• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery क्या मेरी मम्मी एक रंडी है? - एक कहानी

Mastramkabeta

New Member
38
149
33
४.

मुझे अपने अम्मी से बात करनी चाहिए थी, और मैं वहां से डर कर भाग गया , लेकिन मैं उनसे क्या बोलता, अम्मी आप ऐसे रंडी की तरह रात को क्यों और किस से चुदवा रही थी, आप अब्बू को ऐसे धोखा क्यों दे रही है, और मैं अपना सर जोड़ जोड़ से हिला रहा था, क्युकी मेरे दिमाग में कल रात की वो तस्वीर आ गयी, जब वो बिजली चमकी थी और मेरी अम्मी का संगमरमर जैसा सरीर किसी काले आदमी के साथ लिपटा हुआ था, और बारिश से ऐसे प्रतीत हो रहा था, और वो बारिश जो उन्दोनो को भिंगो रही थी, मेरी का नशे में झूमता हुआ ऊपारी शरीर जैसे कोई नाग के सामने बिन बजा रहा हो, या उनका बड़ा गांड जो किसी तकिये की तरह उस आदमी के जांघ पे गिर रहा था, उनके लम्बे बाल,

'आआआआआह कितना खुशकिस्मत है साला वो '

'रेहान कुछ बोलै तूने '

'नहीं बस कुछ सोच रहा था, आकाश मैं घर निकालता हूँ ' आकाश मेरे तरफ देखता है, और खड़ा हो मुझे बहार छोड़ने चल देता है,

'बाई, फिर मिलते हैं '

मैं अपने मित्र के घर से निकल अपने अब्बू के यहाँ गया, यहाँ पे अभी भी एक अजीब सा मनहूस सा माहौल बना हुआ था, मैं घर के अंदर जा अपने लिए खाने के लिए ब्रेड पे बटर लगाने लगा,

'रेहान कल कहाँ चले गए थे तुम ' मैं चंक जाता हूँ, यहाँ मेरे अब्बू खड़े थे, उनका आंख बिलकुल कला था, और लग रहा था जैसे इन्होने भी नशा किया हो, वो अपने सर को जोड़ जोड़ से दबा रहे थे,

'अब्बू आकाश के घर था,' मेरे अब्बू मेरे दोस्त का नाम सुन उनका चेहरा थोड़ा सामान्य होता है, और वो पानी का गिलास में पानी लेने लगते हैं,

'अच्छा ' और मेरे अब्बू वापस जाने लगते हैं, उन्हें देख लग रहा था जैसे उनके अंदर कोई जान ही नहीं हो, मेरे अब्बू किचन से निकलने ही वाले थे की मैं पूछता हूँ,

'अब्बू आप दूसरा निकाह करोगे अम्मी के होते हुए' मेरे अब्बू घूम मुझे घूरने लगते हैं ,

'हाँ ' मेरे अब्बू इतना बोल के वापस बहार चले जाते हैं और मैं वहीँ पे बैठ जाता हूँ, मेरी अम्मी सब जानती थी, मेरा मन किया अम्मी का कारस्तानी अब्बू को बताने को लेकिन मैं रुक गया, मुझे नहीं मॉम की ऐसा मैंने क्यों किया, सायद मेरे अंदर अब्बू के प्रति गुस्सा भर गया था, और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे अम्मी के साथ धोका हुआ है, जो भी वजह हो, मैंने अब्बू को कुछ नहीं बताया और वापस अपने कमरे में चला गया.

-----------------------------

लेकिन उस रात ने मेरे ऊपर बहुत गहरा असर डाला, मेरी अम्मी जिन्हे आजतक मैंने हमेशा कपड़ो में लिपटा देखा था, उन्हें मैंने ना सिर्फ नंगा देखा बल्कि किसी पागल रांड की तरह, किसी अय्याश की तरह दारू के नशे में, किसी गैर मर्द के गोद में देखा, मेरी आंखें जब भी बंद होती मेरी अम्मी का तन बदन मेरे सामने आ जाता,

ezgif-3-ef030dddbf57.gif


और मेरा लण्ड न चाहते हुए भी खड़ा होने लगता, मेरी हालत बहुत ख़राब हो गयी थी, और मैं उस रात अपने अम्मी को सोच सोच रात भर अपने लुंड पे हाँथ चलाया, मेरी इस बर्बरता से मेरा लुंड बुरी तरह से चील गया लेकिन मेरा हवस ख़तम होने का नाम नहीं ले रहा था, मुझे वो या आते ही मेरा लुंड तनने लगता , और ऐसे ही मैंने वो रात बिता दिए|

मेरी अम्मी अभी भी वापस घर नहीं आयी थी, और हमारा घर सुना सुना लगाने लगा था, मुझे मालूम था मेरी अम्मी अभी तो बिलकुल नहीं आएगी, और खासकर मेरे अब्बू का दूसरा निकाह का तारीख नज़दीक आ रहा था, और वो अभी अपने गरूर पे लत मरने कतई नहीं आती, और मेरी अम्मी वहा मेरे अब्बू के पीठ पीछे क्या गुल खिलरहि होगी, उसका मैं सिर्फ अंदाज़ा ही लगा सकता था, लेकिन रात भर मेरी कल्पना मेरे पे हावी हो जाती और मैं अपने अम्मी को सोच सोच अपने लुंड को मसल मसल के घायल कर देता था,

मैंने अपने अंदर मान लिया था की मेरी अम्मी एक बहुत गन्दी खातून है, लेकिन मेरे दिन में ये ख्याल आया की क्या मेरी अम्मी सही में एक अपने मन से ये कर रही है, या अब्बू के दिया धोखे से बहक गयी है, मेरे अंदर ये ख्याल मंडराते रहता, और मेरे अंदर उनके प्रति बहुत गन्दगी भर गया था, और मैं अपने अम्मी पे ही फ़िदा हो गया था, मेरी कल्पना पागल होते जा रही थी, और मैं सचाई जानना चाहता था,

--------------------------------

मुझे उज़्मा से नफरत उस से मिलाने से पहले से ही हो गया था, और वो मेरी नयी अम्मी बन कर आने वाली थी, उसकी उम्र खुद सिर्फ २३-२४ थी और वो मेरी नयी अम्मी बनाने वाली थी, एक १७ साल के लडके की, वो खुद मेरे अब्बू से २१ साल छोटी थी, मैं ये सोच सोच कर ही अपना सर पकड़े हुआ था, मेरे अब्बू कैसे इतनी काम उम्र की लड़की को पेट से कर सकता है, क्या उन्हें समझ का कोई फ़िक्र नहीं, क्या उन्हें मेरी अम्मी का कोई फर्क नहीं|

और इसी तरह निकाह का दिन आ गया और चारो और दुनिया से बच्चा के एक छोटे से मस्जिद में ये निकाह हो रहा था, जिस में जाने का कोई इरादा नहीं था, मैं काफी दुखी था, और मेरी जिंदगी जहन्नुम बन गयी थी, मेरे और मेरे अम्मी और मेरे अब्बू में अब बातें भी नहीं होती थी, मैं अपने अम्मी को कॉल करता लेकिन हमेशा मामा उठा के फ़ोन पटक देता, ऊपर से मेरे अपनी अम्मी के लिए हवस, यही सोचते मैं फैसला करता हूँ की मैं यहाँ अपने नयी 'अम्मी' की स्वागत तो नहीं करूँगा, और मैं एक छोटा बैग बना के अपने अम्मी के पास जाने लगता हूँ|

मैं घर से निकल जाता हूँ और बस स्टैंड पहुँच अपने अम्मी के सहर का बस का इंतजार करने लगता हूँ, मेरी नजर थोड़ी दूर जाता है, जहा एक आदमी एक बड़े से गाड़ी का चक्का बदलने की कोसिस कर रहा था, मैं लोगो की मदद करने में सरमाता नहीं था, इसलिए मैं आगे बढ़ जाता हूँ,

'क्या हुआ बाबा इधर मुझे दीजिये मैं चक्का ढीला कर देता हूँ ' वो बूढ़ा आदमी थक गया था, और मुझे दे देता है,

'भला हो आपका बीटा ' और मैं तैयार के पेच ढीला करने लगता हूँ,

'कहा जा रही है ये गाड़ी बाबा, कखघ सहर जा रहे जो तो मुझे भी छोड़ते चलो,'

'बाबू हम उधर ही जायेंगे, लेकिन पहले हमें एक निकाह में मैडम को पहुँचाना है '

'वाह बाबा, इसमें दुल्हन है '

'है बाबू, कोई बहुत अमीर ख़ानदान की है, मैं ये सुन थोड़ा रूचि लने लगा , और चुप कर गाड़ी के अंदर झाँका लेकिन परदे लगे होने के कारन मुझे कुछ नहीं दिखा | लेकिन तभी दरवाजा खुलता है, और मेरी नज़र एक निहायती भोली और दिलकस दुल्हन पे जाती है और उसे देख मेरा दिल मरोर खा जाता है,,

'चाचा और कितना देर लगेगा '

ezgif-3-8f881ca6f0a3.gif


'दो मिनट और बिटिया , आप अंदर बैठी, आपको गरमी लगेगी,' मैं उसे तब तक घूरता रहा जब तक गेट बंद करते वक़्त हम दोनों की ऑंखें एक नहीं हुई, और वो ऐसे सरमाइये जैसे वो किसी फिल्म की हेरोइन हो मेरा दिल बागबान हो गया,

'सुक्रिया बाबू ' मैंने उस चाचा को धन्यवाद किया और वह से वापस बस स्टैंड पे खड़ा हो गया,

'इसका सौहार बहुत खुशकिस्मत होगा, खुदा करे इसे मेरे अब्बू जैसे धोकेबाज़ सौहार न मिले'
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,776
37,574
219
बेटा भी कम नहीं
माँ दूसरों से चुदवाती फिर रही है....मायके में
बाप ने जवान लड़की चोद ली....अब उससे दूसरी शादी करने जा रहा है
ये हर जगह से भागता फिर रहा है...........
अब दूसरे की दुल्हन और मिल गयी..........यहाँ भी शायद कोई नया कारनामा हो जाए


बहुत बढ़िया चल रही है कहानी..................अपडेट जल्दी जल्दी दो
 
Last edited:

mahadev31

Active Member
1,207
3,361
144
par kya maa ko apne bete ki koi fikar nahi jo mamu ke ghar phone karne par usse baat nahi karti ,, pati ne dhokha diya bete ne to nahi ......aur lagta hai ye dulhan jo gadi me thi yahi hero ki nayi ammi hogi .... nice update .
 

Mastramkabeta

New Member
38
149
33
५.

'आपको मुझसे दिकत है या उनसे आप पहले ये फैसला कर लीजिये' मैं अपने ममजान को चीख के पूछा, और मेरी अम्मी हमारे इस झगड़े में बिच बचाओ कर रही थी,

'बेटा तेरा मामा कुछ ज्यादा ही गुस्से वाला है, जाने दे ना , अब तो तू यहाँ आ गया है, अब सब ठीक है ' मेरा मामा का गुस्से से सर लाल हो गया था,

'क्या ठीक है दीदी, पहले तो......' मेरी अम्मी इसपे जोड़ से चीखती है,

'रहीम जाने दो, बाबू आया है, तुम उसका स्वागत करो बस, अभी तुम बहुत छोटे हो'

'पर दीदी जो मैं बोल रहा हूँ वो सब सच है, तुम्हारा सौहार एक धोकेबाज़ है, और फिर भी तुम उसके साथ वापस जाने के लिए मन गयी' मैं ये सुन खुस हो गया, और फिर दुखी भी, एक तैतरफ मेरे परिवार का दुबारा एक होने का खुसी था, और मुझे ये भी मालूम था अब कुछ भी पहले जैसा नहीं होगा, मेरी अम्मी वहा से अपने कमरे में चली जाती है, और मैं भी उनके साथ उनके कमरे में जा उनसे हाल चाल पूछने लगता हूँ, मैं अम्मी से बात कर रहा था और वो मुझसे मुस्का के बाटे कर रही थी, लेकिन मैं देख सकता था की ये मुस्कान झूटी थी, मेरी अम्मी का दुःख उनके आँखों में साफ़ साफ़ दिख रहा था,

'बेटा जा के कुछ खा लो'

'अच्छा अम्मी' मैं वहा से निकल खाने के लिए किचन में घुस गया वह पे सुबह का कुछ खाना बचा हुआ था, मैं उसे खाने लगा, खाना ठंडा था और उस ठन्डे खाने ने मुझे याद दिलाया की, अभी इसी वक़्त मेरे अब्बू दूसरे निकाह पे बैठे हुए हैं, और मेरे अंदर गुस्सा भर आया और मैं खाना घर से बहार फेक दिया, और मैं अपने अम्मी के कमरे में चला गया, मेरी अम्मी सो रही थी,

Eb-P2lq-XX0-AI68-QZ.jpg


और मेरी नज़र सीधे अम्मी के बड़े बड़े गोलाकार गांड पे अटक गयी, इतने परेशानी के समय में, मेरे अंदर के गुस्से के बावजूद, मेरी नज़र अम्मी के तरबूजे जैसे तसरीफ पे अटक गयी, और मेरे आंख के सामने एक पल के लिए उस रात की तस्वीर आयी, और मैं जैसे सम्मोहित हो गया और अपनी ही अम्मी के पास किसी जिन्न के जैसे जाने लगा, मेरे आँखों के सामने सिर्फ मेरी अम्मी के बड़े गोल गांड थी, और मैं हर चीज़ अपने हवस में भुला चूका था, मैं अम्मी के बिलकुल नज़दीक आ गया और मेरी अम्मी का रसदार गांड मेरे से एक हाथ की दूरी पे था, मैं अम्मी के सरीर की खुसबू को सूंघ पा रहा था, और मैं अपना हाथ अपने अम्मी के गांड के तरफ बढ़ने लगा,

'रेहान कहा है तू, इधर आ मेरा बाबू ' मेरी कान में मेरे नानाजान का आवाज़ आया और मेरा सम्मोहन टुटा, मैं अपनी अम्मी के एक हाथ की दूरी पे था, मैं वहां से झट से अपने नानाजान से मिलाने चला जाता हूँ,

मेरी अम्मी हर वक़्त दुखी ही दिखती थी, लेकिन मुझे मेरी अम्मी का रंडी वाला रूप मालूम था, उनके गांड की वो लचक, उनके कमर की धलए, मैं उनके पागलपन को अपने आँखोने से देखा था, और जिस तरफ मेरी अम्मी उस रात चुदवा रही थी, मुझे ये तो समझ में आ गया था की ये उनका पहला बार नहीं था, क्युकी ऐसी तो मैंने सिर्फ ब्लू फिल्म में देखि थी, जैसे अम्मी कर रही थी, उस फिल्म की हेरोइन कई मर्दो से पागलो की तरह चुदवा रही थी, उस हेरोइन का पागलपन और मेरी अम्मी का लगभग एक जैसा ही था,

------------------------------------------------------

अब्बू का निकाह का एक महीने होने को था, और मेरी हवस मेरे अपने अम्मी के लिए किसी सैतान की तरह भढने लगा था, मेरी गन्दी नज़र हमेशा उनपे रहती, और मेरी अम्मी हमेशा दुखी ही रहती, मेरी अम्मी ने अब्बू का दूसरा निकाह तो मान लिया था, लेकिन उनके लिए अब्बू का दिया हुआ धोखा पचाना बहुत मुश्किल हो रहा था, और मैं अम्मी के घर पे ही रहने लगा था, और वह पे अब्बू और उनकी नयी बेगम रह रही थी, लेकिन उससे ज्यादा मुझे अम्मी का वो हूरी रूप देखना था, मैं अपने अम्मी को नंगे हातों कांड करते हुए पकड़ना चाहता था, ताकि मैं खुद ही उनकी ब्लैकमेल कर सकू, मेरे हवस ने मुझे काफी झुका दिया था, मैं हमेशा उनके सपनो में खोया रहता था, और मैं कोई मौका ढूंढ रहा था,
 
Last edited:

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,776
37,574
219
कहानी की स्पीड बढ़ाओ.............अपडेट इतने लटका के दे रहे हो और उस पर भी कोई भी सीन पूरा नहीं हो रहा................

अगले अपडेट का इंतज़ार
 

Yash420

👉 कुछ तुम कहो कुछ हम कहें 👈
2,325
6,801
144
भाई
कामदेव भाई ने सही कहा है
कोई भी अपडेट मुझे
कंप्लीट नहीं लगा
So plz brother post a complete update
And thanks for this Nice Story ??
 

mahadev31

Active Member
1,207
3,361
144
nice update....sahi socha ammi ko range haath pakad ke blackmail karna , aur yaha pe lagta hai dono ammi aur abbu pehle se naajayaj sambandh rakhte honge ?? bus abhi sab khul raha hai hero ke saamne ....
 

Mastramkabeta

New Member
38
149
33
६.

मेरी प्यारी अम्मी, मेरी प्यारी दुलारी अम्मी, मेरी प्यारी दुलारी सेक्सी अम्मी, आह मैं अपनी अम्मी को सोच सोच के परेशां हो रहा था, जब से मैं मामा के घर आया था, मुझे अम्मी हमेशा दुखी रहती, और वो घर का काम कराती लेकिन कभी भी मैंने अम्मी का वो हूरी रूप नहीं देखा, मैं अम्मी की पीछा हर जगह करने चिप के करने लगा लेकिन मेरी अम्मी कभी भी ऐसा काम नहीं कर रही थी, जो गलत था, हमेशा घर में हमेशा भारी कपडे पहनती थी, और बहार काले नक़ाब और बुरका कर के निकलती, मुझे कुछ ही दिनों में ऐसा लगाने लगा की जो मैंने उस रात देखा था वो सिर्फ मेरा एक वहां था, उस रात की घटना सिर्फ मेरे सोच में थी, और ना की असलियत, क्या वो रात की वहम थी, थकावट मेरा दिमाग मेरा साथ नहीं दिया, क्या था वो, मेरी अम्मी को मैं पिछले दो सप्ताह से मैं किसी बाझ की तरह नज़र रखे हुए था, लेकिन मेरी अम्मी ने एक बार भी ऐसा कोई इशारा नहीं दी की कोई भी गड़बड़ है,

मेरी अम्मी खाना बना रही थी और मेरे मामा सोफे पे बैठ के किसी से बातें कर रहे थे और मेरी नज़र हमारे घर के सामने रहने वाली आंटी पे गयी, जो मैं जनता था की चालू औरत है, मेरी नज़र उनके ऊपर थी, वो भी मेरी अम्मी की तरह एक आम हाउस वाइफ थी, और मेरी नज़र उनपे कपा सूखते हुए गयी, और उनकी मम्मे तर में लचक गए, और अनायास मेरे मुँह से निकला ,

'माशाअल्लाह'

'क्या हुआ बाबू, क्या देख लिया '

मेरी अम्मी मेरे बगल में खड़ी थी, और अंदर से मैं थोड़ा सा डर गया ,

'अम्मी आप कुछ भी तो नहीं'

मेरी अम्मी का नज़र बगल वाली आंटी के ऊपर था और वो थोड़ा सा मुस्का के घर के अंदर चली गयी, मैं ये देख हवस से भर गया और मेरी नज़र फिर सामने वाली आंटी पे जाता है, और मैं वहां पे अम्मी नंगी कड़ी हो, और मैं निचे देखु, और मेरा लुंड किसी तलवार की तरह खड़ा हो गया और मैं अपने प्याज़मा को ऊपर से रगड़ने लगा , और मेरे खयालो मेरी मेरी अम्मी थी, मेरी प्यारी सेक्सी दिलकश अम्मी,

-------------------------------------------------

मेरी अम्मी मेरे अब्बू के नए निकाह के बारे में बिलकुल नहीं सुनना चाहती थी, और कोई उनके सामने ये बात उठता तो वो बहुत गुस्सा हो जाती थी, मैं अंदाज़ा लगाया की अगर मेरी अम्मी गलत है तो वो गलती गुस्से में ही करेगी, और मैं एक प्लान बनाने लगता हूँ, मेरा मकसद मुझे खुद अम्मी को मेरे निचे लाना था, मैं अभी १८ का होने में चार महीने थे, और मैंने चुत की सिर्फ तस्वीर ही देखि थी, यहाँ मैं अपनी अम्मी को अपने निचे का प्लान बना रहा था, और मेरा प्लान भी बहुत आसान था, अपनी अम्मी को अब्बू के नए निकाह का तस्वीर दिखा के गुस्सा दिलवाना, और फिर आशा करना की मेरी अम्मी फिर कोई गलत कदम ले और मैं उस गलती का फायदा उठा के खुद अपनी अम्मी को अपने हवस का सीकर बनाऊ,

मैं अपने दोस्त को फ़ोन कर अपने अब्बू के तस्वीर मंगवा लिया था, ये तस्वीर बहुत ही सादी थी, मेरे अब्बू के चेहरे में वो चमक नहीं थी, जिसे देखने का मैं आदी था, और इस तस्वीर में अब्बू की नयी बेगम का चेहरा ढाका हुआ था, एक पल को वो तस्वीर देख मुझे गुस्सा आ गया लेकिन दूसरे ही पल मुझ पे हवस चढ़ गया और मैं उस तस्वीर को लिफाफे में बंद कर के अम्मी के कमरे में रख दिया, और उसमे झूट मुठ का पता दाल दिया, और मैं अम्मी के ऊपर नज़र रखने लगा, मैं जनता था की अम्मी कुछ न कुछ करेगी, और मैं उसके लिए एक सस्ता सा रोल वाला कैमरा खरी लिया, वो लिफाफा टेबल पे राखी हुई थी, और मेरी अम्मी का नज़र दिन भर उस पे नहीं गया, और मैं व्याकुल हो रहा था,

'अम्मी आपके लिए पोस्ट आया था, क्या था उसमे' मेरी अम्मी रात को खाने के बाद मेरे बाल सहला रही थी, और वही पे लेती हुई थी,

'अरे मैं तो काम में भूल ही गयी थी रेहान वो लिफाफा बढ़ाना' और मैं वो लिफाफा अपने अम्मी के तरफ बढ़ा देता हूँ, मेरी अम्मी वो लिफाफा लेके खोलने लगाती है, और मेरा सरीर कांपने लगता और मैं वह से खड़ा हो बहार भाग जाता हूँ,

'अम्मी मैं बाथरूम जा रहा हूँ' मेरी अम्मी अपना सर हां में हिला के वो लिफाफा खोलने लगाती हैं, और मैं वही पे दरवाजे के बगल में बैठ अंदर का नज़ारा देखने लगता हूँ, मुझे अम्मी की प्रतिकिर्या देखनी थी, और मुझे अंदर से डर भी लग रहा था, मेरी अम्मी का नज़र उस तस्वीर पे जाता है, और उनके चेहरे से जैसे जो थोड़ी बहुत रौनक थी, वो भी कहीं गायब हो जाती है, और मेरी अम्मी अपना सीना पकड़ के उस तस्वीर को घूरते रहती है, और फिर मेरी अम्मी के आँखों से अंशु की एक कतरा बहते हुए दिखी और मैं अंदर से हिल गया, मैंने अपनी ही अम्मी को अपने हवस के लिए कितना दुःख दे दिया, उनकी दुखती राग पे अपने हाथ रख दिया, उनके अंशु ने मुझे झकझोर के रख दिया, और मेरे भी आँशु आ गए और मैं किसी पराजित सैनिक की तरग बहार जा के बैठ गया और रोने लगा, मेरा सारा हवस उस अंशु ने जैसे गायब कर दिया था, मैं एक चीज़ समाज गया की, मेरी अम्मी कोई महज़बी हो या सहर की बीबी, मैं कभी उनपे आंख उठा के नहीं देख सकता था, और मैं काफी देर के बाद वापस निचे आता हूँ, मेरी अम्मी रट हुए सू गयी थी, उनके अंशु से वो तस्वीर भी बह रहा था, मैं वो तस्वीरर अम्मी के हाथ से ले के फाड् देता हूँ, और अपने अम्मी के बगल में लेट जाता हूँ, मेरे अंदर का हवस मेरी अम्मी के प्रति उस दिन ख़तम हो गया, और मैं एक मादरचोद बनाने से बच गया|
 
Last edited:
Top