- 464
- 923
- 109
मेरे दिल में फुलझडियाँ छूटनें लगीं। मैंने अपना एक हाथ आगे कर के अम्मी का एक मोटा मम्मा पकड़ लिया। उन्होंने सर मोड़ कर मेरी तरफ देखा और कहा कि – “अभी मेरी जहनी हालत बहुत खराब है। क्या तुम कल तक सब्र नहीं कर सकते।“ मैंने कहा कि कल छोटे भाई बहन यहाँ होंगे। अम्मी ने जवाब दिया कि वे उन्हें दोबारा नाना के घर भेज देंगी वैसे भी वो वहाँ जाने की हमेशा ज़िद करते हैं। उन्होंने कहा कि वो मुनासिब माहौल बना कर फुर्सत से ये करना चाहती हैं क्योंकि वो इस तजुर्बे को यादगार बनाना चाहती थीं।
मैंने कहा – “ठीक है। मगर अम्मी, ये तो बतायें के आख़िर आप राशिद से चुदवाने पर क्यों राज़ी हुईं? क्या अब्बू आपकी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी नहीं करते?”
अम्मी मेरे सवालात सुन कर थोड़ी परेशान हो गयीं। फिर कहने लगीं – “शाकिर, ये बातें कोई औरत अपने बेटे से नहीं करती मगर मैं तुम्हें बता ही देती हूँ कि मर्दों की तरह औरतों की भी जिस्मानी ज़रूरत होती है। पिछले कई सालों से तुम्हारे अब्बू ने मुझ में दिलचस्पी लेना बहुत कम कर दिया है। इसलिये मैंने राशिद के साथ ये काम कर लिया जो मुझे नहीं करना चाहिये था। पहल उस की तरफ से हुई थी और मुझे उसी वक़्त उसे रोक देना चाहिये था।“
वो वाज़ेह तौर पर शर्मिंदा नज़र आ रही थीं और इस गुफ्तगू से दामन बचाना चाहती थीं। मैंने भी उन्हें मज़ीद परेशान करना मुनासिब नहीं समझा और चुप हो गया। अम्मी कुछ देर बाद उठ कर बेडरूम से बाहर चली गयीं। मैं बेसब्री से अगले दिन का इंतज़ार करने लगा।
मैं अम्मी के कहने पर उस वक़्त तो खामोश हो गया लेकिन अगले दिन तक सब्र करना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था। मैं वक़्त ज़ाया किये बगैर फौरी तौर पर अम्मी की चूत हासिल करना चाहता था। हर गुज़रते लम्हे के साथ मेरी ये खाहिश बढ़ती ही जा रही थी। शाम को मेरे भाई-बहन घर वापस आ गये। मौका मिला तो मैंने अलहदगी में अम्मी से कहा कि हो सके तो वो रात को मेरे कमरे में आ जायें तो मैं आज ही उन्हें चोद लुँगा। मेरे कमरे मे किसी के भी आने का डर नहीं था क्योंकि अब्बू भी कुछ दिनों के लिये कराची गये हुए थे।
मेरे दोनों छोटे बहन-भाई एक कमरे में अलग सोते थे जबकि उनके बिल्कुल साथ वाला कमरा मेरा था। अम्मी और अब्बू अपने अलहदा बेडरूम में सोया करते थे। रात के पिछले पहर भाई-बहन के सो जाने के बाद अम्मी खामोशी से मेरे कमरे में आ सकती थीं और मैं उन्हें आराम से चोद सकता था। किसी को कानोकान खबर ना होती। मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं और फिर बोलीं कि – “ठीक है मैं रात बारह बजे के बाद थोड़ा मूड बना कर तुम्हारे कमरे में आऊँगी।“ दोनों बहन भाई भी कोई दस बजे के करीब सो गये और मैं अपने कमरे में चला आया।
मैंने कहा – “ठीक है। मगर अम्मी, ये तो बतायें के आख़िर आप राशिद से चुदवाने पर क्यों राज़ी हुईं? क्या अब्बू आपकी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी नहीं करते?”
अम्मी मेरे सवालात सुन कर थोड़ी परेशान हो गयीं। फिर कहने लगीं – “शाकिर, ये बातें कोई औरत अपने बेटे से नहीं करती मगर मैं तुम्हें बता ही देती हूँ कि मर्दों की तरह औरतों की भी जिस्मानी ज़रूरत होती है। पिछले कई सालों से तुम्हारे अब्बू ने मुझ में दिलचस्पी लेना बहुत कम कर दिया है। इसलिये मैंने राशिद के साथ ये काम कर लिया जो मुझे नहीं करना चाहिये था। पहल उस की तरफ से हुई थी और मुझे उसी वक़्त उसे रोक देना चाहिये था।“
वो वाज़ेह तौर पर शर्मिंदा नज़र आ रही थीं और इस गुफ्तगू से दामन बचाना चाहती थीं। मैंने भी उन्हें मज़ीद परेशान करना मुनासिब नहीं समझा और चुप हो गया। अम्मी कुछ देर बाद उठ कर बेडरूम से बाहर चली गयीं। मैं बेसब्री से अगले दिन का इंतज़ार करने लगा।
मैं अम्मी के कहने पर उस वक़्त तो खामोश हो गया लेकिन अगले दिन तक सब्र करना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था। मैं वक़्त ज़ाया किये बगैर फौरी तौर पर अम्मी की चूत हासिल करना चाहता था। हर गुज़रते लम्हे के साथ मेरी ये खाहिश बढ़ती ही जा रही थी। शाम को मेरे भाई-बहन घर वापस आ गये। मौका मिला तो मैंने अलहदगी में अम्मी से कहा कि हो सके तो वो रात को मेरे कमरे में आ जायें तो मैं आज ही उन्हें चोद लुँगा। मेरे कमरे मे किसी के भी आने का डर नहीं था क्योंकि अब्बू भी कुछ दिनों के लिये कराची गये हुए थे।
मेरे दोनों छोटे बहन-भाई एक कमरे में अलग सोते थे जबकि उनके बिल्कुल साथ वाला कमरा मेरा था। अम्मी और अब्बू अपने अलहदा बेडरूम में सोया करते थे। रात के पिछले पहर भाई-बहन के सो जाने के बाद अम्मी खामोशी से मेरे कमरे में आ सकती थीं और मैं उन्हें आराम से चोद सकता था। किसी को कानोकान खबर ना होती। मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं और फिर बोलीं कि – “ठीक है मैं रात बारह बजे के बाद थोड़ा मूड बना कर तुम्हारे कमरे में आऊँगी।“ दोनों बहन भाई भी कोई दस बजे के करीब सो गये और मैं अपने कमरे में चला आया।