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ममता लण्ड चूसना छोड़ बोली," औरत का काम यही है, बाहर जितनी शरीफ बिस्तर में उतनी ही बड़ी रंडी। तुमको क्या लगता है कि, बस तुम मर्दों को मज़ा आता है, गंदी सेक्स में, जिसमें गालियां होती हैं, घिनौनी और गंदी चुदाई होती है। नहीं, हम औरतें भी इसको बहुत मज़े लेकर करती हैं।आज की रात तुमको सब बताएंगे।
कविता- हां, जय हम दोनों आज तुम्हारे होश उड़ा देंगे।" कविता लण्ड पर थूकते हुए बोली। ममता और कविता अपने हाथों से लण्ड को थूक से मल रही थी।
जय ने ममता को बोला," अरे रंडी साली ये लण्ड को पूरा मुंह में घुसा ले, और अपनी बेटी को हरा। और तुम कविता रंडी तुमको इस कुतिया को हराना है। दोनों में से जो लण्ड का ठीक से सेवा करेगी वही पहले अपना बुर आज की रात चुदवायेगी।
कविता," ये कैसे पता चलेगा, कि किसने अच्छी सेवा की?
जय- जो ज्यादा देर मुंह को लण्ड में पूरा घुसाके रखेगी, वही जीतेगी। उसकी बुर को हम सबसे पहले चोदेंगे। देखते हैं कि माँ जीतती है या तुम दीदी।
ये बोलना था कि ममता ने बिना देर किए, लण्ड मुंह में घुसा लिया। वो लण्ड के जड़ तक जा पहुंची। उसके ऊपरी होंठ जय के झांट से लड़ रहे थे, और निचला उसके आंड़ से। जय के मुंह से बस," उफ़्फ़फ़फ़फ़" निकला। कविता ममता का सर पीछे से दबा रही थी। जय उसकी नाक दबाए था। फिर भी वो बेचारी लण्ड से मुंह नहीं हटाई। उसके मुंह से लेर लगातार चू रहा था। ममता की आंखें जय की आंखों में लगातार देख रही थी। उसकी सांसें धीरे धीरे उखड़ने लगी। पर जय उसको और लंबा खींचने की प्रेरणा दे रहा था। आखिरकार 35 सेकंड तक रोकने के बाद वो स्वतः हट गई। वो जोर जोर से सांसें ले रही थी। आंख में लाल धागे खींच गए थे। जय ममता के बाल सहला रहा था। इस उम्र में ये बहुत बड़ी हिम्मत की बात थी। कविता अगले ही पल जय के तने हुए लौड़े को गले की गहराइयों में उतार गयी। लण्ड कविता के कंठ को छू रहा था। अबकी ममता कविता के सर को पकड़कर जय के लण्ड पर जोर लगा रही थी। उसने बोला," हां, सोचो कि तुम इसी पल के लिए जन्मी हो। अपने भाई का लण्ड मुंह में जितनी देर घुसओगी उतनी देर ये तुमको चोदेगा। तुम हमारी बेटी हो, ये साबित करो। हर माँ चाहती है कि उसकी बेटी, उससे भी आगे निकले। तुम कर सकती हो।"
कविता अपनी माँ का प्रोत्साहन पाकर,बड़ी देर तक जूझी, पर आखिरकार अपनी माँ के बराबर देर ही कर पाई।
कविता खौ खौ कर खांस रही थी। ममता फिर आंड़ सहलाते हुए अपनी जीभ से पूरा लण्ड चाट रही थी। जय तो सातवें आसमान पर था। दोनों के ठुड्ढी, और चुच्चियों पर अत्यधिक थूक से चमक रहे थे, जो मुख चुदाई के बाद गिरे थे। जय उन दोनों के साथ बड़ी देर तक मुख मैथुन करने के बाद, उनको उठाया और बिस्तर पर चलने के लिए बोला। ममता और कविता बिना कपड़ों के और पूरे गहनों में थी। दोनों के मांग में टीका, कानों में झुमका, नाक में नथ, गले में हार, हाथों में लाल चूड़ियां, कमर में कमरबंद, पैरों में पायल, हाथों की उंगलियों में अंगूठियां, पैरों में बिछियां। कपड़ों के नाम पर बदन पर एक चिन्दी टुकड़ा भी नहीं था। दोनों बहुत ही कामुक अंदाज़ से गाँड़ मटकाते हुए चल रही थी। जांघों और बांहों तक लगी मेहन्दी भी किसी गहने से कम नहीं थी। जय उन दोनों के चूतड़ सहलाते हुए आगे बढ़ रहा था।
जय- तुम लोगों ने मेहन्दी बहुत सेक्सी लगाई हुई है। बहुत मस्त लग रही हो दोनों।
ममता- कविता ने ब्राइडल मेकअप के लिए बुलवाया था। हम दोनों ने एक साथ करवाया।
तीनो बिस्तर पर पहुंच गए। कविता और ममता दोनों बिस्तर पर पहुंच कर घुटनो के बल बैठ गयी। जय उन दोनों के बीच आ गया और अपना चेहरा दोनों की चुच्चियों के सामने रख बोला," अरे हमारी रंडियों अपना चुच्ची हमारे मुंह पर रगड़ो।
कविता- हां, जय हम दोनों आज तुम्हारे होश उड़ा देंगे।" कविता लण्ड पर थूकते हुए बोली। ममता और कविता अपने हाथों से लण्ड को थूक से मल रही थी।
जय ने ममता को बोला," अरे रंडी साली ये लण्ड को पूरा मुंह में घुसा ले, और अपनी बेटी को हरा। और तुम कविता रंडी तुमको इस कुतिया को हराना है। दोनों में से जो लण्ड का ठीक से सेवा करेगी वही पहले अपना बुर आज की रात चुदवायेगी।
कविता," ये कैसे पता चलेगा, कि किसने अच्छी सेवा की?
जय- जो ज्यादा देर मुंह को लण्ड में पूरा घुसाके रखेगी, वही जीतेगी। उसकी बुर को हम सबसे पहले चोदेंगे। देखते हैं कि माँ जीतती है या तुम दीदी।
ये बोलना था कि ममता ने बिना देर किए, लण्ड मुंह में घुसा लिया। वो लण्ड के जड़ तक जा पहुंची। उसके ऊपरी होंठ जय के झांट से लड़ रहे थे, और निचला उसके आंड़ से। जय के मुंह से बस," उफ़्फ़फ़फ़फ़" निकला। कविता ममता का सर पीछे से दबा रही थी। जय उसकी नाक दबाए था। फिर भी वो बेचारी लण्ड से मुंह नहीं हटाई। उसके मुंह से लेर लगातार चू रहा था। ममता की आंखें जय की आंखों में लगातार देख रही थी। उसकी सांसें धीरे धीरे उखड़ने लगी। पर जय उसको और लंबा खींचने की प्रेरणा दे रहा था। आखिरकार 35 सेकंड तक रोकने के बाद वो स्वतः हट गई। वो जोर जोर से सांसें ले रही थी। आंख में लाल धागे खींच गए थे। जय ममता के बाल सहला रहा था। इस उम्र में ये बहुत बड़ी हिम्मत की बात थी। कविता अगले ही पल जय के तने हुए लौड़े को गले की गहराइयों में उतार गयी। लण्ड कविता के कंठ को छू रहा था। अबकी ममता कविता के सर को पकड़कर जय के लण्ड पर जोर लगा रही थी। उसने बोला," हां, सोचो कि तुम इसी पल के लिए जन्मी हो। अपने भाई का लण्ड मुंह में जितनी देर घुसओगी उतनी देर ये तुमको चोदेगा। तुम हमारी बेटी हो, ये साबित करो। हर माँ चाहती है कि उसकी बेटी, उससे भी आगे निकले। तुम कर सकती हो।"
कविता अपनी माँ का प्रोत्साहन पाकर,बड़ी देर तक जूझी, पर आखिरकार अपनी माँ के बराबर देर ही कर पाई।
कविता खौ खौ कर खांस रही थी। ममता फिर आंड़ सहलाते हुए अपनी जीभ से पूरा लण्ड चाट रही थी। जय तो सातवें आसमान पर था। दोनों के ठुड्ढी, और चुच्चियों पर अत्यधिक थूक से चमक रहे थे, जो मुख चुदाई के बाद गिरे थे। जय उन दोनों के साथ बड़ी देर तक मुख मैथुन करने के बाद, उनको उठाया और बिस्तर पर चलने के लिए बोला। ममता और कविता बिना कपड़ों के और पूरे गहनों में थी। दोनों के मांग में टीका, कानों में झुमका, नाक में नथ, गले में हार, हाथों में लाल चूड़ियां, कमर में कमरबंद, पैरों में पायल, हाथों की उंगलियों में अंगूठियां, पैरों में बिछियां। कपड़ों के नाम पर बदन पर एक चिन्दी टुकड़ा भी नहीं था। दोनों बहुत ही कामुक अंदाज़ से गाँड़ मटकाते हुए चल रही थी। जांघों और बांहों तक लगी मेहन्दी भी किसी गहने से कम नहीं थी। जय उन दोनों के चूतड़ सहलाते हुए आगे बढ़ रहा था।
जय- तुम लोगों ने मेहन्दी बहुत सेक्सी लगाई हुई है। बहुत मस्त लग रही हो दोनों।
ममता- कविता ने ब्राइडल मेकअप के लिए बुलवाया था। हम दोनों ने एक साथ करवाया।
तीनो बिस्तर पर पहुंच गए। कविता और ममता दोनों बिस्तर पर पहुंच कर घुटनो के बल बैठ गयी। जय उन दोनों के बीच आ गया और अपना चेहरा दोनों की चुच्चियों के सामने रख बोला," अरे हमारी रंडियों अपना चुच्ची हमारे मुंह पर रगड़ो।