- 3,092
- 12,542
- 159
वो खुद भी मुस्कुराई। उसकी आँखों में पानी आ गया था। लेकिन फिर दुबारा हिम्मत करके पेशाब की पीली धार के नीचे आ गयी। जय ने उसे अपने पेशाब से माथे से लेकर घुटनों तक भिगो दिया। उसकी सख्त जवान चुच्चियाँ तन कर खड़ी थी। बाल गीले हो चुके थे। उसके खुले मुंह से पेशाब भरकर तेजी से चू रहा था। दूसरी ओर ममता घुटनों पर बैठी अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी। कविता के बदन से छींटे उड़कर उससे टकरा रही थी। तभी जय ने पेशाब की धार ममता के गोरे मुखड़े पर मारी। उसकी आंखें अनायास बंद हो गयी और पूरे चेहरे पर जय का बदबूदार पेशाब फैल गया। तभी कविता ने जय का लण्ड पकड़ लिया, जो अब तक वो पकड़े था। उसने जय का हाथ हटा दिया जैसे कह रही हो कि आप क्यों तकलीफ करते हैं। और खुद उसकी आँखों में देखकर लण्ड को ऊपर नीचे करके ममता को भिगोने लगी। ममता हिम्मत करके करीब एक डेढ़ कप पेशाब पी गयी होगी। इस बार भी उसे कई बार उबकाई आई लेकिन वो बेचारी डटी रही। जय उन दोनों को इस स्थिति में देख बहुत संतुष्ट था। दोनों ने बहुत ही अभूतपूर्व प्रयास किया था। कविता - कैसा है माँ, इसका स्वाद?
ममता- बिल्कुल वैसा जैसा तुमने कहा। बारिश में भीगी हुई कच्ची फुआर की खुशबू है। बचपन से लेकर आजतक ऐसा ही पेशाब करता है ये। बचपन में भी हमको गीला कर देता था, अब बड़ा होकर तो नहलायेगा अपने मूत से।" बोलकर वो हंस पड़ी। जय और कविता भी हसने लगे।
जय- तुम दोनों को इसकी आदत लगाने के लिए बियर पीनी चाहिए। बियर का स्वाद बिल्कुल अच्छा नहीं होता।"
ममता- तुम कबसे बियर पीने लगा? तुम तो दारू हाथ नहीं लगाते?
जय- हम आज भी दारू नहीं पीते हैं, माँ। वो तो दोस्तों ने एक बार पिलाया था। हमको बहुत खराब लगा था।"
कविता- फिर ठीक है, हमलोग आज ही बियर पियेंगे देखते हैं, कैसा लगता है।"
ममता- लेकिन जय तुम मत पीना, दारू बेहद खराब चीज़ है।
कविता- अरे मां, बियर में दारू उतना नहीं होता है। उसे पीने में कोई खतरा नहीं है।"
ममता- ना एक ही बेटा है हमको वो भी ये सब करेगा। ना ना।
कविता- बेटा तुम्हारा अब हम दोनों का पति है, माँ। तुम कब तक इसको समझाती रहोगी। ये बड़ा हो चुका है। सही गलत समझता है।"
ममता- ठीक है पहले हम पियेंगे, तभी जय पियेगा।"
कविता- सब साथ में पियेंगे, ये हमारा फैसला है भूलना मत हम तुमसे बड़े हैं। हम जय की पहली बीवी हैं और तुम दूसरी।
जय उन दोनों को देख मुस्कुराया। अब तीनों बाथरूम में भीग चुके थे। पूरे कमरे में पेशाब की महक आ रही थी। जय ने फैसला लिया कि अभी उन तीनों को नहा लेना चाहिए। जय ने शावर ऑन किया और तीनों उसमें भीगने लगे। जय उन दोनों को बांहों में भर चुका था। इस वक़्त वो शाहरुख और कविता और ममता करिश्मा और माधुरी लग रही थी, बिल्कुल दिल तो पागल है जैसे। दोनों उससे चिपकी हुई थी।
ममता- बिल्कुल वैसा जैसा तुमने कहा। बारिश में भीगी हुई कच्ची फुआर की खुशबू है। बचपन से लेकर आजतक ऐसा ही पेशाब करता है ये। बचपन में भी हमको गीला कर देता था, अब बड़ा होकर तो नहलायेगा अपने मूत से।" बोलकर वो हंस पड़ी। जय और कविता भी हसने लगे।
जय- तुम दोनों को इसकी आदत लगाने के लिए बियर पीनी चाहिए। बियर का स्वाद बिल्कुल अच्छा नहीं होता।"
ममता- तुम कबसे बियर पीने लगा? तुम तो दारू हाथ नहीं लगाते?
जय- हम आज भी दारू नहीं पीते हैं, माँ। वो तो दोस्तों ने एक बार पिलाया था। हमको बहुत खराब लगा था।"
कविता- फिर ठीक है, हमलोग आज ही बियर पियेंगे देखते हैं, कैसा लगता है।"
ममता- लेकिन जय तुम मत पीना, दारू बेहद खराब चीज़ है।
कविता- अरे मां, बियर में दारू उतना नहीं होता है। उसे पीने में कोई खतरा नहीं है।"
ममता- ना एक ही बेटा है हमको वो भी ये सब करेगा। ना ना।
कविता- बेटा तुम्हारा अब हम दोनों का पति है, माँ। तुम कब तक इसको समझाती रहोगी। ये बड़ा हो चुका है। सही गलत समझता है।"
ममता- ठीक है पहले हम पियेंगे, तभी जय पियेगा।"
कविता- सब साथ में पियेंगे, ये हमारा फैसला है भूलना मत हम तुमसे बड़े हैं। हम जय की पहली बीवी हैं और तुम दूसरी।
जय उन दोनों को देख मुस्कुराया। अब तीनों बाथरूम में भीग चुके थे। पूरे कमरे में पेशाब की महक आ रही थी। जय ने फैसला लिया कि अभी उन तीनों को नहा लेना चाहिए। जय ने शावर ऑन किया और तीनों उसमें भीगने लगे। जय उन दोनों को बांहों में भर चुका था। इस वक़्त वो शाहरुख और कविता और ममता करिश्मा और माधुरी लग रही थी, बिल्कुल दिल तो पागल है जैसे। दोनों उससे चिपकी हुई थी।