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ममता- देखो, हम भी आजतक सच्चे प्यार से वंचित थे, हमको हमारा सच्चा प्यार अपने सगे बेटे में मिला है। और कविता को भी जय से प्यार हो गया है। हम तीनों इससे खुश है। जीवन में अगर साथ में रहकर खुशी मिले, तो कहीं बाहर क्यों जाना? जिस प्यार के लिए हम आज तक तरस रहे थे, वो अपने बेटे ने ही दे दिया। कविता को उसके भाई ने दे दिया। तो तुमको अगर वही प्यार सत्य में मिल रहा है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। बल्कि, हम दोनों को अफसोस होना चाहिए कि, इस प्यार को हमलोग देर से पहचान रहे हैं। आखिर इस उम्र में और कोई मर्द हमलोगों को ले तो जाएगा, पर कुछ ही दिनों में छोड़ देगा। पर ये लोग हम लोगों को वो प्यार देंगे, जो शायद एक भाई ने अपनी बहन को और एक बेटे ने अपनी माँ को शायद कभी किया हो। हम तो तुम्हारे साथ हैं, चाहे तुम उसके साथ जाओगी या नहीं ये तुम्हारे ऊपर है। ये लो अपने कपड़े पहन लो।" ममता बिस्तर से उतरकर नंगी ही कमरे से बाहर निकल गयी। घर में कविता, ममता और माया के अलावा कोई नहीं था। ममता तो दोनों के साथ नंगी सो चुकी थी। माया सोच में पड़ गयी। ममता का बहाने से बुलाना और उसीको सत्य की दुल्हन बनाना। ये सब एक सपने जैसा लग रहा था। सब बहुत जल्दी हो गया था।
पूरा दिन सोचने के बाद शाम में माया, ममता और कविता के सामने सत्य के सामने गयी और उसका हाथ पकड़ ली। उसे पकड़कर कमरे में ले गयी। पर दरवाज़ा बंद किये बगैर सिर्फ सटा दिया था।
माया- कितना प्यार करते हो, हमको?
सत्य की आंखों में आंसू आ गए," कितना प्यार??? पता नहीं। बस ये जानते है कि तुमको रात दिन अपनी आंखों के सामने मुस्कुराता हुआ देखना चाहते हैं। और अपनी ज़िंदगी की हर साँस तुम्हारे लिए कुर्बान कर देंगे।
माया- तो इतने दिनों से कहा क्यों नहीं?
सत्य- तुम भी जानती हो दीदी, ये समाज लोक लाज के डर से। तुम्हारा जीवन खराब नहीं करना चाहते थे। तुम्हारे लिए हम हर ग़म सह सकते हैं।
माया- चाहे खुद आग में झुलसते रहो। तुम हमसे वो प्यार किये हो जो शायद कहानियों में होती है। ये हमारा दुर्भाग्य था, की तुम हमारे भाई बनके पैदा हुए हो और हम तुम्हारी बहन। लेकिन अब ये रिश्ता तुम्हारे हमारे बीच दीवार नहीं है। हमको अपनाओगे?
सत्य- हहम्मम्म,
माया- तो देख क्या रहे हो, उस राखी के बंधन को तोड़, हमको अपना बना लो।
दोनों एक दूसरे के सीने से लग गए। एक 28 साल का भाई अपनी 43 साल की बहन को प्रेमिका बना कर चूम रहा था। तभी कविता और ममता अंदर आ गए। कविता बोली," मौसी, मामाजी हमारे मौसाजी बन गए, और आप मामीजी। लेकिन बिस्तर में दोनों भाई बहन बनके ही रहना, मज़ा डबल हो जाएगा।
माया शर्मा गयी। फिर बोली," अच्छा तो तुम हमको हमारे दामादजी से कब मिलवायेगी।
ममता- अब शादी वाले दिन मिलेंगे वो। तुम दोनों को ही हम दोनों का कन्यादान करना है।
सब जोर से हंसे और सत्य माया को लेकर, बाहर आ गया। माया उससे चिपककर बैठी थी। ममता ने सत्य के हाथ से माया की मांग भरवा दी। दोनों काफी खुश थे। अब शादी में बस चार पांच दिन ही तो बाकी थे।"
आज का दिन.....
जय- मतलब, तुम मौसी के साथ भी शारीरिक संबंध बना चुकी हो। तुम तो बहुत बड़ी रंडी हो माँ। तुमने आज दिल जीत लिया। दो भाई बहनों को मिलवाकर।
ममता- अब पता चला पूरा कहानी। अब आपकी और हमारी सुहागरात पूरी करें। अभी सुबह तक चलेगा ये सिलसिला। इधर तुम हम दोनों की ले रहे हो। उधर सत्य, माया को चोद रहा होगा। दोनों मामा भांजे के हाथ लॉटरी लगी है।
कविता लण्ड सहलाते हुए। जय का लण्ड कड़क हो चुका है, अब हम दोनों की गाँड़ मरवाने की बारी है। जय उन दोनों की गाँड़ ही इस वक्त सहला रहा था। दोनों माँ बेटी तैयारी के साथ आई थी।
अब आगे कैसी चुदाई होगी ? दोनों माँ बेटी किस हद तक जाएंगे। सुहागरात कब तक चलेगी? अगले भाग में।
पूरा दिन सोचने के बाद शाम में माया, ममता और कविता के सामने सत्य के सामने गयी और उसका हाथ पकड़ ली। उसे पकड़कर कमरे में ले गयी। पर दरवाज़ा बंद किये बगैर सिर्फ सटा दिया था।
माया- कितना प्यार करते हो, हमको?
सत्य की आंखों में आंसू आ गए," कितना प्यार??? पता नहीं। बस ये जानते है कि तुमको रात दिन अपनी आंखों के सामने मुस्कुराता हुआ देखना चाहते हैं। और अपनी ज़िंदगी की हर साँस तुम्हारे लिए कुर्बान कर देंगे।
माया- तो इतने दिनों से कहा क्यों नहीं?
सत्य- तुम भी जानती हो दीदी, ये समाज लोक लाज के डर से। तुम्हारा जीवन खराब नहीं करना चाहते थे। तुम्हारे लिए हम हर ग़म सह सकते हैं।
माया- चाहे खुद आग में झुलसते रहो। तुम हमसे वो प्यार किये हो जो शायद कहानियों में होती है। ये हमारा दुर्भाग्य था, की तुम हमारे भाई बनके पैदा हुए हो और हम तुम्हारी बहन। लेकिन अब ये रिश्ता तुम्हारे हमारे बीच दीवार नहीं है। हमको अपनाओगे?
सत्य- हहम्मम्म,
माया- तो देख क्या रहे हो, उस राखी के बंधन को तोड़, हमको अपना बना लो।
दोनों एक दूसरे के सीने से लग गए। एक 28 साल का भाई अपनी 43 साल की बहन को प्रेमिका बना कर चूम रहा था। तभी कविता और ममता अंदर आ गए। कविता बोली," मौसी, मामाजी हमारे मौसाजी बन गए, और आप मामीजी। लेकिन बिस्तर में दोनों भाई बहन बनके ही रहना, मज़ा डबल हो जाएगा।
माया शर्मा गयी। फिर बोली," अच्छा तो तुम हमको हमारे दामादजी से कब मिलवायेगी।
ममता- अब शादी वाले दिन मिलेंगे वो। तुम दोनों को ही हम दोनों का कन्यादान करना है।
सब जोर से हंसे और सत्य माया को लेकर, बाहर आ गया। माया उससे चिपककर बैठी थी। ममता ने सत्य के हाथ से माया की मांग भरवा दी। दोनों काफी खुश थे। अब शादी में बस चार पांच दिन ही तो बाकी थे।"
आज का दिन.....
जय- मतलब, तुम मौसी के साथ भी शारीरिक संबंध बना चुकी हो। तुम तो बहुत बड़ी रंडी हो माँ। तुमने आज दिल जीत लिया। दो भाई बहनों को मिलवाकर।
ममता- अब पता चला पूरा कहानी। अब आपकी और हमारी सुहागरात पूरी करें। अभी सुबह तक चलेगा ये सिलसिला। इधर तुम हम दोनों की ले रहे हो। उधर सत्य, माया को चोद रहा होगा। दोनों मामा भांजे के हाथ लॉटरी लगी है।
कविता लण्ड सहलाते हुए। जय का लण्ड कड़क हो चुका है, अब हम दोनों की गाँड़ मरवाने की बारी है। जय उन दोनों की गाँड़ ही इस वक्त सहला रहा था। दोनों माँ बेटी तैयारी के साथ आई थी।
अब आगे कैसी चुदाई होगी ? दोनों माँ बेटी किस हद तक जाएंगे। सुहागरात कब तक चलेगी? अगले भाग में।