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अम्मी मुझे देख कर कुछ हैरान भी लग रही थीं और बद-हवास भी। लेकिन एक चीज़ का एहसास मुझे फौरन ही हो गया था के उस वक़्त अम्मी ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी। जब हम दोनों दरवाज़े से अंदर की तरफ आने लगे तो मैंने अम्मी के दुपट्टे के नीचे उनके मम्मों को हिलते हुए देखा। जब वो ब्रा पहने होती थीं तो उनके मम्मे कभी नहीं हिलते थे। ऐसा भी कभी नहीं होता था के वो ब्रा ना पहनें। मैंने सोचा हो सकता है अम्मी नहाने की तैयारी कर रही हों। खैर मैंने उन्हें बताया के मेरी तबीयत खराब थी इसलिये जल्दी घर आ गया।
अभी मैं ये बात कर ही रहा था कि अम्मी के बेडरूम से राशिद निकल कर आया। अब हैरानगी की मेरी बारी थी। मैं तो उसे स्कूल छोड़ कर आया था और वो यहाँ मौजूद था। उसने कहा कि वो अम्बरीन खाला के कपड़े लेने आया था। उस का हमारे घर आना कोई नई बात नहीं थी। वो हफ्ते में तीन-चार बार ज़रूर आता था। मैं उसे ले कर अपने कमरे में आ गया जहाँ अम्मी कुछ देर बाद नींबू शर्बत ले कर आ गयीं। मैंने देखा के अब उन्होंने ब्रा पहन रखी थी और उनके मम्मे हमेशा की तरह कोई हरकत नहीं कर रहे थे। मुझे ये बात भी कुछ समझ नहीं आयी। कोई आधे घंटे बाद राशिद चला गया।
मुझे ये थोड़ा अजीब लगा - राशिद का स्कूल से आधी छुट्टी में हमारे घर आना और मेरे आने पर अम्मी का परेशान होना और फिर उनका बगैर ब्रा के होना। वो तो कभी अपने मम्मों को खुला नहीं रखती थीं लेकिन आज राशिद के घर में होते हुए भी उन्होंने ब्रा उतारी हुई थी। पता नहीं क्या मामला था। मुझे ख़याल आया के कहीं राशिद मेरी अम्मी की चूत का ख्वाहिशमंद तो नहीं है। आख़िर मैं भी तो अम्बरीन खाला पर गरम था बल्कि उन्हें चोदने की कोशिश भी कर चुका था। वो भी अपनी खाला यानी मेरी अम्मी पर गरम हो सकता था। मगर अम्मी ने अपने मम्मों को खुला क्यों छोड़ रखा था? क्या वो राशिद को अपनी मरज़ी से चूत दे रही थीं? मेरे ज़हन में कई सवालात गर्दिश कर रहे थे।
लेकिन फिर मैंने सोचा के चुँकि मैं खुद अम्बरीन खाला को चोदना चाहता था और मेरे अपने ज़हन में ग़लाज़त भरी हुई थी इसलिये मैं राशिद और अम्मी के बारे में ऐसी बातें सोच रहा था। मुझे यक़ीन था कि अगर वो अम्मी पर हाथ डालता भी तो वो कभी उसे अपनी चूत देने को राज़ी ना होतीं। मैं तो यही समझता था कि वो बड़े मज़बूत किरदार की औरत थीं। मैं ये सोच कर कुछ पूर-सुकून हो गया लेकिन मेरे ज़हन में शक ने जड़ पकड़ ली थी। मैंने सोचा के अब मैं राशिद पर नज़र रखुँगा।
अभी मैं ये बात कर ही रहा था कि अम्मी के बेडरूम से राशिद निकल कर आया। अब हैरानगी की मेरी बारी थी। मैं तो उसे स्कूल छोड़ कर आया था और वो यहाँ मौजूद था। उसने कहा कि वो अम्बरीन खाला के कपड़े लेने आया था। उस का हमारे घर आना कोई नई बात नहीं थी। वो हफ्ते में तीन-चार बार ज़रूर आता था। मैं उसे ले कर अपने कमरे में आ गया जहाँ अम्मी कुछ देर बाद नींबू शर्बत ले कर आ गयीं। मैंने देखा के अब उन्होंने ब्रा पहन रखी थी और उनके मम्मे हमेशा की तरह कोई हरकत नहीं कर रहे थे। मुझे ये बात भी कुछ समझ नहीं आयी। कोई आधे घंटे बाद राशिद चला गया।
मुझे ये थोड़ा अजीब लगा - राशिद का स्कूल से आधी छुट्टी में हमारे घर आना और मेरे आने पर अम्मी का परेशान होना और फिर उनका बगैर ब्रा के होना। वो तो कभी अपने मम्मों को खुला नहीं रखती थीं लेकिन आज राशिद के घर में होते हुए भी उन्होंने ब्रा उतारी हुई थी। पता नहीं क्या मामला था। मुझे ख़याल आया के कहीं राशिद मेरी अम्मी की चूत का ख्वाहिशमंद तो नहीं है। आख़िर मैं भी तो अम्बरीन खाला पर गरम था बल्कि उन्हें चोदने की कोशिश भी कर चुका था। वो भी अपनी खाला यानी मेरी अम्मी पर गरम हो सकता था। मगर अम्मी ने अपने मम्मों को खुला क्यों छोड़ रखा था? क्या वो राशिद को अपनी मरज़ी से चूत दे रही थीं? मेरे ज़हन में कई सवालात गर्दिश कर रहे थे।
लेकिन फिर मैंने सोचा के चुँकि मैं खुद अम्बरीन खाला को चोदना चाहता था और मेरे अपने ज़हन में ग़लाज़त भरी हुई थी इसलिये मैं राशिद और अम्मी के बारे में ऐसी बातें सोच रहा था। मुझे यक़ीन था कि अगर वो अम्मी पर हाथ डालता भी तो वो कभी उसे अपनी चूत देने को राज़ी ना होतीं। मैं तो यही समझता था कि वो बड़े मज़बूत किरदार की औरत थीं। मैं ये सोच कर कुछ पूर-सुकून हो गया लेकिन मेरे ज़हन में शक ने जड़ पकड़ ली थी। मैंने सोचा के अब मैं राशिद पर नज़र रखुँगा।