• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest क्या ये गलत है ? (completed)

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,541
159
ममता- देखो, हम भी आजतक सच्चे प्यार से वंचित थे, हमको हमारा सच्चा प्यार अपने सगे बेटे में मिला है। और कविता को भी जय से प्यार हो गया है। हम तीनों इससे खुश है। जीवन में अगर साथ में रहकर खुशी मिले, तो कहीं बाहर क्यों जाना? जिस प्यार के लिए हम आज तक तरस रहे थे, वो अपने बेटे ने ही दे दिया। कविता को उसके भाई ने दे दिया। तो तुमको अगर वही प्यार सत्य में मिल रहा है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। बल्कि, हम दोनों को अफसोस होना चाहिए कि, इस प्यार को हमलोग देर से पहचान रहे हैं। आखिर इस उम्र में और कोई मर्द हमलोगों को ले तो जाएगा, पर कुछ ही दिनों में छोड़ देगा। पर ये लोग हम लोगों को वो प्यार देंगे, जो शायद एक भाई ने अपनी बहन को और एक बेटे ने अपनी माँ को शायद कभी किया हो। हम तो तुम्हारे साथ हैं, चाहे तुम उसके साथ जाओगी या नहीं ये तुम्हारे ऊपर है। ये लो अपने कपड़े पहन लो।" ममता बिस्तर से उतरकर नंगी ही कमरे से बाहर निकल गयी। घर में कविता, ममता और माया के अलावा कोई नहीं था। ममता तो दोनों के साथ नंगी सो चुकी थी। माया सोच में पड़ गयी। ममता का बहाने से बुलाना और उसीको सत्य की दुल्हन बनाना। ये सब एक सपने जैसा लग रहा था। सब बहुत जल्दी हो गया था।
पूरा दिन सोचने के बाद शाम में माया, ममता और कविता के सामने सत्य के सामने गयी और उसका हाथ पकड़ ली। उसे पकड़कर कमरे में ले गयी। पर दरवाज़ा बंद किये बगैर सिर्फ सटा दिया था।


माया- कितना प्यार करते हो, हमको?
सत्य की आंखों में आंसू आ गए," कितना प्यार??? पता नहीं। बस ये जानते है कि तुमको रात दिन अपनी आंखों के सामने मुस्कुराता हुआ देखना चाहते हैं। और अपनी ज़िंदगी की हर साँस तुम्हारे लिए कुर्बान कर देंगे।
माया- तो इतने दिनों से कहा क्यों नहीं?
सत्य- तुम भी जानती हो दीदी, ये समाज लोक लाज के डर से। तुम्हारा जीवन खराब नहीं करना चाहते थे। तुम्हारे लिए हम हर ग़म सह सकते हैं।
माया- चाहे खुद आग में झुलसते रहो। तुम हमसे वो प्यार किये हो जो शायद कहानियों में होती है। ये हमारा दुर्भाग्य था, की तुम हमारे भाई बनके पैदा हुए हो और हम तुम्हारी बहन। लेकिन अब ये रिश्ता तुम्हारे हमारे बीच दीवार नहीं है। हमको अपनाओगे?
सत्य- हहम्मम्म,
माया- तो देख क्या रहे हो, उस राखी के बंधन को तोड़, हमको अपना बना लो।
दोनों एक दूसरे के सीने से लग गए। एक 28 साल का भाई अपनी 43 साल की बहन को प्रेमिका बना कर चूम रहा था। तभी कविता और ममता अंदर आ गए। कविता बोली," मौसी, मामाजी हमारे मौसाजी बन गए, और आप मामीजी। लेकिन बिस्तर में दोनों भाई बहन बनके ही रहना, मज़ा डबल हो जाएगा।
माया शर्मा गयी। फिर बोली," अच्छा तो तुम हमको हमारे दामादजी से कब मिलवायेगी।
ममता- अब शादी वाले दिन मिलेंगे वो। तुम दोनों को ही हम दोनों का कन्यादान करना है।
सब जोर से हंसे और सत्य माया को लेकर, बाहर आ गया। माया उससे चिपककर बैठी थी। ममता ने सत्य के हाथ से माया की मांग भरवा दी। दोनों काफी खुश थे। अब शादी में बस चार पांच दिन ही तो बाकी थे।"
आज का दिन.....
जय- मतलब, तुम मौसी के साथ भी शारीरिक संबंध बना चुकी हो। तुम तो बहुत बड़ी रंडी हो माँ। तुमने आज दिल जीत लिया। दो भाई बहनों को मिलवाकर।
ममता- अब पता चला पूरा कहानी। अब आपकी और हमारी सुहागरात पूरी करें। अभी सुबह तक चलेगा ये सिलसिला। इधर तुम हम दोनों की ले रहे हो। उधर सत्य, माया को चोद रहा होगा। दोनों मामा भांजे के हाथ लॉटरी लगी है।
कविता लण्ड सहलाते हुए। जय का लण्ड कड़क हो चुका है, अब हम दोनों की गाँड़ मरवाने की बारी है। जय उन दोनों की गाँड़ ही इस वक्त सहला रहा था। दोनों माँ बेटी तैयारी के साथ आई थी।

अब आगे कैसी चुदाई होगी ? दोनों माँ बेटी किस हद तक जाएंगे। सुहागरात कब तक चलेगी? अगले भाग में।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,541
159
कहानी जारी रहेगी।
 
  • Like
Reactions: kamdev99008
1,445
3,073
159
बहुत ही धमाकेदार ओर डबल चुदाई दार अपडेट । मजा आ गया। अगले अपडेट का इंतजार रहेगा
 
  • Like
Reactions: kamdev99008

prkin

Well-Known Member
5,396
6,135
189
Bhai is kahani ko aage badhao, please.
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,541
159
Abhi thoda busy hu.friday ko pakka update dungaa.thanks
 
  • Like
Reactions: kamdev99008

prkin

Well-Known Member
5,396
6,135
189
Abhi thoda busy hu.friday ko pakka update dungaa.thanks

OK, Bro.
Take Care.
 
  • Like
Reactions: kamdev99008

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,541
159
जय ममता के मस्त चूतड़ों पर थपथपाते हुए उसके होंठों को चूम रहा था। ममता के खुले बाल, गोरा दपदपाता मुखड़ा, भवों के बीच लाल बिंदी, आंखों में काजल, पलकों पर हल्के गहरे रंग का ऑय शैडो, गालों पर रूज़, होंठों पर लाल लिपस्टिक, उसका मेक अप परफेक्ट था, जो आसानी से नही निकलने वाला था।जय उसके हुस्न के हर एक हिस्से को चूमना चाहता था। दूसरी तरफ कविता भी उतनी ही खूबसूरत लग रही थी। माथे पर भाई के नाम का सिंदूर, हाथों में उसके नाम की मेहन्दी, पूरा श्रृंगार जय के नाम का था। दोनों कपड़े का एक टुकड़ा भी बदन पर नहीं रखे थी। पर गहने और जेवर वैसे ही बंधे हुए थे। कानों में झुमका, माथे पर टीका, नाकों में नथिया, गले में मंगलसूत्र और हार, हाथों में खनकती चूड़ियां जो उनके मेहन्दी लगे हाथों को और खूबसूरत बना रही थी, उंगली की अंगूठियां वो बस खोली थी, ताकि लण्ड पकड़ने में हिलाने में कोई दिक्कत ना हो, कमर में कमरबन्द, पैरों में पायल और पैर की कोमल उंगलियों में बिछियां, जो रंगे हुए पाऊं को और खूबसूरत बना रही थी। सर से लेकर पाँव तक दोनों ही बहुत आकर्षक और कामुक लग रही थी। जहां, ममता की कमर चौड़ी थी, वहीं कविता की थोड़ी कम थी। ममता की जाँघे चर्बीदार और थुलथुली सी थी, कविता की जाँघे फिट थी। ममता के गाल और जबड़े के नीचे की चर्बी उम्र के साथ साथ थोड़ी बढ़ गयी थी, तो कविता की भी चर्बी थी, पर हल्की। कविता की गाँड़ जो सुडौल थी, वहीं ममता की गाँड़ बड़ी, भारी, और वसा से भरी हुई थी। हालांकि दोनों ने फिटनेस सेन्टर जॉइन तो किया था, पर 10 दिन में ममता में बदलाव आया तो था,पहले से वो काफी फिट थी, पर अभी भी वो भारी थी।
जय इन दोनों औरतों को अब तक तीन तीन बार झरवा चुका था। पर उसके लण्ड ने अब तक उनकी गाँड़ की खबर नहीं ली थी। कविता के चूतड़ पर लाल होंठों का टैटू और उस पर जय का नाम उसको और आकर्षक बना रहा था। जय ममता के होंठों को चूसते हुए, उसके खूबसूरत लाल लाल होंठों को थूक से भिगोते हुए, रह रहकर अपना लार उसके मुंह में दे रहा था। और ममता भी किसी पोर्न हीरोइन के जैसे जीभ निकाल निकालकर उसके थूक का भरपूर स्वाद लेकर घोंट रही थी। उसके चेहरे पर काम की ज्वाला साफ दिख रही थी। वो एक दम बेचैन हो उठी थी।
ममता- बेटा सैयांजी, अब आप क्या करेंगे हमारे साथ?
जय- तुम बताओ माँ, तुम क्या चाहती हो, तुम्हारा मन क्या चाहता है? तुम्हारे चेहरे पर इतने सुंदर कामुक भाव उभरे हैं, वो दरअसल क्या कहना चाहते हैं?
ममता उसकी आंखों में प्यासी नज़रों से देखते हुए बोल पड़ी," तुम तो चेहरे के भाव पढ़ने में माहिर हो, पढ़ लो हमारी आंखों को। तुम तो हमारे मन का बात समझ जाते हो।
जय ममता के बालों को भींचते हुए बोला- हम तुमसे पहले भी बोले हैं, बिस्तर पर अपनी शर्म कपड़ों के साथ फेंक दिया करो। हम चाहते हैं कि तुम अपने मुंह से बोलो कि तुम क्या करना चाहती हो?
कविता- हां, जय माँ को हम बोले भी थे, कि तुम बिस्तर पर कोई मान मर्यादा नहीं चाहते, हमको बोलने में कोई हिचक नहीं है कि हम तुमसे अपनी गाँड़ चुदवायेंगे। माँ तुम भी सस्ती छिनाल बनो, ताकि आज हम दोनों जय के और करीब पहुंच जाएं।
ममता- सही बोलती हो तुम, कविता अब ऐसे ही होगा।" फिर जय की ओर देखकर बोली," जय, अपनी माँ की गाँड़ चोदो, आज इसी सुहागरात को यादगार बनाओ। हमारे मन की प्यास बुझा दो।
जय- ये हुई ना बात माँ। कुतिया की तरह हाथों और पैरों से चौपाया हो जाओ। ममता तुरंत चौपाया हो गयी। जय उसके भारी चूतड़ पर थप्पड़ मारते हुए बोला," अरे हमरी रंडी! अपना चूतड़ उठाओ। ममता मुस्कुराते हुए पीछे मुड़कर गाँड़ उठा ली और जय के नाक के पास ले गयी। जय ने कविता को इशारा किया और बोला," कविता दीदी, इन पहाड़ जैसे चूतड़ों को अलग करो, और हमारी आंखों के सामने सूंदर नज़ारा पेश करो।"
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,541
159
कविता मुस्कुराते हुए बोली," ये लीजिए अपनी माँ की गाँड़ का खूबसूरत नज़ारा देखिए।" और चूतड़ों को अपने हथेलियों से अलग कर दी। सामने जय के वो खूबसूरत नजारा था, जो मर्दों को शायद ही पहली रात में देखने को मिलता है। ममता के चूतड़ जैसे ही अलग हुए वैसे ही उसके सामने ममता के चूतड़ों के गहरे रंग के अंदरूनी हिस्से साफ साफ नजर आ रहे थे। ममता की गाँड़ की दरार जो कि ठीक उसके कमर के नीचे से शुरू हुई थी। बड़े ही खूबसूरत ढंग से कामुक प्रतीत होती थी। वो गली पूरे गाँड़ को दो खूबसूरत तरबूजों में बांटते हुए, उसकी बुर को पीछे से ढकते थे, जब वो अपनी वास्तविक स्थिति में होते थे। पर बुर से ठीक पहले वो खज़ाना था, जिसे जय लूटना चाहता था। ऊपर से आती, चूतड़ की अंदरूनी दीवारें थोड़ी ज़्यादा गहरी भूरे रंग की थी, और उसी बीच में एक सिंकुडा हुआ, भूरा छेद था। जो कि कविता के चूतड़ फैलाने से साफ साफ दिख रहा था। लगातार हुई चुदाई से उस हिस्से में जो पसीना आया था, एक अजीब कामुक गंध दे रहा था। बुर से चूते हुए पानी की वजह से भी वो गंध और अधिक उत्तेजक हो गयी थी। जय ने ममता के गाँड़ के छेद को पहले उंगलियों से छुवा। ममता की गाँड़ उसके छुवन से स्वतः टाइट हो गयी। उस जगह सिंकुड़े हुई चमरी, और अधिक साँवली होकर, एक छेद में कहीं गुम हुई जाती थी। जोकि दरअसल वहीं खत्म हो रही थी। जय उसकी गाँड़ के छेद को अच्छे से महसूस कर सहलाया। जय ने फिर एक उंगली उस कसी हुई छेद के ऊपर रखकर अंदर की ओर धकेला, पर उंगली घुस नहीं पाई। कविता ने ये देख थूक का बड़ा लौंदा, ममता की गाँड़ पर उगल दिया। जोकि ममता की चूतड़ों के बीच की दरार से लुढ़कते हुए गाँड़ की छेद पर टपक गए। जय ने उसको पूरा उस छेद पर मल दिया। कविता ने दो तीन बार थूक से गाँड़ के छेद को गीला कर रही थी। आखिरकार जय ने थूक से सनी अपनी उंगली, और ममता के गाँड़ का छेद जो कि थूक से काफी गीली हो चुकी थी, उसके अंदर प्रवेश कर दिया। उंगली पर अब ज़्यादा ज़ोर नहीं लगा था, पर फिर भी वो ममता की कसी हुई गाँड़ में रास्ता बना, घुस गई। ममता ने हालांकि, ये एहसास पहले तो किया था, पर गाँड़ की यही खासियत होती है कि जब भी कुछ घुसता है लगता है, जैसे पहली बार ही जा रहा है। ममता के मुंह से कामुक दर्दभरी उफ़्फ़फ़ निकली। जय ने ये सुना तो, दूसरी उंगली भी गाँड़ में उताड़ दी, फिर तीसरी। हर उंगली घुसने से ममता, का दर्द का एहसास बढ़ता जा रहा था। पर अगले ही पल वो पीछे से हुए हमले को शरीर के अंदर कामुक तरंगे, उत्पन्न करने में व्यस्त कर रही थी। जय ने उसकी गाँड़ में उंगलियां आगे पीछे करनी शुरू कर दी थी। कविता, चूतड़ों को और फैलाकर जय को उत्साहित कर रही थी। ममता अपनी गाँड़ में अंदर बाहर होती उंगलियों के एहसास से मचल रही थी और पीछे घूमकर कामुक सीत्कारें मार रही थी। अब तक ममता की गाँड़ का छेद जय के उंगलियों की मोटी गोलाई पर अभ्यस्त हो चुकी थी। जय ने उंगलियां बाहर निकाली, तो वो छेद गहरा हो चुका था, और अंदर शुरू में तो कुछ नहीं दिखा, बाद में अंदर की लाल मांसल त्वचा दिख रही थी। इससे पहले की गाँड़ का छेद, वापस सिंकुड़कर पुरानी अवस्था में आता, जय ने वापिस अपनी उंगलियां घुसा दी। इस तरह जय ने कई बार उंगलियां अंदर बाहर की। ममता की कामुक चीख, उसे और गहराई में घुसाने का न्योता दे रही थी। जय का लण्ड एक दम लोहे जैसा सख्त हो चुका था। वो अपने घुटनों पर आकर, अपना तना हुआ लण्ड ममता के गाँड़ की दरार पर रगड़ने लगा। ममता पीछे मुड़कर उसे प्यासी नज़रों से देख रही थी। कविता ने जय के लण्ड को अपने चेहरे के इतने करीब देखा, तो उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और लण्ड को मुंह में ले ली। वो जय की ओर लण्ड मुंह में लिए ही देखकर मुस्कुराई। जय ने उसके गालों को प्यार से सहलाया, उसका दाहिना गाल लण्ड के जोर से उभरा हुया था। जय ने भी कामुकता में आकर उसके मुंह में दो चार धक्के मारे। कविता ने लण्ड को गीला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और लण्ड को अपने मुंह की लार से इतना गीला किया, की वो चूकर उसके आंड़ से लिपट गया। जय ने ममता की गाँड़ के छेद पर थूका, और गीला किया। फिर अपना लण्ड ममता के गाँड़ के छेद पर टिका दिया, जो कि अभी अधखुला था। और फिर जय ने जोर लगाया, गाँड़ अंदर की ओर सूखा था, और जय का कड़क लण्ड थोड़ा ही अंदर गया। पर इतने में ही ममता की चीख निकल गयी। जय उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए बोला," चुप कर साली रंडी, अभी से क्यों चिल्ला रही है। अभी तो लण्ड घुसा भी नहीं है पूरा। तुम तो वैसे भी चुदी चुदाई खिलाड़ी हो, गाँड़ मरवा मवाक़े इतना बड़ा कर ली हो। आज तो खूब चोदना है तुम्हारी गाँड़ को, भोंसड़ीवाली। अभी से मिमया रही हो?
ममता लंबी लंबी सांस लेते हुए बोली," अरे बेटा सैयांजी, वो बात नहीं है, उफ़्फ़फ़.... ऊऊई। गाँड़ चाहे कितना भी चुदवा लें, पर हर बार ऐसा लगता है, जैसे पहली बार घुसा हो। आआहह.. देखो
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,541
159
देखो ना थोड़ी देर में अभ्यस्त हो जायेगा, उफ़्फ़फ़फ़फ़ फिर हमको भी बहुत मज़ा आएगा।
कविता- हाँ, जय माँ सही कह रही है, यही तो खास बात है गाँड़ का। जब भी चुदवायो नया जैसा ही महसूस होता है, वैसे अभी गाँड़ के अंदर की त्वचा पूरी तरह गीला नही हुआ होगा, जहां तक तुम्हारा लण्ड जाएगा। लण्ड को निकालो और गाँड़ में थूकने दो हमको। ताकि अंदर भी पूरा तरह गीला हो जाये।
जय ने लण्ड बाहर निकाल लिया, और कविता को थूकने के लिए इशारा किया। कविता ने चार पांच बार खूब लार चुवाई। फिर जय ने लण्ड को अंदर घुसा दिया। अबकी लण्ड पूरी तरह अंदर घुस गया। कविता जैसे अपनी लण्ड घुसाने की युक्ति पर इतराते हुए मुस्कुराई। उधर ममता जय के लण्ड की गोलाई पर अपनी गाँड़ की गिरफ्त ढीली छोड़, लण्ड को पूरी तरह प्रवेश करने के लिए मुक्त की हुई थी। जय ने धीरे धीरे सारा लण्ड अंदर बाहर करना शुरू किया। लण्ड के अंदर बाहर होने से अब ममता की गाँड़ अभ्यस्त हो चुकी थी। अब ममता की चीखें, कामुक आहों में बदल चुकी थी। अपने पिछले छिद्र में प्रवेश किये घुसपैठिये का ममता अब स्वागत कर रही थी। जय का तना हुआ लण्ड भी ममता की गाँड़ की अंदर की त्वचा से रगड़ खाकर, और अधिक वेग से चुदाई करने लगा। ममता अब लण्ड को और अंदर लेने के लिए, अपना पिछवाड़ा जय के उदर पर मार रही थी। कविता ममता के चूतड़ों को अलग किये हुए वहीं अपना चेहरा टिकाए हुए लण्ड को अंदर बाहर होते देख रही थी। जय ममता के खुले बाल अपने बांए हाथ से पकड़कर हमला किये जा रहा था। तीनों उमंग में थे।
कविता- ओह्ह, आआहह, वाह कितना मस्त नज़ारा है, लण्ड गाँड़ की गहराइयों में उतरकर एक दम अद्भुत लग रहा है।
ममता लण्ड के धक्कों से अपने खुलते सिंकुड़ते गाँड़ के छेद से हो रहे एहसास से अलग ही उमंग में थी।
जय के लण्ड ने तो ममता की गाँड़ में कहर लाया हुआ था। लण्ड पूरा बाहर निकलकर फिरसे पूरा अंदर घुस जा रहा था। जय को ममता की गाँड़ मारने में एक अजीब सा सुख औ सुकून मिल रहा था।
जय- आह... ओह्ह हहम्मम्म हहम्ममम्म क्या मस्ती है तुम्हारे गाँड़ में माँ, जितना चोद रहे हैं, उतना और मन हो रहा है। सच में औरतों की गाँड़ चोदने में बहुत ज़्यादा मज़ा आता है। हमको तो औरतों की चाल उनकी गाँड़ हिलने की वजह से ही मस्त लगती हैं। खजुराहो में भी तुम्हारी गाँड़ मारे थे, पर आज जो सुख दे रही हो वो लाजवाब है। एक तो इतने मस्त बड़े बड़े भारी चूतड़ है, तुम्हारे। मन तो करता है, इन चूतड़ों के बीच ही अपना मुंह फंसाये रखें। इन मस्त चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से भी मटकते देखते थे, तो लगता था कि वहीं तुमको नंगी करके गाँड़ मारे तुम्हारी। आज तुम्हारी गाँड़ चोदने में सचमुच स्वर्ग जैसा अनुभव हो रहा है।"
ममता पीछे घूमकर, लगातार होते धक्कों की वजह से कांपते हुए कामुक स्वर में बोली," बेटा सैयांजी, आआहह... ओहह... पहले ही हमको काबू में कर लेते, और आआह.... अपने लण्ड से हमारी खूब गाँड़ मारते। एक औरत तभी काबू में आती है, जब मर्द उसकी गाँड़ मार लेता है। औरत का ये सम्पूर्ण आत्मसमर्पण होता है। उसका बचा खुचा आत्मसम्मान और गरिमा दोनों मर्द के लण्ड के साथ, गाँड़ में घुस जाते हैं। औरत तभी एक मर्द का सच्चा साथ निभाती है। और इस तरीके से हम औरतें आप मर्दों के दिलों में घर कर जाती हैं।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,541
159
कविता- उफ़्फ़फ़, माँ ये ज्ञान सिर्फ तुमसे ही मिल सकता था। तुमने सच्ची मायनों में औरत की गाँड़ का महत्व खोल कर रख दिया है। और आज तो जय को हम दोनों का गाँड़, मारना है। हम भी बहुत बेचैन हो रहे हैं, अपने नन्हे मुन्हें गाँड़ की छेद की ठुकाई के लिए।पहले माँ तुम मरवा लो, फिर तुम्हारी बेटी मरवायेगी। आघघ... उसके खुले मुंह में लण्ड जा टकराया, और गले तक पहुंच गया। जय ने जबरदस्ती, उसके मुंह में लण्ड पेल दिया था। जय ने ममता के गाँड़ से ताज़ा निकला लण्ड जिसमें उसकी गाँड़, से निकला चिकना, चिपचिपा पदार्थ लगा था। उसका स्वाद कविता उसकी बेटी के मुंह में समा रहा था।
जय- ले चाट दीदी, अच्छे से चाटो, माँ की गाँड़ का स्वाद चखो। इसी लण्ड पर तुमको, और माँ को खूब नचवाएँगे। तुम और माँ अब एक दूसरे के अंग अंग से वाकिफ हो जाओ। माँ की गाँड़ और तुम्हारा मुंह में अब कोई फर्क नहीं है। और वैसे ही तुम्हारी गाँड़ और इसका मुंह सब बराबर हैं। तुम दोनों के बीच, कोई भी मतभेद नहीं होना चाहिए। खूब गाँड़ मरवाओ समझी।
कविता लण्ड को बहुत अच्छे से चूस रही थी। लण्ड के हर एक हिस्से को सुपाडे से लेकर आंड़ तक अपनी जीभ फिरा रही थी।
जय उसे देख मुस्कुराया और बोला," हाय रे कितनी प्यासी हो तुम दीदी, अच्छा लगा तुमको ऐसे देख कर।"
ममता पे चुदाई का नशा सा था,वो बोली," उफ़्फ़फ़, अरे छिनाल की बेटी लण्ड वापिस गाँड़ में डाल दे, कितना चूसेगी। तुम भी मरवाओगी ना, पहले हमारा होगा तभी ना मरवाओगी। ज्यादा लेट मत करो, डाल दो।
कविता- हां, तुम भी तो छिनाल ही हो, साली रंडी कहीं की, बेटे से चुदवा रही हो, मादरचोद, तो तुम्हारी बेटी भी ऐसी ही होगी ना। लण्ड की भूखी, गाँड़ मरवा रही हो, मज़े से। घबराओ मत आज भैया, तुम्हारी गाँड़ फाड़ डालेगा। और हम जय का पूरा मदद करेंगे।
ममता- तो चोदने दो ना अपने भाई को, अपनी इस रखैल माँ की गाँड़। घुसा दे ना...... आहहहहहह
जय ने ममता की कांपती गाँड़ के छेद पर लण्ड का सुपाड़ा सेट करने के लिए, कविता के मुंह से लण्ड निकाल लिया। और छेद के आस पास की मोटी चमरी को लण्ड के सुपाड़े से दबाते हुए, ममता की गाँड़ की गहराइयों में उतार दिया। फिर लण्ड को जोरों से गाँड़ में अंदर बाहर करने लगा। इस धका धक हो रही चुदाई से गाँड़ का छेद फैलता चला गया। जय लण्ड पूरा बाहर निकालता और फिर उसकी गाँड़ में उतार देता। कविता जय की बेरहम चुदाई देख सहम सी गयी। जय ने कविता से कहा," क्यों दीदी, तुमको गाँड़ नहीं चुदवाना है क्या? अपनी गाँड़ मरवाने की पूरी तैयारी करो। तुम्हारे गाँड़ में हलवा डाले थे याद है ना? तुम तो एक दम मस्त पेलवाओगी, हम जानते हैं।
कविता- जय तुम आज बहुत बेरहम होकर चोद रहे हो। ऐसे चोदोगे तो हम दोनों की गाँड़ फाड़ ही डालोगे। हम अपने गाँड़ में आज हलवा नहीं दिलवाएंगे, बल्कि गाजर ही दैल लेते हैं। ताकि जब तक माँ को चोदोगे तब तक हमारी गाँड़ तैयार रहे।" ये बोल वो उठकर गाँड़ मटकाते हुए,किचन गयी। उसके चलने से उसके गहनों की खनक साफ सुनाई दे रही थी। जय उसके उछलते चूतड़ों को देख, और तेजी से गाँड़ मारने लगा। ममता की कामुक चीखें, पूरे कमरे में गूंज रही थी। जय ने ममता की गाँड़ से फिर लण्ड निकाला और ममता के सामने आ गया। उसने ममता के चेहरे को पकड़के, उसके ऊपर लण्ड मलने लगा। ममता हंस रही थी। उसके पूरे चेहरे पर लण्ड पर लगी चिकनाई फैल गयी। जय ने फिर अपना लण्ड ममता के खुले मुंह में घुसेड़ दिया। ममता एक दम से लण्ड गले से टकराने से चोक कर गयी। और खांस उठी। पर जय ने उसे लण्ड मुंह से निकालने नहीं दिया। ममता के सर को पकड़के, और कमर से जोर लगाके लण्ड उसके मुंह में घुसा रहा था।
जय- हहहह हहम्ममम्म, ऊफ़्फ़फ़ मादरचोद, चूस साली, हरामज़्यादी, माँ होकर भी, तुझमे अभी बहुत जवानी बाकी है।
ममता के मुंह से लण्ड के चारो तरफ लेर चू रहा था। थोड़ी देर चुसवाने के बाद, जय ममता के माथे पर लण्ड रकहा दिया, जहां सिंदूर लगा रखी थी।
ममता उसकी हरकत देख, मुस्कुराई और बोली," तुम्हारे लण्ड से जब मूठ हमारी मांग में गिरेगा, तब हमारा श्रृंगार पूरा होगा।"
 
Top