुछ सरसो के दाने निकले. उसे मुट्ठी मे बंद कर के अपने मुँह के पास लाई. आंखे बंद किये कुछ मंतर पढ़ने लगी. कोमल ये सब हैरानी से देख रही थी.

फिर दाई माँ ने आंखे खोली और निचे झूक कर उन सरसो के दानो से एक गोला बनाया. दाई माँ ने कोमल को उस गोले की तरफ हिशारा किया.


दाई माँ : बैठ जा लाली ज्यामे. (बैठ जा बेटी इसमें )


कोमल तुरंत ही उस घेरे मे खड़ी हो गई. वो बैठना नहीं चाहती थी. कोमल दाई माँ की तरफ देखने लगी. दाई माँ ने कोई रिएक्शन नहीं दिया मतलब खड़े रहने से भी कोई आपत्ति नहीं है. दाई माँ निचे थोडा अँधेरे की तरफ अपना ताम झाम जचाने लगी. उनके सामान को देख कर कोमल हैरान थी. कई प्रकार की जड़ीबटिया.

कागज मे थोड़ी सी मिठाई, कुछ जानवर की हड्डिया, इन्शानि खोपड़ी, और एक हाथ की लम्बी हड्डी. दाई माँ ने एक छोटा सा मिरर भी निकला. उसे एक छोटे काले कपड़े से ढक दिया. और मंतर पढ़ने लगी.

जब दाई माँ मंतर पढ़ने लगी तो कोमल को एक साथ कई बच्चों के रोने की आवाजे आने लगी. हैरानी की बात ये थी की वो आवाजे खुद दाई माँ को भी नहीं आ रही थी. उसे सिर्फ कोमल ही सुन पा रही थी. दरसल कोमक ने दाई माँ को माँ शब्द कहे कर पुकारा.

बच्चों की एनटीटीस जब मरी. तब वो बच्चे थे. इसी लिए वो आत्माए बच्चों के फोम मे ही थी. और माँ वर्ड सुनकर वो भी माँ का नाम लेकर रो रहे थे. कोमल हैरानी से दाई माँ की तरफ देखती है.

दाई माँ को भले ही उन बच्चों की आवाज ना सुनाई दे रही हो. पर वो ये अच्छे से जानती थी की आस पास जो भी एनटीटीस होंगी. कोमल उनकी आवाज सुन पाएगी.


दाई माँ : घबडावे मत लाली. तोए कछु ना होवेगो.
(घबरा मत बेटी. तुझे कुछ नहीं होगा.)


दाई माँ ने बोलते हुए कोमल को वो मिरर दिया. जो काले कपडे से ढाका हुआ था. कोमल उस मिरर को हाथो मे लिए दाई माँ की तरफ देखती है. जैसे पूछ रही हो. इसका क्या करना है. मंतर पढ़ते हुए दाई माँ ने बस उस मिरर से कपड़ा हटाने का हिशारा किया.

दाई माँ लगातार मंतर पढ़ रही थी. उन बच्चों के रोने की आवज भी कोमल के कानो मे लगातार आ रही थी. कोमल ने पहले तो उस कपडे को हटाया. सामने उसे अपना ही चहेरा दिखा. मगर कोमल हैरान तब रहे गई जब उसे वही लड़का कोमल के पीछे एक कोने मे खड़ा दिखा.


कोमल ने तुरंत पीछे मुड़कर देखा. उसे नरी आंख से तो कोई नहीं दिख रहा था. लेकिन वापस जब कोमल ने उस मिरर को ऊपर किया तो वो लड़का वही कोने मे खड़ा दिखा.

जो कोमल को ही देख रहा था. ये वही लड़का था. जो कोमल को आवाज मार कर आश्रम से ले गया था. तब बलवीर ने बचा लिया. उसके बाद कोमल के सपने मे आया था. कोमल तालाब मे डूब रही थी. और वो हस रहा था. कोमल बार बार उसे कभी मिरर मे देखती फिर पीछे मुड़कर उस कोने की तरफ देखती.

वो सिर्फ उस मिरर से ही नजर आ रहा था. ये बात कोमल को भी समझ आ गई. पर कोमल ने उसे सुनाई दे रही उन रोते हुए बच्चों की आवाज की तरफ ध्यान दिया. वो आवाज उसके खुद के पास सामने से आ रही थी. कोमल ने थोडा आइना टेढ़ा कर के देखा तो बहोत ही ज्यादा हैरान कर देने वाला नजारा था. कई सारे बच्चे निचे बैठे हुए रो रहे थे.

वो सभी बच्चे स्कूल के यूनिफार्म मे ही थे. किसी के सर पर चोट तो किसी के हाथ पाऊ पर चोट. कइ तो खून से बहोत ज्यादा लट पत थे. छत का मलवा गिरने से वो गंदे भी हो रखे थे. पर चहेरे की स्किन एकदम रूखी सफ़ेद सी लग रही थी.

ये नजारा देख के कोमल हैरान रहे गई. वो सारे बच्चे दाई माँ के सामने बैठे दाई माँ की तरफ देखते हुए रो रहे थे. वो अपने हाथो को दाई माँ की तरफ ही बहाए हुए थे. जैसे चाह रहे हो की कोई उन्हें गोद मे ले ले.

लेकिन सिर्फ एक ही बच्चा कोने मे खड़ा था. दाई माँ से दूर कोमल के पीछे की तरफ. एक कोने मे. ना तो वो रो रहा था. और ना ही हस रहा था. दाई माँ ने अपने झोले मे हाथ डाला. और मुट्ठी भर कर साकड़ निकली. और बच्चों की तरफ फेक दिया. कोमल ने सफ़ेद मिट्ठी साकड़ फर्श पर फैली हुई देखि. कोमल सोच मे पड़ गई.

दाई माँ ने वो साकड़ ऐसे क्यों फेकि. ये देखने के लिए कोमल ने आईने को वापस टेढ़ा कर के देखा. बच्चों के रोने की आवाज भी बंद हो चुकी थी. आईने मे साफ दिख रहा था की वो बच्चे उन साकड़ो को बिन बिन कर खा रहे है. साथ मे हस भी रहे है. लेकिन कोने मे खड़ा वो बच्चा नहीं आया. कोमल से रहा नहीं गया. और कोमल ने दाई माँ को हिशारा किया.


कोमल : माँ....


दाई माँ ने कोमल की तरफ देखा. कोमल ने दाई माँ को उस कोने की तरफ हिशारा किया. लेकिन वो लड़का वहां उस क्लास रूम से निकल कर तुरंत ही भाग गया. कोमल ने अब उस बच्चे के पहनावे पर ध्यान दिया. वो छोटी सी निक्कर पहने हुए था. और एक शर्ट. इन नहीं की थी. कपडे पुराने ही थे. और स्कूल यूनिफार्म भी नहीं था.

वो लड़के ने ना तो चप्पल पहनी हुई थी. और ना ही उसकी स्किन बाकि बच्चों की तरह सफ़ेद थी. दाई माँ ने कोमल को हाथ दिखाकर बस शांत रहने का हिशारा किया. झोले से दाई माँ ने एक मिट्टी का कुल्लाड़ निकला. और उसमे कुछ साकड़ डाल दी. कोमल ने उस आईने के बिना उस फर्श पर देखा तो एक भी साकड़ फर्श पर नहीं थी.

कोमल ने तुरंत ही आईने को टेढ़ा कर के वापस उन बच्चों को देखने की कोसिस की. वो बच्चे तो दाई माँ की तरफ बढ़ रहे थे. लेकिन ना जाने कहा से वहां धुँआ हो रहा था. धीरे धीरे वो धुँआ ज्यादा होने लगा. कोमल ने आइना हटाकर देखा तो उस रूम मे कोई धुँआ नहीं था.

पर वापस जब आईने के जरिये देखा तो धुँआ इतना डार्क हो चूका था की कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. धीरे धीरे वो धुँआ काम होने लगा. कोमल को आईने मे क्लास की हलकी झलक दिखी. और कुछ ही देर मे क्लास पूरा प्रोपर दिखने लगा. वहां अब कोई भी बच्चा नहीं था. कोमल ने हैरानी से आइना हटाकर दाई माँ की तरफ देखा.

दाई माँ उस मिट्टी के कुल्लड़ को एक काले कपडे मे लपेट कर. उसे एक लाल धागे से बांध रही थी. जिसे लोग नाड़ाछडी भी बोलते है. अमूमन पूजा पाठ मे काम आता है. दाई माँ ने उस कुल्लड़ को जैसे बच्चा पतंग की डोर का पिंडुल बनता है. वैसे लपेट रही थी.


दाई माँ : इनको तो हेगो. (इनका तो हो गया.)



वहां बहार डॉ रुस्तम को मंजिल मिल गई थी. वो मंदिर जमीन मे आधे से ज्यादा गाढ़ा हुआ था. और थोडा बहार था. मंदिर पूरा मिल चूका था. बस एक तकलीफ थी की उस मंदिर मे मूर्ति नहीं थी.

Update 26C


डॉ रुस्तम ने तुरंत कोमल को रेडिओ सेट पर call किया.


डॉ : हेलो हेलो कोमल???


कोमल : हा डॉ साहब. मे सुन रही हु.


डॉ : मंदिर मिल चूका है.


कोमल के फेस पर तुरंत स्माइल आ गई.


डॉ : लेकिन उसमे मूर्ति नहीं है.


दाई माँ : वा के काजे तो पंडितजी बुलानो पड़ेगो.
(उसके लिए तो पंडितजी को बुलाना पड़ेगा)


कोमल ने दाई माँ का मेसेज डॉ रुस्तम को बताने के लिए रेडिओ सेट का बॉटन प्रेस जरूर किया. पर वो रुक गई. जैसे उसे कुछ याद आया. वो दोबारा डॉ रुस्तम को call करती है.


कोमल : दिन दयाल कहा है???


वहां दिन दयाल को भी मुखिया ने पास मे बैठाया हुआ था. वो डरा हुआ हाथ जोड़े चुप चाप वहां बैठा था. मगर कोमल के call के बाद डॉ रुस्तम घूम के देखते है. दिन दयाल वहां नहीं था. डॉ रुस्तम भी सॉक हो गए. उन्होंने तुरंत रेडिओ सेट पर कोमल को बताया.


डॉ : वो यहाँ नहीं है. लगता है कही भाग गया.


कोमल : वो मूर्ति दिन दयाल के खटिये के निचे गाढ़ी हुई है.


कोमल का वाकिली दिमाग़ सीबीआई वालों से भी तेज़ चलने लगा था. बुढ़िया के गंदे बिस्तर और फीके कलर से ही पता चल रहा था की बुढ़िया की खटिया वहां से नहीं हटी. दिन दयाल धुप छाव सर्दी गर्मी हर वक्त क्यों बहार उसी जगह बुढ़िया को मरने छोड़ रखा था.

ताकि उस जगह को खाली ना रखा जाए. कोमल को तुरंत समझ आ गया. डॉ रुस्तम मुखिया की मदद से दिन दयाल के घर भीड़ लेकर पहोच गए. और वहां पहोचने पर कुछ अलग ही नजारा था.

दिन दयाल की माँ एक तरफ पड़ी हुई थी. वो हिल ही नहीं रही थी. हकीकत मे वो मर चुकी थी. खटिया एक तरफ उलटी पड़ी थी. बिछोना बिस्तर भी निचे बिखरा पड़ा था. दिन दयाल वहां गाढ़ा खोद रहा था. जो सब को देख कर रुक गया. और सब के सामने हाथ जोड़ कर रोने लगा. डॉ रुस्तम को पूरा सीन समझ आ गया.

जब मूर्ति तक बात पहोची तो दिन दयाल वहां से खिसक गया. क्यों की मूर्ति पंडितजी की आत्मा को बुलकर पूछ लिया जता. उस से पहले दिन दयाल मूर्ति वहां से गायब करना चाहता था. वहां स्कूल से दिन दयाल खिसक लिया. वो तेज़ी से भागते हुए अपने घर तक पहोंचा. उसने जिसपर उसकी माँ लेटी हुई थी. उस खटिये को उलट दिया. बुढ़िया बहोत ज्यादा ही बूढी बीमार थी.

वो उसी वक्त मर गई. दिन दयाल उस जगह से मूर्ति खोद कर निकालने लगा. लेकिन पकडे गया. गांव वाले हो रही मौतो से बहोत परेशान थे. और दिन दयाल पकडे जा चूका था. गांव वाले उसपर टूट पड़े. पर डॉ रुस्तम और मुखिया ने मिलकर उसे बचा लिया.

उस मूर्ति को जमीन से सलामत निकला गया. वो मूर्ति माता की थी. गांव वाले मूर्ति और दिन दयाल दोनों को लेकर स्कूल तक पहोचे. वहां स्कूल मे अब भी एक एनटीटी अब भी पकड़ मे नहीं आई थी. दाई माँ कोमल के साथ हुए हादसे को सुन चुकी थी. दाई माँ समझ चुकी थी की उस बच्चे की आत्मा बुरी तरह से कोमल के पीछे है.

भले ही वो कोमल के शरीर मे ना घुस पाई हो. पर पीछे पड़े होने के कारण वो कोई ना कोई हादसा करने की कोसिस करेंगी. और आत्माओ से बच्चे की आत्मा ज्यादा जिद्दी होती है. जल्दी पीछा नहीं छोड़ती. लेकिन ऐसी आत्माओ को पकड़ना और भी ज्यादा आसान है.

वो जो मौत देती है. एक बली होती है. अगर उन्हें बली दे डी जाए तो उस मुद्दे तक शांत हो जाती है. दाई माँ ने कोमल की तरफ हाथ बढ़ाया. कोमल समझ नहीं पाई. दाई माँ बस मंतर पढ़ते हुए कोमल की तरफ अपना हाथ बढ़ाए हुए थी. कोमल ने भी दाई माँ की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया.


कोमल : अह्ह्ह्ह ससससस...


दाई माँ ने झट से कोमल का हाथ पकड़ लिया. और दूसरे हाथ से एक चाकू निकल कर कोमल के हाथ पर कट मारा. कोमल के हाथ से खून तपकने लगा. दाई माँ ने कोमल का हाथ अपने एक हाथ से पकडे रखा और दूसरे हाथ से निचे एक मिट्टी का कुल्लड़ सेट किया.

कोमल का खून उस कुल्लड़ से टप टप तपकने लगा. दाई माँ तो लगातार मंत्रो का उच्चारण मन मे किये ही जा रही थी. किसी भी जीव को मरे बिना. इस तरह धोखे से खून निकला जाए. वो मृत्यु बली के सामान है. ये विधि तामसिक विधया मे शामिल है. इस से वो जीव की जान लिए बिना बली दी जाती है. दाई माँ ने मिरर की तरफ हिशारा किया.

कोमल ने झट से मिरर उठाकर देखने की कोसिस की. वो लड़का वही था. ये देख कर कोमल घबरा गई. कोमल ने फिर धुँआ देखा. पर जब धुँआ छटा वो लड़का वहां नहीं था. दाई माँ उस कुल्लाड़ को भी वैसे ही बांध देती है.


दाई माँ : अब तू आज़ाद हे लाली(बेटी).


दाई माँ ने कोमल के हाथ को खुद अपने हाथो मे लिया. और उसके हाथ मे एक लाल धागा बांध दिया.


दाई माँ : अब तू कुछ बोले बिना ज्या ते निकर जा.
(अब तू कुछ बोले बिना यहाँ से निकल जा)


कोमल बोलना चाहती थी. पर दाई माँ ने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया.


दाई माँ : मेरो काम बाकि है लाली. तू जा तहा ते.
(मेरा काम बाकि है. तू जा यहाँ से.)


कोमल कुछ बोले बिना उस स्कूल से निकल गइ. पर बहार निकलते ही उसने गांव वालों की भीड़ आते देखि.




 

CyccoDraamebaaz

"Paagalpan zaruri hai."
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Baawri Raani Tu toh sach mei baawri ho gayi hai... itne saare reviews.. aatank macha diye ho..
Komal ne try kiya khud se in NTT :bounce: ko kaboo karne ki.. uska wakil 👩‍⚖️dimaag puchtaach toh kar sakta hai.. lekin abhi usae tantra mantra aate hi nahi..:girlmad:

Tantra mantra janane waale :einsteink: Dr. Rustom ne toh pehle hi haath khade kar diye !! Issi liye toh Dai Maa ko bulana pada.
Aur apni superhero Dai Maa :hellrider:
ne aate hi fata fat sab ko matle mei bhar diyaa.. Ab dekhne waali baat yeh hai ki.. . ab aur kya kaam baccha hai Dai Maa ka aur Woh saale Din Dayal ne yeh sab aakhir kiya kyu.. :cool3:










 
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