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Incest क्या ये गलत है ? (completed)

Siraj Patel

The name is enough
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Sr. Moderator
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Hello Everyone :hello:

We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..


Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.


Regards : XForum Staff.
 

Rakesh1999

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ममता की बात सुन जय," हमारे अंदर चोदने की ललक और बढ़ गयी है। तुम्हारी ये बात सुनकर। हम तुम्हारे प्यास को जानते हैं। तुम जल्दी से संतुष्ट होने वाली नहीं हो। और नाही तुम्हारी बेटी। दोनों बिस्तर पर चुद्दक्कड़ रंडियां बन जाती हो।और आज तो दोनों साथ में हो,इसलिए तुमलोगों ने ऐसा किया है ना।"
ममता- हहम्मम्म, हाँ बेटा सैयांजी। इरादा कुछ ऐसा ही था।
जय- तो देख क्या रही हो, लण्ड पर वापस चढ़ जाओ और अपनी नारीत्व का नग्न नाच फिर शुरू करो।
कविता दरवाज़े पर आते ही बोली," लण्ड पर चढ़ कर नाचने की अब हमारी बारी है।हम और माँ बारी बारी से चुदायेंगे।"
ममता मुस्कुरा उठी," देखा, बेटा सैयांजी दो बीवियों के फायदा। इस लण्ड पर चढ़ने को कोई ना कोई तैयार ही रहेगी। माँ के बाद बेटी की बारी।
कविता बिस्तर पर चढ़ आयी थी। वो जय के लण्ड पर थूक की मालिस कर रही थी।
जय- माँ, तुम चुदाई की सबसे अनुभवी खिलाड़ी हो। लेकिन तुम्हारी बेटी, तुमसे कम नहीं है। ब्लू फिल्मों की तरह खूब चुदवाती है, और तुम भी पारंपरिक चुदाई से आगे बढ़ो, और आजकल जिस तरह से चुदाई की जाती है वैसे करो। जाकर अपनी बेटी के बुर से अंदर बाहर होते लण्ड को जीभ से चाटो। ताकि बुर का सौंधा नमकीन पानी, तुम्हारे मुंह में समाए। और थोड़ी भी हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।
ममता- ठीक है, हम समझ रहे हैं, तुम जो कहना चाहते हो। यही ना कि अब हमको तुम्हारी तरह गंदी, और घिनौनी चुदाई करनी पड़ेगी।" वो उसके माथे को चूम कर बोली," हम तुमको अब खुश करने के लिए, हर हद पार कर देंगे।"
कविता- माँ, इसी में तो मज़ा है, आ जाओ और भाई के लण्ड की सवारी करने में अपनी बेटी की मदद करो।
ममता नीचे खिसकते हुए गयी। और कविता के हाथों से लण्ड लेकर, उसको जय के लण्ड पर बैठने का इशारा किया। कविता दोनों पैर जय के कमर के अगल बगल रख बैठने लगी। वो अपने दोनों हाथों से चिकनी चूतड़ को हिला रही थी। कविता जब नीचे आआई, तो ममता ने अपने मुंह से थूक निकालकर, उसके बुर पर मला। फिर बुर को एडजस्ट की, लण्ड के सामने और ममता ने लण्ड खड़ा रखा था। कविता के नीचे आते ही लण्ड उसके बुर में समाने लगा, जैसे माखन पर गरम चाकू हो।कविता और जय दोनों के मुंह से आआहह निकली। ममता अब कविता के पीठ से चिपक गयी। अपनी चुच्चियाँ उसकी पीठ में गराने लगी। कविता की चुच्चियों को पकड़कर सहला रही थी। कविता और ममता माँ बेटी अब कम सेक्स पार्टनर ज्यादा लग रही थी। दोनों आपस में चुम्मा ले रही थी।
कविता चूमने के बाद अलग होते हुए बोली," माँ, हम ठीक से चुदवा रहे हैं ना? हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं, देखो चूचियाँ पूरी तनी हुई है, बुर एक दम भीगा है, मन में चुदने की प्यास है और बुर में भाई का लौड़ा भी है। तुम भी ऐसे ही चुदवाई होगी ना, अपने पहले सुहागरात में। हम तुम्हारी परंपरा आगे बढ़ा रहे हैं। आखिर तुमसे ये चुदवाने की कला विरासत में जो मिली है।"
 

Rakesh1999

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ममता अपनी बेटी को ज्ञान देते हुए बोली," कविता, ये हमेशा से ही औरतों का कर्तव्य रहा है, कि बिस्तर में रंडी का स्वभाव अपनाए। एक औरत को जीवन में सब किरदार, निभाने होते हैं, पत्नी का, माँ का, बहन का, बेटी का और बिस्तर में वेश्या का। हर पत्नी पति की वेश्या होती है। और वेश्या का काम, अपने मर्द को खुश करना होता है।बिस्तर में उनकी नाज़ायज़ मांग भी पूरी की जाती है,ताकि वो तुम्हारे बदन का भोग करके, संतुष्ट हो जाये। इस वक़्त तुम और हम एक वेश्या के किरदार में है। अगर हम दोनों बिस्तर पर, जय का पूरा ध्यान रखेंगे, तो ही ये हमारी हर ज़रूरत पूरी करेगा। हम चाहते हैं, तुम इस बात को ध्यान में रखो। और खुदको, समर्पित कर दो। तुम जब भी चुदवाती हो, तुम्हारे अंदर हम खुद को देखते हैं। अपनी जवानी की झलक मिलती है। वही चुच्चियों को हिलना, वही गाँड़ का थिरकना, बुर से बहता लसलसा पानी और चेहरे पर चुदने की प्रबल इच्छा। तुम वाकई, किसी भी मर्द को खुश कर सकती हो।" ममता उसकी उछलती चुच्चियों को भींचते हुए ज्ञान दे रही थी। एक माँ, अपनी बेटी को चुदाई का प्रैक्टिकल क्लास दे रही थी।
जय- वाह, रे रंडी बहुत अच्छा ज्ञान दे रही हो, अपनी बेटी को। तुम जैसी महान माँ, हो तो घर में बेटी को रंडी की ट्रेनिंग फ्री में मिलेगी। चलो अब लण्ड चाटो, और अपनी बेटी के बुर का स्वाद चखो।"
ममता हंसी, कविता कामुकता की वजह से सिर्फ मुस्कुराई। ममता झुककर सीधा, बुर से अंदर बाहर होते, उसके रस से भीगे चमकते लण्ड पर, अपनी जीभ फेरने लगी। वो ने के टांगों के बीच लेटी थी, कविता लण्ड पर सवारी कर रही थी। बेटी बुर में लण्ड घुसाए कूद रही थी, और माँ उसके बुर के रस को बेटे के लण्ड पर से साफ कर रही थी। ममता की आंखे, दोनों के यौनांगों, के एक दम करीब थी। जय का आंड़ जामुन की तरह लटका था, और लण्ड कविता के बुर में घुसकर गायब हो जाता था, फिर उछलने से आधा दिखता था। कविता की बुर जैसे लण्ड को चारों तरफ से पकड़के सिकंजा कसे हुए थी। ममता, कविता के चूतड़ पकड़के, उसकी उछलने में मदद कर रही थी। लण्ड के निचले हिस्से, की फूली हुई नली और नसें, उसके जीभ के संपर्क में आकर और लण्ड की फड़कन बढ़ा रही थी। कविता की बुर का निचला हिस्सा, जिधर गाँड़ होता है, उस हिस्से से गजब की महक आ रही थी। कविता के बुर का रस, लण्ड और बुर की गर्मी से, कामुक गंध में बदल कर ममता के नाक में घुस रही थी। कविता के गाँड़ और बुर के बीच का हिस्सा कोई आधा इंच का गहरा साँवला रंग का था। ममता उस हिस्से को जीभ से चाटने लगी और जय के आंड़ को सहला रही थी। ममता चाटते हुए बीच में थूक लगा देती। कविता के चूतड़ों से जय के लण्ड के बांए और दांये, बुर के रस और थूक के मिश्रण से बने गीली पदार्थ के धागे जुड़ गए थे। पूरे कमरे में थप थप की मधुर आवाज़ें गूंज रही थी, जो कविता के चूतड़ों के प्रहार से उत्पन्न हो रही थी। कमरे की निर्जीव चीज़े, भी जैसे इस मनोरम दृश्य को देख रही थी। तभी कविता के तेजी से चूतड़ उछालने की वजह से लण्ड बाहर आ गया और ममता के गालों से टकराया। कविता हंसने लगी और बोली," माँ, देखो ना लण्ड नाराज़ तो नहीं है, बाहर भाग गया।"
 

Rakesh1999

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ममता- रुक जा मना के वापस भेजते हैं।" ममता ने जय के लण्ड को पकड़ा, वो बहुत ज्यादे, गीला था। उस पर बुर का रस बहुत ज्यादे लगा हुआ था। लण्ड को छूने से एक दम चिपचिपा सा महसूस हो रहा था। ममता लण्ड को अपने मुंह में घुसा ली और जीभ से चाटने लगी। उसे जय के लण्ड से निकले रस और कविता के बुर के रस से बना, ये बेहद गीला, चिपचिपा मिश्रण बहुत भा रहा था। जैसे ममता कोई चासनी चाट रही हो। कविता अपनी माँ, को ये करते हुए देख रही थी। जय ने भी ममता के इस हरकत को देखा तो अपने तलवे से ही उसकी पीठ थपथपाई। ममता जय के लण्ड को अपने पूरे चेहरे पर मल रही थी। फिर सुपाडे पर थूक का बड़ा लौंदा, चुआ दिया और उसे पूरे लण्ड पर मल दिया। ममता ने ऐसा दो तीन बार थूका, और लण्ड वापस कविता के बुर में ठेल दी। कविता बेहद कामुक अंदाज़ में अपने एक हाथ से गाँड़ सहला रही थी, और दूसरे हाथ की बड़ी उंगली मुंह में घुसाए थी। वो फिरसे उछलने लगी। जय ने उसके चूतड़ों पर अब तक 20 25 तमाचे लगा दिए थे। कविता हर थप्पड़ पड़ने पर जोर की आआहहहहहह भरती थी। उसके आंखों में उस दर्द से कामुक तरंगे उठती थी, जो उसके कामुक चेहरे को और अधिक काम पिपासी बना देती थी। हर थप्पड़ पर गाँड़ में थिरकन होती थी। तभी, जय कविता को अपनी बांहों में कसके पकड़ लिया। और अपनी कमर नीचे से ही बहुत तेजी में उछाल कर ताबड़तोड़ चोदने लगा। कविता की कामुक आँहें और तेज हो गयी और धीरे धीरे वो आँहें कामोन्माद से भरी चीखों में तब्दील हो गयी। कविता बहुत तेजी से झड़ी और लण्ड खुद ही बह आ गया। कविता के बुर से पानी की धारा बह निकली। ये उसके जीवन का सबसे बड़ा झड़ना था। वो जय के शिकंजे में फड़फड़ा रही थी।
जय उसके चुच्ची पर काट रहा था। वो पूरा पसीना पसीना हो गया था। शायद वो भी झड़ना चाहता था। कविता अब तक दो बार झड़ी थी। और होश थोड़े देर के लिए सुन्न पर गए थे। ममता ने कविता को जय से अलग किया और खुद लण्ड को बुर में ले ली। कविता बाजू में लेट गयी। जय इस वक़्त बहुत ही उत्तेजित था। उसने ममता को बिस्तर पर पटक दिया, और खुद उसके पीछे करवट होकर लेट गया। ममता की टांग उठा कर, अपना लण्ड उसके बुर में पेल दिया। एक हाथ से उसके काली जुल्फों को कसके पकड़े हुए था, जिससे ममता उसकी आँखों में देख रही थी। दूसरे हाथ से उसकी टांग उठाये हुया था।ममता अपना दाहिना हाथ पीछे की ओर उसके सर पर रखे थी। और उसकी आँखों में, आंख डालकर आहें भरते हुए, पेलवा रही थी। नीचे बुर पर तगड़े शॉट्स, और बाल खिंचने से उत्पन्न दर्द होने के बावजूद उसकी आँहें और सीत्कारें बढ़ती ही जा रही थी। जय तो जैसे रुकना ही नहीं चाहता था। वो ताबड़तोड़ ममता के बुर को चोदे जा रहा था।
जय- आआहह, आह, आह, क्या चीज़ हो तुम ! तुम्हारी पेलाई करने में बड़ा मजा आ रहा है।
ममता- आ...आ....आ आआ ..... हहम्मम्म हह हह.... तुम जैसा आदमी मिले तो पेलवाने में और मज़ा आता है। चोदो हमको, देखो हम तुम्हारी माँ हैं, अपनी माँ को चोदो। देखो हमको कितना मज़ा आ रहा है। आआहह.... आईई....
जय ममता के बाल को और खींचता है, ममता का मुंह खुल जाता है। जय उसके खुले मुंह में थूक देता है। जय," घोंट जाओ।" ममता वो घोंट गयी,जैसे वो कोई प्रसाद हो। ममता अपनी जीभ बाहर निकालकर मुंह खोल रखी थी,तभी वो फिरसे थूक देता है, वो उसे भी घोंट लेती है।


कविता जय की पीठ सहला रही थी। जय का चेहरा लाल हो चुका था, पसीने से तीनों, ऐसी कमरे में भी बेहाल थे। ममता दो बार चुद चुकी थी, पर फिर भी जय की ताबड़तोड़ चुदाई से खुद पर काबू रख नहीं पाई। कामुकता से ओत प्रोत होकर बुर की बांध खोल दी। उधर जय चिंघाड़ते हुए, झड़ने लगा, ममता भी अपने बुर को सहलाते हुए झड़ गयी। कविता ने लण्ड से मूठ निकलने से तुरंत पहले, बुर से लण्ड निकालकर अपने मुंह में रख ली। जय ने करीब 10 12 झटकों में सारा मूठ, कविता के मुंह में निकाल दिया। उधर ममता भी बहुत तेज़ झड़ी। उसके बुर से भी काफी रस चू कर बिस्तर पर फैल गया। ममता अपनी बुर पर अपनी हथेली पटक रही थी। जय बिस्तर पर निढाल हो गया। वो पिछले दो घंटों से अपनी माँ बहन को बारी बारी से तीन तीन बार चोद चुका था। वो पलंग के किनारे लगे ऊंचे हिस्से पर पीठ के बल बैठ गया। उसका लण्ड अभी भी फड़क रहा था। कविता घुटनो पर बैठी, दोनों हाथ आगे रख, जय को देख मुस्कुराई। ममता उठी और कविता के पास ठीक वैसे ही बैठ गयी, जैसे कि वो। कविता ने फिर अपना मुंह खोला, और जय को उसका मुठ दिखाया। कविता का मुंह उसके सफेद गर्म रस से भरा हुआ था। कविता ने फिर ममता के चेहरे को झुकाया और अपना मुंह उसके खुले मुंह के सामने ले आई। जय ने ममता के चेहरे को गौड़ से देखा जैसे वो कह रही थी, की जल्दी से ये मूठ, हमको दे दो। कविता ने फिर धीरे धीरे मूठ उसके मुंह में दे दिया। सारा मूठ मुंह में लेने के बाद, ममता जय की ओर देखी और फिर मुंह खोलकर उसे दिखाई।
 

Rakesh1999

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इसके बाद मुंह मे उसे चारों ओर घुमाया और कविता के मुंह में आधा दे दी। दोनों माँ बेटी ने आधा आधा मुंह में लेकर उसको मुँह में चलाया। उसके बाद दोनों उसको बेहिचक घोंट गयी। फिर दोनों आपस में किस की। दोनों तिरछी नज़रों से जय को देख एक दूसरे की जीभ चाट रही थी।
जय ने फिर कविता को अपने करीब आने का इशारा किया, और कविता पालतू कुतिया की तरह उसके पास पंजों और घुटनों के बल चलकर पहुंच गई। जय उसके होंठों को खूब चूमने लगा और कविता अधरों को अपने गिरफ्त में लेकर खूब चूसा। फिर ममता भी उसके इशारे पर उसके पास आई और खुद ही उसके चेहरे को पकड़कर होंठों को चूमने लगी। जय बारी बारी से दोनों को चूम रहा था। ममता और कविता उसके सीने को सहलाकर अपनी अपनी चुच्चियाँ उसके बदन पर रगड़ रही थी। जय थोड़ा थका सा था। उसने ममता की आंखों में देखा, जिसमें अब बेटे के तौर पर उसके लिए, प्यार काम था, और पति के तौर पर ज्यादा था। जय ने उन दोनों के चूतड़ों को दोनों हाथों से थामा, और सहला रहा था। उनकी गाँड़ की दरार में उंगलियां रगड़ रहा था, और दोनों चूतड़ उठाकर उसका सहयोग कर रही थी,ताकि उसका हाथ और अंदर तक पहुंचे।
कविता- भाई, लगता है तुम थक गए हो? सोना भैया, माँ को चोदने में ज़्यादा मज़ा आया या हमको?
जय- अरे मादरचोद, तुम जैसी दो बीवियां एक साथ चोदेंगे तो थकेंगे ना, दोनों बहुत गरम, चुदैल रंडियां हो।







ममता हंसते हुए बोली," अब तो आदत बना लो बेटा सैयांजी, अभी तो चुदाई पूरी कहाँ हुई है। अभी तो रात बाकी है, देखो अभी तो ढाई ही बजे हैं। ये लो दूध पी लो, ताक़त आएगा।
जय ममता के बुर को दबोच लिया, ममता चिहुंक उठी। जय बोला," हमारा भी मन नहीं भरा है। तुम दोनों को जब तक मन भर चोद ना लें तब तक सोएंगे नहीं। चलो दूध पिलाओ ना रानी अपने हाथों से।

ममता गिलास उठा ली, जो बिस्तर से लगे मेज़ पर रखा था और उसकी ओर घूमकर दूध पिलाने लगी। कविता उन दोनों को देख रही थी। ममता उसकी आँखों में आंखे डालकर दूध पिला रही थी, और जय भी बिना पालक झपकाए ममता को देख रहा था। जय ने फिर ग्लास हटाने का इशारा किया। उसके ऊपरी होंठ पर दूध लगा हुआ था,होंठों से दूध टपक रहा था। ममता उसके होंठों को चूमने लगी।दोनों अलग हुए, तो जय ने ममता के हाथ से ग्लास ले लिया और घूंट भर लिया। और ममता के खुले मुंह में गिराने लगा। ममता सब पी गयी। कुछ देर बाद जय ने कविता के साथ भी यही किया। दोनों बेबाक हो चुकी थी। लेकिन जय को थोड़ा, आराम चाहिए था इसलिए उसने, कविता से पूछा," तो तुमलोगों ने मामा और मौसी को कैसे मना लिया?
ये सुनकर दोनों हसने लगी, फिर ज़ोर के ठहाके लगाई। दोनों पांच मिनट तक हंसती ही रही। फिर कविता बोली," माँ, ये तुम ही बताओ ना। ज़्यादा मज़ा आएगा।
ममता- अच्छा, ठीक है। तो सुनो हम दोनों उस रात एक दूसरे के साथ ही सो गए। ये जाने बगैर की आगे हमारा क्या होगा? दो दिन बाद जब सत्य के आफिस जाने के बाद, हम और कविता घर की सफाई कर रहे थे। हमारी नज़र एक सूटकेस पर पड़ी ( ये वही सूटकेस था, जिसे ममता पहले भी देखी थी)। हम उसको खोले तो, उसमें एक डायरी और एक पुरानी चिट्ठी थी। कहते हैं कि जिस चीज़ को चाहो, तो कभी कभी वो खुद ही तुम्हारे पास चली आती है। उस चिट्ठी में, सत्य ने माया के नाम चिट्ठी लिखी थी। वो माया को बहुत प्यार करता था, उसे अपनी प्रेमिका बनाना चाहता था। पर कभी उसकी हिम्मत नहीं हुई वो चिट्ठी, देने की। उसमें उसने एक घटना का भी जिक्र किया था, जब माया की तबियत खराब हुई थी, तो कैसे उसने उसके लिए मन्नतें मांगी थी। ये चिट्ठी उसने बारहवीं, पास करने पर लिखी थी। जब माया और हम, माँ के देहांत के बाद गए थे। हम कविता को ये चिट्ठी दिखाए और हम दोनों सोच लिए, कि अब सत्य को मनाना आसान हो जाएगा। और उस दिन जब वो घर आया तो.....
ममता खाना खाने के बाद सीधे उसके कमरे में गयी। सत्य कपड़े बदल कर बिस्तर पर, लेटा हुआ था। ममता को देख वो बोला," अरे दीदी क्या हुआ? सोई नहीं।
ममता- तुमसे कुछ पूछना था।
सत्य- हां, पूछो क्या बात है?
ममता- सत्य सच सच बताओ कि तुम शादी क्यों नहीं कर रहे हो?
सत्य- क्या दीदी, तुम फिर शुरू हो गयी।
ममता- अरे, सीधे सीधे बताओगे की नहीं।
सत्य- अरे हम अभी शादी नहीं करेंगे।
 

Rakesh1999

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ममता- कब करेगा ये बता दो,खाली?
सत्य- अरे छोड़ो ना, क्या तुम भी पीछे पड़ी हो। जाओ सो जाओ।
ममता- क्यों, गलत पूछे हैं? कि तुम किसी और को चाहता है?
सत्य- ऐसा कुछ नहीं है। हम बस ऐसे ही खुश हैं।
ममता उसकी आँखों में देखते हुए, बोली," माया को बहुत प्यार करते हो ना। अपनी ही सगी बहन को लव लेटर लिखे हो।


सत्य अवाक रह गया, उसकी नज़र सीधे उस सूटकेस पर पड़ी, वो ममता की ओर फिर देखा, तो ममता अपने हाथ में चिट्ठी पकड़े हुए थी।
ममता ने सत्य को वो वापस दे दिया, और बोली," तुम बिल्कुल अपने भांजे पर गए हो। वो भी अपनी ही बहन को प्यार करता है। हां, जय और कविता एक दूसरे को प्यार करते हैं। तुम भी माया को बहुत प्यार करते हो ना? संकोच मत करो। सच कह दो, शायद हम तुम्हारी कुछ मदद कर सकें।
सत्य- अच्छा, पर.. पर तुम ये सब क्या कह रही हो? जय और कविता को तुमने कुछ नहीं कहा। ये रिश्ता तुम स्वीकार कैसे कर ली दीदी? तुम पागल तो नहीं हो गयी हो?
तभी कविता रूम में आ गयी," प्यार में कोई सही गलत नहीं होता मामाजी, प्यार तो खुद में एक पवित्र बंधन है। जो आपको हुआ है, माया मौसी से, जो हमको हुआ है, अपने भाई जय से। समाज तो प्यार में भी रिश्तों का बंधन खोज लेता है। पर प्यार इन सब चीजों से ऊपर है, ना कोई छोटा है ना कोई बड़ा, ना कोई बहन है ना कोई भाई।
तभी ममता बोली," नाहीं कोई माँ और नाहीं बेटा।
सत्य- मतलब? अचंभित होकर बोला
कविता- मतलब, ये कि हम और माँ दोनों जय से प्यार कर बैठे हैं। और आपसे कहने में हिचक रहे थे। पर आपकी चिट्ठी, मिलने पर हम दोनों की हिम्मत बंधी है। आप अगर चाहे तो, माँ आपको आपके प्यार से मिलवा सकती है। शायद वो भी अब तक किसी सच्चे प्यार की उम्मीद में इंतज़ार कर रही हैं। वो प्यार आपकी आंखों में हम देख सकते हैं।"
ममता- सत्य, क्यों खुद के जज्बात, को दबाने की कोशिश कर रहे हो। तुम्हारी आँखे चीख चीखकर कह रहीं है, कि तुमको माया से बहुत प्यार है। जब भी वो घर आती थी, तो तुम उसके इर्द गिर्द ही मंडराते थे। जब वो बीमार हुई थी, तो रात रात भर हॉस्पिटल में रहे थे, लगातार 4 दिन तक। कितनी अभागन है कि, वो जिस प्यार को ढूंढ रही थी, वो उसके भाई के दिल में था। तुम्हारे दिल में था। तुम उसके सपनों के राजकुमार हो। और वो भी इस बात को नहीं पहचान पाई अब तक।"
सत्य फिर गहरी सांस लेकर बोला," दीदी, तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो। हम माया दीदी को शुरू से ही बहुत चाहते हैं। उनको कभी किसी और के साथ नहीं देख सकते थे हम। पर जब तक हमको होश आया, उसकी और छोटे जीजजी की शादी हुए 18 बरस बीत चुके थे। हम तब सोच लिए, की उनको सब बताएंगे। पर घर की इज़्ज़त का ख्याल रखकर, हम अपने प्यार की बलि दे दिए। और हमको ये भी नहीं पता था, कि वो हमारा साथ देगी की नहीं। इसलिए हम चुपचाप थे। पर आज तुमलोगों ने हमारे अंदर दबी आग फिर भड़का दी है। वो अगर हमको मिल जाये तो, हम अपनी पूरी ज़िंदगी खुशी से काट लेंगे। और अगर तुम ऐसा कर दी, तो तुम्हारे लिए कुछ भी करेंगे।
ममता- हम तुमसे वादा, करते हैं कि आज से 3 दिन के अंदर माया, तुम्हारे पास होगी और तुम्हारे प्यार को क़ुबूल करेगी। पर तुमको भी एक वादा करना है, की तुम अपनी भांजी की शादी अपने भांजे के साथ, सारे रीति रिवाज से करवाओगे।
सत्य- वादा दीदी, अगर तुम कहो, तो तुम्हारी शादी भी तुम्हारे बेटे से उसी मंडप में करवा दें।
कविता- बहुत सही कहा, मामा जी। हम माँ बेटी एक ही मंडप में शादी करेंगे और एक साथ एक ही आदमी की दुल्हन बनकर, एक साथ विदा होंगी। क्या मस्त आईडिया है।
 

Rakesh1999

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सत्य- दीदी, ये ठीक कह रही है। तुम खुद भी जय से शादी कर लो।
ममता मुस्कुराते हुए," फिर तो ये हमारी दूसरी शादी होगी।"
सत्य और कविता उसकी ओर एक पल देखे और फिर मुस्कुरा उठे। सब इतनी आसानी से हो जाएगा, ममता ने कभी नहीं सोचा था। पर ये उसीका आईडिया था, की वो अभी ये बात किसी से नहीं कहेंगी। यहां तक कि जय को भी नहीं।
ममता ने उसी समय कविता को फोन लगाया और बोली कि सत्यप्रकाश बहुत बीमार है, जल्दी आ जाओ अगली गाड़ी पकड़ कर। माया बहुत हड़बड़ा गयी, पर अगले ही दिन गाड़ी पकड़ अकेले ही चल दी थी। और 24 घंटे के अंदर दिल्ली पहुंच गई। जब वो स्टेशन पर उतरी तो, सामने सत्य को देखी, उसने सत्य की ओर देखा और पूछी," क्या हो गया है, ठीक हो ना तुम, दीदी बोली कि तुम्हारी तबियत बहुत खराब है।
सत्य- हां, हम ठीक हैं, तुम घबराओ मत, चलो घर चलो।
दोनों ऑटो पकड़ घर की ओर चल दिये। वैसे तो, सत्य पहले भी माया को ऐसे अपनी प्रेमिका के तौर पर देखता था। पर आज कुछ और ही बात थी।ममता की कही बात उसे एक नए उमंग और ऊर्जा से भर चुकी थी। शायद हां शायद माया उसकी हो जाएगी या शायद इस बार माया से उसकी आखिरी मुलाक़ात होगी। ऑटो में माया सो गई थी। उसकी जुल्फे हवा में लहरा रही थी। उसका ब्लाउज काफी लो कट था। चुच्चियों कि अर्ध गोलाइयों काफी बाहर थी। उसका आँचल ढलकर किनारे हो चुका था। चूचियों के बीच उसका मंगलसूत्र उसकी सुहाग की निशानी था। सत्य को वो काफी चुभ रहा था।
घर पहुंची तो वो सीधे ममता से बोली, की तुम बोली थी कि सत्य बीमार है पर वो तो सामने ठीक ठाक खड़ा है।
ममता- ये ऊपर से ठीक है, पर अंदर से बीमार है। इसे बहुत गंभीर बीमारी हो गया है।
माया- क्या कौन सा कहीं एड्स वगैरह तो नहीं हो गया है?
ममता- अरे नहीं, उससे भी खतरनाक बीमारी, इसे लवेरिया हो गया है।
माया- लवेरिया, ये कौन सा बीमारी है।
ममता- इसको एक लड़की से प्यार हो गया है। और उससे इसकी शादी करनी है। नहीं तो ये पागल हो जाएगा। पिछले 10 साल से ये उसको प्यार करता है, पर उससे कुछ कह नहीं पा रहा है।
माया- अरे हमको तो तुमलोग डरा दिए। हम बोले कि पता नहीं क्या हो गया। सत्य को कौन पसंद है। चलो उससे बात करें। बहुत उम्र हो गया है इसका वैसे भी।
ममता- कहीं जाना नहीं है। वो लड़की यहां है।
माया- अच्छा कहां है, घर पर बुलाये हो। किधर है?
ममता- मिलवाएंगे, पर तुम पहले नहां लो, तैयार हो जाओ।
माया- चलो ये भी ठीक है। हम फ्रेश हो जाते हैं।
 

Rakesh1999

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माया अंदर कमरे में चली गयी। ममता ने सत्य को आफिस जाने को बोल दिया। सत्य ऑफिस चला गया। उसके जाने के बाद ममता माया के साथ कमरे में घुस गई। माया जल्दी से नहा ली, और जैसे ही बाहर आई उसने देखा कि ममता कमरे का दरवाजा बंद कर चुकी थी। माया ने इस वक़्त सिर्फ पेटीकोट पहनी थी। और ममता बिल्कुल नंगी होकर उसके सामने खड़ी थी। दोनों ने आंखों का इशारा पाकर खुद को एक दूसरे की बांहों में झोंक दिया। दोनों आपस में चुम्मा चाटी करने लगे। और पलक झपकते ही माया साया उतारकर अपनी बड़ी बहन की ही तरह संगमरमर की नंगी मूरत लगने लगी। दोनों का दूधिया बदन और एक दूसरे पर हावी होकर बिस्तर पर गिर पड़ी। दो परिपक्व औरतों के बीच, एक बहुत ही उत्तेजना से भरपूर काम लोलुपता की चाशनी में डूबी हुई, चुदाई का नंगा नाच चल रहा था। दोनों एक दूसरे के नंगे बदन को ऐसे चाट रहे थे, जैसे प्यासा कुवें से पानी पीता है। दोनों लण्ड की आग में, जल रही थी। पर बुर मसलने के अलावे कोई दूसरा साधन नहीं था। ये बिल्कुल ऐसा ही था कि दो सेक्स की भूखी शेरनियों, को शेर ही ना मिले। दोनों एक दूसरे को कभी ऊंचे, तो कभी नीचे पटक रही थी।
माया- ऊफ़्फ़फ़, दीदी आह तुम्हारा साथ भी, गजब है। हमको अकेले छोड़ आती हो। अब तो जैसे सेक्स की भूख घट नहीं रही है, बल्कि इस उम्र में लण्ड की प्यास बढ़ती जा रही है। अब तो उनसे कुछ खास होता नहीं है। हम तो दिन रात सेक्स की आग में जल रही है। आआहह, ज़रा और बुर में अंदर घुसाओ।


ममता- माया, हम खूब समझते हैं, लण्ड की प्यास को। हम तो खुद ही बहुत प्यासे रहते हैं। अब तक तो हम दोनों ही एक दूसरे का सहारा हैं। आआहहहहह... पर तुम चाहो तो हम दोनों की इस भूख प्यास का इलाज हो सकता है।
माया अपने भारी भरकम चूतड़ों पर थप्पड़ लगाते हुए बोली," कैसे दीदी, इस उम्र में अब हमलोगोंको कौन अपनाएगा? हम दोनों तो वैसे भी जवानी की चौखट पर हो चुकी है।
ममता उसके होंठ चूमकर बोली," यही तो तेरी गलतफहमी है। सारे मर्द एक से नहीं होते बल्कि कुछ लोगों को हम जैसी परिपक्व औरतें पसंद आती है। और आज भी हम तुम कई मर्दों के नींद उड़ाने का दम रखते हैं।
माया ममता की बुर मसलते हुए बोली," सच दीदी, अब तो अगर हमको कोई बस लाइन मार दे, तो खुश हो जाते हैं। पर ऐसा कौन है जो हमको चाहेगा।
ममता- बहुत हैं, हमको तो एक मिला है, और तुम चाहो तो तुम्हारे लिए भी एक नया जवान लण्ड, मिल जाएगा। जो तुमको खूब चोद चोद कर अपनी रंडी बना लेगा। वो तुमसे प्यार भी बहुत करता है।
माया- कौन है वो?
ममता- वो तुम्हारा आज से नहीं, बहुत दिनों से आशिक़ है। तुमको दिन रात याद करता है। तुम्हारे याद में अब तक शादी नहीं कि है। वो आज भी तुम्हारे प्यार का प्यासा है। और अगर तुम चाहो तो उस प्यासे का कुवां बनके इलाज कर सकती हो, और वो भी तुमको बहुत खुश रखेगा।
माया- पहेलियां, मत बुझाओ हमको, जल्दी से नाम बताओ उसका। कौन है जो हमको इतना प्यार करता है और हम उसको जानते नहीं हैं।
ममता- तुम जिसकी दुल्हन देखना चाहती हो, वो और कोई नहीं तुम खुद हो। सत्य जिससे शादी करना चाहता है, वो तुम हो। तुम ही उसके सपनों की रानी हो। वो तुमको बहुत खुश रखेगा।
माया उत्तेजना में थी," क्या बोल रही हो, हमको अपने छोटे भाई की दुल्हन खोजना है, खुद उसकी दुल्हन नहीं बनना है। वैसे भी ये तो समाज के खिलाफ है, ये कैसे कर सकते हैं।
ममता- क्योंकि....... ये गलत नहीं है।
 

Rakesh1999

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इस वक़्त तुम हमारे साथ, जो कर रहीं हो, वो क्या जायज है। या हम दोनों एक साथ शशि से चुदवाते थे, वो सही था क्या? यहां तो वो तुमको चाहता है। शशि से तुम्हारी शादी तो मजबूरी में हुई थी, पर यहां कोई बंधन नहीं है। तुम चाहो तो उसके प्यार को स्वीकार कर एक प्यारा पति पा सकती हो, और नहीं तो उसके प्यार को ठुकड़ा कर उसका दिल तोड़ सकती हो। पर उसके जितना प्यार शायद ही तुमको कोई करेगा। ये पढ़ो चिट्ठी, जो उसने तुम्हारे नाम से लिखी थी, तुम्हारी आंखों से जो आंसू ना निकल जाए तो कहना।
माया उसके हाथों से चिट्ठी लेकर बोली," क्या लिखा है इसमें? जब वो पूरा पढ़ी तो, सही में उसकी आँखों से आंसू निकल आये। शायद ही किसी ने उसके जीवन में अब तक, उसको इतना महत्व दिया था। उसके हर शब्द जैसे माया के दिल में उतर गए। उसे ना चाहते हुए भी सत्य के तरफ झुकाव होने लगा। उसकी हर छोटी नन्ही हरक़तें याद आने लगी। वो सोच भी नहीं सकती थी, की कोई उसे इतना प्यार भी कर सकता है।
माया चिट्ठी सीने से लगाकर, हल्के आवाज़ में बोली," सत्य इतना चाहता है हमको।" पर उसकी बहन है हम ये रिश्ता चाहकर भी नहीं भुला सकते। उसकी सगी बहन होकर उसकी बीवी का स्थान कैसे ले लें। ये गलत नहीं होगा क्या?
ममता- नहीं क्योंकि...... ये गलत नहीं है। यहां कौन जानता है कि तुम उसकी बहन हो। और अगर रिश्तों के बंधन में इतनी ताकत होती तो, वो तुमको एक औरत के नज़र से कभी नही देखता। जब से उसने होश संभाला है,तुमको हमेशा उसने एक भाई के नहीं, प्रेमी की आंखों से ताड़ा है। आज भी वो तुम्हारे हां के इंतज़ार में है।
माया- दीदी, पर शशिकांत?
ममता- उसने कभी तुमको प्यार से रखा है। हमेशा तंग ही किया है। पर अब एक मौका है, खुलकर जीने का। सच में किसीकी अर्धांगिनी बनने का। वो तुमको खुश रखेगा।
माया- सच दीदी, क्या ये ठीक होगा?
 
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